प्रेम की आग में भस्म – भाग 3

दीपक का एक दोस्त था वली, जिस के पास होंडा सिटी कार थी. दीपक पार्टी में जाने का बहाना कर के उस की कार मांग लाया. उस ने कार ला कर सुनील के घर के बाहर खड़ी कर दी. रात का खाना खाने के बाद सुनील ने रमा से बाहर घूमने जाने की बात कही तो वह चलने को तैयार हो गई.

12 नवंबर, 2013 की रात को सुनील रमा को होंडा सिटी कार में बैठा कर घूमने निकला. रमा उस वक्त काफी खुश थी. रमा को साथ ले कर सुनील चारकोप स्थित दीपक टाक के घर गया. सुनील ने उस से घूमने चलने को कहा तो वह बोला, ‘‘लौंग ड्राइव पर चलेंगे.’’

इस बात पर सुनील ने कोई आपत्ति नहीं की. लौंग ड्राइव के बहाने दीपक ने 5-5 लीटर की 2 खाली कैन और नायलौन की रस्सी का एक टुकड़ा कार में रख लिया. इस के बाद वे कार ले कर जिला ठाणे की तहसील भिवंडी की ओर चल दिए.

भिवंडी रोड पर जा कर दीपक टाक ने आदर्श पैट्रोल पंप से दोनों कैन पैट्रोल से भरवा लिए. इस के बाद ड्राइविंग सीट दीपक टाक ने संभाल ली. सुनील पीछे की सीट पर बैठ गया. इस बीच रमा ने घर लौट चलने को कहा तो वह बोला, ‘‘लौटने की इतनी जल्दी क्या है, इतने दिनों के बाद बाहर घूमने निकले हैं, घूमघाम कर आराम से लौटेंगे.’’

बातोंबातों में कार नासिक बाईपास रोड पर आ गई. तब तक रात के 12 बज गए थे. सडक़ सुनसान थी, सही मौका देख कर सुनील ने पीछे की सीट के पास पड़ी नायलौन की रस्सी उठाई और आगे की सीट पर बैठी रमा के गले में डाल कर तब तक कसता रहा, जब तक वह मर नहीं गई.

रमा की मौत हो चुकी थी. अब उन दोनों को उस की लाश ठिकाने लगानी थी. इस के लिए दीपक ने गाड़ी एक सुनसान जगह पर रोकी और दोनों ने रमा की लाश कार से निकाल कर सडक़ किनारे की खाई में डाल दी. इस के बाद उस पर पैट्रोल डाल कर आग लगा दी. फिर दोनों घर लौट आए.

कांताबाई ने जब कई महीने तक रमा को सुनील के साथ नहीं देखा तो सुनील से उस के बारे में पूछताछ की. लेकिन वह कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया. उस का कहना था कि रमा गर्भवती थी, इसलिए उस ने उसे विरार में अपने एक रिश्तेदार के यहां भेज दिया है. इस से कांताबाई के मन में तरहतरह की आशंकाएं उठने लगीं.

संदेह हुआ तो कांताबाई ने ओशिवारा थाने जा कर सुनील के खिलाफ बेटी को गायब करने की रिपोर्ट लिखा दी. जब सुनील को इस बात का पता चला तो गिरफ्तारी और पुलिस पूछताछ से बचने के लिए उस ने हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली. इस तरह सुनील कांगड़ा ओशिवारा थाने की पुलिस के चंगुल से तो बच गया, लेकिन वह नारपोली थाने की पुलिस की गिरफ्त से नहीं बच सका.

नारपोली पुलिस के नवनियुक्त सीनियर इंसपेक्टर अनिल आकड़े ने लगभग 2 साल पुरानी फाइल को खोला और 2 साल पहले मौत के घाट उतारी गई महिला की पहचान कराई और फिर हत्यारे तक पहुंच गए. रमा का हत्यारा सुनील तो गिरफ्तार हो गया, लेकिन दीपक टाक घर से फरार हो गया था. उसे पुलिस ने काफी खोजा, कई जगह दबिश दी, लेकिन वह हत्थे नहीं चढ़ा.

जब दीपक टाक का कोई पता नहीं चला तो पुलिस ने सुनील से मिलने आने वाली उस की पत्नी बिंदिया जो दीपक टाक की बहन थी, को थाने बुला कर उस का मोबाइल चैक किया. उस के मोबाइल के वाट्सऐप में दीपक टाक का फोटो मिल गया. यह भी पता चल गया कि वह अपनी बहन के संपर्क में था. पुलिस ने वह तसवीर ले कर वाट्सऐप से मुखबिरों के मोबाइल पर भेज दीं.

इस का नतीजा जल्दी ही सामने आ गया. सुनील कांगड़ा की गिरफ्तारी के 15 दिनों बाद पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि दीपक टाक अपनी पत्नी के साथ घाटकोपर के फीनिक्स मौल में फिल्म देखने आने वाला है. सूचना महत्त्वपूर्ण थी. अनिल आकड़े अपनी पुलिस टीम के साथ वहां पहुंचे और दीपक टाक को गिरफ्तार कर लिया. 26 वर्षीय दीपक को गिरफ्तार कर के थाना नारपोली लाया गया. पुलिस ने उसे मैट्रोपौलिटन मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर पूछताछ के लिए 7 दिनों का पुलिस रिमांड लिया.

रिमांड के दौरान उस से पूछताछ की गई तो उस ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. उस की निशानदेही पर पुलिस ने वह होंडा सिटी कार भी बरामद कर ली, जिस में रमा कांगड़ा की हत्या की गई थी.

सुनील कांगड़ा और दीपक टाक से विस्तृत पूछताछ के बाद पुलिस ने उन के विरुद्ध भादंवि की धारा 302, 315, 201 और 34 के तहत केस बनाया और दोनों को अदालत पर पेश कर के जेल भेज दिया. फिलहाल दोनों जेल में हैं. इस केस की तफ्तीश इंसपेक्टर प्रकाश पाटिल कर रहे हैं.

प्रेम की आग में भस्म – भाग 2

उस ने रमा कांगड़ा हत्याकांड की जो कहानी बताई, वह स्तब्ध कर देने वाली थी.

रमा धनगांवकर के पिता तभी गुजर गए थे, जब वह 4 साल की थी. पति की मौत के बाद कांताबाई धनगांवकर ने अपनी चारों बेटियों को अपने दम पर पालापोसा और पढ़ायालिखाया. कांताबाई धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी. वक्त के साथ उस ने चारों बेटियों की शादियां भी कर दीं. रमा उन की सब से छोटी बेटी थी और लाडली भी. शायद इसी वजह से वह ससुराल से ज्यादा मायके में रहती थी. इसी बात को ले कर उस के और पति के बीच मतभेद बढ़े और नौबत तलाक तक आ गई.

तलाक के बाद रमा अपनी मां के पास रहने लगी. सुनील कांगड़ा का परिवार उसी कालोनी में रहता था, जिस में धनगांवकर परिवार रहता था. दोनों के घरों के बीच करीब 2 सौ कदम की दूरी थी. सुनील कांगड़ा और रमा धनगांवकर साथसाथ खेलकूद कर बड़े हुए थे. दोनों ने महानगर पालिका के स्कूल में पढ़ाई भी साथसाथ की थी.

25 वर्षीया रमा धनगांवकर सुंदर ही नहीं, स्वभाव से चंचल भी थी. उस में कुछ ऐसा आकर्षण था कि कोई भी उस की ओर आकर्षित हो सकता था. 27 वर्षीय सुनील कांगड़ा सुंदर और हृष्टपुष्ट था. उस के पिता आजाद कांगड़ा एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे. लेकिन नौकरी के दौरान ही उन्हें लकवा मार गया था, जिस की वजह से कंपनी ने उन्हें रिटायर कर दिया था.

सुनील की एकलौती बहन की शादी हो चुकी थी. घर में मां, पिता और छोटा भाई ही थे. छोटा भाई भी चूंकि लकवे का शिकार था, इसलिए घरपरिवार की सारी जिम्मेदारी सुनील पर आ गई थी. उस ने परिवार का खर्च उठाने के लिए बीएमसी (मुंबई महानगर पालिका) में नौकरी कर ली थी.

सुनील कांगड़ा रमा से सीनियर था, लेकिन दोनों एक स्कूल में पढ़े थे. सीनियर होने के नाते सुनील पढ़ाईलिखाई में रमा की मदद किया करता था. इसी नाते दोनों के बीच बचपन से ही भावनात्मक लगाव था. दोनों एकदूसरे के घर भी आतेजाते थे. उम्र के साथसाथ दोनों का एकदूसरे के प्रति लगाव भी बढ़ता गया. पढ़ाई के बाद भी न तो दोनों का मिलनाजुलना कम हुआ और न ही भावनात्मक लगाव. जब दोनों जवान हुए तो उन का भावनात्मक लगाव प्यार में बदल गया और दोनों छिपछिप कर मिलने लगे.

जल्दी ही वह समय भी आ गया जब रमा और सुनील एकदूसरे को जीवनसाथी के रूप में देखने लगे. दोनों को ही ऐसा लगता था, जैसे वे बने ही एकदूसरे के लिए हैं. इस सब के चलते ही दोनों ने साथसाथ जीनेमरने की कसमें खा ली थीं.

रमा और सुनील के बीच पक रही प्यार की खिचड़ी की भनक जब रमा की मां को लगी तो उस ने यह बात अपनी तीनों बेटियों से बताई. मां और तीनों बहनों ने मिल कर रमा को ऊंचनीच समझाया, परिवार की इज्जत का वास्ता दिया, समाज का डर दिखाया तो रमा की सोच में थोड़ा बदलाव आ गया. रमा का मन बदल गया है, यह सोच कर मां और बहनों के प्रयास से रमा की शादी दूर की एक रिश्तेदारी में कर दी गई. यह अक्तूबर, 2005 की बात है. रमा ससुराल चली गई. उस का पति भी ठीकठाक था.

सुनील ने इसे रमा की बेवफाई समझा. लेकिन धीरेधीरे उस की समझ में यह बात आ गई कि इस के पीछे रमा की कोई मजबूरी रही होगी. समय के साथ वह रमा को भूलने की कोशिश करने लगा. इस में वह काफी हद तक कामयाब भी रहा. अंतत: मई, 2007 में उस ने कांदीवली, मुंबई की बिंदिया से शादी कर के अपनी गृहस्थी बसा ली.

बिंदिया भी सुंदर और सुशील थी. वह सुनील के साथसाथ पूरे परिवार का खयाल रखती थी. समय के साथसाथ सुनील एक प्यारी सी बच्ची का पिता भी बन गया. घरगृहस्थी सब ठीम चल रही थी कि सुनील की जिंदगी में रमा तूफान बन कर फिर आ गई.

सन 2010 में रमा अपने पति से तलाक ले कर अपनी मां के पास आ गई और वहीं रहने लगी. यह बात सुनील को पता चली तो 5 सालों से उस के सीने में दबी प्यार की चिंगारी फिर से सुलगने लगी. यही हाल रमा का भी था. चाहत चूंकि दोनों ओर थी, इसलिए जल्दी ही दोनों ने एकदूसरे से मिलनाजुलना शुरू कर दिया. दोनों नजरें बचा कर साथसाथ घूमनेफिरने लगे. इतना ही नहीं, दोनों ने फिर से एक होने का सपना देखना शुरू कर दिया.

कांताबाई को पता चला तो उस ने रमा को समझाया कि सुनील शादीशुदा और एक बच्ची का पिता है, इसलिए उस से दूर रहे. लेकिन रमा ने मां की बात पर ध्यान न दे कर सन 2011 में सुनील से कोर्टमैरिज कर ली. सुनील ने इस शादी को अपनी पत्नी और परिवार से छिपा कर रखा. कुछ समय तो सब ठीक चलता रहा, लेकिन यह बात छिपी न रह सकी.

जब यह बात सुनील की पत्नी को पता चली तो घर में आए दिन झगड़ा होने लगा. एक तो घर की कलह, ऊपर से पूरे परिवार का बोझ, इस सब से सुनील परेशान रहने लगा. समस्या यह थी कि न तो वह अपने परिवार को छोड़ सकता था और न रमा को.

इसी बीच सन 2013 में जब रमा गर्भवती हो गई तो उस का मानसिक संतुलन और भी बिगड़ गया. वह नहीं चाहता था कि रमा मां बने. उस ने रमा को गर्भपात कराने के लिए समझाया, लेकिन रमा इस के लिए तैयार नहीं हुई. इस पर रमा ने सुनील को काफी डांटाफटकारा. यह बात सुनील को बहुत बुरी लगी. आने वाली संतान को ले कर सुनील और रमा के बीच विवाद इतना बढ़ा कि रमा के प्रति सुनील के मन में समाया प्यार नफरत में बदल गया. वह रमा को अपनी जिंदगी से निकाल फेंकने की बात सोचने लगा.

आखिर सुनील ने तय कर लिया कि अब वह रोजरोज की कलह से मुक्ति पा कर रहेगा. फैसला कर लेने के बाद सुनील ने चारकोप, कांदीवली में रहने वाले अपने साले यानी पत्नी बिंदिया के भाई दीपक टाक से बात की. दीपक को यह बात कुछ जमी नहीं, उस ने सुनील को आड़े हाथों लिया, साथ ही मना भी कर दिया कि वह इस मामले में उस का साथ नहीं देगा.

इस पर सुनील ने भावनात्मक कार्ड खेलते हुए कहा, ‘‘तुम समझ नहीं रहे हो दीपक, उस के जिंदा रहने से तुम्हारी बहन का भविष्य खतरे में पड़ सकता है, साथ ही बच्चों का भी.’’

दीपक टाक उस के भावनात्मक जाल में फंस कर उस का साथ देने को तैयार हो गया. उस के तैयार होते ही दोनों ने रमा को ठिकाने लगाने की योजना बना ली. उन की योजना के अनुसार एक कार की जरूरत थी, ताकि रमा को मुंबई के बाहर ले जा कर ठिकाने लगाया जा सके.

प्रेम की आग में भस्म – भाग 1

21 नवंबर, 2013 की सुबह के 6 बजे थे. मुंबई से सटे ठाणे जिले की तहसील भिवंडी के नारपोली थाने के असिस्टैंट इंसपेक्टर माले की नाइट ड्यूटी खत्म होने वाली थी. वह चार्ज दे कर घर जाने की सोच ही रहे थे कि ओवली गांव के रहने वाले कैलाश पाटिल थाने आ पहुंचे. पाटिल काफी घबराए हुए थे. उन्होंने माले को बताया, ‘‘मैं मौर्निंग वाक के लिए जा रहा था तो नासिक बाईपास रोड के किनारे वाली पाइप लाइन के पास खाई में एक महिला की अधजली लाश पड़ी दिखाई दी.’’

कैलाश पाटिल की सूचना की गंभीरता को देखते हुए असिस्टैंट इंसपेक्टर माले ने इस मामले से अपने सीनियर इंसपेक्टर डी.वी. पाटिल को अवगत कराया, साथ ही कंट्रोल रूम को भी यह सूचना दे दी. डी.वी. पाटिल ने माले से इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कराने को कहा और खुद इंसपेक्टर प्रकाश पाटिल व पुलिस टीम को साथ ले कर घटनास्थल के लिए रवाना हो गए.

जब पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंची तो वहां काफी भीड़ एकत्र थी. पुलिस ने भीड़ को हटा कर लाश और घटनास्थल की जांच की. वहां पड़ी लाश 25-26 साल की महिला की थी. लाश को कुछ इस तरह से जलाया गया था कि मृतका को पहचाना न जा सके. उस के दोनों हाथ और पांव चिपके हुए थे. लाश के पास ही नायलौन की एक मजबूत रस्सी पड़ी थी. यह बात साफ थी कि पहले मृतका का गला घोंटा गया था और बाद में लाश पर पैट्रोल डाल कर जला दिया गया था.

पुलिस ने क्राइम टीम और डौग स्क्वायड को घटनास्थल पर बुला कर सबूत ढूंढने की कोशिश की, साथ ही घटनास्थल का भी बारीकी से निरीक्षण किया. प्राथमिक काररवाई निपटाने के बाद डी.वी. पाटिल ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए आईजीएम अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद इस मामले की जांच इंसपेक्टर प्रकाश पाटिल को सौंप दी.

घटनास्थल पर कोई भी ऐसा सबूत नहीं मिला था जिस से मृतका की पहचान हो पाती. वारदात की स्थिति से प्रकाश पाटिल ने अनुमान लगाया कि मृतका संभवत: तहसील भिवंडी की रहने वाली नहीं थी. हत्या का केस दर्ज हो चुका था. जबकि मृतका के बारे में कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली थी. इस पर प्रकाश पाटिल ने कंट्रोल रूम के माध्यम से ठाणे, मुंबई और नवी मुंबई के सभी थानों को मृतका की उम्र और हुलिया बता कर वायरलैस मैसेज भिजवा दिया, ताकि कहीं से कोई महिला गायब हो तो उस की सूचना मिल सके.

इस के साथ ही अगले दिन के समाचारपत्रों में घटनास्थल और मृतका का जली अवस्था का फोटो, हुलिया और उम्र के बारे में भी छपवा दिया गया. लेकिन इस का भी कोई नतीजा नहीं निकला. इस बीच मृतका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई थी, जिस में उस की मौत का कारण दम घुटने से सांस का अवरुद्ध होना बताया गया था. इस रिपोर्ट में उसे 7 माह की गर्भवती बताया गया था.

काफी कोशिशों के बाद भी पुलिस न तो मृतका का पता लगा पाई और न उस के हत्यारों का. समय के साथ यह मामला ठंडा पड़ता गया. कुछ और समय बीता तो इस केस की फाइल ठंडे बस्ते में चली गई. देखतेदेखते लगभग 2 साल बीत गए. इस बीच नारपोली पुलिस थाने के सीनियर इंसपेक्टर डी.वी. पाटिल का तबादला हो गया. उन की जगह मार्च, 2015 में नए सीनियर इंसपेक्टर आए अनिल आकड़े.

अनिल आकड़े ने जब पेंडिंग पड़े केसों की फाइलें खुलवाईं तो इस केस की फाइल भी उन के सामने आ गई. उन्होंने इस केस का अध्ययन किया. उन्हें इस में काफी संभावनाएं नजर आईं. पूरे केस को देखनेसमझने के बाद इंसपेक्टर अनिल आकड़े ने इस केस के विवेचनाधिकारी इंसपेक्टर प्रकाश पाटिल को बुला कर उन से उन की विवेचना के बारे में विस्तार से बात की. प्रकाश पाटिल से पूरी बातें जान कर अनिल आकड़े ने ठाणे के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त दाभांडे और सहायक पुलिस आयुक्त चंद्रकांत जोशी से विचारविमर्श किया और इस केस की फाइल फिर से खोल दी.

इस केस की जांच के लिए सीनियर इंसपेक्टर अनिल आकड़े ने अपनी तफ्तीश की दिशा तय करने के बाद पुलिस की 2 टीमें तैयार कीं. इन टीमों में प्रकाश पाटिल के अलावा असिस्टैंट इंसपेक्टर लक्ष्मण राठौर, हैडकांस्टेबल संजय भोसले, सत्यवान मोहिते, विक्रम उदमले वगैरह को शामिल किया.

इस केस में सब से बड़ी समस्या थी मृतका की पहचान की. क्योंकि बिना उस की पहचान के तफ्तीश को आगे बढ़ाना संभव नहीं था. मृतका की पहचान के लिए पुलिस की दोनों टीमों ने अपनेअपने मुखबिरों का सहारा लिया. थोड़ा समय तो लगा, पर मेहनत रंग लाई. एक मुखबिर ने पुलिस को बताया कि जिस औरत की 2 साल पहले हत्या कर के लाश को जला दिया गया था, उस का नाम रमा सुनील कांगड़ा था और वह जोगेश्वरी पश्चिम में रहती थी. उस ने यह भी बताया कि उस की गुमशुदगी जोगेश्वरी ओशिवारा थाने में दर्ज कराई गई थी. यह गुमशुदगी उस की मां कांताबाई धनगांवकर ने दर्ज कराई थी.

यह पता चलते ही अनिल आकड़े अपनी टीम के साथ जोगेश्वरी ओशिवारा थाने जा पहुंचे. वहां उन्होंने थानाप्रभारी सुभाष खानविलकर और इस मामले के जांच अधिकारी सबइंसपेक्टर ढवले से इस संबंध में विस्तार से बात की. उन्होंने बताया कि रमा की मां कांताबाई धनगांवकर ने अपनी बेटी की गुमशुदगी 21 मार्च, 2015 को लिखाई थी, जिस में उस ने संदेह व्यक्त किया था कि रमा को संभवत: उस के पति सुनील कांगड़ा ने मार डाला है, क्योंकि वह पिछले डेढ़ सालों से उसे रमा से नहीं मिलवा रहा था. पुलिस ने इस संबंध में सुनील से पूछताछ भी की थी, लेकिन उसे गिरफ्तार इसलिए नहीं किया गया, क्योंकि उस पर कोई अभियोग नहीं बन रहा था.

पता चला कि कांताबाई धनगांवकर और सुनील कांगड़ा दोनों ही जोगेश्वरी (पश्चिम) की यूसुफ हनीफ कालोनी, आदर्शनगर में रहते थे. इस जानकारी के आधार पर अनिल आकड़े अपनी पुलिस टीम के साथ यूसुफ हनीफ कालोनी जा कर कांताबाई से मिले. पूछताछ करने पर उस ने बताया कि उस की बेटी करीब 2 सालों से गायब है. वह रमा के पति सुनील कांगड़ा से पूछती है तो वह झूठ बोल कर पीछा छुड़ा लेता है. उस ने थाने में बेटी की गुमशुदगी भी लिखाई और उस की हत्या का संदेह भी जाहिर किया, लेकिन पुलिस कुछ नहीं कर पाई.

पुलिस ने कांताबाई को मृतका के फोटो दिखाए, लेकिन वह चूंकि बुरी तरह जली अवस्था में थी, इसलिए कांताबाई पहचान नहीं पाई. कांताबाई से पूछताछ के बाद पुलिस टीम सुनील कांगड़ा के घर पहुंची. पता चला कि पुलिस पूछताछ और गिरफ्तारी से बचने के लिए उस ने मुंबई हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले रखी थी. इस से पुलिस को पूरा विश्वास हो गया कि नारपोली थानाक्षेत्र में जो लाश मिली थी, वह रमा कांगड़ा की ही थी और सुनील कांगड़ा किसी न किसी रूप में उस की हत्या से जुड़ा हुआ था.

सुनील कांगड़ा ने चूंकि हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले रखी थी, इसलिए पुलिस उस से पूछताछ नहीं कर सकती थी. इस स्थिति से निपटने के लिए पुलिस ने उस के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि उसे अग्रिम जमानत सितंबर, 2015 तक के लिए मिली हुई थी. इस पर पुलिस ने उस की घेराबंदी का इंतजाम कर दिया, ताकि वह फरार न हो सके.

