उस दिन के बाद से दीपक सोनाली को ट्यूशन पढ़ाने उस के घर कभी नहीं आया. अचानक उस के ट्यूशन पढ़ाना छोड़ देने से सोनाली के पापा सुनील थोड़ा परेशान हुए. उन्होंने इस विषय में ट्यूटर से बात भी की थी, लेकिन उस ने बहाना बनाते हुए समय का अभाव बताते हुए ट्यूशन छोडऩे का कारण बताया था.
सुनील को क्या पता था कि दीपक के नीयत में कितनी बड़ी खोट आ चुकी थी. जीवन संवारने के लिए जिस के हाथों में बेटी की डोर सौंपी थी, उसी के मन में पाप का काला परिंदा फडफ़ड़ाने लगा था. शुक्र तो सोनाली का कहिए, जो मर्यादा की डोर को चरित्र के मजबूत बंधन से बंधी थी कि खुद को पाकसाफ रहने दिया. ये सब घर वालों के अच्छे संस्कार की देन थी.
इतनी बड़ी बात हुई थी. सोनाली ने यह बात समझदारी के साथ खुद ही निबटा ली थी. यह बात न तो किसी और को शेयर की थी और न ही घर वालों से बताई थी. वह जानती थी कि अगर उस ने ये बात घर वालों से बता दी तो खामखा बड़ा हंगामा हो सकता है. इसलिए इसे यहीं पर विराम देने में समझदारी समझी. इस के बाद वह एक प्राइवेट स्कूट में पढ़ाने लगी.
सोनाली ने जिस सूझबूझ का परिचय दिया था, वह काबिलेतारीफ थी. ऐसा नहीं था कि दीपक ने सोनाली को भुला दिया हो, बल्कि उस के दिल में सोनाली के लिए और प्यार उमडऩे लगा था. उसे पाने की उस की हसरतें और जवां होती जा रही थीं. बस, उसे हासिल करने के लिए नित नईनई तरकीब सोचता रहता था, वक्तबेवक्त उसे फोन कर के अपने प्यार का इजहार करता था, लेकिन सोनाली का उस के लिए एक ही जवाब था- न.
जुनूनी आशिक बन गया दीपक साव
सनकी प्रेमी दीपक ने भी ठान लिया था कि सोनाली उस की नहीं हुई तो वह किसी और की भी दुनिया में नहीं हो सकती. वह उसी के लिए आई है और उसी की बन कर रहेगी. वह उस की नहीं हुई तो किसी और की भी नहीं हो सकती. तब उसे मरना होगा. इस के अलावा उस के पास जीने के लिए दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा है.
पागलपन की हद से भी ज्यादा दीपक साव शिष्या रह चुकी सोनाली से एकतरफा प्यार करता था. जब सोनाली ने उस का प्यार ठुकरा दिया तो वह ईष्र्या की आग में जलने लगा था. ईष्र्या की इसी आग में जलते दीपक ने खतरनाक फैसला ले लिया.
घटना से 6 महीने पहले यानी सितंबर 2022 में सुपारी किलर भरत कुमार उर्फ कारू निवासी मझलीटांड़, थाना डोमचांच को डेढ़ लाख रुपए में उस की हत्या की सुपारी दे दी और पेशगी के तौर पर उसे 50 हजार रुपए भी दे दिए. इश्क में पागल हुए दीपक साव का साथ रोहित मेहता ने दिया. सुपारी लेने के बाद अपने 4 साथियों संतोष मेहता और संजय मेहता के साथ मिल कर सोनाली की रेकी करने लगा.
कहते हैं कि ‘जाको राखे साइयां, मार सके न कोय’, ये कहावत उस के साथ चरितार्थ हुई थी. 6 महीने बीत गए थे, मगर कारू अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सका था. फिर दीपक ने ही एक दांव चला. वह जानता था इन दिनों सोनाली के घर वाले आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. पैसों की उन्हें सख्त जरूरत है.
इसी बात का लाभ उठाते हुए दीपक ने सोनाली से बात की कि उस के जानपहचान का एक बैंक है, जो बिना किसी शर्त के लोन दे सकता है. अगर तुम लोन लेना चाहो तो मैं तुम्हें वह दिलवा सकता हूं. जबकि दीपक का किसी भी बैंक वाले से कोई परिचय नहीं था. उस ने सोनाली को झांसे में लेने के लिए पांसा फेंका था, जो सही जगह जा कर लगा था. सोनाली ने लोन लेने के लिए हामी भर दी थी क्योंकि उसे पैसों की सख्त जरूरत थी.
