पहली ही रात भागी दुल्हन

26 साल के छत्रपति शर्मा की आंखों में नींद नहीं थी. वह लगातार अपनी नईनवेली बीवी प्रिया को निहार रहा था. जैसे ही प्रिया की नजरें उस से टकराती थीं, वह शरमा कर सिर झुका लेती थी. 20 साल की प्रिया वाकई खूबसूरती की मिसाल थी. लंबी, छरहरी और गोरे रंग की प्रिया से उस की शादी हुए अभी 2 दिन ही गुजरे थे, लेकिन शादी के रस्मोरिवाज की वजह से छत्रपति को उस से ढंग से बात करने तक का मौका नहीं मिला था.

छत्रपति मुंबई में स्कूल टीचर था. उस की शादी मध्य प्रदेश के सिंगरौली शहर के एक खातेपीते घर में तय हुई थी और शादी मुहूर्त 23 नवंबर, 2017 का निकला था. इस दिन वह मुंबई से बारात ले कर सिंगरौली पहुंचा और 24 नवंबर को प्रिया को विदा करा कर वापस मुंबई जा रहा था. सिंगरौली से जबलपुर तक बारात बस से आई थी. जबलपुर में थोड़ाबहुत वक्त उसे प्रिया से बतियाने का मिला था, लेकिन इतना भी नहीं कि वह अपने दिल की बातों का हजारवां हिस्सा भी उस के सामने बयां कर पाता.

बारात जबलपुर से ट्रेन द्वारा वापस मुंबई जानी थी, जिस के लिए छत्रपति ने पहले से ही सभी के रिजर्वेशन करा रखे थे. उस ने अपना, प्रिया और अपनी बहन का रिजर्वेशन पाटलिपुत्र एक्सप्रैस के एसी कोच में और बाकी बारातियों का स्लीपर कोच में कराया था. ट्रेन रात 2 बजे के करीब जब जबलपुर स्टेशन पर रुकी तो छत्रपति ने लंबी सांस ली कि अब वह प्रिया से खूब बतियाएगा. वजह एसी कोच में भीड़ कम रहती है और आमतौर पर मुसाफिर एकदूसरे से ज्यादा मतलब नहीं रखते.

ट्रेन रुकने पर बाराती अपने स्लीपर कोच में चले गए और छत्रपति, उस की बहन और प्रिया एसी कोच में चढ़ गए. छत्रपति की बहन भी खुश थी कि उस की नई भाभी सचमुच लाखों में एक थी. उस के घर वालों ने शादी भी शान से की थी.

जब नींद टूटी तो…

कोच में पहुंचते ही छत्रपति ने तीनों के बिस्तर लगाए और सोने की तैयारी करने लगा. उस समय रात के 2 बजे थे, इसलिए डिब्बे के सारे मुसाफिर नींद में थे. जो थोड़ेबहुत लोग जाग रहे थे, वे भी जबलपुर में शोरशराबा सुन कर यहांवहां देखने के बाद फिर से कंबल ओढ़ कर सो गए थे. छत्रपति और प्रिया को 29 और 30 नंबर की बर्थ मिली थी.

जबलपुर से जैसे ही ट्रेन रवाना हुई, छत्रपति फिर प्रिया की तरफ मुखातिब हुआ. इस पर प्रिया ने आंखों ही आंखों में उसे अपनी बर्थ पर जा कर सोने का इशारा किया तो वह उस पर और निहाल हो उठा. दुलहन के शृंगार ने प्रिया की खूबसूरती में और चार चांद लगा दिए थे. थके हुए छत्रपति को कब नींद आ गई, यह उसे भी पता नहीं चला. पर सोने के पहले वह आने वाली जिंदगी के ख्वाब देखता रहा, जिस में उस के और प्रिया के अलावा कोई तीसरा नहीं था.

जबलपुर के बाद ट्रेन का अगला स्टौप इटारसी और फिर उस के बाद भुसावल जंक्शन था, इसलिए छत्रपति ने एक नींद लेना बेहतर समझा, जिस से सुबह उठ कर फ्रैश मूड में प्रिया से बातें कर सके.

सुबह कोई 6 बजे ट्रेन इटारसी पहुंची तो प्लैटफार्म की रोशनी और गहमागहमी से छत्रपति की नींद टूट गई. आंखें खुलते ही कुदरती तौर पर उस ने प्रिया की तरफ देखा तो बर्थ खाली थी. छत्रपति ने सोचा कि शायद वह टायलेट गई होगी. वह उस के वापस आने का इंतजार करने लगा.

ट्रेन चलने के काफी देर बाद तक प्रिया नहीं आई तो उस ने बहन को जगाया और टायलेट जा कर प्रिया को देखने को कहा. बहन ने डिब्बे के चारों टायलेट देख डाले, पर प्रिया उन में नहीं थी. ट्रेन अब पूरी रफ्तार से चल रही थी और छत्रपति हैरानपरेशान टायलेट और दूसरे डिब्बों में प्रिया को ढूंढ रहा था.

सुबह हो चुकी थी, दूसरे मुसाफिर भी उठ चुके थे. छत्रपति और उस की बहन को परेशान देख कर कुछ यात्रियों ने इस की वजह पूछी तो उन्होंने प्रिया के गायब होने की बात बताई. इस पर कुछ याद करते हुए एक मुसाफिर ने बताया कि उस ने इटारसी में एक दुलहन को उतरते देखा था.

इतना सुनते ही छत्रपति के हाथों से जैसे तोते उड़ गए. क्योंकि प्रिया के बदन पर लाखों रुपए के जेवर थे, इसलिए किसी अनहोनी की बात सोचने से भी वह खुद को नहीं रोक पा रहा था. दूसरे कई खयाल भी उस के दिमाग में आजा रहे थे. लेकिन यह बात उस की समझ में नहीं आ रही थी कि आखिरकार प्रिया बगैर बताए इटारसी में क्यों उतर गई? उस का मोबाइल फोन बर्थ पर ही पड़ा था, इसलिए उस से बात करने का कोई और जरिया भी नहीं रह गया था.

एक उम्मीद उसे इस बात की तसल्ली दे रही थी कि हो सकता है, वह इटारसी में कुछ खरीदने के लिए उतरी हो और ट्रेन चल दी हो, जिस से वह पीछे के किसी डिब्बे में चढ़ गई हो. लिहाजा उस ने अपनी बहन को स्लीपर कोच में देखने के लिए भेजा. इस के बाद वह खुद भी प्रिया को ढूंढने में लग गया.

भुसावल आने पर बहन प्रिया को ढूंढती हुई उस कोच में पहुंची, जहां बाराती बैठे थे. बहू के गायब होने की बात उस ने बारातियों को बताई तो बारातियों ने स्लीपर क्लास के सारे डिब्बे छान मारे. मुसाफिरों से भी पूछताछ की, लेकिन प्रिया वहां भी नहीं मिली. प्रिया नहीं मिली तो सब ने तय किया कि वापस इटारसी जा कर देखेंगे. इस के बाद आगे के लिए कुछ तय किया जाएगा. बात हर लिहाज से चिंता और हैरानी की थी, इसलिए सभी लोगों के चेहरे उतर गए थे. शादी की उन की खुशी काफूर हो गई थी.

प्रिया मिली इलाहाबाद में, पर…

इत्तफाक से उस दिन पाटलिपुत्र एक्सप्रैस खंडवा स्टेशन पर रुक गई तो एक बार फिर सारे बारातियों ने पूरी ट्रेन छान मारी, लेकिन प्रिया नहीं मिली.

इस पर छत्रपति अपने बड़े भाई और कुछ दोस्तों के साथ ट्रेन से इटारसी आया और वहां भी पूछताछ की, पर हर जगह मायूसी ही हाथ लगी. अब पुलिस के पास जाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था. इसी दौरान छत्रपति ने प्रिया के घर वालों और अपने कुछ रिश्तेदारों से भी मोबाइल पर प्रिया के गुम हो जाने की बात बता दी थी.

पुलिस वालों ने उस की बात सुनी और सीसीटीवी के फुटेज देखी, लेकिन उन में कहीं भी प्रिया नहीं दिखी तो उस की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर ली. इधर छत्रपति और उस के घर वालों का सोचसोच कर बुरा हाल था कि प्रिया नहीं मिली तो वे घर जा कर क्या बताएंगे. ऐसे में तो उन की मोहल्ले में खासी बदनामी होगी.

कुछ लोगों के जेहन में यह बात बारबार आ रही थी कि कहीं ऐसा तो नहीं कि प्रिया का चक्कर किसी और से चल रहा हो और मांबाप के दबाव में आ कर उस ने शादी कर ली हो. फिर प्रेमी के साथ भाग गई हो. यह खयाल हालांकि बेहूदा था, जिसे किसी ने कहा भले नहीं, पर सच भी यही निकला.

पुलिस वालों ने वाट्सऐप पर प्रिया का फोटो उस की गुमशुदगी के मैसेज के साथ वायरल किया तो दूसरे ही दिन पता चल गया कि वह इलाहाबाद के एक होटल में अपने प्रेमी के साथ है. दरअसल, प्रिया का फोटो वायरल हुआ तो उसे वाट्सऐप पर इलाहाबाद स्टेशन के बाहर के एक होटल के उस मैनेजर ने देख लिया था, जिस में वह ठहरी हुई थी. मामला गंभीर था, इसलिए मैनेजर ने तुरंत प्रिया के अपने होटल में ठहरे होने की खबर पुलिस को दे दी.

एक कहानी कई सबक

छत्रपति एक ऐसी बाजी हार चुका था, जिस में शह और मात का खेल प्रिया और उस के घर वालों के बीच चल रहा था, पर हार उस के हिस्से में आई थी.

इलाहाबाद जा कर जब पुलिस वालों ने उस के सामने प्रिया से पूछताछ की तो उस ने दिलेरी से मान लिया कि हां वह अपने प्रेमी राज सिंह के साथ अपनी मरजी से भाग कर आई है. और इतना ही नहीं, इलाहाबाद की कोर्ट में वह उस से शादी भी कर चुकी है.

बकौल प्रिया, वह और राज सिंह एकदूसरे से बेइंतहा प्यार करते हैं, यह बात उस के घर वालों से छिपी नहीं थी. इस के बावजूद उन्होंने उस की शादी छत्रपति से तय कर दी थी. मांबाप ने सख्ती दिखाते हुए उसे घर में कैद कर लिया था और उस का मोबाइल फोन भी छीन लिया था, जिस से वह राज सिंह से बात न कर पाए.

