पढ़े लिखों पर भारी पड़ते अनपढ़ – भाग 3

जयपुर के पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल ने लगातार हो रही औनलाइन ठगी की वारदातों को देखते हुए काफी समय पहले अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (प्रथम) प्रफुल्ल कुमार के निर्देशन एवं पुलिस उपायुक्त (क्राइम) डा. विकास पाठक के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच की विशेष टीम गठित कर इस टीम को ऐसे अपराधियों का पता लगाने का जिम्मा सौंपा था.

इस टीम ने ठगी के एकएक मामले का अध्ययन कर अपराधियों की कार्यप्रणाली समझी. उस के बाद तकनीकी माध्यम से उन मोबाइल नंबरों का पता लगाया, जिन से लोगों को ठगी का शिकार बनाया गया था. व्यापक जांचपड़ताल के बाद पुलिस ने झारखंड से 3 ठगों को गिरफ्तार किया था.

इस से पहले इसी साल 24 फरवरी को सब से पहले सत्यम राय को पकड़ा गया. वह झारखंड के देवघर के खाजुरिया बसस्टैंड के पास स्थित विकासनगर का रहने वाला था. फिलहाल वह पश्चिम बंगाल के कोलकाता के टालीगंज में के.एम. लक्षकार रोड पर रह रहा था. उस ने पिछले साल जयपुर के राजेंद्र गहलोत को अपना शिकार बनाया था.

20 साल के सत्यम राय ने फोन पर खुद को बैंक अधिकारी बता कर राजेंद्र गहलोत से एटीएम कार्ड और ओटीपी नंबर पूछ कर उन के खाते से 43 हजार 391 रुपए औनलाइन निकाल लिए थे. इस ठगी का मुकदमा जयपुर दक्षिण के थाना ज्योतिनगर में दर्ज है.

पूछताछ में सत्यम राय ने बताया था कि राजेंद्र गहलोत से ठगी कर के उस ने 21 हजार 891 रुपए का सैमसंग गैलेक्सी ए 5 एड्रौयड मोबाइल फोन औनलाइन खरीदा था. बाकी रकम उस ने अलगअलग गेटवे के माध्यम से बैंक खाते तथा वौलेटों में डाली थी. मोबाइल फोन आ गया तो उसे ओएलएक्स पर आईफोन एस-5 से एक्सचैंज कर लिया था.

कोलकाता से बीबीए की पढ़ाई करने के बाद सत्यम राय ने हिंदी, अंग्रेजी, भोजपुरी और बंगला सहित अन्य भाषाएं सीखीं, ताकि पूरे देश में विभिन्न बोलीभाषाओं में बात कर लोगों को झांसे में ले सके. पूछताछ में उस ने बताया था कि वह ठगी के जरिए मिली रकम के एक हिस्से से औनलाइन शौपिंग करता था, जिसे वह बेच कर पैसे खड़े कर लेता था.

पुलिस ने सत्यम राय से सैमसंग गैलेक्सी ए-7, आईफोन एस-5 और सैमसंग गैलेक्सी ए-5 फोन बरामद किए थे. उस से पूछताछ और उस के मोबाइल फोन की जांच से पता चला कि उस ने देश के अनेक राज्यों में ठगी के लिए कुल 2860 लोगों को फोन किए थे.

जयपुर के सूरज प्रजापति से 55 हजार रुपए की इसी तरह की गई ठगी में पुलिस ने सागरदास और उस के साले विक्कीदास को 26 फरवरी, 2017 को गिरफ्तार किया था. ये दोनों ठग झारखंड में जामताड़ा जिले के अंबेडकर चौक पंडेडीह के रहने वाले थे. पुलिस ने इन से 5 मोबाइल फोन बरामद किए थे. इन मोबाइल फोनों में फर्जी आईडी पर जारी किए गए सिम मिले थे. जीजासाले ने अलगअलग राज्यों में ठगी के लिए करीब 779 लोगों को फोन किए थे.

जयपुर निवासी राजेश कुमार वर्मा से बैंक अधिकारी बन कर 21 हजार 566 रुपए की  औनलाइन ठगी करने के मामले में जयपुर पुलिस ने झारखंड के जामताड़ा जिले के करमाटांड थाना के धरवाड़ी गांव के रहने वाले जयकांत मंडल को मार्च, 2017 के पहले सप्ताह में गिरफ्तार किया था.

पुलिस ने उस से 3 मोबाइल फोन, 4 सिम और 4 एटीएम कार्ड बरामद किए थे. वह झारखंड के धनबाद के देवली गोविंदपुर में रह कर आईटीआई कर रहा था. उस ने कई भाषाएं सीख रखी थीं. जांच में पता चला कि जयकांत ने ठगी के लिए विभिन्न मोबाइल नंबरों से अलगअलग राज्यों में ठगी के लिए करीब 9068 लोगों को फोन किए थे.

जांच में पता चला है कि झारखंड के जिला जामताड़ा के करमाटांड सहित कुछ इलाके साइबर अपराधियों के गढ़ हैं. कहा जाता है कि करमाटांड के झिलुआ गांव के रहने वाले सीताराम मंडल ने सन 2008-09 में बैंक अधिकारी बन कर लोगों से औनलाइन ठगी के साइबर अपराध को जन्म दिया था. इस का जाल अब पूरे जामताड़ा जिले में फैल चुका है. आजकल वहां 150 से अधिक गिरोह काम कर रहे हैं, जिन में 20 से 30 साल के युवा शामिल हैं.

इन में कुछ गिरोह ऐसे भी हैं, जिन्होंने वेतन और कमीशन के आधार पर दूसरे युवकों को नौकरी दे रखी है. कुछ पुराने ठग नई पीढ़ी के युवाओं को औनलाइन ठगी की ट्रेनिंग देते हैं और इस के बदले में मोटा मेहनताना वसूलते हैं. इन गिरोहों ने बैंक अधिकारी बन कर पूरे देश में अब तक कई अरब रुपए की ठगी की है.

मजे की बात यह है कि इन में ज्यादातर ठग ज्यादा पढ़ेलिखे नहीं हैं. लेकिन देश के अलगअलग राज्यों की भाषाएं सीख कर ये लोगों को ठग रहे हैं. देश में ऐसा कोई वर्ग नहीं है, जो इन की ठगी का शिकार न हुआ हो.

केंद्रीय मंत्री से ले कर, विभिन्न राज्यों के मंत्रियों, आईएएस एवं आईपीएस अधिकारियों, जज, डाक्टर, प्रोफेसर, आयकर अधिकारी, इंजीनियर, चार्टर्ड एकाउंटैंट, बिजनेसमैन सभी इन की ठगी का शिकार हो चुके हैं, जबकि इन लोगों को कहा जाता है कि ये अपनी बुद्धि और वाकचातुर्य के बल पर देश को चला रहे हैं.

आम आदमी को तो ये ठग कुछ ही मिनट में बातों में उलझा कर उस का एटीएम कार्ड और ओटीपी नंबर आदि हासिल कर लेते हैं. इन ठगों ने केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री, बांका के जिला जज, एयरपोर्ट अथौरिटी के एजीएम सहित तमाम बडे़बडे़ अधिकारियों को ठगा है.

साइबर ठगी में लगे तमाम लड़के उच्च शिक्षा भी हासिल कर सूचना प्रौद्योगिकी में दक्ष हो रहे हैं, ताकि लोगों को उन के हिसाब से हैंडल किया जा सके. जामताड़ा में साइबर क्राइम की शुरुआत एसएमएस से मोबाइल फोन का बैलेंस उड़ा कर दूसरों को सस्ती दरों पर मोबाइल फोन का बैलेंस बेचने से हुई थी. इस के बाद 8-9 सालों में यह जिला पूरे देश में चर्चित हो चुका है.

जामताड़ा इलाके से जब मोबाइल फोन से बहुत ज्यादा फोन किए जाने लगे तो मोबाइल कंपनियों को मोटी कमाई होने लगी. नेटवर्क की समस्या दूर करने के लिए मोबाइल कंपनियों ने वहां नए टौवर लगवा दिए, जिस से वहां नेटवर्क अच्छा हो गया. इस से ठगों का काम और ज्यादा आसान हो गया.

ठगी की रकम से ठग ऐशोआराम की जिंदगी जीते हैं. उन के पास आलीशान मकान और लग्जरी गाडि़यां हैं. सड़कें खराब होने से गाडि़यां चलाने में परेशानी हुई तो इन ठगों ने सड़कें भी खुद ही बनवा लीं. अब ये अपराधी खुद को भारतीय रिजर्व बैंक का अधिकारी बता कर ठगी करने लगे हैं. एटीएम रिन्यू करने, उस की वैलिडिटी बढ़ाने एवं आधार कार्ड से जोड़ने के बहाने तो कई सालों से चल रहे हैं.

जामताड़ा इलाके में रोजाना किसी न किसी राज्य की पुलिस साइबर ठगों की तलाश में पहुंचती रहती है. इसलिए अब यहां के ठग थोड़ेथोड़े समय के लिए दूसरे राज्यों में जा कर अपना  ठगी का धंधा करते हैं.

जामताड़ा से पिछले 2 सालों में 268 साइबर अपराधी गिरफ्तार किए गए हैं. इन से 16 सौ से ज्यादा मोबाइल फोन, 176 लग्जरी कारें और करोड़ों रुपए बरामद किए गए हैं.  जयपुर पुलिस की ओर से देवघर से गिरफ्तार मिथलेश ने पुलिस को बताया कि वह अपना एसबीआई का बैंक एकाउंट साइबर ठगों को किराए पर देता था. इस के बदले वह खाते में जमा होने वाली रकम से 20 प्रतिशत हिस्सा लेता था.

भले ही अपराधी पकड़े जा रहे हैं, लेकिन साइबर ठगी बंद होने का नाम नहीं ले रही है. पढ़लिख कर आदमी बुद्धिमान हो जाता है, लेकिन जामताड़ा के अनपढ़ या मामूली शिक्षित अपराधी उन लोगों की आंखों से भी काजल चुरा लेते हैं, जो खुद को सब से ज्यादा समझदार समझते हैं.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सोने के व्यापारी को ले डूबी रंगीनमिजाजी – भाग 2

जल्दी ही कुकुकोवा एक परफेक्ट मौडल बन गई. चाहे रैंप पर चलना हो या कैमरे के किसी भी एंगल के सामने खुद को प्रदर्शित करना हो, वह बहुत कम समय में सीख गई. फलस्वरूप जल्द ही वह एक पेशेवर मौडल बन गई. उसे कुछ नामीगिरामी मौडलों के साथ रैंप पर चलने का मौका मिला तो वह एक चर्चित मैगजीन के कवर पर भी जगह बनाने में सफल रही.

इस के बाद फोटोग्राफरों ने उसे इंटरनेशनल मौडलिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की सलाह दी. उस ने ऐसा ही किया और स्लोवाकिया के फैशन और मौडलिंग की दुनिया का मक्का माने जाने वाले शहर मिलान की ओर रुख किया. मौडलिंग की बदौलत कुकुकोवा ने अपनी खास पहचान बना ली. ब्रिटिश और अमेरिकन मौडलों से टक्कर लेते हुए उस ने स्विमवियर या बिकिनी के पहनावे के साथ रैंप पर चल कर निर्णायक मंडल का दिल जीत लिया.

फिर क्या था, उस का सितारा बुलंद हो गया. मल्टीनेशनल कंपनियां उसे जहां अपने ब्रांड के लिए ब्रांड एंबेसडर बनाने को लालायित रहने लगीं, वहीं उसे नौकरी के कुछ औफर भी मिले. लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही वह देर रात तक चलने वाली पार्टियों में भी आनेजाने लगी.

मौडलिंग की दुनिया में इस प्रोफेशन को अपनाने वाली मौडल्स अगर अपनी अदाकारी और शारीरिक सुंदरता बिखेरती हैं तो इस में अमीरजादे प्लेबौय की भी भरमार रहती है. उन की सोच के हिसाब से सुंदरियां मौजमस्ती की सैरगाह में मनोरंजन और रोमांस के साधन की तरह होती हैं. ऐसे ही लोगों में से एक थे इंगलैंड के गोल्ड बिजनेसमैन ‘किंग औफ ब्लिंग’ के नाम से चर्चित एंडी बुश. वह अधेड़ावस्था की दहलीज पर आ चुके थे, लेकिन मौजमस्ती के लिए सुंदरियों के साथ डेटिंग पर जाना उन का खास शौक था.

एंडी ब्रिटेन में सोने के आभूषणों के अरबपति कारोबारी थे. उन की गिनती अमीरजादों में होती थी. 1990 में उन्होंने बीबीसी टीवी प्रजेंटर साम मैसन से शादी की थी. उसी से एक बेटी एल्ली पैदा हुई थी. लेकिन बाद में साम मैसन से उन का तलाक हो गया था. वह एल्ली को बहुत प्यार करते थे और उसे हर तरह से खुश और सुखी रखने की कोशिश करते थे.

एल्ली अपनी मां से ज्यादा बुआ रशेल के करीब रही. दूसरी तरफ बुश की पहचान रंगीनियों में डूबे रहने वाले शख्स की बन गई थी. वह आए दिन लेट नाइट पार्टियों या फैशन शो में जाया करते थे. गर्लफ्रैंड के साथ लौंग ड्राइव या डेटिंग पर जाना उन का खास शौक था.

कुकुकोवा को रैंप पर चलते देख बुश पहली बार में ही उस पर फिदा हो गए थे. बुश को न केवल उस का ग्लैमर भरा सौंदर्य पसंद आया था, बल्कि उस की शारीरिक सुंदरता और अदाएं भी बहुत अच्छी लगी थीं. संयोग से बुश उस फैशन शो वीक के प्रायोजक भी थे, जिस में कुकुकोवा को बतौर मौडल जगह मिली थी. तब दोनों की औपचारिक मुलाकात हुई थी.

पहली मुलाकात में ही कुकुकोवा ने बुश के दिल में इतनी तो जगह बना ही ली थी कि वह कारोबारी व्यस्तता के बावजूद उस से मिलनेजुलने के लिए समय निकालने लगे थे.

इस तरह शुरू हुई मुलाकातों के दौरान कुकुकोवा ने उन से अपने लिए कोई काम तलाशने की इच्छा जताई. इस पर बुश ने उसे ब्रिस्टल स्थित अपने ही सोने के आभूषणों के शोरूम में नौकरी दे दी.

अब बुश के लिए उस से मिलनाजुलना आसान हो गया था. नतीजा यह हुआ कि उन की मुलाकातें प्रगाढ़ संबंध में बदलती चली गईं.

बुश अपनी सुगठित और चुस्तदुरुस्त देह के लिए काफी मेहनत करते थे. यही वजह थी कि वे 48 की उम्र में भी 28-30 के युवा की तरह दिखते थे. उन की सब से बड़ी कमजोरी सुंदरियों के पीछे भागना थी. नईनई प्रेमिकाएं बनाना, उन्हें महंगे उपहार देना और उन के साथ डेटिंग या लौंग ड्राइव पर जाना उन की जीवनशैली का अहम हिस्सा था.

उन के पास महंगी कारों की बड़ी शृंखला थी, जिन में लाल रंग की फेरारी और ग्रे रंग की लेंबोरगिनी के अतिरिक्त हमर रेंज की कई कारें थीं. उन की कई गाडि़यां कानसेलाडा के समुद्र तटीय गांव स्थित स्पैनिश विला में रखी जाती थीं.

अपनी आरामदायक जिंदगी गुजारने के लिए उन्होंने सन 2002 में करीब 3,20,000 पाउंड में 5 बैडरूम का एक मकान खरीदा था, जो केप्सटो के भीड़भाड़ वाले इलाके से काफी दूर ग्रामीण क्षेत्र मानमाउथशिरे में स्थित था. यह भव्य मकान 7 फुट ऊंची चारदीवारी से घिरा था.

इस के बावजूद इस मकान में सुरक्षा के तमाम अत्याधुनिक इंतजाम किए गए थे. उन्होंने सुरक्षा के लिए विख्यात राट्टेवाइलर डौग गार्ड भी वहां तैनात किए थे. आधिकारिक तौर पर बुश के 4 तरह के कारोबार थे, जिस में 3 तो फिलहाल निष्क्रिय थे. सिर्फ ट्रेडिंग कंपनी बिगविग से ही उन्हें मुनाफा होता था.

बुश के दिल में कुकुकोवा के लिए कितनी जगह थी या फिर कुकुकोवा बुश से कितनी मोहब्बत करती थी, यह कहना मुश्किल था, लेकिन इतना जरूर था कि वह उन के तमाम निजी कार्यों में दखलंदाजी करती थी. वह बुश के उसी शोरूम में एक कर्मचारी थी, जिस का कामकाज बुश की बहन रशेल और बेटी एल्ली संभालती थीं.

सन 2012 में बुश की कुकुकोवा के साथ डेटिंग चरम पर थी. इस का फायदा उठाते हुए कुकुकोवा बुश के साथ रशेल और एल्ली पर भी अपना रौब दिखाती थी. हालांकि उन के ‘लिव इन रिलेशन’ की मधुरता में जल्द ही नीरसता आ गई और नवंबर 2013 में तो उन के संबंध पूरी तरह से खत्म हो गए. इस की वजह यह थी कि उसी दौरान बुश की जिंदगी में एक 20 वर्षीया रूसी युवती मारिया कोरोतेवा आ गई थी.

मारिया इंगलैंड के पश्चिमी इलाके में स्थित एक यूनिवर्सिटी में ह्यूमन रिसोर्सेस की छात्रा थी. उस से बुश की मुलाकात ब्रिस्टल के कोस्टा कैफे की एक शाखा में हुई थी. मारिया बुश की बेटी एल्ली से मात्र एक साल बड़ी थी.

पढ़े लिखों पर भारी पड़ते अनपढ़ – भाग 2

इस औनलाइन ठगी से जे.सी. मोहंती परेशान हो उठे थे. उन्होंने बैंक मैनेजर से पैसों की निकासी रोकने को कहा ही नहीं, बल्कि बैंक की जरूरी कागजी खानापूर्ति भी की, ताकि औनलाइन ठगी करने वाले भविष्य में उन के खाते से पैसे न निकाल सकें. इस के बाद अपने औफिस पहुंच कर उन्होंने पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल को फोन कर के अपने साथ हुई साइबर ठगी की जानकारी दी.

जे.सी. मोहंती के साथ हुई ठगी की बात सुन कर संजय अग्रवाल हैरान रह गए. हैरानी की बात यह थी कि राजस्थान पुलिस और विभिन्न बैंकों की ओर से अकसर समाचार पत्रों, इलैक्ट्रौनिक और डिजिटल मीडिया द्वारा रोजाना लोगों को औनलाइन ठगी के बारे में जागरूक करने के लिए बताया जा रहा है कि किसी भी व्यक्ति को फोन पर अपने एटीएम कार्ड या बैंक खाते की डिटेल कतई न दें.

पुलिस और बैंकों की इतनी कवायद के बावजूद भी आम आदमी रोजाना इन ठगों का शिकार हो रहे हैं, लेकिन अगर कोई सीनियर आईएएस अफसर इस तरह की ठगी का शिकार हो जाए तो ताज्जुब होगा ही. संजय अग्रवाल ने जे.सी. मोहंती को रिपोर्ट दर्ज कराने की सलाह देते हुए साइबर ठगों को जल्दी ही पकड़ने का आश्वासन दिया.

मूलरूप से ओडि़सा के रहने वाले राजस्थान कैडर के सन 1985 बैच के आईएएस अधिकारी जे.सी. मोहंती ने उसी दिन जयपुर में शासन सचिवालय के पास स्थित थाना अशोकनगर में अपने साथ हुई इस ठगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी. औनलाइन ठगी का यह मात्र एक उदाहरण है. ऐसी ठगी राजस्थान सहित देश के लगभग हर राज्य में रोजाना सौ-पचास लोगों के साथ हो रही है. राजस्थान में सन 2016 में साइबर क्राइम के 907 मुकदमे दर्ज हुए थे, जिन में 530 मुकदमे सिर्फ जयपुर शहर में दर्ज हुए थे.

मुकदमों के दर्ज होने के बाद जांच में सामने आया कि साइबर ठग खुद को बैंक मैनेजर बता कर लोगों के मोबाइल पर फोन कर के कहते हैं कि ‘आप का एटीएम कार्ड बंद हो रहा है या आप के एटीएम कार्ड की क्रय करने की सीमा बढ़ाई जा रही है अथवा आप के एटीएम कार्ड को आधार कार्ड से लिंक किया जा रहा है.’

किसी भी व्यक्ति से ये ठग मोबाइल फोन पर कहते हैं कि ‘आप का एटीएम कार्ड पुराना हो गया है. उस के बदले नया कार्ड जारी किया जा रहा है, इसलिए आप को एटीएम कार्ड का नया पासवर्ड दिया जा रहा है. आप ने पिछली बार एटीएम से कब रकम निकाली थी? क्या आप ने नए केवाईसी या आधार कार्ड को लिंक नहीं किया है?’

बैंक वालों की तरह तकनीकी बातें कह कर ये ठग मोबाइल फोन पर ही लोगों से एटीएम कार्ड का नंबर, सीवीसी नंबर और ओटीपी नंबर पूछ लेते हैं. इस के बाद ये साइबर ठग स्मार्ट फोन या कंप्यूटर के माध्यम से मनी ट्रांसफर सौफ्टवेयर द्वारा उस व्यक्ति के खाते की रकम निकाल लेते हैं.

राजस्थान में इस तरह की लगातार हो रही ठगी की वारदातों का पता करने के लिए जयपुर के पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल ने अतिरिक्त पुलिस आयुक्त प्रफुल्ल कुमार के निर्देशन तथा पुलिस उपायुक्त (क्राइम) डा. विकास पाठक के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच की तकनीकी शाखा एवं संगठित अपराध शाखा के अधिकारियों की एक टीम बनाई.

इस टीम ने जांच शुरू की तो पता चला कि इस तरह की वारदातें करने वाले महाराष्ट्र के पुणे जिले के तलेगांव इलाके में रह रहे हैं. टीम ने उन अपराधियों को चिन्हित कर उन की निगरानी शुरू की तो पता चला कि ये ठग कौल सैंटर की तर्ज पर बैंक अधिकारी बन कर रोजाना सैकड़ों लोगों को फोन करते हैं और उन से एटीएम कार्ड का नंबर आदि पूछ कर औनलाइन ठगी करते हैं.

कई दिनों की निगरानी के बाद क्राइम ब्रांच ने महाराष्ट्र के पुणे के एसपी (ग्रामीण) सुवेज हक तथा क्राइम ब्रांच के अधिकारियों की मदद से 27 मार्च को 5 लोगों को महाराष्ट्र के तलेगांव दाभाड़े से गिरफ्तार किया. इन में झारखंड के जिला जामताड़ा के करमाटांड निवासी 3 सगे भाई यूसुफ, मुख्तार एवं अख्तर शामिल थे. यूनुस के इन तीनों बेटों में यूसुफ सब से बड़ा और अख्तर सब से छोटा था.

इन के अलावा महाराष्ट्र के पुणे के तलेगांव दाभाड़े निवासी संजय सिंधे और शैलेश को भी गिरफ्तार किया गया था. इन के पास से पुलिस ने 10 छोटे और 4 बड़े मोबाइल फोन, 15 सिम, 7 एटीएम कार्ड और 9 लाख 86 हजार  500 रुपए बरामद किए थे. इन लोगों ने पिछले साल जयपुर के रहने वाले गोपाल बैरवा को फोन कर के उन से 29 हजार 600 रुपए ठगे थे. इस का मुकदमा जयपुर पूर्व के थाना बस्सी में दर्ज था.

गिरफ्तार अभियुक्तों को पुलिस जयपुर ले आई. इन से की गई पूछताछ में पता चला कि झारखंड के जामताड़ा जिले के करमाटांड के रहने वाले तीनों ठग भाइयों ने अपने गांव के ही दूसरे लोगों से बैंक अधिकारी बन कर औनलाइन ठगी करना सीखा और फर्जी आईडी से दर्जनों सिम हासिल कर के आसान तरीके से मोटा पैसा कमाने लगे.

ये लोग ठगी के लिए फर्जी आईडी से लिए गए सिम और दर्जनों मोबाइल का उपयोग करते थे, ताकि पुलिस इन तक पहुंच न सके. इन लोगों ने फर्जी मोबाइल सिमों पर ई-वौलेट भी रजिस्टर्ड करा रखे थे, जिन में शिकार हुए आदमी के बैंक खाते से औनलाइन पैसे ट्रांसफर करते थे. इस के बाद ये औनलाइन शौपिंग करते या ई-वौलेट के माध्यम से उस पैसे को अपने बैंक खाते में भेज देते. ये ठगी गई रकम से ई-वौलेट के जरिए मोबाइल भी रिचार्ज करते थे. इस के लिए ये मोबाइल की दुकान चलाने वालों से मिलीभगत कर उन्हें 30 से 40 प्रतिशत तक कमीशन का लालच देते थे. इस तरह मोबाइल रिचार्ज कर दुकानदारों से मिलने वाली रकम को ये लोग अपने घर वालों के बैंक खाते में जमा कराते थे.

देश भर में हो रही औनलाइन ठगी की वारदातों को देखते हुए झारखंड सहित विभिन्न राज्यों की पुलिस ने झारखंड के जामताड़ा इलाके में रहने वाले साइबर ठगों पर शिकंजा कसा तो करमाटांड के रहने वाले तीनों ठग भाई अपने साथियों संजय सिंधे और शैलेश की मदद से इसी साल फरवरी से पुणे के तलेगांव इलाके में किराए के एक मकान में रहने लगे. उसी मकान से ये पांचों ठगी की वारदात करते थे.

पूछताछ में पता चला कि इन पांचों अभियुक्तों ने पिछले एक साल में राजस्थान सहित देश के 23 राज्यों में 85 हजार से अधिक फोन किए थे. लेकिन ये मुख्य रूप से राजस्थान के लोगों को अपना निशाना बनाते थे. इस का पता इस से चलता है कि 85 हजार फोन में से लगभग 50 हजार फोन राजस्थान के सभी 33 जिलों में किए गए थे.

राजस्थान का ऐसा कोई जिला नहीं बचा था, जहां इन लोगों ने ठगी न की हो. अकेले जयपुर शहर में ही इन लोगों ने करीब 5 हजार फोन किए थे. पुलिस ने इन से जो करीब 10 लाख रुपए बरामद किए थे, ये रुपए एक महीने का कलेक्शन बताया गया था.

तीनों ठग भाइयों ने धोखाधड़ी से करोड़ों रुपए कमाए हैं. ठगी की रकम को इन्होंने करीब 25 बैंक खातों और 50 से अधिक ई-वौलेट में जमा कराई थी. इन के 10 बैंक खातों की डिटेल खंगाली जा रही है. इन में 4 खाते प्राइवेट बैंकों और 6 सरकारी बैंकों में हैं. इन में 4 बैंक खाते केरल में हैं. इन सभी खातों में 58 लाख 18 हजार रुपए जमा हुए थे, लेकिन इन में एक जनवरी, 2017 से 23 मार्च तक 8 लाख 49 हजार रुपए ही बचे थे.

जयपुर पुलिस ने इस से पहले औनलाइन ठगी के एक अन्य मामले में 23 मार्च को एक अभियुक्त दिनेश मंडल को मुंबई से वहां की पुलिस की मदद से गिरफ्तार किया था. मूलरूप से झारखंड के जामताड़ा का रहने वाला दिनेश मंडल मुंबई में वर्ली स्थित जनता कालोनी के कोलीकम में रह कर औनलाइन ठगी कर रहा था.

उस ने पिछले साल जयपुर के विनोद कुमार पाल को फोन कर के खुद को बैंक अधिकारी बता कर एटीएम कार्ड और ओटीपी नंबर पूछ कर उन के खाते से 7 हजार रुपए औनलाइन निकाल लिए थे. इस का मुकदमा जयपुर पश्चिम के थाना सदर में दर्ज हुआ था. पुलिस ने दिनेश मंडल से 4 मोबाइल फोन और 7 सिम बरामद किए थे. उस से की गई पूछताछ में पता चला कि उस ने ठगी के लिए मोबाइल फोन से लगभग 29 सौ लोगों को फोन किए थे.

ए सीक्रेट नाइट इन होटल – भाग 2

ट्रेन के ग्वालियर स्टेशन पहुंचतेपहुंचते अंधेरा छा गया था, पर इस प्रेमीयुगल के दिलोदिमाग में एक अछूते अंजाने अहसास को जी लेने का सुरूर छाता जा रहा था. स्टेशन पर उतर कर विवेक ने औटोरिक्शा किया. नई सवारियों को देख कर ही औटोरिक्शा वाले तुरंत ताड़ लेते हैं कि ये किसी लौज में जाएंगे. कुछ देर औटोरिक्शा इधरउधर घूमता रहा. दोनों ने कई होटल देखे, फिर रुकना तय किया होटल उत्तम पैलेस में.

ग्वालियर रेलवे स्टेशन के प्लेटफौर्म नंबर एक के बाहर की सड़क पर रुकने के लिए होटलों की भरमार है. चूंकि आमतौर पर रेलवे स्टेशनों के बाहर की होटलें जोड़ों को रुकने के लिए मुफीद नहीं लगतीं, इसलिए विवेक और रश्मि को उत्तम होटल पसंद आया. जो रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर दूर रेसकोर्स रोड पर सैनिक पैट्रोल पंप के पास स्थित है. दोनों को यह होटल सुरक्षित लगा.

