काशीपुर पहुंच कर जयप्रकाश ने बहन से पत्नी के बारे में बता कर कहा कि अब वह उस से किसी तरह पीछा छुड़ाना चाहता है. भाभी की बदचलनी की बात सुन कर केला देवी को बहुत गुस्सा आया. जयप्रकाश ने बहन से यह भी कहा था कि अगर इस काम के लिए उसे 2-4 लाख रुपए खर्च भी करने पड़े तो वह खर्च कर देगा. वह हरजीत, पत्नी सुनीता और बढ़े बेटे विशाल की हत्या कराना चाहता था.
केला देवी ने इस काम के लिए जयप्रकाश की मुलाकात अपने देवर के बेटे पंकज से करा दी. जयप्रकाश उस का मामा लगता था. पंकज अभी छोटा था. उस का बाप नन्हे कटरा मालियान में पान की दुकान चलाता था. वह भी बाप के साथ दुकान पर बैठता था.
पंकज ने कभी हत्या जैसे काम के बारे में सोचा भी नहीं था. लेकिन जब जयप्रकाश ने 4 लाख रुपए देने की बात कही तो वह लालच में पड़ गया और हामी भर दी. इस के बाद उस ने अपने दोस्तों शिवअवतार पुत्र सोमपाल निवासी बरखेड़ा, कपिल पुत्र बाबूराम निवासी कटरामालियान, दीपक पुत्र गोपाल यादव निवासी काशीपुर को 2 लाख रुपए देने की बात कह कर 3 हत्याएं करने के लिए राजी कर लिया.
कपिल एक अस्पताल में एक्सरे टेक्नीशियन था तो शिवअवतार उर्फ बबलू एक पैथालौजी लैब में लैब टेक्नीशियन था. दीपक यादव एक मेडिकल स्टोर पर काम करता था. इस तरह जयप्रकाश ने 4 लाख रुपए में 3 हत्याओं का सौदा कर डाला. इस के बाद उस ने 3 लाख 60 हजार रुपए दे भी दिए. बाकी रकम काम हो जाने के बाद देने को कहा.
पंकज और उस के दोस्तों ने 3-3 हत्याओं की सुपारी ले तो ली, लेकिन चारों ही इस काम के लिए एकदम नए थे. इंसान की कौन कहे, इन में से किसी ने कभी चूहा तक नहीं मारा था. जिस ने कभी चूहा तक न मारा हो, वह आदमी कैसे मार सकता था.
बहरहाल, पंकज ने अपने दोस्तों को 2 लाख रुपए दे कर इस झंझट से खुद को अलग कर लिया. लेकिन हत्या करवाने की जिम्मेदारी उसी की थी, इसलिए हत्याएं कैसे की जाएं, योजना बनवाने में वह भी साथ रहता था.
चारों हर रोज बैठ कर इस काम के लिए नईनई योजनाएं बनाते, लेकिन अंजाम न दे पाते. धीरेधीरे एक सप्ताह गुजर गया, उन की योजना सफल न हो पाई. अब तक मिली रकम से उन्होंने काफी पैसे खर्च कर डाले थे. हत्याएं करवाने की वजह से जयप्रकाश अपना घर छोड़ कर काशीपुर में पड़ा हुआ था. उस का सोचना था कि उस के काशीपुर रहते हत्याएं होंगी तो पुलिस उस पर शक नहीं करेगी.
जब सप्ताह भर से ज्यादा का समय गुजर गया और पंकज कुछ नहीं कर पाया तो जयप्रकाश को लगा कि यह काम उस के वश का नहीं है. उस ने पंकज से अपने रुपए वापस मांगे. लेकिन पंकज और उस के साथियों ने काफी रुपए खर्च कर दिए थे, इसलिए रुपए लौटाते कहां से.
जयप्रकाश ने पंकज पर रुपए लौटाने के लिए दबाव बनाया तो वह परेशान हो उठा. इस के बाद चारों ने बैठ कर एक नई योजना बना डाली. यह योजना थी जयप्रकाश की हत्या की. उन्हें पता ही था कि जयप्रकाश का उस की पत्नीबच्चों से मनमुटाव चल ही रहा है.