4 महीने पहले उस की शादी छत्रपति से तय हुई तो घर वालों ने तभी से उस का घर से बाहर निकलना बंद कर दिया था. लेकिन छत्रपति से बात करने के लिए उसे मोबाइल दे दिया जाता था. तभी मौका मिलने पर वह राज सिंह से भी बातें कर लिया करती थी. उसी दौरान उन्होंने भाग जाने की योजना बना ली थी.

प्रिया के मुताबिक राज सिंह विदाई वाले दिन ही जबलपुर पहुंच गया था. इन दोनों का इरादा पहले जबलपुर स्टेशन से ही भाग जाने का था, लेकिन बारातियों और छत्रपति के जागते रहने के चलते ऐसा नहीं हो सका. राज सिंह पाटलिपुत्र एक्सप्रैस ही दूसरे डिब्बे में बैठ कर इटारसी तक आया और यहीं प्रिया उतर कर उस के साथ इलाहाबाद आ गई थी.

पूछने पर प्रिया ने साफ कह दिया कि वह अब राज सिंह के साथ ही रहना चाहती है. राज सिंह सिंगरौली के कालेज में उस का सीनियर है और वह उसे बहुत चाहती है. घर वालों ने उस की शादी जबरदस्ती की थी. प्रिया ने बताया कि अपनी मरजी के मुताबिक शादी कर के उस ने कोई गुनाह नहीं किया है, लेकिन उस ने एक बड़ी गलती यह की कि जब ऐसी बात थी तो उसे छत्रपति को फोन पर अपने और राज सिंह के प्यार की बात बता देनी चाहिए थी.

छत्रपति ने अपनी नईनवेली बीवी की इस मोहब्बत पर कोई ऐतराज नहीं जताया और मुंहजुबानी उसे शादी के बंधन से आजाद कर दिया, जो उस की समझदारी और मजबूरी दोनों हो गए थे.

जिस ने भी यह बात सुनी, उसी ने हैरानी से कहा कि अगर उसे भागना ही था तो शादी के पहले ही भाग जाती. कम से कम छत्रपति की जिंदगी पर तो ग्रहण नहीं लगता. इस में प्रिया से बड़ी गलती उस के मांबाप की है, जो जबरन बेटी की शादी अपनी मरजी से करने पर उतारू थे. तमाम बंदिशों के बाद भी प्रिया भाग गई तो उन्हें भी कुछ हासिल नहीं हुआ. उलटे 8-10 लाख रुपए जो शादी में खर्च हुए, अब किसी के काम के नहीं रहे.

मांबाप को चाहिए कि वे बेटी के अरमानों का खयाल रखें. अब वह जमाना नहीं रहा कि जिस के पल्लू से बांध दो, बेटी गाय की तरह बंधी चली जाएगी. अगर वह किसी से प्यार करती है और उसी से शादी करने की जिद पाले बैठी है तो जबरदस्ती करने से कोई फायदा नहीं, उलटा नुकसान ज्यादा है. यदि प्रिया इटारसी से नहीं भाग पाती तो तय था कि मुंबई जा कर ससुराल से जरूर भागती. फिर तो छत्रपति की और भी ज्यादा बदनामी और जगहंसाई होती.

अब जल्द ही कानूनी तौर पर भी मसला सुलझ जाएगा, लेकिन इसे उलझाने के असली गुनहगार प्रिया के मांबाप हैं, जिन्होंने अपनी झूठी शान और दिखावे के लिए बेटी को किसी और से शादी करने के लिए मजबूर किया. इस का पछतावा उन्हें अब हो रहा है.

जरूरत इस बात की है कि मांबाप जमाने के साथ चलें और जातिपांत, ऊंचनीच, गरीबअमीर का फर्क और खयाल न करें, नहीं तो अंजाम क्या होता है, यह प्रिया के मामले से समझा जा सकता है. – कथा में प्रिया परिवर्तित नाम है.

थाई मसाज की आड़ में : जिस्मफरोशी का काला धंधा – भाग 3

स्पा पैलेस जिस बिल्डिंग में चल रहा था, उसे 80 हजार रुपए महीने किराए पर लिया गया था. पार्लर के रिसैप्शन से ले कर गैलरी और फर्स्ट फ्लोर के कमरों के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगे थे. पुलिस ने इन कैमरों की हार्डडिस्क जब्त कर ली है. पुलिस उस की जांच कर रही है कि वहां कौनकौन लोग आते थे.

पुलिस ने रिसैप्शन से ग्राहकों का नाम एवं मोबाइल नंबर लिखा रजिस्टर भी जब्त कर लिया है. विदेशी युवतियों की तलाशी में पुलिस को करीब एक लाख रुपए नकद मिले हैं. इस के अलावा मसाज पार्लर से तमाम आपत्तिजनक चीजें जब्त की गई हैं. भीलवाड़ा पुलिस ने थाइलैंड की युवतियों के बारे में दिल्ली स्थित थाइलैंड दूतावास को सूचना दे दी थी.

कथा लिखे जाने तक पार्लर चलाने वाला सुनील गोवानी और उस का साथी मनोज लालवानी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया था. इस से पहले 21 जुलाई को कोटा शहर में स्पा सैंटर में चल रहे सैक्स रैकेट का भंडाफोड़ किया गया था. पुलिस ने कोटा के गुमानपुरा में सैंटर स्क्वायर मौल में चौथी मंजिल पर चल रहे सौंदर्यम फैमिली स्पा एवं जवाहरनगर में डिस्ट्रिक्ट सैंटर में संचालित स्पा सैंटर पर छापा मार कर थाइलैंड की 8 एवं नगालैंड की एक लड़की सहित कुल 17 लोगों को गिरफ्तार किया था.

गुमानपुरा स्थित सौंदर्यम फैमिली स्पा को बूंदी का रहने वाला राजेश माधवानी चला रहा था, जबकि उस की पत्नी संजना माधवानी जवाहरनगर वाला स्पा चला रही थी. दोनों जगहों पर स्पा की आड़ में सैक्स रैकेट चल रहा था. पुलिस ने स्पा चलाने वाले राजेश माधवानी और उस की पत्नी संजना को गिरफ्तार कर लिया था.

इन में गुमानपुरा का सौंदर्यम फैमिली स्पा काफी समय से चल रहा था, जबकि जवाहरनगर वाला स्पा कुछ महीने पहले ही फ्रैंचाइजी के रूप में खोला गया था. सौंदर्यम फैमिली स्पा में 4 छोटेछोटे केबिन बने हुए थे, जिन में पलंग, गद्दे और स्पा की सामग्री के अलावा तमाम आपत्तिजनक चीजें रखी थीं.

इस स्पा सैंटर में 2 हजार रुपए सामान्य चार्ज लिया जाता था, जबकि सैक्स के लिए कोई कीमत तय नहीं थी. लड़कियां पहले स्पा करती थीं, उसी के साथ वे ग्राहक को ‘यू वांट…यू वांट…’ कह कर उकसाती थीं. इस के बाद स्पा संचालक के माध्यम से घंटे के हिसाब से सौदा तय होता था. पैसों का बंटवारा लड़की और स्पा संचालक के बीच आधाआधा होता था.

पूछताछ में राजेश माधवानी ने बताया था कि उस के संबंध मुंबई, दिल्ली और कोलकाता के कुछ लोगों से थे. उन्हीं के माध्यम से वह थाइलैंड से लड़कियां मंगाता था. वह भी महीने, डेढ़ महीने में स्पा की लड़कियों को बदल देता था. उस ने सौंदर्यम के नाम से बाकायदा वेबसाइट बनवा रखी थी, जिस में स्पा सैंटर के कमरों की लाइव तसवीरें देखी जा सकती थीं. रेट लिस्ट सहित कई अन्य जानकारियां वेबसाइट पर दी गई थीं.

ये सोशल मीडिया के जरिए ग्राहकों को विदेशी युवतियों की फोटो भेज कर बुकिंग करते थे. संजना ने पकड़े जाने से 3-4 दिन पहले ही थाइलैंड की लड़कियां दिल्ली और पुणे से बुलाई थीं. इन लड़कियों को वह 20 हजार रुपए महीने वेतन तथा सैक्स के नाम पर मिलने वाली रकम का आधा हिस्सा देती थी. ग्राहक की इच्छा पर लड़कियों को स्पा से बाहर भी भेजा जाता था.

दोनों स्पा सैंटरों से पुलिस को करीब 2 सौ लोगों की ऐसी सूची मिली है, जो वहां नियमित आते थे. थाइलैंट की लड़कियों ने पुलिस को बताया था कि उन के देश में इस तरह सैक्स अपराध नहीं है, इसलिए वे भारत आई थीं. कोटा में पकड़ी गई थाइलैंड की लड़कियां न हिंदी जानती थीं और न ही अंगरेजी. पुलिस ने नगालैंड की लड़की के माध्यम से उन लड़कियों से पूछताछ की, क्योंकि वह थाई भाषा जानती थी. राजेश और संजना जानबूझ कर थाइलैंड की इन लड़कियों को लाए थे, जिस से वे किसी अन्य दलाल के पास न जा सकें.

राजेश माधवानी पहले ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करता था. उस में घाटा होने के बाद वह पत्नी के साथ कोटा में स्पा सैंटर चलाने लगा. उस का स्पा सैंटर अच्छा चल रहा था. पर मोटी कमाई के लालच में स्पा की आड़ में वह भारतीय और विदेशी लड़कियों से देहव्यापार कराने लगा. इसी साल मार्च में उस ने पहली बार थाइलैंड की लड़कियों को कोटा बुलाया था.

पहली बार विदेशी लड़कियों के आने से राजेश माधवानी की पौ बारह हो गई थी. उस के ग्राहकों की तादाद तेजी से बढ़ गई. थाई मसाज की आड़ में उस ने थाइलैंड की लड़कियों को देहव्यापार में उतार दिया. पकडे़ जाने तक वह 25 से ज्यादा थाई लड़कियों को कोटा बुला चुका था.

राजेश की पत्नी संजना कोटा से पहले जयपुर में ब्यूटीपार्लर चलाती थी. उसे इस का पूरा अनुभव था, इसलिए राजेश ने पत्नी को साथ रखा और पहले स्पा के नाम पर साख बनाई. वह स्पा के लिए सदस्य भी बनाता था. विदेशी लड़कियों को बिना सूचना दिए रखने और ठहराने के मामले में इंटेलीजेंस ब्यूरो ने राजेश माधवानी को नोटिस दिया है. किसी भी विदेशी नागरिक को अपने यहां नौकरी देने या ठहराने पर आईबी को सूचना देनी जरूरी होती है.

अदालत की ओर से न्यायिक हिरासत में जेल भेजे जाने पर कोटा जेल प्रशासन ने थाइलैंड और नगालैंड की लड़कियों का जेके लोन अस्पताल में मैडिकल कराया था. मैडिकल में थाइलैंड की 20 साल की एक लड़की गर्भवती पाई गई थी. अभी वह अविवाहित है. सोनोग्राफी जांच में उस के पेट में 10 सप्ताह का गर्भ होने का पता चला है.

इस के अलावा थाइलैंड की एक लड़की के एचआईवी पौजिटिव होने की पुष्टि हुई है. इस से जेल और पुलिस प्रशासन की परेशानियां बढ़ गई हैं. इस के अलावा उन लोगों की भी चिंता बढ़ गई है, जो इन लड़कियों के संपर्क में आए थे. महानगरों की तरह राजस्थान के छोटे शहरों में भी मसाज पार्लर और स्पा सैंटरों की आड़ में विदेशी लड़कियों को देह व्यापार में धकेलने के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं.

जयपुर में नवंबर, 2015 में बनीपार्क इलाके में बने एक मौल में स्पा सैंटर के नाम पर जिस्मफरोशी का रैकेट पकड़ा गया था. मौल की पहली मंजिल पर चल रहे 2 स्पा सैंटरों पर की गई कारवाई में थाइलैंड की 10 लड़कियों के अलावा 8 लड़कों को पकड़ा गया था. ये स्पा द थाई हारमोनी एवं क्रिस्टल स्पा सैंटर के नाम से करीब एक साल से चल रहे थे.

बहरहाल, इंसान की आदिकाल से चली आ रही सैक्स की भूख ने अब वैश्विक बाजार खड़ा कर दिया है. भारत के महानगरों में फैले इस बाजार में कई सालों से विदेशी लड़कियां लोगों के आकर्षण का केंद्र रही हैं. अब छोटे शहर भी इस की चपेट में आते जा रहे हैं.

– कथा पुलिस सूत्रों एवं अन्य रिपोर्ट्स पर आधारित

इंसाफ चाहिए इस निर्भया को – भाग 3

नाबालिग निर्भया की हालत देख कर जोट्टा सिंह द्रवित हो उठे. उस की हालत काफी गंभीर थी. उसे तत्काल मैडिकल सहायता की जरूरत थी. मामला संगीन था, इसलिए पुलिस को भी सूचना देना जरूरी था. उन्होंने तुरंत एसपी भुवन भूषण यादव को मामले की जानकारी दे दी.

एसपी के निर्देश पर महिला थाने की थानाप्रभारी सहयोगियों के साथ सरदारी बुआ के घर पहुंच गईं. अब तक मंजू परिवार के साथ फरार हो चुकी थी. बाल संरक्षण कमेटी के संरक्षण में निर्भया को हनुमानगढ़ के जिला चिकित्सालय में भरती कराया गया.

शुरुआती पूछताछ में पुलिस को पता चला कि निर्भया दिल्ली के अमन विहार की रहने वाली थी. हनुमानगढ़ पुलिस ने दिल्ली के थाना अमन विहार पुलिस से संपर्क किया तो पता चला कि निर्भया के पिता कुंदन (बदला हुआ नाम) ने फरवरी महीने में उस की गुमशुदगी दर्ज कराई थी.

सूचना पा कर थाना अमन विहार पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ दर्ज मुकदमे में गोलू, मंजू, निशा, सुनील बागड़ी आदि को नामजद कर लिया. इस के बाद दिल्ली पुलिस की सबइंसपेक्टर मनीषा शर्मा पुलिस टीम के साथ हनुमानगढ़ पहुंची और निर्भया का बयान ले कर लौट गई.

पुलिस टीम के साथ आए निर्भया के पिता ने बेटी की हालत देखी तो गश खा कर गिर गए. मामला मीडिया द्वारा जगजाहिर हुआ तो शहर में भूचाल सा आ गया. निर्भया को न्याय दिलाने के लिए हनुमानगढ़ में भी मुकदमा दर्ज करने की मांग करते हुए लोग सड़कों पर उतर आए. श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में कैंडल मार्च निकाला गया.

हनुमानगढ़ पुलिस दिल्ली में मुकदमा दर्ज होने की बात कह कर मुकदमा दर्ज करने से कतरा रही थी. लेकिन लोग मैदान में उतर आए. लोगों का कहना था कि यहां के आरोपियों से दिल्ली पुलिस को कोई सरोकार नहीं रहेगा. निर्भया का बुरा करने वालों को किए की सजा दिलाने के लिए यहां भी मुकदमा दर्ज होना चाहिए.

लोगों के गुस्से को देखते हुए हनुमानगढ़ पुलिस बेबस हो गई. तीसरे दिन महिला पुलिस थाने में मंजू, गोलू, निशा, मुकेश, सोनू आदि के खिलाफ भादंवि की धारा 370, 372, 373, 376 (डी), 377, 3/4 पौक्सो एक्ट व हरिजन उत्पीड़न अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया. इस के बाद डीएसपी वीरेंद्र जाखड़ को मामले की जांच सौंप दी गई.

जानकारी मिलने पर 30 मार्च, 2017 को राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा मनन चतुर्वेदी हनुमानगढ़ आईं और स्वास्थ्य केंद्र जा कर उपचाराधीन निर्भया से मिलीं. बच्ची की हालत देख कर वह रो पड़ीं. इस मामले में एक भी गिरफ्तारी न होने से उन्होंने पुलिस को आड़े हाथों लिया और शीघ्र गिरफ्तारी के आदेश दिए. 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली निर्भया को अपनी पढ़ाई जारी रखने और वरिष्ठ अधिकारी बनने के लिए प्रेरित करते हुए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया. कुछ संस्थाओं ने ही नहीं, जन साधारण ने भी निर्भया की आर्थिक मदद की.

आखिर कौन थी निर्भया, वह कैसे चकलाघर संचालिका मंजू अग्रवाल के पास पहुंची? पुलिस जांच में पता चला कि सुरेशिया में ही किराएदार के रूप में मंजू के पड़ोस में सुनील बागड़ी रहता था. इस के पहले वह पश्चिमी दिल्ली के अमन विहार में रहता था. सुनील मंजू का राजदार था और एक दो बार उस के लिए बाहर से लड़की ला चुका था.

एक दिन सुनील मंजू के पास बैठा था तो उस ने कहा, ‘‘अरे सुनील बाबू, आजकल मेरा धंधा बड़ा मंदा है. कोई बढि़या सी लड़की की व्यवस्था कर देते तो धंधा चमक उठता. ऐसे माल के लिए मैं लाख, डेढ़ लाख रुपए खर्च करने को तैयार हूं.’’

‘‘मैडम, यह कौन सा मुश्किल काम है. मैं आज ही अपने साथी से कहे देता हूं.’’ सुनील ने कहा.

दिल्ली में सुनील के पड़ोस में ही गोलू और निशा रहते थे. निशा का पति ट्रक चलाता था, जबकि गोलू टैंपो चलाता था. निशा और उस के पति में किसी बात को ले कर खटपट हो गई तो निशा पति से अलग हो कर गोलू के साथ लिव इन रिलेशन में रहने लगी. सुनील ने मंजू की मंशा गोलू और निशा को बताई तो लाखों मिलने की उम्मीद में उन के मुंह में पानी आ गया.

निशा के पड़ोस में ही रहती थी निर्भया. 3 भाईबहनों में वह सब से बड़ी थी और दसवीं कक्षा में पढ़ रही थी. पिता मेहनतमजदूरी कर के जैसेतैसे परिवार की गाड़ी खींच रहे थे. आकर्षक कदकाठी और मनमोहक नयननक्श वाली निर्भया गोलू और निशा की निगाह में चढ़ गई. दोनों ने उसे मंजू के अड्डे पर पहुंचाने का मन बना लिया.

बस फिर क्या था. निशा और गोलू निर्भया पर डोरे डालने लगे. निशा को गोलू ने अपनी भाभी बताया था. जानपहचान बढ़ी तो निशा और गोलू निर्भया को गिफ्ट के साथ नकदी भी देने लगे. निशा ने निर्भया से कहा था कि वह गोलू से उस की शादी करा कर उसे अपनी देवरानी बनाना चाहती है.

फिसलन भरी राह पर आखिर एक दिन निर्भया फिसल ही गई और निशा तथा गोलू के साथ भाग गई. उसे ले जा कर पहले गोलू ने उस से शादी की. फिर 4-5 दिनों बाद वे उसे ले कर हनुमानगढ़ पहुंचे और सुनील बगड़ी के माध्यम से मंजू को सौंप दिया गया. निर्भया के गायब होने पर कुंदन ने थाना अमन विहार में उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी थी.

हनुमानगढ़ पुलिस जब मुख्य अपराधियों को 3-4 दिनों तक गिरफ्तार नहीं कर सकी तो लोग नाराजगी व्यक्त करने गले. मीडिया भी पुलिस की भद्द पीट रही थी. साइबर क्राइम एक्सपर्ट हैडकांस्टेबल गुरसेवक सिंह ने मंजू के परिवार की लोकेशन पता कर रहे थे, पर शातिर मंजू पुलिस के पहुंचने से पहले ही उड़नछू हो जाती थी.

आखिर पांचवें दिन मंजू की आंख मिचौली खत्म हो गई. वह अपने बेटे मुकेश और बहू सोनू के साथ हरियाणा के ऐलनाबाद में पुलिस के हत्थे चढ़ गई. अदालत में पेश किए जाने पर अदालत ने तीनों को विस्तृत पूछताछ के लिए 10 दिनों  की पुलिस रिमांड पर सौंप दिया था.

मंजू से पूछताछ के बाद स्थानीय पुलिस ने पहले ग्राहक अख्तर खान सहित, 15 सौ रुपए में कमरा उपलब्ध कराने वाले संगम होटल के मैनेजर कृष्णलाल घूडि़या, दलाल गुड्डी मेघवाल और निर्भया का बुरा करने वाले विजय (रावतसर), नवीन खां, मंजूर खां (मोधूनगर) पूर्णचंद सिंधी (हनुमानगढ़) बिजली मैकेनिक जगदीश काला उर्फ अमरजीत आदि 15 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

अब दिल्ली पुलिस मंजू सोनू, मुकेश आदि को प्रोटक्शन वारंट पर अपनी सुपुर्दगी में लेने की कोशिश कर रही है. दिल्ली के दोनों आरोपी गोलू और निशा तिहाड़ जेल पहुंच गए हैं. हनुमानगढ़ पुलिस के लिए वे दोनों भी वांटेड हैं.

स्वास्थ्य लाभ के बाद निर्भया दिल्ली लौट गई थी. जिंदगी बरबाद करने वाले आरोपियों को फांसी की सजा की मांग करने वाली निर्भया की पुकार अब अदालत के फैसले पर निर्भर करेगी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

पटरियों पर बलात्कार : समाज में होता अपराध – भाग 3

मीडिया में बात आने के बाद पुलिस हुई सक्रिय

24 घंटे थाने दर थाने भटकने के बाद तीनों का भरोसा पुलिस और इंसाफ से उठने लगा था. मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस बगैर किसी अड़चन के मन चुका था, जिस में पुलिस का भारीभरकम अमला तैनात था.

2 नवंबर, 2017 को जब अनामिका के साथ हुए अत्याचारों की भनक मीडिया को लगी तो अगले दिन के अखबार इस जघन्य, वीभत्स और शर्मनाक बलात्कार कांड से रंगे हुए थे, जिन में पुलिस की लापरवाही, मनमानी और हीलाहवाली पर खूब कीचड़ उछाली गई थी.

लोग अब बलात्कारियों से ज्यादा पुलिस को कोसने लगे थे. जब आम लोगों का गुस्सा बढ़ने लगा तो स्थापना दिवस की खुमारी उतार चुके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आला पुलिस अफसरों की बैठक ली.

मीटिंग में सक्रियता और संवेदनशीलता दिखाते मुख्यमंत्री ने डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला और डीआईजी संतोष कुमार सिंह की जम कर खिंचाई की और टीआई जीआरपी हबीबगंज मोहित सक्सेना, एमपी नगर थाने के टीआई संजय सिंह बैंस और हबीबगंज थाने के टीआई रवींद्र यादव के अलावा जीआरपी के एक सबइंसपेक्टर भवानी प्रसाद उइके को तत्काल सस्पेंड कर दिया.

कानूनी प्रावधान तो यह है कि छेड़खानी और दुष्कर्म के मामलों में पुलिस को एफआईआर लिखना अनिवार्य है. आईपीसी की धारा 166 (क) साफसाफ कहती है कि धारा 376, 354, 326 और 509 के तहत हुए अपराधों की एफआईआर दर्ज न करने पर दोषी पुलिस वालों को 6 महीने से ले कर 2 साल तक की सजा दी जा सकती है. किसी भी सूरत में कोई भी पुलिस वाला इन धाराओं के अपराध की एफआईआर लिखने से मना नहीं कर सकता. चाहे घटनास्थल उस की सीमा में आता है या नहीं.

गोलू की निशानदेही पर पुलिस ने 3 नवंबर को अमर और राजेश उर्फ चेतराम को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन चौथा अपराधी रमेश मेहरा पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सका. बाद में पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया. लेकिन इस गिरफ्तारी पर भी पुलिस की हड़बड़ी और गैरजिम्मेदाराना बरताव उजागर हुआ.

छानबीन में यह बात सामने आई कि गिरफ्तार किए गए अभियुक्त बेहद शातिर और नशेड़ी हैं. वे हबीबगंज इलाके के आसपास की झुग्गियों में ही रहते थे. ये लोग पन्नियां बीनने का काम करते थे. लेकिन असल में इन का काम रेलवे का सामान लोहा आदि चोरी कर कबाडि़यों को बेचने का था.

जांच में पता चला कि आरोपियों में सब से खतरनाक गोलू उर्फ बिहारी है. गोलू ने अपनी नाबालिगी में ही हत्या की एक वारदात को अंजाम दिया था. उस ने एक पुलिसकर्मी के बेटे की हत्या की थी.

इतना ही नहीं एक औरत से उस के नाजायज संबंध हो गए थे, जिस से उस के एक बच्चा भी हुआ था. गोलूकितना बेरहम है, इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपनी माशूका से हुए बेटे को वह उस के पैदा होने के 4 दिन बाद ही रेल की पटरी पर रख आया था, जिस से ट्रेन से कट कर उस की मौत हो गई थी.

दूसरा आरोपी अमर उस का साढ़ू है. अमर भी शातिर अपराधी है कुछ दिन पहले ही वह अरेरा कालोनी में रहने वाले एक रिटायर्ड पुलिस अफसर के यहां चोरी करने के आरोप में पकड़ा गया था. पूछताछ में आरोपियों ने अपने नशे में होने की बात स्वीकारी और यह भी बताया कि अनामिका आती दिखी तो उन्होंने लूटपाट के इरादे से पकड़ा था लेकिन फिर उन की नीयत बदल गई.

मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसआईटी को दिया केस

अनामिका बलात्कार मामले का शोर देश भर में मचा. इस से पुलिस प्रशासन की जम कर थूथू हुई. शहर में लगभग 50 जगहों पर विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनैतिक दलों ने धरनेप्रदर्शन किए. विरोध बढ़ता देख मुख्यमंत्री ने जांच के लिए एसआईटी टीम गठित करने के निर्देश दे डाले. कांग्रेसी सांसदों ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ ने भी सरकार और लचर कानूनव्यवस्था की जम कर खिंचाई की. बचाव की मुद्रा में आए राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने एक बचकाना बयान यह दे डाला कि क्या कांग्रेस शासित प्रदेशों में ऐसा नहीं होता.

भोपाल में जो हुआ, वह वाकई मानव कल्पना से परे था. जनाक्रोश और दबाव में पुलिस ने एक और भारी चूक यह कर डाली कि जल्दबाजी में नाम की गफलत में एक ड्राइवर राजेश राजपूत को गिरफ्तार कर डाला. बेगुनाह राजेश से जुर्म कबूलवाने के लिए उसे थाने में अमानवीय यातनाएं दी गईं.

बकौल राजेश, ‘मुझे गिरफ्तार कर गुनाह स्वीकारने के लिए जम कर लगातार मारा गया. प्लास्टिक के डंडों से बेहोश होने तक मारा जाता रहा. इस दौरान एक महिला पुलिस अधिकारी ने उस से कहा था कि तू गुनाह कबूल कर जेल चला जा और वहां बेफिक्री से कुछ दिन काट ले क्योंकि रिपोर्ट दर्ज कराने वाली मांबेटी फरजी हैं.’

राजेश के मुताबिक उस का मोबाइल फोन पुलिस ने छीन लिया. उसे पत्नी से बात भी नहीं करने दी गई थी. हकीकत में राजेश राजपूत हादसे के वक्त और उस दिन भोपाल में था ही नहीं. वह शिवसेना के एक नेता के साथ इंदौर गया था.

उस की पत्नी दुर्गा को जब किसी से पता चला कि उस के पति को पुलिस ने गैंगरेप मामले में गिरफ्तार कर रखा है तो वह घबरा गई. दुर्गा जब थाने पहुंची तो पति की एक झलक दिखा कर उसे दुत्कार कर भगा दिया गया. इस के बाद वह अपने पति की बेगुनाही के सबूत ले कर वह यहांवहां भटकती रही, तब कहीं जा कर उसे 3 नवंबर को छोड़ा गया.

थाने से छूटे राजेश ने बताया कि वह हबीबगंज स्टेशन के बाहर भाजपा कार्यालय के पीछे की बस्ती में रहता है. जिनजिन पुलिस अधिकारियों ने उस के साथ ज्यादती की है, वह उन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराएगा.

अनामिका की हालत पुलिसिया पूछताछ और मैडिकल जांच में बेहद खराब हो चली थी लेकिन अच्छी बात यह थी कि इस बहादुर लड़की ने हिम्मत नहीं हारी. मीडिया के सपोर्ट और संगठनों के धरनेप्रदर्शनों ने उस के जख्मों पर मरहम लगाने का काम किया. अब वह आईपीएस अधिकारी बन कर सिस्टम को सुधारना चाहती है. उस के मातापिता भी उसे हिम्मत बंधाते रहे और हरदम उस के साथ रहे, जिस से भावनात्मक रूप से वह टूटने व बिखरने से बच गई.

बवाल शांत करने के उद्देश्य से सरकार ने भोपाल के आईजी योगेश चौधरी और रेलवे पुलिस की डीएसपी अनीता मालवीय को भी पुलिस हैडक्वार्टर भेज दिया. अनीता मालवीय इस बलात्कार कांड पर ठहाके लगाती नजर आई थीं, जिस पर उन की खूब हंसी उड़ी थी.

डाक्टरों ने डाक्टरी जांच में की बहुत बड़ी गलती हर कोई जानता है कि ऐसी सजाओं से लापरवाह और दोषी पुलिस कर्मचारियों का कुछ नहीं बिगड़ता. आज नहीं तो कल वे फिर मैदानी ड्यूटी पर होंगे और अपने खिलाफ लिए गए एक्शन का बदला और भी बेरहमी से अपराधियों के अलावा आम लोगों से लेंगे.

सरकारी अमले किस मुस्तैदी से काम करते हैं, इस की एक बानगी फिर सामने आई. अनामिका की मैडिकल जांच सुलतानिया जनाना अस्पताल में हुई थी. प्रारंभिक रिपोर्ट में एक जूनियर डाक्टर ने लिखा था कि संबंध ‘विद कंसर्न’ यानी सहमति से बने थे. इस रिपोर्ट में एक हास्यास्पद बात एक्यूज्ड की जगह विक्टिम शब्द का प्रयोग किया था. इस पर भी काफी छीछालेदर हुई. तब सीनियर डाक्टर्स ने गलती स्वीकारते हुए इसे लिपिकीय त्रुटि बताया, मानो कुछ हुआ ही न हो.

