शक की पराकाष्ठा : परिवार में कैसे आया भूचाल – भाग 3

विगत होली पर जब रोहताश के रिश्तेदार उस से मिलने आए तो उन्होंने कलावती से शिकायत की कि वह उन से फोन पर भी बात नहीं करती. तब कलावती को पता चला कि रिश्तेदारों ने उस से बात कराने के लिए रोहताश को कई बार फोन किया था, पर उस ने जानबूझ कर उस की बात नहीं कराई. इस पर कलावती बौखला उठी. उस ने पति को उलटीसीधी सुनाते हुए अपना एक अलग मोबाइल दिलाने की बात कही.

इस बात को भी रोहताश ने अपने साढ़ू से जोड़ते हुए सोचा कि वह जरूर अपने जीजा से बात करने के लिए ही अलग मोबाइल मांग रही है. यानी उस के दिमाग में शक का कीड़ा और भी बलवती हो उठा. मोबाइल दिलाने की बात को ले कर दोनों के बीच फिर से नोकझोंक हुई.

बात इतनी बिगड़ी कि गुस्से में आ कर रोहताश ने अपना भी मोबाइल तोड़ डाला. उस के बाद उस ने पत्नी को हिदायत दी कि वह भविष्य में अपने जीजा से बात न करे अन्यथा अंजाम बहुत बुरा होगा. रोहताश की यह धमकी सुन कर कलावती ने इस की शिकायत अपने भाई लक्खू से कर दी. लक्खू ने फिर से अपने जीजा रोहताश को समझाने की कोशिश की, लेकिन रोहताश पर उस की बातों का कोई असर नहीं हुआ.

साले के घर से जाते ही रोहताश ने बीवी को अपशब्द कहे, साथ ही उस ने उस से घर छोड़ कर चले जाने को भी कह दिया. इस पर दोनों में तकरार बढ़ गई. इसी तूतूमैंमैं के बीच कलावती ने पति से कहा कि यह घर छोड़ कर तो तुम्हें चले जाना चाहिए.

यह घर मेरा, बच्चे मेरे. यहां पर तुम्हारा क्या है? रोहताश छोटी सोच का इंसान था. उस ने कलावती की बात को दूसरे नजरिए से देखते हुए अर्थ लगाया कि बच्चे भी उस के नहीं तो जरूर उस के साढ़ू के ही हैं. कलावती की बात सुनते ही वह अपना आपा खो बैठा. उस के मन में एक बात की गलतफहमी बैठी तो वह शैतान बन बैठा. वह उस दिन के बाद से बीवी और बच्चों का दुश्मन बन बैठा.

रोहताश अपने चारों बच्चों को उचित शिक्षा दिला रहा था ताकि उन की कहीं सरकारी नौकरी लग सके. उन की पढ़ाई के लिए ही उस ने दिनरात एक कर के काफी पैसा कमाया था. अपने सपने को साकार करने के लिए जितनी मेहनत उस ने की थी, उस से कहीं ज्यादा उस के बच्चे कर रहे थे. उस की सब से बड़ी बेटी सलोनी इस वक्त बीए फर्स्ट ईयर में और मंझली शिवानी कक्षा 12 में पढ़ रही थी. उस का बेटा रवि गांव गोपीवाला के जनता इंटर कालेज में 9वीं कक्षा में तथा सब से छोटा आकाश यहीं पर कक्षा-7 में पढ़ रहा था.

बीवी और बच्चों के प्रति उस के दिल में नफरत पैदा होते ही उस के दिल में शैतान पैदा हो गया. उस ने प्रण किया कि अगर ये चारों बच्चे उस के साढ़ू के हैं तो वह सभी को खत्म कर डालेगा. इस के बाद वह हर रोज ही अपनी बीवी और बच्चों को मौत की नींद सुलाने के लिए नएनए प्लान बनाने लगा.

लेकिन वह अपनी साजिश में कामयाब नहीं हो पा रहा था. इस दर्दनाक हादसे को अंजाम देने से 2 दिन पहले रोहताश उस रोज दुकान पर जाने के लिए घर से निकलता, लेकिन इसी उधेड़बुन में लगा रहा कि बीवी और बच्चों को किस तरह से मौत की नींद सुलाया जाए. वह दुकान जाने के बजाए दारू पीने के लिए इधरउधर ही भटकता रहा.

16 जून, 2019 को शाम को वह जिस वक्त अपने घर पहुंचा तो उस ने कुछ ज्यादा ही शराब पी रखी थी. इस के बावजूद भी उस की बीवी ने उसे खाना खिलाया. वह खाना खा कर छत पर जा कर सो गया. इस के बाद कलावती ने अपने बच्चों को खाना खिलाया और घर का कामधंधा निपटा कर वह भी छत पर सोने के लिए चली गई थी.

उस के 3 बच्चे छत पर सोए थे जबकि बड़ी बेटी शिवानी उस रात नीचे घर में ही सो गई थी. रात के 10 बजतेबजते सभी सो चुके थे. लेकिन उस रात रोहताश की आंखों में खून बरस रहा था. वह काफी समय से सभी के सोने का इंतजार कर रहा था. उस रात उस ने घर आते ही सब से पहले अपनी बड़ी कैंची का नटबोल्ट खोल कर 2 भागों में कर ली. उस का एक हिस्सा चाकू की तरह हो गया था. कैंची के एक हिस्से को उस ने रात के सोते समय अपने सिरहाने रख ली.

