जिस ने लूटा, वही बना सुहाग

जिस लड़की ने कुछ महीने पहले ही अपने करोड़पति बौयफ्रैंड पर बहका कर जिस्मानी संबंध बनाने, मारपीट करने और जातिसूचक गाली देने का आरोप लगा कर हंगामा खड़ा किया था, उस के ही गले में वरमाला डाली और उस के नाम का सिंदूर अपनी मांग में भर लिया.

बिहार के इस हाईप्रोफाइल केस में लड़का एक रिटायर्ड आईएएस अफसर का बेटा और करोड़पति औटोमोबाइल कारोबारी निखिल प्रियदर्शी है, वहीं लड़की बिहार के पूर्व मंत्री की बेटी सुरभि है.

9 महीने तक चले इस हंगामे के बाद दोनों ने शादी रचा कर मामले को ठंडा तो कर दिया, पर इस मामले में सुरभि ने निखिल के साथसाथ बिहार कांग्रेस के उपाध्यक्ष पर भी जिस्मानी शोषण का आरोप लगाया था.

इस आरोप में पिता समेत जेल जाने के बाद निखिल ने अदालत में समझौता याचिका दायर की और आरोप लगाने वाली सुरभि से शादी करने की बात कही थी. उस ने याचिका में कहा था कि सुरभि से अब उस का कोई झगड़ा नहीं है और दोनों शादी करने के लिए राजी हैं.

कोर्ट के आदेश के बाद 6 नवंबर, 2017 को पटना के रजिस्ट्रार के सामने निखिल और सुरभि ने शादी रचा ली.

इस शादी के पीछे एक लंबी कहानी है. 22 दिसंबर, 2016 को सुरभि ने निखिल, उस के भाई मनीष और पिता कृष्ण बिहारी प्रसाद के खिलाफ पटना के एससीएसटी थाने में एफआईआर दर्ज की थी. उस के बाद 8 मार्च, 2017 को पीड़िता ने बुद्धा कालोनी थाने में उस की पहचान उजागर करने, एक करोड़ रुपए और औडी कार मांगने की बातों को सोशल मीडिया पर वायरल करने को ले कर निखिल और ब्रजेश पांडे पर एफआईआर दर्ज कराई थी.

सीआईडी की सुपरविजन रिपोर्ट में मुख्य आरोपी निखिल को कुसूरवार करार दिया गया था. अनुसूचित जाति थाने के आईओ द्वारा की गई जांच में सीआईडी के डीएसपी ने सुपरविजन किया था.

सीआईडी के एडीजे विनय कुमार ने सुपरविजन की समीक्षा करने के बाद निखिल के खिलाफ लगाए गए बलात्कार के आरोप को सही पाया था.

आईजी (कमजोर वर्ग) अनिल किशोर यादव ने भी कहा था कि निखिल पर लगे आरोप सही पाए गए हैं.

निखिल को करीब से जानने वाले बताते हैं कि पावर, पैसा, पौलिटिक्स और पुलिस से निखिल की खूब यारी थी. निखिल एक नामी कार कंपनी के शोरूम का मालिक है. उस के बूते उस ने नेताओं और अफसरों के बीच खासी पैठ बना रखी थी. रसूखदारों से मिलना, उन के साथ उठनाबैठना और पार्टियां करने में उसे खूब मजा आता था. इन सब पर वह जमकर पैसा खर्च करता था.

यौन उत्पीड़न और सैक्स रैकेट चलाने के साथ ही बैंकों से लेनदेन को ले कर भी निखिल के खिलाफ कानूनी मामला चल रहा है. कुछ बैंकों से करोड़ों रुपए के लोन लेने के मामले में वह डिफौल्टर करार दिया गया है और बैंकों ने उस पर केस कर दिया है. बैंकों को रुपए लौटने के मामले में निखिल हाथ खड़े कर चुका है.

मुंबई हाईकोर्ट के आदेश पर निखिल प्रियदर्शी के बेली रोड पर बने कार शोरूम को सील कर दिया था.

टाटा कैपिटल फाइनैंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने निखिल की जायदाद जब्त करने का आदेश पुलिस को दिया था. टाटा कैपिटल का करोड़ों रुपए का लोन निखिल नहीं चुका रहा था. सगुना मोड़ के पास बना उस का दूसरा शोरूम पहले ही जब्त किया जा चुका है.

निखिल समेत कांग्रेस नेता ब्रजेश पांडे और संजीत शर्मा पर सुरभि ने बलात्कार और सैक्स रैकेट चलाने का आरोप लगाया था. निखिल ऊंचे ओहदे पर बैठे कई नेताओं और अफसरों को लड़कियां सप्लाई किया करता था.

सुरभि ने एसआईटी को बताया था कि शादी का झांसा दे कर निखिल उसे महंगी गाडि़यों में घुमाता था. एक दिन वह उसे बोरिंग रोड इलाके के एक फ्लैट में ले गया. उसे कोल्ड ड्रिंक पीने के लिए दी. उसे पीने के बाद वह बेहोश हो गई.

कुछ देर बाद जब उसे थोड़ा होश आया तो देखा कि ब्रजेश पांडे और संजीत शर्मा उस के साथ गलत हरकतें कर रहे थे. बाद में उस ने निखिल को फटकार लगाई और उस पर शादी करने का दबाव बनाया तो निखिल ने उस के साथ मारपीट की.

सुरभि ने मार्च महीने में पुलिस को दिए बयान में कहा था कि वह निखिल से प्यार करती थी और उस से शादी करना चाहती थी. निखिल ने उसे शादी करने का भरोसा दिया था, पर उस के बाद वह लगातार टालमटोल कर रहा था.

पहले तो कई महीनों तक शादी का झांसा दे कर निखिल ने उस के साथ जिस्मानी संबंध बनाए. उस के बाद उसे गलत कामों को करने पर जोर देने लगा. वह अपने दोस्तों के सामने उस के जिस्म को परोसना चाहता था.

एक दिन बोरिंग रोड के एक फ्लैट में ब्रजेश पांडे के सामने सुरभि को परोसने की कोशिश की. ब्रजेश ने उस के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की. जब पीडि़ता ने उस का विरोध किया तो उस के साथ मारपीट की गई.

सुरभि ने पुलिस को बताया था कि निखिल उस के साथ गलत हरकतें करता था. पहले वह इस बारे में खुल कर कुछ नहीं कह पाती थी, क्योंकि परिवार की बदनामी का डर था. अब उस का परिवार उस के साथ खड़ा है तो वह खुल कर बोल सकती है.

सुरभि ने बताया कि ब्रजेश उसे अपने साथ दिल्ली ले जाना चाहता था. उस ने कई बार उसे दिल्ली चलने को कहा. रुपयों का लालच भी दिया, लेकिन उस ने निखिल के साथ जाने से इनकार कर दिया.

निखिल गांजा पीता था और ज्यादा डोज लेने के बाद वह जानवरों की तरह बरताव करने लगता था. वह उस के जिस्म को नोचनेखसोटने लगता था.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, फेसबुक और ह्वाट्सऐप के जरीए लड़कियों से चैटिंग करना निखिल का शौक था. कई लड़कियों को वह सैक्स के घिनौने खेल में जबरन उतार चुका था. लड़कियों को परोस कर उस ने सत्ता के गलियारों और पुलिस महकमे में अपनी गहरी पैठ बना रखी थी.

दिखावे के तौर पर तो निखिल कारों का कारोबार करता था, लेकिन लग्जरी कारों के साथसाथ खूबसूरत लड़कियां भी उस की कमजोरी थीं. अफसरों और नेताओं को औडी और जगुआर जैसी महंगी कारों में घुमा कर उन से दोस्ती गांठने में वह माहिर था.

सुरभि ने जब निखिल पर यौन शोषण का आरोप लगा कर केस दर्ज किया था तो निखिल फरार हो गया था. एसआईटी ने उस की खोज में देश के कई राज्यों में छापामारी की. उसे पता था कि पुलिस उस की खोज में भटक रही है, इसलिए वह लगातार अपने ठिकाने बदलता रहा.