रेलवे की नई एसपी रुचिवर्धन मिश्रा ने इसे मानवीय त्रुटि बताया तो भोपाल के कमिश्नर अजातशत्रु श्रीवास्तव ने लापरवाही बरतने वाली डाक्टरों खुशबू गजभिए और संयोगिता को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. ये दोनों डाक्टर इस के पहले ही अपनी गलती स्वीकार चुकी थीं. उन की यह कोई महानता नहीं थी बल्कि मजबूरी हो गई थी. बाद में रिपोर्ट सुधार ली गई.

अगर वक्त रहते इस गलती की तरफ ध्यान नहीं जाता तो इस का फायदा केस के आरोपियों को मिलता. वजह बलात्कार के मामलों में मैडिकल रिपोर्ट काफी अहम होती है. तरस और हैरानी की बात यह है कि जिस लड़की के साथ 6 दफा बलात्कार हुआ,उस की रिपोर्ट में सहमति से संबंध बनाना लिख दिया गया.

शायद इस की आदत डाक्टरों को पड़ गई है या फिर इस की कोई और वजह हो सकती है, जिस की जांच किया जाना जरूरी है. अनामिका बलात्कार कांड में एक भाजपा नेता का नाम भी संदिग्ध रूप से आया था, जो बारबार पुलिस थाने में आरोपियों के बचाव के लिए फोन कर रहा था.

पुलिस ने चारों दुर्दांत वहशी दरिंदों गोलू चिढार उर्फ बिहारी, अमर, राजेश उर्फ चेतराम और रमेश मेहरा से पूछताछ कर उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया.

अनामिका चाहती है कि इन दरिंदों को चौराहे पर फांसी दी जाए पर बदकिस्मती से देश का कानून ऐसा है, यहां पीडि़ता की भावनाओं की कोई कीमत नहीं होती. भोपाल बार एसोसिएशन ने यह एक अच्छा संकल्प लिया है कि कोई भी वकील इन अभियुक्तों की पैरवी नहीं करेगा.

गुस्साए आम लोग भी कानून में बदलाव चाहते हैं. उन का यह कहना है कि सुनवाई में देर होने से अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं और ऐसे अपराधों को शह मिलती है.

हालांकि खुद को आहत बता रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शीघ्र नया विधेयक ला कर कानून बनाने की बात कर चुके हैं और मामले की सुनवाई फास्टट्रैक कोर्ट में कराने की बात कर चुके हैं, पर सच यह है कि अब कोई उन पर भरोसा नहीं करता. खासतौर से इस मामले में पुलिस की भूमिका को ले कर तो वे खुद कटघरे में हैं.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. अनामिका परिवर्तित नाम है. 

रिश्तों की आड़ में…सेक्स, सेक्स और बस सेक्स

हमारे समाज में ऐसी औरतें या लड़कियां कम नहीं हैं, जो अपने किसी न किसी हथकंडे से मर्दों को पा कर ही रहती हैं. ऐसी औरतें सोचती हैं कि अगर वे किसी को अपना जिस्म सौंप कर उन्हें मजे दे देंगी, तो इस से उन का बिगड़ेगा भी क्या? 24 साला सुचित्रा अंगरेजी में एमए और फिर बीऐड करने के बाद भी सरकारी टीचर नहीं बन पाई, तो उस ने तमाम प्राइवेट स्कूलों में टीचर की नौकरी के लिए आवेदन देना शुरू कर दिया. सुचित्रा पिछड़ी जाति की थी, इसलिए उसे बहुत सी जगह रखा ही नहीं गया. जब उसे अपने शहर के स्कूलों में नौकरी नहीं मिल पाई, तो उस ने गांवों के निजी स्कूलों में आवेदन भेजना शुरू कर दिया था. वहां ऊंची जाति की औरतें नौकरी के लिए नहीं जाती थीं.

जब अपने शहर से डेढ़ सौ किलामीटर दूर एक कसबेनुमा गांव के निजी स्कूल में नौकरी मिली, तो सुचित्रा ने उसे स्वीकर कर लिया था. स्कूल के मैनेजर ने सुचित्रा के रहने का इंतजाम अपने गांव के सेना एक रिटायर्ड अफसर लाखन सिंह के मकान में कर दिया था.

50 साला मकान मालिक लाखन सिंह अपने मकान में अकेले ही रहते थे. उन का बेटा अपने परिवार के साथ किसी बड़े शहर में रहता था. लाखन सिंह ने अपने मकान के चौक में पानी के लिए बोरिंग लगा रखा था. जब वे नहाते थे, तब उन के गठीले बदन को देख कर सुचित्रा का दिल उन्हें पाने को मचल उठता था. एक रात जब लाखन सिंह शौच के लिए जाने लगे, तो उन्होंने बैड पर सोती हुई सुचित्रा को झीने कपड़ों में देखा.

उन का दिल उसे पाने के लिए मचलने लगा. 10 साल पहले उन की बीवी की मौत हो चुकी थी. उस के बाद उन्होंने किसी औरत से जिस्मानी संबंध नहीं बनाए थे.

उस समय सुचित्रा भी जागी हुई थी, पर वे सोती समझ बैड के पास खड़े हो कर उस के शरीर को गौर से देखने लगे. अचानक सुचित्रा ने उन की ओर मुसकराते हुए एक मादक अंगड़ाई ली और अपने बैड पर बिठा लिया.

सुचित्रा उन से बोली, ‘‘आप भी प्यासे हैं और मैं भी प्यासी हूं, इसलिए अब हम दोनों अपनीअपनी प्यास बुझा लेते हैं. कोई हम पर शक भी नहीं कर सकता है.’’

यह कहते हुए जब सुचित्रा ने उन्हें अपने ऊपर गिराया, तो वे भी उस समय अपना आपा खो बैठे. वे उस पर बुरी तरह झपट पड़े.

प्यार का खेल खेलने के बाद जब वे दोनों एकदूसरे से अलग हुए, तो सुचित्रा उन से बोली, ‘‘अच्छी सेहत के लिए सैक्स करना जरूरी होता है, क्योंकि इस से हमारे शरीर की जकड़ी हुई नसें खुल जाती हैं. आप में तो इतनी ताकत है कि मुझे वाकई मजा आ गया.’’

कुछ दिनों के बाद सुचित्रा की एक 22 साला सहेली प्रमिला उस के पास रहने आई. उसे पता चल गया कि उस की सहेली सुचित्रा और अंकल के बीच क्या संबंध हैं. वह भी उन से मजे लेने के लिए मचल उठी और दूसरे दिन खुद ही उन के पास चली गई.

प्रमिला के मादक अंगों को देख कर वे हैरान रह गए थे. उस के बाद वे दोनों सहेलियां उन से खूब मजे लेने लगी थीं. लाखन सिंह ने एक जिगरी दोस्त अमर सिंह को भी अपने पास बुला लिया और उसे भी मजे दिलवाना शुरू कर दिया था. मजे लेने के बाद वे दोनों ही उन्हें खूब पैसे देने लगे थे.

एक बार जब सुचित्रा के मांबाप उस से मिलने गांव आए, तब वे यह जान कर खुश हुए थे कि लाखन सिंह ने उन की बेटी को अपनी धर्म बेटी बना लिया है. लेकिन उन्हें इस बात की भनक तक नहीं थी कि इस रिश्ते की आड़ में उन की बेटी सुचित्रा लाखन सिंह के साथ सैक्स संबंध बना कर मजे ले रही है.

सुचित्रा ने जब अपने मांबाप को लाखन सिंह के दिए हुए रुपए थमाए, तो वे उन्हें किसी देवता से कम नहीं समझ रहे थे. यही हाल सुचित्रा की सहेली प्रमिला के मांबाप का भी था. लाखन सिंह ने न सिर्फ उसे जिस्मानी मजे दिए थे, बल्कि एक लाख रुपए देने के साथसाथ अपने गांव के स्कूल में नौकरी भी लगवा दी थी.

ऐसी ही एक और दास्तान शहर में रहने वाले सुनील और उस के मकान में किराए पर रहने वाले मोहन की 20 साला खूबसूरत बीवी हर्षा की थी. शादी के बाद जब हर्षा पहली बार अपने पति मोहन के साथ शहर में आई, तो उसे देख कर उस का मकान मालिक सुनील ऐसा लट्टू हुआ कि वह उसे पाने के लिए बेचैन हो गया.

इधर, राधिका अपने पति सुनील से बोर हो चुकी थी. उस का दिल मोहन पर आ गया था. एक दिन वह मोहन के कमरे में जा कर बोली, ‘‘मैं आप की हर्षा को अपनी छोटी बहन बनाना चाहती हूं और आप को अपना जीजा.’’

यह सुन कर मोहन उस से बोला, ‘‘बना लो. इसी बहाने मुझे भी अपनी साली से हंसीठिठोली करने का मौका मिलेगा और हर्षा भी साली बन कर सुनीलजी से हंसीठिठोली कर लेगी.’’ मोहन ने अपनी नईनई बनने वाली 23 साला खूबसूरत साली राधिका को आंख मारी, तो वह खुशी से मुसकरा उठी.

राधिका अपने पति सुनील से बोली, ‘‘जब हर्षा को मैं ने अपनी छोटी बहन बना कर आप की साली बना दिया है, तो आप इसे अपने साथ ले जा कर इस की पसंद की खरीदारी कराओ और इसे कुछ खिलापिला कर शहर में घुमाफिरा कर लाओ. इस पर कुछ पैसे खर्च करो.’’

हर्षा से मजे पा कर सुनील ने उसे खूब खिलायापिलाया और उस की पसंद की खरीदारी कराई. जब वे दोनों घर पहुंचे, तब तक मोहन दफ्तर जा चुका था.

राधिका ने हर्षा से पूछा, ‘‘तुम्हें जीजाजी ने परेशान तो नहीं किया?’’

‘‘परेशान तो काफी किया था, पर मैं उस परेशानी को भूल गई हूं. रात को इन से फिर मिलूंगी.’’

इन झूठे रिश्तों की आड़ में सैक्स संबंध बनाने की दास्तानें बहुत हैं. आजकल सैक्स संबंध बनाने के लिए लोग किसी से भी अपने रिश्ते बना लेते हैं. दिक्कत तब होती है, जब कई मर्दों से संबंध रखने वाली औरत पेट से हो जाती है, तब सारे मर्द उस का साथ छोड़ कर भाग जाते हैं.

