दूसरे धर्म में शादी मौत को बुलावा

पेरुमल ने तिरुपुर पुलिस स्टेशन से घर पहुंचने के तुरंत बाद बेटी ऐश्वर्या को फांसी पर लटका दिया था. पेरुमल ने अपनी पत्नी से रस्सी और कुरसी लाने को कहा था. इस के बाद उस ने बेटी से खुद गले में फंदा डाल कर माफी मांगने के लिए कहा. उस ने उसे भरोसा दिया कि उस के माफी मांगने पर वह उस के फंदे पर झूलने से पहले रस्सी को काट देगा.

ऐश्वर्या ने ऐसा ही किया, किंतु जब पेरुमल ने रस्सी को काटा तो ऐश्वर्या को जिंदा पाया. इस के बाद पेरुमल ने उस का गला घोंट दिया, ताकि वह जीवित न बचे.

दक्षिण भारत बहुत ही खास अंदाज, मिजाज और रुतबे का प्रदेश है तमिलनाडु. यहां के लोग खेती किसानी से ले कर कल कारखाने तक में काम करने वाले पारंपरिक रीतिरिवाजों को भी काफी अहमियत देते हैं. हर परिवार और समाज के संस्कार में आन, बान और शान शीर्ष पर होता है. किंतु दूसरे प्रदेशों की तरह वहां के लोग भी जाति, धर्म, ऊंचनीच और अमीरी गरीबी के जाल में उलझे रहते हैं.

वहीं तंजावुर जिले में पट्टूकोट्टई के नेवविदुथी गांव का रहने वाला कल्लार समुदाय का पेरुमल और उस के परिवार के लोग बीते साल 2023 के आखिरी दिन से ही परेशान थे. इस की वजह यह थी कि उस की बेटी ऐश्वर्या बिना कहे घर से लापता थी. वह मात्र 19 साल की थी.

परिवार के लोग उस की तलाश अपने लोगों के बीच गुपचुप तरीके से कर रहे थे. वे समझ नहीं पा रहे थे कि ऐश्वर्या कहां गई होगी. रिश्तेदारी में पता किया, लेकिन उस के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं मिल पाई थी.

ऐश्वर्या 10वीं तक पढ़ाई पूरी करने के बाद तिरुपुर में एक पावरलूम में नौकरी पर लग गई थी. जब उस का कोई पता नहीं चला, तब उस के मम्मी पापा ने पल्लदम थाने में पहली जनवरी, 2024 को उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवा दी.

हालांकि ऐश्वर्या के पापा पेरुमल और मम्मी रोजा को उस के सालों से चल रहे प्रेम संबंध के बारे में पता था. उन्हें पक्का विश्वास था कि ऐश्वर्या अपने प्रेमी संग ही होगी. लेकिन कहां मिलेगी, किस हाल में होगी, नहीं मालूम था. इस बारे में उन्होंने एसएचओ को बता दिया.

इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया. वह वीडियो ऐश्वर्या की शादी का था. उस के साथ दूल्हा बने नवीन को सभी ने पहचान लिया. इस की गांव के दूसरे लोग कानाफूसी करने लगे थे. कोई सामने खुल कर कुछ नहीं बोल रहा था, लेकिन ऐश्वर्या के मम्मी पापा को दुत्कारने की नजरों से देखने लगे थे. यही बात उन्हें भीतर ही भीतर तकलीफ देने लगी थी.

मन कचोटने लगा था और वे बेटी की अपनी मरजी से की गई शादी से दुखी हो गए थे. वह सामाजिक उपेक्षा महसूस करने लगे थे. उन्हें लगने लगा था कि उस के कल्लार समाज के लोग ऐश्वर्या की हरकत से बेहद नाराज हो चुके हैं.

नए साल के मौके पर ऐश्वर्या की मम्मी रोजा गांव के मंदिर से पूजा कर लौट रही थी. अपने घर से कुछ कदम की दूरी पर ही थी कि पड़ोस की एक औरत तपाक से बोल पड़ी, ”तुम्हारी बेटी ने तो पूरे कल्लार समाज की नाक कटा दी है… उसे अपने समाज में कोई नहीं मिला जो उस दलित के साथ भाग गई!”

ताने से क्यों तिलमिलाया पेरुमल

रोजा यह सुन कर तिलमिला गई. ताने सुनती हुई तेज कदमों से अपने घर चली आई. पति के सामने रोने लगी. पति पेरुमल कल्लार ने पूछा तो उस ने पड़ोसी महिला के ताने की बात बता दी. साथ ही उस ने कहा कि चाहे जैसे भी हो ऐश्वर्या को पहले घर लाएं. पत्नी की बात सुन कर पेरुमल तुरंत थाने गया. उस ने ऐश्वर्या की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई.

पुलिस को उस ने वायरल हो रहे वीडियो की बात बताई, जो उस के गांव के लोगों के पास पहुंच चुका था. उस ने यह भी कहा कि वीडियो के फैलने से ऐश्वर्या की दलित लड़के के साथ शादी की चारों ओर चर्चा होने लगी है. लोग उसे और उस की पत्नी को नफरत की नजरों से देखने लगे हैं. ताने तक मारने लगे हैं. ऐश्वर्या को जल्द घर वापस लाना जरूरी है. लड़के के खिलाफ काररवाई करने में देरी होने पर सामाजिक तनाव बढ़ जाएगा.

इसी के साथ उस ने पुलिस को यह भी बताया कि इलाके में इस तरह के प्रेम संबंध और शादी को लोग बहुत ही गलत मानते हैं. उस ने कहा कि हम लोग पिछड़े समाज के हैं, जबकि बेटी ऐश्वर्या ने जिस के साथ शादी की है, वह दलित समाज का है.

