वकील साहब का दर्द : कौन थी प्रियंका विपिन की

कुसुमा ने अपने दामाद एडवोकेट विपिन कुमार निगम से वादा किया था कि अगर बड़ी बेटी उन के बच्चे की मां नहीं बनी तो वह उस के साथ अपनी छोटी बेटी काजल का विवाह कर देगी. लेकिन 4 साल बाद कुसुमा अपने वादे से मुकर गई. इस के बाद परिवार में कलह इतनी बढ़ गई कि…

सिकंदरपुर कस्बे के सुभाष नगर मोहल्ले में सुबह सवेरे यह खबर फैल गई कि विचित्र लाल के वकील बेटे विपिन कुमार निगम ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली है, जिस ने भी यह खबर सुनी, स्तब्ध रह गया. कुछ ही देर में विचित्र लाल के घर के बाहर लोगों का मजमा लग गया. लोग आपस में कानाफूसी करने लगे. इसी बीच मृतक के छोटे भाई नितिन ने फोन पर भाई के आत्महत्या कर लेने की सूचना थाना छिबरामऊ पुलिस को दे दी. यह बात 22 मई, 2020 की सुबह की है.

मामला एक वकील की आत्महत्या का था. थानाप्रभारी शैलेंद्र कुमार मिश्र ने वारदात की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी और चौकी इंचार्ज अजब सिंह व अन्य पुलिसकर्मियों को साथ ले कर सुभाष नगर स्थित विचित्र लाल निगम के घर पहुंच गए.

थानाप्रभारी उस कमरे में पहुंचे, जिस में विपिन कुमार निगम की लाश कमरे की छत के कुंडे से लटकी हुई थी. उन्होंने सहयोगी पुलिसकर्मियों की मदद से शव को फांसी के फंदे से नीचे उतरवाया. मृतक की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. मृतक की जामातलाशी ली गई तो पैंट की दाहिनी जेब से एक पर्स तथा शर्ट की ऊपरी जेब से एक मोबाइल फोन मिला. पर्स तथा मोबाइल फोन पुलिस ने अपने पास रख लिया.थानाप्रभारी शैलेंद्र कुमार मिश्र अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह और एएसपी विनोद कुमार भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. टीम ने उस प्लास्टिक स्टूल की भी जांच की जिस पर चढ़ कर मृतक ने गले में रस्सी का फंदा डाला था और स्टूल को पैर से गिरा दिया था.

मृतक विपिन कुमार निगम शादीशुदा था, पर घटनास्थल पर न तो उस की पत्नी प्रियंका थी और न ही प्रियंका के मातापिता और भाई में से कोई आया था. यद्यपि उन्हें सूचना सब से पहले दी गई थी. मौका ए वारदात पर मृतक का पूरा परिवार मौजूद था. मृतक के कई अधिवक्ता मित्र भी वहां आ गए थे जो परिवार वालों को धैर्य बंधा रहे थे. मित्र के खोने का उन्हें भी गहरा दुख था.पुलिस अधिकारियों ने मौके पर मौजूद मृतक के छोटे भाई नितिन कुमार से पूछताछ की तो उस ने बताया कि भैया सुबह जल्दी उठ जाते थे और केसों से संबंधित उन फाइलों का निरीक्षण करने लगते थे, जिन की उसी दिन सुनवाई होती थी.

आज सुबह 8 बजे जब मैं उन के कमरे पर पहुंचा तो कमरा बंद था और कूलर चल रहा था. यह देख कर मुझे आश्चर्य हुआ. मैं ने दरवाजा थपथपाया और आवाज दी. पर न तो दरवाजा खुला और न ही अंदर से कोई प्रतिक्रिया हुई. मन में कुछ संदेह हुआ तो मैं ने मातापिता और अन्य भाइयों को बुला लिया. उन सब ने भी आवाज दी, दरवाजा थपथपाया पर कुछ नहीं हुआ.इस के बाद हम भाइयों ने मिल कर जोर का धक्का दिया तो दरवाजे की सिटकनी खिसक गई और दरवाजा खुल गया. कमरे के अंदर का दृश्य देख कर हम लोगों की रूह कांप उठी. भैया फांसी के फंदे पर झूल रहे थे.

इस के बाद तो घर में कोहराम मच गया. खबर फैली तो मोहल्ले के लोग आने लगे. इसी बीच हम ने घटना की जानकारी भाभी प्रियंका, रिश्तेदारों, भैया के दोस्तों और पुलिस को दी.‘‘क्या तुम बता सकते हो कि तुम्हारे भाई ने आत्महत्या क्यों की?’’ एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने नितिन से पूछा. ‘‘सर, भैया ने पारिवारिक कलह के चलते आत्महत्या की है. दरअसल प्रियंका भाभी और उन के मायकों वालों से नहीं पटती थी. 2 दिन पहले ही भाभी ने कलह मचाई तो भैया उन्हें मायके छोड़ आए थे. उसी के बाद से वह तनाव में थे. शायद इसी तनाव में उन्होंने आत्महत्या कर ली.’’ निखिल ने बताया.

इसी बीच एएसपी विनोद कुमार ने मृतक के अंदर वाले कमरे की तलाशी कराई तो उन्हें एक सुसाइड नोट फ्रिज कवर के नीचे से तथा दूसरा सुसाइड नोट टीवी कवर के नीचे से बरामद हुआ. एक अन्य सुसाइड नोट उन के पर्स से भी मिला. यह पर्स जामातलाशी के दौरान मिला था. पर्स में पेन कार्ड, आधार कार्ड और कुछ रुपए थे.

विपिन के सुसाइड नोट

फ्रिज कवर के नीचे से जो पत्र बरामद हुआ था, उस में विपिन कुमार ने अपनी सास कुसुमा देवी को संबोधित करते हुए लिखा था, ‘सासूजी, आप ने वादा किया था कि प्रियंका 3 साल तक बच्चे को जन्म नहीं दे पाई तो आप दूसरी बेटी काजल की शादी मेरे साथ कर देंगी. पर 3 साल बाद आप मुकर गईं. इस से मुझे गहरी ठेस लगी. प्रियंका के कटु शब्दों ने मेरे दिल को छलनी कर दिया है. उस के मायके जाने के बाद मैं 2 दिन बेहद परेशान रहा. रातरात भर नहीं सोया. आखिर परेशान हो कर मैं ने अपने आप को मिटाने का निर्णय ले लिया.’ विपिन निगम.

दूसरा पत्र जो टीवी कवर के नीचे से बरामद हुआ था. वह पत्र विपिन ने अपनी पत्नी प्रियंका को संबोधित करते हुए लिखा था, ‘प्रियंका, तुम मेरे जीवन में बवंडर बन कर आई, जिस ने आते ही सब कुछ तहसनहस कर दिया. शादी के कुछ महीने बाद ही तुम रूठ कर मायके चली गईं. मांबाप के कान भर कर, झूठे आरोप लगा कर तुम ने मेरे तथा मेरे मातापिता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. ‘किसी तरह मामला रफादफा कर मैं तुम्हें मना कर घर ले आया. डिलीवरी के दौरान मैं ने अपना खून दे कर तुम्हारी जान बचाई. यह बात दीगर है कि बच्चे को नहीं बचा सका. इतना सब करने के बावजूद तुम मेरी वफादार न बन सकी.
‘तुम ने कहा था कि 3 साल तक बच्चा न दे पाऊं तो मेरी छोटी बहन काजल से शादी कर लेना. पर तुम मुकर गई. लड़झगड़ कर घर चली गई. तुम सब ने मिल कर मेरी जिंदगी तबाह कर दी. अब मैं ऐसी जिंदगी से ऊब गया हूं जिस में गम ही गम हैं. —विपिन निगम.

तीसरा पत्र जो पर्स से मिला था, विपिन ने अपनी साली काजल को संबोधित करते हुए लिखा था, ‘आई लव यू काजल, तुम मेरी मौत पर आंसू न बहाना. तुम्हारा कोई कुसूर नहीं है. तुम तो मेरी आंखों का काजल बन चुकी थीं. मुझे यह भी पता है कि तुम मुझ से शादी करने को राजी थीं. पर तुम्हारी मां मंथरा बन गई.
‘उस ने नफरत भरने के लिए दोनों बहनों के कान भरे और फिर शादी के वादे से मुकर गई. मैं तुम दोनों बहनों को खुश रखना चाहता था, लेकिन ऐसा हो न सका. मैं निराश हूं. तन्हा जीवन से मौत भली. काजल, आई लव यू. मेरी मौत पर आंसू न बहाना. तुम्हारा विपिन.’
विपिन की शर्ट की जेब से उस का मोबाइल भी बरामद हुआ था. एएसपी विनोद कुमार ने जब फोन को खंगाला तो पता चला कि विपिन ने अपनी जीवनलीला खत्म करने से पहले अपने फेसबुक एकाउंट पर शायराना अंदाज में एक पोस्ट लिखी थी.

सुसाइड नोट्स से समझ आया माजरा

विपिन के सुसाइड नोट पढ़ने के बाद पुलिस अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि युवा अधिवक्ता विपिन कुमार निगम ने पारिवारिक कलह के कारण आत्महत्या की है. वह अपनी पत्नी प्रियंका और सास कुसुमा देवी से पीडि़त था.साक्ष्य सुरक्षित करने के बाद पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए कन्नौज के जिला अस्पताल भिजवा दिया. पुलिस जांच और मृतक के परिवार वालों द्वारा दी गई जानकारी से आत्महत्या प्रकरण की जो कहानी सामने आई उस का विवरण इस प्रकार से है—

ग्रांट ट्रंक रोड (जीटीरोड) पर बसा कन्नौज शहर कई मायने में चर्चित है. कन्नौज सुगंध की नगरी के नाम से जाना जाता है. यहां का बना इत्र फुलेल पूरी दुनिया में मशहूर है. दूसरे यह ऐतिहासिक धरोहर भी है. चंदेल वंश के राजा जयचंद की राजधानी कन्नौज ही थी. उन का किला खंडहर के रूप में आज भी दर्शनीय है. गंगा के तट पर बसा कन्नौज तंबाकू और आलू के व्यापार के लिए भी मशहूर है. पहले कन्नौज, फर्रुखाबाद जिले का एक कस्बा था, जिसे बाद में जिला बनाया गया.