औलाद की चाह बनी मुसीबत की राह

रमन की शादी हुए 6 साल हो गए, मगर अभी तक कोई औलाद नहीं हुई. चूंकि दोनों पतिपत्नी धार्मिक स्वभाव के थे, इसलिए वे देवीदेवता से मन्नतें मांगते रहते थे, लेकिन तब भी बच्चा न हुआ. तभी उन्हें पता चला कि एक चमत्कारी बाबा आए हैं. अगर उन का आशीर्वाद मिल जाए, तो बच्चा हो सकता है. यह जान कर रमन और उस की बीवी सीमा उस बाबा के पास पहुंचे. सीमा बाबा के पैरों पर गिर पड़ी और कहने लगी, ‘‘बाबा, मेरा दुख दूर करें. मैं 6 साल से बच्चे का मुंह देखने के लिए तड़प रही हूं.’’

‘‘उठो, निराश मत हो. तुम्हें औलाद का सुख जरूर मिलेगा…’’ बाबा ने कहा, ‘‘अच्छा, कल आना.’’

अगले दिन सीमा ठीक समय पर बाबा के पास पहुंच गई. बाबा ने कहा, ‘‘बेटी, औलाद के सुख के लिए तुम्हें यज्ञ कराना पड़ेगा.’’

‘‘जी बाबा, मैं सबकुछ करने को तैयार हूं. बस, मुझे औलाद हो जानी चाहिए,’’ सीमा ने कहा, तो बाबा ने जवाब दिया, ‘‘यह ध्यान रहे कि इस यज्ञ में कोई भी देवीदेवता किसी भी रूप में आ कर तुझे औलाद दे सकते हैं, इसलिए किसी भी हालत में यज्ञ भंग नहीं होना चाहिए, नहीं तो तेरे पति की मौत हो जाएगी.’’

‘‘जी बाबा,’’ सीमा ने कहा और बाबा के साथ एकांत में बने कमरे में चली गई. वहां बाबा खुद को भगवान बता कर उस के अंगों के साथ खेलने लगा. सीमा कुछ नहीं बोली. वह समझी कि बाबाजी उसे औलाद का सुख देना चाहते हैं, इसलिए वह चुपचाप सबकुछ सहती रही. लेकिन शरद ऐसे बाबाओं के चोंचलों को अच्छी तरह जानता था, इसलिए जब उस की बीवी टीना ने कहा, ‘‘हमें भी बच्चे के लिए किसी साधुसंत से औलाद का आशीर्वाद ले लेना चाहिए,’’ तब शरद बोला, ‘‘औलाद केवल साधुसंत के आशीर्वाद से नहीं होती है. इस के लिए जब तक पतिपत्नी दोनों कोशिश न करें, तब तक कोई बच्चा नहीं दे सकता.’’

‘‘मगर हम यह कोशिश पिछले 5 साल से कर रहे हैं. हमें बच्चा क्यों नहीं हो रहा है?’’ टीना ने पूछा.

‘‘इस की जांच तो डाक्टर से कराने पर ही पता चल सकती है कि हमें बच्चा क्यों नहीं हो रहा है. समय मिलते ही मैं डाक्टर से हम दोनों की जांच कराऊंगा.’’

टीना ने कहा, ‘‘ठीक है.’’

दोपहर को टीना की सहेली उस से मिलने आई, जो उसे एक नीमहकीम के पास ले गई. नीमहकीम ने टीना से कुछ सवाल पूछे, जिस का उस ने जवाब दे दिया. इस दौरान ही उस नीमहकीम ने यह पता लगा लिया था कि टीना को माहवारी हुए आज 14वां दिन है, इसलिए वह बोला, ‘‘तुम्हारे अंग की जांच करनी पड़ेगी.’’

‘‘ठीक है, डाक्टर साहब. मैं कब आऊं?’’ टीना ने पूछा.

‘‘जांच आज ही करा लो, तो अच्छा रहेगा,’’ नीमहकीम ने कहा, तो टीना राजी हो गई.

तब वह नीमहकीम टीना को अंदर के कमरे में ले गया, फिर बोला, ‘‘आप थोड़ी देर यहीं बैठिए और इस थर्मामीटर को 5 मिनट तक अपने अंग में लगाइए.’’

टीना ने ऐसा ही किया.

5 मिनट बाद डाक्टर आया. उस के एक हाथ में अंग फैलाने का औजार और दूसरे हाथ में एक इंजैक्शन था, जिस में कोई दवा भरी थी, जिसे देख कर टीना ने पूछा, ‘‘यह क्या है डाक्टर साहब?’’ ‘‘इस से तुम्हारे अंग की दूसरी जांच की जाएगी,’’ कह कर नीमहकीम ने टीना से थर्मामीटर ले लिया और टीना को मेज पर लिटा दिया. इस के बाद वह उस के अंग में औजार लगा कर जांच करने लगा.

जांच के बहाने नीमहकीम ने टीना के अंग में इंजैक्शन की दवा डाल दी और कहा, ‘‘कल फिर अपनी जांच कराने आना.’’ टीना अभी तक घबरा रही थी, मगर आसान जांच देख कर खुश हुई. फिर दूसरे दिन भी यही हुआ. मगर उस दिन इंजैक्शन को अंग में आगेपीछे चलाया गया था. इस के बाद उसे 14 दिन बाद आने को कहा गया.

टीना जब 14 दिन बाद नीमहकीम के पास गई, तब वह सचमुच मां बनने वाली थी.

यह जान कर टीना बहुत खुश हुई. मगर जब यही खुशी उस ने अपने पति शरद को सुनाई, तो वह नाराज हो गया.

‘‘बता किस के पास गई थी?’’ शरद चीख पड़ा.

‘‘यह मेरा बच्चा नहीं है. मैं ने कल ही अपनी जांच कराई थी. डाक्टर का कहना है कि मेरे शरीर में बच्चा पैदा करने की ताकत ही नहीं है. तब मैं बाप कैसे बन गया?’’ शरद ने कहा.

शरद के मुंह से यह सुनते ही टीना सब माजरा समझ गई. वह जान गई कि नीमहकीम ने जांच के बहाने उस के अंग में अपना वीर्य डाल दिया था. मगर अब क्या हो सकता था. टीना औलाद के नाम पर ठगी जा चुकी थी. आज के जमाने में औलाद पैदा करने की कई विधियों का विकास हो चुका है. परखनली से भी कई बच्चे पैदा हो चुके हैं. यह सब विज्ञान के चलते मुमकिन हुआ है. फिर भी लोग पुराने जमाने में जीते हुए ऐसे धोखेबाजों के पास बच्चा मांगने जाते हैं. इस से बढ़ कर दुख की बात और क्या हो सकती है.

जिगोलो बनने के चक्कर में हो गया अपहरण

सोहेल हाशमी रोजाना की तरह 8 अक्तूबर, 2016 को भी अपने घर आए अखबार को पढ़ रहा था. अखबार पढ़ते पढ़ते उस की नजर एक पेज पर छपे विज्ञापन पर पड़ी. उस विज्ञापन को पढ़ कर सोहेल चौंका. लिखा था मेल एस्कौर्ट बन कर रोजाना 25 हजार रुपए कमाएं. सोहेल जानता था कि जिस तरह कालगर्ल्स होती हैं, उसी तरह का काम मेल एस्कौर्ट का होता है. विज्ञापन में जो आमदनी दी गई थी, वह उसे आकर्षित कर रही थी.

28 वर्षीय सोहेल ने उस विज्ञापन को कई बार पढ़ा. उस समय वह आर्थिक परेशानी से जूझ रहा था. अपने परिवार के साथ वह दिल्ली के शाहदरा की बिहारी कालोनी स्थित जिस 2 कमरों के मकान में रहता था, उस का किराया भी वह कई महीनों से नहीं दे पाया था. उस के दिमाग में आया कि अगर वह मेल एस्कौर्ट का काम शुरू कर दे तो उसे अलग अलग महिलाओं के साथ मौजमस्ती करने को तो मिलेगा ही, साथ ही मोटी कमाई भी होगी, इसलिए वह मानसिक रूप से यह काम करने के लिए तैयार हो गया.

विज्ञापन में जो फोन नंबर दिया गया था, सोहेल ने उस नंबर पर फोन किया. उस नंबर पर घंटी तो गई, पर किसी ने फोन नहीं उठाया. उस ने यह कोशिश कई बार की, पर किसी ने भी उस की काल रिसीव नहीं की तो वह निराश हो गया. बड़ी उम्मीद के साथ सोहेल ने फोन किया था. फोन रिसीव न होने से वह मन ही मन विज्ञापन देने वाले को कोसने लगा.

अगले दिन सोहेल घर के किसी काम में व्यस्त था, तभी उस के मोबाइल की घंटी बजी. स्क्रीन पर आए नंबर को देख कर उस की आंखों में चमक आ गई. वह नंबर वही था, जिस पर उस ने एक दिन पहले फोन किया था. सोहेल ने झट से काल रिसीव कर के बात की. फोन करने वाले ने उसे मेल एस्कौर्ट अर्थात जिगोलो का मतलब समझाया तो सोहेल ने कह दिया कि वह यह काम करने को तैयार हैं.

इस के बाद फोन करने वाले ने कहा, ‘‘एक अंतरराष्ट्रीय प्रोजैक्ट के सिलसिले में विदेशी आए हैं. आप को उन के साथ जाना है. लेकिन इस से पहले इंटरव्यू देना होगा. अगर आप इंटरव्यू में पास हो गए तो समझो ऐश और कैश दोनों मिलेंगे.’’

सोहेल सिर्फ यह देख रहा था कि जिगोलो बनने से क्या क्या फायदे हैं, इसलिए वह खुश हो कर बोला, ‘‘मैं इंटरव्यू के लिए तैयार हूं, मुझे कहां आना होगा?’’

‘‘आप कल उत्तर प्रदेश के कस्बा गजरौला पहुंच जाओ. वहां पहुंच कर फोन कर देना. हमारा आदमी औफिस तक ले आएगा.’’ फोन करने वाले ने कहा.

‘‘ठीक है, मैं कल गजरौला पहुंच जाऊंगा.’’ सोहेल ने खुश हो कर कहा.

अगले दिन सोहेल इंटरव्यू देने के लिए तैयार हुआ और शाहदरा से बस द्वारा आनंद विहार पहुंच गया. वहां से उस ने गजरौला जाने वाली बस पकड़ी और ढाई घंटे में गजरौला पहुंच गया. उस ने उस नंबर पर फोन कर के अपने गजरौला पहुंचने की खबर दे दी.

