जवान बेटी ने मां के किए टुकड़े – भाग 3

अपनी मां के गिर कर जख्मी होने और पड़ोसियों के कहने पर भी उन के उपचार में अनदेखी करने के संबंध में पूछे जाने पर रिंपल ने पुलिस को बताया, ‘‘मैं घबरा गई थी, क्योंकि मां के गिरने के कारण कमरे में जातेजाते ही उस की सांस चलनी बंद हो गई थी. लेकिन मैं ने सोचा कि शायद ऐसा गिरने के कारण हुआ होगा. रिश्तेदार मुझे इस के लिए दोषी ठहराएंगे, इसलिए जल्दबाजी में मैं ने उन्हें कुछ नहीं बताया. कुछ समय बाद ही मुझे पता चल गया कि वह मर चुकी है. फिर मैं ने लाश को ठिकाने लगाने का फैसला किया.’’

गूगल से मिली लाश के टुकड़े करने की जानकारी…

पुलिस द्वारा वीणा के मारे जाने की बात पूछे जाने पर रिंपल बारबार एक ही रट लगाती रही कि उस ने अपनी मां को नहीं मारा. वह जांच की शुरुआत के बाद से ही इस पर अडिग बनी हुई थी. उस का कहना था कि 27 दिसंबर, 2022 की सुबह जब उस की मां गिर गई थीं, तब वह सो रही थी. उठने के बाद जब मां उसे घर पर नहीं दिखीं, तब वह उन्हें देखने गई, उन्हें सीढिय़ों पर गिरा देखा था. इस तरह छानबीन और पूछताछ के बाद पुलिस इस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई थी कि वीणा जैन की मौत दुर्घटनावश गिरने से हुई थी या रिंपल ने ही उन्हें धक्का दे कर गिरा दिया था. पुलिस के लिए यह जांच कर यह साबित करना कठिन था. कारण इस का कोई गवाह नहीं मिल पाया था.

लाश के टुकड़े किए जाने के बारे में पुलिस ने रिंपल से सख्ती के साथ पूछताछ की. इस पर रिंपल ने बताया कि उस ने अपनी मां के शरीर के टुकड़े करने के लिए गूगल की मदद ली थी. इस के बाद दुर्गंध मिटाने के लिए उस ने एयर फ्रैशनर, 100 बोतल परफ्यूम, चाय पत्ती और फिनाइल का इस्तेमाल किया था. वह लालबाग मार्केट से ही एक इलैक्ट्रिक मार्बल कटर भी खरीद लाई थी. पुलिस के मुताबिक, उस ने मार्बल कटर, चाकू और हंसिया से मां के शरीर के टुकड़े कर दिए. इस के बारे में उस ने जो कुछ बताया, वह काफी रोंगटे खड़े करने जैसा ही है.

बेदर्द बेटी रिंपल ने पहले अपनी मां की लाश के हाथों को शरीर से अलग किया. उस के बाद पैर और फिर जांघें काटीं. उस के बाद उस ने सिर धड़ से अलग किया और धड़ को एक बोरी में भर दिया. उस बोरी को उस ने अलमारी के अंदर रख दिया था. रिंपल की इन बातों को सुन कर कोई नहीं कह सकता कि वह बेटी है या कसाई. पड़ोसियों तक को दुर्गंध नहीं पहुंचे, इस के लिए एयर फ्रैशनर, चाय पत्ती और फिनाइल तक का इस्तेमाल किया.

रिंपल के इस बयान पर पुलिस यह मानने को तैयार नहीं थी कि उस ने अकेले इस वारदात को अंजाम दिया है. पुलिस को शक था कि जरूर उस ने कई लोगों की मदद ली होगी. हालांकि रिंपल ने अपना सारा पैसा काटने वाली मशीन पर ही खर्च कर दिया था. इस कारण वह चाल के ग्राउंड फ्लोर पर श्रीसाईं फूड सेंटर से उधार पर खाने का सामान मंगवाने लगी थी. इस की पुष्टि दुकानदार के वाट्सएप मैसेज से हुई.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस जांच इस नतीजे पर पहुंची कि वीणा की मौत 27 दिसंबर, 2022 को ही हो गई थी. इस की डीसीपी (जोन 4) डा. प्रवीण मुंधे ने सभी जांच और बयानों के आधार पर पुष्टि की. फिर भी पुलिस को इस की पुष्टि करने वाले और सबूत नहीं मिले. यह भी पता नहीं चल पाया कि रिंपल को कटर और चाकू की सप्लाई किस ने की थी. पुलिस की नजर उस संदिग्ध पर भी गई, जो संभवत: रिंपल का बौयफ्रैंड था और लगातार उस के संपर्क में था. लाश ठिकाने लगाने का नहीं मिला मौका

उस का नाम बौबी अमजद अली (27) है. उस के बारे में पुलिस को पहले ही मालूम हो चुका था कि वह लालबाग में एक सैंडविच स्टाल चलाता है, लेकिन लखनऊ का रहने वाला था. वह 7 जनवरी को मुंबई से अपने होमटाउन चला गया था. उस की 7 मार्च, 2023 तक फोन काल के माध्यम से रिंपल से बातचीत होती रहती थी. कालाचौकी पुलिस 16 मार्च, 2023 को उसे यूपी से पकड़ कर मुंबई ले आई. उस से गहन पूछताछ के बाद उस ने स्वीकार लिया कि रिंपल की मां की लाश को ठिकाने लगाने के लिए छोटेछोटे टुकड़े बनाने में उस ने मदद की थी.

इस के बावजूद रिंपल लाश को ठिकाने लगाने में सफल नहीं हो पाई. क्योंकि चहलपहल भरी उस पुरानी चाल में सैंकड़ों परिवार रहते हैं और यह ठीक मुख्य सडक़ पर स्थित है. इस कारण चाल में और उस के आसपास हमेशा चहलपहल बनी रहती है. वहां आधी रात को ही थोड़ा सन्नाटा होता है, लेकिन सुबह 4 बजे ही चाल के बाहर चाय की दुकान खुल जाती है. यही कारण है कि रिंपल पकड़े जाने के भय से लाश ठिकाने लगाने के लिए मौका ढूंढती रह गई. आसपास के लोगों ने जब उस से मां के नहीं दिखाई देने के बारे में पूछा, तब उस ने मां के कानपुर चले जाने की बात बता दी.

हालांकि हैवान बेटी रिंपल के लिए मां की मौत और घर में ही लाश को छिपा कर रखना आसान नहीं था. उस की स्थिति विक्षिप्त जैसी होने लगी थी. उसे हमेशा यह डर सताता रहता था कि उसी इलाके में रहने वाले रिश्तेदार मिलने के लिए किसी भी समय आ सकते थे. पड़ोसियों ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि रिंपल शाम को आम रास्ते से हट कर टहलती थी. अपना फोन कान से लगाए रहती थी, ताकि उसे लोग यही समझें कि वह अपनी मां से बात कर रही है.

इस हत्याकांड के पीछे का जो कारण सामने आया वह था मांबेटी के बीच अकसर होने वाली कहासुनी. वह मां से इस बात को ले कर अकसर झगड़ पड़ती थी कि उस के एचआईवी पीडि़त होने के कारण ही उसे ताने सुनने पड़ते हैं. लोग उसे एड्स पीडि़ता की बेटी के रूप में जानते हैं. यह उसे बहुत बुरा लगता था. वह एक तरह से सामाजिक कलंक का शिकार थी. यही ताना रिंपल अपनी मां को भी मारती रहती थी. वह अपनी मां को परिवार की एक कलंक औरत कहती थी. इस कारण मां के साथ उस के संबंध हमेशा तनावपूर्ण बने हुए थे.

वीणा के पति प्रकाश जैन की 2005 में एचआईवी पाजिटिव के बाद मृत्यु हो गई थी. जब वीणा परिवार के साथ विरार के पालघर में रहती थी. उस के बाद से ही सुरेश पौरवाल को कई बार मां और बेटी के बीच हस्तक्षेप करना पड़ा था. वह उन की देखभाल कर रहे थे. उन्हें पैसे और रहने के लिए जगह का इंतजाम कर दिया था. पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद रिंपल को सेवरी में मैट्रोपोलिटन मजिस्ट्रैट की अदालत में 20 मार्च, 2023 को एस.एस. घरे के सामने पेश किया गया. वहां भी रिंपल वही बात दोहराती रही कि उस ने मां को नहीं मारा है, लेकिन क्राइम पैट्रोल देख कर लाश को ठिकाने लगाने का आइडिया लिया, जबकि यूट्यूब पर शव को सड़ाने का तरीका सीखा. कोर्ट से उसे और उस के प्रेमी बौबी अमजद अली को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

जवान बेटी ने मां के किए टुकड़े – भाग 2

सुरेश और उन का बेटा कुछ समय तक दरवाजा खटखटाते रहे, लेकिन रिंपल ने दरवाजा नहीं खोला. वह अपनी भांजी की इस हरकत से हैरान रह गए. दरवाजा पीटते समय वहां आसपास के कई लोग इकट्ïठा हो गए. उन में से कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने रिंपल की मां को पिछले कई महीनों से नहीं देखा है.

फ्रिज, पौलीथिन, ड्रम में मिले लाश के टुकड़े…

उन्होंने यह भी बताया कि रिंपल आसपास किसी के भी संपर्क में नहीं थी. कब आती है, कब जाती है, इस का पता ही नहीं चलता. सुरेश वहां मौजूद लोगों की बात सुन कर गंभीर चिंता से घिर गए. वह सीधे कालाचौकी थाने गए. वहां उन्होंने एसएचओ से सारा वाकया विस्तार से सुनाया और घर पर चलने का अनुरोध किया. तब तक शाम हो चुकी थी.

14 मार्च, 2023 को एसएचओ पुलिस टीम के साथ वीणा के मकान पर गए. उन्होंने भी दरवाजा खटखटाया. काफी देर बाद जब पुलिस ने दरवाजा तोडऩे की धमकी दी, तब रिंपल ने दरवाजा खोला. दरवाजा खुलते ही भीतर से सड़े मांस जैसी दुर्गंध का भभका तेजी से निकला. सभी पुलिसकर्मी और दूसरे लोग तेज दुर्गंध से परेशान हो गए. नाक पर रुमाल रख कर रिंपल के साथ उस कमरे में गए, जहां वह अपनी मां के साथ रहती थी. उन्हें घर में अलगअलग जगह गांठ लगे पौलीथिन रखी मिलीं. दुर्गंध उन्हीं में से आ रही थी. जब उन्हें खोला गया, तब उन में मांस के टुकड़े मिले. इस के बाद पुलिस कमरे में रखे सामान को तलाशने लगी.