इसी कन्नौज जिले का एक कस्बा सिकंदरपुर है, जो छिबरामऊ थाने के अंतर्गत आता है. इसी कस्बे के सुभाष नगर मोहल्ले में विचित्र लाल निगम अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी सरिता निगम के अलावा 4 बेटे थे. जिस में विपिन कुमार निगम सब से बड़ा तथा नितिन कुमार सब से छोटा था. विचित्र लाल व्यापारी थे, आर्थिक स्थिति मजबूत थी. कायस्थ बिरादरी में उन की अच्छी पैठ थी.
विपिन कुमार निगम अपने अन्य भाइयों से कुछ ज्यादा ही तेजतर्रार था. वह वकील बनना चाहता था. उस ने छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर से एलएलबी की पढ़ाई की.

इस के बाद वह छिबरामऊ तहसील में वकालत करने लगा. विपिन कुमार निगम दीवानी और फौजदारी दोनों तरह के मुकदमे लड़ता था. कुछ दिनों बाद उस के पास अच्छेखासे केस आने लगे थे. उस ने तहसील में अपना चैंबर बनवा लिया और 2 सहयोगी कर्मियों को भी रख लिया.विपिन कुमार निगम अच्छा कमाने लगा तो उस के पिता विचित्र लाल ने 6 जनवरी, 2014 को औरैया जिले के उजैता गांव के रहने वाले राजू निगम की बेटी प्रियंका से शादी कर दी. राजू निगम किसान थे. उन के 2 बेटियां और एक बेटा था, जिन में प्रियंका सब से बड़ी थी.

खूबसूरत प्रियंका, विपिन की दुलहन बन कर ससुराल आई तो सभी खुश थे, पर प्रियंका खुश नहीं थी. उसे शोरगुल पसंद नहीं था. यद्यपि उसे पति से कोई शिकवा शिकायत न थी. प्रियंका ससुराल में 10 दिन रही. उस के बाद उस का भाई आकाश आया और उसे विदा करा ले गया.
प्रियंका ने दिखाए ससुराल में तेवर

लगभग 2 महीने बाद प्रियंका दोबारा ससुराल आई तो उस ने अपना असली रूप दिखाना शुरू कर दिया. वह सासससुर से कटु भाषा बोलने लगी, देवरों को झिड़कने लगी. सास सरिता बेस्वाद खाना बनाने को ले कर टोकती तो जवाब देती कि स्वादिष्ट खाना बनाने को नौकरानी रख लो. घर के काम के लिए कहती तो जवाब मिलता कि वह नौकरानी नहीं, घर की बहू है.

यही नहीं उस ने दहेज में मिला सामान पलंग, टीवी, फ्रिज, अलमारी पहली मंजिल पर बने 2 बड़े कमरों में सजा लिया और एक तरह से परिवार से अलग रहने लगी. इसी बीच उस
के पैर भारी हो गए. ससुराल वालों के लिए यह खबर खुशी की थी लेकिन उस के दुर्व्यवहार के कारण किसी ने खुशी जाहिर नहीं की.विपिन परिवार के प्रति पत्नी के दुर्व्यवहार से दुखी था. उस ने प्रियंका पर सख्ती कर लगाम कसने की कोशिश की तो वह त्रिया चरित्र दिखाने लगी. अपनी मां कुसुमा को रोरो कर बताती कि ससुराल वाले उसे प्रताडि़त करते हैं. मां ने भी बेटी की बातों पर सहज ही विश्वास कर लिया और उसे मायके बुला लिया.

इस के बाद मांबेटी ने सोचीसमझी रणनीति के तहत ससुराल वालों पर झूठे आरोप लगा कर थाना फफूंद में दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करा दी. जब विपिन को पत्नी द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराने की जानकारी हुई तो वह सतर्क हो गया. वह ससुराल पहुंचा और किसी तरह पत्नी व सास का गुस्सा शांत किया, जिस से फिर मुकदमे में समझौता हो गया. इस के बाद कई शर्तों के साथ कुसुमा देवी ने प्रियंका को ससुराल भेज दिया. ससुराल आ कर प्रियंका स्वच्छंद हो कर रहने लगी. उस ने पति को भी अपनी मुट्ठी में कर लिया था.
फिर जब प्रसव का समय आया तो प्रियंका मायके आ गई. कुसुमा ने उसे प्रसव के लिए इटावा के एक निजी नर्सिंग होम में भरती कराया. डाक्टरों ने उस का चेकअप किया तो खून की कमी बताई. और यह भी साफ कर दिया कि बच्चा औपरेशन से होगा.

कुसुमा चालाक औरत थी. वह जानती थी कि नर्सिंग होम का खर्चा ज्यादा आएगा. अत: उस ने दामाद विपिन को पहले ही नर्सिंग होम बुलवा लिया था. 9 जनवरी, 2015 को विपिन ने अपना खून दे कर प्रियंका की जान तो बचा ली, लेकिन बच्चा नहीं बच सका. लगभग एक हफ्ते तक अस्पताल में भरती रहने के बाद प्रियंका मां के घर आ गई. डिस्चार्ज के दौरान डाक्टर ने एक और चौंकाने वाली जानकारी दी कि प्रियंका दोबारा मां नहीं बन पाएगी.

यह जानकारी जब विपिन व प्रियंका को हुई तो दोनों दुखी हुए. इस पर सास कुसुमा ने बेटी दामाद को समझाया और कहा, ‘‘कुदरत का खेल निराला होता है, फिर भी यदि 3 साल तक प्रियंका बच्चे को जन्म न दे पाई तो मैं वादा करती हूं कि अपनी छोटी बेटी काजल का विवाह तुम्हारे साथ कर दूंगी.’’
सासू मां की बात सुन कर विपिन मन ही मन खुश हुआ. प्रियंका व काजल ने भी अपनी सहमति जता दी. इस के बाद प्रियंका पति के साथ ससुराल में आ कर रहने लगी. विपिन कुमार भी अपने वकालत के काम में व्यस्त हो गया. प्रियंका कुछ माह ससुराल में रहती तो एकदो माह के लिए मायके चली जाती. इसी तरह समय बीतने लगा.

प्रियंका के रहते विपिन के मन में पहले कभी भी साली के प्रति आकर्षण नहीं रहा, किंतु जब से सासू मां ने शादी करने की बात कही तब से उस के मन में काजल का खयाल आने लगा था. 17वां बसंत पार कर चुकी काजल की काया कंचन सी खिल चुकी थी. उस की आंखें शरारत करने लगी थीं. काजल का खिला रूप विपिन की आंखों में बस गया. अब वह उस से खुल कर हंसीमजाक करने लगा था. काजल की सोच भी बदल गई थी. वह जीजा के हंसीमजाक का बुरा नहीं मानती थी. दरअसल वह मान बैठी थी कि दीदी यदि बच्चे को जन्म न दे पाई तो विपिन उस का जीजा नहीं भावी पति होगा.

पत्नी और ससुरालियों के बयान से  टूट गया विपिन

धीरेधीरे 3 साल बीत गए पर प्रियंका बच्चे को जन्म नहीं दे पाई. तब विपिन ने सासू मां से कहना शुरू किया कि वह वादे के अनुसार काजल की शादी उस से कर दे लेकिन कुसुमा देवी उसे किसी न किसी बहाने टाल देती. इस तरह एक साल और बीत गया. विपिन को अब दाल में कुछ काला नजर आने लगा. अत: एक रोज वह ससुराल पहुंचा और सासू मां पर शादी का दबाव डाला, इस पर वह बिफर पड़ी, ‘‘कान खोल कर सुन लो दामादजी, मैं अपनी फूल सी बेटी का ब्याह तुम से नहीं कर सकती.’’‘‘पर आप ने तो वादा किया था. इस में आप की दोनों बेटियां रजामंद थीं.’’ विपिन गिड़गिड़ाया.

‘‘रजामंदी तब थी, पर अब नहीं. प्रियंका भी नहीं चाहती कि काजल की शादी तुम से हो.’’ कुसुमा ने दोटूक जवाब दिया.इस के बाद विपिन वापस घर आ गया. उस ने इस बाबत प्रियंका से बात की तो उस ने मां की बात का समर्थन किया. इस के बाद काजल से शादी को ले कर विपिन का झगड़ा प्रियंका से होने लगा. 18 मई, 2020 को भी प्रियंका और विपिन में झगड़ा हुआ. उस के बाद वह प्रियंका को उस के मायके छोड़ आया.पत्नी मायके चली गई तो विपिन कुमार तन्हा हो गया. उसे सारा जहान सूनासूना सा लगने लगा. उस की रातों की नींद हराम हो गई. वह बात करने के लिए पत्नी को फोन मिलाता, पर वह बात नहीं करती.

विपिन जब बेहद परेशान हो उठा, तब उस ने आखिरी फैसला मौत का चुना. उस ने 3 पत्र कुसुमा देवी, प्रियंका तथा काजल के नाम लिखे. काजल को लिखा पत्र उस ने अपने पर्स में रख लिया और सास को लिखा पत्र फ्रिज कवर के नीचे व पत्नी को लिखा पत्र टीवी कवर के नीचे रख दिया.21 मई, 2020 की आधी रात के बाद अधिवक्ता विपिन कुमार निगम ने अपनी जीवन लीला खत्म करने से पहले अपने फेसबुक एकाउंट में एक पोस्ट डाली. फिर कमरे की छत के कुंडे में रस्सी बांध कर फंदा बनाया और फिर स्टूल पर चढ़ कर फांसी का फंदा गले में डाल कर झूल गया. इधर सुबह घटना की जानकारी तब हुई जब विपिन का छोटा भाई नितिन कमरे पर पहुंचा.

मृतक विपिन कुमार निगम ने अपने सुसाइड नोट मे अपनी मौत का जिम्मेदार अपनी सास कुसुम देवी और पत्नी प्रियंका को ठहराया था, लेकिन मृतक के घर वालों ने कोई तहरीर थाने में नहीं दी जिस से पुलिस ने मुकदमा ही दर्ज नहीं किया और इस प्रकरण को खत्म कर दिया.

डेढ़ सौ करोड़ की मालकिन शुभांगना की मौत की मिस्ट्री – भाग 1

“मैम साहब, दरवाजा खोलिए, मैं आप के लिए चाय लाई हूं.’’ नौकरानी टीला ने शुभांगना के कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए कहा. कमरे से कोई आवाज नहीं आई तो टीला ने दोबारा दरवाजा खटखटाते हुए कहा, ‘‘मैम साहब, सुबह के 6 बज गए हैं, दरवाजा खोलिए.’’