जब उस की बगल में लेटी बीवी नींद में खर्राटे भरने लगी तो उस के अंदर बैठा शैतान जाग उठा. वह अपने बिस्तर से उठा और सीधा दूसरी छत पर सोए तीनों बच्चों के पास पहुंच गया. उस ने आव देखा न ताव, शैतान बन कर कैंची के एक भाग से बच्चों पर ताबड़तोड़ वार करने लगा. देखते ही देखते बच्चे चीखपुकार मचाने लगे.

बहनभाइयों की चीख सुन कर जैसे ही शिवानी जीने पर आई तो रोहताश ने उस पर भी जानलेवा हमला कर दिया. उस के बाद जैसे ही कलावती उसे बचाने के लिए पहुंची तो उस ने उसे भी मारने की कोशिश की, लेकिन उस वक्त तक उस का भतीजा सुनील शोरशराबा सुन कर वहां आ गया था. जिस की वजह से कलावती मौत के मुंह में जाने से बच गई. रोहताश का पूरे परिवार को खत्म करने का इरादा था.

पुलिस ने कैंची का वह भाग भी बरामद कर लिया, जिस से उस ने बच्चों पर हमला किया था. रोहताश से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे मुरादाबाद की कोर्ट में पेश कर उसे जेल भेज दिया. रोहताश की पत्नी कलावती ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को झूठा और पूरी तरह से निराधार बताया.

उस ने पुलिस को बताया कि उस के चारों बच्चे रोहताश के ही हैं. कलावती ने पुलिस को बताया कि अगर उसे मेरे चरित्र पर शक था तो मुझे ही मारना चाहिए था. मैं तो उस के पास ही सो रही थी. गांव में इस मामले को ले कर चर्चा थी कि रोहताश ने गड़ा खजाना पाने के लिए ही किसी तांत्रिक के कहने पर यह कांड किया.

शक की पराकाष्ठा : परिवार में कैसे आया भूचाल – भाग 2

तांत्रिक की बात सामने आते ही पुलिस के सामने थाना डिलारी की घटना सामने आ गई. अब से लगभग 15 साल पहले थाना डिलारी के गांव कुरी में तांत्रिक के कहने पर एक आदमी ने अपने परिवार के 5 सदस्यों को गड़ा खजाना पाने की लालसा में इसी तरह से मौत की नींद सुला दिया था.

अब पुलिस टीम उस तांत्रिक को खोजने लगी, जिस के पास रोहताश जाता था. पर काफी प्रयास करने के बाद भी तांत्रिक का पता नहीं चला. इस के साथ पुलिस ने आरोपी रोहताश की तलाश में आसपास के गांवों में छापे मारे लेकिन कहीं भी उस के बारे में जानकारी नहीं मिली. इस के बाद पुलिस ने उस की गिरफ्तारी के लिए उस के फोटो लगे पोस्टर छपवा कर अलगअलग गांव और जिले के कई थानों में लगवा दिए थे, जिस में ईनाम की भी घोषणा की थी.

पुलिस की टीमें अपने काम में जुटी थीं. उधर अस्पताल में भरती रोहताश के दूसरे बेटे आकाश ने भी दम तोड़ दिया. इस सूचना से सारे गांव में मातम सा छा गया. कलावती पर तो जैसे पहाड़ ही टूट पड़ा था. उस के 4 बच्चों में 2 लड़के थे, जिन की इलाज के दौरान मौत हो गई थी जबकि एक बेटी की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई थी.

उसी दिन शुक्रवार की देर शाम पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि रोहताश निर्मलपुर के जंगलों में छिपा है. इस सूचना पर कोतवाली प्रभारी मनोज कुमार पुलिस टीम के साथ जंगलों में पहुंचे और घेराबंदी कर रोहताश को जंगल से अपनी हिरासत में ले लिया. पुलिस ने रोहताश से पूछताछ की तो उस ने इस वारदात के पीछे की जो कहानी बताई, वह बड़ी ही अजीबोगरीब निकली.

जिला मुरादाबाद के कस्बा ठाकुरद्वारा से लगभग 8 किलोमीटर दूर गांव निर्मलपुर में रोहताश अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी कलावती के अलावा 2 बेटे और 2 बेटियां थीं. रोहताश टेलरिंग का काम करता था. उस के पास खेती की ढाई बीघा जमीन भी थी. बच्चों को पढ़ाने की खातिर उसे ज्यादा पैसे कमाने की इतनी धुन थी कि टेलरिंग के काम के साथसाथ वह गांव में चौथाई पर जमीन ले कर उस में भी खेती कर लेता था.

कई साल पहले की बात है रोहताश का अपने घर वालों से जमीन को ले कर विवाद हो गया था, जिस में कलावती ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था. लेकिन कुछ दिनों बाद ही रोहताश ने अपने घर वालों से बोलना शुरू कर दिया. यह बात कलावती को बहुत बुरी लगी. कलावती ने पति की इस बात का विरोध किया लेकिन रोहताश ने पत्नी की बात को तवज्जो नहीं दी. फिर क्या था, इसी बात पर रोहताश और कलावती के बीच झगड़ा होने लगा. उन दोनों के पारिवारिक जीवन में खटास पैदा हो गई.

रोहताश पहले कभीकभार शराब पीता था, लेकिन पत्नी से कलह होने के बाद वह शराब का आदी हो गया. उस ने शुरू में टेलरिंग का काम सुरजननगर कस्बे में शुरू किया था, लेकिन शराब का आदी हो जाने के बाद उस ने अपने गांव के पास स्थित कालेवाला में अपना काम शुरू कर लिया. रोहताश के चारों बच्चे स्कूल जाने लगे थे, जिस के बाद उन की पढ़ाई और खानपान व अन्य खर्च बढ़े तो रोहताश को आर्थिक तंगी हो गई.

कालेवाला में उस ने काम शुरू किया तो वहां काम जमने में भी काफी वक्त लग गया, जिस के कारण वह परेशान रहने लगा. उन्हीं बढ़ते खर्चों के कारण उसे बीवीबच्चे भार लगने लगे थे. जब कभी भी कलावती या बच्चे उस से पैसों की डिमांड करते तो वह झुंझला उठता और गुस्से में उन्हें अपशब्द भी कह देता था. कलावती उसे शराब पीने को मना करती थी लेकिन वह पत्नी की नहीं सुनता था.

इस बात से दुखी हो कर कलावती ने यह बात अपने भाई लक्खू को बताई. एक दिन लक्खू कल्याणपुर निवासी अपने बड़े बहनोई को ले कर गांव निर्मलपुर पहुंचा. उन दोनों ने रोहताश को समझाने की कोशिश की तो रोहताश ने कलावती में ही तमाम खामियां गिना दीं. उस वक्त भी उस ने कहीं भी अपनी गलती नहीं मानी थी.

उन के जाने के बाद रोहताश ने पत्नी को आड़े हाथों लिया. उस के बाद तो रोहताश ने शराब पीने की अति ही कर दी थी. वह सुबह ही घर से काम पर जाने की बात कह कर घर से निकल जाता और देर रात नशे में धुत हो कर घर पहुंचता. ज्यादा शराब पीने से उस का शरीर भी काफी कमजोर हो गया था. जिस के कारण उस के मन में हीनभावना पैदा हो गई थी.

एक बात और वह खुद को नामर्द भी समझने लगा. अपने इलाज के लिए वह कई नीमहकीमों से भी मिला. लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. जब हकीमों से दवा लाने वाली बात कलावती को पता चली तो उस ने उसे दवा लाने से मना कर दिया. इस के बाद तो उसे अपनी पत्नी पर पूरा शक हो गया था कि उस के संबंध उस के जीजा के साथ हैं, इसी कारण वह उसे सेक्स की दवा लाने से मना करती है.

रोहताश की बेटियां काफी समझदार हो चुकी थीं, लेकिन उन्हें पढ़ाई करने की इतनी धुन थी कि उन्हें मोबाइल वगैरह से कोई लगाव नहीं था. 6 सदस्यों वाले इस घर में एक ही मोबाइल था, जो रोहताश के पास ही रहता था. जिस के कारण कलावती के किसी भी रिश्तेदार का फोन उसी के मोबाइल पर आता था.

कलावती की सब से बड़ी मजबूरी यही थी कि उसे जब किसी भी रिश्तेदार से बात करनी होती तो वह या तो सुबह ही कर सकती थी या फिर शाम को. और रोहताश में सब से बड़ी कमी थी कि वह घर आ कर किसी के फोन आने की बात अपनी बीवी को नहीं बताता था.

कई बार कल्याणपुर निवासी उस के साढ़ू ने उस की बीवी और बच्चों से बात करने की इच्छा जाहिर की, लेकिन रोहताश हमेशा ही कह देता कि अभी वह बाहर है. घर जा कर बात करा देगा. घर जाने के बाद भी वह कोई न कोई बहाना करते हुए साढ़ू की बात नहीं कराता था. रोहताश अपने साढ़ू को गलत मान कर उस से चिढ़ने लगा था. फिर साढ़ू का बारबार फोन आने से उसे शक हो गया कि उस की बीवी के उस के साथ अवैध संबंध हैं, तभी तो वह बारबार उस से बात करना चाहता है.

शक की पराकाष्ठा : परिवार में कैसे आया भूचाल – भाग 1

उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद की तहसील ठाकुरद्वारा से लगभग 8 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में स्थित है गांव निर्मलपुर. वैसे तो इस गांव में हर वर्ग के लोग रहते हैं, लेकिन यहां ज्यादा आबादी मुसलिम वर्ग की है. 9 जून, 2019 को रात के कोई साढ़े 10 बजे का वक्त रहा होगा. उसी समय अचानक इसी गांव में रोहताश के घर से चीखनेचिल्लाने की आवाजें आने लगीं.