दलितों और पिछड़े समुदाय के बीच ऐसे प्रेम विवाह पहले भी हुए हैं. उन में अधिकांश कभी गांव नहीं लौटे, लेकिन उन के घर वालों को लोगों ने गांव में जीना दूभर कर दिया था. हमारे गांव के बहुत से लोगों को ऐसी शादियों के बारे में पता तक नहीं है, हमारे मामले में वाट्सऐप वीडियो से यह बात सभी को पता चल गई है.

ऐश्वर्या के पिता ने उस लड़के के बारे में भी बता दिया. उस ने बताया कि ऐश्वर्या से शादी रचाने वाला लड़का नवीन भी 19 साल का है. वह वेल्लालर समुदाय से आता है, जो प्रदेश की एक अनुसूचित जाति है.

पुलिस को यह बात न केवल चौंकाने वाली लगी, बल्कि इसे सामाजिक तनाव बनाने का बड़ा कारण समझते हुए जल्द से जल्द सुलझाना जरूरी समझा. एसएचओ ने इस की जानकारी डीएसपी को देते हुए ऐश्वर्या की तलाशी संबंधी आवश्यक अनुमति भी मांग ली.

इस के बाद पुलिस ने ऐश्वर्या को तलाशना शुरू कर दिया. उन्हें जल्द ही नवीन के ठिकाने के बारे में मालूम हो गया. उस ने 31 दिसंबर को आवरापलयम के विनयागर मंदिर में जयमाला डाल कर अंतरजातीय शादी कर ली थी. शादी करने के बाद पहली जनवरी को जोड़े ने वीरापंडी इलाके में एक घर किराए पर लिया था. वहां से उन्होंने अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत की थी.

इस मामले में पुलिस से कहां हुई चूक

2 जनवरी, 2024 की दोपहर पल्लदम पुलिस उन के घर पहुंच चुकी थी. उन्होंने ऐश्वर्या को पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा. उन से पुलिस अधिकारी ने कहा कि दोनों की उम्र के अनुसार उन की शादी अवैध मानी जाएगी. ऐश्वर्या के पापा ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई है, इसलिए भलाई इसी में है कि वे दूसरी कानूनी धाराओं में दोषी बनाए जाएं, इस से बचने के लिए अपने घर वालों से विवाह की सहमति ले लें.

ऐश्वर्या पुलिस के कहे अनुसार तुरंत उन के साथ थाने आ गई. वहां पहले से ही उस के पापा कुछ लोगों के साथ मौजूद थे. पुलिस ने ऐश्वर्या की बरामदगी मात्र घंटे भर में कर ली थी. मामले को सुलझा लिया गया था. ऐश्वर्या को उस के पापा घर ले आए.

हालांकि पीछेपीछे नवीन भी थाने आया. वह थाने के बाहर ही ऐश्वर्या का इंतजार करने लगा, लेकिन दोपहर करीब 2 बजे ऐश्वर्या के पापा पेरुमल और उन के साथ आए लोग उसे थाने से घर ले कर चले गए. उस से उन्होंने कोई बात नहीं की. यहां तक कि उस के सवालों का भी कोई जवाब नहीं दिया. उन के जाने के बाद नवीन ने पुलिस स्टेशन के अंदर जा कर ऐश्वर्या के बारे में पूछा. उसे बताया गया कि ऐश्वर्या को उस के पापा अपने गांव ले गए हैं.

नवीन को यह बात अटपटी लगी, क्योंकि ऐश्वर्या उस की ब्याहता थी. उस की अनुमति और मरजी के बगैर कोई कैसे कहीं ले कर जा सकता है. वह पुलिस पर नाराजगी दिखाने लगा. किंतु उल्टा उसे पुलिस ने ही चेतावनी दी. कहा कि अगर उस ने ऐश्वर्या से दोबारा मिलने की कोशिश की तो उस के घर वाले उसे पीटेंगे. इसलिए उस की भलाई इसी में है कि वह ऐश्वर्या को हमेशा के लिए भूल जाए.

नवीन को पुलिस की चेतावनी धमकी की तरह लगी. उस वक्त तो वह अपने गुस्से को काबू में रखता हुआ घर चला आया. वह पट्टूकोट्टाई के इलाके में पुवलूर गांव का रहने वाला था. ऐश्वर्या को स्कूल के समय से जानता था. दोनों अलगअलग स्कूल में पढ़ते थे, लेकिन स्कूल आतेजाते उन की मुलाकातें हो जाती थीं.

इसी सिलसिले में उन के बीच प्रेम संबंध बन गए. यह जानते हुए कि उन की जातियां अलग हैं और समुदाय में भी अंतर है. दोनों समुदायों के बीच शादीविवाह कभी भी स्वीकार नहीं किया जाएगा. उन के परिवार और समाज उन के रिश्ते को सिरे से खारिज कर देंगे और उन्हें जबरन जुदा कर दिया जाएगा.

नवीन ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था और तिरुपुर में एक कपड़ा फैक्ट्री में नौकरी कर ली थी. वहां वह कंपनी द्वारा दिए गए आवास में रहता था. ऐश्वर्या भी अपने पैरों पर खड़ी थी. वह तिरुपुर में एक पावरलूम में नौकरी करती थी.

इस की शुरुआत हो चुकी थी. ऐश्वर्या को नवीन के सामने से ही उस के घर वाले ले कर चले गए थे. फिर भी उस ने हिम्मत नहीं हारी, लेकिन वह दुविधा में था.

अगले रोज 3 जनवरी को वह भागा भागा ऐश्वर्या के घर गया. दरअसल, उसे सूचना मिली कि ऐश्वर्या की आकस्मिक मृत्यु हो गई है और उस के शव का तुरंत अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है.

