चाची का इश्किया भतीजा – भाग 1

सन 2003-04 में केंद्र और राज्य सरकारों के आपसी मतभेदों के कारण कोयले के दाम आसमान छूने लगे थे. उन दिनों कोयला  सामान्य मूल्य से दोगुने से भी अधिक दाम में बिक रहा था. उस स्थिति में सरदार परमजीत सिंह को कोयला खरीदना मुश्किल हो  गया था. पटियाला के अरनाबरना चौक पर उन का कोल डिपो था. उन का यह काफी पुराना व्यवसाय था. लेकिन कोयले की आसमान छूती कीमतों से उन के इस व्यवसाय को गहरा झटका लगा था.

कोयले के दाम तो बढ़ ही गए थे, इस के साथ एक समस्या यह भी थी कि कोयले का सौदा भी 4-6 गाडि़यों से कम का नहीं हो रहा था. धंधा करने वालों को धंधा करना ही था, इसलिए कोयला महंगा हो या सस्ता, कोयला तो मंगाना ही था. जिस भाव में माल आएगा, उसी भाव में बिकेगा भी.

कुछ अपने पास से तो कुछ ब्याज पर उधार ले कर जैसेतैसे परमजीत सिंह उर्फ सिंपल ने 6 गाड़ी कोयला मंगा लिया. संयोग देखो, परमजीत का माल आते ही केंद्र सरकार ने कोयला कंपनियों को अपने नियंत्रण में ले लिया, जिस से तुरंत कोयले की आसमान छूती कीमतें घट कर सामान्य हो गईं.

परमजीत सिंह का तो दीवाला निकल गया. महंगे भाव पर खरीदा गया कोयला उन्हें मिट्टी के भाव बेचना पड़ा. जिस की वजह से उन्हें मोटा घाटा हुआ. इस घाटे से उन्हें गहरा सदमा लगा और वह बीमार रहने लगे. घाटा हो या मुनाफा, परमजीत ने जिस के पैसे लिए थे, उस के पैसे तो देने ही थे.

इस तरह परमजीत सिंह की हालत काफी खराब हो गई. मिलनेजुलने वाले, यारदोस्त, नातेरिश्तेदार आते और सांत्वना दे कर चले जाते. कोई मदद की बात न करता. उस समय उन की इस परेशानी में उन का भतीजा प्रीत महेंद्र सिंह काम आया. उस ने चाचा की मदद ही नहीं की, हर तरह से साथ दिया. बीमारी का इलाज तो कराया ही, व्यवसाय को फिर से जमाने के लिए मोटी रकम भी दी.

जब तक सब ठीक नहीं हो गया, प्रीत महेंद्र दोनों समय परमजीत सिंह के घर आताजाता रहा. दवा आदि की ही नहीं, घर की जरूरत की अन्य चीजों का भी उस ने खयाल रखा. इसी का नतीजा था कि परमजीत सिंह ने जल्दी स्वस्थ हो कर अपना व्यवसाय फिर से संभाल लिया. परमजीत के ठीक होने के बाद भी प्रीत महेंद्र का उन के घर आनेजाने का सिलसिला उसी तरह जारी रहा.

अब इस की वजह चाचा की बीमारी नहीं, खूबसूरत चाची जसमीत कौर उर्फ गुडि़या थी. दरअसल जब से प्रीत महेंद्र ने चाची जसमीत कौर को देखा था, तभी से उस के मन में एक अजीब सी उथलपुथल मची हुई थी. चाचा से शादी के समय ही वह चाची की सुंदरता पर मर मिटा था.

इस में उस का दोष भी नहीं था. जसमीत थी ही इतनी खूबसूरत. कश्मीर के सेब की तरह गोल और गुलाबी रंग का उस का चेहरा ताजे खिले गुलाब की तरह दमकता था. उस का शरीर भी सांचे में ढला बहुत ही आकर्षक था. 2 बच्चों की मां होने के बाद भी उस की खूबसूरती में कोई कमी नहीं आई थी.

प्रीत महेंद्र ने चाचा के साथ जो किया था, वह छोटीमोटी बात नहीं थी. इसलिए परमजीत सिंह उस का बहुत एहसान मानते थे. चाची जसमीत भी उस की बहुत इज्जत करती थी. चाचीभतीजे में पटती भी खूब थी. इस की वजह यह थी कि भतीजा ही नहीं, चाची भी अभी जवान थी. जबकि परमजीत अधेड़ हो चुका था. चाचीभतीजे ने क्या गुल खिलाया, यह जानने से पहले आइए थोड़ा इन के घरपरिवार के बारे में जान लेते हैं.

सरदार सुरेंद्र सिंह पटियाला के ही रहने वाले थे. उन का कोयले का छोटामोटा व्यवसाय था. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे परमजीत सिंह, हरमीत सिंह और 2 बेटियां थीं. हरमीत की शादी के पहले ही मौत हो गई थी. दोनों बेटियों की शादी कर दी तो वे अपनेअपने पतियों के साथ यूएसए चली गई थीं.

सुरेंद्र सिंह ने परमजीत सिंह की शादी सन 1995 में जसमीत कौर के साथ की थी. जसमीत कौर छोटी थी, तभी उस के पिता की मौत हो गई थी. जसमीत की 2 बहनें और थीं, भाई कोई नहीं था. विधवा मां ने किसी तरह तीनों बेटियों को पालापोसा. शादी लायक होने पर दोनों बड़ी बेटियों की शादी उन्होंने लखनऊ में कर दी थी. जसमीत की शादी परमजीत से कर के वह बेटियों के पास रहने लखनऊ चली गईं थीं.

जिस समय जसमीत कौर की शादी परमजीत सिंह से हुई थी, वह मात्र 16 साल की थी, जबकि परमजीत उस से 20 साल बड़ा यानी 36 साल का था. समय के साथ वह 2 बच्चों की मां बनी. लेकिन वह जवान हुई तो उस का पति बुढ़ापे की ओर बढ़ चला. जसमीत से हुए उस के दोनों बेटों के नाम थे गुरतीरथ और जसदीप.

शादी और बच्चे होने से परमजीत की जिम्मेदारियां बढ़ गई थीं. उस के खर्च के लिए पिता सुरेंद्र सिंह ने एक ईंट भट्टा खोलवा दिया था. लेकिन उस का वह भट्ठा चला नहीं. इस के बाद उस ने अपना कोयले का व्यवसाय संभाल लिया. उसी बीच सरदार सुरेंद्र सिंह की मौत हो गई तो घरपरिवार से ले कर कारोबार तक की जिम्मेदारी उसी पर आ गई.

सब कुछ लगभग ठीकठाक ही चल रहा था. लेकिन 2004 में हुए जबरदस्त घाटे ने परमजीत की कमर तोड़ दी थी. संयोग से मदद के लिए भतीजा प्रीत महेंद्र आगे आ गया था. इसी मदद के बहाने प्रीत महेंद्र का चाचा के घर आनाजाना हुआ तो उसे चाची से दिल लगाने का मौका मिल गया. परमजीत सुबह ही डिपो पर चले जाते थे.  उस के बाद भतीजा प्रीत महेंद्र उन के घर पहुंच जाता था. परमजीत ने पत्नी से कह रखा था कि वह प्रीत महेंद्र का हर तरह से खयाल रखे, क्योंकि उस ने उन्हें बहुत बड़े संकट से उबारा था.

एक दिन दोपहर को प्रीत महेंद्र चाचा के घर पहुंचा तो घर में जसमीत अकेली थी. उस ने डोरबेल बजाई तो जसमीत कौर ने दरवाजा खोला. एकदूसरे को देख कर दोनों मुसकराए. जसमीत बगल हट कर बोली, ‘‘आओ, अंदर आओ.’’

अंदर आ कर प्रीत महेंद्र सोफे पर बैठ गया. दरवाजा बंद कर के जसमीत कौर भी आ कर उस के बगल बैठ गई. जसमीत और प्रीत महेंद्र भले ही चाचीभतीजे थे, लेकिन दोनों हमउम्र थे. इसलिए कभीकभार हलकाफुलका मजाक भी कर लेते थे. लेकिन जब से उस की नीयत में खोट आई थी तब से वह खामोश रहने लगा था. ऐसा ही कुछ हाल जसमीत का भी था. शायद दोनों को ही इस बात का इंतजार था कि पहल कौन करे.

प्यार में जब पति ने अड़ाई टांग

बेटी के प्यार में विलेन बने पापा

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले का एक थाना है नौहझील. इस थाना क्षेत्र के गांव अड्डा मीना फिरोजपुर निवासी बदन सिंह उर्फ बलवीर सिंह ने 25 जनवरी, 2023 को अपनी 17 वर्षीय बेटी अनन्या को गांव के ही युवक रामगोपाल उर्फ गोपाल द्वारा भगा ले जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में बदन सिंह ने आरोप लगाया था कि 22 जनवरी को उन की बेटी अनन्या पशुओं के लिए चारा लेने खेत पर गई थी. उन के गांव का ही रहने वाला रामगोपाल उर्फ गोपाल उन की बेटी को वहां से बहलाफुसला कर अपने साथ भगा ले गया.

पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने के बाद आरोपी गोपाल को 27 जनवरी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. लेकिन अनन्या का कोई पता नहीं चल सका. इस के बाद भी पुलिस उस की तलाश में जुटी रही. अनन्या की तलाश में पुलिस ने हर उस जगह दबिश दी, जहां उस के होने की संभावना थी.

मुखबिर ने दी पुलिस को जानकारी

अनन्या की तलाश में जुटी नौहझील पुलिस को मुखबिर ने सूचना दी कि उस की हत्या की जा चुकी है. अब पुलिस के सामने प्रश्न यह था कि अनन्या 22 जनवरी को अपने प्रेमी के साथ गई थी. 25 जनवरी को रिपोर्ट दर्ज होने के बाद 27 जनवरी को रामगोपाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया तो उस के जेल जाने के बाद अनन्या की हत्या किस ने, कब और कहां की? पुलिस को यह भी शक हो रहा था कि प्रेमी गोपाल के जेल चले जाने से दुखी अनन्या ने कहीं आत्महत्या तो नहीं कर ली?

