संगीता के प्यार की झंकार – भाग 3

अवशिष्ट को जब संगीता के गांव से लौट आने की जानकारी मिली, तब वह भागाभागा उस से मिलने आ गया. उस वक्त घर पर श्रीराम भी था. संगीता ने पति के सामने ही उसे रूखेपन के साथ कहा कि वह श्रीराम के रहने पर ही यहां आए. इस पर श्रीराम और अवशिष्ट चुप रहे. जैसे ही श्रीराम कुछ मिनट के लिए कमरे से बाहर गया अवशिष्ट ने जेब से एक मोबाइल निकाल कर संगीता को पकड़ा दिया. बोला, ‘‘इसे छिपा कर रखना. जब बात करनी हो तो इसी से फोन करना.’’

उस रोज चायनाश्ते के बाद अवशिष्ट चला गया. कुछ दिन बीत गए. इस बीच जब श्रीराम ड्यूटी पर होता था तब वह अवशिष्ट के दिए फोन से बातें करती. अस्पताल में श्रीराम की ड्यूटी शिफ्ट में होती थी. उस रोज उस की ड्यूटी रात को होने वाली थी. अवशिष्ट को इस की सूचना संगीता ने फोन कर दे दी और उसे अपने घर पर बुला लिया.

शाम ढलते ही अवशिष्ट आ गया. उस से काफी देर तक बातें कीं. आगे की योजना बनाई. रात के 8 बजने वाले थे. संगीता ने अवशिष्ट को रात में वहीं रुकने के लिए कहा.

संगीता ने प्रेमी के साथ गटके पैग

अवशिष्ट तुरंत बाजार गया और बच्चों के लिए खानेपीने का कुछ सामान ले आया. साथ में शराब की एक बोतल भी खरीद लाया. पहले भी वह श्रीराम के साथ बैठ कर कई बार शराब की महफिल जमा चुका था.

इस में संगीता भी साथ दिया करती थी. उस रोज भी वह शराब की बोतल देख कर खुश हो गई. काफी दिनों बाद अवशिष्ट के साथ पैग लगाने का मौका जो मिल गया था. वह भी अकेले में. अवशिष्ट ने फटाफट शराब के 2 पैग गटक लिए और कमरे में पड़े बैड पर पसर गया. थोड़ी देर में संगीता प्लेट में कुछ नमकीन ले आई. गिलास खाली देख कर बोली, ‘‘अकेलेअकेले गटक लिए.’’

अवशिष्ट लेटालेटा बोला, ‘‘एक और बना दो.’’

संगीता गिलास में 2 पैग शराब डालने के बाद अपने साथ गिलास में एक पैग बना लिया. गिलास को छोटे टेबल पर रख कर अवशिष्ट को उठने के लिए कहा. अवशिष्ट ने उठने के बजाए अपना हाथ बढ़ा दिया, ‘‘ये लो, खींच कर उठाना जरा.’’

संगीता मुसकराती हुई उस का हाथ खींचने लगी, लेकिन वह अपनी ताकत लगाती कि इस से पहले अवशिष्ट ने उसे ही खींच कर अपने ऊपर गिरा लिया, ‘‘अरे..अरे, यह क्या करते हो…’’ कहती हुई संगीता अवशिष्ट के शरीर पर गिर पड़ी. संगीता उठने का प्रयास करने लगी. हालांकि अवशिष्ट की मदद से ही वह उठ पाई और अपने अस्तव्यस्त कपड़े को संभालने लगी.

इस क्रम में अवशिष्ट की निगाह उस की मांसल शरीर पर गई. एक नजर उस ने उभार पर भी डाली और दूसरी नजर उस की शरमाई हुई आंखों पर. संगीता ने चुपचाप शराब का गिलास उसे पकड़ा दिया.

‘‘अपना गिलास तो उठाओ. चीयर्स करते हैं,’’ अवशिष्ट बोला. झेंपती हुई संगीता ने अपना गिलास उठा लिया और चीयर्स करने के बाद उन्होंने अपनेअपने गिलास को एक साथ होंठों से लगा लिया.

उस के बाद संगीता ने 3 और पैग बनाए. उन्होंने नमकीन खाई. चीयर्स किया फिर पैग दर पैग गटकते रहे. अवशिष्ट पर शराब का नशा छाने लगा था, जबकि संगीता पर शराब के साथसाथ यौवन का नशा भी छा चुका था. दोनों कब दो जिस्म एक जान हो गए, पता ही नहीं चला.

आधी रात को जब संगीता को होश आया तब उस ने खुद को अवशिष्ट की बलिष्ठ बाहों में पाया. लंबे अरसे के बाद उस ने अपनी कामुकता को इतना शांत महसूस किया था. अवशिष्ट की भी आंखें खुल चुकी थीं. उसे भी संगीता के समर्पण को ले कर आश्चर्य हुआ.

दोनों एकदूसरे से अलग हुए. अपनेअपने कपड़े पहने और बैठ कर इधरउधर की बातें करने लगे. संगीता ने पति को ले कर आशंका जताई. चिंतित हो कर बोली, ‘‘हमारे संबंध के बारे में श्रीराम को नहीं मालूम पड़ना चाहिए, वरना वह हमें कहीं का नहीं छोड़ेगा.’’

‘‘उसे कैसे मालूम होगा?’’ अवशिष्ट बोला.

हालांकि सवाल तो दोनों के मन में था कि वे श्रीराम की नजरों से बचते हुए इस नए रिश्ते को कायम कैसे रखें. इस का हल संगीता ने ही निकाला कि वे चोरीछिपे मिलेंगे. उसे छिपा कर फोन पर बातें होंगी.

वे बातों में इतने खो गए कि उन्हें पता ही नहीं चला सुबह के 4 बजने वाले हैं. वे अपने संबंधों के आड़े आने वाली समस्या का समाधान निकालने लगे थे, तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आई.

संगीता ने ‘कौन है’ पूछा तो बाहर से श्रीराम की आवाज आई. उस ने भाग कर शराब की बोतल, नमकीन के प्लेट, गिलास आदि हटा कर बिस्तर ठीक किया और दरवाजा खोला. अवशिष्ट श्रीराम को आया देख कर सकपका गया. श्रीराम भी उसे घर में देख कर पूछ बैठा, ‘‘तुम यहां? रात को यहीं थे?’’

‘‘अरे, नहीं. मैं तो अभीअभी आया हूं. तुम्हारे बारे में पूछ ही रहा था. असल में मेरी गाड़ी चौराहे के पास ही खराब हो गई थी. मैं ने सोचा कि तुम से किसी मैकेनिक की मदद मिल जाएगी. यहां तुम्हारी जानपहचान का कोई मैकेनिक होगा ही, इसलिए आ गया.’’ अवशिष्ट ने रुकरुक कर अपनी बात पूरी की.

संगीता आश्चर्य से उस का चेहरा देखने लगी. श्रीराम बोला, ‘‘अभी तो नहीं, सुबह 9 बजे के करीब ही मैकेनिक मिल पाएगा. तब तक तुम यहीं रुक जाओ.’’

‘‘नहींनहीं, मैं टैंपो से घर चला जाता हूं, सुबह तो होने वाली ही है.’’ कहता हुआ अवशिष्ट चला गया. उस के जाने के बाद श्रीराम ने गुस्से में संगीता से पूछा, ‘‘सचसच बताओ, वह यहां कब आया था? संगीता ने हाथ जोड़ लिए. माफी मांगते हुए बोली, ‘‘उस ने जो बताया सही था. मेरा उस के साथ कोई नाजायज संबंध नहीं है, जैसा तुम समझ रहे हो.’’

उस वक्त तो श्रीराम और ज्यादा कुछ नहीं बोला. सिर्फ हिदायत दी कि आगे से वह उसे अवशिष्ट के साथ देखना नहीं चाहता है.

पति से दूरियां, प्रेमी से नजदीकियां

उस के बाद अवशिष्ट कुल 2 महीने तक श्रीराम की नजरों से छिपा रहा, लेकिन संगीता से उस का मिलना बंद नहीं हुआ. वह श्रीराम के नहीं रहने पर अवशिष्ट को बुला लेती थी. इस तरह से उन के बीच नाजायज रिश्ते की रेल चलती रही. पति की नजरों में अच्छी बनी रहने के लिए वह उस की हर बात मान लेती थी.

इस की जानकारी श्रीराम को भी हो गई थी, लेकिन अपनी बदनामी के डर से चुप लगाए हुए था. धीरधीरे उस ने संगीता को सही रास्ते पर लाने की काफी कोशिशें कीं, मगर संगीता पर तो इश्क का भूत और जिस्म का नशा सवार था.

जब कभी पति शारीरिक संबंध के लिए कहता तो सिरदर्द का बहाना बना लेती थी. जबकि वह प्रेमी संग गुलछर्रे उड़ाया करती थी. शर्मसार श्रीराम उन के बीच के रिश्ते को रोक पाने में असफल था. वह विवश भी था. धीरेधीरे अवशिष्ट पहले की तरह बेधड़क संगीता के पास आनेजाने लगा.

फिर से अवशिष्ट को ले कर घर में श्रीराम और संगीता के बीच कलह होने लगी. एक दिन श्रीराम दोपहर के समय घर पहुंचा, तो संगीता को आधेअधूरे कपड़े में पाया. उस वक्त अवशिष्ट भी मौजूद था. उस ने उसे  काफी भलाबुरा कहा. उस के जाने के बाद संगीता को भी समझाया.

घर में रोजरोज के कलह से बचने के लिए संगीता जरूरी काम का बहाना बना कर मायके चली गई. मायके वालों को जब संगीता के अवैध रिश्ते के बारे में जानकारी मिली, तब उन्होंने भी उसे समझाने की कोशिश की. फिर वह मायके से वापस आ गई. लखनऊ आते ही उस का पुराना खेल फिर शुरू हो गया.

अगली बार जब संगीता और अवशिष्ट मिले, तब उन्होंने अपने भविष्य की योजना बनाई कि कैसे श्रीराम से छुटकारा पाया जाए. संगीता ने कहा कि श्रीराम के रहते एक साथ बगैर रोकटोक के सुखशांति से जीवन गुजारना मुश्किल है. अवशिष्ट ने जब पूछा कि क्या किया जाना चाहिए, तब संगीता ने 2 प्रस्ताव रखे कि कहीं भाग चलें या फिर श्रीराम को रास्ते से हटाने का वही कोई तरीका बताए. दोनों की किसी भी बात पर रजामंदी नहीं बनी.

अवशिष्ट ने संगीता को सपने दिखाते हुए कहा कि वह उस के कहने पर श्रीराम को हमेशा के लिए रास्ते से हटा देगा. इस से उस के जीवन भर के लिए कांटा तो दूर हो जाएगा. साथ ही उस के मरने के बाद मकान, प्लौट, धन उस के नाम हो जाएगा. यहां तक कि अनुकंपा पर उसे नौकरी भी मिल जाएगी. इस तरह से वह श्रीराम की सारी संपत्ति की वारिस बन जाएगी.

यह प्रस्ताव संगीता को अच्छा लगा. जबकि सच तो यह भी था कि इस से अवशिष्ट को भी फायदा होने वाला था. वह चाहता था कि श्रीराम की मौत के बाद उस से शादी कर लेगा और फिर उस की संपत्ति का हकदार भी बन जाएगा.

भाड़े के हत्यारों को किया शामिल

संगीता के हामी भरने के बाद योजना बनाई गई. इस में संतोष और सुशील को पैसे का लालच दे कर योजना में शामिल किया गया. दोनों राजकीय पौलीटेक्निक के जहांगीराबाद कैंपस के तालाब से मछली का कारोबार करते थे.

श्रीराम अपनी कार बेचना चाहता था. यह बात उस ने अवशिष्ट को भी बता दी थी. तय कार्यक्रम के अनुसार 18 दिसंबर, 2021 की शाम राम मनोहर लोहिया मैडिकल संस्थान से अवशिष्ट ने श्रीराम से कहा कि कार खरीदने के लिए 2 युवक मैडिकल संस्थान में आए हैं. वे कार की टेस्ट ड्राइव करना चाहते हैं. उन के साथ उन के परिवार की एक महिला भी है.

वे युवक कोई और नहीं बल्कि अवशिष्ट द्वारा भेजे गए भाड़े के बदमाश सुशील और संतोष थे जो कुंती नाम की महिला को इसलिए अपने साथ लाए थे ताकि श्रीराम को उन पर शक न हो. टेस्ट ड्राइव के बहाने दोनों युवक श्रीराम को कार में बिठा कर फैजाबाद रोड पर ले गए इस के बाद वे किसान पथ से कार को इंदिरा नगर की ओर ले गए. वहां एक सुनसान जगह पर कार रोक दी.

अवशिष्ट अपनी कार से उन के पीछेपीछे चल रहा था. उस के साथ प्रेमिका संगीता थी. सुनसान जगह पर श्रीराम को कार से उतारने के बाद सुशील ने तमंचे से श्रीराम पर फायर झोंक दिया. लेकिन फायर मिस हो जाने के कारण अवशिष्ट के दिए हुए पिस्टल से श्रीराम को गोली दाग दी. उस की घटनास्थल पर ही मौत हो गई.

उन्होंने शव को इंदिरा नहर में फेंक दिया. तीनों उस की कार को लखनऊ हाईवे से लिंक रोड पर करौली के पास छोड़ कर चले गए, जिसे बाद में पुलिस ने बरामद किया. अवशिष्ट ने भी अपनी कार दूसरी जगह ले जा कर खड़ी कर दी. वह कार भी 24 दिसंबर, 2021 को पुलिस ने बरामद कर ली थी. उसी कार कार से मिले कुछ दस्तावेजों के आधार पर संगीता और अवशिष्ट कुमार की गिरफ्तारी हो पाई. उन्होंने श्रीराम हत्याकांड में संतोष, सुशील और कुंती का नाम लिया, जिन की भी अगले दिन गिरफ्तारी हो गई.

इस पूरे मामले को निपटाने में एसआई उदयराज निषाद, अतिरिक्त क्राइम ब्रांच इंसपेक्टर विनोद यादव और पवन सिंह समेत महिला एसआई दीपिका सिंह व सिपाही पूजा देवी की सराहनीय भूमिका रही.

पुलिस सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी थी. कथा संकलन तक श्रीराम की लाश बरामद नहीं हो पाई थी.

ज्योति ने बुझाई पति की जीवन ज्योति – भाग 3

प्रदीप चौरिहा सरकारी नौकरी में था. घर में किसी चीज की कमी भी न थी. सब कुछ ठीकठाक था. इस के बावजूद ज्योति को यह बात हमेशा सालती रहती थी कि उस का पति उम्र में उस से बड़ा है. यही टीस कभी दर्द बन जाती तो पतिपत्नी में झगड़ा हो जाता. हालांकि लड़ाईझगड़ा प्रदीप को पसंद न था, लेकिन वह मजबूर था.

प्रदीप शराब का भी लती था. शराब पी कर घर आना फिर बकवास करना ज्योति को कतई पसंद न था. इस बात को ले कर भी दोनों में कलह होती थी. लड़ाईझगड़ा बढ़ता गया तो उन के संबंधों में दरार आने लगी. ज्योति को मोबाइल का शौक था. वह अकसर फेसबुक खोल कर चैटिंग करने बैठ जाती. रात में घर के सारे काम निपटा कर ज्योति चैटिंग करने बैठती तो दूसरी ओर संजय सिंह औनलाइन मिलता, जैसे वह पहले से ज्योति का इंतजार कर रहा होता.

ज्योति से चैटिंग करने में संजय सिंह को भी बड़ा मजा आता था. ज्योति की प्यार भरी बातों से संजय की दिन भर की थकान दूर हो जाती थी. ज्योति से चैटिंग कर के वह तरोताजा महसूस करता था. चैटिंग द्वारा ज्योति और संजय एकदूसरे से घुलमिल गए थे.

एक दिन संजय ज्योति से चैटिंग कर रहा था, तभी उस के मोबाइल की घंटी बजी. उस ने पूछा, “हैलो, कौन?”

“हैलो संजय, मैं ज्योति बोल रही हूं. वही ज्योति जिस से आप चैट कर रहे हो.”

“अरे ज्योतिजी आप, आप को मेरा नंबर कहां से मिल गया?” संजय ने खुश होते हुए पूछा.

“लगन सच्ची हो और दिल में प्यार हो तो सब कुछ मिल जाता है. नंबर क्या चीज है?” ज्योति ने कहा.

ज्योति की आवाज में मिठास थी. उस से बातें करते हुए संजय को बहुत अच्छा लग रहा था. इसलिए उस ने चौटिंग बंद कर के पूछा, “ज्योतिजी, आप रहती कहां हैं?”

“अतर्रा कस्बे के नरैनी रोड पर राजेंद्र नगर मोहल्ले में. मेरे पति प्रदीप चौरिहा हिंदू इंटर कालेज में लिपिक हैं. पति के साथ ही मैं रहती हूं. और आप?”

“मैं बांदा शहर के शुकुल कुआं मोहल्ले में अपने मातापिता के साथ रहता हूं. मैं प्राइवेट जाब करता हूं. जाब के सिलसिले में कभीकभी दिल्ली भी जाना पड़ता है.”

फेसबुक फ्रैंड से बन गए प्रेमी

दोनों के बीच बातचीत हुई तो दोनों के दिल एकदूसरे के लिए धडक़ने लगे. अब उन की रोज मोबाइल फोन पर बात होने लगी. कभी ज्योति संजय सिंह को फोन करती तो कभी संजय ज्योति को. उन के बीच अब रसभरी बातें होने लगीं. हंसीठिठोली भी होने लगी. उन के बीच प्रेम संबंध हो गए. उन्माद की तरंगें दोनों तरफ से उठने लगीं तो दोनों मिलने को उत्सुक हो उठे.

एक रोज फोन पर बतियाते समय संजय सिंह ने आमनेसामने मिलने की इच्छा जताई. ज्योति ने पहले तो आनाकानी की, फिर मिलने को राजी हो गई. दोनों ने दिन, तारीख व समय भी निश्चित कर लिया. पहचान के लिए उन्होंने अपने पहनावे की भी जानकारी एकदूसरे को दे दी.

निश्चित दिन तारीख पर संजय सिंह अतर्रा कस्बा स्थित एक रेस्तरां में आ गया. वहां से उस ने ज्योति को फोन किया तो ज्योति भी कुछ देर बाद रेस्तरां आ गई. पहनावे से दोनों ने एकदूसरे को पहचान लिया. खूबसूरत ज्योति को संजय सिंह ने देखा तो पहली ही नजर में वह उस के दिल में रचबस गई.

ज्योति भी हैंडसम संजय सिंह को देख कर खुश हुई. उस रोज संजय व ज्योति के बीच खूब प्यार भरी बातें हुईं. ज्योति ने संजय को अपना घर भी दिखा दिया लेकिन सचेत किया कि वह घर तभी आए, जब वह फोन कर बुलाए. इस के बाद संजय व ज्योति की मोहब्बत दिनप्रतिदिन बढऩे लगी.

एक रोज ज्योति का पति प्रदीप कालेज के काम से प्रयागराज गया तो ज्योति ने संजय को अपने घर बुला लिया. उस रोज न संजय अपने पर काबू रख सका और न ही ज्योति. दोनों सारी मर्यादाएं तोड़ कर एकदूसरे में समा गए. संजय जहां जवानी में होश खो बैठा, वहीं ज्योति भूल गई कि वह ब्याहता है. उसे न तो बच्चों के भविष्य की चिंता हुई और न पति के साथ विश्वासघात की.

प्रेमी को घर पर ही बुलाने लगी ज्योति

अवैध संबंधों का सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो फिर बढ़ता ही गया. प्रदीप जिस दिन कस्बे से बाहर जाता, उस दिन ज्योति आशिक संजय को घर बुला लेती और उस के साथ खूब रंगरलियां मनाती. संजय जब भी आता, ज्योति मकान के पिछले हिस्से का दरवाजा खोल देती और फिर उसी दरवाजे से बाहर भेज देती. वह ऐसा इसलिए करती, जिस से किसी को उस के आने की खबर न हो.

दरअसल, मकान का मेन गेट सडक़ की ओर था, जिस से चहलपहल रहती थी जबकि पीछे का दरवाजा सुनसान रहता था. ज्योति मकान के प्रथम तल पर रहती थी, जबकि भूतल पर किराएदार राखी राठी रहती थी. वही मेन गेट खोलती व बंद करती थी. ज्योति की सास निर्मला छोटे बेटे के साथ अलग मकान में रहती थीं. गरममिजाज के कारण उस की ज्योति से नहीं पटती थी.

ज्योति बड़ी सावधानी से अपने आशिक से मिलन करती थी. इस के बावजूद एक रोज उस का भांडा फूट गया. उस रोज घर के पिछले दरवाजे से किसी युवक को घर से बाहर निकलते समय सास निर्मला ने देखा तो उन का माथा ठनका. वह जान गई कि बहू कुलच्छिनी है. उन्होंने ज्योति से तो कुछ नहीं कहा, लेकिन प्रदीप से शिकायत कर दी. इस पर प्रदीप ने ज्योति से सवालजवाब किया और पिटाई भी कर दी.

पति की पिटाई ने आग में घी डालने जैसा काम किया. वह प्रदीप को नापसंद तो पहले से करती थी, अब उस ने उसे पूरी तरह दिल से निकाल कर प्रेमी संजय को दिल में बसा लिया. इधर ज्योति की निगरानी के लिए प्रदीप ने घर में सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए और अपने मोबाइल से कनेक्ट कर लिए, ताकि वह पत्नी की गतिविधियों पर नजर रख सके.

                                                                                                                                              क्रमशः

संगीता के प्यार की झंकार – भाग 2

अवशिष्ट जब श्रीराम के घर गया, तब उन्होंने उस की खूब खातिरदारी की, जिस से उन के बीच का आत्मीय संबंध और गहरा हो गया. फिर तो अवशिष्ट का श्रीराम के घर अकसर आनाजाना भी होने लगा. वह श्रीराम और संगीता के कागजी काम में मदद कर दिया करता था. जैसे बैंक, मोबाइल, बिजली बिल, गैस आदि के काम में पतिपत्नी दोनों अवशिष्ट की मदद लिया करते थे. इसलिए जरूरत पड़ने पर श्रीराम या संगीता उसे गाहेबगाहे फोन कर बुला लिया करते थे.

ऐसे में कई बार अवशिष्ट को संगीता के साथ अकेले में समय गुजारने का भी मौका मिल जाता था. जल्द ही दोनों आपस में काफी घुलमिल गए थे. संगीता को अवशिष्ट की अदाएं, बातचीत करने का अंदाज, पहनावा, बोलचाल व बर्ताव काफी अच्छा लगता था. अवशिष्ट को भी संगीता एक सभ्य महिला की तरह लगती थी, जबकि वह बहुत कम पढ़ीलिखी थी.

संगीता जब कभी अवशिष्ट की तुलना पति श्रीराम से करती तब अवशिष्ट के मुकाबले पति बेवकूफ नजर आता था. संयोग से वह श्रीराम से अच्छे ऊंचे पद पर सरकारी नौकरी में था. फिर क्या था, दोनों को जब कभी मौका मिलता वे साथसाथ खरीदारी करने या यूं ही सैरसपाटे के लिए निकल जाते थे. वे आपस में काफी खुल गए थे. उन के बीच हंसीमजाक भी होने लगा था. संगीता को वह कई बार गिफ्ट भी दे चुका था.

श्रीराम इन सब से अनजान बना रहा. सच तो यह था कि संगीता को अवशिष्ट काफी पसंद आने लगा था. जब कभी वह घर नहीं आता था, तब संगीता उसे किसी काम के लिए श्रीराम से फोन करवा कर बुला लेती थी. इधर दोनों की मुलाकातों का सिलसिला बढ़ने लगा, उधर श्रीराम की संगीता के साथ तूतूमैंमैं होने लगी. फिर भी संगीता की लव स्टोरी परवान चढ़ रही थी.

कहने को संगीता 3 बच्चों की मां बन चुकी थी. उम्र भी 40 के करीब पहुंच चुकी थी, लेकिन वह यौवन के चरम पर थी. उस की जरूरतों को पूरी करने में श्रीराम असमर्थ था. वह घरेलू जरूरतों की पूर्ति में लगा रहता था. वह न तो संगीता की भावनाओं का खयाल रख पाता था और न ही उसे यौनसुख ही दे पाता था.

प्रेमी की मर्दानगी की कायल हो गई थी संगीता

संगीता की स्थिति एक जल बिन प्यासी मछली जैसी हो गई थी. ऐसे में वह अवशिष्ट का साथ पा कर कुछ पल के लिए सुखद एहसास का अनुभव करती थी. वह उस से एक दिन भी मिले बगैर नहीं रह पाती थी. श्रीराम को इस बात का एहसास होने लगा था कि संगीता का लगाव अवशिष्ट के प्रति कुछ अधिक ही हो गया है. वह उसे एक भरपूर मर्द के नजरिए से देखने लगी है.

सच तो यह भी था कि संगीता श्रीराम की उपेक्षा कर उसे कमजोर मर्द का ताना भी कसने लगी थी, जबकि उसे संगीता की यह हरकत बुरी लगने लगी थी. वह नहीं चाहता था कि संगीता उस के दोस्त के साथ मेलजोल रखे. पानी उस के सिर के ऊपर से बहने लगा था.

श्रीराम को संगीता का अवशिष्ट के साथ मिलनाजुलना अखरने लगा था. यह देख कर श्रीराम संगीता पर अंकुश लगाने लगा. बातबात पर टोकने लगा. जब उस से बात नहीं बनी, तब उस ने इस बारे में अवशिष्ट से भी बात की. उस से कहा, ‘‘यार, तुम्हारी मेरी दोस्ती है. मैं चाहता हूं कि वह हमेशा बनी रहे, लेकिन तुम्हारी खातिर मेरा पत्नी के साथ झगड़ा होता रहता है. इसलिए तुम उस से नहीं मिलो तो अच्छा होगा… उस से फोन पर बातें भी मत किया करो… ’’

इस पर अवशिष्ट ने उसे खरा सा जवाब दिया, ‘‘इस में मेरी क्या गलती है. तुम अपनी पत्नी संगीता पर क्यों नहीं अंकुश लगाते हो. उसे क्यों नहीं समझाते हो. वही मुझे फोन कर बुलाती रहती है.’’

श्रीराम को अवशिष्ट की बात बुरी लगी. वह समझ गया कि उसे संगीता पर ही किसी तरह से अंकुश लगाना होगा. उसे अवशिष्ट से दूर करना होगा.

वैवाहिक जीवन और नाजायज रिश्ता

इस के लिए उस ने एक तरीका निकाला और संगीता को उस के मायके कंचनपुर भेज दिया, लेकिन संगीता भी कहां मानने वाली थी. वह तो अवशिष्ट को दिल से चाहती थी. उस के खयालों में खोई रहती थी. दिल में उस के प्रति प्यार का तूफान उठ चुका था. शरीर में यौनांनद की काल्पनिक अनुभूति के गुबार उठते रहते थे. उसे मिले बगैर रह ही नहीं सकती थी.

दूसरी तरफ अवशिष्ट की भी कुछ ऐसी ही स्थिति बनी हुई थी. संगीता के रूपयौवन से वह भी काफी प्रभावित था. जब कभी सजीसंवरी संगीता के मांसल शरीर के साथ कमसिन अल्हड़ जैसी हरकतें देखता था, तब उसे के कुंवारेपन में एक टीस की अनुभूति होती थी. यही कारण था कि वह उस के एक बुलावे पर दौड़ादौड़ा मिलने चला आता था.

श्रीराम यादव का विवाह संगीता के साथ 1996 में सामाजिक रीतिरिवाज के अनुसार हुआ था. तब से वह उस के साथ लखनऊ में ही रह रही थी. विवाह होने के कई सालों बाद गांव गई थी. वहां उस का मन नहीं लगा. 2 सप्ताह में ही वह अपने पति के पास आ गई. आते ही उस ने पति से माफी मांगते हुए कहा कि वह उस का हर कहा मानेगी.

नई नवेली दीपा ने सौतेले बेटे संग रची साजिश – भाग 1

मुरादाबाद हो कर दिल्ली जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-24 से करीब डेढ़ किलोमीटर अंदर कांठ तहसील स्थित खुशहालपुर की बैंक कालोनी में 5 मई की रात 11 बजे के बाद चहलपहल कम हो गई थी. इक्कादुक्का लोगों का ही आवागमन था. इस संभ्रांतकालोनी में ज्यादातर सरकारी कर्मचारियों और रिटायर्ड लोगों के मकान हैं. उन्हीं में एसडीएम के ड्राइवर जयदेव सिंह का भी 2 मंजिला मकान है.

इस कालोनी में सुरक्षा के लिए सभी जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, यहां तक कि लोगों ने अपनेअपने घरों में भी सीसीटीवी कैमरे लगा रखे हैं और उसे मोबाइल से कनेक्ट कर रखा है. उस के जरिए दूर रह कर भी लोग अपनेअपने घरों पर नजर रखते हैं. फिर भी रात के वक्त कालोनी की चौकसी गार्ड को सौंपी हुई है.

5 मई की रात को 12 बजे के करीब कालोनी में गश्त लगाता हुआ सुरक्षा गार्ड जब जयदेव सिंह के मकान के आगे से गुजरा तब मेन गेट खुला देख कर भुनभुनाने लगा, “लोग कितने बेफिक्र हो गए हैं, सीसीटीवी कैमरा लगा लेने का मतलब यह तो नहीं कि घर का मेन गेट ही खुला छोड़ दो.”

इसी के साथ उस ने लोहे के गेट को 3-4 बार डंडे से पीटा. आवाज लगाई, “अरे कोई है घर में? मेन गेट अंदर से बंद कर लो, रात हो चुकी है.”

यह कहता हुआ गार्ड थोड़ी देर वहीं रुका रहा. भीतर से जब कोई आवाज नहीं आई, तब उस ने दोबारा गेट पर 3-4 बार डंडे मारे. पहले से तेज आवाज सुन कर थोड़ी दूरी पर लेटा कुत्ता भौंकने लगा.

“तू क्यों भौंक रहा है?” गार्ड उस की ओर मुंह कर वहीं जमीन पर डंडा पीटता हुआ बोला.

इसी बीच जयदेव सिंह के मकान के भीतर से आवाज आई, “आती हूं… क्या बताऊं, मैं आज गेट बंद करना ही भूल गई थी.”

कुछ सेकेंड में गेट बंद करने आई युवती को गार्ड ने हिदायत दी, “आप यहां नईनई आई हो… गेट अंदर से हमेशा बंद रखा करो… आवारा कुत्ते भीतर घर में भी घुस जाते हैं.”

“जी गार्ड अंकल,” कहती हुई युवती ने भीतर से मेन गेट की सांकल लगा ली और घर के भीतर चली गई. युवती जयदेव सिंह की दूसरी पत्नी दीपा थी, जो पिछले साल उस की पहली पत्नी के हार्ट अटैक से मृत्यु के बाद ब्याह कर आई थी.

घर में जयदेव सिंह के 3 बच्चे भी हैं, लेकिन उन में 17 साल का बड़ा बेटा हरनाम सिंह साथ में नहीं रहता था. वह पढ़ाई के सिलसिले में रुद्रपुर में अपने बड़े चाचा कृष्णपाल के साथ रहता है. पिता से उस की नहीं बनती थी, लेकिन बीचबीच में घर आताजाता रहता है. 2 बच्चों बेटा हरमिंदर व बेटी जासमीन और पति के साथ दीपा घर में रहती थी. वह एक हाउसवाइफ है.

जयदेव सिंह के मकान का गेट बंद हो जाने के बाद गार्ड कालोनी में दूसरे मकानों की निगरानी के लिए आगे बढ़ गया. चहलकदमी करता हुआ वह बीचबीच में जमीन पर डंडे भी पीट देता था. अभी कुछ दूर ही गया होगा कि जयदेव सिंह के मकान से चीखपुकार की आवाजें आने लगीं…

जयदेव का हो गया मर्डर

“मार डाला… मार डाला, मेरे पति को मार डाला… कोई बचाओ! जल्दी अस्पताल ले चलो…” चीखनेचिल्लाने की यह आवाज दीपा की थी. वह चीखती हुई बेतहाशा अपने घर से बाहर सडक़ पर आ चुकी थी. तब तक गार्ड भी उस के पास पहुंच गया था.  पूछने लगा,

“क्या हुआ? किसे मारा? किस ने मारा… ड्राइवर साहब को क्या हुआ?”

शोरगुल सुन कर जयदेव सिंह के दोनों बच्चे भी पहली मंजिल से नीचे भागेभागे आए. आसपास के घरों के कुछ लोग भी निकल आए. दीपा रोती हुई बोली कि किसी ने उस के पति को मार डाला है और वह अपने कमरे में बैड पर बुरी तरह से घायल पड़ा है. कुछ लोग कमरे में गए. वहां जयदेव सिंह खून से लथपथ बेजान पड़ा था.

गार्ड उस की नाक के आगे हथेली ले गया. उस के सांस की गति चैक की. किसी से कुछ बोले बगैर उस ने मझोला थाने में फोन कर इस वारदात की सूचना पुलिस को दे दी. गार्ड के चेहरे के भाव से वहां मौजूद लोग समझ गए कि जयदेव की मौत हो चुकी है.

घर मे कोहराम मच गया. बच्चे और दीपा का रोरो कर बुरा हाल था. उस की एक साल पहले ही शादी हुई थी. दीपा की हालत विक्षिप्तों जैसी हो गई थी. बच्चे उसे पकड़ कर रो रहे थे. गमगीन माहौल को देख कर उपस्थित हर कोई हैरान था. वे स्तब्ध हो गए थे. कुछ लोग भावुकता से दीपा और बच्चों को सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे.

जयदेव सिंह के मर्डर की सूचना पा कर मझोला थाने के एसएचओ विप्लव शर्मा कुछ मिनटों में ही घटनास्थल पर पहुंच गए थे. जांचपड़ताल शुरू करने से पहले उन्होंने घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. सूचना मिलते ही मुरादाबाद के एसएसपी हेमराज मीणा, एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया, सीओ (सिविल लाइंस) भी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया.

घटना की जानकारी पाते ही जयदेव का बड़ा बेटा हरनाम सिंह भी रुद्रपुर से घर आ गया. हरनाम सिंह रुद्रपुर में अपने बड़े चाचा कृष्णपाल सिंह के पास रहता था. वह भी भतीजे के साथ आए. उन्होंने ही अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करवा दिया. पुलिस जांच टीम के साथ आई फोरैंसिक टीम ने भी जयदेव को मृत घोषित कर दिया और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

सीसीटीवी कैमरे मिले बंद

मुरादाबाद के एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया को एसडीएम के ड्राइवर की हत्या के इस केस का जल्द से जल्द खुलासा करने के निर्देश जारी किए. जांच की जिम्मेदारी एसएसपी हेमराज मीणा ने उन्हें दी. उन्होंने जांच के शुरुआती दौर में ही अनुमान लगा लिया था कि जयदेव हत्याकांड का राज घर में है. घर के सदस्यों से गहन पूछताछ कर के सफलता मिल सकती है.

अखिलेश भदौरिया ने अपने नेतृत्व में एक टीम का गठन किया, जिस में एसएचओ विप्लव शर्मा और सीओ (सिविल लाइंस) समेत अर्पित कपूर आदि को शामिल किया गया. पूछताछ की शुरुआत जयदेव सिंह की पत्नी दीपा से हुई. इसी बीच पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई.

रिपोर्ट के अनुसार सोते हुए में जयदेव के सिर पर किसी भारी वस्तु से हमला किया जाना बताया गया. हमले से ही जयदेव के सिर की हड्ïडी टूट गई थी. सिर से काफी मात्रा में खून बह गया था, जिस कारण जयदेव सिंह की दम घुटने से मौत हो गई थी.

भदौरिया ने दीपा से पहला सवाल यही किया कि जयदेव की किसी के साथ दुश्मनी तो नहीं थी? इस के जवाब में दीपा ने जयदेव के भाइयों का नाम लिया. साथ ही बताया कि उन से पति का जमीन को ले कर विवाद चल रहा है. पति की महंगी जमीन हड़पना चाहते हैं. एक तरह से दीपा ने जयदेव की हत्या का आरोप सीधे जयदेव के भाइयों पर ही मढ़ दिया. इसी के साथ दीपा ने पासपड़ोस या उन के जानपहचान वालों में किसी से कोई दुश्मनी नहीं होने का दावा किया.

पूछताछ के बाद जांच की अगली कड़ी सीसीटीवी कैमरे की थी. जांच टीम ने घर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकलवाई. जांच टीम तब चौंक गई, जब पाया कि घटना वाले दिन घर में लगे सीसीटीवी कैमरे 5 मई, 2023 की शाम 8 बजे से ही बंद थे. उस दिन जयदेव शाम 6 बजे ही अपने घर आ गया था. दीपा के मुताबिक वह खाना खा कर सो गया था. कैमरे अगले रोज 6 मई की सुबह खुले. हत्याकांड के जांच की सूई घटना के समय बंद कैमरे के कारण और समय पर अटक गई.

                                                                                                                                 क्रमशः

ज्योति ने बुझाई पति की जीवन ज्योति – भाग 2

संदीप चौरिहा संदेह के घेरे में आया तो पुलिस टीम ने उसे हिरासत में ले कर कड़ाई से पूछताछ की. लेकिन संदीप ने भाई की हत्या से साफ इंकार कर दिया. उस ने बताया कि भाई की हत्या में ज्योति भाभी का ही हाथ है. भाभी का चरित्र पाकसाफ नहीं है.

भाभी से मिलने कोई युवक आता था. भाभी उस के साथ घूमने भी जाती थी. उस युवक को ले कर भैयाभाभी के बीच झगड़ा भी होता था. संदीप ने कहा कि सुरागसी के लिए भैया ने कमरे के अंदरबाहर सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए थे और अपने मोबाइल फोन से कनेक्ट करा लिए थे ताकि वह भाभी की गतिविधियों पर नजर रख सकें. लेकिन शातिर भाभी ने फिर भी भैया को मरवा दिया. उन्होंने ही कैमरे बंद किए और डीवीआर गायब कर दिया.

ज्योति के चरित्र पर हुआ शक

मृतक की मां निर्मला देवी तथा अड़ोसपड़ोस के लोगों से भी पुलिस ने पूछताछ की. निर्मला देवी तथा पड़ोसियों ने भी ज्योति के चरित्र पर संदेह जताया. उन्होंने बताया कि ज्योति से मिलने अकसर एक युवक आता था. ज्योति उस की बाइक पर बैठ कर बाजारहाट भी जाती थी, लेकिन प्रदीप के घर आने से पहले ही वह वापस आ जाती थी.

अब तक की जांच पड़ताल में पुलिस इस नतीजे पर पहुंच चुकी थी कि प्रदीप की हत्या किसी नजदीकी ने की है. प्रदीप की सब से ज्यादा नजदीकी उस की पत्नी ज्योति ही थी. अत: पुलिस का शक ज्योति पर ही गया. पुलिस ने ज्योति से एक बार फिर पूछताछ की, लेकिन वह रोनेधोने का नाटक करने लगी और संतोषजनक जवाब नहीं दे सकी.

इस बीच पुलिस टीम ने बहाने से ज्योति का मोबाइल फोन ले लिया. पुलिस ने ज्योति का मोबाइल फोन खंगाला तो पता चला कि वह सोशल मीडिया से जुड़ी थी. फेसबुक के जरिए वह कई युवकों के संपर्क में थी. इन में से संजय सिंह नाम के युवक से वह ज्यादा बात करती थी. इस के बाद पुलिस ने ज्योति के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस में एक फोन नंबर ऐसा मिला, जिस पर उस की सब से ज्यादा और लंबीलंबी बातें हुई थीं.

पुलिस ने उस नंबर के बारे में पता किया तो वह नंबर बांदा के शुकुल कुआं निवासी संजय सिंह का निकला. पुलिस को घरवालों और पड़ोसियों की पूछताछ में पहले ही पता चल चुका था कि प्रदीप की गैरमौजूदगी में ज्योति के पास एक युवक आता था.

ज्योति पर पुलिस का शक यों ही नहीं गहराया था, बल्कि कई ठोस कारण थे. प्रथम उस ने हत्या की जानकारी अपनी सास, देवर व पड़ोसियों को नहीं दी थी. दूसरा घर के अंदरबाहर जाने के 2 रास्ते थे, मेन गेट तथा पीछे का दरवाजा. मेन गेट किराएदार राखी राठी खोलती व बंद करती थी, जबकि पीछे का दरवाजा ज्योति. संभवत: पीछे के दरवाजे से ही हत्यारे आए थे और दरवाजा ज्योति ने ही खोला था. तीसरा अहम कारण था कि घटना सीसीटीवी फुटेज में न दिखे, इसलिए ज्योति ने ही कैमरे बंद किए और डीवीआर गायब कर दिया था.

पुलिस टीम ने एक बार फिर से ज्योति चौरिहा से पूछताछ की, लेकिन वह रोनेधोने का नाटक करने लगी. उस ने कहा कि पति की हत्या में उस का कोई हाथ नहीं है. उस के पति की हत्या देवर संदीप ने की है, लेकिन पुलिस अब उस की इस बात पर विश्वास नहीं कर रही थी. लिहाजा पुलिस उस से सख्ती से पूछताछ करने लगी.

इस पर ज्योति ने कहा, “सर, मेरे ही पति की हत्या हुई और आप लोग मुझे ही धमका रहे हैं, जैसे मैं ने ही उन्हें मारा है. मेरे देवर ने पति की हत्या की है, आप लोग उसे क्यों नहीं पकड़ते, मुझे क्यों परेशान कर रहे हैं? भला मैं अपने पति को क्यों मारूंगी? जांच के नाम पर आप लोग मुझे ज्यादा परेशान करेंगे तो मैं आप लोगों की शिकायत बड़े साहब से कर दूंगी.”

ज्योति की बात सुन कर इंसपेक्टर मनोज कुमार शुक्ला का चेहरा तमतमा गया और वह बोले, “तुम हम लोगों की शिकायत कप्तान साहब से भले कर देना, लेकिन फिलहाल तुम मुझे यह बताओ कि तुम संजय सिंह से मोबाइल फोन पर इतनी अधिक और लंबीलंबी बातें क्यों करती थी? संजय सिंह तुम्हारा कौन है?”

“संजय सिंह मेरे मायके में पड़ोस में रहता है. अगर उस से बात कर लेती हूं तो इस में बुरा क्या है?” ज्योति ने कहा.

“मैं यह कहां कह रहा हूं कि किसी से बात करना बुरा है. मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूं कि प्रदीप की हत्या से पहले और बाद में संजय से तुम्हारी क्या बातें हुई थीं?” मनोज कुमार शुक्ला ने पूछा. इस बात से ज्योति के चेहरे का रंग उड़ गया. खुद को संभालते हुए उस ने कहा, “संजय सिंह से तो पिछले एक सप्ताह से मेरी कोई बात नहीं हुई है. आप को किसी ने गलत जानकारी दी है.”

“मेरे पास गलत जानकारी नहीं है. यह देखो, काल डिटेल्स, इस में सब लिखा है कि तुम ने कबकब उस से बातें की हैं.” काल डिटेल्स दिखाते हुए इंसपेक्टर शुक्ला ने उस पर मनोवैज्ञानिक दबाव डाला तो वह चुप हो गई. उन्होंने थोड़ी और सख्ती की तो ज्योति टूट गई और उस ने पति की हत्या प्रेमी द्वारा कराने का जुर्म कुबूल कर लिया.

ज्योति चौरिहा से पूछताछ के बाद पुलिस ने इस हत्या में शामिल उस के प्रेमी संजय सिंह और संजय के दोस्त राघवेंद्र सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया. पुलिस पूछताछ में इस प्रेम प्रसंग की ऐसी कहानी सामने आई, जिस में ज्योति ने प्यार के भंवर में फंस कर अपने ही पति की जीवन ज्योति बुझा दी.

इंटर कालेज में क्लर्क था प्रदीप

बुंदेलखंड का बांदा जिला यूपी राज्य का एक चर्चित जिला है. केन नदी के किनारे बसा यह शहर कई मायनों में मशहूर है. केन नदी से निकलने वाला ‘शजर’पत्थर आभूषणों की शोभा बढ़ाता है. इस बहुमूल्य पत्थर का व्यवसाय बड़े पैमाने पर होता है. इसी बांदा जिले का एक व्यवसायिक कस्बा अतर्रा है. अतर्रा से धार्मिक नगरी चित्रकूट काफी नजदीक है.

इसी अतर्रा कस्बे के नरैनी रोड पर राजेंद्र नगर मोहल्ले में रामप्रताप चौरिहा अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी निर्मला के अलावा 4 बेटे प्रदीप व संदीप थे. रामप्रताप की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. कस्बे में उन का दोमंजिला मकान था, साथ ही कुछ कृषि भूमि भी थी. उन्होंने अपने जीवन काल में ही घर और जमीन का बंटवारा दोनों भाइयों के बीच कर दिया था. उन की पत्नी निर्मला छोटे बेटे संदीप के साथ रहती थीं.

रामप्रताप चौरिहा का बड़ा बेटा प्रदीप चौरिहा उर्फ रामू अतर्रा कस्बा के हिंदू इंटर कालेज में लिपिक पद पर कार्यरत था. उस की शादी ज्योति से करीब 8 साल पहले हुई थी. शादी के बाद कुछ सालों तक सब ठीकठाक चलता रहा. इस बीच ज्योति ने 2 बेटियों को जन्म दिया. बेटियों के जन्म से जहां ज्योति खुश थी, वहीं उस का पति प्रदीप और सास निर्मला खुश नहीं थे. वे दोनों बेटा चाहते थे, ताकि वंशबेल गतिमान बनी रहे.

ज्योति खूबसूरत, पढ़ीलिखी, जवान व आधुनिक विचारों वाली युवती थी. वह 2 बच्चों की मां जरूर थी, लेकिन उस की सुंदरता में कोई कमी नहीं आई थी. ज्योति ने शादी के पहले जिस खूबसूरत राजकुमार के सपने संजोए थे, वैसा उस का पति नहीं था. उम्र में वह उस से बड़ा था और रंग भी सांवला था. बेमेल होने के कारण वह उसे पसंद नहीं करती थी.

                                                                                                                                                क्रमशः

अपनों के खून से रंगे हाथ : ताइक्वांडो कोच को मिली सजा – भाग 1

अलवर के अपर जिला एवं सेशन कोर्ट में काफी गहमागहमी थी. अदालत के कमरे में दरजनों वकील, कोर्ट के कई कर्मचारी, मुकदमे से जुड़े लोगों के अलावा कमरे के बाहर कोर्ट परिसर में मीडियाकर्मी मौजूद थे. उन्हें संभालने के लिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की फौज की भी मौजूदगी थी. कोर्ट में इतनी भीड़ का कारण एक खास मुकदमा था, जिस का फैसला सुनाया जाना था.

दरअसल, मामला 5 जनों की हत्या का था. हत्याकांड भी कोई ऐसावैसा नहीं, बल्कि इस की मुख्य आरोपी एक मां थी. वह पत्नी थी और ताइक्वांडो सीखने वाले किशोर उम्र के बच्चों की गुरु भी. हत्याकांड का यह मामला 5 साल 5 महीना पुराना था. इस मामले में अंक 5 का गजब संयोग था.

हत्याकांड की वारदात 2 अक्तूबर, 2017 के आधी रात की थी, जो अलवर के शिवाजी पार्क कालोनी में घटित हुई थी. उस की तहकीकात में आरोप शादीशुदा महिला ताइक्वांडो कोच संतोष शर्मा पर लगा था. हत्याकांड के पीछे उस से 10 साल छोटे नवयुवक के साथ प्यार का पागलपन बताया गया था. आरोप था कि प्यार में पागल संतोष शर्मा ने प्रेमी और उस के 2 साथियों की मदद से न केवल पति को, बल्कि किशोर उम्र अपने ही 3 बेटों और एक भतीजे की हत्या करवा दी थी.

अदालत की काररवाई शुरू होने से चंद मिनट पहले दोनों मुलजिम, महिला कोच संतोष शर्मा और उस के प्रेमी हनुमान उर्फ हनी को कोर्टरूम में लाया गया. वहां उपस्थित लोग उन्हें देखने के लिए उतावले हो गए. कोई अपनी गरदन उचका कर, कोई गरदन इधरउधर घुमाते हुए टेढ़ी कर तो काई अपना मुंह बिचका कर दोनों को देखने की कोशिश कर रहा था. जबकि संतोष शर्मा ने अपने पतले दुपट्टे से चेहरे को पूरी तरह से ढंक रखा था और हनुमान के चेहरे पर मास्क लगा हुआ था.

तभी अचानक गैवेल (लकड़ी के हथौड़े) की 3-4 ठक..ठक… की आवाज से लोगों के बीच हो रही बातचीत का शोरगुल अचानक थम गया. सभी की निगाहें सामने जज की कुरसी पर जा टिकी. वहां न्यायाधीश महोदय पधार चुके थे. उन के पास ही नीचे की ओर बैठा रीडर 5 लोगों की हत्या से संबधित पूरी हो चुकी सुनवाई की 5 सेट फाइलें बना चुका था. वह फाइलें उस ने न्यायाधीश के सामने रख दी. न्यायाधीश महोदय फाइल को सरसरी निगाह से पढऩे लगे. चैक करने लगे कि उस में वही सब कुछ प्रिंट हुआ है न, जो उन्होंने रीडर को डिक्टेट किया था.

कोर्ट ने सुनाया फैसला

पूरी फाइल पढऩे में करीब एक घंटे का समय लग गया. अंत में आश्वस्त होने के बाद उन्होंने सभी पर बारीबारी से हस्ताक्षर किए और जजमेंट पढऩे की शुरुआत की. दोनों पक्षों के वकील से मामले में किसी नए बदलाव संबंधी जानकारी ली. दोनों पक्ष के वकीलों ने स्पष्ट कर दिया कि मामले से संबंधित किसी भी तरह को कोई बदलाव नहीं आया है और दोनों मुलजिम कोर्ट में हाजिर हैं. तब तक कोर्ट के कमरे में एक सन्नाटा छा गया था. सभी को अब फैसले का इंतजार था.

न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाया कि ताइक्वांडो कोच संतोष शर्मा, उस के प्रेमी हनुमान प्रसाद सहित चारों मुलजिमों को उम्रकैद की सजा दी जाती है. उन्हें तत्काल जेल भेज दिया जाए. इस फैसले के बाद वहां उपस्थित लोग एक सुर में बोल पड़े, ‘जैसी करनी, वैसी भरनी.’

कोर्ट द्वारा सजा सुनाने के बाद कोर्ट के कर्मचारियों और पुलिस द्वारा आगे की काररवाई की जाने लगी. अदालत में कुछ देर खुसरफुसर होने के बाद सन्नाटा छा गया था. पुलिस ने मुजरिमों से अदालत के कागजों पर दस्तखत करवाने की औपचारिकता पूरी की और उन्हें कड़ी निगरानी में ले कर जेल के लिए रवाना हो गई. फैसले की एक फाइल मीडिया को हाथ लग गई. उस के मुताबिक हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार है—

राजस्थान के अलवर जिले से कोई 90 किलोमीटर दूर कठूमर के गारू गांव में पंडित मुरारीलाल शर्मा के बड़े बेटे बनवारी लाल शर्मा की शादी साल 1999 में संतोष शर्मा से हुई थी. संतोष शर्मा सुंदर होने के साथसाथ ताइक्वांडो की कोच भी थी. उस की न सिर्फ उस के परिवार वाले, बल्कि गांव के लोग भी तारीफ करते थे.

संतोष शर्मा में एक और गुण अभिनय का था. वह मोहल्ले की रामलीला में रामायण का अहम किरदार भी निभाया करती थी. शादी के बाद अपने पति बनवारी लाल शर्मा के साथ अलवर के शिवाजी पार्क कालोनी स्थित मकान मेें रहने लगी. बनवारी लाल अलवर के एमआईए स्थित एक फैक्ट्री में औपरेटर का काम करता था. आर्थिक स्थिति साधारण थी.

घरगृहस्थी बहुत अच्छी नहीं होने के बावजूद, बगैर किसी अड़चन के आराम से चल रही थीं. उन के गृहस्थ जीवन के 15 साल आराम से गुजर गए. इस दौरान उन के 3 बेटे हुए. समय के साथ ही बनवारी लाल की व्यस्तता भी बढऩे लगी. खर्च बढऩे लगे, जबकि संतोष शर्मा अय्याशी की जिंदगी का सपना देखने लगी. वह मौजूदा रहनसहन से संतुष्ट नहीं थी.

उस ने घर की आमदनी बढ़ाने के लिए अपनी ताइक्वांडो की प्रैक्टिस जारी रखी और कोचिंग जौइन कर ट्रेनर बन गई. बच्चों को ट्रेनिंग दे कर टूर्नामेंट तथा काम्पटीशन के लिए आसपास के शहरों में भी ले कर जाने लगी. वर्ष 2014 में वह अलवर के साहब जोहड़ा के एक ताइक्वांडो कोच के संपर्क में आई तो उसे इस क्षेत्र में तरक्की और आमदनी बढ़ाने के मौके नजर आने लगे और वह बढ़चढ़ कर अपनी टीम के साथ क्षेत्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगी. इसी दौरान संतोष शर्मा एक टूर्नामेंट के लिए उदयपुर गई.

पहली मुलाकात में दे बैठी दिल

वहां उस की मुलाकात हनुमान प्रसाद जाट से हुई, जो एक आकर्षक और गठीले बदन का नवयुवक था. पहली ही मुलाकात में दोनों दोस्त बन गए. कुछ ही समय बाद उन की दोस्ती प्यार में बदल गई. फिर उन के साथ घूमनेफिरने का सिलसिला शुरू हुआ और एक दिन उन की नजदीकियां नाजायज रिश्ते में बदल गईं.

युवा प्रेमी से मिलने वाले जिस्मानी सुख को पाने की चाहत में संतोष शर्मा का दिमाग इस कदर खराब हुआ कि वह अपना घरबार, गृहस्थी, पति, बच्चे सभी कुछ भुला बैठी. संतोष शर्मा खुद से 10 साल छोटे आशिक हनुमान को हनी कह कर बुलाने लगी. हनी एक दोस्त के साथ उदयपुर में किराए के कमरे में रह कर बीपीएड की ट्रेनिंग कर रहा था. वह शारीरिक शिक्षक की नौकरी हासिल करना चाहता था. अविवाहित था.

घर से पैसे मंगा कर उदयपुर में दोस्त के साथ रह कर ट्रेनिंग कर रहा था. साथ ही मार्शल आर्ट का भी उसे शौक था. इसी दौरान कोचिंग में उस की मुलाकात संतोष शर्मा से हुई थी. उम्र में बड़ी हो कर भी उस का फिगर नवयुवतियों को मात करने वाला था. उसे देख कर कोई नहीं कह सकता था कि वह 3 बच्चों की मां है. सलवार सूट में तो वह अभी भी किसी कालेज गर्ल जैसी ही दिखती थी. खूबसूरती और सैक्स अपील की अदाओं पर ही हनुमान मर मिटा था. जल्द ही वह संतोष शर्मा के इशारों पर नाचने लगा था.

अविवाहित हनुमान संतोष शर्मा के शारीरिक आकर्षण से पागल सा हो गया था. संतोष शर्मा एक आधुनिक दौर की युवती थी, जो जिंदगी का भरपूर आनंद लेने में विश्वास रखती थी. उसे अपने तीनों बच्चों से कोई मोह नहीं था और न ही वह अपने पति बनवारी लाल को दिल से पसंद करती थी.

संगीता के प्यार की झंकार – भाग 1

पति के देहसुख से वंचित संगीता जिस युवक के प्यार में पागल थी, उस की नजर कहीं और भी टिकी थी. लखनऊ के बहुचर्चित राम मनोहर लोहिया संस्थान में 28 दिसंबर, 2021 को कुछ ज्यादा ही गहमागहमी थी. ओपीडी से ले कर दूसरे विभागों में मरीजों की काफी भीड़भाड़ थी. हर विंडो और डाक्टर के चैंबर के बाहर अफरातफरी का आलम था.

ऐसा ही माहौल भरती वार्ड और जांच करवाने वाले विभागों के भीतर भी था. वहां के मरीज और उन के साथ आए अटेंडेंट ने पाया कि अस्पताल के कर्मचारी ड्यूटी करने के बजाय विरोध जता रहे थे. नतीजा अस्पताल का अधिकतर कामकाज पूरी तरह से ठप हो चुका था.

