Rajasthan News: अनीता राज चंचल स्वभाव की थी. सासससुर के खिलाफ मुकदमा लिखवाने के बाद वह पति के साथ अलवर में रहने लगी. यहां मकान मालिक मानसिंह उर्फ वीरू से प्यार हो जाने के बाद वह पति को छोड़ वीरू जाटव के संग रहने लगी. इसी दौरान उस के नैन काशीराम प्रजापति से लड़ गए तो नए प्रेमी के साथ रहने के लिए उस ने ऐसी खूनी वारदात को अंजाम दिया कि…
काशीराम प्रजापति जब कई दिनों बाद अनीता राज से मिलने आया, तब वह उलाहना देती हुई बोली, ”लगता है अब तुम्हारा मुझ से मन भर गया है, कोई दूसरी फंसा ली क्या?’’
”अरे नहीं डार्लिंग, वैसा कुछ नहीं है मेरे मन में, तुम्हारा दूसरा पति वीरू ही अड़चन बना हुआ है. बड़ी मुश्किल से
मैं ने उस की टूटी दोस्ती में अपनी गांठ बांधी है.’’
”ऐसा क्यों किया?’’
”उसे हमारे संबधों पर शक हो गया है. हम पर निगरानी रखे हुए है. इस कारण मैं कई दिनों तक तुम से मिलने नहीं आया. उसे विश्वास में लेने के लिए ही उस के साथ दोबारा दोस्ती का हाथ मिलाया है.’’ काशीराम ने समझाया.
”मगर उसे दोबारा हमारे संबंधों पर शक हुआ तो?’’ अनीता चिंता जताती हुई बोली.
”तब मैं उस का परमानेंट इलाज कर दूंगा यानी खल्लास,’’ काशीराम तपाक से आक्रोश के साथ बोल पड़ा.
”तो देर किस बात की? जल्दी ही कर दो यह काम.’’ अनीता बोली.
अनीता की यह बात सुन कर काशीराम खुश हो गया, क्योंकि अब अनीता भी उस का साथ देने को तैयार हो गई थी. वह अनीता के चेहरे को चाहत भरी नजरों से निहारने लगा.
”मुझे क्या घूर रहे हो…मैं ने हां कह तो दिया, किंतु उस की मौत नैचुरल दिखनी चाहिए.’’
”वह कैसे होगा?’’ काशीराम बोला.
”और पास आओ बताती हूं… मैं ने सारा प्लान सोच रखा है!’’ अनीता काशीराम के शर्ट का कौलर अपनी ओर खींचती हुई बोली.
फिर दोनों के बीच आधे मिनट तक खुसरफुसर होती रही. भावावेश में काशीराम ने अनीता के होंठों को चूम लिया था. अलग होती हुई अनीता बोली, ”फिर उस के बाद हम लोग शादी कर लेंगे.’’
किंतु अभी भी काशीराम के मन में प्लान की सफलता को ले कर संदेह दूर नहीं हुआ था. उस ने अपनी शंका अनीता से जाहिर की.
”तुम्हें जरा भी संदेह है तो सुपारी किलर हायर कर लो, मैं 2 लाख रुपए देती हूं.’’ वह बोली.
उस के बाद अनीता उठ कर दूसरे कमरे में चली गई. जब वापस लौटी, तब उस की हाथ में 5-5 सौ के कुछ नोट थे. प्लान के मुताबिक तय तारीख 7 जून, 2025 को काशीराम ने अनीता को कौल किया. उसे आधी रात को घर का मुख्य दरवाजा खुला रखने को कहा. अनीता की हामी मिलने पर काशीराम रात के करीब 2 बजे भाड़े के 4 साथियों के साथ वीरू के घर के करीब पहुंच गया. वीरू राजस्थान के अलवर जिले के खेड़ली कस्बे में बाईपास रोड पर स्थित अपने घर में सोया हुआ था.
घर का मेन गेट खुला था. उस से पांचों अंदर दाखिल हो गए. सभी कमरे के बाहर बाउंड्री के भीतर चारपाई पर सो रहे वीरू के पास जा पहुंचे. काशी ने मानसिंह उर्फ वीरू के सिरहाने से तकिया एक झटके में खींच लिया और उस से वीरू का मुंहनाक दबा दिया. बाकी चारों ने और अनीता ने एक साथ वीरू के हाथपैर दबोच लिए. वीरू कुछ सेकेंड तक छटपटाया और उस की मौत हो गई.