लेकिन बाद में मुखबिर ने पुलिस को यह भी सूचना दी कि अनन्या की हत्या उस के पापा बदन सिंह और चाचा ने षडयंत्र के तहत मिल कर की है. वे लोग अब अपने घर पर बेफिक्र हो कर बैठे हुए हैं. मुखबिर से मिली सूचना के बाद पुलिस ने अनन्या के पापा बदन सिंह उर्फ बलवीर व चाचा तेजपाल को थाने बुलाया. उन से पूछताछ की गई.

दोनों ने बताया कि वे पलवल में अनन्या के होने की सूचना पर उस की तलाश में गए थे. लेकिन वहां काफी तलाश करने के बाद भी वह नहीं मिली. इस के बाद वह वापस गांव आ गए. अनन्या के बारे में सही जानकारी रामगोपाल ही दे सकता है. पलवल से वापस आने के बाद गांव वालों को भी दोनों भाइयों ने यही बात बताई कि अनन्या का कोई सुराग नहीं मिला.

पलवल जाने के बाद बंद कर दी तलाश

पुलिस को जांच में पता चला कि अनन्या की तलाश में घर वाले पलवल गए जरूर थे, लेकिन इस के बाद उन्होंने उस की तलाश बंद कर दी है. इस जानकारी के मिलने के बाद एसएचओ धर्मेंद्र भाटी ने बलवीर व तेजपाल दोनों की कल डिटेल्स निकलवाई, जिस से हत्या का राज खुल गया. सबूत मिलने के बाद दोनों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. जब पुलिस ने दोनों से सख्ती से पूछताछ की तो वे अपने गुनाह को ज्यादा देर तक छिपा नहीं सके. दोनों ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

दोनों ने बताया कि उन्होंने अनन्या की हत्या कर लाश अलीगढ़ की शिवाला नहर में फेंक दिया था. इस संबंध में पुलिस ने तहकीकात की तो पता चला कि अलीगढ़ जिले के थाना गोंडा पुलिस ने 31 जनवरी, 2023 को एक लडक़ी का शव बरामद किया था. पुलिस दोनों को थाना गोंडा ले गई. वहां लाश के फोटो और कपड़ों के आधार पर अनन्या के रूप में कर ली. इस के बाद उन्होंने अनन्या की हत्या किए जाने की बेहद चौंकाने वाली कहानी बताई—

अनन्या ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा ही था कि उसी दौरान उस की मुलाकात रामगोपाल से हुई. उसी के गांव का रहने वाला 22 वर्षीय रामगोपाल उर्फ गोपाल एक निजी टेलीकाम कंपनी में काम करता है. गांव में आतेजाते समय अनन्या और रामगोपाल की नजरें अकसर मिल जातीं. अनन्या मुसकरा कर नजरें झुका लेती. गोपाल को अनन्या की यह अदा भा गई. उस दिन के बाद से दोनों जब तक एकदूसरे को देख नहीं लेते, उन के दिलों को चैन नहीं मिलता था.

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दोनों के बीच हुई दोस्ती

दोनों के बीच मौन प्यार चल रहा था. रामगोपाल को अनन्या ने अपने मौन प्यार के बंधन में पूरी तरह बांध लिया था. आखिर एक दिन जब रास्ते में जाते हुए अनन्या मिली तो मौका देख कर रामगोपाल ने चुप्पी तोड़ी, ‘‘अनन्या, तुम मुझ से बात क्यों नहीं करती?’’

“तुम ही कौन सा मुझ से बात करते हो.’’ अनन्या ने जवाब दिया. यह सुन कर गोपाल निरुत्तर हो गया. कुछ पल बाद वह बोला, ‘‘अनन्या, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. क्या मुझ से दोस्ती करोगी?’’

“करूंगी, जरूर करूंगी,’’ कहते हुए वह तेजी से कदम बढ़ाते हुए अपने घर की ओर चली गई. उस दिन के बाद से दोनों चोरीचोरी मिल लेते थे. धीरेधीरे दोनों का प्यार परवान चढऩे लगा. दोनों ने एकदूसरे को अपने फोन नंबर दे दिए. अब दोनों घंटों तक एकदूसरे से बतियाते, अपने भविष्य के सुखद सपने संजोते हैं. रामगोपाल और अनन्या जमाने की सोच की परवाह किए बिना अपने प्यार की पींगें बढ़ाने में लगे हुए थे.

कहते हैं प्यार को चाहे लाख छिपाने की कोशिश की जाए, लेकिन वह उजागर हो ही जाता है. गांव के लोगों ने दोनों को एक साथ देख लिया. इस के बाद तो दोनों के घर वालोयं को उन के प्रेमप्रसंग के बारे में पता चल गया. अनन्या के घर वालों ने इस का विरोध किया. लेकिन अनन्या ने अपने घर वालों से साफ कह दिया कि रामगोपाल और वह एकदूसरे को प्यार करतेे हैं. वह उस के साथ शादी करेगी. बेटी की इस बेबाकी पर घर वाले सन्न रह गए. उन्होंने उसे बहुत समझाया, लेकिन वह नहीं मानी.

तब घर वालों ने उस के रामगोपाल से मिलने पर सख्त पाबंदी लगा दी. पर अनन्या इस के बाद भी प्रेमी से फोन पर बातें करती रहती थी. अनन्या दिन और रात में अपने प्रेमी रामगोपाल उर्फ गोपाल से बात करती थी. इस की भनक अनन्या की दादी को लग गई. इस पर घटना से 2 महीने पहले दादी ने अनन्या से उस का फोन छीन लिया था. अनन्या तभी से फोन के लिए घर में झगड़ा करती रहती थी. उस के तेवर बगावती हो गए थे. उस ने अपने मम्मीपापा से साफ कह दिया था कि वह रामगोपाल के साथ ही शादी करेगी अन्यथा अपनी जान दे देगी.

प्रेमी के साथ भाग गई

22 जनवरी, 2023 को जब घर वाले गहरी नींद में सोए हुए थे, अनन्या सुबह के समय घर से अपने प्रेमी रामगोपाल के साथ भाग गई. दोनों ने एक दिन पहले ही भागने की योजना बना ली थी. इस बात का दोनों के घरवालों को पता नहीं चल सका था. अनन्या के घरवालों को बेटी के इस तरह घर से भाग जाना बेहद नागवार गुजरा. अनन्या के चले जाने पर घर वाले परेशान हो गए. अनन्या के प्रेमी के साथ भाग जाने की खबर पूरे गांव में जंगल की आग की तरह फैल गई. समाज में उन का सिर शर्म से झुक गया. उन्होंने अनन्या को काफी तलाशा, इस बीच उन्हें जानकारी मिली कि अनन्या अपने प्रेमी रामगोपाल के साथ पलवल चली गई है.

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एसएचओ धर्मेंद्र भाटी व एसआई मनोज चौधरी ने बताया कि अनन्या गोपाल के साथ ही शादी करने की जिद पर अड़ी थी. जबकि इस के लिए उस के घरवाले राजी नहीं थे. अनन्या के घर से भाग जाने की घटना ने आग में घी का काम किया. उस के पापा बदन सिंह उर्फ बलवीर सिंह का खून खौल उठा, क्योंकि उन का गांव में निकलना मुश्किल हो गया.

अनन्या के गायब होने के बाद जहां पुलिस उसे तलाश रही थी, वहीं घर वाले भी उस की तलाश में जुटे थे. पिता बदन सिंह को जानकारी मिली कि अनन्या हरियाणा के पलवल में मौजूद है. इस जानकारी पर बदन सिंह अपने छोटे भाई तेजपाल सिंह के साथ पलवल जा पहुंचा. दोनों ने अनन्या को ढूंढ लिया. लेकिन वह उन के साथ आने को तैयार नहीं हुई. आखिर गोपाल से शादी कराने की बात पर वह उन के साथ घर आने को तैयार हो गई.

झूठी आन की खातिर पिता बना हत्यारा

अनन्या को उस के पापा व चाचा बाइक पर बैठा कर टप्पल-जट्ïटारी मार्ग से होते हुए अलीगढ़ जिले के थाना खैर क्षेत्र में स्थित शिवाला नहर के पास पहुंचे. यहां दोनों भाइयों ने बाइक रोक ली. सुस्ताने के बहाने वे सब नहर किनारे बैठ गए. वहां पर पिता व चाचा ने अनन्या को एक बार फिर समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह रामगोपाल से शादी की बात पर अड़ी रही.

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फिर लोकलाज और समाज में अपनी इज्जत के डर से बदन सिंह ने अपने भाई तेजपाल की मदद से अनन्या का गला घोंट कर हत्या कर दी और शव नहर में फेंक दिया. नहर के गहरे पानी में वह डूब गई. यानी एक पिता ने ही बेटी की हत्या कर दी. दोनों भाई अनन्या को नहर में फेंक कर अपने गांव लौट आए. गांव में पूछने पर दोनों ने बताया कि उन्हें अनन्या का कोई सुराग नहीं मिला. इसलिए वे वापस आ गए. जबकि हकीकत यह थी कि दोनों ने उस की हत्या कर दी थी.

एसएचओ धर्मेंद्र भाटी के अनुसार, घर वालों ने अनन्या को 22 जनवरी को ही पलवल (हरियाणा) से बरामद कर लिया था. उसी दिन उन्होंने उस की हत्या कर लाश नहर में फेंक दी थी. इस घटना के 3 दिन बाद बदन सिंह ने प्रेमी रामगोपाल के खिलाफ बेटी को भगा ले जाने की रिपोर्ट दर्ज करा उसे जेल भिजवा दिया था.

शव 15 किलोमीटर बह कर पहुंचा गोंडा क्षेत्र में

उधर अनन्या की लाश नहर में बहते हुए 15 किलोमीटर दूर अलीगढ़ जिले के थाना गोंडा क्षेत्र में पहुंच गई. नहर में एक युवती का शव मिलने की सूचना पर वहां की पुलिस ने गोताखोरों की मदद से शव को नहर से बाहर निकाला.

चूँकि शव नहर में कहीं से बह कर आया था, इस के चलते उस की पहचान नहीं हो सकी. पुलिस यह पता लगाने में जुट गई कि युवती ने आत्महत्या की है या यह औनर किलिंग का मामला तो नहीं है? थाना गोंडा पुलिस ने शव को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था.

पुलिस ने 72 घंटे इंतजार किया. लेकिन युवती की शिनाख्त नहीं हो सकी. इस पर उस का अंतिम संस्कार कर दिया. पुलिस ने युवती के फोटो कराने के साथ ही उस के कपड़ों को सुरक्षित रख लिया था. इस के साथ ही आसपास के थानों से संपर्क किया. तब अनन्या की लाश मिलने की बात पुलिस के संज्ञान में आई.

बेटी के प्रेमप्रसंग में विलेन बना बाप

मोहब्बत के दुश्मन बने बलवीर सिंह ने अपनी बेटी अनन्या को बहलाफुसला कर भगा ले जाने की रिपोर्ट अनन्या के प्रेमी रामगोपाल के खिलाफ दर्ज कराई थी, वह अब भी इस आरोप में जेल में बंद है. अभी उस की जमानत नहीं हुई है.बेटी के प्रेम प्रसंग में हत्या कर के विलेन बने उस के पापा व चाचा यही सोच रहे थे कि उन की इस साजिश का किसी को पता ही नहीं चलेगा, लेकिन यह उस की भूल थी.

पुलिस ने अनन्या की हत्या की गुत्थी को सुलझा कर पिता बलवीर सिंह व चाचा तेजपाल सिंह को अनन्या की हत्या करने व सबूतों को छिपाने के आरोप में 21 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार कर हत्या में प्रयोग की गई बाइक को भी बरामद कर ली. दोनों को न्यायालय के समक्ष पेश कर जेल भेज दिया गया.

अपराध करने वाला अपने आप को अपराध करते समय चाहे कितना भी होशियार समझे, लेकिन अंत में वह पकड़ा जरूर जाता है. झूठी आन की खातिर एक पिता ही अपनी बेटी का कातिल बन गया और एक प्रेमकहानी का दर्दनांक अंत हो गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में अनन्या नाम परिवर्तित है.

नई नवेली दीपा ने सौतेले बेटे संग रची साजिश – भाग 3

दीपा को पता चल गया था कि बच्चे जयदेव सिंह से नफरत करते हैं, जबकि वह बच्चों पर अपना प्रेम लुटाती है. इस कारण ही वह उस के साथ भी गलत व्यवहार करता है. फिर भी उस ने बच्चों का खयाल रखने में कोई कमी नहीं आने दी. उन के लिए मनपसंद खाना बनाना, स्कूल को तैयार करना, उन के कपड़े धोना, घर की साफसफाई करना, उस की दिनचर्या में शामिल हो गया था. बच्चे भी दीपा से बहुत प्यार करने लगे थे.

दीपा के साथ दूसरी समस्या यह थी कि जयदेव उसे ले कर गलत धारणा रखता है. वह पत्नी पर शक करता था. वह उस पर बड़े बेटे के साथ अवैध संबंध होने का आरोप लगा चुका था. इस आरोप से दीपा और हरनाम सिंह दोनों दुखी हो गए थे. जयदेव उन की बातें सुनने को राजी नहीं था. इस कारण ही दीपा की पिटाई कर देता था. उस के दिमाग में शक का कीड़ा कुलबुलाता रहता था कि दीपा के उस के बड़े बेटे के साथ अवैध संबंध हैं.

शक होने पर लगवाए सीसीटीवी कैमरे

इस कारण ही जयदेव ने अपने घर पर सीसीटीवी कैमरे लगवा लिए थे और उन्हें अपने मोबाइल फोन से जोड़ लिया था. जब वह ड्यूटी पर होता था, तब वह बीचबीच में अपने घर की गतिविधियों पर एक नजर मार लेता था. इस की खबर दीपा के बड़े भाई नीशू सिंह को मिली, तब वह अपने बहनोई के प्रति काफी आगबबूला हो गया. उस के बाद ही उस ने बहन के बचाव के लिए कुछ करने कसम खाई.

बात इसी साल अप्रैल महीने के पहले सप्ताह की है. जयदेव अपनी कीमती जमीन बेचने की योजना बना रहा था, दीपा उस का विरोध कर रही थी. यहां तक कि बच्चे भी नहीं चाहते थे कि जमीन बिके. बच्चों को पता था कि वह सब खेती की जमीन थी. वहीं से साल भर का अनाज आता था. बाजार से चावल, गेहूं और दाल का एक दाना नहीं खरीदा जाता था. अगर जमीन बिक गई तो वह सब नहीं आएगा.

हरनाम सिंह को यह मालूम था कि उस का बाप जमीन बेच कर सारे पैसे शराब में उड़ा देगा. दीपा के भाई नीशू ने जयदेव को ऐसा करने से रोकने के लिए मिल कर एक योजना बनाई. इस में दीपा और दोनों बेटों हरनाम व हरमिंदर सिंह को भी शामिल कर लिया.

घटना से 14 दिन पहले घर के सभी लोग एकदम शांत हो कर रहने लगे. जयदेव को पता चल गया कि जब वह ड्यूटी पर होता था, तब कुछ समय के लिए कैमरे बंद रहते हैं. उसे बच्चों और दीपा ने एहसास करवा दिया कि वह नाहक ही अपने बेटे और पत्नी पर शक कर रहा है.

दीपा ने हरनाम से कहा कि क्यों न जयदेव को ही खत्म कर दिया जाए. आज नहीं तो कल यह जमीनजायदाद बेच डालेगा और वे गरीब हो जाएंगे. जयदेव के मरने के बाद उस के बदले में बेटे या दीपा को जयदेव की जगह कोई नौकरी मिल जाएगी. उस के मरने पर जो पैसा मिलेगा, वह बाकी बच्चों के भविष्य के लिए काम आएगा. छोटी बेटी जासमीन की शादी के लिए भी फिक्स्ड डिपाजिट करवा दिया जाएगा.

सौतेले बेटे के साथ की पति की हत्या

योजना के अनुसार 5 मई, 2023 की शाम 6 बजे कांठ तहसील से जयदेव सिंह रोजाना की भांति अपने घर शराब पी कर आया था. घर आते ही उस ने फिर शराब पी. दीपा को जल्द खाना लगाने के लिए बोला. दीपा ने खाना लगा दिया. खाना खा कर जयदेव सो गया, तब दीपा का भाई नीशू सिंह, हरनाम सिंह रात होने का इंतजार करने लगे.  नीशू सिंह अपने साथ एक देशी तमंचा भी ले कर आया था. हालांकि उस के कारतूस नहीं होने के कारण उस का इस्तेमाल नहीं हो सका था. चारों ने मिल कर एक मोटे डंडे का इंतजाम किया.

5 मई की रात लगभग डेढ़ बजे वे नीचे आ गए. नीशू के हाथ में डंडा था. जयदेव ग्राउंड फ्लोर पर गहरी नींद में सो रहा था. दीपा का इशारा मिलते ही नीशू सिंह ने जयदेव सिर पर डंडे से हमला कर दिया. जयदेव करवट लिए सो रहा था. डंडे के हमले से जयदेव का सिर फट गया, लेकिन वह मरा नहीं था. यह देख कर दीपा और छोटे बेटे ने जयदेव के पैर पकड़ लिए. दूसरी तरफ नीशू और हरनाम ने डंडे को गरदन पर रख कर पूरी ताकत से दबा दिया.

थोड़ी देर में ही जयदेव के प्राणपखेरू उड़ गए. पति की हत्या के बाद ही दीपा ने योजना के अनुसार बाहर आ कर शोर मचाना शुरू कर दिया था.

आरोपी दीपा कौर के बयान के आधार पर पुलिस ने दीपा के साथ भाई नीशू, दोनों बेटों हरनाम सिंह व हरमिंदर सिंह से विस्तार से पूछताछ कर दीपा व उस के भाई नीशू को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया. उन्हें 7 मई को मुरादाबाद की जिला कारागार भेज दिया गया. नाबालिग हरनाम व हरमिंदर को बाल सुरक्षा गृह भेज दिया गया.

अपनों के खून से रंगे हाथ : ताइक्वांडो कोच को मिली सजा – भाग 3

हनुमान और उस के दोनों साथी कपिल और दीपक कमरे से बाहर निकल कर बरामदे में आए. तभी वहां सो रहे संतोष शर्मा के छोटे बेटे हैप्पी के हाथ पर हनी का पैर पड़ गया. बच्चों के जग जाने पर पकड़े जाने के डर से वे उन पर भी टूट पड़े. संतोष के बाकी दोनों छोटे बेटों हैप्पी (15 वर्ष) और अज्जू (12 वर्ष) के साथ ही उस के भतीजे निक्की (10 वर्ष) की भी गला रेत कर हत्या कर दी. हत्यारों ने उन्हें भी चाकुओं से निर्ममतापूर्वक गोद डाला.

संतोष के पति और बच्चों की हत्या करने के बाद हनुमान ने संतोष शर्मा से उस की स्कूटी की चाबी मांगी, तब संतोष शर्मा ने चाभी और 3000 हजार रुपए दिए. तीनों हत्यारे स्कूटी से ही फरार हो गए. उन्होंने अलवर रेलवे स्टेशन के पास मंडी मोड़ के निकट सुनसान जगह पर संतोष शर्मा की स्कूटी खड़ी कर दी.

रात ज्यादा हो जाने के कारण उन्हें ट्रेन नहीं मिली. वे आटो में बैठ कर राजगढ़ चले गए. जहां से बाद में हत्याकांड में शामिल उस के दोनों साथी वापस अलवर लौट गए, जबकि संतोष शर्मा का प्रेमी वहां से बांदीकुई होते हुए जयपुर चला गया. वह जयपुर से उदयपुर भाग गया.

यह हत्याकांड किसी फिल्म की तरह था. इतने भयानक हत्याकांड के बारे में जिस ने भी सुना, दांतों तले अंगुली दबा ली. 5-5 गला कटे परिवार के सदस्यों की लाशों के बीच खून भरे कमरे में संतोष शर्मा कई घंटों तक अकेले बैठी रही. तयशुदा योजना के अनुसार सुबह होने से पहले छोटी बहन के पास जा कर सो गई.