चीखने की आवाज सुन कर गांव के लोग चौंक गए, क्योंकि रोहताश का घर वैसे भी गांव के पूर्व में बाहर की ओर था. लोगों ने सोचा कि रोहताश के घर में शायद बदमाश घुस आए हैं. इसलिए पड़ोसी अपनीअपनी छतों पर चढ़ कर उस के घर की स्थिति का जायजा लेने लगे. लेकिन रात के अंधेरे में कुछ भी मालूम नहीं पड़ रहा था. इसी कारण कोई भी उस के घर पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था.

रोहताश के घर से लगा हुआ उस के छोटे भाई छतरपाल का मकान था. छतरपाल का बड़ा बेटा सुनील प्रजापति अपने ताऊ के घर से चीखपुकार की आवाजें सुन कर समझ गया कि वहां कुछ तो गड़बड़ है. जानने के लिए वह अपनी छत पर चढ़ गया. उस ने देखा कि एक आदमी उस की ताई पर लिपट रहा है. यह देख कर वह तैश में आ गया.

वह फुरती से अपने घर की दीवार लांघ कर ताऊ रोहताश के घर में जा पहुंचा. वहां का मंजर देख कर वह डर के मारे थर्रा गया. उस वक्त उस ने देखा कि उस के ताऊ रोहताश के हाथ में कैंची है, जिस से वह ताई को मारने की कोशिश कर रहा था. वह उसी कैंची से अपने चारों बच्चों को पहले ही लहूलुहान कर चुका था.अपने सामने खड़े शैतान बने ताऊ को देखते ही उसे डर तो लगा लेकिन फिर भी उस ने जैसेतैसे कर हिम्मत जुटाई और फुरती दिखाते हुए उस ने अपने ताऊ को दबोच लिया. उस ने ताकत के बल पर उस के हाथ से वह कैंची भी छीन कर नीचे फेंक दी.

सुनील की हिम्मत को देखते हुए पड़ोसी भी घटनास्थल पर इकट्ठे हो गए. उसी दौरान रोहताश वहां से फरार हो गया. वहां पर मौजूद लोगों ने देखा कि उस के 4 बच्चे 18 वर्षीय सलोनी, 16 वर्षीय शिवानी, 14 वर्षीय बेटा रवि और सब से छोटा 10 वर्षीय बेटा आकाश बुरी तरह से लहूलुहान पड़े हुए चीख रहे थे. उन की नाजुक हालत देखते हुए गांव वालों के सहयोग से सुनील ने उन्हें ठाकुरद्वारा के सरकारी अस्पताल में पहुंचाया. रवि को देखते ही डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.

तीनों बच्चों की बिगड़ी हालत को देखते हुए डाक्टरों ने उन्हें काशीपुर के हायर सेंटर रेफर कर दिया. काशीपुर में उन्हें एक निजी अस्पताल में भरती कराया गया, जहां पर 2 बच्चों की हालत ज्यादा नाजुक बनी हुई थी. अगले दिन ही सोमवार को इस मामले के सामने आते ही ठाकुरद्वारा पुलिस ने काशीपुर पहुंच कर घायल बच्चों की स्थिति का जायजा लिया. पुलिस ने रोहताश की पत्नी कलावती से जानकारी हासिल की.

पुलिस पूछताछ में कलावती ने बताया कि उस का पति रोहताश शराब पीने का आदी था. वह अपनी कमाई के ज्यादातर पैसे शराब पीने में ही खर्च कर देता था. वह और उस के बच्चे जब कभी भी उस से खर्च के लिए पैसों की मांग करते तो वह पैसे देने के बजाए उन्हें मारनेपीटने पर उतारू हो जाता था.

कलावती ने पुलिस को बताया कि रविवार की शाम जब पति देर रात घर वापस लौटा तो काफी नशे में था. खाना खा कर सभी लोग छत पर सो गए. रात में उठ कर रोहताश ने गहरी नींद में सोए बच्चों पर कैंची से हमला करना शुरू कर दिया. उस ने चारों बच्चों को इतनी बुरी तरह गोदा कि उन की आंतें तक बाहर निकल आईं.

बच्चों के चीखने की आवाज सुन कर कलावती जाग गई. उस ने बच्चों को बचाने की कोशिश की तो वह उस पर भी कैंची से हमला करने लगा. उसी दौरान किसी तरह सुनील आ गया. यदि वह नहीं आता तो बच्चों की तरह वह उस का भी यही हाल कर देता.

पुलिस ने रोहताश के भाई विजयपाल सिंह की तहरीर पर रोहताश के खिलाफ हत्या और हत्या का प्रयास करने का मुकदमा दर्ज कर लिया. मामले की विवेचना कोतवाली प्रभारी मनोज कुमार सिंह ने स्वयं ही संभाली.

कलावती से पूछताछ के बाद कोतवाली प्रभारी मनोज कुमार सिंह को पता चला कि रोहताश के परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी. कलावती के पास बच्चों का इलाज कराने के लिए पैसे भी नहीं थे. इस स्थिति को देखते हुए कोतवाल ने उसी वक्त घायल बच्चों के इलाज के लिए 50 हजार रुपए की मदद कलावती को की. उन्होंने 50 हजार रुपए कलावती के खाते में डलवा दिए.

घटना को अंजाम देने के बाद से ही रोहताश फरार हो गया था. उस का पता लगाने के लिए 3 पुलिस टीमें गठित की गईं. पुलिस टीमें रोहताश को हरसंभव स्थान पर खोजने लगीं. लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं था.

