जिद ने बनाया हत्यारा : धर्मेंद्र और चैतन्य का कैसा था हठ

योगमाया साहू छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के किशनपुर में स्थित उपस्वास्थ्य केंद्र में एएनएम थी. वहीं पर उसे सरकारी क्वार्टर मिला हुआ था, जिस में वह अपने पति चैतन्य साहू और 2 बेटों तन्मय और कुणाल के साथ रहती थी. चैतन्य साहू भी रायपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी करता था. चूंकि दोनों पतिपत्नी कमा रहे थे, इसलिए घर में आर्थिक समस्या नहीं थी. परिवार खुशहाली से रह रहा था.

घर की साफसफाई और बरतन मांजने के लिए योगमाया ने त्यागी राणा नाम की एक बाई रख रखी थी. वह घर में झाड़ूपोंछा आदि काम निबटा कर चली जाती थी. घर के मुख्य दरवाजे की 2 चाबियां थीं. उन में से एक चाबी योगमाया ने बाई को दे रखी थी और एक को वह खुद अपने पास रखती थी.

बात पहली जून, 2018 की है. काम वाली बाई त्यागी राणा रोज की तरह उस दिन भी सुबह 6 बजे सफाई करने एएनएम योगमाया साहू के क्वार्टर पर पहुंची. घर के मुख्य दरवाजे पर ताला बाहर से लगा देख बाई त्यागी राणा को अजीब लगा. क्योंकि अमूमन गेट पर ताला अंदर की ओर से बंद रहता था.

अपने पास मौजूद चाबी से गेट का ताला खोल कर वह अंदर आई तो उस ने कमरे के दरवाजे को हलका सा धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया. कमरे में कोई नहीं था. उस के बाद आवाज लगाती हुई वह आंगन में पहुंची तो आंगन में खून देख कर वह घबरा गई और उलटे पांव चीखती हुई बाहर भागी.

वह सीधी स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद मितानिन हिरौंदी बाई साहू के पास पहुंची. वह उसी स्वास्थ्य केंद्र में नौकरी करती थी. उस ने उन्हें अपनी आंखों देखी बात बताई. स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद स्टाफ के लोग एएनएम योगमाया के क्वार्टर पर पहुंचे तो वहां का नजारा देख कर सभी चौंक गए. योगमाया साहू, पति चैतन्य साहू और उस के बड़े बेटे तन्मय की रक्तरंजित लाशें आंगन में पड़ी हुई थीं. दूसरे कमरे में छोटे बेटे कुणाल का खून से लथपथ शव खाट के एक कोने में पड़ा था.

स्वास्थ्य केंद्र में खबर देने के बाद बाई सरपंच सुरेश खुंटे के घर पहुंच गई. सरपंच ने जब सुना कि चैतन्य के घर में 4 हत्याएं हो चुकी हैं तो वह भी हैरान रह गए. पलभर में ही यह खबर पूरे किशनपुर में फैल गई. देखते ही देखते सैकड़ों तमाशबीन मौके पर पहुंच गए.

सूचना सरपंच सुरेश खुंटे ने पिथौरा थाने के थानाप्रभारी को फोन द्वारा दे दी. थानाप्रभारी रात की गश्त से लौट कर गहरी नींद में सो रहे थे. जैसे ही सरपंच का फोन आया तो उन की नींद काफूर हो गई. वह तुरंत सहयोगियों के साथ घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए.

थानाप्रभारी ने घटनास्थल पर पहुंच कर मौकामुआयना किया. उन्होंने सूचना आला अधिकारियों को दे दी. चौहरे हत्याकांड की सूचना पाने के कुछ देर बाद ही एसपी संतोष सिंह, एएसपी संजय धु्रव और एएसपी (प्रशिक्षु आईपीएस) उदय किरण घटनास्थल पर पहुंच गए.

पुलिस अधिकारियों ने मौकामुआयना किया. आंगन में फैला खून देख कर ऐसा लग रहा था जैसे घटना को 3-4 घंटे पहले अंजाम दिया गया हो. एएनएम योगमाया, उन के पति चैतन्य साहू और बड़े बेटे तन्मय की लाश एक साथ पड़ी थी. लाश से थोड़ी दूर खून से सना एक फावड़ा पड़ा था. लग रहा था कि हत्यारों ने इसी फावड़े से हत्या की थी.

कमरे में लोहे की अलमारी खुली पड़ी थी. उस का सामान फर्श और बिस्तर पर बिखरा पड़ा था. यह सब देख कर यही अनुमान लगाया जा रहा था कि हत्यारे शायद चोरी की नीयत से घर में घुसे होंगे. जैसे ही उन्होंने अलमारी का लौक खोलने की कोशिश की होगी तो खटपट की आवाज सुन कर घर के किसी सदस्य की आंख खुली होगी. इसी बीच घटना को अंजाम दिया गया होगा.

पुलिस ने घटना की सूचना मृतक चैतन्य के पिता बाबूलाल साहू को दे कर मौके पर बुला लिया. वह सांकरा में अकेले रहते थे. घटना से 2 दिन पहले ही यानी 30 मई, 2018 की शाम करीब 5 बजे बाबूलाल साहू कुछ रिश्तेदारों के साथ बेटा, बहू और पोतों से मिलने किशनपुर आए थे. 3-4 घंटे बच्चों के बीच बिताने के बाद रात वह करीब 9 बजे सांकरा वापस लौट गए थे.

एसपी संतोष सिंह ने बाबूलाल साहू से बेटे या बहू की किसी से कोई रंजिश या दुश्मनी की बात पूछी तो उन्होंने किसी से रंजिश या दुश्मनी होने से साफ इनकार कर दिया. पुलिस को पता चला कि मोहल्ले में चैतन्य या योगमाया साहू का व्यवहार बहुत अच्छा था. किसी के मुसीबत में होने पर दोनों पतिपत्नी उस की तीमारदारी करने उस के घर पहुंच जाते थे. इसलिए किशनपुर का एकएक बच्चा उन के व्यवहार से वाकिफ था.

जब ये इतने भले इंसान थे तो पुलिस यह नहीं समझ पा रही थी कि इस वारदात को किस ने अंजाम दिया, गुत्थी काफी उलझी और पेचीदगी से भरी थी. ध्यान देने वाली बात यह थी कि हत्यारों ने पुलिस को गुमराह करने के लिए घटना को लूटपाट में तब्दील करने की कोशिश की थी. घर की सारी वस्तुएं मौजूद मिलीं.

रायपुर से फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड टीम भी वहां पहुंची, लेकिन उस के हाथ कोई खास सफलता नहीं लगी. स्थानीय लोगों से पूछताछ में पता चला कि रात में चीखने की आवाज तो आ रही थी. उन्होंने यह सोच कर इस ओर ध्यान नहीं दिया कि अस्पताल है, प्रसव पीड़ा के समय यहां महिलाएं चीखती हैं. हो सकता है कोई महिला प्रसव पीड़ा से तड़प रही हो इसीलिए वह आवाज सुन कर भी अपने घरों से बाहर नहीं निकले और हत्यारे अपने काम पूरे कर गए.

पुलिस ने घटना की रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी. ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी को सुलझाने के लिए एसपी संतोष सिंह ने एएसपी संजय धु्रव के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया गया. एसआईटी में प्रशिक्षु आईपीएस उदय किरण, पिथौरा एसडीपीओ के अलावा क्राइम ब्रांच के 10 पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया. इस के अलावा पुलिस की 3 टीमों को पिथौरा से बाहर भेजा गया.

सनसनीखेज चौहरे हत्याकांड के खुलासे के लिए पुलिस हत्यारों की खोजबीन में भटक रही थी. घटना के 3 दिनों बाद यानी 3 जून की शाम को पुलिस ने शक के आधार पर किशनपुर के ही रहने वाले 3 व्यक्तियों को हिरासत में ले कर पूछताछ की. संदिग्धों से पूछताछ में जब कोई नतीजा नहीं निकला तो उन्हें सख्त हिदायत दे कर छोड़ दिया.

पुलिस ने जहां से जांच की काररवाई शुरू की थी, घूमफिर कर वहीं आ खड़ी हुई. पुलिस ने मृतक पतिपत्नी की काल डिटेल्स की जांच कर ली थी लेकिन उस में कोई काल संदिग्ध नहीं मिली. घटना की परिस्थितियों से साफ पता चल रहा था कि इस में कोई अपना शामिल है. लेकिन वह कौन है? पुलिस इसी बात का पता लगाने में जुटी हुई थी. जब पुलिस को कहीं से कोई सुराग हाथ नहीं लगा तो उस ने 4 जून को उसी एरिया के मोबाइल टावर के संपर्क में आने वाले फोन नंबरों की लिस्ट निकलवाई.

हजारों मोबाइल नंबरों की लोकेशन ट्रेस हुई. काफी मेहनत और मशक्कत के बाद उन नंबरों में से एक संदिग्ध नंबर सामने आया जो 30/31 मई की रात 2 से 3 बजे के बीच घटनास्थल पर मौजूद मिला था. उस के बाद बड़ी तेजी से उस की लोकेशन बदलती गई. पते की बात तो यह थी कि वही संदिग्ध नंबर चैतन्य साहू की काल डिटेल्स में भी पाया गया था. एक ही नंबर दोनों जगह पाए जाने से वह नंबर संदेह के घेरे में आ गया.

पुलिस ने उस संदिग्ध नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि वह नंबर किशनपुर के रहने वाले धर्मेंद्र बहिरा के नाम पर लिया गया था. धर्मेंद्र बहिरा के बारे में पुलिस को पता चला कि वह प्लंबर का काम करता है.

5 जून, 2018 को एसआईटी ने धर्मेंद्र बहिरा को उस के घर से दबोच लिया. एएसपी संजय धु्रव ने उस से सख्ती से पूछताछ शुरू की, ‘‘अच्छा, यह बताओ कि तुम साहू परिवार को कितने दिनों से जानते हो?’’

‘‘साहब, वे मेरे पड़ोसी थे, इसलिए मैं उन्हें लंबे समय से जानता हूं.’’ धर्मेंद्र ने हाथ जोड़ कर जवाब दिया.

‘‘तब तो उन के घर में तुम्हारी अंदर तक पैठ बनी होगी?’’ एएसपी ने फिर सवाल किया.

‘‘नहीं साहब, उन के यहां कभी- कभार जाना होता था. चैतन्य साहू एक बार मेरे पास प्लंबिंग का काम कराने के लिए आए थे.’’ उस ने बताया.

‘‘30/31 मई की रात में तुम कहां थे?’’ एएसपी ने अगला सवाल किया.

‘‘सर, मैं उस रात अपने घर पर था.’’ धर्मेंद्र बोला.

‘‘तुम अपने घर पर थे तो तुम्हारा मोबाइल साहू के घर क्या कर रहा था?’’ एएसपी संजय ने अंधेरे में तीर चलाया.

इतना सुन कर धर्मेंद्र सन्न रह गया. उन्होंने उस के चेहरे के उड़े रंग को भांप लिया था.

‘‘चलो, सीधे मुद्दे पर आते हैं. अच्छा यह बता दो कि तुम ने साहू परिवार का कत्ल क्यों किया? सहीसही बताना.’’ इस बार थानाप्रभारी दीपक चंद ने सवाल किया था.

‘‘साहब, यह झूठ है, मैं ने किसी को नहीं मारा है.’’ धर्मेंद्र ने जवाब दिया.

एएसपी संजय धु्रव और थानाप्रभारी दीपक चंद समझ गए कि यह आसानी से मानने वाला नहीं है. इस के बाद उन्होंने उस के साथ सख्ती से पूछताछ की तो वह पूरी तरह टूट गया और कबूल कर लिया कि उसी ने साहू परिवार के चारों सदस्यों को मौत के घाट उतारा है.

इस के बाद वह पूरी कहानी तोते की तरह बकता चला गया. पुलिसिया पूछताछ से पता चला कि वह बड़ा ही नराधम निकला, महज चंद रुपयों की खातिर उस ने हंसतेखेलते पूरे परिवार की जिंदगी छीन ली. पूछताछ में कहानी कुछ ऐसी सामने आई—

40 वर्षीय चैतन्य साहू मूलरूप से छत्तीसगढ़ के रायपुर का रहने वाला था. इसी जिले की आरंग की रहने वाली योगमाया से उस की शादी सन 2008 में हुई थी. शादी के बाद चैतन्य के 2 बच्चे हुए. उस की जिंदगी खुशियों से भरी हुई थी. वे दोनों बच्चों की ठीक से परवरिश करने में लगे थे.

शादी के 7 साल बाद चैतन्य की भी रायपुर के ओम अस्पताल में वार्डबौय की नौकरी लग गई थी. 3 साल तक उस ने वहां नौकरी की. शादी के 8 साल बाद जुलाई 2016 में उस की पत्नी योगमाया की भी नौकरी स्वास्थ्य विभाग में एएनएम पद पर लग गई. उस की पहली पोस्टिंग महासमुंद जिले के किशनपुर के उप स्वास्थ्य केंद्र में हुई थी, जिस के बाद से पतिपत्नी बच्चों सहित रायपुर छोड़ कर पिथौरा में रहने लगे.

योगमाया साहू को किशनपुर के उप स्वास्थ्य केंद्र में ही रहने के लिए क्वार्टर मिल गया था. थोड़े ही समय में पतिपत्नी ने अपने मृदुल व्यवहार से किशनपुर के नागरिकों को अपना मुरीद बना लिया था. योगमाया पीडि़त महिलाओं का खास खयाल रखती थी. प्रसव वेदना के समय वह तीमारदारों की हिम्मत बंधाती थी. यही नहीं, तीमारदारों के बुलाने पर दोनों पतिपत्नी उन के घर तक पहुंच जाते थे.

उप स्वास्थ्य केंद्र के पास में 28 वर्षीय धर्मेंद्र बहिरा अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में मांबाप और भाईबहन थे. वह अविवाहित था. धर्मेंद्र मेहनतकश इंसान था. वह एक अच्छा प्लंबर था. लोग उसे बुला कर अपने घरों में काम करवाते थे. योगमाया के यहां उस का आनाजाना था.

एक दिन की बात है. एएनएम योगमाया के क्वार्टर का नल खराब हो गया. चैतन्य ने धर्मेंद्र के घर जा कर क्वार्टर का नल ठीक करने को कह दिया. अगले दिन धर्मेंद्र ने योगमाया के क्वार्टर का नल ठीक कर दिया. इस काम की उस की मजदूरी डेढ़ सौ रुपए हुई थी. चैतन्य ने उसे अगले दिन आ कर पैसे ले जाने को कह दिया तो धर्मेंद्र बिना कुछ बोले मुसकरा कर वहां से चला गया.

अगले दिन धर्मेंद्र अपनी मजदूरी के पैसे लेने चैतन्य के क्वार्टर पर गया. चैतन्य घर पर ही था. उस ने कह दिया कि पैसे शाम में आ कर ले जाना, अभी मेमसाहब घर पर नहीं हैं. पैसे उन्हीं के पास रहते हैं. यह सुन कर धर्मेंद्र को बुरा लगा लेकिन पड़ोस की बात होने के नाते बिना कुछ कहे वापस लौट गया.