जैसे ही उस की जमानत की अवधि समाप्त हुई, नारपोली थाने की पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उसे थाने ला कर विधिवत पूछताछ की गई तो वह पुलिस को गुमराह करता रहा. उस ने यहां तक कह दिया कि वह किसी रमा को नहीं जानता. लेकिन जब उस के साथ सख्ती की गई तो वह टूट गया और अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

बेईमान प्यार : बेमौत मारा गया परिवार

सिरफिरे का प्यार : बना गले की फांस

शादी की जिद में पति मिला न प्रेमी

दिल्ली का साहिल साक्षी केस : प्यार पर नफरत के वार – भाग 3

हरिद्वार से खरीदा था चाकू

पूछताछ में साहिल ने स्वीकार कर लिया कि उस ने साक्षी की हत्या के लिए कुछ दिन पहले ही एक लंबा चाकू खरीदा था. पता चला कि वह चाकू उस ने हरिद्वार से खरीदा था, लेकिन पुलिस इस बात की जांच कर रही है. साक्षी के एक दोस्त से पुलिस को मालूम हुआ कि साहिल इस बात से गुस्से में रहता था कि वह उस से बात क्यों नहीं करती है.

16 वर्षीया साक्षी की एक समय में प्रवीण नाम के लडक़े के साथ दोस्ती थी. हत्या से एक दिन पहले प्रवीण को ले कर ही साक्षी और साहिल आपस में भिड़ गए थे. उस वक्त साहिल खान के सिर पर हिंसा का भूत सवार था.

साहिल भी शाहबाद डेयरी की एक कालोनी में ही अपने मातापिता और 3 बहनों के साथ किराए के मकान में रहता था. उस के बारे में पूरी जानकारी जुटाने के लिए पुलिस टीम आरोपी से सच और हत्याकांड की कडिय़ों को आपस में जोडऩे के लिए पुलिस अधिकारी उस का साइको एनालिसिस टेस्ट करवाने की तैयारी कर चुकी थी. इस टेस्ट के जरिए विशेषज्ञ आरोपी से बातचीत कर हत्याकांड से जुड़ी कडिय़ों को जोडऩे का प्रयास करेंगे. करीब 3 घंटे चलने वाले इस टेस्ट में साहिल के परिवार, उस के दिनचर्या, दोस्तों, रिश्तेदारों व अन्य लोगों के बारे में पूछताछ की जाएगी.

इस के अलावा उस के सपनों और रहनसहन के बारे में भी पूछताछ की जाएगी. ऐसा करने के बाद एक्सपर्ट साहिल के दिमाग में चल रही बातों को पढ़ सकेंगे. उल्लेखनीय है कि इस से पूर्व श्रद्धा हत्याकांड में पुलिस ने आरोपी आफताब का साइको एनालिसिस टेस्ट करवाया था. इस से पुलिस को मामला सुलझाने में काफी मदद मिली थी.

हालांकि साहिल से पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. उस ने बताया कि साक्षी की मौजूदगी में वह दोस्तों के साथ अश्लील मजाक किया करता था. इस के अलावा धमकी मिलने से आगबबूला साहिल ने हत्या की खौफनाक साजिश रची थी. उस ने तय किया कि उसे साक्षी और उस के दोस्तों में से जो कोई मिल जाएगा, उस की बेरहमी से हत्या कर देगा और चाकू से तब तक वार करता रहेगा, जब तक मौत नहीं हो जाती.

अजय उर्फ झबरू ने दी थी धमकी

वह साक्षी को एकडेढ़ साल से जानता था. पिछले 4 महीने से उस की दोस्ती थी. वारदात वाले दिन से एक दिन पहले साहिल को बाजार में साक्षी, उस की सहेली और दोस्त अजय उर्फ झबरू मिले थे. अजय उस इलाके का दबंग युवक था. वहां अजय ने उस का अश्लील मजाक उड़ाया. साथ ही साक्षी से दूर रहने की साहिल को धमकी दी थी. मजाक उड़ाने पर साहिल आगबबूला हो गया था.

वहां से जाने के बाद उस ने नशा किया. इस के बाद उस ने तय किया किया कि साक्षी, उस की सहेली व अजय में से जो भी मिल गया, उस की वह हत्या कर देगा. संयोग से साहिल को साक्षी अपनी सहेली के घर जाते हुए मिल गई. साक्षी के दोस्तों ने भी शुरुआती पूछताछ में साहिल का मजाक उड़ाने की बात मान ली.

साक्षी की निर्मम हत्या की कहानी में दोस्ती के दुश्मनी में बदलने की है. साक्षी की प्रवीण नाम के युवक से दोस्ती हुआ करती थी. उस के साथ अनबन हो जाने पर साक्षी ने साहिल को अपना दोस्त बना लिया. फिर किसी बात पर साहिल से भी साक्षी की अनबन हो गई थी.

इस बारे में साहिल के दोस्तों ने पुलिस को बताया कि साक्षी कुछ दिनों में ही साहिल की हरकतों से परेशान हो गई थी और उस ने उस के साथ संबंध तोड़ डाले थे. जबकि साहिल साक्षी का दीवाना बना हुआ था. वह हर हाल में साक्षी से संपर्क बनाए रखना चाहता था. साक्षी द्वारा बातचीत बंद होने और पुराने दोस्त से नजदीकी बढ़ाने पर साहिल नाराज चल रहा था. उस ने कई बार साक्षी का पीछा किया था.

साहिल ने यह भी बताया कि उस की साक्षी से दूरियां बढ़ती जा रही थीं. वह उस के करीब आने की कोशिश कर रहा था, लेकिन साक्षी उसे फोन पर धमकाने लगी थी. उस के बाद उस ने साक्षी को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. घटना से पहले उस ने शराब पी. पुलिस को आरोपी ने बताया कि साक्षी की उस ने उसी जगह पर हत्या की, जहां अजय उर्फ झबरू ने उसे धमकी दी थी.

साहिल ने यह भी खुलासा किया था कि इलाके में रहने वाला दबंग युवक अजय उर्फ झबरू ने उसे साक्षी से दूर रहने की धमकी दी थी. उसे आशंका थी कि झबरू उस की हत्या कर सकता है. इसी आशंका को देखते हुए उस ने साक्षी को ही रास्ते से हटाने की साजिश रची थी.

पुराने दोस्त से नजदीकी बढऩे के बाद साक्षी ने साहिल का फोन भी रिसीव करना बंद कर दिया था. पूछताछ में आरोपी ने बताया है कि साक्षी के धोखा देने से उस के मन में नफरत भर गई थी और वह उस से बदला लेना चाहता था. वह लगातार साक्षी पर नजर रख रहा था. वारदात की रात में उस ने साक्षी को अकेले जाते हुए देखा. साक्षी के सामने आते ही साहिल साक्षी से भिड़ गया. बहस के कुछ सेकेंड बाद ही उस ने चाकू से उस पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया.

साहिल खान से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे रोहिणी कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्रेम त्रिकोण में मारा गया ग़ालिब

रात 10 बजे उत्तर प्रदेश के जिला अलीगढ़ के थाना जवां में किसी अज्ञात व्यक्ति ने फोन कर के सूचना दी कि कासिमपुर इलाके में राख के बंधा पर एक युवक की लाश पड़ी है. मामला हत्या का था, इसलिए ड्यूटी अफसर ने यह जानकारी एसएचओ अवधेश कुमार को दे दी. इस सूचना के बाद एसएचओ मय पुलिस टीम के घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. कुछ ही देर में वह राख के बंधा पर पहुंच गए.

वहां एक अज्ञात 23-24 वर्षीय युवक का खून से लथपथ शव पड़ा था. खून ताजा था, जिसे देखने से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि युवक की हत्या कुछ समय पहले ही की गई होगी. निरीक्षण के दौरान पुलिस ने देखा कि युवक की नृशंस तरीके से धारदार हथियार से हत्या की गई थी. उस का गला रेता हुआ था. उस की आंखें बाहर निकली हुई थीं. शरीर पर भी कई घाव थे.

कुछ देर में वहां काफी लोग जमा हो चुके थे, लेकिन कोई भी मृतक को नहीं पहचान सका. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटा कर शव को मोर्चरी में रखवा दिया. अज्ञात लाश के मिलने की सूचना एसएचओ अवधेश कुमार ने जिले के सभी थानों में प्रसारित करा दी. यह बात 20 फरवरी, 2023 की है.

कुछ समय पहले क्वारसी के नगला मल्लाह मोहल्ले की गली नंबर-6 के रहने वाले युवक गालिब खान के लापता होने की सूचना युवक के भाई तालिब ने थाना क्वारसी में दी थी. थाना क्वारसी पुलिस को देर रात जब यह जानकारी मिली कि थाना जवां पुलिस को एक युवक का शव मिला है तो क्वारसी पुलिस ने हुलिया के आधार पर गालिब के घर वालों को इस बात की सूचना दी.

खबर मिलते ही गालिब का भाई तालिब, मामा इर्तजा आदि जवां थाने पहुंच गए. पुलिस ने मोर्चरी में रखे युवक के शव को उन्हें दिखाया तो तालिब ने उस की शिनाख्त अपने 23 वर्षीय भाई गालिब खान के रूप में की. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली. पुलिस का अगला कदम अब हत्यारों तक पहुंचना था. लिहाजा पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी.

तालिब खान ने भाई की हत्या की रिपोर्ट उस की प्रेमिका जरीन, उस के प्रेमी अयाज व जरीन के पिता के खिलाफ दर्ज करा दी. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि जरीन ने 20 फरवरी, 2023 को दोपहर 2 बजे गालिब को फोन कर मिलने के लिए बुलाया. गालिब स्कूटी ले कर बिना बताए चला गया और काफी देर तक नहीं लौटा. तब उस ने भाई गालिब को फोन किया तो गालिब ने बताया कि जरीन व अयाज उसे जवां स्थित राख के बंधा पर ले आए हैं. ये लोग मुझे मार देंगे, मुझे बचा लो. इस के बाद फोन कट गया और स्विच्ड औफ हो गया.

जब वह भाई को तलाशता हुआ देर रात राख के बंधा पर पहुंचा तो वहां भाई गालिब की लाश मिली. तालिब की तहरीर पर पुलिस ने जरीन व अयाज के खिलाफ हत्या व जरीन के पिता के विरुद्ध धमकी देने का मुकदमा दर्ज कर लिया. एसएसपी कलानिधि नैथानी ने गालिब खान हत्या केस के अपराधियों की शीघ्र गिरफ्तारी के लिए एक पुलिस टीम बनाई.

police

टीम में सीओ (तृतीय) मोहसिन खान, एसएचओ अवधेश कुमार, एएसआई योगेंद्र कुमार, कांस्टेबल मनोज कुमार, महिला कांस्टेबल शिवानी आदि को शामिल किया गया. टीम का निर्देशन एसपी (सिटी) कुलदीप गुनावत को सौंपा गया. मुकदमा दर्ज करने के दूसरे दिन पुलिस टीम ने केला नगर निवासी अयाज तथा रियाज कालोनी निवासी प्रेमिका जरीन को उन के घरों से गिरफ्तार कर लिया.

मां की बुटीक पर गालिब से हुई थी मुलाकात

पुलिस पूछताछ के दौरान 21 वर्षीय जरीन ने बताया कि गालिब खान क्वारसी थाने के नगला मल्लाह मोहल्ले में अपने भाई तालिब के साथ मामा इर्तजा खान के घर पर रहता था. उस के मातापिता की मौत हो चुकी है. गालिब अपने भाई तालिब के साथ गैस हाकर का काम करता था. जबकि जरीन की मां बुटीक चलाती है और पिताजी नौकरी करते हैं. 5 साल पहले गालिब से उस की मुलाकात हुई थी.

premika

गालिब उस की मां की दुकान पर आनेजाने लगा था. सुंदर जरीन को देखते ही गालिब उस का दीवाना हो गया था. दुकान पर आनेजाने के दौरान ही दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए. दोनों की आंखें मिलतीं तो जरीन शरम से आंखें झुका लेती. फिर तिरछी नजरों से चोरीचोरी गालिब को देखती. गालिब भी जरीन के दिल की बात जान चुका था.

पहली मुलाकात में ही जरीन ने गालिब की आंखों में अपने प्रति उमड़ता प्यार देख लिया था. गालिब ने उसे अपने प्यार के जाल में फंसा लिया था और जरीन भी बिना कुछ सोचेसमझे उस की तरफ खिंचती चली जा रही थी. इसी के चलते दोनों में दोस्ती हो गई. दोस्ती कब प्यार में बदल गई, दोनों को ही इस का पता नहीं चला. धीरेधीरे दोनों का प्यार परवान चढऩे लगा.

इस बीच दोनों ने एकदूसरे के मोबाइल नंबर भी ले लिए. दोनों आपस में बात करने लगे. जरीन को गालिब खान अपनी स्कूटी से घुमाने भी ले जाने लगा. वह उस पर काफी खर्च करता. अब दोनों एकदूूसरे के बिना नहीं रह पाते थे. उन के बीच अवैध संबंध बन चुके थे.

गालिब आपराधिक किस्म का था. उस की जरीन से दोस्ती जरूर हो गई थी, लेकिन धीरेधीरे गालिब अपराध के रास्ते पर बढ़ता चला गया. उस के विरुद्ध हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार जैसे मुकदमे दर्ज थे. भोपाल में भी उस के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे. इसी कारण जरीन ने अपने प्रेमी गालिब से दूरी बनानी शुरू कर दी. इतना ही नहीं, जब गालिब जेल चला गया तो जरीन ने उसे छोड़ कर अपना रास्ता अलग कर लिया.

नए प्रेमी अयाज से हुआ प्यार

गालिब के जेल जाने के बाद केला नगर, पत्थर वाली गली निवासी 22 वर्षीय युवक अयाज जरीन की जिंदगी में आया. अयाज तालानगरी अलीगढ़ की एक हार्डवेयर फैक्ट्री में काम करता था. अयाज की दोस्ती जरीन से गहरी हो गई थी. दोनों एकदूसरे को प्यार करने लगे.

galib

कुछ महीने पहले गालिब जब जेल से छूट कर आया तो उस ने अपनी प्रेमिका जरीन से मिलने की कोशिश की, लेकिन जरीन ने अयाज से संबंधों के चलते गालिब खान से दूरी बना ली. वह जरीन को अपने साथ रहने के लिए उस पर तरहतरह के दबाव बनाने लगा, जबकि वह नए आशिक के साथ इश्क फरमा रही थी. वह अयाज को छोडऩे के लिए राजी नहीं थी.

यह बात गालिब को अखरने लगी. गालिब को यह कतई बरदाश्त नहीं हुआ कि उस की प्रेमिका उस के होते हुए किसी दूसरे की बांहों में दिखाई दे. वह सिरफिरे आशिक की तरह हो गया. जहां भी अयाज दिखाई दे जाता, वह उस के साथ मारपीट कर देता.

वीडियो वायरल की धमकी दे कर करता था दुष्कर्म

गालिब बहुत शातिर था. उस ने पहले ही अपने और जरीन के शारीरिक संबंधों की एक वीडियो बना ली थी. गालिब उस अश्लील वीडियो को वायरल करने की धमकी दे कर उस के साथ जब चाहे तब दुष्कर्म करता था. इसी ब्लैकमेलिंग से आजिज आ कर जरीन ने अपने प्रेमी गालिब से दूरी बनाई थी. लेकिन जेल से छूट कर आने के बाद वह फिर से वही काम करने लगा.

एक माह पहले जरीन ने परेशान हो कर गालिब पर मुकदमा भी दर्ज कराया था. जरीन ने कोर्ट में अरजी दे कर 11 जनवरी, 2023 को गालिब के विरुद्ध दुष्कर्म, तेजाब से हमला करने तथा घर में घुस कर मारपीट करने का आरोप लगाया था. इस पर कोर्ट ने थाना जवां को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था. इस में गालिब के भाई तालिब खान और मौसी शबाना पर भी सहयोग के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ था. जरीन ने गालिब पर कई बार बलात्कार करने का आरोप लगाया था.