साढ़े 3 महीने तक फरार रहने और पुलिस की आंखों में धूल झोंकने वाला निखिल प्रियदर्शी और उस के रिटायर आईएएस पिता कृष्ण बिहारी प्रसाद को 14 मार्च को उत्तराखंड से गिरफ्तार किया गया था.

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के लक्ष्मण झूला थाने के चीला ओपी इलाके से उन्हें सुबहसुबह दबोचा गया. बिहार पुलिस को निखिल के उत्तराखंड में होने की सूचना मिली थी.

पटना के एसएसपी मनु महाराज ने पौड़ी गढ़वाल जिले के एसएसपी और अपने बैचमेट मुख्तार मोहसिन को फोन कर उन्हें निखिल के बारे में सूचना दी. उस के बाद ही उत्तराखंड पुलिस निखिल की खोज में लग गई थी. चीला इलाके में गाड़ी चैकिंग के दौरान निखिल अपनी औडी गाड़ी के साथ पकड़ा गया. गाड़ी में उस के पिता भी बैठे हुए थे.

पुलिस ने बताया कि निखिल और उस के पिता के पास पहचानपत्र था. इस वजह से वे किसी होटल में नहीं रुक पा रहे थे. तकरीबन 3 महीने तक बापबेटे ने दिनरात औडी कार में ही गुजारे. वे किसी पब्लिक प्लेस पर कार खड़ी कर के आराम किया करते थे. सार्वजनिक शौचालय में फ्रैश होते और उस के बाद फिर से कार से ही आगे की ओर बढ़ जाते थे.

अब शादी करने के बाद निखिल और सुरभि की नई जिंदगी क्या करवट लेगी, यह देखने वाली बात होगी.

फरजाना के प्यार का समंदर – भाग 1

राजमिस्त्री रईस अहमद दिन भर का थकामांदा रात 8 बजे घर वापस आया तो उस के घर का दरवाजा अंदर से बंद था. उस ने रुकरुक कर कई बार कुंडी खटखटाई, बीवी को आवाज भी लगाई, लेकिन उस की बीवी अदीबा बानो उर्फ फरजाना ने दरवाजा नहीं खोला.

रईस को तब गुस्सा आ गया, वह नशे में भी था सो वह फरजाना को भद्दीभद्दी गालियां बकने लगा. गालियां बकतेबकते जब वह थक गया तो उस ने घर के बाहर झोपड़ी के पास आग जलाई और तापने लगा.

अभी उसे तापते हुए आधा घंटा ही बीता था कि किसी ने उस पर धारदार हथियार से हमला कर दिया, जिस से उस का सिर फट गया और वहीं लुढ़क कर छटपटाने लगा.

इसी समय फरजाना दरवाजा खोल कर घर के बाहर आई तो उस ने झोपड़ी के पास शौहर को खून से लथपथ तड़पते देखा. तब वह चीखने और चिल्लाने लगी. कड़ाके की ठंड थी, सो लोग घरों में दुबके थे, लेकिन फरजाना की चीख सुन कर आसपड़ोस के इक्कादुक्का लोग घरों से निकले. फरजाना ने उन्हें बताया कि किसी ने उस के शौहर पर कातिलाना हमला किया है. यह सुन कर सभी दंग रह गए.

रईस के घर के पास ही उस का भाई वाहिद रहता था. उस ने भौजाई फरजाना के रोने की आवाज सुनी तो हड़बड़ा कर घर के बाहर आया. उस ने भाई रईस को मरणासन्न स्थिति में देखा तो उस का कलेजा कांप उठा. साथ ही मन में तरहतरह की आशंकाएं उठने लगीं.

इधर एक वफादार बीवी की तरह फरजाना ने शौहर को वाहिद की मदद से 4 पहिए वाली ठिलिया पर लादा और कन्नौज जिले में स्थित ठठिया के सरकारी अस्पताल की ओर भागी. लेकिन अस्पताल पहुंचतेपहुंचते रईस ने दम तोड़ दिया. डाक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया. तब वह रईस के शव को वापस घर ले आए. यह घटना 21 दिसंबर, 2022 की रात 9 बजे भदोसी गांव में घटित हुई थी.

सुबह सूरज के निकलते ही रईस की हत्या की खबर भदोसी गांव में फैली तो लोगों का जमावड़ा रईस के दरवाजे पर शुरू हो गया. लोग आपस में कानाफूसी भी करने लगे. फिर तो जितने मुंह उतनी बातें होने लगीं. इसी बीच ग्रामप्रधान रामजी कुशवाहा ने रईस की हत्या की खबर थाना ठठिया पुलिस को दे दी.

चूंकि मामला हत्या का था, अत: एसएचओ कमल भाटी पुलिस दल के साथ भदोसी गांव रवाना हो लिए. रवाना होने से पहले उन्होंने वारदात की खबर पुलिस अधिकारियों को भी दे दी थी.

भदोसी गांव ठठिया थाने के पास ही था, अत: पुलिस को वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. उस समय वहां ग्रामीणों की भीड़ जुटी थी. भीड़ को हटाते कमल भाटी उस स्थान पर पहुंचे, जहां मृतक रईस का शव पड़ा था.

एसएचओ कमल भाटी ने शव का निरीक्षण किया तो वह चौंक गए. क्योंकि हत्यारों ने बड़ी निर्दयतापूर्वक धारदार हथियार से रईस की हत्या की थी. उस के सिर के पीछे की ओर गहरा घाव था. सिर की हड्डी कटने और अधिक खून बहने से ही शायद उस की मौत हुई थी. हत्यारों ने उस के सिर पर शायद पीछे से ही वार किया था. मृतक रईस की उम्र 50 वर्ष के आसपास थी और शरीर दुबलापतला था.

एसएचओ कमल भाटी अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी (कन्नौज) कुंवर अनुपम सिंह तथा एएसपी डा. अरविंद कुमार भी आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौकाएवारदात का बारीकी से निरीक्षण किया. फिर ग्रामप्रधान रामजी कुशवाहा व अड़ोसपड़ोस के लोगों से घटना के संबंध में जानकारी हासिल की.

घटनास्थल पर मृतक की बीवी अदीबा बानो उर्फ फरजाना मौजूद थी. वह शौहर के शव के पास रो रही थी. एएसपी डा. अरविंद कुमार ने उसे धैर्य बंधाया और फिर उस से घटना के संबंध में पूछताछ की.

फरजाना ने बताया कि वह दरवाजा बंद कर घर के अंदर सो रही थी. रात 9 बजे उस की आंख खुली तो वह दरवाजा खोल कर घर के बाहर आई. वहां उस ने झोपड़ी के पास शौहर को छटपटाते देखा. किसी ने उन पर जानलेवा हमला किया था. उस ने शोर मचाया तो कुछ लोग घरों से निकले. उस के बाद देवर वाहिद की मदद से शौहर को ठठिया अस्पताल ले गई, जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया.

‘‘क्या तुम बता सकती हो कि तुम्हारे शौहर का कत्ल किस ने किया?’’ एएसपी ने पूछा.

‘‘नहीं साहब, मुझे पता नहीं.’’ फरजाना ने जवाब दिया.

‘‘रईस की किसी से गांव में रंजिश थी या कोई लेनदेन था?’’

‘‘नहीं साहब. गांव में उन की न तो किसी से रंजिश थी और न ही लेनदेन था. वह रोज कमानेखाने वाले आदमी थे. हां, वह शराब के लती जरूर थे.’’

मृतक रईस का भाई वाहिद पुलिस अफसर और अपनी भौजाई फरजाना की बातें गौर से सुन रहा था. भौजाई के त्रियाचरित्र से उसे मन ही मन गुस्सा भी आ रहा था. वह सोच रहा था कि शौहर के साथ घात करने के बाद अब कितनी पाकसाफ बनने की कोशिश कर रही है.