तभी एक व्यक्ति की नजर एक 9 बच्चे पर पर गई, जो आंखें मलते हुए उन्हें देख रहा था.
”अरे यह तो वीरू का बेटा है… इस ने हमें देख लिया है. अब क्या होगा?’’
काशीराम के मुंह से अचानक चिंता के ये शब्द निकल पड़े.
वह अनीता के साथ उस के पास गया. उस के कानों में फुसफुसाया और उसे उस के कमरे में जा कर सुला दिया. अनीता अपने कमरे में चली गई. 9 वर्षीय बेटे को जागते हुआ देखा. वह गुमसुम था. कुछ बोल नहीं पा रहा था. उसे पुचकारते हुए समझाने लगी. उस ने कहा कि जो कुछ देखा, किसी को नहीं बताए. कोई पूछे भी तो कहना है कि वह सो रहा था, उसे कुछ नहीं मालूम. प्लान के मुताबिक 8 जून, 2025 की सुबह करीब साढ़े 4 बजे अनीता ने अपनी जेठानी को कौल कर कहा कि जल्दी आओ, वीरू की तबीयत खराब हो गई है. अस्पताल ले जाना होगा.

जल्द ही परिवार के कई लोग वहां पहुंच गए. उसे तुरंत खेड़ली के उपजिला चिकित्सालय ले जाया गया. अस्पताल में कुछ दूसरे परिजन भी पहुंच गए. उन में वीरू का भाई खेमचंद उर्फ गब्बर जाटव भी था. डौक्टर ने स्ट्रेचर पर वीरू की नब्ज टटोली और तुरंत मृत घोषित कर दिया. यह सुनते ही वहां मौजूद वीरू के फेमिली वाले सन्न रह गए. अनीता सदमे में आ कर वहीं धम्म से जमीन पर बैठ गई. उस के मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी. आंखें पथराई जैसी हो गई थीं. एक बूंद आंसू नहीं निकले थे. उसे फेमिली वालों ने संभाला. इसी बीच वहां काशीराम प्रजापति भी पहुंच गया.
वीरू के भाई गब्बर को यह बात गले नहीं उतर रही थी कि कुछ घंटे पहले ही रात के 10 बजे जब वह अपने नए घर में सोने गया था, तब तो वीरू एकदम भलाचंगा था. फिर अचानक उसे क्या हो गया? इस बारे में उस ने अनीता से जानना चाहा, किंतु वह कोई ठोस जवाब नहीं दे पाई. सकपकाती हुई सिर्फ इतना बताया कि खाना खाने के बाद वीरू सो गया था. आधी रात को उस की अचानक तबीयत बिगडऩे लगी थी. पहले तो उस ने गरमी से बेचैनी की शिकायत की थी. उसे खुली हवा में घर के बाहर बाउंड्री के खुले में सोने की इच्छा जताई और खुद वहां चारपाई पर जा कर लेट गया.
करीब 4 बजे उस ने आवाज लगाई और सीने में दर्द की शिकायत की. फिर उस ने अस्पताल ले जाने के लिए परिवार के सभी लोगों को फटाफट कौल कर बुलाया. अनीता से बात करते हुए गब्बर वीरू की लाश को भी निहार रहा था. उसे उस के गले पर गहरा निशान नजर आया. जब इस बारे में अनीता से पूछा तो वह सकपका गई. उसी वक्त काशी का वहां पहुंचना भी गब्बर को कुछ अजीब लगा. उसे वीरू की मौत पर शक हो गया. उसे वीरू के चेहरे और गले पर जख्मों के निशान देख कर पहले ही उस की हत्या का संदेह हो गया था.
उस ने अस्पताल में मौजूद सभी लोगों के सामने एक तरह से अपना फरमान सुनाया, ”वीरू की लाश का पहले पोस्टमार्टम होगा, तभी उस का अंतिम संस्कार किया जाएगा.’’
