बाप बेटे की एक बीवी – भाग 1

उस दिन, 2018 की 18 तारीख थी. थानाप्रभारी सीआई पुष्पेंद्र सिंह अपने औफिस में बैठे थे. उन्होंने महिला कांस्टेबल सावित्री को बुला कर हवालात में बंद हत्यारोपी पूजा को लाने को कहा.

23-24 वर्षीय सांवले रंग की पूजा छरहरे बदन और आकर्षक नैननक्श की महिला थी. एक दिन पहले ही 2 पुरुषों के साथ पूजा के खिलाफ भादंवि की धारा 302 (हत्या) 201 और 34 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था.

थानाप्रभारी पुष्पेंद्र खुद इस केस की जांच कर रहे थे. पूजा आ गई तो उन्होंने उस से पूछताछ शुरू करते हुए पूछा, ‘‘पूजा, तू ने अपने पति कालूराम को क्यों मारा?’’

‘‘हां, यह सच है कि मैं ने अपने पति को मारा है.’’ संक्षिप्त सा उत्तर दिया पूजा ने.

‘‘हत्या के इस मामले में तेरे साथ और कौनकौन थे?’’ सीआई ने अगला सवाल किया.

‘‘साहब, इस काम में कौर सिंह और उस के बेटे संदीप कुमार ने मेरा साथ दिया था.’’

‘‘पूजा, ये बापबेटे न तो तेरी जाति के हैं न रिश्तेदार, फिर भी इन लोगों ने इस जघन्य अपराध में तेरा साथ दिया. आखिर क्यों?’’ इस पर पूजा चुप्पी साध गई.

‘‘साहब, ये दोनों बापबेटे मुझे चाहते हैं. पिछले कुछ दिनों से मैं बापबेटे की पत्नी बन कर रह रही थी. मेरा पति कालूराम हमारी राह का कांटा बन रहा था. इसलिए हम तीनों ने मिल कर उस की हस्ती ही मिटा दी.’’ पूजा के मुंह से यह सुन कर पुष्पेंद्र सिंह हतप्रभ रह गए. क्योंकि भाईभाई की एक पत्नी तो संभव है, पर बापबेटे की नहीं.

अपनी सालों की सर्विस में पुष्पेंद्र सिंह सैकड़ों आपराधिक मामलों से रूबरू हुए थे. पर इस मामले ने जैसे उन के अंतरमन को झकझोर दिया था. भोलीभाली सूरत वाली अनपढ़ पूजा ग्रामीण युवती थी. लेकिन उस के भोले चेहरे के पीछे का डरावना सच यह था कि उस ने अपने शारीरिक सुख की चाह में न केवल अपने भोलेभाले पति का कत्ल किया, बल्कि अपने भविष्य को भी अंधकारमय बना लिया था.

पूछताछ के बाद सीआई पुष्पेंद्र सिंह ने पूजा, कौर सिंह और उस के बेटे संदीप को नौहर के एसीजेएम की अदालत में पेश कर के उन का रिमांड मांगा. अदालत ने तीनों हत्यारोपियों का 3 दिन का पुलिस रिमांड दे दिया. रिमांड अवधि में पूछताछ के बाद जो कहानी निकल कर सामने आई, वह कुछ इस तरह थी—

राजस्थानके जिला हनुमानगढ़ की एक तहसील है टिब्बी. इसी तहसील के गांव कमरानी में रहता था हंसराज. सन 2012 में उस की 2 बेटियों पूजा व मंजू की शादी सीमावर्ती जिला चुरू के गांव बांय निवासी धन्नाराम के 2 बेटों कालूराम व दीपक के साथ हुई थी.

दोनों भाई अपनी पत्नियों के साथ मेहनतमजदूरी कर के अमनचैन से जिंदगी गुजार रहे थे. शुरू में सब ठीक था, लेकिन बाद में पूजा को ससुराल की बंदिशें और सास की रोकटोक अखरने लगी.

वह चाहती थी कि पति के साथ कहीं अलग रहे. उस की यह जिद बढ़ने लगी तो घर में झगड़ा होने लगा. पूजा की वृद्ध सास ने समझदारी दिखाते हुए कालूराम को कहीं दूसरी जगह रहने को कह दिया. तब तक पूजा एक बेटी की मां बन चुकी थी. पूजा की चाहत पर सन 2014 में कालूराम पत्नी व बेटी को ले कर अपनी ससुराल कमरानी में रहने लगा.

कमरानी में कालूराम मेहनतमजदूरी कर के अपने छोटे से परिवार का पेट पालने लगा. हाड़तोड़ मेहनत की वजह से कालू का शरीर कमजोर होने लगा था. शारीरिक क्षमता बनाए रखने की लालसा में उस ने अपने साथियों की सलाह पर नशा करना शुरू कर दिया. कोई अन्य पदार्थ नहीं मिलता तो वह मैडिकल स्टोर पर मिलने वाली गोलियां खा कर काम चला लेता था. वैसे भी अफीमपोस्त की बनिस्बत ऐसी गोलियां आसानी से मिल जाती हैं.

पूजा के घर के पास ही मजहबी सिख काका सिंह का मकान था. काका सिंह ने हनुमानगढ़ निवासी कौर सिंह की बेटी से प्रेमविवाह किया था. कौर सिंह का बेटा संदीप 15-20 दिन में अपनी बहन से मिलने कमरानी आता रहता था. संदीप जब भी अपनी बहन से मिलने आता तो 2-3 दिन रुक कर जाता था.

उस दिन संदीप कमरानी पहुंचा तो उस की बहन की पड़ोसन पूजा भी वहीं बैठी थी. संदीप की बहन ने अपने भाई संदीप से पूजा का परिचय करवा दिया. संयोग से पूजा ने कुछ देर पहले ही स्नान किया था. भीगे बालों से उस का भीगा वक्षस्थल व मादक यौवन युवा संदीप को इतना भाया कि वह उस का दीवाना बन गया. एकांत पा कर उस ने पूजा के सौंदर्य की तारीफ भी कर डाली. साथ ही कहा भी, ‘‘भाभी, आप से तो जानपहचान हो ही गई, अब भैया से भी मिलवा दो.’’

संदीप के मुसकान भरे आग्रह ने पूजा के अंतरमन में हिलोरे पैदा कर दी थीं. संदीप भी पूजा को भा गया था. उस ने कहा, ‘‘क्यों नहीं, कल आप के भैया काम पर नहीं जाएंगे, वह पूरा दिन घर में ही रहेंगे. जब मन करे आ जाना.’’

अगले दिन दोपहर बाद संदीप अपनी बहन को बाजार जाने का कह कर पूजा के घर जा पहुंचा. पूजा आंगन में खड़ी थी. वह उसे देखते ही बोला, ‘‘लो भाभी, हम आ गए हैं.’’

जवाब में पूजा ने अंगड़ाई लेते हुए कहा, ‘‘आओ देवर जी, आप का स्वागत है.’’

अपनी बात कह कर पूजा कमरे में चली गई. संदीप भी उस के पीछेपीछे कमरे में चला गया.

उस दिन पूजा और संदीप में काफी देर बातें हुईं. इन बातों से संदीप समझ गया कि पूजा अपने पति से संतुष्ट नहीं है. इस के पीछे एक वजह यह भी रही कि बीते दिन पूजा ने उस से कहा था कि उस का पति दिन भर घर पर रहेगा, जबकि वह घर पर नहीं था. इस से संदीप उस की मंशा को भांप गया. इसलिए उस ने पूजा से उसी तरह की बातें कीं. पूजा उस की बातों का रस लेती रही. नतीजा यह निकला कि 2 दिन में ही पूजा और संदीप के बीच शारीरिक संबंध बन गए.

उस दिन सांझ ढले कालूराम काम से लौटा. घर आते ही उस ने अपनी नशे की खुराक ली और खाना खा कर बिस्तर पर पसर गया. कुछ ही देर में उसे नींद आ गई. हालांकि पूजा व उस की मां ने कालूराम को नशाखोरी के बावत समझाया था, पर उस पर कोई असर नहीं हुआ था.

रात घिर आई थी. पूजा व काका सिंह के परिवार के लोग खर्राटें भर रहे थे. पर पूजा व संदीप की आंखों से नींद कोसों दूर थी. लगभग 11 बजे संदीप दबे पांव आ कर पूजा के बाहर वाले कोठे में छुप गया था. संदीप को आया देख पूजा भी कोठे में आ गई. दिन की तरह एक बार फिर दोनों ने शारीरिक खेल खेला. घंटा भर बाद संदीप बहन के घर चला गया.

दिल के टुकड़ों का रिसना – भाग 4

फेसबुक के माध्यम से स्वीटी अशोक के संपर्क में आ गई. दोनों अकसर चैटिंग कर लिया करते थे. दोनों ने आपस में मोबाइल नंबर भी शेयर कर लिए थे. धीरेधीरे दोनों दिल खोल कर बातें करने लगे. स्वीटी अशोक के परिवार के बारे में अधिक जानकारी जुटाने का प्रयत्न करती थी. जाहिर था कि वह अशोक से प्रभावित थी, इसीलिए उस के बारे में खोजबीन करती थी.