चौराहे पर मारपीट व अयाज के बाल काटे

इसी खुन्नस के चलते 10 फरवरी, 2023 को गालिब ने जरीन के नए प्रेमी अयाज को केला नगर के बीच चौराहे पर पकड़ लिया और उस की पिटाई करने के बाद उस के बाल काट दिए. अयाज अपनी बेइज्जती तो जरीन गालिब की हरकतों से परेशान थी. पिटाई व बाल काटने की घटना ने आग में घी का काम किया. बस, उसी दिन प्रेमीप्रेमिका ने गालिब से बदला लेने की ठान ली. दोनों ने साथसाथ नुमाइश देखी. गालिब की हत्या के लिए उन्होंने नुमाइश से 650 रुपए में एक रामपुरी चाकू व उस्तरा भी खरीदा.

बनाया फरजी इंस्टाग्राम अकाउंट

अपने व प्रेमी अयाज के साथ 10 दिन पहले हुई घटना का बदला लेने के लिए प्रेमी युगल जरीन व अयाज ने गालिब की हत्या की पूरी योजना बेहद शातिर तरीके से फुलप्रूफ बनाई थी. गालिब को मिलने बुलाने के लिए फोन का इस्तेमाल करने पर वे फंस सकते थे, ऐसे में जरीन ने पुलिस से बचने के लिए इंस्टाग्राम पर आजाद नाम से अपना फरजी अकाउंट बनाया.

इस के बाद 20 फरवरी को फरजी अकाउंट के जरिए गालिब को जरीन ने काल किया. जरीन की आवाज सुनते ही गालिब के चेहरे की चमक दोगुनी हो गई. जरीन ने उस से प्यार भरी बातें कर अपने जाल में फांस लिया, फिर उसे मिलने के लिए बुलाया.

जरीन के प्यार में पागल गालिब उस की चाल को नहीं समझ पाया और अपनी स्कूटी ले कर उस से मिलने पहुंच गया. उस समय जरीन बुर्का पहन कर गालिब की स्कूटी पर बैठ कर शाम के समय उसे ले कर जवां क्षेत्र में स्थित राख के बंधा पर पहुंची. अयाज वहां पहले से ही छिपा बैठा था. वहां जरीन ने उस से प्यार मोहब्बत की बातें कीं.

उस ने गालिब को विश्वास में लेते हुए कहा कि वह उस के विरुद्ध दर्ज कराए मुकदमे को वापस ले लेगी. वह पहले की तरह उस से अब भी प्यार करती है. तब जरीन ने बिना देर किए अपने पर्स से नशीली रबड़ी निकाल कर गालिब को खिलाई. इस रबड़ी में जरीन ने पहले से ही नशीली गोलियां मिला दी थीं. दीवाना गालिब पूरी तरह जरीन के प्यार में मदहोश हो गया था, उस ने खुशीखुशी रबड़ी खा ली. रबड़ी खाने के कुछ देर बाद ही गालिब बेहोश हो गया.

उस समय तक रात घिर चुकी थी. गालिब के बेहोश होते ही उस ने अयाज को बुला लिया. अयाज और जरीन ने मिल कर नुमाइश से खरीदे चाकू व उस्तरा से गालिब का गला रेत कर हत्या कर दी. उस का गला रेतने के साथ ही हाथ के पंजे काटे, आंखें अंगुली डाल कर बाहर निकाल लीं. गालिब खान का मर्डर करने के बाद दोनों वहां से फरार हो गए.

मौत होने तक करते रहे वार

प्रेमी जोड़े ने जिस दरिंदगी से हत्या को अंजाम दिया, उसी अंदाज में उन्होंने खुल कर पुुलिस के सामने सच भी बयां किया. जरीन ने साफ कहा कि उस ने खुद के साथ दुष्कर्म और अयाज की पिटाई व बाल काटने का बदला लिया है. अयाज अपने साथ की गई मारपीट व बेइज्जती तथा जरीन अपने ऊपर किए गए हमलेे व सरेराह परेशान करने से आजिज आ चुकी थी. इसलिए दोनों ही गालिब को अपना जानी दुुश्मन मान बैठे थे. किसी भी तरह उस की हत्या कर अपने रास्ते से हटाने की ठान ली थी. अपने नए प्रेमी द्वारा पहले प्रेमी की हत्या करा कर जरीन के दिल को बहुत संतुष्टि मिली.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि मृतक पर 18 बार चाकू और उस्तरे से वार किए गए थे. शव की हालत देख पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों तक ने दांतों तले अंगुली दबा ली. पुलिस ने उन से नृशंस हत्या की वजह जानी तो बताया कि उन्होंने नौसिखिए होने के चलते तब तक उस के गले, पेट और पीठ पर वार किए, जब तक वह मर नहीं गया. वहीं आंख नोचने और हाथ के पंजे काटने की वजह उस के प्रति गुस्सा बताया.

प्रभारी सीओ (तृतीय) मोहसिन खान ने बताया कि गालिब की हत्या में इस्तेमाल किए गए चाकू और उस्तरा और गालिब का टूटा हुआ मोबाइल फोन हत्यारोपी अयाज की निशानदेही पर घटनास्थल से लगभग एक किलोमीटर आगे राख के बंधा के पास स्थित सूखे नाले की दरार से अभियुक्तों की निशानदेही पर बरामद कर लिए. इस के साथ ही दोनों के खून से सने कपड़े भी बरामद कर लिए.

इन कपड़ों को जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेज दिया गया. ताकि न्यायालय में इन को साक्ष्य के रूप में प्रस्तत किया जा सके. वहीं पुलिस ने मृतक गालिब की स्कूटी को घटनास्थल से बरामद कर लिया. दोनों अलीगढ़ से भागने की फिराक में थे. गिरफ्तार प्रेमी युगल जरीन व अयाज ने पुलिस को बताया कि हत्या के बाद वे अलीगढ़ छोड़ कर भागने की फिराक में थे. इसी इरादे से वे अलीगढ़ जंक्शन पर पहुंचे थे, लेकिन मन पलटा तो दोनों ने होटल में कमरा ले लिया और वहीं खून से सने अपने कपड़ों को बदला.

फिर दोनों ने विचार किया कि अगर हम लोग इस तरह यहां से गायब हुए तो पुलिस उन पर शक करेगी. फिर उन्होंने तय किया कि वे अपनेअपने घर जाते हैं. जब आसपास के लोगों की नजरों में वे अपनेअपने घर पर ही रहने का नाटक करेंगे तो उन पर कोई शक नहीं करेगा. इस के बाद मंगलवार शाम को वे अलीगढ़ छोड़ देंगे.

हत्यारोपी जरीन का एक भाई बड़ा और 2 छोटे हैं. युवती के पिता अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी में संविदाकर्मी हैं. जरीन वर्तमान में अपने घर से ही पढ़ाई कर रही थी. पुलिस जरीन के पिता की तलाश कर रही है.

पुलिस ने 21 फरवरी, 2023 को ही दोनों हत्यारोपियों जरीन व उस के नए प्रेमी अयाज को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया. गालिब हत्याकांड का 24 घंटे में परदाफाश करने वाली पुलिस टीम को एसएसपी कलानिधि नैथानी ने 15 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की. इस त्रिकोणीय प्रेम में पूर्व प्रेमी को आखिर कातिल प्रेमिका ने षडयंत्र रच कर दर्दनाक मौत दे कर उस की जिंदगी का ब्रेकअप तो कर दिया. लेकिन अब उस के नए प्रेमी को केवल जेल की सलाखें ही हासिल हुईं.

 

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दिल्ली का साहिल साक्षी केस : प्यार पर नफरत के वार – भाग 2

साहिल भी अपने मातापिता के साथ दिल्ली के शाहबाद डेयरी के ही दूसरे मोहल्ले में रहता था. साक्षी के मातापिता से मिली जानकारी से पुलिस को मालूम हुआ कि साक्षी खान की साहिल से फोन पर किसी बात को ले कर बीचबीच में बहस भी हो जाती थी.

