अय्याश शौहर बदचलन बीवी

22 नवंबर, 2022 को पुष्पा जब रात को बाजार से सामान खरीद कर घर लौटी, तब उस का मन काफी बेचैन था. उसे बारबार अपने भाई गुमान सिंह की याद आ रही थी. कई दिन हो गए थे उसे भाई मिले हुए. वह घर के पास ही अपने 17 साल के बेटे शानू के साथ रहता था. उस की एक दुकान थी. पत्नी आशा यादव से 9 साल पहले ही उस का तलाक हो चुका था. उस के बाद से बच्चे की देखभाल पुष्पा ही करती थी.

वह बड़ा होने के साथसाथ समझदार भी हो गया था, इस कारण पुष्पा उस की देखभाल के लिए भाई के घर जाने में कई बार नागा भी कर देती थी. फिर भी न जाने क्यों पुष्पा का मन उस रोज बेचैन था. रात के 9 बज चुके थे. अपने भाई की जिंदगी और शानू के बारे में सोचतेसोचते यह निर्णय लिया कि कल सब से पहले भाई से मिलने जाएगी. उस का और भतीजे का हालसमाचार मालूम करेगी. यही सोचतेसोचते कब उसे नींद आ गई, पता ही नहीं चला.

डोडाबाई के रहने वाले चमन सिंह के बेटे गुमान सिंह के पास काफी जमीनजायदाद थी, लेकिन करीब 2 साल पहले वहां का मकान और दुकान बेच कर वह देहरादून आ कर रहने लगा था. वह अपनी जमीन आदि संभाल नहीं पा रहा था. अपनी ही मौजमस्ती की दुनिया में मशगूल रहता था और अपनी अनापशनाप बुरी आदतों पर पैसे खर्च करता रहता था. ऐशोआराम और मजे की जिंदगी में पैसे खत्म होने पर वह अपनी प्रौपर्टी ही बेच दिया करता था. वैसे वह अपनी बहन पुष्पा का भी काफी खयाल रखता था. बीचबीच में उस की तलाकशुदा बीवी भी अपने बेटे से मिलने के लिए उस के पास आ जातीथी. आशा भी उसी शहर के सेलाकुइ में रहती थी और वहीं एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर अपनी गुजरबसर कर रही थी. उसे अकसर पैसे की तंगी बनी रहती थी.

अगले रोज 23 नवंबर, 2022 को पुष्पा सुबहसुबह दिनचर्या से निपट कर नाश्ता किया और जो पकाया था, उस में से ही खानेका कुछ सामान टिफिन बौक्स में ले कर करीब साढ़े 9 बजे गुमान सिंह के पास गई. घर पर दोनों में से कोई नहीं मिला. बाहरदरवाजे पर ताला लगा था. उस ने सोचा शायद वह अपनी दुकान खोलने के लिए चला गया.

बहन पुष्पा को मिली मौत की खबर…

पुष्पा अपने घर आ कर घरेलू कामकाज में व्यस्त हो गई. उस रोज घर में काम भी काफी फैा हुआ था. साफसफाई भी करनीथी. सर्दी के मौसम में कपड़े धोने और सुखाने की समस्या को देखते हुए उस ने गुरुवार को धोए जाने वाले कपड़े भी धो दिए. अधिक काम होने के चलते पुष्पा दोपहर तक घर के काम में लगी रही. दोपहर में खाना खाने के बाद उसे थोड़ी झपकी आई और सो गई. तकिए के नीचे रखे मोबाइल की घंटी बजी और उस के तेज वाइब्रेशन से पुष्पा की आंखें खुल गईं. मोबाइल में अनजाना नंबर देख कर वह चौंक गई. काल रिसीव करने से पहले ही कट गई. तुरंत दूसरी काल आ गई. इस बार काल गुमान सिंह की थी. उस ने तुरंत काल रिसीव कर कहा, ‘‘हैलो…हैलो!’’

उधर से जवाबी आवाज गुमान सिंह की नहीं थी. पुष्पा दोबारा बोली, ‘‘हैलो..हैलो! भैया बोल रहे हो, लेकिन तुम्हारी आवाज क्यों बदली हुई है?’’

“तुम्हारा नाम पुष्पा है, तुम गुमान सिंह की बहन हो? मैं सहसपुर थाने से एसएचओ गिरीश नेगी बोल रहा हूं.’’ पुष्पा ने थाने का नाम सुना तो समझ नहीं पाई कि आखिर क्या बात हो गई जो उस के भाई के मोबाइल से पुलिस वाला फोन कर रहा है. कहीं उस का मोबाइल तो नहीं खो गया या फिर गुमान ने कुछ कर दिया. लड़ाईझगड़े वगैरह. वह चिंतित हो गई. कुछ सेकेंड फोन कान से लगाए हुए चुप बनी रही. उस के कान में दोबारा आवाज आई, ‘‘हैलो… हैलो, आप सुन रही हैं न! जवाब दो!’’

“जी…जी, मैं पुष्पा ही बोल रही हूं. गुमान सिंह मेरा बड़ा भाई है. उस का फोन आप के पास कैसे आया?’’ पुष्पा बोली.

“सब मालूम हो जाएगा, तुम पहले अपने किसी परिचित के साथ बाबूवाला आ जाओ.’’ नेगी बोले.

“बाबूवाला?’’ पुष्पा ने आश्चर्य से पूछा.

“हां…हां बाबूवाला. लेकिन वह तो वहां नहीं रहता है? गुमान से बात करवा दो.’’ पुष्पा ने सवाल किया.

“अरे, बाबूवाला के उस घर में आओ न, जहां उस की पत्नी आशा यादव रहती है.’’ नेगी जोर दे कर बोले और काल डिसकनेक्ट कर दी. पुष्पा समझ नहीं पा रही थी कि एसएचओ उसे भाभी के घर पर क्यों बुला रहे हैं? भाई से बात भी नहीं करवा रहे हैं, जबकि वह गुमान से बात करवाने के लिए आग्रह भी कर चुकी थी. वह फटाफट तैयार हुई और बाबूवाला के उस घर पर जा पहुंची, जहां भाभी रहती थी. घर के बाहर जुटी कुछ लोगों की भीड़ और कई पुलिसकर्मियों को देख कर वह सहम गई.

घर में दाखिल होते ही कमरे का दृश्य देख कर चौंक गई. उस का भाई बैड पर पड़ा था. कुछ पुलिसकर्मी कमरे की छानबीन कर रहे थे. एक पुलिस वाला हाथ में तख्ती लगे सादे कागज पर कुछ लिख रहा था. पास में ही उस की भाभी आशा फर्श पर बैठी रो रही थी. उसे एक पुलिस वाली सांत्वना दे रही थी. वह उस से कुछ जानने की कोशिश कर रही थी. पुष्पा को आया देख कर नेगी बोले, ‘‘तुम्हीं पुष्पा हो?’’

“जी, क्या हुआ है मेरे भाई को?’’ पुष्पा बोली.

“तुम्हारे भाई की मौत हो गई है, यह लो इस पेपर पर साइन कर दो.’’ नेगी बोले.

“कैसे मरा मेरा भाई? सुबह ही तो उस के घर पर मिल कर आई थी. यहां कब आया? मेरा साइन किसलिए?’’ पुष्पा ने सवाल किया.

“यह फार्मैलिटी है जांच के लिए… उस की पत्नी आशा ने भी साइन कर दिए हैं. लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजनी है, जल्दी करो…’’

“पोस्टमार्टम के लिए?’’ पुष्पा फिर बोली.

“हां! पोस्टमार्टम होगा, तभी उस की मौत के बारे में पता चल पाएगा.’’ नेगी बोले. उस के बाद नेगी ने पुष्पा से भी वहीसवाल पूछे जो आशा से पूछे गए थे.

“गुमान सिंह की किसी के साथ कोई रंजिश थी?’’

“नहीं साहब, वह खानेपीने वाला आदमी जरूर था, लेकिन उस की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी.’’ पुष्पा बोली.

‘‘ठीक है, कल सुबह थाने आ जाना. बाकी की पूछताछ थाने में होगी.’’ आशा से भी नेगी ने ऐसा ही कहा.

48 घंटे में खुला केस…

मामला आकस्मिक मौत का था. प्रारंभिक जांच से हत्या प्रतीत हो रही थी. चारपाई पर मृत पड़े गुमान की कोहनियां मुड़ीहुई थीं. जीभ बाहर की ओर निकली हुई थी. वारदात की सूचना सीओ संदीप नेगी और एसपी (देहात) कमलेश उपाध्याय को भी दे दी. गिरीश नेगी अपने साथ एसएसआई रविंद्र नेगी और थानेदार ओमवीर सिंह समेत फोरैंसिक जांच टीम ने घटनास्थल पर जांच खत्म की. फोरैंसिक टीम ने मौके की फोटोग्राफी कर मौत के संदर्भ में साक्ष्य जुटा लिए थे. साथ ही तलाकशुदा बीवी आशा यादव के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स के लिए साइबर विभाग को उस का फोन नंबर भेज दिया था.