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ऐश्वर्या की मौत के बारे में वट्टाथिकोट्टई पुलिस से जानकारी मिली कि वह 3 जनवरी को अपने कमरे में मृत पाई गई थी. इस से आहत नवीन ने 7 जनवरी को ऐश्वर्या के घर वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा दी. शिकायत में उस ने आरोप लगाया कि उस की पत्नी ऐश्वर्या की उस के घर वालों ने हत्या कर दी है.

भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 201 के तहत मामला दर्ज किया गया. उल्लेखनीय है कि धारा 201 उस व्यक्ति के लिए सजा निर्धारित करती है, जो जानता है कि कोई अपराध किया गया है, उस अपराध के सबूतों को नष्ट कर देता है या अपराधी को कानूनी सजा से बचाने के लिए गलत जानकारी देता है.

ऐश्वर्या की अचानक मौत हो जाने से लोगों के जेहन में साल 2014 की एक घटना ताजा हो गई, जो उसिलामपट्टी की सी. विमला देवी की मौत थी. वह भी ऐश्वर्या की तरह कल्लार जाति की थी और एक दलित व्यक्ति से शादी की थी. उसे अपनी जान बचाने के लिए केरल के एक पुलिस स्टेशन में शरण लेनी पड़ी थी.

बाद में विमला के पिता द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर जांच पूरी करने के लिए जोड़े को तमिलनाडु लाया गया. उस के मातापिता पुलिस को यह आश्वासन दे कर घर ले गए कि मामले को ठीक कर लिया जाएगा. लेकिन अगले ही दिन वह मृत पाई गई थी और पुलिस के मौके पर पहुंचने से पहले ही उस के अवशेष जल कर राख हो गए थे.

नवीन द्वारा दर्ज की गई शिकायत में कहा गया कि उस के और ऐश्वर्या के बीच पिछले 5 साल से प्रेम चल रहा था.अपनी शिकायत में नवीन ने यह भी कहा किया वह 2 जनवरी को 2 बजे ऐश्वर्या के पिता अन्य रिश्तेदारों के साथ पुलिस स्टेशन गया. आधे घंटे बाद ही पल्लदम पुलिस स्टेशन से ऐश्वर्या को उस के पिता और रिश्तेदारों ने अपने साथ ले कर पुलिस स्टेशन के बाहर खड़ी कार में बैठ कर चले गए.

नवीन ने बताया कि उसे सूचना मिली थी कि 3 जनवरी की सुबह ऐश्वर्या की हत्या कर दी गई थी और स्थानीय लोगों से छिपा कर शव को तत्काल श्मशान में जला दिया गया था.

इस संबंध में पुलिस ने अपनी जांच में कहा कि ऐश्वर्या को उस के मम्मी पापा ने नेवाविदुति गांव के इमली के पेड़ से लटका कर मार डाला गया था. हालांकि इस बारे में ऐश्वर्या के गांव वाले कुछ भी खुल कर बात करने को तैयार नहीं थे. फिर भी कुछ लोगों ने दबी जुबान से दिल दहला देने वाली इस घटना के बारे में कई संदिग्ध बातें बताईं. उन्हीं में से एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि उस ने ऐश्वर्या को उस के पापा द्वारा जबरदस्ती ले जाते हुए देखा था.

इसी तरह एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि उस के घर के बाहर बहुत शोर हो रहा था, जिसे सुन कर हम बाहर निकले. ऐश्वर्या के घर वाले उसे घसीटते हुए इमली के पेड़ तक ले कर जा रहे थे. इस आधार पर पुलिस का कहना था कि ऐश्वर्या के पापा ने ही इमली के पेड़ के नीचे उस की हत्या कर दी.

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इस जांच की अगुवाई करने वाले एसआई नवीन प्रसाद ने ऐश्वर्या की क्रूर तरीके से हत्या होने की पुष्टि की. इस आधार पर ही औनर किलिंग के आरोपी पेरुमल और उस की पत्नी रोजा को गिरफ्तार कर लिया गया. पूछताछ के दौरान पेरुमल ने बताया कि उस ने इमली के पेड़ के नीचे अपनी बेटी की हत्या की थी.

पुलिस ने पेरुमल और उस की पत्नी रोजा से पूछताछ करने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया.

मां के प्रेम का जब खुला राज

मां के प्रेम का जब खुला राज – भाग 4

चादर में लिपटी मिली साहनी की लाश

चूंकि मामला मासूम बच्ची की गुमशुदगी का था. उस के साथ दरिंदगी जैसी घटना घटित न हो जाए, इसलिए कोतवाल विमलेश कुमार बिना देरी के आवश्यक पुलिस बल के साथ सिरसा दोगड़ी गांव पहुंच गए और बच्ची की खोज शुरू कर दी. परिवार व गांव के युवक भी पुलिस के साथ हो लिए.

पुलिस ने गांव के बाहर खेतखलिहान, बागबगीचा, कुआंतालाब तथा नदीनहर किनारे झाडिय़ों में बच्ची की खोज की. लेकिन उस का कुछ भी पता नहीं चला. पुलिस ने गांव के कुछ संदिग्ध घरों की तलाशी भी ली. कई नवयुवकों से सख्ती से पूछताछ भी की. परंतु साहनी का पता नहीं चला.

रात 12 बजे के बाद कोतवाल विमलेश कुमार पुलिसकर्मियों व अश्वनी के घर वालों के साथ साहनी की खोज करते गांव के बाहर निर्माणाधीन अस्पताल के पास पहुंचे. वहां उन्हें केले की झाडिय़ों के बीच सफेद चादर में लिपटी कोई वस्तु दिखाई दी. सहयोगी पुलिसकर्मियों ने जब चादर हटाई तो सभी की आंखें फटी रह गईं. चादर में लिपटी एक बच्ची की लाश थी.

इस लाश को जब अश्वनी ने देखा तो वह फफक पड़ा और कोतवाल साहब को बताया कि लाश उस की बेटी साहनी की है. कोतवाल ने साहनी मर्डर केस की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो सवेरा होतेहोते एसपी डा. ईरज राजा, एएसपी असीम चौधरी तथा डीएसपी रवींद्र गौतम भी घटनास्थल आ गए. अब तक गांव में भी सनसनी फैल गई थी, अत: सैकड़ों लोग वहां जुट गए थे.

राधा को बेटी की हत्या की खबर लगी तो वह बदहवास हालत में घटनास्थल पर पहुंची और बेटी के शव के पास विलाप करने लगी. ओमप्रकाश भी नातिन का शव देख कर रो पड़े. पुलिस अधिकारियों ने उन दोनों को समझा कर किसी तरह शव से अलग किया फिर जांच में जुट गए.

मृतक बच्ची की उम्र 5 वर्ष के आसपास थी. उस के शरीर पर किसी तरह के चोट के निशान नहीं थे. देखने से लग रहा था कि उस की हत्या नाक-मुंह दबा कर की गई थी. क्योंकि नाक से खून निकला था. ऐसा भी लग रहा था कि बच्ची की हत्या कहीं और की गई और फिर शव को चादर में लपेट कर वहां फेंका गया. चादर पर खून लगा था. जांच से यह भी अनुमान लगाया गया कि उस के साथ दरिंदगी नहीं की गई थी. जांच के बाद पुलिस अधिकारियों ने बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल, उरई भिजवा दिया.

दादा ने जताया बहू पर शक

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल पर मौजूद मृतका के पिता अश्वनी दुबे तथा दादा ओमप्रकाश से पूछताछ की. ओमप्रकाश ने बताया कि नातिन की हत्या का भेद उस की बहू राधा के पेट में छिपा है. यदि राधा से सख्ती से पूछताछ की जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी.

“भला एक मां अपनी मासूम बच्ची की हत्या क्यों करेगी?” पुलिस अधिकारियों ने पूछा.

“साहब, पड़ोसी युवक नेत्रपाल सिंह का हमारे घर आनाजाना था. वह बच्चों को टौफी, बिस्कुट खिलाता था. मना करने के बावजूद नहीं मानता था. उस ने बहू को भी अपने जाल में फंसा लिया था. मुझे शक है कि इन दोनों ने ही कोई खेला किया है.”

यह जानकारी पाते ही डीएसपी रविंद्र गौतम ने पुलिस टीम के साथ नेत्रपाल सिंह व राधा को उन के घर से हिरासत में ले लिया और थाना माधौगढ़ ले आए. थाने में जब उन दोनों से सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने मासूम साहनी हत्याकांड का जुर्म कुबूल कर लिया.

नेत्रपाल सिंह ने बताया कि पड़ोसी अश्वनी के घर उस का आनाजाना था. घर आतेजाते अश्वनी की पत्नी राधा और उस के बीच नाजायज संबंध बन गए. 4 अप्रैल, 2023 की दोपहर उस ने शराब पी, फिर नशे की हालत में वह राधा के घर पहुंच गया.

राधा उस समय घर में अकेली थी. राधा का पति खेत पर था और बच्चे दादा की झोपड़ी में थे. राधा को अकेली पा कर उस की कामाग्नि भडक़ उठी. उस ने राधा को बांहों में भरा और चारपाई पर लिटा दिया. मस्ती के आलम में उन्होंने दरवाजा भी बंद नहीं किया.

भेद खुलने के डर से की हत्या

राधा के बिस्तर पर वह वासना की आग बुझा ही रहा था कि तभी राधा की बेटी साहनी आ गई. उस ने दोनों को उस हालत में देखा तो वह चीखने लगी. राधा को लगा उस की बेटी उस का भांडा फोड़ देगी. अत: उस ने उसे पकड़ लिया और उस के मुंह पर हाथ रख दिया.

नेत्रपाल सिंह नशे में था. उसे भी लगा कि भेद खुल जाएगा. वह भी उस के पास पहुंचा और फिर मुंह नाक दबा कर साहनी को मार डाला. इस के बाद यह अपराध छिपाने के लिए उन दोनों ने साहनी की लाश को सफेद चादर में लपेटा और गांव के बाहर निर्माणाधीन अस्पताल के पास फेंक दिया.

चूंकि दोनों ने साहनी की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था, अत: कोतवाल ने मृतका के दादा ओमप्रकाश की तहरीर पर भादंवि की धारा 302/201 के तहत नेत्रपाल सिंह व उस की प्रेमिका राधा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया तथा उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

7 अप्रैल, 2023 को पुलिस ने आरोपी नेत्रपाल सिंह व राधा को उरई कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

मां के प्रेम का जब खुला राज – भाग 3

एक दिन ओमप्रकाश दोपहर में ही खेत से वापस आ गया. घर के बाहर बनी झोपड़ी में राधा की बेटी मौजूद थी. उस के हाथ में नमकीन का पैकेट था. वह मजे से खा रही थी. ओमप्रकाश ने नातिन से पूछा, “बिटिया, नमकीन किस ने दी?”

“नेत्रपाल चाचा ने. वह घर के अंदर मम्मी से बतिया रहे हैं,” नातिन ने बताया.

नातिन की बात सुन कर ओमप्रकाश के मन में शक के बादल उमडऩे-घुमडऩे लगे. सच्चाई जानने के लिए उस के कदम ज्यों ही घर के दरवाजे की ओर बढ़े, त्यों ही नेत्रपाल घर के अंदर से निकला. ओमप्रकाश ने उसे टोका भी. लेकिन नेत्रपाल बिना जवाब दिए ही चला गया. लेकिन राधा कहां जाती? ओमप्रकाश ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई.

पति को राधा ने दिखा दिया त्रियाचरित्र

शाम को अश्वनी जब खेत से घर वापस आया तो ओमप्रकाश ने बेटे को सारी बात बताई और इज्जत को ले कर चिंता जताई. बाप की बात सुन कर अश्वनी का माथा ठनका. उस ने इस बाबत राधा से पूछा तो वह पति पर हावी हो गई.

“पिताजी सठिया गए हैं. उन की अक्ल पर पत्थर पड़ गए हैं. वह लोगों की कानाफूसी को सही मान लेते हैं. ये वो लोग हैं, जो हम से जलते हैं और हमारी गृहस्थी को आग लगाना चाहते हैं.”

राधा यहीं नहीं रुकी और बोली, “वैसे भी नेत्रपाल हमारा पड़ोसी है. घर में आनाजाना है. रिश्ते में देवर है. इस नाते वह केवल हंसबोल लेता है. हंसीमजाक कर लेता है. इस में बुराई क्या है. तुम्हारा भी तो वह दोस्त है. तुम भी तो उस के साथ खातेपीते हो. मैं मानती हूं कि नेत्रपाल आज दोपहर घर आया था, लेकिन फावड़ा मांगने आया था. पिताजी ने उसे घर से निकलते देख लिया तो शक कर बैठे. फिर न जाने कितने इल्जाम मुझ पर लगा दिए. समझा देना उन्हें. आज तो मैं ने उन्हें जवाब नहीं दिया, लेकिन कल चुप नहीं बैठूंगी.”

राधा ने त्रियाचरित्र का ऐसा नाटक किया कि अश्वनी की बोलती बंद हो गई. वह सोचने लगा कि पिताजी को जरूर कोई गलतफहमी हो गई. राधा तो पाकसाफ है. नेत्रपाल के साथ उस का कोई लफड़ा नहीं है. उस ने किसी तरह राधा का गुस्सा दूर कर उसे मना लिया. राधा अपनी जीत पर जैसे शेरनी बन गई.

अश्वनी ने पत्नी को क्लीन चिट तो दे दी थी, लेकिन उस के मन में शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा था. वह राधा पर चोरीछिपे निगाह भी रखने लगा था. यही नहीं, नेत्रपाल सिंह पर भी उस का विश्वास उठ गया था. उस ने उस के साथ शराब पीनी भी बंद कर दी थी. उस ने नेत्रपाल से भी साफ कह दिया था कि वह उस के घर तभी आए, जब वह घर पर मौजूद हो.

अश्वनी की बेटी अब तक 5 साल की हो चुकी थी. वह दिखने में गोरीचिट्टी तथा बातूनी थी. गांव के प्राइमरी स्कूल में वह पढ़ रही थी. अश्वनी ने बेटी से भी कह दिया था कि कोई बाहरी व्यक्ति घर में आए तो शाम को उसे जरूर बताए.

अचानक साहनी हुई लापता

अश्वनी के पिता ओमप्रकाश की माली हालत तो अच्छी नहीं थी, लेकिन गांव में उन की अच्छी इज्जत थी. अपने घर की इज्जत पर खतरा भांप कर वह चिंतित रहने लगे थे. उन्होंने खेत पर जाना कम कर दिया था और बहू राधा की निगरानी करने लगे थे. पड़ोसी युवक नेत्रपाल को तो वह घर के आसपास भी फटकने नहीं देते थे.

कड़ी निगरानी से राधा और नेत्रपाल सिंह का मिलन बंद हो गया. अब वे दोनों एकदूसरे से मिलने के लिए छटपटाने लगे. राधा जब तक मोबाइल फोन से अपने आशिक से बतिया नहीं लेती थी, उस के दिल को तसल्ली नहीं मिलती थी. लेकिन एक दिन उस की यह चोरी भी पकड़ी गई. फोन को ले कर राधा और अश्वनी के बीच खूब तूतू मैंमैं हुई. गुस्से में अश्वनी ने सिम ही तोड़ दिया.

4 अप्रैल, 2023 की शाम 5 बजे अश्वनी दुबे खेत से घर वापस आया तो उसे बच्चे नहीं दिखे. उस ने इधरउधर नजर दौड़ाई फिर पत्नी से पूछा, “राधा, दोनों बच्चे नहीं दिख रहे. कहां है वे दोनों?”

“दोनों ससुरजी के पास होंगे. साहनी तो यही कह कर घर से निकली थी कि वह दादा के पास जा रही है. वे दोनों वहीं होंगे.” राधा ने जवाब दिया.

अश्वनी तब पिता की झोपड़ी में पहुंचा. वहां ढाई वर्षीय बेटा तो सो रहा था, लेकिन बेटी साहनी नहीं थी. अश्वनी ने पिता से साहनी के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि लगभग 12 बजे साहनी छोटे भाई के साथ आई थी. कुछ देर दोनों उन के पास रहे. उस के बाद साहनी घर चली गई थी.

लेकिन पिताजी साहनी घर पर नहीं है. इस के बाद बाप बेटे साहनी की खोज करने लगे. उन्होंने मोहल्ले का हर घर छान मारा, लेकिन साहनी का पता न चला. सूर्यास्त होतेहोते पूरे गांव में यह खबर फैल गई कि अश्वनी दुबे की बेटी साहनी कहीं गुम हो गई है. इस के बाद गांव के दरजनों लोग 5 वर्षीय साहनी की खोज में जुट गए. उस की तलाश बागबगीचों, खेतखलिहान व कुआंतालाब में शुुरू हो गई. लेकिन साहनी का कुछ भी पता नहीं चला.

साहनी के न मिलने से राधा का रोरो कर बुरा हाल हो गया था. अड़ोसपड़ोस की महिलाएं राधा को हिम्मत बंधाती कि उस की बेटी का पता जल्दी ही चल जाएगा, लेकिन राधा पर महिलाओं के समझाने का कोई असर नहीं हो रहा था.

रात 8 बजे तक जब साहनी का कुछ भी पता नहीं चला तो अश्वनी कुमार दुबे जालौन जिले की ही कोतवाली माधौगढ़ पहुंचा और बोझिल कदमों से चलता हुआ कोतवाल विमलेश कुमार के सामने जा खड़ा हुआ. कोतवाल विमलेश कुमार ने उसे एक बार सिर से पांव तक घूरा. उस के चेहरे पर दुख व परेशानी के भाव साफ नजर आ रहे थे. आंखें भी नम थीं.

“बैठिए,” विमलेश कुमार ने कुरसी की ओर इशारा करते हुए कहा, “कहिए, मैं आप की क्या मदद कर सकता हूं?”

“साहब, मेरा नाम अश्वनी दुबे है. सिरसा दोगड़ी गांव का रहने वाला हूं. दोपहर बाद से मेरी 5 साल की बेटी साहनी अचानक लापता हो गई. मैं ने गांव के हर घर में उस की खोज की. जब कहीं नहीं मिली तो मैं आप की शरण में आया हूं,” अपनी बात पूरी कर अश्वनी रो पड़ा.

“देखो अश्वनी, रोने से काम नहीं चलेगा, हिम्मत रखो. मैं यकीन दिलाता हूं कि पुलिस आप की बेटी को तलाश करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.” विमलेश कुमार ने कहा तो उस ने आंसू पोंछे. पूछताछ के बाद कोतवाल विमलेश कुमार ने साहनी की गुमशुदगी दर्ज कर ली और जिले के सभी थानों को वायरलैस से इस की सूचना दे दी. साथ ही पुलिस अधिकारियों को भी इस मामले से अवगत करा दिया.

मां के प्रेम का जब खुला राज – भाग 2

राधा भी बह गई नेत्रपाल के प्यार में

जब वह मुसकान बिखेरती हुई रसोई में गई तो उस की मतवाली चाल देख कर नेत्रपाल का दिल जोरों से धडक़नें लगा. कुछ देर में राधा 2 कप चाय और बिस्कुट ले आई.

चाय पीतेपीते नेत्रपाल ने पूछा, “भाभी, एक बात पूछूं, तुम्हारी आंखों में मुझे एक उदासी सी तैरती दिखती है. तुम भैया के साथ खुश तो हो न..?”

राधा ने घूर कर नेत्रपाल को देखा, “यह खयाल तुम्हारे मन में कैसे आया?”

“बस यूं ही आ गया. तुम्हारे खूबसूरत चेहरे पर मुझे उदासी अच्छी नहीं लगती.”

“माना मैं उदास रहती हूं. अब बताओ, मेरी उदासी दूर करने को तुम क्या कर सकते हो?” अप्रत्याशित सवाल पूछ कर राधा ने अपनी नशीली आंखों से उसे देखा.

“तुम्हें खुश करने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं.” नेत्रपाल सिंह ने भी कह दिया.

“अच्छा!” राधा ने आंखें नचाईं, “औरत को खुश कैसे रखा जाता है, यह जानते भी हो?”

“भाभी, तुम बताओगी तो जान जाऊंगा. आखिर तुम मेरी प्यारी भाभी हो, इस जहां में सब से अच्छी. सब से सुंदर.” नेत्रपाल ने उस के हाथ पर हाथ रख दिया.

राधा ने अपनी तारीफ, अपनी खूबसूरती के ऐसे बोल पहली बार सुने थे. नारी सुलभ कमजोरी उस पर हावी होने लगी. उस ने कस कर नेत्रपाल सिंह का हाथ पकड़ लिया, “हाथ पकड़ कर कभी छोड़ोगे तो नहीं?”

“कभी नहीं भाभी. मैं तुम्हें अपनी जान से ज्यादा चाहता हूं.” कह कर उस ने राधा को अपनी बांहों में भर लिया. राधा भी उस से लिपट गई. नेत्रपाल ने राधा के शरीर से छेड़छाड़ शुरू की तो राधा का मन भी बेकाबू होने लगा. लेकिन वह उचित समय न था, अपनी ख्वाहिशों में मस्ती भरने का. अत: वह नेत्रपाल की बांहों से छिटक गई.

फिर कामुक निगाहों से उसे देखती हुई बोली, “अभी जाओ, कोई आ जाएगा. रात को आना. मैं जानवरों वाले बाड़े में तुम्हारा इंतजार करूंगी.”

झोपड़ी में हुआ पहला मिलन

नेत्रपाल का दिल बल्लियों उछलने लगा. उस ने अपने कपड़े दुरुस्त किए. इधरउधर नजर दौड़ाई, फिर राधा के घर से बाहर निकल आया.

उस शाम राधा ने जल्दीजल्दी खाना खिला कर बच्चों को सुला दिया. ससुर ओमप्रकाश खेत से आते ही अपनी घासफूस की बनी झोपड़ी में चले गए. वहीं उन्होंने खाना खाया. राधा के पति अश्वनी की उस दिन तबीयत कुछ ठीक नहीं थी. अत: वह भी दवा खा कर बिस्तर पर पड़ते ही सो गया.

राधा ने जल्दीजल्दी रसोई का काम निपटाया और घर का मुख्य दरवाजा बाहर से बंद कर बगल में बने जानवरों के बाड़े में पहुंच गई. फिर वह नेत्रपाल का इंतजार करने लगी. रात के 10 बजतेबजते सिरसा दोगड़ी गांव में सन्नाटा छा गया था.  सब के दरवाजे बंद हो चुके थे. तभी एक साया अश्वनी के जानवरों वाले बाड़े के बाहर दिखाई दिया. उस ने बाड़े के दरवाजे को ढकेला तो वह खुल गया. अंदर मौजूद राधा ने साए को अंदर खींच कर दरवाजा बंद कर लिया. वह नेत्रपाल ही था.