इस बार भी न तो दरवाजा खुला और न ही कमरे के अंदर से हलचल की कोई आवाज आई. चिंतित हो कर टीला सोचने लगी कि मैम साहब आज उठ क्यों नहीं रही हैं? उस ने दरवाजे को धक्का दिया तो वह खुल गया. उस ने कमरे के अंदर जो देखा, उसे देख कर हैरान रह गई. शुभांगना कमरे में लगे पंखे से लटक रही थी. उसे इस हालत में देख कर उस की समझ में नहीं आया कि वह क्या करे. थोड़ी देर में होश ठिकाने आए तो उस ने चाय की ट्रे मेज पर रखी और तेजी से सीढि़यां उतरते हुए पहली मंजिल पर पहुंच कर अपने कमरे में सो रहे शुभांगना के 15-16 साल के बेटे मिहिर को झिंझोड़ कर जगाया.

मिहिर आंखें मलते हुए उनींदा सा उठा तो घबराई हुई टीला ने कहा, ‘‘बेटा, मैम साहब को पता नहीं क्या हो गया है? वह अपने कमरे में पंखे से लटकी हुई हैं.’’

टीला की बात सुन कर मिहिर चौंका. वह तेजी से कमरे से निकला और घर में लगी लिफ्ट से दूसरी मंजिल पर मम्मी के कमरे में पहुंचा. टीला भी उस के साथ थी. मिहिर ने मम्मी को पंखे से लटकी देखा तो उस की भी कुछ समझ में नहीं आया. उस ने ‘मम्मीमम्मी’ 2-3 बार आवाज लगाई. मम्मी जीवित होतीं तब तो जवाब देतीं. मिहिर रोने लगा. उसे रोता देख कर टीला भी रोने लगी. उस ने रोतेरोते ही कहा, ‘‘मेरी समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं?’’

‘‘मैं पापा और नानाजी को फोन करता हूं.’’ रोते हुए मिहिर ने कहा.

नाना को बताई हकीकत

इस के बाद मिहिर ने रोतेरोते नानाजी प्रेम सुराणा और पापा राजकुमार सावलानी को फोन कर के बताया कि मम्मी अपने कमरे में पंखे से लटकी हुई हैं. घर में कोई बड़ा और समझदार आदमी नहीं था. मिहिर अभी किशोर था, और टीला नौकरानी. उन की समझ में कुछ नहीं आया तो दोनों प्रेम सुराणा और राजकुमार सावलानी के आने का इंतजार करने लगे.

कुछ ही देर में प्रेम सुराणा बेटी शुभांगना के बंगले पर पहुंच गए. वह लिफ्ट से सीधे दूसरी मंजिल पर स्थित शुभांगना के कमरे में पहुंचे. नाना को देख कर मिहिर उन से लिपट कर जोरजोर से रोते हुए बोला, ‘‘नानाजी, मम्मी को क्या हो गया है?’’

बेटी को पंखे से लटकी और नाती को इस तरह रोते देख कर प्रेम सुराणा को जैसे लकवा मार गया. मुंह से कोई शब्द नहीं निकला. उन की आंखें पथरा सी गईं. पल, दो पल बाद वह थोड़ा संयमित हुए तो उन की आंखों से भी आंसू टपक पडे़े.

यह कैसे और क्या हो गया, यह सब सोचने और समझने का समय प्रेम सुराणा के पास नहीं था. शुभांगना ने जींस और टौप पहन रखी थी, साथ ही वह पूरे गहने भी पहने हुए थी. प्रेम सुराणा ने शुभांगना के कमरे में रखी सैंटर टेबल पर टिके पैरों को पकड़ कर ऊपर उठाया और उस के गले में पड़े चुन्नी के फंदे को निकाला. उन की इस कोशिश में वह नीचे गिर पड़ी.

उन्होंने शुभांगना की नब्ज टटोली तो वह शांत थी. लेकिन वह पिता थे, इसलिए उन का मन नहीं माना और वह उसे सवाई मान सिंह अस्पताल ले गए. अस्पताल के डाक्टरों ने प्राथमिक जांच के बाद शुभांगना को मृत घोषित कर दिया. प्रेम सुराणा फफकफफक कर रोने लगे. शुभांगना की मौत स्वाभाविक नहीं थी, इसलिए उन्होंने इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी.

इंस्टीट्यूशंस की चेयरपर्सन थीं शुभांगना

यह इसी 26 अगस्त, 2017 की सुबह की बात है. शुभांगना गोखले मार्ग, जयपुर की पौश कालोनी सी स्कीम में बने अपने बंगले में रहती थी. वह राजस्थान के प्रतिष्ठित दीपशिखा एजुकेशन इंस्टीट्यूट समूह के मालिक प्रेम सुराणा की बेटी थी. वह खुद जसोदा देवी कालेजेज एंड इंस्टीट्यूशंस चलाती थी और इन इंस्टीट्यूशंस की चेयरपर्सन भी थी.

सुराणा की सूचना पर थाना अशोक नगर के एसआई कृष्ण कुमार सहयोगियों के साथ शुभांगना के बंगले पर पहुंच गए. पुलिस ने शुभांगना के कमरे से वह चुन्नी जब्त कर ली थी, जिस के फंदे में वह लटकी मिली थी. पुलिस सवाई मान सिंह अस्पताल भी गई, जहां शुभांगना की लाश को कब्जे में ले कर उस का पोस्टमार्टम करवाया. पोस्टमार्टम के बाद लाश घर वालों को सौंप दी गई.

शुभांगना की मौत जयपुर के अमीर घरानों में चर्चा का विषय बन गई. इस की वजह यह थी कि वह डेढ़, दो सौ करोड़ रुपए की संपत्ति की मालकिन थी. ऐसे में उस की इस तरह हुई मौत पर तरहतरह के सवाल उठने लगे. सब से बड़ा सवाल यह था कि शुभांगना ने फंदा लगा कर खुद जान दी या उसे मार कर इस तरह लटका कर आत्महत्या का रूप दिया गया था. कहानी आगे बढ़ने से पहले शुभांगना के बारे में जान लेना जरूरी है.

प्रेम सुराणा की बेटी शुभांगना शादी से पहले अपना नाम रुचिरा सुराणा लिखती थी. सुराणा परिवार जयपुर की पौश कालोनी बनीपार्क में रहता था. रुचिरा तब 16-17 साल की थी, जब उसे फिल्में देखने और गाने सुनने का शौक लगा. राजकुमार सावलानी बनीपार्क की सिंधी कालोनी में वीडियो लाइब्रेरी चलाता था. यह उस समय की बात है, जब फिल्में या तो थिएटर में या वीसीआर द्वारा देखी जाती थीं. वीसीआर में वीडियो कैसेट लगती थी.

राजकुमार के हाथ लगी स्वर्णमृगी

रुचिरा वीडियो कैसेट्स लेने अकसर राजकुमार की वीडियो लाइब्रेरी जाती रहती थी. धीरेधीरे रुचिरा का राजकुमार के यहां आनाजना बढ़ता गया. राजकुमार भी उस समय 18-19 साल का था. जवानी की दहलीज पर खड़ी रुचिरा की उम्र नाजुक दौर से गुजर रही थी. ऐसे में कब वह पारिवारिक और सामाजिक मर्यादाओं को ताक पर रख कर फिसल गई, किसी को पता नहीं लगा.

कहा जाता है कि नौवीं तक पढ़ा राजकुमार वीडियो लाइब्रेरी चलाने से पहले अंडे का ठेला लगाता था. लेकिन अपने नाम के अनुसार, वह खूबसूरत था. शायद यही वजह थी कि उम्र के नाजुक दौर से गुजर रही रुचिरा उस के आकर्षण में खिंचती चली गई. रुचिरा नाबालिग थी, लेकिन राजकुमार बालिग था. रुचिरा पैसे वाले बाप की बेटी थी, इसलिए राजकुमार उस से प्रेम की पींगे बढ़ाता गया. उस के मोहपाश में बंधी रुचिरा न अपना भलाबुरा सोच पाई न ऊंचनीच.

कहा जाता है कि राजकुमार ने रुचिरा को मानसिक रूप से इतना इमोशनल बना दिया था कि वह उस के कहने पर अपना सब कुछ गंवाने को तैयार थी. आखिर सारे बंधन तोड़ कर रुचिरा ने घर वालों की मर्जी के खिलाफ जा कर सन 1997 में दिल्ली जा कर आर्यसमाज मंदिर में राजकुमार सावलानी से शादी कर ली. शादी के बाद उस ने नाम बदल कर शुभांगना सावलानी रख लिया.

सौतिया डाह में पत्नी ने लिया बदला

62 वर्षीय रामविलास साह जिला सीतामढ़ी के डुमरा थाना क्षेत्र में आने वाले गांव बनचौरी में अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में दूसरी पत्नी सुनीता के अलावा 2 बेटे थे. पहली पत्नी मनतोरिया से उस के 6 बच्चे थे. लेकिन मनतोरिया अपने बच्चों के साथ दूसरे मकान में रहती थी.

एक तरह से उस का पति रामविलास से कोई संबंध नहीं था. रामविलास के पास खेती की अच्छीखासी जमीन थी. डुमरा इलाके में वह बड़े काश्तकारों में शुमार था. रामविलास के दिन बड़ी खुशहाली में कट रहे थे. अपने नियमानुसार वह सुबह 5 बजे बिस्तर त्याग देता था.

4 जून, 2018 को सुबह के 9 बजे गए थे. उस दिन न तो रामविलास उठा और न ही उस की पत्नी सुनीता और न ही उस के दोनों बेटे. घर में भी कोई हलचल नहीं हो रही थी. यह देख कर पड़ोस में रहने वाले रामविलास के भतीजे श्रवण को बड़ा अजीब लगा. इस के पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था कि चाचा या चाची इतनी देर तक सोते रहे हों.

यह देख कर श्रवण से नहीं रहा गया तो वह चाचाचाची को आवाज लगाते हुए उन के घर के अंदर दाखिल हो गया. घर का मुख्य दरवाजा यूं ही भिड़ा हुआ था, हलका सा धक्का देते ही किवाड़ खुल गई. श्रवण आवाज देते हुए चाचाचाची के कमरे में पहुंच गया.

कमरे में जा कर उस की नजर बिस्तर पर पड़ी तो उस का दिल दहल गया. बिस्तर पर रामविलास साह और उस की पत्नी सुनीता देवी की रक्तरंजित लाशें पड़ी थीं. श्रवण चिल्लाते हुए उलटे पांव बाहर आ गया.

उस के चीखने की आवाज सुन कर आसपड़ोस के लोग भी वहां आ गए. जब वे लोग रामविलास के घर में गए तो पतिपत्नी की लाशें देख कर हैरत में रह गए. उन के दोनों बच्चे घर में दिखाई नहीं दे रहे थे. लोगों ने जब दूसरे कमरे में देखा तो उन के दोनों बेटों नवल और राहुल की लाशें भी खून से लथपथ पड़ी मिलीं.