उस के बाद ऐसे करतेकरते कई दिन बीत गए. चैतन्य कोई न कोई बहाना बना कर उसे घर से वापस लौटा देता था लेकिन उसे पैसे नहीं दिए. चैतन्य अब इस बात पर आ कर अड़ गया कि 50 रुपए के काम के डेढ़ सौ रुपए क्यों दूं. मैं डेढ़ सौ नहीं केवल 50 रुपए ही दूंगा.

उस के बाद पैसों को ले कर चैतन्य और धर्मेंद्र के बीच विवाद छिड़ गया. धर्मेंद्र ने चैतन्य से कह दिया कि वह अपनी मजदूरी के डेढ़ सौ रुपए उस से वसूल कर के ही रहेगा. चैतन्य ने भी कह दिया कि वह जो चाहे कर ले, 50 रुपए से एक फूटी कौड़ी ज्यादा नहीं देगा. योगमाया भी पति के ही पक्ष में बोलने लगी. मजदूरी को ले कर दोनों के बीच बात बढ़ गई.

धर्मेंद्र ने सोच लिया कि वह अपनी मेहनत के पैसे ले कर रहेगा, चाहे कुछ भी हो जाए. धर्मेंद्र ने मन ही मन सोच लिया कि उसे अब क्या करना है. उस ने सोच लिया कि चैतन्य साहू मजदूरी के पैसे नहीं दे रहा है तो कोई बात नहीं, वह उस से इस के कई गुना वसूल कर लेगा.

दरअसल चैतन्य के क्वार्टर पर आतेजाते धर्मेंद्र उस के क्वार्टर के कोनेकोने से परिचित हो चुका था. उसे मालूम हो चुका था कि घर में कहांकहां कीमती चीजें रखी जाती हैं. उसे यह तक पता चल चुका था कि चैतन्य की पत्नी एएनएम योगमाया साहू के पास सोने और चांदी के कितने गहने हैं और वह कहां रखे हैं. उस ने अपनी मजदूरी के एवज में गहनों को चुराने की योजना बना ली.

योजना के मुताबिक 30-31 मई, 2018 की रात धर्मेंद्र बहिरा चैतन्य साहू के सरकारी क्वार्टर में चुपके से पीछे के रास्ते से घुस गया. उस ने अपने साथ फावड़ा ले रखा था ताकि मुसीबत के वक्त वह अपना बचाव कर सके. दबे पांव क्वार्टर में घुस कर उस ने कमरे का निरीक्षण किया. देखा कि सभी गहरी नींद में सो रहे थे. फिर वह बीच कमरे में रखी अलमारी के पास गया और अपनी मास्टर की से अलमारी खोलने लगा. चाबी की आवाज सुन कर चैतन्य की नींद टूट गई.

उठ कर वह उस ओर बढ़ा जिस ओर से खड़खड़ाहट की आवाज आ रही थी. चैतन्य कमरे में पहुंचा तो धर्मेंद्र को देख कर चौंक गया. धर्मेंद्र की नजर जब चैतन्य पर पड़ी, उसे सामने देखा तो उसे सांप सूंघ गया. वह बुरी तरह डर गया और घबरा गया कि अब उस की चोरी पकड़ी जाएगी.

इस घबराहट में उसे कुछ सूझा नहीं तो फावड़े से चैतन्य की गरदन पर ताबड़तोड़ कई वार कर दिए. वह चीखता हुआ फर्श पर जा गिरा. धड़ाम की आवाज सुन कर योगमाया की नींद टूट गई और कमरे में आ गई. फर्श पर पति को लहूलुहान देख कर उस के मुंह से चीख निकल पड़ी.

धर्मेंद्र योगमाया को सामने देख कर घबरा गया. घबराहट में उस ने योगमाया की भी गरदन पर फावड़े से ताबड़तोड़ वार कर उसे भी मौत के घाट उतार दिया. इसी बीच मां की आवाज सुन कर तन्मय भी उठ कर कमरे में आ गया और धर्मेंद्र को पहचान गया तो धर्मेंद्र ने उसे भी मौत के उतार दिया. उस के बाद तीनों की लाशें घसीट कर आंगन में ले गया.

चैतन्य का एक और बेटा कुणाल जिंदा था और वह कमरे में अभी भी सो रहा था. धर्मेंद्र को डर था कि कुणाल उसे पहचानता है. कहीं वह जिंदा बच गया और उस ने भांडा फोड़ दिया तो उसे जेल जाना पड़ सकता है. उस समय धर्मेंद्र की मति ऐसी मारी जा चुकी थी कि वह इतना तक नहीं समझ सका कि जब गहरी नींद में सो रहे कुणाल ने उसे वारदात करते देखा ही नहीं है तो वह उस का नाम क्यों लेगा.

फिर क्या था विवेकहीन हो चुका धर्मेंद्र उस कमरे में जा पहुंचा, जहां कुणाल सोया था. उस ने सोते हुए कुणाल पर फावड़े से वार कर उसे भी मौत के घाट उतार दिया और लाश उसी बिस्तर पर छोड़ दी. चारों को मौत के घाट उतारने के बाद दरिंदा बन चुके धर्मेंद्र को होश आया तो उस के होश फाख्ता हो गए. चारों ओर खून ही खून देख कर वह घबरा गया और फावड़ा आंगन में ही छोड़ कर मौके से फरार हो गया. अब उसे पश्चाताप हो रहा था कि आवेश में आ कर वह कितना बड़ा गुनाह कर बैठा.

चंद रुपयों के लिए उस ने हंसतेखेलते परिवार की दुनिया ही उजाड़ दी. लेकिन उस के पश्चाताप करने से अब क्या फायदा होने वाला था. जो होना था सो तो हो चुका था. साहू परिवार की दुनिया ही उजड़ चुकी थी.

5 जून, 2018 को पुलिस ने धर्मेंद्र बहिरा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. जेल में बंद धर्मेंद्र अपने किए पर पश्चाताप के आंसू बहा रहा था. काश, धर्मेंद्र पहले ही सोचसमझ कर कदम उठाता तो आज साहू परिवार दुनिया में सांस ले रहा होता.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

अपहरण का नया स्टाइल : जेल में बनाई कमाई की योजना

राजीव कुमार नोएडा स्थित एचसीएल कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर थे. वैसे वह हरिद्वार के अंतर्गत नंदग्राम के मूल निवासी थे. उन की नौकरी नोएडा में थी इसलिए वह पत्नी और बच्चों के साथ नोएडा में ही रह रहे थे. उन के बच्चों के स्कूल की छुट्टियां चल रही थीं. पत्नी और बच्चे नंदग्राम (हरिद्वार) गए हुए थे.

बीवीबच्चों के चले जाने के बाद राजीव नोएडा स्थित अपने फ्लैट पर अकेले रह गए थे. 24 मई को राजीव कुमार का जन्मदिन था. उन्होंने जन्मदिन अपने बीवीबच्चों के साथ नंदग्राम में मनाने का प्रोग्राम बनाया. उन्होंने सोचा कि 23 मई को ड्यूटी करने के बाद वह सीधे हरिद्वार के लिए निकल जाएंगे.

उन्होंने यही किया भी. 23 मई को ड्यूटी खत्म होने के बाद वह कंपनी की कैब से नोएडा से गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन पहुंच गए. यहां से उन्हें बस द्वारा हरिद्वार जाना था. लिहाजा वह वहीं पर खड़े हो कर हरिद्वार जाने वाली बस का इंतजार करने लगे.

वहां खड़ेखडे़ उन्हें काफी देर हो गई लेकिन हरिद्वार जाने वाली कोई बस नहीं आई. वह परेशान थे कि घर कैसे पहुंचेंगे. रात करीब सवा 12 बजे उन के सामने एक कार आ कर रुकी. कार का चालक हरिद्वार जाने की आवाज लगाने लगा. साथ ही वह वहां मौजूद लोगों से हरिद्वार जाने के बारे में पूछने भी लगा.

ड्राइवर ने जब राजीव से हरिद्वार जाने के बारे में पूछा तो उन्होंने पहले तो मना कर दिया. लेकिन जब कार की तरफ देखा तो उन्हें पहले से ही कुछ सवारियां बैठी दिखाई दीं. इस से राजीव को तसल्ली हो गई कि यदि वह कार से जाएं तो वह अकेली सवारी नहीं होंगे. साथ में दूसरी सवारी भी रहेंगी. इस के बाद वह उस कार में बैठ गए.

राजीव कार की पिछली सीट पर बैठे थे. उन के अगलबगल भी सवारियां थीं. कार चलने के बाद राजीव ने सोचा कि वह 3 साढ़े 3 घंटे में हरिद्वार पहुंच जाएंगे. अभी कार गाजियाबाद से कुछ दूर ही पहुंची थी कि राजीव के पास बैठे व्यक्तियों ने उन के ऊपर काला कपड़ा डाल कर चाकू सटाते हुए चेतावनी दी, ‘‘ज्यादा होशियार बनने की जरूरत नहीं है. चुपचाप ऐसे ही बैठे रहो, वरना अपनी जान गंवा बैठोगे.’’

राजीव समझ गए कि वह बदमाशों के चंगुल में फंस चुके हैं. उन हथियारबंद बदमाशों से वह अकेले मुकाबला नहीं कर सकते थे. लिहाजा उन्होंने बदमाशों से बड़े प्यार से कहा, ‘‘देखिए मेरा हरिद्वार पहुंचना बहुत जरूरी है. आप लोगों को मुझ से जो कुछ चाहिए ले लो, लेकिन मुझे छोड़ दो.’’

इस के बाद एक बदमाश ने राजीव की तलाशी ले कर उन का फोन और पर्स अपने कब्जे में ले लिया. पर्स में कुछ रुपए थे. दोनों चीजें अपने पास रखते हुए एक बदमाश बोला, ‘‘हम तुम्हें छोड़ तो देते लेकिन हमें जितने रुपए चाहिए, उतने तुम्हारे पर्स में नहीं हैं. यदि उतने पैसे हमें मिल जाएं तो हम तुम्हें छोड़ देंगे.’’

‘‘बताइए, आप को कितने पैसे चाहिए.’’ राजीव ने पूछा.

‘‘हमें 15 लाख रुपए चाहिए.’’ चलती कार में ही बदमाश बोला.

‘‘यह तो बहुत ज्यादा है. हमारी हैसियत इतने पैसे देने की नहीं है.’’ राजीव कुमार बोले.

‘‘तुम इस की चिंता मत करो. पैसे कहां से और कैसे आने हैं, इस बात को हम अच्छी तरह से जानते हैं. तुम खुद देखना कि तुम्हारे घर वाले हमारे पास पैसे किस तरह पहुंचाएंगे.’’ बदमाश बोला.

रात में सड़कों पर वह कई घंटे तक कार को घुमाते रहे, फिर वे राजीव को एक कमरे में ले गए और उन के हाथपैर बांध कर एक बोरे में बंद कर दिया. फिर बोरे को कमरे में रखी सेंट्रल टेबल के नीचे डाल दिया. इस से पहले बदमाशों ने राजीव से उन के घर वालों के फोन नंबर हासिल कर लिए थे. बदमाशों ने जिस इलाके में राजीव को बंधक बना कर रखा था, उन्होंने वहां से कहीं दूर जा कर राजीव के फोन से ही उन की पत्नी को फोन किया.

पत्नी को पता नहीं था कि उन के पति का अपहरण कर लिया गया है. इसलिए वह अपने फोन की स्क्रीन पर पति का नाम देखते ही बोलीं, ‘‘कैसे हो और घर कब तक पहुंचोगे?’’

‘‘वो घर पर अभी नहीं पहुंचेंगे. राजीव अब हमारे कब्जे में हैं. अगर तुम लोग उन्हें चाहते हो तो हमें 15 लाख रुपए दे दो.’’ बदमाश बोला.

‘‘आप कौन हैं और कहां से बोल रहे हैं.’’ पत्नी ने घबराते हुए पूछा.

‘‘तुम हमारा इतिहास जानने की कोशिश मत करो. जितना कह रहे हैं, समझ जाओ और पैसों का इंतजाम कर लो. बाकी बात मैं वाट्सऐप से करूंगा.’’ कह कर बदमाश ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

पति के अपहरण की बात सुनते ही राजीव की पत्नी परेशान हो गईं. उन्होंने फोन कर के पति के अपहरण की बात अपने ससुरालियों और मायके वालों को बता दी. इस के बाद घर के सभी लोग बहुत परेशान हो गए. अपहर्त्ताओं ने फोन कर के 15 लाख रुपए का इंतजाम करने की बात कही थी. पैसे कहां पहुंचाए जाएं, यह उन्होंने नहीं बताया था.

चूंकि अपहर्त्ता ने वाट्सऐप द्वारा बात करने को कहा था, इसलिए राजीव की पत्नी ने पति के फोन पर वाट्सऐप मैसेज भेज कर पूछा, ‘‘मेरे पति कैसे हैं, क्या उन से हमारी बात हो सकती है. उन का एक फोटो भी भेज दीजिए.’’

‘‘वो बिलकुल ठीक हैं. तुम लोगों ने पैसों का इंतजाम किया या नहीं.’’ अपहर्त्ता ने कहा.

‘‘हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं.’’ राजीव की पत्नी ने कहा.

‘‘ठीक है मैं एक वीडियो भेजूंगा. उस के बाद खुद ही फैसला करना कि क्या करना है.’’ अपहर्त्ता ने कहा.

इस के बाद अपहर्त्ता ने राजीव को बोरे से बाहर निकाल कर उन की पिटाई करनी शुरू कर दी. दूसरे बदमाश ने पिटाई का वीडियो बना लिया. अपहर्त्ता ने राजीव से यह भी कहा कि तुम्हारे घर वालों को शायद तुम्हारी फिक्र नहीं है. इसलिए वे पैसे नहीं दे रहे. यह वीडियो देख कर शायद उन्हें तुम्हारी चिंता हो जाए.

अपहर्त्ता ने राजीव की पिटाई वाली वीडियो उन के घर वालों को वाट्सऐप कर दी. वीडियो देख कर घर वालों का दिल कांप उठा कि वे लोग कितनी बेदर्दी से राजीव की पिटाई कर रहे थे. अब घर वालों ने तय कर लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए वह उन्हें उन के चंगुल से छुड़ाने की कोशिश करेंगे वरना इस तरह तो वह लोग उन की जान ही ले लेंगे.

इस के तुरंत बाद राजीव की पत्नी ने पति के मोबाइल पर वाट्सऐप मैसेज भेजा, ‘‘आप इन से कुछ मत कहिए, अभी हमारे पास जितने भी पैसे हैं, हम आप को देने को तैयार हैं, बताइए पैसे कहां पहुंचाए जाएं.’’

दूसरी तरफ से अपहर्त्ता ने भी मैसेज भेजा, ‘‘आप पैसे राजीव कुमार के ही बैंक अकाउंट में जमा करा दीजिए.’’ तब राजीव के घर वालों ने डेढ़ लाख रुपए उन के बैंक खाते में जमा करा कर इस की जानकारी बदमाशों को दे दी.

उन्होंने फिलहाल पैसे जमा तो करा दिए लेकिन उन्हें इस बात पर भी संशय था कि बदमाशों द्वारा मांगी गई फिरौती की रकम देने के बाद इस बात की क्या गारंटी है कि वह राजीव को छोड़ देंगे. इसलिए उन्होंने इस की जानकारी अपने नजदीकी थाने को दे दी.

मामला अपहरण का था, हरिद्वार पुलिस ने जांच की तो केस उत्तर प्रदेश के जिला  गाजियाबाद का लगा. क्योंकि बदमाशों ने पहली बार राजीव के फोन से उन की पत्नी को फोन कर के जो 15 लाख रुपए की फिरौती मांगी थी, उस फोन की लोकेशन उस समय गाजियाबाद जिले की ही आ रही थी. इसलिए हरिद्वार पुलिस ने राजीव के घर वालों से कहा कि वह गाजियाबाद पुलिस से संपर्क करें. इतना ही नहीं हरिद्वार पुलिस ने गाजियाबाद पुलिस से संपर्क कर काल डिटेल्स की जानकारी भी दे दी.

राजीव के घर वालों ने गाजियाबाद के एसएसपी वैभव कृष्ण से मुलाकात कर सारी जानकारी दे दी. यह मामला सीधे तौर पर अपहरण का था, इसलिए एसएसपी ने इस केस को गंभीरता से लिया. उन्होंने एसटीएफ के एसपी आर.के. मिश्रा के साथ विभिन्न थानों में मौजूद तेजतर्रार पुलिस वालों को भी केस की छानबीन में लगा दिया.

उधर राजीव के घर वालों ने उन के खातों में जो डेड़ लाख रुपए जमा कराए थे, वह रुपए बदमाशों ने राजीव से उन का डेबिट कार्ड और पिन नंबर ले कर कई बार में अलगअलग जगहों पर स्थित एटीएम मशीनों से निकाल लिए थे.

राजीव के घर वालों ने गाजियाबाद पुलिस को यह भी जानकारी दे दी कि अपहर्त्ताओं के कहने पर उन्होंने राजीव के बैंक खाते में डेढ़ लाख रुपए जमा करा दिए थे. पुलिस ने बैंक अधिकारियों से मिल कर जब राजीव के खाते की जांच की तो पता चला कि बदमाशों ने राजीव के डेविड कार्ड से दिल्ली, गाजियाबाद, हापुड़ और बुलंदशहर के एटीएम से कई बार में सारे पैसे निकाल लिए हैं.

जिन एटीएम सेंटरों से उन्होंने वह पैसे निकाले थे, पुलिस ने वहां लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी तो पता चला कि अलगअलग एटीएम मशीनों से अलगअलग लोगों द्वारा पैसे निकाले गए थे और उन्होंने अपने चेहरे कैप से ढक रखे थे. राजीव का अपहरण हुए कई दिन बीत चुके थे. उन के घर वालों और रिश्तेदारों को उन की चिंता हो रही थी. सब इस बात को ले कर परेशान थे कि पता नहीं राजीव को उन लोगों ने किस हाल में रखा होगा.

वैसे बदमाश राजीव को हर समय हाथपैर बांध कर ही रखते थे. सुबह और शाम को वह उन के हाथपैर केवल खाना खाने के लिए खोलते थे. खाना खाने के बाद वह फिर से उन्हें रस्सी से बांध देते थे. वह नशे में रहे इस के लिए उन्हे नींबू पानी में नींद की गोलियां मिला कर दे देते. इस के अलावा वह उन की कमर में नशे का इंजेक्शन भी लगाते थे.

राजीव को अपहर्त्ताओं के चंगुल में रहते हुए 9 दिन बीत चुके थे. उन के घर वाले लगातार पुलिस अधिकारियों से संपर्क कर अपनी चिंता जाहिर कर रहे थे. पुलिस की 20 टीमें अपनेअपने तरीकों से अपहर्त्ताओं के पास पहुंचने की कोशिश में लगी थीं. सर्विलांस टीम भी मुस्तैद थी.

अब तक की जांच और अपने मुखबिरों से मिली जानकारी के बाद पुलिस और एसटीएफ की टीम ने अपहरण के 9वें दिन यानी पहली जून, 2018 को गाजियाबाद की पौश कालोनी वसुंधरा के पास स्थित प्रह्लादगढ़ी गांव में दबिश दे कर रिंकू नाम के बदमाश को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने उस से पूछताछ कर सैंट्रल टेबल के नीचे बोरी में बंद पड़े राजीव कुमार को बरामद कर लिया. उन के हाथपैर बांधे हुए थे और उस समय वह बेहोशी की हालत में थे. उन्हें 2 पुलिसकर्मी तुरंत अस्पताल ले गए. इस के बाद पुलिस ने रिंकू से उस के अन्य साथियों के बारे में पूछताछ की तो रिंकू ने बताया कि उस के साथी शरद और महेश राजनगर एक्सटेंशन की तरफ गए हैं.

रिंकू को साथ ले कर पुलिस राजनगर एक्सटेंशन की तरफ गई तो उन्हें एक सैंट्रो कार दिखी. रिंकू के इशारे पर पुलिस ने उस कार का पीछा किया तो उन लोगों ने सैंट्रो कार की स्पीड और तेज कर दी. बाद में 2 बदमाश कार छोड़ कर पैदल ही भागने लगे. इतना ही नहीं उन्होंने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी. जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की.

बदमाशों की फायरिंग से 2 पुलिसकर्मी अरुण कुमार और मनीष कुमार घायल हो गए. उधर पुलिस की गोली से दोनों अपहर्त्ता भी घायल हो कर गिर पड़े. तभी पुलिस ने दोनों बदमाशों को भी हिरासत में ले लिया. सभी घायलों को तुरंत अस्पताल में भरती कराया गया.

एसएसपी वैभव कृष्ण और एसटीएफ के एसपी आर.एन. मिश्रा को मुठभेड़ में पुलिसकर्मियों के घायल होने और अपहर्त्ताओं को गिरफ्तार कर राजीव कुमार के सकुशल बरामद करने की जानकारी मिली तो दोनों पुलिस अधिकारी अस्पताल पहुंच गए.

उधर सूचना मिलने पर राजीव के घर वाले भी गाजियाबाद के लिए रवाना हो गए. एसएसपी के समक्ष जब तीनों बदमाशों से सख्ती से पूछताछ की गई तो पता चला कि लोगों का अपहरण कर मोटी फिरौती मांगना इन बदमाशों का धंधा बन चुका था.

राजीव से पहले ये और भी कई लोगों का अपहरण कर उन से फिरौती की मोटी रकम वसूल चुके थे. नशे की ज्यादा खुराक देने के चक्कर में अपहरण किए गए 3 लोगों की नशे की ओवरडोज से इन के यहां मौत भी हो चुकी थी और 2 लोगों की वह हत्या भी कर चुके थे.

इन लोगों ने अपहरण करने का गैंग क्यों बनाया और इन का अपहरण करने का तरीका क्या था आदि के संबंध में पुलिस ने पूछताछ की तो इन शातिर बदमाशों ने जो कहानी बताई वह वास्तव में हैरान कर देने वाली थी.

पता चला कि हापुड़ निवासी रिंकू, अयोध्या के रहने वाले शरद और सूरजपुर निवासी महेश मिश्रा तीनों ही वाहन चोर हैं. ये अलगअलग रह कर वाहन चोरी करते थे. जेल में मुलाकात होने के बाद इन्होंने एक साथ मिल कर लूटपाट भी शुरू कर दी. इन लोगों ने लिफ्ट देने के बहाने लोगों को लूटना भी शुरू कर दिया. ज्यादा पैसे पाने के लिए इन्होंने नए तरीके से लोगों का अपहरण कर उन के घर वालों से मोटी फिरौती वसूलनी चालू कर दी.

करीब एक महीने पहले इन्होंने लालकुआं (गाजियाबाद) से बिजनौर जा रहे सौरभ नाम के एक युवक को अपनी कार में लिफ्ट दे कर बंधक बनाया. जब उस ने लूट का विरोध किया तो इन्होंने उस की हत्या कर दी. इस के बाद इन्होंने उस का मोबाइल फोन, अन्य सामान लूट लिया और उस की लाश डासना क्षेत्र में डाल दी.

इस के अलावा 24 मई, 2018 को इन्होंने डाबर तिराहे से दिल्ली में प्राइवेट जौब पर जाने वाले देवेंद्र नाम के युवक को लूटने के लिए रोका. देवेंद्र ने विरोध किया तो उन्होंने चाकू मार कर उस की हत्या कर दी. हत्या के बाद ये उस का लैपटौप, मोबाइल फोन आदि लूट कर फरार हो गए.

28 अप्रैल, 2018 को इन लोगों ने गजरौला के रहने वाले 22 वर्षीय पप्पू खान को आनंद विहार बस अड्डे से लिफ्ट दे कर किडनैप किया और उस के घर वालों से फिरौती  की रकम वसूल की. पप्पू खान 28 अप्रैल को बस द्वारा गजरौला से दिल्ली के लिए चला था. वह रात साढ़े 12 बजे आनंद विहार बस अड्डे पहुंचा. वहां से उसे हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ कर मुंबई में अपने भाई ने पास जाना था.

आनंद विहार बस अड्डे के बाहर महेश, रिंकू और शरद सैंट्रो कार लिए शिकार की तलाश कर रहे थे. ये लोग सराय काले खां बस अड्डे जाने की आवाज लगाने लगे. हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन सराय काले खां बस अड्डे के बराबर में ही है. यही सोच कर पप्पू खान उन की सैंट्रो कार में बैठ गया.

कार में बैठने के बाद इन्होंने पप्पू खान के एक तरफ से चाकू और दूसरी तरफ से पिस्टल लगा दी. पप्पू के मुंह से कोई भी आवाज नहीं निकली. वह बुरी तरह से डर गया. तभी बदमाशों ने उस के मुंह में जबरदस्ती नशे की गोलियां डाल कर ऊपर से पानी पिला दिया और उस का मोबाइल फोन और एटीएम कार्ड अपने कब्जे में ले लिया.

पप्पू को जब होश आया तो उस ने खुद को एक कमरे में बंद पाया. बदमाश 29 अप्रैल को उसे एनएच-24 हाईवे पर डासना के पास ले गए. उन्होंने उस के ही मोबाइल से उस के भाई से बात कराई. उन्होंने उस के भाई से 10 लाख रुपए की फिरौती मांगी. बाद में मामला 2 लाख रुपए में तय हो गया. 2 लाख रुपए उन्होंने पप्पू खान के ही बैंक खाते में मंगाए. फिर अपहर्त्ता अलगअलग जगहों की एटीएम मशीन से रोजाना 25 हजार रुपए निकाल लेते.

इस तरह उन्होंने 9 दिनों तक पप्पू खान को अपने पास बंधक बना कर रखा. वह उसे नशे की हालत में बांध कर कमरे में रखे संदूक में छिपा कर रखते थे. 2 लाख रुपए वसूलने के बाद उन्होंने पप्पू खान की आंखों पर पट्टी बांध कर सुबह 4 बजे एनएच-24 हाईवे पर यूपी गेट के पास छोड़ दिया. बदमाशों ने घर जाने के लिए उसे 500 रुपए भी दिए थे.

आनंद विहार बस अड्डा और मयूर विहार से उन्होंने अप्रैल माह में ही 2 और लोगों का अपहरण कर उन्हें 10 दिनों तक अपने कब्जे में रखा था. इन में एक को उत्तर प्रदेश के गजरौला में और दूसरे को गाजियाबाद के प्रह्लादगढ़ी में रखा गया था.

किडनैप किए लोगों को ये लोग नशे का इंजेक्शन लगा कर या नशीली गोलियां खिला कर, उन्हें बांध कर रखते थे. हैवी डोज देने की वजह से इन लोगों के पास रहते 3 लोगों की मौत भी हो गई थी. एचसीएल के इंजीनियर राजीव कुमार का अपहरण करने के बाद उन्हें भी नशे की हालत में रखा गया था.

बेहोशी की हालत में कभी उन्हें गद्दे के नीचे छिपा दिया जाता था तो कभी बोरी में बांध कर सेंट्रल टेबल के नीचे. राजीव कुमार ने बताया कि उन्हें बदमाशों के हावभाव देखने के बाद खुद के जीवित रहने की उम्मीद नहीं थी.

किडनैपिंग के अलावा भी शरद, महेश और रिंकू ने गाडि़यां चोरी करनी बंद नहीं की थीं. यह चोरी इस वजह से करते थे ताकि इन की पहचान छोटेमोटे चोर के रूप में बनी रहे. पुलिस ने शरदचंद्र, महेश मिश्रा और रिंकू से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उन्हें अदालत में पेश कर जेल भेज दिया.

– कथा पुलिस सूत्रों एवं जनचर्चा पर आधारित

तांत्रिकों के जाल में दिल्ली

लोग चाहे कितने भी जागरूक हो गए हों, भले ही डिजिटल क्रांति आ गई हो लेकिन आज भी समाज में अंधविश्वास कायम है. कुछ अंधविश्वासी अपनी समस्याओं के समाधान के लिए तांत्रिकों के पास पहुंचते हैं. तांत्रिक भी ऐसे लोगों की अंधी आस्था का लाभ उठाने से नहीं चूकते.

अंधविश्वास में डूबे ऐसे लोग आर्थिक शोषण के साथसाथ शारीरिक शोषण भी करा बैठते हैं. ऐसी बात नहीं है कि केवल अनपढ़ और निम्न तबके के लोग ही तांत्रिकों के पास पहुंचते हैं. सच्चाई तो यह है कि उच्च वर्ग के कई लोग भी तांत्रिकों की शरण में जाते हैं, मामूली पढ़ेलिखे नहीं बल्कि उच्चशिक्षित भी.

तथाकथित तांत्रिकों के चक्कर में फंस कर कई परिवार बरबाद हो चुके हैं, क्योंकि अपने स्वार्थ के लिए ये तांत्रिक कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. दिल्ली के मंदिर मार्ग इलाके में एक तांत्रिक के क्रियाकलाप की ऐसी खौफनाक हकीकत सामने आई कि सुनने वाले का भी कलेजा कांप उठे.

सेंट्रल दिल्ली के थाना मंदिर मार्ग का एक इलाका है कालीबाड़ी, जो प्रसिद्ध बिड़ला मंदिर (लक्ष्मीनारायण मंदिर) के सामने है. वैसे इस इलाके में अधिकांशत: सरकारी फ्लैट बने हुए हैं, जिन में सरकारी कर्मचारी रहते हैं.