वारदात के बाद फैली सनसनी

सुबह होने पर वह भी रोनेचिल्लाने का नाटक करने लगी. मोहल्ले वाले भी आ गए. रोती हुई संतोष शर्मा ने मोहल्ले वालों पर ससुराल वालों के साथ जमीन विवाद के कारण पूरे परिवार को मार देने का आरोप लगा दिया और थोड़ी देर में बीमार बन कर अस्पताल में भरती हो गई. उस के संदिग्ध आचरण को देख कर पुलिस के शक की सुई उस पर जा कर ठहर गई.

एक ही रात में शिवाजी कालोनी के मकान में एक साथ परिवार के 5 लोगों की हत्या की खबर जंगल की आग की तरह चारों तरफ फैल गई. घटनास्थल पर शिवाजी पार्क थाने के एसएचओ विनोद कुमार सांवरिया, एसपी राहुल प्रकाश सहित अन्य आला अफसर पहुंच गए.

घटनास्थल पर पुलिस डौग्स और एफएसएल टीम के साथ फोटोग्राफर ने आ कर अलगअलग एंगल्स से मृतकों की फोटो खींचे.  मीडियाकर्मियों सहित क्षेत्रवासियों की भारी भीड़ एकत्रित हो गई. जितने मुंह उतनी बातें होने लगीं. लोग यकीन नहीं कर पा रहे थे कि क्या कोई औरत ऐसी भी हो सकती है, जो बहन, पत्नी और मां कुछ भी न बन सकी.

अलवर में गांधी जयंती की रात को घटित इस हत्याकांड से पूरा राजस्थान हिल गया था. पुलिस प्रशासन को जवाब देना भारी पड़ रहा था. इस ब्लाइंड मर्डर केस को ले कर विपक्ष ने खूब हायतौबा मचाई, वहीं मीडिया ने भी राज्य में कानूनव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो जाने की खबरें प्रचारितप्रसारित कर पुलिस की नींद उड़ा दी.

तत्कालीन एसपी राहुल प्रकाश ने आला अफसरों की बैठक में दिशानिर्देश देने के साथ ही इस ब्लाइंड मर्डर केस की जांच की जिम्मदारी शिवाजी पार्क थाने के एसएचओ विनोद कुमार सांवरिया को सौंप दी. मामला पेंचीदा था. इसे सुलझाने के लिए टीम गठित की. मौकाएवारदात पर पहुंच कर जांचपड़ताल की. सभी लाशों को पोस्टमार्टम के लिए अलवर के सरकारी अस्पताल भेज दिया गया.

काल डिटेल्स से पुलिस पहुंची आरोपियों तक

पूछताछ के लिए संतोष शर्मा को हिरासत में ले लिया गया. उस का मोबाइल कब्जे में ले कर उस की काल डिटेल्स निकाली गई. जल्द ही सुराग मिलने शुरू हो गए. संतोष शर्मा के फोन की काल डिटेल्स में वारदात से पहले उस की हनुमान प्रसाद से कई बार बात हुई थी. सब से ज्यादा फोन पर बातचीत करने के संकेत मिलने से पुलिस को कुछ और सुराग मिले.

पुलिस ने उदयपुर पहुंच कर हनुमान प्रसाद के कमरे पर दबिश दी. उस के कमरे की तलाशी ली गई. वहां से 7 मोबाइल फोन और बैग से खून सने कपड़े बरामद हुए. हनुमान को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस अहम सबूत के साथ अलवर पहुंची. उच्च अधिकारियों से आवश्यक निर्देश ले कर एसएचओ सांवरिया ने मुलजिम हनुमान से गहन पूछताछ शुरू की.

उस ने अपना जुर्म कुबूल लिया, जिस के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर तथा रिमांड पर ले कर हनुमान की निशानदेही पर अलवर की तहसील राजगढ़ के रेलवे स्टेशन के पास स्थित नाले से हत्या में प्रयुक्त हथियार बरामद कर लिए. अलवर रेलवे स्टेशन के पास खड़ी संतोष शर्मा की स्कूटी भी बरामद कर ली गई. हनुमान की मदद करने वाले साथी कपिल और दीपक को भी अलवर के मालाखेड़ा गुजुकी के किराए के मकान से पकड़ लिया गया.

पुलिस की सख्त पूछताछ से अय्याशी की गर्त में डूबे हनुमान और संतोष शर्मा की कहानी का खुलासा हो गया. उस ने अपना अपराध कुबूल कर सब कुछ विस्तारपूर्वक बता दिया. यह भी बता दिया कि अलवर के मंडी मोड़ पर स्थित पानी की टंकी पर हत्याकांड को अंजाम देने के बाद तीनों ने रक्तरंजित छुरा और अपने हाथ पैर धोए थे. ट्रेन नहीं मिलने पर अलवर रेलवे स्टेशन के आगे आटो से राजगढ़ के लिए फरार हो गए थे.

हनुमान के नाबालिग साथी दीपक और कपिल वापस अलवर चले गए, जबकि खुद राजगढ़ से बांदीकुई जंक्शन चला गया. वहां से ट्रेन पर बैठ कर उदयपुर चला गया. अलवर से उदयपुर तक की लंबी यात्रा की थकान के कारण वह अपने कमरे पर जा कर सो गया था. इस कारण मोबाइल और खून से सने कपड़े को ठिकाने लगाने का उसे वक्त ही नहीं मिल पाया.

दूसरी तरफ संतोष शर्मा को बताया गया कि उस के प्रेमी हनुमान ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है. उस के बाद संतोष शर्मा ने भी हत्याकांड में शामिल होने की बात मान ली. पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया. हत्याकांड में शामिल हनुमान के दोनों साथी नाबालिग ही थे. इस कारण उन्हें बाल न्यायालय में पेश कर बाल सुधार गृह भेज दिया गया.

हत्याकांड का फैसला आ जाने पर एक बार फिर हालात का जायजा लेने के लिए लेखक ने महिला ताइक्वांडो कोच के पति बनवारी लाल के गांव गारू पहुंच कर गांव वालों से बातचीत की.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में वंदना परिवर्तित नाम हैं

नई नवेली दीपा ने सौतेले बेटे संग रची साजिश – भाग 2

पत्नी दीपा कौर पर हुआ शक

जांच करने वाली टीम को यह बात गले नहीं उतर रही थी कि 5-6 मई की रात को जयदेव की हत्या हुई थी, उस दौरान घर में लगे सीसीटीवी कैमरे क्यों बंद थे? टीम इस जांच में लग गई कि कैमरे किस ने बंद किए? उन्हें सुबह 6 बजे किस ने खोला? इस बारे में भदौरिया ने दीपा से भी सवाल किया. उस से सख्ती से पूछा कि कहीं उसी ने कैमरे तो बंद नहीं किए, इस के पीछे उस की क्या मंशा थी?

पुलिस की सख्ती के सामने दीपा कौर सकपका गई. उस का चेहरा सफेद पड़ गया. वह घबरा गई थी. उस की घबराहट को भांपते हुए भदौरिया ने सीधे लहजे में सवाल किया कि वह सब कुछ सचसच बताए, वरना उस की खैर नहीं. उस पर ही जयदेव सिंह की हत्या का आरोप लग सकता है. उसे जेल हो सकती है. कड़ी सजा मिल सकती है. इस के बाद उस से आगे की पूछताछ के लिए महिला कांस्टेबल के हवाले कर दिया.

जैसे ही महिला सिपाही ने दीपा से दोगुनी उम्र के जयदेव से शादी करने का सवाल किया तो वह और भी परेशान हो गई. शादी के सवाल के जवाब में उस ने जयदेव का सरकारी कर्मचारी होना कारण बताया. जब उस के पतिपत्नी के संबंध और बच्चों वाले परिवार में एडजस्ट करने के बारे में पूछा गया, तब वह बिफर गई. पूछताछ के क्रम में उस ने बोल दिया कि जयदेव शराब के नशे में उस की बातबात पर पिटाई करता था.

पति द्वारा दीपा को पीटे जाने की जानकारी मिलते ही एसपी (सिटी) भदौरिया दीपा से पूछताछ करने लगे. आखिरकार दीपा हत्याकांड से संबंधित पूरा मामला बताने के लिए तैयार हो गई. उस ने पति की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. उस के बाद उस ने शराबी पति की हत्या की जो कहानी सुनाई, उस में उस का भाई और सौतेले बेटों का भी नाम शामिल हो गया. उस की पूरी कहानी इस प्रकार निकली-

जयदेव सिंह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला संभल के गांव मडावली रसूलपुर का रहने वाला था. करिअर बनाने की शुरुआत उस ने मुरादाबाद के टैक्सी स्टैंड से की थी. वह साल 2006 में खन्ना ट्रेवल्स की टैक्सी चलाता था. इस के लिए उस ने एक एंबेसडर कार यूपी-21-9494 किराए पर ले रखी थी. बाद में उस की नौकरी संविदा ड्राइवर के तौर पर मुरादाबाद नगर निगम में लग गई.

बाद में वह यूपी के मुरादाबाद के जिलाधिकारी के यहां काम पर लग गया. वहां उस के आचरण को देखते हुए नौकरी स्थाई हो गई. हत्या के समय उस की पोस्टिंग मुरादाबाद की कांठ तहसील के एसडीएम प्रशासन जगमोहन गुप्ता के ड्राइवर के तौर पर थी.

जयदेव ने 23 साल छोटी दीपा कौर से की दूसरी शादी

उस की शादी 18 साल पहले पुष्पा कौर से हुई थी. उस से वह 3 बच्चों का पिता बन गया था. बड़े बेटे का नाम हरनाम सिंह 17 साल, उस से छोटा हरमिंदर सिंह 14 साल और सब से छोटी बेटी जासमीन 10 साल की है. पिछले साल पुष्पा का निधन हो गया था. दरअसल, वह बीते कुछ सालों से दिल की बीमारी से ग्रसित थी. इस के चलते हार्ट अटैक के कारण 25 जुलाई, 2022 को उस की मृत्यु हो गई थी.

अपनी मां की मौत का बच्चों पर काफी गहरा असर हुआ था. बेटा तो इस कारण अपने पिता से ही नाराज हो गया था. उस की शिकायत थी कि पिता ने मां के इलाज में अनदेखी की और वह उन की वजह से ही मर गई. पुष्पा के निधन के कुछ समय बाद ही जयदेव सिंह ने दूसरी शादी की तैयारी शुरू कर दी थी. उस ने दीपा को पसंद किया था, जिस की उम्र मात्र 22 साल थी, जबकि जयदेव सिंह 45 साल का अधेड़ था.