ऐसे में अगर जयप्रकाश की हत्या हो जाती है तो शक उस की पत्नी पर जाएगा और वे साफ बच जाएंगे. 3 लोगों की हत्या करने के बजाय एक की हत्या करना आसान भी था. उन्हें 3 की जगह एक ही हत्या करने पर सारे पैसे मिल जाएंगे.
पंकज मामा को मरवाना तो नहीं चाहता था, लेकिन मामा से सुपारी ले कर वह बुरी तरह से फंस चुका था, क्योंकि मामा से ली गई रकम से काफी रुपए खर्च हो चुके थे. इसीलिए दोस्तों के कहने पर मजबूरन उसे मामा की हत्या के लिए हामी भरनी पड़ी.
इस के बाद जयप्रकाश की हत्या की योजना बन गई. पंकज और उस के दोस्तों को पता था कि करवा चौथ के त्यौहार पर जयप्रकाश जसपुर जाने के लिए राजी हो जाएगा. दरअसल वे जयप्रकाश को जसपुर ले जा कर मारना चाहते थे. क्योंकि वहां मारे जाने पर उस की हत्या की शंका पत्नीबच्चों और प्रेमी पर होती. वे पुलिस की गिरफ्त से दूर रहते.
योजना बनाने के बाद पंकज और उस के साथियों ने जयप्रकाश को विश्वास में ले कर जसपुर चलने के लिए राजी कर लिया. बहाना था, उस के द्वारा कही गई 3 हत्याओं को अंजाम देने का. जयप्रकाश किसी भी तरह पत्नी नामक झंझट से मुक्ति चाहता था, इसलिए वह उन के साथ जाने को राजी हो गया. चारों ने जो योजना बनाई थी, उस के अनुसार जयप्रकाश को जसपुर ले जा कर खत्म कर देना था.
12 अक्तूबर की रात शिवअवतार और कपिल ने जयप्रकाश को साथ ले जा कर काशीपुर के एक होटल में शराब पिलाई और खाना खिलाया. पत्नी की करतूतों से दुखी जयप्रकाश बातबात में ज्यादा शराब पी गया. शिवअवतार और कपिल चाहते भी यही थे, इसलिए वे उसे ज्यादा से ज्यादा शराब पीने के लिए उकसाते रहे.
जयप्रकाश नशे में होश खो बैठा तो शिवअवतार और कपिल उसे मोटरसाइकिल पर बीच में बैठा कर जसपुर की ओर चल पड़े. संन्यासियों वाला रोड पर पहुंच कर वे ऐसी जगह की तलाश करने लगे, जहां वे उसे मार सकें. कुछ दूर चलने पर अहमदनगर गांव के पास जब उन्हें सुनसान मिला तो उन्होंने उसे मोटरसाइकिल से उतार कर गोली मार दी.
इस के बाद जयप्रकाश की लाश को वहीं छोड़ कर शिवअवतार और कपिल लौट पड़े. रास्ते से ही शिवअवतार ने पंकज को फोन कर दिया कि बाकी 40 हजार रुपए वह दीपक को दे दे. जयप्रकाश ने सुपारी तो दी थी पत्नी, बेटे और पत्नी के प्रेमी हरजीत को मारने की, लेकिन मारा गया खुद.
पंकज के बयान के आधार पर पुलिस ने शिवअवतार उर्फ बबलू, कपिल, दीपक यादव को भी गिरफ्तार कर लिया. इन में शिवअवतार और कपिल पर तो हत्या का आरोप है, जबकि पंकज पर षडयंत्र रचने का तथा दीपक यादव पर साक्ष्य छिपाने का.
पुलिस ने हत्यारों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त 315 बोर का तमंचा, 2 जीवित कारतूस तथा 1 लाख 60 हजार रुपए नकद बरामद कर लिए हैं. सारे साक्ष्य जुटा कर पुलिस ने चारों अभियुक्तों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
पहले से हिरासत में लिए गए मास्टर हरजीत और मृतक जयप्रकाश की पत्नी सुनीता को पुलिस ने पंकज के अपराध स्वीकार करते ही रिहा कर दिया. सुनीता ने भले ही पति को नहीं मरवाया था, लेकिन अगर वह गलत न होती तो आज यह नौबत न आती. उसी की वजह से आज उस के 4 बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है.