यहीं के एक फ्लैट में 44 साल की के.वी. रमा अपने पति डी.वी.एस.एस. शिव शर्मा (45 साल) और 2 बच्चों के साथ रहती थी. के.वी. रमा शर्मा भारत सरकार के एक मंत्रालय में स्टेनोग्राफर के पद पर नौकरी करती थी. जबकि पति शिव शर्मा डीएलएफ कंपनी में फाइनैंस मैनेजर थे. इस दंपति की बेटी 7वीं कक्षा में और बेटा 5वीं कक्षा में पढ़ रहे थे. दोनों मियांबीवी कमा रहे थे, इसलिए घर पर हर महीने सैलरी के रूप में मोटी रकम आती थी. कुल मिला कर यह छोटा सा परिवार हर तरह से खुश और सुखी था.

कहते हैं जब किसी व्यक्ति के पास जरूरत से ज्यादा पैसा आने लगता है तो उस का दिमाग और ज्यादा सक्रिय हो जाता है. वह उस पैसे से और ज्यादा पैसे कमाने के उपाय खोजता है. शिव शर्मा भी अपने पैसे को और ज्यादा करने के उपाय खोजने लगे.

किसी ने उन्हें बताया कि शेयर मार्केट की कुछ कंपनियां ऐसी हैं, जिन में पैसे लगाने पर अच्छाखासा मुनाफा कमाया जा सकता है. यह बात शिव शर्मा को समझ आ गई. उन्हें शेयर मार्केट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लिहाजा उन्होंने इंटरनेट से अच्छा लाभांश देने वाली कुछ कंपनियों के बारे में जानकारी हासिल कर ली.

इस के बाद उन्होंने उन कंपनियों के शेयर खरीदने शुरू कर दिए. शुरुआत में उन्हें फायदा हुआ तो उन की दिलचस्पी और बढ़ती गई. उन्होंने शेयर मार्केट में और ज्यादा पैसा लगाया. इस में उन्हें मिलाजुला अनुभव मिलने लगा. कुछ शेयरों ने लाभ दिया तो कुछ में उन्हें नुकसान भी हुआ. हो चुके नुकसान की भरपाई के लिए उन्होंने मोटा निवेश किया.

इस का नतीजा यह निकला कि उन्हें इस में भारी नुकसान हुआ. इस से उन की जमापूंजी तो चली ही गई, साथ ही उन पर कई लाख रुपए का कर्ज भी चढ़ गया. औफिस के लोगों से भी उन्होंने काफी पैसे उधार ले लिए थे. जिन लोगों से शिव शर्मा ने पैसे उधार ले रखे थे, उन के पैसे समय पर नहीं लौटाए तो उन्होंने तकादा करना शुरू कर दिया. कुछ लोग पैसे मांगने उन के फ्लैट तक आने लगे.

फलस्वरूप शिव शर्मा तनाव में रहने लगे. पत्नी के.वी. रमा को भी लोगों की तकादा करने वाली बात अच्छी नहीं लगती थी. शिव शर्मा कर्ज निपटाने के लिए पत्नी से पैसे मांगते थे. उन का कर्ज उतारने में पत्नी भी सहयोग कर देती थी. इन सब बातों को ले कर पतिपत्नी में नोंकझोंक होने लगी. शिव शर्मा तनाव की वजह से चिड़चिड़े हो गए थे, इसलिए वह गुस्से में पत्नी की पिटाई कर देते थे.

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घर में शुरू हो गई कलह

नतीजतन जिस घर में पहले सभी लोग शांति से रहते थे, अब वहां कलह ने डेरा डाल लिया था. पत्नी सरकारी कर्मचारी थी, वह अच्छीखासी सैलरी पाती थी, इसलिए वह पति की तनाशाही सहने के बजाय करारा जवाब दे देती तो पति उस पर हाथ छोड़ देता. के.वी. रमा महसूस करने लगी कि पति की वजह से ही वह शारीरिक और मानसिक समस्या से जूझ रही है. उधर शिव शर्मा लोगों के तकादे से परेशान थे. वह पत्नी से और पैसे मांगते तो वह मना कर देती कि अब उसे फूटी कौड़ी नहीं देगी.

एक दिन रमा ने अपने एक जानकार से अपने घर की समस्या के बारे में चर्चा की. उस जानकार ने बताया कि आप के पति पर किसी ऊपरी हवा का चक्कर हो सकता है. ऐसे में अगर किसी तांत्रिक से मिला जाए तो समस्या का समाधान हो सकता है. रमा इस तरह के अंधविश्वास से दूर रहती थी. हालांकि उस ने कई सार्वजनिक स्थानों पर तांत्रिकों के पैंफ्लेट चिपके देखे थे, जिन में हर तरह की समस्या का समाधान कुछ घंटों में करने की बात लिखी होती थी. इस के अलावा लोकल केबल चैनल पर भी ऐसे तांत्रिकों के विज्ञापन देखे थे.

रमा तंत्रमंत्र, टोनेटोटकों आदि को केवल ढकोसला समझती थी. पर अब जब उन के एक जानकार ने घर की समस्या के बारे में तांत्रिक के पास जाने की सलाह दी तो रमा ने भी सोचा कि अगर घर का तनाव किसी तांत्रिक के पास जाने से ठीक हो जाए तो तांत्रिक के पास जाने में कोई बुराई नहीं है. यानी जिस बात को वह अंधविश्वास और ढकोसला बताती थी, अब जरूरत पड़ने पर वह उसी पर विश्वास करने लगी.

करना पड़ा तंत्रमंत्र पर विश्वास

रमा किसी तांत्रिक को नहीं जानती थी, उस के जानकार ने दिल्ली के दक्षिणपुरी इलाके रहने वाले तांत्रिक श्याम सिंह उर्फ भगतजी के बारे में बताया. उस से पता ले कर वह तथाकथित तांत्रिक श्याम सिंह के पास पहुंच गई. तांत्रिक ने सब से पहले बातों बातों में रमा से उस के परिवार की आर्थिक स्थिति को समझा. इस के बाद रमा ने पति के बारे में एकएक बात तांत्रिक को बता दी.

रमा की बात सुनने के बाद तांत्रिक ने अपनी आंखें मूंद लीं और अपनी गद्दी पर बैठेबैठे ही बोला, ‘‘आप के पति के साथ किसी ने कुछ कर दिया है, जिस की वजह से वह घर का एकएक सामान बेच देंगे. यानी वह घर की बरबादी कर के रहेंगे.’’

‘‘भगतजी, इस का उपाय क्या है. मैं चाहती हूं कि वह शेयर बाजार से एकदम दूर हो जाएं. इस शेयर बाजार ने तो हमारे घर की सुखशांति सब छीन ली है.’’ रमा ने कहा.

‘‘देखो, मैं समाधान तो कर दूंगा. वह शेयर में पैसे भी नहीं लगाएंगे, साथ ही बदसलूकी भी नहीं करेंगे. लेकिन इस में करीब एक लाख रुपए का खर्च आएगा.’’ तांत्रिक बोला.

‘‘कोई बात नहीं, हम आप को यह रकम दे देंगे. लेकिन हमें समस्या का समाधान चाहिए.’’ रमा ने कहा.

‘‘आप इस की चिंता न करें. आप हमारे रिसैप्शन पर 30 हजार रुपए जमा करा दीजिए, जिस से हम अपना काम शुरू कर सकें.’’ तांत्रिक ने कहा तो रमा ने पैसे रिसैप्शन पर बैठी लड़की को दे दिए.

वह इस विश्वास से घर चली आईं कि अब समस्या दूर हो जाएगी.

तांत्रिक ने कुछ मंत्र बुदबुदाने के बाद रमा को भभूत देते हुए कहा, ‘‘लो यह भभूत, तुम 7 शनिवार तक पति को शाम के खाने में मिला कर दे देना, सब कुछ ठीक हो जाएगा. ध्यान रखना केवल शनिवार को ही देना. इसे खाने में तब मिलाना जब मिलाते समय कोई टोके नहीं.’’

‘‘ठीक है भगतजी, मैं ऐसा ही करूंगी.’’ कह कर रमा घर चली आई. तांत्रिक के कहे अनुसार रमा ने ऐसा ही किया. वह हर शनिवार को शाम के खाने में पति के खाने में तांत्रिक द्वारा दी गई भभूत मिला कर देने लगी थी. उसे उम्मीद थी कि भभूत अपना असर जरूर दिखाएगी. पर 4-5 सप्ताह बाद भी पति के व्यवहार में कोई फर्क नहीं पड़ा तो रमा ने तांत्रिक को फोन किया. जवाब में तांत्रिक ने कहा कि 7 शनिवार होने दो, पूरा असर होगा. इस बीच रमा तांत्रिक से फोन पर बात करती रहती थी.

किसी तरह शिव शर्मा को इस बात का आभास हो गया था कि उस की पत्नी किसी तांत्रिक के पास जाती है. शिव शर्मा ने पत्नी से इस बारे में कभी कुछ नहीं कहा. 7 शनिवार पति को भभूत खिलाने के बाद भी पति पर कोई असर नहीं हुआ तो रमा तांत्रिक के पास पहुंची. तांत्रिक ने फिर दूसरी भभूत दी.

इतना ही नहीं, तांत्रिक से उस के फ्लैट पर पूजा, हवन भी कराया. निश्चित दिनों तक भभूत खिलाने के बाद भी पति की आदतों में कोई फर्क नहीं पड़ा तो रमा फिर से तांत्रिक से मिली. चूंकि वह पति से अब ज्यादा ही परेशान हो चुकी थी, इसलिए उस ने तांत्रिक से शीघ्र समाधान करने के लिए कहा.

बना लिया मारने का प्लान

इस पर तांत्रिक ने रमा से कहा कि अब तो इस के लिए आरपार की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. रमा ने भी कह दिया कि पति के स्थाई निदान के लिए वह तैयार है. इस के बाद तांत्रिक ने एक बोतल पानी में कुछ घोल कर दे दिया. तांत्रिक श्याम सिंह उर्फ भगतजी मूलरूप से उत्तराखंड का रहने वाला था. वह दक्षिणपुरी में किराए के मकान में पिछले दोढाई साल से अपना धंधा चला रहा था.

वह पहाड़ों से कुछ जड़ीबूटियां लाता रहता था. उन में से ही कोई बूटी उस ने बोतल के पानी में घोल कर रमा को दे दी थी. घर पहुंच कर रमा ने एक गिलास में बोतल का पानी पति को देते हुए कहा, ‘‘लो, यह बाबाजी का दिया हुआ प्रसाद है. इसे पी लो, सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी.’’

पत्नी के विश्वास पर शिव शर्मा ने वह पानी पी लिया. पानी पीने के बाद उन की हालत बिगड़ने लगी. हालत बिगड़ने पर पत्नी उन्हें डा. राममनोहर लोहिया अस्पताल ले गई. पति को अस्पताल में भरती कराने के बाद रमा ने जब देखा कि पति की हालत गंभीर है तो वह वहां से घर चली आई. अस्पताल में कुछ देर बाद ही शिव शर्मा की मौत हो गई.

शिव शर्मा की मौत के बाद अस्पताल के लोगों ने रमा को ढूंढा पर वह नहीं मिली. इस पर अस्पताल प्रशासन द्वारा पुलिस को खबर दे दी गई. पुलिस ने लाश अस्पताल की मोर्चरी पहुंचवा दी. थाना मंदिर मार्ग के थानाप्रभारी आदित्य रंजन भी वहां पहुंच गए.

पुलिस छानबीन कर रमा के फ्लैट तक पहुंच गई. थाने बुला कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि तांत्रिक श्याम सिंह द्वारा दिया गया पानी पीने के बाद ही उन की हालत बिगड़ी थी. रमा की निशानदेही पर पुलिस ने दक्षिणपुरी से तांत्रिक श्याम सिंह को भी हिरासत में ले लिया. उस ने पूछताछ में स्वीकार कर लिया कि उस ने रमा को दिए गए पानी में जहर मिलाया था. पुलिस तांत्रिक को भी थाने ले आई.

उधर शिव शर्मा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी जहरीले पदार्थ के सेवन से मृत्यु होने की पुष्टि हो गई. तब पुलिस ने आरोपी के.वी. रमा और तांत्रिक श्याम सिंह को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. इस तरह एक तांत्रिक के चक्कर में फंस कर रमा ने अपनी गृहस्थी खुद ही उजाड़ ली.

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खजाना मिलने के लालच में गंवाए 17 लाख रुपए

कहते हैं लालच बुरी बला है. ज्यादा लालच हमेशा नुकसानदायक होता है. दिल्ली के मंगोलपुरी के रहने वाले किशनलाल (परिवर्तित नाम) के साथ ऐसा ही हुआ. मंगोलपुरी के वाई ब्लौक में रहने वाले किशनलाल के परिवार में पत्नी के अलावा 5 बच्चे हैं. उन की दवाई की दुकान है. उन का कारोबार अच्छाखासा चल रहा था. करीब 6 साल पहले उन के मकान में जाहिद नाम का एक युवक किराए पर रहता था.

एक दिन जाहिद किशनलाल के घर आया. वह काफी दिनों बाद आया था, इसलिए उन्होंने जाहिद की खूब खातिरतवज्जो की. बातचीत के दौरान जाहिद ने बताया कि वह तांत्रिक है. अपनी तंत्र विद्या से लोगों का भला करता है. उस ने किशनलाल ने कहा, ‘‘आप के इस घर में काला साया है. यह परिवार के लिए अहितकर है. यदि शीघ्र ही इस का समाधान नहीं किया गया तो परिवार में किसी की जान भी जा सकती है.’’

यह सुन कर किशनलाल घबरा गए. वह बोले, ‘‘इस का समाधान कैसे होगा. तुम तो तांत्रिक हो, इसलिए तुम्हीं बताओ.’’

‘‘आप परेशान मत होइए. समाधान हो जाएगा, लेकिन इस की पूजा आदि पर करीब 30 हजार रुपए खर्च होंगे.’’ जाहिद ने बताया.

जाहिद किशनलाल से पूजा के नाम पर 30 हजार रुपए ले गया. करीब 10 दिन बाद जाहिद फिर से किशनलाल के यहां आया. वह बोला, ‘‘10 दिन की पूजा के दौरान मुझे पता चला कि आप के घर में मुगलों की दौलत गड़ी हुई है. यही मुसीबत का साया है. अगर खुदाई कर के दौलत निकाल कर पूजा की जाए तो यह साया दूर हो जाएगा.’’

घर में खजाना गड़ा होने की बात सुन कर किशनलाल खुश हो गए. उन्होंने जाहिद से मकान में खुदाई करने को कहा तो जाहिद ने कहा यह काम बड़ा है. इस काम में 2 तांत्रिकों को और लगाया जाएगा. इस के लिए उस ने किशनलाल से 60 हजार रुपए और ले लिए. जाहिद 2 तांत्रिकों को किशनलाल के घर ले आया.

तांत्रिकों ने किशनलाल के घर में पूजा कर के बताया कि वास्तव में इस घर में भारी मात्रा में खजाना दबा हुआ है. यकीन दिलाने के लिए उन तांत्रिकों ने फर्श की खुदाई शुरू कर दी. थोड़ी खुदाई करने पर सोने का एक सिक्का मिला. सिक्का देख कर किशनलाल खुश हो गए. उन्होंने वह सिक्का एक ज्वैलर को दिखाया. ज्वैलर ने सिक्के की जांच कर के बताया कि सिक्का 100 प्रतिशत सोने का है.

इस के बाद किशनलाल को लालच आ गया. उन्होंने और खुदाई कराने को कहा तो जाहिद ने कहा कि आगे की खुदाई से पहले पूजा करनी होगी, वरना वह साया इस कार्य में व्यवधान डालेगा. जाहिद ने उन से 3 लाख रुपए के अलावा 110 लोगों को खाना खिलाने और उन्हें कपड़े दान दिए जाने का खर्च मांगा. किशनलाल ने वह भी दे दिया.

इस के बाद उन तांत्रिकों ने किशनलाल से पूजा आदि के नाम पर 11 लाख रुपए और ऐंठ लिए. किशनलाल ने भी यह सोच कर रकम दे दी कि जो खजाना निकलेगा, उस के मुकाबले यह रकम मामूली है. इसी लालच में उन्होंने इतनी बड़ी रकम उन तांत्रिकों को दे दी थी. जाहिद और उस के साथी किशनलाल से अब तक 17 लाख रुपए ऐंठ चुके थे. किशनलाल ने लालच में आ कर पैसे ब्याज पर ला कर दिए थे.

अगले दिन जाहिद ने किशनलाल को फोन कर के बताया कि उन्हें अशोक विहार थाना पुलिस ने पकड़ लिया है. पुलिस 6 लाख रुपए मांग रही है. किशनलाल थाना अशोक विहार गए तो पता चला कि पुलिस ने उन्हें नहीं पकड़ा है. तब उन्हें महसूस हुआ कि उन्हें ठगा जा रहा है. किशनलाल को अपने साथ हुई ठगी का बड़ा अफसोस हुआ. उन्होंने इस की शिकायत पुलिस से की.

तांत्रिकों के चक्कर में पड़ कर कई परिवार बरबाद हो चुके हैं. 7 फरवरी, 2018 को उत्तर पश्चिमी दिल्ली के नेताजी सुभाष पैलेस क्षेत्र में तांत्रिक के बहकावे में आ कर एक व्यक्ति ने अपनी बेटी को ही उस के हवाले कर दिया. पीडि़त लड़की ने पुलिस को बताया कि तांत्रिक बुरी आत्माओं को भगाने के नाम पर पिछले 12 सालों से उस के साथ रेप करता रहा.

18 फरवरी, 2018 को भी एक महिला ने इसलिए खुदकुशी कर ली थी कि बच्चा न होने पर उस के ससुराल वालों ने उसे तांत्रिक के हवाले कर दिया था. पश्चिमी दिल्ली के जखीरा में एक महिला ने बेटे की चाह में अपनी दोनों बेटियों को मार दिया था. तांत्रिक के कहने पर वह महिला अपनी 5 साल और 6 माह की बेटी के ऊपर लेट गई थी, जिस से दोनों बेटियों की मौत हो गई थी.

दिल्ली में ही 22 फरवरी, 2018 को एक दोस्त की इसलिए हत्या कर दी थी क्योंकि तांत्रिक ने आरोपी से कहा था कि तुम्हारी बहन पर दोस्त ने जादू किया था, इसलिए बहन ने आत्महत्या कर ली थी.

आजकल तांत्रिकों ने भी अपने बिजनैस का ट्रेंड बदल दिया है. दिल्ली एनसीआर के तांत्रिकों का बिजनैस फेसबुक, वाट्सऐप और ट्विटर पर भी चल रहा है. तांत्रिक इन माध्यमों पर प्रचार कर के अपनी चमत्कारिक शक्तियों से कुछ ही घंटों में किसी भी समस्या का समाधान करने का दावा करते हैं. कई तांत्रिकों ने तो अपना प्रभाव जमाने के लिए आकर्षक वेबसाइट भी बनवा रखी है.

इन वेबसाइटों पर औनलाइन बुकिंग की भी विशेष सुविधा उपलब्ध करा रखी है. पेमेंट भी ये औनलाइन पहले ही जमा करा लेते हैं. अपनी समस्याओं का समाधान कराने के चक्कर में लोग जब तथाकथित तांत्रिकों द्वारा ठगे जाते हैं तो शर्म की वजह से यह बात किसी को बताने में हिचकते हैं. यानी ठगे जाने के बावजूद भी लोग बदनामी की वजह से चुप रहते हैं. यही वजह है कि तांत्रिकों का अंधी आस्था के नाम पर ठगी का यह बिजनैस खूब फलफूल रहा है.

पैसा बेईमान नहीं, हत्यारा भी बनाता है

व्हाइट कालर्स को पसंद ब्लैक ब्यूटी

देह व्यापार की दुनिया में दखल और दिलचस्पी रखने वाला भोपाल का कोई बिरला शख्स ही होगा जो सना को न जानता हो. भोपाल की इस महिला की अपनी एक पहचान है, क्योंकि वह कालगर्ल्स और कस्टमर के बीच पुल का काम करती है. सना के पास हजारों उन लड़कियों के मोबाइल नंबर हैं, जो पार्ट या फुल टाइम देह व्यापार के जरिए पैसे कमाना चाहती हैं.

सना के पास हजारों ऐसे ग्राहकों के भी नंबर हैं, जिन्हें कभीकभार सैक्स सर्विस की जरूरत पड़ती है. ये लोग बेहतर जानते हैं कि भोपाल में मनपसंद लड़की अगर कोई मुहैया करा सकता है तो वह केवल सना ही है.

सना कई खूबियों की मालकिन है, और उस की इन खूबियों को भोपाल के लोग ही नहीं पुलिस वाले भी जानते हैं. भोपाल में लंबे अर्से से सैक्स रैकेट चला रही सना ने पुलिस को छकाने का नया तरीका खोज निकाला है, वह भोपाल में ही ठिकाने बदलबदल कर अपना धंधा चलाती है. 4-6 महीने में वह पहला ठिकाना छोड़ कर दूसरे पर जा बैठती थी.

इस साल फरवरी के महीने में सना ने निशातपुरा इलाके के विश्वकर्मा नगर को चुना था, जहां से कभी भोपाल शहर शुरू होता था. विश्वकर्मा नगर में मध्यमवर्गीय लोगों की भरमार है जो शराफत और सुकून की जिंदगी जीते हैं.

भोपाल के होशंगाबाद रोड निवासी और पेशे से ट्रांसपोर्टर रमेश शर्मा ने सना को विश्वकर्मा नगर स्थित अपना मकान साढ़े 5 हजार रुपए महीना किराए पर दिया था. तब उन्हें इल्म तक नहीं रहा होगा कि खुद को अकेली और बेसहारा बता रही यह खूबसूरत बला उन्हें किस झमेले में डालने वाली है.

बीती 11 मई की अलसुबह भोपाल गरमी और उमस से बेहाल था. जब आसमान से उजाला उतरने लगता है, तब पुलिस थानों में ड्यूटी बजा रहे पुलिसकर्मी भी अंगड़ाइयां लेते हुए सोचते हैं कि चलो आज की रात बगैर किसी भागदौड़ी के गुजर गई. सुबह 5 बजे तक अगर किसी संगीन वारदात की खबर न मिले तो पुलिस वाले बेफिक्र हो जाते हैं, क्योंकि इस वक्त से ले कर दोपहर 12 बजे तक जुर्म न के बराबर होते हैं.

निशातपुरा थाने के टीआई चैन सिंह भी चैन की सांस लेते हुए घर जाने की सोच रहे थे, तभी उन के पास सीएसपी लोकेश सिन्हा का फोन आया. फोन पर मिले निर्देशानुसार वे तुरंत पुलिस टीम के साथ विश्वकर्मा नगर की तरफ रवाना हो गए. लोकेश सिन्हा की बातों से उन्हें इतना ही समझ में आया था कि विश्वकर्मा नगर के एक मकान में देह व्यापार चल रहा है, जिस में कुछ विदेशी युवतियां भी शामिल हैं. लोकेश सिन्हा को यह शिकायत विश्वकर्मा नगर के एक संभ्रांत और जिम्मेदार नागरिक ने दी थी.

मामला चूंकि गंभीर और देह व्यापार का था, इसलिए उन्होंने अपनी टीम में थाने में मौजूद महिला पुलिसकर्मियों को भी शमिल कर लिया. पुलिस टीम जब बताए हुए ठिकाने पर पहुंची तो मकान की कुंडी बाहर से बंद थी, जो मोहल्ले वालों ने बंद कर दी थी. दरवाजा खोल कर पुलिस टीम अंदर पहुंची तो वहां का नजारा देख कर सकते में आ गई.

6 युवतियां और 5 पुरुष ब्लू फिल्मों जैसी आपत्तिजनक अवस्था में एकदम जंगली और वहशियाना तरीके से सैक्स कर रहे थे. शायद पुलिस वालों ने भी अप्राकृतिक सहवास के ऐसे दृश्य पहली दफा देखे थे. सैक्स के इस खेल में कोई बंदिश नजर नहीं आ रही थी.

अप्रत्याशित रूप से पुलिस टीम को आया देख कर इन युवक युवतियों में दहशत और अफरातफरी मच गई. हर कोई अपने आप को ढकने की कोशिश में लग गया. 2 लड़कियां तो चादर में मुंह छिपा कर सो गईं. पुलिस टीम ने वक्त न गंवा कर काररवाई शुरू की तो मौजूद युवक हिम्मत जुटा कर बहसबाजी पर उतर आए. उन का कहना था कि वे अपने एक दोस्त की बर्थडे पार्टी मनाने के लिए इकटठा हुए थे और रात ज्यादा हो जाने के कारण यहीं रुक गए थे.

इस के अलावा उन्होंने यह कह कर भी पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश की कि वे पतिपत्नी हैं, पतिपत्नी के बीच यूं दखल देने का हक पुलिस को भी नहीं है. लेकिन जब पुलिस वालों ने पतिपत्नी होने के सबूत मांगे तो उन की सिट्टीपिट्टी गुम हो गई.

बाकी 9 लोग तो कपड़े पहन कर लाइन में खड़े हो गए, लेकिन मुंह ढक कर सोई 2 युवतियां चुपचाप चादर ओढ़े बिना हिलेडुले पड़ी रहीं. पुलिस वालों ने जब चादर हटाई तो उन्हें देख चौंक गए, क्योंकि वे अफ्रीकन थीं, जिन्हें लोग नीग्रो भी कहते हैं. इधर पुलिस ने युवक युवतियों के भागने का कोई रास्ता नहीं छोड़ा था इसलिए वे हल्ला मचाने के बाद खामोशी से आगे की काररवाई का इंतजार करने लगे.

पूछताछ के पहले मकान की तलाशी की औपचारिकता में आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई, जिन में कंडोम, नशे की सामग्री और सैक्स पावर बढ़ाने वाली दवाइयां भी थीं. अब शक की कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी कि देह व्यापार की खबर गलत नहीं थी.

उस में विदेशी युवतियों के लिप्त होने की बात भी सच थी. आपत्तिजनक सामान जब्त करने के बाद पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ शुरू की तो पता चला कि इस सैक्स रैकेट की सरगना सना नाम की चर्चित महिला है. युवकों के नाम अनवर मछली, बुधवारा निवासी सादिक और फैजान खान के अलावा कोहेफिजा निवासी जैद, आयाज खान व तलैया निवासी सलमान खान थे.

रमजान का पाक महीना शुरू होने से पहले ही ईद मना रहे इन युवाओं के बाद जब 4 देसी और 2 विदेशी कालगर्ल्स से पूछताछ की गई तो कुछ नई बातें भी उजागर हुईं. सना तो खामोशी से आगे की सोचती रही, लेकिन अफ्रीकन युवतियों ने खुद को युगांडा का नागरिक बता कर अपने वीजा पर आने की बात कबूली.

भोपाल की 3 लड़कियों ने भी सच उगलने में ही भलाई समझी कि वे पेशेवर कालगर्ल्स हैं और भोपाल के होटलों व बार में डांस करती हैं. डांस करते करते ही वे ग्राहक फंसाती थीं और उन के मोबाइल नंबर ले कर बाद में सौदेबाजी करती थीं.

शुरुआती पूछताछ में भी पता चला कि हर एक लड़की को एक रात के लिए 1500 रुपए से ले कर 5000 रुपए मिलने थे. जबकि युगांडाई युवतियों को कुछ ज्यादा रकम मिलनी थी, क्योंकि वे बिना किसी हिचक के अप्राकृतिक और ओरल सैक्स भी करती थीं.

भोपाल में युगांडा की ये कालगर्ल्स कटारा हिल्स जैसे पौश इलाके में रह रही थीं और पिछले 2 महीनों से सना की सरपरस्ती में देह व्यापार कर रही थीं. ये दोनों मुंबई से भोपाल अपनी एक हमवतन युवती से मिलने आई थीं. चूंकि पैसों की जरूरत थी, इसलिए वे जिस्म फरोशी के धंधे में आ गई थीं.

ये दोनों बहुत फिल्मी तरीके से सना के संपर्क में आई थीं. आमतौर पर अफ्रीकी यानी नीग्रो लोग सार्वजनिक स्थलों पर दिखने से बचने की कोशिश करते हैं तो इस की कई दीगर वजहें भी हैं. लेकिन इन्हें कभी कभार खानेपीने गांधीनगर स्थित एक रेस्टोरेंट में जाना पड़ता था, जहां उन की जानपहचान जैद नाम के शख्स से हुई. जैद की पहल पर इन की दोस्ती एक अन्य युवती से हो गई. इसी युवती ने इन दोनों को देह व्यापार में आने के लिए राजी किया.

पकड़ी गई भोपाली युवतियों ने इस का राज भी यह बता कर खोल दिया कि भोपाल में इन दिनों अफ्रीकन लड़कियों के शौकीनों की तादाद बढ़ रही है. इस के पीछे मर्दों की यह सोच है कि अफ्रीकन यानी काली लड़कियां सैक्स में माहिर होती हैं और अप्राकृतिक व ओरल सैक्स से परहेज नहीं करतीं. इस के अलावा इन के सामान्य से बड़े आकार के स्तन भी पुरुषों को बहुत लुभाते हैं.

एक कालगर्ल का कहना था कि मर्द जो कुछ ब्लू फिल्मों में देखते हैं, वह खुद भी वैसा ही करना चाहते हैं. लेकिन आमतौर पर देसी कालगर्ल्स इस तरह के जंगली सैक्स से परहेज करती हैं, इसलिए युगांडाई युवतियों को फंसाया गया या राजी किया गया, कहना मुश्किल है. हां, सैक्स में प्रयोग का यह शौक पांचों युवकों को महंगा पड़ा.

सना के बयान इस मामले में काफी अहम थे, जिस ने यह तो माना कि उस के संपर्क में कई लड़कियां थीं, इन में भी कालेज गर्ल्स खास तादाद में हैं. ये लड़कियां फुल टाइम देह व्यापार नहीं करतीं बल्कि महीने में एकदो दफा सर्विस देती हैं. वे एक दो दिन ही सना के ठिकाने पर रुकती थीं और पैसा मिल जाने पर चली जाती थीं. बारबार सना की मोहताजी से बचने के लिए ये लड़कियां ग्राहकों से उन के मोबाइल नंबर ले कर उन की मांग के मुताबिक सर्विस देती थीं.

सना ने यह भी बताया कि उस के पास आने वाली अधिकांश लड़कियां भोपाल के आसपास के शहरों की होती थीं, हालांकि उन में कुछ भोपाल की भी थीं. यह मानने से उस ने एकदम इनकार कर दिया कि वह या उस की नियमित कालगर्ल्स कालेजों और दूसरी सार्वजनिक जगहों पर जा कर लड़कियों को देहव्यापार के लिए उकसाती या फंसाती थीं. उस के मुताबिक यह मरजी और जरूरत का सौदा था. जिस में उस का रोल केवल एक मध्यस्थ का हुआ करता था.

भोपाल के होटलों व बार में डांस करने वाली बाकी 3 लड़कियां अपने लिए खुद ग्राहक फंसातीं, या ढूंढती थीं, इन में से चूंकि अधिकांश के पास खुद का कोई ठिकाना नहीं होता था, इसलिए वे अपने ग्राहकों को सना के ठिकाने पर ले आती थीं.

जब युगांडा की कालगर्ल्स की और छानबीन की गई तो पता चला कि वे मैडिकल वीजा पर भारत आई थीं. इन में से एक को पथरी थी और दूसरी को एलर्जी की शिकायत. भारत आने पर इन्होंने मैडिटेशन सीखने की बात कही थी. पर ये किस तरह का ध्यान लगा या लगवा रही थीं, यह 11 मई की सुबह उजागर हो गया.

पकड़ी गई कालगर्ल्स ने यह भी बताया कि अप्राकृतिक और ओरल सैक्स के चलते सना की दुकान लगातार गुलजार हो रही थी, जिसे उस ने पावर पौइंट का नाम दिया था. सना ग्राहकों की मर्दाना ताकत आजमाने के लिए कहती थी कि जो मर्द इन अफ्रीकन लड़कियों को संतुष्ट कर देगा वही असली और सच्चा मर्द है.

पांचों सच्चे और असली मर्द जो आपस में दोस्त भी हैं, अब हवालात और अदालत के चक्कर काट रहे हैं. पुलिस युगांडा के दूतावास से युगांडाई युवतियों के बाबत उन के देश से जानकारियां इकट्ठा कर रही है.

हालफिलहाल यह आशंका निर्मूल साबित हुई कि देहव्यापार के अलावा वे किसी और तरह से भी संदिग्ध हैं. इन पंक्तियों के लिखे जाने तक कटारा हिल्स में रहने वाली युगांडा की ही तीसरी युवती फरार हो जाने के कारण गिरफ्तार नहीं हो पाई थी, जिस के यहां ये दोनों कालगर्ल्स आ कर ठहरी थीं.

दूदानी का काला कारनामा जिसने सबको हिला दिया

पेपर माफिया के निराले खेल

आतंक का पर्याय बनते शिक्षक

आज से कुछ वर्ष पहले 15 नवंबर, 2009 को जब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने एक शिक्षक को 1 लाख रुपए मुआवजे की सजा से दंडित किया था, जिस ने फैसले से ठीक 12 वर्ष पहले अपने छात्र को पूरे दिन निर्वस्त्र खड़ा रखा था, तब एक उम्मीद बंधी थी कि सम्माननीय शिक्षक समाज के वे सदस्य जो परिस्थितिवश अपने आचरण के विपरीत कदम उठा लेते हैं, कोई सबक लेंगे. उस समय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रतिभा रानी ने अपने फैसले में उक्त शिक्षक को निर्देश दिया था कि वह बतौर मुआवजा 1 लाख रुपए पीडि़त छात्र को अदा करे.

मार्च, 1997 को दिल्ली के एक राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक पी सी गुप्ता ने उस 13 वर्षीय छात्र को विद्यालय के तालाब में नहाते हुए पकड़ लिया. वे इतने नाराज हुए कि उन्होंने पहले उसे जम कर पीटा, फिर पूरे समय तक विद्यालय में निर्वस्त्र खड़ा रखा. अभिभावकों ने उन के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, मुकदमा चला और 19 मार्च, 2007 को निचली अदालत ने गुप्ता को 1 वर्ष की कैद और ढाई हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई. गुप्ता ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी.

उन की उसी अपील के आलोक में अदालत ने यह फैसला दिया. लेकिन हालात सुधरने के बजाय लगातार बिगड़ते चले गए. न जाने हमारे देश के शिक्षकशिक्षिकाओं को आखिर क्या होता जा रहा है कि वे आएदिन अपनी करतूतों से अभिभावकों का विश्वास तारतार कर रहे हैं. कहीं छात्रछात्राओं की पिटाई हो रही है, तो कहीं यौन उत्पीड़न या उस का प्रयास.

बिहार में 15 अक्तूबर को चोरसुआ गांव में नालंदा पब्लिक स्कूल के शिक्षक ने प्रथम वर्ग के छात्र की पिलर से बांध कर बेरहमी से पिटाई की. जिस से बच्चा बुरी तरह से जख्मी हो गया और उस का बायां हाथ टूट गया. इसी तरह 15 सितंबर को उत्तर प्रदेश के कानपुर में क्लासरूम में एक बच्चे को खेलता देख एक शिक्षक ने उस की इतनी पिटाई की कि बच्चे की आंखों की रोशनी चली गई.

इस वर्ष अगस्त माह के अंतिम सप्ताह में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शिक्षक समाज उस समय एक बार फिर शर्मसार हुआ जब पुलिस द्वारा चलाए जा रहे औपरेशन सखी के तहत दिल्ली के उत्तरपूर्वी जिले के खजूरी थानांतर्गत एक सरकारी विद्यालय की छात्राओं की काउंसलिंग के दौरान शिकायत मिली कि गणित पढ़ाने वाला शिक्षक आतेजाते समय एवं कक्षा में उन्हें गलत तरीके से छूता है. जांच में शिकायत सही मिली और उक्त शिक्षक को पास्को के तहत गिरफ्तार कर लिया गया.

इस से पहले बीते 5 अगस्त को दिल्ली पुलिस ने शालीमार बाग के बीटी ब्लौक स्थित सरकारी विद्यालय के एक शिक्षक के खिलाफ अपने छात्र के उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज किया. उक्त शिक्षक ने अपने 8 वर्षीय छात्र को इसलिए उठा कर पटक दिया क्योंकि उस ने घर जा कर अभिभावकों व विद्यालय के अन्य कर्मचारियों पर यह राज जाहिर कर दिया था कि उक्त शिक्षक उस से और दूसरे छात्रों से पैर दबवाता है, मालिश कराता है.

कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के कानपुर में नौबस्ता स्थित एक विद्यालय में पहली कक्षा की 6 वर्षीया छात्रा अविका अपनी शिक्षिका के वहशीपन का शिकार बन गई. कानपुर के पूर्णादेवी गर्ल्स इंटर कालेज में कक्षा 6 की छात्रा रूपा को मोबाइल रखने के आरोप में सब के सामने कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया. नतीजतन, घर आ कर उस ने फांसी लगा ली.

कानपुर के ही विजय नगर स्थित राजकीय इंटर कालेज में कक्षा 6 के छात्र विनीत ने महज इस बात पर फांसी लगा कर जान दे दी क्योंकि उस से स्कूल की एक बैंच असावधानीवश बैठने से टूट गई और उस के लिए उस से 1,500 रुपए हर्जाने की मांग की गई. जब विनीत ने उक्त रकम देने में असमर्थता जताई तो शिक्षकों ने उस की जम कर पिटाई की. अपमान से क्षुब्ध विनीत घर आ कर फांसी पर लटक गया.

इस से पहले अप्रैल माह में 5 खबरें आई थीं. पहली अकोला (महाराष्ट्र), दूसरी व तीसरी कांचीपुरम एवं सलेम (तमिलनाडु) और चौथी व 5वीं बाराबंकी एवं मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) से. अकोला में जवाहर नवोदय विद्यालय में 49 छात्राओं के यौन शोषण के आरोप में 3 शिक्षक गिरफ्तार किए गए. आरोपी शिक्षक छात्राओं से अश्लील बातें करते और उन्हें जबरन आलिंगन में लेते थे.

कांचीपुरम स्थित एक सरकारी विद्यालय की 7वीं कक्षा की 13 वर्षीय छात्रा के साथ दुष्कर्म करने वाले शिक्षक को पुलिस ने धरदबोचा. आरोपी शिक्षक ने अपनी मासूम छात्रा के साथ कई बार दुष्कर्म किया, नतीजतन वह गर्भवती हो गई. सलेम में एक सहायक प्रोफैसर अपनी छात्रा को घर पर बुला कर उस का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में गिरफ्तार हुआ. उस ने अध्ययन संबंधी दिक्कतें दूर करने के नाम पर अपनी छात्रा की अस्मत लूटी. बाराबंकी के रहलामऊ में 2 रुपए की कलम चोरी के आरोप में प्रधानाचार्य ने 6 वर्षीय छात्र को इतना पीटा कि उस की मौत हो गई.

उक्त सभी घटनाएं देशभर के अभिभावकों के लिए किसी सदमे से कम नहीं हैं, जो अपने बेटेबेटियों का भविष्य उज्ज्वल बनाने की खातिर उन्हें स्कूलकालेज भेजते हैं, उन के भविष्य और सुरक्षा के प्रति निश्चिंत रहते हैं. लेकिन जब ऐसी घटनाएं प्रकाश में आती हैं तो उन का सारा विश्वास डगमगा जाता है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत देश के विभिन्न हिस्सों में आएदिन ऐसी घटनाएं सुननेपढ़ने को मिलती रहती हैं. इस से अभिभावकों के दिल हमेशा आशंकित रहते हैं कि कब, कौन सा शिक्षक या शिक्षिका उन के बच्चे के साथ बदसलूकी कर गुजरे. कई बार तो सुनने में आया कि मामूली सी गलती पर बच्चे को ऐसी सजा दे दी गई कि अभिभावक ने भयवश उसे स्कूल से निकाल लिया.

आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के एक कौन्वैंट स्कूल की शिक्षिका ने एलकेजी में पढ़ने वाले एक छात्र को मूत्र पीने के लिए मजबूर कर दिया. उस का कुसूर यह था कि उस ने अपनी प्लास्टिक की बोतल में पेशाब कर दिया था. पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के गोपाल नगर स्थित एक स्कूल की शिक्षिका ने कथित रूप से पैसे चोरी करने के आरोप में 8वीं कक्षा की छात्रा के न सिर्फ कपड़े उतरवाए, बल्कि सहपाठियों के सामने उस की तलाशी ली.

मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के नौगांव स्थित एक विद्यालय की शिक्षिका ने 2 चोटियां बांध कर न आने के अपराध में 10वीं कक्षा की 3 छात्राओं  के बाल काट दिए. राजस्थान के भीलवाड़ा में बोरडा गांव स्थित एक सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल ने 35 छात्राओं के बाल कतर डाले. वजह, उक्त छात्राएं 2 चोटियां बना कर नहीं आई थीं.

मध्य मुंबई स्थित एक स्कूल की प्रिंसिपल एवं एक शिक्षिका के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया कि उन्होंने 3 छात्रों को न केवल चैन से बांध कर उन की परेड कराई, बल्कि उन्हें शौचालय की सफाई करने को मजबूर किया. सूरत (गुजरात) के अडाजण थानांतर्गत एलएनबी स्कूल की 9वीं कक्षा के छात्र हर्ष ने फांसी लगा कर जान दे दी. अपने सुसाइड नोट में हर्ष ने लिखा, ‘पापा, मेरी आखिरी इच्छा है कि आप पीटी वाले सर के गाल पर 10-20 थप्पड़ मारना.’

हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के संतोषगढ़ स्थित एक निजी स्कूल में पाठ न याद करने की सजा के बतौर, छात्रों की टाई और छात्राओं के बालों की चोटियों में जूते बांध दिए गए. उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के थाना हियोरनिया अंतर्गत राठ स्थित एक निजी स्कूल में नर्सरी कक्षा के विद्यार्थी को टीचर ने इस कदर पीटा कि वह हेड इंजरी का शिकार हो गया और अस्पताल पहुंच कर उस ने दम तोड़ दिया. उस का कुसूर यह था कि वह होमवर्क कर के नहीं लाया था.

फरीदाबाद स्थित होली चाइल्ड स्कूल की 8वीं कक्षा के छात्र कौश्तुब पंडित ने स्कूल के बाथरूम में खुद पर पैट्रोल डाल कर आग लगा ली. गंभीरावस्था में उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दाखिल कराया गया, जहां मौत ने उस से बाजी जीत ली. कौश्तुब होमवर्क वाली कौपी घर पर भूल गया था, जिस के लिए उस की शिक्षिका ने उसे जम कर डांट पिलाई थी.

गाजियाबाद के कविनगर स्थित महर्षि दयानंद विद्यापीठ में एक शिक्षिका ने होमवर्क पूरा न करने पर छात्र मोहित को इतना पीटा कि उस के कान के परदे में छेद हो गया. गाजियाबाद के ही टीला शाहबाजपुर स्थित डायमंड सीनियर सैकंडरी स्कूल में 7वीं कक्षा का छात्र सचिन अपनी होमवर्क की फाइल घर पर भूल आया था. इस से नाराज शिक्षक ने उसे जम कर पीटा, जिस से वह बेहोश हो गया.

गलीमहल्ले में खुलने वाले कथित मौंटेसरी, पब्लिक स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकशिक्षिकाएं अपनी अल्प, अपर्याप्त और सीमित आमदनी के चलते अकसर अनेक दिक्कतों से दोचार रहते हैं. उन्हें अपनी काबिलीयत का सही मोल न मिल पाने की कुंठा वक्त-बेवक्त सताती रहती है. लेकिन इस का मतलब यह तो कतई नहीं है कि नियोजकों के प्रति उपजा गुस्सा किसी मासूम पर उतारा जाए. सरकारी स्कूलों के शिक्षक तो इस के अपवाद हैं.

उन्हें पर्याप्त वेतन और सुविधाएं हासिल हैं, बावजूद इस के वे भी संवेदनशून्य होते जा रहे हैं. असल चिंता तो यह है कि शिक्षकों में हिंसा घुसपैठ करती जा रही है क्योंकि प्रशिक्षण में कोई कमी रह जाती है. बाल मनोविज्ञान न समझ पाने की खीझ उन्हें हिंसक और अमानवीय बनने को मजबूर कर रही है. हालात बहुत गंभीर हैं. बच्चों के मन में स्कूल और शिक्षकों के प्रति भय घर करता जा रहा है. इस का इलाज कानूनी कार्यवाही, निलंबन या बदले में मारपिटाई से संभव नहीं.

छुक छुक चलती रेलगाड़ियों में छेड़खानी

17 जनवरी की सर्द रात में कटिहार रेलवे स्टेशन से डिब्रूगढ-नई दिल्ली राजधनी एक्सप्रेस खुली तो ट्रेन के अंदर का महौल काफी गर्म हो गया. जोकीहाट के जदयू विधायक सरफराज आलम बगैर टिकट के ट्रेन में सवार हो गए और एक महिला मुसाफिर के साथ छेड़खानी करने लगे. ट्रेन जब पटना जंक्शन पर पहुंची तो दिल्ली के वीरेंद्र नगर के रहने वाले इंद्रपाल सिंह बेदी ने रेलवे थाने में शिकायत दर्ज कराई कि विधायक ने उनके और उनकी बीबी रूपसी बेदी के साथ बदसलूकी की.

एफआईआर में कहा गया है कि कटिहार स्टेशन पर बोगी नंबर एसी-4 में विधायक और उनके साथ 2 लोग सवार हुए और हंगामा शुरू कर दिया. नशे की हालत में हंगामा करते हुए वह फर्स्ट एसी के कूपे में चले गए और वहां से लौटने के बाद उनकी बीबी के साथ बदसलूकी करने लगे. छेड़खानी मामले के तूल पकड़ने के बाद विधायक के होश उड़ गए और उन्होंने राजधानी एक्सप्रेस से सफर करने की बात से ही इंकार कर दिया.

कटिहार और पटना जंक्शन के सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद साफ हो गया कि विधायक उस दिन ट्रेन में सवार हुए थे. वहीं रेलवे के मुताबिक 17 जनवरी के रिजर्वेशन चार्ट में भी सरफराज आलम नाम के किसी मुसाफिर का नाम नहीं था. जांच में खुलासा हुआ है कि विधायक के पिता अररिया के राजद सांसद मोहम्मद तसलीमुद्दीन की ओर से एक पीएनआर वीवीआईपी कोटा से कंफर्म कराने के लिए भेजा गया था. उसमें कामरान आदिम, वी मैहर और एस अंजुम का नाम था. इसमें कामरान का कोच नंबर ए3/ 32 पहले से ही कंफर्म था और अंजुम को ए3 को बर्थ नंबर 43 कंफर्म हुआ था. मैहर का टिकट कंफर्म नहीं हो सका था.

6 दिनों तक चले हाइ वोल्टेज ड्रामा के बाद आखिरकार 24 जनवरी को सरफराज को गिरफ्तार कर लिया गया. उनके साथ सफर कर रहे बौडीगार्ड इंजमामुल हक और कमर सईद को भी गिरफ्तार किया गया. पटना के रेल थाना में 7 घंटे की पूछताछ के बाद तीनों को जमानत दे दी गई. विधायक का कहना है कि वह बेकसूर हैं. वहीं रेल एसपी पीएन मिश्रा ने बताया कि विधायक का पासपोर्ट जब्त कर लिया है और कुछ शर्तों के साथ विधायक को जमानत दी गई है. विधायक की छेड़खानी को लेकर फजीहत झेलने के बाद जदयू ने उन्हें पार्टी से सस्पेंड भी कर दिया है.

यह तो था हाई प्रोफाइल छेड़खानी का मामला, लेकिन चलती रेलगाडि़यों में महिलाओं और लड़कियों के साथ छेड़खानी करने के मामले में काफी तेजी से इजाफा होता जा रहा है. रेलगाडि़यों में साथ सफर करने वाली महिलाओं के जरिए सेक्स की कुंठा शांत करने की ओछी कोशिश करने वालों की कतार लंबी होती जा रही है. पिछले साल 23 मार्च को डिब्रूगढ़-दिल्ली राजधनी एक्सप्रेस में पैंट्रीकर्मी ने 9 साल की बच्ची के साथ छेड़खानी कर छुकछुक करती चलती रेलगाड़ी पर एक और बदनुमा दाग लगा दिया.

9 साल की लड़की अपने भाई के साथ गुवाहाटी में सवार हुई थी और दिल्ली जा रही थी. रेल पुलिस में दर्ज रिपोर्ट में कहा गया है कि बरौनी रेलवे स्टेशन से जब ट्रेन खुली तो लड़की बाथरूम गई. जब वह बाथरूम से बाहर निकली तो पैंट्रीकर्मी जितेंद्र पांडे ने उसे गोद में उठा लिया और उसके साथ छेड़खानी करने लगा. बच्ची जब शोर मचाने लगी तो पैंसेजर उसकी ओर दौड़े. पैंसेंजर ने जितेंद्र की जम कर पिटाई कर डाली. वहीं जितेंद्र का कहना है कि लड़की जब बाथरूम से निकली तो ट्रेन की स्पीड अचानक कम होने की वजह से लड़खड़ा कर गिर गई थी इसलिए उसने उसे उठाकर उसकी सीट की ओर ले जा रहा था.

इसी तरह पिछले साल दिसंबर महीने में भी डिब्रूगढ़-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस में टीटीआई ने एक महिला से छेड़खानी की थी. वह महिला अपने बच्चे के साथ सफर कर रही थी. पटना जंक्शन पर ट्रेन के रूकते ही मुसाफिरों ने हंगामा मचा दिया और टीटीआई को गिरफ्तार करने की मांग करने लगे. आरपीएपफ थाने में टीटीआई के खिलाफ केस दर्ज कराया गया. रेलवे पुलिस ने टीटीआई की खोजबीन की तो पता चला कि टीटीआई समेत ट्रेन की पूरी स्कार्ट पार्टी ही फरार हो चुकी थी.

छेड़खानी की शिकार महिला चारू ने पुलिस में दर्ज रिपोर्ट में कहा था कि वह अपने 3 साल के बच्चे के साथ कानपुर जा रही थी. ट्रेन के बोगी नंबर-बी-10 में 31 नंबर सीट पर चारू को अकेली बैठी देख टीटीआई भरत कुमार शर्मा के अंदर का हैवान जाग गया और उसने उसके साथ बदतमीजी शुरू कर दी. वह महिला की सुरक्षा का हवाला देकर महिला की सीट पर बैठ गया और ओछी हरकतें करने लगा. मौका मिलते ही महिला ने अपने पति और पटना में रहने वाले अपने रिश्तेदार को मोबाइल फोन पर मामले की जानकारी दी थी.

इससे पहले नबंबर महीने में गुवहाटी-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस में ही नशे की हालत में सेना के 2 जवानों ने जम कर उत्पात मचाया और महिला मुसाफिरों के सामने गंदी हरकतें की. कोच नंबर बी-9 में सफर कर रहे जवानों ने पहले तो जम कर दारू पिया और उसके बाद मुसाफिरों के साथ बदसलूकी करने लगे. महिलाओं के सामने ही नशे में धुत्त जवानों ने अपने कपड़े उतार डाले और मना करने पर गाली-गलौज करने लगे. ट्रेन के पटना जंक्शन पहुंचते ही दोनों जवानों को गिरफ्तार कर लिया.

पिछले कुछेक सालों में चलती ट्रेनों में महिला मुसाफिरों के साथ छेड़खानी की वारदातों में तेजी से इजाफा हुआ है. अकसर ही इस तरह की वारदातें होती रहती हैं और रेल पुलिस और रेलवे महकमा आरोपियों को पकड़ने और मामले की जांच की बात कह कर पल्ला झाड़ लेता है. ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि रेलवे ऐसे मामलों में आरोपियों को सजा देने या दिलाने के बजाए मामले को दबाने में ज्यादा दिलचस्पी लेता है.

रेल पुलिस फोर्स के एक रिटायर्ड अपफसर अंजनी सिन्हा कहते हैं कि ट्रेनों में औरतों के साथ छेड़खानी, भद्दे इशारे या गप्पबाजी करना आम बात हो गई है, अपने सामने या आजू-बाजू की सीट या बर्थ पर बैठी महिला या लड़कियों को देखकर गलत हरकतें ओछी मानसिकता वाले लोग ही करते हैं. इसमें मुसाफिर, ट्रेन के स्टाफ, आरपीएफ और सेना के जवान समेत हर तरह के लोग शामिल होते हैं, जिससे छेड़खानी के ज्यदातर मामलों को आसानी से दबा दिया जाता है.

ट्रेनों में महिलाओं के साथ छेड़खानी करने वाले मनचलों के बारे में मनोविज्ञानी अजय मिश्र कहते हैं कि खुराफाती मानसिकता वाले और साथ में औरतों को बैठा देख सेक्स की भावना जगने वालों की कमी नहीं है. कुछ लोग खुद पर काबू रख कर खामोश रह जाते हैं और कुछ लोगों की सेक्स कुंठा पास बैठी लड़कियों और औरतों को देख कर ज्यादा ही मचलने लगती हैं. जिससे वह औरतों के साथ गलत हरकत कर बैठते हैं. यह सब तो दिमागी रोग की तरह है और ऐसे लोगों पर कानून के डंडे से रोक नहीं लगाई जा सकती है.

समाजवादी पार्टी के अधेड़ उमर के बडे़ नेता भी ट्रेन में छेड़खानी कर अपने चेहरे वा कालिख पोत चुके हैं. 18 मार्च 2013 को समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद चंद्रनाथ सिह भी ट्रेन में महिला के साथ छेड़खानी के आरोप में गिरफ्तार हो चुके हैं. 62 साल के सिंह पद्मावत एक्सप्रेस में साथ में सपफर कर रही एक औरत के साथ गलत व्यवहार कर रहे थे. पीडि़त महिला ने नेता पर आरोप लगाया था कि वह नशे की हालत में थे और कई बार समझाने के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे थे.

एक बड़ी प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले राजेश कुमार राज बताते हैं कि मार्केटिंग के काम के सिलसिले में वह हर महीने करीब 15-20 दिन ट्रेनों में ही गुजारते हैं. चलती ट्रेन में लड़कियों और औरतों को देखकर छेड़खानी करने या गंदी फब्तियां कसने वालों की अलग ही सोच होती है. वह लड़कियों को छूने, उनके बदन से सटने और चिपकने के मौके ढ़ूंढ़ते रहते हैं और कोई मौका न मिले तो खुद मौका पैदा कर लेते हैं.

मसलन इधर-उधर आती जाती लड़कियों के शरीर से सटने के लिए वैसे लोग रास्ते पर खड़े हो जाते हैं, नीचे झुक कर कोई सामान निकालने का स्वांग करने लगते हैं. ऐसे ज्यादातर मामले में महिलाएं खामोश रह जाती हैं. कोई हंगामा न हो या फिर लोक-लाज के डर से औरतों के चुप रहने की वजह से ही लफंगों का मन बढ़ जाता है. अगर पीडि़त महिला हल्ला मचाए तो ट्रेन की बोगी में सवार बाकी मुसाफिर लफंगे को सबक सीखा सकते हैं.

महिला बिग्रेड के जरिए बिहार में औरतों को उनके हकों को लेकर जागरूक करने की मुहिम चलाने वाली अनीता सिन्हा कहती हैं कि औरतों को अपनी रक्षा और सुरक्षा को लेकर खुद ही सतर्क और जागरूक होना होगा, केवल कानून और पुलिस के भरोसे महिलाओं को सुरक्षा हासिल नहीं हो सकती है.

आज काफी पढ़ने लिखने के बाद भी ज्यादातार महिलाएं छेड़खानी और शारीरिक उत्पीड़न को लेकर चुप्पी साधे रह जाती हैं, इसके पीछे बस एक ही वजह होती है, लोक-लाज के डर, लोग क्या कहेंगे, बेकार का फसाद खड़ा होगा. कई मामलों में देखा गया है कि छेड़खानी के खिलाफ हो-हल्ला मचाने या आवाज उठाने वाली महिला को ही समाज बदचलन करार दे देता है. इस वजह से भी कई महिलाएं लफंगों की बेजा हरकतों को चुपचाप सह लेती हैं. ऐसी औरतों को यह समझना पड़ेगा की खामोश रह कर वह लफंगों के मनोबल को बढ़ाने की ही काम करती हैं.

पटना में रेल एसपी प्रकाश नाथ मिश्रा का दावा है कि रेलगाडि़यों में छेड़खानी करने वालों के साथ कड़ी कानूनी कारवाई की जाती है. वह कहते हैं कि ट्रेनों में अगर कोई लफंगा किसी महिला के साथ छेड़खानी करता है या गंदी बातें करता है तो ऐसे में बोगी में मौजूद बाकी सवारियों को इसका विरोध करना चाहिए. इसकी जानकारी ट्रेन में मौजूद रेल पुलिस के जवानों को देनी चाहिए. कोई लफंगा बोगी में गलत हरकत करता है तो बाकी मुसफिरों के चुपचाप रहने से ही बदमाशों का हौसला बढ़ता है, अगर उसे सही समय पर सही सबक दे दिया जाए तो आगे वह ऐसी हरकतें करने से पहले कोई भी लफंगा सौ बार सोचेगा.

रेलगाडि़यों में जब कोई करे छेड़खानी

– अगर कोई रेलकर्मी ही छेड़खानी कर रहा हो तो अपने बोगी या कूपे के बाकी मुसाफिरों की मदद लें.

– कोई लफंगा जब छेड़छाड़ करने की कोशिश करे तो चुप्पी नहीं साधें.

– अगर आपके साथ कोई अपना सफर कर रहा हो तो उसे बताएं, नहीं तो बाकी मुसाफिरों या फिर रेल पुलिस को तुरंत सूचना दें.

– अपने मोबाइल फोन के जरिए किसी रिश्तेदार या दोस्त को एसएमएस के जरिए पूरी जानकारी दें.

– रेल पुलिस की महिला हेल्पलाइन नंबर अपने पास जरूर रखें. हेल्प लाइन नंबर-1800-111322

बुजुर्गों की हत्या: अपने ही बहा रहे अपनों का खून

उम्र के आखिरी पड़ाव में अपनों की मार झेलते बुजुर्गों की सुरक्षा पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है. अक्तूबर 2015, मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के ग्राम बडेरी में बेटे ने दौलत की खातिर मां और मामा के साथ मिल कर अपने ही पिता की हत्या कर डाली.

अक्तूबर 2015, शहडोल के पाली थाना के औढेरा गांव में एक युवक अपनी पत्नी को पीट रहा था. उसी दौरान उस का बेटा वहां पहुंच गया और पिता को रोकना चाहा. लेकिन जब पिता नहीं माना तो उस ने पिता पर लाठी से वार कर दिया जिस से उस की मौत हो गई.

सितंबर 2015, जशपुरनगर जिले के दुलदुला थाना क्षेत्र के बांसपतरा टीपन टोली में 25 सितंबर को संतोष राम पिता रतिराम के साथ गांव से शराब पी कर घर पहुंचे. नशे में धुत्त बेटे का मां से किसी बात को ले कर विवाद हो गया. गुस्साए संतोष राम ने मां धनमेत बाई पर लाठी से वार कर उसे मौत के घाट उतार दिया. 2 सितंबर 2015 को हरियाणा के रोहतक में परिजनों की रोकटोक से नाराज बेटे ने दोस्तों के साथ मिल कर मां की गला घोंट कर हत्या की और पिता पर भी धारदार हथियारों से हमला कर दिया. सभी आरोपी नाबालिग.