घटनास्थल की प्रारंभिक जांच करने के बाद गुमान सिंह की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. इस के साथ ही अज्ञात हत्यारों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत पुष्पा देवी निवासी शीशमवाड़ा की ओर से रिपोर्ट दर्ज कर ली गई. नेगी ने इस हत्याकांड की विवेचना उच्चाधिकारियों के निर्देश पर स्वयं ही शुरू कर दी थी. एसपी (देहात) कमलेश उपाध्याय ने गुमान सिंह की हत्या के खुलासे के लिए 2 टीमों का गठन किया, जबकि एसओजी टीम आशा के मोबाइल की काल डिटेल्स खंगालने के अलावा गुमान सिंह के आसपास रहने वाले लागों से पूछताछ कर रही थी.

आशा और गुमान सिंह के घर के आसपास लगे 45 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी चैक की जाने लगी. परिणाम आने में ज्यादा समय नहीं लगा. पुलिस ने 48 घंटे में ही संदिग्ध आरोपी और आशा यादव के प्रेमी रंजीत सिंह को हिरासत में ले लिया. उस की गिरफ्तारी मुखबिर की सूचना पर देहरादून से हुई थी. इस से पहले 24 नवंबर, 2022 को पुलिस मृतक की पत्नी आशा यादव से गहन पूछताछ कर चुकी थी. थोड़ी सी सख्ती बरतते ही वह टूट गई. बिफरते हुए पहले उस ने अपना दुखड़ा सुनाया, फिर उस ने प्रेमी रंजीत सिंह नेगी के साथ मिल कर गुमान सिंह की हत्या करनी स्वीकार कर ली.

आशा और प्रेमी रंजीत नेगी ने रची थी साजिश…

आशा यादव ने बताया कि उस का पति अय्याश किस्म का इंसान था. उस की आदतों से वह बेहद परेशान रहती थी. आशा का कहना था कि वह अकसर दिन भर शराब पी कर मौजमस्ती में डूबा रहता था. सारे पैसे अपने और दोस्तों पर उड़ा देता था. मना करने पर उस की पिटाई भी कर दिया करता था. न उस पर और न ही बच्चे पर ही वह ध्यान देता था. उस की इसी आदत से तंग आ कर उस ने साल 2013 में उस से तलाक ले लिया था.

तलाक लेने के बाद गुमान ने ओडिशा की एक महिला से दूसरा ब्याह रचा लिया था. हालांकि वह भी गुमान की आदतों से तंग आ गई और उस के साथ 2 साल ही निभा पाई. वह जब मन करता था, अपनी प्रौपर्टी बेच दिया करता था. इस कारण ही मन में उस से नफरत होने लगी थी. गुमान पैसे लुटाता था और वह बच्चे के साथ तंगहाली में जीवन गुजार रही थी.

आखिरकार, आजिज आ कर वह सेलाकुई चली गई. वहीं एक कंपनी में मामूली नौकरी कर ली. किसी तरह जीवनयापन करने लगी. उन्हीं दिनों उस की मुलाकात रंजीत सिंह नेगी से हुई. वह उसी इलाके की एक कंपनी में गार्ड की नौकरी करता था. जानपहचान जल्द ही गहरी नजदीकियों में बदल गई. एक तरह से वे दानेों लिवइन रिलेशन में पतिपत्नी की तरह जीवन गुजारने लगे.

पूर्व पति की प्रौपर्टी पर थी निगाह…

एसएचओ ने उस से पूछा, ‘‘गुमान से तुम्हारा तलाक हो जाने के बाद जब तुम ने प्रेमी रंजीत के साथ अपनी जिंदगी की शुरुआत कर दी और गुमान को कोई आपत्ति नहीं थी, फिर तुम ने पति की हत्या क्यों की?’’ इस के जवाब में आशा ने कहा कि वह अपने प्रेमी के बहकावे में आ गई थी. इस के लिए उसे प्रेमी ने उकसा दिया था कि गुमान सिंह को हटा कर उस की प्रौपर्टी पर कब्जा किया जा सकता है.

अपने प्रेमी रंजीत को आशा ने गुमान की पारिवारिक स्थिति के बारे में पूरी जानकारी बता दी थी. गुमान की 2 बहनें हरिद्वार के लक्सर कस्बे में ब्याही गई थीं. उन में से एक देहरादून में अपने पति और परिवार के साथ रह रही थी. गुमान सिंह के एक भाई की मौत हो चुकी थी, जबकि उस का एक भाई लापता था. आशा जानती थी कि गुमान की मौत हो जाने पर उस की सारी प्रौपर्टी पर आसानी से कब्जा किया जा सकता है. आशा के प्रस्ताव को रंजीत ने स्वीकार कर लिया था. उस के बाद दोनों ने मिल कर योजना बनाई.

आशा और रंजीत द्वारा रची गई साजिश के मुताबिक 22 नवंबर, 2022 को आशा ने एक नया सिम खरीदा. उस ने बताया कि उसी नए नंबर से गुमान सिंह को फोन कर के बालूवाला मोहल्ला स्थित घर पर बुलाया. जब गुमान बालूवाला आ गया, तब रात को उस के खाने में नींद की गोलियां डाल कर उसे खाना खिला दिया. आधी रात को गुमान सिंह गहरी नींद सो गया था. उसी समय रंजीत एक रस्सी ले कर आया. बेहोशी की हालत में रंजीत के साथ मिल कर मैं ने रस्सी से उस का गला घोट डाला. कुछ देर छटपटाने के बाद उस की मौत हो गई.

तलाकशुदा आशा यादव ने गुमान की हत्या कराई थी, इसलिए पुलिस ने आशा का यह बयान दर्ज कर लिया. एसएचओ ने उसे भी हत्याकांड का सहअभियुक्त बना दिया गया. रंजीत नेगी, पुत्र वचन सिंह निवासी गांव गजा टिहरी गढ़वाल का रहने वाला है. पूछताछ में रंजीत नेगी ने भी आशा द्वारा दिए बयानों की पुष्टि की और पुलिस के सामने गुमान सिंह की हत्या की योजना में खुद को भागीदार बताया. दोनों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया. वहां से उन्हें हिरासत में ले कर जेल भेज दिया गया. इस हत्याकांड की विवेचना एसएचओ सहसपुर गिरीश नेगी कर रहे थे.

इश्क में अंधी फरजाना ने मरवाया बेटा

मुकीम का 11 साल का बेटा जीशान 20 फरवरी, 2023 को घर के बाहर खेलते समय अचानक लापता हो गया था. बेटे के इसतरह गायब हो जाने से मुकीम व घर के अन्य लोग चिंतित हो गए. काफी तलाश करने पर भी जीशान का कोई सुराग नहींमिला. उस दिन जीशान अपने पिता मुकीम के फलों की ठेले पर गया था. कुछ देर बैठने के बाद वह घर जाने को कह कर वहांसे चला गया था. जीशान के चचेरे भाई बिलाल ने भी उसे उस दिन शाम लगभग 3 बजे मोहल्ले में बच्चों के साथ कंचे खेलतेदेखा था. इस के बाद वह कहां चला गया, कोई नहीं बता पाया.

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के थाना शिकोहाबाद क्षेत्र का मोहल्ला रुकनपुर पजाया है. यहां के रहने वाले नसीरुद्ïदीनके 4 बेटों में सब से बड़ा रईस है. दूसरे नंबर का मुकीम जबकि तीसरे नंबर का अनीस व चौथे नंबर का नईम है. रईस मिस्त्रीका काम करता है जबकि अन्य तीनों भाई फल बेचते हैं.मुकीम के परिवार में उस की 26 वर्षीय पत्नी फरजाना के अलावा 3 बच्चे थे. इन में सब से बड़ा 11 साल का बेटा जीशान था.

नसीरुद्ïदीन का संयुक्त परिवार है.नईम के बड़े बेटे जीशान के लापता हो जाने पर मां व जीशान के छोटे भाईबहनों का बुरा हाल था. बच्चे मां से पूछ रहे थे, अम्मी भाईजान कहां चले गए हैं. लेकिन अम्मी के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था. वह किसी तरह बच्चों के सामनेअपने आसुंओं को रोके हुए थी. जीशान नगर के मोहल्ला लाला की सराय स्थित अब्दुल करीम एकेडमी में एलकेजी में पढ़ताहै.

परेशान पिता मुकीम को मोहल्ले के लोगों ने सलाह दी कि इस बारे में बिना देर किए थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दे. दूसरे दिनभी जब जीशान का कोई सुराग नहीं मिला, तब मुकीम भाइयों के साथ 21 फरवरी को शिकोहाबाद थाने पहुंचा औरएसएचओ हरवेंद्र सिंह को बेटे के लापता होने की सूचना दी.तब एसएचओ ने मुकीम से पूछा, ‘‘तुम्हारी मोहल्ले में किसी से दुश्मनी तो नहीं है? बदला लेने के लिए उस ने तुम्हारे बेटे काअपहरण कर लिया हो.’’इस पर मुकीम ने बताया कि उस की किसी से कोई रंजिश नहीं है.

रिक्शा चालक ने दी खास जानकारी…

इस से पहले खलील नाम का ईरिक्शा चालक, जो मुकीम को जानता था, मिला. उस ने मुकीम को बताया कि तुम अपने बेटेको तलाश कर रहे हो, उसे मैं ने फरमान के साथ 20 फरवरी को देखा था. फरमान की बाइक खराब होने पर दोनों मेरेईरिक्शे में बैठ कर बाइक सहित रेलवे स्टेशन से आए थे. उन्हें मैं ने एटा तिराहे पर छोड़ा था.इस जानकारी के बाद मुकीम एसएचओ हरवेंद्र सिंह से मिला और उन्हें पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी.फरमान मुकीम का चचेरा भाई था. मुकीम ने बेटे जीशन का अपहरण करने में चचेरे भाई फरमान निवासी कुरेसियानमसजिद के निकट, कटरा मीरा पर शक जाहिर किया. उस ने बताया कि जीशान अपने चचेरे चाचा फरमान से बहुत प्यारकरता था और ज्यादातर उस के साथ रहता था. 20 फरवरी को भी फरमान के साथ ही जीशान था. इस पर पुलिस नेफरमान के खिलाफ भादंवि की धारा 363 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

11 वर्षीय बच्चे के अपहृत हो जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएसपी आशीष तिवारी ने संज्ञान लेते हुए एएसपी(ग्रामीण) रणविजय सिंह व सीओ देवेंद्र सिंह के निर्देशन में पुलिस टीम गठित कर घटना के शीघ्र परदाफाश के निर्देश दिए.पुलिस टीम में एसएचओ हरवेंद्र सिंह, एसओजी प्रभारी आलोक मिश्रा, एसएसआई अशोक कुमार, एसआई नितिन कुमारत्यागी, आशीष कुमार, हैडकांस्टेबल रोहताश कुमार, अमन छोंकर, उग्रसेन, ज्ञान सिंह, विशाल सिंह, प्रशांत कुमार, करनसिंह, अमित चौहान, अनिल गुप्ता, कांस्टेबल प्रवीण कुमार, देवेंद्र सिंह को शामिल किया गया.

पुलिस टीम ने तब इलैक्ट्रोनिक साक्ष्यों को एकत्रित किया. उधर पुलिस को अपने मुखबिर से गोपनीय जानकारी मिली किमुकीम की पत्नी फरजाना और चचेरे भाई फरमान के बीच प्रेम संबंध हैं. पुलिस ने मुकीम, खलील व संदिग्ध फरमान सेगहनता से पूछताछ की.इस के लिए पुलिस ने फरमान को 24 फरवरी को हिरासत में ले कर थाने लाई. थाने में फरमान ने बताया कि वह जीशान केसाथ छैंकुर की दरगाह पर गए थे, लेकिन रास्ते में बाइक खराब होने पर वे आटो से वापस आ गए थे.एटा रोड पर एक दुकान पर उस ने बाइक सही कराई थी. इस के बाद मैं उसे उस के घर के पास नाइयों वाली मसजिद केनिकट छोड़ कर अपने घर चला गया था.

पुलिस ने फरमान की बात की सत्यता जानने के लिए जांच की, तब पता चला कि एटा रोड पर फरमान अपने चचेरे भतीजेजीशान को एक जगह पर बैठा कर दूसरी जगह बाइक सही कराने चला गया था. इस के बाद वह बाइक सही करा करजीशान को उस पर बैठा कर ले गया था. तभी से जीशान नहीं मिल रहा था.इस से स्पष्ट हो गया कि जीशान फरमान के कब्जे में ही है. लेकिन सवाल यह था कि फरमान ने ऐसा क्यों किया और अब वह झूठ क्यों बोल रहा है? पुलिस चाहती थी कि बच्चे को किसी तरह आरोपी के चंगुल से सहीसलामत बरामद कर लिया जाए.

मां फरजाना बनी हत्यारिन…

तब पुलिस ने देर किए बिना मुकीम की पत्नी फरजाना को 25 फरवरी, 2023 को उस के मकान से हिरासत में ले लिया. थानेमें फरमान को बैठा देख कर फरजाना के माथे पर पसीना आ गया. तब महिला पुलिस ने अलग ले जा कर उस से पूछताछशुरू की.फरजाना ने कहा कि उसे जीशान के बारे में कुछ पता नहीं है. वह अपने अब्बू की ठेली पर गया था, वहां से वह घर जाने कीकह कर चला गया था, लेकिन वह घर नहीं आया. फिर वह कहां चला गया, उसे नहीं मालूम.

“तुम सरासर झूठ बोल रही हो. फरमान और तुम ने मिल कर जीशान को गायब करने के बाद उस की हत्या कर दी है.’’एसएचओ हरवेंद्र सिंह ने कहा.

एसएचओ का अंधेरे में चलाया गया तीर निशाने पर जा लगा. फरजाना ने इस बात पर छूटते ही कहा, ‘‘मैं ने कुछ नहींकिया, सर. जो कुछ किया फरमान ने किया. उस ने जीशान को नहर में धक्का दे कर डुबो कर मार दिया है.’’यह सुनते ही पुलिस सकते में आ गई. थाना शिकोहाबाद में जीशान हत्याकांड का खुलासा हो चुका था.अब पुलिस ने फरमान के साथ सख्ती दिखाते हुए उस से पूछताछ शुरू की.

फरमान ने बताया कि फरजाना और उस के प्यारमें जीशान बाधक बना हुआ था. इस कारण कई बार परिवार में झगड़ा भी हुआ था और समाज में उस की बदनामी भी होरही थी.हम दोनों ने आपस में विचार करने के बाद उसे रास्ते से हटाने का निर्णय लिया. उसे बाइक से ले जा कर छीछामई पुल सेनहर में फेंक दिया था. जुर्म कुबूल करने के बाद पुलिस दोनों आरोपियों को नहर पर ले गई और जीशान की तलाश शुरू करदी. नहर में काफी तलाश करने पर भी जीशान की लाश नहीं मिली. पुलिस और गोताखोरों के साथ घर वाले भी लाश तलाशकरते रहे.

5वें दिन मिली जीशान की लाश…

कई दिन तक नहर में जीशान की तलाश पुलिस व घर वाले करते रहे, लेकिन लाश नहीं मिली. अनुमान लगाया गया किलाश पानी के तेज बहाव में बह कर आगे निकल गई होगी. क्योंकि यदि लाश कहीं अटक गई होती तो अब तक फूल कर पानी से ऊपर आ जाती. इस पर आगे तलाश शुरू की गई. आखिर पांचवें दिन यानी 24 फरवरी, 2023 को इटावा जिले के थाना बलरई क्षेत्र के अंतर्गत नहर पुल के पास एक बच्चे की लाश तैरती हुई दिखाई दी. बच्चे की लाश देख कर वहां के लोगों ने थाना बलरई में सूचना दी.

जीशान की हत्या कर शव को नहर में फेंक देने की खबर तब तक फैल चुकी थी. बलरई पुलिस ने शिकोहाबाद थाना पुलिस को बच्चे की लाश बरामद करने की सूचना दे दी. इस पर पुलिस जीशान के परिजनों के साथ वहां पहुंच गई. लाश को देखते ही मृतक बच्चे के बाबा ने उस की शिनाख्त जीशान के रूप में कर ली. प्यार की खातिर अपने कलेजे के टुकड़े का एक मां इस तरह कत्ल भी करा सकती है, जान कर सब हैरान थे. परिवार में जैसेही जीशान का शव नहर से बरामद होने की खबर मिली, कोहराम मच गया. वृद्ध बाबादादी का रोरो कर बुरा हाल हो गया.

यूपी फिरोजाबाद के जीशान मर्डर की खबर क्षेत्र में फैल चुकी थी. सभी पत्थर दिल मां फरजाना को कोस रहे थे.पुलिस ने अब अपहरण के केस को हत्या की धाराओं में तरमीम कर दिया था. आरोपियों के खिलाफ भादंवि की धारा 364,302, 201 व 120बी के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया.प्रैस कौन्फ्रैंस में एसपी (ग्रामीण) रणविजय सिंह ने घटना का परदाफाश करते हुए बताया कि देवरभाभी का प्यार जीशानपर भारी पड़ गया, वह फरजाना और फरमान के अवैध संबंधों में बाधक बना हुआ था, इसलिए उसे रास्ते से हटाने के लिएनहर में फेंक कर उस की हत्या कर दी गई.पुलिस ने प्रेमी देवर फरमान व प्रेमिका भाभी फरजाना को गिरफ्तार कर लिया है.

पति सुख से वंचित थी फरजाना…

32 वर्षीय पति मुकीम पिछले 2 साल से बीमार चल रहा था. बीमारी के चलते मुकीम शारीरिक रूप से काफी कमजोर होगया था. वह अपनी फलों के ठेली पर भी कम बैठ पाता था. पत्नी फरजाना को पति सुख नहीं दे पा रहा था. फल की ठेली सेबीमार और थकाहारा मुकीम जब घर आता, खाना खा कर सो जाता. फरजाना कसमसा कर रह जाती. वह बिना पानी की मछली की तरह तड़पती रहती. गठे बदन का अच्छी डीलडौल वाला, देखने में सुंदर देवर फरमान का उस के घर आनाजाना था. हमउम्र होने और पति सुख सेवंचित होने के कारण फरजाना का झुकाव चचेरे देवर फरमान की ओर हो गया.फिर क्या था, एक दिन 27 वर्षीय फरजाना और 25 वर्षीय फरमान के बीच अवैध संबंध हो गए.

फरजाना फोन पर फरमान से बतियाती रहती थी. पति जब काम पर चला जाता तो मौका देख कर वह उसे घर भी बुलालेती थी. उधर अविवाहित फरमान ने अच्छा मौका देख कर चचेरे भतीजे जीशान से भी दोस्ती कर ली थी. वह उस परकाफी पैसे खर्च करता था. उसे अपनी बाइक से घुमाने भी ले जाता था. जीशान फरमान को प्यार तो जरूर करता था, लेकिन उस की अम्मी के साथ फरमान जो हरकतें करता था, वह उसे पसंदनहीं आती थीं. देवरभाभी का प्यार परवान चढ़ रहा था.

जीशान बन रहा था प्रेम संबंधों में बाधक…

मां के अवैध संबंधों में बेटा जीशान बाधक बन रहा था. वह रोकटोक करने के साथ ही मां व चाचा के अवैध संबंधों की जानकारी अपने पिता को देने लगा था. इसी कारण मां ने अपने बेटे की हत्या करने की योजना बनाई. वैसे भी प्यारमोहब्बत की बातें ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रहतीं. इस बात की जानकारी जब मुकीम को हुई तो उस ने पत्नी को फरमान से दूर रहने की हिदायत दी, लेकिन फरजाना की आदतों में कोई बदलाव नहीं आया. इस के चलते घर में आए  दिन लड़ाईझगड़ा होने लगा.

बढ़ते झगड़े के कारण तब फरमान ने फरजाना के घर आना बंद कर दिया. लेकिन अपने 2 साल से चल रहे प्रेम संबंधों को भुला नहीं सका. अब दोनों मोबाइल पर ही बात कर लेते थे. जब भी दोनों को मिलना होता, फरमान फरजाना को किसी गेस्टहाउस में बुला लेता. वहां दोनों अपने तन की प्यास बुझा लेते थे, लेकिन फरमान ने जीशान से मिलनाजुलना नहीं छोड़ा था. उस के प्रति उस का व्यवहार पहले जैसा ही प्यार भरा रहा. फरजाना फरमान के बीच अवैध संबंध बने रहे.

घटना से कुछ दिन पहले एक गेस्टहाउस में शादी समारोह था. फरजाना अपने बेटे जीशान व भतीजे बिलाल के साथ शादी में शामिल होने गई थी. वहां फरमान भी आया हुआ था. यहां प्रेमीप्रेमिका एकदूसरे से एक कमरे में मिले. इसी दौरान बेटे जीशान ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. इस बात से दोनों डर गए.

रास्ते से हटाने की बनाई योजना…

प्रेमीप्रेमिका को अब डर सताने लगा था. जीशान उन के प्रेम संबंध में बाधक बन रहा था. वह अम्मी और चाचा फरमान के संबंधों के बारे में अपने पिता मुकीम को सब कुछ बता देता था. उन्हें डर था कि जीशान यह बात भी न बता दे, इसलिए फरजाना ने देवर के प्यार में बेटे की हत्या करने का फैसला ले लिया. इस बारे में उस ने फरमान के साथ योजना बनाई.

आरोपी फरमान ने अपनी योजना को कार्यरूप देने के लिए 8 फरवरी को अपना मोबाइल नंबर बंद कर दिया तथा 16 फरवरी को एक नया सिमकार्ड खरीदा. फरमान ने यह बात फरजाना को बता दी. जीशान की हत्या से पहले व बाद में इस सिम के द्वारा ही प्रेमिका फरजाना से बातचीत की. दोनों ने इस नृशंस घटना को मिल कर योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया.

जीशान चाचा को करता था बहुत प्यार…

पुलिस द्वारा हत्या का परदाफाश किए जाने के बाद हर कोई हैरान था. मासूम बच्चा जीशान अपने चाचा फरमान से बहुत प्यार करता था. उसे जब भी समय मिलता, वह चाचा फरमान के पास उस से बतियाने पहुंच जाता था. जब मां और चाचा ने उस की हत्या का प्लान बनाया, तब भी उसे दोनों पर शक नहीं हुआ. घटना वाले दिन फरमान ने कहा, ‘‘जीशान, चलो आज बाइक से छैंकुर की दरगाह घूम आते हैं.’’ चाचा के कहने पर वह खुशीखुशी उस के साथ बाइक पर बैठ कर आराम से चला गया.

शिकोहाबाद की यह नहर गंगा नहर की भोगनीपुर शाखा कहलाती है. यह शिकोहाबाद को पार कर आगे बढ़ती है. इसी नहर के किनारे शिकोहाबाद रेलवे स्टेशन के पास बाबा छैंकुर की बरसों पुरानी दरगाह है. यहां हर साल मई के महीने में 3 दिवसीय उर्स व मेले का आयोजन किया जाता है. दरगाह के पास ही नहर पर लोहे का पुल बना हुआ है. पहले फरमान का इरादा उसी पुल से जीशान को नहर में फेंकने का था, लेकिन रास्ते में बाइक खराब हो जाने पर उस ने इरादा बदल दिया. उस का मानना था कि छैंकुर बाबा इस में बच्चे की मदद कर रहे हैं.

नहीं पसीजा चाचा का दिल…

बाइक सही कराने के बाद फरमान दोबारा जीशान को ले कर आया. तब प्रेम संबंधों में बाधक बन रहे जीशान को फरमान दूसरे रास्ते से गांव छीछामई ले गया. वहां स्थित भोगनीपुर नहर पुल से उसे नहर में फेंक दिया. यह स्थान उस ने इसलिए चुना क्योंकि यहां पर लोगों का आवागमन कम रहता है, ज्यादातर यह रास्ता सुनसान रहता है. जीशान नहर में गिरने के बाद बाहर निकलने के लिए छटपटाता रहा, वह चाचा से बचाने की गुहार लगाता रहा. लेकिन इश्क में अंधे चाचा का दिल नहीं पसीजा.

जीशान कहीं जिंदा न बच जाए, यह सोच कर फरमान तब तक पुल पर खड़ा रहा, जब तक जीशान पूरी तरह से पानी में डूब नहीं गया. कुछ देर में पानी की लहरों ने मासूम को अपनी आगोश में समेट लिया. इस के बाद फरमान अपने घर के लिए चल दिया. उस ने नए फोन नंबर से इस बारे में प्रेमिका फरजाना को भी अवगत करा दिया कि काम हो गया है. अब दोनों निश्चिंत थे कि उन के प्यार की राह का रोड़ा बन रहा जीशान अब इस दुनिया में नहीं रहा.

5वें दिन जैसे ही बेटे जीशान की लाश मिली, पिता मुकीम बदहवास हो गया. वह बारबार यही कह रहा था कि मेरा बेटा जीशान मेरा सहारा था. वह स्कूल से आने के बाद फल के ठेले पर मेरा हाथ बंटाया करता था. चचेरा भाई फरमान घर में आताजाता था, लेकिन यह नहीं पता था कि एक दिन वह मुझ से मेरे बेटे को छीन लेगा. यह कहतेकहते वह आंसुओं के सैलाब में डूब गया.

पोस्टमार्टम के बाद शाम 5 बजे जीशान का शव घर ले आया गया. शव आते ही सैकड़ों लोगों की भीड़ जुट गई. कलियुगी मां फरजाना द्वारा कराई गई जीशान की हत्या से बस्ती में आक्रोश भी दिखाई दिया. पिता और छोटे भाईबहनों को बिलखता देख बस्ती वालों की आंखें भी नम हो गईं. पुलिस की मौजूदगी में जीशान के शव को सुपुर्दे खाक किया गया. अंतिम संस्कार से पहले बेटे को आखिरी बार देखने के लिए मां फरजाना नहीं पहुंच सकी क्योंकि वह पुलिस हिरासत में थी.

पुलिस ने प्यार में अंधी हुई मां और उस के प्रेमी देवर फरमान को 25 फरवरी, 2023 को न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया. एक कलियुगी मां ने अपने कलेजे के टुकड़े की इश्क में हत्या कर दी, लेकिन उसे कुछ हासिल नहीं हुआ.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

होम डिलीवरी में मिला प्यार

देवरानी-जेठानी की शातिर चाल

नौकरी के लिए सुहाग को मिटाया

इंटरनेट ने दिया पति को पत्नी की हत्या का तरीका

आशिक के प्यार में पति से की बेवफाई

मुंबई की ग्लोबल सिटी विरार वेस्ट के गोकुल, राऊत सोसायटी की गोकुल एंपायर इमारत में 40 साल की शिल्पी वर्मा अपने 50 साल के पति सरवेंद्र वर्मा और 20 साल की एकलौती बेटी के साथ रहती थी. सरवेंद्र वर्मा एक कंपनी में मैनेजर थे तो बेटी पढ़ाई कर रही थी. 2 फरवरी, 2016 को शिल्पी सहेली नूपुर श्रीवास्तव के साथ विरार के एक मौल से शौपिंग कर के लौट रही थी, तभी पुराने विभा कालेज और केएफसी रेस्टोरैंट के बीच उन की कार एक आदमी से टकरा गई.

उस आदमी की उम्र 30-35 साल रही होगी. टक्कर लगते ही वह आदमी जमीन पर गिर पड़ा. इस हादसे से शिल्पी और नूपुर घबरा गईं. दोनों सहेलियां अपनी गलती के लिए माफी मांगतीं, उस के पहले ही वह आदमी उठ कर कार का बोनट पीटते हुए चिल्ला कर कहने लगा, ‘‘आप लोग आंखें बंद कर के कार चलाती हैं. आप लोगों को सड़क पर चलने वाला आदमी दिखाई नहीं देता?’’ नूपुर और शिल्पी ने सौरी कहा तो वह आदमी और जोर से चिल्लाया, ‘‘आप के सौरी कह देने से मेरी टांग ठीक हो जाएगी क्या? चलिए आप लोग चल कर मेरी टांग का इलाज कराइए. उस के बाद जाइए.’’

यह कह कर वह आदमी कार का पिछला दरवाजा खोल कर कार के अंदर बैठ गया. शिल्पी और नूपुर उस आदमी को कुछ पैसे दे कर अपना पीछा छुड़ाना चाहती थीं, पर वह नहीं माना. जब उस आदमी ने देखा कि वहां भीड़ इकट्ठा हो रही है तो उस ने शिल्पी को डांट कर कार आगे बढ़ाने को कहा.

शिल्पी उसे ले कर कुछ दूर गई होगी कि उस आदमी ने रूमाल में छिपी रिवौल्वर जैसी कोई चीज दिखाते हुए कहा, ‘‘मैं जैसा कहूं तुम वैसा ही करो, वरना मैं तुम दोनों को गोली मार दूंगा.’’ ‘‘नहीं, आप को ऐसा कुछ भी करने की जरूरत नहीं है.’’ शिल्पी ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, ‘‘आप जैसा कहेंगे, मैं वैसा ही करूंगी.’’ इस के बाद वह आदमी जैसे कहता रहा, शिल्पी उसी तरह कार चलाती रही. करीब 2 घंटे तक वह उस आदमी के कहे अनुसार नवनिर्माण ग्लोबल सिटी की सड़कों पर कार को घुमाती रही. करीब 5 बजे उस की कार विरार के डोंगर पाड़ा रोड़ पर पहुंची तो कार का अगला टायर फट गया और कार बिजली के खंभे से टकरा गई.

कार रुक गई तो उस आदमी ने दोनों महिलाओं को कार से नीचे उतारा और एक औटो रुकवा कर उस में शिल्पी को बैठा कर नूपुर को इस तरह धक्का दिया कि वह जमीन पर गिर पड़ी. वह उठ पाती, उस के पहले ही वह शिल्पी को ले कर चला गया.  फिल्मी स्टाइल में घटी इस घटना से नूपुर हैरान थी. उस ने शोर भी मचाया, पर लोगों के इकट्ठा होने तक वह आदमी शिल्पी को ले कर चला गया था. नूपुर ने जब यह बात शिल्पी के घर जा कर उस के पति सरवेंद्र वर्मा और बेटी को बताई तो दोनों परेशान हो उठे. उस समय तक रात के साढ़े 8 बज चुके थे.

वे नूपुर श्रीवास्तव को साथ ले कर थाना आगासी अरनाला पहुंचे और असिस्टैंट इंसपेक्टर संदीप शिवले को सारी बात बता कर शिल्पी वर्मा के अपहरण का मुकदमा दर्ज करा दिया. मामला एक संभ्रात परिवार की महिला के अपहरण का था, इसलिए संदीप शिवले ने तुरंत घटना की जानकारी एसपी शारदा राऊत, एएसपी श्रीकृष्ण कोकाटे और डीएसपी नरसिंह भोसते के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम को दे कर थाने में मौजूद स्टाफ को मामले की जांच में लगा दिया.

आमतौर पर अपहरण जैसे मामले पैसों के लिए या दुश्मनी में किए जाते हैं. शुरू में पुलिस को यही लगा कि यह अपहरण भी पैसे के लिए किया गया होगा, इसलिए पुलिस अपहर्त्ता के फोन का इंतजार करने लगी. लेकिन जब अगले दिन तक अपहर्त्ता का कोई फोन नहीं आया तो संदीप शिवले को लगा कि यह अपहरण पैसे के लिए नहीं किया गया. इस में कोई और ही बात है.

वह इस मामले का हल ढूंढ ही रहे थे कि मीडिया ने इस मामले को हवा दे दी, जिस की वजह से पुलिस जांच में तेजी आ गई. संदीप शिवले ने हैडकांस्टेबल मंदार दलवी, आर.डी. बेलधर, मुकेश पवार, अमोल तटकरे, प्रियंका पाटिल, योगिता भोईर और अमोल कांटे की एक टीम बना कर ग्लोबल सिटी की सड़कों पर लगे सारे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखने को कहा. इस से उस औटो के बारे में पता चल गया, जिस से शिल्पी को ले जाया गया था.

औटो वाले से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि दोनों को उस ने बसई के परिजात गेस्टहाउस के पास छोड़ा था. वे हड़बड़ी में अपना एक मोबाइल फोन उस के औटो में ही छोड़ गए थे. उस ने गलती मानते हुए कहा कि उस मोबाइल का सिम निकाल कर उस में अपना सिम डाल कर वह उस का उपयोग करने लगा था. लेकिन उस ने पुलिस को हैरान करने वाली बात यह बताई कि उस के औटो से जो महिला और आदमी गए थे, वे औटो में पतिपत्नी जैसा व्यवहार कर रहे थे, जबकि उस से कहा जा रहा कि आदमी ने महिला का अपहरण किया था.

उन के बातव्यवहार से उसे अपहरण जैसा कुछ नहीं लग रहा था. इस से संदीप शिवले को शिल्पी का चरित्र संदिग्ध लगा. लेकिन शिल्पी की उम्र को देखते हुए उन के मन में एक बार यह भी आया कि औटो वाले को भ्रम भी तो हो सकता है, उन्होंने सरवेंद्र वर्मा और उन की बेटी को थाने बुला कर औटो वाले को मिला मोबाइल दिखाया तो उन्होंने बताया कि यह मोबाइल शिल्पी का ही है.

पुलिस ने बसई के परिजात गेस्टहाउस जा कर वहां के कर्मचारियों को शिल्पी का फोटो दिखा कर पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि यह महिला उन के गेस्टहाउस में अपने पति के साथ पिछले 3 दिनों से ठहरी थी. पुलिस के आने के कुछ घंटे पहले ही दोनों वहां से गए थे. पुलिस को जैसी उम्मीद थी कि दोनों ने गेस्टहाउस के रजिस्टर में अपना सही नामपता नहीं लिखा होगा, वह सच था. रजिस्टर में जो नामपता लिखा था, उस की जांच की गई तो वह झूठा पाया गया. इस के बाद जांच आगे बढ़ाने के लिए पुलिस ने शिल्पी के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस में एक नंबर ऐसा मिला, जिस पर 3 महीने पहले सिर्फ एक बार फोन किया गया था.

वह नंबर पुलिस को संदिग्ध लगा तो पुलिस ने उस नंबर के बारे में पता किया. पता चला कि वह नंबर आगरा के किसी अमरीश कुमार का था, लेकिन वह नंबर अब बंद हो चुका था. मुंबई पुलिस आगरा पहुंची तो पता चला अमरीश कुमार तो 3 महीने पहले दुबई चला गया था. पुलिस खाली हाथ लौट आई. इसी तरह 10 दिन बीत गए, पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा. 14 फरवरी, 2016 को मोबाइल के आईएमईआई नंबर की मदद से पुलिस पंजाब के लुधियाना शहर की एक दुकान पर पहुंची और वहां से शिल्पी और अमरीश कुमार को गिरफ्तार कर लिया.

अमरीश कुमार ने उस दुकान पर अपना मोबाइल फोन ठीक कराने के लिए दिया था. दोनों को मुंबई ला कर थाना आगासी पुलिस ने वसई की अदालत में मैट्रोपौलिटन मजिस्ट्रैट श्रीमती धारे के समक्ष पेश कर विस्तार से पूछताछ के लिए 3 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड के दौरान की गई पूछताछ में पता चला कि प्रेमी के साथ रहने के लिए शिल्पी ने खुद ही अपहरण का ड्रामा रचा था.

30 साल का अमरीश कुमार उत्तर प्रदेश के आगरा शहर का रहने वाला था. वह वहां के एक थ्री स्टार होटल में सेफ था. शिल्पी वर्मा से उस की जानपहचान कोई 4 साल पहले सोशल मीडिया फेसबुक के माध्यम से हुई थी. दोस्त बनने के बाद पहले दोनों के बीच फेसबुक द्वारा चैटिंग शुरू हुई, उस के बाद सीधे फोन से बात होने लगी. इस का नतीजा यह निकला कि दोनों में प्यार हो गया. उस समय शिल्पी पति और बेटी के साथ कोलकाता में रहती थी. उसे पता था कि शिल्पी उस से 10 साल बड़ी थी. इस के बावजूद अमरीश के प्यार में जरा भी कमी नहीं आई. मूलरूप से बिहार के पटना शहर की रहने वाली शिल्पी की शादी सन 1993 में दिल्ली के रहने वाले सरवेंद्र वर्मा के साथ हुई थी. सरवेंद्र कोलकाता में रहते थे, इसलिए वह भी पति के साथ वहीं रहने लगी थी. सरवेंद्र वहीं एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी करते थे.

पति के नौकरी और बेटी के स्कूल जाने के बाद शिल्पी घर में अकेली रह जाती तो बोर होने लगती. इस के अलावा न जाने क्यों पति और बेटी का व्यवहार भी उस के प्रति ठीक नहीं था. चैटिंग और बातचीत के बाद शिल्पी और अमरीश एकदूसरे के काफी करीब आ गए. बातचीत में उन के बीच मर्यादा की कोई सीमा नहीं रह गई थी. दोनों एकदूसरे से खुल कर बातें करने लगे थे. इस का नतीजा यह निकला कि दोनों मिलने के लिए बेचैन हो उठे. उन की यह बेचैनी तभी शांत हुई, जब अमरीश कोलकाता जा पहुंचा. शिल्पी ने अपनी दोनों बांहें फैला कर उस का स्वागत किया. जब तक अमरीश कोलकाता में रहा, शिल्पी ने उस का हर तरह से खयाल रखा. एक बार दोनों की मुलाकात हुई तो सिलसिला ही चल निकला. अमरीश को जब भी मौका मिलता, वह शिल्पी से मिलने कोलकाता पहुंच जाता. फिर तो दोनों साथसाथ रहने के सपने देखने लगे.

अपने इस सपने को पूरा करने के लिए शिल्पी जब सन 2013 में कोलकाता से पति और बेटी के साथ दिल्ली अपनी ससुराल आ रही थी तो दिल्ली पहुंचने से पहले ही गायब हो गई. 4 दिनों की अथक कोशिश के बाद पुलिस ने शिल्पी और अमरीश को उस के मोबाइल फोन के जरिए कानपुर के  एक लौज से बरामद किया. शिल्पी की यह हरकत सरवेंद्र और उस के घर वालों को काफी नागवार लगी. अब वह शिल्पी को अपने साथ रखना नहीं चाहते थे, लेकिन रिश्तेदारों के समझाने पर उसे चेतावनी दे कर साथ रख लिया था. पर शिल्पी पर उन की चेतावनी का कोई असर नहीं हुआ. वह अमरीश को भूल नहीं पाई आौर मौका मिलने पर अमरीश से फोन पर बातें करती रही.

पत्नी की हरकतों से तंग आ कर सरवेंद्र ने सन 2015 में अपना ट्रांसफर मुंबई करा लिया. मुंबई में उन्हें विरार की नवनिर्माण ग्लोबल सिटी में रहने के लिए बढि़या फ्लैट मिला ही था, आनेजाने के लिए कार भी मिली थी. हर सुखसुविधा होने के बावजूद शिल्पी का मन नहीं लग रहा था. उस का मन तो अमरीश में बसा था. वह उस के साथ खुले आकाश में उड़ने के लिए तड़प रही थी. बापबेटी शिल्पी की हर गतिविधि पर नजर रख रहे थे, लेकिन उस की हरकतें बंद नहीं हुईं. वह किसी न किसी तरह अमरीश से बातें कर ही लेती थी. इस के लिए वह अलग मोबाइल रखती थी, जिस से वह सिर्फ अमरीश से ही बातें करती थी. मुंबई आने के बाद वह अमरीश से मिल नहीं पा रही थी,

इसलिए उस ने उस के साथ भाग जाने की योजना बनाई. इस बार वह उस के साथ इस तरह भागना चाहती थी कि घर वालों की तो छोड़ो, पुलिस उन तक न पहुंच सके. इसीलिए इस बार उस ने भागने को अपहरण के ड्रामे में बदल दिया. लेकिन इस बार भी वह मोबाइल नंबर के जरिए ही पकड़ी गई.

योजना के अनुसार, अमरीश ने 3 महीने पहले यह कह कर घर छोड़ दिया कि उसे दुबई में नौकरी मिल गई है. घर वालों से झूठ बोल कर वह पंजाब के शहर लुधियाना चला गया. वह शेफ का काम जानता ही था, इसलिए उसे वहां एक रेस्टोरेंट में नौकरी मिल गई. इस के बाद वह शिल्पी को भगाने की तैयारी करने लगा. शिल्पी को भगाने के 3 दिन पहले यानी 30 जनवरी को अमरीश लुधियाना से मुंबई पहुंचा तो शिल्पी उस के साथ भागने की तैयारी करने लगी. घर वालों को अमरीश के साथ भाग जाने का संदेह न हो, इस के लिए उस ने सीधे भागने के बजाय अपने अपहरण का ड्रामा रचा, जिस में वह सफल भी रही.

लुधियाना पहुंच कर अमरीश और शिल्पी निश्चिंत हो गए थे और देश छोड़ कर दुबई जाने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन शिल्पी ने 3 महीने पहले जो गलती की थी, उसी की वजह से पुलिस ने उसे पकड़ लिया. शिल्पी और अमरीश कुमार ने किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया था, वे बालिग भी थे, इसलिए उन पर कोई अपराध नहीं बनता था. लेकिन अपने अपहरण का ड्रामा रच कर उस ने पुलिस को गुमराह करने का अपराध किया था. इसलिए पुलिस ने उसी का मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया. चूंकि उन का यह अपराध जमानती था, इसलिए जल्दी ही उन की जमानतें हो गईं. जमानत होने के बाद शिल्पी ने पति के साथ जाने से मना कर दिया और प्रेमी अमरीश से विवाह कर के उसी के साथ रह रही है.


 

देवरानी-जेठानी की शातिर चाल – भाग 3

हत्या के लिए दी 2 लाख की सुपारी…

इरफान को एक दिन संगीता घर ले आई. उस ने ससुर कमलेश्वर और पति को बताया कि इरफान पहुंचा हुआ तांत्रिक है. वह सुजीत और अजीत की शराब छुड़वा देगा. शुरू में कमलेश्वर ने इरफान पर विश्वास किया. जब बारबार इरफान तंत्र क्रियाएं करने के बहाने उन के घर आने लगा तो कमलेश्वर और अजीत को बुरा लगने लगा. लेकिन वह इरफान को घर आने से नहीं रोक पाए.

सुजीत की हत्या से 20 दिन पहले भी संगीता ने इरफान को अपने घर बुलाया था. इरफान ने सुजीत की फोटो रख कर तांत्रिक क्रियाएं कीं. अजीत घर में था, उसे संगीता ने बुलाया लेकिन वह तांत्रिक अनुष्ठान में नहीं आया. इरफान ने सुजीत की पैंट सामने रख कर उस पर कुछ फेंका तो वह जलने लगी. इरफान ने विमला को विश्वास दिलाया कि आज के बाद सुजीत शराब को हाथ नहीं लगाएगा.

लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सुजीत पहले की तरह शराब पी कर आता और बातबात पर विमला की पिटाई कर देता. इस से विमला पूरी तरह सुजीत की दुश्मन बन गई. उस ने जेठानी संगीता से कहा कि शराबी पति सुजीत की हत्या कराकर उसे छुटकारा दिलवा दे. वह इस के लिए लाख-2 लाख खर्च कर देगी.

संगीता ने इरफान को सुजीत की हत्या करने के लिए उकसाया तो उस ने 2 लाख रुपए की सुपारी मांगी. संगीता ने स्वीकार कर लिया. वह सुपारी देकर हत्या कराने को तैयार हो गई. विमला ने इरफान को पेशगी के 23 हजार रुपए दे दिए. तीनों ने एक दिन सिर जोड़ कर प्लान बनाया कि सुजीत को कैसे खत्म करना है.

सुजीत का एक दोस्त था नींबू. संगीता ने इरफान को नींबू से दोस्ती कर के सुजीत तक पहुंचने का रास्ता सुझाया. विमला ने अपने पति सुजीत का मोबाइल नंबर इरफान को दे दिया. इरफान ने नींबू से दोस्ती करने के लिए उस के पास आनाजाना शुरू कर दिया. वह नींबू के लिए शराब ले जाता था. धीरेधीरे नींबू ने इरफान की दोस्ती कुबूल कर ली.

22 जनवरी को इरफान ने नींबू से सुजीत को फोन करवाया कि उस का दोस्त आज शराब की दावत दे रहा है. उसे लेने वह घर आ रहा है. सुजीत शराब की दावत होने की बात से खुश हो गया. वह नींबू का इंतजार करने लगा. प्लान के अनुसार इरफान अपने एक साथी रामरतन के साथ उस के पास आ गया. उस ने बताया कि नींबू ने उसे लेने के लिए भेजा है.

“नींबू कहां पर है?’’ सुजीत ने पूछा.

“उसे बोतल खरीदने के लिए ठेके पर भेजा है. चलो, वह हमें ठेके पर मिल जाएगा.’’ रामरतन ने कहा. सुजीत फंस गया जाल में वह इको कार ले कर आए थे. सुजीत उस कार में बैठ गया. कार में पहले से ही पुष्पेंद्र, वतन सिंह और आरिफ बैठे हुए थे. इरफान के इशारे पर कार को वारहपत्थर के एक ढाबे पर ले गए. वहीं पर शराब का ठेका था. नींबू को देखने के बहाने से पुष्पेंद्र का साढ़ू रामरतन ठेके पर गया और 3 बोतल शराब खरीद लाया. उस ने एक बोतल में नशे की 15 गोलियां डाल दीं. ये गोलियां पुष्पेंद्र दातागंज के एक कैमिस्ट से पहले ही खरीद कर ले आया था और रामरतन को दे दी थी.

ढाबे पर आ कर बोतलें खोली गईं. ढाबे से चिकन खरीदा गया. उन्होंने पार्टी शुरू की. रामरतन ने सुजीत को उसी बोतल की शराब पिलाई, जिस में नशे की गोलियां मिलाई गई थीं. जब शराब पी कर सुजीत बेहोश हो गया तो वे लोग उसे कार में बिठा कर फरीदपुर की ओर ले गए. कार में ही बेसुध पड़े सुजीत की गला घोट कर हत्या कर दी गई.रात गहराने लगी थी. उन लोगों ने पचौली फाटक के पास रेलवे लाइन पर सुजीत की लाश को डाल दिया और अपनेअपने घर चले गए.

सुजीत की हाथ कटी लाश 23 जनवरी को थाना जलालाबाद की पुलिस ने बरामद की थी. थाना जलालाबाद में संगीता और विमला ने सुजीत की हत्या इरफान द्वारा करने की बात कुबूल कर ली थी. देवरानी जेठानी से पूछताछ करने के बाद थाने की पुलिस टीम ने हत्यारों की धरपकड़ के लिए उन के घरों पर दबिश दी तो इरफान, रामरतन, वतन सिंह उर्फ विनीत, पुष्पेंद्र उर्फ राहुल, संगीता, विमला को गिरफ्तार कर लिया. सभी पकड़ में आ गए. आरिफ इरफान का भाई है.

संगीता और विमला से मिलने वाले 2 लाख रुपए का लालच दे कर पुष्पेंद्र, वतन सिंह, आरिफ और रामरतन को इरफान ने सुजीत हत्याकांड में शामिल किया था. अब आरिफ को छोड़ कर सभी जेल में पहुंच गए थे. आरिफ की तलाश में पुलिस टीम छापेमारी कर रही थी. कथा लिखी जाने तक वह पकड़ में नहीं आया था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

देवरानी-जेठानी की शातिर चाल – भाग 2

एसएचओ सोलंकी ने उन के कंधे पर सहानुभूति से हाथ रख कर कहा, ‘‘हिम्मत रखिए, आप की दी गई जानकारी से ही हम हत्यारे तक पहुंच कर उसे फांसी के फंदे तक पहुंचा सकते हैं. आप इरफान पर शक जाहिर कर रहे हैं, मुझे उस का पता ठिकाना बताइए.’’

“मैं नहीं जानता साहब, जानता तो अभी तक उसे पकड़ कर सुजीत को लापता करने की वजह पूछ लेता. बड़ी बहू और छोटी बहू ने भी चुप्पी साध रखी है. वही इरफान तक आप को पहुंचा सकती हैं.’’

“ठीक है, मैं संगीता और विमला को थाने बुलवा लेता हूं. देखता हूं कितनी देर तक चुप्पी साध कर रह सकती हैं.’’ एसएचओ सोलंकी ने गंभीरता से कहा और कांस्टेबल सोनवीर, अंकित, अशोक और महिला कांस्टेबल ममता को एसआई चमन सिंह के साथ संगीता और विमला को थाने लाने के लिए भेज दिया. कमलेश्वर सिंह ने उन्हें अपने घर का पता बता दिया था. प्रवीण सोलंकी ने कमलेश्वर सिंह को अपने पास ही रोक लिया था. वह इरफान की उन के घर में घुसपैठ और बहुओं से उस की पहचान के पीछे की कहानी जान लेना चाहते थे.

एक घंटे में ही एसआई चमन सिंह के साथ गई पुलिस टीम कमलेश्वर सिंह की बहुओं संगीता और विमला को थाने ले कर आ गई. वे दोनों काफी डरी हुई लग रही थीं. अपने ससुर को थाने में बैठा देख कर वे दोनों समझ गईं कि ससुर ने उन के विषय में बहुत कुछ बता दिया है. एसएचओ सोलंकी ने दोनों को जलती आंखों से घूर कर देखते हुए कडक़ स्वर में पूछा, ‘‘मुझे मालूम हो गया है कि तुम ने इरफान के साथ साजिश रच कर सुजीत की हत्या करवा दी है.’’

संगीता ने थूक निगला, ‘‘यह झूठ है साहब, जरूर आप को हमारे ससुर ने हमारे खिलाफ उलटा सीधा भडक़ा दिया है.’’

“तुम्हारे ससुर ने अपना बेटा खोया है, तुम दोनों ने क्या खोया? सुजीत 3 दिन से घर नहीं लौटा, तुम दोनों को चिंता नहीं हुई?’’

“चिंता तो बहुत हुई है साहब, लेकिन मैं औरत जात हूं, अपने देवर को कहां जा कर ढूंढती.’’

“क्यों इरफान ने तुम्हें नहीं बताया कि उस ने तुम्हारे देवर सुजीत को पचोली गांव में ले जा कर मार डाला है. इरफान ने तो यह कुबूल कर लिया है कि तुम्हारे कहने पर ही उस ने हत्या की है.’’ थानाप्रभारी सोलंकी ने अंधेरे में तीर चलाया. संगीता के चेहरे का रंग उड़ गया. वह बौखला कर बोली, ‘‘मुझे तो विमला ने सुजीत को रास्ते से हटाने को कहा था साहब. इसी ने ऐसा करने के लिए इरफान को 2 लाख रुपए देना कुबूल किया था.’’

विमला को काटो तो खून नहीं. उस का चेहरा सफेद पड़ गया. वह जेठानी को फाड़ खाने वाली नजरों से देख कर चीख पड़ी, ‘‘तू खुद भी तो चाहती थी कि मेरा पति सुजीत मर जाए. तू अपने पति अजीत को भी इरफान के हाथों खत्म करवाने की फिराक में है, ताकि ससुर की जमीनजायदाद पर ऐश कर सके.’’

“मैं अकेली ऐश करूंगी, तू क्या नहीं करेगी?’’ संगीता भी चीख कर तैश में बोली, ‘‘सुजीत की जगह मैं तुझे मरवा देती तो क्लेश ही खत्म हो जाता.’’

जलालाबाद के सुजीत हत्याकांड का खुलासा अब हो चुका था. एसएचओ सोलंकी और अन्य पुलिस वाले दोनों देवरानीजेठानी द्वारा ही गुनाह कुबूल कर लेने पर मुसकरा रहे थे. उन दोनों को चुप करने के लिए लौकअप में अलगअलग बंद करवा दिया. कमलेश्वर लज्जित सिर झुकाए बैठे थे. दोनों बहुओं ने आज उन के घर की इज्जत को नीलाम कर दिया था. वह सिर उठा कर किसी से बात करने के काबिल नहीं रह गए थे.

लखनऊ जिले के गौसनगर गांव में निवास करता था ठाकुर कमलेश्वर सिंह. उस के पास पुश्तैनी जमीन तो थी ही, वह मैरिज लान का संचालन भी करता था. कमलेश्वर के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटे अजीत, सुजीत और सुधीर थे. अजीत और सुजीत जवान हो कर पुश्तैनी काम में लग गए तो कमलेश्वर ने रूपापुर (जलालाबाद) के ठाकुर हरपाल सिंह की बेटी संगीता को अजीत के लिए और शाहजहांपुर के गांव लस्करपुर के ठाकुर चंद्रभाल की बेटी विमला को सुजीत के लिए पसंद कर लिया.

संगीता और तांत्रिक के अवैध संबंध ने बिगाड़ा खेल…

वह दोनों बेटों की शादी धूमधाम से कर के लाए तो उन की साख गांव गौसनगर में और ज्यादा बढ़ गई. वह सिर उठा कर गांव में शान से चलने लगे. उन्हें तब नहीं मालूम था कि एक दिन यही दोनों बहुएं उन के मुंह पर ऐसी कालिख पोतेंगी कि वह शरम से पानीपानी हो जाएंगे.

समय का पहिया घूमता रहा. संगीता 2 बेटों की मां बन गई और विमला ने भी 3 बच्चों को जन्म दे कर अपना परिवार पूरा कर लिया. 5-7 साल दोनों के परिवार खुशहाल रहे, लेकिन काम की थकान उतारने के नाम पर जब अजीत और सुजीत ने शराब पीनी शुरू की तो उन के घर में कलह शुरू हो गई. अजीत तो कम पीता था लेकिन सुजीत तो पियक्कड़ था. विमला उस से लड़ती तो ठाकुरों वाला रौब दिखाने के लिए सुजीत विमला को रुई की तरह धुन देता. संगीता पर भी अजीत हाथ छोडऩे लगा था, इस से वह भी दुखी रहने लगी थी.

एक दिन किसी पड़ोसन के कहने पर संगीता अपने पति अजीत और देवर सुजीत को सही राह पर लाने के लिए तथाकथित तांत्रिक इरफान से जा कर मिली. इरफान तंत्रमंत्र विद्या का जानकार था. उस ने दावा किया कि चुटकी बजाते ही उन की परेशानी दूर कर सकता है, ऐसा उस पड़ोसन ने बताया था. कभी उस पड़ोसन ने अपने पियक्कड़ पति को रास्ते पर लाने के लिए इरफान से तांत्रिक अनुष्ठान करवाया था. अनुष्ठान के बाद उस के पति ने पीना छोड़ दी थी.

संगीता अकेली ही जा कर इरफान से मिली और उसे अपनी समस्या बताई तो इरफान ने उसे पति और उस ने देवर का फोटो ले कर दूसरे दिन आने को कह दिया. संगीता दूसरे दिन पति अजीत और देवर सुजीत के फोटो ले कर तांत्रिक इरफान के पास गई तो उस ने अनुष्ठान के बहाने संगीता को हर वीरवार को अपने कार्यालय में बुलाना शुरू कर दिया.

इस बहाने वह संगीता से रुपएपैसे तो ऐंठता ही था, वह संगीता की सुंदरता पर मन ही मन मर मिटा था. 2 बच्चों की मां बन चुकी संगीता 35 वर्ष की हो गई थी, लेकिन अभी उस की जवानी उस पर कायम थी.  जब इरफान उसे अनुष्ठान के नाम पर बहाने से छू लेता था तो संगीता की वासना अंगड़ाई लेने लगती थी. इमरान को शह देने के लिए वह उस से और सट जाती. इस से इरफान की हिम्मत बढ़ गई. एक दिन इरफान ने संगीता को बांहों में भरा तो संगीता ने कोई ऐतराज नहीं किया. फिर क्या था, संगीता के तांत्रिक से अवैध संबंध स्थापित हो गए.

देवरानी-जेठानी की शातिर चाल – भाग 1

23 जनवरी, 2023 की सुबह थाना जलालाबाद के लिए एक बुरी खबर ले कर आई. बरेली राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की ओर से थाने में किसी ने फोन किया कि दिल्लीलखनऊ रेलवे ट्रैक के फरीदपुर स्टेशन के करीब पडऩे वाले पचोली गांव के फाटक के पास एक व्यक्ति का हाथ कटा शव पड़ा है. शायद वह किसी ट्रेन की चपेट में आ गया है.

थाना जलालाबाद उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहांपुर में पड़ता है, इसलिए सूचना मिलते ही वहां के एसएचओ प्रवीण सोलंकी अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. फाटक पचोली के करीब रेलवे लाइन की दाईं ओर एक व्यक्ति का शव पड़ा हुआ था. उस से कुछ दूरी पर उस का कटा हुआ हाथ भी पड़ा दिखाई दे रहा था. शव के पास फैला खून जम कर काला पड़ चुका था, इसी से एसएचओ ने अनुमान लगाया कि उस व्यक्ति की मौत करीब 7-8 घंटे पहले हुई है.

चूंकि रात को इधर कोई आया नहीं होगा, इस कारण यहां शव पड़े होने की जानकारी रात को नहीं मिल सकी. सुबह बरेली जीआरपी की गश्त करने वाली टीम इधर से गुजरी, तब यहां शव पड़े होने की जानकारी थाने में दी गई. एसएचओ सोलंकी ने शव का मुआयना किया. वह 34-35 वर्ष की उम्र का था, उस ने पैंट पहनी हुई थी. शव की जेबें टटोली गईं तो जेबों में से ऐसा कोई सामान नहीं मिला जिस से उस की पहचान हो सके. पैंटशर्ट पर किसी टेलर का लेबल भी नहीं था.

अब तक हलकी धूप निकल आई थी और पचोली गांव के लोग दिशामैदान के लिए रेलवे ट्रैक की तरफ आने लगे थे. जैसे ही उन्हें रेलवे लाइनों में किसी व्यक्ति की लाश मिलने की जानकारी हुई, वे वहां एकत्र होने लगे. खबर गांव में पहुंची तो पूरा गांव ही वहां उमड़ आया. इन में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी थे. सभी की नजरें उस व्यक्ति के शव पर थीं. पुलिस ने उन से रेलवे लाइनों में पड़ी लाश को पहचानने के लिए कहा, लेकिन किसी ने भी उस व्यक्ति को नहीं पहचाना.

किसी भी तरीके से उस व्यक्ति की शिनाख्त न होने से एसएचओ प्रवीण सोलंकी ने आवश्यक काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी. जलालाबाद थाने के एसएचओ प्रवीण सोलंकी के लिए सब से पहले उस व्यक्ति की शिनाख्त होनी जरूरी थी. उन्हें विश्वासथा कि कोई न कोई इस व्यक्ति की गुमशुदगी के लिए जरूर आएगा. अपनी ओर से सोलंकी ने आसपास के थानों में उस व्यक्ति के शव का फोटो वाट्सऐप से भेज कर उस की गुमशुदगी दर्ज होने के बारे में पूछा तो पता चला कि उन के यहां उस हुलिए के शख्स की गुमशुदगी दर्ज नहीं थी.

2 दिन बीत गए. प्रवीण सोलंकी उस वक्त ज्यादा परेशान हो गए, जब उन की मेज पर उस व्यक्ति की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पहुंची. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया कि उस की हत्या गला दबा कर की गई थी. हत्या करने से पहले उसे शराब में नशे की गोलियां भी मिला कर दी गई थीं. एसएचओ अभी तक यही मान कर चल रहे थे कि वह व्यक्ति नशे में रेलवे ट्रैक पर आ गया था, किसी ट्रेन की चपेट में वह आया तो हाथ कट गया, वह बेहोश हो गया. अधिक खून बहा जिस से उस की मौत हो गई. लेकिन उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से कहानी दूसरी ही सामने आई.

यह दुर्घटना नहीं, हत्या की सोचीसमझी साजिश थी. रात के अंधेरे में हत्यारा यह नहीं देख पाया कि उस ने उसे ट्रैक पर डाला है या साइड में. साइड में लाश होने की वजह से उस का एक हाथ ही कटा, पूरा शरीर नहीं. पुलिस ने अज्ञात हत्यारे के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 और 120बी के तहत मामला दर्ज कर लिया.

एसपी (ग्रामीण) एस. आनंद ने इस मामले के खुलासे के लिए अपर पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार वाजपेयी के निर्देशन में थाना जलालाबाद के एसएचओ प्रवीण सोलंकी को यह केस हल करने के लिए नियुक्त कर दिया. उन के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी गई, जिस में इंसपेक्टर चमन सिंह, खालिक खान, कांस्टेबल अंकित, सोनवीर, आशीष, विपिन कुमार, दीपेंद्र और सुमित कुमार को शामिल किया गया.

लाश की हो गई शिनाख्त…

2 दिन बीत गए, लेकिन उस अज्ञात लाश की शिनाख्त नहीं हो सकी थी. जब तक उस की शिनाख्त नहीं होती, जांच आगे नहीं बढ़ सकती थी. एसएचओ ने उस व्यक्ति की लाश के फोटो आसपास के गांव के आनेजाने वाले रास्तों पर चिपकवा दिए थे. उन की यह युक्ति काम कर गई. तीसरे दिन ही सुबह मोहल्ला गोसनगर निवासी कमलेश्वर सिंह ठाकुर अपने बेटे की तलाश में थाना जलालाबाद आ गए. वह काफी घबराए हुए थे.

एसएचओ के सामने आते ही कमलेश्वर सिंह रो देने वाले स्वर में बोले, ‘‘साहब, मैं लाश का फोटो देख कर यहां दौड़ा चला आया हूं. साहब, मेरा बेटा सुजीत 22 जनवरी, 2023 से लापता है. जो पोस्टर में लाश की फोटो लगाई गई है, वह मेरे बेटे सुजीत से मिलती है.’’

“हम ने लाश को मोर्चरी में रखवा रखा है, आप पहले लाश देख लीजिए. कई बार फोटो देख कर आंखें धोखा भी खा जाती हैं.’’ एसएचओ सोलंकी ने कहा और कमलेश्वर सिंह को कांस्टेबल अंकित के साथ मोर्चरी भेज दिया.  मोर्चरी में जो लाश रखी गई थी, कमलेश्वर सिंह ने उस की पुष्टि अपने बेटे सुजीत के रूप में कर ली. लाश देख कर कमलेश्वर रोने लगे. सांत्वना देने के बाद कांस्टेबल अंकित उन्हें वापस थाने में ले आया. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद एसएचओ ने चैन की सांस ली. कमलेश्वर उस समय भी रो रहे थे.

बहू पर जताया हत्या का शक…

एसएचओ सोलंकी ने उन्हें पानी पीने को दिया. जब वह पानी पी चुके तो एसएचओ ने गंभीर स्वर में कहा, ‘‘मुझे आप के बेटे सुजीत की मौत का गहरा दुख है. उस की लाश हमें फरीदपुर के गांव पचोली के फाटक के पास रेलवे लाइन पर मिली थी.

क्या आप बताएंगे, सुजीत वहां क्या करने गया था?’’

कमलेश्वर सुन कर रुआंसे स्वर में बोले, ‘‘मेरे बेटे का पचोली गांव से कोई संबंध नहीं था साहब. हत्यारों ने उसे मार कर वहां रेलवे लाइन पर फेंका होगा.’’

“मुझे भी ऐसा ही शक है.’’ सोलंकी सिर हिला कर बोले.

“क्या आप को किसी पर शक है?’’

“हां साहब, मुझे इरफान और अपनी दोनों बहुओं पर शक है. मेरी छोटी बहू विमला अपने पति सुजीत को पसंद नहीं करती थी. तांत्रिक इरफान मेरी बड़ी बहू संगीता से अच्छी तरह परिचित है. वह तंत्रमंत्र जानता है. बड़ी बहू संगीता ने उसे कई बार घर बुला कर अपने पति अजीत और देवर सुजीत को वश में करने के लिए इरफान से तांत्रिक क्रियाएं करवाई थीं. 22 जनवरी, 2023 को इरफान के बुलाने पर ही सुजीत घर से गया था, वह वापस नहीं लौटा. लौटा है तो लाश के रूप में.’’ कह कर कमलेश्वर सुबकने लगे.