कुछ देर बाद सोहेल के पास 2 मोटरसाइकिल सवार पहुंचे. उन्होंने उस का बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया. साथ ही खुद को एक ऐसी कंपनी का कर्मचारी बताया, जिस में विदेशी काम करते थे. दोनों युवक सोहेल को मोटरसाइकिल पर बिठा कर सूरज ढलने तक इधरउधर गांव में घुमाते रहे, अंधेरा होने पर वे उसे जंगल में ले गए.

सोहेल ने जंगल में जाने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उन का औफिस एक खेत में इसलिए बनाया गया है, ताकि आसपास के गांवों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारियां मिल सकें. कुछ देर में वे उसे खेत में बने एक ट्यूबवैल के कमरे पर ले कर पहुंचे. लेकिन वहां औफिस जैसा कुछ नहीं था.

इस से पहले कि सोहेल उन दोनों से कुछ पूछता, उन्होंने उसे कमरे में धकेल कर उस की पिटाई शुरू कर दी. उन्होंने उस की कनपटी पर पिस्तौल रख कर धमकी दी कि अगर उस ने भागने की कोशिश की तो उसे गोरी मार दी जाएगी.

सोहेल समझ गया कि वह गलत लोगों के बीच फंस गया है. उन के चंगुल से निकलना उसे मुश्किल लग रहा था. थोड़ी देर में 3 युवक और आ गए. उन के हाथों में तलवारें थीं. उन्हें देख कर सोहेल डर से कांपते हुए जान की भीख मांगने लगा. तभी एक युवक ने उस के गले पर तलवार रख कर उस का मोबाइल फोन छीन लिया.

इस के बाद वे उस की मां का नंबर पूछ कर चले गए. जो 2 युवक कमरे में बचे थे, वे सोहेल को रात भर तरहतरह से प्रताडि़त करते रहे. अगले दिन उन लोगों ने सोहेल की मां को फोन कर के 12 लाख रुपए की फिरौती मांगी. घर वालों को जब पता चला कि सोहेल का अपरहण हो चुका है तो वे घबरा गए. 12 लाख रुपए की फिरौती देना उन के वश की बात नहीं थी, इसलिए उन्होंने थाना शाहदरा की पुलिस को इस की सूचना दे दी. पुलिस ने वह फोन नंबर नोट कर लिया, जिस से फिरौती के लिए फोन आया था. पुलिस ने सोहेल के घर वालों से कह दिया कि वे अपहर्त्ताओं से संपर्क बनाए रखें.

थानाप्रभारी ने यह सूचना ईस्ट दिल्ली के डीसीपी ऋषिपाल को दी तो उन्होंने एक पुलिस टीम बना कर शीघ्रता से जरूरी काररवाई करने के निर्देश दिए. एसआई विजय बालियान के नेतृत्व में गठित टीम मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर गजरौला पहुंच गई. अंतत: टेक्निकल सर्विलांस की मदद से दिल्ली पुलिस की टीम ने खेतों के बीच बने ट्यूबवैल के एक कमरे से सोहेल को अपहर्त्ताओं के चंगुल से सकुशल बरामद कर लिया. दोनों अपहर्त्ता भी पकड़े गए. उन की निशानदेही पर पुलिस ने उन के 3 अन्य साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया.

जिगोलो बनने के चक्कर में सोहेल को क्या क्या यातनाएं झेलनी पड़ीं, उन्हें याद कर के वह सिहर उठता है. उस ने तौबा कर ली है कि पैसे कमाने के लिए वह इस तरह का कोई हथकंडा नहीं अपनाएगा.

पटरियों पर बलात्कार : समाज में होता अपराध – भाग 2

राक्षसों की दयानतदारी भी कितनी भारी पड़ती है, इस का अहसास अनामिका को कुछ देर बाद हुआ. लगभग एक घंटे तक ज्यादती करने के बाद अमर और गोलू ने तय किया कि अनामिका को यूं निर्वस्त्र छोड़ा जाना ठीक नहीं, इसलिए उस के लिए कपड़ों का इंतजाम किया जाए. नशे में डूबे इन हैवानों की यह दया अनामिका पर और भारी पड़ी.

गोलू ने अमर को अनामिका की निगरानी करने के लिए कहा और खुद अनामिका के लिए कपड़े लेने गोविंदपुरा की झुग्गियों की तरफ चला गया. वहां उस के 2 दोस्त राजेश और रमेश रहते थे. गोलू ने उन से एक जोड़ी लेडीज कपड़े मांगे तो इन दोनों ने इस की वजह पूछी. इस पर गोलू ने सारा वाकया उन्हें बता दिया.

गोलू की बात सुन कर राजेश और रमेश की हैवानियत भी जाग उठी. वे दोनों कपड़े ले कर गोलू के साथ उसी पुलिया के नीचे पहुंच गए, जहां अनामिका निर्वस्त्र पड़ी थी.

अनामिका अब लाश सरीखी बन चुकी थी. उन चारों में से कोई जा कर स्टेशन के बाहर से चाय और गांजा ले आया. इन्होंने छक कर चाय गांजे की पार्टी की और बेहोशी और होश के बीच झूल रही अनामिका के साथ अमर और गोलू ने एक बार फिर ज्यादती की. फूल सी अनामिका इस ज्यादती को झेल नहीं पाई और बेहोश हो गई.

जब वासना का भूत उतरा तो इन चारों ने अनामिका को जान से मार डालने का मशविरा किया, जिसे इन में से ही किसी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि रहने दो, लड़की किसी को कुछ नहीं बता पाएगी, क्योंकि यह तो हमें जानती तक नहीं है. बेहोश पड़ी अनामिका इन चारों की नजर में मर चुकी थी, इसलिए चारों अपने साथ लाए कपड़े उस के पास फेंक कर फरार हो गए और अनामिका से लूटे सामान का आपस में बंटवारा कर लिया.

थोड़ी देर बाद अनामिका को होश आया तो वह कुछ देर इन के होने न होने की टोह लेती रही. उसे जब इस बात की तसल्ली हो गई कि बदमाश वहां नहीं हैं तो उस ने जैसेतैसे उन के लाए कपडे़ पहने और बड़ी मुश्किल से महज 100 फीट दूर स्थित जीआरपी थाने पहुंची.

पुलिस ने नहीं किया सहयोग

थाने का स्टाफ उसे पहचानता था. मौजूदा पुलिसकर्मियों से उस ने कहा कि पापा से बात करा दो तो एक ने उस के पिता को नंबर लगा कर फोन उसे दे दिया. फोन पर सारी बात तो उस ने पिता को नहीं बताई, सिर्फ इतना कहा कि आप तुरंत यहां थाने आ जाइए.

बेटी की आवाज से ही पिता समझ गए कि कुछ गड़बड़ है इसलिए 15 मिनट में ही वे थाने पहुंच गए. पिता को देख कर अनामिका कुछ देर पहले की घटना और तकलीफ भूल उन से ऐसे चिपट गई मानो अब कोई उस का कुछ नहीं बिगाड़ सकता.

बेटी की नाजुक हालत देख पिता उसे घर ले आए और फोन पर पत्नी को भी तुरंत भोपाल पहुंचने को कहा तो वह भी भोपाल के लिए रवाना हो गईं. देर रात मां वहां पहुंची तो कुछकुछ सामान्य हो चली अनामिका ने उन्हें अपने साथ हुई ज्यादती की बात बताई. जाहिर है, सुन कर मांबाप का कलेजा दहल उठा.

बेटी की एकएक बात से उन्हें लग रहा था कि जैसे कोई धारदार चाकू से उन के कलेजे को टुकड़ेटुकडे़ कर निकाल रहा है. चूंकि रात बहुत हो गई थी और भोपाल में मध्य प्रदेश स्थापना दिवस की तैयारियां चल रही थीं, इसलिए उन्होंने तय किया कि सुबह होते ही सब से पहला काम पुलिस में रिपोर्ट लिखाने का करेंगे, जिस से अपराधी पकड़े जाएं.

इधर से उधर टरकाती रही पुलिस

अनामिका के मातापिता अगली सुबह ही कोई साढ़े 10 बजे एमपी नगर थाने पहुंचे. खुद को बेइज्जत महसूस कर रही अनामिका को उम्मीद थी कि थाने पहुंच कर फटाफट आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो जाएगी. एमपी नगर थाने में इन तीनों ने मौजूद सबइंसपेक्टर आर.एन. टेकाम को आपबीती सुनाई.

तकरीबन आधे घंटे तक इस सबइंसपेक्टर ने अनामिका से उस के साथ हुई ज्यादती के बारे में पूछताछ की लेकिन रिपोर्ट लिखने के बजाय वह इन तीनों को घटनास्थल पर ले गया. घटनास्थल का मुआयना करने के बाद टेकाम ने उन पर यह कहते हुए गाज गिरा दी कि यह जगह तो हबीबगंज थाने में आती है, इसलिए आप वहां जा कर रिपोर्ट लिखाइए.

यह दरअसल में एक मानसिक और प्रशासनिक बलात्कार की शुरुआत थी. लेकिन दिलचस्प इत्तफाक की बात यह थी कि ये तीनों जब एमपी नगर से हबीबगंज थाने की तरफ जा रहे थे, तब हबीबगंज रेलवे स्टेशन के बाहर सामने की तरफ से गुजरते अनामिका की नजर गोलू पर पड़ गई. रोमांचित हो कर अनामिका ने पिता को बताया कि जिन 4 लोगों ने बीती रात उस के साथ दुष्कर्म किया था, उन में से एक यह सामने खड़ा है. इतना सुनते ही उस के मातापिता ने वक्त न गंवाते हुए गोलू को धर दबोचा.

गोलू का इतनी आसानी और बगैर स्थानीय पुलिस की मदद से पकड़ा जाना एक अप्रत्याशित बात थी. अब उन्हें उम्मीद हो गई कि अब तो बाकी इस के तीनों साथी भी जल्द पकडे़ जाएंगे. गोलू को दबोच कर ये तीनों हबीबगंज थाने पहुंचे. हबीबगंज थाने के टीआई रवींद्र यादव को एक बार फिर अनामिका को पूरा हादसा बताना पड़ा.

