बेटी बनी मां बाप की शादी की गवाह

25 अक्तूबर, 2017 को धौलपुर के आर्यसमाज मंदिर में एक शादी हो रही थी. इस शादी में हैरान करने वाली बात यह थी कि वहां न लड़की के घर वाले मौजूद थे और न ही लड़के के घर वाले. इस से भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह थी कि जिस लड़के और लड़की की शादी हो रही थी, उन की ढाई साल की एक बेटी जरूर इस शादी में मौजूद थी.

इस शादी में लड़की के घर वालों की भूमिका बाल कल्याण समिति धौलपुर के अध्यक्ष अदा कर रहे थे तो इसी संस्था के अन्य सदस्य लड़के के घर वालों तथा बाराती की भूमिका अदा कर रहे थे. इस के अलावा कुछ अन्य संस्थाओं के कार्यकर्ता भी वहां मौजूद थे.

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दरअसल, इस के पीछे जो वजह थी, वह बड़ी दिलचस्प है. राजस्थान के भरतपुर का रहने वाला 19 साल का सचिन धौलपुर के कोलारी के रहने वाले अपने एक परिचित के यहां आताजाता था. उसी के पड़ोस में अनु अपने मांबाप के साथ रहती थी. लगातार आनेजाने में सचिन और अनु के बीच बातचीत होने लगी.

ऐसे परवान चढ़ा दोनों का प्यार

15 साल की अनु को सचिन से बातें करने में मजा आता था. चूंकि दोनों हमउम्र थे, इसलिए फोन पर भी उन की बातचीत हो जाती थी. इस का नतीजा यह निकला कि उन में प्यार हो गया. मौका निकाल कर दोनों एकांत में भी मिलने लगे.

जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी अनु सचिन पर फिदा थी. उस ने तय कर लिया था कि वह सचिन से ही शादी करेगी. ऐसा ही कुछ सचिन भी सोच रहा था. जबकि ऐसा होना आसान नहीं था. इस के बावजूद उन्होंने हिम्मत कर के अपने अपने घर वालों से शादी की बात चलाई.

सचिन ने जब अपने घर वालों से कहा कि वह धौलपुर की रहने वाली अनु से शादी करना चाहता है तो उस के पिता ने उसे डांटते हुए कहा, ‘‘कमाता धमाता कौड़ी नहीं है और चला है शादी करने. अभी तेरी उम्र ही क्या है, जो शादी के लिए जल्दी मचाए है. पहले पढ़लिख कर कमाने की सोच, उस के बाद शादी करना.’’

सचिन अभी इतना बड़ा नहीं हुआ था कि पिता से बहस करता, इसलिए चुप रह गया.

दूसरी ओर अनु ने अपने घर वालों से सचिन के बारे में बता कर उस से शादी करने की बात कही तो घर के सभी लोग दंग रह गए. क्योंकि अभी उस की उम्र भी शादी लायक नहीं थी. उन्हें चिंता भी हुई कि कहीं नादान लड़की ने कोई ऐसा वैसा कदम उठा लिया तो उन की बड़ी बदनामी होगी. उन्होंने अनु को डांटाफटकारा भी और समझाया भी. यही नहीं, उस पर घर से बाहर जाने पर पाबंदी भी लगा दी गई.

घर वालों की यह पाबंदी परेशान करने वाली थी, इसलिए अनु ने सारी बात प्रेमी सचिन को बता दी. उस ने कहा कि उस के घर वाले किसी भी कीमत पर उस की शादी उस से नहीं करेंगे. जबकि अनु तय कर चुकी थी कि उस की राह में चाहे जितनी भी अड़चनें आएं, वह उन से डरे बिना सचिन से ही शादी करेगी.

घर वालों के मना करने के बाद कोई और उपाय न देख सचिन और अनु ने घर से भागने का फैसला कर लिया. लेकिन इस के लिए पैसों की जरूरत थी. सचिन ने इधरउधर से कुछ पैसों का इंतजाम किया और घर से भागने का मौका ढूंढने लगा.

दूसरी ओर अनु के घर वालों को लगा कि उन की बेटी बहक गई है, वह कोई गलत कदम उठा सकती है. हालांकि उस समय उस की उम्र महज 15 साल थी, इस के बावजूद उन्होंने उस की शादी करने का फैसला कर लिया. इस से पहले कि वह कोई ऐसा कदम उठाए, जिस से उन की बदनामी हो, उन्होंने उस के लिए लड़का देखना शुरू कर दिया.

यह बात अनु ने सचिन को बताई. सचिन अपनी मोहब्बत को किसी भी सूरत में खोना नहीं चाहता था, इसलिए योजना बना कर एक दिन अनु के साथ भाग गया. अनु को घर से गायब देख कर घर वाले समझ गए कि उसे सचिन भगा ले गया है. अनु के पिता अपने शुभचिंतकों के साथ थाने पहुंचे और सचिन के खिलाफ अपहरण और पोक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी.