ट्यूटर ने की हत्या
बात 21 मार्च, 2023 की है. दीपक ने सोनाली को सुबह फोन कर उसे मिलने के लिए बीरजामू के पास बुलाया. उस दिन सोनाली ने स्कूल से छुट्ïटी ले ली थी और घर पर ही थी. करीब साढ़े 10 बजे सोनाली मां को ‘दीपक सर से मिलने जाना है’ बता कर अपना पर्स और मोबाइल साथ ले कर निकली. उस ने यह भी कहा कि वह काम पूरा होते ही घंटे-2 घंटे में घर वापस लौट आएगी.
सोनाली पैदल ही डेढ़ घंटे में बीरजामू पहुंची तो सडक़ के बाईं पटरी पर एक चार पहिया वाहन के पास ओट लगा कर दीपक खड़ा उसे देख कर मंदमंद मुसकरा रहा था तो सोनाली भी हौले से मुसकरा दी. फिर दीपक ने कार का दरवाजा बाहर खोल कर उसे बैठने का इशारा किया तो वह कार की आगे वाली सीट पर बैठ गई.
कार की ड्राइवर सीट पर रोहित मेहता बैठा था, जबकि पीछे की सीट पर भरत उर्फ कारू, संजय मेहता, संतोष मेहता और दीपक बैठा था. दीपक का इशारा मिलते ही कार फर्राटा भरने लगी थी. हालांकि पहले से कार में बैठे लोगों को देख कर सोनाली चौंकी थी, लेकिन बाद में दीपक ने सोनाली से अपना पुराना दोस्त कह कर परिचय दिया तो वह सामान्य दशा में आई थी.
रोहित जब कार ले कर सुनसान इलाके की ओर बढ़ा तो सोनाली घबरा गई और उस ने दीपक से पूछा कि वह उसे कहां ले कर जा रहा है. ये रास्ता तो शहर की ओर नहीं जाता है. इस पर दीपक ने जवाब दिया, “तुम ठीक सोचती हो. ये रास्ता शहर की ओर नहीं, मौत की ओर जाता है. अब बता तू मुझ से शादी करेगी कि नहीं? मेरी बनेगी कि नहीं.”
इस पर सोनाली बिदक गई, “हजार बार कह चुकी हूं, मैं तुम से न तो प्यार करती हूं और न ही शादी कर सकती. तुम ने मेरे साथ धोखा किया है.”
“क्या करूं मेरी जान, प्यार और जंग में सब जायज होता है. मैं ने तुम से पागलपन की हद से ज्यादा प्यार किया और तुम ने मेरे प्यार को नहीं समझा. तो सुन ले अगर तू मेरी नहीं हो सकती तो मैं तुझे किसी और की भी नहीं होने दूंगा. अब मरने के लिए तैयार हो जा हरामजादी.” कहते हुए सनकी प्रेमी दीपक ने पास में रखे मोबाइल चार्जर की केबिल से गला कस कर उसे मौत के घाट उतार दिया और गाड़ी नीरू पहाड़ी खदान की ओर चलने का इशारा किया.
रोहित ने वैसा ही किया जैसा दीपक ने करने को कहा. उस ने कार नीरू पहाड़ी खदान की ओर मोड़ दी. वह इलाका बिलकुल सुनसान था. खदान के पास पहुंच कर पांचों कार से बाहर निकले, कार में पहले से रखे प्लास्टिक की बड़े आकार की बोरी निकाली. उस में एक बड़े आकार का भारी पत्थर डाला फिर सोनाली की लाश तोड़मरोड़ कर उस बोरी में भरी और उसे रस्सी से कस कर बांध दिया.
एकतरफा प्यार में हत्या करने के बाद उन्होंने सोनाली की लाश ऊपर से नीचे खदान में फेंक दी. इस से पहले दीपक ने सोनाली का फोन अपने कब्जे में ले लिया था. लाश ठिकाने लगाने के बाद पांचों कार में सवार हुए और अपनेअपने घरों को लौट गए. फिर क्या हुआ, कहानी में वर्णन किया जा चुका है.
कथा लिखे जाने तक पांचों आरोपी दीपक कुमार साव, रोहित कुमार मेहता, भरत कुमार उर्फ कारू, संजय मेहता और संतोष मेहता जेल की सलाखों के पीछे थे.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित