सुपरस्टार के बेटे आर्यन खान पर ड्रग्स का डंक – भाग 3

लंबीचौड़ी मारधाड़ और गोलीबारी के बाद प्रेमनाथ, अजीत और अमजद खान जैसे ड्रग स्मगलर हेलीकाप्टर में चढ़ने से पहले ही धर लिए जाते थे. उन के साथ टाम अल्टर या बौब क्रिस्टो, जो मूलत: अंगरेज हैं, को भी दिखा दिया जाता था जिस से सिद्ध हो जाता था कि ड्रग्स तसकरी बगैर विदेशी स्मगलरों के मुमकिन नहीं.

ड्रग्स की तिलिस्मी दुनिया का शिकार बन रहे हैं युवा

पिछले 2 दशक में नशे और खासतौर से ड्रग्स पर जो फिल्में बनीं वे कोई समाधान नहीं देतीं, बल्कि यह बताती हैं कि युवा नशा क्यों करते हैं और नशा होने के बाद कैसा लगता है.

आर्यन खान संभव है यही अनुभव लेने गया हो कि भविष्य में कभी ड्रग एडिक्ट युवा का रोल करना पड़ा तो उस में बिना नशे को समझे वास्तविकता कैसे आएगी.

गोवा नशेडि़यों की जन्नत है, इस हकीकत को साल 2013 में प्रदर्शित फिल्म ‘गो गोवा गान’ में दिखाया गया था. 3 दोस्त एक रेव पार्टी में गोवा जाते हैं और गलत ड्रग्स लेने पर जांबी बन जाते हैं. हालांकि फिल्म का उत्तरार्द्ध पौराणिक किस्से कहानियों और कौमिक्स जैसा था, लेकिन पूर्वार्द्ध में मुद्दे की बात आ गई थी.

प्रियंका चोपड़ा और कंगना रनौत अभिनीत मधुर भंडारकर निर्देशित ‘फैशन’ फिल्म साल 2008 में आई थी, जिस में कस्बाई युवतियों की मानसिकता को खूबी से उकेरा गया था कि वे मुंबई आ कर कैसे ड्रग्स की मायावी और तिलिस्मी दुनिया का शिकार हो जाती हैं.

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ये युवतियां कामयाब तो अपनी प्रतिभा के दम पर होती हैं लेकिन ड्रग्स सेवन को फैशन मानते बरबाद हो जाती हैं और फिर कभी मीना कुमारी, नरगिस, हेमामालिनी, श्रीदेवी, रेखा या माधुरी दीक्षित नहीं बन पातीं यानी ड्रग्स का कारोबार कस्बाई प्रतिभाओं को कामयाब होने से रोकने की भी एक साजिश के तौर पर देखा जा सकता है.

यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि कभी बड़े नामी सितारे ड्रग्स लेते नहीं पकड़े जाते. अपवाद स्वरूप ही संजय दत्त रोशनी में आए थे, वह भी इसलिए कि वह नशे के इतने आदी हो चुके थे कि सुबह उठ कर ब्रश बाद में करते थे, ड्रग्स पहले लेते थे.

2009 में प्रदर्शित हुई फिल्म ‘देव डी’ भी ड्रग्स प्रधान थी, लेकिन यह भी मकसद से भटकी हुई फिल्म थी. धर्मेंद्र के एक बड़े भाई हैं अजीत सिंह देओल, जो फिल्म निर्माता और निर्देशक हैं. इन्हीं के बेटे हैं अभय देओल. अभय देओल ने ही इस फिल्म में कामचलाऊ एक्टिंग की थी जो नशे में डूबे नाकाम आशिक के किरदार में थे.

फिर इस के 2 साल बाद आई अभिषेक बच्चन अभिनीत ‘दम मारो दम’ फिल्म, जिस में एक भूमिका राजबब्बर और स्मिता पाटिल के अभिनेता बेटे प्रतीक बब्बर की भी थी.

प्रतीक बब्बर रियल लाइफ में भी आला दरजे के नशेड़ी रह चुके हैं, जिन्हें इलाज के लिए कई बार नशा मुक्ति केंद्र में भरती होना पड़ा था. हालांकि एक्टिंग के मामले में वह संजय दत्त पर बनी बायोपिक ‘संजू’ में संजय दत्त का रोल अदा कर रहे रणबीर कपूर के सामने उन्नीस ही रहे थे.

‘दम मारो दम’ में निर्देशक रोहन सिप्पी ने कोशिश जरूर की थी कि ड्रग्स स्मगलिंग और रैकेट्स का खुलासा करें लेकिन वह भी सिमट कर रह गए थे.

इस फिल्म की शूटिंग भी ड्रग्स का स्वर्ग कहे जाने वाले शहर गोवा में हुई थी. इस से कुछकुछ हकीकत का एहसास तो हुआ था पर यह सब पुरानी हिंदी फिल्मों की कौपी थी, जिन में पुलिस और तस्कर ढाई घंटे तक चोर पुलिस का खेल खेला करते हैं.

इस फिल्म की इकलौती खूबी यह बताना थी कि हरेक किरदार के तार ड्रग माफियाओं से जुड़े हुए दिखाए गए हैं. लेकिन वे ठीक वैसे ही हैं जैसे आर्यन खान के हैं जिस से यह उम्मीद करना बेवकूफी की बात है कि वह सीधा इस धंधे के बौस से ड्रग ले कर आया हो.

2016 में आई ‘उड़ता पंजाब’ फिल्म अपने शीर्षक के चलते काफी चर्चित रही थी, क्योंकि पंजाब में ड्रग्स की दखल तब तक अहम बहस का विषय बन चुकी थी. ड्रग्स पर बनी यह इकलौती फिल्म थी, जिस में यह बताया गया था कि फैक्ट्रियों में ड्रग्स कैसे बनती हैं.

निर्देशक अभिषेक चौबे यह बताने में भी कामयाब रहे थे कि इस में राजनेता भी लिप्त रहते हैं. शाहिद कपूर, करीना कपूर और आलिया भट्ट जैसे सितारों से सजी यह फिल्म विवादों से भी घिरी थी.

ड्रग्स कितनी आसानी से उपलब्ध हो जाती है और इस के दुष्प्रभाव कैसे होते हैं, यह असरदार तरीके से दिखाना भी फिल्म की खूबी थी.

आर्यन कोई नादान बच्चा नहीं

ड्रग्स अकेले पंजाब या मुंबई में ही नहीं बल्कि पूरे देश में सहजता से मिल जाती हैं जिस के लिए इकलौती खूबी या जरूरत तलब लगना है.

यह तलब जब लगती है तो लोग मल खाने तक को भी तैयार हो जाते हैं, लड़कियां देह व्यापार करने को मजबूर हो जाती हैं, युवा अपनी गैरत और करिअर भूल जाते हैं. इस से ज्यादा ड्रग्स की लत के बारे में ज्यादा कुछ और कहा भी नहीं जा सकता.

इस में भी कोई शक नहीं कि फिल्म इंडस्ट्री के कई कलाकार इस लत के शिकार हैं, जिन के नाम वक्तवक्त पर उजागर होते भी रहे हैं. लेकिन न पकड़े गए फिल्मकारों की लिस्ट उन से कई गुना ज्यादा लंबी है.

आर्यन के बहाने एक बार फिर यह सच उजागर हुआ कि कुछ भी मुमकिन है, क्योंकि एक 24 साल के नौजवान को इतना भोला भी नहीं कहा और माना जा सकता कि वह यह न जानता हो कि ड्रग्स सेहत के लिए तो नुकसानदायक हैं ही, साथ ही इन का सेवन व खरीदफरोख्त यहां तक कि इन्हें अपने पास रखना भी गैरकानूनी है.

आर्यन से पहले जो फिल्मकार ड्रग्स के मामले में पकड़े गए हैं, उन में छोटे परदे की टुनटुन कही जाने वाली कामेडियन भारती सिंह, सुशांत सिंह की प्रेमिका रही रिया चक्रवर्ती, आज की कामयाब अभिनेत्री दीपिका पादुकोण और बी ग्रेड की ऐक्ट्रेस रकुलप्रीत सिंह के नाम प्रमुखता से शामिल हैं. फरदीन खान और ममता कुलकर्णी भी इस लिस्ट की शोभा बढ़ा चुके हैं.

आर्यन का क्या होगा, इस पर हर किसी की निगाह है क्योंकि वह कोई आम लड़का नहीं बल्कि शाहरुख खान का बेटा है. अगर उस पर आरोप साबित हुए तो उसे कम से कम एक साल की सजा होनी तय है.

हालफिलहाल तो वह आर्थर रोड नाम की जेल में है जिस में संजय दत्त सहित जुर्म की दुनिया के कई दिग्गजों ने अपने दुर्दिन गुजारे थे.

सच यह भी है कि आर्यन को इतनी शोहरत फिल्मों में काम करने से पहले ही मिल चुकी है कि कोई भी निर्माता उस पर अरबों का दांव खेलने का जोखिम उठा सकता है. एक बहस पेरेंट्स की भूमिका की भी हुई कि क्यों न उन्हें भी बच्चों की ड्रग की लत का जिम्मेदार ठहराया जाए.

आर्यन के गिरफ्तार होते ही शाहरुख खान का एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ था, जिस में अभिनेत्री सिम्मी ग्रेवाल को दिए इंटरव्यू में वह यह कहते नजर आ रहे थे कि वह चाहते हैं कि उन का बेटा भी ड्रग्स ट्राई करे और जब आर्यन ने उन की बात मान ही ली तो एक आम पिता की तरह रोतेझींकते और बेटे के लिए तड़पते नजर आए.

यह सोचना भी बेमानी है कि आर्यन के पकड़े जाने से ड्रग्स की समस्या खत्म हो गई है. उलटे यह गिरफ्तारी और उस के बाद का ड्रामा यह सोचने को जरूर मजबूर करता है कि यह समस्या कितनी विकराल हो गई है.

डर्टी फिल्मों का ‘राज’ : राज कुंद्रा पोनोग्राफी केस – भाग 3

बाद में जब पत्नी ऊषा रानी खर्च में हाथ बंटाने के लिए चश्मे की दुकान में काम करने लगीं. तो धीरेधीरे पैसा जुड़ने लगा. उन के 4 बच्चे थे 3 बेटियां और इकलौता बेटा राज.

कुछ साल की मेहनत के बाद बाल कृष्ण कुंद्रा ने पैसे जोड़जोड़ कर बाद में एक ग्रौसरी की दुकान खोल ली. दुकान ठीक चल गई. जिस के मुनाफे से उन्होंने एक पोस्ट औफिस खरीद लिया. इंग्लैंड में पोस्ट औफिस खरीदा जा सकता है.

बाल कृष्ण एक व्यापार से दूसरे व्यापार में घुसने में ज्यादा देर नहीं लगाते थे. जैसे ही वह देखते कि इस धंधे में गिरावट आने के आसार हैं, वह उस धंधे को बेच दूसरे बिजनैस में चले जाते थे.

इसी बिजनैस सेंस और अपनी मेहनत की बदौलत बाल कृष्ण कुंद्रा कुछ सालों में एक सफल मिडिल क्लास बिजनैसमैन बन कर उभरे. बच्चों के जवानी में कदम रखने तक उन का परिवार आर्थिक रूप से समृद्ध हो चुका था.

लंदन से ही इकौनामिक्स  में ग्रैजुएशन करने के बाद जब राज 18 साल के हुए तब उस के पिता का रेस्तरां का बिजनैस था. पिता ने राज को अल्टीमेटम दे दिया कि या तो वह उन के रेस्तरां को संभाले या वो उन्हें 6 महीने में कुछ कर के दिखाए. राज सारी जिंदगी रेस्तरां में नहीं बिताना चाहता था.

लिहाजा पिता से बिजनैस करने के लिए 2000 यूरो ले कर वह हीरों का कारोबार करने के लिए दुबई चला गया. लेकिन दुबई में बात बनी नहीं. इसी बीच किसी काम से राज को नेपाल जाना पड़ा. वहां घूमते हुए राज को पश्मीना शाल नजर आए. वहां ये शाल बहुत कम कीमत में मिल रहे थे. लेकिन राज को पता था कि इन शालों की कीमत इस से बहुत ज्यादा है.

राज के पास जो रकम बची थी उस से तकरीबन 100 से ऊपर शाल खरीद लिए और लंदन वापस आ गया. लंदन आ कर बड़ेबड़े क्लोथिंग ब्रांड्स के दरवाजे खटखटाने लगा. इन ब्रांड्स को पश्मीना शाल बहुत पसंद आए और देखते ही देखते पश्मीना शाल इंग्लैंड में फैशन ट्रेंड बन गया.

फिर क्या था नेपाल से सस्ते पश्मीना शाल ला कर लंदन में महंगी कीमत में बेचने का कुंद्रा का बिजनैस ऐसा फलाफूला कि उस साल उस के बिजनैस का टर्नओवर 20 मिलियन यूरो छू गया. वो भी सिर्फ शाल बेच कर.

3-4 साल बाद राज ने शाल का व्यापार छोड़ दिया और वापस दुबई जा कर हीरे की ट्रेडिंग का काम ही करने लगा. पिता की ही तरह राज भी किसी एक धंधे को जीवन भर नहीं करना चाहता था.

जब किसी धंधे में घाटा दिखाई देता तो वह दूसरा मुनाफे का धंधा शुरू कर देता. किस्मत अच्छी थी कि वह जिस कारोबार में हाथ भर डालता, वह चल पड़ता.

बाद में उस ने हीरों के अलावा रियल एस्टेट, स्टील स्क्रैप का भी काम शुरू कर दिया. इन दिनों वह 10 कंपनियों का मालिक था. लंदन में उस ने करीब 100 करोड़ की कीमत का एक पैलेसनुमा मेंशन बनवाया हुआ था.

2005 में राज कुंद्रा की शादी कविता नाम की युवती से हुई थी. इन दोनों की एक बेटी भी हुई. लेकिन मात्र 2 साल बाद 2007 में राज और कविता का तलाक हो गया और कोर्ट ने उन की बेटी की कस्टडी भी कविता को ही दे दी.

हालांकि राज दुनिया के सामने हमेशा यही कहता रहा कि कविता से उस के तलाक की वजह उस की बहन रीना के पति से उस के अवैध संबध होना था. इसी कारण से उस की बहन ने भी अपने पति को तलाक दिया था.

लेकिन राज की पत्नी कविता ने कई बार मीडिया को बताया कि अभिनेत्री और मौडल शिल्पा शेट्टी के कारण राज कुंद्रा ने उसे तलाक दिया था.

साल 2007 की ही बात है जब शिल्पा शेट्टी के साथ राज कुंद्रा की नजदीकियां बढ़ने लगी थीं. राज के पास करोड़ों की दौलत तो थी लेकिन शोहरत के नाम पर तब तक उसे कोई ज्यादा लोग नहीं जानते थे. लेकिन शिल्पा से मिलने के बाद शोहरत भी उस के करीब आ गई.

शिल्पा और राज की मुलाकात भी कम फिल्मी नहीं है. जैसे इंडिया में लोग ‘बिग बौस’ के दीवाने हैं, वैसे ही इंग्लैंड के लोग इसी शो के संस्करण ‘बिग ब्रदर’ के दीवाने हैं. इसी शो में 2007 में शिल्पा शेट्टी ने शिरकत की थी और इसे जीता भी था.

जिस के बाद शिल्पा इंग्लैंड में खूब लोकप्रिय हो गईं. राज कुंद्रा के घर में भी ‘बिग ब्रदर’ बिना मिस किए देखा जाता था. राज भी देखता था और इंडियन कनेक्शन होने के नाते शिल्पा के लिए वोट भी किया करता था.

संयोग से शिल्पा के यूके में बिजनैस मैनेजर से राज की अच्छीखासी पहचान हो गई थी. शिल्पा शेट्टी के ‘बिग ब्रदर’ जीतने के बाद उन्हें बहुत सी यूके फिल्मों के औफर आ रहे थे. इसी सिलसिले में सलाह लेने के लिए शिल्पा के मैनेजर ने राज को एक दिन फोन किया.

राज ने उन से कहा कि अभी तो शिल्पा लोकप्रिय हैं, लेकिन जब तक फिल्म बन कर रिलीज होगी उन की इंग्लैंड में लोकप्रियता घट चुकी होगी. इसलिए फिल्म बनाने में घाटा होगा. उस से अच्छा है कि उन के नाम से परफ्यूम ब्रैंड लौंच किया जाए.

कुंद्रा ने शिल्पा शेट्टी के नाम से परफ्यूम ब्रांड लौंच करने का औफर भी दिया. जब मैनेजर ने औफर की जानकारी शिल्पा की मां को दी तो उन्होंने राज को बताया कि उन के पास ऐसा औफर पहले ही आ चुका है.

ये सुन कर राज ने उन्हें डबल पेमेंट का औफर दे दिया. राज को पता था कि यह घाटे की डील थी. लेकिन वह शिल्पा के साथ वक्त बिताना चाहता था. करीब आना चाहता था और दोस्ती करना चाहता था.

इसलिए उस ने एक तरीके से दोगुने पैसे दे कर वक्त खरीद लिया था, दरअसल जब से  राज ने शिल्पा को बिग ब्रदर शो में देखा था तभी से उसे पहली नजर का शिल्पा से प्यार हो गया था.

खैर, राज जिस कारोबार में हाथ डालता था, वो खूब चलता था. शिल्पा के नाम से लौंच हुआ परफ्यूम भी खूब बिका. इंग्लैंड में परफ्यूम मार्केट में नंबर एक पर रहा. शिल्पा  को दोगुने पैसे दे कर की गई डील भी उस के लिए फायदेमंद ही रही.

एक तो परफ्यूम खूब बिका. दूसरा इस दौरान शिल्पा से इतनी घनिष्ठता हो गई कि शिल्पा भी उस के करीब आ गईं और 2009 में दोनों की शादी हो गई.

अगले भाग में पढ़ें- राज कुंद्रा हो या शिल्पा शेट्टी पोर्नोग्राफी रैकेट के अलावा पहले भी दोनों सुखिर्यो में रह चुके हैं

सुपरस्टार के बेटे आर्यन खान पर ड्रग्स का डंक – भाग 2

जब अभिनेता सुशांत सिंह की रहस्यमय मौत 14 जून, 2020 को हुई थी तभी से उन के निशाने पर फिल्म इंडस्ट्री के वे स्टार्स हैं, जो ड्रग्स का सेवन करते हैं.

सुशांत सिंह की मौत के बाद भी ड्रग माफिया की चर्चा हुई थी और हल्ला भी ज्यादा मचा था, क्योंकि सुशांत और उस के कुछ साथी भी ड्रग्स लेते थे. तब इस की जांच वानखेड़े ने ही की थी.

इस के बाद तो वह बौलीवुड के ड्रग कनेक्शन के पीछे पड़ गए. आर्यन का मामला उसी पीछे पड़ने की एक कड़ी है.

मुंबई हवाई अड्डे पर तैनाती के दौरान उन की कहासुनी आए दिन फिल्म स्टार्स से हुई. 2008 बैच के आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े एनसीबी से पहले एनआईए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी में रहते भी सुर्खियों में रहते थे.

हालिया मामले में भी उन्होंने कोई नरमी नहीं बरती और एक दूसरी सनसनी 11 अक्तूबर को यह कहते हुए मचाई कि इस मामले की जासूसी हो रही थी.

इस के पहले सुनवाई कर रही मुंबई की अदालत ने उन की इस मंशा पर पानी फेर दिया था कि आर्यन और दूसरे आरोपियों को एनसीबी की कस्टडी दी जाए, जिस से उन से ढंग से पूछताछ हो सके.

अदालत ने इस दलील से इत्तफाक नहीं रखा और आरोपियों को आर्थर रोड जेल भेज दिया. यहां भी मीडिया बदस्तूर अपना काम करता रहा, मसलन आर्यन फलां बैरक में रहेगा, उसे घर का खाना नहीं मिलेगा और जेल की दिनचर्या और सख्त नियमों का उसे पालन करना पड़ेगा. कपड़े जरूर उसे पसंद के मिल सकते हैं. नाश्ते और लंच डिनर का मेन्यू भी प्रसारित किया गया.

समीर वानखेड़े के साथसाथ चर्चे सतीश मानशिंदे के भी खूब हुए कि वह इस से पहले भी इस तरह के कई मुकदमों में पैरवी कर चुके हैं. सुनील दत्त के अभिनेता बेटे संजय दत्त को जमानत उन्होंने ही दिलवाई थी.

संजय दत्त कभी अव्वल दरजे के ड्रग एडिक्ट थे और मुंबई बम धमाकों में भी उन का नाम आया था. उन की जिंदगी पर फिल्म भी बनी और किताबें भी लिखी गईं.

सलमान खान को ड्रिंक एंड ड्राइव मामले के साथ काले हिरण के शिकार के चर्चित मामले में भी मानशिंदे ने जोरदार तरीके से पैरवी करते हुए उन्हें जमानत दिलवाई थी और फिर बाइज्जत बरी भी करवाने में कामयाबी हासिल की थी.

अपने दौर के दिग्गज और नामी वकील राम जेठमलानी के 10 साल जूनियर रहे इस धुरंधर वकील की एक पेशी की फीस ही 10 लाख रुपए हुआ करती है.

सुशांत सिंह की गर्लफ्रैंड रिया चक्रवर्ती को जमानत दिलवाने का श्रेय भी मानशिंदे के खाते में दर्ज है और अभिनेत्री राखी सावंत का एक मुकदमा भी वह लड़ चुके हैं. आर्यन के मामले में भी उन्होंने जमानत याचिकाएं दमदार दलीलों के जरिए दायर कीं लेकिन शुरुआती दौर में उन्हें कामयाबी नहीं मिली.

जब आर्यन की चर्चा जरूरत से ज्यादा हो चुकी तो लोगों की दिलचस्पी सतीश मानशिंदे और समीर वानखेड़े में बढ़ी कि देखें कौन किस पर भारी पड़ता है क्योंकि ये दोनों ही अपनेअपने फील्ड के महारथी हैं.

फिल्मों में नशा

फिल्म इंडस्ट्री का नशे से काफी गहरा नाता हमेशा से ही रहा है. शराब तो बेहद आम है जिसे लगभग सभी कलाकार पीते हैं. देखा जाए तो नशा इस इंडस्ट्री का पर्याय और पहचान शुरू से ही है. लेकिन ड्रग्स की विधिवत शुरुआत हुई 70 के दशक से. तब ड्रग्स को आज जितनी मान्यता नहीं मिली थी और यह नशा भी सिर्फ अपराधियों और अभिजात्य वर्ग का नशा माना जाता था.

इसी दौर में देवानंद की फिल्म हरे राम हरे कृष्ण आई. हिप्पी कल्चर वाली इस फिल्म में जीनत अमान ने पेरेंट्स से उपेक्षित एक मध्यमवर्गीय नशेड़ी युवती का रोल इतनी शिद्दत से निभाया था कि दर्शक रातोंरात उन के मुरीद हो गए थे.

लेकिन दिक्कत तब खड़ी होने लगी, जब युवा जीनत के साथसाथ नशे के भी दीवाने होने लगे. तब नशे के लिए गांजा, चिलम, अफीम, चरस सहित एलएसडी जैसी घातक गोलियां इस्तेमाल की जाती थीं.

जीनत अमान पर फिल्माए गाने ‘दम मारो दम मिट जाए गम…’ का असर उलटा हुआ. युवाओं ने नशे के नुकसानों से कोई सबक नहीं सीखा.

नशे से आगाह करती एक और फिल्म एलएसडी पर आधारित भी इसी दौर में रिलीज हुई थी, पर वह ज्यादा चली नहीं थी.

आज के आर्यन नुमा युवाओं का इस गुजरे कल से गहरा ताल्लुक है. फिल्म इंडस्ट्री में बेशुमार पैसा है, जिस पर अंडरवर्ल्ड की नजर पड़ी तो देखते ही देखते उस का हुलिया बदल गया. अंडरवर्ल्ड के सरगना फिल्मकारों को फाइनेंस करने लगे और जुर्म की दुनिया इस सुनहरे परदे की जरूरत बन गई.

हर तीसरी फिल्म में दिखाया जाने लगा कि ड्रग्स के कारोबार में मुनाफा ही मुनाफा है. लेकिन इस से भी ज्यादा प्रचार इस बात का हुआ कि ड्रग्स के सेवन से आप एक ऐसी दुनिया में पहुंच जाते हैं, जहां कोई गम या दुख नहीं होता. आप ध्यान और समाधि की सी अवस्था में होते हैं.

देखते ही देखते हर कोई इस ध्यान में डूबने लगा. ड्रग्स का नशा स्टेटस सिंबल बन गया और यह कारोबार इतनी तेजी से फैला कि आज झुग्गीझोपड़ी वाले युवा भी इस की गिरफ्त में हैं.

एनसीबी की समस्या यही है कि वह इस कारोबार की जड़ तक नहीं पहुंच पाती. कुछ नशेडि़यों को यहांवहां से गिरफ्तार कर मान लिया जाता है कि अब समस्या हल हो गई.

तालिबानी सत्ता के बाद भारत में बढ़ गई ड्रग तस्करी

हाल ही में अफगानिस्तान पर तालिबानों के कब्जे से नशे के कारोबार पर पड़े फर्क का ही नतीजा है कि ड्रग्स सप्लाई एकाएक ही तेजी से बढ़ी. तय है इसलिए कि तालिबानी सरकार का मूड और नीतियां ड्रग्स के कारोबारी समझ नहीं पा रहे लिहाजा क्लीयरेंस सेल की तरह उन्होंने अपना स्टौक खाली करना और औनेपौने में यहांवहां माल खपाना शुरू कर दिया.

आर्यन खान कांड के चंद दिनों पहले ही गुजरात के कच्छ जिले के मुंद्रा बंदरगाह से 21 हजार करोड़ रुपए की हेरोइन जब्त हुई थी. इस जब्ती के कारोबारी और सियासी मायने और अटकलें अलग हैं, लेकिन यह तय है कि अगर यह खेप न पकड़ी जाती तो अब तक देश के कोनेकोने में फैल चुकी होती.

हल्ला इस बात पर ज्यादा मचा कि यह खेप अडानी समूह द्वारा संचालित बंदरगाह पर उतरी. आर्यन की गिरफ्तारी के बाद यह सवाल भी उठा कि कहीं यह नया ड्रामा मुंद्रा बंदरगाह पर से ध्यान हटाने के लिए तो नहीं रचा गया, क्योंकि अडानी समूह के मौजूदा हुक्मरानों से अंतरंग संबंध हैं और आम लोग भी इस बाबत सवाल पूछने लगे थे.

इस और ऐसे कई अनसुलझे सवालों का जबाब आधाअधूरा ही सही, हिंदी फिल्मों से मिलता रहा है. 70-80 के दशक की हर तीसरी फिल्म में पुलिस कमिश्नर बने चरित्र अभिनेता इफ्तिखार नए भरती हुए इंसपेक्टर रवि या विजय को एक महत्त्वपूर्ण फाइल सौंपते गंभीरता से यह कहते नजर आते थे कि यह रही ड्रग्स के उन तस्करों और कारोबारियों की जन्मकुंडली, जो हमारे देश की युवा पीढ़ी को खोखला करते, उन्हें नशे के नर्क में धकेलने का संगीन गुनाह कर रहे हैं.

इंसपेक्टर बने अमिताभ बच्चन या शशि कपूर अपनी एडि़यों को घुमा कर एक जोरदार सैल्यूट ठोकते थे और उन की जीप सीधे विलेन के अड्डे पर जा पहुंचती थी.

अगले भाग में पढ़ें- आर्यन कोई नादान बच्चा नहीं

डर्टी फिल्मो का ‘राज’ : राज कुंद्रा पोनोग्राफी केस – भाग 2

यही वजह रही कि कई बार पूछताछ के लिए बुलाने के बाद जब 19 जुलाई, 2021 को उसे पूछताछ के लिए बुलाया गया तो क्राइम ब्रांच ने पर्याप्त सबूत होने के कारण राज कुंद्रा को गिरफ्तार कर लिया.

मुंबई क्राइम ब्रांच राज कुंद्रा पर बिना पुख्ता सबूत के हाथ नहीं डालना चाहती थी. इसलिए क्राइम ब्रांच ने राज कुंद्रा के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद पूरे मामलें की कडि़यों को एक दूसरे से जोड़ना शुरू किया.

जिन लोगों के नाम सामने आते रहे उन के खिलाफ साक्ष्य एकत्र कर के पुलिस बारीबारी से उन्हें गिरफ्तार करती रही. ये साफ हो चुका था कि अश्लील फिल्मों का ये रैकेट एक पोर्न फिल्म प्रोडक्शन कंपनी की आड़ में चलाया जा रहा था. जहां फिल्मों में ब्रेक देने के बहाने युवा और जरूरतमंद लड़कियों के अश्लील वीडियो बनाए जाते थे.

क्राइम ब्रांच इस केस में 2 अभिनेता, एक लाइटमैन और 2 महिला फोटोग्राफर, वीडियोग्राफर, ग्राफिक डिजाइनर समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर चुकी थी.

लेकिन इस मामले में उमेश कामत नाम के एक शख्स की गिरफ्तारी के बाद क्राइम ब्रांच के पास पहली बार ऐसे साक्ष्य हाथ लगे, जिस से राज कुंद्रा पर हाथ डाला जा सकता था.

दरअसल, उमेश कामत यूके बेस्ड कंपनी केनरिन प्रोडक्शन हाउस का भारत में प्रतिनिधि था. उमेश कामत भारत में एक्ट्रेस गहना वशिष्ठ के साथ मिल कर अश्लील फिल्में बनाता था.

इन पोर्न फिल्मों की शूटिंग के बाद तैयार किए गए वीडियो भारतीय एजेंसियों से बचने के लिए एक एप्लिकेशन के जरिए यूके में केनरिन प्रोडक्शन हाउस भेजे जाते थे.

एडिटिंग के बाद पोर्न फिल्मों को हौट शौट एप्लिकेशन पर अपलोड किया जाता था. यूके में पोर्न फिल्मों पर कोई प्रतिबंध नहीं है, इसलिए ये काम यूके से किया जाता था.

उमेश की गिरफ्तारी के बाद क्राइम ब्रांच की पड़ताल और तेज हो गई. राज कुंद्रा से कई बार पूछताछ की गई. क्राइम ब्रांच की टीम पोर्न फिल्में बनाने वाले इस गैंग से राज कुंद्रा के सबंधों के सबूत जुटाने का भी काम करती रही.

उमेश कामत से पूछताछ में पता चला कि वह राज कुंद्रा के यूके में रहने वाले बहनोई प्रदीप बख्शी के साथ काम करता है. प्रदीप बख्शी यूके बेस्ड कंपनी केनरिन प्रोडक्शन हाउस का डायरेक्टर है.

केनरिन लिमिटेड़ कंपनी 16 साल से वजूद में है. इस में केवल एक एक्टिव डायरेक्टर है, वो हैं प्रदीप बख्शी. उन्हें पहली नवंबर 2008 को इस फर्म के डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया था. इस कंपनी में 10 से भी कम कर्मचारी हैं और इस कंपनी का टर्नओवर 2 मिलियन पाउंड है.

ये फर्म वीडियो प्रोडक्शन एक्टिविटीज और टेलिविजन प्रोग्रामिंग से जुड़ी थी. उमेश कामत से पता चला कि राज कुंद्रा इस कंपनी में प्रदीप बख्शी के साथ अप्रत्यक्ष तौर पर बिजनैस पार्टनर और निवेशक है.

उमेश कामत ने क्राइम ब्रांच को बताया कि केनरिन प्रोडक्शन हाउस भारत में मौजूद अलगअलग एजेंटों के जरिए पोर्नोग्राफी और पोर्नोग्राफी फंडिंग का भी बिजनैस करता था.

एडवांस पेमेंट मिलने के बाद गहना और कामत अश्लील फिल्में बनाने का काम करते थे और फिर ऐसे कंटेंट को कैनरिन प्रोडक्शन हाउस को भेजते थे.

इसी बीच जांच के दौरान क्राइम ब्रांच को एक वाट्सऐप ग्रुप के बारे में भी पता चला. उस वाट्सऐप ग्रुप में पोर्न फिल्मों से जुड़े पूरे बिजनैस को ले कर चर्चा होती थी. उस वाट्सऐप ग्रुप का नाम ‘एच अकाउंट’ था, जिस में राज कुंद्रा समेत कुल 5 लोग शामिल थे.

इस ग्रुप का एडमिन भी राज कुंद्रा ही था. ग्रुप के सभी लोग पोर्नोग्राफिक कंटेंट बनाने के इस बिजनैस में शामिल थे.

जो वाट्सऐप चैट पुलिस को मिली उस में राज कुंद्रा इस बिजनैस की मार्केटिंग, सेल्स और मौडल्स की पेमेंट से जुड़े मसलों पर बात कर रहा था.

साथ ही किस तरह रेवेन्यू पर फोकस किया जाए, मौडल को कैसे पेमेंट दी गई है और किस तरह बिजनैस रेवेन्यू को बढ़ाया जाए. यही चैट होता था.

पुलिस की साइबर सेल राज कुंद्रा के उस ऐप का भी पता लगा चुकी थी, जिस पर पोर्न फिल्में अपलोड की जाती थी. ‘हौट हिट मूवी’ नाम के इस ऐप पर मूवी देखने वाले को ऐप डाउनलोड कर 200 रुपए का पेमेंट करना होता है.

कुल मिला कर पुलिस के सामने जब यह साफ हो गया कि मुंबई और इस के उपनगरों में पोर्न फिल्म बनाने का जो कारोबार चल रहा है, उस में राज कुंद्रा प्रत्यक्ष तौर पर जुड़ा है, तब 19 जुलाई की रात 9 बजे क्राइम ब्रांच ने पूछताछ के लिए उसे बुलाया. कुछ देर पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

हालांकि राज कुंद्रा ने किसी भी ऐप और पोर्नोग्राफी फिल्मों के रैकेट से अपना संबध होने से साफ इंकार कर दिया. उस ने कहा कि वह सिर्फ इरोटिक फिल्में बनाते हैं. लेकिन पुलिस का दावा है कि कुंद्रा ही अश्लील फिल्मों के कारोबार का मास्टरमाइंड था.

कुंद्रा को गिरफ्तार कर उसे 7 दिन की रिमांड पर लिया. इस दौरान पुलिस ने कुंद्रा के औफिस पर छापेमारी की तो वहां छिपा कर रखी गई 51 आपत्तिजनक वीडियो बरामद हुईं.

गिरफ्तारी के बाद ही पुलिस ने राज कुंद्रा के मोबाइल फोन को जब्त कर लिया. जिसे साक्ष्य एकत्र करने के लिए फोरैंसिक लैब भेजा गया. इस के अलावा पुलिस ने कई ऐसे सबूत एकत्र किए जाने का दावा किया है, जिस के बाद जल्द ही इस केस में गहना वशिष्ठ की गिरफ्तारी हो सकती है.

चूंकि ब्रिटेन में पोर्नोग्राफी के खिलाफ कोई कानून नहीं है, इसलिए पुलिस यूके बेस्ड कंपनी केनरिन प्रोडक्शन हाउस के खिलाफ काररवाई को ले कर कानूनी राय ले रही है.

पुलिस का कहना है कि जिस ‘हौट हिट मूवी’ ऐप पर पोर्न फिल्में अपलोड की जाती थीं, उसे मेंटेन करने के लिए प्रतिकेश और ईश्वर नाम के 2 कर्मचारियों को विआन इंडस्ट्रीज लिमिटेड में पेरोल पर रखा था.

केनरिन कंपनी के ‘हौटशौट’ ऐप को मैनेज और मेंटेन करने के लिए ‘विआन इंडस्ट्रीज लिमिटेड’ यानी राज की कंपनी हर महीने 3-4 लाख रुपए चार्ज करती थी. जांच में सामने आया है कि इस ऐप के जरिए राज कुंद्रा को एक दिन में कई बार 10 लाख से ज्यादा की कमाई भी होती थी.

लेकिन जो राज कुंद्रा आज केवल पोर्न फिल्मों के बिजनैस से 10 लाख रुपए प्रतिदिन कमाता है और अपने दूसरे कारोबार से 2700 करोड़ की संपत्ति का मालिक बन गया है, एक समय था जब वह दुबई से, नेपाल से पश्मीना शाल ला कर लंदन में बेचता था.

राज कुंद्रा का जीवन भी एक फिल्मी कहानी की तरह है. राज कुंद्रा का असली नाम है रिपुसूदन कुंद्रा. कुंद्रा के पिता बाल कृष्ण कुंद्रा लुधियाना के रहने वाले थे. लेकिन शादी के बाद वह युवावस्था में ही पत्नी को ले कर लंदन चले गए.

लंदन में पहले उन्होंने एक कौटन मिल में नौकरी की. उस के बाद वह बस में कंडक्टर के तौर पर नौकरी करने लगे. बाल कृष्ण न तो ज्यादा पढ़ेलिखे थे, न धंधा शुरू करने के लिए उन के पास बड़ी पूंजी थी.

अगले भाग में पढ़ें- 2005 में राज कुंद्रा की शादी कविता नाम की युवती से हुई थी

सुपरस्टार के बेटे आर्यन खान पर ड्रग्स का डंक – भाग 1

2 अक्तूबर को देश भर में रस्मी तौर पर ही गांधी जयंती मनी थी. इस दिन लोगों को छुट्टी होने की खुशी ज्यादा रहती है, गांधी और उन के विचारों से कोई वास्ता नहीं रखता, जिन में से एक यह नसीहत भी है कि नशा खासतौर से युवाओं को बरबाद कर रहा है. इस दिन देश भर में ड्राई डे भी रहता है, इसलिए शराब की सभी दुकानें और ठेके बंद रहते हैं.

अगले दिन चूंकि इतवार था, इसलिए नशेडि़यों ने अपने कोटे का इंतजाम पहले से ही कर रखा था. इसी दिन देर रात मुंबई से गोवा के लिए कार्डेलिया नाम का क्रूज रवाना हुआ था जोकि एक रुटीन की बात थी.

वाटरवेज लीजर टूरिज्म प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कर्मचारियों को उम्मीद रही होगी कि वीकेंड होने के चलते क्रूज पर रोज के मुकाबले भीड़भाड़ ज्यादा रहेगी, लेकिन लगभग 1300 पैसेंजर ही आए. जबकि क्रूज की क्षमता 1800 लोगों की है.

आजकल लोग क्रूज पर पार्टियां खूब करने लगे हैं. यह तेजी से पनपता नया फैशन है, इसलिए क्रूज जैसे ही मुंबई से कुछ किलोमीटर दूर पहुंचा तो पार्टियों का दौर शुरू हो गया. एक खास पार्टी सलीके से शुरू भी नहीं हो पाई थी कि क्रूज पर हड़कंप मच गया. हुआ यह था कि कुछ युवाओं ने ड्रग्स लेनी शुरू कर दी थी.

इन पर नशा भी सलीके से नहीं चढ़ा था कि एनसीबी यानी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के कर्मचारियों, अधिकारियों ने इन की धरपकड़ शुरू कर दी.

दरअसल, यह एनसीबी की टीम की सुनियोजित मुहिम थी इसलिए टीम के सदस्य सिविल कपड़ों में साधारण यात्रियों की तरह तट से ही क्रूज पर सवार हुए थे.  इस मुहिम की अगुवाई एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े कर रहे थे, जो बौलीवुड के ड्रग्स कनेक्शन का भंडाफोड़ करने के लिए जाने जाते हैं. उन्हें लगातार मुखबिर खबर दे रहे थे कि इन दिनों नामी फिल्मी हस्तियां क्रूज पर रेव पार्टियां करने लगी हैं.

उन्होंने सारा प्लान बनाया और इस रात कार्डेलिया पर धावा बोल दिया. देखते ही देखते 8 नाजुक खूबसूरत युवा, जिन में एक थोड़ी उम्रदराज सहित 3 युवतियां भी थीं, उन की गिरफ्त में थे, जिन का सारा नशा एनसीबी की टीम को देख छूमंतर हो गया था.

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इन लोगों की जामातलाशी में 13 ग्राम कोकीन, 21 ग्राम चरस, 5 ग्राम एमडी और एमडीएमए की 22 गोलियां बरामद हुईं. यानी सूचना गलत नहीं थी. लेकिन पकड़े गए आरोपियों में कोई नामीगिरामी फिल्मी हस्ती नहीं थी. यह तो पूछताछ के बाद उजागर हुआ कि इन में से एक अभिनेता शाहरुख खान का बेटा आर्यन खान भी है.

क्रूज पर तलाशी में पकड़े न जाएं, इसलिए ये युवा नशीले पदार्थ जूतों और अंडरगारमेंट्स में छिपा कर ले गए थे. जबकि लड़कियों ने इन्हें अपने पर्स में रखा था. उम्रदराज महिला तो ड्रग्स को सेनेटरी पैड में छिपा कर क्रूज पर ले गई थी.

इस वक्त आधी रात बीत चुकी थी, लेकिन सुबह जैसे ही यह पता चला कि पकडे़ गए युवाओं में से एक शाहरुख खान का बेटा आर्यन खान भी है तो मीडिया वाले एनसीबी के दफ्तर की तरफ दौड़ लगाते नजर आए और दोपहर तक मामले को इतना हाईप्रोफाइल बना दिया कि उस दिन की दूसरी तमाम

अहम खबरें और घटनाएं इस के नीचे दब कर रह गईं. जिन में से एक मामला उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र द्वारा 4 किसानों को कार से रौंदे जाने का भी था.

आर्यन की खबर ज्यादा बिकाऊ और चलताऊ थी, इसलिए उसे लगातार दिखाया गया और इतना भुनाया गया कि देखने वाले बिना कोई ड्रग लिए ही झूमने लगे.

ऐसा छापा कोई नई बात नहीं थी, लेकिन चूंकि इस में एक स्टार किड शामिल था इसलिए न्यूज चैनल्स को तिल का ताड़ बनाने का एक और मौका मिल गया. आर्यन के बारे में जानकारी छनछन कर बाहर आने लगी और उस के साथियों की भी जन्मकुंडली खंगाली जाने लगी.

शाहरुख खान के घर मन्नत के बाहर भी मीडियाकर्मियों का जमावड़ा लग गया. अब एनसीबी क्या कर रही है और आगे क्याक्या हो सकता है, ये बातें सड़कछाप ज्योतिषी के तोते की तरह बांची गईं.

इस वक्त तक उम्मीद की जा रही थी कि आर्यन को मामूली पूछताछ के बाद छोड़ दिया जाएगा, लेकिन जैसे ही अधिकारियों की टीम सवालजवाब के लिए अंदर गई तो समझने वाले समझ गए कि ड्रामा अभी और लंबा खिंचेगा.

कच्चे खिलाडि़यों की नशेड़ी टीम

आर्यन के साथ गिरफ्तार किए गए अरबाज मर्चेंट, मुनमुन धमेचा, नूपुर सारिका, इसमीत सिंह, मोहक जसवाल, विक्रांत छोकर और गोमित चोपड़ा बहुत जानेमाने नाम नहीं हैं. मुनमुन वही उम्रदराज महिला है, जिस ने सेनेटरी नैपकिन में ड्रग्स छिपाई थी.

फैशन इंडस्ट्री से जुड़ी यह खूबसूरत महिला कुछ साल पहले तक मध्य प्रदेश के सागर शहर के गोपालगंज मोहल्ले में रहा करती थी. अपनी स्कूली पढ़ाई उस ने यहीं से पूरी की थी. उस का परिवार बिजनैस से ताल्लुक रखता है. भाई प्रिंस धमेचा दिल्ली में कार्यरत है.

कुछ न होते हुए भी उस के फिल्म इंडस्ट्री में कई हस्तियों से अच्छे संबंध हैं. आर्यन कैसे उस के संपर्क में आया, यह पूरी जांच और मुकदमे के बाद साफ होगा.

पकड़ा गया दूसरा मुख्य आरोपी 25 वर्षीय अरबाज मर्चेंट मुंबई का जानामाना टिंबर कारोबारी है, जिस की 2 कंपनियां स्वदेश टिंबर और सिमला एजेंसीज हैं. यह उस का पुश्तैनी कारोबार है.

अरबाज ने बांद्रा के आर.डी. नैशनल कालेज से बैचलर इन मैनेजमेंट स्टडीज की पढ़ाई की थी. उस के पिता असलम मर्चेंट पेशे से वकील हैं. अरबाज और आर्यन की दोस्ती बहुत पुरानी है और दोनों ने देशविदेश की कई यात्राएं साथसाथ की हैं. दोनों पार्टियों में भी संग दिखते थे. मुनमुन कौन है, यह अरबाज भी नहीं जानता.

मोहक और नूपुर दोनों पेशे से फैशन डिजायनर हैं, जबकि गोमित हेयर स्टाइलिस्ट है. ये तीनों ही दिल्ली के रहने वाले हैं. नूपुर ने भी मुनमुन की तरह ड्रग्स सेनेटरी नेपकिन में छिपाई थी.

ये ड्रग्स उसे मोहक ने दी थीं, लेकिन मोहक के पास ड्रग्स कहां से आई, यह अभी पता नहीं चला है और यही सारे फसाद की जड़ है कि एनसीबी या दूसरी कोई एजेंसी ड्रग माफियाओं की जड़ तक कभी नहीं पहुंच पाती. हर बार वे फूलपत्तियां ही तोड़ती रही हैं.

इस मामले में भी छोटी मछलियां ही पकड़ाई हैं, मगरमच्छों के तो किसी को अतेपते नहीं.

जाहिर है कि ये सब के सब कच्चे और नए खिलाड़ी ड्रग्स के मायाजाल के थे, जो सिर्फ मौजमस्ती की गरज से गोवा जा रहे थे. एनसीबी के सामने इन की घिग्घी बंधी हुई थी क्योंकि हिरासत में लेते वक्त ही इन के मोबाइल फोन भी जब्त कर लिए गए थे, जिस से इन का संपर्क बाहरी दुनिया और खासतौर से उन पेरेंट्स से कट गया था, जिन के बारे में ये सोचते यह होंगे कि उन के मांबाप बहुत रईस और रसूख वाले हैं, लिहाजा इन का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.

अब तक ऐशोआराम में पलेबढ़े इन रईसजादों को पहली बार यह समझ आया कि कानून के सामने कोई रसूख या शोहरत नहीं चलती, जिस के कि ये आदी बचपन से ही हो चुके थे.

लंबी पूछताछ में लगता नहीं कि ये नातजुर्बेकार युवा कोई झूठ बोल पाए होंगे. एनसीबी की टीम तो इन की मानसिकता समझ रही थी, लेकिन ये लोग नहीं समझ पा रहे थे कि इस चूहेदानी से निकलना अब आसान काम नहीं.

उस वक्त ये सभी यही दुआ मांग रहे होंगे कि एनसीबी वाले पूछताछ जल्द खत्म कर हमें छोड़ दें, जिस से वे घर जा कर आराम से एयर कंडीशंड कमरों में सोएं और पार्टी की रात और बात को एक बुरे सपने की तरह भूल जाएं.

मुमकिन है इन नवोदित नशेडि़यों ने तभी कान पकड़ कर तौबा कर ली हो कि अब कभी क्रूज पार्टी तो दूर आम पार्टियों में भी ड्रग्स नहीं लेंगे.

डायरेक्टर बनाम लायर

लेकिन इन के हाथ में अब कुछ बचा नहीं था. अदालत ने पहले 3 दिनों का रिमांड दिया फिर उसे 14 दिनों तक और बढ़ा दिया तो और सनसनी और रोमांच मचने लगे. सीधेसीधे लोगों की नजरें समीर वानखेड़े और आर्यन के वकील सतीश मानशिंदे पर जा टिकीं कि इस बार कौन किस पर भारी पड़ता है.

वानखेड़े की मंशा आरोपियों को ज्यादा से ज्यादा दिन हिरासत में रखने की थी तो मानशिंदे की पूरी कोशिश अपने मुवक्किल आर्यन खान को जमानत दिलाने की थी.

समीर वानखेड़े एक सख्त और तेजतर्रार अफसर हैं जिन के खाते में कई बौलीवुड हस्तियों के खिलाफ काररवाई करने का रिकौर्ड, वह भी ड्रग्स के मामले में करने का, दर्ज है.

अगले भाग में पढ़ें- तालिबानी सत्ता के बाद भारत में बढ़ गई ड्रग तस्करी

डर्टी फिल्मों का ‘राज’ : राज कुंद्रा पोनोग्राफी केस – भाग 1

20 जुलाई, 2021 की सुबह का सूरज ठीक से उदय भी नहीं हुआ था, उस से पहले ही दिन फिल्म इंडस्ट्री  की पटाखा गर्ल कही जाने वाली अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के मुंबई में सब से पौश इलाके जुहू बीच पर बने आलीशान बंगले के बाहर मीडिया का जमावड़ा होना शुरू हो चुका था.

हर कोई बीती रात की कहानी के बारे में शिल्पा की प्रतिक्रिया लेना चाहता था. शिल्पा शेट्टी और उन के पति राज कुंद्रा अपने दोनों बच्चों बेटा विहान राज कुंद्रा और बेटी शमिषा कुंद्रा  के साथ समुद्र किनारे बने बंगले में रहते थे. समुद्र किनारे बने ‘किनारा’ नाम के इस बंगले के बाहर उस दिन मीडिया के लोगों की जो भीड़ उमड़ी थी उस ने शिल्पा शेट्टी को असहज कर दिया था. क्योंकि एक दिन पहले यानी 19 जुलाई की रात को शिल्पा के पति राज कुंद्रा को मुंबई के भायखला से क्राइम ब्रांच की टीम ने गिरफ्तार कर लिया था.

दरअसल क्राइम ब्रांच की साइबर सेल की टीम अश्लील फिल्में बनाने वाले गैंग की जांच कर रही थी. जिस की जांच करते हुए खुलासा हुआ कि इस गैंग का मास्टरमाइंड राज कुंद्रा ही था. पूरी मुंबई और बौलीवुड हस्तियों तक रात में ही राज कुंद्रा की गिरफ्तारी की खबर जंगल की आग की तरह फैलते हुए पहुंच गई. इसी का नतीजा था कि अगली सुबह शिल्पा और राज कुंद्रा के बंगले के बाहर मीडिया के लोगों की भारी भीड जमा थी.

राज कुंद्रा को जिस मामले में गिरफ्तार किया गया था, उस में लगे आरोप इतने घिनौने और संगीन थे कि शिल्पा शेट्टी के लिए उन आरोपों से जुड़े सवालों का जवाब देना मुमकिन नहीं था. इसलिए उन्होंने मीडिया से दूरी बना ली.

दरअसल, राज कुंद्रा की गिरफ्तारी की पटकथा इसी साल फरवरी में लिखी गई थी. मुंबई क्राइम ब्रांच की प्रौपर्टी सेल को एक गुप्त सूचना मिली थी कि मलाड वेस्ट के मडगांव में एक किराए के आलीशान बंगले में अश्लील फिल्म की शूटिंग चल रही है.  इसी सूचना के आधार पर सेल के एपीआई लक्ष्मीकांत सालुंखे ने अपनी टीम के साथ उस बंगले पर छापेमारी की.

टीम ने मौके पर देखा कि एक न्यूड वीडियो की शूटिंग चल रही थी. वहां 2 लड़कियों समेत कुल 5 लोग थे, जिन्हें  हिरासत में ले लिया गया.

पूछताछ व छानबीन शुरू हुई तो पता चला कि यह शूटिंग मोबाइल एप्लिकेशन के लिए की जा रही थी, जिस पर अश्लील वीडियो अपलोड किए जाते हैं. इन वीडियोज को देखने के लिए पैसा दे कर मोबाइल एप्लिकेशन की सदस्यता लेनी पड़ती है.

जिस लड़की की अश्लील फिल्म  शूट की जा रही थी, उस के साथ पुलिस ने रौनक नाम के कास्टिंग डायरेक्टर, रोवा नाम की एक महिला वीडियोग्राफर तथा इस अश्लील फिल्म में काम कर रहे लीड एक्टर भानु और रोवा की दोस्त प्रतिभा को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

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जांच में पता चला है ये गिरोह मोबाइल एप्लिकेशन के अलावा कुछ ओटीटी प्लेटफार्म के लिए भी ओटीटी फिल्म बनाते हैं. ऐप के बारे में पड़ताल शुरू हुई तो राज कुंद्रा का नाम भी सामने आया.

जब मुंबई क्राइम ब्रांच ने इस मामले का खुलासा किया तो सामने आया कि इस गिरोह से जुड़े आरोपी अश्लील वीडियो बना कर उन के ट्रेलर इंस्टाग्राम, ट्विटर, टेलीग्राम, वाट्सऐप और अन्य सोशल मीडिया साइटों पर भी जारी करते थे.

इस खुलासे के बाद 4 फरवरी 2021 को मुंबई के क्राइम ब्रांच ने  मालवानी थाने में राज कुंद्रा समेत गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा अपराध संख्या 103/2021 दर्ज  कराया था.

जिस में उन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 292, 293, 420, 34 और आईटी एक्ट की धारा 67, 67ए व अन्य संबंधित धाराएं भी एफआईआर में लगाई थीं.

मुकदमा तो फरवरी में दर्ज हो गया था, लेकिन मुंबई क्राइम ब्रांच को तलाश थी एक ऐसे पुख्ता सबूत की, जो राज कुंद्रा को बेनकाब कर सके. क्योंकि उन पर अश्लील फिल्में बनवाने से ले कर कुछ ऐप्स के जरिए उन्हें प्रसारित और शेयर करने का इलजाम था.

छानबीन में मुंबई क्राइम ब्रांच को जो सबूत हाथ लगे वो राज कुंद्रा की तरफ मुख्य साजिशकर्ता होने का इशारा कर रहे थे.

अगले भाग में पढ़ें- एडवांस पेमेंट मिलने के बाद गहना और कामत अश्लील फिल्में बनाने का काम करते थे 

करोड़ों कमाते है सितारों के बॉडीगार्ड

नब्बे के दशक के दौरान जब फिल्मों की आउटडोर शूटिंग का चलन बढ़ा तो एक नई दिक्कत फिल्मी सितारों की सुरक्षा की पेश आने लगी. ऐसा नहीं कि इस के पहले आउटडोर शूटिंग नहीं होती थी और फिल्म स्टार्स के चाहने वाले उन्हें देखने और छूने के लिए बेकाबू होने की हद तक बेताब नहीं रहते थे, बल्कि ऐसा पहले भी होता था. जहां भी फिल्मों की शूटिंग हो रही होती थी, वहां लोगों की अच्छीखासी भीड़ लग जाती थी.

प्रसिद्ध साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु के आंचलिक उपन्यास ‘मारे गए गुलफाम’ पर आधारित फिल्म ‘तीसरी कसम’ के कुछ दृश्यों की शूटिंग जब मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में हो रही थी, तब फिल्म के हीरो राज कपूर और हीरोइन वहीदा रहमान को देखने के लिए लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा था.

साल 1966 में प्रदर्शित इस फिल्म का बड़ा हिस्सा बिहार के अररिया जिले के गांव औराही हिंगना में भी फिल्माया गया था. वहां भी लोग राज कपूर और वहीदा रहमान को रूबरू देखने के लिए उमड़ पड़े थे. तब आज की तरह गैजेट्स नहीं थे कि आप अपने हाथ में दबे मोबाइल की स्क्रीन पर फोटो और वीडियो जब चाहे देख लें.

तब फिल्मी सितारे या तो थिएटर में दिखते थे या फिल्म के पोस्टरों में. लेकिन उन के फोटो काट कर दीवार पर चिपकाना हो या सीने से लगाना हो तो वो मैग्जींस खरीदनी पड़ती थीं, जिन में इन के फोटो छपते थे.

‘तीसरी कसम’ की यूनिट को बिहार और मध्य प्रदेश दोनों जगह दिक्कतें पेश आई थीं. दिक्कतें इस तरह की कि राज कपूर और वहीदा रहमान को देखने के लिए कई जगह कालेज के छात्रों ने हुड़दंग किया था.

शूटिंग देखने आए लोगों को काबू करने में स्थानीय पुलिस का रौब ही काफी होता था. लेकिन उस दौर के युवाओं पर भी पुलिसिया रौब नहीं चलता था.

शूटिंग के दौरान एक बार जब राज कपूर और वहीदा रहमान ललितपुर से मुंबई लौट रहे थे तो विदिशा रेलवे स्टेशन पर छात्रों ने ट्रेन ही रोक ली थी. तब अधिकतर ट्रेनों में एसी कोच नहीं हुआ करते थे फर्स्ट क्लास का डब्बा होता था, जो केबिनों में बंटा रहता था.

छात्रों का जमावड़ा और हुड़दंग देख राज कपूर घबरा उठे थे और विदिशा स्टेशन पर उतर कर उन्हें छात्रों के सामने हाथ जोड़ना पड़ा था. तब कहीं जा कर आधे घंटे बाद ट्रेन रवाना हो पाई थी.

आज अगर ऐसा हो तो क्या होगा, इस सवाल का जबाब यही निकलता है कि आज ऐसा नहीं हो सकता. क्योंकि तमाम बड़े और नामी फिल्म स्टार्स अपनी सिक्योरिटी की जिम्मेदारी खुद उठाते हैं और उस पर तगड़ी रकम भी खर्च करते हैं.

हाल तो यह है कि फिल्म स्टार्स के बौडीगार्ड की सालाना सैलरी ही करोड़ों तक में होती है और इन बौडीगार्ड्स की शोहरत और रुतबा भी किसी फिल्म स्टार से कम नहीं होता.

सलमान और शेरा से हुई शुरुआत

बात साल 1995 की है जब सलमान खान का सितारा बुलंद था. लिहाजा उन्हें एक तजुर्बेकार और भरोसेमंद बौडीगार्ड की सख्त जरूरत थी. ऐसे में चंडीगढ़ की एक पार्टी में उन की मुलाकात सिख समुदाय के शेरा, जिन का असली नाम गुरमीत सिंह है, से हुई.

सलमान खान के भाई अरबाज खान को शेरा उपयुक्त लगे तो उन्होंने शेरा को बुला भेजा. बात जम गई और पहली ही मीटिंग में शेरा सलमान खान के बौडीगार्ड बन गए. अब तो आलम यह है कि शेरा को सलमान की परछाई और मालिक तक कहा जाने लगा है.

26 साल के अरसे में फिल्म इंडस्ट्री में कई उतारचढ़ाव और बदलाव आए, लेकिन इन दोनों का साथ नहीं छूटा. यह एक रिकौर्ड है कि शेरा के रहते कोई सलमान को छू भी नहीं पाया.

हिफाजत करने के एवज में शेरा को सैलरी कितनी मिलती है, यह आंकड़ा सुन कर आप भी चौंक सकते हैं कि तकरीबन ढाई करोड़ रुपए सालाना यानी कम से कम 20 लाख रुपए महीना.

इतनी सैलरी तो बड़ीबड़ी कंपनियों के सीईओ की भी नहीं होती और कई फिल्म स्टार्स हाड़तोड़ मेहनत के बाद भी इतना नहीं कमा पाते, जितनी शेरा जैसे कई बौडीगार्ड की तनख्वाह है.

लेकिन शेरा का काम या जिम्मेदारी सिर्फ अपने बौस के साथ या आगेपीछे बुत जैसे खड़े रहने की नहीं है, बल्कि यह बेहद चुनौतीपूर्ण काम है जिसे शेरा 26 साल से बखूबी अंजाम दे रहे हैं.

सलमान जहां भी जाते हैं, वहां शेरा एक दिन पहले पहुंच कर जायजा लेते हैं. इस के लिए उन्हें कई किलोमीटर पैदल भी चलना पड़ता है.

सलमान के आते ही वह उन्हें जौइन कर लेते हैं और फिर पलभर को भी नहीं छोड़ते. शेरा के रहते सलमान किसी बात की चिंता नहीं करते, क्योंकि शेरा उन के फैंस को भी बड़ी सूझबूझ से मैनेज करते हैं.

असल में सलमान का बौडीगार्ड बनने से पहले शेरा हौलीवुड स्टार्स को सिक्योरटी दिया करते थे और साल 1993 में उन्होंने अपनी खुद की सिक्योरटी कंपनी खोली थी, जिस का नाम ‘टाइगर सिक्योरिटी’ था. यह कंपनी फिल्म स्टार्स को सिक्योरिटी उपलब्ध कराती थी. उन के क्लाइंट्स में अमिताभ बच्चन का नाम भी शुमार होता है.

यह वह दौर था, जब देश भर में धड़ल्ले से सिक्योरिटी कंपनियां खुल रहीं थीं और हर सेक्टर में सिक्योरिटी गार्ड्स की मांग बढ़ रही थी. लेकिन बौडीगार्ड केवल खास किस्म के लोगों की ही डिमांड और जरूरत थे.

किसी हस्ती का बौडीगार्ड बनने की काबिलियत केवल तगड़ा शरीर ही नहीं, बल्कि अक्ल की भी जरूरत रहती है कि सिचुएशन देखते आप में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता कितनी और कैसी है.

शेरा इन मापदंडों पर लगातार खरे उतरते गए तो उन की चर्चा भी खूब होने लगी. जिस में शोहरत का तड़का सलमान खान अभिनीत फिल्म बौडीगार्ड से लगा.

बन जाते हैं फैमिली मेंबर

इस फिल्म के टाइटल ट्रैक में दोनों एक साथ डांस करते दिखे थे और इस से भी खास बात यह थी कि सलमान ने यह फिल्म शेरा को डेडिकेट की थी.

यह किसी नौकर को सम्मान देने की एक बेहतर मिसाल थी, जिस ने सलमान और शेरा को और नजदीक ला दिया. बाद में सलमान ने शेरा के बेटे टाइगर को सुलतान फिल्म का असिस्टेंट डायरेक्टर भी बनाया था.

अच्छेबुरे दिनों में साथ निभाने वाले शेरा अब सलमान के फैमिली मेंबर बन गए हैं तो यह कतई हैरानी की बात नहीं. ठीक यही

नामी ऐक्ट्रैस दीपिका पादुकोण के साथ भी हुआ, जो अपने बौडीगार्ड जलाल को भाई मानती हैं और रक्षाबंधन पर उन्हें राखी भी बांधती हैं.

नायकों से ज्यादा नायिकाओं को फैंस का खतरा रहता है क्योंकि वे ज्यादा जोश में उन के नजदीक पहुंच कर उन्हें छू लेना चाहते हैं.

अब वह दौर गया, जब 90 फीसदी फिल्मों की शूटिंग मुंबई के स्टूडियोज में हो जाया करती थी और सितारे बंद गाड़ी मैं बैठ कर सेट पर पहुंच जाया करते थे. जिस की किसी को भनक भी नहीं लगती थी सिवाय सितारों के सेक्रेट्रियों के, जिन की अहमियत बौडीगार्ड से कमतर नहीं थी.

फर्क इतना भर है कि सेक्रेट्री व्यावसायिक काम देखता है और बौडीगार्ड उन की हिफाजत का जिम्मा उठाता है. अब 90 फीसदी फिल्मों की शूटिंग देश के तमाम छोटेबड़े शहरों में होती है, इसलिए फिल्म स्टार्स को अपनी सुरक्षा की चिंता स्वाभाविक है.

साल 2018 में जब दीपिका पादुकोण ने रणवीर सिंह से इटली के लेक कोमो शहर में शादी की थी, तब लड़की वालों की तरफ से प्रमुखता से जलाल वहां मौजूद थे.

हालांकि जलाल की सैलरी शेरा से आधी ही है, लेकिन वह दीपिका जैसी स्टार की हिफाजत में इतने से ही खुश हैं. यह खुशी दरअसल समय के साथसाथ बांडिंग बढ़ते जाने की भी है, जो एक खास तरह का भावनात्मक संबंध भी बना देती है फिर पैसा खास माने नहीं रखता.

यही हाल शाहरुख खान और उन के बौडीगार्ड रवि सिंह का है, जो 10 साल से साथ हैं. शाहरुख खान की हर छोटीबड़ी खुशी और फंक्शन में दिखने वाले रवि को शेरा से भी ज्यादा सैलरी मिलती है तकरीबन 2.75 करोड़ रुपए सालाना, जो फिल्म इंडस्ट्री में सब से ज्यादा है.

लेकिन रवि शेरा की तरह लोकप्रिय नहीं हैं, शायद इसलिए भी कि वह सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय नहीं रहते. उलट इस के जलाल भी जब कभीकभार दीपिका की तसवीरें शेयर करते हैं तो उन की फैन फालोइंग बढ़ जाती है. आजकल के दौर में इस से बड़ा सुख और कोई है भी नहीं कि सोशल मीडिया पर आप के कितने ज्यादा फालोअर्स हैं.

हिफाजत की तगड़ी कीमत

सलमान, दीपिका और शाहरुख के अलावा तमाम बड़े फिल्म स्टार्स हिफाजत की कितनी कीमत अपने बौडीगार्ड्स को अदा करते हैं, इस पर नजर डालें तो आखें फटी रह जाती हैं. सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की एक झलक पाने को प्रशंसक बेताब रहते हैं, जो उन्हें नजदीक से एक बार देख और छू लेता है उस की तो मानो जिंदगी धन्य हो जाती है.

लेकिन लोग उन तक न पहुंचें और पहुंचें तो कैसे पहुंचें, यह तय करते हैं. उन के बौडीगार्ड जितेंद्र शिंदे जो अमिताभ को घेरे रखने के डेढ़ करोड़ रुपए सालाना लेते हैं और अमिताभ खुशीखुशी देते भी हैं.

आमिर खान के बौडीगार्ड युवराज घोरपडे की सैलरी 2 करोड़ रुपए सालाना है. युवराज पूरी मुस्तैदी से आमिर के इर्दगिर्द नजर आते हैं. कई बार आमिर गुपचुप यात्राएं करते हैं, जिन की खबर सिर्फ युवराज को ही रहती है.

इन दोनों का साथ भी सालों का है और आमिर खान की विदेश यात्राओं में भी युवराज उन के साथ रहते हैं. युवराज की यह खूबी है कि वह आमिर के बिना कहे काफी कुछ समझ जाते हैं और एक बड़े सेलिब्रेटी का पर्सनल बौडीगार्ड होने का सोशल मीडिया पर ज्यादा ढिंढोरा नहीं पीटते. आमिर खान के पास सिक्योरिटी की बड़ी टीम है, जिस के मुखिया युवराज हैं.

श्री के नाम से मशहूर श्रेयस ठेले अपने बौस अक्षय कुमार की तरह ही फिट और तेजतर्रार हैं और हमेशा उन के साथ दिखते हैं. अक्षय के बेटे आरव की हिफाजत की भी जिम्मेदारी श्रेयस निभाते हैं. इस के एवज में उन्हें कोई सवा करोड़ रुपए सालाना मिलते हैं.

आमिर की तरह अक्षय भी इस भरोसेमंद और वफादार बौडीगार्ड को विदेशों में भी साथ रखते हैं और उन का पूरा खयाल रखते हैं. क्योंकि श्रेयस के रहते 15 साल में उन्हें कभी दुश्वारी का सामना नहीं करना पड़ा.

इन दोनों की बांडिंग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अक्षय श्रेयस को राजू नाम से पुकारते हैं.

क्रिकेटर विराट कोहली की अभिनेत्री पत्नी अनुष्का शर्मा ने भी अपने बौडीगार्ड प्रकाश सिंह को सोनू नाम दे रखा है. अकसर ग्रे कलर का सूट पहने रहने वाले सोनू की यह अहम जिम्मेदारी है कि कोई अनुष्का को टच भी न कर ले.

अनुष्का और विराट दोनों सोनू को फैमिली मेंबर की तरह ही ट्रीट करते हैं. गौरतलब है कि विराट की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सोनू के कंधों पर है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सोनू अपनी मालकिन की सुरक्षा के लिए पीपीई किट पहने रहते थे. उन की सैलरी भी सवा करोड़ है.

इसी तरह श्रद्धा कपूर अपने बौडीगार्ड अतुल कांबले को 80 लाख रुपए सालाना देती हैं तो वहीं कैटरीना कैफ अपने बौडीगार्ड दीपक सिंह को साल भर में एक करोड़ रुपए पगार देती हैं. सनी लियोनी भी अपनी हिफाजत के लिए रखे यूसुफ इब्राहीम को डेढ़ करोड़ रुपए सालाना सैलरी के रूप में देती हैं.

इसलिए जरूरी हैं बौडीगार्ड

तमाम नामी फिल्म स्टार्स बौडीगार्ड रखते हैं क्योंकि उन्हें हिफाजत की गारंटी चाहिए रहती है. फिल्म इंडस्ट्री में अगर बेशुमार दौलत और शोहरत है तो खतरे भी कम नहीं हैं.

अकसर बड़ा खतरा ज्यादा नजदीक रहता है, इसलिए बौडीगार्ड्स को मुंहमांगी सैलरी दी जाती है. क्योंकि इन अंगरक्षकों को बौस से पहले जागना और बाद में सोना नसीब होता है. चौकन्नापन बौडीगार्ड्स की एक अतिरिक्त खूबी होती है. यानी जितना पैसा वे लेते हैं उतना सुखचैन उन्हें छोड़ना भी पड़ता है.

अभी तक अच्छी बात यह है कि तमाम फिल्मी बौडीगार्ड अपने मालिकों के प्रति वफादार रहे हैं और फिल्म स्टार्स ने भी तगड़ी पगार के अलावा उन्हें अपनापन और सम्मान दोनों बराबरी से दिए हैं. क्योंकि वे समझते हैं कि जो काम बौडीगार्ड्स करते हैं, उस में आराम कम काम ज्यादा है.

इन फिल्मी सितारों के लिए यह सोचना बेमानी है कि बौडीगार्ड रखना कोई स्टेटस सिंबल है बल्कि यह उन की खासी जरूरत है, जिसे पूरा करने के लिए वे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा इन्हें देते हैं.

रियल लाइफ में बॉलीवुड एक्ट्रेस का तवायफ का किरदार

बौलीवुड की तमाम शीर्ष और सफल अभिनेत्रियां कभी न कभी तवायफ या वेश्या के किरदार में जरूर नजर आई हैं. यहां तक कि स्वस्थ पारिवारिक भूमिकाओं के लिए पहचानी जाने वाली जया बच्चन भी इस से अछूती नहीं रह पाईं.

साल 1972 में प्रदर्शित फिल्म ‘बंसी बिरजू’ में वह तवायफ के रोल में नजर आई थीं. इस फिल्म में उन के अपोजिट अमिताभ बच्चन थे, जो उस वक्त फिल्म इंडस्ट्री में जमने के लिए हाथपैर मार रहे थे. ‘बंसी बिरजू’ अच्छे विषय पर आधारित होने के बाद भी चली नहीं और इस के बाद जया बच्चन ने इस शेड को नहीं दोहराया.

तवायफ समाज का जरूरी और महत्त्वपूर्ण हिस्सा शुरू से ही रही है, जिसे फिल्मों में तरहतरह से दिखाया गया है. मीना कुमारी की ‘पाकीजा’ से ले कर रेखा की ‘उमराव जान’ तक फिल्मी तवायफों ने दर्शकों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है.

रेखा ने तो रिकौर्ड दरजन भर फिल्मों में तवायफ की भूमिका निभाई है. ‘मुकद्दर का सिकंदर’ की जोहरा बाई लोगों के जेहन में लंबे वक्त तक बसी रही थी और नीचे के दर्शकों की पहली पसंद थी. पूजा भट्ट ने ‘सड़क’ फिल्म से वाहवाही बटोरी थी तो अपने करियर के उठाव के दौरान रति अग्निहोत्री ने भी ‘तवायफ’ फिल्म से अपने अभिनय की तारीफ उस समय आम दर्शक से करवा ली थी.

इस सवाल का जबाब ढूंढना बड़ा मुश्किल काम है कि क्यों तवायफ की भूमिका लगभग हर किसी एक्ट्रैस ने निभाई और उस रोल में दर्शकों ने उसे पसंद भी किया. फिर वो विद्या बालन अभिनीत ‘बेगम जान’ हो या फिर शर्मीला टैगोर की ‘आराधना’ हो, जिस में एक तवायफ के अंदर की ममता को दर्शक कभी भूल नहीं पाए.

बात सिर्फ इन मानवीय और स्त्रियोचित संवेदनाओं की ही नहीं है, बल्कि तवायफों की भूमिका से जुड़ा एक दिलचस्प सच यह भी है कि इस में अभिनय प्रतिभा के प्रदर्शन की संभानाएं दूसरी किसी भूमिका से ज्यादा रहती हैं. यानी अभिनय की संपूर्णता इसी से है.

सच जो भी हो, पर हर फिल्म में यह भी दिखाया गया कि कोई भी औरत अपनी मरजी से तवायफ नहीं बनती, बल्कि मर्दों के दबदबे वाला समाज उसे किसी कोठे की जीनत बनने को मजबूर कर देता है या फिर वह सिर्फ पेट पालने या घर की जिम्मेदारियां निभाने के लिए इस घृणित और गंदे पेशे में आई.

यानी यह बात हवाहवाई और फिजूल की है कि हर औरत के अंदर एक वेश्या या तवायफ होती है. हां, यह जरूर हर कोई मानता है कि एक तवायफ के अंदर एक औरत का वजूद हमेशा रहता है. फिल्मों के मद्देनजर तवायफ और वेश्या में एक बड़ा मौलिक फर्क यह है कि जरूरी नहीं कि हर तवायफ जिस्मफरोशी करती ही हो.

जिस्मफरोशी के धंधे पर बनी पहली सार्थक फिल्म ‘मंडी’ थी, जिस में शबाना आजमी, स्मिता पाटिल और नीना गुप्ता जैसी सधी अभिनेत्रियां थीं. श्याम बेनेगल की इस फिल्म का भी अपना अलग फ्लेवर था, जो यह तो एहसास करा गया था कि सभ्य समाज और राजनीति भी देहव्यापार के कितने नजदीक हैं. और नजदीक भी क्या, दरअसल उस का ही तिरस्कृत हिस्सा है, शरीर का ऐसा अंग है जो काट कर फेंक दिए जाने के बाद भी जिंदा रहता है.

चेतना से आई क्रांति

‘मंडी’ से भी 13 साल पहले 1970 में बी.आर. इशारा निर्देशित फिल्म ‘चेतना’ प्रदर्शित हुई थी. रेहाना सुलताना और अनिल धवन अभिनीत इस फिल्म में एक वेश्या अपने प्रेमी के साथ घर बसाने का फैसला कर लेती है लेकिन सफल नहीं हो पाती.

रेहाना ने कालगर्ल के रोल में जान डाल दी थी. उस समय इस फिल्म के बोल्ड सीन काफी चर्चित हुए थे और लोगों को समझ आया था कि एक मौडल कैसे पैसा कमाने के लिए दूसरों की रातें रंगीन करती है और दिन में धर्मस्थलों में माथा टेकती रहती है.

बौक्स औफिस पर पैसा बरसाने बाली ‘चेतना’ फिल्म की दूसरी खूबी यह थी कि इस ने देहव्यापार के धंधे के नए तौरतरीके उधेड़ कर रख दिए थे. 1970 के दशक में कोठे उजड़ने लगे थे और शहर के बदनाम इलाके आबाद होने लगे थे. इसी दौर में कालगर्ल्स की खेप आनी शुरू हो गई थी, जो मौडर्न और स्टाइलिश होती हैं. वे अपनी मरजी से धंधा करती हैं और अपनी फीस से कोई समझौता नहीं करतीं.

यह कालगर्ल पढ़ीलिखी थोड़ी दार्शनिक और थोड़ीथोड़ी बुद्धिजीवी भी होती थीं, जो ग्राहक के साथ मांग पर सैरसपाटे के लिए भी चली जाती थीं. खूबी यह भी थी और है भी कि कालगर्ल इसे एक बेहतर वैकल्पिक प्रोफेशन मानती है और किसी तरह का अपराधबोध नहीं रखती. वह भावनात्मक के साथसाथ पुरुष के सैक्स स्वभाव और जरूरत को भी समझती है, जो इस पेशे की एक जरूरी और अच्छी बात भी है.

रेहाना सुलताना का फिल्मी सफर बहुत लंबा नहीं चला. ‘चेतना’ के बाद वह कम ही फिल्मों में दिखीं. लेकिन जातेजाते युवतियों के लिए यह मैसेज दे गईं कि मौडलिंग और फिल्मी दुनिया में जिस्म को दांव पर लगा कर भी जगह बनाई जा सकती है. जरूरत है बस थोड़े से टैलेंट, खूबसूरती और बड़े जोखिम उठाने की हिम्मत की.

70 के दशक में देश भर से एक्ट्रैस बनने के लिए लड़कियां मुंबई की ट्रेन पकड़ने लगी थीं. इन में से कुछ जगह बना पाने में कामयाब हुईं और कई गुमनामी और कमाठीपुरा जैसे बदनाम रेड लाइट इलाके की गलियों की खिड़की से झांकते ग्राहकों को इशारे करती नजर आईं.

मुंबई की चकाचौंध और दौलत व शोहरत की कशिश कभी किसी सबूत की मोहताज नहीं रही. हीरोइन बनने के लालच में आई अनेक युवतियां कोई भी समझौता करने लगीं. लेकिन मिलने के नाम पर अधिकांश को सी ग्रेड या एक्स्ट्रा के रोल मिले, इस के एवज में भी उन्हें निर्मातानिर्देशकों और दलालों का बिस्तर गर्म करना पड़ा.

स्याह पहलू श्वेता का

ऐसी ही एक एक्ट्रैस है श्वेता बसु प्रसाद, जिस ने इसी साल जनवरी में जिंदगी के 30 साल पूरे किए हैं. श्वेता हालांकि कोई बड़ा या जानामाना नाम नहीं है लेकिन प्रतिभा उस में है, जिसे उस ने साबित भी किया. महत्त्वाकांक्षी श्वेता ने पत्रकारिता का भी कोर्स किया है और कुछ दिन एक मशहूर अखबार में लेखन भी किया.

जमशेदपुर के मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती इस खूबसूरत लड़की ने पहली बार बाल कलाकार के रूप में ‘मकड़ी’ फिल्म में काम किया था. साल 2002 में प्रदर्शित हुई इस फिल्म के निर्मातानिर्देशक विशाल भारद्वाज थे. भूतप्रेत वाली इस फिल्म में श्वेता चुन्नी और मुन्नी नाम की जुड़वां बहनों के रोल में खासी सराही गई थी.

उसे सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था. इस के बाद उस ने कुछ तमिल, तेलुगू और बंगाली फिल्मों में भी काम किया, लेकिन उम्मीद के मुताबिक उसे नाम और दाम नहीं मिला. कुछ टीवी धारावाहिकों में भी वह नजर आई लेकिन इस से भी उस के डगमगाते करियर को सहारा नहीं मिला.

देह व्यापार में क्यों आई श्वेता

छोटेमोटे रोल करती श्वेता को लोग भूल ही चले थे कि साल 2014 में हैदराबाद से एक सनसनीखेज खबर आई कि मशहूर एक्ट्रैस श्वेता प्रसाद बंजारा हिल इलाके के एक बड़े होटल से देहव्यापार करती हुई पकड़ी गई.

बात सच थी गिरफ्तारी के बाद उसे सुधारगृह भेज दिया गया, जहां वह बच्चों को संगीत और कला का प्रशिक्षण देती रही. मीडिया और बौलीवुड में वह उत्सुकता और आकर्षण का विषय बन गई. हर कोई जानना चाह रहा था कि वह इस घृणित पेशे में क्यों आई.

इन्हीं दिनों में श्वेता का एक बयान खूब वायरल हुआ था, जिस में वह यह कहती नजर आ रही थी कि मैं अपने ही कुछ गलत फैसलों के चलते कंगाल हो गई थी. मुझे अपने परिवार को भी संभालना था और कुछ अच्छे काम भी करने थे. लेकिन मेरे लिए सारे दरवाजे बंद थे, इसलिए कुछ लोगों ने मुझे वेश्यावृत्ति का रास्ता दिखाया. मैं कुछ नहीं कर सकती थी और न ही मेरे पास कोई और चारा था, इसलिए मैं ने यह काम किया.

सुधारगृह से छूटने के बाद वह इस बयान से मुकर गई और नएनए बयान देती रही, जिन के कोई खास मायने नहीं थे. लेकिन दाद देनी होगी श्वेता की हिम्मत और आत्मविश्वास को, जो वह देहव्यापार के आरोप में पकड़े जाने के बाद भी टूटी नहीं और उसे जो भी रोल मिला, वह उस ने स्वीकार लिया.

साल 2018 में उस ने फिल्मकार रोहित मित्तल से शादी की, लेकिन एक साल बाद ही वह टूट गई. ‘चेतना’ फिल्म की सीमा और श्वेता की असल जिंदगी में काफी समानताएं दिखती हैं, पर फिल्म के और जिंदगी के दुखांत में जमीन आसमान का अंतर होता है, जो दिख भी रहा है.

वेश्या होने का दाग आसानी से नहीं धुलने वाला पर श्वेता अभी भी जिस लगन से काम कर रही है. उस के लिए वह शुभकामनाओं की हकदार तो है कि कड़वा अतीत भूल कर मकड़ी जैसा कारनामा एक बार फिर कर दिखाए.

कड़वी मिष्ठी

श्वेता को तो हैदराबाद सेशन कोर्ट ने देह व्यापार के आरोप से बाइज्जत बरी कर दिया था, लेकिन सन 2014 में ही एक और एक्ट्रैस मय पुख्ता सबूतों के देहव्यापार के आरोप में रंगेहाथों धरी गई थी, जिस का नाम था मिष्ठी मुखर्जी. भरेपूरे गुदाज बदन की मालकिन मिष्ठी थी तो बंगाली फिल्मों की सी ग्रेड की अभिनेत्री, लेकिन 2012 में राकेश मेहता निर्देशित एक हिंदी फिल्म ‘लाइफ की तो लग गई’ में वह नजर आई थी और मुंबई में ही बस गई थी.

हैरानी की बात यह है कि इस फिल्म की समीक्षाओं में कहीं उस का जिक्र नहीं हुआ. मिष्ठी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं. मुंबई के पौश मीरा टावर के सी विंग में फ्लैट नंबर 502 में वह परिवार सहित रह रही थी. इस फ्लैट का किराया ही 80 हजार रुपए महीना था.

मिष्ठी आलीशान जिंदगी जी रही थी. मीरा टावर में लगभग 75 फ्लैट्स आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के हैं. इस अपार्टमेंट में हंगामा 9 जनवरी, 2014 को तब मचा था, जब एक छापामार काररवाई में ओशिवरा पुलिस ने मिष्ठी को अपने बौयफ्रैंड दिल्ली के फैशन डिजाइनर राकेश कटारिया के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़ा था.

इस छापे में पुलिस ने कोई ढाई लाख ब्लू फिल्मों की सीडी बरामद की थीं. पुलिस के मुताबिक ये सीडी दक्षिण भारत से ला कर मुंबई और ठाणे में बेची जाती थीं. देह व्यापार में सहयोग देने के आरोप में पुलिस ने मिष्ठी, उस की मां सहित पिता चंद्रकांत मुखर्जी और भाई समरत को भी गिरफ्तार किया था. पुलिस के मुताबिक इस फ्लैट का इस्तेमाल ब्लू फिल्में बनाने में भी किया जाता था.

बाद में मिष्ठी और उस के परिवारजनों ने सफाई दी थी, लेकिन तब तक एक और एक्ट्रैस के दामन में जिस्मफरोशी का दाग लग चुका था. इस मुकदमे का फैसला हो पाता, इस के पहले ही महज 27 साल की उम्र में मिष्ठी किडनी फेल हो जाने से 4 अक्तूबर, 2020 को इस दुनिया से चल बसी.

लोगों को इस कांड के अलावा यह भर याद रहा कि उस ने कुछ क्षेत्रीय फिल्मों सहित हिंदी फिल्म ‘मैं कृष्णा हूं’ में एक गाना गाया था.

बाद में अंदाजा भर लगाया गया, जो सच के काफी करीब है कि अगर वह ब्लू फिल्मों का कारोबार कर रही थी या सैक्स रैकेट चला रही थी तो अपने परिवार के खर्चे पूरे करने के लिए इस गैरकानूनी रास्ते पर चल पड़ी थी.

ऐश के ऐश

ऐसा ही रास्ता दक्षिण भारत की उभरती एक्ट्रैस ऐश अंसारी ने भी चुना था, जो साल 2013 में जोधपुर के तख्त विलास होटल में रंगेहाथों जिस्मफरोशी करते पकड़ी गई थी. इस छापे में 9 लोग पकड़े गए थे. यह भी एक हाइटेक मामला था और औनलाइन चलता था.

पुलिस के मुताबिक, ऐश अपने ग्राहकों को खुश करने गई थी और इस गिरोह का हिस्सा थी. सैक्सी ऐश ने बचाव में शाहरुख खान के साथ अपनी कुछ तसवीरें पुलिस को दिखाई थीं, जो जाहिर है एक बचकानी और फिजूल की बात थी.

दरअसल, वह शाहरुख खान के साथ  ‘ओम शांति ओम’ और ‘चलते चलते’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकी थी. इस के अलावा उस ने साउथ की भी कुछ फिल्मों में काम किया है. ‘बूम बूम’ नाम के म्यूजिक वीडियो से भी उस ने धूम मचाई थी.

ऐश ने यह रास्ता परिवार के लिए नहीं, बल्कि जल्द अमीर बनने के चक्कर में चुना था. लेकिन पकडे़ जाने के बाद वह ऐसी गायब हुई कि फिर फिल्मों में नजर नहीं आई. मुमकिन है उस का जमीर उसे कचोटने लगा हो.

ऐश में एक खास बात सैक्सी फिगर के साथसाथ उस के असामान्य उभार हैं जो किसी को भी पागल और मदहोश कर देने के लिए काफी हैं. देह के शौकीनों में उस की डिमांड ज्यादा थी और इस की कीमत वह वसूल भी रही थी.

घर को ही बनाया अड्डा

पर्यटन स्थलों के रिसोर्ट और भव्य होटलों के अलावा कुछ अभिनेत्रियों ने घर से देह व्यापार करना ज्यादा सुरक्षित समझा. इन में एक उल्लेखनीय नाम साउथ की ही भुवनेश्वरी का है, जो अब से 20 साल पहले तक एक उभरता नाम हुआ करता था. अक्तूबर, 2009 में एक छापे में उसे चेन्नई में गिरफ्तार किया गया था.

बोल्ड सीन देने के लिए पहचानी जाने वाली इस खूबसूरत बला और बाला के गिरोह में कई और सी ग्रेड की एक्ट्रैस भी शामिल थीं. भुवनेश्वरी ने टीवी धारावाहिकों से भी नाम कमाया था.  रियल लाइफ में देहव्यापार करने वाली इस एक्ट्रैस ने रील लाइफ में भी वेश्या का किरदार तमिल फिल्म ‘लड़के’ में निभाया था.

अब 46 की हो चुकी भुवनेश्वरी भी गायब है, जिस ने फिल्मों से ज्यादा नाम और दाम वेश्यावृत्ति से कमाया और इसे बेहद सहजता से उस ने लिया और जिया.

दक्षिण भारतीय फिल्मों की वैंप के खिताब से नवाजी गई इस एक्ट्रैस ने कभी दुनिया जहान का लिहाज नहीं किया. उस पर भी कभी देहव्यापार के आरोप अदालत में साबित नहीं हो पाए, लेकिन बदनामी से वह खुद को बचा नहीं पाई.

28 साल की होने जा रही तमिल और तेलुगू फिल्मों की अभिनेत्री श्री दिव्या भी घर से ही सैक्स रैकेट चलाते पकड़ी गई थी.  ‘बीटेक बाबू’ उस के करियर की चर्चित फिल्म थी. महज 3 साल की उम्र से परदे पर पांव रख चुकी इस हौट एक्ट्रैस ने कोई डेढ़ दरजन फिल्मों में काम किया, जिन में से कुछ में उस ने अपने अभिनय की छाप भी छोड़ी.

साल 2014 में पड़े गुंटूर के चर्चित छापे में पकड़ी गई दिव्या को कुदरत ने अजीम खूबसूरती से नवाजा भी है. लेकिन ज्यादा  पैसों के लालच से वह भी नहीं बच सकी.

पतली कमर वाली दिव्या भी गिरोहबद्ध तरीके से जिस्मफरोशी के कारोबार में गले तक डूब चुकी थी. छापे में कई दूसरी मौडल और एक्ट्रैस मय ग्राहकों के पकड़ी गई थीं.

शर्म से दूर शर्लिन चोपड़ा

हैदराबादी गर्ल के नाम से मशहूर हुई शर्लिन चोपड़ा फिल्मों से कम, गरमागरम फोटो सेशन और हर कभी वायरल होते अपने कामुक वीडियोज के चलते ज्यादा जानीपहचानी जाती है. विवादों में रहना उस का खास शगल है. प्लेबौय मैगजीन के लिए नग्न फोटो देने वाली 37 वर्षीया इस एक्ट्रैस ने फिल्मों से ज्यादा गौसिप से अपनी पहचान बनाई.

रूपेश पाल की थ्री डी फिल्म ‘कामसूत्र’ में उस ने उन्मुक्त दृश्य दिए हैं. रियल्टी शो बिग बौस सीजन-3 की प्रतिभागी भी वह रह चुकी है. उस के नाम छोटे बजट की 3 फिल्में ‘टाइम पास’, ‘रेड स्वास्तिक’ और ‘गेम’ ही हैं जो न के बराबर चलीं.

मौडलिंग से अपने करियर की शुरुआत करने वाली शर्लिन कभी देह व्यापार के किसी छापे में तो नहीं पकड़ी गई, बल्कि उस ने खुद ही उजागर किया था कि वह देह व्यापार करती है और पैसों के लिए कई मर्दों के साथ उस ने सैक्स किया है. सुर्खियों में बने रहने को ऐसे कई विवादों से उस ने खुद को जोड़े रखा.

फिल्मकार साजिद खान पर आरोप लगाते हुए उस ने अप्रैल 2015 में कहा था कि एक मुलाकात में साजिद ने पेंट से अपना प्राइवेट पार्ट निकाल कर उसे छूने के लिए कहा था. तब उस ने बिना घबराए साजिद को कहा था कि मैं जानती हूं कि प्राइवेट पार्ट कैसा होता है और उन से मिलने का उस का ऐसा कोई मकसद या इरादा नहीं है.

इस बयान से फिल्म इंडस्ट्री में तहलका मच गया था, जो सच और झूठ की बाउंड्री लाइन पर खड़ा था. यानी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा होना न तो नामुमकिन है और न ही ऐसा होने पर कोई मौडल एक्ट्रैस ऐसी आपबीती इतने खुले लफ्जों में बयां कर सकती है.

नैतिकता तो लोगों की निगाह में यह है कि ऐसा किसी लड़की के साथ हो भी तो उसे खामोश रहना चाहिए. शर्लिन ने दो टूक कहा तो इसे पब्लिसिटी स्टंट कह कर हवा में उड़ा दिया गया.

रियल और रील में फर्क

दरजनों और ऐसी फिल्म एक्ट्रैस हैं, जो देहव्यापार करते पकड़ी गई हैं. दिलचस्प बात यह है कि ये सभी सी ग्रेड की असफल और महत्त्वाकांक्षी युवतियां हैं. लगभग सभी ने रियल लाइफ में यह किरदार निभाया तो इस की वजह साफ है कि पैसा कमाने का इस से बेहतर शार्टकट और कोई है भी नहीं.

लग्जरी जिंदगी जीने की आदी इन नायिकाओं के पास अपने खर्च पूरे करने का कोई दूसरा जरिया होता भी नहीं. परदे पर इन्हें देख चुके शौकीन पैसे वाले भी मुंहमांगे दाम इन्हें देने को तैयार रहते हैं. इन तवायफों को एक रात का अपने नाम, हैसियत और शोहरत के मुताबिक एक से 5 लाख रुपया तक मिलता भी है.

अब तो बी ग्रेड के शहरों में भी इन की मांग बढ़ने लगी है और ये वहां जाती भी हैं. आनेजाने, हवाई जहाज और फाइवस्टार होटलों में ठहरने का खर्च या तो ग्राहक उठाता है या फिर वह दलाल, जो इन के और ग्राहक के बीच कड़ी का काम करता है. ठीक वैसे ही जैसे ‘चेतना’ फिल्म में रेहाना सुलताना के लिए एक दलाल करता था.

आमिर खान : दूसरे तलाक के बाद

तलाक अगर इतनी आसानी से हो जाए जितना कि अभिनेता आमिर खान और उन की दूसरी पत्नी किरण राव के बीच हुआ तो तलाक प्रक्रिया पर सवाल उठाने के कोई माने नहीं. क्योंकि यह परिपक्व पतिपत्नी का आपसी सहमति से लिया गया फैसला है, जिस के अपने अलग माने हैं.

15 साल का अरसा एकदूसरे को समझने और एकदूसरे में ढल जाने के लिए मुकम्मल होता है, लेकिन इस तलाक को जिस का मसौदा दोनों ने संयुक्त रूप से जाहिर सूचना की तरह पेश किया, कई नहीं तो कुछ सवाल तो खड़े करता ही है.

लोग एक बार फिर पूछ रहे हैं क्यों… और दिलचस्प बात यह कि जवाब भी खुद ही दे रहे हैं जो महज मीडियाई खबरों और अटकलों पर आधारित हैं.

कुछ अपवादों को छोड़ दें तो फिल्म इंडस्ट्री में शादी और तलाक हमेशा से चर्चाओं और सुर्खियों में रहे हैं. खासतौर से उस वक्त जब पतिपत्नी दूसरे धर्म के हों.

अपने दौर के मशहूर अभिनेता सुनील दत्त और अभिनेत्री नरगिस की शादी सहज ढंग से नहीं ली गई थी. तब भी खूब होहल्ला देश भर में कट्टरपंथियों ने मचाया था. लेकिन अच्छी बात उस का बेअसर हो जाना रहा था.

फिर हिंदू हीरो की मुसलिम हीरोइन से और मुसलिम हीरो की हिंदू हीरोइन से शादी कोई अजूबा नहीं रह गई.

यह फिल्म इंडस्ट्री ही थी, जिस ने धर्म और जातपात की बेडि़यों को काटना शुरू किया और हर दौर में युवाओं को अपनी मरजी से शादी करने की प्रेरणा दी. पर पिछले कुछ दिनों से उलटा हो रहा है.

अंतरधर्मीय शादियों में कम से कम 2 मामले बेहद चर्चित रहे, इन में से पहला था बंगला फिल्मों की जानीमानी और टीएमसी सांसद नुसरत जहां और निखिल जैन का, जिन की गिनती कोलकाता के बड़े कारोबारियों में शुमार होती है. उस तलाक के बारे में पाठक मनोहर कहानियां के पिछले अंक में विस्तार से पढ़ ही चुके हैं.

साल 1973 में प्रदर्शित नासिर हुसैन की फिल्म ‘यादों की बारात’ ने बौक्स औफिस पर कामयाबी के झंडे गाड़ दिए थे, जिस की बड़ी वजह नायक धर्मेंद्र की एक्टिंग और 3 भाइयों के बिछुड़ने और एक गाने के जरिए मिलने की कहानी थी, जो लीक से हट कर थी. इस फिल्म का गीतसंगीत भी खूब पसंद किया गया था.

आमिर खान इस फिल्म में एक बाल कलाकार की भूमिका में थे. गौरतलब है कि नासिर हुसैन आमिर के पिता ताहिर हुसैन के भाई हैं, जिन्होंने इस फिल्म के जरिए दरअसल में तारिक को ब्रेक देने की कोशिश की थी. लेकिन तारिक खूबसूरत और चौकलेटी होने के बाद भी चले नहीं.

लेकिन ठीक तारिक सरीखे चिकने चेहरेमोहरे वाले उन के चचेरे भाई आमिर साल 1988 में प्रदर्शित फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ के जरिए ऐसे चले कि फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.  इस फिल्म के निर्माता भी नासिर हुसैन थे.

उन के बेटे मंसूर खान द्वारा निर्देशित इस फिल्म में आमिर की एंट्री ठीक वैसे ही दिखाई गई थी, जैसे ‘यादों की बारात’ में तारिक की दिखाई गई थी.

यानी माथे पर स्कार्फ हाथ और गले में लटका गिटार युवाओं की महफिल और एक बेहतरीन जज्बाती गाना, जो उस दौर के युवाओं के लबों पर मानों ठहर सा गया था. गाने के बोल थे—पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा बेटा हमारा ऐसा काम करेगा…

इस फिल्म में नायिका जूही चावला ने भी कयामत ढाई थी जो तब बड़ा नाम नहीं था. ठाकुरों की आपसी दुश्मनी पर बनी इस फिल्म में दर्शकों ने आमिर और जूही को हाथोंहाथ लिया था और दोनों को रातोंरात स्टार बना कर सिर पर बैठा लिया था. फिर एक के बाद एक आमिर की कई फिल्में हिट हुईं, जिन में ‘दिल’, ‘जो जीता वही सिकंदर’, ‘दिल है कि मानता नहीं’, ‘हम हैं राही प्यार के’, ‘अंदाज अपनाअपना’ से ले कर ‘लगान’, ‘थ्री इडियट्स’, ‘राजा हिंदुस्तानी’, ‘इश्क’, ‘सरफरोश’, ‘रंग दे बसंती’ और ‘मंगल पांडे’ सहित ‘तारे जमीं पर’ उल्लेखनीय हैं.

लेकिन ‘कयामत से कयामत तक’ की बात और थी जिस के गाने ‘पापा कहते हैं…’ में थोड़ी देर के लिए एक्स्ट्रा के रूप में रीना दत्ता भी दिखाई दी थीं.

यूं पड़ोसी होने के नाते रीना दिखाई तो उन्हें रोज देतीं थीं और आमिर उन से बचपन से ही प्यार करते थे, जोकि शुद्ध एकतरफा था. यह फिल्म फ्लोर पर थी इस के काफी पहले से ही वह रीना पर लट्टू थे. लेकिन प्यार का इजहार नहीं कर पा रहे थे, क्योंकि रीना उन्हें घास नहीं डालती थीं.

वह एक परंपरावादी हिंदू परिवार से थीं. आमिर ने हिम्मत नहीं हारी और उम्र के मुताबिक सड़कछाप मजनुओं की तरह उन के पीछे पड़े रहे.

रीना दत्ता को खून से लिखा था प्रेम पत्र

यह आमिर की दीवानगी की हद ही कही जाएगी कि अस्सी के दशक के प्यार के तौरतरीकों और चलन के मुताबिक उन्होंने रीना को अपने खून से लिखा लव लेटर भेज दिया.

अब रीना भी कोई पत्थर की बनी तो थी नहीं, जो इस अदा पर फिदा न हो जातीं. एक सामान्य भारतीय लड़की की तरह उन्होंने आमिर का प्यार कुबूल कर लिया.

लेकिन धर्म की दीवार इतनी मजबूत थी कि दोनों ने चोरीछिपे 18 अप्रैल, 1986 में कोर्ट में शादी करने की हिम्मत तो कर ली पर मारे डर के अपनेअपने घरों में नहीं बता पाए.

शादी करने के लिए आमिर ने खुद के 21 साल का होने का इंतजार पूरी सब्र से किया था. आमिर की साल 1984 में रिलीज हुई केतन मेहता की पहली फिल्म ‘होली’ चूंकि फ्लौप हो चुकी थी, इसलिए भी वह कोई जोखिम नहीं उठाना चाह रहे थे.

जब शादी की बात रीना की छोटी बहन को पता चली तो वह सीधे आमिर के घर जा धमकी और शादी की बात उजागर कर दी. इस पर आमिर के पिता ताहिर हुसैन ने समझदारी और मौके की नजाकत देखते हुए कोई ऐतराज नहीं जताया और पूरे सम्मान के साथ बहैसियत बहू रीना को घर ले आए.

लेकिन रीना के पिता को यह सदमा बरदाश्त नहीं हुआ और वह इतने बीमार पड़ गए कि उन्हें अस्पताल में भरती करना पड़ा.

इस दौरान आमिर ने उन का खूब खयाल रखा और बेटे की तरह देखभाल की तो उन का दिल भी फिल्मी स्टाइल में पसीज गया. फिर आमिर के सामने कोई दिक्कत नहीं रह गई.

रीना उन के लिए लकी साबित हुई. क्योंकि ‘कयामत से कयामत तक’ ने आमिर को युवा दिलों का राजा बना दिया था. स्कूलकालेजों और होस्टल्स तक में इस फिल्म की चर्चा थी.  प्रेमीप्रेमिका खुद में राज और रश्मि को देखने और महसूसने लगे थे जो इस फिल्म में आमिर और जूही के नाम थे.

आमिर ने इस फिल्म में बहुत अच्छी एक्टिंग इसलिए भी कर डाली थी या यूं कह लें कि अनजाने में उन से हो गई थी क्योंकि शूटिंग के दिनों में वह खुद नईनवेली पत्नी रीना की जुदाई भुगत रहे थे और रोज उन्हें खत लिखा करते थे.

इस के बाद के दिन आमिर की जिंदगी के सुनहरे दिन थे. कामयाबी दौलत और शोहरत सब एक साथ उन के कदम चूम रहे थे. जितने अच्छे आशिक थे, उतने ही अच्छे पति भी वह साबित हुए.

इसी दौरान उन्होंने अपने नाम से ही अपनी प्रोडक्शन कंपनी भी बना ली थी, जिस के बैनर तले 2001 में ऐतिहासिक फिल्म ‘लगान’ रिलीज हुई थी. इस फिल्म को कई पुरस्कार मिले थे. यह फिल्म औस्कर के लिए भी नौमिनेट हुई थी.

रीना एक सफल और समर्पित पत्नी साबित हुईं, जो आमिर की दूसरी कई फिल्मों की यूनिट के सदस्य रहते ‘लगान’ की असिस्टेंट डायरेक्टर भी थीं. अब तक दोनों की फैमिली परफेक्ट हो चुकी थी. बेटी का नाम इरा खान और बेटे का नाम जुनैद खान रखा.

लगान से बिगड़ी बात

अब तक आमिर इंडस्ट्री में अपने अभिनय के साथसाथ व्यावसायिक प्रतिभा का भी लोहा मनवा चुके थे. उन की लगभग हर फिल्म हिट होती थी. यह आमिर की खूबी ही है कि उन्होंने औसतन एक साल में एक ही फिल्म की लेकिन पूरे डूब कर की. ‘लगान’ के बाद ‘पीके’ फिल्म इस बात की गवाह भी हैं.

इसी ‘लगान’ फिल्म की शूटिंग के दौरान उन का परिचय एक साधारण सी दिखने वाली दक्षिण भारतीय युवती किरण राव से हुआ’ किरण इस फिल्म की प्रोडक्शन यूनिट का हिस्सा थी. उसे देखते ही आमिर के दिल में वही कुछकुछ हुआ, जो किशोर उम्र में रीना को देख कर होता था.

फिर जो हुआ, उस की उम्मीद किसी को भी नहीं थी. आमिर ने रीना को तलाक देने का फैसला कर लिया, जो उतना ही चौंकाने वाला था, जितना 15 साल पहले उन से ड्रामाई तरीके से शादी कर लेने का था.

शादी गुपचुप हुई थी लेकिन आमिर और रीना का तलाक एक मुकम्मल हंगामे के बीच 2005 में इस सवाल के साथ हुआ कि आखिर क्यों…

इस सवाल का जबाब अगर कोई दे सकता था तो वे ये दोनों ही थे, जो रहस्यमय खामोशी ओढ़े रहे. 15 साल एक छत के नीचे एक शानदार जिंदगी जीने के बाद दोनों साल 2002 में अलग हो गए.

शर्तों और समझौते के मुताबिक इरा और जुनैद को रीना अपने साथ ले गईं. बतौर गुजारा भत्ता कह लें या मेहर की रकम कह लें या फिर तलाक के लिए राजी होने की राशि कह लें, आमिर ने रीना को 50 करोड़ रुपए अदा किए थे.

फिल्म इंडस्ट्री का यह पहला बड़ा तलाक था, जिस में पतिपत्नी ने एकदूसरे के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाये थे. बस दोनों ने चाहा और तलाक हो गया. हालांकि कहा यह भी गया कि तलाक रीना की जिद के चलते हुआ. ‘लगान’ सुपरडुपर हिट हुई, लेकिन आमिर की जिंदगी से रीना चली गई.

इस के बजाय यह कहना ज्यादा बेहतर होगा कि यह फिल्म रीना की जिंदगी से आमिर को छीन ले गई. कुछ दिन मीडिया ने शोर मचाया लेकिन फिर भूल गए.

फिल्म इंडस्ट्री में रोज नई खबरें पैदा होती और मरती हैं. यह तलाक इस रिवाज का अपवाद साबित नहीं हुआ.

फिर 2005 में एक सनसनाती खबर आई कि तलाकशुदा अधेड़ उम्र के आमिर ने किरण राव से शादी कर ली. फिल्म इंडस्ट्री के लिहाज से यह कोई हैरान कर देने वाली बात नहीं थी और जानने वालों के लिए अपेक्षित भी थी. फिर हल्ला मचा और फिर शांत हो गया.

सुनीसुनी सी दास्तां…

‘समरथ को नहीं दोष गुसाईं’ की तर्ज पर लोगों ने कुछ चटखारे लेने के बाद इस असहज शादी को सहज ढंग से ले लिया. क्योंकि आमिर एक के बाद एक हिट फिल्में दिए जा रहे थे. तभी प्रदर्शित हुई ‘अंदाज अपनाअपना’ उन में से एक थी. एक आम असहज बात यह भी थी कि किरण आमिर से उम्र में 15 साल छोटी थीं.

उम्र के इस फर्क ने इन के वैवाहिक जीवन पर कोई खास फर्क नहीं डाला. किरण के लिए सब कुछ नया था, लेकिन आमिर की स्थिति ‘निकाह’ फिल्म की सलमा आगा सरीखी थी जो दूसरे पति राज बब्बर के साथ भी उसी शहर में उसी होटल में उसी कमरे में हनीमून मनाने जाती है, जिस में कभी पहले पति दीपक पाराशर के साथ आई थी.

आमिर के लिए हुआ इतना भर था कि रीना की जगह किरण ने ले ली थी, जो तेलंगाना के एक प्रतिष्ठित और संपन्न परिवार से ताल्लुक रखती थीं.

वक्त गुजरता गया और एक बार फिर आमिर खान खुद को एक ईमानदार पति साबित करने में जुट गए. इस का उदाहरण किरण की एक शारीरिक कमजोरी के वक्त देखने में आया था जब वह सामान्य ढंग से गर्भधारण नहीं कर पा रही थीं. चिकित्सकीय भाषा में कहें तो कंसीव नहीं कर पा रही थीं.

तब इन दोनों ने कृत्रिम तरीके का सहारा लिया, जिस से बेटा आकाश पैदा हुआ. किरण और आमिर उतने ही खुश थे जितने कभी रीना और आमिर हुआ करते थे. किरण भी फिल्ममेकिंग में आ गईं, जिस से आमिर को काफी सहूलियत रही.

बेटी का वीडियो हुआ वायरल

अब लोग रीना और उन के बच्चों को भूल चले थे, लेकिन कुछ दिनों पहले जवान हो चुकी 24 वर्षीय इरा के एक वायरल हुए वीडियो ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा था, जिस में इरा खुद को डिप्रेशन का शिकार बता रही थी. लेकिन मम्मीपापा के तलाक को इस का जिम्मेदार नहीं ठहरा रही थी.

कुछ और वायरल हुई तसवीरों में वह अपने बौयफ्रैंड नूपुर शिकरे के साथ वैसे ही लिपटी नजर आई थी, जैसे कोई बेल पेड़ के तने से लिपटी रहती है.

कुछ ही दिनों में रीना और किरण में अच्छी दोस्ती भी हो गई और एकदो पार्टियों में वे काफी अंतरंगता से मिलीं भी. देखने वालों ने इस से ज्यादा कुछ नहीं सोचा कि आमिर खान का अतीत और वर्तमान एक साथ दिख रहा है.

वैसे भी फिल्म इंडस्ट्री में पुराने जीवनसाथी अकसर ऐसे ही औपचारिक और कारोबारी अंदाज में मिला करते हैं, जज्बात उन में होते हैं, ऐसा कहने की कोई वजह नहीं.

लेकिन इकलौती याद रखने वाली बात यह है कि फिल्मी सितारे सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करते बल्कि उन की जिंदगी की घटनाओं का फर्क जो आमतौर पर सीधे दिखता और महसूस नहीं होता, पर आम लोगों और समाज पर पड़ता जरूर है.

एक तलाक और सही

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि बीती 3 जुलाई को आमिर और किरण के तलाक की खबर बेहद साधारण तरीके से आई. एक संयुक्त पत्र में दोनों ने एकदूसरे के प्रति प्रतिबद्धता जताते कुछ दार्शनिक किस्म की बातें भी कहीं (देखें बौक्स) जो जिंदगी और दुनिया से ज्यादा किताबों में अच्छी लगती हैं, मगर यह सब हकीकत में बहुत बेढंगी और कड़वी होती हैं.

प्रिंट और इलैक्ट्रौनिक मीडिया ने तो आमिर के इस आग्रह को मान लिया कि तलाक का मसला चूंकि व्यक्तिगत है, इसलिए बात का बतंगड़ न बनाया जाए. लेकिन सोशल मीडिया ने आमिर पर कोई रहम नहीं दिखाया.

किसी ने यह कहा कि यह आदमी हिंदू लड़कियों से शादी कर उन्हें तलाक दे देता है तो किसी ने उन के इस बयान पर ताना मारा कि अब हिंदुस्तान में डर नहीं लगता क्या. किसी ने इसे लव जिहाद बताया और किसी ने ट्वीट किया कि इन का सही है शादी

करो 2-3 बच्चे पैदा करो और फिर बीवी को छोड़ दो.

इन बातों और भड़ास के कोई तात्कालिक या दीर्घकालिक माने तो नहीं हैं लेकिन आमिर की शादियों और तलाकों में कई समानताएं काफी कुछ सोचने को मजबूर करती हैं.  मसलन हिंदू लड़की से ही प्यार होना, उन के साथ लगभग 15-15 साल गुजारना, दोनों बीवियों को बेइंतहा चाहना और फिर तलाक के साथसाथ मोटी रकम दे देना.

रीना की तरह कहा जा रहा है कि किरण को भी आमिर तगड़ी रकम देंगे या दे चुके हैं. अब आमिर का नाम ‘दंगल’ फिल्म में उन की बेटी गीता फोगाट का रोल कर चुकी फातिमा सना शेख के साथ जुड़ रहा है, जो ‘ठग्स औफ हिंदुस्तान’ फिल्म में भी थी.

अब अंदाजा लगाया जा रहा है कि वे अब तीसरी शादी उस के साथ करेंगे. यानी पहला तलाक दूसरी और दूसरा तीसरी शादी की मंशा से दिया गया माना जाएगा.

क्या आमिर दोषी हैं?

मुमकिन है ऐसा हो क्योंकि फिल्म इंडस्ट्री में कुछ भी मुमकिन है. फातिमा रीना और किरण की तरह गुमनाम सी नहीं है लेकिन आधी हिंदू है, क्योंकि उस के पिता विपिन शर्मा कश्मीरी ब्राह्मण हैं, जबकि मां तबस्सुम मुसलमान हैं.

बिलाशक तलाक एक व्यक्तिगत मामला है, लेकिन आमिर के मामलों के इत्तफाक एकदम नजरंदाज नहीं किए जा सकते. दोनों ही मामलों में तलाक सहमति के आधार पर हुए, जोकि आमतौर पर नहीं होता है.

यदि किरण से उन की पटरी नहीं बैठ रही थी तो दोनों बिना तलाक के भी रह सकते थे, यह बात इस चर्चा को पुख्ता करती है कि आमिर फातिमा से या किसी और से शादी करेंगे, इसलिए तो तलाक की जरूरत पड़ी. 55 की उम्र में 2 तलाक और हुई तो तीसरी शादी एक अस्वाभाविक बात है और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान जैसी है.

देश का कट्टर होता माहौल नुसरत जहां और आमिर खान के तलाक की वजह नहीं ठहराया जा सकता. क्योंकि इन के दांपत्य पर किसी ने पत्थर नहीं फेंका था.

आमिर के बारे में कहा जा सकता है कि कुछ गड़बड़ जरूर है और किरण से भी तलाक भारतीय समाज में औरतों की बदहाली को ही उजागर करता है. क्योंकि दोनों ही तलाकों में पत्नी का कोई दोष या कोई ठोस वजह तलाक की सामने नहीं आई.

भारतीय पत्नी कैसी भी हो, उसे आसानी से प्यार से बहलायाफुसलाया जा सकता है, इमोशनली ब्लैकमेल किया जा सकता है और अलग होने के लिए तगड़ी रकम भी दी जा सकती है. एक छत के नीचे रहते पति उसे उपेक्षित कर के भी सभ्य तरीके से प्रताडि़त कर सकता है.

‘हम पतिपत्नी में  वैचारिक मतभेद हैं और अब हम साथ नहीं रह सकते’, शपथपूर्वक यह कह देने भर से हिंदू मैरिज ऐक्ट की धारा 13 (बी) के तहत तलाक तो तुरंत मिल जाता है, जो एक अच्छी बात है. पर देखा अब यह भी जाना चाहिए कि कहीं इस धारा का भी तो दुरुपयोग नहीं होने लगा.

कहीं आमिर खान जैसे लोग अगली शादी के लिए इसे हथियार की तरह इस्तेमाल तो नहीं करने लगे. चिंता और बहस केवल इसी बात पर होनी चाहिए.

बदहाली तलाक के बाद की

आमिर खान की पहली पत्नी रीना दत्ता की हालत देख कर उन पर हर किसी को भी तरस आता है . वह आधी बूढ़ी लगने लगी हैं. तलाक के बाद मानो उन की सामाजिक जिंदगी ठहर सी गई थी और वक्त काटने वे ट्रेवल एजेंसी में नौकरी भी करते दोनों बच्चों की परवरिश करती रहीं.

इस के उलट आमिर हर स्तर पर सक्रिय रहे और 3 साल बाद ही किरण से शादी कर ली. तलाक के कुछ दिनों बाद तक आमिर रीना की जुदाई का दुखड़ा अपने साक्षात्कारों में ऐसे रोते रहे थे, मानो अब जिंदगी में कोई रंगीनी ही नहीं रही. आखिरकर किरण से शादी कर उन्होंने रंगीनियां फिर आबाद कर लीं.

लेकिन रीना के हिस्से में आई तनहाई की  भरपाई करोड़ों तो क्या, दुनिया की सारी दौलत से भी नहीं हो सकती. यानी तलाक के बाद का दर्द और दुश्वारियां पत्नी के हिस्से में ज्यादा आते हैं फिर चाहे वह किसी सेलिब्रिटी की पत्नी हो आम आदमी की, इस से कोई फर्क नहीं पड़ता.

एक चालाक मर्द की तरह आमिर रीना की जुदाई का रोना रोते मीडिया और प्रशंसकों को यह एहसास कराते रहे कि तलाक रीना की जिद के चलते हुआ और रीना इतने डिप्रेशन में रहीं कि उन्होंने वर्तमान समाज यानी सोशल मीडिया से भी किनारा कर लिया. खुद के प्रति लापरवाह हो चलीं रीना काफी मोटी भी हो गई हैं.

यह कोई नई बात नहीं है फिल्मी और गैरफिल्मी पति भी यही साबित करने की कोशिश करते हैं कि गलत मैं नहीं पत्नी थी.  पत्नियों पर क्या गुजरती है, इस से फिर कोई वास्ता नहीं रखता क्योंकि उसे हर कोई गुनहगार मान चुका होता है.

सैफ अली खान की पहली पत्नी अमृता सिंह तो पूरी टूटीबिखरी और बूढ़ी दिखने लगी हैं. जैसे कभी आमिर रीना पर जान छिड़का करते थे, यही हालत सैफ की थी. जबकि अमृता उम्र में उन से 13 साल बड़ी थीं. कुछ साल ठीकठाक गुजरे, फिर दोनों में अनबन रहने लगी. नतीजतन सैफ ने वही किया जो आमतौर पर मर्द करते हैं. पहली को तलाक दिया और दूसरी से शादी कर ली. उन की दूसरी पत्नी करीना कपूर फिल्म इंडस्ट्री की सब से खूबसूरत अभिनेत्रियों में शुमार होती हैं जो उम्र में एक दशक से भी ज्यादा बड़े पति सैफ के साथ खुश हैं. लेकिन अमृता को अपनी गलती या कमी आज तक समझ नहीं

आ रही.

भारीभरकम एलीमनी से जिंदगी जितने दिन शान से कट सकती थी, कट चुकी. अब हाल यह है कि वे रोजमर्रा की जरूरतों का सामान भी फुटपाथ की दुकानों से खरीदते दिखती हैं.

‘भाग मिल्खा भाग’ से एक्टिंग का लोहा मनवा देने वाले जावेद अख्तर के बेटे फरहान अख्तर ने भी अपनी पत्नी अधुना भामानी को शादी के 17 साल बाद 2017 में तलाक दे दिया था. 4 साल में ही हालत यह हो गई है कि अधुना को कोई भी आसानी से नहीं पहचान पाता कि यह वही सजनेसंवरने की शौकीन महिला है, जिस पर 17 साल पहले नजर ठहर जाए तो हटाए नहीं हटती थी.

उन की आखों के नीचे पड़ रहे काले निशान और गड्ढे उन की तनहाई की दास्तां बयां करते हैं. पेशे से हेयरस्टाइलिस्ट रही संपन्न इंग्लैंड में जन्मी बंगाली परिवार की अनुधा काफी प्रतिभाशाली रही हैं. उन्होंने कई दिग्गज फिल्मी हस्तियों के बाल संवारे हैं, पर अपनी जिंदगी नहीं संवार पाईं. अब मुमकिन है वह अपने बौयफ्रैंड निकोल मोरे से शादी कर लें.

3 शादियां करने वाले संजय दत्त का नाम फिल्म इंडस्ट्री में किसी पहचान का मोहताज नहीं, जिन की दूसरी पत्नी रिया पिल्लई इन दिनों फांके से करती जिंदगी गुजार रही हैं. 1988 में जब इन दोनों की शादी हुई थी, तब संजय के फैंस को लगा था कि अब उन की जिंदगी में स्थिरता आ जाएगी. लेकिन जल्द ही दोनों की अनबन सामने आने लगी.

रिया लग्जरी जिंदगी जीने में यकीन करती थीं. उन के शौक भी महंगे हुआ करते थे, जिन से जिंदगी भर हैरानपरेशान रहे संजय इतनी आजिज आ गए थे कि उन्होंने भारीभरकम रकम दे कर उन से छुटकारा पाने में ही अपनी भलाई समझी. अब अकेली पड़ चुकी रिया के पास कोई झांकने भी नहीं जाता. उन का सारा बैंक बैलेंस खत्म हो चुका है. रिया का तगड़ा अफेयर मशहूर टेनिस खिलाडी लिएंडर पेस से रहा, जिन के साथ लिवइन में रहते उन्होंने पेस को घरेलू हिंसा में फंसाते अदालत के भी चक्कर कटवाए थे.

कभी स्लिमट्रिम दिखने वाली कोमल रेशमिया का है जो काफी मोटी हो गई हैं. उन की शादी मशहूर गायक हिमेश रेशमिया से साल 1995 में हुई थी. तब कोमल महज 21 साल की थीं. तलाक के बाद कोमल ऐसी टूटीं कि उम्र से बहुत ज्यादा बड़ी दिखने लगी हैं. 2017 में तलाक के बाद हिमेश ने अपनी गर्लफ्रैंड टीवी एक्ट्रेस सोनिया कपूर से शादी कर ली, लेकिन कोमल ने ऐसी कोई कोशिश नहीं की और न ही कभी सोनिया को तलाक का जिम्मेदार ठहराया.

यह तलाक भी परस्पर सहमति से हुआ था. जबकि हकीकत में स्टायलिश और रंगीनमिजाज हिमेश कोमल से ऊब चले थे और तलाक के पहले ही सोनिया का उन के घर आनाजाना हर कभी की बात थी. कहते हैं सौत तो पुतले की भी नहीं सुहाती, फिर यहां तो साक्षात थी. लिहाजा खुद पहल करते कोमल ने अदालत में तलाक की अरजी दायर कर दी और हिमेश और सोनिया को कोई दोष नहीं दिया.

ये कुछ और ऐसे कई मामले बताते हैं कि पुरुष प्रधान समाज में तलाक का दंश झेलना अधिकतर पत्नी को ही पड़ता है और बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी भी वही निभाती हैं. गलती किस की कितनी है, यह बात ज्यादा माने नहीं रखती.

इन मामलों में शादी हुए इतना अरसा तो हो गया था कि आपसी समझ और तालमेल कोई बहुत बड़ी परेशानी नहीं कही जा सकती पर बात कुछ और थी जिसे कम से कम शब्दों में समझा जाए तो निचोड़ यही निकलता है कि पति को कहीं और शादी करनी थी.

करोड़ों के तलाक

तलाक के बाद पत्नियों के हिस्से में बतौर परेशानी अकेलापन आता है तो पतियों

को इसका खामियाजा बड़ी रकम की शक्ल में भी उठाना पड़ता है. पत्नी कोई भी हो तलाक के बाद पति से मुआवजे की कानूनन हकदार होती है. जिस की राशि आमतौर पर अदालत तय करती है लेकिन सेलिब्रिटीज के तलाक अकसर परस्पर सहमति पर आधारित होते हैं, जिन में पति पत्नी को भारीभरकम एकमुश्त पैसा देता है. इस राशि को एलिमनी भी कहा जाता है.

आमिर खान ने किरण राव को कितनी एलिमनी दी यह आंकड़ा अभी उपलब्ध नहीं है, क्योंकि मामला अभी ताजाताजा है लेकिन यह अंदाजा जरुर हर कोई लगा रहा है कि यह राशि सौ करोड़ से कम नहीं होगी क्योंकि आमिर ने आज से 18 साल पहले रीना दत्त को 50 करोड़ रुपए दिए थे. अब आज रुपए की कीमत के हिसाब से तो इस का दोगुना होना लाजिमी है. वैसे भी आमिर खान का नाम बड़ा है उन की हैसियत भी किसी सबूत की मोहताज नहीं इसलिए इतना तो वे ‘अफोर्ड’ कर ही सकते हैं और किरण इतना ‘डिजर्व’ भी करती हैं .

फिल्म इंडस्ट्री के चर्चित तलाकों में से एक सैफअली खान और अमृता सिंह का भी है. जो अमृता इन दिनों फुटपाथ से शापिंग करती नजर आती हैं उन्हें बतौर एलिमनी नगदी 5 करोड़ रुपए और खासी जायदाद मिली थी जिस की सैफ के पास कमी नहीं. नबाबी खानदान से ताल्लुक रखने वाले इस छोटे नवाब की पुश्तैनी जायदाद हरियाणा के पाटोदी में भी हैं और भोपाल व मुंबई में भी हैं सैफ बच्चों की देखभाल के लिए भी एक लाख रुपए महीना देते हैं.

सब से महंगे तलाकों में सब से उपर नाम ऋतिक रोशन और सुजैन खान का आता है. सुजैन ने ऋतिक से रिकौर्ड 400 करोड़ रुपए मांगे थे लेकिन मामूली मोल भाव के बाद सौदा 380 करोड़ में तय हुआ था. गौरतलब है कि सुजैन अपने दौर के कामयाब हीरो संजय खान की बेटी और मौजूदा दौर के एक्टर फरदीन खान की बहिन हैं. ऋतिक के पिता राकेश रोशन भी 70-80 के दशक के चर्चित नायक रहे हैं. ये दोनों ही फिल्मी पारिवारिक पृष्ठभूमि से हैं. एलिमनी की तगड़ी राशि से बचने के लिए कह लें या गृहस्थी को बनाये रखने की कोशिश इसे कह लें कि ऋतिक ने सुजैन से सुलह की कोशिश भी की थी लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाए.

आइटम गर्ल मलाईका अरोड़ा ने अपने पति अरबाज खान से 15 करोड़ रुपए लिए थे अरबाज की कमाई के हिसाब से यह राशि ठीकठाक भी लगती है और मलाईका की हैसियत के हिसाब से भी सटीक है. कपूर खानदान की चौथी पीढ़ी की करिश्मा कपूर की फिल्मों से खुद की कमाई ही अरबों में थी लेकिन तलाक के एवज में उन्होंने अपने बिजनेसमेन पति संजय कपूर से 7 करोड़ रुपए वसूल ही लिए थे. दर्जनों सुपरडुपर हिट फिल्में देने वाली करिश्मा ने संजय से साल 2003 में शादी की थी और तलाक 2016 में लिया था. करिश्मा के हिस्से में संजय का पुश्तैनी घर भी आया था. अलावा इस के संजय ने बच्चों के लिए जो 14 करोड़ रुपए के बांड खरीदे थे वे भी उन के हाथ से चले गए.

एलिमनी के मामले सब से फायदे में रीहा पिल्लई रहीं जिन्होंने संजय दत्त से तो भारीभरकम एलिमनी 8 करोड़ रुपए ली ही लेकिन जाते जाते एक मंहगी कार भी ले गईं थीं. संजय दत्त से तलाक के बाद रीहा का लंबा अफेयर टेनिस खिलाडी लिएंडर पेस से चला दोनों कुछ सालों तक लिव इन में रहे भी और एक बेटी के अभिभावक भी बने. इन दोनों की पटरी भी ज्यादा नहीं बैठी और मामला अदालत की चौखट तक जा पहुंचा.  दोनों ने ही एक दूसरे पर धोखा देने का आरोप लगाया था, लेकिन गुजारा भत्ते की राशि इस से अप्रभावित रही थी. टेनिस में दुनियाभर में देश का नाम ऊंचा करने बाले लिएंडर उस समय भौंचक्क रह गए थे जब रीहा ने खुद के गुजारे के लिए हर महीने 4 लाख और बेटी की पढ़ाई के लिए 90 हजार रुपए हर महीने की मांग रख दी थी.

फिल्म निदेशक आदित्य चोपड़ा और उन की बचपन की दोस्त पायल खन्ना में भी शादी के बाद ज्यादा नहीं बनी शादी के महज 8 साल बाद दोनों ने तलाक ले लिया. आदित्य ने पायल को बतौर एलिमनी कितना पैसा दिया इस का खुलासा तो नहीं हुआ लेलिन फिल्मी पंडितों की नजर में यह भी करोड़ों में था. रमलथ के नाम से आप शायद वाकिफ न हों लेकिन प्रभुदेवा का नाम सुनते ही समझ जाएंगे कि यहां उन की पत्नी का जिक्र किया जा रहा है. साउथ के सुपर स्टार्स में शुमार प्रभुदेवा ने रमलथ को कोई 25 करोड़ की जायदाद दी थी इस के आलावा बतौर एलिमनी एक लाख रुपए और 2 महंगी कारें भी उन्हें तलाक के लिए देना पड़ी थीं.

 

रियल लाइफ में तवायफ का किरदार – भाग 3

पुलिस के मुताबिक, ऐश अपने ग्राहकों को खुश करने गई थी और इस गिरोह का हिस्सा थी. सैक्सी ऐश ने बचाव में शाहरुख खान के साथ अपनी कुछ तसवीरें पुलिस को दिखाई थीं, जो जाहिर है एक बचकानी और फिजूल की बात थी.

दरअसल, वह शाहरुख खान के साथ  ‘ओम शांति ओम’ और ‘चलते चलते’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकी थी. इस के अलावा उस ने साउथ की भी कुछ फिल्मों में काम किया है. ‘बूम बूम’ नाम के म्यूजिक वीडियो से भी उस ने धूम मचाई थी.

ऐश ने यह रास्ता परिवार के लिए नहीं, बल्कि जल्द अमीर बनने के चक्कर में चुना था. लेकिन पकडे़ जाने के बाद वह ऐसी गायब हुई कि फिर फिल्मों में नजर नहीं आई. मुमकिन है उस का जमीर उसे कचोटने लगा हो.

ऐश में एक खास बात सैक्सी फिगर के साथसाथ उस के असामान्य उभार हैं जो किसी को भी पागल और मदहोश कर देने के लिए काफी हैं. देह के शौकीनों में उस की डिमांड ज्यादा थी और इस की कीमत वह वसूल भी रही थी.

घर को ही बनाया अड्डा

पर्यटन स्थलों के रिसोर्ट और भव्य होटलों के अलावा कुछ अभिनेत्रियों ने घर से देह व्यापार करना ज्यादा सुरक्षित समझा. इन में एक उल्लेखनीय नाम साउथ की ही भुवनेश्वरी का है, जो अब से 20 साल पहले तक एक उभरता नाम हुआ करता था. अक्तूबर, 2009 में एक छापे में उसे चेन्नई में गिरफ्तार किया गया था.

बोल्ड सीन देने के लिए पहचानी जाने वाली इस खूबसूरत बला और बाला के गिरोह में कई और सी ग्रेड की एक्ट्रैस भी शामिल थीं. भुवनेश्वरी ने टीवी धारावाहिकों से भी नाम कमाया था.  रियल लाइफ में देहव्यापार करने वाली इस एक्ट्रैस ने रील लाइफ में भी वेश्या का किरदार तमिल फिल्म ‘लड़के’ में निभाया था.

अब 46 की हो चुकी भुवनेश्वरी भी गायब है, जिस ने फिल्मों से ज्यादा नाम और दाम वेश्यावृत्ति से कमाया और इसे बेहद सहजता से उस ने लिया और जिया.

दक्षिण भारतीय फिल्मों की वैंप के खिताब से नवाजी गई इस एक्ट्रैस ने कभी दुनिया जहान का लिहाज नहीं किया. उस पर भी कभी देहव्यापार के आरोप अदालत में साबित नहीं हो पाए, लेकिन बदनामी से वह खुद को बचा नहीं पाई.

28 साल की होने जा रही तमिल और तेलुगू फिल्मों की अभिनेत्री श्री दिव्या भी घर से ही सैक्स रैकेट चलाते पकड़ी गई थी.  ‘बीटेक बाबू’ उस के करियर की चर्चित फिल्म थी. महज 3 साल की उम्र से परदे पर पांव रख चुकी इस हौट एक्ट्रैस ने कोई डेढ़ दरजन फिल्मों में काम किया, जिन में से कुछ में उस ने अपने अभिनय की छाप भी छोड़ी.

साल 2014 में पड़े गुंटूर के चर्चित छापे में पकड़ी गई दिव्या को कुदरत ने अजीम खूबसूरती से नवाजा भी है. लेकिन ज्यादा  पैसों के लालच से वह भी नहीं बच सकी.

पतली कमर वाली दिव्या भी गिरोहबद्ध तरीके से जिस्मफरोशी के कारोबार में गले तक डूब चुकी थी. छापे में कई दूसरी मौडल और एक्ट्रैस मय ग्राहकों के पकड़ी गई थीं.

शर्म से दूर शर्लिन चोपड़ा

हैदराबादी गर्ल के नाम से मशहूर हुई शर्लिन चोपड़ा फिल्मों से कम, गरमागरम फोटो सेशन और हर कभी वायरल होते अपने कामुक वीडियोज के चलते ज्यादा जानीपहचानी जाती है. विवादों में रहना उस का खास शगल है. प्लेबौय मैगजीन के लिए नग्न फोटो देने वाली 37 वर्षीया इस एक्ट्रैस ने फिल्मों से ज्यादा गौसिप से अपनी पहचान बनाई.

रूपेश पाल की थ्री डी फिल्म ‘कामसूत्र’ में उस ने उन्मुक्त दृश्य दिए हैं. रियल्टी शो बिग बौस सीजन-3 की प्रतिभागी भी वह रह चुकी है. उस के नाम छोटे बजट की 3 फिल्में ‘टाइम पास’, ‘रेड स्वास्तिक’ और ‘गेम’ ही हैं जो न के बराबर चलीं.

मौडलिंग से अपने करियर की शुरुआत करने वाली शर्लिन कभी देह व्यापार के किसी छापे में तो नहीं पकड़ी गई, बल्कि उस ने खुद ही उजागर किया था कि वह देह व्यापार करती है और पैसों के लिए कई मर्दों के साथ उस ने सैक्स किया है. सुर्खियों में बने रहने को ऐसे कई विवादों से उस ने खुद को जोड़े रखा.

फिल्मकार साजिद खान पर आरोप लगाते हुए उस ने अप्रैल 2015 में कहा था कि एक मुलाकात में साजिद ने पेंट से अपना प्राइवेट पार्ट निकाल कर उसे छूने के लिए कहा था. तब उस ने बिना घबराए साजिद को कहा था कि मैं जानती हूं कि प्राइवेट पार्ट कैसा होता है और उन से मिलने का उस का ऐसा कोई मकसद या इरादा नहीं है.

इस बयान से फिल्म इंडस्ट्री में तहलका मच गया था, जो सच और झूठ की बाउंड्री लाइन पर खड़ा था. यानी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा होना न तो नामुमकिन है और न ही ऐसा होने पर कोई मौडल एक्ट्रैस ऐसी आपबीती इतने खुले लफ्जों में बयां कर सकती है.

नैतिकता तो लोगों की निगाह में यह है कि ऐसा किसी लड़की के साथ हो भी तो उसे खामोश रहना चाहिए. शर्लिन ने दो टूक कहा तो इसे पब्लिसिटी स्टंट कह कर हवा में उड़ा दिया गया.

रियल और रील में फर्क

दरजनों और ऐसी फिल्म एक्ट्रैस हैं, जो देहव्यापार करते पकड़ी गई हैं. दिलचस्प बात यह है कि ये सभी सी ग्रेड की असफल और महत्त्वाकांक्षी युवतियां हैं. लगभग सभी ने रियल लाइफ में यह किरदार निभाया तो इस की वजह साफ है कि पैसा कमाने का इस से बेहतर शार्टकट और कोई है भी नहीं.

लग्जरी जिंदगी जीने की आदी इन नायिकाओं के पास अपने खर्च पूरे करने का कोई दूसरा जरिया होता भी नहीं. परदे पर इन्हें देख चुके शौकीन पैसे वाले भी मुंहमांगे दाम इन्हें देने को तैयार रहते हैं. इन तवायफों को एक रात का अपने नाम, हैसियत और शोहरत के मुताबिक एक से 5 लाख रुपया तक मिलता भी है.

अब तो बी ग्रेड के शहरों में भी इन की मांग बढ़ने लगी है और ये वहां जाती भी हैं. आनेजाने, हवाई जहाज और फाइवस्टार होटलों में ठहरने का खर्च या तो ग्राहक उठाता है या फिर वह दलाल, जो इन के और ग्राहक के बीच कड़ी का काम करता है. ठीक वैसे ही जैसे ‘चेतना’ फिल्म में रेहाना सुलताना के लिए एक दलाल करता था.