बाड़े के अंदर आते ही नेत्रपाल ने राधा को अपनी बांहों में भरा और दोनों जमीन पर लुढक़ गए. नेत्रपाल ने राधा के कान के पास मुंह ले जा कर फुसफुसाहट की, “सब सो गए?”

“हां, लेकिन ससुर का पता नहीं, कब जाग जाएं. हमारे पास बहुत कम वक्त है. बेटा उठ गया तो रोने लगेगा.”

हसरतें पूरी करने की चाहत से दोनों सराबोर थे. उन के शरीर भी मिलन को बेताब थे. अत: जल्दी ही दोनों एकदूसरे में समा गए. फिर तो असीम सुख प्राप्त करने के बाद ही वे दोनों एकदूसरे से अलग हुए. उस रात को नेत्रपाल के लिए यह पहला स्त्री सुख था, इसलिए वह देर तक राधा को चूमता रहा. राधा के लिए यह पहला मनमुताबिक सुख था. इसलिए वह उस के बाल सहलाती रही. उस के सीने को अंगुलियों से हरारत देती रही. उस रात के बाद राधा और नेत्रपाल जैसे एक जिस्म दो जान हो गए.

उन के अवैध संबंध जारी रहे

अश्वनी तथा उस के पिता ओमप्रकाश सुबह खाना खाने के बाद खेत पर चले जाते थे. फिर शाम को ही आते. दोपहर को राधा अकेली होती थी. दोपहर का सन्नाटा होते ही नेत्रपाल उस के घर में घुस जाता. दोनों की देह एकदूजे से लिपटती, फिर शरीर का कामज्वर उतारने के बाद ही अलग होती.

राधा का जीवन अब मस्ती से भर गया था. वह पूरी तरह अवैध संबंधों के दलदल में फंस चुकी थी. वह पति की उपेक्षा भी करने लगी थी. अश्वनी समझता था कि राधा बच्चों के पालनपोषण व घर के काम में इतनी थक जाती है जिस से वह उस का ध्यान नहीं रख पाती.

नेत्रपाल सिंह जहां राधा से प्यार करता था, वहीं उस के बच्चों को भी दुलारता था और खिलाता पिलाता था. वह जब भी घर आता, बच्चों को बिस्कुट, नमकीन, चिप्स, कुरकुरे आदि जरूर लाता. इन चीजों को पा कर बच्चे खुश हो जाते. राधा की बेटी व बेटा नेत्रपाल को चाचा कह कर बुलाते थे. हालांकि अश्वनी नेत्रपाल का घर आना तथा बच्चों को सामान ला कर देना पसंद नहीं करता था.

नेत्रपाल शातिर दिमाग था. वह खुद तो शराबी था ही, उस ने राधा के पति अश्वनी को भी शराब का चस्का लगा दिया था. सप्ताह में एक या दो बार वह शराब की बोतल ले कर अश्वनी के घर आ जाता फिर थकान मिटाने का बहाना कर उसे शराब पीने को प्रेरित करता. अश्वनी भी नानुकुर के बाद राजी हो जाता. साथसाथ शराब पीने से दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई थी.

नेत्रपाल के अकसर अश्वनी के घर में घुसे रहने पर आसपड़ोस को शक होने लगा तो चौपाल पर दोनों के संबंधों की चर्चाएं होने लगीं. कनबतियां एक कान से होती हुई दूसरे कान तक पहुंचीं और बात ओमप्रकाश के कानों तक पहुंच गई.

मां के प्रेम का जब खुला राज – भाग 1

उत्तर प्रदेश के जालौन जिले का एक ऐतिहासिक कस्बा है- कालपी. इसी कालपी कस्बे के स्टेशन रोड पर नरेश कुमार तिवारी सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी उमा के अलावा 2 बेटियां राधा व सुधा थीं. नरेश कुमार प्राइवेट नौकरी करते थे. उन की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. बड़ी मुश्किल से वह परिवार की दोजून की रोटी जुटा पाते थे.

गरीबी में पलीबढ़ी राधा जब जवान हुई तो उस के रंगरूप में निखार आ गया. हर मांबाप बेटी के लिए अच्छा घर तथा सीधा शरीफ वर ढूंढते हैं, वे यह नहीं देखते कि बेटी ने अपने जीवनसाथी को ले कर क्या सपने संजोए हुए हैं. राधा के मातापिता ने भी बेटी का मन नहीं टटोला. उन्होंने अश्वनी दुबे से उस का विवाह रचा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री भर कर दी.

अश्वनी के पिता ओमप्रकाश दुबे जालौन जिले के माधौगढ़ थाना अंतर्गत सिरसा दोगड़ी गांव के निवासी थे. अश्वनी दुबे उन का इकलौता बेटा था. ओमप्रकाश किसान थे. किसानी में बेटा अश्वनी भी उन का हाथ बंटाता था. खेती के अलावा वह दुधारू जानवर भी पाले हुए थे. दूध के कारोबार से उन की अतिरिक्त आमदनी हो जाती थी.

अश्वनी दुबे जैसा मेहनती और सीधासादा दामाद पा कर नरेश कुमार निश्ंचत हो गया था कि बेटी का जीवन संवर गया. राधा के मन के दर्पण में क्याक्या दरका, यह कोई नहीं जानता था. राधा एक महत्त्वाकांक्षी युवती थी. उस ने अपने मन में सपना संजोया हुआ था कि शादी के बाद उस के पास बड़ा सा घर, खूब सारा पैसा और स्मार्ट पति होगा. लेकिन मिला क्या? मामूली सा घर और रोटी के लिए जूझता हुआ मामूली सा पति.

अश्वनी के पास थोड़ी सी जमीन थी, जिस के सहारे वह गृहस्थी की नैया को खे रहा था. ससुर और पति के खेत पर चले जाने के बाद राधा अपने टूटे हुए सपनों को जोडऩे की उधेड़बुन में लगी यही सोचती कि अब कभी उस की चाहतें पूरी नहीं होंगी.

बहरहाल, शादी हुई थी तो निभाना ही था और बच्चे भी होने ही थे. राधा ने पहले बेटी साहनी को जन्म दिया, उस के बाद बेटे को. लेकिन 2 बच्चों के बाद भी राधा दिल से अश्वनी के साथ जुड़ नहीं पाई. उसे हमेशा यह एहसास सालता रहता था कि उसे मनपसंद पति नहीं मिला.

राधा के पड़ोस में रहता था नेत्रपाल सिंह. वह कुंवारा था. पड़ोसी होने के नाते उस का राधा के घर आनाजाना था. राधा को वह भाभी कहता था. देवरभाभी के नाते कभीकभार राधा उस से हंसबोल लिया करती थी.

एक दिन राधा गांव में लगने वाले साप्ताहिक बाजार में गई तो वहां उसे नेत्रपाल सिंह मिल गया. नेत्रपाल सिंह ने उस से कहा, “भाभी, चलो आज आप को चाट खिलाऊं. वो देखो, उस ठेले पर कनपुरिया चाट मिलती है.”

चाट का नाम सुन कर राधा के मुंह में पानी आ गया. फिर वह सकुचाते हुए बोली, “लेकिन मेरे पास तो अब पैसे बचे ही नहीं है.”

“अरे भाभी, पैसों की बात मत करो, मैं हूं न, मैं खिलाउंगा तुम्हें.”

राधा उस की बात टाल नहीं सकी. चाट वाले के पास पहुंच कर नेत्रपाल सिंह बोला, “यार रामू, जरा बढिय़ा सी चाट खिलाना हमारी भाभी को.”

नेत्रपाल डालने लगा राधा पर डोरे

कुछ ही देर में चाट का पत्ता राधा के हाथ में था. राधा ने चाट खाई, फिर पानी पूरी भी खाई. चूंकि रामू नेत्रपाल सिंह का दोस्त था, अत: उस ने राधा को भरपूर आदर के साथ हर चीज पेश की. चाट खाने के बाद नेत्रपाल सिंह ने रामू को पैसे देने चाहे तो उस ने नाराजगी से कहा, “कैसी बात करता है यार, तेरी भाभी मेरी भाभी नहीं है क्या?”

बाजार से लौटते वक्त नेत्रपाल ने राधा का थैला उठाया और उसे घर के बाहर तक छोड़ गया. रास्ते में दोनों के बीच खूब बातें हुईं. नेत्रपाल का बातबात में खिलखिलाना और राधा के चेहरे को निहारना, उसे अच्छा लगा था. पहली बार उस ने नेत्रपाल को गौर से देखा था. वह स्मार्ट भी था और स्वस्थ भी. राधा की कद्र भी खूब कर रहा था.

जाते वक्त उस ने नेत्रपाल का शुक्रिया अदा किया तो वह हंसते हुए बोला, “मेरी सारी मेहनत को इस एक शब्द में बहा दिया न भाभी आप ने. अपनों को भी शुक्रिया कहा जाता है क्या?”

उस की यह अदा भी राधा को बहुत अच्छी लगी थी. उस सारी रात राधा की आंखों में नेत्रपाल सिंह का चेहरा ही घूमता रहा. उस का अपनापन, उस का अंदाज उस के उदास मन की तनहाइयों को सहलाता रहा.

तीसरे दिन की बात थी. राधा को सुबह खाना बनाने में देर हो गई थी. अश्वनी ने कहा, “राधा हमारा खाना तुम खेत पर ही दे जाना.”

खाना बना कर राधा ने टिफिन में डाला. बेटी को पड़ोस के घर छोड़ा और मासूम बेटे को गोद में ले कर वह खेत की ओर बढ़ चली. टिफिन पति को थमा कर वह खेत से घर की ओर आ ही रही थी कि रास्ते में नेत्रपाल सिंह टकरा गया. देखते ही बोला, “अरे भाभी, तुम यहां?”

“हां, तुम्हारे भैया का खाना देने खेत पर गई थी.” राधा ने मुसकरा कर जवाब दिया.

“लाओ बेटे को हमें दे दो. हम ले कर चलते हैं,” कहते हुए नेत्रपाल सिंह ने राधा की गोद से बच्चा ले लिया.

बच्चा पकड़तेे वक्त उस की अंगुलियां राधा के उरोजों के साथसाथ उस के हाथों को छू गईं. पता नहीं उस स्पर्श में ऐसा क्या था कि राधा की देह में एक सनसनी सी भर गई. पति के स्पर्श से उस ने कभी ऐसा रोमांच महसूस नहीं किया था.

घर पहुंच कर नेत्रपाल ने अनुज को गोद से उतार कर राधा की गोद में दे दिया तो एक बार फिर दोनों की अंगुलियां टकरा गईं. वही सनसनी फिर राधा की देह से गुजर गई. नेत्रपाल ने मुसकरा कर कहा, “अब चलता हूं भाभी.”

“अरे ऐसे कैसे जाओगे? तुम ने मेरी इतनी मदद की है, बदले में मेरा भी तो फर्ज बनता है. अंदर चलो, चाय पी कर जाना.” कहते हुए राधा ने घर का ताला खोला और नेत्रपाल का हाथ पकड़ कर उसे अंदर ले आई.

भीतर आ कर उस ने बेटे को गोद से उतार कर बिस्तर पर लिटा दिया. इस के बाद उस ने साड़ी का पल्लू सिर से उतारा ही था कि झटके से उस का जूड़ा खुल गया. लंबे बाल कंधों पर लहराने लगे. नेत्रपाल को राधा की यह दिलकश अदा भा गई.