एक दिन बातचीत के दौरान स्वीटी ने पूछा, ‘‘अशोक, मैं ने तुम्हारे परिवार के बारे में बहुत कुछ जान लिया है लेकिन यह कभी नहीं पूछा कि तुम करते क्या हो?’’

अशोक फीकी हंसी हंसा, ‘‘मुझे झूठ बोलने की आदत नहीं है, इसलिए सच बताऊंगा. सच यह है कि मैं बेरोजगार हूं.’’

‘‘मैं सीरियस हूं यार.’’

‘‘मैं भी सीरियस हूं, मजाक नहीं कर रहा हूं. सच बता रहा हूं कि मैं बेरोजगार हूं. हां, इतना जरूर है कि मैं सरकारी नौकरी पाने के लिए प्रयास कर रहा हूं.’’

तब तक दोनों की दोस्ती गहरा गई थी. स्वीटी का मन अशोक को देखने, उस से मिलने और आमनेसामने बैठ कर बातें करने का था. एक दिन उस ने अशोक को पहसा आने को बोल दिया. दिन, तारीख और समय भी निश्चित कर दिया. स्वीटी के इस बुलावे को अशोक ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.

नियत दिन और समय पर अशोक पहसा कस्बा पहुंच गया. स्वीटी उसे पहसा इटारा मोड़ पर स्थित दुर्गा मंदिर के पास मिली. दोनों को पता था कि कौन कैसे कपड़े पहन कर आएगा. इसलिए उन्हें एकदूसरे को पहचानने में दिक्कत नहीं हुई.

अशोक का व्यक्तित्व आकर्षक था तो स्वीटी भी भरपूर जवान थी. अशोक से बातें करतेकरते स्वीटी सोचने लगी कि अगर अशोक जैसे सुंदर, सजीले युवक से उस की शादी हो जाए तो उस का जीवन सुखमय रहेगा.

स्वीटी सोच में डूबी हुई थी. तभी अशोक बोला, ‘‘तुम इतनी सुंदर होगी, मैं ने सोचा भी नहीं था. बुरा न मानो तो एक बात बोलूं?’’

स्वीटी की धड़कनें तेज हो गईं. उसे लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि जो मैं सोच रही हूं, अशोक भी वही सोच रहा हो. मन की बात मन में छिपा कर वह बोली, ‘‘जो कहना चाहते हो, बेहिचक कह सकते हो.’’

‘‘तुम्हें देखते ही दिल में प्यार का अहसास जाग उठा है.’’ अशोक ने उस के हाथ पर हाथ रख दिया, ‘‘आई लव यू स्वीटी.’’

प्रेम निवेदन सुनते ही स्वीटी मानो अपने आपे में नहीं रह सकी. उस ने अपना दूसरा हाथ उठा कर अशोक के हाथ पर रख दिया, ‘‘आई लव यू टू.’’

उसी समय दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई. स्वीटी घर वालों की आंखों में धूल झोंक कर जब तब अशोक से मिलने लगी. अशोक भी घर वालों को बिना कुछ बताए स्वीटी के प्यार में बंध गया.

जैसेजैसे दिन बीतते गए, दोनों का प्यार दिन दूना रात चौगुना बढ़ने लगा. दोनों का प्यार परवान चढ़ा तो फिर शारीरिक मिलन भी होने लगा. मऊ में दरजनों ऐसे लौज और होटल थे, जहां इस प्रेमी युगल को आसानी से कमरा उपलब्ध हो जाता था.

लगभग एक साल तक स्वीटी और अशोक का मिलन निर्बाध चलता रहा. उस के बाद अशोक स्वीटी से कन्नी काटने लगा. उस ने स्वीटी से मोबाइल फोन पर बात करना कम कर दिया था. जब कभी बतियाता भी तो वह झुंझला उठता था. शारीरिक मिलन से भी वह कतराने लगा था.

अशोक में आए इस परिवर्तन से स्वीटी उर्फ प्रतिमा चिंतित हो उठी. उसे लगा कि जो सपना उस ने देखा था, वह अधूरा रह जाएगा. स्वीटी ने इस बारे में गुप्तरूप से जानकारी जुटाई तो उस के पैरों तले से जमीन खिसकती नजर आई. उसे पता चला कि अशोक का झुकाव गाजीपुर की एक युवती की ओर है और दोनों छिपछिप कर मिलते हैं.

प्यार का घरौंदा टूटता देख स्वीटी बौखला गई. उस ने युवती के बारे में अशोक से बात की तो उस ने झूठ बोल दिया. साथ ही उस ने झुंझला कर स्वीटी से कहा कि वह उसे फोन न किया करे. वह न तो उस से मिलना चाहता है और न बात करना. इस के बाद स्वीटी और अशोक के बीच दूरियां बढ़ने लगीं. दोनों के प्यार में गहरी दरार आ गई.

इसी बीच अशोक का चयन बिहार वन विभाग में हो गया. चयन के बाद उस ने स्वीटी से और भी दूरियां बढ़ा लीं. दरअसल, अशोक को भय सताने लगा था कि अगर स्वीटी उस के पीछे पड़ी रही तो उस का भविष्य दांव पर लग सकता है. इसलिए वह उस से पीछा छुड़ाना चाहता था. दूसरी ओर उस का परिचय एक सजातीय युवती से भी हो गया था, जिस के कारण वह स्वीटी से दूरियां बनाने लगा था.

प्यार में धोखा खाने के बाद स्वीटी के दिल में अशोक के प्रति नफरत पनपने लगी थी. स्वीटी की एक करीबी सहेली सोनम यादव मऊ में रहती थी. वह भी पहसा स्थित कालेज में बीटीसी की छात्रा थी. प्यार में मात खाने के बाद वह हर बात सोनम से शेयर करती थी. एक रोज बातचीत में सोनम ने स्वीटी को उकसाया कि वह बेवफा प्रेमी को सबक सिखाए ताकि वह किसी अन्य के साथ धोखा न करे.

20 अगस्त को स्वीटी ने काल की तो अशोक ने उसे मऊ के अवधपुरी होटल में मिलने को कहा. होटल में दोनों की बातचीत हुई और शारीरिक मिलन भी हुआ. उसी दिन अशोक ने नौकरी लग जाने और ट्रेनिंग पर जाने की बात कह कर स्वीटी को फोन न करने की हिदायत दी.

इस पर स्वीटी ने कहा कि जब बात नहीं करनी है तो तुम ने जो घड़ी और अपना फोटो गिफ्ट में दिया था, वापस ले लो. इस पर अशोक ने कहा कि वह 2 दिन बाद आ कर ले जाएगा.

लेकिन जब अशोक नहीं आया तो स्वीटी प्रतिशोध की आग में जल उठी. उस ने अपनी सहेली सोनम यादव से विचारविमर्श किया. दोनों ने बेवफा प्रेमी अशोक को सबक सिखाने की ठान ली. इस के लिए स्वीटी ने एक तेजधार वाला चाकू खरीदा और उसे अपने बैग में सुरक्षित रख लिया.

27 अगस्त, 2019 की दोपहर बाद स्वीटी अपनी सहेली सोनम यादव के साथ अशोक के घर मरूखा मझौली पहुंची. उस समय अशोक घर पर नहीं था. फलस्वरूप वे दोनों लौट गईं. जब दोनों गांव के बाहर पटरी पर पहुंचीं तभी अशोक मोटरसाइकिल से आ गया.

पहले उस की स्वीटी से झड़प हुई, फिर सोनम से. जब अशोक और सोनम में झड़प हो रही थी, तभी स्वीटी ने बैग से चाकू निकाला और अशोक के पेट में घोंप दिया. अशोक खून से लथपथ हो कर नहर की पटरी पर गिर पड़ा.

अशोक को चाकू घोंपने के बाद स्वीटी और सोनम ने तेज कदमों से नहर का पुराना पुल पार किया और मोटरसाइकिल पर मऊ की ओर जा रहे एक युवक से यह कह कर लिफ्ट मांगी कि उन दोनों को कोचिंग के लिए देर हो रही है. उस युवक ने दोनों को लिफ्ट दे दी और इस तरह वे मऊ चली गईं.

इधर पटरी पर तड़प रहे अशोक को राहगीर तथा खेतों पर काम कर रहे लोगों ने देखा तो यह खबर उस के घर वालों को दी. घर वाले उसे जिला अस्पताल ले गए, जहां उस की मौत हो गई.

घर वालों ने मौत की सूचना थाना हलधरपुर पुलिस को दी तो थानाप्रभारी अखिलेश कुमार अस्पताल पहुंचे. उन्होंने जांच शुरू की तो इश्क में फंसे अशोक की हत्या का परदाफाश हुआ.

2 सितंबर, 2019 को थाना हलधरपुर पुलिस ने आरोपी स्वीटी उर्फ प्रतिमा चौहान व सोनम यादव को मऊ कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट शशिकुमार के सामने पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया. पुलिस उस व्यक्ति का पता नहीं लगा पाई, जो हत्यारोपियों को अपनी मोटरसाइकिल पर बिठा कर मऊ तक लाया था.