हत्यारों ने चारों की हत्या बड़ी बेरहमी से गला रेत कर की थी. थोड़ी देर में ही 4-4 लाशें पाए जाने की खबर बनचौरी गांव में ही नहीं बल्कि पूरे डुमरा क्षेत्र में फैल गई. जिस ने भी सुना दौड़ा चला आया.

देखतेदेखते वहां भारी भीड़ जमा हो गई थी. इसी बीच किसी ने घटना की सूचना थाना डुमरा को दे दी थी. एक ही परिवार के 4 लोगों की हत्या की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी विकास कुमार सिंह तुरंत पुलिस टीम के साथ बनचौरा के लिए रवाना हो गए. जब वह घटनास्थल पर पहुंचे तो रामविलास के घर के बाहर लोगों का हुजूम लगा था.

उच्चाधिकारियों को घटना की सूचना देने के बाद थानाप्रभारी घटनास्थल का निरीक्षण करने लगे. घटना की सूचना मिलते ही एसपी विकास बर्मन, एएसपी संदीप कुमार नीरज, डीएसपी (सदर) कुमार वीर वीरेंद्र, डीएसपी राजवंश सिंह, नगर थाने के इंसपेक्टर मुकेश चंद कुंवर, एसआई शशि भूषण सिंह आदि घटनास्थल पर पहुंच गए.

छानबीन के दौरान पुलिस अधिकारियों ने पाया कि हत्यारों ने चारों को गोली मारी थी. बाद में उन्होंने सब के गले रेते थे. ऐसा काम वही कर सकता था, जो उन से सख्त नफरत करता हो. मतलब यह कि हत्यारा नहीं चाहता था कि उन में से कोई भी जिंदा बचे. वह उन्हें आखिरी सांस तक मरते देखना चाहता था.

छानबीन के दौरान पुलिस ने मौके से 4 खोखे बरामद किए. हत्यारों ने घर में रखे किसी भी सामान को हाथ नहीं लगाया था, कमरे का सारा सामान अपनी जगह रखा था. इस से साफ जाहिर हो रहा था कि हत्यारों का मकसद सिर्फ हत्या करना था.

इस का मतलब रामविलास साह और उस के परिवार की हत्या किसी साजिश के तहत की गई थी. निश्चित रूप से हत्यारे परिचित रहे होंगे, जिन्हें घर के कोने की जानकारी थी. तभी वह बड़ी आसानी से अपना काम कर के निकल गए और किसी को कानोंकान भनक तक नहीं लगी.

घटना की सूचना मृतक रामविलास के साले यानी सुनीता के भाई बिरजू साह को मिली तो वह भी बनचौरी पहुंच गया. बहनोई और भांजों की लाशें देख वह दहाड़ मार कर रोने लगा. उस की बहन के घर में कोई दीया जलाने वाला तक नहीं बचा था.

पड़ोसियों, गांव वालों आदि से बात करने के बाद पुलिस ने मौके की काररवाई निपटा कर चारों लाशें पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दीं. पुलिस ने मृतका सुनीता के भाई बिरजू को थाने बुलवा कर पूछताछ की तो उस ने इस सामूहिक नरसंहार के लिए अपने बहनोई की पहली बीवी मनतोरिया देवी और उस के 3 बेटों बिटटू कुमार, विक्रम कुमार उर्फ पप्पू और रोहित कुमार को जिम्मेदार मानते हुए नामजद रिपोर्ट दर्ज करा दी.

बिरजू साह की तहरीर पर पुलिस ने नामजद लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 120बी, 34 और 27 आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया.

घटना की मौनिटरिंग एसपी विकास बर्मन खुद कर रहे थे. उन्होंने सदर डीएसपी कुमार वीर वीरेंद्र को निर्देश दिया कि पुलिस की एक टीम बना कर आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करें ताकि वे भाग न सकें.

डीएसपी कुमार वीर वीरेंद्र ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एक स्पैशल टीम गठित की, जिस में तेजतर्रार और विश्वासपात्र पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया. नामजद चारों आरोपी गांव बनचौरी के ही रहने वाले थे. पुलिस को मुखबिर के जरिए सूचना मिली कि आरोपी गांव में ही छिपे हैं और भाग निकलने का मौका ढूंढ रहे हैं.

मुखबिर की सूचना पर पुलिस अविलंब बनचौरी पहुंची और रामविलास की पत्नी मनतोरिया के घर दबिश दी. घर खुला हुआ था लेकिन वहां कोई नहीं मिला. तभी पुलिस को पता चला कि चारों आरोपी अभीअभी घर छोड़ कर फरार हुए हैं.

आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस गांव के बाहर पहुंची. पुलिस को देखते ही आरोपी बिट्टू, विक्रम और रोहित भागने लगे. पुलिस ने दौड़ कर तीनों आरोपियों को पकड़ लिया. ये तीनों भाई थे.

इन की मां मनतोरिया उन के साथ नहीं थी. शायद वह किसी दूसरे रास्ते से निकल गई थी. पुलिस तीनों आरोपियों को थाने ले आई. थानाप्रभारी विकास कुमार सिंह ने आरोपियों की गिरफ्तारी की सूचना डीएसपी कुमार वीर वीरेंद्र सिंह और एसपी विकास बर्मन को दे दी.

दोनों अधिकारी थाने पहुंच गए. एसपी और डीएसपी के समक्ष थानाप्रभारी ने तीनों आरोपियों से चौहरे हत्याकांड के संबंध में पूछताछ की तो उन्होंने बिना किसी झिझक के अपना जुर्म कबूल कर लिया. चारों की हत्या किए जाने का उन्हें कोई मलाल नहीं था.

उन के चेहरों पर कोई अफसोस नहीं दिख रहा था बल्कि उन की आंखों में मृतकों के प्रति नफरत की चिंगारी फूट रही थी. पुलिस ने जब उन से हत्याओं की वजह पूछी तो उन्होंने विस्तार से कहानी सुनाई. पता चला कि इस खूनी कहानी की काली दास्तान पारिवारिक रंजिश की बुनियाद पर लिखी जा गई थी.

तीनों आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद एसपी विकास वर्मन ने पुलिस लाइंस में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया. तीनों आरोपियों ने पत्रकारों के सामने अपने पिता, सौतेली मां और दोनों सौतेले भाइयों की हत्या किए जाने का जुर्म कबूल किया.

इस के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया. इस खूनी कहानी को विस्तार से जानने के लिए हमें 30 साल पीछे जाना होगा, जब इस कहानी की बुनियाद रखी गई.

रामविलास साह अपने पिता के साथ खेतीकिसानी का काम करता था. करीब 40 साल पहले उस के पिता ने उस का विवाह मनतोरिया के साथ कर दिया था. रामविलास की जिंदगी में मनतोरिया बहार बन कर छा गई. समय के साथ मनतोरिया 6 बच्चों की मां बनी. जिन में 3 बेटे और 3 बेटियां थीं.

करीब 30 साल पहले रामविलास साह ने सुनीता से दूसरी शादी रचा ली थी. पति के इस फैसले पर मनतोरिया आगबबूला हो गई. बच्चे भी पिता की दूसरी शादी से खुश नहीं थे, उन्होंने सुनीता को मां मानने से इनकार कर दिया. यहीं से रामविलास साह के जीवन में महाभारत की शुरुआत हो गई. रामविलास ने सुनीता से किस विवशता अथवा मजबूरी के तहत शादी की थी, इसे रामविलास ही जानता होगा.

हालांकि रामविलास दोनों पत्नियों को बराबर प्यार देता था. पहली पत्नी के बच्चों को वही दुलार देता था जो उन्हें देता आया था. बच्चों के साथ उस ने कभी भेदभाव नहीं किया. लेकिन बच्चे पिता से नाखुश रहते थे और अपनी मां का ही साथ देते थे.

खैर, आगे चल कर सुनीता भी 2 बच्चों नवल कुमार उर्फ भोलू और राहुल कुमार की मां बन गई. नवल और राहुल के पैदा होने के बाद तो घर में कलह और बढ़ गई. पहली पत्नी मनतोरिया और उस के बच्चे रामविलास पर दबाव बना रहे थे कि वह सुनीता से संबंध तोड़ दे. लेकिन रामविलास ने मनतोरिया और बच्चों से दो टूक कह दिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए वह सुनीता से कभी अलग नहीं हो सकता. पति का यह जवाब सुन कर मनतोरिया मन मसोस कर रह गई.

आखिर रामविलास ने इस कलह से निबटने के लिए अपनी संपत्ति 2 बराबर भागों में बांट दी. एक हिस्सा मनतोरिया के नाम लिख दिया और दूसरा हिस्सा सुनीता के नाम. यही नहीं उस ने पुस्तैनी मकान भी पहली पत्नी को दे दिया और उसी गांव में घर से थोड़ी दूरी पर एक नया घर बना कर सुनीता और दोनों बच्चों के साथ रहने लगा.

लेकिन उस का यह पूरा खेल उल्टा पड़ गया. मनतोरिया और उस के तीनों बच्चों को ये सब इसलिए नागवारा गुजरा कि रामविलास ने सौतेली मां को अपनी जायदाद में से हिस्सा क्यों दिया. उन्होंने पिता से कहा कि वह सौतेली मां का हिस्सा उन्हें दे दें, नहीं तो इस का अंजाम बुरा हो सकता है. लेकिन रामविलास ने पत्नी और बच्चों की बातों पर ध्यान नहीं दिया.

बात इसी साल मार्चअप्रैल महीने की है. मनतोरिया और उस के तीनों बेटों बिट्टू, विक्रम और रोहित के मन में लालच आ गया. उन्होंने धोखे से सुनीता के हिस्से की 12 कट्ठे जमीन में से 4 कट्ठा जमीन 4 लाख रुपए में बनचौरी गांव के पवन साह को बेच  दी. पवन साह के नाम जमीन का बैनामा होने तक सुनीता या रामविलास को कानोंकान खबर तक नहीं हुई.

लेकिन यह बात छिपने वाली नहीं थी. आखिरकार रामविलास को पता चल ही गया कि मनतोरिया ने धोखे से सुनीता के हिस्से की 4 कट्ठा जमीन गांव के पवन साह को बेच दी है. इस बात को ले कर मनतोरिया और सुनीता के बीच विवाद छिड़ गया.

रामविलास सुनीता का ही साथ दे रहा था. उस ने मनतोरिया को इस के लिए खूब खरीखोटी सुनाई. इस पर मनतोरिया के सब से छोटे बेटे रोहित ने पिता को भलाबुरा कह दिया. बेटे की बात रामविलास के दिल में चुभ गई. उस ने आव देखा न ताव, उस के गाल पर 2 थप्पड़ रसीद कर दिया.

