डाक्टर का प्रेम नर्स की खुदकुशी – भाग 3

उस रोज गुस्से में सुरेंद्र के जाने के बाद प्रेम नारायण ने अपनी पत्नी के साथ मिल कर निशा की समस्या के बारे में प्यार से बात की. तब बातचीत में निशा ने बताया कि सुरेंद्र उसे हमेशा छेड़ता रहता था, इस कारण उस ने उस के साथ आनाजाना बंद कर दिया. इस कारण ही वह नाराज हो गया है. वह अकसर उस के स्वास्थ्य केंद्र पर आ कर भी उसे परेशान करता रहता है. सीनियर अधिकारी होने के कारण वह उस के स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंच जाता है और गालियों के साथ अश्लील और अभद्र बातें करता है.

एक दिन तो उस ने हद ही कर दी. रास्ते में रोक कर वह उस के साथ जबरदस्ती करने पर उतारू हो गया. निशा के विरोध करने पर उसे जान से मारने की धमकी दे डाली. उसे संदेह था कि उस की गालीगलौज की बातें निशा के मोबाइल में रिकौर्ड हैं, इसलिए घर आ कर उस ने मोबाइल तोड़ डाला.

सुरेंद्र की हरकत के बारे में जान कर प्रेम नारायण ने बेटी को थाने में शिकायत दर्ज करवाने की सलाह दी. पिता के कहे मुताबिक, निशा ने 31 मई, 2022 को सिविल लाइंस थाने में सुरेंद्र के खिलाफ शिकायत की, जिस पर पुलिस ने भादंवि की धारा 354 में केस दर्ज कर लिया. इसे ले कर जब पुलिस ने पूछताछ की, तब वह भीगी बिल्ली बन गया. वह निशा के सामने भी गिडग़ड़ाने लगा कि शिकायत वापस ले कर समझौता कर ले, लेकिन निशा ने शिकायत वापस लेने से मना कर दिया.

सुरेंद्र निशा से बारबार माफी मांगने लगा और यह कहने पर कि अब वह उस के रास्ते में कभी नहीं आएगा, निशा ने उसे माफ कर दिया. उन के बीच थाने में राजीनामा हो गया. कुछ दिनों तक सुरेंद्र शांत रहा. निशा को लगा कि सुरेंद्र से उसे अब कोई नुकसान नहीं होगा, तब वह पहले की तरह डा. सुरेंद्र से बातचीत करने लगी. कुछ दिन बाद सुरेंद्र की फिर से हरकतें शुरू हो गईं. वह फिर अपने पुराने रंगरूप में आ गया और निशा को परेशान करने लगा.

डा. सुरेंद्र का टौर्चर बढऩे पर निशा ने पहले की तरह नाराजगी दिखाई और थाने में दोबारा शिकायत दर्ज करवाने की धमकी दी, किंतु सुरेंद्र पर तो निशा के साथ जबरदस्ती करने का फितूर सवार था. वह बोला, ‘‘अगर तूने मेरी बात नहीं मानी तो तेरे बाप और तेरे बेटे को जान से मार दूंगा. अब तू नौकरी कर के देख ले…’’ इस तरह सुरेंद्र उसे नौकरी से हटाने तक की धमकी देने लगा. निशा सुरेंद्र की इस धमकी से काफी परेशान हो गई और डर कर उस ने बस से आनाजाना शुरू कर दिया.

परेशान हो कर निशा ने 21 जून, 2022 को एसपी औफिस जा कर उस की शिकायत कर दी. सुरेंद्र की हरकतें कम होने का नाम नहीं ले रही थीं. इस पर निशा ने एक बार फिर सिविललाइंस थाने में शिकायत दर्ज करवा दी. पुलिस ने सुरेंद्र के खिलाफ धाराएं तो बढ़ा दीं, लेकिन उस के खिलाफ सख्त काररवाई नहीं की, जिस से उस की हिम्मत और बढ़ गई. सुरेंद्र से परेशान निशा ने अपना ट्रांसफर कहीं और करवाने की भी कोशिश की. उस ने 28 जुलाई, 2022 को सीएमएचओ को ट्रांसफर के लिए आवेदन दिया. वह चाहती थी कि उस की पोस्टिंग सागर जिले के शहर मंडी बामोरा के कस्बा सिहोरा में हो जाए, जहां उस के मामा रहते हैं.

निशा ने डा. सुरेंद्र के खिलाफ थाने में जो शिकायतें की थीं, उन से वह बहुत परेशान हो गया था. वह दिन भर उसे फोन किया करता था. राजीनामे के लिए उस पर फिर से दबाव बनाने लगा था. एक तरफ पुलिस सुरेंद्र के खिलाफ कोई काररवाई नहीं कर रही थी, दूसरी तरफ परिवार के भरणपोषण के लिए निशा नौकरी करने के लिए मजबूर थी. वह जब कभी सुरेंद्र का फोन उठाती तो वह उस से बहुत ही गंदे तरीके से बात करने लगता. गालियां बकता, फिर अश्लील बातों के साथसाथ उस के घर वालों को जान से मारने की भी धमकी देता था.

सुरेंद्र ने निशा को इतना परेशान किया कि 24 दिसंबर, 2022 को उस ने मानसिक तनाव में आत्महत्या करने की कोशिश की. इस का पता चलते ही घर वाले उसे मैडिकल कालेज ले गए. वहां पर उसे भरती कर लिया गया. इस की जानकारी डा. सुरेंद्र को भी हो गई. वह रात में अस्पताल पहुंचा और उसे जबरन घर ले आया. घर पर ही उसे बोतल चढ़वाई. उस के बाद उस की तबीयत में सुधार हो गया. उस के बाद से निशा का जीवन नीरस हो गया था. वह गुमसुम रहने लगी थी. बस बच्चों की खातिर नौकरी कर रही थी. सुरेंद्र उस की खामोशी का फायदा उठाने लगा.

एक दिन सुरेंद्र ने उसे कई बार फोन किया. तब एक काल रिसीव करने पर वह बड़ी बदतमीजी से निशा से बात करने लगा. उस ने निशा को धमकी दी कि वह घर आ कर उस के साथ कुछ भी कर सकता है. उस के अगले दिन 28 फरवरी, 2023 को वह निशा के घर गया. उस ने निशा के साथ फिर से दुर्व्यवहार किया, जिस के बाद ही निशा पंखे से लटकी मिली. पुलिस ने अब तक मिले सबूतों के आधार पर नर्स खुदकुशी मामले में डा. सुरेंद्र के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर लिया था.

कथा लिखने तक डा. सुरेंद्र की गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी. वह अपने घर से फरार हो चुका था. नर्स निशा और डा. सुरेंद्र प्रकरण में इन दोनों के संबंध केवल दोस्ती तक ही रहे होंगे, ऐसा विश्वास नहीं हो रहा. क्योंकि वह जितना हक निशा पर जताता था, वह केवल दोस्ती में संभव नहीं. वह संबंध क्या थे, यह बात तो डा. सुरेंद्र की गिरफ्तारी के बाद ही सामने आ सकेगी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

पति और सास की ली जान: प्यार की चाशनी में डूबी वंदना – भाग 1

“वंदना, जी चाहता है कि इन नीलीनीली झील सी गहरी आंखों में डूब जाऊं.’’ अमर ज्योति डे अपनी प्रेमिका वंदना कलिता के खूबसूरत मुखड़े को निहारते हुए आशिकाना अंदाज में बोला.

“डूब जाओ, मना किस ने किया है.’’ मिश्री सी मीठी आवाज में वंदना कलिता ने कहा, ‘‘कब से प्यासी मैं तुम्हारी बांहों में झूलने के लिए बेताब खड़ी हूं और तुम हो…’’

“तुम्हें देखा तो ऐसा लगा जैसे कोई खिलता कमल हो.’’

“क्या बात है जनाब, आज तो बड़े शायराना मूड में हैं आप. तारीफ पर तारीफ ही किए जा रहे हैं.’’

“तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि कोई भी तुम्हारी तारीफ किए बिना नहीं रह सकता.’’

“सचऽऽ’’

“हां, बेशक, तुम खूबसूरती की मिसाल हो.’’

“तुम्हारी जुबान से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुन कर मेरा दिल बागबाग हो उठा. जी चाहता है कि तुम ऐसे ही मेरे कसीदे गढ़ते रहो और मैं तुम्हारी बाहों के झूलों में ऐसे ही झूलती रहूं. अमर, तुम कितने अच्छे हो.’’

“तुम भी बहुत अच्छी हो वंदना,’’ कह कर अमर ज्योति ने वंदना को अपनी मजबूत बाहों में कस कर भर लिया तो वंदना भी उसे अपनी बाहों भर कर प्यार करने लगी. क्षण भर बाद वंदना अमर की बाहों से आजाद हुई तो आगे बोली, ‘‘अब तुम से अलगाव मुझ से बरदाश्त नहीं होता अमर. कब तक हम यूं ही छिपछिप कर मिलते रहेंगे. हम शादी क्यों नहीं कर लेते?’’

“हम शादी भी करेंगे और साथसाथ रहेंगे भी. बस थोड़ा और वक्त दे दो ताकि मां से अपने प्यार वाली बातें बता कर उन्हें शादी के लिए राजी कर सकूं. तुम तो जानती ही हो कि मां के अलावा दुनिया में मेरा कोई नहीं है. पापा बहुत पहले ही हमें छोड़ कर हमेशाहमेशा के लिए चले गए. मां ने ही बाप बन कर हमें पालापोसा. अगर उन की मरजी के बिना हम ने शादी कर ली तो उन्हें बहुत दुख होगा. क्या हम अपने वैवाहिक जीवन का सुख भोग पाएंगे, तुम बताओ क्या मैं ने कुछ गलत कहा?’’

