इंटरनेट ने दिया पति को पत्नी की हत्या का तरीका – भाग 2

विकास ने गुस्से में यह बात बोल तो दी थी, लेकिन जब उस ने इस बारे में ठंडे दिमाग से सोचा तब डाइवोर्स और उस के बाद आजीवन बीवी को दिए जाने वाले खर्च की सोच कर हिल गया. विकास ने इस बारे में अमीषा से भी बात की कि वह कोई ऐसा तरीका निकाले, जिस से सांप भी मर जाए और लाठी भी टूटे. अमीषा ने सीधा उपाय बताया कि क्यों उन के प्रेम संबंध की राह में रोड़ा बनी सोनिया को ही ठिकाने लगा दिया जाए. मगर कैसे? यह सवाल भी उठा.

इस का जवाब दोनों अपनेअपने तरीके से तलाशने लगे. उन्हें इन दिनों बन चुकी हर मर्ज की एक दवा गूगल का खयाल आया. और फिर वे विवाहेतर संबंध को कायम रखने से ले कर उस के समाधान निकालने तक के उपाय तलाशने लगे. ऐसा करते हुए 3 महीने गुजर गए. पत्नी सोनिया के साथ की मधुरता में और कमी गई. एक दिन विकास को एक तरकीब सूझी. उस ने अमीषा को उस बारे में बताया. अमीषा उस की तरकीब सुन कर चौंक गई. साथ ही उस की आंखों में चमक गई. आंखों के इशारेइशारे में एकदूसरे को मौन स्वीकृति दे दी.

साल 2022 का अंतिम सप्ताह चल रहा था. क्रिसमस का त्यौहार खत्म हो चुका था और लोग नए साल की पूर्वसंध्या पर जश्न मनाने की तैयारी में थे. दिल्ली-गाजियाबाद हाईवे पर होटल, मौल, रेस्टोरेंट में खूब सजावट की गई थी. गहमागहमी बढ़ी हुई थी. इसी के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस की मुस्तैदी भी बढ़ा दी गई थी. उन्हीं दिनों विकास शर्मा को सूचना मिली कि उस का छोटा साला बीमार चल रहा है. वह बारबार अपनी बड़ी बहन सोनिया से मिलने की रट लगा रहा है.

दरअसल, विकास शर्मा जनपद गाजियाबाद के मोदीनगर कस्बे के आनंद विहार मोहल्ले में पत्नी सोनिया शर्मा और 3 बच्चों के साथ रहता था. उस की ससुराल हापुड़ के आर्यनगर में है. यह कहें कि सोनिया के मायके में भरापूराखुशहाल परिवार है. मातापिता के अलावा भाईबहन हैं. करीब 12 साल पहले सोनिया की शादी विकास शर्मा के साथ हुई थी. उन की जिंदगी भी मजे में गुजर रही थी, किंतु कोरोना काल में वे भी कई समस्यों से घिर गए थे. हालांकि उन्होंने समय रहते हुए सामान्य जीवन की राह पकड़ ली थी, फिर भी उस में थोड़ी सी खलल विकास और अमीषा के प्रेम संबंध को ले कर पड़ने लगी थी. व्यक्तिगत तौर पर सोनिया इस कारण तनाव में रहने लगी थी. इस बात की जानकारी उस के मायके में खासकर पिता त्रिलोकचंद शर्मा को हो चुकी थी.

एक बार इस संबंध में सोनिया के पिता त्रिलोकचंद शर्मा ने अपने 38 वर्षीय दामाद विकास को समझाने की भी तब कोशिश की थी, जब उन्हें मालूम हुआ था कि वह उन की बेटी सोनिया को तलाक देने के कागजात बनवा रहा है. जब त्रिलोकचंद के बेटे की तबीयत खराब चल रही थी, तब उन्होंने सोनिया को अपने घर बुलवाया था. वह चाहते थे कि इसी बहाने विकास भी सोनिया के साथ आएगा, तब वह उसे सामने बैठा कर समझा देंगे.

पहले से निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 30 दिसंबर, 2022 की शाम को सोनिया अपने बीमार भाई को देखने के लिए ससुराल मोदीनगर से मायके हापुड़ के लिए निकली थी. बच्चे मोदीनगर में ही रुक गए थे. विकास अपनी गाड़ी खुद ड्राइव कर रहा था. इस की जानकारी त्रिलोकचंद शर्मा को भी थी. उन्होंने बेटी दामाद की खातिरदारी का इंतजाम कर लिया था. तय कार्यक्रम के मुताबिक उन्हें अगले दिन रुक कर शाम को मोदीनगर लौटना था.

रात के 9 बजे गए तब त्रिलोकचंद ने अपनी बेटी को फोन मिलाया. वह बंद मिला. फिर उन्होंने दामाद विकास को काल किया. विकास से बात हुई. वह घबराया हुआ था. हांफते हुए परेशान हालत में उस ने जो कुछ बताया, उसे सुन कर त्रिलोकचंद का दिमाग कुछ पल के लिए सुन्न हो गया. सिर पकड़ कर वह कुरसी पर बैठ गए. परिवार के सदस्यों के पूछने पर सिर्फ इतना ही बोल पाए, ‘‘जिस बात का डर था, वही हुआ…’’ और फिर रोने लगे.

विकास ने उन्हें फोन पर सोनिया की डेथ हो जाने की सूचना दी थी और वह उस वक्त पुलिस स्टेशन में था. रात के 8 बजे विकास ने यूपी-112 को सूचना दी थी कि हापुड़ जिले में निजामपुर कट के पास अज्ञात बाइक सवार बदमाशों ने उन के साथ लूटपाट की है. उस दरम्यान लुटेरों ने हापुड़ के निजामपुर में पत्नी सोनिया की हत्या कर दी. लूट के दौरान हत्या जैसी सनसनीखेज वारदात सुनते ही एसपी दीपक भूकर समेत कई अधिकारी मौके पर पहुंच गए. इस मामले की तहकीकात के लिए तुरंत हापुड़ नगर पुलिस के अलावा क्राइम ब्रांच को भी लगा दिया गया.

बेटी के बारे में मिली इस दुखभरी खबर पर त्रिलोकचंद को विश्वास नहीं हो रहा था. वह तुरंत थाने पहुंचे और उन्होंने लूटपाट की बात को गलत बताते हुए दामाद पर ही हत्या का आरोप लगा दिया. एसएचओ यह सुन कर हैरान हो गए. हापुड़ पुलिस ने लूटपाट और हत्या दोनों सिरे से जांच शुरू करवा दी. पुलिस ने विकास के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. उस की जांच में पता चला कि घटना के करीब 3 घंटा पहले विकास की अमीषा से बातचीत हुई थी. जबकि लूटपाट की घटना का समय उस ने रात के 8 बजे बताया था.

इस अंतर को देख कर विकास को ले कर पुलिस का शक और भी गहरा गया. यहां तक कि उस के ससुर द्वारा लगाए गए आरोप के कारण भी वह संदेह के दायरे में गया था. ससुर ने कंपनी में काम करने वाली मनीषा दलाल के प्रेम संबंध के चक्कर में सोनिया की उपेक्षा करने और झगड़ने की शिकायत की थी. फिर क्या था, अमीषा की भी तलाश की जाने लगी. उस के बारे में विकास से पूछताछ की जाने लगी, जिस का वह सटीक जवाब नहीं दे पाया.

देवर के चक्कर में पति को हटाया – भाग 3

कमला ने एकांत के क्षणों में रमेश से कहा, ‘‘रमेश, ऐसा करो कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. गिरधारी की मौत भी हो जाए और लगे कि एक्सीडेंट में मौत हुई है.’’

“ऐसी बात है तो मैं गिरधारी की गाड़ी से कुचल हत्या कर डालता हूं और फिर नाता प्रथा के तहत तुम से शादी कर के अपनी गृहस्थी बसा कर मौज से रहेंगे,’’ रमेश ने कहा. सुन कर कमला बोली, ‘‘जल्दी से उस का काम तमाम करो. उसे मैं अब फूटी आंख नहीं देखना चाहती.’’

कमला और रमेश के प्यार में गिरधारी अब बाधा बनने लगा था. वह अपनी पत्नी कमला को रमेश के साथ हंसनेबोलने पर एवं मिलने पर डांटडपट करने लगा था. कमला ने रमेश से कहा कि जल्दी से जल्दी गिरधारी का काम तमाम सावधानी से करो, ताकि गिरधारी की हत्या एक्सीडेंट लगे.

रमेश का एक दोस्त था सुनील गढ़वाल. वह चौमूं के एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी करता था. इसी दोस्ती की कसम दे कर रमेश ने सुनील से मदद मांगी. रमेश ने कहा, ‘‘सुनील, मैं कमला से प्यार करता हूं और कमला भी मुझ से प्यार करती है. हम दोनों शादी करना चाहते हैं. मगर प्यार में उस का पति गिरधारी बाधा बना है. गिरधारी को हम गाड़ी से टक्कर मार कर मार डालते हैं. यह हत्या नहीं पुलिस के लिए एक एक्सीडेंट होगा. बाद में हम दोनों गिरधारी के न रहने पर शादी कर लेंगे.’’

सुनील अपने दोस्त को नाराज नहीं करना चाहता था. उस ने सोचा कि गिरधारी लाल को एक्सीडेंट में मार डालेंगे तो लगेगा ही नहीं कि उस की हत्या की गई है. योजनानुसार सुनील ने अपने परिचित हितेश से कार कुछ समय के लिए जरूरी काम का बहाना कर मांग ली थी. सुनील ने कार का जुगाड़ किया तो रमेश ने 3 फरवरी, 2023 की शाम साढ़े 7 बजे घर से ड्यूटी पर जा रहे गिरधारी लाल को सुनसान सडक़ पर रोक लिया और शराब पीने की इच्छा बताई.

गिरधारी और रमेश मंडा रीको एरिया में बैठ क र शराब पीने लगे. गिरधारी को जानबूझ कर रमेश ने ज्यादा शराब पिलाई. इस के बाद रमेश ने फोन कर सुनील से कहा कि आ जाओ. इशारा मिलते ही सुनील कार ले कर रीको एरिया में पहुंच गया और उस ने गाड़ी गिरधारीलाल पर चढ़ा दी. लेकिन वह मरा नहीं. गिरधारी के दोनों पैर टूट गए. अंधेरे की वजह से गिरधारी का मोबाइल वहीं गिर गया.

घायल गिरधारी लाल को दोनों गाड़ी में डाल कर 2 किलोमीटर दूर रेनवाल थाना क्षेत्र के लालासर गांव के पास ले गए, जहां उस को सडक़ के किनारे पटक दिया और कई बार गाड़ी चढ़ा कर कुचला और फरार हो गए.

हत्यारिन पत्नी और प्रेमी पहुंचे जेल

दोनों अपनेअपने घर चले गए. रमेश ने कमला उर्फ पूजा को यह खबर दे दी कि उन्होंने गिरधारी लाल की हत्या को एक्सीडेंट का रूप दे दिया है. यह खबर सुन कर कमला खुश हो गई. प्रेमी रमेश से पति गिरधारी को मरवा कर कमला को लगा कि उस के रास्ते का पत्थर हट गया है. वह रमेश के संग शादी के सपने जागती आंखों से देखने लगी. मगर जब अगले रोज 4 फरवरी, 2023 को गिरधारी लाल का शव मिला तो पुलिस ने मौकामुआयना किया.

मौका देखने से लग रहा था कि गिरधारी का एक्सीडेंट नहीं हुआ था. उस की गाड़ी से कुचल कर हत्या की गई है. शव मिलने के स्थान से 2 किलोमीटर दूर गिरधारी के मोबाइल का मिलना यह एक और सबूत था कि गिरधारी की यहां हत्या कर के लाश 2 किलोमीटर दूर फेंकी गई है. इस के बाद पुलिस ने जांच की तो सारी कहानी खुल गई.

गोविंदगढ़ थाने की पुलिस टीम ने सुनील की निशानदेही पर वह कार जब्त कर ली, जिस से कुचल कर गिरधारी लाल कीहत्या की गई थी. एफएसएल टीम ने कार की जांच की तथा सबूत जुटाए गए. गिरधारीलाल मर्डर केस का परदाफाश होने एवं तीनों हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के बाद एसपी (ग्रामीण) मनीष अग्रवाल ने 5 फरवरी, 2023 को प्रैसवात्र्ता कर गिरधारी लाल हत्याकांड का खुलासा कर दिया.

तीनों गिरफ्तार आरोपियों रमेश कुमार जाट, सुनील कुमार गढ़वाल एवं मृतक की पत्नी कमला उर्फ पूजा देवी को 6 फरवरी, 2023 को गोविंदगढ़ थाना पुलिस ने मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया. जिस पर गौरी का बास निवासी रमेश जाट एवं सुनील गढ़वाल को मजिस्ट्रैट ने पुलिस रिमांड पर सौंप दिया, जबकि कमला उर्फ पूजा को जेल भेज दिया गया. रिमांड अवधि पूरी होने पर पुलिस ने रमेश जाट एवं सुनील गढ़वाल को भी मजिस्ट्रैट के आदेश पर न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है

देवर के चक्कर में पति को हटाया – भाग 2

कमला ने खुलासा कर दिया कि उस का रमेश से पिछले एक साल से प्रेम प्रसंग चल रहा है. उस ने बताया कि वह अपने पति गिरधारी लाल को पसंद नहीं करती थी. वह रमेश से प्यार करती थी. रमेश भी उस से प्यार करता था. गिरधारी लाल की हत्या दुर्घटना लगे, इस कारण एक्सीडेंट करा कर गिरधारीलाल को मारना चाहते थे, ताकि हत्या न लग कर मौत मात्र दुर्घटना लगे.

कमला और रमेश की योजना थी कि गिरधारी लाल की मौत के बाद उन दोनों की शादी हो जाती. उन दोनों को प्यार मिल जाता और उन के प्यार में रोड़ा बना पति गिरधारी भी नहीं रहता. कमला के गिरधारी लाल हत्याकांड का जुर्म कुबूल करते ही पुलिस ने हत्यारोपी रमेश कुमार ढाका निवासी गौरी का बास, जयपुर (ग्रामीण) और हत्या में सहयोग करने वाले दूसरे आरोपी सुनील गढ़वाल निवासी गौरी का बास, जिला जयपुर (ग्रामीण) को गिरफ्तार कर लिया.

रमेश व सुनील गढ़वाल थाने में पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की. पूछताछ में गिरधारी लाल की हत्या करने का जुर्म रमेश व सुनील ने कुबूल कर लिया. रमेश कुमार, सुनील गढ़वाल एवं कमला उर्फ पूजा ने पुलिस पूछताछ में जो कहानी बताई, वह एक बीवी के हवस में अंधी हो कर पति के प्राण लेने की खून सनी कहानी है—

देवरभाभी के अवैध संबंध

जयपुर ग्रामीण में थाना गोविंदगढ़ के अंतर्गत एक गांव गौरी का बास आता है. इसी गांव में जीवणराम ढाका का परिवार रहता था. जीवणराम का छोटा बेटा गिरधारी लाल सुंदर व स्मार्ट युवक था. गिरधारी से बड़े भाई मालीराम की शादी होने के बाद जीवणराम जल्द से जल्द छोटे बेटे गिरधारी का विवाह कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते थे. जीवणराम ने गिरधारी के लिए योग्य वधू की खोज की. उन्हें एक रिश्तेदार ने कमला उर्फ पूजा के बारे में बताया.

वह रिश्तेदारी जानीपहचानी थी ही. सन 2019 में गिरधारी लाल की शादी कमला से कर दी. पतिपत्नी एकदूसरे से खूब प्यार करते थे. गिरधारी गांव से 2 किलोमीटर दूर मंडा रीको फैक्ट्री में मशीन औपरेटर के पद पर कार्यरत था. उस की 12 घंटे की ड्यूटी थी. कभी दिन में तो कभी रात में ड्यूटी लगती थी.

गिरधारी लाल पैदल ही गांव से 2 किलोमीटर दूर फैक्ट्री ड्यूटी पर जाता था. कमला और गिरधारी का दांपत्य जीवन खुशहाल बीत रहा था. पिछले साल गिरधारी की मौसी का बेटा रमेश कुमार एक दिन उस के घर आया. गिरधारी ने उस का स्वागत किया. रमेश उसी गांव का रहने वाला था. रमेश कंपिटिशन एग्जाम की तैयारी कर रहा था. इस कारण वह गांव कम ही आता था.

इस अवैध संबंध कथा की बुनियाद तब धरी गई, जब जनवरी 2022 में रमेश गांव आया और मौसी के घर गया, तब उस ने गिरधारी की पत्नी कमला को देखा. वह रिश्ते में रमेश की भाभी लगती थी. गिरधारी ने कमला की मुलाकात रमेश से कराते हुए कहा, ‘‘कमला, यह तेरा लाडला देवर है. मेरी मौसी का बेटा. इस की खातिरदारी में कमी मत रखना. यह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगा रहता है.’’

पति के मुंह से यह सुन कर कमला ने एक निगाह रमेश पर डाली. रमेश उसी को ताके जा रहा था. कमला चाय बना लाई. चाय के दौरान गपशप होती रही. देवर होने के नाते रमेश ने कमला को छेड़ा भी. कमला भी रमेश को छेडऩे लगी. रमेश उस दिन कमला के घर से गया जरूर, मगर वह अपना दिल कमला भाभी के पास छोड़ गया. ऐसा ही कुछ हाल कमला का भी था. कमला को भी रमेश की बातें व उस की मस्त हंसी उस का दीवाना कर गई थी.

रमेश 2 दिन तक कमला को भुलाने की कोशिश करता रहा, मगर वह भुला नहीं पाया. तब रमेश 2 दिन बाद गिरधारी के ड्यूटी जाने के बाद उस के घर पर आया. उस समय कमला अकेली घर पर थी. कमला ने कहा, ‘‘आइए देवरजी.’’

“गिरधारी भैया नहीं दिख रहे. ड्यूटी पर चले गए क्या?’’ रमेश बोला.

“हां, वे तो ड्यूटी पर चले गए. कहिए उन से कोई काम था क्या?’’ कमला आंखें टेढ़ी कर के बोली.

“ना भाभी, कोई काम नहीं था. वैसे दिख नहीं रहे तब कह रहा हूं.’’

“अच्छा, कहिए क्या लेंगे? चाय या कौफी?’’ कमला ने मनुहार की.

रमेश बोला, ‘‘कुछ नहीं, चाय पी कर आया हूं. आप बैठिए, आप से कुछ बातें करते हैं.’’ इस के बाद दोनों इधरउधर की बातें करने लगे. बातों के दौरान रमेश ने कई बार कमला की सुंदरता की तारीफ की. कहते हैं महिला को अपनी तारीफ बहुत अच्छी लगती हैं. अपनी सुंदरता की तारीफ सुन कर कमला बोली, ‘‘रमेशजी, आप भी तो गबरू जवान हो. कोई सुंदर सी लडक़ी देख कर शादी कर लो.’’

“मुझे तो सुंदर आप लगी हैं और आप ने शादी कर ली. क्या भैया को छोड़ कर आप मेरी बन सकती हो?’’ रमेश ने कहा. सुन कर कमला बोली, ‘‘मैं आप की भाभी हूं. भाभी से प्रेम निवेदन सही नहीं है. अगर मैं चाहूं, तब भी आप से विवाह नहीं कर सकती.’’

“आप एक बार हां कहो तो सही. उस के बाद मैं सारे रास्ते खोल दूंगा. मैं ने जब से आप को देखा है, तब से कुछ भी अच्छा नहीं लगता.’’ रमेश ने कहा. थोड़ी देर तक चुप रहने के बाद कमला व रमेश ने एक होने की कसम खा ली. रमेश ने कमला को बाहुपाश में भर लिया और उस पर चुंबनों की बौछार कर दी. कमला भी रमेश के बाहुपाश में बंध गई.

दोनों के तन पर एकदूसरे के हाथों का स्पर्श बढ़ा तो उन के तन में वासना की आग भडक़ उठी. इस के बाद दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कर लीं. तब जा कर वासना की आग शांत हुई. उस दिन के बाद से कमला उर्फ पूजा और रमेश के अवैध संबंध इस पवित्र रिश्ते की आड़ में पनपते रहे. एक बार देवरभाभी के अवैध संबंध बने तो उसे अकसर दोहराने लगे.

पत्नी ने कराई हत्या

देवरभाभी का प्यार अमरबेल की तरह बढ़ता रहा. शारीरिक संबंध बनाने के बाद भी उन्हें इस की प्यास बनी रहती. रमेश और कमला ने एक साल में तय कर लिया कि वे अब शादी कर के साथ रहेंगे. लेकिन जब तक कमला उर्फ पूजा का पति गिरधारी लाल जीवित था, तब तक उन के लिए शादी करना सपने जैसा था.

इंटरनेट ने दिया पति को पत्नी की हत्या का तरीका – भाग 1

हरियाणा के भिवाड़ी में अरविंदा फार्मा कंपनी में क्वालिटी मैनेजर विकास शर्मा अपना काम खत्म कर घर जाने की तैयारी कर रहा था.  तभी वहीं साथ काम करने वाली अमीषा दलाल उस के पास कर बोली, ‘‘विकास, चलो आज मैं तुम्हें कौफी पिलाऊंगी.’’

‘‘क्यों कोई खास बात है?’’ विकास चहकता हुआ बोला.

‘‘खास ही समझोहमारी जानपहचान के आज 2 माह हो चुके हैं. इसी खुशी में मेरी तरफ से छोटी सी ट्रीट.’’

‘‘ओके. उस में थोड़ी सी भागीदारी मेरी भी रहेगी. वैसे भी आज मुझे सैलरी इन्क्रीमेंट का लेटर मिला है.’’ विकास खुश होता हुआ बोला.

‘‘अरे वाह! तब तो बीयर पार्टी होनी चाहिए,’’ अमीषा खुशी से बोल पड़ी.

‘‘आज नहीं, फिर कभी.’’ विकास बोला और अपने बैग में लंच बौक्स रखने लगा. यह बात करीब 2 साल पहले की है. विकास शर्मा और अमीषा एक ही कंपनी में काम करते थे. अच्छी जिम्मेदारी वाले पद पर थे. कोरोना काल के दौरान अमीषा वर्क फ्रौम होम थी, जबकि विकास सप्ताह में 2 दिन औफिस जाता था. बाकी दिनों में वह भी घर से काम संभालता था.

करीब 2 महीना पहले अमीषा भी औफिस आने लगी थी. पहली बार उसे देखते ही विकास के दिल में हलचल मच गई थी. उसे देखा तो देखता ही रह गया. वह उस की सहकर्मी थी.चेहरे पर मास्क लगा होने के बावजूद वह लंबे कद, चमकीले खुले बाल और सुडौल काया से गजब की खूबसूरत दिखती थी. पहली बार उसे जब देखा तो देखता ही रह गया. विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उस के सामने मौडल की तरह दिख रही खड़ी वही लड़की है, जिस से वह महीनों से फोन पर काम के सिलसिले में बातें किया करता था.

एक हफ्ते में ही दोनों आपस में काफी घुलमिल गए थे. इस का कुछ कारण उन के काम की एकरूपता थी तो कई बातें दोनों के विचार मिलने की भी थी. दोनों साथसाथ लंच करते थे और साथ ही चाय, कौफी या फिर कोल्डड्रिंक पीते थे. अमीषा अकसर उस के घर से लाए लंच की तारीफ करती थी. अमीषा की सिर्फ एक बात विकास को पसंद नहीं थी, वह थी उस का सिगरेट पीना. इसे ले कर वह उसे बारबार टोक दिया करता था. वैसे उन के बीच की दोस्ती और उस से निकलने वाली आत्मीयता के प्रेम भाव ने कब उन्हें प्रेमी युगल बना दिया, पता ही नहीं चला.

दोनों एकदूसरे की अच्छाइयों और कमजोरियों को अच्छी तरह जानपहचान गए थे. यह उन के बीच आकर्षण की एक खास वजह भी थी कि उन्होंने अपने प्यार में तकरार को आने नहीं दिया था. हर गिलेशिकवे का तुरंत समाधान निकाल लिया करते थे. और इस तरह से हंसीखुशी में उन के दिन निकलते जा रहे थे.

एक रोज विकास ने अपना लंच बौक्स जब अमीषा के सामने खोला तब वह गुमसुम था. अमीषा ने इस का कारण पूछा, तब उस ने बताया कि वह उस से एक जरूरी बात कहना चाहता है. अमीषा चहकती हुई बोली कि उसे मालूम है कि वह कौन सी जरूरी बात कहना चाहता है. विकास को हैरानी हुई. वह कुछ बोलता, इस से पहले ही अमीषा बोल पड़ी, ‘‘सोनिया से इन दिनों तुम्हारी नहीं बन रही है न?’’

‘‘तुम? तुम सोनिया को कैसे जानती हो?’’ विकास चौंकता हुआ बोला.

‘‘उस से हमारी बीते शनिवार को मुलाकात हुई थी. मैं ने तुम्हें नहीं बताया था. यह जान कर कि तुम्हें तकलीफ होगी. धीरेधीरे मैं बात को संभाल लूंगी.’’ अमीषा बोलने लगी.

‘‘…इस का मतलब तुम्हें हमारे शादीशुदा होने के बारे में पता है, फिर भी तुम मुझ से प्रेम कर बैठी,’’ विकास ने कहा.

‘‘क्यों, तुम मुझ से प्रेम नहीं करते हो? क्या तुम्हें वह सब कुछ नजर नहीं आता है, जो सोनिया से नहीं मिल पाता है? क्या मुझ से मिल कर, मेरे साथ लंच शेयर कर, साथसाथ कौफी, कोल्डड्रिंक पी कर खुशी नहीं मिलती है? मैं ने तुम्हारे कहने पर ही तो सिगरेट पीनी छोड़ दी है.’’ अमीषा बोलती जा रही थी. विकास उसे अचरज भरी निगाहों से देखे जा रहा था.

सच्चाई तो यह थी कि विकास सोनिया की जलीभुनी बातों से तंग चुका था. लौकडाउन में उस के खर्च बढ़ गए थे. कंपनी ने 30 प्रतिशत वेतन में कटौती कर दी थी. वह घरेलू सामानों की ईएमआई समय पर नहीं भर पा रहा था. कर्ज कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था. ऐसे में अमीषा के साथ मिलनाजुलना और उस की बातों से दिल को सुकून मिलता था.

यह कहें कि विकास को अमीषा दलाल बहुत पसंद आने लगी थी. दूसरी तरफ पत्नी सोनिया उसे हर समस्या पर ताने दे कर बातें करती थी. तूतूमैंमैं तो आम बात हो गई थी. इस में मिर्च की छौंक तब लग गई, जब उसे मालूम हो गया कि उस का अमीषा से चक्कर चल रहा है. यह जान कर वह एकदम से उबल पड़ी थी. कंपनी से नौकरी छोड़ने की बात तक कह डाली थी. बात उस के मायके तक जा पहुंची थी और फिर विकास परेशान रहने लगा था.

 अमीषा से सोनिया का नाम सुन कर विकास और भी परेशान हो गया था. हालांकि उस के दिल को थोड़ी सी तसल्ली इस बात की मिल गई थी कि अमीषा ने उस के प्रति प्यार भरी हमदर्दी दिखाई थी. उस ने उस के विवाहित होने की बात को छिपाने पर जरा भी शिकायत नहीं की थी. उल्टे उसी ने उसे बेइंतहा प्रेम का हवाला दिया था. किंतु इस से उन के बीच बनी अंतरंगता को बचाने से ले कर छिपाने का कोई समाधान नहीं निकल पाया था. एक दिन तो सोनिया ने घर पर अमीषा को ले कर काफी हंगामा खड़ा कर दिया था. उस पर पैसा लुटाने का आरोप लगाते हुए थाना पुलिस तक की धमकी दे डाली थी. मामला अदालत तक जाने की नौबत गई थी. कारण गुस्से में एक दिन विकास ने कह दिया था, ‘‘रोज की चिकचिक से तो अच्छा है कि तुम डाइवोर्स ले लो.’’

देवर के चक्कर में पति को हटाया – भाग 1

शनिवार, 4 फरवरी, 2023 का दिन उदय ही हुआ था. राजस्थान की राजधानी जयपुर जिले के गौरी का बास गांव के रहने वाले गिरधारी लाल ढाका (22 वर्ष) का शव रेनवाल थाने के डंूगरी खुर्द लालासर ग्रेवल सडक़ पर औंधे मुंह पड़ा था. सडक़ मार्ग से गुजर रहे लोगों ने शव पड़े होने की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी.

पुलिस कंट्रोल रूम से यह जानकारी रेनवाल थाने को दे दी गई क्योंकि यह क्षेत्र इसी थाने के अंतर्गत आता है. लाश पड़ी होने की सूचना मिलते ही एसएचओ उमराव सिंह थोड़ी देर में घटनास्थल पर पुलिस टीम के साथ जा पहुंचे. घटनास्थल पर सुरेंद्र करल्या नामक राहगीर भी खड़ा था, जिस ने पुलिस कंट्रोल रूम को लाश पड़ी होने की सूचना दी थी.

एसएचओ ने लाश का मुआयना किया. शव का चेहरा कुचला हुआ था व शरीर पर काफी चोटों के निशान साफ दिख रहे थे. मृतक की शिनाख्त लोगों ने कर ही ली थी. पुलिस को घटनास्थल से करीब 2 किलोमीटर दूर फोरैस्ट चौकी बावड़ी गोपीनाथ कच्चे रास्ते पर मृतक गिरधारीलाल का मोबाइल पड़ा मिला. मोबाइल के पास खून भी बिखरा हुआ था.

पुलिस टीम ने सोचा कि जहां गिरधारी का खून व मोबाइल पड़ा मिला था, वहीं पर हत्यारों ने उसे मार कर लाश 2 किलोमीटर दूर ले जा कर फेंकी होगी. लाश मिलने के स्थान व मोबाइल मिलने वाली जगह पर 4 पहियों वाली छोटी गाड़ी के टायरों के निशान भी साफ दिख रहे थे. ऐसा लग रहा था कि गाड़ी से कुचल कर गिरधारी को मारा गया था.

एसएचओ उमराव सिंह ने गिरधारी लाल ढाका की हत्या की खबर उच्चाधिकारियों को दे दी. घटना की खबर पा कर जोबनेर के डीएसपी मुकेश कुमार चौधरी, एएसपी दिनेश कुमार शर्मा घटनास्थल पर पहुंचे और मौकामुआयना किया. एफएसएल टीम ने मौके पर पहुंच कर साक्ष्य जुटाए. जयपुर (रेनवाल) में गिरधारीलाल हत्याकांड की खबर मीडिया में भी छा गई. सूचना पा कर गिरधारी के घर वाले रोतेबिलखते वहां आ गए थे.

चूंकि पुलिस को उन से पूछताछ करनी थी, इसलिए उन्हें तसल्ली दे कर चुप कराया.एसएचओ के पूछने पर मृतक के भाई मालीराम ने बताया कि शुक्रवार 3 फरवरी, 2023 की शाम साढ़े 7 बजे गिरधारी घर से 2 किलोमीटर दूर मंडा रीको फैक्ट्री जाने के लिए निकला था. वह इस फैक्ट्री में रात 9 से सुबह 9 बजे तक मशीन औपरेटर के रूप में ड्यूटी करता था. इस बीच अज्ञात लोगों ने उस की हत्या कर दी थी. अगले रोज 4 फरवरी को गिरधारी का खून सनीलाश मिली.

लोगों ने किया विरोध प्रदर्शन

पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शव को रेनवाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की मोर्चरी में रखवा दिया. गौरी का बास में जब लोगों को पता चला कि गिरधारी लाल की अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी है और मृतक का शव बरामद हुआ है. इस पर आक्रोशित परिजनों और ग्रामीणों ने चौमू रेनवाल रोड जाम कर दिया. ग्रामीणों की मांग थी कि हत्यारों को जल्द पकड़ा जाए और मृतक के घर वालों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए.

ग्रामीणों ने कहा कि जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होगी, तब तक हम धरने पर बैठे रहेंगे. साथ ही परिजनों ने शव भी तब तक नहीं लेने की शर्त रख दी थी. सैकड़ों लोगों द्वारा सडक़ मार्ग जाम करने की खबर पा कर चौमू विधायक रामलाल शर्मा भी वहां पहुंचे. इस के बाद पुलिस के आला अधिकारियों के आश्वासन के बाद 4 घंटे से चला आ रहा धरना व सडक़ जाम खुलवा दिया गया.

मृतक गिरधारी लाल के बड़े भाई मालीराम ने गोविंदगढ़ थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया. पुलिस ने मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करा कर गिरधारी लाल का शव उस के घर वालों को सौंपा, जिस के बाद उस का अंतिम संस्कार हुआ.

गिरधारी लाल हत्याकांड मामला एसपी (जयपुर ग्रामीण) मनीष अग्रवाल के संज्ञान में आया तो उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष पुलिस टीम बनाई और टीम को हत्याकांड का खुलासा करने के निर्देश दिए. इस विशेष पुलिस टीम में डीएसपी (गोविंदगढ़) बालाराम, डीएसपी (जोबनेर) मुकेश चौधरी, एसएचओ (गोविंदगढ़) धर्म सिंह, एसएचओ (कालाडेरा) हरवेंद्र सिंह, एसएचओ (रेनवाल) उमराव सिंह, साइबर सेल के सरदार सिंह, लक्ष्मी, मदनलाल, सुभाष, अशोक कुमार, महेश, मोहनलाल, भींवाराम, रामस्वरूप, सीताराम, कविता, भगवती, कैलाशचंद, हरीश कुमार, महेश, मदनलाल और जयप्रकाश को शामिल किया गया.

पुलिस अधिकारियों ने घटना पर विचारविमर्श किया तो लगा कि हत्या का यह मामला भी जर, जोरू और जमीन से ही जुड़ा हुआ हो सकता है. टीम द्वारा गिरधारी लाल के चालचरित्र पर जानकारी इकट्ïठा की गई. तब पुलिस को गिरधारीलाल की पत्नी कमला उर्फ पूजा और मृतक की मौसी के बेटे रमेश कुमार ढाका का चरित्र संदेहास्पद लगा.

पत्नी पर हुआ शक

पुलिस को जानकारी मिली कि गिरधारी का मौसेरा भाई रमेश कुमार अकसर गिरधारी की गैरमौजूदगी में उस के घर पर उस की पत्नी कमला के साथ पिछले कुछ महीनों से देखा जा रहा है. पुलिस के हाथ ये सूत्र लगा तो पुलिस ने कमला उर्फ पूजा के मोबाइल की काल डिटेल्स, सोशल मीडिया मैसेज आदि की जांच की.

जांच में सामने आया कि गिरधारी की पत्नी कमला उर्फ पूजा ने मृतक के मौसेरे भाई रमेश कुमार से जनवरी 2023 महीने में 800 बार बातचीत की थी. सोशल मीडिया पर भी कई बार मैसेज का आदानप्रदान कमला और रमेश के बीच होना सामने आया. पुलिस को अब इन दोनों पर शक ही नहीं, पूरा यकीन हो गया था कि यही गिरधारी लाल हत्याकांड में शामिल हैं. बस फिर क्या था, पुलिस टीम ने मृतक की पत्नी कमला को रविवार 5 फरवरी, 2023 को पुलिस हिरासत में ले कर कड़ी पूछताछ की.

पहले तो वह थोड़ी देर तक नानुकुर करती रही, मगर जब उस के सामने यह सबूत रखा गया कि उस ने रमेश कुमार के साथ जनवरी में फोन पर 800 बार क्या बातचीत की? रमेश के साथ इतनी बातें क्यों करती थी? उस का रमेश से क्या रिश्ता है, जो रात में भी वह घंटों उस से बातें करती थी? यह सुन कर कमला अंदर तक कांप गई. वह समझ गई कि उस की पोल खुल चुकी है. सच्चाई बताने में ही भलाई है.

नौकरी के लिए सुहाग को मिटाया – भाग 3

राहुल ने सतीश के साथ बैठ कर राजीव को रास्ते से हटाने की बात कही तो उस ने हामी भर ली. राजीव को मौत की नींद सुलाने के लिए एक लाख 60 हजार रुपए में सौदा हुआ. सतीश को 60 हजार रुपए एडवांस देने थे, बाकी रकम काम पूरा होने के बाद देनी थी. राजीव की मौत का सौदा कर सतीश ने गांव अहमदाबाद निवासी अरुण तथा रवि को भी अपने साथ शामिल कर लिया.

सुपारी किलर तैयार हो जाने के बाद सीमा ने उन्हें 60 हजार रुपए एडवांस दे दिए. इस के बाद वह मौके का इंतजार करने लगे थे. राहुल जानता था कि शराब पीना राजीव की सब से बड़ी कमजोरी है. भले ही राजीव ने उसे उस की बीवी के साथ रंगेहाथ पकड़ लिया था, लेकिन राहुल फिर भी हिम्मत कर के शराब की एक बोतल ले कर राजीव के कमरे पर पहुंच गया. उस वक्त सीमा भी कमरे पर नहीं थी.

राहुल ने राजीव के सामने पड़ते ही माफी मांगी. राहुल के हाथ में शराब की बोतल देखते ही राजीव पुरानी बातों को भुला बैठा. उस दिन फिर से दोनों भाइयों ने एक साथ बैठ कर शराब पी तो सारे गिलेशिकवे मिट गए. उसी दौरान राजीव ने राहुल के सामने बात रखते हुए कहा, ‘‘भाई, मैं इस वक्त बहुत ही परेशान हूं. अगर हो सके तो किसी भी तरह से कुछ रुपयों का इंतजाम करा दे. वह जिंदगी भर उस का अहसान नहीं भूलेगा.’’

राजीव की बात सुनते ही राहुल के चेहरे पर मुसकान उभर आई. उसे जिस रास्ते की चाह थी, वह खुदबखुद राजीव ने उसे बता दिया था. राहुल ने उसे विश्वास दिलाया कि वह जल्द ही उस के लिए कहीं से पैसे का इंतजाम करा देगा. उस के बाद राहुल अपने कमरे पर चला गया.

कमरे पर जा कर उस ने सीमा को भी राजीव के पैसे मांगने वाली बात बता दी थी. साथ ही राहुल ने सीमा को भरोसा दिया कि एकदो दिन में ही उस का काम हो जाएगा. वह बाकी पैसों का इंतजाम कर ले. यह जानकारी मिलते ही सीमा खुशी के मारे फूली नहीं समा रही थी. उस दिन के बाद वह राहुल के साथ बहुत ही प्यार लड़ाने में लगी हुई थी.

योजना बनते ही राहुल ने अपने साथियों को राजीव की हत्या का 27 फरवरी, 2023 का दिन निश्चित कर दिया. योजना के मुताबिक 27 फरवरी, 2023 की शाम को राहुल ने राजीव को फोन कर पैसे दिलाने वाली बात कहते हुए बुला लिया. उस के बाद राहुल राजीव को अपनी स्कूटी नंबर यूपी एई4373 पर बिठा कर अहमदाबाद गांव ले गया.

अहमदाबाद पहुंचते ही राहुल ने राजीव को अरुण, रवि और सतीश से मिलवाया. उसी समय पांचों ने एक साथ बैठ कर अहमदाबाद गांव के जंगल में शराब भी पी. शराब पीने के दौरान ही मौका पाते ही अरुण, रवि और सतीश ने राजीव की गला दबा कर हत्या कर दी. देवर के साथ पति राजीव का मर्डर करने के बाद तीनों ने उस की लाश को पास में ही एक गड्ïढा खोद कर दफना दिया. उस के बाद उस जगह को छिपाने के इरादे से उस के ऊपर झाडिय़ां काट कर डाल दीं.

हत्या के बाद घर की रही न घाट की…

राजीव को मौत की नींद सुलाने के बाद राहुल ने सीमा को फोन कर बता दिया कि उस का काम हो गया. राहुल अहमदाबाद गांव से सीधा सीमा के कमरे पर पहुंचा. वहां पर जा कर उस ने उसे सारी बात विस्तार से बताई और रात में ही अपने कमरे पर चला गया.

अगले दिन राहुल ने सीमा को समझाते हुए कहा था कि राहुल तो अब इस दुनिया में रहा नहीं. अब तुम्हें किसी भी तरह से राजीव को मरा साबित करना है ताकि उस की नौकरी तुम्हें मिल सके. उस के लिए पहले तुम्हें पति के गुम होने की कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करानी होगी. वह तुम्हारे हित में भी है. तुम्हारे द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराने पर पुलिस उस की हत्या का शक तुम पर नहीं करेगी. अगर राजीव का मर्डर केस खुल भी गया तो उस में तुम्हारी ही भलाई है. तुम्हें शीघ्र ही उस की जगह पर नौकरी मिल जाएगी.

सीमा ने पति की हत्या तो करा दी थी, लेकिन वह बुरी तरह से घबरा रही थी. उसे डर था कि कहीं मुसीबत में न फंस जाए. इसी कारण वह अगले दिन कोतवाली जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी.

28 फरवरी, 2023 को वह सारे दिन इसी उलझन में रही कि वह कोतवाली कैसे जाए. उस ने राहुल से साथ चलने को कहा तो उस ने भी साफ मना कर दिया था. राजीव की हत्या कराने के बाद राहुल उस से ज्यादा डर रहा था, लेकिन राहुल जानता था कि अगर सीमा ने राजीव के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई तो वह स्वयं भी फंस सकती है. उस के बाद उस का नंबर भी आ सकता है. इसी डर से उस ने सीमा को हिम्मत बंधाई और खुद भी हिम्मत जुटा कर देर रात कोतवाली पहुंच गया.

कोतवाली पहुंचते ही सीमा ने पुलिस को अपने पति के गायब होने की लिखित तहरीर दी. उस दौरान राहुल कोतवाली के गेट के पास ही टहलता रहा. वह पुलिस के सामने जाने से बच रहा था, लेकिन फिर भी वह कोतवाल की नजरों में चढ़ ही गया. रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस राजीव की तलाश में जुट गई थी, लेकिन सीमा जल्द ही पूछताछ के दौरान पुलिस की निगाहों में आ गई थी.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने सीमा, राहुल और सतीश को गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस ने उसी दिन अभियुक्तों की निशानदेही पर राजीव के शव को बरामद कर लिया. साथ ही इस केस में प्रयुक्त स्कूटी भी बरामद कर ली थी. उस के बाद बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए भागदौड़ की, लेकिन दोनों पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सके. 6 मार्च, 2023 को कोतवाली पुलिस को मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि राजीव हत्याकांड के आरोपी अरुण और रवि वकील के माध्यम से न्यायालय में आत्मसमर्पण करने की जुगत में लगे हैं.

यह सूचना मिलते ही पुलिस ने घेराबंदी करते हुए आरोपी रवि और अरुण को अपनी हिरासत में ले लिया. उस के बाद पुलिस ने उन से भी कड़ाई से पूछताछ की तो दोनों ने अपना जुर्म कुबूलते हुए गला घोटने में प्रयुक्त रस्सी (जली हुई), राजीव का जला मोबाइल व सुपारी में मिली रकम में से बचे 27 हजार रुपए भी पुलिस ने बरामद कर लिए. इस केस में मृतक के भाई चंद्रपाल सिंह की तरफ से भादंवि की धारा 302/201/120बी/34 के अंतर्गत दर्ज कर ली. आरापियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

नौकरी के लिए सुहाग को मिटाया – भाग 2

राजीव का चचेरा भाई राहुल पहले से ही रामपुर की इंद्रा कालोनी में माला टाकीज के पास किराए का कमरा ले कर रहता था. राजीव ने राहुल से एक कमरा तलाशने को कहा तो राहुल ने जल्दी ही अपने पास राजीव को एक किराए का कमरा दिला दिया. कमरा मिलते ही राजीव बीवीबच्चों को साथ ले कर वहां रहने लगा था. राजीव की ड्यूटी का कोई फिक्स टाइम नहीं था. कभीकभी उसे सारी रात बिजलीघर पर ही रहना पड़ता था. उस के बाद भी दिन में कभी भी उसे ड्ïयूटी पर बुलावा आ जाता था. काम अधिक होने के कारण राजीव अपने परिवार को पूरा समय नहीं दे पाता था. उस की शराब पीने की लत कुछ ज्यादा होती जा रही थी. जिस के कारण मियांबीवी में मनमुटाव रहने लगा था.

पति की उदासीनता से पत्नी हुई बेलगाम…

सीमा ने पति को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह उस की एक भी बात मानने को तैयार न था. राजीव ने अपनी दोनों बेटियों का एक स्कूल में दाखिला करा दिया था. बेटियों को स्कूल भेजने के बाद सीमा कमरे पर अकेली रह जाती थी. तब समय बिताने के लिए वह मोबाइल पर लगी रहती थी.

राहुल पहले से ही शहर में रह कर आर्टिफिशियल ज्वैलरी बनाने का काम कर रहा था. वह अपनी ड्यूटी से अपने कमरे पर आ जाता था. घर पर उस का मन नहीं लगता तो वह सीमा के कमरे पर चला आता था. धीरेधीरे देवरभाभी में अच्छी पटनेलगी. दोनों के बीच आपसी लगाव भी पैदा हो गया था.

उसी दौरान एक दिन बातों ही बातों में राहुल ने सीमा के सामने राजीव की पोल खोलते हुए बताया कि भाभी तुम्हें कुछ पता है. राजीव भैया पर लाखों रुपए का कर्ज है. हर रोज कई लोग उस से उन की शिकायत करते हैं. यह बात सामने आते ही सीमा समझ गई कि राजीव जरूर उस से कुछ छिपाता है. दिन भर में कई लोग राजीव को पूछने आते रहते थे. लेकिन वह समझती थी कि कोई काम कराने के लिए उस के पास लोग आते हैं. यह जानकारी मिलते ही सीमा ने कई बार इस मामले में राजीव से बात करनी चाही, लेकिन वह उसे इतना वक्त ही नहीं देता था.

सीमा जब भी उस से बात करने की कोशिश करती, वह उस की बात को बीच में ही काटते हुए कहता, ‘‘तुझे कितने पैसों की जरूरत है? तुझे जो चाहिए वह बता. मैं पैसे कहां से लाता हूं, क्या करता हूं तुझे इस बात से क्या लेनादेना. अगर मेरे पास कर्ज भी है तो तुझ से कोई नहीं मांगेगा. तू परेशान मत हो.’’

देवर की बाहों में झूलने लगी सीमा…

हालांकि राजीव की ऊपरी आमदनी अच्छी थी. लेकिन शराब की लत से उस की नौकरी पर ही फर्क नहीं पड़ा, बल्कि उस की आमदनी भी बहुत ही कम हो गई थी. अपनी आमदनी का अधिकांश हिस्सा वह शराब पीने में ही खर्च कर देता था. उसी के साथ उस में जुआ खेलने की भी लत लग गई थी. जिस के कारण वह लाखों का कर्जदार हो गया था. हालात इतने बिगड़े कि राजीव को अपनी बेटियों की पढ़ाई भी भारी लगने लगी थी. घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ी तो सीमा को ही अपनी बेटियों की पढ़ाई और अपने खर्च के लिए नौकरी करने पर मजबूर होना पड़ा.

राहुल शहर में ही आर्टिफिशियल ज्वैलरी बनाने का काम करता था. सीमा की मजबूरी समझ कर राहुल ने उसे भी अपने यहां ही काम पर लगवा दिया. फिर दोनों देवरभाभी एक साथ काम करने लगे थे. एक साथ काम करने के दौरान ही दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गईं. उस के बाद उन का अधिकांश समय साथ ही गुजरने लगा. समय गुजरते राजीव कुमार जितना दारू के नशे में डूबता गया, उस से कहीं ज्यादा उस की बीवी राहुल के नजदीक आती गई. राजीव अकसर शराब के नशे में धुत हो कर आता था. उस के बाद थोड़ाबहुत खाना खा कर बेसुध हो कर फैल जाता था, जिस का राहुल को भरपूर लाभ होता था.

सीमा से नजदीकियां बढऩे के बाद राहुल ने अपने कमरे पर खाना बनाना भी छोड़ दिया था. वह जो भी लाता, उसे सीमा ही बनाती और दोनों एक साथ खाना खाते. हालांकि राजीव नशे में धुत रहता था, लेकिन वह पत्नी की हकीकत जान चुका था. उस के बाद वह राहुल से सीधे मुंह बात नहीं करता था. लेकिन राहुल भी कुछ कम नहीं था, वह जब भी उस के घर आता तो राजीव के खानेपीने का इंतजाम कर के ही आता था. जिस के कारण राजीव उसे ज्यादा कुछ नहीं कहता था. फिर दोनों साथ में दारू पीते. राजीव खापी कर जल्दी ही पसर जाता. उस के बाद राहुल सीमा के साथ मौजमस्ती करने में लग जाता था, लेकिन इन दोनों का यह खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाया. सीमा राहुल के प्रसंग की पोल खुल गई.

एक दिन राजीव ने राहुल और सीमा को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया. राहुल तो मौका पा कर वहां से भाग निकला, तब राजीव ने सीमा की अच्छी खबर ली. भद्दीभद्दी गालियां देते हुए उस ने उस की जम कर पिटाई की. पोल खुलते ही राजीव ने वहां से कमरा बदल लिया. उस के बाद राजीव ने नाहिद सिनेमा के नजदीक कमरा ले लिया. राहुल और सीमा अभी भी एक ही साथ काम कर रहे थे. राहुल भले ही सीमा के कमरे पर नहीं जा सकता था, लेकिन वह उस के साथ काम करतेकरते आगे की योजना बनाता रहा. बीचबीच में सीमा मौका देख कर राहुल को अपने कमरे पर बुला लेती थी. इस तरह देवरभाभी का प्यार चलता रहा.

राहुल तेजतर्रार युवक था. वह जानता था कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी की रिटायर होने से पहले मृत्यु हो जाती है तो कानून के अनुसार उस की जगह पर उस की पत्नी को नौकरी मिल जाती है. यह बात राहुल ने सीमा के सामने रखते हुए कहा, ‘‘अगर हम किसी तरह से राजीव को अपने रास्ते से हटा दें तो हमारे रास्ते खुद ही खुल जाएंगे. उस के हटते ही उस की नौकरी तुम्हें मिल जाएगी और फिर हम दोनों शादी कर के एक साथ रह सकते हैं.’’

सीमा भी पति की हरकतों से तंग आ चुकी थी. वह राहुल को ही दिलोजान से चाहने लगी थी. नौकरी के लिए पति की हत्या कराने की बात जल्द ही उस के दिमाग में बैठ गई. सीमा ने फौरन हामी भर ली और हर तरह से उस का साथ देने के लिए तैयार हो गई. सीमा ने राहुल से कहा कि इस काम में जितना भी पैसा खर्च होगा, वह खर्च करेगी.

पति को ठिकाने लगाने की हुई प्लानिंग….

सीमा ने देवर राहुल के साथ पति का मर्डर करने की योजना बना ली. राजीव को मौत की नींद सुलाने की योजना बनते ही राहुल ने इस योजना को अमलीजामा पहनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी. उसी दौरान एक दिन राहुल थाना शहजादनगर के गांव अहमदाबाद निवासी अपने दोस्त सतीश से मिला.

नौकरी के लिए सुहाग को मिटाया – भाग 1

28 फरवरी, 2023 को रात के कोई साढ़े 9 बजे का वक्त रहा होगा. उस वक्त उत्तर प्रदेश के शहर रामपुर कोतवाल गजेंद्र त्यागी सहकर्मियों के साथ व्यस्त थे. उसी वक्त एक औरत कोतवाल के सामने आ कर खड़ी हुई. औरत को देखते ही कोतवाल ने उस से सवाल किया, ‘‘हां, कैसे आना हुआ?’’

“सर, मेरा नाम सीमा है. कल से मेरे पति गायब हैं. मैं ने उन्हें हर जगह तलाशा, लेकिन उन का कोई अतापता नहीं चला.’’ सीमा की बात खत्म होते ही कोतवाल गजेंद्र त्यागी ने फिर से प्रश्न किया, ‘‘आप लोग कहां रहते होï?’’ कोतवाल के पूछने पर सीमा ने बताया कि उस के पति राजीव बिजली विभाग में नौकरी करते हैं. नाहिद टाकीज के नजदीक बिजली घर के पास ही उन का किराए का कमरा है. इस वक्त उन की ड्यूटी स्वार के खोद में चल रही थी. हर रोज की तरह कल वह अपनी ड्यृटी पर निकले थे, लेकिन उस के बाद वह घर वापस नहीं आए.’’

इंसपेक्टर गजेंद्र त्यागी ने सीमा से विस्तार से जानकारी जुटाने के बाद उस की तरफ से एक लिखित तहरीर ले ली. उस के आधार पर पुलिस ने अपनी तहकीकात शुरू की. इंसपेक्टर गजेंद्र त्यागी के नेतृत्व में पुलिस टीम राजीव के कमरे पर गई. वहां पर रह रहे लोगों से जानकारी जुटाई. उस के बाद पुलिस राजीव की ड्यूटी एरिया खोद तक गई. लेकिन वहां से भी राजीव के बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिली. पुलिस जानती थी कि ऐसे अधिकांश मामले अवैध संबंधों से जुड़े होते हैं. इसी शंका को ले कर सब से पहले पुलिस ने राजीव कुमार की पत्नी सीमा के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया.

पुलिस राजीव की तलाश में दिनरात एक किए हुए थी. उस के बावजूद भी सीमा हर वक्त थाने के चक्कर लगाने में लगी थी. पुलिस ने सीमा से कई बार पूछताछ की. अगर किसी से उन की पुरानी रंजिश हो तो वह उन व्यक्तियों के नाम बताए. लेकिन सीमा ने साफ शब्दों में बता दिया कि उन की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. सीमा की परेशानी को देखते हुए पुलिस की एक टीम आगापुर गांव के अशोक विहार मोहल्ले भी गई. राजीव इसी गांव का रहने वाला था. इसी कारण अधिकांश लोग उस के बारे में ठीक से जानते थे. आगापुर जाने के बाद पुलिस को जानकारी मिली कि राजीव बहुत पहले गांव छोड़ कर रामपुर में नाहिद सिनेमा हाल के पास बिजली घर के पीछे किराए के मकान में रह रहा था.

यह सब जानकारी जुटाने के बाद पुलिस टीम फिर से उस के कमरे पर पहुंची. पुलिस ने वहां पर रह रहे लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि राजीव की गैरमौजूदगी में उन के कमरे पर एक युवक आताजाता रहता था. वह युवक कौन था, इस की जानकारी सीमा को ही होगी. यहां से यह जानकारी हासिल कर पुलिस टीम कोतवाली वापस चली आई. लेकिन इस जानकारी के बाद पुलिस एसएचओ के मन में एक गहरा शक जरूर पैदा हो गया था.

सीमा आ गई शक के दायरे में….

इसी शक की तह में जाने के लिए पुलिस ने राजीव के गायब होने वाले दिन से अगले कई दिनों तक सीमा के फोन की डिटेल्स निकाली तो उस दौरान उस के कई नंबरों पर लंबी बात होनी पाई गई. जिस के दौरान एक व्यक्ति ने उस से एक लाख रुपयों की मांग भी की थी. एक लाख रुपए की बात सामने आते ही पुलिस को यकीन हो गया कि राजीव की हत्या की जा चुकी है. इसी शक को मिटाने के लिए पुलिस ने सीमा को फोन कर कोतवाली आने को कहा. इस से पहले सीमा कोतवाली के चक्कर काट रही थी. लेकिन पुलिस के कई बार फोन करने के बाद भी वह कोतवाली नहीं आई. उस के बाद पुलिस का शक और भी गहरा गया. तब पुलिस ने सीमा को उस के घर से पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया.

कोतवाली लाने के बाद उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह पुलिस के सवालों में उलझ गई. उसी वक्त पुलिस की नजर कोतवाली के प्रांगण में खड़े युवक पर पड़ी, जो सीमा के आने के तुरंत बाद ही कोतवाली आया था. वह राजीव का चचेरा भाई राहुल था. हालांकि राहुल इस से पहले भी सीमा के साथ कई बार कोतवाली आया था. लेकिन इस बार पुलिस उसे पहचान नहीं पाई थी. इस की मुख्य वजह यह थी कि उस ने अपने बाल कटा लिए थे. जबकि इस से पहले वह जब सीमा के साथ कोतवाली आया था तो उस के बड़ेबड़े बाल थे. उसे देख कर पुलिस को लगा कि उस का चचेरा भाई अभी गायब है, फिर इतनी जल्दी में उस ने अपने बाल क्यों कटवाए.

पुलिस ने सीमा को बुला कर पूछताछ की तो सीमा ने बताया कि वह और राहुल आर्टिफिशियल ज्वैलरी बनाने वाली एक कंपनी में एक साथ काम करते हैं. सीमा ने पुलिस को बताया कि राहुल रामपुर की इंद्रा कालोनी में किराए के कमरे में रहता है. यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने राहत की सांस ली. पुलिस को जिस युवक की तलाश थी, वह स्वयं पुलिस के जाल बिछाने से पहले ही फंस गया था. उस के बाद पुलिस ने दोनों से अलगअलग पूछताछ की तो दोनों ही टूट गए. उन्होंने बिजलीकर्मी राजीव कुमार की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली.

पूछताछ के बाद राजीव की हत्या की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में स्थित गांव आगापुर के अशोक विहार मोहल्ले में रहता था रतनलाल का परिवार. रतनलाल के 4 बेटों में राजीव दूसरे नंबर का था. राजीव कुमार बिजली विभाग में लाइनमैन था. राजीव देखनेभालने में खूबसूरत था. लेकिन उस में शुरू से ही शराब पीने की लत थी. राजीव कुमार को ऊपरी आमदनी अच्छीखासी थी, जिस के कारण उस ने शादी के बाद से ही सीमा को खर्च के लिए किसी तरह की परेशानी नहीं आने दी थी. ठीक से पहननाओढऩा सीमा का पहले से ही शौक रहा था. राजीव शुरू से ही दारूबाज रहा था, इस के बावजूद सीमा उसे बहुत ही प्यार करती थी.

कुछ दिनों तक तो उन की गृहस्थी ठीक चली. इस दौरान वह 2 बेटियों की मां बनी. समय के साथ बच्चियां बड़ी हुईं तो उन की परवरिश को ले कर चिंता सताने लगी. सीमा चाहती थी कि बेटियां किसी अच्छे स्कूल में पढ़ेंलिखें, जिस से आगे चल कर वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें. गांव में राजीव अपने परिवार के साथ रहता था, जो सीमा को पसंद नहीं था. लेकिन राजीव के प्यार की खातिर वह सब कुछ झेलती आ रही थी. सीमा राजीव पर शहर में रहने के लिए दबाव बनाने लगी. वैसे तो राजीव भी शहर में ही रहना चाहता था, लेकिन घर वालों की वजह से वह गांव छोड़ कर नहीं जाना चहता था. सीमा ने बारबार उस पर शहर में कमरा लेने का दबाव बनाया तो उसे झुकना ही पड़ा.

आशिक पति ने ली जान – भाग 3

दामोदर शीतल के पीछे पागल था, यही वजह थी कि एक दिन उस ने ओमप्रकाश से कहा, ‘‘मैं शीतल से शादी करना चाहता हूं.’’

‘‘तुम शीतल से कैसे शादी कर सकते हो. अगर तुम्हें उस से शादी करनी है तो पहले मोहरश्री को छोड़ो. उस के रहते मैं अपनी बेटी की शादी तुम्हारे साथ कतई नहीं करूंगा.’’ इस तरह ओमप्रकाश ने शादी से मना कर दिया.

इस से दामोदर निराश हो गया. उसे पता था कि मोहरश्री से छुटकारा पाना आसान नहीं है. दामोदर शीतल के लिए इस तरह बेचैन था कि मोहरश्री से छुटकारा पाने का आसान रास्ता न देख पाने के बारे में विचार करने लगा. जब उसे कोई राह नहीं सूझी तो उस ने उसे खत्म करने का निर्णय ले लिया. इस के बाद वह मोहरश्री की हत्या के लिए किराए के हत्यारों की तलाश करने लगा. पैसे ले कर हत्या करने वाला कोई नहीं मिला तो वह खुद ही कुछ करने के बारे में सोचने लगा. क्योंकि उसे लगता था कि मोहरश्री उस की खुशियों की राह का रोड़ा है.

संयोग से उसी बीच मोहरश्री खेत में डालने के लिए एक शीशी कीटनाशक ले आई. आधा कीटनाशक तो उस ने खेत में डाल दिया, बाकी घर में ही रख दिया. उस कीटनाशक को देख कर दामोदर ने भयानक योजना बना डाली.  इस के बाद वह मोहरश्री की हर हरकत पर नजर रखने लगा. इस बीच उस ने मोहरश्री के प्रति अपना व्यवहार बदल लिया था.

मोहरश्री सुबह खेतों पर चली जाती तो दोपहर को बच्चों के लिए खाना बनाने आती थी. बच्चों को खाना खिला कर वह फिर खेतों पर चली जाती थी. उस दिन मोहरश्री दोपहर को खेतों से आई तो दामोदर उस के इर्दगिर्द मंडराने लगा. इधर दामोदर का व्यवहार बदल गया था, इसलिए मोहरश्री ने इस बात पर खास ध्यान नहीं दिया.   मोहरश्री को खेतों में काम करना था, इसलिए वह बच्चों को खिला कर अपना खाना ले कर चली गई. वह अपना काम कर रही थी, तभी दामोदर आ गया. उस ने कहा, ‘‘मैं काम कर रहा हूं, तुम जा कर अपना खाना खा लो.’’

मोहरश्री को भूख लगी थी, इसलिए हाथपैर धो कर वह खाना खाने बैठ गई. खाना खातेखाते ही उस की तबीयत बिगड़ने लगी तो उस ने पानी पिया. पानी पीने के बाद उस की तबीयत और बिगड़ गई. उस समय वहां दामोदर के अलावा कोई और नहीं था. उस ने दामोदर को आवाज दी. दामोदर आया तो, लेकिन मदद करने के बजाय वह खड़ा मुसकराता रहा. थोड़ी देर में तड़प कर मोहरश्री ने दम तोड़ दिया.

मोहरश्री मर गई तो दामोदर की समझ में यह नहीं आया कि वह उस की लाश का क्या करे? जब उस की समझ में कुछ नहीं आया तो वह ओमप्रकाश के पास गया.  जब उस ने ओमप्रकाश से मोहरश्री की मौत के बारे में बताया तो वह घबरा गया. उस ने कहा, ‘‘तुम ने यह क्या कर डाला, क्यों मार डाला उसे? मैं इस मामले में कुछ नहीं जानता, तुम्हें जो करना है, करो.’’

दामोदर लौटा और मोहरश्री की लाश को घसीट कर मकाई के खेत में डाल दिया. वहां से वह घर आया तो बच्चों ने मां के बारे में पूछा. उस ने कहा, ‘‘तुम्हारी मम्मी थोड़ी देर में आएंगी. तब तक तुम लोग जा कर निमंत्रण खा आओ.’’

बच्चे निमंत्रण खाने चले गए. निमंत्रण खा कर लौटे, तब भी मां नहीं आई थी. कृष्णा को चिंता हुई तो वह मामा चंद्रपाल के पास पहुंचा और उसे सारी बात बताई. इस बीच दामोदर गायब हो गया. उस का इस तरह गायब हो जाना, शक पैदा करने लगा. चंद्रपाल घर तथा गांव वालों के साथ मोहरश्री की तलाश में निकल पड़ा.

सभी खेतों पर पहुंचे तो वहां उन्हें ओमप्रकाश और उस की पत्नी गुड्डी मिली. उन से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मोहरश्री की तबीयत खराब हो गई थी, दामोदर उसे एटा ले गया है. इस के बाद सभी अपने घर लौट आए, जब दामोदर घर नहीं आया तो सब को चिंता हुई. सभी विचार कर रहे थे कि अब क्या किया जाए, तभी मक्की के खेत में मोहरश्री की लाश पड़ी होने की जानकारी मिली.

पुलिस को सूचना देने के साथ मोहरश्री के घर वालों के साथ पूरा गांव वहां पहुंच गया, जहां लाश पड़ी थी. सूचना मिलने के बाद कोतवाली (देहात) प्रभारी पदम सिंह सिपाहियों के साथ वहां पहुंच गए. लाश और घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद जरूरी कारर्रवाई कर के उन्होंने लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

कोतवाली प्रभारी द्वारा की गई पूछताछ में पता चला कि दामोदर के संबंध नगला गोकुल के रहने वाली ओमप्रकाश की बेटी शीतल से थे. इस के बाद उन्हें समझते देर नहीं कि यह हत्या दामोदर ने की है. उन्होंने चंद्रपाल की ओर से मोहरश्री की हत्या का मुकदमा दामोदर के खिलाफ दर्ज कर के उस की तलाश शुरू कर दी. पुलिस तो उस की तलाश कर ही रही थी, गांव वाले भी उस के पीछे लगे थे.

घटना के 4 दिनों बाद गांव वालों ने कासगंज के थाना पतरे के एक गांव के एक बाग से दामोदर को पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.  दामोदर ने पहले तो हत्या से इनकार किया लेकिन जब उस के साथ सख्ती की गई तो वह टूट गया. शीतल के साथ अपने संबंधों को स्वीकार करते हुए उस ने बताया कि मोहरश्री उस की खुशियों की राह में रोड़ा बन रही थी, इसलिए उस ने उस के खाने में कीटनाशक मिला कर उसे मार डाला था. पूछताछ के बाद पुलिस ने कीटनाशक की शीशी बरामद कर उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

आशिक पति ने ली जान – भाग 2

बगल के गांव नगला गोकुल के रहने वाले ओमप्रकाश का खेत मोहरश्री के खेत से लगा था. ओमप्रकाश भी पत्नी गुड्डी के साथ अपने खेत पर काम करता था. उस की बेटी शीतल भी मांबाप की मदद करने खेत पर आती थी. मोहरश्री ने गौर किया कि जब तक शीतल खेत में रहती है, दामोदर उस के आसपास ही मंडराता रहता है. वह अपना काम करने के बजाय ओमप्रकाश की मदद में लगा रहता है.