औनर किलिंग के जरिए प्यार की बलि – भाग 3

विवेचना हाथ में आते ही एसएसआई शर्मा तुरंत सक्रिय हो गए और तहकीकात शुरू कर दी. सब से पहले उन्होंने वादी तथा रीना के प्रेमी मोनू चौहान के बयान दर्ज किए. बाद में काररवाई को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अपने सीओ हेमेंद्र सिंह नेगी से दिशानिर्देश लिए. सीओ के निर्देश पर अंकुर शर्मा ने रीना की जानकारी देने के लिए कई मुखबिरों को तैनात कर उन की मौनीटरिंग करने लगे.

विवेचनाधिकारी शर्मा को इतना तो पता चल ही गया था कि रीना पिछले कई दिनों से घर पर नहीं है. उसे आसपास के लोगों ने भी कहीं आतेजाते नहीं देखा. संदेह के आधार पर गांव रामपुर रायघटी के निकट गंगा नदी के किनारे की तलाश शुरू करवा दी ताकि नदी के आसपास रीना का कोई सुराग मिल जाए.

गंगा नदी के किनारे के रास्ते पर तलाशी के दरम्यान 12 अगस्त, 2022 की दोपहर को पुलिस को बालावाली रेलवे पुल के नीचे तैरता हुआ एक प्लास्टिक का बोरा दिखाई दिया. उसे नदी से बाहर निकाल कर खोला गया. उस में एक लड़की का शव था.

शव की शिनाख्त के लिए तुरंत मोनू को बुलवाया गया. मोनू मौके पर आ कर शव के हाथ पर बने 3 स्टार ओम के निशान को देख कर उस ने उस की शिनाख्त अपनी प्रेमिका रीना पुत्री मदन के रूप में कर दी.

महिला थानेदार मनीषा ने रीना के शव का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए राजकीय अस्पताल रुड़की भेज दिया. इस मामले में आईपीसी की धाराएं 302 व 201 भी जोड़ दी गईं.

मोनू के बयान और आरोपों पर भरोसा करते हुए पुलिस ने जांच की प्रक्रिया आगे बढ़ाई. जल्द ही 16 अगस्त, 2022 को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर रीना के भाई रवि को भोगपुर शाहपुर रोड से गिरफ्तार कर लिया.

लक्सर कोतवाली ला कर पुलिस उस से पूछताछ करने लगी. सख्ती से पेश आने पर रवि ने पुलिस के सामने रीना की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. उस के बाद उस ने पुलिस को जो कहानी बताई, वह इस प्रकार है—

काफी समय से नाबालिग रीना व मोनू के बीच प्रेम संबंध चल रहे थे. 3 महीने पहले रीना और मोनू घर से भाग कर देहरादून चले गए और उन्होंने कोर्ट में मैरिज करने का प्रयास किया, मगर रीना के नाबालिग होने के कारण यह शादी नहीं हो सकी थी.

उस के बाद दोनों अगले दिन ही घर लौट आए. परिवार की बदनामी के डर से रीना के घर वालों ने मोनू के खिलाफ कोई कानूनी काररवाई नहीं की थी.

रवि के परिवार में मांबाप के अलावा एक भाई और 2 बहनें थीं. बड़ी बहन रीता की शादी 4 साल पहले बंटी से हुई थी.

घर वालों ने रीना को मोनू से दूर रहने और संबंध खत्म करने की हिदायत दी थी. चेतावनी के साथ यह भी कह दिया था कि भविष्य में अगर उस ने फिर कोई ऐसा कदम उठाया तो इस का अंजाम बुरा हो सकता है. उसे जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है. इस के बाद में घर वालों ने रीना की शादी के लिए नगीना (बिजनौर) में अपनी बिरादरी का एक लड़का भी देख लिया था.

रीना अपनी जिद पर अड़ी हुई थी. वह घर वालों की पसंद के लड़के से शादी करने के लिए तैयार नहीं थी, जिस से घर के सभी लोग अपमानित महसूस कर रहे थे. रीना द्वारा घर वालों की पसंद के लड़के से शादी की मनाही करने पर बिरादरी में थूथू होने लगी थी. इस कारण परिवार में काफी तनाव का माहौल बन गया था.

बात 6 अगस्त, 2022 के आधी रात की है. रात के 2 बजे खटपट की आवाज से रीना के भाई रवि की नींद टूट गई. जब वह चारपाई से उठा, तब देखा कि रीना घर से भागने की तैयारी कर रही थी. उस समय पिता घर पर नहीं थे. वे नदी से रेत लाने गए हुए थे. रवि ने रीना को पकड़ लिया और उसे नहीं भागने के लिए समझाया, मगर रीना नहीं मानी. बहुत समझाने पर भी जब वह अपनी जिद पर अड़ी रही तब रवि को गुस्सा आ गया.

गुस्से में उस ने दोनों हाथों से उस का गला पकड़ लिया और जोर से दबाने लगा. कमजोर रीना भाई के हाथों की पकड़ को नहीं छुड़ा पाई. कुछ मिनट में ही वह बेजान हो गई. गला घुटने से उस की मौत हो चुकी थी. जैसे ही रवि ने उस का गला छोड़ा, वह वहीं धड़ाम से गिर गई.

रीना की मौत हो गई थी. इस के बाद रवि ने रीना की मौत की खबर अपने बहनोई बंटी को फोन कर के दी. वह पास के ही गांव ओसपुर में रहता है. आधे घंटे बाद बंटी ससुराल आ गया. बंटी को रवि ने रीना की हत्या के बारे में बता दिया.

दोनों के सामने रीना की लाश पड़ी थी. यह देख कर दोनों डर गए. पुलिस से बचने के लिए उसे ठिकाने लगाने की योजना बनाई. उस के अनुसार, पहले दोनों ने रीना की लाश को एक प्लास्टिक के बोरे में डाल कर बोरे का मुंह रस्सी से बांध दिया. उस बोरे को ले कर बंटी रवि की प्लेटिना मोटरसाइकिल पर बैठ गया.

थोड़ी देर बाद वे दोनों गंगा नदी के किनारे चलते हुए बालावाली रेलवे पुल के पास जा पहुंचे. वहां उन्होंने उस बोरे को पुल के नीचे फेंक दिया और घर लौट आए.

पुलिस ने रवि के इस बयान को दर्ज करने के बाद उसी दिन ही शाम को उस के जीजा बंटी को भी उस के घर से गिरफ्तार कर लिया.

बंटी ने भी पुलिस के सामने रवि के बयानों की पुष्टि करते हुए रीना की लाश को ठिकाने लगाने में मदद करने की बात स्वीकार ली. इसी के साथ पुलिस ने रीना के शव को ले जाने वाली रवि की काले रंग की बजाज प्लेटिना बाइक नंबर यूके 08एपी 5865 उस के घर से बरामद कर ली.

अगले दिन पुलिस ने रवि व बंटी को कोर्ट में पेश कर दिया. वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

रीना हत्याकांड का परदाफाश करने वाली पुलिस टीम में कोतवाल यशपाल सिंह विष्ट, एसएसआई अंकुर शर्मा, एसआई मनोज ममगई, विनय मोहन द्विवेदी, कांस्टेबल अनिल व मोहन शामिल रहे. रीना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण दम घुटना बताया गया.

कथा लिखे जाने तक रवि व बंटी जेल में ही थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में रीना परिवर्तित नाम है

दिल के टुकड़ों का रिसना – भाग 3

कुछ महीने बाद दोस्ती प्यार में बदल गई और दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन गए. लगभग एक हफ्ते पहले उस ने मुझे मऊ के होटल अवधपुरी में बुलाया था. वहां उस ने शारीरिक संबंध बनाए और कहा कि उस की नौकरी लग गई है, उसे ट्रेनिंग पर जाना है. इसलिए आज के बाद फोन मत करना. हमारीतुम्हारी दोस्ती खत्म. मैं ने भी गुस्से में कह दिया कि ठीक है, काल नहीं करूंगी.

लेकिन 2 दिन बाद मैं ने उसे काल कर के कहा कि जब तुम्हें बात ही नहीं करना है तो तुम ने जो गिफ्ट (घड़ी और फोटो) दिया है, उसे वापस ले लो. इस पर उस ने कहा कि ठीक है, मंगलवार को वापस कर देना. मैं पहसा आ कर तुम्हारे कालेज के बाहर से ले लूंगा.

लेकिन वह गिफ्ट वापस लेने नहीं आया. तब 27 अगस्त को मैं सोनम के साथ उस के गांव गई, लेकिन वह नहीं मिला. मैं वापस लौट रही थी तो जग्गा पीछे से आ गया और मुझे बुलाने लगा. लेकिन मैं रुकी नहीं और एक युवक से लिफ्ट ले कर मऊ आ गई थी. मुझे

नहीं मालूम कि जग्गा की हत्या किस ने की है.

‘‘अगर जग्गा की हत्या तुम ने नहीं की तो किस ने की?’’ अखिलेश कुमार ने स्वीटी को टेढ़ी नजरों से देखते हुए पूछा.

‘‘सर, जग्गा की हत्या किस ने की, यह पता लगाना पुलिस का काम है.’’

‘‘देखो स्वीटी, पुलिस ने सब पता कर लिया है. अब तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम सच्चाई कबूल कर लो. वरना सच उगलवाने के लिए ये दोनों सिपाही तुम्हारे लिए तैयार खड़ी हैं.’’ मिश्रा ने महिला कांस्टेबल अंजलि व सुमन की ओर इशारा किया.

स्वीटी उर्फ प्रतिमा चौहान समझ गई कि सच्चाई बतानी ही पड़ेगी. वह बोली, ‘‘सर, मुझ से गलती हो गई. प्यार में धोखा खाया तो जघन्य अपराध हो गया. मैं ने ही जग्गा के पेट में चाकू घोंपा था. मैं अपना जुर्म कबूल करती हूं.’’

हत्या की बात स्वीकार करने के बाद स्वीटी ने आलाकत्ल चाकू, स्कूल बैग और मृतक जग्गा की फोटो बरामद करा दी. स्वीटी ने जुर्म कबूला तो उस की सहेली सोनम यादव भी टूट गई. उस ने भी जुर्म कबूल लिया.

थानाप्रभारी अखिलेश कुमार मिश्र ने अशोक उर्फ जग्गा की हत्या का परदाफाश करने तथा कातिल युवतियों को पकड़ने की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी.

यह खबर मिलते ही एएसपी शैलेंद्र श्रीवास्तव थाना हलधरपुर आ गए. उन्होंने कातिल युवतियों स्वीटी व सोनम से विस्तृत पूछताछ की. फिर प्रैसवार्ता कर दोनों युवतियों को मीडिया के सामने पेश कर घटना का खुलासा कर दिया.

चूंकि स्वीटी उर्फ प्रतिमा चौहान और सोनम यादव ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, इसलिए हलधरपुर थानाप्रभारी अखिलेश कुमार मिश्रा ने मृतक के पिता दीपचंद को वादी बना कर स्वीटी उर्फ प्रतिमा श्रीवास्तव व सोनम यादव के विरुद्ध भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.

इस के साथ ही दोनों को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस जांच में पता चला कि प्यार में धोखा खाई एक युवती ने कैसे और क्यों इस सनसनीखेज घटना को अंजाम दिया.

तमसा नदी के किनारे बसा मऊ शहर पूर्वांचल के बाहुबलियों का गढ़ माना जाता है. मऊ पहले गोरखपुर जिले का एक संभाग था, लेकिन बाद में गोरखपुर और आजमगढ़ संभाग को जोड़ कर मऊ को जिला बनाया गया.

इसी मऊ जिले के हलधरपुर थाना क्षेत्र में एक यादव बाहुल्य गांव है मरूखा मझौली. दीपचंद यादव का परिवार इसी गांव में रह रहा था. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे अर्जुन और अशोक उर्फ जग्गा थे. दीपचंद के पास 5 एकड़ जमीन थी.

इसी जमीन पर इस परिवार का भरणपोषण होता था. दीपचंद यादव की अपनी बिरादरी में अच्छी पैठ थी. बिरादरी के लोग उन का सम्मान करते थे.

दीपचंद यादव का बड़ा बेटा अर्जुन शरीर से हृष्टपुष्ट और मृदुभाषी था. अर्जुन पढ़लिख कर जब खेतीकिसानी में हाथ बंटाने लगा तो दीपचंद ने उस का विवाह कुसुम से कर दिया. कुसुम अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां बखूबी निभाती थी.

अर्जुन का छोटा भाई अशोक उर्फ जग्गा तेजतर्रार व स्मार्ट युवक था. वह अच्छे कपड़े पहनता था और बनसंवर कर रहता था. गांव के अन्य लड़कों की अपेक्षा अशोक पढ़नेलिखने में भी तेज था. इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास करने के बाद उस ने स्नातक की डिग्री हासिल कर ली थी.

अशोक की तमन्ना सरकारी नौकरी में जाने की थी, इसलिए वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगा रहता था. साथ ही नौकरी के लिए आवेदन भी करता रहता था.

अशोक की तमन्ना पूरी करने के लिए दीपचंद ने भी मुट्ठी खोल दी थी. वह उस की हर जरूरत पूरी करते थे. उन्होंने अशोक को यह तक कह दिया था कि सरकारी नौकरी मिलने में रुपया बाधक नहीं बनेगा. इस के लिए भले ही 2-4 बीघा जमीन ही क्यों न बेचनी पड़े. दरअसल, दीपचंद जानता था कि बिना घूस के नौकरी मिलना नामुमकिन है.

अशोक यादव की हिंदी के अलावा अंगरेजी पर भी अच्छी पकड़ थी. वह फर्राटेदार अंगरेजी तो बोलता ही था, उसे कंप्यूटर का भी अच्छा ज्ञान था. फुरसत में वह सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर नए मित्र बनाता और उन से चैटिंग करता था. जो युवकयुवतियां मन को भाते, उन से वह मोबाइल फोन के नंबर दे ले कर बातें करता रहता था.

चैटिंग के दौरान ही फेसबुक पर अशोक उर्फ जग्गा का परिचय स्वीटी उर्फ प्रतिमा चौहान से हुआ. अशोक ने उस की प्रोफाइल देखी तो पता चला कि उस की उम्र 29 साल है और वह मऊ जिले के थाना सराय लखंसी के गांव अलीनगर की चौहान बस्ती की रहने वाली है.

उस के पिता रामप्यारे चौहान किसान थे. प्रतिमा पहसा स्थित कालेज में बीटीसी की छात्रा थी. स्वीटी पढ़ीलिखी युवती थी. प्रोफाइल देख कर अशोक का रुझान उस की ओर हो गया.

मौज मजे की ममता : गजेंद्र और ममता ने मिल कर कैसी साजिश रची

4 अप्रैल, 2018 की बात है. मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के मुरार थाना क्षेत्र में कर्फ्यू लगा होने की वजह से चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था. कर्फ्यू की वजह यह थी कि 2 अप्रैल को एससी/एसटी एक्ट के संशोधन के विरोध में दलित आंदोलन के दौरान 2 लोगों की मौत हो गई थी. हालात बिगड़ने पर प्रशासन ने इलाके में कर्फ्यू लगा रखा था.

इसी दौरान घटी एक अन्य घटना ने माहौल में अचानक ही गरमाहट पैदा कर दी. घटना भी ऐसी कि पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. खबर यह फैली कि बुधवार की सुबह भारत बंद के दौरान उपद्रव करने वाले लोगों ने तिकोनिया इलाके में एक युवक की हत्या और कर दी है. मरने वाला युवक तिकोनिया पार्क का उमेश कुशवाह है.

यह खबर जंगल की आग की तरह इतनी तेजी से फैली कि थोड़ी ही देर में मृतक उमेश कुशवाह के घर के बाहर भीड़ लग गई. भीड़ में राजनैतिक दलों के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से ले कर सामाजिक संगठनों के लोग भी शामिल थे. सभी में इस घटना को ले कर काफी आक्रोश था. लोग हत्यारों के तत्काल पकड़े जाने की मांग कर होहल्ला मचा रहे थे.

सूचना मिलने पर घटनास्थल पर पहुंचे सीएसपी रत्नेश तोमर ने मामले की गंभीरता को समझते हुए विभाग के आला अधिकारियों को अवगत करा दिया. संवेदनशील इलाके में हत्या की एक और घटना घटने की सूचना पर आईजी अंशुमान यादव, डीआईजी मनोहर वर्मा, एसपी डा. आशीष भी मौका ए वारदात पर जल्द पहुंच गए.

भीड़ ने उन सभी पुलिस अधिकारियों को घेर लिया. इस से तिकोनिया इलाके का माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया. ऐसी हालत में किसी भी अनहोनी से बचने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स को भी बुला लिया.

पुलिस अधिकारियों ने वहां मौजूद प्रदर्शनकारियों को भरोसा दिया कि इस केस का जल्द परदाफाश कर के हत्यारों को गिरफ्तार कर लेंगे. उन के आश्वासन के बाद भीड़ किसी तरह शांत हुई. इस के बाद पुलिस अधिकारियों ने मौका ए वारदात का अवलोकन किया.

पुलिस जानती थी कि अफवाहें चिंगारी बन कर आग लगाने का काम करती हैं और उन्हें रोकना कठिन होता है. वे इतनी तेजी से फैलती हैं कि माहौल बहुत जल्द बिगड़ जाता है, इसलिए पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनजर सख्त कदम उठाते हुए इंटरनेट प्रसारण पर रोक लगा दी.

पुलिस अफसरों के रवाना होते ही डौग स्क्वायड और फोरैंसिक एक्सपर्ट्स की टीमें भी घटनास्थल पर पहुंच गईं. सीएसपी रत्नेश तोमर और थानाप्रभारी अजय पवार ने घटनास्थल का मुआयना किया तो देखा कि खून से लथपथ उमेश कुशवाह की लाश मकान के बाहरी हिस्से में बने कमरे में फर्श पर पड़ी थी.

