पति की नशेबाजी से घर की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई थी. जब बेटियों के भूखे मरने की नौबत आ गई, तब श्यामा नौकरी की तलाश में जुटी. 8वीं पास श्यामा को अच्छी नौकरी कहां मिलती. उस ने मोहल्ले में ही स्थित निरंकारी बालिका इंटर कालेज की प्रधानाचार्या से संपर्क किया और अपनी व्यथा बता कर जीवनयावन के लिए काम मांगा. प्रधानाचार्या ने श्यामा पर तरस खा कर उसे रसोइया की नौकरी दे दी. इस तरह श्यामा को 2 हजार रुपए माह वेतन पर मिड डे मील बनाने का काम मिल गया.
नौकरी मिलने के बाद श्यामा किसी तरह अपनी बेटियों का पालनपोषण करने लगी. उस की बड़ी बेटी पिंकी अब तक निरंकारी बालिका इंटर कालेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर महात्मा गांधी महाविद्यालय में बीए (फर्स्ट ईयर) में पढ़ने लगी थी.
उस की 3 बेटियां प्रियंका, वर्षा और रूबी निरंकारी बालिका विद्यालय में ही पढ़ रही थीं. श्यामा उन्हें सुबह अपने साथ ले जाती और फिर छुट्टी होने के बाद साथ ही ले आती थी. मिड डे मील का बचा खाना भी वह अपने साथ ले आती जो शाम को मांबेटियों के खाने के काम आता था.
नशेड़ी पति की दहशत से श्यामा व उस की बेटियां डरीसहमी रहती थीं. जब वह ज्यादा नशे में होता तो श्यामा दरवाजा नहीं खोलती थी. इस पर वह दरवाजा तोड़ने का प्रयास करता और खूब गालियां बकता. श्यामा के कमरे के सामने खाली जगह पड़ी थी. उस ने खाली जगह पर घासफूस का एक छप्पर रखवा कर एक चारपाई डलवा दी थी ताकि नशेड़ी पति कमरे के बजाए उसी छप्पर के नीचे सो जाए.
श्यामा की बड़ी बेटी पिंकी 19 साल की हो चुकी थी. वह मोहल्ले के कुछ बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर अपना व अपनी पढ़ाई का खर्च निकाल लेती थी. पिंकी की एक सहेली पूजा थी, जो उस के साथ ही पढ़ती थी. वह उस से कहती थी कि मां के हौसले से ही वह जिंदा है.
पहले वह छोटी बहनों को पढ़ा कर पैरों पर खड़ा करेगी. उस के बाद अपनी शादी की सोचेगी. वह मां का हौसला कभी नहीं टूटने देगी. उस की 14 वर्षीय छोटी बहन प्रियंका कक्षा 9 में और 13 साल की वर्षा 7वीं कक्षा में थीं, जबकि 10 वर्षीय रूबी अभी कक्षा 5 में थी.
रामभरोसे पक्का शराबी था. जिस दिन उस के पास शराब पीने को पैसे नहीं होते, उस दिन वह श्यामा से मांगता. इनकार करने पर वह उसे मारतापीटता और बक्से में रखे पैसे निकाल लेता. पैसा न मिलने पर वह घर का सामान बर्तन, अनाज व कपड़े उठा कर ले जाता और बेच कर शराब पी जाता. वह ऐसा कमीना बाप था, जो बेटियों के गुल्लक तक तोड़ कर पैसे निकाल लेता था.
नशेड़ी पति की हरकतों से परेशान श्यामा की हसरतें अधूरी रह गई थीं. उस के हौसले टूटने लगे थे, वह मानसिक तनाव में रहने लगी थी. कभीकभी वह अपना दर्द अपनी सहयोगी तारावती से बयां करती थी. वह उस से कहती थी कि बड़ी बेटी पिंकी के ब्याह की चिंता सता रही है. घर की माली हालत खराब है, ऐसे में उस की शादी कैसे होगी. पिंकी के अलावा 3 अन्य बेटियां भी हैं, जो साल दर साल बड़ी हो रही हैं.