दीपा और उस के परिवार वाले यह जानते थे कि जयदेव सिंह अधेड़ उम्र का बालबच्चे वाला है, इस के बावजूद भी उन्होंने उस से शादी के लिए हामी भर दी. कारण उस की सरकारी नौकरी का होना था. शादी के कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीकठाक चला, उस के बाद दीपा को उस का असली रूप नजर आने लगा. वह एक नंबर का शराबी था और नईनवेली दुलहन को किसी गैरमर्द से बात करना उसे जरा भी पसंद नहीं था. यहां तक कि उस का जवान बेटे से बात करना भी पसंद नहीं था.

इसे ले कर वह उस से काफी नाराज हो जाता था. डांट दिया करता था. यहां तक कि जब वह शराब के नशे में होता था, तब उस की जम कर पिटाई भी कर देता था. एक दिन उस ने बच्चों के सामने ही उस की बेरहमी से पिटाई कर दी थी. वह अपने कमरे में बैठी आंसू बहा रही थी, तभी बच्चों ने आ कर उसे ढांढस बंधाया. उन से उसे हिम्मत मिली और फिर बच्चों के प्रति उस का प्रेम उमड़ आया. वह उन का विशेष खयाल रखने लगी. उन की पसंद का नाश्ता और उन की पसंद का खाना पका कर खिलाने लगी.

बच्चों से दीपा की बढ़ती नजदीकी भी जयदेव को अच्छी नहीं लगती थी. वह चाहता था कि वह जब तक घर में रहे, दीपा उस की बांहों में पड़ी रहे. जबकि दीपा बच्चों के घर में रहने और उन की जरूरतों को पूरा करने को ले कर ऐसा नहीं कर पाती थी.

सौतेले बेटे से हो गया लगाव

एक दिन किसी बात को ले कर जयदेव दीपा की पिटाई कर रहा था, तब बड़े बेटे हरनाम ने उसे आ कर बचाया और पिता को ही डांटते हुए बोला, “अब इसे भी मार डालोगे क्या, एक को तो मार ही चुके हो.”

वह दीपा को अपने पिता से छुड़ा कर कमरे में ले गया. उस के जख्मों का खून साफ कर उस पर दवाई लगाने लगा. दीपा हरनाम के इस व्यवहार से काफी प्रभावित हो गई. सौतेले बेटे से लिपट कर रोने लगी. निहाल भी मां से गले मिल कर रोने लगा.

तभी जयदेव वहां आ गया. उस ने बेटे को दीपा से गले मिलते देखा तो वह और भी आगबबूला हो गया. जयदेव ने उस की भी पिटाई कर दी. पिटने के बाद हरनाम सिंह गुस्से में रुद्रपुर चला गया. उस के जाने के बाद दीपा को दूसरे बच्चों से मालूम हुआ कि जयदीप उस की मां के साथ भी ऐसा ही बर्ताव करता था.

हरनाम सिंह के रुद्रपुर जाने के बाद दीपा ने फोन पर बात की. उस ने पुष्पा की मौत के बारे में पूछा. उस ने बताया कि घर पर ग्लूकोज चढ़ाए जाने के समय उस ने ग्लूकोज की बोतल में शराब का इंजेक्शन दे दिया था. उस के बाद उस की मां की हालत और भी खराब हो गई थी.

                                                                                                                                         क्रमशः

ज्योति ने बुझाई पति की जीवन ज्योति – भाग 4

सीसीटीवी कैमरे लग जाने से ज्योति और संजय डर गए. संजय और ज्योति का मिलन भी बंद हो गया, लेकिन ज्योति शातिरदिमाग की थी. उस ने प्रेमी से मिलन का दूसरा रास्ता निकाल लिया. वह सामान खरीदने के बहाने घर से निकलती और कस्बा के होटल में रूम बुक करा कर संजय को बुला लेती, फिर मिलन कर वापस आ जाती.

घर के बाहर जाने को ले कर ज्योति और प्रदीप में खूब बहस होती और मारपीट भी हो जाती. ज्योति कहती तुम मेरे पांव में बेडिय़ां डालना चाहते हो, लेकिन मैं स्वतंत्र जीना चाहती हूं. मैं तुम्हारा जुल्म बरदाश्त नहीं करूंगी.

घर में कलह के कारण प्रदीप परेशान रहने लगा. वह शराब भी अधिक पीने लगा. संपत्ति को ले कर वह अपने छोटे भाई संदीप चौरिहा से भी भिड़ जाता और मारपीट करता. मां को भी खरीखोटी सुनाता. जमीन के एक टुुकड़े को ले कर उस का विवाद चल रहा था. मां उस टुकड़े को संदीप को देना चाहती थी, जबकि प्रदीप उस पर अपना अधिकार जमा रहा था.

ज्योति अब तक पति की शराबखोरी, मारपीट व शक से ऊब चुकी थी. वह पति से छुटकारा पा कर प्रेमी संजय सिंह के साथ खुशहाल जीवन बिताने के सपने संजोने लगी थी. यही नहीं, वह पति को हलाल कर उस की सरकारी नौकरी तथा संपत्ति पर भी कब्जा करना चाहती थी. इस के लिए वह हर रोज तानेबाने बुनने लगी थी.

इधर ज्योति और प्रदीप में इतनी ज्यादा दरार पड़ गई थी कि उन का झगड़ा हर रोज किसी न किसी बात को ले कर होने लगा था. प्रदीप घर में खाना भी नहीं खाता था और बाजार से खाना ले कर घर आता था. वह पहले शराब पीता, ज्योति को गालियां बकता फिर खाना खाता था.

पति के मर्डर की रची साजिश

17 अप्रैल, 2023 की सुबह अवैध संबंधों को ले कर ज्योति और प्रदीप में खूब झगड़ा हुआ. मारपीट कर जब प्रदीप कालेज चला गया तो ज्योति ने संजय को फोन कर घर बुला लिया. उस ने संजय से स्पष्ट कहा कि वह यदि उसे अपनी बनाना चाहता है तो उसे उस के पति को ठिकाने लगाना होगा. उस की मौत के बाद उसे सरकारी नौकरी तथा संपत्ति मिल जाएगी. फिर वह उस से शादी कर जीवन भर ऐश करेगी.

चूंकि संजय सिंह ज्योति का दीवाना था, इसलिए वह ज्योति के पति प्रदीप चौरिहा की हत्या करने को राजी हो गया. इस के बाद दोनों ने मिल कर हत्या की योजना बनाई. संजय सिंह ने हत्या की इस योजना में अपने दोस्त राघवेंद्र सिंह को भी शामिल कर लिया. वह बांदा जिले के थाना मैलानी के रसड़ा गांव का रहने वाला था. दोस्ती और पैसों के लालच में वह उस का साथ देने को राजी हो गया.

योजना के तहत संजय सिंह ने फोन कर राघवेंद्र सिंह को अतर्रा बुला लिया. फिर दोनों ने मिल कर एक तेजधार वाला चाकू अतर्रा बाजार से खरीदा और उसे सुरक्षित रख लिया. रात 10 बजे दोनों ने शराब पी और होटल में खाना खाया. फिर वह नरैनी रोड आए और ज्योति के फोन का इंतजार करने लगे.

इधर गुस्से में आगबबूला प्रदीप चौरिहा देर शाम खाना व शराब की बोतल ले कर घर आया. कमरे में बैठ कर उस ने शराब पी और ज्योति को खूब गालियां बकीं. उस के बाद वह आधाअधूरा खाना खा कर पलंग पर पसर गया. प्रदीप जब नशे में खर्राटे भरने लगा तो ज्योति ने योजना के तहत सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए और डीवीआर गायब कर दिया.

इस के बाद वह दूसरे कमरे में आ कर लेट गई. उस ने दोनों बेटियों को भी सुला दिया. रात 12 बजे जब सन्नाटा पसर गया, तब ज्योति ने संजय सिंह को फोन कर घर बुलाया. संजय अपने दोस्त राघवेंद्र के साथ घर आया तो ज्योति ने चुपके से पीछे वाला दरवाजा खोल कर उन दोनों को घर के अंदर कर लिया.

रात 2 बजे के लगभग ज्योति चौरिहा, संजय सिंह और राघवेंद्र सिंह प्रदीप के कमरे में पहुंचे. ज्योति और राघवेंद्र सिंह ने गहरी नींद सो रहे प्रदीप के पैर दबोच लिए तथा संजय सिंह ने उस का गला रेत दिया. चूंकि लाश ठिकाने लगाना नामुमकिन था, अत: उन तीनों ने प्लान बी तैयार किया. इस प्लान के तहत संजय सिंह ने ज्योति को दूसरे कमरे में बंद कर दिया, फिर दोनों फरार हो गए.

प्लान के तहत ज्योति ने सुबह दरवाजा पीटना शुरू किया तथा प्रदीप को आवाज दी. उस के बाद ज्योति ने किराएदार राखी राठी को फोन कर बुलाया और बाहर से बंद दरवाजा खुलवाया. राखी के साथ ज्योति जब पति के कमरे में गई तो पलंग पर पति की लाश देख कर वह रोनेधोने का नाटक करने लगी.

21 अप्रैल, 2023 को पुलिस ने हत्यारोपी ज्योति चौरिहा, संजय सिंह तथा राघवेंद्र सिंह को बांदा कोर्ट में पेश किया, जहां से उन को जिला जेल भेज दिया गया. पिता की हत्या व मां के जेल जाने से मासूम दोनों बेटियां सहम गईं. वे दोनों दादी निर्मला देवी के संरक्षण में रह रही हैं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

अपनों के खून से रंगे हाथ : ताइक्वांडो कोच को मिली सजा – भाग 2

अय्याशी के चक्कर में परिजनों से बेरुखी

उसे हनुमान काफी पसंद आता था. उसे उस ने अपने रूपजाल में फांस लिया था. वह उस के इशारे पर कुछ भी कर गुजरने को हरदम तैयार रहता था. इस के एवज में संतोष शर्मा उस पर दिल खोल कर प्रेम सुख लुटा रही थी. वह किसी न किसी स्पोट्र्स टूर्नामेंट के बहाने जबतब घूमने जाने लगी और अपनी यात्राओं को भागवत कथा या धार्मिक आयोजन बता कर घर वालों से झूठ बोल कर चली जाती थी. जबकि वह अपने आशिक के पास उदयपुर में होती थी. वहां दोनों लिवइन में रहने लगे थे. वहां वह जम कर रंगरलियां मनाने लगी थी.