इस केस की गहराई तक जाने के लिए पुलिस ने रोहताश के परिजनों के साथसाथ उस के कुछ खास रिश्तेदारों से भी पूछताछ की. लेकिन इस पूछताछ में पुलिस के हाथ कोई ऐसा सुराग नहीं लगा, जिस के आधार पर पुलिस की जांच आगे बढ़ सके.

उसी दौरान पुलिस को पता चला कि रोहताश काफी दिनों से परेशान दिख रहा था. उसे तांत्रिकों के पास चक्कर लगाते भी देखा गया था. तांत्रिक का नाम सामने आते ही पुलिस ने कयास लगाया कि कहीं यह सब मामला तांत्रिक से ही जुड़ा हुआ तो नहीं है.

पुलिस ने उस की बीवी कलावती से इस बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया कि उसे किसी के द्वारा जानकारी तो मिली थी कि वह आजकल किसी तांत्रिक के पास जाता है. क्यों जाता था, यह पता नहीं. गांव के कुछ लोगों ने पुलिस को बताया कि रोहताश अकसर किसी खजाने के मिलने वाली बात कहा करता था.

उस ने गांव के कई लोगों के सामने कहा था कि उसे बहुत जल्दी खजाना मिलने वाला है. उस खजाने के मिलते ही उस की सारी गरीबी खत्म हो जाएगी. लेकिन उस ने कभी भी इस बात का जिक्र नहीं किया था कि उसे खजाना किस तरह से मिलने वाला है.

काली की हीरा : तेजराम की कातिल बीवी

एक दिन कालीचरण हीराकली के घर आया तो वह घर में अकेली थी और आईने के सामने बैठी शृंगार कर रही थी. कालीचरण चुपचाप पीछे खड़ा हो गया. जैसे ही हीराकली ने आईने में कालीचरण को देखा तो उस ने चौंकते हुए अपना आंचल ठीक करने के लिए हाथ बढ़ाया, तभी कालीचरण उस का हाथ थामते हुए बोला, ‘‘हीरा भाभी, ऊपर वाले ने खूबसूरती देखने के लिए बनाई है. तुम इसे ढक क्यों रही हो. मेरा वश चले तो अपने सामने तुम को कभी आंचल डालने ही न दूं. इस खूबसूरती को परदे में बंद मत करो.’’

हीराकली उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के गांव मधौया के रहने वाले तेजराम की बीवी थी. कालीचरण भी इसी गांव का रहने वाला था. वह तेजराम का दोस्त था, इसलिए उस का तेजराम के यहां आनाजाना था. हीराकली गांव के रिश्ते में कालीचरण की भाभी लगती थी.

कालीचरण हीराकली को चाहता था, इसलिए वह तेजराम की गैरमौजूदगी में उस के यहां चक्कर लगाता रहता था. उस दिन भी जब वह उस के घर गया तो वह घर में अकेली थी. उसे शृंगार करते देख कर कालीचरण ने उस से शरारत की तो वह बोली, ‘‘पागल कहीं के, तुम को तो हमेशा शरारत सूझती है. काली, एक बात बताऊं, जब भी तुम मुझे छूने की कोशिश करते हो तो मुझे डर लगता है कि कहीं मुसकान के पापा न देख लें और तुम्हारी चोरी पकड़ी जाए.’’ हीराकली मुसकराई.

‘‘अरे भाभी, इस बात को ले कर तुम चिंता क्यों करती हो. मुझे सिर्फ इतना बताओ कि मेरी शरारत से तुम्हें तो कोई परेशानी नहीं होती. बुरा तो नहीं मानती मेरी छेड़छाड़ का?’’

‘‘बिलकुल नहीं. पर एक बात बताओ कि तुम्हारी इन बातों का मतलब क्या है? कहीं तुम मुझ पर डोरे डालने की कोशिश तो नहीं कर रहे?’’ हीराकली ने कालीचरण के मन की थाह लेनी चाही.

‘‘भाभी, जब तुम जान ही गई हो तो दिल की बात तुम्हें बता ही दूं. सच यह है कि भाभी, मैं तुम्हें प्यार करता हूं. जिस रोज मैं तुम्हें देख नहीं लेता, अजीब सी बेचैनी महसूस होती है. तभी तो किसी न किसी बहाने से यहां चला आता हूं. तुम्हारी चाहत कहीं मुझे पागल न…’’

कालीचरण की बात अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि हीराकली बोली, ‘‘पागल तो तुम हो ही चुके हो. तुम ने कभी मेरी आंखों में झांक कर देखा है कि उन में तुम्हारे लिए कितनी चाहत है. दिल की भाषा को आंखों से पढ़ पाने में भी तुम अभी अनाड़ी ही हो.’’

‘‘सच कहा तुम ने, मैं अनाड़ी ही निकला लेकिन आज यह अनाड़ी खिलाड़ी बनना चाहता है.’’ कहते हए कालीचरण ने हीराकली के चेहरे को अपने हाथों में भर लिया. पलभर बाद हीराकली उस की बांहों में कैद थी.