बेटे पर हाथ उठाने वाली बात न तो मनतोरिया को अच्छी लगी और न ही बिट्टू और विक्रम को. 2 थप्पड़ों से उस के सीने में धधक रही नफरत की आग ज्वाला बन गई. यह बात तीनों बेटों को नागवार गुजरी कि पिता ने कैसे हाथ उठाया. उन्होंने ठान लिया कि इस का परिणाम उन्हें भुगतना ही होगा. सुनीता जब तक जिंदा रहेगी तब तक उन्हें चैन नहीं मिलेगा.

उस रोज के बाद से तीनों भाइयों के सिर पर खून सवार हो गया. वह पिता, सौतेली मां और उस के दोनों बेटों को मौत के घाट उतारने की योजना बनाने लगे. बिट्टू और विक्रम ने रुपयों का बंदोबस्त कर के आर्म्स सप्लायर वीरेंद्र ठाकुर से 25 हजार रुपए में 2 पिस्टल और कारतूस खरीद लिए. उस के बाद बेटों ने मां को बता कर उसे भी अपनी योजना में शामिल कर लिया.

मनतोरिया तो चाहती ही थी कि उस की सौतन सुनीता उस के रास्ते से हट जाए. उस ने बच्चों को डांटने के बजाए उन की पीठ थपथपाई. मां के योजना में शामिल हो जाने से बेटों के हौसले बुलंद हो गए. बिट्टू और रोहित ने साथ देने के लिए खोया गांव में रहने वाले ममेरे भाई रामकृत साह और सियाराम साह को भी योजना में शामिल कर लिया.

अब वह जल्द से जल्द अपनी योजना को अंजाम देना चाहते थे. आखिर इस के लिए उन्होंने 3 जून, 2018 की रात तय की. योजना को अंजाम देने से पहले तीनों भाइयों ने रात में शराब पी. 3-4 जून, 2018 की रात करीब 12 बजे बिट्टू, विक्रम और रोहित हथियार ले कर अपने पिता रामविलास साह के घर की ओर बढ़े. बिट्टू और विक्रम ने खिड़की से भीतर झांक कर देखा तो रामविलास और सुनीता गहरी नींद में सोए थे. दूसरे कमरे में नवल और राहुल भी सो रहे थे.

बिट्टू और विक्रम के मुख्य शिकार नवल और राहुल ही थे. उन्होंने पहले उन्हीं की हत्या करने की योजना बनाई थी. विक्रम ने खिड़की से ही नवल और राहुल के सीने में 1-1 गोली उतार दी, जबकि बिट्टू ने पिता रामविलास और सौतेली मां सुनीता को गोली मारी, रोहित बाहर खड़ा पहरा दे रहा था.

गोली मारने के बाद बिट्टू और विक्रम घर में घुस गए और दोनों ने फलदार चाकू से चारों के गले रेत दिए. इस के बाद इन लोगों ने सीने पर ताबड़तोड़ वार कर अपने आक्रोश को ठंडा किया. जब उन्हें विश्वास हो गया कि चारों के जिस्म ठंडे पड़ गए हैं, तो उन्हें तसल्ली हुई.

इस खूनी खेल को अंजाम देने में उन्हें केवल आधा घंटा लगा. इस के बाद वे अपने घर पहुंचे और खून से सने अपने हाथपैर धोए. फिर मां को बता दिया कि उन्होंने उन चारों को मौत के घाट उतार दिया. अब उन के रास्ते का कांटा सदा के लिए हट गया है.

उसी रात उन्होंने अपनी मां को ममेरे भाई रामकृत साह और सियाराम साह के साथ भेज दिया. वहां से दोनों मनतोरिया को कहां ले गए अब तक पता नहीं चला. 4 जून, 2018 को ही तीन आरोपी गिरफ्तार कर लिए. मनतोरिया कथा लिखने तक पुलिस की गिरफ्त से दूर थी.

पुलिस ने बिट्टू कुमार, विक्रम और रोहित की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त पिस्टल और चाकू भी बरामद कर लिए. इस के अलावा उन्हें पिस्टल और कारतूस उपलब्ध कराने वाले बिट्टू के ममेरे भाई रामकृत साह और सियाराम साह को 6 जून, 2018 को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने तीनों आरोपियों से पूछताछ कर के उन्हें जेल भेज दिया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

ससुर ही हो दुराचारी फिर कहां जाए बहू बेचारी

बड़े ही धूमधाम से शादी की गई. जब वह ससुराल आई तो उसे ही घर संभालने की जिम्मेदारी दे दी गई. बहू ने सलीके से घर संभाल लिया. पर ससुर की नीयत में खोट आ गई और बन गया बहू की जवानी का प्यासा. यों कहें कि ससुर का दिल बहू की मचलती जवानी पर आ गया और कर बैठा ऐसी हरकत कि बहू का ही नहाते समय का वीडियो बना लिया और करने लगा जिस्मानी संबंध बनाने के लिए ब्लैकमेल. वहीं पति ने भी ससुराल से फोन कर दिया और तलाक दे कर पीछा छुड़ाने में भलाई समझी. अब बहू मायके में रह कर अपना इलाज करा रही है.

यह घटना अलीगढ़ की है जबकि पीड़िता संगम विहार, दिल्ली की है. अलीगढ़ में ससुर ने अपनी बहू से छेड़छाड़ की. बाथरूम में नहाते समय उस का वीडियो बना लिया और उसे ब्लैकमेल करने लगा.

पीड़िता के पुरजोर विरोध करने पर पति व घर के दूसरे सदस्य उसे परेशान करने लगे. सिजेरियन आपरेशन के बाद टांके भी नहीं कटे थे कि उसे बीमार हालत में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ (ससुराल) से संगम विहार, नई दिल्ली (मायके) भिजवा दिया गया.

मायके संगम विहार, दिल्ली में कुछ दिन ही बीते थे कि पति ने फोन कर उसे तलाक दे दिया. इस पर पीड़िता ने संगम विहार थाने में शिकायत दी है और कार्यवाही करने की मांग की है. वहीं वूमन सेल के एसीपी ने बताया कि ससुराल पक्ष को जल्दी ही नोटिस भेज कर बुलाया जाएगा और पुलिस भी कानून सम्मत कार्यवाही करेगी.

पुलिस को दी शिकायत में पीड़िता ने अपना दर्द बयां किया है कि 10 सितंबर, 2017 को उस का निकाह अलीगढ़ के मौलाना आजाद नगर निवासी 23 साला युवक से हुआ था. एक दिन वह घर में खाना बना रही थी. अकेला पा कर ससुर रसोई में घुस आया और छेड़छाड़ करने लगा. जब इस का पुरजोर विरोध किया गया तो ससुर व घर के दूसरे लोगों ने उस की पिटाई की.

7 नवंबर, 2018 को ससुराल वालों ने मच्छर मारने की दवा पिला कर उसे व पेट में पल रहे बच्चे को मारने की कोशिश की. मामला पुलिस तक पहुंचा तो ससुराल वालों ने मौखिक समझौता करा दिया. 23 दिसंबर, 2018 को पीड़िता के कपड़ों में आग लगा दी गई, लेकिन वह किसी तरह बच गई. पुलिस को भी इस की सूचना दी गई थी.

पीड़िता का आरोप है कि 23 दिसंबर, 2018 को वह बाथरूम में नहा रही थी, तभी उस के ससुर ने छिप कर उस का वीडियो बना लिया. फिर वीडियो को इंटरनैट पर वायरल करने की धमकी दे कर संबंध बनाने की कहने लगा.

21 फरवरी, 2019 को पीड़िता ने सिजेरियन आपरेशन से एक बच्चे को जन्म दिया, जिस का खर्च पीड़िता के पिता ने उठाया. उस के टांके कटे भी नहीं थे कि उसे ससुराल अलीगढ़ से बीमार हालत में मायके संगम विहार, दिल्ली भिजवा दिया गया.

पिता ने सफदरजंग अस्पताल में उस का इलाज कराया. 3 अप्रैल की रात 10 बजे पति का फोन आया तो महिला यह सोच कर खुश हो गई कि शायद वह उसे ले जाएगा. लेकिन पति ने कहा कि वह उसे अब नहीं रख सकता, इसलिए उस ने 3 बार तलाक, तलाक, तलाक बोल कर फोन काट दिया. पीड़िता हैरान है कि पति ने भी उसे छोड़ दिया है.

ससुर ने तो रिश्ता तारतार कर ही दिया और पति ने भी आग में घी डालने का काम किया और तलाक दे कर पीछा छुड़ा लिया. ऐसे रिश्ते कितने दिनों तक महफूज रहेंगे और अदालतें भी इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं करती हैं. ससुर तो अपनी करतूतों से बाज नहीं आएगा वहीं पति भी पल्ला झाड़ कर चुप हो गया. पुलिस मामले को सुलझाने के बजाय उलझा ज्यादा देती है. समझौता कराना आसान है पर उसे घर में रह कर निभाना पीड़िता के लिए ज्यादा ही दुखदायी लगा. ऐसे घर में लौटना अब असंभव है.

रसीली नहीं थी रशल कंवर

डूंगरदान पत्नी को सुखी और खुश रखने के लिए गांव से शहर ले आया था. वह जितना कमाता था, उतने में गृहस्थी आराम से चल जाती थी, लेकिन दिन भर घर में अकेली रहने वाली पत्नी रसाल कंवर ने अपना सुख खोजा पति के दोस्त मोहन सिंह राव में. इस के चलते कुछ न कुछ तो गलत होना ही था. आखिर…

रविवार 14 जुलाई, 2019 का दिन था. दोपहर का समय था. जालौर के एसपी हिम्मत अभिलाष टाक को फोन पर सूचना मिली कि बोरटा-लेदरमेर ग्रेवल सड़क के पास वन विभाग की जमीन पर एक व्यक्ति का नग्न अवस्था में शव पड़ा है.

एसपी टाक ने तत्काल भीनमाल के डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई को घटना से अवगत कराया और घटनास्थल पर जा कर काररवाई करने के निर्देश दिए. एसपी के निर्देश पर डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई तत्काल घटनास्थल की ओर रवाना हो गए, साथ ही उन्होंने थाना रामसीन में भी सूचना दे दी. उस दिन थाना रामसीन के थानाप्रभारी छतरसिंह देवड़ा अवकाश पर थे. इसलिए सूचना मिलते ही मौजूदा थाना इंचार्ज साबिर मोहम्मद पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

घटनास्थल पर आसपास के गांव वालों की भीड़ जमा थी. वहां वन विभाग की खाई में एक आदमी का नग्न शव पड़ा था. आधा शव रेत में दफन था. उस का चेहरा कुचला हुआ था. शव से बदबू आ रही थी, जिस से लग रहा था कि उस की हत्या शायद कई दिन पहले की गई है.

वहां पड़ा शव सब से पहले एक चरवाहे ने देखा था. वह वहां सड़क किनारे बकरियां चरा रहा था. उसी चरवाहे ने यह खबर आसपास के लोगों को दी थी. कुछ लोग घटनास्थल पर पहुंचे और पुलिस को खबर कर दी.

मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को खाई से बाहर निकाल कर शिनाख्त कराने की कोशिश की, मगर जमा भीड़ में से कोई भी मृतक की शिनाख्त नहीं कर सका. शव से करीब 20 मीटर की दूरी पर किसी चारपहिया वाहन के टायरों के निशान मिले. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि हत्यारे शव को किसी गाड़ी में ले कर आए और यहां डाल कर चले गए.

पुलिस ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए. शव के पास ही खून से सनी सीमेंट की टूटी हुई ईंट भी मिली. लग रहा था कि उसी ईंट से उस के चेहरे को कुचला गया था. कुचलते समय वह ईंट भी टूट गई थी.

मौके की सारी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए राजकीय चिकित्सालय की मोर्चरी भिजवा दिया. डाक्टरों की टीम ने उस का पोस्टमार्टम किया.

जब तक शव की शिनाख्त नहीं हो जाती, तब तक जांच आगे नहीं बढ़ सकती थी. शव की शिनाख्त के लिए पुलिस ने मृतक के फोटो वाट्सऐप पर शेयर कर दिए. साथ ही लाश के फोटो भीनमाल, जालौर और बोरटा में तमाम लोगों को दिखाए. लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका.

सोशल मीडिया पर मृतक का फोटो वायरल हो चुका था. जालौर के थाना सिटी कोतवाली में 2 दिन पहले कालेटी गांव के शैतानदान चारण नाम के एक शख्स ने अपने रिश्तेदार डूंगरदान चारण की गुमशुदगी दर्ज कराई थी.

कोतवाली प्रभारी को जब थाना रामसीन क्षेत्र में एक अज्ञात लाश मिलने की जानकारी मिली तो उन्होंने लाश से संबंधित बातों पर गौर किया. उस लाश का हुलिया लापता डूंगरदान चारण के हुलिए से मिलताजुलता था. कोतवाली प्रभारी बाघ सिंह ने डीएसपी भीनमाल हुकमाराम को सारी बातें बताईं.

मारा गया व्यक्ति डूंगरदान चारण था

इस के बाद एसपी जालौर ने 2 पुलिस टीमों का गठन किया, इन में एक टीम भीनमाल थाना इंचार्ज साबिर मोहम्मद के नेतृत्व में गठित की गई, जिस में एएसआई रघुनाथ राम, हैडकांस्टेबल शहजाद खान, तेजाराम, संग्राम सिंह, कांस्टेबल विक्रम नैण, मदनलाल, ओमप्रकाश, रामलाल, भागीरथ राम, महिला कांस्टेबल ब्रह्मा शामिल थी.

दूसरी पुलिस टीम में रामसीन थाने के एएसआई विरधाराम, हैडकांस्टेबल प्रेम सिंह, नरेंद्र, कांस्टेबल पारसाराम, राकेश कुमार, गिरधारी लाल, कुंपाराम, मायंगाराम, गोविंद राम और महिला कांस्टेबल धोली, ममता आदि को शामिल किया गया.

डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई दोनों पुलिस टीमों का निर्देशन कर रहे थे. जालौर के कोतवाली निरीक्षक बाघ सिंह ने उच्चाधिकारियों के आदेश पर डूंगरदान चारण की गुमशुदगी दर्ज कराने वाले उस के रिश्तेदार शैतानदान को राजदीप चिकित्सालय की मोर्चरी में रखी लाश दिखाई तो उस ने उस की शिनाख्त अपने रिश्तेदार डूंगरदान चारण के रूप में कर दी.

मृतक की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने उस के परिजनों से संपर्क किया तो इस मामले में अहम जानकारी मिली. मृतक की पत्नी रसाल कंवर ने पुलिस को बताया कि उस के पति डूंगरदान 12 जुलाई, 2019 को जालौर के सरकारी अस्पताल में दवा लेने गए थे.

वहां से घर लौटने के बाद पता नहीं वे कहां लापता हो गए, जिस की थाने में सूचना भी दर्ज करा दी थी. रसाल कंवर ने पुलिस को अस्पताल की परची भी दिखाई. पुलिस टीम ने अस्पताल की परची के आधार पर जांच की.

पुलिस ने राजकीय चिकित्सालय जालौर के 12 जुलाई, 2019 के सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो पता चला कि डूंगरदान को काले रंग की बोलेरो आरजे14यू बी7612 में अस्पताल तक लाया गया था.

उस समय डूंगरदान के साथ उस की पत्नी रसाल कंवर के अलावा 2 व्यक्ति भी फुटेज में दिखे. उन दोनों की पहचान मोहन सिंह और मांगीलाल निवासी भीनमाल के रूप में हुई. पुलिस जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही थी.

पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज जांच के बाद गांव के विभिन्न लोगों से पूछताछ की तो सामने आया कि मृतक डूंगरदान चारण की पत्नी रसाल कंवर से मोहन सिंह राव के अवैध संबंध थे. इस जानकारी के बाद पुलिस ने रसाल कंवर और मोहन सिंह को थाने बुला कर सख्ती से पूछताछ की.

मांगीलाल फरार हो गया था. रसाल कंवर और मोहन सिंह राव ने आसानी से डूंगरदान की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया.

केस का खुलासा होने की जानकारी मिलने पर पुलिस के उच्चाधिकारी भी थाने पहुंच गए. उच्चाधिकारियों के सामने आरोपियों से पूछताछ कर डूंगरदान हत्याकांड से परदा उठ गया.

पुलिस ने 16 जुलाई, 2019 को दोनों आरोपियों मृतक की पत्नी रसाल कंवर एवं उस के प्रेमी मोहन सिंह राव को कोर्ट में पेश कर 2 दिन के रिमांड पर ले लिया. रिमांड के दौरान उन से विस्तार से पूछताछ की गई तो डूंगरदान चारण की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी-

मृतक डूंगरदान चारण मूलरूप से राजस्थान के जालौर जिले के बागौड़ा थानान्तर्गत गांव कालेटी का निवासी था. उस के पास खेती की थोड़ी सी जमीन थी. वह उस जमीन पर खेती के अलावा दूसरी जगह मेहनतमजदूरी करता था. उस की शादी करीब एक दशक पहले जालौर की ही रसाल कंवर से हुई थी.

करीब एक साल बाद रसाल कंवर एक बेटे की मां बनी तो परिवार में खुशियां बढ़ गईं. बाद में वह एक और बेटी की मां बन गई. जब डूंगरदान के बच्चे बड़े होने लगे तो वह उन के भविष्य को ले कर चिंतित रहने लगा.

गांव में अच्छी पढ़ाई की व्यवस्था नहीं थी, लिहाजा डूंगरदान अपने बीवीबच्चों के साथ गांव कालेटी छोड़ कर भीनमाल चला गया और वहां लक्ष्मीमाता मंदिर के पास किराए का कमरा ले कर रहने लगा. भीनमाल कस्बा है. वहां डूंगरदान को मजदूरी भी मिल जाती थी. जबकि गांव में हफ्तेहफ्ते तक उसे मजदूरी नहीं मिलती थी.

डूंगरदान के पड़ोस में ही मोहन सिंह राव का आनाजाना था. मोहन सिंह राव पुराना भीनमाल के नरता रोड पर रहता था. वह अपराधी प्रवृत्ति का रसिकमिजाज व्यक्ति था. उस की नजर रसाल कंवर पर पड़ी तो वह उस का दीवाना हो गया. मोहन सिंह ने इस के लिए ही डूंगरदान से दोस्ती की थी. इस के बाद वह उस के घर आनेजाने लगा.

मोहन सिंह रसाल कंवर से भी बड़ी चिकनीचुपड़ी बातें करता था. जब डूंगरदान मजदूरी करने चला जाता और उस के बच्चे स्कूल तो घर में रसाल कंवर अकेली रह जाती. ऐसे मौके पर मोहन सिंह उस के यहां आने लगा. मीठीमीठी बातों में रसाल को भी रस आने लगा. मोहन सिंह अच्छीखासी कदकाठी का युवक था.रसाल और मोहन के बीच धीरेधीरे नजदीकियां बढ़ने लगीं.

थोड़े दिनों के बाद दोनों के बीच अवैध संबंध कायम हो गए. इस के बाद रसाल कंवर उस की दीवानी हो गई. डूंगरदान हर रोज सुबह मजदूरी पर निकल जाता तो फिर शाम होने पर ही घर लौटता था.

रसाल और मोहन पूरे दिन रासलीला में लगे रहते. डूंगरदान की पीठ पीछे उस की ब्याहता कुलटा बन गई थी. दिन भर का साथ उन्हें कम लगने लगा था. मोहन चाहता था कि रसाल कंवर रात में भी उसी के साथ रहे, मगर यह संभव नहीं था. क्योंकि रात में पति घर पर होता था.

ऐसे में एक दिन मोहन सिंह ने रसाल कंवर से कहा, ‘‘रसाल, जीवन भर तुम्हारा साथ तो निभाऊंगा ही, साथ ही एक प्लौट भी तुम्हें ले कर दूंगा. लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम्हारे बदन को अब मेरे सिवा और कोई न छुए. तुम्हारे तनमन पर अब सिर्फ मेरा अधिकार है.’’

‘‘मैं हर पल तुम्हारा साथ निभाऊंगी.’’ रसाल कंवर ने प्रेमी की हां में हां मिलाते हुए कहा.

रसाल के दिलोदिमाग में यह बात गहराई तक उतर गई थी कि मोहन उसे बहुत चाहता है. वह उस पर जान छिड़कता है. रसाल भी पति को दरकिनार कर पूरी तरह से मोहन के रंग में रंग गई. इसलिए दोनों ने डूंगरदान को रास्ते से हटाने का मन बना लिया. लेकिन इस से पहले ही डूंगरदान को पता चल गया कि उस की गैरमौजूदगी में मोहन सिंह दिन भर उस के घर में पत्नी के पास बैठा रहता है.