उस के आचरण में एक तरह से मक्कारी और शातिरानापन आ गया था. वह एक मतलबी और अपने सुख की चाहत में रहने वाली महिला बन चुकी थी. साथ ही परिवार पर अपनी दबंगई दिखाती रहती थी. उस के गुस्सैल स्वभाव से छोटी बहन वंदना, जो उस की सगी देवरानी भी थी, डरती थी. संतोष शर्मा डांटफटकार कर उस से घर के काम करवाती रहती थी. यही नहीं, अपने बच्चों के साथ भी काफी तल्खी से पेश आती थी.

जरा सी गलती हो जाने पर उन को बेल्ट से पीट डालती थी. इसलिए बच्चे भी उस से हमेशा खौफजदा रहते थे. उस के घर से बाहर रहने पर बच्चे ज्यादा खुश रहते थे. वह ससुराल वालों को बेवकूफ बनाने में माहिर हो चुकी थी. भागवत कथा वाचक बन कर कथा सुनाने और रामलीला के किरदार निभाने का दिखावा करती थी. इसलिए घर वालों की निगाह में वह धार्मिक महिला थी. यह कहें कि संतोष शर्मा अपने घर वालों की आंख में धूल झोंक कर ऐशमौज कर रही थी.

कहते हैं न कि हर किसी की कोई न कोई कमजोरी रहती है. संतोष शर्मा की भी एक कमजोरी सोशल साइटों पर फोटो पोस्ट करने और उसे शेयर करने की थी. यही शौक उस के लिए एक दिन मुसीबत बन गया. एक बार उस के बच्चों ने सोशल मीडिया पर संतोष शर्मा की बिंदास अदाओं की तसवीरें देख लीं. वे चौंक गए.

उन्हें भरोसा ही नहीं हुआ कि उस की मां की इस तरह की अश्लील तसवीरें भी हो सकती हैं. उन्होंने पापा को भी वे तसवीरें दिखाईं. वह भी उसे देख कर सन्न रह गया. फोटो देख कर उस के 17 साल के बड़े बेटे अमन और पति बनवारी ने घर में हंगामा खड़ा कर दिया. अमन ताइक्वांडो का उभरता खिलाड़ी भी था. समझदार होने लगा था.

पति ने लगा दी पाबंदी

संतोष शर्मा उस पर पाबंदी लगाने लगी, जिस कारण उस ने नारजागी दिखाई. उस की नाराजगी हनुमान को ले कर भी हुई, जो घर भी आने लगा था. उस के साथ संतोष शर्मा के बढ़ता मेलजोल की जानकारी बापबेटों को हो गई थी. हनुमान जब भी अलवर के गुजुकी क्षेत्र में अपने दोस्त कपिल के कमरे पर आता था, तब संतोष शर्मा उस से मिलने पहुंच जाती थी.

इस तरह ढाई साल का समय कब गुजर गया, पता ही नहीं चला. इस बीच संतोष शर्मा पर पति और बेटे ने घर से बाहर जाने पर रोक लगा दी. एक दिन पति से उस की तकरार हो गई. गुस्से में आ कर बनवारी ने संतोष शर्मा की पिटाई कर दी. पति से पिटने के बाद संतोष शर्मा चोट खाई नागिन बन गई. गुस्से में फुंफकार उठी.

उस घटना के बाद प्रेमी युगल का मेलमिलाप बंद हो गया था. संतोष शर्मा मिलन को तड़प उठी थी. एक दिन मौका पा कर संतोष शर्मा हनुमान से मिली और अपनी परेशानी बताने के साथ ही पति और बेटे को रास्ते से हटाने की साजिश भी रच डाली.

दोनों ने योजना बना कर फरजी आईडी पर 2 सिम खरीद लिए. एक सिम संतोष शर्मा को दे कर दूसरी सिम अपने पास रख लिया. इसी सिम से वे साजिश के बारे में बातचीत करने लगे. एक दिन पक्की योजना बन गई. कब और कैसे वारदात को अंजाम देना है, इस का प्रारूप तैयार हो गया. यहां तक कि सबूत कैसे नष्ट करने हैं, फरार कैसे होना है, कहां रहना है, वारदात के बाद फरारी कहां काटनी है और वारदात के सबूत कैसे नष्ट करने हैं? वगैरह वगैरह…!

इसी के साथ संतोष शर्मा के प्रेमी ने 30 सितंबर, 2017 को औनलाइन शौपिंग वेबसाइट से 1,260 रुपए में जानवरों को काटने का एक बड़ा चापड़ (चाकू) भी मंगवा लिया. चापड़ 31 सेंटीमीटर लंबा और 4 सेंटीमीटर चौड़ा था. वह एक तरफ से धारदार तथा दूसरी तरफ से कांटेदार था. इस के अलावा शरीर को छलनी करने के लिए अलवर के केडलगंज से 2 और बड़े चाकू खरीद लिए थे. उन की योजना बापबेटे की एक साथ हत्या करने की थी.

वारदात की रच ली पूरी साजिश

हत्या के बाद पुलिस को कोई निशान और सुराग नहीं मिले, इस के लिए दस्ताने (ग्लव्ज) ला कर भी रख लिए थे. वारदात को अंजाम देने के लिए उन्होंने गांधी जयंती 2 अक्तूबर, 2017 की तारीख तय की थी. उस से 2 दिन पहले ही हनुमान उर्फ हनी उदयपुर से अलवर आ गया था.

संतोष शर्मा अपने प्रेमी से अकसर फरजी कागजात पर लिए गए सिम का ही इस्तेमाल करती थी. जरूरत के अनुसार उसे अपने मोबाइल में लगा लेती थी. तय योजना के मुताबिक संतोष शर्मा का आशिक अपने सीकर वाले दोस्त से नींद की गोलियां भी ले आया था. गोलियां संतोष शर्मा को सौंपते हुए शाम का खाना बनाते समय सिलबट्ïटे पर चटनी बनाते समय उस में पीस देने और रायते में डाल देने के लिए कहा था.

सब कुछ योजना के अनुसार चल रहा था. पहले संतोष शर्मा ने प्रेम से बड़े बेटे को खाना खिलाया. इसी दौरान संतोष शर्मा की बहन वंदना ने उस से कुछ पूछा तो उस ने उसे डांट कर भगा दिया. रात को पौने 10 बजे चुके थे. संतोष शर्मा का प्रेमी उस के घर पहुंच गया था. संतोष शर्मा मुसकराती हुई बोली, ‘‘क्या हनी, इतनी जल्दी कैसे आ गए?’’

हनुमान ने आशिकाना अंदाज में जवाब दिया, ‘‘तुम से दूरी बरदाश्त नहीं हो रही थी.’’

जबाव में हंसती हुई संतोष शर्मा बोली, ‘‘सब्र करो वरना जल्दबाजी में सारा खेल बिगड़ जाएगा. रास्ते के कांटे हटाने के बाद तो मैं हमेशा के लिए तुम्हारी हो जाऊंगी.’’

इसी के साथ संतोष शर्मा ने उसे रात को एक बजे वापस आने को कहा. वह फ्लाइंग किस दे कर वापस चला गया. रात को एक बजे अपने 2 साथियों कपिल और दीपक के साथ संतोष शर्मा के घर जा पहुंचा. संतोष शर्मा छत पर टहल रही थी. उस ने हनी को इशारा किया और नीचे आ कर चुपचाप घर का मेनगेट खोल कर तीनों को घर में बुला लिया. संजना ने इशारे से बता दिया कि उस का पति और बड़ा बेटा कहां सो रहे हैं. हनुमान और उस के दोनों साथी अपनेअपने हाथों में दस्ताने पहन कर उस कमरे में गए, जहां जीरो वाट के बल्ब की हल्की रौशनी थी.

प्यार में 5 जनों का कत्ल

सब से पहले हनुमान ने संतोष शर्मा के पति बनवारी लाल (42 वर्ष) के गले को धारदार बड़े चाकू से काट दिया. जबकि उस के दोनों साथियों ने बनवारी के जिस्म को चाकुओं से गोद डाला. उस की मौत हो जाने के बाद संतोष शर्मा अमन के पास गई. उस दिन उस की तबीयत खराब थी, इसलिए उस ने रायता नहीं पीया था.

आहट पा कर उस की नींद खुल गई और उस ने उठने की कोशिश की, लेकिन तभी हनी और उस के साथियों ने उसे भी दबोच लिया और हनी ने उस का गला रेत दिया. उस के दोनों साथियों ने अमन को भी चाकुओं से गोदगोद कर ठिकाने लगा दिया.

संगीता के प्यार की झंकार – भाग 3

अवशिष्ट को जब संगीता के गांव से लौट आने की जानकारी मिली, तब वह भागाभागा उस से मिलने आ गया. उस वक्त घर पर श्रीराम भी था. संगीता ने पति के सामने ही उसे रूखेपन के साथ कहा कि वह श्रीराम के रहने पर ही यहां आए. इस पर श्रीराम और अवशिष्ट चुप रहे. जैसे ही श्रीराम कुछ मिनट के लिए कमरे से बाहर गया अवशिष्ट ने जेब से एक मोबाइल निकाल कर संगीता को पकड़ा दिया. बोला, ‘‘इसे छिपा कर रखना. जब बात करनी हो तो इसी से फोन करना.’’

उस रोज चायनाश्ते के बाद अवशिष्ट चला गया. कुछ दिन बीत गए. इस बीच जब श्रीराम ड्यूटी पर होता था तब वह अवशिष्ट के दिए फोन से बातें करती. अस्पताल में श्रीराम की ड्यूटी शिफ्ट में होती थी. उस रोज उस की ड्यूटी रात को होने वाली थी. अवशिष्ट को इस की सूचना संगीता ने फोन कर दे दी और उसे अपने घर पर बुला लिया.

शाम ढलते ही अवशिष्ट आ गया. उस से काफी देर तक बातें कीं. आगे की योजना बनाई. रात के 8 बजने वाले थे. संगीता ने अवशिष्ट को रात में वहीं रुकने के लिए कहा.

संगीता ने प्रेमी के साथ गटके पैग

अवशिष्ट तुरंत बाजार गया और बच्चों के लिए खानेपीने का कुछ सामान ले आया. साथ में शराब की एक बोतल भी खरीद लाया. पहले भी वह श्रीराम के साथ बैठ कर कई बार शराब की महफिल जमा चुका था.

इस में संगीता भी साथ दिया करती थी. उस रोज भी वह शराब की बोतल देख कर खुश हो गई. काफी दिनों बाद अवशिष्ट के साथ पैग लगाने का मौका जो मिल गया था. वह भी अकेले में. अवशिष्ट ने फटाफट शराब के 2 पैग गटक लिए और कमरे में पड़े बैड पर पसर गया. थोड़ी देर में संगीता प्लेट में कुछ नमकीन ले आई. गिलास खाली देख कर बोली, ‘‘अकेलेअकेले गटक लिए.’’

अवशिष्ट लेटालेटा बोला, ‘‘एक और बना दो.’’

संगीता गिलास में 2 पैग शराब डालने के बाद अपने साथ गिलास में एक पैग बना लिया. गिलास को छोटे टेबल पर रख कर अवशिष्ट को उठने के लिए कहा. अवशिष्ट ने उठने के बजाए अपना हाथ बढ़ा दिया, ‘‘ये लो, खींच कर उठाना जरा.’’

संगीता मुसकराती हुई उस का हाथ खींचने लगी, लेकिन वह अपनी ताकत लगाती कि इस से पहले अवशिष्ट ने उसे ही खींच कर अपने ऊपर गिरा लिया, ‘‘अरे..अरे, यह क्या करते हो…’’ कहती हुई संगीता अवशिष्ट के शरीर पर गिर पड़ी. संगीता उठने का प्रयास करने लगी. हालांकि अवशिष्ट की मदद से ही वह उठ पाई और अपने अस्तव्यस्त कपड़े को संभालने लगी.

इस क्रम में अवशिष्ट की निगाह उस की मांसल शरीर पर गई. एक नजर उस ने उभार पर भी डाली और दूसरी नजर उस की शरमाई हुई आंखों पर. संगीता ने चुपचाप शराब का गिलास उसे पकड़ा दिया.

‘‘अपना गिलास तो उठाओ. चीयर्स करते हैं,’’ अवशिष्ट बोला. झेंपती हुई संगीता ने अपना गिलास उठा लिया और चीयर्स करने के बाद उन्होंने अपनेअपने गिलास को एक साथ होंठों से लगा लिया.

उस के बाद संगीता ने 3 और पैग बनाए. उन्होंने नमकीन खाई. चीयर्स किया फिर पैग दर पैग गटकते रहे. अवशिष्ट पर शराब का नशा छाने लगा था, जबकि संगीता पर शराब के साथसाथ यौवन का नशा भी छा चुका था. दोनों कब दो जिस्म एक जान हो गए, पता ही नहीं चला.

आधी रात को जब संगीता को होश आया तब उस ने खुद को अवशिष्ट की बलिष्ठ बाहों में पाया. लंबे अरसे के बाद उस ने अपनी कामुकता को इतना शांत महसूस किया था. अवशिष्ट की भी आंखें खुल चुकी थीं. उसे भी संगीता के समर्पण को ले कर आश्चर्य हुआ.

दोनों एकदूसरे से अलग हुए. अपनेअपने कपड़े पहने और बैठ कर इधरउधर की बातें करने लगे. संगीता ने पति को ले कर आशंका जताई. चिंतित हो कर बोली, ‘‘हमारे संबंध के बारे में श्रीराम को नहीं मालूम पड़ना चाहिए, वरना वह हमें कहीं का नहीं छोड़ेगा.’’

‘‘उसे कैसे मालूम होगा?’’ अवशिष्ट बोला.

हालांकि सवाल तो दोनों के मन में था कि वे श्रीराम की नजरों से बचते हुए इस नए रिश्ते को कायम कैसे रखें. इस का हल संगीता ने ही निकाला कि वे चोरीछिपे मिलेंगे. उसे छिपा कर फोन पर बातें होंगी.

वे बातों में इतने खो गए कि उन्हें पता ही नहीं चला सुबह के 4 बजने वाले हैं. वे अपने संबंधों के आड़े आने वाली समस्या का समाधान निकालने लगे थे, तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आई.

संगीता ने ‘कौन है’ पूछा तो बाहर से श्रीराम की आवाज आई. उस ने भाग कर शराब की बोतल, नमकीन के प्लेट, गिलास आदि हटा कर बिस्तर ठीक किया और दरवाजा खोला. अवशिष्ट श्रीराम को आया देख कर सकपका गया. श्रीराम भी उसे घर में देख कर पूछ बैठा, ‘‘तुम यहां? रात को यहीं थे?’’

‘‘अरे, नहीं. मैं तो अभीअभी आया हूं. तुम्हारे बारे में पूछ ही रहा था. असल में मेरी गाड़ी चौराहे के पास ही खराब हो गई थी. मैं ने सोचा कि तुम से किसी मैकेनिक की मदद मिल जाएगी. यहां तुम्हारी जानपहचान का कोई मैकेनिक होगा ही, इसलिए आ गया.’’ अवशिष्ट ने रुकरुक कर अपनी बात पूरी की.

संगीता आश्चर्य से उस का चेहरा देखने लगी. श्रीराम बोला, ‘‘अभी तो नहीं, सुबह 9 बजे के करीब ही मैकेनिक मिल पाएगा. तब तक तुम यहीं रुक जाओ.’’

‘‘नहींनहीं, मैं टैंपो से घर चला जाता हूं, सुबह तो होने वाली ही है.’’ कहता हुआ अवशिष्ट चला गया. उस के जाने के बाद श्रीराम ने गुस्से में संगीता से पूछा, ‘‘सचसच बताओ, वह यहां कब आया था? संगीता ने हाथ जोड़ लिए. माफी मांगते हुए बोली, ‘‘उस ने जो बताया सही था. मेरा उस के साथ कोई नाजायज संबंध नहीं है, जैसा तुम समझ रहे हो.’’

उस वक्त तो श्रीराम और ज्यादा कुछ नहीं बोला. सिर्फ हिदायत दी कि आगे से वह उसे अवशिष्ट के साथ देखना नहीं चाहता है.

पति से दूरियां, प्रेमी से नजदीकियां

उस के बाद अवशिष्ट कुल 2 महीने तक श्रीराम की नजरों से छिपा रहा, लेकिन संगीता से उस का मिलना बंद नहीं हुआ. वह श्रीराम के नहीं रहने पर अवशिष्ट को बुला लेती थी. इस तरह से उन के बीच नाजायज रिश्ते की रेल चलती रही. पति की नजरों में अच्छी बनी रहने के लिए वह उस की हर बात मान लेती थी.

इस की जानकारी श्रीराम को भी हो गई थी, लेकिन अपनी बदनामी के डर से चुप लगाए हुए था. धीरधीरे उस ने संगीता को सही रास्ते पर लाने की काफी कोशिशें कीं, मगर संगीता पर तो इश्क का भूत और जिस्म का नशा सवार था.

जब कभी पति शारीरिक संबंध के लिए कहता तो सिरदर्द का बहाना बना लेती थी. जबकि वह प्रेमी संग गुलछर्रे उड़ाया करती थी. शर्मसार श्रीराम उन के बीच के रिश्ते को रोक पाने में असफल था. वह विवश भी था. धीरेधीरे अवशिष्ट पहले की तरह बेधड़क संगीता के पास आनेजाने लगा.

फिर से अवशिष्ट को ले कर घर में श्रीराम और संगीता के बीच कलह होने लगी. एक दिन श्रीराम दोपहर के समय घर पहुंचा, तो संगीता को आधेअधूरे कपड़े में पाया. उस वक्त अवशिष्ट भी मौजूद था. उस ने उसे  काफी भलाबुरा कहा. उस के जाने के बाद संगीता को भी समझाया.

घर में रोजरोज के कलह से बचने के लिए संगीता जरूरी काम का बहाना बना कर मायके चली गई. मायके वालों को जब संगीता के अवैध रिश्ते के बारे में जानकारी मिली, तब उन्होंने भी उसे समझाने की कोशिश की. फिर वह मायके से वापस आ गई. लखनऊ आते ही उस का पुराना खेल फिर शुरू हो गया.

अगली बार जब संगीता और अवशिष्ट मिले, तब उन्होंने अपने भविष्य की योजना बनाई कि कैसे श्रीराम से छुटकारा पाया जाए. संगीता ने कहा कि श्रीराम के रहते एक साथ बगैर रोकटोक के सुखशांति से जीवन गुजारना मुश्किल है. अवशिष्ट ने जब पूछा कि क्या किया जाना चाहिए, तब संगीता ने 2 प्रस्ताव रखे कि कहीं भाग चलें या फिर श्रीराम को रास्ते से हटाने का वही कोई तरीका बताए. दोनों की किसी भी बात पर रजामंदी नहीं बनी.

अवशिष्ट ने संगीता को सपने दिखाते हुए कहा कि वह उस के कहने पर श्रीराम को हमेशा के लिए रास्ते से हटा देगा. इस से उस के जीवन भर के लिए कांटा तो दूर हो जाएगा. साथ ही उस के मरने के बाद मकान, प्लौट, धन उस के नाम हो जाएगा. यहां तक कि अनुकंपा पर उसे नौकरी भी मिल जाएगी. इस तरह से वह श्रीराम की सारी संपत्ति की वारिस बन जाएगी.

यह प्रस्ताव संगीता को अच्छा लगा. जबकि सच तो यह भी था कि इस से अवशिष्ट को भी फायदा होने वाला था. वह चाहता था कि श्रीराम की मौत के बाद उस से शादी कर लेगा और फिर उस की संपत्ति का हकदार भी बन जाएगा.

भाड़े के हत्यारों को किया शामिल

संगीता के हामी भरने के बाद योजना बनाई गई. इस में संतोष और सुशील को पैसे का लालच दे कर योजना में शामिल किया गया. दोनों राजकीय पौलीटेक्निक के जहांगीराबाद कैंपस के तालाब से मछली का कारोबार करते थे.

श्रीराम अपनी कार बेचना चाहता था. यह बात उस ने अवशिष्ट को भी बता दी थी. तय कार्यक्रम के अनुसार 18 दिसंबर, 2021 की शाम राम मनोहर लोहिया मैडिकल संस्थान से अवशिष्ट ने श्रीराम से कहा कि कार खरीदने के लिए 2 युवक मैडिकल संस्थान में आए हैं. वे कार की टेस्ट ड्राइव करना चाहते हैं. उन के साथ उन के परिवार की एक महिला भी है.

वे युवक कोई और नहीं बल्कि अवशिष्ट द्वारा भेजे गए भाड़े के बदमाश सुशील और संतोष थे जो कुंती नाम की महिला को इसलिए अपने साथ लाए थे ताकि श्रीराम को उन पर शक न हो. टेस्ट ड्राइव के बहाने दोनों युवक श्रीराम को कार में बिठा कर फैजाबाद रोड पर ले गए इस के बाद वे किसान पथ से कार को इंदिरा नगर की ओर ले गए. वहां एक सुनसान जगह पर कार रोक दी.

अवशिष्ट अपनी कार से उन के पीछेपीछे चल रहा था. उस के साथ प्रेमिका संगीता थी. सुनसान जगह पर श्रीराम को कार से उतारने के बाद सुशील ने तमंचे से श्रीराम पर फायर झोंक दिया. लेकिन फायर मिस हो जाने के कारण अवशिष्ट के दिए हुए पिस्टल से श्रीराम को गोली दाग दी. उस की घटनास्थल पर ही मौत हो गई.

उन्होंने शव को इंदिरा नहर में फेंक दिया. तीनों उस की कार को लखनऊ हाईवे से लिंक रोड पर करौली के पास छोड़ कर चले गए, जिसे बाद में पुलिस ने बरामद किया. अवशिष्ट ने भी अपनी कार दूसरी जगह ले जा कर खड़ी कर दी. वह कार भी 24 दिसंबर, 2021 को पुलिस ने बरामद कर ली थी. उसी कार कार से मिले कुछ दस्तावेजों के आधार पर संगीता और अवशिष्ट कुमार की गिरफ्तारी हो पाई. उन्होंने श्रीराम हत्याकांड में संतोष, सुशील और कुंती का नाम लिया, जिन की भी अगले दिन गिरफ्तारी हो गई.

इस पूरे मामले को निपटाने में एसआई उदयराज निषाद, अतिरिक्त क्राइम ब्रांच इंसपेक्टर विनोद यादव और पवन सिंह समेत महिला एसआई दीपिका सिंह व सिपाही पूजा देवी की सराहनीय भूमिका रही.

पुलिस सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी थी. कथा संकलन तक श्रीराम की लाश बरामद नहीं हो पाई थी.

ज्योति ने बुझाई पति की जीवन ज्योति – भाग 3

प्रदीप चौरिहा सरकारी नौकरी में था. घर में किसी चीज की कमी भी न थी. सब कुछ ठीकठाक था. इस के बावजूद ज्योति को यह बात हमेशा सालती रहती थी कि उस का पति उम्र में उस से बड़ा है. यही टीस कभी दर्द बन जाती तो पतिपत्नी में झगड़ा हो जाता. हालांकि लड़ाईझगड़ा प्रदीप को पसंद न था, लेकिन वह मजबूर था.

प्रदीप शराब का भी लती था. शराब पी कर घर आना फिर बकवास करना ज्योति को कतई पसंद न था. इस बात को ले कर भी दोनों में कलह होती थी. लड़ाईझगड़ा बढ़ता गया तो उन के संबंधों में दरार आने लगी. ज्योति को मोबाइल का शौक था. वह अकसर फेसबुक खोल कर चैटिंग करने बैठ जाती. रात में घर के सारे काम निपटा कर ज्योति चैटिंग करने बैठती तो दूसरी ओर संजय सिंह औनलाइन मिलता, जैसे वह पहले से ज्योति का इंतजार कर रहा होता.

ज्योति से चैटिंग करने में संजय सिंह को भी बड़ा मजा आता था. ज्योति की प्यार भरी बातों से संजय की दिन भर की थकान दूर हो जाती थी. ज्योति से चैटिंग कर के वह तरोताजा महसूस करता था. चैटिंग द्वारा ज्योति और संजय एकदूसरे से घुलमिल गए थे.

एक दिन संजय ज्योति से चैटिंग कर रहा था, तभी उस के मोबाइल की घंटी बजी. उस ने पूछा, “हैलो, कौन?”

“हैलो संजय, मैं ज्योति बोल रही हूं. वही ज्योति जिस से आप चैट कर रहे हो.”

“अरे ज्योतिजी आप, आप को मेरा नंबर कहां से मिल गया?” संजय ने खुश होते हुए पूछा.

“लगन सच्ची हो और दिल में प्यार हो तो सब कुछ मिल जाता है. नंबर क्या चीज है?” ज्योति ने कहा.

ज्योति की आवाज में मिठास थी. उस से बातें करते हुए संजय को बहुत अच्छा लग रहा था. इसलिए उस ने चौटिंग बंद कर के पूछा, “ज्योतिजी, आप रहती कहां हैं?”

“अतर्रा कस्बे के नरैनी रोड पर राजेंद्र नगर मोहल्ले में. मेरे पति प्रदीप चौरिहा हिंदू इंटर कालेज में लिपिक हैं. पति के साथ ही मैं रहती हूं. और आप?”

“मैं बांदा शहर के शुकुल कुआं मोहल्ले में अपने मातापिता के साथ रहता हूं. मैं प्राइवेट जाब करता हूं. जाब के सिलसिले में कभीकभी दिल्ली भी जाना पड़ता है.”

फेसबुक फ्रैंड से बन गए प्रेमी

दोनों के बीच बातचीत हुई तो दोनों के दिल एकदूसरे के लिए धडक़ने लगे. अब उन की रोज मोबाइल फोन पर बात होने लगी. कभी ज्योति संजय सिंह को फोन करती तो कभी संजय ज्योति को. उन के बीच अब रसभरी बातें होने लगीं. हंसीठिठोली भी होने लगी. उन के बीच प्रेम संबंध हो गए. उन्माद की तरंगें दोनों तरफ से उठने लगीं तो दोनों मिलने को उत्सुक हो उठे.

एक रोज फोन पर बतियाते समय संजय सिंह ने आमनेसामने मिलने की इच्छा जताई. ज्योति ने पहले तो आनाकानी की, फिर मिलने को राजी हो गई. दोनों ने दिन, तारीख व समय भी निश्चित कर लिया. पहचान के लिए उन्होंने अपने पहनावे की भी जानकारी एकदूसरे को दे दी.

निश्चित दिन तारीख पर संजय सिंह अतर्रा कस्बा स्थित एक रेस्तरां में आ गया. वहां से उस ने ज्योति को फोन किया तो ज्योति भी कुछ देर बाद रेस्तरां आ गई. पहनावे से दोनों ने एकदूसरे को पहचान लिया. खूबसूरत ज्योति को संजय सिंह ने देखा तो पहली ही नजर में वह उस के दिल में रचबस गई.

ज्योति भी हैंडसम संजय सिंह को देख कर खुश हुई. उस रोज संजय व ज्योति के बीच खूब प्यार भरी बातें हुईं. ज्योति ने संजय को अपना घर भी दिखा दिया लेकिन सचेत किया कि वह घर तभी आए, जब वह फोन कर बुलाए. इस के बाद संजय व ज्योति की मोहब्बत दिनप्रतिदिन बढऩे लगी.

एक रोज ज्योति का पति प्रदीप कालेज के काम से प्रयागराज गया तो ज्योति ने संजय को अपने घर बुला लिया. उस रोज न संजय अपने पर काबू रख सका और न ही ज्योति. दोनों सारी मर्यादाएं तोड़ कर एकदूसरे में समा गए. संजय जहां जवानी में होश खो बैठा, वहीं ज्योति भूल गई कि वह ब्याहता है. उसे न तो बच्चों के भविष्य की चिंता हुई और न पति के साथ विश्वासघात की.

प्रेमी को घर पर ही बुलाने लगी ज्योति

अवैध संबंधों का सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो फिर बढ़ता ही गया. प्रदीप जिस दिन कस्बे से बाहर जाता, उस दिन ज्योति आशिक संजय को घर बुला लेती और उस के साथ खूब रंगरलियां मनाती. संजय जब भी आता, ज्योति मकान के पिछले हिस्से का दरवाजा खोल देती और फिर उसी दरवाजे से बाहर भेज देती. वह ऐसा इसलिए करती, जिस से किसी को उस के आने की खबर न हो.

दरअसल, मकान का मेन गेट सडक़ की ओर था, जिस से चहलपहल रहती थी जबकि पीछे का दरवाजा सुनसान रहता था. ज्योति मकान के प्रथम तल पर रहती थी, जबकि भूतल पर किराएदार राखी राठी रहती थी. वही मेन गेट खोलती व बंद करती थी. ज्योति की सास निर्मला छोटे बेटे के साथ अलग मकान में रहती थीं. गरममिजाज के कारण उस की ज्योति से नहीं पटती थी.

ज्योति बड़ी सावधानी से अपने आशिक से मिलन करती थी. इस के बावजूद एक रोज उस का भांडा फूट गया. उस रोज घर के पिछले दरवाजे से किसी युवक को घर से बाहर निकलते समय सास निर्मला ने देखा तो उन का माथा ठनका. वह जान गई कि बहू कुलच्छिनी है. उन्होंने ज्योति से तो कुछ नहीं कहा, लेकिन प्रदीप से शिकायत कर दी. इस पर प्रदीप ने ज्योति से सवालजवाब किया और पिटाई भी कर दी.

पति की पिटाई ने आग में घी डालने जैसा काम किया. वह प्रदीप को नापसंद तो पहले से करती थी, अब उस ने उसे पूरी तरह दिल से निकाल कर प्रेमी संजय को दिल में बसा लिया. इधर ज्योति की निगरानी के लिए प्रदीप ने घर में सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए और अपने मोबाइल से कनेक्ट कर लिए, ताकि वह पत्नी की गतिविधियों पर नजर रख सके.

                                                                                                                                              क्रमशः