दरअसल, संस्थान में काम करने वाले चतुर्थ श्रेणी के एक कर्मचारी श्रीराम यादव का 18 दिसंबर, 2021 को अपहरण हो गया था. उसे मार कर नहर में फेंक देने की चर्चा थी, जबकि हत्या के जुर्म में उस की पत्नी संगीता यादव समेत 5 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका था. लेकिन पुलिस लाश बरामद नहीं कर सकी थी.

इस हत्याकांड को ले कर ही संस्थान का स्टाफ गुस्से में था. नर्सिंग संघ के आह्वान पर सभी सुबह 9 बजे से ही हड़ताल पर थे. अस्पताल की स्थिति को देख कर मैनेजमेंट के हाथपांव फूल गए थे. इस की शिकायत जब मैडिकल कालेज के सीएमएस यानी चीफ मैडिकल सुपरिंटेंडेंट तक पहुंची, तब उन्होंने जिला प्रशासन और पुलिस के उच्च अधिकारियों से संपर्क किया.

सीएमएस की सूचना पा पुलिस कमिश्नर डी.के. ठाकुर ने तुरंत डीसीपी अमित कुमार आनंद और एडिशनल सीपी एस.एम. कासिम आब्दी को लोहिया संस्थान में आई आकस्मिक समस्या का तुरंत समाधान निकालने के लिए कहा. डीसीपी अमित कुमार टीम के साथ अस्पताल पहुंचे. उन्होंने आंदोलनकारियों की बातें सुनीं. उन की मांग को जल्द से जल्द पूरी करने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि वह पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने और श्रीराम की लाश बरामद करने की कोशिश करेंगे.

श्रीराम यादव (42) अपनी पत्नी संगीता यादव, 3 बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ लोहिया संस्थान के परिसर स्थित सरकारी आवास में रहते थे. उन के पास 18 दिसंबर की देर शाम कार खरीदने के लिए 2 युवक आए थे. श्रीराम ने अपनी कार बेचने के बारे में खास दोस्त अवशिष्ट कुमार को कह रखा था. उन के कहे मुताबिक ही दोनों युवक कार का ट्रायल लेने आए थे.

श्रीराम उन के साथ टेस्ट ड्राइव कराने के लिए चले गए. किंतु देर रात तक घर नहीं लौटने पर परिवार के सदस्य चिंतित हो गए. पत्नी संगीता ने इस की सूचना अपने देवर को दी. उन्होंने रिश्तेदारों व दोस्तों से संपर्क किया, लेकिन श्रीराम के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई.

अगले दिन 19 दिसंबर को भाई मनीष यादव ने विभूतिखंड थाने में उन की खास जानपहचान वाले प्रो. अवशिष्ट कुमार व अन्य अज्ञात युवकों के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट लिखवा दी थी.

पुलिस ने छानबीन के बाद 3 दिन के भीतर ही 22 दिसंबर को बाराबंकी में अयोध्या हाईवे से लिंक रोड पर कुरौली के पास यूपी32 बीएम 5048 नंबर की कार बरामद कर ली, लेकिन तब तक श्रीराम का कोई अतापता नहीं चल पाया.

पति की हत्या में संगीता हुई गिरफ्तार

कार मिलने के बाद घटनास्थल से ले कर लोहिया परिसर के सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए. सभी फुटेज में श्रीराम की गाड़ी के पीछे एक कार जाती दिखी. उस के नंबर यूपी78 पीक्यू 2268 से पता चला कि वह कार अवशिष्ट की है, जिस पर श्रीराम के भाई ने एफआईआर में शक जताया था. साथ ही कार 18 दिसंबर, 2021 से ही अवशिष्ट के निवास स्थान परिसर में भी नहीं थी.

इसे आधार बना कर की गई गहन छानबीन के बाद पुलिस टीम ने श्रीराम की पत्नी संगीता समेत अवशिष्ट, संतोष, सुशील व कुंती को गिरफ्तार कर लिया. उन से पूछताछ में श्रीराम की गोली मार कर हत्या किए जाने की बात सामने आई.

उन्होंने स्वीकार कर लिया कि श्रीराम को गोली मार कर उस का शव इंदिरा नहर में फेंक दिया गया है. इस जानकारी के बाद श्रीराम की दोनों बेटियां व एक बेटा पिता की हत्या व मां की गिरफ्तारी से सदमे में आ गए. इस हत्याकांड में सब से बड़े सवाल का जवाब मिलना बाकी था कि आखिर श्रीराम की हत्या क्यों की गई? इसी के साथ कई दूसरे सवालों के जवाब भी तलाशे जाने थे.

इस बारे में डीसीपी (पूर्वी) अमित कुमार आनंद ने अपनी प्राथमिक जांच के आधार पर मीडिया को बताया कि श्रीराम की पत्नी संगीता यादव अवशिष्ट कुमार की प्रेमिका है, जो बाराबंकी के जहांगीराबाद स्थित राजकीय पौलीटेक्निक परिसर में रहता है.

अवशिष्ट मूलरूप से लखीमपुर खीरी का निवासी है. हिरासत में लिए गए दूसरे आरोपियों में कुंती गांधीनगर, बाराबंकी की रहने वाली है. संतोष कुमार बाराबंकी में डखौली गांव और सुशील कुमार अशोक नगर का निवासी है.

विभूतिखंड थाने के इंसपेक्टर चंद्रशेखर सिंह ने उन की गिरफ्तारी के साथसाथ .32 बोर की पिस्टल, तमंचा, 7 कारतूस व एक खोखा और अवशिष्ट से संगीता की 4 फोटो, आधार कार्ड, पैन कार्ड व पोस्ट पेमेंट कार्ड बरामद किया. पुलिस के मुताबिक संगीता का अवशिष्ट के साथ लंबे समय से प्रेमप्रसंग चल रहा था. दोनों चोरीछिपे मिलते रहते थे. अवशिष्ट से बात करने के लिए संगीता ने एक मोबाइल फोन छिपा कर रखा हुआ था.

दिसंबर 2021 की शुरुआत में श्रीराम ने वह फोन देख लिया था. उसे पता चल गया था कि संगीता चोरीछिपे अवशिष्ट से बातें करती है. इसे ले कर पतिपत्नी के बीच काफी झगड़ा हुआ. उस के बाद से श्रीराम पत्नी संगीता पर नजर रखने लगा.

और शुरू हुई लव स्टोरी

संगीता ने जब अवशिष्ट को इस की जानकारी दी, तब दोनों ने श्रीराम को रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली. उन्होंने योजना बना कर श्रीराम को मौत के घाट उतार दिया था. इसे अंजाम देने के लिए अवशिष्ट ने जहांगीराबाद में पौलीटेक्निक के पास स्थित तालाब में मछली पालन करने वाले जानकार संतोष व सुशील को राजी कर लिया था.

लोहिया संस्थान में 28 दिसंबर को हंगामे के बाद श्रीराम हत्याकांड को ले कर पुलिस नए सिरे से सक्रिय हो गई. थानाप्रभारी ने संगीता यादव को लखनऊ के बड़े पुलिस अधिकारियों अमित कुमार आनंद, कासिम आब्दी और एसीपी अनूप कुमार सिंह के सामने पेश किया.

संगीता से जब सख्ती से पूछताछ की गई, तब हत्याकांड और उस के पीछे के कारणों का सारा मामला सामने आ गया, जिस में अवशिष्ट कुमार की भूमिका भी काफी संदिग्ध थी. उस के बाद अवशिष्ट कुमार से भी गहन पूछताछ की गई. फिर जो कहानी आई, वह इस प्रकार है—

प्रो. अवशिष्ट कुमार बाराबंकी में फैजाबाद रोड पर राजकीय पौलीटेक्निक कालेज जहांगीराबाद में पिछले 8 सालों से नौकरी कर रहा था. उस के पिता रामनरेश लखीमपुर में रहते हैं. उस का श्रीराम से 2020 में अचानक संपर्क तब हो गया था, जब वह अपने इलाज के सिलसिले में राम मनोहर लोहिया संस्थान में भरती था. वह कोविड-19 का क्वारंटाइन मरीज था. इसी बीच उस की जानपहचान बड़े अधिकारी से ले कर निचले तबके के कर्मचारियों तक से हो गई थी.

वह अकेला था और अपनी देखरेख उसे ही खुद करनी पड़ती थी. यह देख कर वहां काम करने वाला श्रीराम उस की मदद करने लगा था. सहानुभूति दिखाते हुए उस ने अपनी पत्नी संगीता को भी बीचबीच में देखरेख करने के लिए कह दिया. जल्द ही अवशिष्ट की श्रीराम और संगीता से अच्छी जानपहचान हो गई. उस की सेहत में भी काफी सुधार हो गया और अस्पताल से छुट्टी मिल गई. इस के लिए उस ने श्रीराम और उस की पत्नी को तहेदिल से धन्यवाद कहा. जवाब में पतिपत्नी ने उसे एक रोज घर पर आमंत्रित किया.

ज्योति ने बुझाई पति की जीवन ज्योति – भाग 1

उस दिन अप्रैल 2023 की 18 तारीख थी. सुबह के यही कोई 8 बज रहे थे. उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की अतर्रा कोतवाली के इंसपेक्टर मनोज कुमार शुक्ला अपने कक्ष में मौजूद थे. वह निकाय चुनाव को संपन्न कराने के लिए अपने सहयोगियों के साथ मंथन कर रहे थे. तभी उन के मोबाइल पर काल आई. उन्होंने काल रिसीव कर जैसे ही ‘हैलो’ कहा, दूसरी ओर से किसी

महिला ने सिसकते हुए पूछा, “क्या आप अतर्रा थाने से बोल रहे हैं?”

“जी हां, मैं अतर्रा कोतवाली से इंसपेक्टर मनोज कुमार शुक्ला बोल रहा हूं. बताइए क्या बात है?”

“सर, नरैनी रोड के पास अज्ञात लोगों ने मेरे पति प्रदीप चौरिहा की हत्या कर दी है.” उस महिला ने भर्राई आवाज में कहा.

“आप कौन बोल रही हैं? और हत्या नरैनी रोड पर किस जगह हुई है? घटनास्थल की जगह ठीक से बताइए, जिस से हम वहां आसानी से पहुंच सकें.” मनोज कुमार शुक्ला ने कहा.

“सर, मेरा नाम ज्योति चौरिहा है. आप नरैनी रोड पर राजेंद्र नगर आ जाइए और प्रदीप का नाम पूछ लीजिए. मोहल्ले के लोग उसे रामू के नाम से जानते हैं. वह मेरे पति का ही मकान है.” ज्योति ने कहा.

“ठीक है, हम जल्द ही पहुंच रहे हैं.” कह कर इंसपेक्टर मनोज शुक्ला ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

चूंकि हत्या का मामला था, अत: उन्होंने आवश्यक पुलिस बल साथ लिया और घटनास्थल की ओर रवाना हो लिए. रवाना होने से पहले उन्होंने पुलिस अधिकारियों को भी सूचित कर दिया था. थाने से राजेंद्र नगर की दूरी ज्यादा नहीं थी. अत: कुछ ही देर में वह रामू के मकान पर पहुंच गए.

उस समय वहां मकान के बाहर भीड़ जुटी थी और मकान के अंदर से चीखचीख कर रोने की आवाजें आ रही थीं. वह सहयोगी पुलिसकर्मियों के साथ मकान की पहली मंजिल पर पहुंचे, जहां कमरे में मृतक की लाश पड़ी थी. कमरे के अंदर पड़े फोल्डिंग पलंग पर प्रदीप चौरिहा की लाश पड़ी थी.

उस की हत्या किसी धारदार हथियार से गला रेत कर की गई थी. मृतक के कपड़े खून से तरबतर थे. पलंग के नीचे फर्श पर भी खून जमा था. कमरे में एक छोटी मेज पड़ी थी. उस पर शराब की खाली बोतल व गिलास रखा था. बाजार का खाना भी पड़ा था. शायद प्रदीप ने कमरे में बैठ कर शराब पी थी और आधाअधूरा खाना भी खाया था. मृतक की उम्र 40 वर्ष के आसपास थी और शरीर स्वस्थ था.

फोरैंसिक टीम ने जुटाए सबूत

इंसपेक्टर मनोज शुक्ला अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी अभिनंदन, एएसपी लक्ष्मीनिवास मिश्र तथा डीएसपी जियाउद्दीन अहमद भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा अनेक लोगों से घटना के संबंध में पूछताछ की. फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए तथा फिंगरप्रिंट भी उठाए.

डौग स्क्वायड ने भी घटनास्थल की जांच की. शव को सूंघ कर भौंकते हुए बगल वाले कमरे में गई और वहां कई चक्कर लगाए. उस के बाद वह जीना उतर कर मकान के पिछले दरवाजे से सडक़ पर आई. वह कुछ दूर तक सडक़ पर आगे बढ़ी, फिर वापस आ गई. इस से टीम ने अंदाजा लगाया कि हत्यारे हत्या करने के बाद बगल वाले कमरे में गए, फिर जीना उतर कर पिछले दरवाजे से फरार हो गए.

पुलिस अधिकारियों ने मकान खंगाला तो पाया कि मकान के जिस हिस्से में प्रदीप रहता था, वहां उस ने सीसीटीवी कैमरे लगवा रखे थे. पुलिस अधिकारियों को लगा कि वह फुटेज के माध्यम से हत्यारों की पहचान कर लेगे. लेकिन उन्हें निराशा तब हुई, जब सीसीटीवी कैमरे बंद मिले तथा डिजिटल वीडियो रिकौर्डर (डीवीआर) भी गायब था. अधिकारी समझ गए कि हत्यारे बेहद चालाक है. उन्होंने योजनाबद्व तरीके से हत्या की थी और फरार हो गए.

घटनास्थल पर मृतक की पत्नी ज्योति चौरिहा मौजूद थी. रोरो कर उस का बुरा हाल था. रहरह कर वह बेहोश भी हो जाती थी. पुलिस अधिकारियों ने उसे धैर्य बंधाया और फिर पूछताछ की. ज्योति ने बताया कि उस के पति प्रदीप चौरिहा उर्फ रामू अतर्रा के हिंदू इंटर कालेज में लिपिक थे. लेकिन वह शराब के लती थे. कभी वह यारदोस्तों के साथ शराब पी कर घर आते थे तो कभी घर बैठ कर ही शराब पीते थे.

बीती शाम भी वह शराब की बोतल ले कर घर वापस आए थे. साथ में बाजार से खाना भी पैक करा कर लाए थे. बाहर के खाने को ले कर उस की पति से कहासुनी भी हुई थी. गुस्से में वह अपनी बेटियों को ले कर बगल वाले कमरे में आ गई थी. उस के बाद वह शराब पीते रहे और उसे भद्दीभद्दी गालियां बकते रहे. उन की आवाज जब बंद हो गई तो वह भी सो गई.

सुबह वह सो कर उठी तो उस के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद था. उस ने पति को दरवाजा खोलने की आवाज लगाई, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. मन में घबराहट हुई तो उस ने भूतल पर रहने वाली किराएदार राखी राठी को काल की और दरवाजे की कुंडी खोलने के लिए कहा. राखी तब ऊपर आई और दरवाजा खोला. उस के बाद वह राखी के साथ पति के कमरे में पहुंची.

वहां उन की लाश पलंग पर पड़ी थी. यह देख उस के मुंह से चीख निकल गई. पति का गला कटा हुआ था. घटना की जानकारी उस की सास निर्मला देवी व देवर संदीप चौरिहा को हुई तो वे भी आ गए. इस के बाद उस ने पुलिस को सूचना दी.

निरीक्षण और पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने मौके की काररवाई निपटा कर प्रदीप के शव को पोस्टमार्टम हेतु बांदा के जिला अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद ज्योति की ओर से अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया.

चूंकि लिपिक की हत्या का मामला संगीन था, इसलिए एसपी अभिनंदन ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया और मामले के खुलासे के लिए इंसपेक्टर मनोज कुमार शुक्ला के नेतृत्व में एक टीम गठित की, जिस का निर्देशन एएसपी लक्ष्मीनिवास मिश्र को सौंप दिया.

इस गठित पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया. रिपोर्ट के अनुसार प्रदीप की मौत सांस की नली व गले की हड्ïडी कटने तथा अधिक खून बहने से हुई थी. हत्या का समय रात 2 व 3 बजे के बीच बताया गया था.

इस के बाद पुलिस टीम ने मृतक की पत्नी ज्योति से पूछताछ की तथा उस का बयान दर्ज किया. बयान में ज्योति ने कहा कि उस के पति की हत्या संपत्ति विवाद में की गई है. हत्या किसी और ने नहीं, बल्कि उस के देवर संदीप उर्फ श्यामू ने की है.संपत्ति को ले कर उस के पति व देवर में अकसर झगड़ा होता रहता था.

                                                                                                                                              क्रमशः

फेसबुकिया प्यार में डबल मर्डर – भाग 3

एक घंटे में मोनिका को थाने में ले आया गया. एसएचओ ने रविरतन को पहले ही दूसरे कमरे में बिठा दिया था. मोनिका काफी घबराई हुई दिखाई दे रही थी. उस के चेहरे का रंग भी उड़ा हुआ था.

एसएचओ ने उसे घूरते हुए कहा, ‘‘तुम्हारे सासससुर का कत्ल तुम्हारे इशारे पर हुआ है मोनिका, तुम ने कातिलों को अंदर आने के लिए दरवाजा खोला था.’’

“यह झूठ है साहब,’’ मोनिका जल्दी से बोली.

“लेकिन आशीष तो यही कह रहा है कि दरवाजा तुम्हीं ने खोला था.’’ प्रवीण कुमार ने अंधेरे में तीर चलाया.

मोनिका बुरी तरह घबरा गई, ‘‘क्या आशीष पकड़ा गया है?’’

“हां, उस ने राधेश्याम और बीना देवी का कत्ल करने की बात कुबूल ली है.’’ प्रवीण कुमार अपनी बात का असर होते देख कर बोले, ‘‘अब तुम भी अपना जुर्म कुबूल कर लो. मैं कोशिश करूंगा तुम्हें कम से कम सजा मिले.’’

मोनिका रोने लगी. रोते हुए ही उस ने कहा, ‘‘मैं ने ही सासससुर का कत्ल करवाया है साहब. मैं आशीष के प्यार में पागल हो गई थी. मैं सासससुर को रास्ते से हटाने के बाद पति को भी मरवाना चाहती थी.’’

इस खुलासे पर वहां उपस्थित सभी पुलिसकर्मी हैरान रह गए. एसएचओ ने मोनिका को घूरा, ‘‘तुम ऐसा आशीष को पाने के लिए कर रही थीं?’’

“जी हां, मैं आशीष भार्गव से बहुत प्यार करती हूं, उसी के साथ घर बसाना चाहती थी. सासससुर की मैं ने आशीष से हत्या करवा दी, पति रवि भी रास्ते से हट जाता तो सारी संपत्ति की मैं मालकिन बन जाती.’’

“अब यह बताओ, आशीष कहां पर है?’’ प्रवीण कुमार ने कुटिल मुसकान चेहरे पर ला कर पूछा.

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मोनिका ने चौंक कर उन्हें देखा. वह समझ गई, थानाप्रभारी ने उस से झूठ बोला है. अब तीर कमान से निकल गया था, उस ने आशीष का पता बता दिया. वह मकान नंबर एसएचए-380, शास्त्री नगर, कवि नगर, गाजियाबाद में रहता है साहब.’’

प्रेमी आशीष आया गिरफ्त में

एसएचओ ने तुरंत एक पुलिस टीम गाजियाबाद रवाना कर दी. वह आशीष को उस के घर से दबोच कर थाना गोकलपुरी ले आई. आशीष ने थाने में अपनी प्रेमिका मोनिका को देखा तो उस ने बगैर सख्ती किए कुबूल कर लिया कि मोनिका के उकसाने पर उस ने ही अपने एक साथी के साथ मिल कर राधेश्याम और बीना देवी का कत्ल किया और साढ़े 3 लाख रुपए तथा ज्वैलरी लूट ली.

“अपने साथी का नाम बताओ,’’ एसआई सीताराम ने कडक़ कर पूछा.

“उस का नाम विराज उर्फ विराट है और वह ए-132 चिरंजीव विहार, गाजियाबाद में रहता है.’’

पुलिस टीम फिर गाजियाबाद गई. विराट घर पर ही मिल गया. उसे गिरफ्तार कर लिया गया. उस ने भी अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

उस ने कहा, ‘‘साहब, मुझे मेरे दोस्त आशीष ने रुपए और ज्वैलरी का लालच दे कर कत्ल की रात में शामिल किया था. मैं ने कत्ल किया है, यह कुबूल करता हूं.’’

उन्होंने कत्ल कैसे किया, हथियार कहां से खरीदे, यह पूछने पर आशीष ने बताया, ‘‘सर, मोनिका मुझे पति मान चुकी थी, वह चाहती थी कि मैं उस के सासससुर को रास्ते से हटा दूं. इस के ससुर ने अपना आधा मकान 50 लाख रुपए में बेचा था. टोकन मनी का 5 लाख मिला था, इसलिए मोनिका और हम ने प्लान बनाया कि कत्ल कैसे करना है.

“9 अप्रैल को मैं अपने दोस्त विराट के साथ बाइक से भागीरथी विहार आ गए. यह बाइक विराट के चाचा की थी. प्लान के अनुसार इस की चोरी की रिपोर्ट विराट ने पहले ही कवि नगर थाने में लिखवा दी थी. मोनिका ने हमें रास्ता बताया, हमें वह पीछे के दरवाजे से ऊपर छत पर ले गई. वहीं बिठा दिया. हमारे पास 2 उस्तरे थे, जो मैं ने यहां आते समय गौशाला फाटक से खरीदे थे.

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“यहां आने से पहले हम ने मोहन नगर में शराब पी थी और एक शुलभ शौचालय में कपड़े बदले थे. चेहरे पर मास्क लगा लिए थे ताकि पहचान में न आ सकें. मोनिका ने रात साढ़े 11 बजे हमें छत पर समोसे ला कर दिए. जब घर के सभी लोग सो गए तो मोनिका ने इशारा कर दिया, हम दोनों नीचे उतरे और राधेश्याम को मैं ने सोते हुए गला काट कर हत्या कर दी.

“विराट ने बीना देवी का गला रेत का मर्डर कर दिया, वह जाग गई थी और उस ने बचने के लिए संघर्ष किया था. कत्ल होने के बाद हत्यारिन बहू मोनिका के कहे अनुसार हम ने रुपए, चोरी किए ज्वैलरी और सामान बिखेरा और पीछे के रास्ते से निकल गए.’’

प्रेम प्रसंग में मर्डर का जुर्म कुबूल कर लेने के बाद विराट (29 साल), आशीष भार्गव (30 साल) और मोनिका वर्मा (30 साल) को विधिवत गिरफ्तार कर लिया गया. कोर्ट में पेश कर के रिमांड ले कर उन से लूटे गए रुपए, ज्वैलरी, उस्तरे और खून सने कपड़े बरामद कर लिए गए. उन तीनों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

फेसबुकिया प्यार में डबल मर्डर – भाग 2

फेसबुक द्वारा मोनिका को हुआ प्यार

राधेश्याम वर्मा उत्तरपूर्वी दिल्ली के थाना गोकलपुरी क्षेत्र में स्थित भागीरथ विहार में अपनी पत्नी बीना देवी और बेटा रविरतन वर्मा के साथ रहते थे. 8-9 साल पहले उन का बड़ा बेटा एक एक्सीडेंट में खत्म हो गया था, एक बेटी थी मंजू लता जिस की शादी उन्होंने बागपत के विपिन कुमार से 4 साल पहले कर दी थी. इस वक्त वह गाजियाबाद के शालीमार गार्डन में रह रही थी.

राधेश्याम वर्मा फिल्मिस्तान (दिल्ली) के एक सरकारी स्कूल में वाइस प्रिंसिपल से कुछ समय पहले ही सेवानिवृत्त हुए थे. उन्होंने बेटे रविरतन वर्मा को जौहरीपुर में गारमेंट और कास्मेटिक की दुकान खुलवा दी थी. रविरतन की 6 साल पहले जौहरीपुर की मोनिका वर्मा से शादी हुई थी. इस वक्त उस का एक बेटा था, जो 5 साल का हो गया था.

राधेश्याम की उम्र 72 साल हो गई थी, पत्नी बीना देवी भी 68वें साल में लग गई थीं. घर में राधेश्याम खाली बैठना पंसद नहीं करते थे, इसलिए उन्होंने अपने घर के बाहर परचून की दुकान खोल ली थी, जिसे वह और उन की पत्नी बीना संभालती थीं.

राधेश्याम का मकान 100 गज में बना था. भूतल पर राधेश्याम रहते थे, प्रथम तल पर रवि अपनी पत्नी मोनिका और बेटे के साथ रहता था. इस संपन्न परिवार में किसी चीज की कमी नहीं थी, किंतु मोनिका को सब कुछ होते हुए भी एकाकीपन महसूस होता था. रवि सुबह दुकान पर चला जाता था, बेटा स्कूल.

सासससुर नीचे रहते थे. मोनिका को घर काटने को दौड़ता था. मोनिका ने समय व्यतीत करने के लिए मोबाइल को अपना साथी बना लिया. काम निपटा लेने के बाद वह मोबाइल ले कर पलंग पर लेट जाती थी और यूट्यूब या फेसबुक में खो जाती थी.

एक दिन मोनिका ने फेसबुक पर अपनी फोटो डाल कर दोस्ती की रिक्वेस्ट डाल दी, 2 दिन बाद ही उस के फोटो को पसंद कर के आशीष भार्गव नाम के युवक ने उस की दोस्ती की रिक्वेस्ट स्वीकार कर गार्जियस लिख कर भेजा तो मोनिका ने उसे ‘हाय’से प्रत्युत्तर दिया. यहीं से दोनों में दोस्ती हो गई. आशीष भार्गव ने उस से मोबाइल नंबर मांगा तो बिना झिझक मोनिका ने अपना मोबाइल नंबर आशीष को दे कर उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया.

पता चला कि आशीष भार्गव गाजियाबाद की शास्त्रीनगर कालोनी का रहने वाला है. अब दोनों मोबाइल फोन पर बातें कर अपने दिल की बातें शेयर करने लगे. मोबाइल पर बातें करने से मन कहां मानता है, माशूका का दीदार न हो, आशिक की आंखें जी भर कर जब तक देख न लें, तब तक दिल को कहां चैन मिलता है. एक दिन आशीष ने मोनिका से बात करते समय कह दिया, ‘‘मोनिका, मैं ने तुम्हें आज तक मोबाइल स्क्रीन पर ही देखा है, मेरा मन तुम्हें सामने बिठा कर जी भर कर देखने के लिए तरस रहा है.’’

“मैं भी तुम्हें देखना चाहती हूं आशीष.’’ मोनिका ने आह भर कर कहा, ‘‘तुम यहां दिल्ली आ जाओ, हम किसी होटल में मिल लेंगे.’’

“ठीक है मोनिका, मैं एकदो दिन में ही दिल्ली आने का प्रोग्राम बनाता हूं.’’ आशीष ने खुश हो कर कहा.

इंडिया गेट पर प्यार का इजहार

कहने के मुताबिक 2 दिन बाद ही आशीष दिल्ली आ गया. उस ने अपने आने की खबर फोन से मोनिका को दी तो वह घर में बहाना बना कर आशीष से मिलने के लिए इंडिया गेट पर पहुंच गई. आशीष ने किसी होटल में कमरा बुक नहीं करवाया था, उस ने मोनिका को इंडिया गेट पर बुला लिया था.

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दोनों इंडिया गेट पर आमनेसामने आए तो कुछ देर तक दोनों एकदूसरे को जी भर कर देखते रहे. फिर आशीष ने मोनिका का हाथ थाम कर एक पेड़ की तरफ कदम बढ़ा दिए. वह मोनिका को ले कर पेड़ के सहारे बैठ गया.

“मोनिका तुम मेरी उम्मीद से ज्यादा खूबसूरत हो. तुम्हें मैं ने अपने दिल में बसा लिया है, क्या तुम भी अपने दिल में मुझे जगह दोगी?’’

“मैं ने तो तुम्हें पहली बार की चैटिंग में ही अपने दिल में जगह दे चुकी हूं आशीष, लेकिन तुम्हें बताने से हिचक रही थी.’’

“ऐसा क्यों?’’ आशीष ने हैरानी से पूछा.

“मैं शादीशुदा और एक बच्चे की मां हूं आशीष.’’ मोनिका ने सांस भर कर कहा, ‘‘मेरी हकीकत जान कर तुम मुझ से प्यार का रिश्ता निभाओगे, पहले यह जान लेना चाहती थी.’’

आशीष कुछ क्षण खामोश रहा, फिर उस ने दोनों हाथों में मोनिका का चेहरा थाम कर उस के पतले होंठों पर अपने तपते हुए होंठ रख दिए. एक गहरा चुंबन लेने के बाद वह गंभीर स्वर में बोला, ‘‘तुम एक बच्चे की मां हो और किसी की पत्नी हो, मुझे इस से फर्क नहीं पड़ता. मैं ने तुम से दोस्ती की थी. अब तुम से सच्ची मोहब्बत करने लगा हूं और ताउम्र करता रहूंगा.’’

“ओह आशीष, तुम कितने अच्छे हो. आज से यह मोनिका तन से मन से तुम्हारी हो गई.’’ मोनिका ने भावुक स्वर में कहा और आशीष से लिपट गई. आशीष ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया.

थाना गोकलपुरी के एसएचओ प्रवीण कुमार को राधेश्याम और उन की पत्नी बीना देवी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई थी. दोनों की तेज धारदार हथियार से गरदन काटी गई थी. इसी से उन की जान गई थी. हत्यारों ने बेरहमी दिखाई थी. प्रवीण कुमार का विचार था कि इन दोनों कत्लों में एक से ज्यादा लोग शामिल रहे होंगे. वे 2 लोग कौन थे, यही उन्हें मालूम करना था. उन्होंने राधेश्याम के बेटे रविरतन को थाने बुलवाया था.

मोनिका वर्मा ने बयां की हत्या की सच्चाई

रवि आ गया तो एसएचओ प्रवीण कुमार ने उसे अपने सामने बिठा कर बहुत गंभीर आवाज में कहा, ‘‘रवि, मुझे तुम्हारे मम्मीपापा के कत्ल हो जाने का गहरा दुख है, मैं दिल से चाहता हूं कि उन के कातिलों को पकड़ कर कानून के कटघरे में खड़ा करूं. क्या तुम भी ऐसा ही चाहोगे कि तुम्हारे मम्मीपापा के कातिलों को कानून कड़ी से कड़ी सजा दे?’’

“कौन बेटा नहीं चाहेगा सर. मैं अपने मम्मीपापा के कातिलों को फांसी के फंदे पर देखना चाहता हूं.’’ रवि दांत भींच कर बोला.

“तो तुम वह सब मुझे सचसच बताओगे, जो मैं तुम से पूछूंï?’’ एसएचओ ने रवि के चेहरे पर नजरें जमा दीं.

“मैं सचसच ही बताऊंगा सर.’’

“देखो, हमारा मानना है कि कातिलों ने घर में फ्रैंडली एंट्री ली है, क्योंकि पिछला दरवाजा अंदर से बंद रहता था और मेन गेट तुम ने खुद बंद किया था, ऐसा तुम ने कहा है.’’

“मैं ने खुद मेन गेट बंद किया था सर. गेट बंद कर के मैं रात को साढ़े 10 बजे तक उन के पास बैठा बातें करता रहा था, फिर ऊपर सोने चला गया था.’’

“तो फिर पिछला दरवाजा किस ने खोला, मैं यह जानना चाहता हूं?’’

“वह सर चोरों ने खोल लिया होगा.’’ रवि ने अपना शक जाहिर किया.

“नहीं खोल सकते थे चोर. दरवाजे की मोटी कुंडी न बाहर से खुल सकती थी न काटी जा सकती थी. वह अंदर से खोली गई है और यह काम तुम या तुम्हारी पत्नी मोनिका का हो सकता है.’’

“मैं कसम खा कर कहता हूं सर, मैं ने यह दरवाजे की कुंडी नहीं खोली.’’

“तो यह काम तुम्हरी पत्नी मोनिका ने किया होगा.’’ प्रवीण कुमार गंभीर स्वर में बोले.

“मैं इस विषय में नहीं जानता सर.’’

“एक बात बताओ रवि, तुम्हारा और तुम्हारी पत्नी का वैवाहिक जीवन कैसा चल रहा है? क्या तुम दोनों के बीच में सब कुछ ठीक है?’’

“ज… जी,’’ रवि थोड़ा झिझका फिर बोला, ‘‘मोनिका और मेरे बीच में सब ठीक नहीं है सर. मुझे लगता है मोनिका अब मुझे प्यार नहीं करती, वह मुझे पति का हक भी अदा नहीं करती है.’’

“इस का कारण?’’

“कोई है सर, जो हम पतिपत्नी के बीच में आ गया है. मैं ने मोनिका को किसी से रात को देरदेर तक बातें करते देखा है. मैं ने पूछा तो कहती थी वह अपनी सहेली से बातें करती है. मैं ने एक दिन उस का फोन चैक किया तो कोई आशीष नाम के युवक का फोटो और काल डिटेल्स मिली. मेरी मोनिका से खूब लड़ाई हुई. मैं ने स्मार्टफोन ले लिया और कीपैड वाला फोन मोनिका को दे दिया है. मोनिका इस बात पर मुझ से नाराज है.’’

“आशीष,’’ एसएचओ ने यह नाम दोहराया, फिर रवि के कंधे पर हाथ रख कर बोले, ‘‘रवि, मुझे मोनिका को पूछताछ के लिए यहां बुलाना पड़ेगा. तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं?’’

“मुझे कोई ऐतराज नहीं है सर, आप अच्छी तरह से जांच करिए. मुझे मम्मीपापा के कातिल को फांसी के फंदे पर देखना है.’’

एसएचओ ने एसआई सीताराम के साथ एक महिला कांस्टेबल को भागीरथी विहार से मोनिका को लाने के लिए भेज दिया.

                                                                                                                                          क्रमशः