रवींद्र यादव ने गोलू से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने अपने साथियों के नामपते भी बता दिए. उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए आला अफसरों को भी वारदात के बारे में बता दिया. टीआई उन तीनों को ले कर फिर घटनास्थल पहुंचे. हबीबगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई पर अच्छी बात यह थी कि मुजरिमों के बारे में काफी कुछ पता चल गया था. आला अफसरों के सामने भी अनामिका को दुखद आपबीती बारबार दोहरानी पड़ी.

रवींद्र यादव ने हबीबगंज जीआरपी को भी फोन किया था, लेकिन वहां से कोई पुलिस वाला नहीं आया. सूरज सिर पर था लेकिन अनामिका और उस के मातापिता की उम्मीदों का सूरज पुलिस की काररवाई देख ढलने लगा था. बारबार फोन करने पर जीआरपी का एक एएसआई घटनास्थल पर पहुंचा लेकिन उस का आना भी एक रस्मअदाई साबित हुआ. जैसे वह आया था, सब कुछ सुन कर वैसे ही वापस भी लौट गया.

इस के कुछ देर बाद हबीबगंज जीआरपी के टीआई मोहित सक्सेना घटनास्थल पर पहुंचे. उन के और रवींद्र यादव के बीच घंटे भर बहस इसी बात पर होती रही कि घटनास्थल किस थाना क्षेत्र में आता है. इस दौरान अनामिका और उस के मांबाप भूखेप्यासे उन की बहस को सुनते रहे कि थाना क्षेत्र तय हो तो एफआईआर दर्ज हो और काररवाई आगे बढ़े. आखिरी फैसला यह हुआ कि अनामिका गैंगरेप का मामला हबीबगंज जीआरपी थाने में दर्ज होगा.

अब तक रात के 8 बज चुके थे. अनामिका के पिता को बेटी की चिंता सताए जा रही थी, जो थकान के चलते सामान्य ढंग से बातचीत भी नहीं कर पा रही थी. तमाम पुलिस वालों के सामने अनामिका को अपने साथ घटी घटना दोहरानी पड़ी. यह सब बताबता कर वह इस तरह अपमानित हो रही थी, जैसे उस ने अपराध खुद किया हो.

थाई मसाज की आड़ में : जिस्मफरोशी का काला धंधा – भाग 2

दिनेश ने उस युवती के साथ चलते हुए एकदो कमरों में झांक कर देखा तो वहां की भव्यता देख कर दंग रह गए. युवती उन्हें एक कमरे में ले गई, जहां बैठी एक लड़की मोबाइल पर गेम खेल रही थी. लड़की की ओर इशारा कर के युवती ने कहा, ‘‘यह बेबी मिजोरम की है.’’

दिनेश की ओर दिलकश अदा से देखते हुए मिजोरम वाली लड़की ने कहा, ‘‘हाय हैंडसम.’’

दिनेश ने उस लड़की की ओर उपेक्षा से देखते हुए साथ आई युवती से कहा, ‘‘आप तो फौरनर ब्यूटी की बात कह रही थीं?’’

युवती ने अर्थपूर्ण मुसकराहट के साथ पूछा, ‘‘यह आइटम आप को पसंद नहीं आया?’’

दिनेश ने कुछ नहीं कहा तो युवती उन्हें दूसरे कमरे में ले गई, जहां 3 लड़कियां बैठी आपस में बातें कर रही थीं. युवती ने उन की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘जनाब, ये थाइलैंड की गर्ल्स हैं. आप इन में से पसंद कर लीजिए. आप कौन सी बेबी से मसाज कराना चाहेंगे? यह भी बता दीजिए कि आप फुल बौडी मसाज कराएंगे या केवल सिर की और कितनी देर की?’’

दिनेश ने उन में से एक लड़की को पसंद कर के अपने पास बुलाया. थाईलैंड की उस लड़की ने इशारों में सैक्स करने की बात कही तो नीचे से आई लड़की ने सैक्स के लिए 10 हजार रुपए मांगे. दिनेश ने रकम ज्यादा बताई तो सौदा 5 हजार रुपए में तय हो गया.

सौदा तय होने के बाद साथ आई युवती ने दिनेश से थाइलैंड की लड़की को एक कमरे में ले जाने को कहा. दिनेश चलने को हुए तभी जैसे उन्हें कुछ याद आया हो. उन्होंने कहा, ‘‘ओह सौरी, मैं नीचे सोफे पर अपना मोबाइल भूल आया हूं. पहले उसे ले आता हूं.’’

वह युवती कुछ कहती, उस के पहले ही दिनेश तेजी से सीढि़यां उतर कर ग्राउंड फ्लोर पर आ गए. सिगरेट पीने के बहाने वह बाहर आए और गोपालस्वरूप मेवाड़ा को मोबाइल फोन से अलर्ट कर दिया. एडीशनल एसपी साहब को उन्हीं के फोन का इंतजार था.

उन्होंने पहले से गठित टीम में शामिल सीओ सिटी राजेंद्र त्यागी, कोतवाली प्रभारी बिरदीचंद गुर्जर, थाना सदर के थानाप्रभारी यशदीप भल्ला, थाना सुभाषनगर के थानाप्रभारी प्रमोद शर्मा, थाना हमीरगढ़ के थानाप्रभारी गजराज चौधरी और एसआई पुष्पा कासोटिया आदि को स्पा पैलेस पर छापा मारने के लिए भेज दिया.

कुछ ही देर में पुलिस की कई गाडि़यों से आए पुलिस वालों ने स्पा पैलेस को घेर लिया. मसाज पार्लर की तलाशी में थाइलैंड की 3 और मिजोरम की एक लड़की को गिरफ्तार कर लिया गया. इन के साथ स्पा पैलेस के मैनेजर नवीन शर्मा और उस की एक सहयोगी महिला को भी गिरफ्तार किया गया.

मैनेजर नवीन शर्मा मूलत: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले का रहने वाला था. वह भीलवाड़ा में शास्त्रीनगर में रहता था. पुलिस सभी को थाने ले आई. पुलिस को हैरानी हो रही थी कि 10 दिन पहले ही कोटा में थाइलैंड की लड़कियां मसाज पार्लर की आड़ में अनैतिक कार्य करते हुए पकड़ी गई थीं, इस के बावजूद भीलवाड़ा में मसाज पार्लर चलाने वाले थाइलैंड की लड़कियों से अनैतिक धंधा करा रहे थे.

जांच में पता चला कि स्पा पैलेस नाम से मसाज का लाइसैंस मध्य प्रदेश के रतलाम शहर के रहने वाले व्यवसाई सुनील गोवानी के नाम था. सुनील के मध्य प्रदेश के शहर रतलाम, उज्जैन, इंदौर, नागदा, नीमच सहित राजस्थान के कई शहरों में मसाज पार्लर चल रहे थे. उसी ने थाइलैंड की इन लड़कियों को भीलवाड़ा पहुंचाया था. उस ने मिजोरम की लड़की के माध्यम से थाइलैंड की लड़कियों से संपर्क किया था. उस के बाद उन का वीजा तैयार करवाया था.

थाइलैंड से 2 लड़कियां इसी 8 जून को मुंबई उतरी थीं, जबकि एक लड़की 23 जून को हैदराबाद उतरी थी. इन सब को मुंबई और हैदराबाद से भीलवाड़ा लाया गया था. थाइलैंड की ये लड़कियां 3 महीने के टूरिस्ट वीजा पर भारत आई थीं. पुलिस को इन के पासपोर्ट मिले हैं. थाइलैंड की लड़कियों से पूछताछ में पुलिस को भाषा की परेशानी आई, क्योंकि ये हिंदी नहीं समझती थीं, लेकिन अंगरेजी फर्राटे से बोल रही थीं.

पूछताछ में पता चला कि थाइलैंड की ये तीनों लड़कियां पहली बार भारत आई थीं. वे मोटी कमाई के लालच में देहव्यापार में धकेल दी गई थीं. जबकि वहीं मिजोरम वाली लड़की इस के पहले इंदौर स्थित सुनील के स्पा में काम कर चुकी थी. भीलवाड़ा के इस पार्लर पर दिल्ली, मुंबई और कोलकाता से भी लड़कियां आ चुकी हैं.

सुनील गोवानी के इस काम में भीलवाड़ा के शास्त्रीनगर का रहने वाला मनोज लालवानी भी जुड़ा था. उस की शास्त्रीनगर में इलैक्ट्रिक के सामानों की दुकान है. वह रोजाना शाम को स्पा पैलेस आ कर मैनेजर नवीन शर्मा से उस दिन की कमाई ले जाता था, जिसे वह और गोवानी आपस में बांट लेते थे.

स्पा पैलेस पर काम करने वाली लड़कियां भीलवाड़ा के शास्त्रीनगर में किराए के मकान में रहती थीं. मकान का किराया ही नहीं, उन के खानेपीने के खर्च के साथ स्पा पैलेस तक आनेजाने के लिए जो वैन लगी थी, उस का खर्चा मनोज ही देता था.

इस स्पा पैलेस का उद्घाटन करीब सवा साल पहले फिल्म अभिनेत्री मोनिका बेदी ने किया था. पार्लर में औनलाइन बुकिंग भी होती थी. इस के लिए वेबसाइट भी बनी थी. पार्लर में थाइलैंड एवं मिजोरम से बुलाई गई लड़कियों को 25-25 हजार रुपए वेतन के साथ इंसेंटिव भी दिया जाता था.

पार्लर में रोजाना 10 से 30 ग्राहक आते थे. पार्लर में मसाज का जो ब्रोशर ग्राहक को दिखाया जाता था, उस में 30 मिनट, 60 मिनट, 90 मिनट एवं 120 मिनट के मसाज के अलगअलग रेट निर्धारित थे.

पार्लर में काम करने वाली लड़कियों को सवा से डेढ़ महीने में बदल दिया जाता था. उन के स्थान पर दूसरे पार्लर से लड़कियां बुला ली जाती थीं, ताकि ग्राहकों को नईनई लड़कियां मिलती रहें, जिस से पार्लर से ग्राहक जुड़े रहें. स्पा पैलेस में सदस्य बना कर भी ग्राहकों को जोड़ा जाता था.

इस के लिए 11 हजार रुपए सदस्यता ली जाती थी. ये सदस्यता 3 महीने के लिए होती थी. इस अवधि में मसाज की संख्या तय कर दी जाती थी. इस बीच उस से कोई पैसा नहीं लिया जाता था. पुलिस को पार्लर की तलाशी में एक फाइल मिली है, जिस में सदस्यों के फोटो के साथ पूरा ब्यौरा दिया था.