राजवीर और चंद्रेश की आंखों में अनोखी चमक थी. बहुत कम रुपयों में उन्हें एमबीबीएम करने का सुनहरा मौका जो मिल रहा था. इस मौके को वे किसी भी कीमत पर हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे.
सभी पीडि़त पहुंचे पुलिस के पास
नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) के थाना सेक्टर-63 में 30-35 युवक एक साथ पंहुचे तो एसएचओ अमित मान अपनी कुरसी से उठ कर खड़े होते हुए बोले, ‘‘क्या बात है, आप इतने लोग एक साथ?’’
‘‘सर, हम लुट गए हैं, हमारे साथ धोखाधड़ी हुई है.’’ उन युवकों में चंद्रेश भी था. वह आगे आ कर रुआंसे स्वर में बोला.
‘‘किस ने की है यह धोखाधड़ी?’’ एसएचओ चौंकते हुए बोले, ‘‘मुझे तुम विस्तार से पूरा मामला बताओ.’’
‘‘सर, मेरा नाम चंद्रेश है. यहां सैक्टर-63 में एक औफिस खोला गया है, जिस के द्वारा 20 से 30 लाख रुपए ले कर सरकारी कालेज में एमबीबीएस का एडमिशन दिलवाने का झांसा दिया गया.
‘‘यह साथ आए तमाम छात्र और मैं इस फरजीवाड़े का शिकार बन गए हैं. किसी ने 30 लाख रुपया दिया है, किसी ने 20 लाख. मेरे दोस्त राजवीर ने मुझे बताया कि कम रुपयों में फलां कंपनी हमें एमबीबीएस का एडमिशन दिलवा देगी.’’
‘‘राजवीर साथ आया है?’’ एसएचओ अमित मान ने पूछा.
‘‘जी सर.’’ राजवीर युवकों की भीड़ से आगे आ कर बोला, ‘‘मैं भी इस फरजी कंपनी द्वारा ठग लिया गया हूं. मैं ने 25 लाख रुपया इस कंपनी को दे दिया है.’’
‘‘ओह!’’ एसएचओ अमित मान एकदम गंभीर हो गए, ‘‘राजवीर तुम्हें इस औफिस के विषय में किस ने बताया था?’’
‘‘मेरा दोस्त शिवम है, वह भी साथ आया है सर. शिवम ने ही मुझे बताया था कि 15 लाख रुपया दे कर वह सरकारी कालेज के लिए सेलेक्ट हो गया है. मैं ने यह बात चंद्रेश को बताई तो वह और मैं दूसरे दिन इस औफिस में पहुंच गए. मुझ से 25 लाख रुपया एडमिशन दिलवाने के नाम पर मांगा गया तो मैं ने तीसरे दिन ही यह रुपया औफिस में जा कर जमा करवा दिया.’’
‘‘हां चंद्रेश, तुम ने 20 लाख रुपया कैसे जुटाया?’’ एसएचओ ने पूछा.
‘‘सर, मैं ने पिताजी और भैया के पांव पकड़ लिए. उन से गिड़गिड़ा कर कहा कि अगर मुझे 20 लाख रुपया दे देंगे तो डाक्टरी करने के बाद सरकारी नौकरी मिल जाएगी. मैं उन का रुपया लौटा दूंगा और घर की तमाम जिम्मेदारी भी संभाल लूंगा. मेरे भाई और पिताजी ने सलाहमशविरा कर के फैजाबाद वाला खेत 20 लाख में तुरंत बेच कर 3 दिन में मेरे हाथ पर 20 लाख रुपया रख दिया. जिसे ला कर मैं ने उस औफिस में जमा करवा दिया.’’
‘‘तुम्हें कैसे पता चला कि तुम लुट गए हो, तुम्हारे साथ धोखा हुआ है?’’ एसएचओ ने पूछा.
‘‘सर, इस कंपनी ने रुपया ले लेने के बाद मुझे भी अन्य छात्रों की तरह काउंसलिंग के बहाने 18 दिसंबर, 22 तक रोक कर रखा. हमें एक महीने रोक कर रोज मीटिंग ली जाती, समझाया जाता कि एमबीबीएस कैसे पूरा करना है, कैसे आत्मविश्वास बना कर रखना है, कैसे संयम रख कर अपनी पढाई करनी है, आदिआदि.
‘‘एक महीना पूरा होने के बाद 18 दिसंबर को सरकारी कालेज (जहां से एमबीबीएस करना था) एक अथारिटी लेटर ले कर भेजा गया. वहां जाने पर हमें मालूम हुआ कि सरकारी कालेज के डीन ऐसे किसी औफिस या व्यक्ति को नहीं जानते, हमें ठगा गया है. यह मालूम होते ही हम सब सेक्टर-63 के उस औफिस में पहुंचे तो वहां गार्ड और कर्ताधर्ता गायब थे. हमें अपने को ठगे जाने का पता चला तो हम सब एकत्र हो कर यहां अपनी शिकायत ले कर आ गए हैं.’’
मामला बहुत गंभीर था. एसएचओ अमित मान ने गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह, डीसीपी व एसीपी को फोन द्वारा इस ठगी की जानकारी दी तो उन्होंने एसएचओ अमित मान को जांच अधिकारी बना कर उन के नेतृत्व में एसआई नीरज शर्मा, आरती शर्मा, हैडकांस्टेबल सुबोध, वरुण चौधरी, कांस्टेबल अंकित व अंशुल की टीम का गठन कर दिया गया.
एसएचओ ने थाने में आए छात्रों को आश्वासन दिया कि उन ठगों को पकड़ने की पूरी कोशिश की जाएगी. वे सब अपनीअपनी शिकायत स्वागत कक्ष में जा कर लिखित रूप में जमा करवा दें और अपने घर लौट जाएं.
चंद्रेश और राजवीर के बताए अनुसार, आर्टिस्ट ने उन ठगों के हुलिए के रेखाचित्र बना दिए. उन में एक उस मुसलिम युवक और 2 युवतियों के चित्र थे.
एसएचओ अमित मान ने उन रेखाचित्रों को हर थाने में वाट्सऐप द्वारा भेज कर उन्हें देखते ही हिरासत में लेने और सूचना देने का अनुरोध कर दिया.
एसएचओ अमित मान अपने साथ एसआई नीरज शर्मा और पुलिस टीम के साथ चंद्रेश और राजवीर को साथ ले कर उन ठगों के कथित औफिस के लिए निकल गए.
लेकिन औफिस पर ताला बंद था. वहां आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की पड़ताल की गई तो उन युवक और युवतियों की पहचान चंद्रेश और राजवीर ने कर दी.
तीनों की फोटो अपने मोबाइल में अपलोड करने के बाद एसएचओ अमित मान ने अपने तमाम मुखबिरों को वह फोटो उन के मोबाइल में भेज कर उन की तलाश में लगा दिया.
पुलिस टीम भी उन वांछित ठगों की तलाश में पूरे शहर में फैल गई. पुलिस और मुखबिरों की मेहनत रंग लाई. उन ठगों को 30 दिसंबर को सेक्टर 62 के गोलचक्कर से गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी की सूचना पा कर वरिष्ठ अधिकारी भी थाने पहुंच गए.
उन की उपस्थिति में ठगों से पूछताछ शुरू हुई. उन के नाम तस्कीर अहमद खान, रितिक सिंह उर्फ लवलीन व वैशाली पाल थे. तीनों पढ़ेलिखे थे. अपने शौक व तुरंत अमीर बनने की महत्त्वाकांक्षा के लिए उन्होंने ठगी का यह धंधा अख्तियार किया था. तीनों दोस्त थे.
तस्कीर अहमद को मालूम था, एमबीबीएस में छात्रों को 80-90 लाख में भी दाखिला बहुत मुश्किल से मिलता है. ऐसे छात्रों को एमबीबीएस में कालेज में दाखिला दिलवाने के लिए 15 से 30 लाख रुपया ले कर ठगा जा सकता है.
इस के लिए उन तीनों ने गौतमबुद्ध नगर में डी-247/4ए में एक औफिस खोल कर सिक्योरिटी गार्ड को रखा. इस के बाद उन्होंने कालेजों से साइंस सब्जेक्ट से ग्रैजुएशन करने वाले छात्रों के एड्रैस, नाम और मोबाइल नंबर हासिल कर के उन के मोबाइल्स पर सस्ते में एमबीबीएस करवाने का मैसेज भेजा.
2-4 छात्र उन के पास आए तो उन्हें 20-30 लाख में एडमिशन दिलवाने के नाम पर ठग कर उन्हें ही अन्य दोस्तों को, जो यह कोर्स करना चाहते हैं, उकसाने और यहां लाने के लिए प्रेरित किया. इस प्रकार सैकड़ों छात्र उन के संपर्क में आ गए.
उन्होंने इस तरह छात्रों से करोड़ों रुपए ठग लिए, फिर फरजीवाड़े की पोल खुलने के डर से 18 दिसंबर, 2022 को उन्होंने छात्रों को अपाइंटमेंट लेटर दे कर सरकारी कालेज जाने को कहा और अपना बोरियाबिस्तर समेट कर भाग निकले, किंतु वे मुखबिर की सूचना पर सेक्टर-62 से पकडे़ गए. वह यह शहर छोड़ कर मुंबई भाग जाने वाले थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
पुलिस ने उन को कोर्ट में पेश कर के रिमांड पर ले लिया. उन से कड़ी पूछताछ शुरू हुई तो उन्होंने अपने 3 और साथियों के नाम बताए, जो परदे के पीछे रह कर काम कर रहे थे. ये नाम थे- 1. नीरज कुमार सिंह उर्फ अजय, निवासी-गांव महादेवा, थाना-माली, जिला-औरंगाबाद (बिहार) 2. अभिषेक आनंद उर्फ सुनील, निवासी- 193, मानसा मार्ग, कृष्णापुरी, पटना (बिहार) 3. मोहम्मद जुबेर उर्फ रिजोल हक निवासी-149, हौजरानी, मैक्स हौस्पिटल के पास, मालवीय नगर, दिल्ली.
इन्हें पकड़ने के लिए पुलिस टीम भेजी गई, लेकिन ये तीनों फरार हो गए थे. शायद इन्हें अपने साथियों के पकड़े जाने की भनक लग गई थी. पकड़े गए तस्कीर अहमद खान पुत्र अहमद अली खान, निवासी मुरादी रोड, बाटला हाउस, थाना जामिया, दिल्ली 2. रितिक उर्फ लवलीन कौर पुत्री गुरुदेव कौर, चाम्स केशल, राजनगर एक्सटेंशन, गाजियाबाद. 3. वैशाली पाल पुत्री मूलचंद सिंह, निवासी-साईं एन्क्लेव, डी ब्लौक, नंदग्राम, गाजियाबाद.
रिमांड अवधि में इन से छात्रों से ठगे गए रुपयों के संबंध में पूछताछ की गई तो इन की निशानदेही पर 19 लाख रुपया, 3 अंगूठी सफेद धातु, एक ब्रेसलेट सफेद धातु, 6 चेन पीली धातु, एक बाली पीली धातु, 6 अंगूठियां पीली धातु, 6 मोबाइल, 14 की पैड फोन, 3 डायरी, एक पैन कार्ड, 4 एटीएम कार्ड, एक आधार कार्ड बरामद हुआ.
पुलिस ने इन के विरुद्ध भादंवि की धारा 420/406/120बी/34 के तहत मुकदमा दर्ज कर इन्हें दोबारा अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया गया.
तीनों भगोड़े ठगों नीरज कुमार सिंह उर्फ अजय, अभिषेक आनंद उर्फ सुनील व मोहम्मद जुबेर उर्फ रिजोल पर पुलिस ने 25-25 हजार का ईनाम घोषित कर दिया था. इन्होंने पुलिस को बहुत छकाया, लेकिन अंत में 28 जनवरी, 2023 को 11 बजे ये तीनों पुलिस के हत्थे चढ़ गए. इन से भी पूछताछ करने के बाद पुलिस ने इन्हें कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया. द्य




