फुटबॉल खिलाड़ी शालिनी की अधूरी प्रेम कहानी – भाग 3

रवि पुलिस को बतातेबताते अतीत के झरोखे में चला गया…

उस ने बताया कि अभी हफ्ता भर पहले की ही बात है. उस ने मुझे फोन कर के कहा कि वह मुझ से वैलेंटाइंस डे पर मिलने प्रयागराज आ रही है.

मैं ने उस से चहकते हुए पूछा, ‘‘सच बताओ रोली (शालिनी को रवि प्यार से रोली कहता था), मजाक मत करो. क्या सच में तुम मुझ से मिलने वैलेंटाइंस डे पर प्रयागराज आओगी? इतने दिनों बाद तुम ने फोन किया है, मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है कि मेरी तुम से बात हो रही है.’’

‘‘अरे बुद्धू, मैं तुम्हारी रोली ही हूं और तुम्हीं से बात कर रही हूं. तुम किसी भूत या चुड़ैल से बात नहीं कर रहे हो. यकीन नहीं आ रहा तो अपने कान में कस कर चिकोटी काट कर देखो पता चल जाएगा.’’ इतना कह कर  शालिनी बात करतेकरते हंसने लगी.

‘‘हांहां, चलो, यकीन हो गया. अच्छा, अब यह बताओ कि गुड़गांव से तुम आ कब रही हो?’’ रवि ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘सुनो, मैं 14 फरवरी को प्रयागराज पहुंच जाऊंगी. उस दिन हम दोनों खूब मौजमस्ती और सैरसपाटा करेंगे. उस के बाद मैं वापस दिल्ली चली जाऊंगी.’’ शालिनी ने कहा.

‘‘क्यों, क्या तुम अपने घर नहीं जाओगी?’’

‘‘अरे नहीं बाबा. और यह बात तुम मेरे घर पर पापा या दीदी किसी से भी नहीं बताना क्योंकि मैं ने पापा से पहले ही कह रखा है कि मैं होली पर घर आऊंगी. मुझे इधर छुट्टी नहीं मिल रही है. समझे?’’ शालिनी ने बताया.

‘‘हां, समझा. ठीक है, मुझे तुम्हारे आने का बेसब्री से इंतजार है.’’ रवि बोला.

इस के बाद हम दोनों के बीच काफी देर तक बातें होती रहीं. अंतत: वह घड़ी भी आ गई जब 14 फरवरी की शाम शालिनी प्रयागराज जंक्शन के प्लेटफार्म पर उतरी. उस के आने से पहले ही रवि ने 10 हजार रुपए का मोबाइल बतौर सरप्राइज गिफ्ट खरीद रखा था. वह शालिनी को वैलेंटाइंस डे पर मोबाइल उपहार में देना चाहता था ताकि उस की प्रेमिका का प्यार और ज्यादा बढ़े.

14 फरवरी को तय समय पर शालिनी का प्रेमी रवि ठाकुर स्टेशन पहुंचा. उसे बाइक पर बिठाया और सीधे रेलवे स्टाफ की लोको कालोनी स्थित अपने आवास पर ले आया.

यहां गौरतलब है कि शालिनी धुरिया को 13 फरवरी को ही प्रयागराज आना था लेकिन ट्रेन मिस हो जाने के कारण वह 14 फरवरी को वहां पहुंची थी.

क्या शालिनी के और भी बौयफ्रैंड थे?

बहरहाल, जब रवि उसे ले कर अपने कमरे पर पहुंचा तो उस समय उस के घर वाले टीवी देख रहे थे. शालिनी फ्रैश होने चली गई. जब वह फ्रैश हो रही थी तो रवि ने शक के आधार पर उस का मोबाइल चैक किया. उसे शक था कि उस की प्रेमिका दिल्ली जा कर बदल गई है. उस के कई लोगों के साथ संबंध बन गए होंगे. मोबाइल की गैलरी में फोटो में शालिनी कई लड़कों के साथ स्टाइल में दिखी. फिर क्या था रवि को उस पर गहरा शक हो गया.

शालिनी जब बाथरूम से निकली तो रवि ने उस से पूछा, ‘‘रोली, तू दिल्ली जा कर बहुत बदल गई है. बेवफा है तू. अब तू पहले वाली रोली नहीं रही.’’

‘‘जुबान संभाल कर बात करो रवि, अगर मैं तुम से सच्चा प्यार न करती तो इतनी दूर तुम से मिलने नहीं आती. अपनी औकात में रह कर बात करो. क्या सबूत है तुम्हारे पास जो मुझ पर इतना बड़ा इलजाम लगा रहे हो.’’

‘‘अरे छिनाल, शरम कर जरा. सबूत है तेरा ये मोबाइल. इस में तेरे यारों के साथ खिंचवाई गई फोटो.’’ रवि गुस्से में बोला.

‘‘क्या कहा, छिनाल? तेरी हिम्मत कैसे हुई, यह कहने की?’’

‘‘एक बार नहीं सौ बार कहूंगा मादर…कहीं कहीं.’’ रवि ने उसे गाली दी.

अब शालिनी से सहा नहीं गया. उस ने एक जोरदार थप्पड़ रवि के गाल पर जड़ दिया. रवि तिलमिला उठा. गुस्से में गाली देते हुए बोला, ‘‘तेरी मां की… साली, तेरी इतनी हिम्मत कि मुझे थप्पड़ मारा…’’

शालिनी भी आपे से बाहर थी, ‘‘और नहीं तो क्या तेरी पूजा करूं. तूने मुझे समझ क्या रखा है अपनी रखैल? साले, अपने भाई के टुकड़ों पर पलने वाला मुझ पर इलजाम लगाता है. मैं इतनी बड़ी कंपनी में काम कर रही हूं. मेरा सभी के साथ उठनाबैठना, खानापीना, घूमनाफिरना है तो सब क्या मेरे यार हो गए. मैं पागल हूं जो इतनी दूर तुझ से मिलने यहां आई.’’

‘‘पता नहीं किसकिस को बयाना दे रखा होगा तूने. कौन जाने क्या खेल खेल रही है मेरे साथ फुटबाल की तरह.’’

रवि का इतना कहना था कि शालिनी ने फिर उसे झन्नाटेदार तमाचा जड़ दिया. फिर क्या था दोनों के बीच ठेठ इलाहाबादी बोली में गालीगलौज और मारपीट होने लगी.

‘‘मादर…बहुत हाथ उठने लगे हैं तेरे. तू ऐसे नहीं मानेगी…’’ कह कर रवि ने जोर से शालिनी की गरदन पकड़ ली. शालिनी गरदन छुड़ाने के लिए तड़पने लगी लेकिन अब रवि के ऊपर शैतान सवार हो चुका था. थोड़ी देर में शालिनी के प्राणपखेरू उड़ चुके थे. गला घोटे जाने से उस की जीभ और आंखें दोनों बाहर आ गई थीं.

रवि ठाकुर को जब होश आया तब तक काफी देर हो चुकी थी. अब उसे लाश ठिकाने लगानी थी. उस ने अकेले ही शालिनी के शव को बोरे में भरा. सूजे और सुतली से बोरे का मुंह सिला और अकेले ही रात के 9 बजे उस की डेडबौडी बाइक पर रख कर पोलो ग्राउंड वाले पुराने कुएं में फेंक आया.

सब कुछ अकेले ही कर डाला उस ने और किसी को पता तक नहीं चला? सेना की गश्ती गाड़ी, क्यूआरटी और हाईकोर्ट पर हमेशा चैकिंग में लगे रहने वाले पुलिस के जवान सभी नदारद रहे उस समय? न शालिनी की लड़ाईझगड़े के दौरान किसी ने चीखें सुनीं? जबकि पीछे वाले कमरे में रवि के घर वाले मौजूद थे. उन्हें भी इस की जरा भी भनक नहीं लगी? सवाल बहुत हैं मगर कोई फायदा नहीं.

इंसपेक्टर वीरेंद्र कुमार यादव ने रवि की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त मोबाइल और आलाकत्ल बरामद कर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

फुटबॉल खिलाड़ी शालिनी की अधूरी प्रेम कहानी – भाग 2

शालिनी ने एलडीसी कालेज से मार्केटिंग का कोर्स किया हुआ था. एक अच्छी फुटबाल खिलाड़ी होने के साथसाथ उसे मार्केटिंग का भी अच्छा अनुभव था. इसलिए उस की नौकरी लगने में कोई परेशानी नहीं हुई. दिल्ली में शालिनी किराए का कमरा ले कर रहती थी.

फरवरी में उस की मकान मालकिन ने हमारे घर फोन कर जब पूछा कि शालिनी प्रयागराज पहुंची कि नहीं तो हम सन्न रह गए. क्योंकि मकान मालकिन ने बताया कि शालिनी 13 फरवरी, 2022 को ही प्रयागराज के लिए रवाना हो गई थी.

पिता ने लिखाई बौयफ्रैंड के खिलाफ रिपोर्ट

जब हम लोगों ने यह सुना तो आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि शालिनी ने कुछ ही दिनों पहले फोन कर के हमें बताया था कि वह अभी नहीं आ पाएगी. अभी उसे छुट्टी नहीं मिल रही है. होली के अवसर पर वह प्रयागराज आएगी. मकान मालकिन के अनुसार उसे अब तक दिल्ली वापस आ जाना चाहिए था. तभी से हम लोग परेशान थे.

इस के बाद उस के मोबाइल पर कई बार काल की, लेकिन हर बार उस का मोबाइल स्विच्ड औफ मिला. जब शालिनी की मकान मालकिन ने हमें बताया कि वह कह कर निकली थी कि प्रयागराज अपने घर जा रही है और 2-4 दिन में वापस आ जाएगी. तभी किसी अनहोनी की आशंका के मद्देनजर बिना पुलिस को सूचना दिए उस की खोजबीन कर रहे थे.

उस की तलाश में शालिनी का प्रेमी रवि भी साथसाथ रातदिन उन के साथ एक किए हुए था. शालिनी का मोबाइल भी स्विच्ड औफ था, जिस से हमारी परेशानी और भी बढ़ गई थी. पूरा परिवार उस की चिंता कर रहा था और जब वह हमें मिली भी तो लाश के रूप में. इतना कह कर राजेंद्र प्रसाद रोने लगे. राजेंद्र प्रसाद से रवि के खिलाफ तहरीर ले कर पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू कर दी.

आगे की काररवाई के लिए सिविल लाइंस थाना पुलिस को कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि शालिनी का प्रेमी जोकि रेलवे स्टाफ क्वार्टर की लोको कालोनी में अपने बड़े भाई के साथ रहता था. उस समय वह थाने में ही मौजूद था. शालिनी के परिवार के साथ उस की खोजबीन का नाटक वह शुरू से ही कर रहा था.