एसपी कुंवर अनुपम सिंह की निगाहें चंद कदम की दूरी पर बैठे वाहिद पर ही टिकी हुई थीं. उस के चेहरे पर गुस्से और गम के मिलेजुले भाव उभर रहे थे. ऐसा लग रहा था, जैसे वह अंदर भरे गुबार को बाहर लाना चाहता है, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है. कहीं वह अपने भाई की हत्या का रहस्य तो पेट में नहीं छिपाए है. यही सोच कर उन्होंने उसे अपने पास बुलाया फिर उसे पूछताछ के लिए एकांत में ले गए.

‘‘रईस तुम्हारा सगा भाई था?’’ एसपी कुंवर अनुपम सिंह ने वाहिद से पूछा.

‘‘जी साहब. हम दोनों सगे भाई थे,’’ वाहिद ने जवाब दिया.

‘‘तुम्हारे भाई की हत्या किस ने की, तुम्हें किसी पर शक है?’’

‘‘साहब, शक ही नहीं यकीन भी है कि उसी ने हत्या को अंजाम दिया है.’’ वाहिद ने विस्फोट किया.

‘‘किस पर यकीन है और किस ने हत्या को अंजाम दिया?’’ एसपी ने पूछा.

‘‘साहब, वह कोई और नहीं रईस की बीवी यानी मेरी भौजाई फरजाना है.’’

‘‘क्याऽऽ बीवी ने शौहर का कत्ल कर दिया?’’ एसपी कुंवर अनुपम सिंह ने अचकचा कर पूछा.

‘‘हां साहब, यही सच है.’’ वाहिद ने पूरा भरोसा जताते हुए कहा.

‘‘यह बात तुम यकीन के साथ कैसे कह सकते हो?’’ श्री सिंह ने पूछा.

‘‘साहब, फरजाना का अपने पड़ोसी अमर सिंह कुशवाहा से नाजायज रिश्ता है. इन नापाक रिश्तों का रईस विरोध करता था. जिस रोज वह बीवी को रंगेहाथ पकड़ लेता था, उस रोज दोनों के बीच झगड़ा और मारपीट होती थी. रईस दोनों के नापाक रिश्तों में बाधक बन रहा था, इसलिए अदीबा बानो ने अपने प्रेमी अमर सिंह के साथ मिल कर उस की हत्या कर दी.’’

विधवा से इश्क में मिली मौत – भाग 4

आशा का बेटा पंकज जवानी की दहलीज पर था. उसे दीपक सिंह का घर आना अच्छा नहीं लगता था, क्योंकि उस के हमउम्र दोस्त दीपक सिंह को ले कर तरहतरह की बातें करते थे, पर पंकज को अपनी मां पर भरोसा था. इसलिए दोस्तों को वह झिड़क देता था. लेकिन उस के भरोसे को तब ठेस लगी, जब उस ने मां को दीपक के साथ खिड़की से आपत्तिजनक हालत में देख लिया.

किसी बेटे के लिए इस से अधिक शर्मनाक बात और क्या हो सकती थी कि मां अपने प्रेमी के साथ रास रचा रही थी. यह देख कर पंकज का खून खौलने लगा.

पंकज का जी चाह रहा था कि वह लातें मारमार कर दरवाजा तोड़ दे और मां व दीपक को उन की गंदी हरकत का सबक सिखाए, लेकिन ऐसा करना उस ने उचित नहीं समझा. क्योंकि ऐसा करने से पूरे मोहल्ले में घर की बदनामी हो जाती. वह स्वयं भी किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रह जाता.

गुस्से को काबू कर पंकज दरवाजे से ही लौट गया. लगभग एक घंटा बाद वह वापस घर आया. तब तक दीपक सिंह जा चुका था. मां घर के काम में व्यस्त थी. पंकज के आते ही वह मुसकराते हुए बोली, ‘‘गोलू खाना लगा दूं.’’

‘‘नहीं, मुझे भूख नहीं है.’’ पंकज गुस्से से बोला.

‘‘क्या बात है बेटा, तेरा मूड क्यों उखड़ा है? क्या किसी से झगड़ कर आया है?’’ आशा ने पूछा.

‘‘मां, पहले तुम यह बताओ कि पप्पू घर में क्यों आता है? उस से तुम्हारा क्या रिश्ता है?’’

‘‘मेरा उस से कोई रिश्ता नहीं है. लगता है बेटा, किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं?’’

‘‘मेरे किसी ने कान नहीं भरे हैं. सब कुछ मैं ने अपनी आंखों से देखा है. आप झूठ बोल रही हैं कि पप्पू से कोई रिश्ता नहीं है. मैं ने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम इतनी गिर सकती हो. मुझे तो तुम्हें मां कहने में भी शर्म आ रही है.’’

बेटे की बात सुन कर आशा सन्न रह गई. वह जान गई कि उस के नाजायज रिश्तों का भांडा फूट गया है, इसलिए वह कुछ न बोली और सिर झुका लिया.

पंकज शाम को अपने मामा बदन सिंह के घर सचेंडी जा पहुंचा. उस ने मामा को मां और दीपक सिंह के नाजायज रिश्तों की जानकारी दी. बदन सिंह तब पंकज के साथ पनकी गंगागंज आया और विधवा बहन आशा को खूब जलील किया, साथ ही ऊंचनीच की नसीहत भी दी.

आशा ने गलती स्वीकार की और भाई व बेटे से वादा किया कि अब वह दीपक सिंह को घर में फटकने नहीं देगी. उस से कोई रिश्ता नहीं रखेगी. 2 दिन बाद जब पप्पू घर आया तो आशा ने उसे बता दिया कि उस के नाजायज रिश्तों की जानकारी उस के भाई और बेटे को हो गई है.

पप्पू पर इश्क का जुनून सवार था. जब आशा ने उसे घर आने को मना किया तो वह दबंगई पर उतर आया. वह जबर्दस्ती आशा को अपनी हवस का शिकार बनाने लगा. यही नहीं वह ब्लैकमेल कर आशा से रुपयों की मांग भी करने लगा.

आशा पैसे देने से मना करती तो वह उसे समाज में बदनाम करने की धमकी देता. आशा को तब झुकना पड़ता. आशा जब दीपक सिंह की ज्यादतियों से परेशान हो गई, तब उस ने भाई बदन सिंह को घर बुलाया. भाई को आशा ने बताया कि दीपक सिंह ने उस का जीना दूभर कर दिया है. वह उस के साथ जबरदस्ती करता है और ब्लैकमेल कर रुपयों की डिमांड करता है. रुपया न देने पर इज्जत नीलाम करने की धमकी देता है.

बहन की व्यथा सुन कर बदन सिंह के तनबदन में आग लग गई. उस ने उसी समय फैसला कर लिया कि वह बहन की इज्जत से खेलने वाले को सबक जरूर सिखाएगा. इस के बाद बदन सिंह ने बहन आशा व भांजे पंकज के साथ मिल कर दीपक सिंह उर्फ पप्पू की हत्या की योजना बनाई.

दीपक सिंह के वैसे तो कई पियक्कड़ दोस्त थे. लेकिन शशांक, सत्येंद्र, जितेंद्र उर्फ जीतू और देवेंद्र उर्फ जैकी उस के खास दोस्त थे. इन के साथ पप्पू अकसर शराब पार्टी करता था. जितेंद्र, सत्येंद्र व देवेंद्र पनकी गंगागंज (भाग एक) में रहते थे. वे तीनों सगे भाई थे. जबकि शशांक सक्सेना इन के घर से कुछ दूर रहता था. पप्पू के इन दोस्तों को उस के और आशा के नाजायज रिश्तों की बात पता थी.

अपनी योजना के तहत बदन सिंह ने दीपक सिंह के दोस्तों से यारी कर ली और वह उन के साथ शराब पार्टी में शामिल होने लगा.

बदन सिंह की शशांक से खूब पटती थी. वह उसे खानेपीने को अकसर बुलाता रहता था. शशांक का विश्वास जीतने के बाद बदन सिंह ने उसे अपना मोहरा बनाया.

13 जनवरी, 2023 की रात 9 बजे बदन सिंह ने शशांक से मुलाकात की और खाली पड़े प्लौट में शराब पार्टी की दावत दी. शशांक ने तब अपने दोस्त जितेंद्र, सत्येंद्र व देवेंद्र को भी बुला लिया. सभी बैठ कर शराब पीने लगे. बदन सिंह कुछ देर बाद वहां पहुंचा तो वहां दीपक सिंह उर्फ पप्पू नहीं था. बदन सिंह ने तब शशांक से कहा कि वह अपने दोस्त पप्पू को भी बुला ले.

शशांक ने रात 10 बजे पप्पू को फोन किया कि खाली पड़े प्लौट में शराब पार्टी चल रही है, वह भी आ जाए. कुछ देर बाद पप्पू वहां आ गया. इसी बीच बदन सिंह ने बहन आशा व भांजे पंकज उर्फ गोलू को वहां बुला लिया, जो प्लौट के पूर्वी छोर पर झाडि़यों में घात लगा कर बैठ गए. इधर पप्पू दोस्तों के साथ पैग लगा कर जैसे ही घर की ओर चला, तभी घात लगाए बैठे बदन सिंह, पंकज व आशा ने उसे दबोच लिया फिर ईंट से सिर कुचल कर उस की हत्या कर दी.

दीपक सिंह की चीखें उस के दोस्तों ने सुनीं पर उसे बचाने की कोशिश किसी ने नहीं की. हालांकि वे समझ गए थे कि पप्पू की हत्या किस ने की है, लेकिन उन्होंने जुबान बंद कर ली. उन्होंने न पुलिस को सूचना दी और न अड़ोसपड़ोस वालों को कुछ बताया.

14 जनवरी, 2023 की सुबह पड़ोसी राजू कूड़ा फेंकने खाली पड़े प्लौट पर गया तो उस ने दीपक सिंह की लाश देखी. तब राजू ने सूचना उस के घर वालों को दी.

21 जनवरी, 2023 को पुलिस ने हत्यारोपी बदन सिंह, पंकज, आशा तथा जुर्म छिपाने के आरोपी शशांक, सत्येंद्र, जितेंद्र व देवेंद्र को गिरफ्तार कर कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन सब को जिला जेल भेज दिया गया. द्य

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

लिव इन की कच्ची सड़क

रेखा धुर्वे भले ही 28 साल की हो गई थी, लेकिन जवानी उसके बदन से फूट रही थी. जब वह काम पर जाने के लिए बनसंवर कर झोपड़ी से निकलती, तब उसे भाभी कहने वाले लड़कों से ले कर उस की दोगुनी उम्र के लोगों के दिलों पर भी सांप लोटने लगता था.

कुछ तो मजाक कर उसे छेड़ देते थे, लेकिन कइयों के मन की बात दबी रह जाती थी. वैसे वे उस के पति मलखान के पसंद की तारीफ करते भी नहीं थकते थे.

इसी के साथ एक सच यह भी था कि पिछले कुछ समय से रेखा की मलखान से अनबन चल रही थी. मलखान के साथ उस की पारिवारिक और सामाजिक रीतिरिवाज के साथ शादी नहीं हुई थी.

रेखा अपने मांबाप, रिश्तेदार और समाज के सामने सिंदूर दान करने वाले पति को छोड़ कर मलखान के प्रेम में सिर्फ कसमेवादे के चंद लफ्जों में बंधी हुई थी. 12 सालों से उस के साथ लिवइन में रह रही थी. वही उस का पति था, उस की नजर में और समाज की नजर में भी. जबकि उस के पहले पति से 2 बच्चे भी थे.

वह नर्वदापुरम जिले की सिवनी मालवा तहसील स्थित आईटीआई के पास सीमेंट गोदाम में काम करती थी. वैसे वह मूल निवासी टिमरनी तहसील के गांव डोडरामऊ की थी. अपने पति को छोड़ कर वह दिसंबर, 2022 के पहले सप्ताह में काम के लिए सिवनी मालवा आई थी. घर के नाम पर एक टेंट था. उसी में वह मलखान के साथ रह रही थी. मलखान एक सीमेंट गोदाम में काम करता था.

मलखान सिंह पिपरिया के पास सररा लांजी गांव का रहने वाला था. रेखा उस से करीब 12 साल पहले मिली थी. मुलाकात जल्द ही जानपहचान में बदल गई. रेखा की जवानी पर मलखान फिदा हो गया, जबकि वह मलखान की हमदर्दी से उस की ओर खिंची चली गई. …और फिर उन का बारबार मिलनाजुलना मजबूत प्रेम में बदल गया.

एक दिन मलखान रेखा के सिर पर हाथ रख कर बोला, ‘‘तुम जब मेरे पास आओ, तब दुखी मन से उदास मत रहा करो. उस से तुम्हारी सुंदरता कम हो जाती है.

जब तुम हंसती हो तो बहुत अच्छी लगती हो…’’

‘‘क्या करूं मलखान, एक तुम्हीं हो जो मेरे मन की बात समझते हो. मैं किसी और के सामने तो दूर, अपने निखट्टू शराबी पति से भी उतना खुल कर बातें नहीं करती, जितनी तुम्हारे साथ कर लेती हूं.’’ कह कर रेखा सुबकने लगी.

‘‘शराबी तो मैं भी हूं. देखो, मैं ने अभी भी पी रखी है,’’ कहते हुए मलखान अपना मुंह रेखा के काफी करीब ले आया.

‘‘तुम शराब पी कर भी होश में बातें करते हो, लेकिन उसे तो…’’ रेखा बोली.

‘‘कोई बात नहीं, अगर तुम चाहो तो मेरे साथ रह सकती हो. सच कहूं तो मुझे तुम से प्यार हो गया है.’’ मलखान भावुक हो गया था.

रेखा कुछ बोल नहीं पा रही थी, लेकिन उस ने इशारे में इस की हामी जता दी थी. सिर्फ 2 शब्द बोल पाई थी, ‘‘मैं भी…’’

रेखा जाने लगी, तब मलखान ने उस के चेहरे को दोनों हाथों से हौले से पकड़ कर माथे को चूम लिया, ‘‘मैं तुम्हारे साथ जीनेमरने की कसम खाता हूं.’’

उस के बाद से दोनों ने साथ रहने का मन बना लिया. मलखान के वादे के साथ रेखा ने अपने पति का घर छोड़ दिया. उस के साथ ही बिनब्याहे रहने लगी. काम के सिलसिले में मलखान जहां जाता, रेखा उस के साथ चली जाती.

उन का कोई स्थाई घर नहीं था. वे अस्थाई झोपड़े या फिर टेंट के घर में रहते हुए अपनी जिंदगी गुजारने लगे थे. उन के बीच 12 साल तक तो सब कुछ अच्छा चला, लेकिन बाद में उन के बीच विवाद हो गया था.

मलखान के शराब पीने की लत काफी बढ़ गई थी. वह दिन में ही शराब पी कर काम पर चला जाता था. नशे की हालत में अनापशनाप बकता रहता था. इस कारण उस के साथ काम करने वाले परेशान रहने लगे थे. कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता था, जब रेखा की मलखान के साथ बहस नहीं होती थी. यही नहीं, वह रेखा को भी अपने साथ बैठा कर शराब पिलाने लगा था. रेखा इस कारण भी परेशान रहने लगी थी.

देर रात तक उन के बीच लड़ाईझगड़े होते रहते थे, गालीगलौज होती थी. गालियां देने में दोनों की जुबान काफी तेज थी. छूटते ही मांबहन की गालियां बकना शुरू कर देते थे. जब मलखान गुस्से में होता, तब यहां तक कह देता, ‘‘जा चली जा अपने पति के पास. तू तो मेरी रखैल है, जब जरूरत होगी बुला लूंगा.’’

यह सुन कर रेखा और भी तिलमिला जाती. वह भी गुस्से में बोल देती, ‘‘हां चली जाऊंगी उसी के पास. लेकिन वहीं क्यों मेरे चाहने वाले और भी मर्द हैं, मेरी जवानी के प्यासे हैं. देख, आज भी मेरे यौवन में कोई कमी आई है क्या?’’

दिसंबर, 2022 की 18 तारीख को शाम ढलते ही मलखान अपने टेंट के घर में शराब पीने लगा था. इस बीच बारबार रेखा को आवाज भी लगा रहा था. वह चिल्लाता हुआ बाजार से कोई नमकीन लाने को बोल रहा था.

मलखान कभी उसे बाजार जा कर सब्जियां लाने को कहता तो कभी उबले अंडे ला कर फ्राई करने का आदेश देता था. रेखा उस की फरमाइशें सुनसुन कर परेशान हो गई थी. गुस्से में उसे गालियां भी दे रही थी.

उन के बीच की ये सारी बातें पड़ोस के दूसरे लोग भी सुन रहे थे, लेकिन कोई उस में दखलंदाजी नहीं कर रहा था. उन्हें मालूम था कि उन का यह नाटक 1-2 घंटे चलेगा और फिर वे शराब के नशे में शांत हो जाएंगे. उन की सोच के मुताबिक ऐसा ही हुआ. रात के एक बजे तक टेंट में सन्नाटा पसर गया था.

सुबह जब उस के पड़ोसी श्याम ने रेखा के टेंट में नजर दौड़ाई तो उस के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. उस ने जो कुछ देखा, उसे बयां करने के लिए मुंह से शब्द ही नहीं निकल रहे थे. वह कुछ पल के लिए बेसुध सा खड़ा रहा, फिर अचानक उस के मुंह से चीख निकल गई.

उस की चीख सुन कर दूसरे मजदूर वहां आ गए. उन्होंने भी टेंट का मंजर देखा. वे हैरान हो गए. उन की आंखों के सामने रेखा कंबल में लिपटी खून से सनी पड़ी थी. उस की स्थिति देख कर सभी ने समझ लिया कि वह मर चुकी है. कारण, सिर बुरी तरह से कुचला हुआ था. उस के आसपास खून भी फैला हुआ था, जो सूख कर काला हो चुका था.

किसी ने इस दिल दहला देने वाली वारदात की सूचना सिवनी मालवा थाना पुलिस को दे दी. सोमवार के दिन 19 दिसंबर, 2022 की सुबह के 9 बजे के करीब एसएचओ जितेंद्र यादव इस वारदात की सूचना पा कर घटनास्थल पर जा पहुंचे. उन के साथ पुलिस की पूरी टीम थी. महिला की निर्मम हत्या का मामला था.

मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएचओ ने तत्काल घटना से एसडीपीओ आकांक्षा चतुर्वेदी को भी अवगत करवा दिया. वह भी तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गईं. जितेंद्र यादव और पुलिस टीम ने घटनास्थल की बारीकी से जांच की.

वहां मौजूद लोगों ने बताया कि मृतका रेखा मलखान के साथ लिवइन रिलेशन में रहती थी. मलखान फरार था. पुलिस को घटनास्थल पर एक बड़ा सा पत्थर मिला, जिस पर खून एवं रजाई के धागे लगे थे. जिस से यह स्पष्ट था कि इसी पत्थर से रेखा की हत्या की गई होगी.

एसएचओ घटना को देखते ही समझ गए थे कि यह वारदात प्यार में अवश्य ही बेवफाई और चरित्र की शंका को ले कर हुई होगी.  उन्होंने आसपास रहने वाले लोगों और मृतक के जानपहचान वालों से पूछताछ की.

उन्हें मालूम हुआ कि वे आपस में लड़तेझगड़ते रहते थे. मृतका की पहचान तो हो गई, लेकिन हत्यारा फरार हो चुका था. पड़ोसियों के मुताबिक वह उस का प्रेमी मलखान भी हो सकता था. हालांकि इस बारे में दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता था.

घटनास्थल पर बिखरी हुई चीजों में 2 गिलास और 2 शराब की बोतलें भी थीं. पूछताछ में पड़ोसी श्याम ने पुलिस के रेखा की बहन के बारे में बताया, जो पास में ही रहती थी.

जब उस से भी पूछताछ की गई, तब उस ने बताया कि बीती रात को उस की तबीयत थोड़ी खराब थी, इसलिए वह दवाई खा कर सो गई थी. उसे सुबह को इस घटना की जानकारी मिली.

इस वारदात की तहकीकात के लिए पुलिस ने एफएसएल टीम के साथ डौग स्क्वायड, फिंगरपिं्रट एक्सपर्ट एवं फोटोग्राफर के माध्यम से गहन जांचपड़ताल कर सबूत एकत्र किए. इस के बाद पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई पूरी कर लाश पोस्टमार्टम के लिएभेज दी.

मृतका रेखा की बहन ने पुलिस को बताया कि वह मलखान के साथ बिना शादी किए आपसी समझौते से साथ रह रही थी. उन के बीच काफी प्रेम था, लेकिन पता नहीं अचानक क्या हो गया जो उस की ऐसी निर्मम हत्या हो गई. उस ने हत्या का शक मलखान पर जता दिया.

पुलिस के सामने मृतक का पूरा अतीत उस की बहन ने बयां कर दिया था. फिर भी हत्यारे की मंशा और वारदात के पूरे घटनाक्रम का परदाफाश होना बाकी था.

एसडीपीओ आकांक्षा चतुर्वेदी ने बिना समय गंवाए एसएचओ जितेंद्र यादव को मलखान सिंह की तलाश में लगा दिया. उन्होंने पुलिस टीम को उस के मूल निवास के गांव पिपरिया की ओर रवाना कर दिया.

एसडीपीओ को लगातार इस की हर घंटे की अपडेट मिलती रही. इसी बीच मुखबिर की सूचना से पता चला कि मलखान सिंह सररा लांजी गांव की ओर देखा गया है.

उस सूचना के आधार पर पुलिस टीम ने फरार आरोपी को घेराबंदी कर दबोच लिया. उसे थाने ला कर सख्ती से पूछताछ की गई. पूछताछ में वह जल्द ही टूट गया और रेखा का सिर कुचल कर हत्या करने की बात कुबूल कर ली.

इस के बाद उस के खिलाफ थाना सिवनी मालवा में आईपीसी की धारा 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली गई.

इस तरह घटना के 24 घंटे के अंदर ही पुलिस टीम को सफलता मिल गई. हत्या का कारण पूछने पर मलखान ने बताया कि वह पिछले कई महीने से छोटीछोटी बातों पर झगड़ने लगी थी. उस की रोजरोज की चिकचिक से वह तंग आ गया था.

इस कारण उस ने शराब भी पहले से अधिक पीनी शुरू कर दी थी. उस ने बताया कि रेखा उसे हमेशा उस के दोस्तों के सामने भी गालियां दे देती थी.

इसी के साथ मलखान ने संदेह जताया कि रेखा ने किसी दूसरे युवक के साथ अवैध संबंध बना लिए थे. हालांकि इस बारे में वह सिर्फ शक ही जता पाया था. इस का कोई सबूत नहीं दे पाया. उस ने अपने बयान में बताया कि उसे यह चिंता होने लगी थी कि रेखा उसे छोड़ कर किसी और के साथ न चली जाए.

घटना के दिन वह शराब के नशे में अपना होश खो बैठा और दरम्यानी रात काफी झगड़ा होने लगा था, जिस से गुस्से में आ कर उस ने पत्थर से सिर पर वार कर दिया था. उस की तुरंत मौत हो जाने के बाद वह घबरा गया था और डर कर मौके से फरार हो गया था.  द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है

आशिक पति ने ली जान – भाग 3

दामोदर शीतल के पीछे पागल था, यही वजह थी कि एक दिन उस ने ओमप्रकाश से कहा, ‘‘मैं शीतल से शादी करना चाहता हूं.’’

‘‘तुम शीतल से कैसे शादी कर सकते हो. अगर तुम्हें उस से शादी करनी है तो पहले मोहरश्री को छोड़ो. उस के रहते मैं अपनी बेटी की शादी तुम्हारे साथ कतई नहीं करूंगा.’’ इस तरह ओमप्रकाश ने शादी से मना कर दिया.