औटो वाले को पैसे दे कर दोनों काउंटर पर पहुंचे तो वहां एक बुजुर्ग मैनेजर बैठा था, जिस की अनुभवी निगाहें समझ गईं कि यह नया जोड़ा है. मैनेजर पूरे कारोबारी शिष्टाचार से पेश आया और एंट्री रजिस्टर उन के आगे कर दिया. आजकल होटलों में रुकने के लिए फोटो आईडी अनिवार्य है, जो मांगने पर विवेक और रश्मि ने दिए तो मैनेजर ने तुरंत उन की फोटोकौफी कर के अपने पास रख ली.

खानापूर्ति कर दोनों अपने कमरे में आ गए. 6 घंटों से दिलोदिमाग में उमड़घुमड़ रहा प्यार का जज्बा अब आकार लेने लगा. दरवाजा बंद करते ही विवेक ने रश्मि को अपनी बांहों में जकड़ लिया और ताबड़तोड़ उस पर चुंबनों की बौछार कर दी. एक पुरानी कहावत है, आग और घी को पास रखा जाए तो घी पिघलेगा, जिस से आग और भड़केगी.

यही इस कमरे में हो रहा था. मंगेतर की बांहों में समाते ही रश्मि का संयम जवाब दे गया. जल्द ही दोनों बिस्तर पर आ कर एकदूसरे के आगोश में खो गए. तकरीबन एक घंटे कमरे में गर्म सांसों का तूफान उफनता रहा. तृप्त हो जाने के बाद दोनों फ्रेश हुए तो शरीर की भूख मिटने के बाद अब पेट की भूख सिर उठाने लगी.

रश्मि का मन बाहर जा कर खाना खाने का नहीं था, इसलिए विवेक ने कमरे में ही खाना मंगवा लिया. खाना खा कर टीवी देखते हुए दोनों दुनियाजहान की बातें करते आने वाले कल का तानाबाना बुनते रहे कि शादी के बाद हनीमून कहां मनाएंगे और क्याक्या करेंगे?

एक बार के संसर्ग से दोनों का मन नहीं भरा था, इसलिए फिर सैक्स की मांग सिर उठाने लगी, जिस में उस एकांत का पूरा योगदान था, जिस की जरूरत एक अच्छे मूड के लिए होती है. इस बार दोनों ने वे सारे प्रयोग कर डाले, जो वात्स्यायन के कामसूत्र सोशल मीडिया और इधरउधर से उन्होंने सीखे थे.

2-3 घंटे बाद दोनों थक कर चूर हो गए तो कब एकदूसरे की बांहों में सो गए, दोनों को पता ही नहीं चला. और जब चला तब तक सुबह हो चुकी थी. रश्मि और विवेक, दोनों के लिए ही यह एक नया अनुभव था, जिसे उन्होंने जी भर जिया था. दोनों के बीच कोई परदा नहीं रह गया था, पर इस बात की कोई ग्लानि उन्हें नहीं थी, क्योंकि दोनों शादी के बंधन में बंधने जा रहे थे.

सुबह अपना सामान समेट कर दोनों काउंटर पर पहुंचे और होटल का बिल अदा कर रिश्तेदार के यहां पहुंच गए. रश्मि ने चहकते हुए सभी रिश्तेदारों से विवेक का परिचय कराया, लेकिन दोनों यह बात छिपा गए कि वे रात को ही ग्वालियर आ गए थे और रात उन्होंने एक होटल में गुजारी थी. जाहिर है, यह बात बताने की थी भी नहीं.

उसी दिन शाम को दोनों वापस नोएडा के लिए रवाना हो गए. साथ में था एक रोमांटिक रात का दस्तावेज, जिसे याद कर दोनों सिहर उठते थे और एकदूसरे की तरफ देख हौले से मुसकरा देते थे. बात आई गई हो गई, पर दोनों के बीच व्हाट्सऐप और फेसबुक की चैटिंग में वह रात और उस की बातें और यादें ताजा होती रहीं. अब न केवल दोनों, बल्कि उन के घर वाले भी शादी की तैयारियां और खरीदारी में लग गए थे.

इन यादों से उबरते रश्मि की नजर फिर से टैग की हुई इस लाइन पर पड़ी ‘ए सीक्रेट नाइट इन होटल’ तो वह चौंक उठी कि अजीब इत्तफाक है. फैं्रड रिक्वैस्ट भेजने वाले ने जैसे उस की यादों को जिंदा कर दिया था. रश्मि की जिज्ञासा अब शबाब पर थी कि आखिर इस लाइन का मतलब क्या है? लिहाजा उस ने कुछ सोच कर उस अंजान व्यक्ति की फ्रैंड रिक्वै

स्ट स्वीकार कर ली.

जैसे ही उस ने इस नए फेसबुक फ्रैंड का एकाउंट खोला, वह भौचक रह गई. भेजने वाले ने एक पैराग्राफ का यह मैसेज लिख रखा था.

‘रश्मिजी, आप का कमसिन फिगर लाखों में एक है. जब से मैं ने आप को देखा है, मेरी रातों की नींद उड़ गई है. वीडियो में आप एक लड़के को प्यार कर रही हैं. सच कहूं तो मुझे उस लड़के की किस्मत से जलन हो रही है. काश! उस युवक की जगह मैं होता तो आप मुझे उसी तरह टूट कर प्यार करतीं. आप को यकीन नहीं हो रहा हो तो अब वीडियो देखिए.’

अव्वल तो मैसेज पढ़ कर ही रश्मि के दिमाग के फ्यूज उड़ गए थे. रहीसही कसर वह वीडियो देखने पर पूरी हो गई, जिस में उत्तम होटल के कमरे में उस के और विवेक के बीच बने सैक्स संबंधों की तमाम रिकौर्डिंग कंप्यूटर स्क्रीन पर दिख रही थी.

 

सोने के व्यापारी को ले डूबी रंगीनमिजाजी – भाग 1

मई, 2016 को स्पेन में मलागा की अदालत से आने वाले एक चर्चित मामले के फैसले का लोगों को बड़ी बेसब्री से इंतजार था. आरोपी और पीडि़त के परिजनों से ले कर मीडिया के लोगों तक को फैसला सुनने की उत्सुकता थी. यह हाईप्रोफाइल मामला ब्रिटेन के 48 वर्षीय सोने के व्यापारी एंडी बुश की हत्या का था. उन की हत्या 5 अप्रैल, 2014 को स्पेन के शहर मारबेला के कोस्टा डेल सोल नामक मशहूर बीच पर स्थित होटल हौलिडे विला में उन की पूर्व प्रेमिका द्वारा गोली मार कर की गई थी. हत्या का आरोप 26 वर्षीया स्विमवियर मौडल मायका मैरीका कुकुकोवा पर था. अपराध साबित हो जाने के बाद उसे सजा के लिए दोषी करार दिया जा चुका था.

अदालत में बुश की 22 वर्षीया बेटी एल्ली अपनी 44 वर्षीया बुआ रशेल के साथ मौजूद थी. जबकि ज्यूरी के सामने सिर झुकाए चिंतातुर बैठी आरोपी कुकुकोवा अपने चेहरे को हथेली से बारबार ढंकने का प्रयास कर रही थी. ऐसा लगता था, जैसे वह किसी से खासकर एल्ली और रशेल से नजरें मिलाने से बचना चाह रही हो. हालांकि सुनवाई के दौरान उन तीनों का अदालत में पहले भी कई बार आमनासामना हो चुका था, लेकिन तब वे अपनीअपनी बातों को साबित करने की कोशिश करते हुए इतनी अधिक असहज महसूस नहीं करती थीं, जितना कि उन्हें फैसले की घड़ी के वक्त महसूस हो रहा था.

मायका मैरीका कुकुकोवा अपने बचाव के लिए हर संभव प्रयास कर चुकी थी. लेकिन सबूतों के अभाव में उस की दलीलों को खारिज कर दिया गया था. फिर भी क्यूडेड ला जस्टिका के निर्णायक मंडल द्वारा उसे एक और अंतिम मौका दिया गया था, ताकि वह बचाव संबंधी औपचारिक याचिका दायर कर सके.

कुकुकोवा ने भले ही बचाव के लिए कोई याचिका नहीं दायर की थी, लेकिन इतना जरूर कहा था कि बुश ने उस के ऊपर हमला किया था और उस ने अपनी आत्मरक्षा में उसे गोली मारी थी.

बुश को चोट पहुंचाने का उस का कोई मकसद कभी नहीं था, क्योंकि अपनी उम्र से दोगुनी उम्र का होने के बावजूद वह उस से बेइंतहा मोहब्बत करती थी. उस ने भावुकता के साथ कहा था कि वह उसे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती थी, लेकिन उन के प्रेम में किसी तीसरे के शामिल होने से वह काफी दुखी थी.

निर्णायक मंडल ने फैसला सुनाने के दरम्यान कहा कि घटना के 6 महीने पहले ही कुकुकोवा और बुश के बीच संबंध खराब हो चुके थे. वह ईर्ष्या, द्वेष की भावना से भरी हुई थी.

सरकारी वकीलों को उम्मीद थी कि इस मामले में 26 वर्षीया मौडल कुकुकोवा को 25 साल की जेल की सजा तो सुनाई ही जाएगी, लेकिन जजों के निर्णायक मंडल ने उसे 15 साल की सजा सुनाने के साथ बुश की 21 वर्षीया बेटी को 1,22,000 पाउंड और 44 वर्षीया बहन रशेल को 30,500 पाउंड की राशि जुरमाने के तौर पर देने का आदेश दिया.

इसी के साथ न्यायाधीश ने यह भी कहा कि आरोपी का पूर्व का कोई आपराधिक रिकौर्ड नहीं है. उस ने जो भी अपराध किया है, वह भावुकता में किया है. इस लिहाज से उसे अपना पक्ष रखने का एक और मौका दिया जाता है लेकिन बचाव के अंतिम मौके का भी कुकुकोवा को कोई लाभ नहीं मिल पाया.

अदालत ने फैसले से संबंधित 17 पृष्ठों का दस्तावेज बुश के परिजनों को भी दे दिया. इस फैसले पर भले ही एल्ली और उस की बुआ रशेल ने न्याय मिलने का संतोष व्यक्त किया, लेकिन बुश से तलाक ले चुकी एल्ली की मां ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा कि कुकुकोवा को कम सजा हुई है. उसे कम से कम 20 साल की सजा होनी चाहिए थी. वह अदालत में अपनी बेटी के साथ नहीं थी, लेकिन उस ने खुद उस की भावनाओं को काफी शिद्दत के साथ महसूस करते हुए कई ट्वीट किए थे.

अदालती सुनवाई और जांचपड़ताल की काररवाई में पाया गया था कि बुश को .38 की रिवौल्वर से 3 गोलियां मारी गई थीं. 2 गोलियां उस के सिर में लगी थीं, जबकि एक गोली उस के कंधे में लगी थी. न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि बुश का हाथ रिवौल्वर के साथ इस तरह से रखा गया था, ताकि पहली नजर में लगे कि उस ने आत्महत्या की है. हत्या के बाद कुकुकोवा बुश की महंगी हमर गाड़ी से करीब 3012 किलोमीटर दूर स्लोवाकिया स्थित अपने घर चली गई थी, जहां उस का प्रेमी इंतजार कर रहा था.

कुकुकोवा ने न केवल 2 देशों की सीमाएं लांघीं, बल्कि इस लंबी यात्रा को 27 घंटे में पूरा भी किया. हालांकि कुछ दिनों बाद ही उसे स्लोवाकिया स्थित उस के पुश्तैनी गांव नोवा बोसाका से हिरासत में ले लिया गया था. उस की गिरफ्तारी स्पैनिश अधिकारियों के अनुरोध पर यूरोपीय वारंट के आधार पर की गई थी.

मायका मैरीका कुकुकोवा एक जमाने में बहुचर्चित स्विमवियर मौडल रही. सन 1990 में उस का जन्म स्लोवाकिया के एक गांव नोवा बोसाका में हुआ था. ग्रामीण परिवेश के साधारण परिवार में पलीबढ़ी कुकुकोवा जब किशोरावस्था में आई तो उसे अहसास होने लगा कि उस के अंदर खूबसूरती के साथसाथ हीरोइन बनने के भी तमाम गुण मौजूद हैं. जब उस के दोस्तों ने उस की सुंदरता की तारीफ के पुल बांधे तो उस की सपनीली आंखों में मौडलिंग की रंगीन दुनिया तैरने लगी.

कुकुकोवा के मातापिता ने उसे अपनी मनमर्जी से कैरियर चुनने की आजादी दे रखी थी. उस ने मौडलिंग के लिए कोशिश की तो थोड़े प्रयास में ही उसे मौका मिल गया. मौडलिंग की दुनिया में शुरुआत की पहली कोशिश में ही उसे सफलता मिल गई.

आगे भी सफलता की सीढि़यां चढ़ने में उसे ज्यादा वक्त नहीं लगा. ऊंची जगह बनाने के लिए भी उसे अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ा. उस की खूबसूरती और पहली ही नजर में किसी को भी आकर्षित कर लेने वाले ग्लैमर की वजह से उस का आगे का रास्ता खुदबखुद बनता चला गया.

पढ़े लिखों पर भारी पड़ते अनपढ़ – भाग 1

मार्च, 2017 के तीसरे या चौथे सप्ताह की बात है. छुट्टी का दिन होने की वजह से भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी जे.सी. मोहंती दोपहर को अपने सरकारी बंगले में बने औफिस में बैठे फाइलें देख रहे थे. उन की टेबल पर फाइलों का ढेर लगा था. वह राजस्थान में जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी के भूजल विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं. वह पानी के महकमे से जुड़े हैं और इस समय गर्मी का मौसम चल रहा है, इसलिए फाइलों की संख्या काफी हो गई थी.

वह फाइल पर मातहत अधिकारियों द्वारा लिखी गई टिप्पणियों को ध्यान से पढ़ रहे थे कि अचानक उन के मोबाइल फोन की घंटी बजी. उन्होंने मोबाइल के स्क्रीन पर आने वाले नंबर को सरसरी तौर पर देखा और फिर स्विच औन कर के कहा, ‘‘हैलो.’’

‘‘सर, मैं स्टेट बैंक औफ इंडिया से बोल रहा हूं.’’ फोन करने वाले ने कहा.

‘‘हां, बताइए.’’ श्री मोहंती ने फाइल पर नजरें गड़ाए हुए ही कहा.

‘‘सर, आप को पता ही होगा कि एक अप्रैल से स्टेट बैंक औफ बीकानेर एंड जयपुर  सहित देश के 5 बैंकों का एसबीआई में विलय हो रहा है. आप का खाता एसबीबीजे में है. आप के एसबीबीजे के एटीएम कार्ड का वेरिफिकेशन करना है, ताकि उसे एसबीआई से जोड़ा जा सके.’’ दूसरी ओर से फोन करने वाले ने नपेतुले शब्दों में कहा.

बात करने वाले का लहजा सभ्य और अधिकारी जैसा था. इसलिए जे.सी. मोहंती ने पूछा, ‘‘वह तो ठीक है, लेकिन इस में मुझे क्या करना है?’’

‘‘सर, आप अपने एटीएम कार्ड के नंबर बता दीजिए.’’ फोन करने वाले ने कहा.

एसबीबीजे के एसबीआई में विलय की बात श्री मोहंती को पता थी, क्योंकि रोज ही मीडिया में इस की खबरें आ रही थीं. इसलिए उन्होंने टेबल पर ही रखे अपने पर्स से स्टेट बैंक औफ बीकानेर एंड जयपुर का एटीएम कार्ड निकाल कर उस पर सामने की ओर लिखे बारह अंकों का नंबर फोन करने वाले को बता दिया.

दूसरी ओर से फोन करने वाले ने एटीएम कार्ड नंबर नोट करते हुए दोबरा बोल कर कन्फर्म करते हुए कहा, ‘‘थैंक्यू सर, आप का एक मिनट और लूंगा, आप को एटीएम कार्ड के पीछे लिखा सीवीवी नंबर भी बताना होगा.’’

जे.सी. मोहंती ने सीवीवी नंबर भी बता दिया. इस के बाद फोन कट गया तो वह फिर से अपने काम में व्यस्त हो गए. कुछ देर बाद उन के मोबाइल पर एक मैसेज आया. उन्होंने मैसेज देखा तो उस में ओटीपी नंबर था. उसे उन्होंने अपनी डायरी में नोट कर लिया.

मैसेज आने के करीब 10 मिनट बाद उन के मोबाइल पर एक बार फिर उस व्यक्ति का फोन आया. उस ने कहा, ‘‘सर, आप को एक बार और कष्ट दे रहा हूं. आप के मोबाइल पर ओटीपी नंबर का मैसेज आया होगा. इसी ओटीपी नंबर से आप के एटीएम कार्ड और बैंक खाते का वेरिफिकेशन किया जाएगा. कृपया आप वह ओटीपी नंबर बता दीजिए, ताकि आप के खाते और एटीएम कार्ड को वेरिफाई कर के स्टेट बैंक औफ इंडिया से जोड़ कर अपडेट किया जा सके.’’

कुछ देर पहले ही अपनी पर्सनल डायरी में लिखा ओटीपी नंबर जे.सी. मोहंती ने सहज भाव से फोन करने वाले को बता दिया और अपने काम में व्यस्त हो गए. शासन सचिवालय में आसीन आईएएस अधिकारियों का जीवन बहुत व्यस्त होता है. दिनभर मीटिंगों और फाइलों में सिर खपाना पड़ता है.

कभी संबंधित मंत्री बुला लेते हैं तो कभी मुख्य सचिव. मुख्यमंत्री औफिस से भी दिन में 2-4 बार किसी न किसी फाइल के बारे में पूछताछ की जाती है. वैसे भी उन दिनों राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था, इसलिए भूजल विभाग के सवालों के जवाब के लिए उन का विधानसभा में उपस्थित रहना जरूरी था.

इन्हीं व्यस्तताओं के बीच जे.सी. मोहंती के मोबाइल पर पचासों मैसेज ऐसे आए, जिन्हें वह खोल कर देख या पढ नहीं सके. 3 अप्रैल, को वह सचिवालय के अपने औफिस में बैठे थे. जिस समय वह थोड़ा फुरसत में थे, तभी उन के मोबाइल पर एक मैसेज आया. उन्होंने वह मैसेज पढ़ा तो हैरान रह गए. मैसेज के अनुसार उन के बैंक खाते से 30 हजार रुपए निकाले गए थे.

जबकि बैंक से या एटीएम से उन्होंने कोई पैसे नहीं निकाले थे, इसलिए वह परेशान हो उठे. वह तुरंत शासन सचिवालय में ही स्थित स्टेट बैंक औफ बीकानेर एंड जयपुर की शाखा पर पहुंचे और बैंक मैनेजर को पूरी बात बताई. बैंक मैनेजर ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत जे.सी. मोहंती के बैंक खाते की डिटेल निकलवाई, जिसे देख कर श्री मोहंती को झटका सा लगा. उन के बैंक खाते से 22 मार्च से 3 अप्रैल के बीच अलगअलग समय में 2 लाख 73 हजार रुपए निकाले गए थे.

उन के मोबाइल पर बैंक की ओर से इस निकासी के मैसेज भी भेजे गए थे, पर व्यस्तता की वजह से वह उन मैसेजों को देख नहीं सके थे. खाते से करीब पौने 3 लाख रुपए निकलने की डिटेल देख कर जे.सी. मोहंती को करीब 15 दिनों पहले मोबाइल पर आए उस फोन की याद आ गई, जिस में खुद को बैंक अधिकारी बता कर किसी आदमी ने उन से एटीएम कार्ड का नंबर, सीवीसी नंबर और ओटीपी नंबर मांगा था.

जे.सी. मोहंती को समझते देर नहीं लगी कि वह साइबर ठगों द्वारा ठगी का शिकार हो गए हैं. उन के साथ औनलाइन ठगी की गई है. उन्हें दुख इस बात का था कि सितंबर, 2016 में एक बार और उन के साथ साइबर ठगी हो चुकी थी. उस समय उन के क्रेडिट कार्ड से विदेश में 86 हजार रुपए की शौपिंग की गई थी. जयपुर के थाना अशोकनगर में इस की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. लेकिन ठगों का पता नहीं चल सका था.

ए सीक्रेट नाइट इन होटल – भाग 1

अप्रैल के तीसरे सप्ताह में नोएडा की रहने वाली रश्मि (बदला नाम) जब भी अपना फेसबुक एकाउंट खोलती, उसे फ्रैंड रिक्वैस्ट में एक अंजान शख्स की रिक्वैस्ट जरूर दिखाई दे जाती. वह जानती थी कि आवारा, शरारती और दिलफेंक किस्म के मनचले युवक लड़कियों की कवर फोटो और प्रोफाइल देख कर ऐसी फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजा करते हैं. अगर इन की रिक्वैस्ट स्वीकार कर ली जाए तो जल्द ही ये रोमांस और सैक्स की बातें करते हुए नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश करने लगते हैं.

आमतौर पर ऐसी फैंरड रिक्वैस्ट पर समझदारी दिखाते हुए रश्मि ध्यान नहीं देती थी. इसलिए इस पर भी उस ने ध्यान नहीं दिया, क्योंकि वह बैठेबिठाए आफत मोल नहीं लेना चाहती थी. लेकिन 20 अप्रैल को उस ने इस अंजान फ्रैंड रिक्वैस्ट के साथ एक टैगलाइन लगी देखी तो वह बेसाख्ता चौंक उठी. वह लाइन थी ‘ए सीक्रेट नाइट इन होटल.’

इस टैगलाइन ने उसे भीतर तक न केवल हिला कर रख दिया, बल्कि गुदगुदा भी दिया. उसे पढ़ कर अनायास ही वह 20 दिन पहले की दुनिया में ठीक वैसे ही पहुंच गई, जैसे फिल्मों के फ्लैशबैक में नायिकाएं पहुंचने से खुद को रोक नहीं पातीं.

की बोर्ड पर चलती उस की अंगुलियां थम गईं और दिलोदिमाग पर ग्वालियर छा गया. वह वाकई सीक्रेट और हसीन रात थी, जब उस ने पूरा वक्त पहले अभिसार में अपने मंगेतर विवेक (बदला नाम) के साथ गुजारा था. जिंदगी के पहले सहवास को शायद ही कोई युवती कभी भुला पाती है. वह वाकई अद्भुत होता है, जिसे याद कर अरसे तक जिस्म में कंपकंपी और झुरझुरी छूटा करती है.

रश्मि को याद आ गया, जब वह और विवेक दिल्ली से ग्वालियर जाने वाली ट्रेन में सवार हुए थे तो उन्हें कतई गर्मी का अहसास नहीं हो रहा था. उस के कहने पर ही विवेक ने रिजर्वेशन एसी कोच के बजाय स्लीपर क्लास में करवाया था. दिल्ली से ग्वालियर लगभग 5 घंटे का रास्ता था. कैसे बातोंबातों में कट गया, इस का अंदाजा भी रश्मि को नहीं हो पाया.

आगरा निकलतेनिकलते रश्मि के चेहरे पर पसीना चुहचुहाने लगा तो विवेक प्यार से यह कहते हुए झल्ला भी उठा, ‘‘तुम से कहा था कि एसी कोच में रिजर्वेशन करवा लें, पर तुम्हें तो बचत करने की पड़ी थी. अब पोंछती रहो बारबार रूमाल से पसीना.’’

विवेक और रश्मि की शादी उन के घर वालों ने तय कर दी थी, जिस का मुहूर्त जून के महीने का निकला था. चूंकि सगाई हो चुकी थी, इसलिए दोनों के साथ ग्वालियर जाने पर घर वालों को कोई ऐतराज नहीं था. यह आजकल का चलन हो गया है कि एगेंजमेंट के बाद लड़कालड़की साथ घूमेफिरें तो उन के घर वाले पुराने जमाने की तरह ऊंचनीच की बातें करते टांग नहीं अड़ाते.

रश्मि को अपनी रिश्तेदारी के एक समारोह में जाना था, जिस के बाबत घर वालों ने ही कहा था कि विवेक को भी ले जाओ तो उस की रिश्तेदारों से जानपहचान हो जाएगी. बारबार पसीना पोंछती रश्मि की हालत देख कर विवेक खीझ रहा था कि इस से तो अच्छा था कि एसी में चलते. उसे परेशानी तो न होती.

प्यार की बात का जवाब भी प्यार से देते रश्मि उसे समझा रही थी कि उस का साथ है तो क्या गर्मी और क्या सर्दी, वह सब कुछ बरदाश्त कर लेगी. बातों ही बातों में रश्मि ने अपना सिर विवेक के कंधे पर टिका दिया तो सहयात्री प्रेमीयुगल के इस अंदाज पर मुसकरा उठे. लेकिन उन्हें किसी की परवाह नहीं थी. टे्रनों में ऐसे दृश्य अब बेहद आम हो चले हैं.

आगरा निकलते ही विवेक ने उस से वह बात कह डाली, जिसे वह दिल्ली से बैठने के बाद से दिलोदिमाग में जब्त किए बैठा था कि क्यों न हम रिश्तेदार के यहां कल सुबह चलें. वैसे भी फंक्शन कल ही है, आज की रात किसी होटल में गुजार लें. यह बात शायद रश्मि भी अपने मंगेतर के मुंह से सुनना चाहती थी.

क्योंकि स्वाभाविक तौर पर शरम के चलते वह एदकम से कह नहीं पा रही थी. दिखाने के लिए पहले तो उस ने बहाना बनाया कि घर वालों को पता चल गया तो वे क्या सोचेंगे? इस पर विवेक का रेडीमेड जवाब था, ‘‘उन्हीं के कहने पर तो हम साथ जा रहे हैं और फिर बस 2 महीने बाद ही तो हमारी शादी होने वाली है. उस के बाद तो हमें हर रात साथ ही बितानी है.’’

इस पर रश्मि बोली, ‘‘…तो फिर उस रात का इंतजार करो, अभी से क्यों उतावले हुए जा रहे हो?’’

रश्मि का मूड बनते देख विवेक ऊंचनीच के अंदाज में बोला, ‘‘अरे यार, क्या तुम्हें भरोसा नहीं मुझ पर?’’

यह एक ऐसा शाश्वत डायलौग है, जिस का कोई जवाब किसी प्रेमिका या मंगेतर के पास नहीं होता. और जो होता है, वह सहमति में हिलता सिर वह जवाब होता है.

‘‘तुम पर भरोसा है, तभी तो सब कुछ तुम्हें सौंप दिया है.’’ रश्मि ने कहा.

यही जवाब विवेक सुनना चाहता था. जब यह तय हो गया कि दोनों रात एक साथ किसी होटल के कमरे में गुजारेंगे तो बहने वाली पसीने की तादाद तो बढ़ गई, पर बरसती गर्मी का अहसास कम हो गया. दोनों आने वाले पलों की सोचसोच कर रोमांचित हुए जा रहे थे. अलबत्ता रश्मि के दिल में जरूर शंका थी कि धोखे से अगर किसी जानपहचान वाले ने देख लिया तो वह क्या सोचेगा?

अपनी शंका का समाधान करते हुए वह विवेक की आवाज में खुद को समझाती रही कि सोचने दो जिसे जो सोचना है, आखिर हम जल्द ही पतिपत्नी होने जा रहे हैं. आजकल तो सब कुछ चलता है. और कौन हम होटल के कमरे में वही सब करेंगे, जो सब सोचते हैं. हमें तो रोमांस और प्यार भरी बातें करने के लिए एकांत चाहिए, जो मिल रहा है तो मौका क्यों हाथ से जाने दें?

संगीन विश्वासघात : बेटी जैसी लड़की को बनाया शिकार – भाग 3

इस तरह 29 सितंबर, 2017 को गुरदासपुर के थाना सिटी में अपराध संख्या 168 पर उपर्युक्त धाराओं के तहत सुच्चा सिंह लंगाह के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया. इस के बाद लंगाह की वह अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

इस के बाद सुच्चा सिंह लंगाह ने भूमिगत हो कर पार्टी के सभी पदों तथा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की सदस्यता से इस्तीफा दे कर अदालत में आत्मसमर्पण करने की घोषणा कर दी. अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने उस के इस्तीफे को तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया. एसएसपी हरचरण सिंह भुल्लर ने मामले की जांच डीएसपी आजाद दविंद्र सिंह एवं इंसपेक्टर सीमा देवी को सौंपने के अलावा जसविंदर कौर को सुरक्षा मुहैया करा दी.

उसी दिन सुच्चा सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा कि उन के विरुद्ध यह झूठा मामला सरकार द्वारा गुरदासपुर उपचुनाव जीतने के लिए एक सोचीसमझी साजिश के तहत दर्ज कराया गया है. लेकिन उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. वह 30 सितंबर, 2017 को माननीय अदालत में आत्मसमर्पण कर देंगे.

लेकिन सुच्चा सिंह 30 सितंबर को किसी भी अदालत में आत्मसमर्पण करने नहीं पहुंचा. हालांकि उस दिन छुट्टी थी, फिर भी गुरदासपुर की अदालत में ड्यूटी मजिस्ट्रैट दिन भर बैठे रहे. इतना ही नहीं, मीडियाकर्मी, पुलिस फोर्स और अकाली दल के समर्थक भी अदालत पहुंच कर उस के बंद होने तक उस का इंतजार करते रहे.

जिस तरह सोशल मीडिया पर सुच्चा सिंह लंगाह का आपत्तिजनक वीडियो वायरल हुआ था, उसी तरह यह खबर भी सामने आई कि केस दर्ज करवाने वाली महिला ने 12 दिन पहले उसे चेतावनी देते हुए कहा था कि जो हुआ, सो हुआ. अब वह उस का पीछा छोड़ दें, वरना उसे मजबूरन पुलिस की शरण में जाना पड़ेगा.

लेकिन सुच्चा सिंह लंगाह ने उस की इस चेतावनी की जरा भी परवाह नहीं की थी. वह जाने कहां छिपा बैठा था. उसी बीच पहली अक्तूबर को भाजपा के पंजाब प्रभारी प्रभात झा ने बयान जारी करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अकाली नेता पूर्वमंत्री सुच्चा सिंह लंगाह को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उसी दिन शाम को शिरोमणि अकाली दल पार्टी ने उसे निकाले जाने का आदेश सार्वजनिक कर दिया.

गिरफ्तारी के डर से भूमिगत हो गया सुच्चा सिंह

मुकदमा दर्ज होने के 3 दिनों बाद सुच्चा सिंह लंगाह वकीलों की टीम के साथ चंडीगढ़ की जिला अदालत में आत्मसमर्पण करने पहुंचा, पर अदालत ने उसे गुरदासपुर जाने को कहा. इस के बाद सुच्चा सिंह फिर भूमिगत हो गया. श्री अकालतख्त साहिब समेत अन्य तख्तों के जत्थेदारों ने इस मामले पर नोटिस लेते हुए उस पर कड़ी काररवाई करने की बात की.

श्री अकालतख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी गुरबचन सिंह ने इस घटना की भर्त्सना करते हुए अपना बयान जारी किया कि सुच्चा सिंह लंगाह ने एसजीपीसी जैसी सर्वोच्च धार्मिक संस्था का सदस्य रहते हुए जो कृत्य किया है, वह अति निंदनीय है. दुनिया भर में बैठी संगत इस की जोरदार शब्दों में निंदा करती है. जल्दी ही इस मामले पर सिंह साहिबान की बैठक बुला कर और उस में धार्मिक मामलों को ले कर गठित कमेटी की राय ले कर लंगाह के खिलाफ जो काररवाई की जानी चाहिए, वह की जाएगी.

3 अक्तूबर को सुच्चा सिंह लंगाह की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने लुकआउट नोटिस जारी कर दिया. उस ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई, जो खारिज कर दी गई. आखिर 4 अक्तूबर को उस ने अपने वकीलों के साथ जा कर गुरदासपुर की सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. पुलिस ने पूछताछ के लिए उसे 9 अक्तूबर तक के लिए कस्टडी रिमांड पर ले लिया.

उस समय सुच्चा सिंह ने अदालत में मौजूद पत्रकारों से कहा था कि उन के विरुद्ध साजिश रची गई है, जिस में एक कांग्रेसी नेता तथा एक पुलिस अधिकारी ने मुख्य भूमिका निभाई है. इसी के साथ उस ने यह भी कहा कि उसे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है.

अदालत परिसर में ही कुछ लोगों ने सुच्चा सिंह पर हमला कर दिया, जिस में वह बालबाल बच गया. इस घटना के बाद पुलिस ने एक हमलावर युवक को नंगी तलवार के साथ गिरफ्तार कर लिया था.

उसी दिन सरबतखालसा पंथ के जत्थेदारों की ओर से सिख पंथ के नाम जारी एक हुकमनामे के अनुसार, सुच्चा सिंह को पंथ से निकाल दिया गया. इस के बाद इस फैसले पर 5 सिंह साहिबानों श्री अकालतख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह, तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, तख्त श्री पटनासाहिब के जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह, ज्ञानी जगतार सिंह व ज्ञानी रघबीर सिंह ने इस फैसले पर मुहर लगा दी.

कस्टडी रिमांड के दौरान सुच्चा सिंह लंगाह की उम्र अथवा रुतबे की परवाह न करते हुए पुलिस ने उस से गहन पूछताछ की.

कपूरथला से 10वीं पास कर के राजनीति में आने वाले सुच्चा सिंह लंगाह का मूल गांव था लंगाह, जहां उस के पिता तारा सिंह खेतीकिसानी करते थे. माझा में उस की अच्छी पहचान थी. उस के राजनीतिक कद को देखते हुए पार्टी में कई अहम पदों की जिम्मेदारी उसे सौंपी गई थी. क्योंकि वह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का बहुत करीबी और खासमखास था.

सुच्चा सिंह सन 1997 से 2002 तक बादल के नेतृत्व वाली सरकार में लोकनिर्माण मंत्री रहा. इस के बाद सन 2007 से 2012 तक की अकाली-भाजपा सरकार में उसे कृषि मंत्री बनाया गया था. सन 2012 के विधानसभा चुनाव में डेरा बाबा नानक सीट पर वह कांग्रेस के सुखजिंदर सिंह रंधावा से चुनाव हार गया.

उस ने 2 शादियां की थीं. उस के 2 बेटे और 2 बेटियां हैं. उस की पहली पत्नी गुरदासपुर के कस्बा धारीवाल में रहती है, जबकि दूसरी पत्नी नरेंद्र कौर नयागांव (मोहाली) में रहती है. 61 साल के हो चुके सुच्चा सिंह लंगाह पुलिस रिकौर्ड के अनुसार हिस्ट्रीशीटर है. जमीनों पर नाजायज कब्जे के उस पर अनेक मामले चले हैं. सन 2002 में उसे पंजाब के सतर्कता विभाग ने गिरफ्तार कर उस पर मुकदमा चलाया था. सन 2015 में उसे 3 साल की कैद हुई थी. इस फैसले के खिलाफ  की गई उस की अपील हाईकोर्ट में विचाराधीन है.

इस मामले में सुच्चा सिंह लंगाह बुरी तरह से फंस चुके है. अन्य धाराओं के अलावा पुलिस ने उस के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की धारा 295-ए जोड़ कर उस के कस्टडी रिमांड में एक दिन की बढ़ोत्तरी करवाई थी. 10 अक्तूबर को उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है.

बहरहाल, अपनी बेटी की सहपाठिन रही विधवा औरत के साथ विश्वासघात का संगीन खेल खेल कर पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह ने अपने इर्दगिर्द नफरत की एक ऐसी फसल उगा ली है, जिसे काट पाना उस के लिए आसान नहीं है.

कहानी सौजन्य – मनोहर कहानियां

संगीन विश्वासघात : बेटी जैसी लड़की को बनाया शिकार – भाग 2

जसविंदर कौर के अनुसार, मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह अकसर उस से कहा करते थे कि उन की इतनी पहुंच है कि अगर वह किसी का कत्ल भी करवा दें तो कोई उन का कुछ नहीं बिगाड़ सकता. यूपी, बिहार के कई गैंगस्टरों से उन की बहुत पटती है. वे उन के इशारे पर कभी भी कुछ भी कर सकते हैं. यहां तक कि वह जिस का कह दें, वे उस का कत्ल भी कर सकते हैं. इस तरह लंगाह जसविंदर को डरा कर अलगअलग जगहों पर ले जा कर उस का यौनशोषण करता रहा.

एसएसपी को दी गई अपनी शिकायत में जसविंदर ने आगे जो लिखा था कि मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह ने उसे अलगअलग जगहों पर ले जा कर उस के साथ इतनी बार दुष्कर्म किया है कि अब वह बता भी नहीं सकती. कुछ ऐसी जगहों पर भी वह उसे ले गया था, जिन के बारे में उसे आज भी कुछ पता नहीं है. लंगाह जब भी उसे कहीं ले जाता था, गाड़ी खुद चलाता था. उस आदमी ने उस से सिर्फ अपनी हवस ही नहीं मिटाई, बल्कि आर्थिक रूप से भी उसे खूब लूटा.

सुच्चा सिंह लंगाह ने जसविंदर को चंडीगढ़ में प्लौट दिलाने के नाम पर गांव की उस की जमीन बिकवा दी. उस रकम से सिपहिया नामक आदमी को प्लौट खरीदने के नाम पर बयाने के रूप में 15 लाख रुपए दिलवा दिए. इस के बाद एक वकील को 30 लाख रुपए दिए. बाद में उस से कहा गया कि अब वे लोग अपना प्लौट नहीं बेचना चाहते. जसविंदर को एक लाख रुपए दे कर लंगाह ने कहा कि बकाया रकम उसे धीरेधीरे दे दी जाएगी. कुछ दिनों बाद साढ़े 3 लाख रुपए दे कर उस से कहा गया कि उसे जो रकम मिल गई, वही बहुत है, बयाने की रकम भला कोई वापस करता है. इस तरह बाकी रकम लंगाह ने खुद रख ली थी.

जसविंदर कठपुतली बनी हुई थी मंत्री की

इस के बाद सुच्चा सिंह लंगाह ने जसविंदर के नाम पर सहकारी बैंक से 8 लाख रुपए कर्ज ले कर 1 लाख रुपए उसे दे दिए और बाकी के 7 लाख रुपए खुद रख लिए. इस के बाद यह कह कर जसविंदर के गांव वाले मकान का सौदा करवा दिया कि वह उसे जालंधर शहर में फ्लैट खरीदवा देगा. इस के बाद उस से प्रार्थना पत्र लिखवा कर उस का तबादला जालंधर करवा दिया.

जसविंदर कौर के अनुसार, लंगाह उसे नदी पार अपनी जमीनों के बीच बनी कोठी पर भी बुलाया करता था, जहां जाने में उसे बहुत डर लगता था. जसविंदर को लगता कि अगर उसे मार कर वहां दफना दिया गया तो किसी को पता तक नहीं चलेगा. वैसे भी उस ने उसे इतना डरा दिया था कि वह उस के हाथों की कठपुतली बनी हुई थी. इसीलिए वह उस के खिलाफ किसी के सामने मुंह खोलने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी.

एक बार जसविंदर के बेटे का एक्सीडेंट हुआ तो लंगाह ने यह कह कर उसे और डरा दिया कि कहीं यह एक्सीडेंट किसी ने कराया तो नहीं? उस ने यह बात इस तरह कही थी कि जसविंदर ने सोचा कि अगर उस ने कभी उस के खिलाफ जाने की सोची तो वह उस के परिवार को नुकसान पहुंचा सकता है.

जसविंदर जितना सुच्चा सिंह से डरती रही, वह उस का उतना ही शारीरिक और आर्थिक शोषण करता रहा. क्योंकि बेसहारा अकेली जसविंदर कौर की उस के सामने औकात ही क्या थी? इस बीच जसविंदर को पता चल गया कि सुच्चा सिंह ने उस की तरह और भी कई औरतों को उसी की तरह लूट कर उन की जिंदगी बरबाद कर दी.

इस के बाद जसविंदर को लगने लगा कि अब वह अति की सीमा पार कर चुका है. आखिर अपनी जान हथेली पर रख कर किसी तरह हिम्मत जुटा कर जसविंदर कौर ने सुच्चा सिंह लंगाह के खिलाफ उपर्युक्त शिकायत लिख कर एसएसपी को दे दी थी.

अपने ऊपर हुई ज्यादतियों को साबित करने के लिए मजबूरन जसविंदर ने इस सब की वीडियो बना ली थी. क्योंकि अगर वह ऐसा न करती तो अपनी पहुंच की बदौलत लंगाह उस की शिकायत को दबवा कर वह उसे किसी केस में फंसवा सकता था. इसीलिए सबूत के तौर पर जसविंदर ने एक वीडियो शिकायत पत्र के साथ नत्थी कर दी थी.

जसविंदर कौर ने शिकायत देने के बाद गुहार लगाई थी कि उसे और उस के परिवार को सुच्चा सिंह लंगाह से बहुत ज्यादा खतरा है. वह इतना खतरनाक आदमी है कि कभी भी उस पर हमला करवा कर मरवा सकता है. इसलिए उस ने निवेदन किया था कि उस की व उस के परिवार की सुरक्षा की व्यवस्था की जाए. उसे इंसाफ दिलवाया जाए और उस के आर्थिक नुकसान की भरपाई करवाई जाए.

सुच्चा सिंह लंगाह ने मंत्री और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का सदस्य रहते हुए तमाम गैरजिम्मेदाराना काम करते हुए बहुत ज्यादतियां की हैं. इसलिए इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए एक बेसहारा मजलूम औरत की फरियाद पर ध्यान दे कर उस के खिलाफ तुरंत काररवाई की जाए.

शिकायत पत्र के अंत में जसविंदर कौर ने अपने दस्तखत कर के नामपता और मोबाइल नंबर भी लिख दिया था. इस के साथ एक एफिडेविट के अलावा पैनड्राइव और सीडी भी संलग्न थी, जिस में 20 मिनट की वीडियो थी, जो किसी नीली फिल्म से कम नहीं थी. उस में लंगाह को निर्वस्त्र हो कर शिकायतकर्ता के साथ शारीरिक संबंध बनाते दिखाया गया था.

सबूतों के आधार पर सुच्चा सिंह के खिलाफ दर्ज हो गई शिकायत

एसएसपी हरचरण सिंह भुल्लर ने मार्क कर के जसविंदर की शिकायत की काररवाई के लिए डीएसपी (सिटी) गुरबंस सिंह बैंस को भिजवा दी. उन्होंने इस के तथ्यों एवं वीडियो वगैरह की जांच कर के कानूनी राय लेने के लिए उसे जिला न्यायवादी के पास भिजवा दिया. डिस्ट्रिक्ट अटार्नी ने भादंवि की धारा 376, 384, 420 एवं 506 के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने की संस्तुति दे दी.

संगीन विश्वासघात : बेटी जैसी लड़की को बनाया शिकार – भाग 1

28 सितंबर, 2017 को जिला गुरदासपुर के गांव मिताली के रहने वाले रंजीत सिंह की विधवा जसविंदर कौर ने एसएसपी हरचरण सिंह भुल्लर को एक शिकायत दी थी, जिस में उस ने जो लिखा था, वह कुछ इस प्रकार था—

2 बच्चों की मां जसविंदर कौर के पति रंजीत सिंह पंजाब पुलिस में थे, जिन की अप्रैल, 2008 में अचानक मौत हो गई थी. जसविंदर पढ़ीलिखी थी, इसलिए अनुकंपा के आधार पर उसे पति की जगह नौकरी मिल जानी चाहिए थी. इस के लिए उस ने काफी कोशिश की, लेकिन उसे नौकरी नहीं मिल सकी. किसी ने जसविंदर कौर को सलाह दी कि इस तरह कुछ नहीं होना. अगर वह किसी मंत्री या बड़े नेता से कहलवा दे तो उस का काम आसानी से हो जाएगा. जसविंदर को याद आया कि उस की एक सहपाठिन के पिता बड़े नेता हैं. वह राज्य सरकार में मंत्री भी हैं. जसविंदर जा कर उन से मिली. यह सन 2009 के शुरू की बात है.

जसविंदर कौर ने मंत्री महोदय से पूरी बात बता कर यह भी बताया कि उन की बेटी कालेज में उस के साथ पढ़ती थी. मंत्री महोदय ने उस के सिर पर हाथ फेरते हुए हरसंभव मदद का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि उन के लिए यह काम जरा भी मुश्किल नहीं है.

यह मंत्री महोदय कोई और नहीं, सरदार सुच्चा सिंह लंगाह थे, जिन से जसविंदर कौरगुरदासपुर पंजाब चंडीगढ़ स्थित उन के सरकारी आवास पर अपने घर वालों के साथ मिली थी. लंगाह ने जसविंदर को काम कराने का आश्वासन देते हुए 2-3 दिनों बाद अकेली किसान भवन में आ कर मिलने को कहा. आने से पहले फोन कर लेने की बात कहते हुए उन्होंने उसे अपना मोबाइल नंबर भी दे दिया था.

2 दिनों बाद जसविंदर कौर ने मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह को फोन किया तो उन्होंने उसे अगले दिन दोपहर को किसान भवन आने को कहा, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह वहां अकेली ही आएगी. जसविंदर कौर ने वैसा ही किया. अगले दिन दोपहर को वह अकेली ही चंडीगढ़ के सैक्टर-35 स्थित किसान भवन पहुंच गई. वहां ठहरने के लिए होटलों की तरह हर सुखसुविधा वाले कमरे बने हैं. इन्हीं कमरों में से एक कमरे में लंगाह आराम कर रहे थे. उन्होंने जसविंदर को अपने कमरे में बुलवा लिया.

जसविंदर ने अपनी शिकायत में लंगाह पर जो आरोप लगाए हैं, उस के अनुसार वह किसान भवन के उस कमरे में पहुंची तो मंत्री सुच्चा सिंह उसे अपनी बगल में बिठा कर उस के साथ अश्लील हरकतें करने लगा. इस से जसविंदर बुरी तरह डर गई.

उस ने लंगाह को रोकने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘अंकल, मैं आप की बेटी सरबजीत कौर के साथ बेबे नानकी कालेज में पढ़ी हूं. इस नाते मैं आप की बेटी की तरह हूं. आप को अपने पिता की तरह मान कर मैं आप के पास मदद के लिए आई हूं. आप मुझ पर रहम करें. मैं विधवा हूं. मेरे 2 बच्चे हैं. प्लीज, मुझे जाने दीजिए.’’

जसविंदर के अनुसार, इस चिरौरी का सुच्चा सिंह लंगाह पर कोई असर नहीं हुआ. पहले तो उस ने अपनी ऊंची पहुंच के बारे में बताते हुए उसे जल्दी सरकारी नौकरी दिलवाने का लालच दिया. लेकिन जसविंदर काबू में नहीं आई तो उस ने उसे धमकी दी कि वह चाहे तो उसे अभी किसी केस में फंसा कर उस की जिंदगी बरबाद कर सकता है. इस के बाद उस ने जबरदस्ती जसविंदर की अस्मत लूट ली.

जसविंदर ने अपनी शिकायत में आगे लिखा है कि सुच्चा सिंह लंगाह का रुतबा देख कर वह डर के मारे चुप रह गई. बस पकड़ कर वह अपने गांव लौट आई. इस बारे में उस ने किसी को कुछ नहीं बताया. फिर वह एक लाचार विधवा औरत थी, जिस के लिए अपने बच्चों को पालने की खातिर नौकरी बहुत जरूरी थी.

यही वजह थी कि इज्जत लुटने के बाद भी जसविंदर लंगाह से संबंध तोड़ नहीं सकी. वह उसे फोन कर के अपने काम के बारे में पूछती रहती. उन का एक ही जवाब होता था कि वह कोशिश कर रहा है कि उस का काम जल्दी हो जाए.

एक बार लंगाह ने बीएमडब्ल्यू कार भेज कर जसविंदर कौर को पंजाब सिविल सेक्रेटेरिएट स्थित अपने औफिस में बुलवाया और उस के सामने ही किसी बड़े पुलिस अफसर को फोन कर के कहा कि वह जसविंदर को उस के पास भेज रहे हैं, उस का काम किसी भी सूरत में आज ही हो जाना चाहिए. इस के बाद लंगाह ने जसविंदर को अपने एक आदमी के साथ उस पुलिस अधिकारी के पास भेज दिया.

पुलिस अधिकारी भला आदमी था, उस ने उसी दिन नियुक्तिपत्र जारी करवा दिया. इस तरह जसविंदर को स्टेट विजिलेंस विभाग में क्लर्क की नौकरी मिल गई. नौकरी पा कर जसविंदर कौर बहुत खुश थी. वह लंगाह को धन्यवाद देने भी गई.

जसविंदर की मजबूरी का फायदा उठाते हुए लंगाह ने एक बार नहीं, कई बार शारीरिक शोषण किया. उस दिन भी वह उसे यह कहते हुए एक जगह ले जा कर वही सब किया कि अभी उस की नौकरी कच्ची है, जल्दी वह उसे पक्की करवा देगा.

डराधमका कर मंत्रीजी करते रहे उस का यौनशोषण

इस के बाद सुच्चा सिंह लंगाह जसविंदर से यह कहने लगा कि उस ने कई लोगों को एजेंसियां दिलवाई हैं, जो हर महीने लाखों रुपए कमा रहे हैं. वह चाहे तो उस के परिवार के किसी सदस्य के नाम एजेंसी दिलवा सकता है, जिस के माध्यम से वह मोटी कमाई कर सकती है. इस तरह की बातें करते हुए अकसर वह कुछ ऐसी बातें कह देते थे, जिस से जसविंदर इतना डर जाती कि उसे अपनी मौत का अहसास होने लगता था.