इस कहानी की शुरुआत 2 साल पहले सन 2014-15 से शुरू हुई थी. 27 साल का विपिन शुक्ला खूबसूरत युवक था. हंसीमजाक करना उस की आदत में था. वह एयरफोर्स की वाइव्ज एसोसिएशन की कैंटीन में काम करता था. इस कैंटीन में एयरफोर्स के अफसरों जवानों की पत्नियां घरेलू सामान खरीदने आती हैं.
सार्जेंट शैलेश की खूबसूरत पत्नी अनुराधा भी यहां से सामान खरीदा करती थी. एक बच्चे की मां अनुराधा काफी खूबसूरत थी. उसे देखते ही शादीशुदा विपिन अपना दिल हार बैठा था. उस ने बात को आगे बढ़ाने के लिए पहल करते हुए अनुराधा से हंसीमजाक और छेड़छाड़ शुरू कर दी.
अनुराधा ने इस का विरोध करते हुए विपिन को काफी खरीखोटी भी सुनाई, पर उस ने उस का पीछा नहीं छोड़ा. धीरेधीरे अनुराधा को विपिन की छेड़छाड़ और हंसीमजाक में आनंद आने लगा. इस से विपिन की हिम्मत बढ़ गई.
पहले दोनों में प्यार का इजहार हुआ, फिर मुलाकातें शुरू हुई. वक्त के साथ दोनों के बीच अवैधसंबंध भी बन गए. उसी बीच अनुराधा गर्भवती हो गई और शादीशुदा होते हुए भी विपिन पर शादी के लिए दबाव डालने लगी. उस का कहना था कि वह अपने पति को छोड़ देगी और विपिन अपनी पत्नी को तलाक दे दे. लेकिन विपिन ने अनुराधा की इस बात को मानने से इनकार कर दिया.
उस बीच शैलेश को भी अपनी पत्नी के विपिन शुक्ला के साथ अवैध संबंध होने और उस के गर्भवती होने की जानकारी मिल गई. उस ने अनुराधा को आड़े हाथों लेते हुए खूब फटकार लगाई. इस बात को ले कर पतिपत्नी के बीच क्लेश भी शुरू हो गया. यह बात पिछले साल की है.
रोजरोज के क्लेश से तंग आ कर शैलेश अनुराधा को अपनी ससुराल उत्तराखंड ले गया और वहां उस ने यह बात अनुराधा के मातापिता और भाई को बताई तो उन्होंने भी अनुराधा को डांटते हुए फौरन विपिन से संबंध खत्म करने को कहा.
शैलेश और अनुराधा कुछ दिन उत्तराखंड रह कर बठिंडा लौट आए. वापस आने के बाद अनुराधा ने विपिन से बातचीत करनी बंद कर दी. बारबार बुलाने पर भी जब अनुराधा ने विपिन से बात नहीं की तो नाराज हो कर वह अनुराधा को बदनाम करने लगा.
वह कालोनी वालों और कैंटीन में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों को अपने और अनुराधा के अवैधसंबंधों की कहानियां चटखारे लेले कर सुनाता. इस से सार्जेंट शैलेश और उस की पत्नी अनुराधा की बदनामी होने लगी. शैलेश अपने अधिकारियों और कालोनी वालों से नजर मिलाने में कतराने लगा.
एक दिन शैलेश ने विपिन से मिल कर उसे समझाया, ‘‘देखो शैलेश, गलती चाहे किसी की भी रही हो, अब यह बात यहीं दफन कर दो. पिछली सभी बातों को भूल कर भविष्य में हमें बदनाम करना बंद कर दो.’’
विपिन ने उस समय तो शैलेश की बात मान कर वादा कर लिया, पर वह अपनी बात पर कायम नहीं रह सका. उस की छिछोरी हरकतें जारी रहीं. विपिन जब अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और पानी सिर के ऊपर से गुजरने लगा तो शैलेश ने अपने साले शशिभूषण को बठिंडा बुला लिया. शशिभूषण नेवी में नौकरी करता था.
शैलेश के बुलाने पर जब शशिभूषण बठिंडा पहुंचा तो शैलेश, अनुराधा और शशिभूषण ने रोजरोज की इस बदनामी से अपना पीछा छुड़ाने के लिए विपिन का गला घोंट कर दफन करने की योजना बना डाली.
अपनी योजना पर अच्छी तरह सोचविचार कर उसे अमली जामा पहनाने के लिए सब से पहले शैलेश ने अपने अधिकारियों को अपना क्वार्टर बदलने की अर्जी दी. उसे एयरफोर्स कालोनी में क्वार्टर नंबर 214/10 अलाट था. उस ने अधिकारियों को मौजूदा क्वार्टर में कुछ कमियां बता कर नया क्वार्टर अलाट करा लिया.
योजना के अनुसार, नए क्वार्टर में जाने की तारीख 8 फरवरी, 2017 तय की गई. 8 फरवरी को रात का खाना खा कर विपिन अपनी आदत के अनुसार टहलने के लिए निकला तो शैलेश उसे अपने क्वार्टर के पास ही मिल गया. विपिन को देखते ही शैलेश ने कहा, ‘‘यार, मैं तुम्हारे घर ही जा रहा था.’’
‘‘क्यों क्या बात हो गई?’’ विपिन ने हैरानी से पूछा तो शैलेश ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘यार, तुम तो जानते ही हो कि आज मुझे क्वार्टर बदलना है. काफी सामान तो पैक कर चुका हूं. बस कुछ सामान बचा है. तुम चल कर पैक करवा दो. उस के बाद अनुराधा के हाथ की चाय पीएंगे.’’ शैलेश ने यह बात जानबूझ कर कही थी.
सुन कर विपिन झट से तैयार हो गया. शैलेश विपिन को ले कर अपने पुराने क्वार्टर पर पहुंचा. सामान पैक करते हुए विपिन जब नीचे की ओर झुका, तभी उस ने पीछे से विपिन के सिर पर कुल्हाड़ी का भरपूर वार कर दिया. बिना चीखे ही विपिन फर्श पर ढेर हो गया. शशिभूषण ने भी उस की गरदन पर एक वार कर के सिर धड़ से अलग कर दिया.
इस के बाद तीनों ने मिल कर विपिन की लाश को एक बड़े ट्रंक में डाल कर बाहर से ताला लगा दिया और घर के अन्य सामान के साथ लाश वाला ट्रंक भी नए क्वार्टर में ले आए.
विपिन की हत्या करने के बाद जहां शैलेश ने चैन की सांस ली थी, वहीं उसे यह चिंता भी सताने लगी थी कि विपिन की लाश को ठिकाने कैसे लगाया जाए. वह कुछ सोच पाता, उस के पहले ही उसे अगले दिन अपने अधिकारियों से पता चला कि विपिन रात से घर से लापता है. यह सुन कर उस ने लाश ठिकाने लगाने का इरादा त्याग दिया.
उस ने सोचा कि कुछ दिनों में मामला ठंडा हो जाएगा तो इस विषय पर वह सोचेगा. पर विपिन की पत्नी कुमकुम के बारबार एयरफोर्स और पुलिस के अधिकारियों के पास चक्कर लगाने से मामला ठंडा होने के बजाए गरमाता गया.
लाश को ठिकाने लगाना जरूरी था. फरवरी का महीना होने के कारण मौसम बदल रहा था. ज्यादा दिनों तक लाश को रखा नहीं जा सकता था, इसलिए सोचविचार कर शैलेश ने 19 फरवरी को विपिन की लाश के छोटेछोटे 16 टुकड़े किए और उन्हें पौलिथिन की अलगअलग थैलियों में भर फ्रिज में रख दिया.
शैलेश ने सोचा था कि वह किसी रोज मौका देख कर 2-3 थैलियों को बाहर ले जा कर वीरान जगह पर फेंक देगा, जहां कुत्ते या जंगली जानवर उन्हें खा जाएंगे. कुछ टुकडों को जला देगा और कुछ को नाले या गटर में फेंक देगा. लेकिन इस के पहले ही 21 फरवरी को पुलिस ने उसे और उस की पत्नी अनुराधा को गिरफ्तार कर के उस के घर से फ्रिज में रखे लाश के 16 टुकड़े बरामद कर लिए.
अभियुक्त सार्जेंट शैलेश कुमार और अनुराधा को उसी दिन अदालत में पेश कर के थानाप्रभारी वेदप्रकाश ने 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया. रिमांड अवधि में शैलेश और अनुराधा की निशानदेही पर उन के घर से हत्या में इस्तेमाल की गई कुल्हाड़ी और मृतक विपिन शुक्ला का मोबाइल बरामद कर लिया गया. पूछताछ और पुलिस काररवाई पूरी कर के दोनों को अदालत में पेश किया गया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया.
अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए शैलेश ने जिस तरह अपने दिमाग का इस्तेमाल किया था, वह काबिले तारीफ था. उस की योजना फूलप्रूफ थी. लेकिन लाश ठिकाने लगाने में की गई देर ने उस की पोल खोल दी. बहरहाल अब पतिपत्नी जेल में हैं और इस हत्या के लिए तीसरे दोषी शशिभूषण की पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है.
बठिंडा के सरकारी अस्पताल के डाक्टरों ने मृतक विपिन की लाश के टुकड़ों का पोस्टमार्टम कर ने से इनकार करते हुए कहा कि तकनीकी कारणों और पुख्ता सबूतों के लिए पोस्टमार्टम फरीदकोट के मैडिकल कालेज में करवाना ठीक रहेगा.
मृतक की पत्नी कुमकुम का आरोप है कि अगर एयरफोर्स और स्थानीय पुलिस सही समय पर काररवाई करती तो उस के पति की लाश इस तरह 16 टुकड़ों में न मिलती. विपिन की लाश 12 दिनों तक सलामत थी. इस के बाद ही हत्यारों ने उस के टुकड़े किए थे.
कुमकुम का यह भी कहना है कि उस के पति के अनुराधा के साथ अवैधसंबंध नहीं थे. हकीकत में शैलेश और अनुराधा विपिन को ब्लैकमेल कर रहे थे. विपिन की हत्या करने से पहले पतिपत्नी दोनों रोजाना शाम को उन के घर आते थे और देर रात तक बैठ कर बातें व हंसीमजाक करते थे. लेकिन 8 फरवरी के बाद वे एक बार भी उन के घर नहीं आए और ना ही विपिन की तलाश में उन्होंने कोई सहयोग किया.
– पुलिस सूत्रों पर आधारित