रवि ठाकुर को फौरन पुलिस ने अपनी कस्टडी में ले लिया और पूछताछ शुरू कर दी. शुरुआत में उस ने पुलिस को काफी बहकाने और भटकाने की कोशिश की लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की तो उस ने शालिनी धुरिया की हत्या कर के लाश को बोरे में भर कर कुएं में फेंकने से ले कर सभी जुर्म स्वीकार कर लिए.

वैलेंटाइंस डे पर मिलने इतनी दूर से आई शालिनी की हत्या की जो कहानी सामने उभर कर आई, वह इस प्रकार निकली—

शालिनी धुरिया उर्फ रोली और उस का प्रेमी रवि ठाकुर दोनों ही फुटबाल के अच्छे खिलाड़ी थे. शालिनी के कोच अनिल सोनकर ने ‘मनोहर कहानियां’ को बताया कि शालिनी जब महज 6-7 साल की थी, तभी से उस का रुझान फुटबाल की तरफ था. सदर बाजार फुटबाल ग्राउंड में वह फुटबाल की प्रैक्टिस करती थी.

शालिनी एक अच्छी फुटबाल खिलाड़ी थी. गजब का स्टैमिना था उस के अंदर.  बहुत ही प्रतिभाशाली खिलाड़ी थी वह. तपती दोपहर में भी वह बड़ी ही मेहनत, लगन और ईमानदारी के साथ इतने बड़े फुटबाल मैदान में अकेले दम पर बाउंड्री पर चूने का छिड़काव करती थी.

अपनी मेहनत और लगन से शालिनी धुरिया ने महिला फुटबाल खिलाड़ी के रूप में बेहतरीन खिलाड़ी की छवि बना ली थी. अपनी बेहतरीन परफार्मेंस के चलते स्टेट व नैशनल लेवल पर शालिनी ने सिर्फ उत्तर प्रदेश के जिलों में, बल्कि गोवा, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, समेत विभिन्न राज्यों व जिलों में प्रयागराज जिले का तो नाम रोशन किया ही, साथ ही सदर बाजार फुटबाल एकेडमी का भी परचम फहराया था.

शालिनी ने खेल के साथसाथ अपनी पढ़ाईलिखाई भी जारी रखी थी और गंगापार इलाके से बीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद पर्ल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, गुरुग्राम में नवंबर 2021 से जौब करने लगी थी. खेल के दौरान ही शालिनी को रवि ठाकुर नाम के फुटबाल खिलाड़ी से प्यार हो गया था. रवि मूलरूप से बिहार के जिला जहानाबाद के गांव मकदूमपुर का रहने वाला था.

उस के पिता दिनेश सिंह रेलवे में नौकरी करते थे. उन की पोस्टिंग प्रयागराज में ही थी, इसलिए सिविल लाइंस की रेलवे कालोनी में उन्हें क्वार्टर मिला हुआ था. उन्होंने करीब 5-6 साल पहले वीआरएस ले लिया और अपनी जगह अपने बड़े बेटे दिनेश ठाकुर को नौकरी पर लगवा दिया था.

रवि इलाहाबाद स्पोर्टिंग फुटबाल एकेडमी का होनहार खिलाड़ी था. वह स्कूल नैशनल से अंडर 17  के तहत सीनियर स्टेट चैंपियनशिप खिलाड़ी भी रहा है. खेल के साथ वह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीए सेकेंड ईयर की पढ़ाई भी कर रहा था.

शालिनी और रवि की प्रेम कहानी की शुरुआत लगभग 7-8 साल पहले खेल के दौरान मैदान में हुई थी. दोनों ही फुटबाल के अच्छे खिलाड़ी थे, इसलिए प्रेम परवान चढ़ने में समय नहीं लगा. दोनों के पास एकदूसरे से मिलने का भरपूर समय था. खेल के बहाने रोज मुलाकात स्वाभाविक थी.

इन की प्रेम कहानी के बारे में दोनों के ही परिजन भलीभांति परिचित थे. शालिनी तो रवि के प्यार में ऐसी दीवानी हो गई थी कि उस ने अपने हाथ पर प्रेमी रवि का नाम तक गुदवा लिया था. इस तरह इन का प्यार परवान चढ़ता गया.

लेकिन एक दिन रवि की थोड़ी सी गलतफहमी ने सब कुछ उजाड़ दिया. जब रवि को हिरासत में लिया तो पूछताछ करने पर रवि ने पुलिस को बताया, ‘‘हां सर, मैं ने उस चुड़ैल का गला दबा कर हत्या की है. वह थी ही इसी लायक. मेरी सच्ची मोहब्बत का उस ने गलत फायदा उठाया था बेवफा कहीं की. मोहब्बत तो बेपनाह मैं उस से करता था और उस के मर जाने के बाद भी करता हूं.

‘‘लेकिन क्या करूं उस के बिगड़ैल रवैए और हाईप्रोफाइल लाइफस्टाइल की चाह ने मुझे उस की हत्या करने पर मजबूर कर दिया. हालांकि मैं ऐसा नहीं करना चाहता था लेकिन उस के थप्पड़ से मैं इतना आहत हो गया था कि बरदाश्त नहीं कर पाया. रोक नहीं सका खुद को और…’’

कनाडा से बुला कर शादी, फिर हत्या – भाग 2

दूसरी तरफ सुनील मोनिका की खुबसूरती, स्वभाव, आचरण और व्यवहारिकता पर मर मिटा था. वह गांव की हो कर भी शहरी वातावरण में आसानी से फिट हो जाती थी. धाराप्रवाह अंगरेजी बोलना सीख गई थी. कंप्यूटर, इंटरनेट सर्फिंग, सोशल साइटों से संबंधित बारीकियां और दूसरी टेक्निकल जानकारियां भी हासिल कर चुकी थी. मोनिका अगर अपने करिअर के प्रति महत्त्वाकांक्षी बनी हुई थी तो सुनील उसे लाइफ पार्टनर बनाने का मन बना चुका था. दोनों का प्रेम प्रसंग बढ़ता जा रहा था.

पढ़ाई के लिए कनाडा पहुंची मोनिका

समय अपनी गति से चल रहा था तो वहीं मोनिका भी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही थी. उस ने बीए की पढ़ाई पूरी करने के अलावा आइलेट्स की परीक्षा भी पास कर ली. उसे 2 सफलताएं एक साथ मिल गई थीं, जिस से उस के विदेश जाने की राह और आसान हो गई थी.

हालांकि इस के लिए उस के मौसेरे भाई विकास ने भी तैयारी की थी, लेकिन वह आइलेट्स की परीक्षा पास नहीं कर पाया था, जिस से उसे कनाडा का वीजा नहीं मिल पाया. फिर भी उसे खुशी इस बात की थी कि बहन मोनिका को स्टूडेंट वीजा मिल गया था. उसे वहां बिजनैस मैनेजमेंट यानी एमबीए की पढ़ाई करनी थी.

उन की इस खुशी में सुनील भी शामिल था, लेकिन उस के मन में एक टीस भी थी कि मोनिका कनाडा चली जाएगी और जब उसे उस की याद सताएगी तब क्या करेगा? वह एक तरह से उस की गैरमौजूदगी में अपनी तन्हाई को ले कर चिंतित हो गया था. उस ने भारी मन से 5 जनवरी, 2022 को दिल्ली के अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट से मोनिका को कनाडा के लिए विदा कर दिया था.

मोनिका के परिवार वालों के लिए संतोष और बेहद खुशी की बात थी कि कनाडा में उस की पढ़ाई का सारा इंतजाम हो गया था. उस के सुनहरे भविष्य को ले कर उस का भाई विकास समेत मौसामौसी और मम्मीपापा सभी खुश थे. इसे वे गर्व की बात समझते थे और परिचितों को बताने से नहीं चूकते थे. इस से उन की सामाजिक मानमर्यादा बढ़ गई थी. गांव के लोगों के बीच उन की प्रतिष्ठा भी बढ़ गई थी.

अगर कोई उदास था तो वह था सुनील. मोनिका के जाने के बाद वह उस के प्रेम की रूमानियत और रोमांस में खोया रहने लगा था. मोनिका की यादें उसे सताती रहती थीं. वैसे वह उस से फोन पर बातें कर लिया करता था, लेकिन वहां मोनिका पढ़ाई की व्यस्तता और रातदिन में समय के फर्क के कारण ज्यादा समय तक बात नहीं कर पाती थी. जबकि सुनील चाहता था कि वह उस से लंबी बातें करे. अपने दिल की बात उसे सुनाए. उस की यादों में खोए हुए अपने गम के हाल बताए.

कुछ ऐसा ही मोनिका के घर वालों के साथ भी था, लेकिन वे उस की पढ़ाई और व्यस्तता को समझते हुए कुछ सेकेंड के लिए ही सही, हर रोज हालसमाचार ले लिया करते थे. समय बीतता रहा और मोनिका से फोन पर संपर्क होने का समय भी बढ़ता चला गया. घर वालों की उस से 2-3 दिन में बातें होने लगीं. धीरेधीरे कर हफ्ते में और फिर 2 हफ्ते में बात होने लगी.

एक समय ऐसा भी आया, जब मोनिका की घर वालों से 2-2 हफ्ते तक बात नहीं हो पाई. यह सिलसिला हफ्ते से महीने में बदल गया. लेकिन जून, 2022 के बाद घर के किसी भी सदस्य से मोनिका की बात नहीं हो पाई. जबकि इस से पहले परिवार में किसी न किसी सदस्य से मोनिका की थोड़ी ही सही, मगर हालचाल, पढ़ाई या जरूरतें आदि की बात हो जाती थी. इस तरह से उस की कुशलता की खबर पूरे परिवार को मिल जाती थी.

अचानक बंद हो गया मोनिका से संपर्क

जून, 2022 के बाद जब मोनिका की कोई काल नहीं आई और उस के घर वालों द्वारा काल किए जाने पर भी उस से बात नहीं हो पाई, तब वे चिंतित हो गए. वे समझ नहीं पा रहे थे कि अचानक क्या हो गया, जो कनाडा गई मोनिका से भारत में किसी से बात नहीं हो पा रही है. न तो फोन काल और न ही वाट्सऐप मैसेज. उस से संपर्क एकदम से खत्म गया था.

इस तरह 5 महीने निकल गए थे और मोनिका का भारत में किसी से संपर्क नहीं हो पा रहा था. आखिरकार, उस के घर वालों ने गन्नौर थाने में 26 अक्तूबर, 2022 को मोनिका के अपहरण की शिकायत दर्ज करवा दी. पुलिस द्वारा अपहरण के लिए किसी पर संदेह की बात पूछे जाने पर घर वालों ने सुनील का नाम ले लिया था, जिस से कुछ महीने में अच्छी दोस्ती हो चुकी थी.

मोनिका के घर वाले 2 दिनों तक गन्नौर पुलिस की काररवाई से संतुष्ट नहीं हुए. वे 28 अक्तूबर, 2022 को एसपी से मिले. फिर भी उन्हें मोनिका के बारे में कोई सूचना नहीं मिल पाई. दूसरी तरफ मोनिका के अपहरण में सुनील का नाम आने से वह नाराज हो गया था. गुस्से में उस ने मोनिका के मौसामौसी के गुमड़ी गांव स्थित घर पर 2 नवंबर, 2022 को काफी हंगामा किया. यहां तक कि उस के आदमियों ने परिवार के सदस्यों पर हमले भी किए. यह सब सीसीटीवी कैमरे में रिकौर्ड हो चुका था.

काफी प्रयास के बाद 16 नवंबर, 2022 को सुनील के खिलाफ मोनिका के अपहरण का केस दर्ज हो पाया. फिर भी उस के खिलाफ पुलिस ने कोई सख्त काररवाई नहीं की, गिरफ्तारी तो दूर की बात थी. आखिरकार मोनिका के परिजनों ने हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज से मिल कर न्याय की गुहार लगाई.

इस का असर यह हुआ कि मोनिका के गायब होने की जांच रोहतक रेंज के आईजी को सौंप दी गई. उन्होंने तुरंत मामले की गंभीरता को देखते हुए मोनिका की तलाशी के लिए सीआईए-2 की टीम को इस मामले की जांच के निर्देश दिए.

घर वालों ने सुनील पर जताया शक

मोनिका की तलाशी के सिलसिले में पुलिस के लिए एकमात्र संदिग्ध सुनील ही था. उस के घर वालों के अलावा गांव के कुछ लोगों ने बताया की मोनिका को अकसर सुनील के साथ देखा गया था. वह उस की गाड़ी से ही कालेज या कोचिंग के लिए दिल्ली जाती थी. वापस भी उसी के साथ आती थी. गांव वालों की निगाह में सुनील उस के साथ बहन का रिश्ता बनाए हुए था. सुनील की लंबी चमकती गाड़ी वीआईपी नंबर की थी, जिसे हर कोई पहचानता था.

पूछताछ से पहले पुलिस ने उस के आपराधिक रिकौर्ड की छानबीन की. पता चला कि सुनील पहले भी आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाया गया था. उस के खिलाफ थाना गन्नौर में मारपीट, अवैध हथियार, जान से मारने का प्रयास आदि के 7 मुकदमे दर्ज थे. उस के खिलाफ नया मामला मोनिका के अपहरण का दर्ज हो चुका था, जिस के लिए उसे भादंवि की धारा 365 का आरोपी बनाया गया था.

 

फुटबॉल खिलाड़ी शालिनी की अधूरी प्रेम कहानी – भाग 1

20 फरवरी, 2022 की शाम. समय यही कोई साढ़े 5-6 बजे के आसपास का रहा होगा. जाड़े की शाम थी. वैसे भी जाड़ों में दिन छोटे और रात बड़ी होती हैं. उस समय भी शाम हो चली थी और शाम के धुंधलके ने प्रयागराज हाईकोर्ट के पास स्थित पोलो ग्राउंड और सड़क को अंधेरे में घेर रखा था.

चूंकि यह सड़क वीआईपी है और लोगों का आवागमन लगा रहता है. खासकर सुबह और शाम को वाक करने वालों का. उसी पोलो ग्राउंड में एक बहुत ही पुराना और गहरा कुआं भी है. ठंड के बावजूद उस पुराने कुएं से बदबू आ रही थी, जिस की असहनीय दुर्गंध ने वाक करने वालों और राहगीरों को अपने नथुनों पर रुमाल रख कर चलने पर मजबूर कर दिया था. किसी अनहोनी की आशंका के मद्देनजर कुछ लोगों ने पोलो ग्राउंड का चक्कर लगाया कि आखिर माजरा क्या है.

चूंकि आर्मी एरिया में स्थित पोलो ग्राउंड बहुत बड़े दायरे में फैला हुआ है, इसलिए बदबू कहां से आ रही है, यह जानने के लिए लोग सब से पहले कुएं के पास गए. कुआं मुख्य सड़क से सिर्फ 10 कदम की दूरी पर था. सब से पहले कुएं के पास ही लोगबाग गए. जैसेजैसे लोग कुएं के पास बढ़ते गए, बदबू उतनी ही तेजी से उन के नथुनों में घुस रही थी.

शक होने पर वहां मौजूद एक वकील साहब ने फौरन 112 नंबर व संबंधित थाना सिविल लाइंस को सूचना दी कि कुएं से लगातार असहनीय दुर्गंध उठ रही है. जरूर उस में किसी की लाश हो सकती है. हमेशा उस कुएं से लाश ही बरामद की गई है, इसलिए उसे मौत का कुआं ही कहते थे. इस बात में या यह कहनेसमझने में जरा भी समय नहीं लगा कि उस कुएं में किसी का काम तमाम कर के उस की लाश फेंक दी गई है.

बहरहाल, सूचना मिलते ही प्रयागराज के थाना सिविल लाइंस की पुलिस और गश्ती गाड़ी पोलो ग्राउंड के अंदर घुसे और जब कुएं के अंदर झांका तो पाया कि एक सफेद रंग का बोरा उस कुएं में (लगभग सूख चुका है कुआं फिर थोड़ाबहुत पानी उस में अब भी हमेशा रहता है) पड़ा था. कुछ ही देर में एसएसपी अजय कुमार और सीओ संतोष सिंह भी वहां पहुंच गए.

कुआं काफी गहरा था. बोरे को निकालने के लिए इंसपेक्टर वीरेंद्र यादव ने फायर ब्रिगेड को फोन कर दिया. फायर ब्रिगेड कर्मचारियों ने कुएं के अंदर एक लंबी सीढ़ी डाली और अपनेअपने मुंह ढक कर उस के अंदर उतरे. जैसेतैसे बोरे को कुएं से बाहर लाया गया. उसे उठाने में जवानों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी क्योंकि बोरा काफी वजनी था.

बोरे में निकली लड़की की लाश

जब उस बोरे का मुंह खोला तो उस के अंदर एक युवती की लाश देख कर लोग दंग रह गए. अब जबकि बोरे को कुएं से निकाला जा चुका था तो उस में से और भी तेजी के साथ दुर्गंध चारों तरफ फैलने लगी थी.

युवती ने जींस टीशर्ट और पैरों में जूते पहन रखे थे. उस की लाश देख कर पुलिस ने अंदाजा लगाया कि उस की हत्या कोई एक हफ्ता पहले कर के उस की लाश को ठिकाने लगाने के लिए हाथपैर मोड़ कर उसे बोरे में ठूंसठूंस कर भरा गया था. उस के बाद सुतली और सूजे की मदद से बोरे को सिल कर कुएं में फेंका गया होगा.

पानी में पड़ेपड़े उस युवती की लाश लगभग फूल चुकी थी. चेहरा भी पहचानने में नहीं आ रहा था. सिविल लाइंस पुलिस ने वहां मौजूद लोगों से लाश की शिनाख्त करने को कहा, लेकिन वहां मौजूद कोई भी शख्स उसे पहचान पाने में असमर्थ था.

लड़की कौन थी? कहां की रहने वाली थी? यह सब जानने के लिए जब महिला पुलिस ने उस के कपड़ों की तलाशी ली तो उस में कुछ भी नहीं मिला. हां, मृतका की बाईं कलाई पर एक टैटू बना हुआ था और उस पर रवि नाम लिखा हुआ था.

बहरहाल, लाश का पंचनामा भरने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. एसएसपी अजय कुमार ने हत्या के इस मामले को सुलझाने के लिए सीओ संतोष सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में थाना वीरेंद्र सिंह यादव, एसएसआई इंद्रदत्त द्विवेदी, एसआई वजीउल्लाह खान, अरविंद कुमार कुशवाहा, कांस्टेबल राहुल कुमार गोला, राहुल कुमार, महिला कांस्टेबल इंदु आदि को शामिल किया.

अगले दिन कुएं में मिली जवान युवती की लाश की खबर शहर के सभी अखबारों में छपी और साथ ही उस की कलाई पर बने टैटू पर रवि नाम गुदे होने का जिक्र किया गया तो पुलिस को उस की शिनाख्त के लिए ज्यादा भागदौड़ की जरूरत नहीं पड़ी.

मृतका निकली राष्ट्रीय स्तर की फुटबाल खिलाड़ी

प्रयागराज के ही थाना शिवकुटी के मोहल्ला शिलाखाना में रहने वाले राजेंद्र प्रसाद ने अगले दिन यानी 21 अप्रैल को जब अखबार में यह पढ़ा कि एक जवान युवती की डेडबौडी पोलो ग्राउंड के अंदर पुराने कुएं से थाना सिविल लाइंस पुलिस ने बरामद की है, उस के हाथ पर बने टैटू पर ‘रवि’ नाम लिखा हुआ है तो वह थाने पहुंचे और इंसपेक्टर वीरेंद्र यादव से मिले.

वीरेंद्र यादव से उन्होंने डेडबौडी देखने की इच्छा जाहिर की तो बिना एक पल गंवाए इंसपेक्टर ने उन्हें अपने मातहतों के साथ पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया.

लाश के चेहरे से जब कफन हटाया गया तो उस के पिता और परिजन फफकफफक कर रोने लगे. शव की शिनाख्त हो चुकी थी. मृतका का नाम शालिनी धुरिया उर्फ रोली था. उस के पिता राजेंद्र प्रसाद, मां व भाईबहन ने उसे पहचान लिया. घर वाले यह जान कर हैरान थे कि शालिनी तो गुड़गांव में नौकरी कर रही थी तो प्रयागराज कब आ गई.

शालिनी पूरे परिवार की लाडली थी. उस की हत्या से घर वालों का रोरो कर बुरा हाल था. पेशे से ईरिक्शा ड्राइवर राजेंद्र प्रसाद के 4 बच्चों में सब से बड़ी बेटी श्रद्धा, उस से छोटी शालिनी उर्फ रोली व उस से छोटे भाई बहन अंकित और स्वाति थे.

बहरहाल, उस के अंतिम संस्कार के बाद घर वालों से, खासकर शालिनी के पिता से जब यह पूछा गया कि उस की कलाई पर जो रवि नाम लिखा हुआ है, वह कौन है? शालिनी का उस से क्या संबंध है? शालिनी यहां से पहले कहां रहती थी?

पुलिस को इन सवालों का जवाब मिलना जरूरी था, तभी वह शालिनी के हत्यारों तक पहुंच सकती थी. पूछताछ के दौरान शालिनी के पिता राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि रवि उन की बेटी का दोस्त है.

‘‘उस का आप के घर भी आनाजाना था?’’ इंसपेक्टर वीरेंद्र यादव ने पूछा.

उन्होंने बताया कि शालिनी बहुत होनहार थी. वह राष्ट्रीय स्तर की फुटबाल प्लेयर थी. परिवार की माली हालत को देखते हुए 2021 में दूसरे लौकडाउन के खत्म होने के बाद वह नवंबर महीने में गुड़गांव चली गई थी. और एक प्राइवेट कंपनी में जौब करने लगी थी.

कनाडा से बुला कर शादी, फिर हत्या – भाग 1

मूलरूप से हरियाणा के रोहतक की रहने वाली मोनिका बेहद खूबसूरत थी. लेकिन फिलहाल अपने मम्मीपापा के साथ सोनीपत के गांव गुमड़ी में रह रही थी. वह दिल्ली विश्वविद्यालय में बीए की छात्रा थी. क्लास के लिए वह गुमड़ी से बस से दिल्ली आतीजाती थी.

छुट्टी के दिनों को छोड़ कर करीब 40 किलोमीटर का सफर वह अकेली तय करती थी. उस पर पढ़ाई का भूत सवार था. वह फाइनल ईयर में थी. आगे वह सीधे विदेश में जा कर पढ़ाई करने का मन बना चुकी थी. वहां मैनेजमेंट का कोई अच्छा कोर्स करने की महत्त्वाकांक्षा थी. उस की तमन्ना पूरी करने के लिए 2 परिवारों का साथ भी मिला हुआ था.

उन में एक उस के अपने मम्मीपापा का परिवार था और दूसरा परिवार उस के मौसामौसी का भी था, जहां वह रहती थी. वह 2 मौसेरे भाइयों की दुलारी, प्यारी इकलौती बहन थी. उस की मौसी ने उस की मां से मांग कर अपनी बेटी का नाम दे दिया था.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. मोनिका बीए की पढ़ाई के साथसाथ आइलेट्स अर्थात इंटरनैशनल इग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम कंप्यूटर के लिए कोचिंग भी कर रही थी. इस तरह से उस पर पढ़ाई का काफी बोझ था. ऊपर से बस से थका देने वाला सफर भी तय करना होता था.

एक बार कालेज जाते समय उसे अमीर नौजवान सुनील ने देख लिया था. वह बस में थी, जबकि सुनील अपनी महंगी गाड़ी में था. दोनों की मंजिल दिल्ली की तरफ ही थी. दरअसल, सुनील उस की मौसी का पड़ोसी था और वह अपनी भाभी की बदौलत उसे जानतापहचानता था. उसे अपने बिजनैस के सिलसिले में गुडग़ांव और दिल्ली नियमित जाना होता था.

उस के बारे में पड़ोसी भाभी सोनिया ने बताया था. साथ ही सुझाव दिया था कि वह चाहे तो बस के बजाय उस की गाड़ी से दिल्ली जा सकती है. उसे कोई आपत्ति नहीं होगी. हालांकि मोनिका ने इस तरह से किसी का एहसान लेना ठीक नहीं समझते हुए बस से ही आनाजाना रखा. एक दिन सुनील उर्फ शिल्ला अपनी गाड़ी से जाते हुए मोनिका से टकरा गया.

संयोग से उस दिन मोनिका जिस बस में सवार थी, उस में कुछ खराबी आ गई थी और सभी यत्रियों के साथ वह भी सडक़ के किनारे दूसरी बस के इंतजार में थी. बेचैन और चिंतित मोनिका से एक सहयात्री महिला कंधे पर हाथ रख कर बताया कि उधर पीछे की गाड़ी से कोई आवाज दे कर उसे बुलाने का इशारा कर रहा है.

मोनिका ने उस ओर देखा, तब तक एक कार उस के पास आ कर ही रुक गई थी. दूसरी तरफ ड्राइविंग सीट पर बैठे युवक ने अपना परिचय सुनील के रूप में दिया और उसे गाड़ी में बैठने को कहा. मोनिका हिचकिचाई. उस के कुछ बोलने से पहले ही सुनील ने मोबाइल फोन का स्पीकर औन कर उस के सामने कर दिया. दूसरी तरफ से आवाज आ रही थी. ‘‘हैलो, सुनील, बोलो क्या बात है?’’

“भाभीजी, मोनिका से बात कीजिए…’’

“मोनिका…तुम्हारे पास?’’ उधर से चिंतातुर आवाज आई.

“जी भाभी, उस की बस खराब हो गई है, दूसरी बस का इंतजार कर रही है. मैं उसे अपनी गाड़ी में लिफ्ट देने के लिए बोल रहा हूं, लेकिन वह हिचकिचा रही है. शायद मुझे नहीं पहचानती है.’’ सुनील बोला.

दूसरी तरफ से उस की भाभी सोनिया की आवाज आई, ‘‘अरे उसे फोन तो दो, मैं बात करती हूं. तुम्हारे बारे में बताती हूं.’’

“फोन का स्पीकर औन है, आप बोलिए वह सुन रही है.’’ सुनील बोला. तब तक मोनिका भी सोनिया की आवाज पहचान चुकी थी. वह बोली, ‘‘भाभीजी नमस्ते, आप ने इन के बारे में ही बताया था क्या?’’

“अरे हां मोनिका. यही तो मेरा प्यारा देवर है. बहुत अच्छा लडक़ा है. तुम्हें अपनी गाड़ी से कालेज तक छोड़ देगा. साथ चली जाओ. कोई चिंता की बात नहीं है. समझो, जैसा तुम्हारा भाई विकास वैसा ही सुनील.’’ सोनिया उसे समझाती हुई बोली. तब तक सुनील गाड़ी का गेट खोल चुका था. एक हाथ से साथ वाली सीट पर रखी फाइल और डायरी को आगे डैशबोर्ड पर रखते हुए बैठने के लिए इशारा कर दिया. मोनिका तब तक आश्वस्त हो चुकी थी और पीठ से अपना बैग उतार कर गाड़ी में बैठ गई.

पहली मुलाकात का हुआ दिल पर असर

इस तरह से मोनिका और सुनील की पहली मुलाकात हुई थी. कुछ समय तक दोनों शांत बैठे रहे. थोड़ी देर में बातचीत का सिलसिला सुनील ही शुरू करते हुए बोला, ‘‘मोनिकाजी, मैं आप को अच्छी तरह जानता हूं. शायद आप मुझे नहीं पहचानती हैं, इसलिए गाड़ी में बैठने से झिझक रही थीं. मैं आप के मौसामौसी के पड़ोस में रहता हूं. सुबहसुबह ही काम के सिलसिले में दिल्ली एनसीआर को निकल पड़ता हूं. आप को मैं ने कई बार पैदल जाते हुए और बस का इंतजार करते देखा था. सोचता था कि आप को साथ लेता चलूं, लेकिन मैं यही सोच कर नहीं बोल पाता था कि आप कुछ गलत न समझ लें…’’

मौन बनी मोनिका सुनील की बात सुन रही थी. गाड़ी अपनी गति से सडक़ पर अपनी लेन में चल रही थी. सुनील बोला, ‘‘आप चाहें तो लौटते वक्त मुझे फोन कर दीजिएगा. मैं उधर से भी आप को साथ ले लूंगा. मेरा फोन नंबर नोट कीजिए 97xxxxxxxx’’ सुनील फोन नंबर बोलने लगा.

मोनिका बगैर कुछ बोले, अपने मोबाइल पर उस का नंबर टाइप करने लगी. तुरंत उसी नंबर पर उस ने काल भी कर दी. सुनील के मोबाइल पर इनकमिंग काल आ चुकी थी.

“आप का नंबर है? लास्ट डिजिट 34 है न?’’ सुनील ने कहा.

“जी…मुझे हुडा सिटी सेंटर मेट्रो पर उतार दीजिएगा. वहां से यूनिवर्सिटी की मेट्रो ले लूंगी.’’ मोनिका बोली.

“ठीक है, वापसी भी वहीं से होगी न? मुझे काल कर देना मैं मेट्रो के पास आ जाऊंगा.’’

“देखती हूं…’’

इस तरह से मोनिका और सुनील की पहली जानपहचान से अच्छी दोस्ती में बदलने में ज्यादा देर नहीं लगी. उन की अकसर मुलाकातें होने लगीं. मोनिका और सुनील साथ गाड़ी में आनेजाने लगे. समय बचता तो वे गुडग़ांव के किसी काफी होम या रेस्टोरेंट में कुछ समय साथ भी गुजारने लगे थे.

यह कहना गलत नहीं होगा कि दोनों के दिल में प्रेम अगन सुलग चुकी थी. कुंवारे और अमीर सुनील को पा कर मोनिका अच्छे भविष्य के सपने देखने लगी थी. उसे एहसास होने लगा था कि उस ने विदेश में पढ़ाई करने के जो सपने देखे हैं, उसे पूरा करने में सुनील की मदद उसे अवश्य मिलेगी.

 

एयर होस्टेस का अधूरा प्यार – भाग 3

बेंगलुरु पहुंचे अर्चना के मातापिता…

13 मार्च, 2023, बेंगलुरु के साउथ डिवीजन के डीसीपी सी.के. बाबा अपने औफिस में बैठे हुए एक फाइल देख रहे थे, तब उन के औफिस में एक पुरुष और महिला बदहवास हालत में पहुंचे. दोनों की बदहवास हालत देख कर सी.के. बाबा ने फाइल बंद कर दी और हैरानी से पूछा, ‘‘आप कौन हैं और इतने परेशान क्यों हैं?’’

“मेरा नाम देवनाथ धीमान है, यह मेरी पत्नी है. मैं बनखेड़ी जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश क्षेत्र का रहने वाला हूं.’’

“अरे, आप इतनी दूर से यहां मेरे औफिस में आए हैं.’’ चौंक कर सी.के. बाबा अपनी कुरसी पर सीधे हो गए. देवनाथ के चेहरेपर नजरें जमा कर उन्होंने पूछा, ‘‘इस की वजह बताएंगे.’’

“सर, मेरी बेटी का नाम अर्चना है. वह बेंगलुरु में श्री लक्ष्मी मंदिर रोड पर स्थित श्री रेणुका रेजीडेंसी में रहने वाले आदेश से मिलने के लिए 11 मार्च को दुबई से यहां आई थी. आदेश ने मुझे फोन कर के बताया है कि अर्चना ने उस के फ्लैट की चौथी मंजिल से कूद कर आत्महत्या कर ली है.

“सर, मेरी बेटी अर्चना एयर होस्टेस थी. वह दुबई एयरलाइंस में सर्विस कर रही थी. अर्चना बहादुर लडक़ी थी, शिक्षित थी. वह आत्महत्या जैसा कदम कदापि नहीं उठा सकती. मुझे पूरा यकीन है कि मेरी बेटी अर्चना को आदेश ने धक्का दे कर हत्या का षडयंत्र रचा है, आप उसे गिरफ्तार कीजिए.’’

“अर्चना यहां बेंगलुरु में आदेश से मिलने क्यों आई थी, उस का आदेश के साथ क्या संबंध था?’’ डीसीपी सी.के. बाबा ने पूछा.

“अर्चना बहुत संस्कारी और समझदार लडक़ी थी सर. पता नहीं कैसे वह आदेश के प्रेमजाल में फंस गई. आदेश ने न जाने क्या जादू कर दिया था कि वह उस के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगी थी. दुबई में एयरलाइंस में चयन होने पर वह वहां चली गई थी. अर्चना मुझे सब खुल कर बता देती थी. उस ने आदेश की भी विडियो काल के द्वारा मुझ से पहचान करवाई थी.’’

“हूं.’’ सी.के. बाबा ने गंभीरता से सिर हिलाया, ‘‘मामला गंभीर है, मैं खुद इस की जांच करूंगा.’’ कहने के बाद डीसीपी ने घटनास्थल से संबंधित पुलिस स्टेशन कोरमंगला से संपर्क कर के वहां के आईपी (इंसपेक्टर औफ पुलिस) से बात की तो आईपी ने बताया, ‘‘सर, आदेश नाम के युवक ने 11 मार्च की रात को ही थाने में आ कर रिपोर्ट दर्ज करवा दी थी. उस ने बताया था कि अर्चना ने शराब पी रखी थी. बालकनी में उस ने बैलेंस खो दिया, इस से वह नीचे गिर गई और उस की मौत हो गई. वह अर्चना को लोगों की मदद से सेंट जोंस अस्पताल ले कर गया था, जहां डाक्टरों ने जांच के बाद अर्चना को मृत घोषित कर दिया था. हम ने लाश कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दी है सर.’’

“क्या आप ने घटनास्थल पर जा कर जांच की है?’’ डीसीपी बाबा ने आईपी से पूछा.

“की है सर. आदेश के फ्लैट की बालकनी इतनी ऊंची है सर कि वहां से कोई व्यक्ति नीचे गिर ही नहीं सकता, यह एक्सीडेंटल डेथ का मामला नहीं लग रहा है सर. अर्चना नशे में थी, मेरा अनुमान है कि आदेश ने ही अर्चना को नीचे फेंका होगा. मैं पूरी घटना की बारीकी से जांच कर रहा हूं. मैं पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहा हूं.’’

“आप इंतजार मत कीजिए, आदेश को पकड़ कर मेरे पास लाइए. उस ने गुनाह किया होगा तो यहां मैं कुबूल करवा लूंगा.’’

“ठीक है सर, दूसरी ओर से कोरमंगला थाने के आईपी ने कहा. डीसीपी सी.के. बाबा ने काल डिसकनेक्ट कर देवनाथ धीमान और उन की पत्नी को कक्ष में बैठा दिया. उन्हें अब आदेश को यहां लाने का इंतजार था. एक घंटे बाद ही आदेश को ले कर कोरमंगला थाने के आईपी अपनी पुलिस टीम के साथ वहां आ गए.

आदेश ने स्वीकार किया जुर्म…

आदेश को डीसीपी बाबा ने अपने सामने बिठाया और बहुत ही नरम लहजे में कहा, ‘‘तुम अच्छे घर के शिक्षित युवक हो, जवान हो, जवानी में प्यार भी हो जाता है, तुम ने सैकड़ों मील दूर की लडक़ी अर्चना को कैसे प्यार के जाल में फंसाया, फिर उस की हत्या कर दी, मुझे यही जानना है. यदि सचसच बताओगे तो तुम्हारे हित में होगा, वरना सच खुलवाने के लिए हमारे पास बहुत उपाय होते हैं.’’

आदेश ने गहरी सांस ली और भावुक स्वर में बोला, ‘‘मैं अर्चना को बहुत प्यार करता था सर. डेटिंग ऐप पर अर्चना ने मेरी फै्रंड रिक्वेस्ट स्वीकार की थी. पहले हम अच्छे दोस्त बने, फिर यह दोस्ती प्यार में बदल गई. मेरे लिए अर्चना कांगड़ा से यहां रहने आ गई. हम लिवइन रिलेशन में रहने लगे. प्यार में हम ने जिस्मानी संबंध भी बना लिए. अर्चना मुझ से शादी करना चाहती थी. इस के लिए मैं भी राजी था कि एक दिन…’’

आदेश ने रुक कर सांसें दुरुस्त की फिर बताने लगा, ‘‘अर्चना दुबई में नौकरी कर रही थी. 2-3 दिन की छुट्टी मिलने पर वह अचानक बेंगलुरु आ गई. मुझे सरप्राइज देने के लिए अपना बैग बरामदे में रख कर वह दबे पांव कमरे में आ गई. उस समय मेरे कंप्यूटर पर एक कालगर्ल मुझे प्रपोज कर रही थी.

“उस वक्त उस लडक़ी के शरीर पर वस्त्र नहीं थे. गरमी के कारण मैं ने भी कमीज उतार रखी थी. सर, वह कंप्यूटर की अश्लील साइट थी. अर्चना ने समझा कि मैं किसी लडक़ी के साथ चैटिंग कर रहा हूं. उस ने मुझे बुराभला कहा और बैग उठा कर अपनी किसी सहेली के यहां चली गई. वहीं से वह दुबई चली गई.

“वह रूठी हुई थी, मेरा फोन भी नहीं उठा रही थी. 11 मार्च को वह अपने आप मेरे पास आ गई. उस दिन फोरम माल में शापिंग की, एक फिल्म देखी और व्हिस्की की बोतल खरीद कर फ्लैट पर आ गए. अर्चना ने और मैं ने बालकनी में बैठ कर शराब पी. अर्चना ने ज्यादा पी ली थी, वह मुझ से उसी लडक़ी की चैटिंग वाली बात पर लडऩे लगी तो मुझे गुस्सा आ गया.

“मैं ने उसे उठा कर बालकनी से फेंक दिया. मैं नशे में था, मुझे होश आया तो मैं नीचे भागा. नीचे अर्चना लहूलुहान पड़ी थी. मैं आसपास रहने वाले लोगों की मदद से उसे सेंट जोंस अस्पताल ले गया, जहां डाक्टर ने अर्चना को मृत घोषित कर दिया. अर्चना की हत्या कर के मैं पछता रहा हूं, वह मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी. मैं ने उसे खो दिया.’’

आदेश द्वारा जुर्म कबूल करने के बाद कोरमंगला थाने में अर्चना के पिता देवनाथ धीमान की ओर से आदेश के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत केस दर्ज कर लिया गया. फिर पूछताछ के बाद उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

कथा लिखने तक पुलिस आदेश के खिलाफ ठोस सबूत जुटा रही थी ताकि उसे कोर्ट से कड़ी से कड़ी सजा दिलवाई जा सके.

एयर होस्टेस का अधूरा प्यार – भाग 2

आदेश अर्चना की डेटिंग ऐप प्रोफाइल पर अब रोज अपने कमेंट भेजने लगा था. अर्चना अपनी पोस्ट पर आदेश के द्वारा भेजे कमेंट पढ़ती तो उस की नजर में आदेश का कद और ऊंचा हो जाता. दोनों की दोस्ती धीरेधीरे मजबूत डोर में बंधने लगी. आदेश अर्चना की नजर में सुलझा हुआ इंसान था. उस के कमेंट में कोई अश्लीलता नहीं होती, न वह ऊलजलूल बातें लिखता था.

आदेश हमेशा इस खूबसूरत दुनिया के खूबसूरत नजारों की बातें लिखता, कभी निराशा के महत्त्व को समझाता, जिस के आधार पर इंसान अपना भविष्य तय करता है. आदेश मन से चाहता था कि अर्चना अपने मकसद में कामयाब हो जाए, वह एयरहोस्टेस बन कर ऊंची उड़ान भरे. अर्चना पूरी लगन से एयरहोस्टेस के लिए तैयारी कर रही थी. इधर उस का झुकाव धीरेधीरे आदेश की ओर होने लगा था.

दोस्ती बदली प्यार में…

किसी दिन आदेश का यदि कोई कमेंट नहीं आता तो अर्चना उदास हो जाती थी. आदेश उस के दिलोदिमाग पर छाता जा रहा था. सोतेजागते, खातेपीते बस आदेश का खयाल ही अर्चना की जेहन में उभरता रहता. आदेश उस की नींदें चुराने लगा था, उस के दिल में हलचल मचाने लगा था. अब अर्चना का मन करता था, उस की पोस्ट से हट कर सीधे उस से बातें करे.

अर्चना हिमाचल प्रदेश के जिला कांगडा के बनखेड़ी में रहती थी और आदेश बेंगलुरु में. दोनों के बीच बहुत लंबा फासला था, वह आमनेसामने बैठ कर बातेंमुलाकातें नहीं कर सकते थे. अर्चना को आदेश से बात करने का एक ही जरिया नजर आया, वह जरिया था मोबाइल. मोबाइल द्वारा आदेश और वह रात और दिन बातें कर सकते थे, लेकिन अर्चना आदेश को यह सुझाव देने में हिचक रही थी. वह नारी थी, अपनी ओर से यह सुझाव देने में उसे शरम महसूस हो रही थी. वह चाहती थी कि इस की पहल आदेश करे.

एक दिन उस की मुराद पूरी हो गई. आदेश ने कमेंट किया, ‘‘अर्चना, तुम बेहद खूबसूरत और सुलझी हुई युवती हो. हम दोनों के बीच लंबे समय से पोस्ट पर कमेंट का ही आदानप्रदान हो रहा है, अब दिल तुम से मिलने को तड़पने लगा है. ऐसा क्यों हो रहा है, मैं नहीं जानता, लेकिन अब मैं तुम्हारी मीठी आवाज सुनना चाहता हूं. क्या तुम मुझे अपना मोबाइल नंबर दोगी?’’

अर्चना के दिल में जलतरंग बजने लगी. उसे बिन मांगे मोती मिल गए थे. उस ने कमेंट में लिखा, ‘आदेश, मैं खुद तुम्हारी आवाज सुनने को बेताब हूं. मैं तुम्हें अपना मोबाइल नंबर दे रही हूं, तुम भी मोबाइल नंबर लिख दो, दिलों से तो हम कभी के जुड़ चुके हैं, अब जुबां से भी जुड़ जाएं, तो अच्छा होगा.’’ दोनों ने अपनाअपना मोबाइल नंबर पोस्ट पर डाल दिया.

उस वक्त रात के सवा 9 बजे थे, जब आदेश ने उस का नंबर मिलाया. उस की आवाज में शायरानापन था, ‘‘मेरे दिल की बगिया में खूबसूरत शहजादी का स्वागत है, यह नाचीज गुलाम तुम्हें झुक कर सलाम करता है.’’

“ओह आदेश, तुम कितने अच्छे हो.’’ आदेश की आवाज पर मदहोशी में झूमती हुई अर्चना बोली, ‘‘तुम जैसा प्यारा दोस्त पा कर मैं निहाल हो गई हूं.’’

“एक बात कहूं अर्चना?’’ आदेश ने सकुचाते हुए पूछा.

“कहो आदेश, जो तुम्हारे दिल में हो, बेझिझक कह डालो.’’

“यह दिल अब तुम्हारे लिए बेचैन रहने लगा है, क्या तुम एक बार मेरे पास बेंगलुरु नहीं आ सकती?’’

“तुम बुलाओ और मैं न आऊं.’’ अर्चना खुशी से चहकी, ‘‘मुझे खूबसूरत लोग और खूबसूरत शहर देखने का बचपन से शौक रहा है. सुना है बेंगलुरु बहुत खूबसूरत शहर है.’’

“बहुत खूबसूरत है मेरा बेंगलुरु, जैसे तुम्हारा कश्मीर हसीन है, वैसे ही मेरा बेंगलुरु भी हसीन है. आओगी तो मन खुश हो जाएगा.’’

“ठीक है आदेश. मैं आ रही हूं, तुम इंतजार करना.’’ अर्चना ने कहा और अंगड़ाई ले कर उस ने मोबाइल औफ कर दिया.

4 दिन बाद ही अर्चना बेंगलुरु पहुंच गई. वह ट्रेन से आ रही है, इस बात की सूचना उस ने आदेश को दे दी थी. वह ट्रेन पहुंचने के वक्त उस बोगी के सामने अर्चना के स्वागत के लिए खड़ा था, जिस में अर्चना की बर्थ थी. अर्चना अपना बैग ले कर बोगी के दरवाजे पर आई तो आदेश ने उस की तरफ हाथ हिलाया.

कंप्यूटर पोस्ट पर वे अपनीअपनी तसवीरें डालते रहते थे, इसलिए एकदूसरे को पहचानने में उन्हें परेशानी नहीं हुई. अर्चना आदेश को देख कर खुशी से दौड़ी और उस के सीने से लग गई. आदेश ने भावावेश में अर्चना का माथा चूम लिया.

“कैसी हो अर्चना, सफर में कोई परेशानी तो नहीं हुई?’’

“मैं आराम से पहुंच गई हूं आदेश, तुम्हें सामने देख कर मुझे इतनी खुशी हो रही है कि शब्दों में बयान नहीं कर सकती.’’

“मैं भी तुम्हें देख कर बहुत खुश हूं अर्चना.’’ आदेश ने मुसकरा कर कहा और अर्चना का बैग ले कर कंधे पर टांग लिया, ‘‘आओ पहले किसी रेस्तरां में कुछ नाश्ता कर लेते हैं, फिर घर चलेंगे.’’

आदेश ने कराई बेंगलुरु की सैर…

आदेश अर्चना को एक रेस्तरां में ले कर आया. वहां अर्चना को ब्रेकफास्ट करवाने के बाद वह उसे श्री लक्ष्मी मंदिर रोड स्थित श्री रेणुका रेजीडेंसी के फोर्थ फ्लोर वाले अपने फ्लैट में ले आया. यह फ्लोर उस ने रेंट पर ले रखा था. उस के कमरे में एक सामान्य जीवन व्यतीत करने वाले इंसान के रोजमर्रा के काम आने वाला सामान था. फोल्डिंग पलंग, दरी चादर, बैग और किचन में छोटा सा इलैक्ट्रिक बर्नर. वहां खाना पकाने और खाने के इस्तेमाल में काम आने वाले कुछ बरतन भी थे.

अर्चना ने आश्चर्य से पूरा कमरा और किचन देखा, ‘‘तुम खुद खाना बनाते हो आदेश?’’ हैरानी से अर्चना ने पूछा.

“हां.’’आदेश ने सिर हिलाया, ‘‘फिलहाल तो मैं ही खाना बनाता हूं, बाद में कोई घर संभालने वाली आ जाएगी तो इस झंझट से मुक्ति मिल जाएगी.’’

“कोई देख रखी है क्या?’’ कनखियों से आदेश की ओर देख कर अर्चना ने उत्सुकता से पूछा.

“देखी तो है लेकिन अभी उस से कुछ कहने की हिम्मत नहीं है.’’ आदेश ने कहा और इस विषय को ही बदल दिया, ‘‘अर्चना तुम नहा कर फ्रैश हो जाओ, कुछ देर आराम कर लो, फिर मैं तुम्हें घुमाने ले चलूंगा.’’

“ठीक है,’’ अर्चना ने कहा और टावेल ले कर बाथरूम में घुस गई.

“आदेश ने घर संभालने के लिए किसी को देखा है. वह कौन होगी, यह जानने के लिए अर्चना उत्सुक नहीं थी. क्योंकि वह जान चुकी थी कि आदेश उसे मन ही मन प्यार करने लगा है. अपना जीवनसाथी वह उसे ही बनाएगा. शरम और झिझक में आदेश ने बात का विषय ही बदल दिया.’’ फ्रैश होते समय अर्चना यही सोच कर मन ही मन मुसकराती रही.

नहाने के बाद अर्चना ने कुछ देर आराम किया. फिर आदेश के साथ बेंगलुरु की सैर को निकल गई. आदेश ने उसे बेंगलुरु के पर्यटनस्थल दिखाए, माल में शापिंग करवाई और स्थानीय भोजन का स्वाद चखाया. अर्चना बहुत खुश थी कि वह आदेश के साथ में है.

रहने लगे लिवइन रिलेशन में…

अर्चना 5 दिन बेंगलुरु में रही. इन 5 दिनों में वह आदेश के दिल के और करीब आ गई. छठे दिन आदेश से विदा लेते समय उस ने आदेश के चेहरे पर उदासी देखी तो उस का दिल तड़प उठा, ‘‘क्या हुआ आदेश, तुम्हारा चेहरा क्यों मुरझा गया है?’’

आदेश ने उस की तरफ नजरें उठाईं और भरे गले से बोला, ‘‘मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता अर्चना. तुम मुझे छोड़ कर मत जाओ.’’

“मैं भी अब तुम्हारी जुदाई नहीं सह सकूंगी आदेश. मैं यहीं तुम्हारे पास रहना चाहती हूं लेकिन…

“लेकिन क्या?’’ आदेश ने व्याकुल हो कर पूछा.

“मैं समाज से डरती हूं आदेश. मैं अभी कुंवारी हूं, तुम्हारे पास रही तो लोग तरहतरह की बातें करेंगे.’’

“समाज के लोग किसी को प्यार करते देख कर कब खुश हुए हैं अर्चना. ये लोग प्यार के रास्ते में फूल नहीं, कांटे बिछाना जानते हैं. हम यदि इन से डरेंगे तो कभी एक नहीं हो पाएंगे.’’

“तुम ठीक कहते हो आदेश,’’ अर्चना ने सिर हिलाया और दृढ़ स्वर में बोली, ‘‘मैं कांगड़ा जा कर अपना सामान ले आती हूं. अब हम साथ जीएंगें, साथ मरेंगे.’’

आदेश ने खुशी से अर्चना को बाहों में भर लिया. अर्चना ने उस के कंधे पर सिर रख कर आंखें बंद कर लीं. दोनों के चेहरों से उदासी की परछाइयां लोप हो गई थीं.

एयर होस्टेस का अधूरा प्यार – भाग 1

वर्तमान परिवेश में हम ऐसे अव्यवस्थित समय में जी रहे हैं, जहां विश्वास सब से दुर्लभ वस्तु बन गया है. आज के दौर में सच्चा प्रेम और अपनापन किसी से पा लेना एक अधूरे सपने को पूरा कर लेने जैसा ही है. इस सत्य घटना की पात्र अर्चना धीमान ने भी आदेश से सच्चा प्रेम और अपनापन पाने के लिए उस की ओर हाथ बढ़ाया, उस पर विश्वास किया, लेकिन वह ठगी गई.

अर्चना न तो अशिक्षित थी, न कच्ची उम्र की नादान बालिका. वह 25वां बसंत देख चुकी थी. ग्रैजुएट कर चुकी अर्चना ने अपनी आंखों पर नए दौर का ऐसा चश्मा लगा लिया था, जिस से उसे दुनिया चमचमाती और रंगीन दिखाई देती है. बेटी की बढ़ती उम्र को देख कर मांबाप चिंतित थे. अर्चना के पिता देवनाथ धीमान उस के हाथ पीले कर के अपने फर्ज से मुक्ति पा लेना चाहते थे.

न्यूजपेपर में उन्होंने उस के विवाह का विज्ञापन दिया था. रोज 5-7 लडक़ों के फोटो बायोडाटा के साथ उन के पते पर आ रहे थे, लेकिन अर्चना किसी भी लडक़े को अपने जीवनसाथी के रूप में पसंद नहीं कर रही थी. उस दिन भी डाक से 3 लडक़ों के फोटो अर्चना से रिश्ते के लिए आए थे. पतिपत्नी उन्हीं फोटो को देख रहे थे.

“अर्चना के पापा, मुझे यह लडक़ा अर्चना बेटी के लिए पसंद आ रहा है,’’ अर्चना की मां एक फोटो देवनाथ धीमान की तरफ बढ़ाते हुए बोली, ‘‘इस का कोच्चि में पांचसितारा रायल होटल है. 50 आदमी वहां काम करते हैं. लाखों कमाता है, अर्चना रानी बन कर राज करेगी.’’

“लडक़ा तो अच्छा है, मुझे भी जंच रहा है, लेकिन अर्चना से पूछ लो. वह हां करेगी या अन्य रिश्तों की तरह इस रिश्ते को भी ठुकरा देगी.’’

“मैं बुलाती हूं उसे,’’ अर्चना की मां ने कहने के बाद जोर से पुकारा, ‘‘अर्चना बेटी, जरा यहां ड्राइंगरूम में आना.’’

2-3 बार पुकारा गया, तब अर्चना अपने स्टडीरूम से झल्लाती हुई बाहर आई, ‘‘क्या हुआ मम्मी, आप हर समय आवाज लगाती रहती हो, मेरा एग्जाम सिर पर है, यह तो सोचा करो, मैं पढ़ रही हूं, डिस्टर्ब होगा.’’

“जानती हूं बेटा, लेकिन हमें भी तो अपनी जिम्मेदारी निभाने दे.’’ अर्चना की मां हंस कर बोली, ‘‘ले देख यह लडक़ा तेरे पापा को और मुझे बहुत जंच रहा है.’’

अर्चना ने मुंह बिगाड़ा, ‘‘लगता है कि आप दोनों के पास मेरी शादी के अलावा कोई और विषय नहीं है क्या. हर वक्त शादी… शादी यह लडक़ा देख, वो लडक़ा देख. मैं 10 बार कह चुकी हूं मम्मी, मुझे पहले अपना एयरहोस्टेस बनने का सपना पूरा करना है, मैं जब अपने पैरों पर खड़ी होऊंगी, तब शादी के बारे में सोचूंगी.’’

“तब तक तो बहुत देर हो जाएगी बेटा.’’ देवनाथ ने परेशान हो कर कहा.

“हो जाने दीजिए. शादी होगी तभी इंसान जीएगा, ऐसा किसी किताब में नहीं लिखा है. करोड़ों कुंवारे भी अपनी जिंदगी पूरी कर ही लेते हैं न.’’ अर्चना ने झुंझला कर कहा और पांव पटकती हुई स्टडी रूम में चली गई. देवनाथ और उन की पत्नी गहरी सांस भर कर एकदूसरे को देखते रह गए.

डेटिंग ऐप से हुई दोस्ती…

अर्चना आ कर अपने कंप्यूटर के सामने बैठ गई. उस का मूड खराब हो गया था. कुछ देर तक वह चुप बैठी रही, फिर उस ने कंप्यूटर चालू कर के अपनी डेटिंग ऐप वाली प्रोफाइल खोल ली. उस में अर्चना ने अपनी सहेली प्रिया के कहने पर दोस्ती के लिए रिक्वेस्ट डाली थी.

4 दिनों से उस के प्रोफाइल पर आदेश नाम के युवक की ओर से फ्रैंडशिप के लिए रिक्वेस्ट आ रही थी. अर्चना उस की रिक्वेस्ट पर कोई उत्तर नहीं दे रही थी, वह आदेश की रिक्वेस्ट को ब्लौक कर देती थी. अभी उस ने कंप्यूटर खोल कर अपनी डेटिंग ऐप वाली प्रोफाइल देखी तो आदेश की फ्रैंड रिक्वेस्ट फिर से नजर आई. आदेश ने इस बार अपना बायोडाटा भी भेजा था.

बायोडाटा के अनुसार आदेश केरल के कोच्चि शहर का रहने वाला था. वर्तमान में वह कर्नाटक के बेंगलुरु में रह कर एक प्रतिष्ठित कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्य कर रहा था. आदेश ने अपनी फोटो भी प्रोफाइल पर भेजी थी. देखने में वह हैंडसम लग रहा था. उस की उम्र 30 साल थी. अर्चना ने आदेश की फोटो अपने मोबाइल में अपलोड कर ली और कंप्यूटर बंद कर के अपनी सहेली प्रिया से मिलने के लिए घर से निकल गई.

“वाव,’’ प्रिया ने आदेश का फोटो देख कर होंठों को गोल दायरे में सिकोड़ कर चहकते हुए कहा, ‘‘यह तो बहुत हैंडसम है यार अर्चना. यह दोस्त बनाने के काबिल है.’’

“सिर्फ किसी की खूबसूरती और तन के कीमती कपड़ों से उस की परख नहीं होती प्रिया, वह व्यक्ति दिल का कैसा है, यह भी देखना पड़ता है.’’ अर्चना ने गंभीर स्वर में कहा.

“तू इस से दोस्ती करेगी, इस के करीब जाएगी तभी तो इसे सही ढंग से पहचान पाएगी.’’ प्रिया ने तर्क रखा, ‘‘तू इसे दोस्त बना कर परख ले. मन का साफ और दिल का नेक हो तो दोस्ती निभाना, नहीं तो चलता कर देना.’’

“हां, यह तू ठीक कह रही है. मैं इस की फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेती हूं.’’ अर्चना ने मुसकरा कर कहा. थोड़ी देर इधरउधर की बात करने के बाद दोनों सहेलियां अपनीअपनी राह निकल गईं. उसी रात सोने से पहले अर्चना ने आदेश की फ्रैंडशिप कुबूल कर ली. आदेश की ओर से उस की प्रोफाइल पर दोस्ती कुबूल करने के लिए थैंक्स कहा गया.

अर्चना धीमान बनी एयर होस्टेस…

अर्चना अपनी ग्रैजुएशन कंप्लीट कर लेने के बाद एयरहोस्टेस के एग्जाम की तैयारी कर रही थी. उस का सपना एयरहोस्टेस बनने का था. वह छरहरे बदन की खूबसूरत युवती थी. नैननक्श तीखे थे और संतरे की फांक जैसे पतले गुलाबी होंठों पर हमेशा मुसकान खिली रहती थी. उस का मदमाता यौवन किसी भी पुरुष को मदहोश बना सकता था.

25 साल की उम्र किसी भी इंसान को इतना तो सिखा ही देती है कि अच्छा क्या है, बुरा क्या है. अर्चना भी इतनी परिपक्व हो चुकी थी कि सामने वाले से 2-4 बातें कर के उस की नीयत का अंदाजा लगा लेती थी. इंसान की परख करना वह सीख गई थी. उसे अपने आप पर पूर्ण विश्वास था कि अपने विश्वास को कभी डगमगाने नहीं देगी.

उस ने मम्मीपापा की शादी की जिद से ऊब कर ही डेटिंग ऐप पर अपना एकाउंट बनाया था. कितने ही युवकों ने उस की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने के लिए अपनी रिक्वेस्ट भेजी थी, उन्हीं में से जांचपरख कर अर्चना ने आदेश का चुनाव किया था.

आदेश अर्चना की नजर में खरा और विश्वास करने वाला युवक था. आदेश का सौफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर एक प्रतिष्ठित कंपनी में जौब करना, उस का प्रभावशाली व्यक्तित्व और आकर्षक बौडी अर्चना को पसंद आई थी. उस ने आदेश की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया था.

बदनामी का डर : प्रेमी बना ब्लैकमेलर – भाग 3

साहिल ने तुरंत इस घटना की सूचना अपने ससुर बृजभूषण और साले गौरव को दी. लगभग 2 घंटे बाद श्वेता के घर वाले रिश्तेदारों और परिचितों के साथ जगराओं आ पहुंचे. उन लोगों ने साहिल या उस के घर वालों की कोई बात सुने बिना ही हंगामा करना शुरू कर दिया.

थाना सिटी को भी घटना की सूचना दे दी गई थी. थाना सिटी के थानाप्रभारी दलजीत सिंह सिद्धू, एसआई मलकीत सिंह एएसआई बलदेव सिंह, हेडकांस्टेबल कुलदीप सिंह, गुरदियाल सिंह, बलजिंदर कुमार, कांस्टेबल जसविंदर सिंह के साथ अस्पताल पहुंच गए थे.

लाश कब्जे में ले कर उन्होंने आगे की काररवाई शुरू कर दी. दलजीत सिद्धू ने श्वेता की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवानी चाही तो उस के मायके वालों ने हंगामा खड़ा कर दिया.  उन का कहना था कि श्वेता कोठी की छत से खुद नहीं कूदी, बल्कि साहिल और उस के मांबाप ने दहेज के लिए उसे छत से धकेल कर मारा है. जब तक उन लोगों को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, तब तक वे लाश नहीं ले जाने देंगे.

श्वेता के घर वालों की मदद के लिए कुछ स्थानीय नेता और समाजसेवी भी आ गए थे. वे पुलिस वालों को धमकी दे रहे थे कि अगर दोषियों के खिलाफ काररवाई नहीं की जाती तो वे धरनाप्रदर्शन के साथ बाजार बंद करवा देंगे. हंगामा चल ही रहा था कि डीएसपी सिटी सुरेंद्र कुमार भी घटनास्थल पर आ गए.

थानाप्रभारी दलजीत सिद्धू ने मौके की नजाकत देखते हुए इस घटना को अपराध संख्या 62/2014 पर भादंवि की धारा 304बी/34 के अंतर्गत साहिल, उस के पिता अशोक कुमार सिंगला और मां कुसुम सिंगला के खिलाफ दर्ज करा दिया. यह 11 मार्च, 2014 की बात है. थानाप्रभारी दलजीत सिंह सिद्धू ने उसी दिन श्वेता की लाश का पोस्टमार्टम करा कर लाश मोर्चरी में रखवा दी. अगले दिन यानी 12 मार्च को श्वेता की लाश का एक्सरे करवाया गया.

13 मार्च को श्वेता की हत्या के आरोप में साहिल को गिरफ्तार कर लिया गया. साहिल की गिरफ्तारी के बाद श्वेता के मायके वाले कुछ शांत हुए. 14 मार्च को उसे डयूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर के 18 मार्च तक के लिए रिमांड पर लिया गया.

थानाप्रभारी दलजीत सिंह सिद्धू ने साहिल को अदालत में पेश करने से पहले 13 मार्च को ही उस की निशानदेही पर श्वेता का मोबाइल फोन और लैपटौप उस के घर से बरामद कर लिया था.  पुलिस ने श्वेता का फोन चैक किया तो पता चला कि घटना वाले दिन यानी 10 मार्च को श्वेता के नएपुराने, दोनों नंबरों पर 2 नंबरों  से 163 बार फोन आए थे तो उन्हीं नंबरों से 193 मैसेज किए गए थे.

पुलिस ने उन दोनों नंबरों के बारे में पता किया तो वे नंबर लुधियाना के हितेश जिंदल के निकले. इस के बाद जब थानाप्रभारी दलजीत सिंह सिद्धू ने श्वेता के लैपटौप को खंगाला तो उस में उन्हें श्वेता और हितेष की अनगिनत अर्धनग्न अश्लील तसवीरें भरी पड़ी मिलीं. श्वेता के मोबाइल फोन और लैपटौप को चैक करने के बाद सारा मामला साफ हो गया.

एक एसएमएस में श्वेता ने हितेश को लिखा था, ‘तुम मुझे परेशान मत करो. मैं इस दुनिया से बहुत दूर जा रही हूं, मेरे जाने के बाद तुम्हारे मन में जो आए कर लेना, जितनी मरजी हो मेरी बदनामी करा देना.’

इस एसएमएस के जवाब में हितेश ने लिखा था, ‘हिम्मत है तो मर के दिखा.’

दरअसल, घटना वाले दिन यानी 10 मार्च को 163 बार फोन कर के और 193 बार एसएमएस कर के हितेश ने श्वेता को पूरी तरह से बदनाम करने की जो धमकियां दी थीं, उस से वह बुरी तरह डर गई थी. हितेश उसे तुरंत साहिल से रिश्ता खत्म करने के लिए कह रहा था. वह यह भी कह रहा था कि अगर वह बात नहीं कर सकती तो वह स्वयं फोन कर के साहिल से बात कर लेता है.

जबकि श्वेता ऐसा करने से उसे मना कर रही थी. श्वेता के बारबार मना करने के बावजूद भी हितेश ने रात 1 बजे के करीब साहिल को फोन कर के अपने संबंधों की बात बता दी थी. यही नहीं, उस ने साहिल से गालीगलौज भी की थी. इस पर साहिल ने उस की बातों का बुरा नहीं माना और सुबह बात करने को कह कर फोन काट दिया था.

साहिल ने सोचा था कि सुबह वह कुछ बड़ेबूढ़ों को ले जा कर हितेश को समझा देगा. क्योंकि उन के बीच रिश्तेदारी भी थी. एक तरह से साहिल हितेश के बहनोई का बहनोई था. रात में साहिल ने श्वेता से भी कोई बात नहीं की थी. लेकिन श्वेता ने साहिल और हितेश के बीच होने वाली बातें सुन ली थीं. तब बदनामी के डर से उस ने आत्महत्या कर ली थी.

23 मार्च को पुलिस ने फोन और लैपटौप में मिले सुबूतों को अदालत में पेश कर के स्थानीय जज गुरबीर सिंह की अदालत में साहिल को निर्दोष बताते हुए श्वेता को आत्महत्या के लिए विवश करने के लिए हितेश जिंदल को आरोपी बनाने की अपील की.

साहिल के वकील अशोक भंडारी ने भी श्वेता के घर वालों के अलावा अन्य लोगों के दर्ज बयान, लैपटौप से मिली श्वेता और हितेश की अश्लील तसवीरें तथा फोन में मिले तमाम रिकौर्ड अदालत में पेश किए थे. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें और सुबूत देखने के बाद साहिल को इस केस से मुक्त कर हितेश को आरोपी बना कर जल्द से जल्द उसे गिरफ्तार करने के आदेश दिए. हितेश अपनी पत्नी हिना के साथ उसी दिन घर से फरार हो गया था, जिस दिन श्वेता ने आत्महत्या की थी.

5 मई, 2014 को हितेश ने लुधियाना की सैशन जज सुरेंद्रपाल कौर की अदालत में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया, जिसे उन्होंने अगले दिन खारिज कर दिया था. हितेश की तलाश में पुलिस रातदिन छापे मार रही थी. लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं लग रहा था. श्वेता ने अपनी एक गलती से अपना घर तो बरबाद किया ही, बेटे को भी बिना मां के कर दिया.

_हरमिंदर खोजी / संजीव मल्होत्रा

बदनामी का डर : प्रेमी बना ब्लैकमेलर – भाग 2

हितेश श्वेता के भाई गौरव की पत्नी चेतना के मामा जुगल किशोर जिंदल का बेटा था. वह अपने चाचा पवन कुमार जिंदल के साथ लुधियाना की न्यू फे्रंड्स कालोनी में जिंदल प्रौपर्टी के नाम से प्रौपर्टी का व्यवसाय करता था. श्वेता की तरह वह भी शादीशुदा था. श्वेता की ही तरह वह भी पत्नी से खुश नहीं था.

हितेश की पत्नी हिना लुधियाना की ही रहने वाली थी. श्वेता भी पति से खुश नहीं थी, शायद यही वजह रही कि शादीशुदा होने के बावजूद श्वेता और हितेश पहली ही मुलाकात में एकदूसरे से इस तरह प्रभावित हुए कि एकदूसरे को दिल दे बैठे. शादी के माहौल में साहिल जहां रिश्तेदारों और अन्य कामों में व्यस्त था, वहीं श्वेता हितेश से परिचय बढ़ाने में लगी थी. रिश्तेदारी हो ही गई थी, इसलिए दोनों ने अपनेअपने मोबाइल नंबर एकदूसरे को दे दिए थे.

साहिल तो अगले दिन जगराओं वापस आ गया, पर श्वेता कुछ दिनों के लिए मायके में रुक गई. मौका मिलते ही उस ने हितेश को फोन किया. दूसरी ओर हितेश उस से मिलने के लिए उतावला बैठा था. उस ने श्वेता को मिलने के लिए एक होटल में बुला लिया.

श्वेता ने हितेश के सामने अपने मन की बात रखी तो हितेश ने भी उस से अपने मन की बात बता दी. दोनों ही एकदूसरे की बातों से सहमत थे, इसलिए सारे रिश्तेनाते और अपनीअपनी मर्यादाएं भूल कर उन्होंने होटल के उस एकांत में सारी सीमाएं तोड़ दीं. उन्होंने वहां एक ऐसा रिश्ता कायम कर लिया, जो समाज की नजरों में अवैध था.  लेकिन इस की परवाह न श्वेता को थी और न ही हितेश को. दोनों बेझिझक एकदूसरे से मिलने लगे. कभी हितेश जगराओं चला जाता तो कभी श्वेता लुधियाना आ जाती.

उन का यह खेल बिना किसी रोकटोक के चल रहा था. जब श्वेता रोजरोज लुधियाना जाने लगी तो साहिल ने पूछ लिया कि वह रोजरोज लुधियाना क्यों जाती है? तब उस ने कहा कि उस के सिर में दर्द रहता है, उसी के चैकअप और इलाज के लिए वह लुधियाना जाती है. सीधेसादे साहिल ने उस की बात पर विश्वास कर लिया और संतुष्ट हो कर चुप बैठ गया. क्योंकि उसे पूरा विश्वास था कि एक संभ्रांत परिवार की बहू कोई ऐसा काम कतई नहीं करेगी, जिस से उस की बदनामी हो.

लेकिन यह भी सच है कि पाप कितना भी छिपा कर क्यों न किया जाए, एक न एक दिन उजागर हो ही जाता है. इस का मतलब यही हुआ कि पाप का घड़ा अवश्य फूटता है. वजह चाहे जो भी हो, ऐसा ही श्वेता और हितेश के साथ भी हुआ. दोनों के संबंधों को अब तक लगभग एक साल हो चुका था.

इधर कुछ दिनों से श्वेता को लगता था कि हितेश अपनी सीमाएं लांघने लगा था. वह जरूरत से ज्यादा आगे बढ़ रहा था. वह उस पर इस तरह अधिकार जताने लगा था जैसे उस का पति हो. यही नहीं, हितेश श्वेता से कहने लगा था कि वह साहिल से उस के और अपने संबंधों के बारे में बता कर उस से तलाक ले ले और उस से शादी कर ले. लेकिन श्वेता इस के लिए कतई तैयार नहीं थी.

उस ने हितेश से संबंध अपनी इच्छापूर्ति के लिए बनाए थे. इस के लिए वह हितेश का पूरा खर्च भी उठा रही थी. लेकिन हितेश अब जो चाह रहा था, वह उसे कभी नहीं पूरा कर सकती थी. क्योंकि इस में 2 परिवारों की इज्जत तो जुड़ी ही थी, साहिल और उस की हैसियत में भी बहुत अंतर था. हितेश की हरकतों से तंग आ कर श्वेता ने उस से मिलना बंद कर दिया. तब वह उसे फोन कर के साहिल से तलाक लेने के लिए कहने लगा. अब श्वेता को लगा कि उस से बहुत बड़ी गलती हो गई है.

श्वेता को गलती का अहसास हुआ तो पछतावा भी होने लगा. अब वह उस से संबंध खत्म करना चाहती थी, लेकिन हितेश उसे मजबूर करने लगा था. वह उसे धमकी देने लगा था कि अगर उस ने उस की बात नहीं मानी तो वह साहिल से अपने और उस के संबंधों के बारे में सबकुछ बता देगा.

हितेश के डर से श्वेता अपना पुराना नंबर अकसर बंद रखने लगी. बातचीत के लिए नया नंबर ले लिया. लेकिन हितेश ने उस का नया नंबर भी पता कर लिया.

8 मार्च, 2014 को भी हितेश ने श्वेता के नए नंबर पर फोन कर के धमकी दी थी कि अगर उस ने जल्दी कोई फैसला नहीं लिया तो वह जगराओं आ कर साहिल को सब साफसाफ बता देगा. हितेश की इस धमकी से श्वेता बेचैन हो उठी थी. उस ने हितेश को न जाने कितना समझाया कि उन के बीच जो भी जिस तरह चल रहा है, उसे वैसा ही चलने दे. वह जो चाहता है, वह न ठीक है और न संभव. उस से कई घर बरबाद हो जाएंगे.

लेकिन हितेश उस की बातों को हंसी में उड़ा कर अपनी जिद पर अड़ा रहा. इस से श्वेता और अधिक परेशान रहने लगी थी. उस की परेशानी को साहिल ने ताड़ तो लिया था लेकिन वजह नहीं जान पाया था. उस ने सोचा कि वह श्वेता को समय नहीं दे पाता, शायद इसीलिए वह परेशान रहती है. तभी उस ने 10 मई को बाहर किसी होटल में चल कर डिनर लेने के लिए कहा था.

साहिल वादे के अनुसार शाम को समय से पहले घर आ गया था. श्वेता ने सासससुर के लिए खाना बना कर रख दिया था, इसलिए साहिल के आते ही वह उस के साथ निकल गई थी. साहिल उसे जगराओं के मशहूर होटल स्नेहमून में डिनर के लिए ले गया.

श्वेता साहिल के साथ होटल डिनर ले रही थी, तब भी हितेश बारबार श्वेता को फोन कर के धमकी दे रहा था. परेशान हो कर श्वेता ने अपना फोन बंद कर दिया था. रात के 12 बजे के करीब पतिपत्नी खाना खा कर लौटे. साहिल काफी थका हुआ था, इसलिए लेटते ही सो गया. जबकि चिंता और बेचैनी की वजह से श्वेता को नींद नहीं आ रही थी.

हितेश उतनी रात को भी श्वेता को फोन कर रहा था. श्वेता की समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह इस मुसीबत से कैसे छुटकारा पाए. बातचीत से श्वेता समझ गई थी कि हितेश काफी नशे में है. नशे में ही होने की वजह से ही शायद वह उसे और ज्यादा परेशान कर रहा था. उस स्थिति में उसे रोका भी नहीं जा सकता था.

कोई उपाय नहीं सूझा तो श्वेता ने फोन का स्विच औफ कर दिया और आंखें बंद कर के बेड पर साहिल के बगल लेट गई. इस के बाद रात 1 बजे के करीब साहिल के फोन पर किसी का फोन आया. साहिल ने फोन रिसीव किया तो दूसरी ओर से जो भी कहा गया, उसे सुन कर साहिल ने सिर्फ यही कहा, ‘‘रात बहुत हो चुकी है. अभी सो जाओ. इस विषय पर कल सुबह बात करेंगे.’’

फोन रख कर साहिल ने करवट ली तो बगल में श्वेता नहीं थी. उसे लगा, सीढि़यों पर कोई जा रहा है. वह उठ कर सीढि़यों की ओर गया. वहां कोई नहीं था. उसे ऊपर का दरवाजा खुला दिखाई दिया तो वह तेजी से ऊपर की ओर बढ़ा.

छत पर पहुंच कर साहिल ने देखा श्वेता छत की मुंडेर पर चढ़ कर नीचे कूदने की तैयारी कर रही थी. वह ‘श्वेता… श्वेता’ चिल्लाते हुए उसे बचाने के लिए उस की ओर दौड़ा. वह श्वेता के पास पहुंच पाता, उस से पहले ही श्वेता ने छलांग लगा दी. एक जोरदार चीख वातावरण में गूंजी, उस के बाद सब खत्म हो गया.

साहिल जहां था, वहीं घबरा कर रुक गया. जल्दी ही उस ने स्वयं को संभाला और नीचे की ओर भागा. चीख सुन कर साहिल के मातापिता ही नहीं, पड़ोसी भी जाग गए थे. लोग निकल कर बाहर आ गए. श्वेता जमीन पर पड़ी थी. पड़ोसियों की मदद से साहिल ने उसे कल्याणी अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

आगे क्या हुआ? जानने के लिए पढ़ें कहानी का अगला भाग…