ज्योति ने बुझाई पति की जीवन ज्योति – भाग 2

संदीप चौरिहा संदेह के घेरे में आया तो पुलिस टीम ने उसे हिरासत में ले कर कड़ाई से पूछताछ की. लेकिन संदीप ने भाई की हत्या से साफ इंकार कर दिया. उस ने बताया कि भाई की हत्या में ज्योति भाभी का ही हाथ है. भाभी का चरित्र पाकसाफ नहीं है.

भाभी से मिलने कोई युवक आता था. भाभी उस के साथ घूमने भी जाती थी. उस युवक को ले कर भैयाभाभी के बीच झगड़ा भी होता था. संदीप ने कहा कि सुरागसी के लिए भैया ने कमरे के अंदरबाहर सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए थे और अपने मोबाइल फोन से कनेक्ट करा लिए थे ताकि वह भाभी की गतिविधियों पर नजर रख सकें. लेकिन शातिर भाभी ने फिर भी भैया को मरवा दिया. उन्होंने ही कैमरे बंद किए और डीवीआर गायब कर दिया.

ज्योति के चरित्र पर हुआ शक

मृतक की मां निर्मला देवी तथा अड़ोसपड़ोस के लोगों से भी पुलिस ने पूछताछ की. निर्मला देवी तथा पड़ोसियों ने भी ज्योति के चरित्र पर संदेह जताया. उन्होंने बताया कि ज्योति से मिलने अकसर एक युवक आता था. ज्योति उस की बाइक पर बैठ कर बाजारहाट भी जाती थी, लेकिन प्रदीप के घर आने से पहले ही वह वापस आ जाती थी.

अब तक की जांच पड़ताल में पुलिस इस नतीजे पर पहुंच चुकी थी कि प्रदीप की हत्या किसी नजदीकी ने की है. प्रदीप की सब से ज्यादा नजदीकी उस की पत्नी ज्योति ही थी. अत: पुलिस का शक ज्योति पर ही गया. पुलिस ने ज्योति से एक बार फिर पूछताछ की, लेकिन वह रोनेधोने का नाटक करने लगी और संतोषजनक जवाब नहीं दे सकी.

इस बीच पुलिस टीम ने बहाने से ज्योति का मोबाइल फोन ले लिया. पुलिस ने ज्योति का मोबाइल फोन खंगाला तो पता चला कि वह सोशल मीडिया से जुड़ी थी. फेसबुक के जरिए वह कई युवकों के संपर्क में थी. इन में से संजय सिंह नाम के युवक से वह ज्यादा बात करती थी. इस के बाद पुलिस ने ज्योति के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस में एक फोन नंबर ऐसा मिला, जिस पर उस की सब से ज्यादा और लंबीलंबी बातें हुई थीं.

पुलिस ने उस नंबर के बारे में पता किया तो वह नंबर बांदा के शुकुल कुआं निवासी संजय सिंह का निकला. पुलिस को घरवालों और पड़ोसियों की पूछताछ में पहले ही पता चल चुका था कि प्रदीप की गैरमौजूदगी में ज्योति के पास एक युवक आता था.

ज्योति पर पुलिस का शक यों ही नहीं गहराया था, बल्कि कई ठोस कारण थे. प्रथम उस ने हत्या की जानकारी अपनी सास, देवर व पड़ोसियों को नहीं दी थी. दूसरा घर के अंदरबाहर जाने के 2 रास्ते थे, मेन गेट तथा पीछे का दरवाजा. मेन गेट किराएदार राखी राठी खोलती व बंद करती थी, जबकि पीछे का दरवाजा ज्योति. संभवत: पीछे के दरवाजे से ही हत्यारे आए थे और दरवाजा ज्योति ने ही खोला था. तीसरा अहम कारण था कि घटना सीसीटीवी फुटेज में न दिखे, इसलिए ज्योति ने ही कैमरे बंद किए और डीवीआर गायब कर दिया था.

पुलिस टीम ने एक बार फिर से ज्योति चौरिहा से पूछताछ की, लेकिन वह रोनेधोने का नाटक करने लगी. उस ने कहा कि पति की हत्या में उस का कोई हाथ नहीं है. उस के पति की हत्या देवर संदीप ने की है, लेकिन पुलिस अब उस की इस बात पर विश्वास नहीं कर रही थी. लिहाजा पुलिस उस से सख्ती से पूछताछ करने लगी.

इस पर ज्योति ने कहा, “सर, मेरे ही पति की हत्या हुई और आप लोग मुझे ही धमका रहे हैं, जैसे मैं ने ही उन्हें मारा है. मेरे देवर ने पति की हत्या की है, आप लोग उसे क्यों नहीं पकड़ते, मुझे क्यों परेशान कर रहे हैं? भला मैं अपने पति को क्यों मारूंगी? जांच के नाम पर आप लोग मुझे ज्यादा परेशान करेंगे तो मैं आप लोगों की शिकायत बड़े साहब से कर दूंगी.”

ज्योति की बात सुन कर इंसपेक्टर मनोज कुमार शुक्ला का चेहरा तमतमा गया और वह बोले, “तुम हम लोगों की शिकायत कप्तान साहब से भले कर देना, लेकिन फिलहाल तुम मुझे यह बताओ कि तुम संजय सिंह से मोबाइल फोन पर इतनी अधिक और लंबीलंबी बातें क्यों करती थी? संजय सिंह तुम्हारा कौन है?”

“संजय सिंह मेरे मायके में पड़ोस में रहता है. अगर उस से बात कर लेती हूं तो इस में बुरा क्या है?” ज्योति ने कहा.

“मैं यह कहां कह रहा हूं कि किसी से बात करना बुरा है. मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूं कि प्रदीप की हत्या से पहले और बाद में संजय से तुम्हारी क्या बातें हुई थीं?” मनोज कुमार शुक्ला ने पूछा. इस बात से ज्योति के चेहरे का रंग उड़ गया. खुद को संभालते हुए उस ने कहा, “संजय सिंह से तो पिछले एक सप्ताह से मेरी कोई बात नहीं हुई है. आप को किसी ने गलत जानकारी दी है.”

“मेरे पास गलत जानकारी नहीं है. यह देखो, काल डिटेल्स, इस में सब लिखा है कि तुम ने कबकब उस से बातें की हैं.” काल डिटेल्स दिखाते हुए इंसपेक्टर शुक्ला ने उस पर मनोवैज्ञानिक दबाव डाला तो वह चुप हो गई. उन्होंने थोड़ी और सख्ती की तो ज्योति टूट गई और उस ने पति की हत्या प्रेमी द्वारा कराने का जुर्म कुबूल कर लिया.

ज्योति चौरिहा से पूछताछ के बाद पुलिस ने इस हत्या में शामिल उस के प्रेमी संजय सिंह और संजय के दोस्त राघवेंद्र सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया. पुलिस पूछताछ में इस प्रेम प्रसंग की ऐसी कहानी सामने आई, जिस में ज्योति ने प्यार के भंवर में फंस कर अपने ही पति की जीवन ज्योति बुझा दी.

इंटर कालेज में क्लर्क था प्रदीप

बुंदेलखंड का बांदा जिला यूपी राज्य का एक चर्चित जिला है. केन नदी के किनारे बसा यह शहर कई मायनों में मशहूर है. केन नदी से निकलने वाला ‘शजर’पत्थर आभूषणों की शोभा बढ़ाता है. इस बहुमूल्य पत्थर का व्यवसाय बड़े पैमाने पर होता है. इसी बांदा जिले का एक व्यवसायिक कस्बा अतर्रा है. अतर्रा से धार्मिक नगरी चित्रकूट काफी नजदीक है.

इसी अतर्रा कस्बे के नरैनी रोड पर राजेंद्र नगर मोहल्ले में रामप्रताप चौरिहा अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी निर्मला के अलावा 4 बेटे प्रदीप व संदीप थे. रामप्रताप की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. कस्बे में उन का दोमंजिला मकान था, साथ ही कुछ कृषि भूमि भी थी. उन्होंने अपने जीवन काल में ही घर और जमीन का बंटवारा दोनों भाइयों के बीच कर दिया था. उन की पत्नी निर्मला छोटे बेटे संदीप के साथ रहती थीं.

रामप्रताप चौरिहा का बड़ा बेटा प्रदीप चौरिहा उर्फ रामू अतर्रा कस्बा के हिंदू इंटर कालेज में लिपिक पद पर कार्यरत था. उस की शादी ज्योति से करीब 8 साल पहले हुई थी. शादी के बाद कुछ सालों तक सब ठीकठाक चलता रहा. इस बीच ज्योति ने 2 बेटियों को जन्म दिया. बेटियों के जन्म से जहां ज्योति खुश थी, वहीं उस का पति प्रदीप और सास निर्मला खुश नहीं थे. वे दोनों बेटा चाहते थे, ताकि वंशबेल गतिमान बनी रहे.

ज्योति खूबसूरत, पढ़ीलिखी, जवान व आधुनिक विचारों वाली युवती थी. वह 2 बच्चों की मां जरूर थी, लेकिन उस की सुंदरता में कोई कमी नहीं आई थी. ज्योति ने शादी के पहले जिस खूबसूरत राजकुमार के सपने संजोए थे, वैसा उस का पति नहीं था. उम्र में वह उस से बड़ा था और रंग भी सांवला था. बेमेल होने के कारण वह उसे पसंद नहीं करती थी.

                                                                                                                                                क्रमशः

अपनों के खून से रंगे हाथ : ताइक्वांडो कोच को मिली सजा – भाग 1

अलवर के अपर जिला एवं सेशन कोर्ट में काफी गहमागहमी थी. अदालत के कमरे में दरजनों वकील, कोर्ट के कई कर्मचारी, मुकदमे से जुड़े लोगों के अलावा कमरे के बाहर कोर्ट परिसर में मीडियाकर्मी मौजूद थे. उन्हें संभालने के लिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की फौज की भी मौजूदगी थी. कोर्ट में इतनी भीड़ का कारण एक खास मुकदमा था, जिस का फैसला सुनाया जाना था.

दरअसल, मामला 5 जनों की हत्या का था. हत्याकांड भी कोई ऐसावैसा नहीं, बल्कि इस की मुख्य आरोपी एक मां थी. वह पत्नी थी और ताइक्वांडो सीखने वाले किशोर उम्र के बच्चों की गुरु भी. हत्याकांड का यह मामला 5 साल 5 महीना पुराना था. इस मामले में अंक 5 का गजब संयोग था.

हत्याकांड की वारदात 2 अक्तूबर, 2017 के आधी रात की थी, जो अलवर के शिवाजी पार्क कालोनी में घटित हुई थी. उस की तहकीकात में आरोप शादीशुदा महिला ताइक्वांडो कोच संतोष शर्मा पर लगा था. हत्याकांड के पीछे उस से 10 साल छोटे नवयुवक के साथ प्यार का पागलपन बताया गया था. आरोप था कि प्यार में पागल संतोष शर्मा ने प्रेमी और उस के 2 साथियों की मदद से न केवल पति को, बल्कि किशोर उम्र अपने ही 3 बेटों और एक भतीजे की हत्या करवा दी थी.

अदालत की काररवाई शुरू होने से चंद मिनट पहले दोनों मुलजिम, महिला कोच संतोष शर्मा और उस के प्रेमी हनुमान उर्फ हनी को कोर्टरूम में लाया गया. वहां उपस्थित लोग उन्हें देखने के लिए उतावले हो गए. कोई अपनी गरदन उचका कर, कोई गरदन इधरउधर घुमाते हुए टेढ़ी कर तो काई अपना मुंह बिचका कर दोनों को देखने की कोशिश कर रहा था. जबकि संतोष शर्मा ने अपने पतले दुपट्टे से चेहरे को पूरी तरह से ढंक रखा था और हनुमान के चेहरे पर मास्क लगा हुआ था.

तभी अचानक गैवेल (लकड़ी के हथौड़े) की 3-4 ठक..ठक… की आवाज से लोगों के बीच हो रही बातचीत का शोरगुल अचानक थम गया. सभी की निगाहें सामने जज की कुरसी पर जा टिकी. वहां न्यायाधीश महोदय पधार चुके थे. उन के पास ही नीचे की ओर बैठा रीडर 5 लोगों की हत्या से संबधित पूरी हो चुकी सुनवाई की 5 सेट फाइलें बना चुका था. वह फाइलें उस ने न्यायाधीश के सामने रख दी. न्यायाधीश महोदय फाइल को सरसरी निगाह से पढऩे लगे. चैक करने लगे कि उस में वही सब कुछ प्रिंट हुआ है न, जो उन्होंने रीडर को डिक्टेट किया था.

कोर्ट ने सुनाया फैसला

पूरी फाइल पढऩे में करीब एक घंटे का समय लग गया. अंत में आश्वस्त होने के बाद उन्होंने सभी पर बारीबारी से हस्ताक्षर किए और जजमेंट पढऩे की शुरुआत की. दोनों पक्षों के वकील से मामले में किसी नए बदलाव संबंधी जानकारी ली. दोनों पक्ष के वकीलों ने स्पष्ट कर दिया कि मामले से संबंधित किसी भी तरह को कोई बदलाव नहीं आया है और दोनों मुलजिम कोर्ट में हाजिर हैं. तब तक कोर्ट के कमरे में एक सन्नाटा छा गया था. सभी को अब फैसले का इंतजार था.

न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाया कि ताइक्वांडो कोच संतोष शर्मा, उस के प्रेमी हनुमान प्रसाद सहित चारों मुलजिमों को उम्रकैद की सजा दी जाती है. उन्हें तत्काल जेल भेज दिया जाए. इस फैसले के बाद वहां उपस्थित लोग एक सुर में बोल पड़े, ‘जैसी करनी, वैसी भरनी.’

कोर्ट द्वारा सजा सुनाने के बाद कोर्ट के कर्मचारियों और पुलिस द्वारा आगे की काररवाई की जाने लगी. अदालत में कुछ देर खुसरफुसर होने के बाद सन्नाटा छा गया था. पुलिस ने मुजरिमों से अदालत के कागजों पर दस्तखत करवाने की औपचारिकता पूरी की और उन्हें कड़ी निगरानी में ले कर जेल के लिए रवाना हो गई. फैसले की एक फाइल मीडिया को हाथ लग गई. उस के मुताबिक हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार है—

राजस्थान के अलवर जिले से कोई 90 किलोमीटर दूर कठूमर के गारू गांव में पंडित मुरारीलाल शर्मा के बड़े बेटे बनवारी लाल शर्मा की शादी साल 1999 में संतोष शर्मा से हुई थी. संतोष शर्मा सुंदर होने के साथसाथ ताइक्वांडो की कोच भी थी. उस की न सिर्फ उस के परिवार वाले, बल्कि गांव के लोग भी तारीफ करते थे.

संतोष शर्मा में एक और गुण अभिनय का था. वह मोहल्ले की रामलीला में रामायण का अहम किरदार भी निभाया करती थी. शादी के बाद अपने पति बनवारी लाल शर्मा के साथ अलवर के शिवाजी पार्क कालोनी स्थित मकान मेें रहने लगी. बनवारी लाल अलवर के एमआईए स्थित एक फैक्ट्री में औपरेटर का काम करता था. आर्थिक स्थिति साधारण थी.

घरगृहस्थी बहुत अच्छी नहीं होने के बावजूद, बगैर किसी अड़चन के आराम से चल रही थीं. उन के गृहस्थ जीवन के 15 साल आराम से गुजर गए. इस दौरान उन के 3 बेटे हुए. समय के साथ ही बनवारी लाल की व्यस्तता भी बढऩे लगी. खर्च बढऩे लगे, जबकि संतोष शर्मा अय्याशी की जिंदगी का सपना देखने लगी. वह मौजूदा रहनसहन से संतुष्ट नहीं थी.

उस ने घर की आमदनी बढ़ाने के लिए अपनी ताइक्वांडो की प्रैक्टिस जारी रखी और कोचिंग जौइन कर ट्रेनर बन गई. बच्चों को ट्रेनिंग दे कर टूर्नामेंट तथा काम्पटीशन के लिए आसपास के शहरों में भी ले कर जाने लगी. वर्ष 2014 में वह अलवर के साहब जोहड़ा के एक ताइक्वांडो कोच के संपर्क में आई तो उसे इस क्षेत्र में तरक्की और आमदनी बढ़ाने के मौके नजर आने लगे और वह बढ़चढ़ कर अपनी टीम के साथ क्षेत्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगी. इसी दौरान संतोष शर्मा एक टूर्नामेंट के लिए उदयपुर गई.

पहली मुलाकात में दे बैठी दिल

वहां उस की मुलाकात हनुमान प्रसाद जाट से हुई, जो एक आकर्षक और गठीले बदन का नवयुवक था. पहली ही मुलाकात में दोनों दोस्त बन गए. कुछ ही समय बाद उन की दोस्ती प्यार में बदल गई. फिर उन के साथ घूमनेफिरने का सिलसिला शुरू हुआ और एक दिन उन की नजदीकियां नाजायज रिश्ते में बदल गईं.

युवा प्रेमी से मिलने वाले जिस्मानी सुख को पाने की चाहत में संतोष शर्मा का दिमाग इस कदर खराब हुआ कि वह अपना घरबार, गृहस्थी, पति, बच्चे सभी कुछ भुला बैठी. संतोष शर्मा खुद से 10 साल छोटे आशिक हनुमान को हनी कह कर बुलाने लगी. हनी एक दोस्त के साथ उदयपुर में किराए के कमरे में रह कर बीपीएड की ट्रेनिंग कर रहा था. वह शारीरिक शिक्षक की नौकरी हासिल करना चाहता था. अविवाहित था.

घर से पैसे मंगा कर उदयपुर में दोस्त के साथ रह कर ट्रेनिंग कर रहा था. साथ ही मार्शल आर्ट का भी उसे शौक था. इसी दौरान कोचिंग में उस की मुलाकात संतोष शर्मा से हुई थी. उम्र में बड़ी हो कर भी उस का फिगर नवयुवतियों को मात करने वाला था. उसे देख कर कोई नहीं कह सकता था कि वह 3 बच्चों की मां है. सलवार सूट में तो वह अभी भी किसी कालेज गर्ल जैसी ही दिखती थी. खूबसूरती और सैक्स अपील की अदाओं पर ही हनुमान मर मिटा था. जल्द ही वह संतोष शर्मा के इशारों पर नाचने लगा था.

अविवाहित हनुमान संतोष शर्मा के शारीरिक आकर्षण से पागल सा हो गया था. संतोष शर्मा एक आधुनिक दौर की युवती थी, जो जिंदगी का भरपूर आनंद लेने में विश्वास रखती थी. उसे अपने तीनों बच्चों से कोई मोह नहीं था और न ही वह अपने पति बनवारी लाल को दिल से पसंद करती थी.

संगीता के प्यार की झंकार – भाग 1

पति के देहसुख से वंचित संगीता जिस युवक के प्यार में पागल थी, उस की नजर कहीं और भी टिकी थी. लखनऊ के बहुचर्चित राम मनोहर लोहिया संस्थान में 28 दिसंबर, 2021 को कुछ ज्यादा ही गहमागहमी थी. ओपीडी से ले कर दूसरे विभागों में मरीजों की काफी भीड़भाड़ थी. हर विंडो और डाक्टर के चैंबर के बाहर अफरातफरी का आलम था.

ऐसा ही माहौल भरती वार्ड और जांच करवाने वाले विभागों के भीतर भी था. वहां के मरीज और उन के साथ आए अटेंडेंट ने पाया कि अस्पताल के कर्मचारी ड्यूटी करने के बजाय विरोध जता रहे थे. नतीजा अस्पताल का अधिकतर कामकाज पूरी तरह से ठप हो चुका था.

दरअसल, संस्थान में काम करने वाले चतुर्थ श्रेणी के एक कर्मचारी श्रीराम यादव का 18 दिसंबर, 2021 को अपहरण हो गया था. उसे मार कर नहर में फेंक देने की चर्चा थी, जबकि हत्या के जुर्म में उस की पत्नी संगीता यादव समेत 5 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका था. लेकिन पुलिस लाश बरामद नहीं कर सकी थी.

इस हत्याकांड को ले कर ही संस्थान का स्टाफ गुस्से में था. नर्सिंग संघ के आह्वान पर सभी सुबह 9 बजे से ही हड़ताल पर थे. अस्पताल की स्थिति को देख कर मैनेजमेंट के हाथपांव फूल गए थे. इस की शिकायत जब मैडिकल कालेज के सीएमएस यानी चीफ मैडिकल सुपरिंटेंडेंट तक पहुंची, तब उन्होंने जिला प्रशासन और पुलिस के उच्च अधिकारियों से संपर्क किया.

सीएमएस की सूचना पा पुलिस कमिश्नर डी.के. ठाकुर ने तुरंत डीसीपी अमित कुमार आनंद और एडिशनल सीपी एस.एम. कासिम आब्दी को लोहिया संस्थान में आई आकस्मिक समस्या का तुरंत समाधान निकालने के लिए कहा. डीसीपी अमित कुमार टीम के साथ अस्पताल पहुंचे. उन्होंने आंदोलनकारियों की बातें सुनीं. उन की मांग को जल्द से जल्द पूरी करने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि वह पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने और श्रीराम की लाश बरामद करने की कोशिश करेंगे.

श्रीराम यादव (42) अपनी पत्नी संगीता यादव, 3 बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ लोहिया संस्थान के परिसर स्थित सरकारी आवास में रहते थे. उन के पास 18 दिसंबर की देर शाम कार खरीदने के लिए 2 युवक आए थे. श्रीराम ने अपनी कार बेचने के बारे में खास दोस्त अवशिष्ट कुमार को कह रखा था. उन के कहे मुताबिक ही दोनों युवक कार का ट्रायल लेने आए थे.

श्रीराम उन के साथ टेस्ट ड्राइव कराने के लिए चले गए. किंतु देर रात तक घर नहीं लौटने पर परिवार के सदस्य चिंतित हो गए. पत्नी संगीता ने इस की सूचना अपने देवर को दी. उन्होंने रिश्तेदारों व दोस्तों से संपर्क किया, लेकिन श्रीराम के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई.

अगले दिन 19 दिसंबर को भाई मनीष यादव ने विभूतिखंड थाने में उन की खास जानपहचान वाले प्रो. अवशिष्ट कुमार व अन्य अज्ञात युवकों के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट लिखवा दी थी.

पुलिस ने छानबीन के बाद 3 दिन के भीतर ही 22 दिसंबर को बाराबंकी में अयोध्या हाईवे से लिंक रोड पर कुरौली के पास यूपी32 बीएम 5048 नंबर की कार बरामद कर ली, लेकिन तब तक श्रीराम का कोई अतापता नहीं चल पाया.

पति की हत्या में संगीता हुई गिरफ्तार

कार मिलने के बाद घटनास्थल से ले कर लोहिया परिसर के सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए. सभी फुटेज में श्रीराम की गाड़ी के पीछे एक कार जाती दिखी. उस के नंबर यूपी78 पीक्यू 2268 से पता चला कि वह कार अवशिष्ट की है, जिस पर श्रीराम के भाई ने एफआईआर में शक जताया था. साथ ही कार 18 दिसंबर, 2021 से ही अवशिष्ट के निवास स्थान परिसर में भी नहीं थी.

इसे आधार बना कर की गई गहन छानबीन के बाद पुलिस टीम ने श्रीराम की पत्नी संगीता समेत अवशिष्ट, संतोष, सुशील व कुंती को गिरफ्तार कर लिया. उन से पूछताछ में श्रीराम की गोली मार कर हत्या किए जाने की बात सामने आई.

उन्होंने स्वीकार कर लिया कि श्रीराम को गोली मार कर उस का शव इंदिरा नहर में फेंक दिया गया है. इस जानकारी के बाद श्रीराम की दोनों बेटियां व एक बेटा पिता की हत्या व मां की गिरफ्तारी से सदमे में आ गए. इस हत्याकांड में सब से बड़े सवाल का जवाब मिलना बाकी था कि आखिर श्रीराम की हत्या क्यों की गई? इसी के साथ कई दूसरे सवालों के जवाब भी तलाशे जाने थे.

इस बारे में डीसीपी (पूर्वी) अमित कुमार आनंद ने अपनी प्राथमिक जांच के आधार पर मीडिया को बताया कि श्रीराम की पत्नी संगीता यादव अवशिष्ट कुमार की प्रेमिका है, जो बाराबंकी के जहांगीराबाद स्थित राजकीय पौलीटेक्निक परिसर में रहता है.

अवशिष्ट मूलरूप से लखीमपुर खीरी का निवासी है. हिरासत में लिए गए दूसरे आरोपियों में कुंती गांधीनगर, बाराबंकी की रहने वाली है. संतोष कुमार बाराबंकी में डखौली गांव और सुशील कुमार अशोक नगर का निवासी है.

विभूतिखंड थाने के इंसपेक्टर चंद्रशेखर सिंह ने उन की गिरफ्तारी के साथसाथ .32 बोर की पिस्टल, तमंचा, 7 कारतूस व एक खोखा और अवशिष्ट से संगीता की 4 फोटो, आधार कार्ड, पैन कार्ड व पोस्ट पेमेंट कार्ड बरामद किया. पुलिस के मुताबिक संगीता का अवशिष्ट के साथ लंबे समय से प्रेमप्रसंग चल रहा था. दोनों चोरीछिपे मिलते रहते थे. अवशिष्ट से बात करने के लिए संगीता ने एक मोबाइल फोन छिपा कर रखा हुआ था.

दिसंबर 2021 की शुरुआत में श्रीराम ने वह फोन देख लिया था. उसे पता चल गया था कि संगीता चोरीछिपे अवशिष्ट से बातें करती है. इसे ले कर पतिपत्नी के बीच काफी झगड़ा हुआ. उस के बाद से श्रीराम पत्नी संगीता पर नजर रखने लगा.

और शुरू हुई लव स्टोरी

संगीता ने जब अवशिष्ट को इस की जानकारी दी, तब दोनों ने श्रीराम को रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली. उन्होंने योजना बना कर श्रीराम को मौत के घाट उतार दिया था. इसे अंजाम देने के लिए अवशिष्ट ने जहांगीराबाद में पौलीटेक्निक के पास स्थित तालाब में मछली पालन करने वाले जानकार संतोष व सुशील को राजी कर लिया था.

लोहिया संस्थान में 28 दिसंबर को हंगामे के बाद श्रीराम हत्याकांड को ले कर पुलिस नए सिरे से सक्रिय हो गई. थानाप्रभारी ने संगीता यादव को लखनऊ के बड़े पुलिस अधिकारियों अमित कुमार आनंद, कासिम आब्दी और एसीपी अनूप कुमार सिंह के सामने पेश किया.

संगीता से जब सख्ती से पूछताछ की गई, तब हत्याकांड और उस के पीछे के कारणों का सारा मामला सामने आ गया, जिस में अवशिष्ट कुमार की भूमिका भी काफी संदिग्ध थी. उस के बाद अवशिष्ट कुमार से भी गहन पूछताछ की गई. फिर जो कहानी आई, वह इस प्रकार है—

प्रो. अवशिष्ट कुमार बाराबंकी में फैजाबाद रोड पर राजकीय पौलीटेक्निक कालेज जहांगीराबाद में पिछले 8 सालों से नौकरी कर रहा था. उस के पिता रामनरेश लखीमपुर में रहते हैं. उस का श्रीराम से 2020 में अचानक संपर्क तब हो गया था, जब वह अपने इलाज के सिलसिले में राम मनोहर लोहिया संस्थान में भरती था. वह कोविड-19 का क्वारंटाइन मरीज था. इसी बीच उस की जानपहचान बड़े अधिकारी से ले कर निचले तबके के कर्मचारियों तक से हो गई थी.

वह अकेला था और अपनी देखरेख उसे ही खुद करनी पड़ती थी. यह देख कर वहां काम करने वाला श्रीराम उस की मदद करने लगा था. सहानुभूति दिखाते हुए उस ने अपनी पत्नी संगीता को भी बीचबीच में देखरेख करने के लिए कह दिया. जल्द ही अवशिष्ट की श्रीराम और संगीता से अच्छी जानपहचान हो गई. उस की सेहत में भी काफी सुधार हो गया और अस्पताल से छुट्टी मिल गई. इस के लिए उस ने श्रीराम और उस की पत्नी को तहेदिल से धन्यवाद कहा. जवाब में पतिपत्नी ने उसे एक रोज घर पर आमंत्रित किया.

ज्योति ने बुझाई पति की जीवन ज्योति – भाग 1

उस दिन अप्रैल 2023 की 18 तारीख थी. सुबह के यही कोई 8 बज रहे थे. उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की अतर्रा कोतवाली के इंसपेक्टर मनोज कुमार शुक्ला अपने कक्ष में मौजूद थे. वह निकाय चुनाव को संपन्न कराने के लिए अपने सहयोगियों के साथ मंथन कर रहे थे. तभी उन के मोबाइल पर काल आई. उन्होंने काल रिसीव कर जैसे ही ‘हैलो’ कहा, दूसरी ओर से किसी

महिला ने सिसकते हुए पूछा, “क्या आप अतर्रा थाने से बोल रहे हैं?”

“जी हां, मैं अतर्रा कोतवाली से इंसपेक्टर मनोज कुमार शुक्ला बोल रहा हूं. बताइए क्या बात है?”

“सर, नरैनी रोड के पास अज्ञात लोगों ने मेरे पति प्रदीप चौरिहा की हत्या कर दी है.” उस महिला ने भर्राई आवाज में कहा.

“आप कौन बोल रही हैं? और हत्या नरैनी रोड पर किस जगह हुई है? घटनास्थल की जगह ठीक से बताइए, जिस से हम वहां आसानी से पहुंच सकें.” मनोज कुमार शुक्ला ने कहा.

“सर, मेरा नाम ज्योति चौरिहा है. आप नरैनी रोड पर राजेंद्र नगर आ जाइए और प्रदीप का नाम पूछ लीजिए. मोहल्ले के लोग उसे रामू के नाम से जानते हैं. वह मेरे पति का ही मकान है.” ज्योति ने कहा.

“ठीक है, हम जल्द ही पहुंच रहे हैं.” कह कर इंसपेक्टर मनोज शुक्ला ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

चूंकि हत्या का मामला था, अत: उन्होंने आवश्यक पुलिस बल साथ लिया और घटनास्थल की ओर रवाना हो लिए. रवाना होने से पहले उन्होंने पुलिस अधिकारियों को भी सूचित कर दिया था. थाने से राजेंद्र नगर की दूरी ज्यादा नहीं थी. अत: कुछ ही देर में वह रामू के मकान पर पहुंच गए.

उस समय वहां मकान के बाहर भीड़ जुटी थी और मकान के अंदर से चीखचीख कर रोने की आवाजें आ रही थीं. वह सहयोगी पुलिसकर्मियों के साथ मकान की पहली मंजिल पर पहुंचे, जहां कमरे में मृतक की लाश पड़ी थी. कमरे के अंदर पड़े फोल्डिंग पलंग पर प्रदीप चौरिहा की लाश पड़ी थी.

उस की हत्या किसी धारदार हथियार से गला रेत कर की गई थी. मृतक के कपड़े खून से तरबतर थे. पलंग के नीचे फर्श पर भी खून जमा था. कमरे में एक छोटी मेज पड़ी थी. उस पर शराब की खाली बोतल व गिलास रखा था. बाजार का खाना भी पड़ा था. शायद प्रदीप ने कमरे में बैठ कर शराब पी थी और आधाअधूरा खाना भी खाया था. मृतक की उम्र 40 वर्ष के आसपास थी और शरीर स्वस्थ था.

फोरैंसिक टीम ने जुटाए सबूत

इंसपेक्टर मनोज शुक्ला अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी अभिनंदन, एएसपी लक्ष्मीनिवास मिश्र तथा डीएसपी जियाउद्दीन अहमद भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा अनेक लोगों से घटना के संबंध में पूछताछ की. फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए तथा फिंगरप्रिंट भी उठाए.

डौग स्क्वायड ने भी घटनास्थल की जांच की. शव को सूंघ कर भौंकते हुए बगल वाले कमरे में गई और वहां कई चक्कर लगाए. उस के बाद वह जीना उतर कर मकान के पिछले दरवाजे से सडक़ पर आई. वह कुछ दूर तक सडक़ पर आगे बढ़ी, फिर वापस आ गई. इस से टीम ने अंदाजा लगाया कि हत्यारे हत्या करने के बाद बगल वाले कमरे में गए, फिर जीना उतर कर पिछले दरवाजे से फरार हो गए.

पुलिस अधिकारियों ने मकान खंगाला तो पाया कि मकान के जिस हिस्से में प्रदीप रहता था, वहां उस ने सीसीटीवी कैमरे लगवा रखे थे. पुलिस अधिकारियों को लगा कि वह फुटेज के माध्यम से हत्यारों की पहचान कर लेगे. लेकिन उन्हें निराशा तब हुई, जब सीसीटीवी कैमरे बंद मिले तथा डिजिटल वीडियो रिकौर्डर (डीवीआर) भी गायब था. अधिकारी समझ गए कि हत्यारे बेहद चालाक है. उन्होंने योजनाबद्व तरीके से हत्या की थी और फरार हो गए.

घटनास्थल पर मृतक की पत्नी ज्योति चौरिहा मौजूद थी. रोरो कर उस का बुरा हाल था. रहरह कर वह बेहोश भी हो जाती थी. पुलिस अधिकारियों ने उसे धैर्य बंधाया और फिर पूछताछ की. ज्योति ने बताया कि उस के पति प्रदीप चौरिहा उर्फ रामू अतर्रा के हिंदू इंटर कालेज में लिपिक थे. लेकिन वह शराब के लती थे. कभी वह यारदोस्तों के साथ शराब पी कर घर आते थे तो कभी घर बैठ कर ही शराब पीते थे.

बीती शाम भी वह शराब की बोतल ले कर घर वापस आए थे. साथ में बाजार से खाना भी पैक करा कर लाए थे. बाहर के खाने को ले कर उस की पति से कहासुनी भी हुई थी. गुस्से में वह अपनी बेटियों को ले कर बगल वाले कमरे में आ गई थी. उस के बाद वह शराब पीते रहे और उसे भद्दीभद्दी गालियां बकते रहे. उन की आवाज जब बंद हो गई तो वह भी सो गई.

सुबह वह सो कर उठी तो उस के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद था. उस ने पति को दरवाजा खोलने की आवाज लगाई, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. मन में घबराहट हुई तो उस ने भूतल पर रहने वाली किराएदार राखी राठी को काल की और दरवाजे की कुंडी खोलने के लिए कहा. राखी तब ऊपर आई और दरवाजा खोला. उस के बाद वह राखी के साथ पति के कमरे में पहुंची.

वहां उन की लाश पलंग पर पड़ी थी. यह देख उस के मुंह से चीख निकल गई. पति का गला कटा हुआ था. घटना की जानकारी उस की सास निर्मला देवी व देवर संदीप चौरिहा को हुई तो वे भी आ गए. इस के बाद उस ने पुलिस को सूचना दी.

निरीक्षण और पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने मौके की काररवाई निपटा कर प्रदीप के शव को पोस्टमार्टम हेतु बांदा के जिला अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद ज्योति की ओर से अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया.

चूंकि लिपिक की हत्या का मामला संगीन था, इसलिए एसपी अभिनंदन ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया और मामले के खुलासे के लिए इंसपेक्टर मनोज कुमार शुक्ला के नेतृत्व में एक टीम गठित की, जिस का निर्देशन एएसपी लक्ष्मीनिवास मिश्र को सौंप दिया.

इस गठित पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया. रिपोर्ट के अनुसार प्रदीप की मौत सांस की नली व गले की हड्ïडी कटने तथा अधिक खून बहने से हुई थी. हत्या का समय रात 2 व 3 बजे के बीच बताया गया था.

इस के बाद पुलिस टीम ने मृतक की पत्नी ज्योति से पूछताछ की तथा उस का बयान दर्ज किया. बयान में ज्योति ने कहा कि उस के पति की हत्या संपत्ति विवाद में की गई है. हत्या किसी और ने नहीं, बल्कि उस के देवर संदीप उर्फ श्यामू ने की है.संपत्ति को ले कर उस के पति व देवर में अकसर झगड़ा होता रहता था.

                                                                                                                                              क्रमशः

प्यार में जब पति ने अड़ाई टांग – भाग 3

एसएचओ प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने उस कमरे को देखा, जहां कपिल के द्वारा खुद को गोली मार लेने की बात शिवानी कह रही थी. जिस बिस्तर पर कपिल 3 मार्च, 2023 की रात को सोया था, उस का सिरहाना खून से भीग गया था. श्री त्रिपाठी ने अनुमान लगाया कि जिस वक्त कपिल सो रहा होगा, तभी उसे गोली मारी गई होगी. सिरहाना इसी बात की चुगली कर रहा था. यदि कपिल ने जागती अवस्था में खुद को गोली मारी होती तो पलंग की चादर भीगी होनी चाहिए थी. क्योंकि यदि आदमी बैठ कर कनपटी में गोली मारेगा खून से चादर जरूर भीगेगी न कि केवल सिरहाना.

श्री त्रिपाठी ने कमरे में नजरें दौड़ाई. उस में टेबल और 2 कुरसियां पड़ी थीं. एक पलंग था, जिस पर कपिल अकेला सोता था. साथ वाले कमरे में उस की पत्नी अपने बेटों के साथ सोती थी. अभी तक शिवानी के प्रेमी का नामपता मालूम नहीं हुआ था, मुखबिर पूरी कोशिश कर रहे थे. आखिर एक मुखबिर को मालूम हो गया कि उस युवक का नाम अंकुश प्रजापति है, जो शिवानी से प्रेम करता है.

उस मुखबिर ने यह भी पता निकाल लिया कि अंकुश नंदग्राम में ही रहता है और कपिल के घर से थोड़ी दूरी पर ही स्थित मोबाइल एक्सेसरीज की दुकान पर काम करता रहा है. पुलिस टीम उस दुकान पर पहुंच गई. दुकान मालिक ने पूछने पर बताया कि अंकुश प्रजापति 3 मार्च के बाद से काम पर नहीं आ रहा है. उस का घर का एड्रैस दुकान पर लिखा मिल गया. अंकुश प्रजापति नंदग्राम में ही 100 फुटा रोड पर रहता है. कपिल मर्डर केस का खुलासा करने के लिए पुलिस ने उस के घर पर दबिश दी, लेकिन वह घर से भी फरार था. इसी से वह पूरी तरह शक के दायरे में आ गया.

पुलिस ने उस के गांव का पता ढूंढ निकाला.  अंकुश ग्राम तरेना, थाना डुमरियागंज, जिला सिद्धार्थनगर का मूल निवासी था. वहां पुलिस की टीम भेजी गई, लेकिन वह गांव में भी नहीं पहुंचा था. पुलिस ने अनुमान लगाया कि वह नंदग्राम में ही कहीं छिपा हुआ होगा.

प्रेमी से कराई हत्या

मुखबिर और पुलिस टीम उस की तलाश में जुट गई. पुलिस को 19 मार्च, 2023 को अंकुश को गिरफ्तार करने में सफलता मिल गई. अंकुश को नंदग्राम में रेत मंडी से दिन में 11 बजे गिरफ्तार कर लिया गया.  थाने ला कर उस से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उस ने कपिल की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. हत्या की जो कहानी सामने आई, वह अवैध संबंधों की बुनियाद पर रचीबसी निकली—

अंकुश नंदग्राम में ही एक मोबाइल एक्सेसरीज की दुकान पर काम करता था. शिवानी अपना मोबाइल फोन वहीं रिचार्ज कराने जाती थी. उसी दौरान की अंकुश से जानपहचान हो गई, जो बाद में प्यार में बदल गई. पति के काम पर जाने के बाद शिवानी प्रेमी अंकुश को फोन कर अपने घर बुला लेती थी. इस तरह दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए. अंकुश उस के दिल में पूरी तरह समा गया था, इसलिए शिवानी पति को नापसंद करने लगी थी.  बाद में कपिल को उन दोनों के प्रेम संबंधों की जानकारी हो गई तो वह पत्नी से लड़ाईझगड़ा करने लगा था.

रोजरोज की पिटाई से शिवानी तंग आ चुकी थी, इसलिए उस ने प्रेमी अंकुश को पति की हत्या करने के लिए उकसाया. अंकुश इस  के लिए तैयार हो गया. फिर योजना के अनुसार, 3 मार्च, 2023 को शिवानी ने कपिल के खाने में नींद की गोलियां मिला कर खिला दीं. वह बेसुध सो गया तो उस ने फोन कर के अंकुश को घर बुला लिया. कपिल के पास तमंचा रहता था. शिवानी ने संदूक से तमंचा निकाल कर अकुंश को दिया. उस ने बेसुध पड़े कपिल की बाईं कनपटी पर सटा कर गोली मार दी.

पति की हत्या कराने के बाद शिवानी ने प्रेमी अंकुश को घर से बाहर निकाल कर दरवाजा बंद कर दिया. इस के कुछ देर बाद उस ने शोर मचा कर पड़ोसियों को जगा दिया. पड़ोसियों को उस ने पति को सुसाइड करने की जानकारी दी. उन की मदद से वह पति को अस्पताल ले गई. जब जीटीबी (दिल्ली) में कपिल को मरा हुआ घोषित किया गया तो शिवानी ने चैन की सांस ली.

अंकुश से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने शिवानी को भी गिरफ्तार कर लिया. प्रेमी को थाने में देख उस के होश उड़ गए. फिर उस ने भी हत्या में शामिल होने की बात स्वीकार कर ली. शिवानी उर्फ सीमा और अंकुश प्रजापति से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 और 25, 27 आम्र्स एक्ट के खिलाफ गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. केस की तफ्तीश एसएचओ प्रदीप कुमार त्रिपाठी कर रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

फेसबुकिया प्यार में डबल मर्डर – भाग 3

एक घंटे में मोनिका को थाने में ले आया गया. एसएचओ ने रविरतन को पहले ही दूसरे कमरे में बिठा दिया था. मोनिका काफी घबराई हुई दिखाई दे रही थी. उस के चेहरे का रंग भी उड़ा हुआ था.

एसएचओ ने उसे घूरते हुए कहा, ‘‘तुम्हारे सासससुर का कत्ल तुम्हारे इशारे पर हुआ है मोनिका, तुम ने कातिलों को अंदर आने के लिए दरवाजा खोला था.’’

“यह झूठ है साहब,’’ मोनिका जल्दी से बोली.

“लेकिन आशीष तो यही कह रहा है कि दरवाजा तुम्हीं ने खोला था.’’ प्रवीण कुमार ने अंधेरे में तीर चलाया.

मोनिका बुरी तरह घबरा गई, ‘‘क्या आशीष पकड़ा गया है?’’

“हां, उस ने राधेश्याम और बीना देवी का कत्ल करने की बात कुबूल ली है.’’ प्रवीण कुमार अपनी बात का असर होते देख कर बोले, ‘‘अब तुम भी अपना जुर्म कुबूल कर लो. मैं कोशिश करूंगा तुम्हें कम से कम सजा मिले.’’

मोनिका रोने लगी. रोते हुए ही उस ने कहा, ‘‘मैं ने ही सासससुर का कत्ल करवाया है साहब. मैं आशीष के प्यार में पागल हो गई थी. मैं सासससुर को रास्ते से हटाने के बाद पति को भी मरवाना चाहती थी.’’

इस खुलासे पर वहां उपस्थित सभी पुलिसकर्मी हैरान रह गए. एसएचओ ने मोनिका को घूरा, ‘‘तुम ऐसा आशीष को पाने के लिए कर रही थीं?’’

“जी हां, मैं आशीष भार्गव से बहुत प्यार करती हूं, उसी के साथ घर बसाना चाहती थी. सासससुर की मैं ने आशीष से हत्या करवा दी, पति रवि भी रास्ते से हट जाता तो सारी संपत्ति की मैं मालकिन बन जाती.’’

“अब यह बताओ, आशीष कहां पर है?’’ प्रवीण कुमार ने कुटिल मुसकान चेहरे पर ला कर पूछा.

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मोनिका ने चौंक कर उन्हें देखा. वह समझ गई, थानाप्रभारी ने उस से झूठ बोला है. अब तीर कमान से निकल गया था, उस ने आशीष का पता बता दिया. वह मकान नंबर एसएचए-380, शास्त्री नगर, कवि नगर, गाजियाबाद में रहता है साहब.’’

प्रेमी आशीष आया गिरफ्त में

एसएचओ ने तुरंत एक पुलिस टीम गाजियाबाद रवाना कर दी. वह आशीष को उस के घर से दबोच कर थाना गोकलपुरी ले आई. आशीष ने थाने में अपनी प्रेमिका मोनिका को देखा तो उस ने बगैर सख्ती किए कुबूल कर लिया कि मोनिका के उकसाने पर उस ने ही अपने एक साथी के साथ मिल कर राधेश्याम और बीना देवी का कत्ल किया और साढ़े 3 लाख रुपए तथा ज्वैलरी लूट ली.

“अपने साथी का नाम बताओ,’’ एसआई सीताराम ने कडक़ कर पूछा.

“उस का नाम विराज उर्फ विराट है और वह ए-132 चिरंजीव विहार, गाजियाबाद में रहता है.’’

पुलिस टीम फिर गाजियाबाद गई. विराट घर पर ही मिल गया. उसे गिरफ्तार कर लिया गया. उस ने भी अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

उस ने कहा, ‘‘साहब, मुझे मेरे दोस्त आशीष ने रुपए और ज्वैलरी का लालच दे कर कत्ल की रात में शामिल किया था. मैं ने कत्ल किया है, यह कुबूल करता हूं.’’

उन्होंने कत्ल कैसे किया, हथियार कहां से खरीदे, यह पूछने पर आशीष ने बताया, ‘‘सर, मोनिका मुझे पति मान चुकी थी, वह चाहती थी कि मैं उस के सासससुर को रास्ते से हटा दूं. इस के ससुर ने अपना आधा मकान 50 लाख रुपए में बेचा था. टोकन मनी का 5 लाख मिला था, इसलिए मोनिका और हम ने प्लान बनाया कि कत्ल कैसे करना है.

“9 अप्रैल को मैं अपने दोस्त विराट के साथ बाइक से भागीरथी विहार आ गए. यह बाइक विराट के चाचा की थी. प्लान के अनुसार इस की चोरी की रिपोर्ट विराट ने पहले ही कवि नगर थाने में लिखवा दी थी. मोनिका ने हमें रास्ता बताया, हमें वह पीछे के दरवाजे से ऊपर छत पर ले गई. वहीं बिठा दिया. हमारे पास 2 उस्तरे थे, जो मैं ने यहां आते समय गौशाला फाटक से खरीदे थे.

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“यहां आने से पहले हम ने मोहन नगर में शराब पी थी और एक शुलभ शौचालय में कपड़े बदले थे. चेहरे पर मास्क लगा लिए थे ताकि पहचान में न आ सकें. मोनिका ने रात साढ़े 11 बजे हमें छत पर समोसे ला कर दिए. जब घर के सभी लोग सो गए तो मोनिका ने इशारा कर दिया, हम दोनों नीचे उतरे और राधेश्याम को मैं ने सोते हुए गला काट कर हत्या कर दी.

“विराट ने बीना देवी का गला रेत का मर्डर कर दिया, वह जाग गई थी और उस ने बचने के लिए संघर्ष किया था. कत्ल होने के बाद हत्यारिन बहू मोनिका के कहे अनुसार हम ने रुपए, चोरी किए ज्वैलरी और सामान बिखेरा और पीछे के रास्ते से निकल गए.’’

प्रेम प्रसंग में मर्डर का जुर्म कुबूल कर लेने के बाद विराट (29 साल), आशीष भार्गव (30 साल) और मोनिका वर्मा (30 साल) को विधिवत गिरफ्तार कर लिया गया. कोर्ट में पेश कर के रिमांड ले कर उन से लूटे गए रुपए, ज्वैलरी, उस्तरे और खून सने कपड़े बरामद कर लिए गए. उन तीनों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

फेसबुकिया प्यार में डबल मर्डर – भाग 2

फेसबुक द्वारा मोनिका को हुआ प्यार

राधेश्याम वर्मा उत्तरपूर्वी दिल्ली के थाना गोकलपुरी क्षेत्र में स्थित भागीरथ विहार में अपनी पत्नी बीना देवी और बेटा रविरतन वर्मा के साथ रहते थे. 8-9 साल पहले उन का बड़ा बेटा एक एक्सीडेंट में खत्म हो गया था, एक बेटी थी मंजू लता जिस की शादी उन्होंने बागपत के विपिन कुमार से 4 साल पहले कर दी थी. इस वक्त वह गाजियाबाद के शालीमार गार्डन में रह रही थी.

राधेश्याम वर्मा फिल्मिस्तान (दिल्ली) के एक सरकारी स्कूल में वाइस प्रिंसिपल से कुछ समय पहले ही सेवानिवृत्त हुए थे. उन्होंने बेटे रविरतन वर्मा को जौहरीपुर में गारमेंट और कास्मेटिक की दुकान खुलवा दी थी. रविरतन की 6 साल पहले जौहरीपुर की मोनिका वर्मा से शादी हुई थी. इस वक्त उस का एक बेटा था, जो 5 साल का हो गया था.

राधेश्याम की उम्र 72 साल हो गई थी, पत्नी बीना देवी भी 68वें साल में लग गई थीं. घर में राधेश्याम खाली बैठना पंसद नहीं करते थे, इसलिए उन्होंने अपने घर के बाहर परचून की दुकान खोल ली थी, जिसे वह और उन की पत्नी बीना संभालती थीं.

राधेश्याम का मकान 100 गज में बना था. भूतल पर राधेश्याम रहते थे, प्रथम तल पर रवि अपनी पत्नी मोनिका और बेटे के साथ रहता था. इस संपन्न परिवार में किसी चीज की कमी नहीं थी, किंतु मोनिका को सब कुछ होते हुए भी एकाकीपन महसूस होता था. रवि सुबह दुकान पर चला जाता था, बेटा स्कूल.

सासससुर नीचे रहते थे. मोनिका को घर काटने को दौड़ता था. मोनिका ने समय व्यतीत करने के लिए मोबाइल को अपना साथी बना लिया. काम निपटा लेने के बाद वह मोबाइल ले कर पलंग पर लेट जाती थी और यूट्यूब या फेसबुक में खो जाती थी.

एक दिन मोनिका ने फेसबुक पर अपनी फोटो डाल कर दोस्ती की रिक्वेस्ट डाल दी, 2 दिन बाद ही उस के फोटो को पसंद कर के आशीष भार्गव नाम के युवक ने उस की दोस्ती की रिक्वेस्ट स्वीकार कर गार्जियस लिख कर भेजा तो मोनिका ने उसे ‘हाय’से प्रत्युत्तर दिया. यहीं से दोनों में दोस्ती हो गई. आशीष भार्गव ने उस से मोबाइल नंबर मांगा तो बिना झिझक मोनिका ने अपना मोबाइल नंबर आशीष को दे कर उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया.

पता चला कि आशीष भार्गव गाजियाबाद की शास्त्रीनगर कालोनी का रहने वाला है. अब दोनों मोबाइल फोन पर बातें कर अपने दिल की बातें शेयर करने लगे. मोबाइल पर बातें करने से मन कहां मानता है, माशूका का दीदार न हो, आशिक की आंखें जी भर कर जब तक देख न लें, तब तक दिल को कहां चैन मिलता है. एक दिन आशीष ने मोनिका से बात करते समय कह दिया, ‘‘मोनिका, मैं ने तुम्हें आज तक मोबाइल स्क्रीन पर ही देखा है, मेरा मन तुम्हें सामने बिठा कर जी भर कर देखने के लिए तरस रहा है.’’

“मैं भी तुम्हें देखना चाहती हूं आशीष.’’ मोनिका ने आह भर कर कहा, ‘‘तुम यहां दिल्ली आ जाओ, हम किसी होटल में मिल लेंगे.’’

“ठीक है मोनिका, मैं एकदो दिन में ही दिल्ली आने का प्रोग्राम बनाता हूं.’’ आशीष ने खुश हो कर कहा.

इंडिया गेट पर प्यार का इजहार

कहने के मुताबिक 2 दिन बाद ही आशीष दिल्ली आ गया. उस ने अपने आने की खबर फोन से मोनिका को दी तो वह घर में बहाना बना कर आशीष से मिलने के लिए इंडिया गेट पर पहुंच गई. आशीष ने किसी होटल में कमरा बुक नहीं करवाया था, उस ने मोनिका को इंडिया गेट पर बुला लिया था.

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दोनों इंडिया गेट पर आमनेसामने आए तो कुछ देर तक दोनों एकदूसरे को जी भर कर देखते रहे. फिर आशीष ने मोनिका का हाथ थाम कर एक पेड़ की तरफ कदम बढ़ा दिए. वह मोनिका को ले कर पेड़ के सहारे बैठ गया.

“मोनिका तुम मेरी उम्मीद से ज्यादा खूबसूरत हो. तुम्हें मैं ने अपने दिल में बसा लिया है, क्या तुम भी अपने दिल में मुझे जगह दोगी?’’

“मैं ने तो तुम्हें पहली बार की चैटिंग में ही अपने दिल में जगह दे चुकी हूं आशीष, लेकिन तुम्हें बताने से हिचक रही थी.’’

“ऐसा क्यों?’’ आशीष ने हैरानी से पूछा.

“मैं शादीशुदा और एक बच्चे की मां हूं आशीष.’’ मोनिका ने सांस भर कर कहा, ‘‘मेरी हकीकत जान कर तुम मुझ से प्यार का रिश्ता निभाओगे, पहले यह जान लेना चाहती थी.’’

आशीष कुछ क्षण खामोश रहा, फिर उस ने दोनों हाथों में मोनिका का चेहरा थाम कर उस के पतले होंठों पर अपने तपते हुए होंठ रख दिए. एक गहरा चुंबन लेने के बाद वह गंभीर स्वर में बोला, ‘‘तुम एक बच्चे की मां हो और किसी की पत्नी हो, मुझे इस से फर्क नहीं पड़ता. मैं ने तुम से दोस्ती की थी. अब तुम से सच्ची मोहब्बत करने लगा हूं और ताउम्र करता रहूंगा.’’

“ओह आशीष, तुम कितने अच्छे हो. आज से यह मोनिका तन से मन से तुम्हारी हो गई.’’ मोनिका ने भावुक स्वर में कहा और आशीष से लिपट गई. आशीष ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया.

थाना गोकलपुरी के एसएचओ प्रवीण कुमार को राधेश्याम और उन की पत्नी बीना देवी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई थी. दोनों की तेज धारदार हथियार से गरदन काटी गई थी. इसी से उन की जान गई थी. हत्यारों ने बेरहमी दिखाई थी. प्रवीण कुमार का विचार था कि इन दोनों कत्लों में एक से ज्यादा लोग शामिल रहे होंगे. वे 2 लोग कौन थे, यही उन्हें मालूम करना था. उन्होंने राधेश्याम के बेटे रविरतन को थाने बुलवाया था.

मोनिका वर्मा ने बयां की हत्या की सच्चाई

रवि आ गया तो एसएचओ प्रवीण कुमार ने उसे अपने सामने बिठा कर बहुत गंभीर आवाज में कहा, ‘‘रवि, मुझे तुम्हारे मम्मीपापा के कत्ल हो जाने का गहरा दुख है, मैं दिल से चाहता हूं कि उन के कातिलों को पकड़ कर कानून के कटघरे में खड़ा करूं. क्या तुम भी ऐसा ही चाहोगे कि तुम्हारे मम्मीपापा के कातिलों को कानून कड़ी से कड़ी सजा दे?’’

“कौन बेटा नहीं चाहेगा सर. मैं अपने मम्मीपापा के कातिलों को फांसी के फंदे पर देखना चाहता हूं.’’ रवि दांत भींच कर बोला.

“तो तुम वह सब मुझे सचसच बताओगे, जो मैं तुम से पूछूंï?’’ एसएचओ ने रवि के चेहरे पर नजरें जमा दीं.

“मैं सचसच ही बताऊंगा सर.’’

“देखो, हमारा मानना है कि कातिलों ने घर में फ्रैंडली एंट्री ली है, क्योंकि पिछला दरवाजा अंदर से बंद रहता था और मेन गेट तुम ने खुद बंद किया था, ऐसा तुम ने कहा है.’’

“मैं ने खुद मेन गेट बंद किया था सर. गेट बंद कर के मैं रात को साढ़े 10 बजे तक उन के पास बैठा बातें करता रहा था, फिर ऊपर सोने चला गया था.’’

“तो फिर पिछला दरवाजा किस ने खोला, मैं यह जानना चाहता हूं?’’

“वह सर चोरों ने खोल लिया होगा.’’ रवि ने अपना शक जाहिर किया.

“नहीं खोल सकते थे चोर. दरवाजे की मोटी कुंडी न बाहर से खुल सकती थी न काटी जा सकती थी. वह अंदर से खोली गई है और यह काम तुम या तुम्हारी पत्नी मोनिका का हो सकता है.’’

“मैं कसम खा कर कहता हूं सर, मैं ने यह दरवाजे की कुंडी नहीं खोली.’’

“तो यह काम तुम्हरी पत्नी मोनिका ने किया होगा.’’ प्रवीण कुमार गंभीर स्वर में बोले.

“मैं इस विषय में नहीं जानता सर.’’

“एक बात बताओ रवि, तुम्हारा और तुम्हारी पत्नी का वैवाहिक जीवन कैसा चल रहा है? क्या तुम दोनों के बीच में सब कुछ ठीक है?’’

“ज… जी,’’ रवि थोड़ा झिझका फिर बोला, ‘‘मोनिका और मेरे बीच में सब ठीक नहीं है सर. मुझे लगता है मोनिका अब मुझे प्यार नहीं करती, वह मुझे पति का हक भी अदा नहीं करती है.’’

“इस का कारण?’’

“कोई है सर, जो हम पतिपत्नी के बीच में आ गया है. मैं ने मोनिका को किसी से रात को देरदेर तक बातें करते देखा है. मैं ने पूछा तो कहती थी वह अपनी सहेली से बातें करती है. मैं ने एक दिन उस का फोन चैक किया तो कोई आशीष नाम के युवक का फोटो और काल डिटेल्स मिली. मेरी मोनिका से खूब लड़ाई हुई. मैं ने स्मार्टफोन ले लिया और कीपैड वाला फोन मोनिका को दे दिया है. मोनिका इस बात पर मुझ से नाराज है.’’

“आशीष,’’ एसएचओ ने यह नाम दोहराया, फिर रवि के कंधे पर हाथ रख कर बोले, ‘‘रवि, मुझे मोनिका को पूछताछ के लिए यहां बुलाना पड़ेगा. तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं?’’

“मुझे कोई ऐतराज नहीं है सर, आप अच्छी तरह से जांच करिए. मुझे मम्मीपापा के कातिल को फांसी के फंदे पर देखना है.’’

एसएचओ ने एसआई सीताराम के साथ एक महिला कांस्टेबल को भागीरथी विहार से मोनिका को लाने के लिए भेज दिया.

                                                                                                                                          क्रमशः

फेसबुकिया प्यार में डबल मर्डर – भाग 1

सुबह पौने 7 बजे रविरतन वर्मा सो कर उठा तो उस का सिर भारी था और शरीर भी बेजान, ढीलाढाला लग रहा था. पूरी रात वह घोड़े बेच कर सोया था. रवि को हैरानी थी कि वह बीती रात एक बार भी न पानी पीने उठा था, न बाथरूम जाने के लिए, जबकि रात में एकाध बार वह जरूर उठ जाता था. फ्रैश होने से पहले उसे एक प्याला चाय चाहिए होती थी.

उस ने सिर घुमा कर पास में सोई पत्नी मोनिका वर्मा की ओर देखा, वह गहरी नींद में थी. दोनों के बीच में पलंग पर उन का बेटा भी सो रहा था. रवि रतन ने हाथ से झकझोर कर मोनिका को हिलाया, ‘‘मोनिका उठो, मुझे चाय की तलब लगी है.’’

मोनिका वर्मा कसमसाई. फिर उस ने आंखें खोल दीं. बिस्तर से नीचे उतर कर उस ने अपनी साड़ी ठीक की और दरवाजे की तरफ बढ़ गई. उस की नजर स्टोर रूम के दरवाजे पर चली गई. वह खुला हुआ था और उस के अंदर सामान बिखरा हुआ था.

“यह… यह स्टोर रूम किस ने खोला है?’’ वह चौंक कर बड़बड़ाई और तेजी से बाहर आ कर स्टोर रूम की तरफ बढ़ गई. स्टोर रूम में सामान बिखरा हुआ था और अलमारी खुली हुई थी. उस में रखा कीमती सामान गायब था.

“ऐजी सुनते हो,’’ मोनिका ने जोर से अपने पति को आवाज लगाई, ‘‘घर में चोरी हुई है.’’

रविरतन सुन कर दौड़ता हुआ कमरे से स्टोर रूम में आ गया. बिखरा सामान देख कर उस को यह आभास हो गया कि घर में रात को चोर घुस आए थे, यदि वह ऊपर स्टोर रूम तक आए थे तो अवश्य ही नीचे भी उन्होंने हाथ साफ किया होगा. यह विचार मन में आते ही रवि सीढिय़ों की ओर झपटा. उस के पीछे मोनिका भी दौड़ी.

रवि जैसे ही भूतल पर अपने मम्मीपापा के कमरे मे आया. उस के मुंह से चीख निकल गई. कमरे में उस के मम्मीपापा खून से तरबतर पड़े थे. उन के गले कटे हुए थे. रवि फटीफटी आंखों से मम्मीपापा की लाशें देखता रहा. वह कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं था, लेकिन पीछे आ चुकी मोनिका ने यह दृश्य देखा तो वह जोरजोर से चीखने लगी, ‘‘खून…खून हो गया…चोरों ने मम्मीपापा की हत्या कर दी.’’

डबल मर्डर से फैली सनसनी

सुबहसुबह रवि के घर में से मोनिका की चीखें सुन कर पड़ोसी दौड़ कर उन के दरवाजे पर आ गए. बाहर से किसी ने ऊंची आवाज में पूछा, ‘‘क्या हुआ रवि? बहू क्यों चीख रही है.’’

रवि को होश सा आया, वह घबराया हुआ दरवाजे पर आया और उस ने अंदर से बंद दरवाजा खोल दिया.

“क्या हुआ, घर में सब ठीक तो है?’’ एक बुजुर्ग ने हैरानी से पूछा.

“मम्मीपापा को कोई जान से मार गया है,’’ रवि रोते हुए बोला, ‘‘उन की लाशें कमरे में पड़ी हैं.’’

पड़ोसियों ने अंदर आ कर देखा. पलंग पर रवि के पिता राधेश्याम की गरदन कटी लाश पड़ी थी. पलंग के साथ में बिछी चारपाई पर रवि की मां बीना देवी की लाश थी. उन की भी गरदन तेज धारदार हथियार से काट दी गई थी. दोनों लाशें खून से तरबतर थीं. घर में सामान भी बिखरा हुआ था. इस डबल मर्डर से सनसनी फैल गई.

“घर में चोरी भी हुई है रवि! तुम तुरंत पुलिस को सूचना दे दो.’’ किसी ने सलाह दी.

रवि ने मोबाइल से पुलिस कंट्रोल रूम का नंबर डायल किया और गोकलपुरी क्षेत्र में भागीरथ विहार की गली नंबर 13/6 में हुए इस डबल मर्डर केस की सूचना दे दी. पुलिस की वैन जब घटनास्थल पर पहुंची, वहां काफी भीड़ एकत्र हो चुकी थी. पुलिस को देखते ही भीड़ आजूबाजू हट गई.

उसी समय गोकलपुरी थाने के एसएचओ प्रवीण कुमार मय स्टाफ के वहां आ गए थे. इस दोहरे बुुजुर्ग दंपति हत्याकांड की सूचना उन्होंने विभाग के उच्चाधिकारियों को भी दे दी थी. एसएचओ प्रवीण कुमार ने घटना वाले कमरे में प्रवेश किया तो उन्हें वहां घर की बहू मोनिका जोरजोर से विलाप करती नजर आई. उन्होंने साथ आई महिला पुलिस को इशारा किया तो वह मोनिका को उठा कर कमरे से बाहर ले गई.

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एसएचओ प्रवीण कुमार ने दोनों लाशों की स्थिति देखी. कातिल ने राधेश्याम को नींद में ही दबोचा लगता था, वह सीधे सोए होंगे. उसी हालत में उन की गरदन पर वार किया गया था. जबकि सीमा देवी द्वारा कातिल से संघर्ष करने के संकेत मिल रहे थे, क्योंकि उन की चूडिय़ां टूट कर इधरउधर फैली हुई थीं, उन की जबरन गरदन काटी गई थी. श्री प्रवीण कुमार ने घर में बिखरा सामान और पूजा घर में खुली हुई अलमारी के अलावा ऊपरी तल पर स्टोर रूम का भी जायजा लिया. रवि रतन उन के साथ ही था.

“क्या पुलिस को तुम ने ही फोन किया था?’’ एसएचओ ने रवि से पूछा.

“जी हां सर, जिन की हत्या हुई है, वह मेरे मम्मीपापा हैं. मैं उन का इकलौता बेटा हूं.’’ रवि ने भर्राए स्वर में बताया.

“वह यहां रुदन कर रही थी, शायद तुम्हारी पत्नी है?’’

“हां,’’ रवि ने सिर हिलाया, ‘‘वह मेरी पत्नी मोनिका है.’’

“चोर अंदर कैसे घुसे… क्या तुम लोग दरवाजा खोल कर सोते हो?’’ एसएचओ ने गंभीर स्वर में पूछा.

“नहीं सर, मैं ने रात को सामने का दरवाजा भीतर से बंद किया था. चोरों ने अंदर प्रवेश कैसे किया, मेरी खुद की समझ में नहीं आ रहा है.’’

“क्या सुबह दरवाजा तुम्हें खुला मिला था?’’

“दरवाजा तो मैं ने अपने हाथों से ही खोला था. हां सर, पीछे गली में भी एक दरवाजा है, मैं ने वह चैक नहीं किया है.’’ कुछ याद आने पर चौंकते हुए रवि ने कहा तो एसएचओ ने उसे घूरा, ‘‘चलो, वह दरवाजा दिखाओ मुझे.’’

जांच में मिले सुराग

रवि उन्हें पीछे के दरवाजे पर लाया. वह अंदर से खुला था. एसएचओ ने दरवाजे को ध्यान से देखा. उस का कुंडा मोटा था, जिसे बाहर से किसी भी तरह नहीं खोला जा सकता था.

“इसे क्या खुला रखते हो तुम लोग?’’ एसएचओ ने पूछा.

“नहीं सर. पीछे तो हमें कोई काम नहीं पड़ता है, आनाजाना हम लोगों का सामने वाले गेट से ही होता था. यह दरवाजा तो बंद ही रहता था, शायद चोर किसी तरह इसे खोल कर अंदर घुसे थे. यहीं से वे हत्या कर के और लूटपाट कर के भाग गए हैं.’’

“हूं.’’ एसएचओ ने दिखाने को सिर हिलाया, लेकिन वह भली प्रकार यह अनुमान लगा चुके थे कि चोरों ने घर में फ्रैंडली एंट्री ली थी.’’

“घर से कितने की चोरी हुई है?’’ एसएचओ ने पूछा.

“सर, घर से साढ़े 3 लाख नकद और मम्मी की ज्वैलरी गायब है. यह साढ़े 3 लाख रुपया पापा को मकान का आधा हिस्सा 50 लाख में खुर्शीद प्रौपर्टी डीलर को बेच देने की टोकन मनी में से था. 5 लाख की टोकन मनी में से मैं ने डेढ़ लाख ऊपर अपने पास रखे थे. साढ़े 3 लाख रुपए मम्मी ने पूजा के कमरे की अलमारी में रख दिए थे, उसी में मम्मी की ज्वैलरी भी रखी हुई थी.’’

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नार्थ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट दिल्ली के पुलिस कमिश्नर भी जाय टिर्की भी वहां आ गए थे. उन्होंने लाशों का निरीक्षण किया. ऊपरी तल और नीचे की पूरी लोकेशन देखने के बाद वह एसएचओ से बोले, ‘‘घर में 2 हत्याएं हुईं, चोरों ने पूजा घर में सामान टटोला. ऊपर भी गए और स्टोर रूम में भी सामान बिखेरा, लेकिन बेटाबहू सोते रहे, उन्हें जरा भी आहट नहीं मिली. यह सोचने का विषय है, दूसरा वह पिछला दरवाजा.. जो बंद रखा जाता था, खुला हुआ मिला. इस से तो यही लगता है, सब एक साजिश के तहत हुआ है. कातिलों ने घर में एंट्री घर के किसी सदस्य के द्वारा ही की है.’’

“जी सर, मेरा भी यही मानना है.’’ एसएचओ ने धीरे से कहा, ‘‘घर की बहू रोनेधोने का ज्यादा ही दिखावा भी करती मिली है. आप इसे ध्यान में रख कर केस पर काम करिए, सफलता अवश्य मिल जाएगी. फोरैंसिक जांच के बाद आप प्रारंभिक काररवाई कर के लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दीजिए.’’

“ठीक है सर.’’

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कुछ आवश्यक निर्देश दे कर पुलिस डीसीपी जाय टिर्की वापस चले गए तो तभी फोरैंसिक जांच टीम भी वहां आ गई. टीम ने भी सूक्ष्मता से घटनास्थल की जांच की. इस के बाद एसएचओ ने वहां की काररवाई पूरी की और लाशों को जीटीबी अस्पताल की मोर्चरी में भिजवा दिया. इस के बाद एसएचओ अपने स्टाफ के साथ थाने लौट आए. यह डबल मर्डर केस भादंवि की धाराओं 457/392/397/302 के तहत दर्ज कर लिया गया और इस की जांच एसएचओ प्रवीण कुमार ने स्वयं अपने हाथ में ले ली.

                                                                                                                                       क्रमशः

प्यार में जब पति ने अड़ाई टांग – भाग 2

आत्महत्या की बात पर अड़ी रही शिवानी

पलंग के ऊपर एक देशी तमंचा और पलंग के दाहिनी ओर फर्श पर एक खाली खोखा पड़ा हुआ था. श्री त्रिपाठी ने सावधानी बरतते हुए वह तमंचा रुमाल द्वारा उठाया और खाली कारतूस के खोखे को भी कब्जे में ले लिया. रोने के कारण कपिल की पत्नी शिवानी की आंखें लाल हो गई थीं. वह पास ही खड़ी हो कर अभी भी सुबक रही थी.

“यह घटना कितने बजे की है शिवानी, जब कपिल ने आत्महत्या करने के लिए गोली चलाई?’’ श्री त्रिपाठी ने शिवानी से प्रश्न किया.

“उस वक्त घड़ी में ढाई बज रहे थे साहब. मैं सोई हुई थी. गोली चलने की आवाज से मैं अपनी चारपाई पर उठ कर बैठ गई. पति के कराहने की आवाजें कानों में पड़ी तो मैं चौंक कर इन के कमरे में आई. वो बिस्तर पर गिरे तड़प रहे थे. मैं ने तुरंत अपनी ससुराल फलावदा में इन के भतीजे सचिन को फोन द्वारा इन के आत्महत्या करने की जानकारी दी और मकान मालिक तथा पड़ोसियों की मदद से इन्हें एमएमजी अस्पताल ले कर भागी.’’

“कपिल ने आत्महत्या क्यों की?’’ शिवानी के चेहरे पर नजरें गड़ा कर श्री त्रिपाठी ने पूछा.

“कई दिनों से यह परेशान चल रहे थे, मैं पूछती थी तो कह देते थे कि कामधंधे में सौ प्रकार के टेंशन होते हैं, तुम्हें क्या बताऊं, मैं खामोश हो जाती थी. उसी टेंशन में इन्होंने रात को खुद को गोली मार ली.’’

“तुम पतिपत्नी के बीच सब कुछ ठीक चल रहा था?’’ श्री त्रिपाठी ने पूछा.

“हम खुश थे साहब. कपिल कभी टेंशन नहीं देते थे. काम पर से लौटते थे तो मेरे और बच्चों के लिए खानेपीने का सामान ले कर आते थे. कल भी वह आम ले कर आए थे. हम ने साथ खाना खाया था, वह 10 बजे सोने के लिए अपने पलंग पर आ जाते थे. रात को भी वह 10 बजे अपने पलंग पर सोने के लिए चले गए थे. मैं बच्चों के साथ अपने कमरे में जा कर सो गई थी कि रात को इन्होंने खुद को गोली मार ली.’’

“तुम कैसे कह सकती हो कि गोली कपिल ने खुद चला कर आत्महत्या की है, कोई दूसरा भी तो गोली चला सकता है.’’ श्री त्रिपाठी ने गंभीरता से अपनी बात कही.

“तमंचा तो इन्हीं का ही था साहब. कोई बाहरी व्यक्ति यदि इन्हें मारने आता तो अपना हथियार ले कर आता न कि इन का तमंचा संदूक से निकाल कर इन्हें गोली मारता.’’

“बात तो तुम ठीक कह रही हो.’’ श्री त्रिपाठी ने होंठों को सिकोड़ कर मन ही मन शिवानी के तर्क की प्रशंसा की, लेकिन उन्हें शिवानी के तर्क में एक खामी भी नजर आ गई. वह यह कि कमरे में कपिल की हत्या करने आए व्यक्ति को संदूक से कपिल का तमंचा निकाल कर भी दिया जा सकता है. और यह काम शिवानी ही कर सकती है, क्योंकि उस घर में कपिल के साथ शिवानी ही मौजूद थी.

‘शिवानी ने यदि ऐसा किया है तो क्यों?’ श्री त्रिपाठी को इसी का उत्तर तलाश करना था.

“क्या रात को तुम ने दरवाजा खुला छोड़ा था?’’ श्री त्रिपाठी ने शिवानी के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा.

शिवानी के खिलाफ मिलते गए ठोस सबूत

शिवानी के चेहरे के भाव बदले. वह थोडा घबराई, फिर खुद को संभालते हुए जल्दी से बोली, ‘‘मैं क्यों दरवाजा खुला छोड़ूंगी साहब, मैं ने रात को अच्छे से दरवाजा बंद किया था. मेरे पति ने जब गोली मारी, तब पड़ोसियों की मदद लेने के लिए मैं ने खुद दरवाजा खोला था.’’

“ठीक है,’’ श्री त्रिपाठी ने खून के नमूने और अन्य साक्ष्य एकत्र करने का काम एसआई हरेंद्र सिंह को सौंप कर उन्हें यह भी हिदायत दे दी कि वह आसपास पड़ोसियों से शिवानी के चरित्र की जानकारी भी गुप्त तरीके से एकत्र करें और उन्हें रिपोर्ट करें. हिदायत देने के बाद श्री त्रिपाठी थाना नंदग्राम की ओर लौट गए.

एसएचओ प्रदीप कुमार त्रिपाठी की आंखों में तीखी चमक उभर आई. वह आगे की ओर झुक गए. उन के सामने एसआई हरेंद्र, हैडकांस्टेबल सगीर खान और कांस्टेबल सोनू मावी बैठे हुए थे. एसआई हरेंद्र ने कुछ ही देर पहले श्री त्रिपाठी को कपिल की संभावित हत्या के पीछे की एक खास जानकारी दी थी. एसआई हरेंद्र की आंखों में झांक कर श्री त्रिपाठी ने पूछा, ‘‘तुम ने जो जानकारी जुटाई है, वह सही है न?’’

“बिलकुल सही है सर. कपिल के आसपास हम ने गुप्त तरीके से शिवानी के चरित्र के विषय में पूछताछ की. 2-4 जगह से हमें बताया गया है कि शिवानी का किसी युवक से इश्कविश्क का चक्कर चल रहा है.  मृतक कपिल और शिवानी के बीच उन्होंने उस युवक को ले कर झगडऩे की आवाजें भी सुनी हैं, जो कभीकभी रात के सन्नाटे में उन्हें सुनाई दे जाती थीं. कपिल शायद अपनी इज्जत को डरता रहा है, इसलिए उस ने कभी ऊंची आवाज में उस युवक को ले कर शिवानी से झगड़ा नहीं किया.

“उस युवक का नामपता मालूम हुआ?’’ श्री त्रिपाठी ने पूछा.

“नहीं, लेकिन मैं ने मुखबिरों को यह पता लगाने के काम पर लगा दिया है सर, बहुत जल्द उस युवक का नामपता मालूम हो जाएगा.’’

“शिवानी को फिलहाल अंधेरे में रखना है मिस्टर हरेंद्र. हमें शिवानी के खिलाफ ठोस सबूत मिल जाएं, तभी शिवानी पर हाथ डाला जाएगा.’’

“ठीक है सर.’’ एसआई ने कहा, ‘‘बहुत सावधानी से मैं उस युवक की जानकारी हासिल करूंगा.’’ एसआई हरेंद्र ने कहा और कुरसी छोड़ दी, ‘‘इजाजत चाहूंगा सर.’’

श्री त्रिपाठी ने सिर हिला दिया. एसआई हरेंद्र हेडकांस्टेबल सगीर खान को साथ ले कर कक्ष से बाहर निकल गए. कपिल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई थी, उस से श्री प्रदीप त्रिपाठी के इस शक की पुष्टि हो गई कि कपिल ने आत्महत्या नहीं की है, उस की गोली मार कर हत्या की गई है.

प्रेमी अंकुश तक पहुंच गई पुलिस

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, कपिल को हत्या से पहले नींद की गोलियां खिलाई गई थीं. उस को बाईं कनपटी पर बहुत नजदीक से गोली मारी गई थी, जो खोपड़ी के दाहिनी ओर से निकल गई थी. इसी से कपिल की मौत हुई थी. जिस रात कपिल की हत्या की गई, कमरे में उस की पत्नी शिवानी और छोटे बच्चे ही थे. जाहिर था, कपिल को शिवानी ने ही नशे की गोलियां खाने या दूध में मिला कर दी होंगी.

शिवानी शक के दायरे में थी, लेकिन श्री त्रिपाठी उसपर हाथ डालने से पहले उस युवक तक पहुंचना जरूरी समझते थे ताकि शिवानी को गुनाह कुबूल करवाया जा सके.  एसएचओ प्रदीप त्रिपाठी का सोचना था कि शिवानी ने अपने प्रेमी से पति को गोली मरवाई है. कपिल कुमार की हत्याकी पुष्टि हो जाने के बाद 16 मार्च, 2023 को कपिल के भतीजे सचिन की ओर से भादंवि की धारा 302 के तहत रिपोर्टदर्ज कर ली गई.

प्यार में जब पति ने अड़ाई टांग – भाग 1

गाजियाबाद शहर के नंदग्राम थाने में किसी अज्ञात व्यक्ति ने फोन कर सूचना दी कि नंदग्राम में एक व्यक्ति ने गोली मार कर खुद को घायल कर लिया है, उसे इलाज के लिए एमएमजी अस्पताल में भरती करवाया गया है. उस वक्त रात के 3 बज रहे थे.  सूचना मिलते ही नंदग्राम थाने के एसएचओ प्रदीप कुमार त्रिपाठी तुरंत 2 कांस्टेबलों को साथ ले कर एमएमजी अस्पताल के लिए खाना हो गए. वह अस्पताल पहुंचे तो मालूम हुआ कि उस घायल व्यक्ति की हालत काफी नाजुक थी, इसलिए उसे यूपी से दिल्ली के जीटीबी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया है. यह घटना 4 मार्च, 2023 की है.

एसएचओ प्रदीप कुमार त्रिपाठी दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में आ गए. यहां उन्हें बताया गया कि उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई है. श्री त्रिपाठी भारी मन से उस व्यक्ति की लाश का निरीक्षण किया तो चौंक पड़े. उस व्यक्ति के बाईं कनपटी पर गोली का गहरा जख्म था. गोली बाईं कनपटी पर चलाई गई थी, जो उस के सिर के दाहिनी ओर से निकल गई थी. यह देखने से अनुमान लगाया गया कि यह व्यक्ति लेफ्ट हैंडर रहा है.

कनपटी पर मारी थी गोली

लाश के पास एक युवक और एक महिला बैठे रो रहे थे. एसएचओ त्रिपाठी ने युवक के कंधे पर सहानुभूति से हाथ रख कर सांत्वना देते हुए कहा, ‘‘इस की मौत का मुझे गहरा दुख है. क्या तुम इस के बेटे हो?’’

“जी नहीं.’’ वह युवक उठ कर सुबकते हुए बोला, ‘‘यह मेरे चाचा कपिल कुमार थे.’’

“ओह!’’ श्री त्रिपाठी ने युवक के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा, ‘‘क्या तुम्हारे चाचा लेफ्ट टेंडर थे?’’

“नहीं साहब, मेरे चाचा अपने दाहिने हाथ से सारा काम करते थे.’’

श्री त्रिपाठी के माथे पर बल पड़ गए. उन्होंने फिर से लाश का जख्म देखा. गोली बाईं कनपटी पर ही सटा कर चलाई गई थी. ऐसा कोई दाहिने हाथ से हर काम करने वाला व्यक्ति कभी नहीं कर सकता था. स्पष्ट था कि गोली मृतक ने स्वयं नहीं चलाई है, यानी इसे किसी दूसरे व्यक्ति ने गोली मारी है. सीधेसीधे यह हत्या का केस था.

“अपने चाचा का नाम, पता नोट करवाओ.’’ एसएचओ प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने बेभीर स्वर में कहा और साथ आए कांस्टेबल सोनू मावी को नामपता नोट करने का हुक्म दे कर वह कुछ दूरी पर चले गए. उन्होंने इस संदिग्ध घटना की जानकारी डीसीपी निपुण अग्रवाल और एसीपी आलोक दुबे को दे दी. अधिकारियों को यहां आने में समय लग सकता था. श्री त्रिपाठी ने मृतक के भतीजे से घटना की जानकारी लेने के लिए

उस से पूछा, ‘‘तुम्हें इस घटना की जानकारी कैसे हुई?’’

उस युवक का नाम सचिन था. आसू पोंछते हुए उस ने कहा, ‘‘सर, मैं कस्बा फलावदा, मेरठ में रहता हूं. रात को मैं जब अपने कमरे में सो रहा था, मेरे मोबाइल की घंटी बजी तो मेरी नींद टूट गई. इतनी रात को कौन फोन कर रहा है, यह जानने के लिए मैं ने मोबाइल उठाया तो उस पर मेरी चाची शिवानी का नंबर था. चाची शिवानी ने मुझे बताया कि चाचा कपिल ने खुद को गोली मार ली है.

“मैं ने तुरंत घर के लोगों को यह बात बताई और बाइक से नंदग्राम के लिए निकल पड़ा. रास्ते में ही चाची से मालूम हुआ कि चाचा को दिल्ली जीटीबी अस्पताल में रेफर कर दिया गया है, इसलिए मैं सीधा यहां आ गया. यहां डाक्टरों ने चाचा को मृत घोषित कर दिया था.’’

“तुम्हारी चाची शिवानी ने तुम्हें बताया कि तुम्हारे चाचा ने आत्महत्या कर ली है, लेकिन मेरा अनुमान है यह सुसाइड नहीं बल्कि हत्या का मामला है. क्या तुम बता सकते हो, तुम्हारे चाचा को कौन गोली मार सकता है?’’

सच की तलाश में जुटी पुलिस

इस खुलासे से सचिन चौंक पड़ा. उस ने हैरत से एसएचओ त्रिपाठी की ओर देखा और बोला, ‘‘चाचा कपिल तो बहुत सज्जन आदमी थे साहब, उन की तो किसी से दुश्मनी भी नहीं थी.’’

“तुम्हारी चाची और चाचा के बीच कोई अनबन चल रही हो, ऐसा कुछ तुम्हें मालूम है?’’

“पतिपत्नी के बीच हर घर में थोड़ी बहुत खटपट होती ही रहती है साहब. दोनों के बीच कोई बड़ा झगड़ा तो कभी नहीं हुआ और न चाची कभी रूठ कर अपने मायके गईं. मैं अकसर चाचा के घर आताजाता रहता हूं, वहां सब कुछ सामान्य दिखाई देता था. यदि चाचा की हत्या का शक आप को है तो मेरी प्रार्थना है कि आप इस केस की गहराई से जांच करें.’’

“वह तो मैं करूंगा ही, तुम्हारी चाची का भी बयान मुझे लेना पड़ेगा. चूंकि अभी वह बयान देने की स्थिति में नहीं है, उस से बाद में बात की जाएगी.’’ श्री त्रिपाठी ने कहा और दूसरी आवश्यक काररवाई निपटाने में लग गए. करीब एक घंटे बाद गाजियाबाद से डीसीपी निपुण अग्रवाल और एसीपी आलोक दुबे अस्पताल में आ गए. दोनों अधिकारियों ने लाश का निरीक्षण करने के बाद यही शंका प्रकट की कि कपिल ने आत्महत्या नहीं की है, उस की हत्या की गई है.

एसीपी आलोक दुबे ने अपने निर्देशन में इस मामले की गहनता से जांच करने के लिए थाना नंदग्राम के एसएचओ प्रदीप कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में पुलिस टीम का गठन कर दिया. इस में एसआई हरेंद्र सिंह, हैडकांस्टेबल सगीर खान, कांस्टेबल सोनू मावी आदि को शामिल किया गया. कागजी काररवाई पूरी कर के कपिल की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. निर्देश देने के बाद पुलिस अधिकारी वापस चले गए.

कपिल के पैतृक गांव फलावदा से उस के कई रिश्तेदार जीटीबी अस्पताल आ गए थे. सभी कपिल की पत्नी शिवानी को अपने साथ ले कर नंदग्राम लौट गए. उन के साथ एसएचओ श्री त्रिपाठी भी नंदग्राम के लिए निकले. उन्हें उस जगह की जांच करनी थी, जहां कपिल द्वारा गोली मार कर आत्महत्या करने की बात शिवानी ने बताई थी. वह देखना चाहते थे कि कपिल की पत्नी शिवानी की बात में कितनी सच्चाई है.

घटनास्थल पर मिले कुछ सबूत

कपिल कुमार कस्बा फलावदा, जिला मेरठ का मूल निवासी था. उस के पिता बलवीर सिंह की मृत्यु हो चुकी थी. कपिल कुछ साल पहले काम के सिलसिले में उत्तर प्रदेश के शहर गाजियाबाद के नंदग्राम में आ कर रहने लगा था.  नंदग्राम में वह अपनी पत्नी शिवानी उर्फ सीमा और 2 बेटों के साथ कुंदन सिंह रावत के मकान में किराए पर रहता था. कपिल हंसमुख और मिलनसार व्यक्ति था. उस के परिवार में भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं थी. अपनी पत्नी और बच्चों को खुश रखने के लिए वह कोई कमी नहीं छोड़ता था.