मामला नाबालिग लड़की के अपहरण का था, इसलिए पुलिस ने तुरंत काररवाई शुरू कर दी. धौलपुर के कोलारी का रहने वाला सचिन का जो परिचित था, उस से पूछताछ की गई. उसे साथ ले कर पुलिस भरतपुर स्थित सचिन के घर गई, लेकिन वह वहां नहीं मिला.

पुलिस ने उस के घर वालों से भी पूछताछ की, पर उन्हें सचिन और अनु के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. सचिन की जहांजहां रिश्तेदारी थी, पुलिस ने वहांवहां जा कर जानकारी हासिल की. सभी ने यही बताया कि सचिन उन के यहां नहीं आया है.

सचिन का फोन नंबर भी स्विच्ड औफ था. पुलिस के पास अब ऐसा कोई जरिया नहीं था, जिस से उस के पास तक पहुंच पाती. इधरउधर हाथपैर मारने के बाद भी पुलिस को सफलता नहीं मिली तो वह धौलपुर लौट आई.

पुलिस को महीनों बाद भी न मिला दोनों का सुराग

अनु के गायब होने से उस के मातापिता बहुत परेशान थे. उन्हें चिंता सता रही थी कि उन की बेटी पता नहीं कहां और किस हाल में है. पुलिस में रिपोर्ट वे करा ही चुके थे. जब पुलिस उसे नहीं ढूंढ सकी तो उन के पास ऐसा कोई जरिया नहीं था कि वे उसे तलाश पाते. महीना भर बीत जाने के बाद भी जब अनु के बारे में कहीं से कोई खबर नहीं मिली तो वे शांत हो कर बैठ गए.

पुलिस को भी लगने लगा कि सचिन और अनु किसी दूसरे शहर में जा कर रह रहे हैं. पुलिस ने राजस्थान और उत्तर प्रदेश के सभी थानों में दोनों का हुलिया भेज कर यह जानना चाहा कि कहीं उस हुलिए से मिलतीजुलती डैडबौडी तो नहीं मिली है.

सचिन उत्तर प्रदेश के इटावा का मूल निवासी था और उस के ज्यादातर रिश्तेदार उत्तर प्रदेश में ही रहते थे. इसलिए वहां के थानों को भी सूचना भेजी गई थी. इस से भी पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली.

समय बीतता रहा और पुलिस की जांच अपनी गति से चलती रही. थानाप्रभारी ने हिम्मत नहीं हारी. वह अपने स्रोतों से दोनों प्रेमियों के बारे में पता करते रहे. एक दिन उन्हें मुखबिर से जानकारी मिली कि सचिन अनु के साथ इटावा में रह रहा है.

यह उन के लिए अच्छी खबर थी. अपने अधिकारियों को सूचित करने के बाद वह पुलिस टीम के साथ मुखबिर द्वारा बताए गए इटावा वाले पते पर पहुंच गए. मुखबिर की खबर सही निकली. सचिन और अनु वहां मिल गए. लेकिन उस समय अनु 7 महीने की गर्भवती थी. पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया और उन्हें धौलपुर ले आई.

पुलिस ने दोनों को न्यायालय में पेश किया, जहां अनु ने अपने प्रेमी सचिन के पक्ष में बयान दिया. अनु के मातापिता को बेटी के मिलने पर खुशी हुई थी. वे उसे लेने के लिए कोर्ट पहुंचे. बेटी के गर्भवती होने की बात जान कर भी उन्होंने अनु से घर चलने को कहा. पर अनु ने कहा कि वह मांबाप के घर नहीं जाएगी. वह सचिन के साथ ही रहेगी.

चूंकि सचिन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज थी, इसलिए न्यायालय ने उसे जेल भेजने के आदेश दे दिए थे. घर वालों के काफी समझाने के बाद भी जब अनु नहीं मानी तो कोर्ट ने उसे बालिका गृह भेज दिया. अनु 7 महीने की गर्भवती थी, इसलिए बालिका गृह में उस का ठीक से ध्यान रखा गया. समयसमय पर उस की डाक्टरी जांच भी कराई जाती रही. वहीं पर उस ने बेटी को जन्म दिया. बेटी के जन्म के बाद भी अनु की सोच नहीं बदली, वह प्रेमी के साथ रहने की रट लगाए रही.