“सो तो ठीक है, तुम सच कहते हो अमर, मांबाप के आशीर्वाद के बिना हमारी शादी या हमारी गृहस्थी सफल नहीं हो सकती. अच्छा यह बताओ कि हम शादी कब करेंगे?’’ वंदना कलिता ने फिर से सवाल किया.

“कहा न मैं ने. हम शादी भी करेंगे और अपनी गृहस्थी भी बसाएंगे. बस थोड़ा समय और दे दो, मां से बात कर के जल्द ही तुम्हें बताता हूं.’’ अमर ज्योति डे ने प्रेमिका वंदना कलिता को समझाया. फिर उस ने अपनी मां शंकरी डे से अपने प्यार की बात की. उस ने वंदना से चल रहे अपने प्रेम संबंधों के बारे में मां को बता दिया.

अमर ज्योति की मां शंकरी डे एक खुले विचारों वाली और जुझारू महिला थीं. पति का साथ छूट जाने के बाद उन के मजबूत कंधों पर इकलौते बेटे और घरगृहस्थी की जिम्मेदारी आ गई थी. उन्होंने बड़े ही धैर्य और साहस के साथ अपनी जिम्मेदारियों को निभाया. बेटे को अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार दिए थे. उन के अच्छे संस्कार की ही देन थी कि आधुनिक विचारों वाला अमर मांबाप का सम्मान करता था. तभी तो उस ने प्रेमिका को भरोसा दिया था कि मां की मरजी के बिना वह उस से शादी नहीं कर सकता.

बेटे के प्यार पर लगा दी मोहर…

बेटे के विचारों से शंकरी डे बेहद खुश थीं कि उस में उन के दिए संस्कार अभी भी जिंदा हैं. उन्होंने भी यही सोचा कि अमर आखिर में है उन की इकलौती संतान. उस की खुशी में ही उन की खुशी है. अगर उस ने अपने लिए कोई जीवनसाथी पसंद कर ली है तो उसे आशीर्वाद दे देना चाहिए. फिर उन्होंने बेटे की पसंद पर अपनी स्वीकृति की मोहर लगा दी थी. शंकरी डे के आशीर्वाद के बाद 2 प्रेमी पतिपत्नी बन चुके थे.

अमर ज्योति डे और वंदना कलिता का सालों का प्यार साकार हो चुका था. प्रेमी से पतिपत्नी बने दंपत्ति एकदूसरे को जीवनसाथी बना कर बेहद खुश थे. सब से ज्यादा वंदना अपनी छोटी और साधनसंपन्न ससुराल पा कर खुश थी. पति के अलावा घर में बस सास ही थीं. वह भी पति की जगह मिली सरकारी नौकरी से रिटायर हो कर साल भर से पैंशन ले रही थीं. सब कुछ बड़े मजे से चल रहा था. अचानक एक दिन वंदना कलिता की जिंदगी में ऐसा भयानक तूफान आया कि सब कुछ तहसनहस हो गया.

बात 17 अगस्त, 2022 की थी. शाम के वक्त रहस्यमय तरीके से वंदना कलिता का पति अमर ज्योति डे और सास शंकरी डे गायब हो गए. उस ने अपने जानपहचान वालों और पति के नातेरिश्तेदारों से संपर्क कर उन के वहां आने की जानकारी ली तो सभी ने अनभिज्ञता जताई. वंदना यह सोचसोच कर परेशान थी कि अचानक पति और सास कहां लापता हो गए. 12 दिनों तक तलाश करने पर जब पति और सास का कहीं पता नहीं चला तो वंदना ने 29 अगस्त, 2022 को नूनमति थाने में दोनों की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी. ये घटना असम राज्य के गुवाहाटी जिले की है.

मांबेटे के अचानक से गायब होने की खबर मिलते ही गुहावटी जिले में सनसनी फैल गई थी. करीब 35 साल का अमर ज्योति था तो 61 साल की उस की मां शंकरी डे थीं. दोनों ही मानसिक रूप से स्वस्थ और तंदुरुस्त थे. ऐसे में उन का गायब होना हर जुबान पर चर्चा का विषय बन गया था. उन की किसी से दुश्मनी भी नहीं थी.

खैर, मांबेटे की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करने के बाद नूनमति थाने के इंसपेक्टर दीपक डेका ने मामले की छानबीन शुरू कर दी. इस केस की मौनिटरिंग पुलिस कमिश्नर दिगंता बाराह की निगरानी में हो रही थी, धीरेधीरे पुलिस की छानबीन आगे बढ़ी. महीने बढ़े मगर इस का रिजल्ट जीरो रहा. कहने का मतलब ये है कि कई महीने बीत जाने के बाद भी मांबेटे का कहीं पता नहीं चला कि उन्हें जमीन निगल गई या आसमान खा गया. आखिर दोनों गए तो गए कहां? पुलिस के सामने ये बड़ा सवाल था, जिस का जवाब उन्हें ढूंढना था. पुलिस के साथसाथ लापता अमरज्योति के मामा राजेश डे अपनी फुफेरी बहन और भांजे के अचानक गायब होने से परेशान थे. धीरेधीरे 3 महीने बीत गए थे दोनों के लापता हुए.

डाक्टर का प्रेम नर्स की खुदकुशी – भाग 2

एक दिन योगेश ने निशा और अपने ससुर से कहा कि वह अपने पैतृक घर सागर चला जाएगा, वहीं कुछ करेगा. ससुराल में रहते हुए खुले मन से कुछ नहीं कर पाएगा. उस के बाद वह निशा और बच्चों को ले कर सागर आ गया. विदिशा और सागर के बीच सडक़ मार्ग से करीब 112 किलोमीटर की दूरी है. निशा अस्पताल की नौकरी नहीं छोडऩा चाहती थी. इस पर पति ने उसे सागर से डेली अप-डाउन करने की सलाह दी. निशा इस पर राजी हो गई और सागर में रहते हुए नौकरी के लिए विदिशा आने लगी. इस दरम्यान वह जरूरत के मुताबिक कभी विदिशा तो कभी सागर में ठहर जाती थी.

इस तरह से निशा शनिवार को सागर आ जाती थी और रविवार को रह कर अगले रोज सोमवार को विदिशा चली जाती थी. एक दिन योगेश ने निशा से कहा कि उसे विदिशा में रुकने की जरूरत नहीं है. वह सागर से विदिशा रोज आनाजाना करे. निशा को यह बात पसंद नहीं आई. इस का मुख्य कारण था, रोज आनेजाने पर आने वाला खर्च. उस का वेतन बहुत ही साधारण था. उस में से उसे घरेलू खर्चे भी करने होते थे और आनेजाने के किराए पर भी खर्च करना था. इस पर निशा ने मना कर दिया. फिर क्या था, योगेश आगबबूला हो गया. उस ने नाराजगी दिखाते हुए चेतावनी दी कि वह गलत कर रही है. अपने पति की बातों की उपेक्षा करना ठीक नहीं है.

निशा और योगेश के बीच नौकरी पर सागर से विदिशा आनेजाने को ले कर आए दिन तकरार होने लगी. इस की जानकारी जब प्रेम नारायण को हुई, तब उन्होंने योगेश को समझाने की कोशिश की और सलाह दी कि वह पहले की तरह परिवार समेत विदिशा शहर में ही रहे. किंतु जब योगेश ने अपने ससुर के प्रस्ताव को सिरे से इनकार कर दिया, तब दोनों के बीच विवाद काफी बढ़ गया. उन के बीच आए दिन झगड़े होने लगे. जबकि प्रेम नारायण ने योगेश से पूछा कि रोजरोज यहां से ड्ïयूटी पर जानाआना आसान नहीं है. निशा नौकरी कर रही है तो फिर दिक्कत क्या है, वह आखिर चाहता क्या है?

इस पर योगेश ने साफ लहजे में कह दिया कि अगर निशा उस की बात नहीं मानती है तो वह उस से तलाक चाहता है. प्रेम नारायण ने जब योगेश के इस फैसले के बारे में निशा से बात की तब निशा ने भी कहा कि अगर पति तलाक चाहता है तब वह भी इस के लिए राजी है.

निशा और डा. सुरेंद्र आए नजदीक…

आपसी रजामंदी से साल 2018 में योगेश और निशा का तलाक हो गया. इस के बाद निशा हौस्पिटल में काम करती रही और विदिशा अपने मायके के घर में आ कर रहने लगी. नौकरी के साथ उस ने पढ़ाई भी जारी रखी. इस दौरान उस का चयन औग्जिलरी नर्स मिडवाइफरी (एएनएम) के लिए भी हो गया और उसे सरकारी अस्पताल में नौकरी मिल गई. संयोग से उस की नियुक्ति विदिशा शहर के अहमद नगर स्वास्थ्य केंद्र में हो गई.

सरकारी नौकरी मिलते ही निशा के फिर से अच्छे दिन आ गए. उस ने स्कूटी खरीद ली और विदिशा से स्कूटी से अहमद नगर जाने लगी. उस के पिता विदिशा में रहते हुए टीवी आदि इलेक्ट्रौनिक्स सामानों की मरम्मत का काम करते थे, जबकि उस की मां विदिशा जिले के लटेरी कस्बे में स्थित महिला एवं बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर थी. ऐसे में निशा पर ही घर की पूरी जिम्मेदारी थी. उसे अपने तीनों बच्चों की देखभाल के साथसाथ अपने मातापिता की जरूरतों का भी खयाल रखना था. वह घर देखने के साथ ही नौकरी भी करने लगी थी.

निशा की पोस्टिंग अहमद नगर में थी, और उसी के आगे पीपलधार में कम्युनिटी हेल्थ औफिसर (सीएचओ) के पद पर डा. सुरेंद्र किरार तैनात था. डा. सुरेंद्र भी विदिशा से ही रोज अपडाउन किया करता था. एक ही फील्ड में होने के कारण निशा और डा. सुरेंद्र की जानपहचान हो गई थी. एक दिन सुरेंद्र ने कहा कि वे अपनीअपनी गाड़ी से ड्यूटी पर आते हैं तो क्यों न वे एक ही गाड़ी से आएं और पैट्रोल का खर्च आधाआधा कर लें. निशा को डा. सुरेंद्र की बात पसंद आई. वैसे भी वह उस से सीनियर पोस्ट पर था और निशा के लिए अच्छी बात यह थी कि एक अधिकारी से उस की अच्छी जानपहचान हो गई थी. भविष्य में इस का लाभ मिलने की उम्मीद के साथ निशा उस के साथ आनाजाना करने लगी.

सुरेंद्र सुबह निशा को घर से ले लेता और शाम को घर पर ही छोड़ देता था. यह सब एक रूटीन के मुताबिक करीब 2 साल तक अच्छी तरह से चलता रहा. अचानक उन के बीच मतभेद हो गए और वे अपनीअपनी गाड़ी से ड्यूटी पर जाने लगे. इस बारे में पिता प्रेम नारायण ने निशा से पूछा भी, लेकिन उस ने कोई विशेष कारण नहीं बताया. प्रेम नारायण ने इसे सीनियर जूनियर स्टाफ के बीच का मामला समझ कर नजरंदाज कर दिया. जबकि उन्होंने महसूस किया कि निशा मानसिक तनाव में रहने लगी है.

निशा पर जमाने लगा अधिकार…

प्रेम नारायण चिंतित हो गए. उन्होंने महसूस किया कि उन की बेटी के मन पर जरूर कोई बोझ आ चुका है. जबकि निशा अपने काम पर ध्यान दिए हुए थी. प्रेम नारायण की यह आशंका एक दिन तब सही साबित हुई, जब उन्हें मालूम हुआ कि डा. सुरेंद्र उन के घर आ कर निशा से झगड़ पड़ा. उन के बीच झगड़ा भी कोई ऐसावैसा नहीं, बल्कि सुरेंद्र निशा को गालियां देने लगा.

यह वाकया तब हुआ, जब प्रेम नारायण घर पर ही थे. डा. सुरेंद्र घर आया और सीधे ऊपर उस के कमरे में चला गया. आते ही उस ने निशा के साथ बदतमीजी करते हुए गालियां देनी शुरू कर दीं, ‘कुतिया, हरामजादी… रंडी.’ कहते हुए उस का मोबाइल छीन लिया और वहीं जमीन पर पटक कर तोड़ दिया.उस वक्त वह गुस्से में था. बके जा रहा था, ‘‘हरामजादी मेरी रिकौर्डिंग करती है! देख, अब मैं तेरा क्या हाल करता हूं. तू मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती.’’

डाक्टर का प्रेम नर्स की खुदकुशी – भाग 1

विदिशा के हाजी बली तालाब मोहल्ले में रहने वाले प्रेम नारायण सोनी 28 जनवरी, 2023 को रोज की तरह टीवी मरम्मत करने के लिए अपनी दुकान पर चले गए थे. जबकि उन की पत्नी सुबहसुबह ही बागेश्वर धाम के लिए रवाना हो चुकी थी. उस दिन शनिवार था. दोपहर तक अपना काम निपटा कर घर लौटे तो बेटी की गाड़ी बाहर खड़ी देख कर चौंक गए, ‘‘इतनी जल्द ड्यूटी से आ गई निशा! शनिवार है… शायद छुट्टी हो!’’ अपने आप से बोलते हुए वह नहाने चले गए. खाना खाया और घर के बाहर धूप में जा कर बैठ गए. कुछ देर बाद डा. सुरेंद्र आया और सीधे ऊपर चला गया. वहीं निशा का कमरा था, जहां वह अपने 3 बच्चों के साथ रहती थी. उस का पति से तलाक हो चुका था, इसलिए वह अपने मायके में ही रह रही थी.

डा. सुरेंद्र को बेटी के कमरे की तरफ जाते देख कर प्रेम नारायण एक बार फिर चौंक पड़े. उस से बात करने से पहले उन्होंने अपने आप से सवाल किया, ‘‘एक महीने बाद ये (डा. सुरेंद्र) मेरे घर फिर से क्यों आया है?’’ तब तक सुरेंद्र तेजी से सीढिय़ां चढ़ता हुआ ऊपर चला गया. लेकिन तुरंत वापस भी उतनी ही तेजी से लौट आया और कुछ कहे बगैर वहां से चला गया. सुरेंद्र का इस तरह से आना और बगैर कुछ बोले, बात किए चले जाना, प्रेम नारायण को कुछ अच्छा नहीं लगा. उन के मन में शंका हुई. वह थोड़ी देर बाद ऊपर गए, जहां निशा का कमरा था. उस का कमरा भीतर से लौक था. उन्होंने आवाज लगाई,

‘‘निशा, ओ निशा, दरवाजा खोलो. डाक्टर साहब आए थे.’’

सुर्खियों में आ गया निशा हैंगिंग केस…

प्रेम नारायण की 2-3 आवाजों के बाद भी निशा ने कोई जवाब नहीं दिया था. उन्होंने फिर से आवाज लगाई, ‘‘अरी ओ निशा, डाक्टर साहब आए थे, वह तुरंत क्यों चले गए? क्या बात हो गई?’’ तभी भीतर मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी थी. फोन लगातार बज रहा था, भीतर कमरे में निशा न तो फोन रिसीव कर रही थी और न ही दरवाजा खोल रही थी.

प्रेम नारायण के दिल की धडक़नें बढ़ती जा रही थीं. मोबाइल पर कई बार रिंग बज कर बंद हो चुकी थी. वह बाहर से आवाज भी लगा रहे थे. इस बीच 3-4 बार नीचे भी उतर कर दोबारा निशा के कमरे के बाहर भी जा चुके थे. करीब आधे घंटे तक परेशान होने के बाद उन्होंने अपने नाती को आवाज लगाई. वह तुरंत नीचे से ऊपर आ गया. नाती ने कहा, ‘‘नानाजी, मैं दरवाजा खोलता हूं. मुझे भीतर से बंद दरवाजा खोलने की तरकीब मालूम है.’’

यह कहते हुए निशा के बेटे ने खिडक़ी से हाथ डाल कर भीतर से बंद दरवाजा खोल दिया और भीतर चला गया. भीतर पहुंचते ही वह जोर से चीखा, ‘‘मां टंगी है… मां टंगी है नाना…’’ नाती की चीख सुनते ही प्रेम नारायण का दिल बैठ गया. घबराए हुए वह कमरे में गए. देखा, बेटी निशा पंखे से लटक रही थी. वह यह दृश्य देख कर हैरान रह गए. किसी तरह खुद को संभाला और बेटी के पैरों को पकड़ कर ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करने लगे. सोचा, शायद उस की सांसें अभी उखड़ी न हों, किंतु बेटी के हाथपैर कडक़ हो चुके थे.

उन्हें कुछ समझ में नहीं आया. वहीं सिर पकड़े बैठ गए. पास में ही नाती भी मां को इस हालत में देख कर रोने लगा था. उन्होंने उस के आंसू पोंछे, चुप करवाया और फोन लाने को कहा. फिर छोटी बेटी लक्ष्मी और उस के पति को फोन कर पूरी बात बताई. दोनों उसी शहर में रहते थे. वे भागेभागे आ गए और पुलिस को सूचना दी. कुछ देर बाद पुलिस भी दलबल के साथ आ गई. पुलिस ने निशा को पंखे से उतार कर पंचनामा तैयार किया और पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया.

पति को छोड़ मायके में रहने लगी निशा…

निशा प्रेम नरायण सोनी की बड़ी बेटी थी. 1999 में मध्य प्रदेश के सागर शहर के रहने वाले योगेश सोनी के साथ उस की शादी हुई थी. जबकि छोटी बेटी लक्ष्मी का विवाह विदिशा में ही हुआ था. निशा की ससुराल में सब कुछ अच्छा था. सुखीसंपन्न परिवार पा कर निशा जितनी खुश थी, उतने ही संतुष्ट और खुश प्रेम नारायण और उन की पत्नी थी. ससुराल में निशा की सास एक स्कूल चलाती थीं. पढ़ाई में रुचि रखने वाली निशा के मन की मुराद पूरी हो गई थी. ससुराल में उस ने सास के साथ स्कूल के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था. इस काम में उस का पति योगेश भी सहयोग करने लगा था.

समय बीतने के साथ निशा 2 बेटियों और एक बेटे की मां बन गई. इसी दरम्यान उस की सास का निधन हो गया. घरेलू कामकाज बढ़ जाने के कारण स्कूल की देखरेख में बाधा आ खड़ी हो गई. अकेली निशा उसे संभाल नहीं पाई, जिस से स्कूल बंद हो गया. दूसरी तरफ पति योगेश की कोई नियमित आय नहीं थी. वह एक तरह से बेरोजगार था. इस कारण बच्चों की परवरिश की पूरी जिम्मेदारी निशा पर आ गई थी. आय का कोई ठोस साधन नहीं होने के कारण निशा अपने पति योगेश और बच्चों के साथ विदिशा आ गई. वहीं रह कर उन्होंने कोई कामधंधा करने की योजना बनाई.

प्रेम नारायण ने उन्हें अपने ही घर के ऊपर वाले कमरे में रहने को जगह दे दी. निशा का परिवार वहीं शिफ्ट हो गया. परिवार पालने के लिए निशा ने इंदु जैन हौस्पिटल में नर्स की नौकरी कर ली. इस के विपरीत योगेश बेरोजगार बना रहा. नौकरी तलाश करता रहा, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पाई थी. वह निठल्ले की तरह घर पर पड़ा रहता था. सुबहशाम खाना और घूमनाफिरना, यही उस की दिनचर्या बन चुकी थी. घरेलू खर्च के लिए गाहेबगाहे निशा के पिता ही उस की मदद करते रहते थे.

एक दिन प्रेम नारायण ने योगेश को कोई कामधंधा करने की सलाह दी. उन्होंने प्राइवेट नौकरी के लिए कहीं बात करने के बारे में भी कहा. इस पर योगेश बोला कि वह कोई ऐसावैसा काम नहीं करेगा. क्योंकि वह जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है. योगेश की बातें दिन में देखे गए सपने जैसे ही थीं. जबकि निशा नौकरी करने के साथसाथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी करने लगी थी. उस ने 2-3 परीक्षाएं भी दीं, लेकिन उस में सफल नहीं हो पाई. फिर भी वह तैयारी करती रही.

परी का प्यार हुआ जानलेवा – भाग 3

22 वर्षीय मालती का खून से सना शव भूपेंद्र जाट के मकान में बनी दुकान में पड़ा हुआ था. उस के पास में ही उस के प्रेमी पवन सिंह (27 वर्ष) भी खून से लथपथ अचेत अवस्था में पड़ा हुआ था. दोनों के ही शरीर पर काफी नजदीक से गोली मारे जाने के निशान थे. युवती की लाश के पास ही एक देशी कट्ïटा पड़ा था.  इस से यह अंदाजा लगाया गया कि पहले युवक ने अपनी प्रेमिका के सिर में गोली मारी और फिर खुद आत्महत्या करने के इरादे से गोली मार ली.

आत्महत्या या औनरकिलिंग का हुआ शक

तलाशी में दोनों के पास से कोई सुसाइड नोट तो नहीं मिला, लेकिन पवन जाट के पर्स से मालती और पवन का संयुक्त फोटो मिलने से यह बात साफ हो गई कि मामला प्रेम प्रसंग का है. इसलिए एक संभावना औनर किलिंग की भी बनती नजर आने लगी.  लेकिन किसी भी परिणाम पर पहुंचने से पहले पुलिस के लिए इस हत्या से पहले की हकीकत जानना जरूरी था.

चूंकि मामला हत्या और आत्महत्या के अलावा औनर किलिंग का भी हो सकता था, इसलिए पूरी ऐहतियात बरतते हुए एडिशनल एसपी (देहात) जयराज कुबेर के निर्देश पर फोरैंसिक एक्सपर्ट भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने घटनास्थल का सूक्ष्मता से निरीक्षण करते हुए सुराग तलाशने की कोशिश की.  इस के बाद मालती का शव पोस्टमार्टम के लिए और अचेत अवस्था में लहूलुहान हालत में पड़े मिले पवन जाट को प्राथमिक उपचार के लिए भितरवार के शासकीय स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया, लेकिन हालत में सुधार होता न देख डाक्टरों ने बिना देरी किए उसे ग्वालियर के लिए रेफर कर दिया. इलाज के दौरान एक दिन बाद ही पवन ने भी दम तोड़ दिया.

अस्पताल से एसएचओ को इस बारे में सूचना दे दी गई थी. इस सूचना के मिलते ही एसएचओ प्रशांत शर्मा और एसडीपीओ अस्पताल पहुंच गए. जरूरी काररवाई के बाद पवन के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पवन की मौत के बाद मोहनगढ़ में तनाव फैल गया. तनाव को देखते हुए ग्वालियर से पवन का शव मोहनगढ़ आने से पहले ही भितरवार तहसील के एसडीपीओ अभिनव वारंगे ने मृतक युवक और युवती के घर के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया था.

घर वालों ने दी पुलिस को धमकी

एसडीपीओ ने गम में बिलखते हुए मालती के मातापिता और भाई को ढांढस बंधाते हुए कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि इस समय आप लोग बहुत परेशान हैं, लेकिन यह सब कैसे हुआ, यह जानने के लिए मुझे आप लोगों से पूछताछ तो करना ही पड़ेगी. आप लोग इसी तरह रोते रहेंगे तो मैं और एसएचओ अपना काम कैसे करेंगे. आप लोग रोनाधोना बंद कीजिए और हम लोग जो पूछें, उस का जवाब दीजिए.’’

इस पर भी मालती के घर वालों का रोना बंद नहीं हुआ तो एसडीपीओ ने नाराज हो कर कहा, ‘‘ठीक है, आप लोग जी भर कर रो लें. उस के बाद मेरे औफिस में बयान देने आ जाना.’’

इतना कह कर वे घटनास्थल से चलने को अपनी गाड़ी में आ कर बैठे ही थे कि बालमुकुंद चौहान उन की गाड़ी के समीप आ कर बोले, ‘‘साहब रुकिए, मैं आप को इस हत्याकांड की सारी हकीकत बताता हूं. साहब, मेरे पड़ोस में रहने वाले भूपेंद्र सिंह जाट के बेटे पवन ने मेरी बेटी को अपने प्रेम जाल में फंसा लिया था, लेकिन जब मैं ने अपनी बेटी की शादी पवन से न कर के किसी और लडक़े से कर दी तो वह और उस के परिवार के लोग बुरी तरह से तिलमिला गए.

पवन के पिता भूपेंद्र जाट, उस की मां वंदना जाट, भाई उपेंद्र, चाचा उमराव सिंह और पवन ने बड़े सुनियोजित ढंग से मालती को अपने घर बुला कर मेरी बेटी के सिर में गोली मार कर उसे मौत के घाट उतार दिया और उल्टे पवन का परिवार मेरे परिवार पर अंगुली उठाते हुए मेरे घर वालों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रहा है. साहब, अब इस हत्याकांड का सारा सच सामने आ चुका है. आप इन 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर कानूनी काररवाई करेंगे, तभी हम अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करेंगे.

इस के बाद एसडीपीओ के निर्देश पर एसएचओ प्रशांत शर्मा ने तत्काल मृतका के पिता बालमुकुंद की शिकायत पर भूपेंद्र जाट, वंदना जाट, पवन जाट, उपेंद्र, उमराव सहित पवन के खिलाफ भादंवि की धारा 302,147 के तहत मामला दर्ज कर लिया.  प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिका को गोली मार सुसाइड करने के बहुचर्चित मामले में नया मोड़ तब आया, जब पवन की इलाज के दौरान ग्वालियर में हुई मौत के बाद पवन के घर वालों ने मालती के घर वालों पर हत्या का मुकदमा कायम करने की मांग करते हुए भितरवार थाने का घेराव कर लिया.

एसएचओ ने जब उन की मांग को अनसुना कर दिया तो आक्रोशित परिजनों ने पवन के शव को भितरवार करैरा मार्ग पर रख कर चक्का जाम कर दिया. चक्का जाम करने की सूचना मिलने पर एसडीपीओ और एसएचओ प्रशांत शर्मा पुलिस फोर्स ले कर मौके पर पहुंच गए. एसडीपीओ अभिनव वारंगे ने पवन के घर वालों से बात कर भरोसा दिलाया कि मामले की जांच के बाद ही किसी की इस मामले में गिरफ्तारी की जाएगी. इस आश्वासन के बाद ही उन्होंने चक्का जाम खोला और वे पवन का शव ले कर अंतिम संस्कार के लिए मोहनगढ़ चले गए.

कथा लिखने तक पुलिस मर्डर ऐंड सुसाइड के इस मामले की जांच कर रही थी.

मजे मजे की आशिकी में गयी जान – भाग 3

मध्य दिल्ली की डीसीपी श्वेता चौहान ने हत्या का यह मामला संज्ञान में आने के बाद एसीपी नरेश खनका के निर्देशन में एसएचओ नबी करीम अशोक कुमार को इस केस का नेतृत्व सौंप कर एक जांच टीम का गठन कर दिया. इस टीम में इंसपेक्टर शिवकरण, एसआई हर्ष, हैडकांस्टेबल पप्पू लाल, वीरेंद्र, जिले सिंह, ताराचंद, कांस्टेबल विजय और सीताराम को शामिल किया गया.

पुलिस टीम ने उस जगह का निरीक्षण किया, जहां पर जतिन को चाकू मारा गया था. यह पहाडग़ंज का आकांशा रोड था. भगवती मैडिकल स्टोर के पास काफी खून फैला था. यहीं पर रात करीब एक बजे स्कूटी से शादी समारोह में शामिल होने जा रहे जतिन उर्फ जूड़ी को चाकू मार कर खत्म कर दिया गया था. शायद उस वक्त यहां कोई चश्मदीद नहीं रहा होगा, जिस ने हत्यारे को देखा हो. हत्या के बाद कोई यहां से गुजरा तब उस ने जतिन को अस्प्ताल पहुंचाया और उस के घर वालों को सूचित किया.

पुलिस ने वहां आसपास सीसीटीवी कैमरों के लिए नजरें दौड़ाईं, उन्हें वहीं रोड पर 2-3 सीसीटीवी कैमरे नजर आ गए. उन की फुटेज चैक की गई. एक कैमरे में उन्हें 3 व्यक्ति नजर आ गए. उन्होंने जतिन को पकड़ रखा था और उन में से एक जतिन के सीने पर चाकू से वार कर रहा था.

“इन तीनों व्यक्तियों की तसवीर ले कर यहां के रहने वालों को दिखाओ, ये जतिन के हत्यारे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि ये यहीं की किसी बस्ती में रहते होंगे.’’ एसएचओ अशोक ने अपनी टीम को निर्देश दिया तो पुलिस टीम काम में जुट गई. तीनों हत्यारों के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से फोटो निकाल कर उन्हें पुलिस टीम ने अपनेअपने मोबाइल में अपलोड कर लिया. फिर उन की जानकारी हासिल करने के लिए बस्ती की ओर निकल गई.

सौरभ व अक्षय हुए गिरफ्तार

थानाप्रभारी ने अपने खास मुखबिर भी जतिन मर्डर केस के काम में लगा दिए. एक घंटे बाद ही एक मुखबिर ने फोन पर बता दिया कि तीनों हत्यारे नबी करीम के मुल्तानी ढांढा में रहते हैं. इन के नाम अक्षय, सौरभ और रजनीकांत हैं. उन के घर दबिश दी जाए तो वे पकड़ में आ सकते हैं.

एसएचओ ने अपनी टीम को तुरंत वापस बुला लिया और मुखबिर द्वारा बताए घरों पर दबिश दी तो घर से वे तीनों गायब मिले. उन की पत्नियां और बच्चे घर पर थे. पुलिस ने सौरभ की पत्नी मीना से पूछताछ की तो उस ने बताया कि अक्षय उस के जेठ हैं और रजनीकांत रिश्तेदार हैं, लेकिन ये तीनों इस समय कहां हैं, इस का पता नहीं.

पुलिस टीम ने मीना से उन तीनों के खास रिश्तेदारों, मित्रों की जानकारी ली. उन तीनों के मोबाइल नंबर भी ले कर सर्विलांस पर लगवा दिए. सौरभ और रजनीकांत की लोकेशन ट्रेस होने लगी. वे दोनों सुलतानपुरी दिल्ली में थे. पुलिस टीम ने उन की गिरफ्तारी के लिए सुलतानपुरी में दबिश दी. वहां वे एक रिश्तेदार के घर में छिपे हुए मिल गए. दोनों को पकड़ कर नबी करीम थाने लाया गया. उन दोनों से पूछताछ हुई तो सौरभ से जतिन उर्फ जूड़ी की हत्या के पीछे जो कहानी बताई, उसे सुन कर सभी हैरत में पड़ गए.

सौरभ ने बताया कि उस की पत्नी मीना की मुलाकात काफी दिनों पहले जतिन से हुई थी. जतिन और मीना का यह प्यार सभी सीमाएं लांघ गया. दोनों के विषय में मुझे मालूम हुआ तो मैं ने उन्हें समझाया किंतु दोनों ही एकदूसरे के प्यार में इस कदर पागल हो गए थे कि मेरी बात को उन्होंने अनसुना कर दिया.

मुझे मालूम हुआ कि जतिन मेरी पत्नी मीना को भगा कर ले जाने वाला है. वह उस से दूर जा कर शादी करने का मन चुका था, मुझे इस पर गुस्सा आ गया. मैं ने सोचा कि अगर जतिन को रास्ते से हटा दिया जाए तो मीना खामोश बैठ जाएगी. मैं ने अपने भाई अक्षय और मीना के रिश्तेदार रजनीकांत को जतिन की हत्या करने के लिए राजी कर लिया.

27 जनवरी को जतिन को एक शादी समारोह में जाना था. हम ने वही दिन उपयुक्त मान कर रात को जतिन को घेर लिया और चाकू मार कर पत्नी के प्रेमी की हत्या कर दी. सौरभ का बयान दर्ज कर लिया गया. रजनीकांत ने भी जुर्म कुबूल कर लिया. अक्षय फरार था. उस ने अपना मोबाइल बंद कर रखा था.

एसएचओ ने अक्षय की पत्नी और उस की सास यानी सौरभ, अक्षय की मम्मी के मोबाइल सर्विलांस पर लगा दिए. अब इंतजार था अक्षय के द्वारा अपना मोबाइल औन करने का.

अभियुक्तों ने स्वीकारा जुर्म

अक्षय बेहद चालाक था. उस ने किसी दूसरे व्यक्ति के फोन से 30 जनवरी, 2023 को अपनी पत्नी को फोन मिला कर बात की. उस ने बताया कि पुलिस से बचने के लिए वह गुजरात भाग गया है, अभी वडोदरा में है. एसएचओ अशोक ने उस की सारी बातें रिकौर्ड कर लीं. उन्होंने अक्षय की मां और पत्नी को विश्वास में ले कर अक्षय को कहलवाया कि वह दिल्ली आ जाए, पुलिस ने सौरभ को गिरफ्तार कर लिया है क्योंकि उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है. अब पुलिस तुम्हें कुछ नहीं कहेगी. तुम घर लौट आओ.

अक्षय घर आने को राजी हो गया. उस ने वडोदरा से एक ट्रैवल एजेंसी से एक हजार रुपए में टिकट खरीदा और बस में सवार हो गया. उस ने यह जानकारी अपनी पत्नी को दे दी. एसएचओ मुसकराए कि शिकार अब पिंजरे में आने के लिए तैयार है. उन्होंने वडोदरा की उस ट्रैवल एजेंसी से बस का नंबर और ड्राइवर का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया. वह बस के ड्राइवर से फोन पर संपर्क बनाए हुए यह जानकारी लेते रहे कि उस की बस कहां तक पहुंची है.

जब बस ड्राइवर से मालूम हुआ कि वह बस ले कर गुरुग्राम में प्रवेश कर चुका है तो एसएचओ अशोक पुलिस टीम के साथ गुरुग्राम पहुंच गए. वह बस नजर आई तो उसे रुकवा लिया गया. अक्षय बस में था, उसे गिरफ्तार कर लिया गया. थाने में उस ने भी जतिन की हत्या में शामिल होने का जुर्म कुबूल कर लिया.

उन तीनों को अदालत में पेश कर के 2 दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड के दौरान पुलिस ने जतिन की हत्या में प्रयोग किया गया चाकू, स्कूटी और एक बाइक बरामद की. रिमांड अवधि खत्म हो जाने पर तीनों अभियुक्तों को फिर से अदालत में पेश किया गया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में मीना और सोनिया परिवर्तित नाम हैं.

परी का प्यार हुआ जानलेवा – भाग 2

बालमुकुंद चौहान ने मालती को रखने के लिए अपने दामाद से काफी मनुहार की, लेकिन सोनू इस के लिए कतई तैयार नहीं हुआ. बालमुकुंद बेमन से मालती को अपने घर ले आए. मालती को मायके में रहते हुए 3 महीने से ज्यादा का समय हो गया, इस बीच न तो पति ने उस का हालचाल पूछा और न ही सास ने.

तलाक के बाद हुई बदनामी

इस के बाद बालमुकुंद चौहान और उन की पत्नी को बेटी के भविष्य की चिंता सताने लगी. फिर वे दोनों अपने रिश्तेदारों के साथ मालती की ससुराल पहुंचे. उन्होंने मालती के सासससुर से ले कर  दामाद तक से मालती को घर ले जाने के लिए मिन्नतें कीं, लेकिन सोनू अपने निर्णय से टस से मस नहीं हुआ और उस ने मालती को विधिवत तलाक दे दिया.

सोनू के इस कदम से मालती और बालमुकुंद की बड़ी बदनामी हुई. समूचे मोहनगढ़ में मालती को उस के पति द्वारा तलाक दिए जाने की बात चर्चा का विषय बन गई. लोग चटखारे लेले कर आपस में तरहतरह की बातें करने लगे थे. बिरादरी में भी थूथू हो रही थी, जिस से मालती के मम्मीपापा से ले कर भाई तक का घर से निकलना मुश्किल हो गया था. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आखिर में न चाहते हुए भी घर वालों ने मालती के लिए लडक़े की तलाश शुरू कर दी.

मालती के पापा और भाई ने काफी मशक्कत के बाद मालती के लिए ग्वालियर में अपनी ही जाति का एक युवक तलाश कर सामाजिक रीतिरिवाज से 8 दिसंबर, 2022 को उस की दूसरी शादी कर दी. दूसरी शादी के बाद मालती ने अपने प्रेमी पवन से दूरियां बनानी शुरू कर दी थीं. अब जब भी पवन उसे फोन करता तो वह कोई न कोई बहाना बना कर उस का फोन काट देती.

शादी के कुछ दिनों बाद मालती पहली बार अपने मायके आई तो पवन ने उसे फोन कर एकांत में बैठ कर बात करने के लिए बुलाया. मगर मालती ने उस से कहा कि अब वह अपने पति की वफादार बन कर रहना चाहती है. उस ने पवन से दोटूक शब्दों में कह दिया कि अब वह उस की वैवाहिक जिंदगी में दखल देने की कोशिश न करे. वह भी उसे भूल कर अपना विवाह कर ले.

प्रेमी ने दी मालती को धमकी

पवन को अपनी प्रेमिका की यह नसीहत उचित नहीं लगी. पवन ने मालती के फोन पर मैसेज भेज कर धमकी दी कि तेरा पति अपने घर वालों के साथ तुझे शादी के बाद पहली बार लेने आ रहा है. अगर तू आज दोपहर में मुझ से मिलने मेरी किराने की दुकान पर नहीं आई तो मैं तेरे सभी न्यूड फोटो इंटरनेट पर छालने के साथ ही तेरे नएनवेले पति के मोबाइल पर भी सारी फोटो भेज दूंगा.

पवन की इस धमकी से मालती काफी तनाव में आ गई. मजबूरी में मालती ने पवन की बात मान ली. 24 दिसंबर, 2022 की दोपहर जब मालती के घर वाले मालती को विदा कराने के लिए मोहनगढ़ आ रहे सुसराल वालों की आवभगत की तैयारी में जुटे हुए थे, तभी दबेपांव मालती पवन की जिद पर उस की दुकान पर पहुंच गई.  मालती को सामने पा कर पवन मुसकराया. उस की आंखों में चमक उभर आई. पवन ने पहले की तरह जैसे ही मालती की कमर में बाहें डाल कर उसे अपने आगोश में लेने का प्रयास कर मनमरजी करने का जतन किया, तभी मालती ने उसे अपने से अलग करते हुए कहा कि अब वह किसी और की ब्याहता है.

मालती ने उस से कहा, ‘‘पवन, अब तुम मेरा पीछा छोड़ दो. वैसे भी तुम्हारे इश्क के चक्कर में पड़ कर मेरी और मेरे परिवार वालों की पहले ही काफी बदनामी हो चुकी है. अब मैं तुम से किसी तरह का संपर्क रख कर अपनी जिंदगी नरक नहीं करना चाहती. मुझे नहीं मालूम था कि तुम इतने घटिया इंसान निकलोगे, वरना तुम से इश्क करने की भूल हरगिज नहीं करती.’’

प्रेमिका को मारी गोली

मालती के मुंह से खरीखोटी सुन कर पवन  की सहनशक्ति जवाब दे गई. वह अपना आपा खो बैठा और यह कहते हुए कि चल तेरे घर वाले तुझे तेरे पति के पग फेरे की रस्म के बाद विदा करें, मैं तुझे आज ही इस दुनिया से हमेशा के लिए विदा किए देता हूं. कमर में खोंसा देशी तमंचा निकाल लिया और प्रेमिका मालती के सिर से सटा कर गोली मार दी.

गोली लगते ही मालती तख्त पर गिर गई और उस ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. प्रेमिका की हत्या करने के बाद पवन ने भी यह कहते हुए उसी कट्ïटे से स्वयं को गोली मार ली कि जब जानेमन तू ही नहीं रही दुनिया में तो मैं तेरे बिना जी कर क्या करूंगा.

2 बार गोली चलने की आवाज सुन कर मालती का भाई हरिओम किसी अनहोनी की आशंका में दौड़ कर पवन जाट की किराने की दुकान पर जा पहुंचा. वहां पहुंच कर देखा तो अपनी शादीशुदा बहन को खून से लथपथ तख्त पर पड़ा पाया.  हरिओम ने बहन को झकझोर कर उठाना चाहा, लेकिन उस के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई. उस ने उस की छाती पर हाथ रखा तो पता चला कि धडक़नें बंद हैं. उस की नाक के सामने हाथ ले जा कर देखा, उस की सांस भी नहीं चल रही थी.

अपनी लाडली बहन की मौत से हरिओम की चीख निकल पड़ी. मोहल्ले वालों को उस आवाज को पहचानने में जरा भी देर नहीं लगी. यह दर्दभरी चीख बालमुकुंद के बेटे हरिओम की थी. वह चीखचीख कर कह रहा था कि बड़ी बेरहमी से पवन ने मेरी बहन की हत्या कर दी है. मालती तुझे हो क्या गया था, जो तू अपनी विदाई से पहले पवन की दुकान पर चली आई थी.

इस के बाद पड़ोसियों से ले कर सारे रिश्तेदार भूपेंद्र जाट के घर के बाहर जमा हो गए. पड़ोसियों में से ही किसी ने भितरवार थाने को मालती मर्डर केस की खबर दे दी थी. खबर पा कर एसएचओ प्रशांत शर्मा से ले कर एडिशनल एसपी (देहात) जयराज कुबेर, एसडीपीओ अभिनव वारंगे घटनास्थल पर पहुंच गए थे.

मजे मजे की आशिकी में गयी जान – भाग 2

पति को उस ने जैसेतैसे नाश्ता करवा कर उस का टिफिन तैयार कर दिया था और वहीं किचन में खड़ी हो कर उस युवक के खयालों को उधेड़बुन कर रही थी. कभी मन कहता कि उस हैंडसम युवक से दोस्ती कर ले, कभी मन कहता कि अब तू सुहागन है, किसी की पत्नी है, तेरी जिंदगी में अब ऐसे पराए मर्द से दोस्ती करने की कोई जगह नहीं है.

“ऊंह!’’ मीना ने मन के तानेबाने से खुद को उबार कर गरदन झटकी, ‘दोस्ती हीतो कर रही हूं, उसे अपना शौहर थोड़ी न बना रही हूं.’

मीना हो गई बेचैन

उस युवक के लिए दोस्ती की चाह मन में पैदा हुई तो मीना उस युवक की तलाश करने के लिए उतावली हो गई. ‘कहां मिल सकता है वह, कल तो अपनी बात कह कर वह एकदम गायब हो गया था. कौन है, कहां रहता है? कुछ भी तो मालूम नहीं हो सका था उस के बारे में. फिर आज वह उसे कैसे ढूंढ पाएगी?’

“सोनिया की मदद लेती हूं,’’ मीना ने निर्णय लिया. मीना ने सोनिया को फोन मिला दिया. सोनिया की आवाज में वही शोखी और शरारती भरी थी, ‘‘क्यों मेरी जान, नींद नहीं आई क्या रात भर, कैसे आएगी शन्नो रानी? वह अजनबी दिल निकाल कर जो ले गया.’’

सोनिया के ये शब्द सुन कर मीना का दिल धक से रह गया. सोचने लगी कि इस चुड़ैल ने कैसे अंदाजा लगा लिया कि मेरे दिल में क्या पक रहा है?

“बोलती क्यों बंद हो गई यार?’’ दूसरी ओर से सोनिया चहकी, ‘‘मैं ने कोई गलत थोड़ी कहा है.’’

“तुम ने कैसे अंदाजा लगा लिया?’’ मीना ने धडक़ते दिल से कहा, ‘‘मैं ने तो तुझे अभी कुछ बताया ही नहीं है.’’

“मैं उड़ती चिडिय़ा के पर गिन लेती हूं, मेरी बिल्लो. कल शौपिंग के वक्त वह छेड़छाड़ कर के गायब हो गया था, तभी से तू उस के लिए बेचैन नजर आ रही थी.’’ सोनिया ने कहने के बाद पूछा, ‘‘बता तू उसी के लिए परेशान है न?’’

“हां यार,’’ मीना ने गहरी सांस भर कर कहा, ‘‘कमबख्त का चेहरा रहरह कर आंखों के आगे घूम रहा है. सोच रही हूं कि उसे तलाश कर लूं.’’

“तलाश कर के क्या करेगी?’’

“दोस्ती के काबिल है वह, बस दोस्ती करूंगी. दिन भर जो बोरियत होती है, वह खत्म हो जाएगी.’’

“उसे अब तलाश कहां करोगी?’’

“तू है न, तू उसे तलाश करने में मेरी मदद कर सकती है.’’

“तू आराम से उस के सपने देख लाडो,’’ सोनिया गंभीर हो गई, ‘‘मैं शाम तक तुझे वह युवक तलाश कर के देती हूं.’’ कह कर सोनिया ने काल डिसकनेक्ट कर दी. मीना ने चैन की सांस ली. उसे सोनिया पर पूरा भरोसा था. वह जो कह रही है, कर के दिखा भी सकती है. मीना इस विश्वास को मन में ले कर घर के काम निपटाने में व्यस्त हो गई.

उस अजनबी युवक का नाम जतिन था. सोनिया ने उसे शाम तक ढूंढ निकाला था, उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया था और अपनी सहेली मीना को यह जानकारी दे कर चौंका दिया.

प्यार में बदल गई दोस्ती

सोनिया ने बताया था कि जतिन ने उन्हें सौरभ की दुकान पर देखा था. जिस प्रकार वह लोग सौरभ से बातें कर रही थीं, जतिन ने अनुमान लगा लिया था कि सौरभ ही मीना का पति है. उसे विश्वास था कि मीना अपने पति सौरभ की दुकान पर दूसरे दिन भी आ सकती है, इसलिए वह दूसरे दिन शाम को पालिका बाजार में पहुंचा था. सोनिया इसी अनुमान के आधार पर उस से मिली थी. अपनी सहेली मीना की तड़प का जिक्र कर के उस ने युवक का नामपता और मोबाइल नंबर हासिल कर लिया था.

मीना को उस युवक का मोबाइल नंबर मिला तो उस ने धडक़ते दिल से उसे फोन मिला दिया. फोन पर जतिन की आवाज सुनाई दी तो मीना ने दिल थाम लिया.

“कैसी हो मीनाजी,’’ जतिन के स्वर में कशिश थी, ‘‘मुझे मालूम था आप मेरी तरफ दोस्ती का हाथ जरूर बढ़ाएंगी, में रात भर आप का खयाल कर के बेचैन रहा हूं.’’

“मैं भी रात भर सो नहीं पाई थी जतिन,’’ मीना ने ठंडी सांस भरी, ‘‘पता नहीं उस अजनबी मुलाकात में क्या जादू कर गए थे

आप, दिल आप के लिए रात भर तड़पा है.’’

“तो आप को मेरी दोस्ती कुबूल है?’’ खुश हो कर जतिन ने पूछा.

“न होती तो आप की तलाश अपनी सहेली से नहीं करवाती. मुझे आप की प्यारभरी दोस्ती कुबूल है.’’

“तब इस दोस्ती को सेलिब्रेट कहां करना चाहोगी?’’

“जहां आप चाहें.’’

“कल दोपहर पहाडग़ंज के किसी रेस्तरां में आ जाइए आप, वहां कुछ मीठा हो जाएगा.’’ मीना ने अपना प्रस्ताव बेहिचक रखा, जिसे जतिन ने हंसते हुए स्वीकार कर लिया.

दूसरे दिन निर्धारित समय पर दोनों पहाडग़ंज की चूनामंडी के एक रेस्टोरेंट में मिले. हायहैलो के बाद जतिन ने कोल्डड्रिंक और समोसे मंगवाए. दोनों एकदूसरे को अपने विषय में बताते हुए इस पहली मुलाकात का सेलिब्रेशन करते रहे. इस पहली मुलाकात के बाद मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया. उन के बीच आप की दीवार ढह गई.

अब दोनों एकदूसरे को तुम कह कर पुकारने लगे थे. उन की दोस्ती इन मुलाकातों के कुछ दिनों बाद प्यार में बदल गई. मीना को जतिन इतना पसंद आया कि वह उसे सौरभ की जगह रख कर प्यार लुटाने लगी, जिस पर केवल सौरभ का अधिकार था. जतिन भी मीना को टूट कर चाहने लगा था. वह भूल गया था कि मीना किसी की ब्याहता है, उस से प्यार करना उस के लिए गुनाह है. इस का परिणाम उस के लिए घातक भी हो सकता है.

बस, दोनों सारी सीमाएं, सारी मर्यादाएं लांघ कर दिल्ली के रेस्तरां, पिकनिक स्पाट और होटलों के बाद कमरों में मिलने लगे थे. उन का प्यार दिनोंदिन परवान चढ़ रहा था, जिस की चर्चा अब धीरेधीरे मीना के घर तक पहुंचने लगी थी. मीना को इस की परवाह नहीं थी या वह परवाह करना नहीं चाहती थी. जतिन उस के मन का मीत जो बन गया था.

जतिन की हत्या की मिली खबर

27 जनवरी, 2023 को मध्य दिल्ली के थाना नबी करीम को लेडी हार्डिंग अस्पताल से सूचना दी गई कि यहां एक युवक को लाया गया है, जिस के सीने में चाकू घोंपा गया है. उस युवक की मौत हो गई है. एसएचओ अशोक कुमार सूचना पा कर एसआई हर्ष को साथ ले कर लेडी हार्डिंग अस्पताल पहुंच गए. जिस युवक को चाकू मारा गया था, अभी वार्ड में उस का शव पड़ा हुआ था. जिस बैड पर उसे लिटाया गया था, उस की चादर खून से भीग गई थी. युवक के सीने में बाईं ओर गहरा जख्म था. खून अधिक बह जाने के कारण उस की मौत हो गई थी.

लेडी हार्डिंग में ड्ïयूटी पर तैनात कांस्टेबल ने नबी करीम थाने में सूचना दी थी, क्योंकि उस युवक को नबी करीम इलाके से उपचार के लिए उस के घर वाले लाए थे. इमरजेंसी विभाग के डाक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया था. एसएचओ ने मृतक का नाम मालूम किया तो उस के भाई ने उस का नाम जतिन बताया.

“इसे चाकू कहां मारा गया है?’’ एसएचओ ने पूछा.

“पहाडग़ंज के आकर्षण रोड पर हमें इस की लाश मिली है सर. मेरा भाई रात को अपने दोस्त की शादी में शामिल होने के लिए घर से निकला था.’’ उस युवक ने बताया.

एसएचओ अशोक कुमार ने लाश की अच्छे से जांच की. उस चाकू के जख्म के अलावा जतिन के शरीर पर किसी प्रकार के मारपीट के निशान नहीं थे. एसएचओ ने आवश्यक काररवाई निपटा कर अपने उच्चाधिकारियों को इस हत्या की जानकारी दे दी. उन के आदेश पर जरूरी काररवाई करने के बाद जतिन की लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

मजे मजे की आशिकी में गयी जान – भाग 1

20 वर्षीया मीना बहुत देर से महसूस कर रही थी कि एक युवक काफी समय से उसे ही देख रहा है. वह जहां जा रही है, वह भी वहीं उस के पीछेपीछे पहुंच रहा है. मीना जब उस युवक को देखती तो वह उसे कनखियों से देख कर धीरे से मुसकरा देता था. उस की चोरी पकड़ी जाती तो वह चेहरा घुमा लेता था. वह क्यों उस के पीछे लगा है, यही जानने के लिए मीना ने साथ आई अपनी सहेली से कहा, ‘‘सोनिया, उसे देख रही है?’’

“किसे?’’ सहेली बोली.

“अरे वह, जो सामने की कल्पना शर्ट शौप पर खड़ा है.’’

सोनिया ने उस दुकान की ओर नजरें गड़ा दीं. वहां खड़े एक युवक को देख कर उस ने होंठों को गोल सिकोड़ कर अंदर सांस खींचते हुए आह भरी, ‘‘वाव, क्या हैंडसम सिंगल पीस है. यार मीना, तेरी पसंद तो बहुत लाजवाब है.’’

“पागल, वह मेरी पसंद नहीं है.’’ मीना झल्ला कर बोली, ‘‘वह मेरे पीछेपीछे आ रहा है.’’

“किस्मत वाली हो यार,’’ सोनिया ने ठंडी सांस भरी, ‘‘काश! वह मेरे पीछेपीछे आता, रुमाल में लपेट कर पर्स में डाल लेती.’’

“क्या अनापशनाप बक रही है,’’ मीना उस के कंधे पर हाथ मार कर झुंझलाए स्वर में बोली, ‘‘जो कह रही हूं, वह समझ.’’

“समझ गई हूं मेरी जान,’’ सोनिया ने फिर मसखरी की, ‘‘वह जवान और हैंडसम है, तुम भी किसी हसीना से कम नहीं हो. तुम उसे अच्छी लगी हो, इसीलिए तो पीछे लग गया है.’’

“मैं तेरा मुंह नोच लूंगी,’’ चिढ़ कर मीना बोली, ‘‘मैं उस की हरकत से परेशान हूं और तू है कि कुछ दूसरा पुलाव पका रही है.’’ इस बार सोनिया सीरियस हो गई, ‘‘यार, अगर वह हमारे पीछे लगा है तो लगा रहने दे. यह मर्दों की फितरत होती है, कोई सुंदर चीज उसे पसंद आती है तो उसे पाने को मचल उठता है, चाहे वह उस के हाथ में आए या न आए. यहां भी ऐसा ही है, हम यहां पालिका बाजार में कितनी देर के लिए आए हैं घंटा दो घंटा. इतनी देर में वह पीछे लगता है तो लगा रहने दो. हम शौपिंग कर के चले जाएंगे तो वह भी अपने रास्ते चला जाएगा.’’

“फिर भी, उसे इस तरह हमारे पीछे नहीं लगना चाहिए.’’

“यार मीना, तू बेकार की टेंशन ले बैठती है, मस्त हो कर खरीदारी कर. वह क्या कर रहा है, क्यों कर रहा है, करने दे.’’ सोनिया ने समझाया. लेकिन मीना कहां समझने वाली थी. वह सहेली सोनिया के साथ शौपिंग करते हुए उसी युवक को देख रही थी. एक कास्मेटिक की दुकान से निकल कर वह दूसरी दुकान की तरफ बढ़ी तो देखा वह युवक उन के पीछे आने लगा. मीना को गुस्सा आ गया. उस ने देखा कि सोनिया अपनी धुन में उस दुकान की तरफ जा रही थी.

मीना अपनी जगह रुक गई तो वह युवक हड़बड़ा गया. वह भी रुक गया और दूसरी ओर देखने लगा. मीना उस के पास आ गई और उस का कंधा थपथपा कर बोली, ‘‘ऐ मिस्टर, यह क्या हरकत है?’’

“जी…’’ वह युवक अचकचा कर बोली, ‘‘आप ने मुझ से कुछ कहा?’’

“हां, तुम से ही कह रही हूं. यह तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो?’’

युवक बेहिचक मुसकरा कर बोला, ‘‘जो चीज अच्छी लगे उसे देखने में क्या बुराई है? आप बेहद सुंदर हैं, इसलिए मेरी नजर आप पर से हट नहीं पा रही है.’’

“मेरी मांग में तुम्हें सिंदूर दिखाई दे रहा है?’’ मीना झल्ला कर बोली, ‘‘ये मेरे सुहाग की निशानी है.’’

“एक चुटकी सिंदूर ही तो है,’’ युवक मुसकरा कर बेबाकी से बोला, ‘‘यदि इसे धो डालो तो कसम से कोई नहीं कहेगा कि आप सुहागन हैं. आप को कुंवारी समझ कर आप की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने को कोई भी मचल जाएगा, मुझे तो सिंदूर में भी आप की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने का मन हो रहा है.’’

मीना उलझ गई अजनबी से

मीना उस की बेबाकी और जिंदादिली पर अवाक रह गई. कुछ कहते नहीं बना. वह कुछ कहती, उस से पहले ही सोनिया उस के पास पहुंच गई, ‘‘यार मीना, तुम भी गजब हो, मैं तुम्हें वहां ढूंढ रही हूं और तुम यहां इन से उलझ रही हो. चलो, मैं ने तुम्हारे लिए एक ब्रेसलेट पसंद किया है.’’

सोनिया उसे बाजू से पकड़ कर घसीटती ले जाने लगी तो उसे उस युवक के ठंडी सांस भर कहे गए शब्द सुनाई दिए, ‘‘अब तो तुम से दोस्ती कर के ही चैन पाऊंगा, मीनाजी.’’

मीना कुछ कह नहीं पाई. सोनिया उसे घसीट कर उस दुकान पर ले आई, जहां पर वह ब्रेसलेट पसंद कर के गई थी. मीना को ब्रेसलेट पसंद आया तो उस ने उसे खरीद लिया. कुछ देर बाद मीना ने पलट कर पीछे देखा तो वह युवक वहां नहीं था. वह बेचैन हो कर उसे इधरउधर तलाश करने लगी, लेकिन शायद वह वहां से जा चुका था. जाने के बाद वह मीना के दिल में अजीब सी हलचल पैदा कर गया था.

मीना अपने पति सौरभ के साथ मध्य दिल्ली में नबी करीम के मुल्तानी ढांढा में रहती थी. सौरभ अभी 23 साल का था. मीना के साथ शादी को अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ था. दोनों एकदूसरे को पा कर खुश थे. सौरभ कनाट प्लेस के पालिका बाजार में टैटू बनाने का काम करता था. अपनी दुकान थी, जिसे वह अपने बड़े भाई अक्षय के साथ चलाता था.

सौरभ की गृहस्थी हंसीखुशी से चल रही थी कि मीना की शौपिंग के दौरान एक युवक से हुई अनजानी मुलाकात से गृहस्थी की खुशियों का रंग, बदरंग होना शुरू हो गया. मीना चाहती तो उस अजनबी युवक से हुई अनजानी मुलाकात को एक इत्तफाक या हादसा मान कर भुला सकती थी, लेकिन मीना उस मुलाकात की गहराई में उतरने की वही भूल कर बैठी, जो अकसर ऐसी मुलाकातों में अन्य महिलाएं कर बैठती हैं.

वह मुझे देख रहा था, मेरा पीछा कर रहा था, देखने में तो ठीक ही था, कहीं से सडक़छाप मजनूं भी नहीं लग रहा था, सभ्य और पढ़ालिखा भी था किंतु था निडर, बेबाक और दिल को हथेली पर ले कर चलने वाला इंसान. बड़े निर्भीक और सहजता से उस ने अपने मन की बात कह दी थी. ऐसे ही विचार मीना के दिमाग में घूम रहे थे.

उस का किसी काम में मन ही नहीं लग रहा था. रहरह कर उस अजनबी युवक का चेहरा उस की आंखों के सामने उभर आता था. उस युवक के चेहरे की लुभावनी मुसकान उसे कल किसी कांटे की तरह चुभ रही थी तो आज उसी मुसकान की वह दीवानी हो कर आहें भर रही थी.

परी का प्यार हुआ जानलेवा – भाग 1

एकलौती बिटिया होने की वजह से मालती अपने मांबाप की लाडली थी. उस के पापा के पास इतना कुछ था कि जब जो चाहा उसे मिला. पापा बालमुकुंद चौहान और मम्मी उस की हर इच्छा को पूरा करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे.  मांबाप के प्यार की वजह से बलिग होतेहोते मालती काफी जिद्ïदी हो गई थी. वैसे उसे ज्यादा जिद करने की जरूरत नहीं पड़ती थी, वह जो भी कह देती, मम्मीपापा और भाई आंख मूंद कर पूरी कर देते थे.

मूलरूप से मध्य प्रदेश में ग्वालियर जिले की भितरवार तहसील के मोहनगढ़ गांव के रहने वाले बालमुकुंद चौहान और भूपेंद्र जाट आमनेसामने रहते थे. इस वजह से उन का न सिर्फ एकदूसरे के परिवार से घरोवा था, बल्कि पड़ोस में रहने की वजह से दोनों परिवारों का एकदूसरे के घर आनाजाना भी था.  मालती और भूपेंद्र सिंह का बेटा पवन साथ में खेल कर बड़े हुए थे.

मालती खूबसूरत थी तो पवन भी कम आकर्षक नहीं था. वह लंबाचौड़ा, गोराचिट्टा युवक था. अपने आकर्षक व्यक्तित्त्व के बल पर वह किसी को भी बांध लेने की क्षमता रखता था, इसलिए पवन से मिलना मालती को भी अच्छा लगता था.

किशोरावस्था में हुआ प्यार

किशोरावस्था में कदम रखते ही पवन मालती की ओर आकर्षित हो गया था. कई साालों तक चोरीछिपे दोनों का प्यार परवान चढ़ता गया. लेकिन परिवार वालों के डर की वजह से अपने मन की बात अपने घरवालों से कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. हालांकि मालती ने बिना किसी संकोच के अपने मातापिता को बता दिया था कि वह पवन से प्यार करती है और उसे अपना जीवनसाथी बनाना चाहती है.

इस पर उस के पापा ने उसे बड़े प्यार से समझाया, ‘‘बेटी, पवन से रिश्ता जुडऩा नामुमकिन है. इस की पहली वजह तो यह है कि वह हमारी बिरादरी का नहीं है और दूसरे उस की और हमारे परिवार की हैसियत बराबर नहीं है. वह हमारे मुकाबले कुछ भी नहीं है.’’

पापा की बात यह सुन कर मालती के पैरों तले की जमीन खिसक गई. मालती के मम्मीपापा करते थे कि उन की बेटी जिद्ïदी स्वभाव की है. उस की इस आदत को देखते हुए मम्मीपापा ने उस के घर से निकलने पर सख्त पाबंदी लगा दी. मालती समझ गई कि अब पवन के साथ जिंदगी बिताने का उस का सपना महज सपना ही बन कर रह जाएगा. क्योंकि घर वाले उस का रिश्ता प्रेमी पवन के साथ नहीं करेंगे.

उधर बालमुकुंद चौहान मालती की शादी के लिए लडक़ा तलाशने लगे. काफी दौड़धूप के बाद बालमुकुंद चौहान को दतिया जिले के इंदरगढ़ में रहने वाला सोनू चौहान अपनी बेटी के लिए पसंद आ गया. इस के बाद उन्होंने बड़ी धूमधाम से मालती की शादी सोनू चौहान के साथ कर दी.  मालती दुलहन बन कर ससुराल पहुंच गई. सोनू मालती जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर काफी खुश था. यही वजह थी कि वह पत्नी की हर इच्छा का खयाल रखता था.

इस के बावजूद मालती अपने प्रेमी पवन को नहीं भुला पाई. उसे जब भी मौका मिलता, वह फोन पर अपनी सहेली से प्रेमी पवन के बारे में बतियाना शुरू कर देती और पवन के बारे में सारी जानकारी ले लेती. धीरेधीरे 2 साल गुजर गए, पवन भी मालती को नहीं भुला सका था. दिनरात मालती उस के खयालों में छाई रहती. वह अपनी जिंदगी मालती की यादों में काटना चाहता था. इस वजह से उस ने शादी भी नहीं की थी.

शादी के बाद बने रहे संबंध

उधर मालती के मम्मीपापा और भाई को लगने लगा था कि शादी के बाद मालती पवन को भूल चुकी होगी, इसलिए उन्होंने उसे गांव में किसी के भी घर आनेजाने की छूट दे दी. पवन और मालती मौके की तलाश में रहने लगे, एक दिन मौका पा कर सब की नजरों से बचते हुए दोनों मिले. इस मुलाकात में मालती ने बताया कि वह अपनी शादी से जरा भी खुश नहीं है तो पवन चौंका. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि मालती अब भी उसे अपने दिल में बसाए हुए होगी.

उसे लगता था कि मालती उसे भुला कर अपने पति के प्रेम में रम गई होगी. पवन ने मालती से पूछा, ‘‘क्या तुम अब भी मेरे साथ जिंदगी गुजारने को तैयार हो?’’

“हां, मैं तुम्हारे लिए अपना बसाबसाया घर छोडऩे को तैयार हूं.’’

मायके से मालती ने भागना उचित नहीं समझा. क्योंकि इस से उस के मायके वालों की बदनामी होती. फिर योजना के अनुसार, दोनों ने एकदूसरे के नए मोबाइल नंबर ले लिए. मालती ने पवन का मोबाइल नंबर सहेली के नाम से सेव कर लिया.

3 दिन बाद मालती का पति सोनू उसे लेने अपनी ससुराल मोहनगढ़ आया तो वह बेमन से ससुराल चली गई. ससुराल में किसी को भी उस के शादी से पूर्व के प्रेम प्रसंग के बारे में जानकारी नहीं थी, इसलिए उसे देर रात मोबाइल पर बतियाते देख किसी को उस पर संदेह नहीं हुआ. ससुराल वाले यही समझते रहे कि वह अपने मांबाप की लाडली बेटी है उन्हीं से बतियाती होगी.

इत्तफाक से एक दिन मालती के पति सोनू की देर रात अचानक नींद टूट गई, तब उस ने उसे किसी पुरुष से खिलखिला कर हंसते हुए वीडियो कालिंग पर बात करते हुए देखा. इस से सोनू को मालती पर शक हो गया. उसे कतई उम्मीद नहीं थी कि शादी के बाद भी पत्नी का किसी अन्य पुरुष से चक्कर चल रहा होगा. काफी प्रयत्न करने पर सोनू को पता चला कि मालती का प्रेम प्रसंग मोहनगढ़ गांव के पवन से चल रहा है. इस जानकारी से सोनू को गहरा झटका लगा.

अब इसे ले कर आए दिन पतिपत्नी के बीच झगड़ा होने लगा. धीरेधीरे उन के रिश्तों में दरार आती चली गई. यह दरार इतनी बढ़ी कि सोनू ने अपने सुसर को फोन कर उन से साफ कह दिया कि अब वह मालती को पत्नी के तौर पर अपने घर पर नहीं रख सकता. आप इंदरगढ़ आ कर मालती को हमेशा के लिए ले जाएं.