पुलिस ने साक्षी मर्डर केस की तकहीकात के लिए घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज निकलवाई. जब उन्होंने फुटेज देखी, तब उन्हें काफी हैरानी हुई, क्योंकि करीब 90 सेकेंड की फुटेज में साक्षी को चाकू से गोदे जाने की वारदात साफ दिख रही थी, साथ ही वहां से गुजरते और कुछ के चंद सेकेंड ठहरने के दृश्य भी दिख रहे थे.

पुलिस की पकड़ से साक्षी का हत्यारा बचा हुआ था, जबकि इस दर्दनाक घटना की एक वीडियो और तसवीर से सोशल मीडिया से ले कर टीवी न्यूज के चैनलों तक के परदे पर कोहराम मच गया था. जिस में हमलावर लडक़ी पर एक गली के कोने में ताबड़तोड़ चाकू से वार करता हुआ नजर आ रहा था.

पुलिस हैरान इस बात को ले कर थी कि हमलावर को ऐसा करते हुए दुनिया ने तो बाद में देखा, जबकि कुछ लोगों ने तो साक्षात अपनी नंगी आंखों से चाकू से वार करते हुए ये दहला देने वाला मंजर देखा था. इन तसवीरों को जिस ने भी देखा, वही हैरान हो गया.

इस घटना के सामने आने के बाद से शायद ही कोई ऐसा होगा, जिसे नींद भी आई होगी. न जाने कितने सवालों ने लोगों को बारबार झकझोर डाला. एक सवाल तो यही था कि आखिर वह कौन सी वजह थी, जिस के लिए साहिल अपनी ही प्रेमिका का हत्यारा बन गया? क्यों उस ने साक्षी को ऐसी मौत दी, जिस को देख कर दुनिया दहल उठी?

लोगों में इस वारदात को ले कर गुस्सा पनप रहा था. लोगों ने इस के विरोध में जुलूस निकाल कर साहिल को गिरफ्तार कर फांसी की सजा दिलाए जाने की मांग की. लोग इसे लव जिहाद का मामला बता रहे थे. शाहबाद डेयरी थाने की पुलिस पर भी इलाके में चुस्त पुलिस प्रशासन की व्यवस्था में खामी को ले कर भी आरोप लगे. थाने की पुलिस पर उच्च अधिकारियों से ले कर महिला आयोग, सामाजिक स्वयंसेवी संस्थाएं और विपक्षी पार्टियों तक के दबाव बने.

सीसीटीवी कैमरे के फुटेज और साक्षी के मातापिता से पूछताछ से मिले हमलावरों की जानकारी के आधार पर पुलिस ने हमलावर को धर दबोचने के लिए पूरी दिल्ली में जाल बिछा दिया. डीसीपी ने साहिल की गिरफ्तारी के लिए 6 टीमों का गठन किया. मुखबिर लगा दिए. नतीजा यह निकला कि साहिल अगले रोज ही बुलंदशहर से पकड़ लिया गया.

दिल्ली पुलिस के मुताबिक, साहिल खान ने साक्षी की चाकू मार कर हत्या करने के बाद सब से पहले अपने फोन को स्विच्ड औफ कर दिया और रिठाला भाग गया था. वहीं पर उस ने चाकू फेंका और बस से बुलंदशहर के लिए निकल गया. हालांकि पुलिस ने फोन बरामद कर लिया. बुलंदशहर जाने के लिए उस ने 2 बसें बदली थीं.

पुलिस उसे थाने ला कर सख्ती से पूछताछ करने लगी. पहले तो उस ने पुलिस के कई सवालों के जवाब ठीक से नहीं दिए और अपने हुलिए से पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की. इस पर उस से सख्ती से पूछताछ के लिए पुलिस ने 2 दिनों के रिमांड पर ले लिया.

एक तरफ साहिल से हत्याकांड के संबंध में पूरी छानबीन जारी थी, दूसरी तरफ उस की आदतों और दूसरों से संपर्क संबंध के बारे में पता लगाने के लिए सोशल अकाउंटों की छानबीन भी जारी थी. इस बीच पुलिस ने साहिल की निशानदेही पर सैक्टर-11 रिठाला मेट्रो स्टेशन के पास खाली प्लौट से हत्या में प्रयुक्त चाकू और जूते बरामद कर लिए थे, जिन्हें जांच के लिए फोरैंसिक लैब भेज दिया गया.

पुलिस के लिए यह पता लगाना जरूरी था कि उस ने साक्षी की जिस निर्ममता से चाकू गोद कर हत्या की, वैसा कोई ऐसी दरिंदगी दिखाने वाला जरूर सनकी और विचित्र प्रवृति का इंसान रहा होगा. पुलिस के सामने सब से बड़ा सवाल यही था कि कैसे कोई इंसान ऐसे जानवर बन सकता है? उस ने एक के बाद एक शरीर में 40 से ज्यादा घाव किए थे. चाकू से जी नहीं भरा तो पत्थर से शरीर को कई बार कुचला था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट तो और भी चौंकाने वाली आई थी. प्रहार की वजह से साक्षी के पेट से कई अंग बाहर लटक गए थे. उन में आंतें थीं. साहिल ने क्रूरता के साथ काफी खौफनाक तरीके से उस पर पर हमला किया था. उस के शरीर पर चोटों के कई निशान थे. सिर के हिस्से में कुछ हड्ïिडयां भी दरारों और चोटों के साथ पाई गईं. शरीर पर चाकुओं के कई दरजन घावों में से सब से अधिक घाव कंधे से ले कर कूल्हे तक के क्षेत्र में थे.

एक दिन पहले हुआ था साक्षी से झगड़ा

साहिल के सोशल मीडिया अकाउंट से उस की कई हरकतों के बारे में पता चला कि वह किस तरह से बुरी आदतों से भरा हुआ था. सिरफिरा आशिक साहिल खान इंस्टाग्राम पर वह लगातार वीडियो पोस्ट करता रहता था. आखिरी रील उस की 6 हफ्ते पहले की थी. कुछ में गाली भी थी. एक वीडियो में वह हुक्का पीते दिखाई दिया और टीवी पर गाना सुनता रहता है ‘दिल्ली में करता बदमाशी…’

शुरुआती जांच से पता चला कि साक्षी और साहिल के बीच एक दिन पहले झगड़ा हुआ था. साक्षी ने साहिल को चेतावनी दी थी कि वह उस से दूर ही रहे. इस झगड़े की जड़ में साक्षी के हाथ पर बना दूसरे लडक़े का टैटू था. उसे देखते ही साहिल भडक़ गया था और आपा खो बैठा था.

साहिल मुसलिम था, लेकिन अपनी पहचान छिपाने की कोशिश करता था. हाथ में कलावा बांधता था और इलाके के लोग उसे ‘सन्नी’के नाम से जानते थे. पुलिस ने जांच में पाया कि साहिल की असलियत साक्षी को पता चल गई थी, इसलिए वह उस से दूरी बनाना चाहती थी.

स्पैशल कमिश्नर दीपेंद्र पाठक ने बताया कि इस मामले में कड़ी सजा दिलाने की कोशिश होगी, जिस में फांसी की सजा भी शामिल है. पुलिस साक्ष्य इकट्ठा करने में जुटी है. इस संबंध में पुलिस 25 लोगों से पूछताछ कर चुकी है, जिन में मृतका की सहेलियां और आरोपी के दोस्त भी शामिल हैं.

दिल्ली का साहिल साक्षी केस : प्यार पर नफरत के वार – भाग 1

दिल्ली के बाहरी उत्तरी जिले का एक इलाका है शाहबाद डेयरी. वहां बसी झुग्गियों में रहन वाले गरीब परिवारों की अपनीअपनी समस्याएं हैं. वे रोजीरोटी के संघर्ष में जूझते रहते हैं. इसी के साथ बुनियादी समस्याएं भी हैं, सामाजिकता नहीं के बराबर ही कही जा सकती है. किसी परिवार को किसी से शायद ही कोई मतलब हो. कौन क्या करता है, कहां जाता है, किस से मिलताजुलता है, क्या रोजगार धंधा है, इस का सीधा असर इलाके के किशोर उम्र के लडक़ेलड़कियों पर खूब पड़ते देखा जा सकता है.