इसी के साथ उस ने थाना खेड़ली को सूचना दे दी. सूचना पा कर एसएचओ धीरेंद्र सिंह गुर्जर अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने वीरू की लाश का मुआयना किया और वहां मौजूद फेमिली वालों से कुछ सवाल पूछे. गब्बर जाटव की शिकायत पर मानसिंह उर्फ वीरू की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई. पुलिस ने लाश का निरीक्षण किया. उस के मुंह, नाक और गरदन पर चोट के निशान पाए गए. मुंह और नाक से बाहर निकला खून सूख चुका था. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.
पुलिस टीम आगे की जांच के लिए मानसिंह उर्फ वीरू के घर यानी घटनास्थल पर भी गई. वहां से कई साक्ष्य जमा किए गए, जिस में वीरू के बिस्तर पर से मिला एक टूटा दांत भी था. पुलिस के लिए यह वीरू की हत्या का एक सबूत था. पुलिस टीम ने घटनास्थल के खड़ेली कस्बे में लगे करीब 200 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखे गए. एक फुटेज में 7-8 जून की रात करीब 2 बजे एक बाइक पर कुछ लोग लद कर वीरू जाटव के घर की ओर जाते दिखाई दिए. उन में ही काशीराम प्रजापति भी नजर आया था. उसी रात 3 बजे के बाद वही लोग बाइक से वापस लौटते नजर आए.
वीरू के भाई गब्बर ने अपने भाई की हत्या का शक काशीराम और भाभी यानी वीरू की पत्नी अनीता पर ही जाहिर किया था. उस ने पुलिस को बताया था कि अनीता वीरू की दूसरी पत्नी है, जो बगैर ब्याहे उस के साथ कई सालों से रह रही थी. पुलिस ने दोनों के मोबाइल नंबरों की लोकेशन की भी जांच की. काशीराम की लोकेशन घटनास्थल की मिली. कौल के डिटेल्स से पता चला कि अनीता और काशीराम के बीच हर रोज की तरह उस रात भी बातचीत हुई थी.
पुलिस ने इन तकनीकी साक्ष्यों को जुटाने के बाद इस घटना की जानकारी अलवर जिले के आला पुलिस अधिकारियों को दे दी. एसपी संजीव नैन ने इस बाबत एडिशनल एसपी (रूरल) प्रियंका और सीओ (कठूमर) कैलाशचंद्र के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित कर दी. इस टीम में एसएचओ धीरेंद्र सिंह, एसएसआई रमेशचंद, कांस्टेबल राजवीर, भगत सिंह, प्रधान सिंह, सुरेश चंद, देवेंद्र सिंह शामिल किए गए थे. थाना खेड़ली की पुलिस टीम भी इस जांच में पहले से लगी हुई थी. जांच में अनीता और काशीराम के बीच लव अफेयर के बारे में भी पता चला, जबकि वह वीरू की दूसरी पत्नी थी.

वह करीब 4 साल से मानसिंह उर्फ वीरू के साथ खेड़ली कस्बे के बाइपास रोड पर वार्ड नंबर 19 स्थित नए मकान में रह रही थी. वहीं अनीता का 10 वर्षीय बेटा भी रहता था. जबकि वीरू की पहली पत्नी सपना देवी अपने 2 बेटों और एक बेटी के साथ खेड़ली में ही पुराने मकान में रहती थी. वीरू अपनी दोनों पत्नियों और उन के बच्चों का पूरा खयाल रखता था. हालांकि अपना अधिक समय अनीता के साथ ही गुजारता था. सपना से उस की बाकायदा शादी हुई थी, लेकिन अनीता के साथ वह लिवइन रिलेशनशिप में था.

अनीता पहले से शादीशुदा थी. उस का ससुराल राजस्थान के भरतपुर जिले में भुसावर के सेंदली गांव में थी. विवाह के कुछ समय बाद ही वह पति को अलवर जिले के खेड़ली कस्बे में ले आई थी. पति को अपने पक्ष में कर सासससुर एवं दूसरे परिजनों पर मुकदमा दर्ज कर दिया था. उस का पति फलों का ठेला लगता था. वहीं उस की मुलाकात वीरू से तब हुई थी, जब अनीता अपने पति के साथ उस के मकान में किराए पर रहने आई थी. वहीं रहते हुए अनीता के वीरू के साथ अवैध संबंध बन गए थे. पति को इस की जानकारी हुई तो उस ने विरोध किया, तब अनीता वीरू के साथ भाग गई. जिस से उस के पति की काफी जगहंसाई हुई.
अनीता भी एक बेटे की मां थी. उस ने पति के साथ अपने बेटे को भी ठुकरा दिया. वह 2 माह बाद वीरू के साथ गुजार कर वापस खेड़ली लौट आई थी. जबकि उस का पति अपने बेटे के साथ सेंदली लौट गया था. वीरू के एक गैरऔरत के साथ रहने का विरोध उस की ब्याहता सपना देवी और दूसरे करीबी परिजनों ने भी किया, लेकिन वह नहीं माना. वह अनीता के इश्क और हुस्न का दीवाना बना हुआ था. उस ने अपनी पत्नी सपना और भाई गब्बर की एक नहीं सुनी. यहां तक कि उस ने अनीता के लिए दूसरा घर दिलवा दिया और उस के साथ रहने लगा. आजीविका के लिए उस ने अनीता को जनरल स्टोर की दुकान भी खुलवा दी. अनीता वीरू से एक बेटे की मां भी बन गई.

वीरू और बेटे के साथ अनीता की जिंदगी मजे में गुजर रही थी. वह अपनी दुकान चलाती थी. जबकि वीरू अपने धंधे में घर से बाहर चला जाता था. एक बार अनीता की दुकान पर काशीराम आया. वह बातबात पर अनीता की दुकान, उस के काम करने के तौरतरीके, व्यवहार की तारीफ करता है. उस ने यह भी महसूस किया कि सामान खरीदने के बहाने से उस से दूसरी बातें भी करने लगा था, ताकि उस के साथ अधिक समय तक रह सके. अनीता को काशी की आंखों में अपने प्रति चाहत के डोरे नजर आए. जब कभी काशी उस के सामने होता तो उस के दिल की धड़कनें बढ़ जाती थीं. कई बार काशी सामान खरीदते हुए और पैसे के लेनदेन के बहाने से अनीता के हाथों को प्यार से छूनेसहलाने लगता था.
अनीता भी इस का बुरा नहीं मानती थी. एक बार तो हद हो गई, जब काशी उस की हथेली को पकड़ कर बोल पड़ा, ”इतनी अच्छी कलाई और हथेली है, छोडऩे को जी नहीं करता है.’’
इस तारीफ को सुन कर अनीता शरमा गई. उस ने झट से अपना हाथ खींच लिया और तेजी से मुड़ गई थी.
इस के जवाब में अनीता भी बोले बगैर नहीं रही, ”लगता है, तुम पहली बार किसी औरत को देख रहे हो?’’
यह कहना गलत नहीं था कि काशी ने अनीता के दिल में प्रेम की गुदगुदी के साथ देह में वासना की चिंगारी भड़का दी थी. आगे क्या होने वाला है, इस का उसे जरा भी अंदाजा नहीं था. दोनों जल्द ही एकदूसरे के साथ प्यार की रौ में बह गए. अनीता एक बार फिर गैरमर्द की बांहों में ऐसे समा गई थी, मानो उस का वीरू से मन भर गया हो. अनीता को उस वीरू का प्रेम फीका लगने लगा, जिस के साथ साल 2013 से ही रह रही थी. उसे छोड़ कर दमदार मर्दानगी वाले मर्द काशी के साथ गुलछर्रे उड़ाने लगी थी. करीब ढाई साल तो उन के अवैध रिश्ते वीरू की नजरों से छिपे रहे, लेकिन जब इस का उसे पता चला, तब उस ने विरोध जताना शुरू कर दिया.
विरोध में वह अनीता के साथ गालीगलौज और मारपीट करने लगा. यह सब अनीता के साथ आए दिन होने लगा था. यहां तक कि वीरू ने उस का मोबाइल फोन तक छीन लिया था और सिम तोड़ डाले थे, ताकि वह काशी से फोन पर भी बात नहीं कर सके. अनीता पर वीरू द्वारा की गई सख्ती को देखते हुए काशी ने एक तरीका निकाला. वह वीरू के पैरों पर जा गिरा और माफी मांग ली. कसम खाई कि वह अनीता से संबंध तोड़ लेगा. इसी के साथ उस ने वीरू के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया.
इस मेलमिलाप की खुशी में काशी ने वीरू को शराब की पार्टी दे डाली. वीरू ने पार्टी के जम कर मजे लिए और यह भूल गया कि काशी उस की प्रेमिका का प्रेमी है. वीरू को इस बात का जरा भी एहसास नहीं हुआ कि काशी की दोस्ती के पीछे अनीता की चाल है. पुलिस की जांच टीम ने वीरू के हत्यारों तक पहुंचने के लिए उस की पहली पत्नी सरिता देवी से भी पूछताछ की. उस ने बहुत दुखी मन से अपनी पीड़ा बताई, जिस से पुलिस को अंदाजा हुआ कि वीरू की हत्या में उस की भूमिका नहीं हो सकती है. जबकि पुलिस को अनीता में इस की कोई झलक नहीं दिखी. उसे वीरू की मौत का न कोई मलाल था और न ही कोई पीड़ा, सिर्फ चेहरे पर बनावटी उदासी थी.
पुलिस की पूछताछ का सिलसिला यहीं नहीं खत्म हुआ. घटना की रात घर में मौजूद अनीता के 9 वर्षीय बेटे से पूछताछ के लिए पुलिस उसे अकेले में ले गई और उसे हमदर्दी एवं प्यार दिखाते हुए वीरू के बारे में पूछताछ करने लगी. अनीता के बेटे ने जो कुछ बताया, उसे सुन कर पुलिस की आंखों में चमक आ गई. दरअसल, उस ने घटना की रात जो कुछ अनिद्रा में देखा था, सचसच बता दिया. यह भी बताया कि उसे किसकिस ने कुछ नहीं बोलने की हिदायत दी थी? किस ने धमकी दी थी और अनीता ने किस तरह से उसे चुप रहने के लिए समझाया था.
बच्चे ने 7 जून, 2025 की शाम की बात पापा से अखिर बार हुई बात बताई थी. उस ने बताया कि पापा जब उस रात काम से घर आए थे, तब उन्होंने उसे अपना मोबाइल फोन चार्ज के लिए बिजली बोर्ड के साकेट में लगाने के लिए दिया था. उसी रात मम्मी ने उस पर जल्द सोने का दबाव डाला था और वह सो गया था. आधी रात को अचानक उस की नींद खुल गई थी और उस ने पापा की हत्या करते हुए कई लोगों को देख लिया था. उन में उस की मम्मी भी थी.

पुलिस के लिए अनीता और वीरू का बेटा ही चश्मदीद गवाह निकला. उस ने हत्याकांड की बहुत सारी बातें बता दी थीं, जिस से अनीता और उस के नए प्रेमी काशीराम पर बना शक और मजबूत हो गया था. इस संबंध में पुलिस ने अनीता से सख्ती से पूछताछ की. तब उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया और दूसरे आरोपियों के बारे में बताया, जिस में मुख्य आरोपी काशीराम प्रजापति था. पुलिस ने काशीराम को 16 जून, 2025 को सुपारी किलर बृजेश जाटव के साथ गिरफ्तार कर लिया. दोनों से सख्ती के साथ पूछताछ से पहले पुलिस ने उन्हें बता दिया कि अनीता ने जुर्म मान लिया है और उस के बेटे ने सब कुछ बता दिया है, इसलिए उस के बचने की कोई गुंजाइश नहीं है. इतना सुनते ही काशीराम भी डर गया और घटनाक्रम के बारे में विस्तार से बता दिया.

काशीराम प्रजापति पुलिस की सख्ती के आगे ज्यादा देर तक नहीं टिक पाया. उस ने बाकी 3 आरोपियों के नाम बताने के साथसाथ वीरू की हत्या करनी स्वीकार ली. उस ने सुपारी के लिए 2 लाख रुपए के बारे में भी बताया, जो अनीता ने देने का वादा किया था. एडवांस के रूप में उसे 40 हजार मिल गए थे. आरोपियों में बृजेश जाटव अलवर के कालवाड़ी का रहने वाला है. वह छोटामोटा कामधंधा करता है. पूछताछ के बाद अनीता, काशीराम प्रजापति और बृजेश को पुलिस ने अलवर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया. Rajasthan News
कथा संकलन तक पुलिस अन्य तीनों आरोपियों को सघनता से तलाश कर रही थी.