आंखें बंद कर उस ने अपना सिर कालीचरण के सीने पर टिका दिया. कालीचरण का दिल तेज गति से धड़कने लगा. वह हीराकली को बांहों में उठा कर बैड पर ले गया. फिर दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कर लीं.

शराब पीपी कर खोखले हो चुके पति तेजराम के शरीर में अब वह बात नहीं रह गई थी जो हीराकली की देह की आग को बुझा पाती. इसलिए उस के कदम कालीचरण की तरफ बढ़ गए थे. आज कदम जब मंजिल तक पहुंचे तो उस की चाहत पूरी हो गई.

उत्तर प्रदेश के जिला पीलीभीत के बरखेड़ा थाना क्षेत्र में एक गांव है मधौया. परसादीलाल इसी गांव में सपरिवार रहते थे. उन के पास खेती की 10 बीघा जमीन थी. उस पर खेती कर के वह अपने परिवार का भरणपोषण करते थे. उन के परिवार में पत्नी पार्वती के अलावा 3 बेटे बुद्धसेन, तेजपाल व चेतराम और 2 बेटियां मीना और सीमा थीं. दोनों बेटियों के हाथ पीले करने के बाद उन्होंने बुद्धसेन का विवाह हीराकली से कर दिया था.

विवाह के कुछ समय बाद बुद्धसेन की जहर खाने से संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. पति की मौत के बाद हीराकली का विवाह देवर तेजराम से रीतिरिवाज से कर दिया गया.

तेजराम से विवाह के बाद हीराकली 2 बेटियों और एक बेटे की मां बनी. इसी बीच तेजराम के मातापिता का देहांत हो गया. पिता की जो 10 बीघा जमीन थी, वह दोनों भाइयों तेजराम और चेतराम के बीच आधीआधी बंट गई.

तेजराम के हिस्से में 5 बीघा जमीन आई थी. उसी पर खेती कर के वह अपने परिवार का खर्च चलाता था. उसे शराब की बुरी लत लग गई थी. रोज शाम को वह शराब ले कर बैठ जाता और घंटों पीता रहता. कालीचरण भी मधौया गांव में रहता था. आपराधिक प्रवृत्ति का कालीचरण 40 साल की उम्र में भी अविवाहित था. वह तंत्रमंत्र व झाड़फूंक के नाम पर भी लोगों को ठगने का काम करता था.

कालीचरण और तेजराम में दोस्ती थी. इसी दोस्ती के चलते कालीचरण का तेजराम के घर आनाजाना शुरू हो गया. कालीचरण की नजर तेजराम की पत्नी हीराकली पर गई तो पहली नजर में ही वह उस के दिल में उतर गई. तेजराम के घर पर वह तेजराम से बात जरूर करता था लेकिन उस की निगाहें बारबार हीराकली पर ही जा कर रुकती थीं. हीराकली को भी कालीचरण अच्छा लगा था.

कालीचरण की भूखी नजरों की चुभन उस की देह को सुकून पहुंचाती थी. तेजराम और कालीचरण में दोस्ती कराने में सब से बड़ा हाथ शराब का था. रोज शाम को दोनों बैठ कर साथसाथ शराब पीते और खाना खाते.

कालीचरण जानबूझ कर खुद कम पीता और तेजराम को ज्यादा पिला देता. तेजराम के बेसुध होने पर वह हीराकली से जी भर कर बातें करता और उस की खूबसूरती की खूब तारीफ करता.

धीरेधीरे हीराकली को भी उस की बातों में रस आने लगा और उस की बातें, उस का साथ उसे भाने लगा. इस दौरान मौका मिलने पर कालीचरण हीराकली के जिस्म को भी छू लेता था. कालीचरण की मंशा हीराकली से छिपी नहीं रह सकी.

कालीचरण की चाहत भरी आंखों और मजबूत कदकाठी देख कर मीना का भी दिल डोल गया था. इस का एक कारण यह था कि कालीचरण हीराकली से संजीदगी और इज्जत के साथ बातचीत करता था, जबकि तेजराम उस के साथ बेहूदगी से पेश आता था. साथ ही शराब के नशे में उस के साथ मारपीट करता था.

हीराकली दिल के तराजू में तेजराम और कालीचरण को कई बार तौल चुकी थी. उसे हर बार तेजराम के मुकाबले कालीचरण का ही पलड़ा भारी नजर आया था.

कालीचरण तो पहले से ही हीराकली पर आसक्त था. वह उस के सौंदर्य को अपनी बांहों में समेटने की चाहत रखता था. बस देर थी तो अपनी चाहत का इजहार करने की.

कहते हैं कि जहां चाह होती है वहां राह निकल ही आती है. आखिर एक दिन कालीचरण को हीराकली के सामने अपने दिल की बात कहने का मौका मिल ही गया और उस के बाद दोनों के बीच वह रिश्ता बन गया, जो दुनिया की नजर में अनैतिक कहलाता है.

जब तन से तन का रिश्ता कायम हुआ तो फिर दोनों उसे बारबार दोहराने लगे. तेजराम जैसे ही खेतों पर जाने के लिए निकलता तो हीराकली कालीचरण को फोन कर देती. कालीचरण तुरंत उस के पास आ धमकता और फिर दोनों अपनी हसरतें पूरी करते.