वे जितने बेफिक्र और लापरवाह दिखते हैं, उतने ही अपनी मस्ती के आलम में मटरगश्ती करते रहते हैं. जवानी की दहलीज पर खड़ी अधिकतर लड़कियों पर सोशल साइटें, वीडियो, फिल्में, यूट्यूब, फैशन और रील्स की खुमारी चढ़ चुकी है. उन की जिंदगी हैप्पी वर्थडे विश, वेलेंटाइन डे, पिकनिक पार्टी आदि में सिमट गई है. ऐसे में वैसी लड़कियां तुरंत ही किसी दिलफेंक आशिक की बातों में आ जाती हैं. जैसा कि 16 वर्षीया साक्षी के साथ हुआ.

बात इसी 28 मई की है. साक्षी को अपने मोहल्ले के परिचित के यहां बच्चे की बर्थडे पार्टी में जाना था. चाहे जैसी भी पार्टी हो, वह उस में जरूर शामिल होती थी. वहां जाने के लिए शाम साढ़े 8 बजे निकली थी. करीब पौने 9 बजे वह गली के मोड़ पर पहुंची थी. वहां उसे साहिल खान पहले से खड़ा मिल गया. साहिल उस का दोस्त था, लेकिन फिलहाल साक्षी ने उस से बातचीत करनी बंद कर दी थी. साहिल उसे देख कर छूटते ही बोला, “मैं ने तुझे मना किया था न, किसी की पार्टी में नहीं जाना है.” वह बेहद गुस्से में था.

“तुम गलत समझ रहे हो, मैं तो दोस्त के बर्थडे में जा रही हूं.” साक्षी सफाई देती हुई बोली.

“झूठ, तुम इसी बहाने से प्रेमी से मिलने जा रही हो. मुझे सब पता चल चुका है, प्रेम मुझ से और यारी दूसरे से.” साहिल नाराजगी दिखाते हुए तेज आवाज में बोला.

“धीरे बोलो न, लोग आजा रहे हैं. कोई सुनेगा तो क्या कहेगा?” साक्षी ने समझाने की कोशिश की.

“किसी को जो कुछ कहना है, कहे, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. मैं तुझे दिल से चाहता हूं और तुम किसी और को, यह मुझे कदापि बरदाश्त नहीं होगा, समझी?” बोलते हुए साहिल उस के बालों को कस कर पकड़ कर खींचने लगा. उस का दूसरा हाथ साक्षी की गरदन पर आ गया था. साक्षी अचानक साहिल के इस हमले से लडख़ड़ा गई. किसी तरह उस के हाथ से अपने बालों को छुड़ाया. तब तक वह जमीन पर गिरने की स्थिति में आ गई थी.

दूसरी तरफ साहिल हारे हुए शिकारी की तरह तिलमिलाने लगा था, चीखा, “हरामजादी, रंडी कहीं की, इश्क करेगी? अभी बताता हूं, तूने अभी तक मेरा गुस्सा नहीं देखा है. कल तक प्यार से समझा रहा था, फिर भी तू नहीं मानी, अब देख मैं क्या करता हूं…”

साहिल खान बना बेरहम हत्यारा

साहिल ने फुरती से अपनी जींस पैंट में से बड़ा चाकू निकाल लिया. बाएं हाथ से बाल समेत उस की गरदन दबोच ली, दाएं हाथ में चाकू से दनादन उस पर वार करने लगा. साक्षी चीखने लगी. उस की चीख सुन कर पास से गुजर रहे कुछ लोग ठिठक गए.

उन्होंने स्ट्रीट लाइट की रोशनी में जो कुछ देखा, वह बेहद दर्दनाक था. लेकिन सभी बुत बने रहे, किसी ने उसे रोकने के लिए मुंह से आवाज तक नहीं निकाली. एकदम फिल्मी दृश्य की तरह साहिल चाकू से साक्षी को गोदता रहा. साक्षी का शरीर बेजान हो गया फिर भी चाकुओं का वार थमा नहीं. तीन…चार… पांच और चाकुओं के वार की ये गिनती आखिरी में 40 तक जा पहुंची. साक्षी के शरीर से खून निकल कर जमीन पर फैलने लगा.

इतना ही नहीं चाकुओं से वार करने वाला साहिल कुछ सेकेंड के लिए वहां से हटा, लेकिन तुरंत वापस लौट कर साक्षी के पास जा पहुंचा, जो उस के चाकुओं के वार से पूरी तरह से निढाल हो कर वहीं नाली में गिर पड़ी थी. साहिल ने तब एक बड़ा सा पत्थर उठा लिया और एकएक कर के करीब 6 बार उस लडक़ी को कुचलने के बाद शांत हुआ.

इस पूरी वारदात को कई लोगों ने देखा. कुछ लोग नजर फेर कर चलते बने तो कुछ लोग वहीं ठिठके रहे. साहिल बड़ी आसानी से उन के सामने से चाकू ले कर चलता बना.

उधर साक्षी की मां रात का खाना खाने के बाद सोने की तैयारी में जुट गई थी. तब तक रात के 9 बज चुके थे. खुद से बोले जा रही थी, “यह सब काम साक्षी को करना चाहिए था, उसे करना पड़ रहा है. बहुत लापरवाह हो गई है. अपनी सहेली के यहां यहां जा कर बैठी है.”

तभी साक्षी की दोस्त भावना भागती हुई आई. उस ने बताया कि किसी ने साक्षी की हत्या कर दी है, लेकिन उस की बात पर साक्षी की मां को भरोसा नहीं हुआ. उन्होंने तुरंत साक्षी की सहेली नीतू को फोन किया, जिस के यहां साक्षी गई थी. उस ने बताया कि साक्षी बाजार गई है, उसे कुछ खरीदना था.

साक्षी की मां भावना के बताए मुताबिक घटनास्थल पर पहुंची. वहां देखा सचमुच बेटी साक्षी की लाश खून से लथपथ पड़ी थी. मौके पर ही मालूम हुआ, एक लडक़े उसे चाकुओं से गोद कर मार डाला है. उसे तुरंत अस्पताल ले जा जाया गया. अस्पताल ले जाने में मदद करने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि वह उस समय वहां पर था और उस ने उस की बेटी को बचाने की कोशिश की थी, लेकिन हमलावर ने उस पर भी हमला किया था.

जिद्दी स्वभाव की थी 16 वर्षीय साक्षी

दरअसल, साक्षी पिछले 10 दिनों से अपने घर में रहने के बजाए सहेली नीतू के घर पर रह रही थी. साक्षी की अपने घर वालों से जब भी नाराजगी हो जाती तो वह सहेली नीतू के घर ही चली जाती थी. वहीं से एक जन्मदिन पार्टी में जा रही थी और उस की गली में ही हत्या हो गई थी.

इस की सूचना पा कर थाना शाहबाद डेयरी के एसएचओ राजीव रंजन एसआई प्रवीण तोमर और 2 कांस्टेबलों के साथ 10 मिनट के भीतर ही मौके पर पहुंच गए थे. मामला गंभीर था, इसलिए एसएचओ ने इस घटना की सूचना डीसीपी (बाहरी उत्तरी जिला) रवि कुमार सिंह, एसीपी मनीष लाडला और क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी दे दी.

थोड़ी देर में जिले के पुलिस अधिकारी और क्राइम जांच टीम घटनास्थल पर पहुंच गई. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और जांच टीमों ने मौके से अनेक सबूत इकट्ठे किए. पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

पूछताछ में साक्षी के पिता जनक राज ने बताया कि साक्षी पिछले हफ्ते से उन से नाराज चल रही थी. उस के मना करने पर भी वह साहिल से बातें करती रहती थी. जब उसे समझाया जाता था कि इन सब के लिए अभी वह छोटी है. तब वह उन की बात जरा भी नहीं सुनती थी और नाराज हो कर अकसर अपनी दोस्त नीतू के घर चली जाती थी.