सचिन जमानत पर छूट कर जेल से बाहर आ गया था. उसे जब पता चला कि अनु ने बेटी को जन्म दिया है और वह अभी भी बालिका गृह में है तो उसे बड़ी खुशी हुई. वह उसे अपने साथ रखना चाहता था. इस बारे में उस ने वकील से सलाह ली तो उस ने कहा कि जब तक उस की उम्र 18 साल नहीं हो जाएगी, तब तक शादी कानूनन मान्य नहीं होगी. अनु ने तय कर लिया था कि जब तक वह बालिग नहीं हो जाएगी, वह बालिका गृह में ही रहेगी.

अनु अपनी बेटी के साथ वहीं पर दिन बिताती रही. उस के घर वालों ने उस से मिल कर उसे लाख समझाने की कोशिश की, पर वह अपनी जिद से टस से मस नहीं हुई. उस ने साफ कह दिया कि वह सचिन को हरगिज नहीं छोड़ सकती.

बाल कल्याण समिति, धौलपुर के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह परमार को जब अनु और सचिन के प्रेम की जानकारी हुई तो वह इन दोनों से मिले. इन से बात करने के बाद उन्होंने तय कर लिया कि वह इन की शादी कराएंगे, ताकि इन की बेटी को भी मांबाप दोनों का प्यार मिल सके. वह भी अनु के बालिग होने का इंतजार करने लगे.

16 अक्तूबर, 2017 को अनु की उम्र जब 18 साल हो गई तो उसे आशा बंधी कि लंबे समय से प्रेमी से जुदा रहने के बाद अब वह उस के साथ रह सकेगी. अब तक उस की बेटी करीब ढाई साल की हो चुकी थी. उसे भी पिता का प्यार मिलेगा.

सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारियों ने कराया दोनों का विवाह

अनु के बालिग होने पर धौलपुर की बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह परमार ने उन के विवाह की तैयारियां शुरू कर दीं. इस बारे में उन्होंने भरतपुर की बाल कल्याण समिति और सामाजिक संस्था प्रयत्न के पदाधिकारियों से बात की. वे भी इस काम में सहयोग करने को तैयार हो गए.

अनु धौलपुर की थी और बिजेंद्र सिंह परमार भी वहीं के थे, इसलिए उन्होंने तय किया कि वह इस शादी में लड़की वालों का किरदार निभाएंगे. जबकि सचिन भरतपुर का था, इसलिए बाल कल्याण समिति, भरतपुर के पदाधिकारियों ने वरपक्ष की जिम्मेदारियां निभाने का वादा किया.

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हैरान करने वाली इस शादी का आयोजन धौलपुर के आर्यसमाज मंदिर में किया गया. इस मौके पर विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारियों के अलावा पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे. तमाम लोगों की मौजूदगी में सचिन और अनु की शादी संपन्न हुई. शादी में उन की ढाई साल की बेटी भी मौजूद थी.

सामाजिक संस्था प्रयत्न के एडवोकेसी औफिसर राकेश तिवाड़ी ने बताया कि उन का मकसद था कि ढाई साल के बच्चे को उस के मातापिता का प्यार मिले और अनु को भी समाज में अधिकार मिल सके.

सचिन और अनु दोनों वयस्क हैं. वे अपनी मरजी से जीवन बिताने का अधिकार रखते हैं. यह शादी सामाजिक दृष्टि से भी उचित है. अब वे अपना जीवन खुशी से बिता सकते हैं. खास बात यह रही कि इस शादी में वर और कन्या के घर का कोई भी मौजूद नहीं था.

वहां मौजूद सभी लोगों ने वरवधू को आशीर्वाद दिया. शादी के बाद सचिन अनु को अपने घर ले गया. सचिन के घर वालों ने अनु को अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर लिया. अनु भी अपनी ससुराल पहुंच कर खुश है.

भाभी की सुपारी का राज

भाभी की सुपारी का राज – भाग 3

इस बारे में जांच की तो पता चला कि पुष्पेंद्र की मौत के बाद उस के घर वालों ने तय कर लिया था कि सुशीला की शादी पुष्पेंद्र के छोटे भाई मनोज से करा देंगे, मनोज गांव में रह कर खेती संभालता था.

मनोज को लगा कि इस से भाई की मौत पर मिलने वाले पैसे भी उस को मिल जाएंगे. अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति भी सुशीला को मिल जाएगी, लेकिन इधर जब सुधा चौधरी को पुष्पेंद्र की मौत पर रुपयों की एक किस्त मिल भी गई थी तो मनोज को लगा कि इस तरह उस के सारे मंसूबों पर पानी फिर जाएगा.

ऐसे में मनोज ने डेढ़ महीने पहले से सुधा के मर्डर की प्लानिंग शुरू कर दी थी. उस ने सोचा कि सुधा की हत्या के बाद रुपए सुशीला को मिल जाएंगे और प्रौपर्टी में भी बंटवारा नहीं हो सकेगा.