यह राज आखिर कब तक राज बना रहता. आखिर दोनों की रंगरलियों की पोल खुल गई. एक दिन तेजराम हीराकली से यह कह कर घर से निकला कि वह काम से शहर जा रहा है और रात तक लौटेगा.

तेजराम के निकलते ही हीराकली ने कालीचरण को फोन कर के बता दिया कि आज मौका अच्छा है, इसलिए वह तुरंत आ जाए. कालीचरण भी बिना ज्यादा देर किए हीराकली के घर पहुंच गया.

आते ही उस ने हीराकली के गले में अपनी बांहों का हार डाल दिया, ‘‘अरे, यह क्या कर रहे हो, थोड़ा सब्र तो करो.’’ हीराकली कसमसाते हुए बोली.

‘‘कुआं जब सामने हो तो प्यासे को सब्र थोड़े ही होता है.’’

‘‘तुम्हारी इन्हीं बातों ने मुझे दीवाना बना रखा है. न दिन को चैन मिलता है और न रातों को. पता है, जब मैं तेजराम के साथ होती हूं तो केवल तुम्हारा ही चेहरा मेरे सामने होता है.’’ हीराकली ने इतना कह कर कालीचरण के गालों को चूम लिया. कालीचरण से भी नहीं रहा गया, वह हीराकली को बांहों में उठा कर पलंग पर ले गया. फिर दोनों के बीच कामक्रीड़ा शुरू हो गई.

इसी बीच दरवाजा खटखटाने की आवाज आई तो दोनों के दिमाग से वासना का ज्वार उतर गया. हीराकली ने किसी तरह अपने अस्तव्यस्त कपड़ों को ठीक किया और दरवाजा खोलने भागी. जैसे ही उस ने दरवाजा खोला, सामने तेजराम को देख कर उस के चेहरे का रंग उड़ गया.

‘‘तुम इतनी जल्दी कैसे आ गए?’’ हकलाते हुए हीराकली ने पूछा.

‘‘क्यों…क्या मुझे अपने घर में आने के लिए भी किसी से इजाजत लेनी होगी? अब दरवाजे पर ही खड़ी रहोगी या मुझे अंदर भी आने दोगी.’’ तेजराम बोला.

हीराकली को एक तरफ धकेलता हुआ तेजराम अंदर घुसा तो सामने कालीचरण को देख कर उस का माथा ठनका, ‘‘अरे, तुम कब आए?’’

तेजराम ने पूछा तो कालीचरण से था लेकिन वह घूर रहा था हीराकली को. हीराकली का व्यवहार उसे कुछ अजीब सा लगा. वह खुद को असहज महसूस कर रही थी. उस के बाल बिखरे हुए थे, माथे की बिंदी गले पर चिपकी हुई थी. कालीचरण भी परेशान सा दिख रहा था. कुछ देर इधरउधर की बातें करने के बाद कालीचरण वहां से चला गया.

उस के जाने के बाद तेजराम ने हीराकली से सीधा सवाल दागा, ‘‘कालीचरण यहां क्या करने आया था?’’

‘‘मुझे क्या पता, तुम से ही मिलने आया होगा.’’ हकलाते हुए हीराकली बोली.

‘‘लेकिन मुझ से तो उस ने कोई बात नहीं की.’’

‘‘अब मैं क्या जानूं, यह तो तुम्हें ही पता होगा.’’ हीराकली ने कहा तो तेजराम गुस्से का घूंट पी कर रह गया. दरअसल, सब कुछ समझते हुए भी वह उस समय कुछ नहीं बोला.

तेजराम को एक बार हीराकली और कालीचरण के संबंधों के बारे में शक पैदा हुआ तो वह फिर बढ़ता ही गया. तेजराम ने सख्ती का रुख अख्तियार कर लिया. वह घुमाफिरा कर पहले हीराकली से कालीचरण के आने के बारे में पूछता. हीराकली तेजराम की बातों का उलटासीधा जवाब देती तो वह उस की पिटाई कर देता.

इसी बीच तेजराम बीमार पड़ गया. ऐसा बीमार पड़ा कि चारपाई से लग गया. कुछ दिन में ही आंत फटने से उस की मौत हो गई. पति की मौत के बाद तो हीराकली आजाद हो गई. तेजराम की 5 बीघा जमीन भी हीराकली को मिल गई. बाकी 5 बीघा जमीन देवर चेतराम के नाम थी. हीराकली की नजर उस जमीन पर भी थी.

उस ने चेतराम से खुद के साथ विवाह करने की बात कही तो चेतराम ने उसे बड़े तीखे स्वर में जवाब दिया कि वह उस के 2 भाइयों को तो खा चुकी, क्या अब उसे भी खाना चाहती है. चेतराम के इस जवाब पर हीराकली कुछ नहीं बोली.

इस के बाद 3 दिसंबर, 2019 को पीलीभीत के दियोरिया कलां थाना क्षेत्र में जादोपुर-रंभोजा गांव के लोगों ने सड़क किनारे एक अज्ञात युवक की लाश पड़ी देखी. लाश के पास कुछ दूरी पर बाइक भी पड़ी थी. गांव के किसी व्यक्ति ने इस की सूचना दियोरिया कलां थाने को दे दी.