मई 2015, उत्तर प्रदेश के शामली जिले में एक व्यक्ति ने जमीन नहीं बेचने पर अपने मांबाप की हत्या कर दी. बेटे ने बिना पुलिस को सूचित किए मांबाप का अंतिम संस्कार कर दिया और लोगों को बताया कि दोनों ने आत्महत्या कर ली.

धन और जमीन का लालच

चंद महीनों में इस तरह की सैकड़ों वारदातें बताती हैं कि बुजुर्ग अपने ही घर में सुरक्षित नहीं रहे. देश के हर कोने में कहीं संपत्ति तो कहीं संबंधों की उलझन के चलते कभी बेटा पिता का कत्ल कर रहा है तो कहीं जमीन हथियाने के लिए करीबी रिश्तेदारों द्वारा मांबाप की सामूहिक हत्या की जा रही है. बिहार का हालिया मामला भी इसी बात की तस्दीक करता है कि बुजुर्गों की नृशंस हत्या के मामले में ज्यादातर अपराधी अपना ही खून होते हैं.

बिहार की राजधानी पटना का पुराना और घना इलाका पटना सिटी की पटनदवी कालोनी. पिछले 19 सितंबर को सुबह 9 बजे चीखपुकार मचती है. 78 साल की दौलती देवी का उस के 55 साल के बेटे विजय के साथ पैसों को ले कर अनबन शुरू होती है. दौलती ने जब विजय को रुपया देने से इनकार कर दिया तो गुस्से से हैवान बने विजय ने अपनी मां को जोर से धक्का दे दिया.

बूढ़ी दौलती मुंह के बल जमीन पर गिर पड़ी और उस के मुंह से खून बहने लगा. दौलती के छोटे बेटे सुजय ने जख्मी मां को उठाया और अस्पताल ले गया. जांच के बाद डाक्टरों ने बताया कि दौलती की मौत हो चुकी है. मां की मौत होने के बाद गुस्साए सुजय ने घर पहुंच कर विजय पर ईंट, पत्थरों और धारदार हथियार से हमला कर दिया. मौके पर ही विजय की मौत हो गई.

इस दोहरे हत्याकांड के पीछे रुपए और जमीन का ही विवाद था. आसपास के लोगों ने बताया कि दौलती और उस के बेटों के बीच अकसर रुपयों के लेनदेन को ले कर जम कर झगड़ा होता रहता था. दौलती के पति फकीरा महतो सरकारी मुलाजिम थे और रिटायर होने के कुछ ही दिनों के बाद उन की मौत हो गई थी. उन की पैंशन दौलती देवी को मिलती थी. पैंशन की रकम को ले कर हमेशा मांबेटों में विवाद होता था. इस के अलावा ढाई कट्ठे (3,350 वर्गफुट) जमीन के कुछ हिस्से में घर बना हुआ था और अगले हिस्से को मोटरगैराज वाले को किराए पर दिया गया था. किराए का पैसा छोटे बेटे सुजय को मिलता था.

विजय की निगाह पैंशन की रकम पर लगी रहती थी और इसी को ले कर वह झगड़ा करता रहता था. कुछ हजार रुपए के लिए विजय ने अपनी मां की जान ले ली. उस ने मांबेटे के रिश्ते को तारतार कर डाला. जमीन के टुकड़े और कुछ रुपयों को हथियाने के चक्कर में पूरा परिवार तबाह हो गया. दौलती और विजय की तो जान गई, सुजय की पूरी जिंदगी अब जेल की सलाखों के पीछे कटेगी. विजय की बीवी किरण देवी और उस की 3 बेटियों के साथ ही सुजय की बीवी रानी की जिंदगी भी तबाह हो चुकी है.

इसी तरह 15 जुलाई, 2014 को पटना के पीरबहोर थाना क्षेत्र के बिहारी साव लेन में कारोबारी धीरज सहाय की गोली मार कर हत्या कर दी गई. पुलिस को इस मामले में आज तक कोई सुराग नहीं मिल सका है. पुलिस को शक है कि संपत्ति हथियाने की नीयत से धीरज के किसी अपने ने ही उस की हत्या की है. मई 2013 में दानापुर के व्यापारी हरिमोहन लाल को नासरीगंज इलाके के उन के घर में चाकुओं से गोद कर मार डाला गया. इस मामले में पुलिस अपराधियों को दबोचने में कामयाब हो गई.

अपराधियों ने बताया कि हरिमोहन के परिवार के ही एक सदस्य ने हत्या की सुपारी दी थी, पर नाम का खुलासा नहीं हो सका. दिसंबर 2012 में पाटलीपुत्र थाना क्षेत्र के इंद्रपुरी महल्ले में देवेश नाम के युवक ने अपनी सौतेली मां व 2 बहनों का खून कर डाला. देवेश ने संपत्ति को हथियाने के लिए एकसाथ 3 लोगों की जान ले ली.

नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो की हालिया रिपोर्ट बताती है कि साल 2014 में देशभर में बुजुर्गों से जुड़े 18,714 मामले अलगअलग पुलिस थानों में दर्ज किए गए और इन मामलों के तहत 19,008 बुजुर्ग अपराध के शिकार हुए.

रिपोर्ट के मुताबिक, बुजुर्गों से जुड़े अपराध के सब से ज्यादा 3,981 मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए. अन्य राज्यों–मध्य प्रदेश में 3,438, तमिलनाडु में 2,121, आंध्र प्रदेश में 1,852, राजस्थान में 1,034 और दिल्ली में 1,021 मामले पुलिस थानों में दर्ज किए गए. बिहार में बुजुर्गों की हत्या, लूट और प्रताड़ना के 496 मामले दर्ज किए गए. इन मामलों में 521 बुजुर्गों को अपराधियों ने निशाना बनाया.

दौलत और रुपयों की खातिर बुजुर्गों के बेटे, रिश्तेदार, दोस्त आदि ही उन का कत्ल करने लगे हैं, जिस से परिवार में भरोसा नाम की चीज खत्म होती जा रही है और अपराध का नया व घिनौना चेहरा सामने आने लगा है. रुपयोंपैसों और जमीनजायदाद के लिए पिता, मां, दादा, चाचा आदि का अपने करीबी रिश्तेदारों द्वारा खून करने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.

ब्यूरो के आंकड़ों को देख कर महसूस किया जा सकता है कि रिश्तेदारी और दोस्ती पर दौलत किस कदर भारी पड़ने लगी है. बुजुर्ग और असहाय रिश्तेदारों को मार कर उन की दौलत हड़पने के बढ़ते मामलों से रिश्तों के भरोसे का भी खून हो रहा है.

दौलत को हथियाने के लिए आज अपने खून, अपने जाए ही अपनों का बेरहमी से खून बहा रहे हैं. पुलिस के एक आला अफसर कहते हैं कि ऐसे मामलों में परिवार के सदस्य बड़ी ही सफाई से और मौके का इंतजार कर बड़ी ही चतुराई के साथ हत्या को अंजाम देते हैं. इस से पुलिस को पड़ताल में काफी दिक्कतें आती हैं. ऐसे ज्यादातर  मामलों में हत्यारे या हत्या की साजिश रचने वाले ही शिकायत दर्ज कराते हैं.

हत्या को अंजाम देने के बाद सुबूतों को पूरी तरह से मिटा कर ही वे पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराने पहुंचते हैं. इतना ही नहीं, वे समयसमय पर पुलिस जांच के बारे में जानकारी भी लेते रहते हैं और पुलिस को गुमराह कर जांच को दिशा से भटकाने में कामयाब हो जाते हैं. बिहार पुलिस मुख्यालय से मिली रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2013 से मई 2015 तक पटना जिले में 699 हत्याएं हुईं, जिन में से 77 फीसदी में किसी न किसी तरह से परिवार के किसी सदस्य या पहचान वालों का ही हाथ था.

गया जिले के एसएसपी मनु महाराज कहते हैं कि जब पुलिस में हत्या की शिकायत दर्ज कराने वाला ही कातिल हो तो पुलिस को जांचपड़ताल में काफी दिक्कतें आती हैं. कई मामलों में यह भी देखा गया है कि बुजुर्ग की हत्या के बाद उन के परिवार वाले हत्या को खुदकुशी का भी रूप देने की कोशिश करते हैं, जिस से कानून के चंगुल से आसानी से बचा जा सके. पंखे से लटकने, नींद की गोलियां खाने, फिनाइल और एसिड जैसी जहरीली व जानलेवा द्रव्यपदार्थ पीने, सीढि़यों से गिरने से मौत होने की साजिश परिवार वाले आसानी से रच लेते हैं.

इस के साथ ही यह भी देखा गया है कि पेशेवर हत्यारा मर्डर करने से पहले सौ बार सोचता है और काफी सोचसमझ कर काम करता है. वह ज्यादातर मामलों में बूढ़ों व बच्चों की हत्या नहीं करता है. लेकिन परिचित या रिश्तेदार नौसिखिए होते हैं, अपनी पहचान छिपाने के लिए वे बेरहमी से बूढ़ों व बच्चों की हत्या कर डालते हैं.

पटना हाई कोर्ट के वकील उपेंद्र प्रसाद कहते हैं कि घर के बुजुर्ग को परिवार पर बोझ मानने का चलन तेजी से बढ़ा है. बच्चे सोचने लगे हैं कि बूढ़े मांबाप उन के ऊपर बोझ की तरह हैं. उन की वजह से ही वे अपने बीवीबच्चों के साथ घर छोड़ कर घूमने नहीं जा सकते हैं. इस के अलावा, लड़के उस दौलत को जल्दी पाने के चक्कर में अपनों का खून कर डालते हैं जो दौलत कल आसानी से उन्हीं की होने वाली है.

मांबाप की सेवा कर उन्हें जिंदगी के आखिरी पड़ाव में खुश रख कर उन की दौलत पाने के बजाय गैरकानूनी तरीके से उसे पाने की कोशिश करना अकसर उन्हें भारी पड़ जाता है. अपनों की जान लेने के बाद वे अपनों के साथ जायदाद व अपने परिवार को भी खो देते हैं और बाकी जिंदगी उन्हें जेल में काटनी पड़ती है. उन की बीवी और बच्चे की जिंदगियां भी बरबाद हो जाती हैं.

मनोविज्ञानी अनिल पांडे कहते हैं कि जमीनजायदाद को ले कर घरेलू विवादों के बढ़ते मामलों के बीच परिवार वालों को देखनासमझना होगा कि ऐसे विवादों को तूल न पकड़ने दें और न ही ऐसे मामलों को लटका कर रखें. ऐसे मामलों का जितना जल्दी निबटारा कर दिया जाए, परिवार और परिवार वालों के लिए उतना ही अच्छा है.

आज की फास्ट लाइफ के बीच रिश्तों और जज्बातों की डोर कमजोर होती जा रही है. यही वजह है कि जराजरा सी घरेलू झड़प या संपत्ति के विवादों में अपनों का खून करने में जरा भी हिचक नहीं होती है. रिश्तों में कड़वाहट इस कदर बढ़ती जा रही है कि बाप बेटे का, बेटा मां का, भाई बहन का, मामा भांजे का, भतीजा चाचा का कत्ल करने में देर नहीं लगाते.

परिवार की संपत्ति को ले कर बढ़ते विवाद को कम करने के लिए बुजुर्ग मांबाप को यह ध्यान रखना होगा कि उन के बच्चों के बीच दौलत व रुपयों को ले कर तनाव की गुंजाइश ही नहीं हो. इस के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रख कर बुजुर्ग अपने बच्चों को खुश रख सकते हैं और अपनी जान पर आफत आने से भी रोक सकते हैं. आज रिश्तों के महत्त्व के कम होने के बीच भी कुछ सावधानी बरत कर रिश्ते और जान दोनों को बचा कर रखा जा सकता है :

– दौलत का बंटवारा बच्चों के बीच कर दें और यह ताकीद कर दें कि उन के मरने के बाद सभी बच्चों को उन की दौलत पर बराबरी का हक होगा.

– अपनी दौलत की वसीयत समय रहते कर दें और बच्चों व परिवार के सभी लोगों को इस की जानकारी दें, ताकि कोई अंधेरे में न रहे.

– घरेलू झगड़ों की अनदेखी न करें, न ही उसे दबाने की कोशिश करें. परिवार के साथ मिलबैठ कर निबटारा कर लें. ऐसा नहीं हो पाता है तो अदालत का दरवाजा खटखटाएं.

– कई ऐसे मामले देखने में आते हैं कि किसी बच्चे के प्रति मांबाप का ज्यादा झुकाव होता है, जिस से बाकी बच्चों में असुरक्षा की भावना बैठ जाती है कि कहीं पिता अपने लाड़ले बेटे को सारी दौलत या दौलत का ज्यादा हिस्सा न दे दें. मांबाप को चाहिए कि किसी बच्चे में ऐसी गलत भावना न आने दें और बच्चों को भी चाहिए कि सभी मांबाप के लिए जिम्मेदार हों, ताकि किसी एक बच्चे की ओर उन का ज्यादा झुकाव न हो.

– अगर किसी बेटे को किसी कारोबार को शुरू करने में रुपयों की मदद करते हैं तो बाकी बेटों और परिवार के सभी सदस्यों को भरोसे में ले कर करें. ऐसा नहीं करने से बेटों के बीच तनाव का माहौल पैदा होने लगता है जो बाद में बड़े झगड़े का रूप ले लेता है. उस के बाद मामला थानाअदालत तक जा पहुंचता है.

– किसी बेरोजगार बेटे को कोई धंधा चालू करने के लिए रुपए दें तो उसे यह हिदायत भी दें कि रुपए कर्ज के तौर पर दिए जा रहे हैं, जिसे धीरेधीरे वापस करना होगा. इस से बेटा धंधे में पूरा मन लगाएगा और बाकी बेटों में किसी तरह की ईर्ष्या की भावना नहीं पैदा होगी.

– घर के किसी भी सदस्य से किसी भी तरह का खतरा होने या किसी के धमकी देने के मामले में बुजुर्ग खामोश नहीं रहें. अपने किसी रिश्तेदार, दोस्त, वकील और पुलिस को इस के बारे में जरूर बताएं.

विदेशों में स्थिति बेहतर

जहां भारत में बुजुर्गों की सुरक्षा को ले कर सिर्फ कागजी कानून है वहीं विदेशों में, खासकर अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के देशों में, रिटायरमैंट के साथ ही बुजुर्गों के घरों पर वे तमाम तरह की सहूलियतें दी जाती हैं जो उन की सुरक्षा के लिए जरूरी हैं. भले सीढि़यों से उतरने और बाथरूम्स में रैलिंग या हैंडिल का मामला हो या फिर उन के घरों को पुलिस केंद्रों से फोन के जरिए सीधे जोड़ना, बुजुर्गों को हर मदद तत्काल मिलती है.