यह सुनते ही उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. गुस्से से भरा डूंगरदान घर आ कर चिल्ला कर पत्नी से बोला, ‘‘मेरी गैरमौजूदगी में मोहन यहां क्यों आता है, घंटों तक यहां क्या करता है? बताओ, तुम से उस का क्या संबंध है?’’ कहते हुए उस ने पत्नी का गला पकड़ लिया.

रसाल मिमियाते हुए बोली, ‘‘वह तुम्हारा दोस्त है और तुम्हें ही पूछने आता है. मेरा उस से कोई रिश्ता नहीं है. जरूर किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं. हमारी गृहस्थी में कोई आग लगाना चाहता है. तुम्हारी कसम खा कर कहती हूं कि मोहन सिंह से मैं कह दूंगी कि वह अब घर कभी न आए.’’

पत्नी की यह बात सुन कर डूंगरदान को लगा कि शायद रसाल सच कह रही है. कोई जानबूझ कर उन की गृहस्थी तोड़ना चाहता है. डूंगरदान शरीफ व्यक्ति था. वह बीवी पर विश्वास कर बैठा. रसाल कंवर ने अपने प्रेमी मोहन को भी सचेत कर दिया कि किसी ने उस के पति को उस के बारे में बता दिया है. इसलिए अब सावधान रहना जरूरी है.

उधर डूंगरदान के मन में पत्नी को ले कर शक उत्पन्न तो हो ही गया था. इसलिए वह वक्तबेवक्त घर आने लगा. एक रोज डूंगरदान मजदूरी पर गया और 2 घंटे बाद घर लौट आया. घर का दरवाजा बंद था. खटखटाने पर थोड़ी देर बाद उस की पत्नी रसाल कंवर ने दरवाजा खोला. पति को अचानक सामने देख कर उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं.

डूंगरदान की नजर कमरे में अंदर बैठे मोहन सिंह पर पड़ी तो वह आगबबूला हो गया. उस ने मोहन सिंह पर गालियों की बौछार कर दी. मोहन सिंह गालियां सुन कर वहां से चला गया. इस के बाद डूंगरदान ने पत्नी की लातघूंसों से खूब पिटाई की. रसाल लाख कहती रही कि मोहन सिंह 5 मिनट पहले ही आया था. मगर पति ने उस की एक न सुनी.

पत्नी के पैर बहक चुके थे. डूंगरदान सोचता था कि गलत रास्ते से पत्नी को वापस कैसे लौटाया जाए. वह इसी चिंता में रहने लगा. उस का किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था. वह चिड़चिड़ा भी हो गया था. बातबात पर उस का पत्नी से झगड़ा हो जाता था.

आखिर, रसाल कंवर पति से तंग आ गई. यह दुख उस ने अपने प्रेमी के सामने जाहिर कर दिया. तब दोनों ने तय कर लिया कि डूंगरदान को जितनी जल्दी हो सके, निपटा दिया जाए.

रसाल कंवर पति के खून से अपने हाथ रंगने को तैयार हो गई. मोहन सिंह ने योजना में अपने दोस्त मांगीलाल को भी शामिल कर लिया. मांगीलाल भीनमाल में ही रहता था.

साजिश के तहत रसाल और मोहन सिंह 12 जुलाई, 2019 को डूंगरदान को उपचार के बहाने बोलेरो गाड़ी में जालौर के राजकीय चिकित्सालय ले गए. मांगीलाल भी साथ था. वहां उस के नाम की परची कटाई. डाक्टर से चैकअप करवाया और वापस भीनमाल रवाना हो गए. रास्ते में मौका देख कर रसाल कंवर और मोहन सिंह ने डूंगरदान को मारपीट कर अधमरा कर दिया. फिर उस का गला दबा कर उसे मार डाला.

इस के बाद डूंगरदान की लाश को ठिकाने लगाने के लिए बोलेरो में डाल कर बोरटा से लेदरमेर जाने वाले सुनसान कच्चे रास्ते पर ले गए, जिस के बाद डूंगरदान के शरीर पर पहने हुए कपड़े पैंटशर्ट उतार कर नग्न लाश वन विभाग की खाली पड़ी जमीन पर डाल कर रेत से दबा दी. उस के बाद वे भीनमाल लौट गए.

भीनमाल में रसाल कंवर ने आसपास के लोगों से कह दिया कि उस का पति जालौर अस्पताल चैकअप कराने गया था. मगर अब उस का कोई पता नहीं चल रहा. तब डूंगरदान की गुमशुदगी उस के रिश्तेदार शैतानदान चारण ने जालौर सिटी कोतवाली में दर्ज करा दी.

पुलिस पूछताछ में पता चला कि आरोपी मोहन सिंह आपराधिक प्रवृत्ति का है. उस ने अपने साले की बीवी की हत्या की थी. इन दिनों वह जमानत पर था. मोहन सिंह शादीशुदा था, मगर बीवी मायके में ही रहती थी. भीनमाल निवासी मांगीलाल उस का मित्र था. वारदात के बाद मांगीलाल फरार हो गया था.

थाना रामसीन के इंचार्ज छतरसिंह देवड़ा अवकाश से ड्यूटी लौट आए थे. उन्होंने भी रिमांड पर चल रहे रसाल कंवर और मोहन सिंह राव से पूछताछ की.

रिमांड अवधि समाप्त होने पर पुलिस ने 19 जुलाई, 2019 को दोनों आरोपियों रसाल कंवर और मोहन सिंह को फिर से कोर्ट में पेश कर दोबारा 2 दिन के रिमांड पर लिया और उन से पूछताछ कर कई सबूत जुटाए. उन की निशानदेही पर मृतक के कपड़े, वारदात में प्रयुक्त बोलेरो गाड़ी नंबर आरजे14यू बी7612 बरामद की गई. मृतक डूंगरदान के कपडे़ व चप्पलें रामसीन रोड बीएड कालेज के पास रेल पटरी के पास से बरामद कर ली गईं.

पूछताछ पूरी होने पर दोनों आरोपियों को 21 जुलाई, 2019 को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. पुलिस तीसरे आरोपी मांगीलाल माली को तलाश कर रही है.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

अंकिता भंडारी मर्डर : बाप की सियासत के बूते बेटे का अपराध – भाग 4

टीम ने जांच की शुरुआत रिजौर्ट के सभी कर्मचारियों के बयानों से की. फिर टीम ने रिजौर्ट और घटनास्थल का जायजा लिया. साथ ही अंकिता को नहर में फेंकने के सबूत जुटाए. उस के बाद बारी थी अंकिता के दोस्त पुष्पदीप से अंकिता के वाट्सऐप चैट, पुलकित से अंकिता के बारे में हुई बातचीत तथा अंकिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जांच की.

तीनों आरोपियों को 4 दिन की पुलिस कस्टडी में ले कर 30 सितंबर, 2022 को टीम ने उन्हें रिजौर्ट और घटनास्थल पर भी ले जा कर गहन पूछताछ की. उन के बयानों की वीडियोग्राफी की गई. इसी सिलसिले में रिजौर्ट में काम करने वाले एक पूर्व कर्मचारी ने रिजौर्ट के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी.

रिजौर्ट में होता था जिस्मफरोशी का धंधा

2 महीने पहले ही रिजौर्ट से काम छोड़ कर गए मेरठ निवासी विवेक और इशिता नाम के दंपति ने पुलकित पर कई आरोप लगाए. उन्होंने बताया कि पुलकित महिला कर्मचारियों पर बुरी नजर रखता था. सैलरी मांगने पर मारपीट और चोरी का आरोप लगा कर नौकरी से निकाल देता था.

दंपति ने बताया कि रिजौर्ट में बाहर से लड़कियां बुलाई जाती थीं, लेकिन उन की एंट्री दर्ज नहीं होती थी. इन लड़कियों को ग्राहकों के कमरे में भेजा जाता था. खास ग्राहकों की भी रजिस्टर में एंट्री नहीं होती थी.

इशिता ने अपने बारे में बताया कि रिजौर्ट के कर्मचारियों से पुलकित कहता था कि उसे इशिता पसंद है. उसे किसी तरह से ग्राहक के सामने पेश करने के लिए तैयार करे. यह बात एक कर्मचारी ने ही इशिता को बताई थी. पुलकित मुझे पति विवेक से अलग करना चाहता था. इलाके का पटवारी भी पुलकित से मिला हुआ था.

एक बार किसी ग्राहक का ब्लूटूथ स्पीकर छूट गया था. विवेक ने यह सोच कर उसे रख लिया कि ग्राहक के आने पर लौटा देंगे, लेकिन पुलकित ने चोरी का झूठा आरोप लगा दिया और नौकरी से निकाल दिया.

विवेक ने बताया कि रिजौर्ट में बिना लाइसैंस के शराब स्टाक कर ग्राहकों को दोगुने दाम पर बेची जाती थी. ग्राहकों को चरस, स्मैक, गांजे की भी सप्लाई होती थी.

पहली अक्तूबर, 2022 को एसआईटी आरोपियों को ले कर रिजौर्ट पहुंची और कर्मचारियों से अंकिता भंडारी के विषय में जानकारी मालूम की. कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए.

इस के बाद जांच टीम ने यह भी जानने का प्रयास किया कि रिजौर्ट में क्याक्या होता था? अंकिता क्यों रिजौर्ट छोड़ कर जाना चाहती थी? इस दौरान रिजौर्ट के एक अन्य कर्मचारी ने रिजौर्ट के कई राज खोले दिए, जो विवेक और इशिता के आरोपों से मेल खाते थे.

जांच टीम ने पुलकित के अंकिता के कमरे में जाने और उस का मुंह दबाने आदि के बारे में भी रिजौर्ट कर्मचारियों से पूछताछ की. मोबाईल पर हुई बातचीत के मुताबिक अंकिता अपना बैग ले जाने की बात कह रही थी.

अंकिता के लापता होने के बाद रिजौर्ट में क्या हुआ था, इस बाबत भी जांच टीम ने जानकारी जुटाई. इस मामले में संदिग्ध माना जा रहा राजस्वकर्मी (पटवारी) वैभव सिंह से आरोपियों के सामने ही जांच टीम ने पूछताछ की.

अंकिता को नहर में फेंकते समय वहां उपस्थित लोगों का भी जायजा लिया गया. जांच टीम ने पाया कि घटना वाले दिन कुछ लोगों ने ‘मेरी हैल्प करो’ की आवाज सुनी थी. कुछ लोगों के मुताबिक वह 2 लोगों के साथ बाइक और स्कूटी से आई थी. अंकिता स्कूटी पर थी. उस वक्त एक काले रंग की कार में आए 4 वीआईपी वहां मौजूद थे.