कमरे के ठीक बाहर एक प्लास्टिक बैग में लाश के कुछ और टुकड़़े मिले. सिर और धड़ प्लास्टिक में पैक कर अलमारी और बक्से में रखे मिले, जबकि हाथ और पैर घर की स्टील की टंकी में पड़ा था. लाश के टुकड़े फ्रिज में भी रखे मिले. रिंपल अनजान बनती हुई बोली उसे पता नहीं कि यह किस की है. जबकि सुरेश ने लाश पहचान ली थी. इस की सूचना एसएचओ ने तुरंत उच्च अधिकारियों को दे दी. सूचना मिलते ही घटनास्थल पर डीसीपी प्रवीण मुंडे भी आ गए. उस के बाद रिंपल को तुरंत हिरासत में ले लिया गया. कालाचौकी पुलिस ने रिंपल के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 201 (अपराध के साक्ष्य को छिपाना) के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली.

पुलिस को घर में तलाशी में इलैक्ट्रिक मार्बल कटर, कोयता और सुरी भी मिले. पुलिस ने अनुमान लगाया कि महिला की हत्या के बाद उस के दोनों हाथ और पैर काट दिए गए थे. इस के लिए हंसिया, कटर और छोटे चाकू का इस्तेमाल किया गया था. पुलिस ने मृतक की पहचान वीणा प्रकाश जैन (55) के रूप में की. वह अपने पति और बेटी रिंपल के साथ विरार में रहती थी. करीब 16 साल पहले पति के गुजर जाने के बाद वह लालबाग के इब्राहिम कसार चाल में रहने लगी थी. जैन के 2 भाई और 5 बहनें थीं.

इस तरह मिले लाश के सड़ेगले टुकड़े देख कर घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने उस की पहचान 55 वर्षीय वीणा जैन के रूप में कर दी थी, फिर भी उन्हें पोस्टमार्टम के लिए केईएम अस्पताल भेज दिया गया. टुकड़ों में बंटी लाश और उसे काटने के बरामद औजार ने दिल्ली में श्रद्धा हत्याकांड की याद ताजा कर दी. फर्क इतना था कि ये टुकड़े एक अधेड़ महिला के थे, जिस की मौत और इस तरह के खौफनाक मंजर तक पहुंचाने की जांच की जानी थी.

बेटी ने किए थे मां के टुकड़ेटुकड़े…

हत्या और घटनास्थल पर उस के साक्ष्यों को छिपाने एवं मिटाने की शुरुआती अंगुली रिंपल पर ही उठी. पुलिस अधिकारियों द्वारा पूछताछ का सिलसिला शुरू हो गया. पहले तो रिंपल ने पुलिस को बरगलाने की पूरी कोशिश की और अनापशनाप जवाब देती रही. उस की बातों से ऐसा लगा, जैसे वह विक्षिप्त हो. इसे देखते हुए पुलिस ने पूछताछ के दौरान मनोचिकित्सक की भी मदद ली. इस वारदात के बारे में पुलिस ने मृतका के नजदीकी परिजन सुरेश कुमार और पड़ोसियों से भी पूछताछ की. इस सिलसिले में पता चला कि रिंपल के कदम बहक गए थे.

रिंपल जैन का प्रेम प्रसंग एक नहीं, बल्कि 2 युवकों के साथ चल रहा था. इसी बात को ले कर उस का अपनी मां से अकसर झगड़ा होता रहता था. यही कारण था कि रिंपल ने अपनी मां का कत्ल कर दिया. हालांकि उस ने अपने मामा और पुलिस को इस बारे में अलगअलग कहानी बताई. सुरेश ने पुलिस को बताया कि उन की बहन वीणा से आखिरी बार 26 नवंबर, 2022 को उन के घर पर मुलाकात हुई थी. इस के बाद रिंपल उन्हें वीणा से मिलने से रोकने के लिए अलगअलग बहाने बना देती थी. कई बार उस ने कहा कि अभी वह बाहर गई है या अभी सो रही है.

रिंपल ने पुलिस को बताया कि उस की मां 27 दिसंबर, 2022 को घर की सीढिय़ों से गिर गई थीं, उन्हें जब सीढिय़ों से ऊपर अपने कमरे में जाना था. गिरने से उन्हें गहरी चोट लग गई थी. उस के बाद उन्हें 2 लोगों की मदद से ऊपर पहले तल के कमरे में पहुंचा दिया गया था. रिंपल ने यह भी बताया कि उस रोज मां जीवित थीं. बाद में उन की मौत हो गई. मौत कैसे हुई, कब हुई, इस बारे में रिंपल कोई सही जानकारी नहीं दे पाई. उस ने अगले रोज सुबह उन्हें मृत पाया. इस पर एसएचओ ने सख्ती से पूछा, ‘‘यदि तुम्हारी मां की सीढिय़ों से गिरने से मौत हुई थी तो तुम्हें अपने मामा को बताना चाहिए था. तुम ने मामा को क्यों नहीं बताया?’’

जब इस का जवाब रिंपल कुछ नहीं दे पाई, तब जांच टीम के एक अधिकारी ने उस के बौयफ्रैंड के संबंध में पूछा. उस बारे में भी रिंपल बहुत अधिक वैसी जानकारी नहीं दे पाई, जिस से पता चल पाता कि वीणा की मौत किन परिस्थितियों में हुई और उन की मौत को आखिर छिपाया क्यों गया?

बौयफ्रैंड से मिली जानकारी…

वैसे रिंपल जैन के बौयफ्रैंड ने इतना जरूर बताया कि वह पिछले हफ्तों से जब भी रिंपल के घर जाता था, तब रिंपल घर में रूम फ्रैशनर स्प्रे किया करती थी. मां के घर में नहीं दिखने पर जब भी उस ने कुछ पूछा, तब वह उस बारे में बात करने से कतराने लगती थी और उसे घर से जल्दी विदा करने की कोशिश करती थी. उस का दूसरा बौयफ्रैंड उत्तर प्रदेश में स्थित अपने गांव गया हुआ था. पुलिस की एक टीम उस की तलाश के लिए यूपी गई. साथ ही पुलिस ने एक रेस्टोरेंट के कर्मचारी समेत रिंपल के संपर्क में रहे 6 लोगों से पूछताछ की.

इन में कइयों से वीणा की मौत को ले कर चौंकाने वाली जानकारी मिली. उन में कुछ एकदूसरे से मेल खाती थीं, जबकि कुछ में विरोधाभास भी था. वहीं चाइनीज भोजनालय का एक कर्मचारी जैनियों के ठीक बगल वाले कमरे में रहता था. उस ने पुलिस को बताया कि 27 दिसंबर, 2022 की सुबह हम दूसरे कर्मचारियों के साथ सो रहे थे. उस समय हमारा एक साथी बाहर गया हुआ था. वह जब वापस लौटा, तब हमें बताया कि पड़ोस की आंटी नीचे गिर गई हैं, तब हम सब मदद के लिए गए. हम ने रिंपल की मदद करते हुए आंटी को उठा कर उन के घर तक ले गए.

हमें उस के हाथ पर चोट के निशान मिले थे. उस ने पुलिस को यह भी बताया कि उस वक्त आंटी एकदम शांत थीं. सांस भी नहीं ले पा रही थीं. आंटी की बिगड़ी हालत पर जब उस ने रिंपल से पूछा कि क्या वह आंटी को डाक्टर या अस्पताल ले जाना चाहती है? इस पर उस ने कोई जवाब नहीं दिया. जब हम ने रिंपल से कहा कि उसे आंटी की तकलीफ के बारे में रिश्तेदारों को भी सूचना देनी चाहिए, लेकिन उस ने उन की बातें अनसुनी कर दीं और सब को वहां से हटा दिया. रिंपल सब से बोली कि वह खुद मैनेज कर लेगी.

जवान बेटी ने मां के किए टुकड़े – भाग 1

विधवा वीणा जैन 55 साल की थीं. वह अपनी 24 वर्षीया बेटी रिंपल जैन के साथ मुंबई के लालबाग इलाके के पेरू कंपाउंड इब्राहिम कासिम चाल में रहती थीं. कालाचौकी थाना क्षेत्र में स्थित इस पुरानी चाल में छोटेछोटे कमरे बने थे. इलाके में रात के कुछ घंटों को छोड़ कर हमेशा आवाजाही बनी रहती है. दोनों वहीं पर बीते 8 साल से रह रही थीं. घर का खर्च उस के बड़े भाई सुरेश कुमार पौरवाल ने उठा रखा था. सुरेश अपने परिवार के साथ दूसरे इलाके में रहते थे.

उन्होंने ही वीणा के पति की मौत हो जाने के बाद छोटे से मकान में मांबेटी को अलग से रहने का इंतजाम किया था. इस की एक खास वजह थी. बताते हैं कि वीणा के पति एचआईवी पाजिटिव थे. इस से वीणा भी प्रभावित थीं. जो भी हो, वह सुरेश और बेटी रिंपल की देखरेख में थीं. सुरेश बीचबीच में उन से मिलने आते रहते थे, लेकिन फोन पर बहन या भांजी से रोजाना कम से कम एक बार तो बात जरूर कर लिया करते थे. बीचबीच में उन के बच्चे भी अपनी बुआ से मिल कर हालसमाचार ले लिया करते थे.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था, लेकिन बीते 3 माह से सुरेश अपनी बहन की सेहत को ले कर चिंतित और परेशान चल रहे थे. कारण, उन की वीणा से फोन पर भी बात नहीं हो पा रही थी. वह 2-3 बार हालसमाचार लेने के लिए उन के घर पर भी गए थे, लेकिन बहन से नहीं मिल पाए. जबकि उन्हें जानकारी मिली थी कि वह अपने कमरे में जाते वक्त सीढिय़ों से गिर पड़ी थीं और उन्हें थोड़ी चोट भी लग गई थी. इस बारे में उन्हें फोन पर भांजी रिंपल ने ही बताया था. साथ ही उस ने अपने मामा से कहा था कि चिंता की कोई बात नहीं है, मां की सेहत में सुधार है. वह उन्हें नियमित दवाइयां दे रही है. फिर भी सुरेश अपनी बीमार बहन को देखने के लिए बेचैन हो गए थे.

वह कई बार उस के घर गए, लेकिन उन्हें कभी घर का दरवाजा बाहर से बंद मिला तो कभी भांजी ने उन्हें दरवाजे के भीतर से ही यह कह कर वापस लौटा दिया कि मां अभी दवाई खा कर सो रही हैं या बाजार या फिर सत्संग आदि में गई हुई हैं.

3 महीने से नहीं हो पाई थी बहन से बात…

इस तरह से जब 3 माह होने को आए तब सुरेश ने अपने छोटे बेटे को लालबाग भेजा. वह 14 मार्च, 2023 को अपनी बुआ से मिलने उन के घर गया. दरवाजे के बाहर लगे कालबेल का स्विच दबाया तो कुछ देर तक अंदर से कोई आवाज नहीं आई. तब उस ने कुंडी खटखटाई.  कुंडी के 2-3 बार खडक़ाने पर भी जब दरवाजा नहीं खुला, तब उस ने कुंडी तेजी से खडक़ानी शुरू की. इस के बाद रिंपल ने थोड़ा दरवाजा खोला. बाहर से रिंपल का सिर्फ आधा चेहरा ही दिख रहा था. बात करने में सहूलियत हो, इस के लिए वह एक सीढ़ी नीचे उतर आया.

“क्या बात है, कौन है? क्यों जोरजोर से कुंडी खटका रहे हो?’’ रिंपल ने भीतर से ही झांका और नाराज होती हुई बेरुखी के साथ बोली.

“दीदी, मैं हूं मैं. सुरेश पौरवाल का बेटा… आप का छोटा भाई दीदी.’’ किशोर उम्र का लडक़ा एक सांस में बोल गया.

“हांहां, तो क्या है? पहचान लिया, बोलो! जल्दी बताओ क्या बात है?’’ रिंपल रूखे अंदाज में बोली, लेकिन पूरा दरवाजा नहीं खोला.

“दीदी, बुआजी से मिलना है. उन को कुछ सामान देना है. पापा ने देने को बोला है,’’ लडक़ा बोला.

“क्यों मिलना है? क्या देना है? क्या करना है? पापा ने भेजा है…इसलिए!’’ रिंपल बोली.

“हां दीदी,’’ लडक़ा मासूमियत के साथ बोला.

“तुझे और कोई काम नहीं है क्या? स्कूल नहीं जाना है? यही काम रह गया है तुम्हारा? बुआजी से मिलना है… अरे मैं हूं न

यहां.’’ रिंपल दरवाजे के भीतर से बोलती रही. लडक़ा बाहर सकपकाया हाथ में एक थैला लिए खड़ा रहा. रिंपल ने अपनी बात पूरी की, ‘‘चलो, भाग जाओ यहां से. बुआजी अभी सो रही हैं. जा कर पापा को बता देना. मैं ऐसे ही बहुत परेशान हूं और तुम लोग मिलना है… मिलना है, कह कर परेशान करने के लिए चले आते हो.’’ कहती हुई रिंपल ने भीतर से दरवाजा बंद कर लिया. फटाक से कुंडी लगाए जाने की तेज आवाज बाहर तक सुनाई दी.

लडक़ा कुछ देर वहीं खड़ा रहा. आसपास लोगों को आताजाता देखता रहा. किस से क्या कहे, उलझन में था. फिर उस ने अपने पिता को फोन लगा दिया. उस की रिंपल से जिस तरह की बात हुई थी, उस ने सब कुछ ज्यों का त्यों बता दिया. जल्द ही पिता सुरेश भी वहां आ गए. उन्होंने भी दरवाजा खटखटाया. काफी देर बार रिंपल ने पहले की तरह ही थोड़ा सा दरवाजा खोला. भीतर से ही झांक कर डपटने के अंदाज में बोली, ‘‘फिर आ गया, यहीं बैठा है अभी तक? गया नहीं?’’ इसी बीच उस की नजर मामा पर पड़ी. वह बोलतेबोलते अचानक रुक गई.

“क्यों क्या हुआ… बच्चे को क्यों डांट रही हो? और पूरा दरवाजा क्यों नहीं खोल रही?’’ सुरेश भी उसे डांटने के अंदाज में बोले. मामा को डांटते देख कर वह सकपका गई. बोली, ‘‘जी…जी मामाजी, ऐसी कोई बात नहीं है? मां यहां है ही नहीं. वह तो 2 दिन हुए कानपुर चली गई है. पैरों की मालिश करवाने के लिए. मैं आप को बताने ही वाली थी. उन को हलका सा पैरालाइसिस का अटैक आ गया था.’’

“बेटा, इतनी बड़ी बात हो गई और मुझे अब बता रही हो, वह भी जब हम लोग मां से मिलने आए हैं? बहुत गैरजिम्मेदार हो. मैं तो पहले भी कई बार आया और तुम ने कुछ न कुछ बात बता कर दरवाजे से ही लौटा दिया. फोन पर भी बात नहीं करवाई, हमेशा बहाने बना देती हो. आखिर चल क्या रहा है तुम्हारे दिमाग में…’’ सुरेश बोले जा रहे थे और रिंपल भीतर से सुनती जा रही थी. उस के मुंह से सिर्फ ‘हां…हूं’ ही निकल रहा था.

इसी बीच सुरेश को कुछ सड़ांध की दुर्गंध महसूस हुई. उन्होंने तुरंत पूछा, ‘‘भीतर से ये सड़ी बदबू कैसी आ रही है? घर की साफसफाई ठीक से नहीं करती हो क्या?’’

रिंपल कुछ बोलती इस से पहले ही वहां खड़ा लडक़ा बोल पड़ा, ‘‘किसी मरे जानवर चूहे या बिल्ली की सड़ी दुर्गंध लगती है, भीतर देखना होगा.’’

“हांहां बेटा, चलो भीतर ही चल कर देखते हैं.’’ सुरेश बोलते हुए दरवाजे तक पहुंचने के लिए सीढिय़ां चढऩे लगे. तभी रिंपल ने दरवाजा खटाक से बंद कर लिया.

क्रमशः

होम डिलीवरी में मिला प्यार – भाग 3

राकेश ड्यूटी जाता तो कृष्ण आ जाता. कईकई घंटे दोनों बंद दरवाजे के पीछे रहते. उस दिन भी वह कृष्ण के साथ कमरे में बंद हो कर वासना का अनैतिक खेल खेल रही थी कि पति राकेश तबीयत खराब होने पर घर आ गया. पूजा ने कृष्ण को भाग निकलने में पूरी होशियारी दिखाई. यही नहीं, राकेश के आगे टेसुए बहा कर उस का गुस्सा भी शांत कर दिया. राकेश को लगा, उस ने खामखां पूजा पर शक किया, वह तो नेक, शरीफ और पतिव्रता है. वह शांत मन से ड्यूटी पर जाता रहा.

लेकिन पूजा और कृष्ण कुमार मीणा का प्रेम प्रसंग लोगों की नजरों से छिप न सका. एक दिन किसी जानकार ने उसे बताया कि उस की पत्नी पूजा किसी युवक के साथ इश्क लड़ाती घूम रही है, उस ने 2-3 बार पूजा को पार्क और एक होटल में देखा है. यह सुन कर राकेश को लगा कि जैसे किसी ने उसे बीच चौराहे पर नंगा कर के जूते मारे हों. वह भारी कदमों से शराब के ठेके पर गया और शराब पी कर घर आया.

उस रात उस ने पूजा की जम कर धुनाई कर दी. वह पूरी रात पूछता रहा कि वह किस के साथ पार्कों और होटलों में घूमती है. लेकिन पूजा ने अपने आशिक का नाम नहीं बताया. उस दिन के बाद से यह रोज का किस्सा बन गया. उन में रोज पूजा के तथाकथित प्रेमी को ले कर कलह होने लगी. राकेश ने पूजा का घर से निकलना भी बंद कर दिया. रोजरोज के झगड़े ने पूजा के मन में पति के प्रति नफरत पैदा कर दी.

चाचा ने लिखाई रिपोर्ट…

थाना शिवदासपुर (जयपुर दक्षिण) के एसएचओ हरिपाल सिंह के पास 25 फरवरी, 2023 को 2 व्यक्ति आए. इन में एक व्यक्ति बाबूलाल मीणा, 53 साल और दूसरा सीताराम मीणा, 34 साल था. दोनों गांव झुंझनूं, थाना वौली, जिला सवाई माधोपुर के रहने वाले थे. बाबूलाल ने एक प्रार्थनापत्र एसएचओ को दिया. एसएचओ ने वह प्रार्थनापत्र पढ़ा तो वह गंभीर हो गए. उन्होंने बाबूलाल मीणा के चेहरे पर नजरें गड़ा कर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, ‘‘आप का भतीजा राकेश मीणा 5 फरवरी से लापता है और आप अब थाने आ रहे हैं?’’

“साहब, मुझे गांव में 2 दिन पहले ही अपने भतीजे राकेश के गुम हो जाने की बात पता चली. मैं शिवदासपुर में अपने भतीजे के घर आया और बहू पूजा उर्फ फूला से राकेश के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि वह कंपनी के काम से कहीं गए हैं. मैं ने कंपनी में पूछताछ की तो वहां से बताया गया कि 20 दिन से राकेश ड्यूटी पर नहीं आ रहा है.’’

“इस का मतलब आप की बहू पूजा झूठ बोल रही है.’’

“जी साहब.’’ बाबूलाल ने सिर हिलाया, ‘‘बहू का कृष्ण कुमार मीणा नाम के युवक से अवैध रिश्ता बना हुआ है. राकेश और पूजा के बीच इसी बात को ले कर झगड़ा चल रहा था. मुझे शक है कि पूजा ने ही कृष्ण कुमार के द्वारा मेरे भतीजे राकेश की हत्या कर दी है और उस की लाश किसी कुएं में डलवा दी है. आप आसपास के कुओं में तलाश कीजिए.’’

“आप को पूजा और कृष्ण के बीच अवैध संबंध होने की बात किस ने बताई है? और आप को यह क्यों शक है कि राकेश की लाश किसी कुएं में ही है?’’

“साहब, 5 फरवरी को मेरा भतीजा झुंझनूं गांव में मुझ से मिलने आया था, उस ने बहू पूजा की कृष्ण कुमार से अवैध रिश्ते की बात बता कर यह भी बताया था कि पूजा उसे मरवा कर किसी कुएं में फेंकने की बात करती है.’’

“ठीक है, मैं जांच करवाता हूं.’’ एसएचओ हरिपाल सिंह ने कहा और एसआई कैलाश चंद को बुला कर बाबूलाल मीणा की शिकायत दर्ज करने तथा पूजा को पकड़ कर थाने लाने का आदेश दिया.

पुलिस ने बाबूलाल मीणा की तरफ से भादंवि की धारा 364, 302, 201, 120बी के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. पूजा को वसुंधरा कुटुंब सोसायटी के फ्लैट से गिरफ्तार कर के एसआई कैलाश चंद थाने ले लाए और उस से सख्ती से उस के पति राकेश मीणा के बारे में पूछताछ की तो उस ने बड़ी आसानी से बता दिया कि कृष्ण कुमार मीणा ने राकेश मीणा की हत्या कर के लाश मोहनपुरा में चंदलाई रोड स्थित कुएं में डाल दी है.

कुएं में मिली लाश…

जयपुर (शिवदासपुर) एसएचओ हरिपाल सिंह पुलिस टीम ले कर चंदलोई रोड पहुंच गए. उन के साथ राकेश मीणा के चाचा बाबूलाल और गांव से साथ में आया सीताराम भी था. थाने से चलते वक्त एसएचओ ने उच्च अधिकारियों को भी घटना से अवगत कर दिया था.

एडिशनल डीसीपी भरतलाल मीणा (जयपुर दक्षिण) एवं डा. संध्या यादव के अलावा एसएसपी चाकसू फोरैंसिक टीम को ले कर चंदलोई रोड स्थित कुएं पर पहुंच गए. कुआं सूखा हुआ था, उस में एक नर कंकाल पड़ा हुआ था. उसे बाहर निकाला गया. बाबूलाल मीणा ने कंकाल के हाथ की घड़ी और अंगूठी से पहचान कर के बताया कि यह शव उन के भतीजे राकेश मीणा का ही है. फोरैंसिक जांच टीम ने उस कंकाल का निरीक्षण किया. इस के बाद उस कंकालनुमा शव को पोस्टमार्टम हेतु महात्मा गांधी अस्पताल सीतापुरा (जयपुर) में भेज दिया गया.

कुएं में राकेश मीणा की लाश मिलने की खबर चारों ओर फैल गई. एडिशनल डीसीपी भरतलाल ने हत्यारे कृष्ण मीणा की गिरफ्तारी के लिए एसआई आशुतोष, कांस्टेबल संदीप, राजेश, जीतसिंह, भरतसिंह, प्रेम राज की एक टीम गठित कर दी. उन्होंने एसीपी (चाकसू) के नेतृत्व में दूसरी टीम में एसएचओ हरिसिंह, एसआई कैलाशचंद, हुसैन अली, हैडकांस्टेबल राजवीर, लोकेश, बन्नालाल और कांस्टेबल कानाराम की शामिल किया. पूजा उर्फ फूला से कृष्ण कुमार के घर का पता पूछ कर उस के घर पर दबिश दी गई, लेकिन वह पूजा के गिरफ्तार होने की भनक पा कर फरार हो गया था.

कृष्ण कुमार मीणा हुआ गिरफ्तार…

पुलिस टीम ने पूजा से कृष्ण का मोबाइल नंबर ले कर उसे सर्विलांस पर लगा दिया. कृष्ण का मोबाइल फोन बंद था, लेकिन जैसे ही उस ने कुछ देर के लिए उसे चालू किया, पुलिस को उस की लोकेशन मिल गई. दोनों टीमों ने उसे उस लोकेशन पर ढूंढ कर गिरफ्तार कर लिया.

थाने में उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि पूजा ने परेशान हो कर अपने पति कृष्ण कुमार का मर्डर कराया था. उस ने कहा कि राकेश को ठिकाने लगा दो. इस के बाद कृष्णकुमार ने अपने जानकार दिलखुश मीणा, विजय मीणा और ड्राइवर विजेंद्र उर्फ विजय को राकेश की हत्या करने के लिए राजी किया.

प्लान के मुताबिक, कृष्ण ने 5 फरवरी, 2023 को राकेश को फोन कर के कहा, ‘‘बड़े भाई, मैं पूजा से रिश्ता खत्म करना चाहता हूं और मुझ से जो गलती कर हो चुकी है, उस की माफी मांगने के लिए आप से एक बार मिलना चाहता हूं. आप मोहनपुरा में आ जाएंगे तो अच्छा रहेगा.’’ राकेश ने कृष्ण कुमार की बातों पर विश्वास कर लिया और वह अपनी बाइक से मोहनपुरा आ गया. कृष्ण योजनानुसार अपने साथियों के साथ पहले से वहां मौजूद था. राकेश के पहुंचते ही सभी ने उसे दबोच लिया और गला घोट कर उस की हत्या करने के बाद लाश को चंद्रलोई स्थित कुएं में डाल दी.

कृष्ण कुमार के द्वारा जुर्म कुबूल कर लेने के बाद उस के साथियों को भी पुलिस टीम ने गिरफ्तार कर लिया. कृष्ण कुमार मीणा से राकेश मीणा की बाइक आरजे-25एस पी6942 भी पुलिस ने बरामद कर ली. पूजा सहित हत्या में शामिल सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया.

पोस्टमार्टम के बाद राकेश के शव को उस के चाचा बाबूराम मीणा को सौंप दिया गया, जिस का अंतिम संस्कार करने के लिए वह उसे पैतृक गांव झुंझनूं ले कर चले गए. पूजा ने अपने तनिक सुख के लिए एक हंसतेखेलते घर को बरबाद कर दिया था. अब उस की आंखों में पश्चाताप के आंसू थे.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

होम डिलीवरी में मिला प्यार – भाग 2

मां बनने के बाद पूजा का यौवन ताजे गुलाब की भांति खिल गया था, वह सुंदर तो थी ही, उस का रूप अब और निखर आया था. पति राकेश को टिफिन तैयार कर के ड्यूटी पर भेजने के बाद कमरे की साफसफाई और 2-4 जोड़ी कपड़े धोने का काम ही बचता था, जिसे निपटा लेने के बाद पूजा के पास आराम करने, टीवी देखने के अलावा कोई काम नहीं रह जाता था. बेटा एक साल का था, इसलिए नहलाने और पेट भर दूध पिलाने के बाद वह आराम से घंटों सोता रहता था. रोजरोज एक ही तरह का काम करना पड़े तो आदमी ऊब जाता है. पूजा अब आराम करने या टीवी देखने से ऊबने लगी थी.

फ्लैटों में आसपड़ोस से ज्यादा वास्ता रखने का चलन नहीं होता है. सभी अपने फ्लैट का दरवाजा बंद कर रखते हैं. पूजा को भी दरवाजा बंद कर के रहना पड़ता था. पड़ोसियों से अधिक बोलचाल न होने से पूजा दिन भर बोर होती रहती थी. शाम को राकेश लौटता था, तभी उस के चेहरे पर रौनक आती थी. रात राकेश की बांहों में गुजर जाती थी, दूसरा दिन फिर बोरियत भरा. वह क्या करे, क्या न करे इसी सोच में थी कि एक दिन सुबह 10 बजे उस के घर की कालबेल बजी. राकेश तो ड्यूटी पर चला गया है, इस वक्त कौन आया होगा? सोच में डूबी पूजा दरवाजे पर आ गई.

“कौन है?’’ पूजा ने दरवाजे के पीछे से ऊंची आवाज में पूछा, ‘‘जी, मैं आप की वाशिंग मशीन ले कर आया हूं, दरवाजा खोलिए.’’ बाहर से बताया गया.

“लेकिन हम ने तो वाशिंग मशीन नहीं मंगवाई है.’’ पूजा ने हैरानी से कहा.

“यह राकेश मीणा जी का ही घर है न?’’

“बेशक! यह मेरे पति राकेश मीणा का ही घर है.’’

“आप के पति राकेशजी ने हमारी कंपनी को फोन कर के वाशिंग मशीन घर में भेजने को कहा है. आप अपने पति राकेशजी से पूछ लीजिए.’’

पूजा ने तुरंत पति राकेश को फोन मिला दिया और पूछा, ‘‘क्या आप ने वाशिंग मशीन खरीदी है?’’

“ओह!’’ राकेश चौंकता हुआ बोला, ‘‘मैं तुम्हें फोन करना भूल गया था पूजा. देखो कंपनी से कोई वाशिंग मशीन ले कर आएगा, उसे अपने हिसाब से लगवा लेना.’’

“कंपनी ने वाशिंग मशीन भेज दी है, मेरे भुलक्कड़ पति.’’ पूजा मुसकरा कर बोली, ‘‘मैं उसे रिसीव कर रही हूं.’’ पूजा ने फोन काटने के बाद दरवाजा खोल दिया. दरवाजे पर 2 युवक एलजी की आटोमैटिक वाशिंग मशीन के साथ खड़े थे. दोनों पसीने से भीगे थे.

“सौरी.’’ पूजा झेंपते हुए बोली, ‘‘मेरे पति मुझे पहले ही बता देते तो मैं आप को इतनी देर इंतजार नहीं करवाती. आप तो जानते ही हैं, ऐसी जगह पर बहुत सावधानी से रहना पड़ता है.’’

“कोई बात नहीं जी.’’ उन दोनों में से एक युवक जो देखने में स्मार्ट दिखाई पड़ रहा था, हंस कर बोला, ‘‘पहले आप ठंडा पानी पिलाइए. फिर मैं आप की पसंद से मशीन सैट कर दूंगा.’’

“जी हां,’’ पूजा जल्दी से बोली, ‘‘आप दोनों अंदर आ जाइए और पंखे में पसीना सुखा लीजिए. मैं आप के लिए शरबत बना कर लाती हूं.’’ पूजा रसोई में चली गई.

वह नींबू का शरबत बना कर 2 गिलास ट्रे में ले कर आई तो दोनों युवक ड्राइंगरूम में बैठे पसीना सुखा रहे थे. “आज बहुत गरमी है.’’ पूजा ने कहा और दोनों को शरबत दे दिया.

“आप अपने लिए शरबत नहीं लाई भाभीजी.’’ उस स्मार्ट से नजर आने वाले युवक ने पूछा. भाभी का संबोधन सुन कर पूजा मुसकराने लगी, ‘‘आप ने तो रिश्ता भी जोड़ लिया जी.’’

“मेरा नाम कृष्ण कुमार मीणा है.’’ उस हैंडसम युवक ने बगैर हिचके कहा, ‘‘मीणा जाति से हूं तो आप के पति का मैं छोटा भाई बन गया और आप का देवर, इस नाते से आप मेरी भाभी लगीं.’’

“बातें बनाने में माहिर लगते हो,’’ पूजा हंसते हुए बोली, ‘‘चलो शरबत पी कर वाशिंग मशीन सैट करवा दो.’’ कृष्ण और उस के साथी ने शरबत पी लिया और पूजा के द्वारा बताई जगह पर वाशिंग मशीन लगा कर उस के प्रयोग का तरीका भी समझा दिया. पूजा ने महसूस किया कि वाशिंग मशीन लगाने के दौरान कृष्ण मीणा उसे चोर नजरों से निहार रहा था.

पूजा के दिल में इस बात से गुदगुदी होने लगी. पहली मुलाकात थी, इसलिए संकोचवश वह ज्यादा नहीं बोली. कृष्ण मीणा ने जाते समय अपना मोबाइल नंबर पूजा के मोबाइल में फीड करवा दिया और यह कह कर पूजा का मोबाइल नंबर ले लिया कि 2 दिन बाद उस से वाशिंग मशीन के विषय में पूछताछ करेगा. यदि मशीन की कोई कंप्लेन हो तो वह बेहिचक उसे फोन कर के बता सकती हैं.

दिल में बस गया कृष्ण कुमार…

कृष्ण मीणा चला गया तो पूजा उसी के विषय में दिन भर सोचती रही. शाम को राकेश लौट कर आया तो पूजा के दिमाग से कृष्ण मीणा का खयाल निकल गया. वह पति की सेवा में लग गई. पूजा कृष्ण मीणा को भूल ही गई थी. 2 दिन बाद कृष्ण मीणा ने उस का नंबर मिला दिया. पूजा ने काल रिसीव की तो कृष्ण मीणा का चहकता स्वर उभरा, ‘‘कैसी हो भाभी, पहचाना या भुला दिया अपने देवर को?’’

पूजा उसे तुरंत पहचान गई थी, वह मुसकरा कर बोली, ‘‘भूली नहीं हूं देवरजी, बताओ कैसे हो?’’

“ठीक नहीं हूं भाभी. जब से तुम्हारे घर से लौटा हूं, कुछ अच्छा नहीं लग रहा है.’’ कृष्ण ने दूसरी तरफ से आह भरते हुए बताया.

“अरे तो किसी अच्छे डाक्टर को दिखलाओ.’’

“जो रोग लग गया है, वह किसी डाक्टर से ठीक होने वाला नहीं है,’’ कृष्ण ने दूसरी ओर ठंडी सांस भरी, ‘‘उस का इलाज तुम्हारे पास है भाभी.’’

कृष्ण की बात का मतलब समझते ही पूजा के दिल की धडक़नें बढ़ गईं. वह खुद को संभालते हुए अनजान बन कर बोली, ‘‘मेरे पास भला तुम्हारी बीमारी का क्या इलाज है?’’

“मुझे नींद नहीं आ रही है भाभी. जब से तुम्हारी मोहिनी सूरत देखी है, रात भर जागता रहता हूं, तुम अपने पहलू में थपकी दे कर सुलाओगी तो नींद आ जाएगी.’’

पूजा का तनमन रोमांच से भर गया. कृष्ण उस पर दिलोजान से फिदा हो गया है, यह सोच कर ही उस के दिल में घंटियां बजने लगीं. उस ने मादक अंगड़ाई ली और इस प्रकार फुसफुसाई जैसे कोई पास में खड़ा हो और उस की बात सुन लेगा, ‘‘कल वह ड्यूटी चले जाएंगे तो आ जाना. कोशिश करूंगी कि तुम्हें मीठी नींद आ जाए.’’ कहने के बाद पूजा ने तुरंत फोन काट दिया. अपनी बात पर वह खुद शरमा गई थी. यानी डिलीवरी बौय कृष्ण कुमार मीणा से उसे प्यार हो गया था.

हो गए अवैध संबंध…

दूसरे दिन राकेश टिफिन ले कर ड्यूटी पर चला गया तो 10 मिनट बाद ही कृष्ण ने आ कर कालबेल बजा दी. पूजा ने समझा राकेश कुछ भूल गया है वही लौटा है. लेकिन दरवाजा खोलने पर कृष्ण नजर आया तो वह चौंक कर बोली, ‘‘क्या राकेश के घर से निकलने की राह ही देख रहे थे.’’

“ऐसा ही समझ लो भाभी,’’ कहने के साथ ही कृष्ण ने पूजा को बाहों मे भर लिया.

“बड़े बेसब्र हो देवरजी, तुम्हें अंगुली भी नहीं पकड़ाई, तुम ने सीधे पोंचा ही पकड़ लिया. दरवाजा तो बंद करने देते.’’ पूजा कसमसा कर बोली तो कृष्ण ने उसे छोड़ दिया. पूजा ने दरवाजा बंद कर दिया और कृष्ण की बांह पकड़ कर उसे बैडरूम में ले आई. कृष्ण ने उसे बांहों मे समेटा तो पूजा ने कृष्ण को पति के बैड पर वह सब सौंप दिया, जिस पर केवल उस के पति का अधिकार था. वह तनमन से कृष्ण की हो गई. अर्थात अवैध संबंध कथा की शुरुआत हो चुकी थी. कृष्ण से अवैध संबंध कायम हुए तो पूजा ने उसी के साथ जीनेमरने की कसमें खा लीं.

बालम की सेज पर नौकर का धमाल – भाग 3

शैलेष भी सीमा से हेमंत की तारीफों के पुल बांधता. ढाबे में काम करते हुए हेमंत की नजदीकियां सीमा से बढ़ गईं और वे दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगे. शैलेष जब भी घर से बाहर जाता तो हेमंत और सीमा को मौका मिल जाता और वे अपनी हसरतें पूरी करने लगे.

2022 के नवंबर महीने में शैलेष ने अपने ढाबे पर काम करने वाले हेमंत बावरिया और अपनी पत्नी सीमा को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था. तभी से शैलेष सीमा से हेमंत को ढाबे से निकालने को बोल रहा था. लेकिन सीमा की जिद के आगे वह मजबूर था. इसी वजह से आए दिन शैलेष शराब के नशे में सीमा से विवाद करने लगा. एक दिन गुस्से में आ कर शैलेष ने सीमा से कहा,

‘‘तुम हेमंत को ढाबे से निकाल दो, नहीं तो मैं अपने घर वालों से बोल कर तुम्हारे नाजायज संबंधों का भांडा फोड़ दूंगा.’’

इस पर सीमा ने भी दोटूक कह दिया, ‘‘मैं तुम्हें छोड़ सकती हूं,मगर हेमंत को नहीं.’’

शैलेष खून का घूंट पी कर रह गया था. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. समाज में बदनामी के डर से वह मौन था. उसे अपनी बेटी के भविष्य की चिंता भी खाए जा रही थी.

पति था पत्नी के प्यार में कांटा…

अवैध संबंध की जानकारी परिवार के लोगों को बताने की बात पर सीमा तथा हेमंत बावारिया ने जबरदस्ती शैलेष साकरे को नशामुक्ति केंद्र इटारसी में 6 माह के लिए भेज दिया. परिवार के लोगों के पूछने पर सीमा ने बताया कि शैलेष नशे की लत के कारण आए दिन झगड़ा करता है. कुछ माह वहां रहेगा तो उस की यह लत छूट जाएगी.

शैलेष के जाने के बाद से सीमा तथा हेमंत मिलन ढाबे के कमरे में एक साथ रहने लगे थे. शैलेष की बेटी सारणी के 9वीं क्लास में पढ़ती थी, उसे हेमंत का अपने कमरे में मम्मी के साथ रहना पसंद नहीं आ रहा था. जब वह इस बात का विरोध करती तो सीमा उसे समझाबुझा कर शांत कर देती. शैलेष की बेटी ज्यादा दिनों तक यह बरदाश्त नहीं कर सकी और आखिर वह पापा को घर लाने की जिद कर बैठी.

बेटी के जिद करने पर सीमा एवं हेमंत ने करीब 10-15 दिन बाद ही शैलेष साकरे को नशामुक्ति केंद्र से वापस रेस्टोरेंट ले आए. इस के बाद शैलेष सीमा और हेमंत पर पैनी निगाह रखने लगा था, जिस की वजह से दोनों प्रेमी मिल नहीं पा रहे थे. दोनों की तड़प बढ़ती जा रही थी और शैलेष मिलन की राह में रोड़ा बना हुआ था.

10 जनवरी, 2023 की बात है. रात 2 बजे सीमा साकरे अपने कमरे से निकल कर कंबल ले कर हेमंत बावरिया को रेस्टोरेंट में देने चली गई. काफी देर तक वापस नहीं आने के कारण शैलेष तथा उस की बेटी ने जा कर देखा तो सीमा तथा हेमंत ढाबे के एक कमरे में एक ही बिस्तर पर आपत्तिजनक हालत में मिले.

हत्या कर ढाबे में लगा दी आग…

यह देख कर शैलेष का खून खौल उठा. वह गुस्से में उसे मारने के लिए दौड़ा तो सीमा ने उस के हाथ पकड़ लिए. शैलेष ने अपनी पत्नी से कहा, ‘‘इस आस्तीन के सांप को ढाबे से निकाल दो, नहीं तो मैं तुम दोनों का मुंह काला कर के कस्बे में घुमाऊंगा.’’

सीमा ने इंकार करते हुए कहा, ‘‘अगर तुम ने हेमंत को ढाबे से निकाला तो मैं मायके चली जाऊंगी.’’ इस के बाद रोज ही शैलेष और सीमा हेमंत को ले कर झगडऩे लगे. जब शैलेष ने सीमा की इन हरकतों का विरोध करना शुरू किया तो सीमा नाराज हो कर अपने मायके बैतूल चली गई. 15 जनवरी को हेमंत भी ढाबा छोड़ कर कहीं चला गया. 2-3 दिन अपने मायके बैतूल में रहने के बाद सीमा अपनी बुआ के घर इटारसी आ गई.

इस बीच हेमंत और सीमा की मोबाइल फोन पर बातचीत लगातार होती रहती थी. शैलेष की हत्या का प्लान भी मोबाइल फोन पर बातचीत के दौरान ही बना था.सीमा पति शैलेष की हत्या करने के लिए हेमंत को बारबार बोल रही थी, लेकिन हेमंत इस के लिए तैयार नहीं हो रहा था. सीमा ने एक दिन फोन पर प्रेमी हेमंत को चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘जब तक शैलेष हम दोनों के बीच रहेगा, हम चैन से नहीं रह सकते. तुम किसी तरह ढाबे में ही शैलेष की हत्या कर दो.’’

“ये काम इतना आसान नहीं है सीमा, मुझे कुछ वक्त दो सोचने के लिए.’’ हेमंत टालते हुए बोला.

‘‘हेमंत, तुम ने शैलेष का मर्डर नहीं किया तो मैं तुम्हें छोड़ कर किसी और मर्द से संबंध बना कर शैलेष की हत्या करवा दूंगी.’’

यह सुन कर हेमंत डर गया. उसे लगा कि सीमा उस के हाथ से न निकल जाए. हेमंत ने सोचा आइडिया अच्छा है, जब शैलेष ही नहीं रहेगा तो सीमा से शादी कर वह हमेशा के लिए मेरी हो जाएगी और ढाबे की संपत्ति पर भी उस का अधिकार रहेगा. हेमंत भी प्यार में इतना पागल हो गया था कि उस ने अपनी मां से सीमा के साथ शादी करने की बात कह दी थी.

हेमंत तथा सीमा साकरे ने मिल कर योजना बनाई और पहली फरवरी की सुबह 8 बजे वह शैलेष की हत्या के इरादे से ढाबे के पास पहुंच गया. जैसे ही शैलेष की बेटी कमरे से निकल कर स्कूल बस में बैठी, वह ढाबे के पिछले हिस्से से आशियाना ढाबे के कमरा नं. 101 में चुपके से पहुंच गया. उस समय शैलेष मोबाइल पर कुछ देख रहा था, तभी हेमंत ने उस के सिर पर लोहे के हथौड़े से 3-4 वार कर दिए. पलभर में ही शैलेष ढेर हो गया. उस के बाद हेमंत ने पैट्रोल डाल कर शैलेष के शरीर में आग लगा दी.

पुलिस बैतूल ढाबा कांड की आरोपी सीमा को पहले ही न्यायालय में पेश कर जेल भेज चुकी थी. हेमंत की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर इस प्रेम अपराध कहानी का खुलासा किया और हेमंत बावरिया निवासी इटारसी जिला नर्मदापुरम के खिलाफ धारा 302, 34, 120बी, 201 आईपीसी के तहत मामला कायम कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से हेमंत को बैतूल जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

होम डिलीवरी में मिला प्यार – भाग 1

राकेश मीणा अपने औफिस में तो आ गया था, लेकिन उस का मन काम में नहीं लग रहा था. सुबह से ही उस के सिर में दर्द था और बदन भी गरम लग रहा था. वह औफिस आना नहीं चाहता था, लेकिन एक जरूरी फाइल मालिक को कंप्लीट कर के देनी थी, इसलिए औफिस आना जरूरी हो गया था. जैसेतैसे राकेश ने फाइल का काम पूरा किया. दोपहर में लंच का टाइम हो गया था, लेकिन उस की इच्छा लंच करने की नहीं हुई. उस ने फाइल मालिक की मेज पर रख कर उन से अपनी तबीयत खराब होने की बात बता आधे दिन की छुट्ïटी ले ली.

स्कूटर से घर की ओर लौटते वक्त उस ने रास्ते में पडऩे वाले एक कैमिस्ट से सिर दर्द की दवा खरीदी और घर पहुंच गया. पत्नी पूजा भरा हुआ टिफिन देख कर नाराज होगी, यह बात राकेश मीणा अच्छी तरह जानता था. पूजा ने आज बड़े प्यार से लंच के लिए बैंगन का भरता और परांठे बना कर दिए थे, तबीयत खराब हो जाने की वजह से वह टिफिन वापस ले आया था.

“ऊंह! पूजा नाराज होगी तो वह उसे मना लेगा.’’ सोचते हुए राकेश ने स्कूटर स्टैंड पर खड़ा किया और दरवाजे की तरफ कदम बढ़ा दिए. दरवाजा अंदर से बंद था. राकेश ने कालबेल बजाई तो काफी देर बाद उस की 24 वर्षीय पत्नी पूजा ने दरवाजा खोला. सामने पति को खड़ा देख कर उस के चेहरे का रंग उड़ गया. वह आश्चर्य से बोली, ‘‘आप, इस समय?’’

पत्नी पर हुआ शक…

राकेश ने गौर से पत्नी की तरफ देखा, पूजा के बाल बिखरे हुए थे. माथे का सिंदूर फैला हुआ था. कपड़े भी अस्तव्यस्त थे. माथे पर छलका पसीना और उखड़ी हुई सांसें बयां कर रही थीं कि बंद दरवाजे के पीछे वह किसी अनैतिक कार्य में लिप्त रही है. राकेश का माथा ठनका. उस ने अपने कदम आगे बढाए ही थे कि पूजा ने खुद को संभालते हुए उस के गले में प्यार से बाहें डाल दीं और उस से सट कर कामुक स्वर में बोली, ‘‘बहुत मौके से आए हैं आप, मैं अभी नींद में आप का ही सपना देख रही थी.’’

“अंदर कौन है पूजा?’’ राकेश ने पत्नी की बाहें गले में से निकालने का प्रयास करते हुए तीखे स्वर में पूछा.

“अंदर कौन होगा जी!’’ पूजा ने चौंकने का नाटक करते हुए हैरानी से कहा, ‘‘आइए देख लीजिए, अंदर तो मैं ही थी.’’

राकेश को खुद से चिपकाए हुए पूजा उसे कमरे में ले आई. राकेश को कमरे में कोई नजर नहीं आया. उस ने पूजा को परे धकेल कर पलंग के नीचे और अलमारी के पीछे अच्छी तरह देखा, वहां भी कोई नहीं था. राकेश की नजर पलंग पर गई. पलंग की चादर बुरी तरह मसली हुई नजर आ रही थी, यह इस बात की ओर इशारा कर रही थी कि पलंग पर 2 जिस्मों ने अपनी अधूरी हसरतें पूरी करने के लिए खूब उछलकूद की है. राकेश पत्नी को जलती आंखों से घूरने लगा.

“आप मुझे इस तरह क्यों घूर रहे हैं?’’ पूजा मासूमियत से बोली, ‘‘आप ने कमरे की छान तो कर ली है.’’

“तुम्हारी हालत, तुम्हारे अस्तव्यस्त कपड़े और पलंग की यह मसली हुई चादर तो यही इशारा कर रही है कि मेरे आने से पहले तुम किसी की बाहों में कैद हो कर अनैतिक खेल खेल रही थी.’’

“छि” पूजा ने मुंह बना कर कहा, ‘‘आप को ऐसी बात कहते हुए जरा भी शरम नहीं आ रही. मैं एक बेटे की मां हूं राकेश… तुम मुझ पर ऐसी तोहमत लगा रहे हो,’’ कह कर पूजा रोने लगी.

आंसुओं से बह गया गुस्सा…

औरत के आंसू पुरुष को कमजोर करने का घातक हथियार होते हैं. पूजा को रोते देख कर राकेश का गुस्सा उड़ गया. वह पूजा के पास आ कर उस के आंसू पोंछते हुए प्यार से बोला, ‘‘मैं तुम्हें रोते हुए नहीं देख सकता पूजा, आंसू पोंछो और मेरे लिए चाय बना कर लाओ, मेरे सिर में भयंकर दर्द हो रहा है.’’

“अच्छा, कैसे?’’ पूजा जल्दी से आंसू पोंछ कर परेशान स्वर में बोली, ‘‘इसीलिए आप घर आ गए हैं. आप लेट जाइए, मैं आप के लिए चाय बना कर लाती हूं.’’ पूजा ने पलंग की चादर ठीक कर के पति राकेश को लिटा दिया और रसोई में चली गई. गैस पर चाय का पानी चढ़ा कर उस ने चोली में से मोबाइल निकाल कर एक नंबर मिला दिया. दूसरी ओर घंटी बजी, तुरंत ही किसी ने काल अटैंड कर ली.

“सब ठीक है न पूजा?’’ दूसरी ओर से पुरुष का सहमा हुआ स्वर उभरा, ‘‘तुम्हारे पति को तुम पर शक तो नहीं हुआ?’’

“आज तो वह मेरी जान ही ले लेता कृष्ण. वह अचानक ही घर आ गया, यदि तुम्हें वह कमरे में पकड़ लेता तो मेरी गरदन दबा देता.’’ पूजा ने अपने प्रेमी कृष्ण को बताया.

“तुम ने बहुत समझदारी से काम लिया पूजा. अपने पति को बाहों में इस तरह जकड़ लिया कि उस की पीठ मेरी तरफ हो गई. तुम्हारा इशारा पा कर मैं उस की पीठ के पीछे से चुपचाप निकल भागा. और लिफ्ट से नीचे उतर गया. आगे मिलन के समय हमें बहुत सावधानी बरतनी पड़ेगी कृष्ण.’’

“ठीक कहती हो पूजा.’’ कृष्ण का गंभीर स्वर उभरा, ‘‘अब हम किसी होटल का कमरा बुक कर के अपनी हसरतें पूरी कर लिया करेंगे.’’

“यही मैं भी सोच रही थी,’’ पूजा ने खुश हो कर कहा, ‘‘फोन काट रही हूं, उसे चाय बना कर देनी है.’’ पूजा ने इतना कह कर फोन काट दिया. चाय उबल गई थी, चाय कप में छान कर राकेश को देने के लिए वह कमरे में आ गई. राकेश आंख बंद किए लेटा था. पूजा के होंठों पर कुटिल मुसकराहट तैर गई. उस ने राकेश को त्रियाचरित्र के जाल में फंसा कर खुद और प्रेमी कृष्ण को साफ बचा लिया था.

डिलीवरी बौय कृष्ण कुमार से लड़े नैना…

राकेश मीणा शिवदासपुर की वसुंधरा कुटुंब सोसायटी के सी-24 नंबर के फ्लैट में चौथे माले पर अपनी पत्नी पूजा उर्फ फूला और 2 वर्षीय बेटे के साथ किराए पर रहता था. पूजा के साथ राकेश की शादी 3 साल पहले गांव झुंझनूं, थाना वौली, जिला सवाई माधोपुर के अपने पैतृक घर से हुई थी.

चूंकि राकेश मीणा शिवदासपुर (जयपुर दक्षिण) की एक कंपनी में अधिकारी के पद पर नियुक्त था, इसलिए शादी के 10 दिन बाद ही वह झुंझनूं से शिवदासपुर लौट आया था. यहां शादी से पहले ही राकेश ने एक सोसायटी में फ्लैट किराए पर ले लिया था. पूजा के साथ उस ने अपनी गृहस्थी की शुरुआत इसी किराए के फ्लैट से की. शादी के एक साल बाद ही पूजा ने बेटे को जन्म दिया, दोनों पतिपत्नी अपने बेटे को बहुत प्यार करते थे. उन की जिंदगी के दिन खुशहाली से बीत रहे थे कि पूजा के कदम बहक गए और इस खुशहाल जिंदगी में स्याह रंग घुलना शुरू हो गया.

बालम की सेज पर नौकर का धमाल – भाग 2

पुलिस की टीम जब सीमा की तलाश में उस की बुआ के घर इटारसी पहुंची तो वह वहीं मिल गई. पुलिस सीमा को वहां से सारणी पुलिस स्टेशन ले कर आई. पुलिस ने जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने डर की वजह से बड़ी आसानी से अपने प्रेमी हेमंत से पति की हत्या करवाने का जुर्म कुबूल कर लिया.

पुलिस जांच में यह सब स्पष्ट हुआ कि साक्ष्य छिपाने के लिए सीमा ने अपने मोबाइल से काल डिटेल्स डिलीट कर दी थीं.इतना ही नहीं, प्रेमी हेमंत ने हत्या करने के बाद सीमा को फोन कर के बताया था कि उस ने शैलेष को मार दिया है. तब सीमा ने उसे याद दिलाया, ‘‘हेमंत, तुम भूल गए क्या, शैलेष कहता था कि हम दोनों का मुंह काला कर के शहर में घुमाएगा.’’

“अब हमारे प्यार के बीच कोई नहीं आएगा सीमा,’’ हेमंत ने उसे भरोसा दिलाते हुए कहा.

“नहीं हेमंत, तुम अभी शैलेष का मुंह काला कर दो. तभी मुझे अच्छा लगेगा.’’ सीमा की इसी बात पर हेमंत ने मृत पड़े शैलेष के शरीर पर अपने साथ बोतल में छिपा कर लाए हुए पैट्रोल को छिडक़ कर आग लगा दी और वहां से भाग खड़ा हुआ.

पुराने प्यार ने ली अंगड़ाई…

पुलिस हिरासत में सीमा ने अपने पति की हत्या प्रेमी हेमंत बावरिया से करवाने की बात कुबूल कर ली थी, तभी से सारणी और पाथाखेड़ा पुलिस थाने की टीमें हेमंत की तलाश में जुट गई थीं. एसडीपीओ रोशन जैन ने आरोपी हेमंत की गिरफ्तारी के लिए टीआई रत्नाकर हिंग्वे के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया.

पुलिस टीम ने हेमंत की तलाश में इटारसी, खैरवानी, चोपना समेत अन्य संभावित स्थानों पर दबिश दी, लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिल सका. हेमंत ने भागने के बाद अपना मोबाइल बंद कर लिया था. पुलिस टीम उस की तलाश में इटारसी गई तो वहां उस के मातापिता और भाईबहन भी थे. उन्होंने बताया कि हेमंत इटारसी में भी छोटेमोटे अपराध करता रहता था और घर से महीनों तक गायब रहता था.

पुलिस घर पर आ कर मातापिता से पूछताछ करती थी, तब उस के मातापिता हेमंत को यह कहते हुए डांटते, ‘‘तेरी वजह से हमें समाज में नीचा देखना पड़ रहा है.’’ इसी बात को ले कर वह घर से चला गया और पिछले 2 सालों से घर भी नहीं आया. पुलिस इटारसी से खाली हाथ वापस लौट आई. पुलिस ने हेमंत के मोबाइल को सर्विलांस पर लगा रखा था. 6 फरवरी, 2023 को हेमंत ने कुछ समय के लिए मोबाइल औन किया तो पुलिस ने उस की लोकेशन ट्रेस की. वह सारणी से करीब 15 किलोमीटर दूर राऊनदेव इलाके की थी.

पुलिस टीम ने मुस्तैदी के साथ घेराबंदी की तो जंगल में एक खंडहरनुमा मकान में वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया. उसे 6 फरवरी, 2023 को सुबह करीब साढ़े 10 बजे राउनदेव के जंगल से घेराबंदी कर के पकड़ लिया गया. हत्या करने के बाद से आरोपी हेमंत बावरिया जंगलजंगल छिपता फिर रहा था. खास बात यह थी कि हत्या जैसी संगीन वारदात को अंजाम देने के बावजूद आरोपी शहरी क्षेत्र के आसपास ही जंगल में छिपता रहा, जिसे पकडऩे में 6 दिन बाद पुलिस को सफलता मिल गई.

सीमा और हेमंत बावरिया की मुलाकात भले ही पुरानी थी, मगर उन का प्यार नवंबर 2021 से परवान चढ़ा था. दोनों को इश्क का खुमार इस कदर चढ़ गया कि प्यार में सब कुछ कुरबान करने को तैयार हो गए. पति की हत्या की साजिश रचने वाली सीमा ने पुलिस पूछताछ में बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा था, ‘‘मेरे जेल जाने की खबर मिलते ही हेमंत भी मिल जाएगा.’’ हकीकत में यही हुआ. सीमा को 2 दिन पहले ही पुलिस ने न्यायालय में पेश किया था, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. इस के बाद हेमंत भी पुलिस के हत्थे चढ़ गया.

पुलिस पूछताछ में हेमंत ने बताया कि हत्या से 3 दिन पहले उस ने मिलन ढाबे का सीसीटीवी कैमरा निकालने का प्रयास किया था. लेकिन अपने मंसूबे में वह कामयाब नहीं हो सका. इतना ही नहीं, हत्या करने के बाद उस ने ढाबे के काउंटर तक आने वाले पिछले दरवाजे पर लगे ताले को तोड़ दिया था.

दरअसल, काउंटर में सीसीटीवी कैमरे का डिजिटल वीडियो रिकौर्डर रखा था. उस रिकौर्डर को वहां से हटाने की योजना उस ने बनाई थी, लेकिन वारदात वाले कमरे से धुंआ उठते ही ढाबे के बाहर बड़ी तादाद में लोग इकट्ïठा हो गए थे, जिस के चलते वह रिकौर्डर तक नहीं पहुंच सका और वहां से भाग निकला. हेमंत अगर इस रिकौर्डर को ले जाता तो इस हत्याकांड का खुलासा बमुश्किल ही हो पाता, लेकिन हेमंत के ढाबे में प्रवेश करते और भागते सीसीटीवी कैमरे में कैद होने से वारदात से परदा उठ गया.

बैतूल जिले के सारणी कस्बे में रहने वाले 45 साल के शैलेष साकरे की शादी करीब 18 साल पहले बैतूल की सीमा से हुई थी. एक बेटी के जन्म के बाद से ही शैलेष मिलन ढाबा चला रहा था.

इटारसी में हुई थी मुलाकात…

38 साल की सीमा की बुआ इटारसी में रहती हैं, वहां अकसर सीमा का आनाजाना होता रहता था. एक साल पहले की बात है जब सीमा अपनी बुआ के यहां इटारसी गई हुई थी तो उस की मुलाकात हेमंत बावरिया से हो गई. हेमंत से उस की जानपहचान बरसों पहले उस समय से थी, जब वह अपनी बुआ के पास इटारसी आया करती थी, लेकिन शादी हो जाने के बाद उस का इटारसी आना कम हो गया था. हेमंत उस का दोस्त था. हेमंत सीमा को देख कर बोला, ‘‘यार, तुम तो बहुत बदल गई हो, अब तो हमें भाव ही नहीं देती.’’

“जनाब, अब हम किसी और के हो चुके हैं, अब भला तुम्हें क्यों भाव देंगे?’’ सीमा इठलाती हुई बोली. सीमा के इस जबाब से वह झेंप गया. सीमा ने उस की झेंप दूर करते हुए कहा, ‘‘अच्छा डियर, ये बताओ तुम ने शादी की या नहीं.’’

“जानू, हमारा दिल तो अभी भी तुम्हारे लिए धडक़ता है, भला हम क्यों शादी करेंगे.’’ हेमंत ने भी बेधडक़ हो कर कहा. 28 साल का हेमंत गोरे रंग का हट्ïटाकट्ïटा स्मार्ट नौजवान था. सीमा यह जान कर बहुत खुश हुई कि हेमंत की अभी तक शादी नहीं हुई है. सीमा ने हेमंत में इंटरेस्ट लेते हुए पूछा, ‘‘कुछ कामधंधा कर रहे हो कि नहीं?’’

“पहले इटारसी के एक होटल में नौकरी करता था. लौकडाउन के बाद वह नौकरी भी हाथ से निकल गई. कहीं तुम्हारी जुगाड़ हो तो मुझे नौकरी दिलवा दो न. घर वाले भी ताना देने लगे हैं कि मुफ्त की रोटियां तोड़ते हो.’’ हेमंत बोला.

“नौकरी तो दिलवा दूंगी, पर सारणी चलना पड़ेगा. घर से इतनी दूर रह कर नौकरी कर पाओगे?’’ सीमा ने हेमंत का मन टटोलते हुए पूछा.

“नौकरी के लिए तो मैं दुनिया जहान में कहीं भी रह सकता हूं और फिर सारणी में तो तुम्हारा दीदार भी होता रहेगा,’’ हेमंत भी शरारती अंदाज में बोला.

सीमा ने हेमंत को सारणी आने की पेशकश की तो वह नवंबर 2021 में बैतूल जिले के सारणी कस्बा चला गया. वहां पर सीमा ने अपने पति से उस की जानपहचान करा कर अपने ‘मिलन ढाबे’ पर काम के लिए रख लिया.अब हेमंत ढाबे पर बड़ी लगन से काम करने लगा. अपने काम से उस ने शैलेष का दिल जीत लिया. हेमंत ढाबे में रहने लगा था. ढाबे में ही शैलेष अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहता था. ऐसे में हेमंत का मिलनाजुलना सीमा से होता रहता था.

इंटरनेट ने दिया पति को पत्नी की हत्या का तरीका – भाग 3

पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि पत्नी सोनिया, प्रेमिका अमीषा की मोहब्बत के आड़े रही थी, इसलिए जरूर उन्होंने मिल कर उस की हत्या करवा दी होगी. सोनिया की लाश की जांच करने पर यह भी पाया गया कि उस के शरीर पर मारपीट के किसी तरह की खरोंच तक नहीं थी, बल्कि उस के गले में गहरा लाल निशान जरूर बन गया था. ऐसा लग रहा था, जैसे उस का गला किसी पतले तार या रस्सी से घोटा गया हो.

सोनिया को विकास और अमीषा के संबंधों के बारे में पता चल गया था. वह इस का विरोध कर रही थी. इसे ले कर दोनों में कई बार झगड़ा हो चुका था. विकास अमीषा के साथ रहना चाहता था. अमीषा भी उस पर पत्नी को छोड़ने का दबाव बना रही थी. इस पर दोनों ने सोनिया की हत्या करने की योजना बना ली थी.

अमीषा भी विकास के साथ राजस्थान के भिवाड़ी स्थित अरविंदा फार्मा कंपनी में काम करती है. पुलिस ने विकास के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस में हत्या से ठीक पहले अमीषा से उस की बातचीत मिल गई. इस आधार पर विकास से पूछताछ की जाने लगी. पुलिस की सख्ती के आगे विकास अधिक समय तक टिक नहीं पाया. उस ने स्वीकार कर लिया कि अमीषा की मदद से सोनिया की हत्या कर दी गई और उसे लूटपाट में बाइकर द्वारा हत्याकांड की कहानी बना कर पुलिस को वारदात की सूचना दी थी.

पूछताछ में विकास ने अमीषा से प्रेम संबंध को स्वीकरते हुए पत्नी की हत्या करने की कहानी बताई. उस ने बताया कि अमीषा के प्यार में बाधा बनी सोनिया को हटाने के लिए उस ने गूगल से तरकीब ढूंढी. इस काम में उसे 2 महीने लग गए. तरहतरह की हत्या की प्लानिंग करता रहा. यूट्यूब पर मर्डर और बचाव के कई वीडियो देखे. कभी जहर दे कर मारने के तो कभी हत्या को दूसरा रूप देने के उपाय गूगल पर खोजे.

उस ने गूगल से यह भी पूछा कि हथियार कहां से मिल सकता है? जहर औनलाइन शौपिंग ऐप से मिल सकता है या नहीं? पुलिस को उस के मोबाइल से कुछ आडियो और वीडियो भी मिले. यह भी सर्च किया कि मरने के बाद पत्नी भूत बन कर तो नहीं डराएगी? जांच में विकास के मोबाइल फोन में तलाक का एग्रीमेंट भी मिला, जिस पर उस के और सोनिया के हस्ताक्षर भी थे.

 आखिरकार उसे एक अच्छा मौका मिल ही गया, जब सोनिया को उस के मायके ले जाने का कार्यक्रम बना था. गूगल से मिली तरकीब उस ने अमीषा को भी बताई और उसे भी इस हत्याकांड में शामिल कर लिया.

हत्या की तैयार की गई साजिश के अनुसार, विकास ने 30 दिसंबर, 2022 की शाम को घर से निकलते ही अमीषा को सूचना दे दी थी. अमीषा रास्ते में कार ले कर खड़ी थी. विकास ने गाजियाबाद पहुंच कर फोन कर अमीषा को बुला लिया और अपनी कार में बिठा लिया. इस का सोनिया ने विरोध किया तब अमीषा ने उस की पिटाई कर दी.

दोनों ने सुनसान जगह देख 5 बजे के करीब डायमंड फ्लाईओवर और हापुड़ चुंगी के बीच सोनिया की गला दबा कर हत्या कर दी. इस के बाद शव को कार में ले कर 3 घंटे तक घूमते रहे. अमीषा का ड्राइवर पीछे कार ले कर चल रहा था. 8 बजे वे लोग हापुड़ के निजामपुर पहुंचे. अमीषा अपनी कार में बैठ कर चली गई. विकास ने पुलिस को लूटपाट के लिए हत्या की सूचना दी. उस ने बताया कि बाइक सवार 4 बदमाश आए थे. उस से 50 हजार रुपए लूट लिए. पत्नी ने विरोध किया तो उस की गला दबा कर हत्या कर दी.

विकास ने बताया कि उस ने अमीषा के साथ मिल कर सोनिया के सलवार के नाड़े से ही उस का गला घोट दिया था. विकास द्वारा अपराध कुबूले जाने के बाद पुलिस ने आरोपी विकास शर्मा के साथ प्रेमिका अमीषा दलाल को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर पूछताछ की. उस ने भी उन बातों की पुष्टि कर दी जो विकास ने बताई थी. दोनों को मजिस्ट्रैट के सामने पेशी के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया.                द्य

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बालम की सेज पर नौकर का धमाल – भाग 1

2023 के फरवरी महीने की पहली तारीख थी, सुबह का वक्त था. मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के सारणी पुलिस स्टेशन के टीआई रत्नाकर हिंग्वे अपने घर पर पुलिस स्टेशन जाने की तैयारी कर रहे थे. तभी उन के मोबाइल की घंटी बजी. जैसे ही उन्होंने काल रिसीव की दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘सर, कंट्रोलरूम से बोल रहा हूं. सारणी के बगडोना स्थित आशियाना ढाबे में आग लगने की सूचना मिली है.’’

टीआई रत्नाकर हिंग्वे ने फोन पर ही उसे निर्देश देते हुए कहा, ‘‘तुरंत फायर ब्रिगेड को फोन कर के सूचना दो, मैं जल्द ही पुलिस स्टेशन पहुंच रहा हूं.’’

5 मिनट में ही टीआई पुलिस स्टेशन पहुंचे और अधीनस्थ स्टाफ को साथ ले कर आशियाना ढाबे की ओर निकल पड़े. कुछ ही मिनटों में वे सारणी पुलिस स्टेशन से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर छतरपुर रोड स्थित आशियाना ढाबे की ओर रवाना हो गए. रास्ते में ही टीआई ने घटना की जानकारी बैतूल की एसपी सिमाला प्रसाद और एसडीपीओ रोशन जैन को  दी. कुछ ही समय में पुलिस बल सहित सारणी के एसडीपीओ रोशन जैन और फोरैंसिक टीम घटनास्थल पर पहुंच गई.

तब तक फायर ब्रिगेड वहां पहुंच चुकी थी और आग पर काबू पा लिया गया था. ढाबे के एक कमरे से धुआं उठता दिखाई दे रहा था. पुलिस टीम ने वहां जा कर देखा कि ढाबे की ऊपरी मंजिल पर जिस कमरा नं 101 में आग लगी थी, वहां ढाबे का मालिक शैलेष साकरे रहता था. कमरे के अंदर का नजारा दिल दहला देने वाला था. जब तक आग पर काबू पाया गया, उस से पहले ही शैलेष की मौत हो चुकी थी.

जब ढाबे पर मौजूद समीर को पुलिस ने बुलाया तो उस ने ही बताया कि यह अधजली लाश ढाबे के मालिक शैलेष साकरे की है. अधजली हालत में मिली शैलेष साकरे की लाश ढाबे के रूम से बाहर निकाली गई. फोरैंसिक टीम ने कमरा नंबर 101 का बारीकी का निरीक्षण किया और शव का परीक्षण कर के बताया कि युवक को जलाने में कैमिकल का इस्तेमाल किया गया है.

ढाबे में मिली झुलसी हुई लाश…

पूछताछ में पता चला कि कमरा नंबर 101 में रहने वाले शैलेष की पत्नी अपने मायके गई हुई थी और शैलेष सुबह उठ कर अपनी 9वीं क्लास में पढऩे वाली 16 साल की बेटी को बाइक से स्कूल छोड़ कर आया था. इस ढाबे को पहले शैलेष ही मिलन ढाबा के नाम से चलाता था. नशे का आदी होने से जब शैलेष पर कर्ज बढ़ गया तो उस ने ढाबे को किराए पर दे दिया. कुछ दिनों पहले उस ने इसे समीर मसीद को किराए पर दे दिया था, जो अब इसे आशियाना ढाबे के नाम से चला रहा था.

ढाबे में हुए शैलेष साकरे मर्डर केस की खबर से आसपास के इलाकों से काफी भीड़ जमा हो गई थी. पुलिस को आग लगने की कोई वजह समझ में नहीं आ रही थी. पुलिस ने ढाबे में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखी तो एक व्यक्ति ढाबे में प्रवेश करता और कुछ समय बाद ढाबे से बाहर की तरफ जाता दिख रहा था. पुलिस का शक इसी व्यक्ति पर जा रहा था.

पुलिस का मानना था कि यही व्यक्ति शैलेष के कमरे में आग लगा कर आया होगा. पुलिस टीम ने ढाबे के संचालक समीर से पूछताछ की तो उस ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में दिखाई देने वाला शख्स हेमंत बावरिया है, जो पहले शैलेष के ढाबे पर ही काम करता था. पुलिस ने इस बीच शैलेष की बेटी को भी स्कूल से बुला लिया और लाश की शिनाख्त कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

शैलेष की बेटी ने पुलिस टीम को बताया कि कुछ दिनों पहले मम्मी नाराज हो कर मामा के घर बैतूल चली गई थीं. शैलेष के बड़े भाई शंकरलाल ने यह जरूर खुलासा किया कि शैलेष अपनी पत्नी सीमा और ढाबे में काम करने वाले हेमंत बावरिया को ले कर हमेशा टेंशन में रहता था और शराब भी पीने लगा था. कमरे की हालत देख कर पुलिस को आग लगने की वजह संदेहास्पद लग रही थी.

ढाबे के कमरा नंबर 101 में अधजली लाश के पास एक हथौड़ी मिली थी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हो चुका था कि शैलेष के सिर पर चोटों के निशान पाए गए थे. इस से साफ जाहिर था कि जलाने से पहले उसे सिर में हथौड़ी से चोट पहुंचा कर मौत के घाट उतारा गया है. जब पतिपत्नी के बीच अनबन की जानकारी पुलिस के सामने आई तो पुलिस के शक की सुई सब से पहले सीमा की तरफ ही घूमी.

शैलेष के परिवार से मिली जानकारी से यह तो स्पष्ट हो चुका था कि शैलेष की पत्नी सीमा के प्रेम संबंध ढाबे पर काम करने वाले नौकर हेमंत बावरिया से थे और इस की जानकारी शैलेष को भी थी. इसी आधार पर सब से पहले पुलिस ने सीमा की खोज के लिए पुलिस की टीम बैतूल भेजी, जहां सीमा के मायके वालों से पता चला कि सीमा यहां 15 जनवरी को आई थी. 2- 3 दिन रुकने के बाद यहां से अपनी बुआ के घर इटारसी चली गई.

इस के बाद सीमा पर पुलिस का संदेह अब और गहराता जा रहा था. सीमा का मायका बैतूल का था. बैतूल में सीमा के पिता भी 2 पत्नियों के साथ रहते थे. सीमा अपनी मां की 3 बेटियों में सब से छोटी थी. उस की दूसरी मां से एक बेटा था. सभी बहनों की शादी भी हो चुकी थी, इस वजह से मायके में भी ज्यादा पूछपरख सीमा की नहीं थी.

पुलिस ने जब सीमा के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली तो पता चला कि हत्या की साजिश रचने वाली सीमा से हेमंत ने 2 दिन में मोबाइल पर 36 बार बात की थी. इतना ही नहीं, हेमंत ने सीमा को मोबाइल पर 206 बार मिस्ड काल किए थे. वारदात को अंजाम देने के बाद हेमंत ने सीमा से मोबाइल पर बात भी की थी.