उसी बीच कहीं से मोहरश्री को पता चला कि दामोदर ओमप्रकाश को मुफ्त में शराब पिलाता है तो ओमप्रकाश उसे मुफ्त खाना खिलाता है. उसे लगा कि इस के पीछे भी शीतल का ही आकर्षण है. प्रकाश के गायब होने के बाद बड़ी मुश्किल से मोहरश्री ने घरपरिवार संभाला था. अगर इस बार कुछ हुआ तो दोबारा संभालने में बहुत मुश्किल हो जाएगा. इसी चिंता में वह बेचैन रहने लगी थी.

शीतल के आकर्षण में बंधे दामोदर को अब उस के अलावा कुछ और दिखाई नहीं देता था. वह यह भी भूल गया था कि वह शादीशुदा ही नहीं, 4 बच्चों का बाप भी है. सारे कामकाज छोड़ कर वह इसी फिराक में लगा रहता था कि कैसे शीतल के नजदीक पहुंचे. अब दोपहर में उस के लिए खाना आता तो वह अपना खाना ले कर ओमप्रकाश के पास पहुंच जाता. इस के बाद दोनों शराब पीते और एकसाथ खाना खाते.

ऐसे ही समय में अपनी लच्छेदार बातों से दामोदर शीतल को आकर्षित करने की कोशिश करता. वह इस कोशिश में लगा रहता कि अगर शीतल एकांत में मिल जाए वह उस से दिल की बात कह देगा.दूसरी ओर शीतल भी अब उस के मन की बात से अनजान नहीं रह गई थी. इसलिए वह भी उसे देखती तो मुसकरा देती. दामोदर मौका ढूंढ़ ही रहा था. आखिर उसे मौका मिल ही गया. उस दिन शीतल मां के साथ खेत पर आई तो मां खेत में काम करने लगी. जबकि शीतल ट्यूबवैल के कमरे में बैठ गई. उसी बीच दामोदर वहां पहुंच गया.

हालचाल पूछ कर दामोदर शीतल से दिल की बात कहने ही जा रहा था कि मोहरश्री वहां आ गई. दामोदर को शीतल के पास देख कर उस ने कहा, ‘‘मैं तुम्हें वहां ढूंढ़ रही हूं, तुम यहां शीतल के पास बैठे क्या कर रहे हो?’’

‘‘मैं यहां पानी पीने आया था. मुझे क्या पता कि यहां शीतल बैठी है.’’

दामोदर ने सफाई तो दे दी, लेकिन मोहरश्री ने जो सुन रखा था, दोनों को इस तरह देख कर उसे बल मिला. लगा कि जो कानाफूसी हो रही है, उस में दम है. मोहरश्री ने दामोदर को समझाने की कोशिश तो की, लेकिन उस की समझ में कहां से आता. वह तो शीतल के पीछे पागल हो चुका था. इसलिए दिल की बात न कह पाने की वजह से वह मोहरश्री पर खीझ उठा था. यही वजह थी, अपना पलड़ा भारी बनाए रखने के लिए उस ने मोहरश्री को 2-4 तमाचे जड़ कर कहा, ‘‘तुम अपनी औकात में रहो, तभी ठीक है.’’

दामोदर मौके की तलाश में लगा ही था. आखिर एक दिन उसे मौका मिल ही गया. ओमप्रकाश पत्नी गुड्डी के साथ पड़ोस के गांव में किसी के यहां गया हुआ था. ओमप्रकाश के बाहर जाने वाली बात उसे पता थी, इसलिए उसे समय भी पता था. वह नगला गोकुल स्थित ओमप्रकाश के घर पहुंच गया. दरवाजा खटखटाया तो शीतल ने दरवाजा खोला. वह उसे देख कर बोली, ‘‘मम्मीपापा तो बाहर गए हैं.’’

‘‘मैं मम्मीपापा से नहीं, तुम से मिलने आया हूं.’’ दामोदर ने कहा तो शीतल का दिल धड़क उठा. वह कुछ कहती, उस के पहले ही दामोदर अंदर आ गया. घर में शीतल बिलकुल अकेली थी. उस ने शीतल का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘शीतल मैं तुम से प्यार करने लगा हूं. रातदिन सिर्फ तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूं. लगता है, अब मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता.’’

‘‘मुझे यह पहले से ही मालूम है. तुम्हारे मन में मेरे लिए क्या है, यह मैं ने तुम्हारी नजरों से जान लिया था.’’ शीतल ने नजरें नीची कर के कहा.

शीतल का इतना कहना था कि दामोदर ने खींच कर उसे बांहों में भर लिया. इस के बाद वही हुआ, जिस के लिए दामोदर न जाने कब से परेशान था. उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता, दोनों एक हो जाते. दामोदर अब पत्नीबच्चों की ओर से पूरी तरह लापरवाह हो गया. वह अपनी सारी कमाई शीतल पर लुटाने लगा.  ओमप्रकाश और गुड्डी को दामोदर और शीतल के मिलनेजुलने में जरा भी ऐतराज नहीं था. दामोदर ओमप्रकाश को मुफ्त में शराब पिलाता ही था, जरूरत पड़ने पर गुड्डी को पैसे भी दिया करता था.

दामोदर की हरकतें मोहरश्री को बेचैन करने लगी थीं. लोग उस से कहते थे कि दामोदर को समझाती क्यों नहीं. वह पति को समझाना तो चाहती थी, लेकिन अब वह इतना आक्रामक हो गया था कि जरा भी बोलने पर मारपीट पर उतारू हो जाता था. उस की बातों और हरकतों से यही लगता था कि उसे पत्नी और बच्चे उसे बोझ लगने लगे हैं.

घर के जो हालात थे, उस से मोहरश्री परेशान रहने लगी थी. बच्चे भी सहमेसहमे रहते थे. गांव वालों से मोहरश्री की परेशानी छिपी नहीं थी, लेकिन मोहरश्री ने कभी किसी से कुछ नहीं कहा. वह बच्चों से जरूर कहती थी कि अगर उन्हें अपनी जिंदगी बनानी है तो मेहनत से पढ़ो.

मोहरश्री दामोदर को रास्ते पर लाने की कोशिश कर रही थी, जबकि दामोदर उस से पिंड छुड़ाने के बारे में सोच रहा था. अब वह शीतल के साथ अपनी गृहस्थी बसाना चाहता था. लेकिन दामोदर के लिए यह इतना आासन भी नहीं था. क्योंकि वह अपने सालों से बहुत डरता था.

दूसरी ओर मोहरश्री ने कभी अपने भाइयों से दामोदर की कोई बात नहीं बताई थी. इस के बावजूद चंद्रपाल को गांव वालों से दामोदर की हरकतों का पता चल गया था. उस ने एक दिन दामोदर को घर पर बुला कर पूछा, ‘‘पता चला है कि आजकल तुम कुछ ज्यादा ही उड़ने लगे हो?’’

साले की इस बात पर दामोदर का चेहरा सफेद पड़ गया. उस ने हकलाते हुए कहा, ‘‘भाईसाहब, ऐसी कोई बात नहीं है.’’

चंद्रपाल ने दामोदर को धमकाते हुए कहा, ‘‘एक बात याद रखना, मैं किसी भी कीमत पर यह बरदाश्त नहीं करूंगा कि तुम मेरी बहन या उस के बच्चों को परेशान करो. अगर तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आए तो अंजाम अच्छा नहीं होगा.’’

दामोदर खामोशी से चंद्रपाल की बातें सुनता रहा. उसे लगा कि मोहरश्री ने ही चंद्रपाल से उस की शिकायत की है. इसलिए वह घर लौटा तो शराब के नशे में धुत था. मोहरश्री खाना बना रही थी. आते ही वह मोहरश्री को गालियां देने लगा. उस ने कहा, ‘‘मेरे मन में जो आएगा, मैं वही करूंगा. कोई मेरा कुछ नहीं कर सकता. एक बात और सुन, मैं शीतल से प्यार करता हूं और अब उस से शादी भी करूंगा. जा कर कह दे अपने भाइयों से.’’

दामोदर की बातों से मोहरश्री सन्न रह गई. उस ने बच्चों को तो खाना खिला दिया, लेकिन खुद नहीं खा सकी. उस रात उसे नींद भी नहीं आई. उसे इस बात की चिंता थी कि अगर दामोदर ने सच में शीतल से शादी कर ली तो वह क्या करेगी.

उसे लगा कि अगर वह शीतल की मां से बात करे तो शायद कोई हल निकल आए. लेकिन हल निकालने की कौन कहे, गुड्डी उलटा उस पर बरस पड़ी, ‘‘शीतल तो अभी बच्ची है, उसे क्या समझ. तू ही दामोदर को क्यों नहीं समझाती. मैं दामोदर को बुलाने थोड़े ही जाती हूं, वह खुद ही यहां आता है.’’   गुड्डी की बातों से मोहरश्री दुविधा में पड़ गई. क्योंकि गुड्डी जो कह रही थी, सच वही था. दामोदर ही उस के घर आताजाता था.