कथा लिखे जाने तक एसआईटी द्वारा मामले की जांच की जा रही थी तथा पुलकित, सौरभ व अंकित पौड़ी जेल में बंद थे.

लक्ष्मण झूला पुलिस के अनुसार पुलकित आर्य ने अंकिता की गुमशुदगी की जो तहरीर पुलिस को दी थी, उस से वह अंकिता के गायब होने के मामले में उस के मित्र पुष्पदीप को फंसाना चाहता था, अगर अंकिता का शव मिलता तो पुलिस उसे आत्महत्या का मामला मान सकती थी.

अंकिता की मौत से पहले पुष्पदीप ने उस से 22 मिनट तक बात की थी. पुलकित ने 17 सितंबर का ओएलएक्स पर रिजौर्ट में महिलाकर्मियों की भरती के लिए विज्ञापन भी डाला था.

इस विज्ञापन से यह आशंका बन गई थी पुलकित अंकिता के बाद किसी और युवती को नियुक्त करना चाहता था. इस बारे में भी पुष्पदीप ने एसआईटी को बताया.

एसआईटी ने 29 सितंबर को पुष्पदीप को अज्ञात स्थान पर ले जा कर उस के बयान दर्ज किए थे. आला पुलिस अधिकारियों के अनुसार यदि पुष्पदीप इस मामले में सक्रिय नहीं होता तो आरोपियों का पकड़ा जाना आसान नहीं होता.    द्य

मर्यादा की हद से आगे – भाग 4

25 साल की उम्र पार कर चुकी मानसी जवान थी. आर्थिक स्थिति खराब होने से घर वाले उस के हाथ पीले नहीं कर सके थे. इस उम्र में वह पुरुष साथी की जरूरत महसूस कर रही थी. पवन का साथ उसे अच्छा लगा और उस ने उस का प्यार स्वीकार कर लिया. दोनों के मन मिले तो उन के तन मिलने में भी ज्यादा देर नहीं लगी.

दोस्ती के नाते मानसी पवन की बहन थी, लेकिन उन दोनों ने भाईबहन के पवित्र रिश्ते को तारतार कर दिया था. अब वह इस रिश्ते को बारबार रौंद रहे थे. इसी बीच एक रोज कल्लू ने पवन और मानसी को लिपटतेचिपटते देख लिया. यह देख उस का माथा ठनका. उस ने इस बाबत मानसी और पवन से अलगअलग पूछताछ की तो दोनों ने ही कल्लू को बरगला दिया.

कहते हैं शक का बीज बड़ी जल्दी फूलता फलता है. कल्लू के दिमाग में भी शक का बीज पड़ गया था. वह दोनों पर नजर रखने लगा. पर निगरानी के बावजूद मानसी और पवन का मिलन हो ही जाता था.

कल्लू ने अपनी बहन मानसी को डांटडपट और धमका कर दोनों के संबंध के बारे में पूछताछ की. लेकिन मानसी ने पवन को क्लीनचिट दे दी. इस से कल्लू को लगने लगा कि वह व्यर्थ में ही दोनों के संबंधों पर शक कर रहा है.

कल्लू पवन पर शक न करे और उसे घर आने के लिए मना न करे, इस के लिए पवन ने कल्लू की आर्थिक मदद करना शुरू कर दिया. यही नहीं पवन कल्लू के घर शराब की बोतल भी लाने लगा. इस का परिणाम यह हुआ कि कल्लू के घर पवन का बेरोकटोक आनाजाना होने लगा.

मानसी के पास मोबाइल नहीं था. उस ने पवन से डिमांड की तो उस ने मानसी को मोबाइल ला कर दे दिया. अब पवन को कल्लू के घर की जानकारी भी मिलने लगी और दोनों आपस में प्यार भरी रसीली बातें भी करने लगे.

पवन और मानसी के संबंधों को ले कर कल्लू के पड़ोसियों में भी कानाफूसी होने लगी थी. पड़ोसियों ने कल्लू के कान भरे और पवन के घर आने पर प्रतिबंध लगाने को कहा. इस पर कल्लू ने पवन को सख्त लहजे में मानसी से दूर रहने की चेतावनी दे दी. लेकिन पवन ने पड़ोसियों पर दोस्ती तोड़ने का आरोप लगाया और नाटक कर कल्लू को मना लिया. पवन अब तभी घर आता, जब कल्लू घर में मौजूद रहता.

लेकिन अप्रैल 2019 के पहले हफ्ते में एक रोज कल्लू ने पवन को अपनी बहन के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया. दरअसल, उस रोज शाम को पवन बोतल ले कर आया और दोनों ने बैठ कर शराब पी.

कल्लू ने उस शाम कुछ ज्यादा पी ली, जिस से वह बिना खाना खाए ही चारपाई पर लुढ़क गया और खर्राटे भरने लगा. मानसी और पवन ने कल्लू की हालत देखी तो आंखों ही आंखों में इशारा कर रंगरेलियां मनाने का मन बना लिया.

मानसी और पवन रंगरेलियां मना ही रहे थे कि कल्लू की नींद खुल गई. उस ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देखा तो उस का खून खौल उठा. उस ने मानसी की पीठ पर एक लात जमाई तो वह हड़बड़ा कर उठ बैठी. पवन भी उठ बैठा.

सामने कल्लू खड़ा था. मारे गुस्से से उस की आंखें लाल हो रही थीं. वह चीख कर बोला, ‘‘बेशर्म लड़की, शरम नहीं हाती रात के अंधेरे में गुल खिलाते हुए. मुझे शक तो पहले से ही था, पर तुम दोनों मेरी आंखों में धूल झोंकते रहे.’’

कल्लू का गुस्सा देख कर पवन तो भाग गया, पर मानसी कहां जाती. कल्लू ने उस की जम कर पिटाई की. मानसी चीखतीचिल्लाती रही और कल्लू उसे पीटता रहा. मानसी की बेहयाई और अवैध रिश्तों की बात जब लक्ष्मी को पता चली तो उस ने माथा पीट लिया. लक्ष्मी ने भी मानसी को खूब फटकार लगाई और समझाया भी.

इस घटना के बाद कल्लू और पवन की दोस्ती टूट गई. दोनों ने साथ खानापीना भी बंद कर दिया था. जब भी कल्लू का सामना पवन से हो जाता तो उस का खून खौल उठता. वह सोचता, जिस दोस्त पर वह भाई से भी ज्यादा भरोसा करता था, उसी ने उस की इज्जत पर डाका डाल दिया. ऐसे दोस्त से तो दुश्मन अच्छा होता है. वह जितना सोचता, उतनी ही दोस्त के प्रति नफरत पैदा होती.

दोस्त मर्यादा की हद से गुजर गया था. कल्लू ने उसे सबक सिखाने की ठान ली. अपनी योजना के तहत कल्लू अपनी मां लक्ष्मी और बहन मानसी को अपने घर फैजाबाद छोड़ आया.

कानपुर लौट कर वह अपने काम पर लग गया. उस ने इस बात का जिक्र किसी से नहीं किया कि उस के दोस्त पवन पाल ने उस की पीठ में विश्वासघात का छुरा घोंपा है.

उन्हीं दिनों एक शाम कल्लू पनकी पड़ाव शराब ठेके पर बैठा था. उसी टेबल पर पवन भी आ कर बैठ गया. दोनों की आंख मिली तो कल्लू ने नफरत से मुंह घुमा लिया. इस पर पवन बोला, ‘‘कल्लू भाई, मैं आप का अपराधी हूं. आप मुझे जो सजा देना चाहें, दे सकते हैं.’’

रमाशंकर उर्फ कल्लू साजिश के तहत दोस्ती करना चाहता था. अत: वह बोला, ‘‘पवन, मैं तुम्हारे अक्षम्य अपराध को माफ तो कर रहा हूं पर तुम्हारे प्रति मेरे मन में जो सम्मान था उसे भूल नहीं पाऊंगा.’’

इस के बाद दोनों गले मिले और साथ बैठ कर शराब पी. फिर तो यह सिलसिला बन गया. जब भी दोनों मिलते साथ बैठ कर खातेपीते.

पवन पाल को लगा कि कल्लू ने उसे माफ कर दिया है, पर यह उस की बड़ी भूल थी. उस ने सोचीसमझी रणनीति के तहत पवन से समझौता किया था. दोस्ती करने के बाद कल्लू अपनी योजना को सफल बनाने में जुट गया और समय का इंतजार करने लगा.

28 जून, 2019 की शाम रमाशंकर उर्फ कल्लू पनकी गल्ला गोदाम से घर वापस आ रहा था. उस के हाथ में लोहे का हुक (बोरा उठाने वाला) था. जब वह पनकी नहर पुल पर पहुंचा तभी उसे पवन पाल मिल गया. पुल पर बैठ कर दोनों कुछ देर बतियाते रहे. फिर उन का शराब पीने का प्रोग्राम बना. कल्लू बोला, ‘‘पवन, उस रोज तुम ने मुझे पिलाई थी, आज मेरी बारी है. तुम यहीं रुको, मैं शराब की बोतल, गिलास और कोल्डड्रिंक ले कर आता हूं.’’

रमाशंकर उर्फ कल्लू जब खानेपीने का सामान ले कर लौटा तब तक रात के 9 बज चुके थे. कल्लू पवन को साथ ले कर इंडस्ट्रियल एरिया के नगर निगम पार्क पहुंचा, जहां सन्नाटा पसर चुका था. कल्लू और पवन एक बेंच पर बैठ कर शराब पीने लगे. कल्लू ने अपनी योजना के तहत पवन को कुछ ज्यादा शराब पिला दी.

पवन पर जब नशा हावी हुआ तो उस के पैर लड़खड़ाने लगे. उसी समय कल्लू ने पीछे से पवन पर हमला कर दिया. वह हाथ में पकड़े लोहे के हुक से पवन के सिर पर वार पर वार करने लगा. नुकीली हुक सिर में घुसी तो सिर फट गया और खून बहने लगा. पवन वहीं लड़खड़ा कर गिर गया. कुछ ही देर बाद उस की मौत हो गई. दोस्त की हत्या करने के बाद कल्लू फरार हो गया.

इधर सुबह को मार्निंग वाक पर लोग पार्क में पहुंचे तो उन्होंने एक युवक की लाश पड़ी देखी और पनकी पुलिस को सूचना दे दी. पुलिस जांच में दोस्त द्वारा दोस्त की हत्या करने की सनसनीखेज कहानी सामने आई.

11 जुलाई, 2019 को थाना पनकी पुलिस ने अभियुक्त रमाशंकर उर्फ कल्लू को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में मानसी परिवर्तित नाम है.