5 लाख रुपए में दी सुधा की हत्या की सुपारी

ऐसे विचार मन में आए तो मनोज अपनी भाभी सुधा का मर्डर करवाने के लिए शूटर की तलाश करने लगा. मगर उसे कोई शूटर नहीं मिला. मनोज तब अपनी दूसरी भाभी सुशीला के भाई माधव व सुशीला के चचेरे भाई शिशुपाल निवासी बैरू का नगला, जिला मथुरा, उत्तर प्रदेश से मिला.

मनोज ने सुशीला के दोनों भाइयों माधव और शिशुपाल से कहा, “सुधा का मर्डर करवा दो. हमारी संपत्ति को ले कर मामला चल रहा है. हम लोग बरबाद हो रहे हैं. सुधा की मौत के बाद सारी संपत्ति सुशीला और मेरी हो जाएगी.”

“मनोज, मर्डर तो हो जाएगा लेकिन पैसे खर्च करने पड़ेंगे. पैसों के लिए शूटर की लाइन लगा दूंगा.” माधव ने कहा.

“कितने रुपए लगेंगे सुधा के मर्डर के?” मनोज ने पूछा.

“5 लाख खर्च करने पड़ेंगे. मैं काम करवा दूंगा.” शिशुपाल बोला.

सुधा की मौत के लिए 5 लाख में सौदा तय हो गया. माधव जाट ने एक नाबालिग से संपर्क किया, जो उस की जानपहचान का था एवं भरतपुर का रहने वाला था. माधव ने उस से सुधा का मर्डर करवाने के लिए 5 लाख में सौदा तय कर लिया.

मनोज ने 4 हजार रुपए एडवांस में दे दिए. बाकी रकम काम हो जाने के बाद देने का वादा किया. सुधा के मर्डर से 2 दिन पहले माधव ने 22 जून, 2023 को नाबालिग को 2 कट्टे ला कर दे दिए. नाबालिग और माधव ने सुधा की पहचान कर ली. उन्हें पता था कि सुधा सुबह भरतपुर में स्थित अपने गैस प्लांट जाती है और शाम के समय में नदबई वापस लौटती है.

24 जून, 2023 को बाइक पर आगे माधव व पीछे नाबालिग नदबई बस स्टैंड पर निगाह जमाए दोपहर बाद से खड़े थे. शाम करीब 4 बजे जब सुधा बस से उतर कर बेटे अनुराग के साथ स्कूटी पर घर के लिए निकली तो ये दोनों उस का पीछा करने लगे. रास्ते में सुधा ने खरीदारी की.

इस के बाद जब स्कूटी पर मांबेटा रवाना हुए तो माधव ने बाइक स्कूटी के पीछे भगा दी. कासगंज रोड पर मौका मिलते ही माधव ने बाइक जब स्कूटी के बराबर की तो नाबालिग ने दोनों कट्टों को दोनों हाथों में लिया और सुधा पर गोलियां दाग दीं और फरार हो गए.

अनुराग ने माधव जाट को पहचान लिया था. हत्या वाले दिन 24 जून, 2023 को भी मनोज दोनों शूटरों के संपर्क में था. जब उसे खबर मिल गई कि सुधा की हत्या कर दी गई है तो मनोज भी जयपुर भाग गया था.

पुलिस के हत्थे चढ़े आरोपी

मनोज के द्वारा शूटर के बारे में दी जानकारी के बाद पुलिस टीमें उत्तर प्रदेश रवाना हो गईं. 26 जून, 2023 को नदबई थाने की पुलिस ने आरोपी मनोज को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. पुलिस ने आरोपी माधव, शिशुपाल व एक नाबालिग के फरार होने के बाद उन तीनों पर 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया था.

एसएचओ श्रवण पाठक को 27 जून, 2023 को आरोपियों माधव जाट और शिशुपाल जाट की मोबाइल लोकेशन मथुरा की मिली थी. पुलिस टीम राजस्थान से उत्तर प्रदेश पहुंच कर तलाश कर रही थी.

पुलिस टीम को सूचना मिली थी कि माधव और शिशुपाल एक नाबालिग के साथ धनवाड़ा पूंठ की खदानों में छिपे हुए हैं. वे तीनों रात को कहीं बाहर जाने की फिराक में हैं. फिर क्या था, पुलिस टीम अंधेरा घिरते ही धनवाड़ा पूंठ की खदानों में आरोपियों की तलाश में जुट गए.

पुलिस टीम जब सर्च करते हुए एक बंद पड़ी खदान में पहुंची तो तीनों आरोपी वहां से भागने लगे, पुलिस टीम ने पीछा किया. हड़बड़ाहट में तीनों आरोपी खदान में दौड़ते समय गिर कर घायल हो गए. पुलिस टीम ने उन तीनों को हिरासत में लिया और तीनों को कुम्हेर अस्पताल ले गए. जहां से तीनों आरोपियों का प्राथमिक उपचार करा कर भरतपुर के सरकारी अस्पताल आरबीएम ले आई.

माधव, शिशुपाल और नाबालिग से पुलिस ने पूछताछ की तो उन्होंने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. सुधा चौधरी की हत्या का जुर्म कुबूल करने के बाद नाबालिग को बाल न्यायालय में पेश कर बाल सुधार गृह भेज दिया गया. वहीं आरोपियों माधव जाट और शिशुपाल जाट का आरबीएम सरकारी अस्पताल, भरतपुर में 28 जून, 2023 को इलाज कराया. उन के पैरों में चोट लगी थी, इस कारण प्लास्टर किया गया था.

चारों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद सुधा चौधरी हत्याकांड का पूरी तरह खुलासा हो चुका था. एसपी मृदुल कच्छावा ने 28 जून, 2023 को प्रैसवार्ता कर सुधा चौधरी हत्याकांड का खुलासा कर दिया.

पुलिस ने सुशीला एवं अन्य से पूछताछ की. मगर उन की संलिप्तता सुधा मर्डर में कहीं नजर नहीं आई. कथा संकलन तक आरोपियों माधव और शिशुपाल जाट का अस्पताल में इलाज चल रहा था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

भाभी की सुपारी का राज – भाग 2

पुलिस टीमों ने मनोज के संभावित जगहों पर होने की परिजनों से जानकारी ली. इस के बाद मनोज को उसी रात जयपुर से धर दबोचा और उसे पुलिस टीम थाने ले आई.

25 जून, 2023 को थाने में उस से सख्ती से पूछताछ की तो सुधा चौधरी हत्याकांड पर से परदा उठ गया. पुलिस ने 24 घंटे में ही मर्डर मिस्ट्री सौल्व कर ली. हत्या का आरोपी कोई और नहीं बल्कि सुधा का देवर मनोज ही निकला. उस ने ही 5 लाख रुपए में अपनी भाभी सुधा चौधरी की हत्या कराई थी. उस से पूछताछ के बाद सुधा चौधरी की हत्या की जो सनसनीखेज कहानी सामने आई, वह इस प्रकार है—

राजस्थान के भरतपुर जिले के अंतर्गत एक गांव बुढ़वारी खुर्द आता है. इसी गांव में पुष्पेंद्र सिंह चौधरी अपने परिवार रहता था. बचपन से ही मेहनती पुष्पेंद्र पढ़ाई के साथ खेलकूद में भी अव्वल था. सुबह जल्दी उठ कर दौड़भाग करने वाला पुष्पेंद्र सीआरपीएफ में भरती हो गया था.

घर परिवार में खुशियां मनाई गईं. पुष्पेंद्र की जब सरकारी नौकरी लगी तो आज से 18 साल पहले उस के योग्य लडक़ी की खोजबीन शुरू हुई. एक रिश्तेदार ने हाथरस (उत्तर प्रदेश) के सालाबाद निवासी बदनसिंह की बेटी सुधा के बारे में बता कर हिम्मत सिंह चौधरी से कहा, “चौधरी साहब, मेरी मानो तो पुष्पेंद्र के लिए सुधा जैसी गोरी और बला की खूबसूरत बीवी ले आओ. सुधा पढ़ीलिखी और सर्वगुण संपन्न है.”

“एक दिन आप साथ चल कर बता दें तो फिर देख कर रिश्ता पक्का करें.” हिम्मत सिंह ने कहा.

“शुभ काम में देरी नहीं करनी चाहिए. कल ही चलते हैं तैयार हो जाओ.”

“चलो ठीक है, कल चलते हैं.”

इस तरह सालाबाद (हाथरस) आ कर सुधा को देखा. गोरे रंग की तीखे नयननक्श वाली सुधा को पहली नजर में ही पुष्पेंद्र के लिए पसंद कर लिया गया. रिश्ता पक्का कर दिया गया. थोड़े दिन बाद शादी का मुहूर्त निकला. आज से 18 वर्ष पूर्व पुष्पेंद्र की सुधा से शादी हो गई.

एक साल बाद सुधा को बेटा हुआ, उस का नाम अनुराग रखा गया. अनुराग के जन्म के बाद सुधा उसे पालने पोसने में लग गई. पति ज्यादातर ड्यूटी पर रहते थे. बेटे की देखरेख में घर का काम समय पर नहीं होता तो सास उस से लडऩे लगती थी.