इस से दामोदर निराश हो गया. उसे पता था कि मोहरश्री से छुटकारा पाना आसान नहीं है. दामोदर शीतल के लिए इस तरह बेचैन था कि मोहरश्री से छुटकारा पाने का आसान रास्ता न देख पाने के बारे में विचार करने लगा. जब उसे कोई राह नहीं सूझी तो उस ने उसे खत्म करने का निर्णय ले लिया. इस के बाद वह मोहरश्री की हत्या के लिए किराए के हत्यारों की तलाश करने लगा. पैसे ले कर हत्या करने वाला कोई नहीं मिला तो वह खुद ही कुछ करने के बारे में सोचने लगा. क्योंकि उसे लगता था कि मोहरश्री उस की खुशियों की राह का रोड़ा है.

संयोग से उसी बीच मोहरश्री खेत में डालने के लिए एक शीशी कीटनाशक ले आई. आधा कीटनाशक तो उस ने खेत में डाल दिया, बाकी घर में ही रख दिया. उस कीटनाशक को देख कर दामोदर ने भयानक योजना बना डाली.  इस के बाद वह मोहरश्री की हर हरकत पर नजर रखने लगा. इस बीच उस ने मोहरश्री के प्रति अपना व्यवहार बदल लिया था.

मोहरश्री सुबह खेतों पर चली जाती तो दोपहर को बच्चों के लिए खाना बनाने आती थी. बच्चों को खाना खिला कर वह फिर खेतों पर चली जाती थी. उस दिन मोहरश्री दोपहर को खेतों से आई तो दामोदर उस के इर्दगिर्द मंडराने लगा. इधर दामोदर का व्यवहार बदल गया था, इसलिए मोहरश्री ने इस बात पर खास ध्यान नहीं दिया.   मोहरश्री को खेतों में काम करना था, इसलिए वह बच्चों को खिला कर अपना खाना ले कर चली गई. वह अपना काम कर रही थी, तभी दामोदर आ गया. उस ने कहा, ‘‘मैं काम कर रहा हूं, तुम जा कर अपना खाना खा लो.’’

मोहरश्री को भूख लगी थी, इसलिए हाथपैर धो कर वह खाना खाने बैठ गई. खाना खातेखाते ही उस की तबीयत बिगड़ने लगी तो उस ने पानी पिया. पानी पीने के बाद उस की तबीयत और बिगड़ गई. उस समय वहां दामोदर के अलावा कोई और नहीं था. उस ने दामोदर को आवाज दी. दामोदर आया तो, लेकिन मदद करने के बजाय वह खड़ा मुसकराता रहा. थोड़ी देर में तड़प कर मोहरश्री ने दम तोड़ दिया.

मोहरश्री मर गई तो दामोदर की समझ में यह नहीं आया कि वह उस की लाश का क्या करे? जब उस की समझ में कुछ नहीं आया तो वह ओमप्रकाश के पास गया.  जब उस ने ओमप्रकाश से मोहरश्री की मौत के बारे में बताया तो वह घबरा गया. उस ने कहा, ‘‘तुम ने यह क्या कर डाला, क्यों मार डाला उसे? मैं इस मामले में कुछ नहीं जानता, तुम्हें जो करना है, करो.’’

दामोदर लौटा और मोहरश्री की लाश को घसीट कर मकाई के खेत में डाल दिया. वहां से वह घर आया तो बच्चों ने मां के बारे में पूछा. उस ने कहा, ‘‘तुम्हारी मम्मी थोड़ी देर में आएंगी. तब तक तुम लोग जा कर निमंत्रण खा आओ.’’

बच्चे निमंत्रण खाने चले गए. निमंत्रण खा कर लौटे, तब भी मां नहीं आई थी. कृष्णा को चिंता हुई तो वह मामा चंद्रपाल के पास पहुंचा और उसे सारी बात बताई. इस बीच दामोदर गायब हो गया. उस का इस तरह गायब हो जाना, शक पैदा करने लगा. चंद्रपाल घर तथा गांव वालों के साथ मोहरश्री की तलाश में निकल पड़ा.

सभी खेतों पर पहुंचे तो वहां उन्हें ओमप्रकाश और उस की पत्नी गुड्डी मिली. उन से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मोहरश्री की तबीयत खराब हो गई थी, दामोदर उसे एटा ले गया है. इस के बाद सभी अपने घर लौट आए, जब दामोदर घर नहीं आया तो सब को चिंता हुई. सभी विचार कर रहे थे कि अब क्या किया जाए, तभी मक्की के खेत में मोहरश्री की लाश पड़ी होने की जानकारी मिली.

पुलिस को सूचना देने के साथ मोहरश्री के घर वालों के साथ पूरा गांव वहां पहुंच गया, जहां लाश पड़ी थी. सूचना मिलने के बाद कोतवाली (देहात) प्रभारी पदम सिंह सिपाहियों के साथ वहां पहुंच गए. लाश और घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद जरूरी कारर्रवाई कर के उन्होंने लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

कोतवाली प्रभारी द्वारा की गई पूछताछ में पता चला कि दामोदर के संबंध नगला गोकुल के रहने वाली ओमप्रकाश की बेटी शीतल से थे. इस के बाद उन्हें समझते देर नहीं कि यह हत्या दामोदर ने की है. उन्होंने चंद्रपाल की ओर से मोहरश्री की हत्या का मुकदमा दामोदर के खिलाफ दर्ज कर के उस की तलाश शुरू कर दी. पुलिस तो उस की तलाश कर ही रही थी, गांव वाले भी उस के पीछे लगे थे.

घटना के 4 दिनों बाद गांव वालों ने कासगंज के थाना पतरे के एक गांव के एक बाग से दामोदर को पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.  दामोदर ने पहले तो हत्या से इनकार किया लेकिन जब उस के साथ सख्ती की गई तो वह टूट गया. शीतल के साथ अपने संबंधों को स्वीकार करते हुए उस ने बताया कि मोहरश्री उस की खुशियों की राह में रोड़ा बन रही थी, इसलिए उस ने उस के खाने में कीटनाशक मिला कर उसे मार डाला था. पूछताछ के बाद पुलिस ने कीटनाशक की शीशी बरामद कर उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

50 बोटियों में बंटी झारखंड की रुबिका

झारखंड में आदिवासी बहुल जिला साहिबगंज के बोरियो थाना क्षेत्र  में एक बेला टोला है. देश की राजधानी से 1,384 किलोमीटर दूर यहां के अदिवासी समुदाय के लोग बेहद खुश थे कि उन के समाज की एक महिला अब भारत की राष्ट्रपति हैं. स्कूलकालेज जाने वाली छात्राओं में उत्साह और उमंग का माहौल बना हुआ था. आए दिन वे अपने बेहतर भविष्य की चर्चा करती थीं.

उन्हीं में एक 22 साल की युवती रूबिका पहाड़न थी. वह ईसाई थी, लेकिन बोरियो थाना क्षेत्र के ही फाजिल मोमिन टोला में अपनी मरजी से मुसलिम समाज के दिलदार अंसारी से निकाह कर अपनी दुनिया में खोई हुई थी. खुश थी. रूबिका एक संयुक्त परिवार की बहू थी. उस के गरीब मातापिता और भाईबहन भी खुश थे कि उस का एक बड़े परिवार से नाता जुड़ गया है.

वे बेहद कमजोर जनजातीय समूह पार्टिक्युलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप यानी पीवीटीजी से आते हैं. हालांकि रूबिका मोहब्बत के जाल में फंस कर जिस परिवार की बहू बनी थी, वह भी एक साधारण मुसलिम परिवार ही था, जिन का पुश्तैनी काम कपड़ा बुनने का था, जो सदियों से होता आया है.

किंतु अचानक उन की खुशियों को तब ग्रहण लग गया, जब 17 दिसंबर 2022 की शाम को रूबिका पहाड़न का टुकड़ों में कटा हुआ शव मोमिन टोला स्थित एक पुराने और बंद पड़े मकान में मिला. उस की लाश को दरजनों टुकड़ों में काटा गया था. लाश के टुकड़ों को देख कर कोई भी हत्यारों की हैवानियत का अंदाजा सहज ही लगा सकता था.

रूबिका की बोटीबोटी करने वालों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं. उस के शव की पहचान न हो सके, इस के लिए आरोपियों ने उस की खाल तक उतार दी थी.