सूचना पा कर थानाप्रभारी शहरोज अनवर पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. मृतक की उम्र लगभग 30-32 साल रही होगी. उस के गले में कंटीला तार कसा हुआ था. उस की आंखें भी फूटी हुई थीं. हत्यारे ने बड़ी बेदर्दी से हत्या को अंजाम दिया था.

मृतक के कपड़ों की तलाशी ली गई तो उस की जेब से एक मोबाइल फोन मिला. उस मोबाइल में एक नंबर भाभी के नाम से सेव था. थानाप्रभारी शहरोज अनवर ने उस नंबर पर फोन किया तो दूसरी ओर से किसी महिला ने उठाया.

पूछने पर उस ने अपना नाम हीराकली और गांव का नाम मंधोया बताया. डायल किए गए नंबर के बारे में पूछने पर उस ने वह नंबर अपने देवर चेतराम का बताया. थानाप्रभारी ने चेतराम की लाश मिलने की बात उसे बता दी.

कुछ ही देर में हीराकली मौके पर पहुंच गई. उस ने लाश की शिनाख्त अपने देवर चेतराम के रूप में की और लाश के पास मिली बाइक को चेतराम की बताया. थानाप्रभारी अनवर ने बाइक को कब्जे में ले कर लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी.

इस के बाद पुलिस ने हीराकली की तहरीर के आधार पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. थानाप्रभारी शहरोज अनवर ने गांव वालों से पूछताछ की तो उन्होंने चेतराम की हत्या में सीधे कालीचरण का नाम लिया. उन्होंने बताया कि कालीचरण और हीराकली के बीच अवैध संबंध हैं.

इस के बाद थानाप्रभारी ने हीराकली के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. घटना की रात हीराकली के नंबर पर एक नंबर से फोन आया था. वह नंबर कालीचरण का था. इस का मतलब यह था कि घटना में कालीचरण के साथ हीराकली भी शामिल थी.

6 दिसंबर, 2019 को सुबह साढ़े 6 बजे मकरंदापुर तिराहे पर किसी महिला के दवा मांगने पर कालीचरण उसे दवा देने आया था. मुखबिर से सूचना मिलने पर थानाप्रभारी शहरोज अनवर ने अपनी टीम के साथ वहां पहुंच कर कालीचरण को गिरफ्तार कर लिया.

इस के बाद हीराकली को भी गिरफ्तार कर लिया गया. थाने ला कर जब दोनों से पूछताछ की गई तो दोनों ने पूरी कहानी बयां कर दी.

हीराकली पति तेजराम के न होने से आजाद हो गई थी. कालीचरण बेरोकटोक उस के घर आताजाता और उस के पास घंटों पड़ा रहता. यह बात पूरा गांव जानता था. चेतराम को भी इस बारे में पता चल गया था. उस ने नजर रखी तो बात सच निकली.

यह बात चेतराम को बहुत अखरी. भाभी को गांव भर में सरेआम इज्जत उछालना चेतराम से बरदाश्त नहीं हो रहा था. उस का हीराकली से रोज विवाद होने लगा. इसी बीच चेतराम ने अपनी एक बीघा जमीन बेच दी. इस पर हीराकली चेतराम से खूब लड़ी.

हीराकली ने अपने संबंधों के बीच चेतराम को आते देखा तो वह उस से छुटकारा पाने का रास्ता सोचने लगी. वैसे भी उस के हटने से उसे दोहरा लाभ होने वाला था.

एक तो वह उस के हटने के बाद कालीचरण के साथ आराम से जिंदगी बिता सकती थी, दूसरा चेतराम की शेष 4 बीघा जमीन भी उसे मिल जाती. उसे यह भी डर था कि कहीं अपनी बाकी जमीन भी चेतराम न बेच दे.

उस ने कालीचरण को पूरी बात बताई कि चेतराम के मरने से उन दोनों का किस तरह फायदा होगा. कालीचरण वैसे भी अपराधी किस्म का था. अपने 2 साथियों पराग यादव और धर्मवीर के साथ गोरखपुर के रामदास यादव की हत्या कर के गांव भाग आया था. इसलिए जब हीराकली ने चेतराम को ठिकाने लगाने की बात कही तो वह उस की बात मानने को तैयार हो गया.

2 दिसंबर की रात कालीचरण चेतराम को शराब पिलाने के बहाने ले गया. चेतराम अपनी बाइक से उस के साथ गया. शराब खरीद कर वे दोनों घर से लगभग 7 किलोमीटर दूर जादोपुर और रंभोजा गांव के बीच सड़क किनारे बैठ कर शराब पीने लगे. कालीचरण ने चेतराम को अधिक शराब पिलाई.

चेतराम के नशे में धुत होने पर कालीचरण ने कंटीले तार से उस का गला कस दिया. इस के बाद उस ने गुस्से में चेतराम की आंखें भी फोड़ दीं. चेतराम को मौत के घाट उतारने के बाद उस ने हीराकली को फोन कर के चेतराम की हत्या कर देने की सूचना दे दी और वहां से फरार हो गया.

लेकिन दोनों गुनाह कर के बच न सके और कानून की गिरफ्त में आ गए. आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्य- सत्यकथा, फरवरी 2020