देख कर लग रहा था, जैसे किसी धारदार चीज से उस के सिर पर प्रहार किया गया था. उस का सिर फटा हुआ था. मौके पर इधरउधर खून फैला हुआ था. लाश बिस्तर पर नहीं थी, इस से लगता था कि मरने से पहले उमेश ने शायद हत्यारे से संघर्ष किया होगा. जिस कमरे में उमेश कुशवाह की लाश पड़ी थी, वहीं पर उस का मोबाइल फोन भी पड़ा हुआ था.

घटनास्थल से सारे सबूत इकट्ठे करने के बाद पुलिस ने अलगअलग कोणों से लाश की फोटोग्राफी कराई. घटनास्थल से कुछ दूरी पर पुलिस टीम को एक हंसिया पड़ा मिला. उस हंसिए पर खून लगा हुआ था. इस से पुलिस को आशंका हुई कि हो न हो इस हंसिया से ही हत्यारों ने इस वारदात को अंजाम दिया हो. फोरैंसिक टीम ने हंसिए से फिंगरप्रिंट उठा लिए. फिर जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

पुलिस ने वहां मौजूद उमेश की पत्नी ममता से प्रारंभिक पूछताछ की तो उस ने बताया, ‘‘मेरे पति सूरत में नौकरी करते हैं. वह 30 मार्च को ही सूरत से लौट कर घर आए थे. शहर में 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान उपद्रव हो जाने के बाद समूचे मुरार क्षेत्र में कर्फ्यू और धारा 144 लग जाने की वजह से वह सूरत नहीं लौट सके.

‘‘रोजाना की तरह वह खाना खा कर अपने कमरे में सो रहे थे. आज तड़के 4 बजे के करीब मैं बाथरूम गई. जब वहां से लौट कर आई तो पति को खून से लथपथ फर्श पर पड़ा देख कर भौचक्की रह गई. मैं रोती हुई अपने फुफेरे देवर गजेंद्र के पास गई और उसे जगा कर यह बात बताई. मेरी बात सुन कर गजेंद्र तुरंत मेरे घर आया. लाश देख कर वह समझ नहीं सका कि यह सब कैसे हो गया. इस के बाद मैं ने साहस बटोर कर मोबाइल से अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों को जानकारी दे दी. पड़ोसी महेश ने इस की सूचना पुलिस को दी.’’

पुलिस ने ममता से कमरे में उमेश के अकेले सोने की वजह मालूम की तो उस ने बताया कि हमारे दोनों बेटे 2 दिन पहले सिकंदर कंपू स्थित अपने मामा के घर एक कार्यक्रम में गए थे. वे रात को लौटने वाले थे, इसलिए वह दरवाजा खुला छोड़ कर सो रहे थे. उमेश के चीखने की आवाज न तो ममता ने सुनी थी और न ही गजेंद्र ने.

पुलिस अधिकारियों ने क्राइम सीन को पुन: समझा. जांच में 3 बातें स्पष्ट हुईं, एक तो यह कि सिर पर किसी धारदार चीज से प्रहार किया गया था. दूसरा यह कि मामला साफतौर पर हत्या का था न कि लूटपाट में हुई हत्या का.

तीसरी बात यह थी कि वारदात में किसी ऐसे नजदीकी व्यक्ति का हाथ होने की संभावना लग रही थी, जो घर की स्थिति को भलीभांति जानता था. वह व्यक्ति यह भी जानता था कि उमेश के दोनों बेटे आज घर पर नहीं हैं. घर पर सिर्फ पत्नी ममता ही है.

बहरहाल, कातिल जो भी था उस ने गुनाह को छिपाने की हरसंभव कोशिश की थी. पुलिस ने पड़ताल के दौरान जो हंसिया बरामद किया था, ममता ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया. घटनास्थल की जांच के बाद एसपी डा. आशीष ने इस मामले के खुलासे के लिए सीएसपी रत्नेश तोमर के नेतृत्व में एक टीम का गठन कर दिया. टीम का निर्देशन एसपी साहब स्वयं कर रहे थे.

अगले दिन पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह सिर पर धारदार चीज का प्रहार बताया गया था. जबकि मौत का समय रात 1 बजे से 3 बजे के बीच बताया गया, इसलिए पुलिस ने तिकोनिया इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों की रात 12 बजे से ले कर 3 बजे तक की फुटेज देखी. लेकिन इस से इस घटना का कोई सुराग नहीं मिला.

इलाके में कर्फ्यू लगा होने की वजह से फुटेज में पुलिस के अलावा कोई भी शख्स आताजाता दिखाई नहीं दिया. पुलिस ने ममता से उमेश की हत्या के बारे में पूछताछ की तो वह पुलिस पर हावी होते हुए बोली, ‘‘साहब, मेरे ही पति की हत्या हुई और आप मुझ से ही इस तरह पूछ रहे हैं जैसे मैं ने ही उन्हें मारा हो. जिस ने उन्हें मारा उसे तो आप पकड़ नहीं पा रहे. आप ही बताइए, भला मैं अपने पति को क्यों मारूंगी. आप मुझे ज्यादा परेशान करेंगे तो मैं एसपी साहब से आप की शिकायत कर दूंगी.’’

‘‘देखो ममता, तुम जिस से चाहो मेरी शिकायत कर देना. मुझे तो इस केस की जांच करनी है.’’ सीएसपी रत्नेश तोमर ने कहा, ‘‘अब तुम यह बताओ कि तुम्हारी गजेंद्र से मोबाइल पर इतनी बातें क्यों होती हैं, इस से तुम्हारा क्या नाता है?’’

‘‘साहब, गजेंद्र मेरा फुफेरा देवर है. मैं जिस किराए के मकान में रहती हूं, उसी मकान में वह भी रहता है. अगर मैं गजेंद्र से बात कर लेती हूं तो कोई गुनाह करती हूं क्या?’’ ममता बोली.

‘‘तुम्हारा गजेंद्र से बात करना कोई गुनाह नहीं है. लेकिन तुम्हें यह तो बताना ही पड़ेगा कि पति की हत्या से पहले और बाद में उस से क्या बातें हुई थीं?’’

हत्या का सच जानने के लिए पुलिस को काफी प्रयास करने पड़े. ऐसा होता भी क्यों न, चालाक ममता और गजेंद्र सीएसपी रत्नेश तोमर को गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे. सीएसपी ने ममता से कहा, ‘‘ममता, तुम झूठ मत बोलो. तुम ने ही अपने प्रेमी के साथ मिल कर प्रेम प्रसंग में रोड़ा बन रहे पति को रास्ते से हटाने का षडयंत्र रचा था.’’

इतना सुनते ही ममता के चेहरे का रंग उड़ गया, वह खुद को संभालते हुए बोली, ‘‘नहीं, मेरी गजेंद्र से कोई बात नहीं हुई थी. किसी ने आप को गलत जानकारी दी है.’’

‘‘ममता, हमें गलत जानकारी नहीं दी. यह देखो तुम ने कबकब और कितनी देर तक गजेंद्र से बातें की थीं. इस कागज में पूरी डिटेल्स है.’’ सीएसपी ने काल डिटेल्स उस के हाथ में थमाते हुए कहा.

ममता अब झूठ नहीं बोल सकती थी, क्योंकि काल डिटेल्स का कड़वा सच उस के हाथ में था. ममता की चुप्पी से सीएसपी तोमर समझ गए कि उन की पड़ताल सही दिशा में जा रही है. इस के बाद उन्होंने उस से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की तो उस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया और पति की हत्या की पूरी कहानी सुना दी.

उमेश कुशवाह मूलरूप से बिजौली के रशीदपुर गांव का रहने वाला था. 15 साल पहले रोजीरोटी की तलाश में वह गांव छोड़ कर सूरत चला गया था. उमेश जवान हुआ तो उस के बड़े भाई मान सिंह ने सिकंदर कंपू इलाके की रहने वाली ममता से शादी कर दी.

शादी के कुछ साल बाद ही ममता 2 बच्चों की मां बन गई. बच्चे पढ़ने लायक हुए तो उमेश ने दोनों बच्चों को ग्वालियर शिफ्ट कर दिया. यहां वह मुरार के तिकोनिया इलाके में किराए का मकान ले कर रहने लगे. इसी मकान के दूसरे कमरे में उमेश का फुफेरा भाई गजेंद्र भी रहता था.

कहते हैं कि जहां चाह होती है, वहां राह निकल ही आती है. ममता के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ. बच्चों का हालचाल पूछने के बहाने गजेंद्र ममता के पास आने लगा. ममता बच्ची नहीं थी, वह गजेंद्र के मन की बात को अच्छी तरह से समझ रही थी. गजेंद्र को अपनी ओर आकर्षित होते देख वह भी उस की ओर खिंचती चली गई.

दोनों के दिलों में प्यार का अंकुर फूटा तो जल्द ही वह समय आ गया, जब दोनों का एकदूसरे के बिना रहना मुश्किल हो गया. धीरेधीरे स्थिति यह हो गई कि ममता को उमेश की बांहों की अपेक्षा गजेंद्र की बांहें ज्यादा अच्छी लगने लगीं. जो सुख उसे गजेंद्र की बांहों में मिलता था, वह उमेश की बांहों में नहीं था. यही वजह थी कि उन दोनों को लगने लगा था कि अब वे एकदूसरे के बिना नहीं रह सकते.

ममता ने तो कुछ नहीं कहा, लेकिन एक दिन गजेंद्र ने कहा, ‘‘ममता, अब मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता. मैं तुम से शादी करना चाहता हूं.’’

इस पर ममता ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं हो सकता गजेंद्र, मैं शादीशुदा ही नहीं 2 बच्चों की मां हूं.’’

‘‘मुझे इस से कोई मतलब नहीं है. मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं.’’

गजेंद्र बोला, ‘‘तुम्हारे लिए मुझे यदि उमेश की हत्या भी करनी पड़े तो मैं कर दूंगा.’’

‘‘तुम ऐसा कुछ भी नहीं करोगे.’’ ममता ने कहा, ‘‘उमेश, मुझ से और बच्चों से बहुत प्यार करता है. हम दोनों को जो चाहिए, वह मिल ही रहा है फिर हम कोई गलत काम क्यों करें.’’ ममता ने गजेंद्र को समझाया.

लेकिन ममता के समझाने का उस पर कोई असर नहीं हुआ, क्योंकि वह ममता को हमेशा के लिए पाना चाहता था. गजेंद्र ने ममता पर ज्यादा दबाव डाला तो वह परेशान हो कर बोली, ‘‘तुम्हें जो करना है करो. इस मामले में मैं कुछ नहीं जानती.’’

ममता के प्यार में पागल गजेंद्र ने ममता की इस बात को सहमति मान कर उमेश की हत्या करने की योजना बना डाली और हत्या करने के लिए मौके की ताक में रहने लगा. फिर योजना में ममता को भी शामिल कर लिया.

4 अप्रैल, 2018 को उसे वह मौका तब मिल गया, जब उसे पता चला कि उमेश के दोनों बेटे मामा के घर से नहीं लौट पाए हैं. घर पर सिर्फ ममता और उमेश ही हैं. ममता ने बातोंबातों में फोन पर गजेंद्र को बता दिया कि उमेश खाना खाने के बाद गहरी नींद में सो गया है.

इस पर गजेंद्र उमेश को ठिकाने लगाने के इरादे से उमेश के कमरे पर पहुंच गया. उस ने ममता के साथ बैठ कर योजना बनाई कि तुम सब से पहले मौका देख कर उमेश के सिर पर हंसिए का वार करना. ममता ने ऐसा ही किया. इस के बाद गजेंद्र ने ममता के हाथ से हंसिया ले कर उमेश के सिर को बड़ी बेरहमी से वार कर के फाड़ दिया. थोड़ी देर छटपटाने के बाद उमेश शांत हो गया.

इश्क की राह में बने रोड़े को मौत के घाट उतारने के बाद घर आ कर गजेंद्र ने इत्मीनान के साथ हाथपैर धोए और फिर कपड़े बदल कर सो गया. ममता और गजेंद्र को उम्मीद थी कि उमेश की हत्या पहेली बन कर रह जाएगी और वे कभी नहीं पकड़े जाएंगे.

उधर सुबह घटनास्थल पर पुलिस के आने के बाद ममता और गजेंद्र पूरी तरह से अंजान बने रहने का नाटक करते रहे. पुलिस के सवालों का भी उन दोनों ने बड़ी चालाकी के साथ सामना किया. इन दोनों ने अपने जुर्म को छिपाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने आखिरकार सच उगलवा ही लिया.

ममता और गजेंद्र ने जब अपना गुनाह स्वीकार कर लिया तो पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर के अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया.

औनर किलिंग के जरिए प्यार की बलि – भाग 2

जब दोनों पुलिस अधिकारियों ने उस के कोतवाली में आने का कारण पूछा, तब उस ने हिम्मत कर रीना के घर से लापता होने की आशंका जताई.

‘‘तुम कौन हो? रीना कौन है?’’ कोतवाल बिष्ट ने पूछा.

‘‘जी, मेरा नाम मोनू चौधरी है और रीना मेरी प्रेमिका अपने घर से लापता हो गई है,’’ मोनू बोला.

‘‘प्रेमिका? तुम को कैसे पता कि वह लापता है? …और वैसे भी तुम होते कौन हो उस के बारे में पता करने वाले?’’ एसएसआई अंकुर शर्मा बोले.

‘‘जी, वह मेरी प्रेमिका है. हम लोग शादी करने वाले हैं, लेकिन उस के घर वाले राजी नहीं हैं. हम एक ही बिरादरी के हैं और हमारा गोत्र एक ही है. इस कारण वे मान नहीं रहे हैं. मुझे डर है कि मेरी प्रेमिका को घर वालों ने कहीं गायब कर दिया है. उस का फोन 3 दिनों से बंद मिल रहा है. लीजिए आप भी इस नंबर पर मिला कर देख लीजिए.’’ मोनू ने मिन्नत की और मोबाइल नंबर लिखी परची कोतवाल साहब के सामने बढ़ा दी.

कोतवाली पुलिस के सामने यह अनोखा मामला था कि एक प्रेमी अपनी प्रेमिका के लापता होने की शिकायत लिखवाने आया था, जबकि जिस के बारे में वह बता रहा था, उस के मातापिता या दूसरे घर वालों की तरफ से कोई शिकायत नहीं मिली थी.

कौन सही और कौन गलत होता है, इस की तहकीकात के लिए पहले रीना के फोन नंबर पर कोतवाल यशपाल सिंह बिष्ट ने काल की. फोन स्विच्ड औफ मिला. उस के बाद मोनू ने रीना के भाई रवि का फोन नंबर दिया. साथ ही बताया कि वही उस की और रीना की शादी का सब से अधिक विरोध करता था.

पुलिस ने उस नंबर पर भी काल की. बात होने लगी. कोतवाल ने पूछा कि क्या उस के परिवार की सदस्य रीना घर में है? वह उस से बात करना चाहता है.

दूसरी तरफ से गुस्से से भरी आवाज आई, ‘‘तुम कौन बोल रहे हो? रीना किसी से बात नहीं करना चाहती है.’’

‘‘मैं मोनू का दोस्त बोल रहा हूं. बहुत अर्जेंट है रीना से बात करना.’’ कोतवाल साहब ने अपनी पहचान छिपा कर कहा.

‘‘बहुत अर्जेंट है तो बोल दे मोनू को भी कि वह दोबारा फोन न करे, नहीं तो उसे भी वहीं भेज दूंगा जहां…’’ रीना का भाई पहले से और अधिक तीखी आवाज में बोलने लगा.

लेकिन कोतवाल यशपाल सिंह बिष्ट बीच में ही बोल पड़े, ‘‘भेज दूंगा… मतलब! रीना कहीं गई है क्या? बता दो न प्लीज, कहां गई है. मेरा दोस्त उसे याद कर बेहाल हो चुका है. ठीक से खाना भी नहीं खा रहा है.’’

‘‘खाना नहीं खा रहा है तब मैं क्या करूं? चल फोन रख.’’ इसी के साथ उस ने फोन कट कर दिया.

उस के बाद मोनू ने कोतवाल साहब का फोन ले कर दोबारा काल की, लेकिन इस बार उस ने स्पीकर औन कर रिकौर्डिंग का स्विच भी औन कर दिया. काल रिसीव करते ही रीना का भाई गालियां बकते हुए बोलने लगा, ‘‘हरामजादे, सुअर की औलाद! अबे चूतिया है क्या, जो मुझे सुबहसुबह तंग कर रहा है!’’

‘‘अरे रवि, मैं मोनू बोल रहा हूं.’’

‘‘अबे हरामजादे! तेरी बहन की… तू फोन बदलबदल कर काल करता है. लगता है तुझे भी वहीं भेजना पड़ेगा, जहां रीना को भेजा है.’’ गुस्से में रवि बोला.

‘‘कहां भेजा है उसे, बताओ तो मैं खुद चला जाता हूं.’’ मोनू ने विनती की.

‘‘तू वहां अकेले नहीं जा सकता. …और मेरे सिवाय और कोई भेज भी नहीं सकता.’’ रवि और भी गुस्से के तेवर के साथ बोला.

‘‘अबे तू नहीं जानता तेरी किस से बात हो रही है. तुम ने जो भी बका है, वह रिकौर्ड भी हो गया है. मैं लक्सर कोतवाली से बात कर रहा हूं. तूने अपनी बहन को कहां गायब कर दिया है, सचसच बता दे, वरना पुलिस को तलाश करना अच्छी तरह आता है.’’ मोनू भी उसी के लहजे में डांटते हुए बोला.

उस के बाद तुरंत कोतवाल बिष्ट ने भी रवि को डांट दिया और रीना के बारे में सहीसही जानकारी मांगी.

पुलिस और लक्सर कोतवाली सुनते ही रवि डर गया. हकलाता हुआ बोलने लगा, ‘‘जी, जी वह मोनू के साथ ही घर से 4-5 दिन पहले भाग गई थी, उस का पता नहीं है.’’

‘‘तो तुम ने अभी तक थाने में उस के लापता होने की शिकायत क्यों नहीं दर्ज करवाई?’’

इस का उस ने कोई जवाब नहीं दिया और फोन कट कर दिया. लक्सर पुलिस के सामने यह मामला कुछ अलग तरह का था. पुलिस रवि से बातें कर के यह समझ गई थी रीना खतरे में हो सकती है. इसलिए उस का पता लगाया जाना चाहिए.

मोनू से बात कर कोतवाल यशपाल सिंह बिष्ट ने रीना और रवि के बारे में कुछ और जानकारी जुटाई. मोनू रीना से कोर्टमैरिज करने के इंतजार में था. उस ने लक्सर पुलिस से रीना के बारे में पता लगाने की विनती की.

मोनू की बातें गौर से सुनने के बाद कोतवाल बिष्ट ने रीना की घर में मौजूदगी के बारे में मालूम करने के लिए चेतक पुलिस को तत्काल रीना के घर भेजा. जब पुलिस ने रीना के घर जा कर रीना के बारे में जानकारी की. रीना घर पर नहीं मिली. पुलिस ने रीना के घर वालों से उस के बारे में पूछताछ की तो उन से रीना के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं मिला.

चेतक पुलिस ने वापस कोतवाली पहुंच कर यह जानकारी कोतवाल यशपाल सिंह बिष्ट को दी. मामला चूंकि नाबालिग लड़की के लापता होने का था, इसलिए बिष्ट ने इस मामले में एसपी (देहात) प्रमेंद्र डोवाल को सूचित कर दिया. उन के कहने पर बिष्ट ने रीना के लापता होने की शिकायत दर्ज कर ली.

शिकायत मोनू चौहान की ओर से भादंवि की धारा 365 के अंतर्गत 9 अगस्त, 2022 को दर्ज की गई. इस की जांच एसएसआई अंकुर शर्मा को सौंप दी गई.

दिल के टुकड़ों का रिसना – भाग 2

एसपी अनुराग आर्य ने मृतक के बड़े भाई अर्जुन से पूछताछ की तो उस ने बताया कि अशोक की तलाश में उस के घर 2 लड़कियां आई थीं. अशोक उस वक्त घर पर नहीं था. मेरी पत्नी कुसुम ने उन्हें नाश्तापानी कराया था. कुसुम ने उन से उन का नामपता और आने के बाबत पूछा भी था, लेकिन दोनों ने कुछ नहीं बताया और घर से चली गईं.

कुछ देर बाद अशोक घर आया तो कुसुम ने उसे उन लड़कियों के बारे में बताया. उस के बाद वह मोटरसाइकिल ले कर उन की खोज में निकल गया. अशोक को गए अभी पौन घंटा ही बीता था कि खबर मिली अशोक जख्मी हालत में नहर पटरी पर पड़ा है.

तब मैं, मेरे पिता व अन्य लोग वहां पहुंचे और अशोक को पहले प्राइवेट अस्पताल और फिर वहां से  जिला अस्पताल लाए, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

‘‘क्या तुम बता सकते हो कि तुम्हारे भाई की हत्या किस ने की है?’’ आर्य ने पूछा.

‘‘सर, मुझे उन 2 लड़कियों पर शक है, जो अशोक की तलाश में घर आई थीं.’’

‘‘क्या तुम उन लड़कियों को जानतेपहचानते हो?’’

‘‘नहीं सर, मैं उन के बारे में कुछ नहीं जानता.’’

‘‘क्या उन लड़कियों से अशोक की दोस्ती थी?’’

‘‘सर, मैं दोस्ती के संबंध में भी नहीं जानता, इस के पहले वे कभी घर नहीं आई थीं.’’

खेतों पर काम कर रहे लोगों ने अशोक को लड़कियों के साथ बतियाते देखा था. उन्होंने उन दोनों को भागते हुए भी देखा था. अशोक के भाई अर्जुन को भी शक था कि लड़कियों ने ही अशोक को मौत के घाट उतारा.

पुलिस अधिकारियों ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया. एसपी अनुराग आर्य ने हत्या के खुलासे के लिए एएसपी शैलेंद्र श्रीवास्तव के निर्देशन में पुलिस की 3 टीमें गठित कीं और खुद भी मौनिटरिंग में लग गए.

पुलिस टीमों ने जांच शुरू की तो पता चला मृतक अशोक उर्फ जग्गा एक पढ़ालिखा, मृदुभाषी और व्यवहारकुशल युवक था. मरूखा मझौली गांव में उस का कभी किसी से झगड़ा नहीं हुआ था. पढ़नेलिखने में भी वह तेज था. उस ने ग्रैजुएशन कर लिया था और उस का चयन बिहार प्रदेश के वन विभाग में हो गया था. लेकिन ट्रेनिंग पर जाने से पहले ही उस की हत्या हो गई थी.

पुलिस टीम ने मृतक अशोक के भाई अर्जुन, उस की पत्नी कुसुम तथा पिता दीपचंद से पूछताछ की और उन का बयान दर्ज किया. पुलिस टीमों ने घटनास्थल का फिर से निरीक्षण किया. साथ ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट का भी अध्ययन किया गया.

इस के अलावा मृतक के कई दोस्तों से भी पूछताछ की गई. पर यह पता नहीं चल पाया कि अशोक उर्फ जग्गा के किस लड़की से प्रेम संबंध थे और वह लड़की कहां की रहने वाली थी.

2 दिन बीत जाने के बाद भी जब पुलिस हत्या का खुलासा नहीं कर पाई तो गांव के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. गांव वालों ने हलधरपुर थाने का घेराव किया और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की. इस दौरान ग्रामीणों की पुलिस से झड़प भी हुई.

घेराव की सूचना मिलते ही एसपी अनुराग आर्य और एएसपी शैलेंद्र श्रीवास्तव थाना हलधर आ गए. उन्होंने उत्तेजित ग्रामीणों को समझाया, साथ ही आश्वासन भी दिया कि हत्या का परदाफाश जल्द हो जाएगा. एसपी अनुराग आर्य के आश्वासन पर ग्रीमाणों ने धरनाप्रदर्शन खत्म कर दिया.

परिवार व ग्रामीणों का बढ़ता आक्रोश देख कर एसपी अनुराग आर्य ने पुलिस टीमों को जल्द से जल्द केस के खुलासे का आदेश दिया. आदेश पाते ही थानाप्रभारी अखिलेश कुमार की टीम ने तेजी से जांच आगे बढ़ाई.

अखिलेश कुमार अभी तक मृतक अशोक का मोबाइल फोन बरामद नहीं कर पाए थे. इस संबंध में उन्होंने मृतक के भाई अर्जुन से बात की तो पता चला अशोक का मोबाइल फोन घर पर ही है. घटना वाले दिन जब वह घर से निकला था, मोबाइल घर पर ही भूल गया था.

अखिलेश कुमार मिश्रा ने अशोक का मोबाइल कब्जे में ले कर चैक किया तो पता चला, वह एक खास नंबर पर ज्यादा बातें करता था. वह नंबर स्वीटी के नाम से सेव था. मिश्रा ने स्वीटी के नंबर पर काल की तो पता चला उस का मोबाइल बंद है.

इस पर अखिलेश मिश्रा ने सेवा प्रदाता कंपनी से उस नंबर की डिटेल्स मांगी. कंपनी से पता चला कि वह नंबर प्रतिमा चौहान के नाम पर है. उस का पता अली नगर, चौहान बस्ती, थाना सराय लखंसी (मऊ) दर्ज था.

1 सितंबर, 2019 की सुबह 10 बजे थानाप्रभारी अखिलेश मिश्रा ने पुलिस टीम के साथ अली नगर, चौहान बस्ती में प्रतिमा के घर छापा मारा. प्रतिमा उस समय घर पर ही थी. अखिलेश कुमार के इशारे पर महिला कांस्टेबल अंजलि और सुमन ने प्रतिमा को हिरासत में ले लिया. पुलिस उसे थाना हलधरपुर ले आई. पुलिस गिरफ्त में आने के बावजूद प्रतिमा के चेहरे पर डर या भय नहीं था.

थानाप्रभारी अखिलेश कुमार मिश्रा ने महिला पुलिस कस्टडी में प्रतिमा को अपने कक्ष में बुलाया और पूछा, ‘‘प्रतिमा, स्वीटी कौन है? क्या तुम उसे जानती हो? वह तुम्हारी सहेली है या फिर कोई रिश्तेदार?’’

‘‘सर, स्वीटी न तो मेरी सहेली है और न ही कोई रिश्तेदार. स्वीटी मेरा ही नाम है. स्कूल कालेज के रिकौर्ड में मेरा नाम प्रतिमा चौहान है, लेकिन घर वाले मुझे स्वीटी कहते हैं.’’

‘‘क्या तुम अशोक उर्फ जग्गा को जानती हो?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘हां, जानती हूं.’’ स्वीटी ने जवाब दिया.

‘‘27 अगस्त की दोपहर बाद तुम अशोक के घर मरूखा मझौली गांव गई थी?’’

‘‘हां, मैं अपनी सहेली सोनम यादव के साथ उस के गांव गई थी?’’

‘‘सोनम यादव कहां रहती है?’’

‘‘सर, सोनम यादव मऊ के कुबेर  में रहती है. वह बीटीसी की छात्रा है. हम दोनों पहसा के कालेज में साथ पढ़ती हैं.’’

इस के बाद अखिलेश मिश्रा ने कुबेर में छापा मार कर सोनम यादव को भी हिरासत में ले लिया. थाना हलधरपुर में जब उस की मुलाकात स्वीटी उर्फ प्रतिमा से हुई तो वह सब कुछ समझ गई.

इस के बाद थानाप्रभारी अखिलेश कुमार मिश्रा ने जब स्वीटी से अशोक उर्फ जग्गा की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो वह साफ मुकर गई. उस ने बताया कि जग्गा से उस की दोस्ती फेसबुक व मोबाइल के जरिए हुई थी.

दिल के टुकड़ों का रिसना – भाग 1

दोपहर का वक्त था. कुसुम रसोई में खाना बना रही थी. पति अर्जुन और ससुर दीपचंद खेतों पर थे, जबकि देवर अशोक उर्फ जग्गा कहीं घूमने निकल गया था. खाना बनाने के बाद कुसुम भोजन के लिए पति, देवर व ससुर का इंतजार करने लगी. तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी.

कुसुम ने अपने कपड़े दुरुस्त किए और यह सोच कर दरवाजे पर आई कि पति, ससुर भोजन के लिए घर आए होंगे. कुसुम ने दरवाजा खोला तो सामने 2 जवान युवतियां मुंह ढके खड़ी थीं. कुसुम ने उन से पूछा, ‘‘माफ कीजिए, मैं ने आप को पहचाना नहीं. कहां से आई हैं, किस से मिलना है?’’

दोनों युवतियों ने कुसुम के सवालों का जवाब नहीं दिया. इस के बजाय एक युवती ने अपना बैग खोला और उस में से एक फोटो निकाल कर कुसुम को दिखाते हुए पूछा, ‘‘आप इस फोटो को पहचानती हैं?’’

‘‘हां, पहचानती हूं. यह फोटो मेरे देवर अशोक उर्फ जग्गा का है.’’ कुसुम ने बताया.

‘‘कहां हैं वह, आप उन्हें बुलाइए. मैं जग्गा से ही मिलने आई हूं.’’ युवती ने कहा.

‘‘वह कहीं घूमने निकल गया है, आता ही होगा. आप अंदर आ कर बैठिए.’’

दोनों युवतियां घर के अंदर आ कर बैठ गईं. कुसुम ने शिष्टाचार के नाते उन्हें मानसम्मान भी दिया और नाश्तापानी भी कराया. इस बीच कुसुम ने बातोंबातों में उन के आने की वजह जानने की कोशिश की लेकिन उन दोनों ने कुछ नहीं बताया.

चायनाश्ते के बाद वे दोनों जाने लगीं. जाते वक्त फोटो दिखाने वाली युवती कुसुम से बोली, ‘‘जग्गा आए तो बता देना कि 2 लड़कियां आई थीं.’’

दोनों युवतियों को घर से गए अभी आधा घंटा भी नहीं बीता था कि जग्गा आ गया. कुसुम ने उसे बताया, ‘‘देवरजी, तुम से मिलने 2 लड़कियां आई थीं. मैं ने उन का नामपता और आने का मकसद पूछा, पर उन्होंने कुछ नहीं बताया. वे पैदल ही आई थीं और पैदल ही चली गईं.’’

अशोक समझ गया कि उस से मिलने उस की प्रेमिका अपनी किसी सहेली के साथ आई होगी. वह मोटरसाइकिल से उन्हें खोजने निकल गया. कुसुम खाना खाने के बहाने उसे रोकती रही, पर वह नहीं रुका. यह बात 27 अगस्त, 2019 की है. उस समय अपराह्न के 2 बजे थे.

जग्गा के जाने के बाद दीपचंद और अर्जुन भोजन के लिए घर आ गए. कुसुम ने पति व ससुर को भोजन परोस दिया. फिर खाना खाने के दौरान कुसुम ने पति को बताया कि अशोक की तलाश में 2 लड़कियां घर आई थीं. उस वक्त अशोक घर पर नहीं था, सो वे चली गईं. अशोक बाइक ले कर उन्हीं से मिलने गया है.

अर्जुन अभी भोजन कर ही रहा था कि कोई जोरजोर से दरवाजा पीटने लगा, ‘‘अर्जुन भैया, जल्दी दरवाजा खोलो.’’

अर्जुन समझ गया कि कुछ अनहोनी हो गई है. उस ने निवाला थाली में छोड़ा और लपक कर दरवाजे पर पहुंच गया. उस ने दरवाजा खोला तो सामने जग्गा का दोस्त लखन खड़ा था. उस के पीछे गांव के कुछ अन्य युवक भी थे.

अर्जुन को देखते ही लखन बोला, ‘‘अर्जुन भैया, जल्दी चलो, नहर की पटरी पर तुम्हारा भाई जग्गा खून से लथपथ पड़ा है. किसी ने उस के पेट में चाकू घोंप दिया है.’’

लखन की बात सुन कर घर में कोहराम मच गया. अर्जुन अपने पिता दीपचंद व लखन के साथ मनौरी नहर की पटरी पर पहुंचा. वहां खून से लथपथ पड़ा जग्गा तड़प रहा था. लोगों की भीड़ जुट गई थी. वहां तरहतरह की बातें हो रही थीं.

अर्जुन ने बिना देर किए पिता दीपचंद और गांव के युवकों की मदद से जग्गा को टैंपो में लिटाया. वे लोग जग्गा को प्रकाश अस्पताल ले गए. अशोक की मोटरसाइकिल उस से थोड़ी दूरी पर खड़ी मिली थी, जिसे उस के घर भिजवा दिया गया था. लेकिन अशोक की नाजुक हालत देख कर डाक्टरों ने उसे जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी. लेकिन जिला अस्पताल पहुंचतेपहुंचते जग्गा ने दम तोड़ दिया.

डाक्टरों ने जग्गा को देखते ही मृत घोषित कर दिया. जग्गा की मौत की सूचना गांव पहुंची तो मरूखा मझौली गांव में कोहराम मच गया. कुसुम भी देवर की मौत की खबर से सन्न रह गई. वह रोतीपीटती अस्पताल पहुंची और देवर की लाश देख कर फफक पड़ी.

पति अर्जुन ने उसे धैर्य बंधाया. हालांकि वह भी सिसकते हुए अपने आंसुओं को रोकने का असफल प्रयास कर रहा था. दीपचंद भी बेटे की लाश को टुकुरटुकुर देख रहा था. उस की आंखों के आंसू सूख गए थे.

कुछ देर बाद जब दीपचंद सामान्य हुआ तो उस ने बेटे अशोक की हत्या की सूचना थाना हलधरपुर पुलिस को दे दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी अखिलेश कुमार मिश्रा पुलिस बल के साथ मऊ के जिला अस्पताल पहुंचे. उन्होंने घटना की सूचना बड़े पुलिस अधिकारियों को दे दी, फिर मृतक अशोक के शव का बारीकी से निरीक्षण किया.

अशोक उर्फ जग्गा के पेट में चाकू घोंपा गया था, जिस से उस की आंतें बाहर आ गई थीं. आंतों के बाहर आने और अधिक खून बहने की वजह से उस की मौत हो गई थी. जग्गा की उम्र 24 साल के आसपास थी, शरीर से वह हृष्टपुष्ट था.

थानाप्रभारी अखिलेश कुमार मिश्रा अभी शव का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी अनुराग आर्य व एएसपी शैलेंद्र श्रीवास्तव जिला अस्पताल आ गए. पुलिस अधिकारियों ने शव का निरीक्षण किया. फिर शव को पोस्टमार्टम हाउस भिजवा दिया.

इस के बाद पुलिस अधिकारी मनौरी नहर पटरी पर उस जगह पहुंचे, जहां अशोक को चाकू घोंपा गया था. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. आलाकत्ल चाकू बरामद करने के लिए पटरी के किनारे वाली झाडि़यों में खोजबीन कराई, लेकिन चाकू बरामद नहीं हुआ.

घटनास्थल पर पुलिस को आया देख लोगों की भीड़ जुट गई. एएसपी शैलेंद्र श्रीवास्तव ने कई लोगों से पूछताछ की. उन लोगों ने बताया कि वे खेतों पर काम कर रहे थे. यहीं खड़ा अशोक 2 लड़कियों से बातचीत कर रहा था. किसी बात को ले कर एक लड़की से उस की तकरार हो रही थी.

इसी बीच अशोक की चीख सुनाई दी. चीख सुन कर जब वे लोग वहां पहुंचे तो अशोक जमीन पर खून से लथपथ पड़ा तड़प रहा था. उस के पेट में चाकू घोंपा गया था. हम लोगों ने नजर दौड़ाई तो 2 लड़कियां पुराना पुल पार कर मोटरसाइकिल वाले एक युवक से लिफ्ट मांग रही थीं. उस ने दोनों लड़कियों को मोटरसाइकिल पर बिठाया, फिर तीनों मऊ शहर की ओर चले गए.