शव के बरामद हुए 50 टुकड़ों में दाएं पैर के अंगूठे, कपड़े आदि से ही उस की पहचान हुई. शव के टुकड़े इलैक्ट्रिक कटर जैसे किसी औजार से किए गए जान पड़ते थे. रूबिका का सिर 2 हफ्ते बाद मोमिन टोला के निकट तालाब के पास से बरामद हुआ था. पुलिस ने सभी टुकड़ों की डीएनए जांच के लिए रूबिका की मां और पिता के सैंपल ले लिए थे.

रूबिका की बोटियों में बंटी लाश जब ताबूत में भर कर उस के मातापिता के घर लाई गई थी, तब हर कोई फफकफफक कर रो पड़ा था. मां विलाप करती हुई बोले जा रही थी कि आखिरी विदाई के पहले कोई बेटी का चेहरा तो दिखा दो. पर दरिंदों ने उस का चेहरा तो क्या, शरीर का कोई भी अंग साबूत नहीं छोड़ा था.

रूबिका की लाश के अवशेष को पैतृक गांव के पास गोंडा पहाड़ में गम और गुस्से के बीच दफना दिया गया था. अंतिम संस्कार के वक्त साहिबगंज के उपायुक्त रामनिवास यादव, एसपी अनुरंजन किस्पोट्टा, प्रखंड विकास पदाधिकारी टूटू दिलीप सहित कई अफसर मौजूद थे.

उसकी हत्या का आरोप पति दिलदार अंसारी और उस के परिवार के लोगों पर लगाया गया. पुलिस ने दिलदार अंसारी, उस के पिता मोहम्मद मुस्तकीम अंसारी, मां मरियम खातून, पहली पत्नी गुलेरा अंसारी, भाई अमीर अंसारी, महताब अंसारी, बहन सरेजा खातून सहित 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इस वारदात का मास्टरमाइंड दिलदार का मामा मोइनुल अंसारी बताया गया, जो पुलिस की गिरफ्त से बाहर था.

बोरिया पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (किसी अपराध के सबूतों को गायब करना), 120 बी (आपराधिक साजिश) और 34 सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए आपराधिक कृत्य) के तहत गिरफ्तारियां की थीं.

बेला टोला गांव से करीब 12 किलोमीटर दूर गोदा पहाड़ी के एक छोटे से गांव में रूबिका का परिवार रहता है. वहां के कम से कम 30 अन्य परिवार उस के लिए इंसाफ और मुआवजे की मांग कर रहे थे. वे आक्रोश में थे, क्योंकि इस से पहले अगस्त 2022 में भी दुमका जिले के एक मुसलिम युवक द्वारा प्यार के प्रस्ताव को हिंदू छात्रा द्वारा ठुकराने पर कथित तौर पर उसे आग के हवाले कर दिया गया था.

बेला टोला से गोदा पहाड़ी पर स्थित रूबिका को घर तक जाने में 3 किलोमीटर तक चट्टानी पहाड़ी इलाके की चढ़ाई चढ़नी पड़ती थी. यह सामान्य रास्ता नहीं है. उस पहाड़ी से नीचे 12 किलोमीटर दूर बोरिया बाजार है. यह इलाका गुलजार रहता है. यहां लोग जरूरत का सामान खरीदने आते हैं. यह नई उम्र के लड़के और लड़कियों के लिए यह मिलनेजुलने का एक अड्डा भी है.

इस जगह पर ज्यादातर लड़कियां दूसरे लड़कों से मिलती हैं और फिर उन को दिल दे बैठती हैं. नईनई प्रेम कहानियां यहीं पनपती हैं. उन में कुछ सफल हो जाती हैं तो कुछ मामलों में प्रेमी युगल को असफलता भी मिलती है.

बीते साल एक दिन रूबिका अपने लिए कुछ जरूरी सामान खरीदने के लिए उसी बाजार में गई थी. वह जब कपड़े की दुकान पर थी, तब वहां उसके अलावा और कोई नहीं था. अपने लिए एक समीजसलवार का कपड़ा पसंद कर रही थी. दुकानदार कई सेट दिखा चुका था. उस के रंगों को ले कर रूबिका दुविधा में थी.

‘‘भैया, इस में कुछ समझ नहीं आ रहा, पन्नी में है न.’’ रूबिका असमंजस से बोली.

‘‘तो मैं तुम्हें पन्नी खोल कर दिखाऊं? …और नहीं पसंद आया तो उसे दोबारा कौन पैक करेगा? दिखता नहीं ऊपर दीपिका का फोटो लगा है,’’ दुकानदार झिड़कते हुए बोला.

‘‘अरे भैया, फोटो से क्या होता है? कपड़ा भी देखना है न,’’ रूबिका ने जिरह की.

‘‘नहींनहीं, इस का पैक नहीं खोलूंगा… लेना है तो सामने टंगा है उस में से चुन लो.’’

‘‘वो पसंद नहीं आ रहा है, इसी को खोल कर दिखा दो न.’’ रूबिका दुकानदार से मिन्नत करने लगी, लेकिन दुकानदार उस के सामने रखे सभी पैकेट को समेटने लगा. तभी एक युवक वहां आया और उन में से एक पैकेट खोलने लगा.

‘‘अरे, यह क्या करता है भाई, तू कौन है? इसे बगैर पूछे क्यों खोल रहा है?’’ दुकानदार उस से पैकेट झपटता हुआ बोला.

‘‘मैं भी इसी की तरह ग्राहक हूं. बगैर पन्नी से कपड़ा बाहर निकाले कैसे खरीदूंगा, भीतर खराब निकला तो?’’ बोलते हुए युवक ने दुकानदार से पैकट ले कर फटाफट खोल लिया और कपड़े को झट फैला दिया. पैकेट खोलने का तरीका देखती हुई पास ही सकुचाई हुई रूबिका भी अपनी पसंद के कपड़े का पैकेट खोलने लगी.

रूबिका को पैकेट खोलने से दुकानदार रोक नहीं पाया, कारण उस में युवक ने उस की मदद कर दी. दोनों अपनीअपनी पसंद के सलवारसूट पसंद करने लगे. उन्होंने बारीबारी से 3 पैकेट खोल दिए. रूबिका जब कपड़े को अपने कंधे पर रख कर देखने लगी, तब युवक सामने टंगे अंडरगारमेंट्स की ओर इशारा करता हुआ बोला, ‘‘अरे भाई, वह हरे रंग वाला दिखाना. उस में पूरा सेट है क्या?’’

‘‘अब देख उसे मत खोल देना. यहां लेडीज ग्राहक हैं.’’

‘‘अच्छा, चलो ठीक है.’’ युवक बोला.

‘‘तुम्हें अभी तक कोई कपड़ा पसंद नहीं आया?’’ दुकानदार ने रूबिका को टोका.

‘‘अरे यह नीले रंग वाला तुम ले लो, कपड़ा अच्छा है. रंग भी पक्का है.’’ युवक बोला.

‘‘हांहां, यही ले लो. 10 रुपए कम लगा दूंगा.’’ दुकानदार बोला.

‘‘ठीक है दे दो.’’ रूबिका बोली और पर्स में से पैसे गिनने लगी और पूरे छुट्टे पैसे मिला कर उसे दे दिए. लेकिन दुकानदार ने उस के एक रुपए के छोटे सिक्के लेने से मना कर दिया. कहा, ‘‘अरे ये छोटे वाले मैं नहीं लूंगा, चलते नहीं हैं.’’

इस बात पर युवक दुकानदार से बहस करने लगा, ‘‘क्यों नहीं चलते, यह भी तो सरकार के हैं.’’

खैर, किसी तरह से सिक्के का मामला निपटा. उस युवक ने भी कुछ कपड़े खरीदे.

रूबिका जब कपड़े ले कर जाने लगी, तब युवक ने उस से उस के गांव का नाम पूछा. रूबिका द्वारा गांव का नाम बताते ही वह चहक उठा, ‘‘अरे मैं भी तो वहीं पास के बेल टोला में रहता हूं. मुझे कभी नहीं देखा?’’