30 जनवरी की शाम 4 बजे रामभरोसे घर आया. उस समय श्यामा के अलावा उस की चारों बेटियां घर पर ही थीं. रामभरोसे ने आते ही श्यामा से शराब पीने के पैसे मांगे. उस ने पैसा देने से मना किया तो रामभरोसे ने पास में रखा डंडा उठाया और श्यामा को पीटने लगा.
प्रियंका और रूबी शोर मचाने लगीं तो रामभरोसे ने उन्हें भी पीटना शुरू कर दिया. मांबेटी अपनी जान बचा कर भागीं तो उस ने उन का पीछा किया. उन्होंने किसी तरह रामशरण के घर में घुस कर जान बचाई. गुस्से से लाल रामभरोसे घर आया. उस ने घर का सामान तहसनहस कर दिया, घर के बाहर पड़ा छप्पर उलट दिया. फिर वह शराब पीने ठेके पहुंच गया.
इधर श्यामा पति की हैवानियत से इतनी ऊब गई थी कि उस ने आत्महत्या करने का निश्चय कर लिया था. वह बाजार से फसलों के बीज बेचने वाली दुकान से क्विक फास के 7 पाउच खरीद लाई. यह दवा गेहूं को घुन से बचाने के लिए गेहूं भंडारण में रखी जाती है.
दवा लाने के बाद श्यामा ने चारों बेटियों को अपने सामने बिठाया और बोली, ‘‘तुम्हारे नशेड़ी बाप की हैवानियत से मैं टूट चुकी हूं. उस के जुल्म अब और नहीं सह पाऊंगी. इसलिए मैं ने आत्महत्या करने का फैसला कर लिया है.’’
यह सुन कर पिंकी बोली, ‘‘मां, आप तो मेरी संबल हो. आप के हौसले से ही हम जिंदा हैं. जब आप ही नहीं रहोगी तो हम जी कर क्या करेंगे. हम सब एक साथ ही मरेंगे.’’
‘‘शायद तुम ठीक कहती हो. क्योंकि मेरे न रहने पर वह नशेड़ी अपने नशे के लिए या तो तुम सब को बेच देगा या फिर घर को देह व्यापार का अड्डा बना देगा. इसलिए उस के जुल्मों से बचने के लिए आत्महत्या करना ही बेहतर है.’’
जब श्यामा की चारों बेटियां एक राय हो कर मां के साथ आत्महत्या करने को राजी हो गईं, तब श्यामा ने कमरे की अंदर से कुंडी बंद कर दी.
इस से बुरा क्या हो सकता है कि श्यामा के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि जहर मिलाने के लिए कोल्डडिंक या कोई पेय ले आती.
वह चूंकि फैसला कर चुकी थी, इसलिए उस ने भगौने में आटे का घोल बनाया और जहर की 7 में से 4 पुडि़या घोल में मिला दीं.
इस के बाद दिल को कड़ा कर के बारीबारी से चारों बेटियों को घोल पिला दिया और खुद भी पी लिया. जहरीले घोल ने कुछ देर बाद ही अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. सभी मूर्छित हो कर आड़ेतिरछे एकदूसरे पर गिर गईं. उन के प्राणपखेरू कब उड़े, किसी को पता नहीं चला.
लगभग 33 घंटे बाद इस घटना की जानकारी तब हुई, जब निरंकारी बालिका विद्यालय की छात्रा प्रीति श्यामा के घर आई. उस ने दरवाजा न खोलने की जानकारी श्यामा के ससुर रामसागर को दी. रामसागर ने पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो मां व उस की 4 बेटियों द्वारा आत्महत्या किए जाने की जानकारी हुई. पुलिस ने शवों को कब्जे में ले कर जांच शुरू की तो नशेड़ी पति की हैवानियत से ऊब कर आत्महत्या करने की यह घटना प्रकाश में आई.
5 फरवरी, 2020 को थाना सदर कोतवाली पुलिस ने रामभरोसे को फतेहपुर की जिला अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया.