सुबह के यही कोई 6 बजे बबीता का मोबाइल फोन बजा तो उस ने पहले नंबर देखा कि इतनी सुबहसुबह किसने फोन कर दिया. जब उस ने देखा कि नंबर देवरानी सर्वेश का है तो उस ने झट फोन रिसीव किया. फोन कान से लगा कर उस ने जैसे ही ‘हैलो’ कहा,
दूसरी ओर से सर्वेश ने रोते हुए कहा, ‘‘दीदी, मैं तो बरबाद हो गई. मेरा बसाबसाया घर उजड़ गया. पाकेश इस दुनिया में नहीं रहे. किसी ने उन्हें मार डाला.’’
बबीता सर्वेश की जेठानी थी, जो गांव में रहती थी. सासससुर थे नहीं, इसलिए उस ने जेठानी को फोन किया था. सर्वेश ने जो भी कहा था, रोते हुए कहा था, इसलिए बबीता की समझ में पूरी बात नहीं आई थी. लेकिन इतना तो वह समझ ही गई थी कि पाकेश को किसी ने मार डाला है. वह कुछ पूछती, उस के पहले ही सर्वेश ने फोन काट दिया था, इसलिए उस ने पलट कर फोन किया.
पलट कर फोन करने पर सर्वेश ने बताया कि रात में पाकेश ने शराब पी कर उस के साथ मारपीट की थी. उस मारपीट में उस ने लोहे की रौड उस के सिर में मार दिया था, जिस से वह बेहोश हो गई थी. सुबह जब उसे होश आया तो पाकेश मरा पड़ा था. उस के बेहोशी के दौरान ही उस की किसी ने हत्या कर दी थी. इसलिए उसे पता नहीं चला कि उसे कौन मार गया.
बबीता ने तुरंत इस बात की जानकारी अपने पति तिरमल सिंह को दी. तिरमल सिंह सरकारी स्कूल में अध्यापक थे और उस समय स्कूल में थे. भाई की हत्या की सूचना मिलते ही वह छुट्टी ले कर घर आ गए और घर से अन्य लोगों को साथ ले कर काशीपुर के लिए रवाना हो गए.
तिरमल सिंह घर वालों के साथ पाकेश के घर पहुंचे तो सर्वेश घर का मुख्य दरवाजा बंद किए अंदर ही बैठी थी. उस समय तक आसपास रहने वालों को पता नहीं था कि पाकेश की हत्या हो चुकी है. जब घर वालों ने रोनाधोना शुरू किया, तब कहीं जा कर आसपड़ोस वालों को पाकेश की हत्या की जानकारी हुई. इस के बाद उस के घर के सामने भीड़ लग गई. यह 11 अगस्त की सुबह की बात है.
तिरमल सिंह ने पाकेश की हत्या की सूचना काशीपुर कोतवाली पुलिस को दी. सूचना मिलते ही आईटीआई चौकीप्रभारी रमेश तनबार, सीनियर सबइंसपेक्टर धीरेंद्र कुमार, एएसपी देवेंद्र पिंचा घटनास्थल पर पहुंच गए.
लाश के निरीक्षण के दौरान पुलिस ने लाश के पास से एक प्लास्टिक का फीता और कमरे के बाहर बरामदे से लोहे की एक रौड बरामद की, जिस के एक सिरे पर पेपर लपेट कर उस के ऊपर कपड़ा लपेटा हुआ था. लाश के सिर पर चोट के कई निशान थे. इस के अलावा उस के गले पर भी नीला निशान नजर आ रहा था. इस से साफ लग रहा था कि सिर पर चोट पहुंचाने के बाद उस का गला भी दबाया गया था.
घटनास्थल और लाश के निरीक्षण के बाद पुलिस ने मृतक पाकेश की पत्नी सर्वेश से पूछताछ की तो उस ने बताया कि 10 अगस्त, 2014 दिन रविवार को वह पति और बच्चों के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने अपने गांव मोहद्दीपुर गई थी. त्योहार मना कर वह पति और बेटी के साथ वापस आ गई थी, जबकि जेठ धर्मवीर और बेटा वहीं गांव में रुक गए थे.
सर्वेश के बताए अनुसार रात में पाकेश ने खूब शराब पी. नशे में वह उस के साथ मारपीट करने लगा. तभी उस ने गुस्से में वहीं पड़ी लोहे की रौड उठा कर उस के सिर पर मार दी, जिस से वह बेहोश हो गई. सुबह 5 बजे के करीब उसे होश आया तो पाकेश मरा पड़ा था. इसलिए उसे पता नहीं कि वह कैसे मरा.
पुलिस ने सर्वेश से पाकेश के मिलनेजुलने वालों के बारे में पूछा तो उस ने कहा कि इस बारे में उसे कुछ पता नहीं है. सर्वेश की इस बात पर घर वाले चौंके, क्योंकि पिछले ही दिन वह घर वालों से कह कर आई थी कि शराब के चक्कर में पाकेश ने कई लोगों से दुश्मनी मोल ले ली है. अगर कल को इसे कुछ हो गया तो उसे कोई दोष नहीं देगा.
जब यह बात घर वालों ने पुलिस को बताई तो सारी परिस्थितियों पर गौर करने के बाद पुलिस को सर्वेश पर ही संदेह हो गया. लेकिन उस समय पुलिस के पास कोई सुबूत नहीं था, इसलिए पुलिस ने उसे हिरासत में लेना उचित नहीं समझा.
यह भी निश्चित था कि यह काम सर्वेश ने अकेले नहीं किया था, क्योंकि पाकेश अच्छी कदकाठी का नौजवान था. सर्वेश उसे अकेली काबू में नहीं कर सकती थी. उस ने पति को किसी की मदद से ही मारा था. पुलिस को उस के बारे में भी पता करना था.
पुलिस ने सर्वेश के साथी के बारे में पता करने के लिए उस का मोबाइल फोन कब्जे में ले लिया. इस के बाद घटनास्थल की सारी काररवाई निबटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. पोस्टमार्टम के बाद लाश घर वालों के हवाले कर दी गई तो उन्होंने उसे गांव ले जा कर उस का अंतिम संस्कार कर दिया.
मृतक पाकेश के भाई तिरमल सिंह ने पुलिस को जो तहरीर दी थी, उस में भाई की हत्या का संदेह उस की पत्नी सर्वेश पर व्यक्त किया था. पुलिस ने उसी हिसाब से जांच शुरू की. पुलिस ने सब से पहले उस के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई.
काल डिटेल्स के अनुसार, जिस रात पाकेश की हत्या हुई थी, उस रात सर्वेश ने एक नंबर पर कई बार फोन कर के बात की थी. पुलिस ने उस नंबर के बारे में पता किया तो वह नंबर नेत्रपाल का था. वह महुआखेड़ागंज की किसी फैक्ट्री में सुपरवाइजर था. पुलिस उस के घर पहुंची तो घर वालों ने बताया कि वह रक्षाबंधन की रात से घर नहीं आया था. पुलिस के पास उस का नंबर था ही, उसे सर्विलांस पर लगवा दिया.
पाकेश का अंतिम संस्कार हो जाने के बाद पुलिस सर्वेश को पूछताछ के लिए कोतवाली ले आई. इस बार की पूछताछ में भी उस ने वही पुरानी कहानी सुना दी, जो उस ने पहले सुनाई थी. लेकिन पुलिस ने इस बार उस की कहानी पर विश्वास नहीं किया और उस से नेत्रपाल के बारे में पूछा.
सर्वेश ने बताया कि वह जिस फैक्ट्री में काम करती थी, नेत्रपाल उसी में सुपरवाइजर था. साथसाथ काम करने की वजह से दोनों में जानपहचान हो गई थी. उसी की वजह से पाकेश से भी उस की दोस्ती हो गई थी. जिस रात पाकेश की हत्या हुई थी, उस रात पाकेश और नेत्रपाल की कई बार बातचीत हुई थी. उन के बीच क्या बात हुई थी, यह उसे पता नहीं था. क्योंकि उस समय वह खाना बना रही थी.