‘‘कैसे देखती, तुम्हारे आनेजाने का रास्ता अलग है. हमें पहाड़ी चढ़नी होती है.’’

‘‘अच्छा चलो, मेरे पास बाइक है. तुम्हें छोड़ता हुआ अपने घर चला जाऊंगा.’’ युवक बोला, ‘‘वैसे तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘रूबिका.’’

‘‘ईसाई हो?’’

‘‘नहीं आदिवासी. चर्च जाती हूं. वहीं पढ़ती हूं.’’ रूबिका बोली.

‘‘तुम तो हाजिरजवाब हो. मेरा नाम दिलदार है और दिलदार हूं भी. किसी की समस्या में टांग अड़ा देता हूं. मदद करना मेरे खून में है. जैसे आज मैं ने की तुम्हारे साथ कपड़े खरीदने में.’’ युवक बोला.

इस तरह से दिलदार और रूबिका की पहली जानपहचान जल्द ही दोस्ती में बदल गई. वे अकसर मिलने लगे. दिलदार उस पर पैसे भी खर्च भी करने लगा. उन के बीच कब प्यार हो गया, उन्हें भी पता नहीं चला.

लेकिन दिलदार और रूबिका के बीच का रिश्ता बदकिस्मती भरा था. कारण, वह न केवल शादीशुदा था, बल्कि एक बेटे का बाप भी था. उन के बीच 15 साल की उम्र का भी अंतर था. वैसे रूबिका की भी 5 साल पहले शादी हो चुकी थी और उस की भी एक बेटी थी.

जब रूबिका ने अपने मातापिता और बड़ी बहन शीला से दिलदार से शादी करने का जिक्र किया, तब घर में हंगामा खड़ा हो गया. ऐसा ही हाल दिलदार के घर में हुआ. उस की मां बिफरती हुई बोली, ‘‘अपनी जात में लड़की मर गई है, जो आदिवासी से शादी करेगा. और पहली बीवी में क्या कमी है?’’

दोनों के घर वालों को किसी भी सूरत में उन का रिश्ता पसंद नहीं था. वे उन के घोर विरोधी बन गए थे. जब रूबिका ने अपने परिवार का विरोध जताते हुए अपना फैसला किया कि वह अपने गांव का घर छोड़ कर बेल टोला में रहने चली जाएगी, तब परिवार वाले उस की बात मानने को तैयार हो गया.

उधर दिलदार ने भी अपने परिवार को धमकी दी कि उस की रूबिका से शादी नहीं हुई तो वह बीवीबच्चों को छोड़ कर दूसरे किसी बड़े शहर में चला जाएगा.

और फिर उन की जिद के आगे दोनों के घर वालों को झुकना पड़ा. दिलदार के साथ रूबिका का नया रिश्ता बन गया. वह अपनी ससुराल चली गई, लेकिन परिवार में उसे चाहने वाला दिलदार के अलावा और कोई नहीं था. जब कभी ससुराल में कोई कुछ कहता, तब वह वही कपड़े पहन लेती, जो दिलदार ने पहली मुलाकात में पसंद किए थे.

दिलदार भी उसे नीली कुरती में देख कर समझ जाता था कि घर के किसी सदस्य ने जरूर उस के दिल को ठेस पहुंचाई है.

जल्द ही दिलदार के भरेपूरे परिवार में रूबिका एकदम अकेली पड़ गई थी. यहां तक कि उसे ले कर अंसारी समुदाय के लोग भी उस पर दबेछिपे फब्तियां कस देते थे कि वह उस के समाज की नहीं है…हिंदू भी नहीं है, ईसाई है. दिलदार को छोड़ कर सभी ने उन के रिश्ते को मानने से इनकार कर दिया था.

नतीजा यह हुआ कि दिलदार ने रूबिका को मातापिता और पत्नी के साथ अपने घर में नहीं रहने दिया. इस के बजाय, उस ने उसे उसी गांव में एक कमरे की एक छोटी सी झोपड़ी में रख लिया.

इसे ले कर रूबिका के घर वाले नाखुश थे कि दिलदार उन की बेटी की इज्जत नहीं कर रहा. दिसंबर, 2022 की शुरुआत में उन्होंने बोरिया पुलिस से संपर्क करते हुए हस्तक्षेप की मांग की थी.

पुलिस ने दिलदार और उस के घर वालों पर दबाव बनाया और उन के बीच समझौता करवा दिया.

उसके बाद दिलदार रूबिका को अपने घर ले गया. इस के कुछ ही दिन बाद पुलिस ने उस के शरीर के टुकड़े बरामद किए.

रूबिका के घर वालों को सब से पहले दिलदार ने ही इस बारे में सूचना दी थी कि वह गायब है. उस की इस सूचना के आधार पर ही पुलिस ने तलाशी अभियान शुरू किया था. आखिरकार 17 दिसंबर, 2022 को एक गुप्त सूचना मिली. फिर उस ने एक आंगनबाड़ी के पीछे से एक अंग बरामद किया. इस की पहचान दिलदार ने ही की.

रूबिका की आखिरी बार अपनी बहन से 16 दिसंबर, 2022 की सुबह बात हुई थी. उन्होंने अपनी मां की तबीयत के बारे में विस्तार से बातें की थीं. रूबिका की लाश का पहला टुकड़ा मिलने के बाद 48 घंटे से अधिक समय तक पहाड़ी इलाकों में तलाशी का अभियान चलाया गया. करीब 100 मीटर दूर स्थित उस मकान में ज्यादातर टुकड़े मिले, जो पिछले 2-3 साल से खाली पड़ा था.

लाश की शिनाख्त की जाने लगी. उसी रोज सिर को छोड़ कर शरीर के सभी हिस्सों को बरामद कर लिया गया. रूबिका की बहन शीला पहाड़न ने तुरंत पहचान लिया कि जबड़े के हिस्से, अंग और बड़े करीने से नेल पौलिश लगे हाथ के नाखून उस के ही थे. यहां तक कि वही नीली कुरती देख कर शीला ने रूबिका की लाश होने की बात स्वीकार कर ली.

पहचान से बचने के लिए रूबिका के शरीर को बुरी तरह क्षतविक्षत कर दिया गया था. एक पुलिस अधिकारी के अनुसार बाद में सिर मिला जरूर, लेकिन उस का चेहरा कुचला हुआ था. केवल जबड़ा और बालों का एक गुच्छा पाया गया.

लगभग 4 दरजन टुकड़ों में मिली रूबिका की लाश देख कर प्रदेश के लोगों में गुस्से का उफान आ गया. लोग विरोध प्रदर्शन कर आरोपी को फांसी की सजा दिए जाने की मांग कर रहे थे. लोगों का आक्रोश देख कर पुलिसप्रशासन के भी हाथपांव फूल गए थे.

कथा लिखे जाने तक पुलिस ने दिलदार समेत उस के परिवार के 10 सदस्यों को गिरफ्तार तो कर लिया, लेकिन इस हत्या में उन की भूमिका पर कोई विशेष बात पता नहीं चल पाई थी.

दिलदार ने रूबिका के परिवार को उस के लापता होने की सूचना दी थी. उस ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि जिस दिन रूबिका की हत्या हुई, उस दिन वह काम के सिलसिले में पश्चिम बंगाल में था.

इस वारदात की तहकीकात में पुलिस ने दिलदार की मां पर रूबिका की हत्या की साजिश रचने और उस के मामा मोइनुल अंसारी द्वारा उस के शरीर के टुकड़ेटुकड़े करने का संदेह जताया है.

मामले में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार, दिलदार की मां मरियम, रूबिका को बोरिया पुलिस थाने से 500 मीटर दूर स्थित फाजिल बस्ती में अपने भाई मोइनुल अंसारी के घर ले गई थी. फिर वहीं पर उस की हत्या की गई थी. मरियम ने कथित तौर पर लाश को ठिकाने लगाने के लिए मोइनुल को 20 हजार रुपए दिए थे.

पुलिस ने गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद उन्हें जेल भेज दिया.     द्य