रियल लाइफ में तवायफ का किरदार – भाग 2

स्याह पहलू श्वेता का

ऐसी ही एक एक्ट्रैस है श्वेता बसु प्रसाद, जिस ने इसी साल जनवरी में जिंदगी के 30 साल पूरे किए हैं. श्वेता हालांकि कोई बड़ा या जानामाना नाम नहीं है लेकिन प्रतिभा उस में है, जिसे उस ने साबित भी किया. महत्त्वाकांक्षी श्वेता ने पत्रकारिता का भी कोर्स किया है और कुछ दिन एक मशहूर अखबार में लेखन भी किया.

जमशेदपुर के मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती इस खूबसूरत लड़की ने पहली बार बाल कलाकार के रूप में ‘मकड़ी’ फिल्म में काम किया था. साल 2002 में प्रदर्शित हुई इस फिल्म के निर्मातानिर्देशक विशाल भारद्वाज थे. भूतप्रेत वाली इस फिल्म में श्वेता चुन्नी और मुन्नी नाम की जुड़वां बहनों के रोल में खासी सराही गई थी.

उसे सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था. इस के बाद उस ने कुछ तमिल, तेलुगू और बंगाली फिल्मों में भी काम किया, लेकिन उम्मीद के मुताबिक उसे नाम और दाम नहीं मिला. कुछ टीवी धारावाहिकों में भी वह नजर आई लेकिन इस से भी उस के डगमगाते करियर को सहारा नहीं मिला.

देह व्यापार में क्यों आई श्वेता

छोटेमोटे रोल करती श्वेता को लोग भूल ही चले थे कि साल 2014 में हैदराबाद से एक सनसनीखेज खबर आई कि मशहूर एक्ट्रैस श्वेता प्रसाद बंजारा हिल इलाके के एक बड़े होटल से देहव्यापार करती हुई पकड़ी गई.

बात सच थी गिरफ्तारी के बाद उसे सुधारगृह भेज दिया गया, जहां वह बच्चों को संगीत और कला का प्रशिक्षण देती रही. मीडिया और बौलीवुड में वह उत्सुकता और आकर्षण का विषय बन गई. हर कोई जानना चाह रहा था कि वह इस घृणित पेशे में क्यों आई.

इन्हीं दिनों में श्वेता का एक बयान खूब वायरल हुआ था, जिस में वह यह कहती नजर आ रही थी कि मैं अपने ही कुछ गलत फैसलों के चलते कंगाल हो गई थी. मुझे अपने परिवार को भी संभालना था और कुछ अच्छे काम भी करने थे. लेकिन मेरे लिए सारे दरवाजे बंद थे, इसलिए कुछ लोगों ने मुझे वेश्यावृत्ति का रास्ता दिखाया. मैं कुछ नहीं कर सकती थी और न ही मेरे पास कोई और चारा था, इसलिए मैं ने यह काम किया.

सुधारगृह से छूटने के बाद वह इस बयान से मुकर गई और नएनए बयान देती रही, जिन के कोई खास मायने नहीं थे. लेकिन दाद देनी होगी श्वेता की हिम्मत और आत्मविश्वास को, जो वह देहव्यापार के आरोप में पकड़े जाने के बाद भी टूटी नहीं और उसे जो भी रोल मिला, वह उस ने स्वीकार लिया.

साल 2018 में उस ने फिल्मकार रोहित मित्तल से शादी की, लेकिन एक साल बाद ही वह टूट गई. ‘चेतना’ फिल्म की सीमा और श्वेता की असल जिंदगी में काफी समानताएं दिखती हैं, पर फिल्म के और जिंदगी के दुखांत में जमीन आसमान का अंतर होता है, जो दिख भी रहा है.

वेश्या होने का दाग आसानी से नहीं धुलने वाला पर श्वेता अभी भी जिस लगन से काम कर रही है. उस के लिए वह शुभकामनाओं की हकदार तो है कि कड़वा अतीत भूल कर मकड़ी जैसा कारनामा एक बार फिर कर दिखाए.

कड़वी मिष्ठी

श्वेता को तो हैदराबाद सेशन कोर्ट ने देह व्यापार के आरोप से बाइज्जत बरी कर दिया था, लेकिन सन 2014 में ही एक और एक्ट्रैस मय पुख्ता सबूतों के देहव्यापार के आरोप में रंगेहाथों धरी गई थी, जिस का नाम था मिष्ठी मुखर्जी. भरेपूरे गुदाज बदन की मालकिन मिष्ठी थी तो बंगाली फिल्मों की सी ग्रेड की अभिनेत्री, लेकिन 2012 में राकेश मेहता निर्देशित एक हिंदी फिल्म ‘लाइफ की तो लग गई’ में वह नजर आई थी और मुंबई में ही बस गई थी.

हैरानी की बात यह है कि इस फिल्म की समीक्षाओं में कहीं उस का जिक्र नहीं हुआ. मिष्ठी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं. मुंबई के पौश मीरा टावर के सी विंग में फ्लैट नंबर 502 में वह परिवार सहित रह रही थी. इस फ्लैट का किराया ही 80 हजार रुपए महीना था.

मिष्ठी आलीशान जिंदगी जी रही थी. मीरा टावर में लगभग 75 फ्लैट्स आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के हैं. इस अपार्टमेंट में हंगामा 9 जनवरी, 2014 को तब मचा था, जब एक छापामार काररवाई में ओशिवरा पुलिस ने मिष्ठी को अपने बौयफ्रैंड दिल्ली के फैशन डिजाइनर राकेश कटारिया के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़ा था.

इस छापे में पुलिस ने कोई ढाई लाख ब्लू फिल्मों की सीडी बरामद की थीं. पुलिस के मुताबिक ये सीडी दक्षिण भारत से ला कर मुंबई और ठाणे में बेची जाती थीं. देह व्यापार में सहयोग देने के आरोप में पुलिस ने मिष्ठी, उस की मां सहित पिता चंद्रकांत मुखर्जी और भाई समरत को भी गिरफ्तार किया था. पुलिस के मुताबिक इस फ्लैट का इस्तेमाल ब्लू फिल्में बनाने में भी किया जाता था.

बाद में मिष्ठी और उस के परिवारजनों ने सफाई दी थी, लेकिन तब तक एक और एक्ट्रैस के दामन में जिस्मफरोशी का दाग लग चुका था. इस मुकदमे का फैसला हो पाता, इस के पहले ही महज 27 साल की उम्र में मिष्ठी किडनी फेल हो जाने से 4 अक्तूबर, 2020 को इस दुनिया से चल बसी.

लोगों को इस कांड के अलावा यह भर याद रहा कि उस ने कुछ क्षेत्रीय फिल्मों सहित हिंदी फिल्म ‘मैं कृष्णा हूं’ में एक गाना गाया था.

बाद में अंदाजा भर लगाया गया, जो सच के काफी करीब है कि अगर वह ब्लू फिल्मों का कारोबार कर रही थी या सैक्स रैकेट चला रही थी तो अपने परिवार के खर्चे पूरे करने के लिए इस गैरकानूनी रास्ते पर चल पड़ी थी.

ऐश के ऐश

ऐसा ही रास्ता दक्षिण भारत की उभरती एक्ट्रैस ऐश अंसारी ने भी चुना था, जो साल 2013 में जोधपुर के तख्त विलास होटल में रंगेहाथों जिस्मफरोशी करते पकड़ी गई थी. इस छापे में 9 लोग पकड़े गए थे. यह भी एक हाइटेक मामला था और औनलाइन चलता था.

जब माथे पर लिख दिया ‘मेरा बाप चोर है’

यश चोपड़ा द्वारा बनाई गई फिल्म ‘दीवार’ हिंदी सिनेमा की सफलतम फिल्मों में से एक है. कहा जाता है कि इस फिल्म की कहानी अंडरवर्ल्ड डौन हाजी मस्तान के जीवन पर आधारित थी.

इस फिल्म में अमिताभ बच्चन का नाम विजय था. विजय फिल्म में मजदूर नेता बने सत्येन कप्पू का बेटा था. सत्येन कप्पू मजदूरों के हक के लिए फैक्ट्री मालिकों से लड़ाई लड़ता है, पर फैक्ट्री मालिक उसे और उस के परिवार वालों को जान से मारने की धमकी देते हैं तो डर कर सत्येन कप्पू फैक्ट्री मालिकों की बात मान लेता है.

इस बात से नाराज हो कर फैक्ट्री के मजदूर सत्येन कप्पू पर जानलेवा हमला कर देते हैं, जिस से डर कर वह घर छोड़ कर भाग जाता है. इस के बाद मजदूर उस के बेटे विजय को पकड़ कर उस के हाथ पर ‘मेरा बाप चोर है’ लिख देते हैं. विजय जीवन भर अपने हाथ पर लिखे ‘मेरा बाप चोर है’ को ले कर कानून से नफरत करता है.

उस का मानना था कि दुनिया उसी की सुनती है, जिस के पास पैसा होता है. फिल्म ‘दीवार’ में अमिताभ बच्चन के हाथ पर लिखे गए ‘मेरा बाप चोर है’, जैसी ही एक घटना पिछले साल जयपुर में सामने आई थी. इस घटना में ससुराल वालों ने एक महिला के माथे पर लिख दिया था. ‘मेरा बाप चोर है’.

जयपुर के आमेर इलाके के रहने वाले रामलाल की बेटी मालती की शादी अलवर जिले के थाना रैणी के अंतर्गत रहने वाले जग्गू से तय हुई तो मालती तो खुश थी ही, उस के घर वाले भी बेहद खुश थे. इस की वजह यह थी कि मालती की यह दूसरी शादी थी. इस तरह एक बार फिर उस का घर बसने जा रहा था, इसीलिए सभी खुश थे.

मालती की दूसरी शादी जग्गू से मालती की पहली शादी जिला दौसा में हुई थी. शादी के बाद कुछ दिनों तक तो सब ठीकठाक चला था, लेकिन बाद में पति उस से मारपीट करने लगा था. मालती पति की यह मारपीट सहती रही. पति पहले उसे 2-4 दिनों में मारतापीटता था, लेकिन जब वह उसे रोज ही मरनेपीटने लगा तो परेशान हो कर मालती ने यह बात अपने मातापिता को बता दी.

मातापिता और तो कुछ कर नहीं सकते थे, मालती को अपने यहां बुला लिया. मालती मांबाप के यहां आई तो लौट कर ससुराल नहीं गई. रामलाल उस की दूसरी शादी के लिए लड़का तलाश करने लगे. किसी रिश्तेदार से उन्हें थाना रैणी के अंतर्गत रहने वाले जग्गू के बारे में पता चला तो उन्होंने मालती की शादी उसी से तय कर दी. मालती और उस के घर वालों को लगा कि अब उस की जिंदगी आराम से गुजर जाएगी.

14 जनवरी, 2015 को सामाजिक रीतिरिवाज से मालती की शादी जग्गू से हो गई. मालती आंखों में सुहाने सपने लिए एक बार फिर ससुराल आ गई. पहली बार भी वह गांव में ब्याही गई थी, इस बार भी उस की शादी गांव में ही हुई थी. ससुराल आ कर मालती हर बहू की तरह पति और उस के घर वालों की सेवा करने लगी.

दिन भर वह घर के कामकाज में लगी रहती, उस के बाद पति की सेवा करती. शुरू में यहां भी सब ठीकठाक रहा. लेकिन कुछ दिनों बाद यहां भी उसे दहेज न लाने का ताना मारा जाने लगा. मालती कर ही क्या सकती थी, चुपचाप उन के ताने सुन लेती. वह पढ़ीलिखी भी नहीं थी कि कुछ कर पाती. वही क्यों, न तो उस के मायके में कोई पढ़ालिखा था और न ही ससुराल में.

ससुराल वाले मालती से दहेज के रूप में 51 हजार रुपए पिता से मांग कर लाने के लिए कह रहे थे. मालती को अपने पिता रामलाल की हैसियत का पता था. 51 हजार तो क्या, उन के लिए तो 51 सौ रुपए भी एक बड़ी रकम थी. इसीलिए वह चुपचाप ससुराल वालों की बातें एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल देती थी.

इस से मालती के ससुराल वालों को लगा कि सिर्फ बातों से ही काम नहीं चलेगा. उन्होंने उस के साथ मारपीट शुरू कर दी. धीरेधीरे यह मारपीट बढ़ती ही गई.

मालती ने कई बार मांबाप से अपनी परेशानी बताई, पर रामलाल ही क्या करते? उन के पास पैसे ही नहीं थे, जिसे दे कर वह बेटी को परेशानी से उबार लेते. वह मालती को समझाबुझा कर ससुराल भेज देते कि आगे चल कर सब ठीक हो जाएगा.

लेकिन कुछ भी ठीक नहीं हुआ. धीरेधीरे मालती पर होने वाले अत्याचार बढ़ते ही गए. हद तो तब हो गई, जब ससुराल वालों ने उस के माथे पर ‘मेरा बाप चोर है’ गुदवा दिया. इतने पर भी उन्हें संतोष नहीं हुआ तो उन्होंने उस के हाथों और जांघों पर अश्लील शब्द गुदवा दिए.

कहा जाता है कि यह अमानवीय अत्याचार करने से पहले पति ने अपने भाइयों के साथ मिल कर मालती को कुछ सुंघा दिया था. उस के बाद उस के हाथोंपैरों को बांध कर मुंह में कपड़ा ठूंस दिया गया, जिस से वह विरोध न कर सके. मालती को पूरी तरह से असहाय कर के उन्होंने उस के शरीर पर कई जगह उस के पिता के नाम के साथ गालियां गुदवा दी थीं. ससुराल वालों ने मालती की हालत ऐसी कर दी थी कि वह किसी को अपना मुंह तो क्या, हाथ तक नहीं दिखा सकती थी. वह साड़ी के पल्लू से आंखों तक माथा और दोनों हाथों को छिपा कर रखती थी.

जब पिता को पता चला बेटी पर होने वाले अत्याचारों का सन 2016 के जून महीने में रामलाल को बेटी पर होने वाले अत्याचारों के बारे में पता चला तो वह उस की ससुराल पहुंचे. बेटी की हालत देख कर उन के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उन्होंने सोचा भी नहीं था कि बेटी के साथ ससुराल वाले ऐसा अत्याचार करेंगे.

रामलाल बेटी को अपने घर ले आए और चूना और तेजाब की मदद से उस के माथे पर लिखे ‘मेरा बाप चोर है’ और शरीर के अन्य अंगों पर लिखे अश्लील शब्दों यानी गालियों को मिटाया गया. मालती को जितनी पीड़ा यह सब गोदने में सहनी पड़ी थी, उस से कहीं ज्यादा उन्हें मिटाने में सहनी पड़ी.

मालती के हाथों पर लिखी गालियों को गोदने वाली मशीन से फूल बनवा कर मिटवाया गया. पिछले साल यानी जून, 2016 के आखिरी सप्ताह में जयपुर में यह मामला मीडिया में सुर्खियां बना तो पुलिस और प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू की.

पता चला कि जयपुर कमिश्नरेट की महिला थाना उत्तर पुलिस 10 दिनों तक इस्तगासे को दबाए बैठी रही. मामला उछला तो पुलिस ने 3 लोगों के खिलाफ प्रताड़ना और दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कर लिया. अगले दिन पुलिस ने मालती के घर जा कर उस का बयान लिया और कांवटिया अस्पताल ले जा कर उस का मैडिकल कराया.

मामला सुर्खियों में आया तो राजस्थान महिला आयोग ने खुद इस मामले को संज्ञान में ले कर पुलिस उपायुक्त (उत्तर) को फटकार लगाते हुए पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की. मामला दिल्ली तक पहुंचा तो केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने इस घटना को गहरा आघात बताया.

उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग को मामले की जांच करने के निर्देश दिए. केंद्रीय मंत्री के निर्देश पर 28 जून, 2016 को राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रेखा शर्मा मामले की जांच करने जयपुर पहुंचीं. उन्होंने मालती और उस के घर वालों से मामले की विस्तार से जानकारी ली, साथ ही पुलिस से भी रिपोर्ट मांगी.

राजस्थान महिला आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा भी अन्य सदस्यों के साथ मालती से मिलने महिला थाना उत्तर पहुंचीं. उस की हालत देख कर वह सन्न रह गईं. पुलिस ने पीडि़ता मालती के बयान के आधार पर उस की ससुराल वालों की धरपकड़ के लिए 3 टीमें अलवर, रैणी और दिल्ली भेजीं.

इस के अलावा एडिशनल डीसीपी और थाना आमेर के थानाप्रभारी अपनी एक टीम के साथ मालती के घर पहुंचे, जहां मालती से ही नहीं, उस के आसपास रहने वाली महिलाओं से भी घटना के बारे में विस्तार से जानकारी ली. इस के बाद रैणी जा कर ससुराल वालों तथा आसपड़ोस वालों से भी पूछताछ की गई. उस की ससुराल तथा आसपड़ोस वालों का कहना था कि उन के समाज में गोदना गोदने की प्रथा तो है, लेकिन मालती के शरीर पर यह सब किस ने गुदवा दिया, इस का उन्हें पता नहीं है.

विवाद में आ गईं राज्य महिला आयोग की सदस्य पुलिस जांच चल ही रही थी कि एक नया विवाद खड़ा हो गया. सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो गई, जिस में राजस्थान महिला आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा बैठी थीं और आयोग की सदस्य सौम्या गुर्जर इस अमानवीय अत्याचार की पीडि़ता मालती की सेल्फी ले रही थीं. कहा जा रहा था कि वह फोटो 28 जून, 2016 की थी, जब राज्य आयोग की अध्यक्ष व सदस्य पीडि़ता से मिलने गई थीं.

इस फोटो के जरिए लोगों ने सवाल उठाए थे कि महिला आयोग की पदाधिकारियों ने पीडि़ता की पहचान क्यों उजागर की? इस विवाद पर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा एवं सदस्य सौम्या गुर्जर ने अपनेअपने तरीके से सफाई दी.

प्रदेश कांग्रेस की मीडिया चेयरपर्सन डा. अर्चना शर्मा ने मालती के साथ सेल्फी खींचने की निंदा करते हुए महिला आयोग की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े कर दिए. उन का कहना था कि सदस्य सौम्या गुर्जर ने पीडि़ता के साथ इस तरह सेल्फी ले कर उस का गंभीर मजाक उड़ाया है.

सेल्फी के इस मामले ने तूल पकड़ा तो राज्य महिला आयोग की सदस्य सौम्या गुर्जर ने 30 जून, 2016 को इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर सफाई दी कि लोगों ने सेल्फी लेने के मामले को गलत तरीके से पेश किया है, जो नैतिकता के खिलाफ है. विवाद के बाद उन्होंने नैतिकता के आधार पर पद छोड़ा है.

उन का कहना था कि पुलिस को इस बात की भी जांच करनी चाहिए कि जब वह पीडि़ता की काउंसलिंग कर रही थीं तो पुलिस के अलावा वहां तीसरा आदमी कैसे आ गया, जिस ने फोटो वायरल कर दी.

पीडि़ता बहुत डरी हुई थी, इसलिए उन्होंने उसे फोन दिखा कर सामान्य करने की कोशिश की थी. वह अपनी फोटो देख कर खुश हो गई थी. उन्होंने वह फोटो वायरल करने के लिए नहीं खीची थी. वह महिला आयोग की सदस्य थीं, इसलिए उन्हें नियमकायदे पता थे.

सौम्या गुर्जर ने भले ही सफाई दे दी थी, लेकिन राष्ट्रीय महिला आयोग ने सेल्फी खींचने को गलत ठहराते हुए अध्यक्ष सुमन शर्मा और सदस्य सौम्या गुर्जर को 4 जुलाई, 2016 को दिल्ली तलब किया. हालांकि राज्य महिला आयोग ने फोटो खींचने वाली बात को जांच का विषय बताते हुए सोशल मीडिया पर वायरल हुई फोटो को सेल्फी मानने से इनकार कर दिया था.

राज्य महिला आयोग की सदस्य सौम्या गुर्जर के इस्तीफे के बाद आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा के इस्तीफे की मांग होने लगी थी. तब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी और तत्कालीन शिक्षामंत्री कालीचरण सराफ को उन के बचाव में मैदान में उतरना पड़ा.

इन दोनों नेताओं ने ही नहीं, पूरी पार्टी ने अध्यक्ष को क्लीन चिट देते हुए कहा कि सेल्फी लिए जाने वाली बात से वह पूरी तरह से अंजान थीं.

राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपरसन ललिता कुमार मंगलम ने 4 जुलाई, 2016 को दिल्ली में इस पूरे प्रकरण की जानकारी जुटाई. इस के बाद महिला राज्य आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा को राष्ट्रीय महिला आयोग के समक्ष उपस्थित हो कर अपना पक्ष रखने को कहा.

विवाद बढ़ने के बाद जुलाई, 2016 के दूसरे सप्ताह में मालती का पति जग्गू अपनी ससुराल पहुंचा और वहां सब से हाथ जोड़ कर और पैर पकड़ कर माफी मांगी. उस का कहना था कि उस ने नहीं, गांव में उस के पड़ोस के रहने वाले कुछ लोगों ने मालती के माथे तथा हाथोंपैरों पर गलत बातें लिख दी थीं.

उस का कहना था कि उस ने पत्नी को छोड़ कर बहुत बड़ी गलती की है, इस के लिए वह माफी मांग रहा है. यही नहीं, वह और उस के घर वाले मालती को अपने साथ ले जाना चाहते थे. रामलाल भी सब भुला कर बेटी का घर बस जाए, इस के लिए जग्गू को माफ कर के बेटी को भेजने के लिए तैयार हो गए.

अब इन बातों को करीब सवा साल बीत चुका है. मालती अपनी ससुराल में रह रही है. वह और उस के पिता भले ही इन बातों को भूल जाएं, लेकिन माथे और हाथों पर गोदने के निशान मालती पर हुए अमानवीय अत्याचारों को भला कैसे भूलने देंगे.    ?

(कहानी में पीडि़ता और उस के घर वालों की पहचान छिपाने के लिए नाम बदल दिए गए हैं)

सौजन्य- सत्यकथा, नवंबर 2017