सुधा लाख सफाई देती कि वह अनुराग को नहलाधुला रही थी. मगर सास उस की एक भी न सुनती और कहती, “हम ने भी तो बच्चे पैदा किए थे, उन्हें संभालते हुए घर का सारा कामकाज करते थे. खेती का काम भी करती थी और पशु भी पालते थे.”

वगैरह वगैरह तमाम बातें बता कर यह जताती थी कि तुम कामचोर हो.

मां के बहकावे में उजाड़ी गृहस्थी

सासबहू की रोज किचकिच होने लगी. पुष्पेंद्र छुट्टी पर घर आता तो मां उस के कान भरती. पुष्पेंद्र मां का पक्ष लेता तो सुधा उस से लड़ पड़ती. पुष्पेंद्र भी लड़ पड़ता. अनुराग मात्र 2 साल का था तब यानी आज से 15 साल पहले रोजरोज के झगड़ों से आजिज आ कर सुधा अपने मायके जा बैठी.

पुष्पेंद्र को मां इस कदर भडक़ाती कि पुष्पेंद्र को सुधा फूटी आंख नहीं सुहाती थी. एक बार पतिपत्नी का रिश्ता खराब हुआ तो वह वक्त के साथ टूटता ही गया. सुधा काफी समय मायके में रही. फिर वह नदबई आ कर रहने लगी. उस ने भरतपुर में औक्सीजन गैस प्लांट पार्टनरशिप में लगा लिया. इस प्लांट से उसे अच्छी आय होती थी.

सुधा कासगंज रोड नदबई में अपने बेटे अनुराग के साथ रहती थी. वह सुबह भरतपुर गैस प्लांट जाती और शाम तक नदबई वापस लौट आती. सुधा एक तरह से अपने बेटे अनुराग के लिए जी रही थी. सुधा और पुष्पेंद्र ने तलाक नहीं लिया था. मगर वे अलगअलग पिछले 15 सालों से रह रहे थे.

पुष्पेंद्र ने एक तरह से सुधा को शादी के 2 साल बाद ही छोड़ दिया था. दोनों के बीच तलाक नहीं हुआ था. इस के बावजूद पुष्पेंद्र ने 3 साल पहले बेरू का नंगला, मथुरा (उत्तर प्रदेश) निवासी सुशीला के साथ दूसरी शादी कर ली. हालांकि कोर्ट से तलाक हुए बिना यह शादी गैरकानूनी थी.

सुशीला से भी एक बेटा लाव्यांश हो गया था. सुधा को जब पुष्पेंद्र की सुशीला से दूसरी शादी एवं उस के बाद बेटा होने का पता चला तो वह जलभुन गई थी. सुधा चौधरी नदबई नगरपालिका के दिसंबर 2021 में हुए चुनावों में कांग्रेस के टिकट से वार्ड नंबर 21 की प्रत्याशी थी. मगर वह चुनाव हार गई थी.

चुनाव के बाद सुधा चर्चा में आ गई थी. सुधा चौधरी जाट महासभा की यूथ विंग की अध्यक्ष भी थी. वह राजनीतिक पार्टियों में पूरी तरह से एक्टिव रहती थी. उस के और पुष्पेंद्र के बीच कोर्ट में तलाक का मुकदमा चल रहा था, लेकिन तलाक हुआ नहीं था. पति से अलग होने के बाद से सुधा अपने मातापिता को हाथरस से नदबई ले आई थी. वह मातापिता और बेटे अनुराग के साथ नदबई में रहती थी.

पुलिस को जांच में पता चला था कि परिवार में विवाद है. 2 पत्नियों के बीच विवाद के 4 कारण थे. पुष्पेंद्र सिंह सीआरपीएफ में थे. उन की दुर्घटना में 27 जुलाई, 2022 को मृत्यु हो गई थी. इस के बाद फैमिली क्राइम के तानेबाने बुनने शुरू हो गए.

पुष्पेंद्र की मौत के बाद भिड़ गईं दोनों पत्नियां

पुष्पेंद्र सिंह की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति के नियम के तहत बेटे को नौकरी दी जानी थी. ऐसे में सुधा चौधरी और सुशीला दोनों ही अपनेअपने बेटों को नौकरी दिलाना चाहती थीं. इस के अलावा दूसरा कारण पति की पेंशन भी थी.

पुष्पेंद्र की मौत के बाद सरकार की ओर से लाखों रुपए दिए जाने थे. इन पैसों के लिए भी सुधा और सुशीला के बीच में लड़ाई शुरू हो चुकी थी. साथ ही पुष्पेंद्र के नाम पर गांव में खेती की काफी जमीन है. इस को लेकर भी दोनों में विवाद था.

जांच में पुलिस को पता चला कि सुशीला ने आधार कार्ड से ले कर अपने सारे डाक्यूमेंट्स में नाम चेंज करवा लिया था. उस के खिलाफ नदबई थाने में सुधा चौधरी ने रिपोर्ट भी दर्ज करवा दी थी. सुशीला के बेटे लाब्यांश के पिता के नाम को ले कर भी मथुरा गेट थाने में सुधा ने रिपोर्ट दर्ज करवा दी थी.

मामले में सब से बड़ा सवाल यह था कि जब पुष्पेंद्र की दोनों पत्नियों के बीच विवाद था तो देवर मनोज ने भाई पुष्पेंद्र की पहली पत्नी सुधा की हत्या की सुपारी क्यों दी?

कहानी के अगले अंक में पढ़िए, मनोज ने क्यों अपनी ही भाभी की हत्या करवा दी?

भाभी की सुपारी का राज – भाग 1

24 जून, 2023 का दिन था. शाम के पौने 5 बजे का समय था. 36 वर्षीया सुधा चौधरी अपने 17 साल के बेटे अनुराग के साथ स्कूटी द्वारा नदबई बस स्टैंड से कासगंज रोड पर स्थित अपने घर की ओर आ रही थी. तभी रास्ते में बाइक सवार 2 बदमाश उस का पीछा करने लगे. उन दोनों ने ही मुंह पर कपड़ा बांध रखा था. उस समय स्कूटी उस का बेटा अनुराग चला रहा था.

उस की स्कूटी जब सरस्वती मैरिज होम के पास स्थित मंदिर के नजदीक पहुंची ही थी कि बाइक पर पीछा कर रहे युवकों में से पीछे बैठे युवक ने स्कूटी के बराबर पहुंचते ही सुधा चौधरी पर 2 गोलियां चलाईं. गोली लगते ही सुधा की चीख निकल गई. उस के शरीर से खून का फव्वारा फूट पड़ा. जब तक लोग माजरा समझते, बाइक सवार हमलावर फरार हो गए थे. दिनदहाड़े हुई इस वारदात के बाद इलाके में सनसनी फैल गई थी. सुधा चौधरी का बेटा अनुराग बालबाल बच गया था.

यह घटना राजस्थान के जिला भरतपुर के नदबई कस्बे में घटी थी. सुधा चौधरी के एक गोली कंधे से होती हुई हार्ट तक पहुंच गई थी, यही गोली मौत का कारण बनी थी. दूसरी गोली उन की कमर से नीचे लगी थी. गोलियां लगते ही सुधा चौधरी स्कूटी से गिर पड़ी थी.

स्कूटी रोक कर अनुराग लोगों की मदद से अपनी मम्मी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नदबई ले गया. डाक्टर ने सुधा चौधरी को मृत घोषित कर दिया था. अस्पताल द्वारा थाना नदबई को फोन पर घटना की इत्तिला दे दी गई.

दिनदहाड़े एक महिला को सरेराह गोलियों से भूनने की खबर मिलते ही नदबई थाना के एसएचओ श्रवण पाठक पुलिस टीम के साथ अस्पताल पहुंच गए थे. इस के बाद उन्होंने घटनास्थल पर पहुंच कर शुरुआती जांच शुरू कर दी. आसपास के दुकानदारों से भी उन्होंने वारदात के बारे में पूछताछ की.

पुलिस ने सुधा चौधरी के शव को कब्जे में ले कर मोर्चरी में रखवा दिया. मृतका का बेटा अनुराग सिसकसिसक कर रो रहा था. उसे श्रवण पाठक ने दिलासा दे कर चुप कराया और घटना के बारे में पूछताछ की. एसएचओ श्रवण पाठक ने शव मोर्चरी में रखवाने के बाद उच्चाधिकारियों को घटना की खबर दे दी.

अनुराग ने पुलिस को दी घटना की जानकारी

घटना की खबर पा कर मृतका के मायके से एवं नदबई में रहने वाले आसपड़ोस के लोग भी अस्पताल व घटनास्थल पर पहुंच गए थे. हर कोई हैरत में था कि सुधा चौधरी जैसी दयालु, समझदार एवं हर किसी के दुखसुख में शामिल रहने वाली महिला की हत्या किस व्यक्ति ने और क्यों कर डाली.

सवाल अपनी जगह थे, मगर सच यही था कि 15 वर्ष से सुधा अपने पति पुष्पेंद्र चौधरी से अलग रह रही थी. पुष्पेंद्र सिंह सीआरपीएफ में नौकरी करता था. पुष्पेंद्र ने करीब 3 साल पहले सुशीला चौधरी नामक युवती से दूसरी शादी कर ली थी. पुष्पेंद्र 27 जुलाई, 2022 को दुर्घटना में चल बसा था.

सुधा और पुष्पेंद्र का तलाक नहीं हुआ था. बगैर तलाक लिए पुष्पेंद्र ने सुशीला से शादी कर ली थी. वह शादी कानून के हिसाब से मान्य नहीं थी. पुलिस को जैसेजैसे जानकारी मिल रही थी, मामला पेचीदा लगने लगा था.

मृतका सुधा के बेटे अनुराग चौधरी (17 साल) ने पुलिस को अपने बयान में बताया, “मैं और मेरी मम्मी सुधा चौधरी (36 वर्ष) पिछले 15 सालों से कासगंज रोड नदबई में अपने पिता पुष्पेंद्र सिंह चौधरी से अलग रह रहे थे. मम्मी का पार्टनरशिप में भरतपुर में औक्सीजन गैस प्लांट है. मम्मी हमेशा की तरह 24 जून, 2023 की सुबह नदबई से भरतपुर गैस प्लांट पर गई थीं. दोपहर साढ़े 3 बजे भरतपुर से बस में बैठ कर वह नदबई आईं.

“उन्होंने बस में बैठने के बाद मुझे फोन कर के स्कूटी लाने को कहा था. वह स्कूटी ले कर नदबई बस स्टैंड पर पहुंच गया था. भरतपुर वाली बस से उतरीं और मेरे पीछे स्कूटी पर बैठ गईं. बाजार से मम्मी ने कुछ खरीदारी की और फिर दोनों स्कूटी से घर की तरफ रवाना हो गए.

“जब स्कूटी कासगंज रोड पर देवी मां के मंदिर के पास पहुंची, तभी बाइक सवार 2 बदमाश स्कूटी के समीप पहुंचे और पीछे बैठे व्यक्ति ने दोनों हाथों में लिए कट्टों से मम्मी पर 2 फायर झोंके और फरार हो गए.”

घटना की खबर मिलते ही सीओ (नदबई) नीतिराज सिंह भी घटनास्थल पर पहुंचे और घटना की जानकारी ली. घटनास्थल का मौका मुआयना किया. उन के निर्देश पर पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो काले रंग की बाइक पर 2 व्यक्ति नजर आए. एसएचओ श्रवण पाठक ने सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद संभावित स्थानों पर दबिश दी.

अनुराग ने अपने नाना बदन सिंह निवासी सालाबाद, हाथरस (उत्तर प्रदेश) के साथ 24 जून, 2023 को थाने पहुंच कर अपनी मम्मी की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई.

चाचा के खिलाफ लगाई रिपोर्ट

अनुराग ने पुलिस को बताया था कि उस के चाचा मनोज चौधरी व सुशीला ने हत्या कराई है, क्योंकि पहले भी माधव के चचेरे भाई शिशुपाल के साथ मिल कर चाचा मनोज ने उन्हें मारने की धमकी दी थी. अनुराग ने आरोप लगाया कि मम्मी की हत्या में दादी रामदेई व बाबा के भाई गुटयारी उर्फ फत्ते का भी हाथ है.

अनुराग की तहरीर पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया. अनुराग व उस के नाना बदन सिंह द्वारा दी गई जानकारी के बाद पुलिस आरोपियों की खोजबीन करने लगी.

उधर 24 जून, 2023 की शाम को मैडिकल बोर्ड गठित कर सुधा चौधरी के शव का पोस्टमार्टम करा कर पुलिस ने शव परिजनों को सौंप दिया.

इस केस को सुलझाने के लिए भरतपुर के एसपी मृदुल कच्छावा के निर्देश पर विशेष पुलिस टीम का गठन किया गया. इस टीम में मनीषा लाडो (आरपीएस प्रोबेशनर), लखनपुर एसएचओ श्रवण पाठक एएसआई ओम प्रकाश, कांस्टेबल अमित, जयदेव, सुकेश मीना, थाना लखनपुर के एसएचओ, एसएचओ (कुम्हेर) गौरव कुमार, डीएसटी टीम के एएसआई बलदेव सिंह व बाबूलाल, हैडकांस्टेबल वीरेंद्र, सत्यवीर गिरधारी, जगदीश, अमर सिंह, कांस्टेबल लक्ष्मण सिंह आदि शामिल थे.

पुलिस टीम ने सर्वप्रथम सुधा चौधरी की ससुराल बुढ़वारी खुर्द जा कर ससुराल वालों से पूछताछ की. पता चला कि मनोज चौधरी गांव से फरार हो गया है. यह साफ संकेत था कि जरूर सुधा चौधरी हत्याकांड में मनोज का हाथ है. अगर वह निर्दोष था तो फरार क्यों हुआ था.

क्या सच में मनोज ने ही अपने भाभी की हत्या करवाई थी? या इस हत्या के पीछे कोई और था? जानने के लिए पढ़ें कहानी का अगला भाग.