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किराए के बैंक खातों से साइबर ठगी

किराए के बैंक खातों से साइबर ठगी

मध्य प्रदेश के जिला नरसिंहपुर का गोटेगांव कस्बा जिस का नाम श्रीधाम है, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की तपोस्थली के रूप में पूरे देश में जाना जाता है. 9 मई, 2023 की बात है. श्रीधाम रेलवे स्टेशन से चंद कदमों की दूरी पर ही पुलिस स्टेशन गोटेगांव में टीआई हिमलेंद्र पटेल अपने कक्ष में बैठे एक पुराने केस की फाइल पलट रहे थे, तभी एक 20-21 साल के नवयुवक ने उन के कमरे के सामने दस्तक देते हुए कहा, “सर, क्या मैं अंदर आ सकता हूं?”

“हां, आ जाइए.” टीआई ने कहा.

वह युवक कमरे में दाखिल हुआ और टीआई के इशारे पर कुरसी पर बैठ गया.

“बोलो क्या काम है?” फाइल से नजरें हटाते हुए टीआई बोले.

“सर, मेरा नाम शिवम कहार है. मेरे पिताजी सुनील कहार इस दुनिया में नहीं हैं. मैं बैलहाई इलाके में रहता हूं. सर, मेरे साथ बैलहाई में रहने वाले कमलेश पटेल और उस के साथियों ने मारपीट की है, मैं इस की रिपोर्ट लिखाने आया हूं.” घबराते हुए युवक बोला.

“आखिर मारपीट की कोई वजह भी तो होगी, राह चलते कोई किसी के साथ भला मारपीट क्यों करेगा?” टीआई पटेल ने उस से पूछा.

“सर, वजह कोई खास नहीं, पैसों के लेनदेन की वजह से कहासुनी हुई तो कमलेश और उस के दोस्त ब्रजेश, छोटू और अमन हाथापाई पर उतर आए.” शिवम ने बताया.

“किस तरह का लेनदेन था? क्या तुम ने उन लोगों से पैसे उधार लिए थे? उधारी का पैसा देने में कोताही कर रहे होगे?” टीआई पटेल सख्त हो कर बोले.

“नहीं सर, मैं ने किसी से पैसे उधार नहीं लिए थे. मुझे पैसों की जरूरत थी तो मैं ने अपने बैंक का एटीएम कार्ड और मोबाइल सिम कमलेश पटेल को दिया था. जब मैं ने अपने अकाउंट की डिटेल निकलवाई तो मुझे पता चला कि इस में 8-9 लाख रुपए का लेनदेन हुआ है. जब मैं ने कमलेश से अपना एटीएम वापस मांगा तो वह गालियां देने लगा. तभी उस के दोस्त भी वहां आ गए और सभी ने मिल कर मुझे खूब पीटा.” शिवम रोते हुए बोला.

टीआई हिमलेंद्र पटेल ने शिवम कहार की शिकायत नोट करते हुए इस की जांच के लिए अधीनस्थ स्टाफ को निर्देशित कर दिया.

ठगों ने शिवम के खाते में की 8-9 लाख की ट्रांजैक्शन

गोटेगांव में रहने वाले 21 साल के शिवम कहार की रिपोर्ट की जांच करने पर पता चला कि कमलेश पटेल निवासी गोटेगांव द्वारा लोन दिलाने एवं सिबिल स्कोर अच्छा करने का लालच दे कर शिवम से यूनियन बैंक औफ इंडिया और एक्सिस बैंक में खाते खुलवाए गए थे. बाद में कमलेश ने शिवम का खाता नंबर, एटीएम कार्ड और पिन ले कर उस के एक्सिस बैंक के खाते से 8-9 लाख रुपए का ट्रांजैक्शन कमलेश पटेल और उस के साथियों द्वारा मिल कर किया गया था.

पुलिस थाना गोटेगांव में शिवम कहार की रिपोर्ट पर कमलेश और उस के साथियों के खिलाफ भादंवि की धारा 420, 467, 120बी का अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया गया. इस मामले की सूचना एसपी अमित कुमार को मिली तो उन्होंने आरोपियों की पतासाजी एवं गिरफ्तारी के लिए एडिशनल एसपी सुनील शिवहरे के निर्देशन और एसडीओपी (गोटेगांव) भावना मरावी की अध्यक्षता में विशेष पुलिस टीम गठित की गई.

पुलिस टीम आरोपियों की तलाश में जुट गई और स्थानीय मुखबिरों को भी सक्रिय कर दिया. जानकारी एकत्रित की गई. पुलिस टीम ने रिपोर्टकर्ता शिवम कहार से एक बार फिर पूछताछ की तो उस ने अपने साथ हुई धोखाधड़ी की जो कहानी बताई, उस से पुलिस अधिकारियों के होश उड़ गए.

दोस्त के जरिए ठग गैंग से हुआ संपर्क

बैलहाई आजाद वार्ड, गोटेगांव का रहने वाला शिवम कहार कुल जमा नौवीं जमात तक पढ़ा है. शिवम के पिता की साल 2020 में कोरोना से मौत हो गई थी. घर में मां और छोटी बहन को पालने की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर आ गई थी. भाईबहन दोनों ही अविवाहित हैं. पिछले 3 सालों से वह चायनाश्ते की दुकान पर काम कर रहा है.

5 महीने पहले दिसंबर, 2022 में शिवम की मम्मी की तबीयत खराब हुई तो वह अपने दोस्त सरदार पटेल वार्ड में रहने वाले जय मुडिय़ा के पास पहुंच कर बोला, “यार जय, घर में मम्मी की तबीयत खराब है और मेरे पास उन की दवाइयों के लिए पैसे भी नहीं है. कुछ रुपए मुझे उधार दे दे, मैं जल्द तुझे लौटा दूंगा.”

“मेरे भाई, तुझे तो पता है कि मेरी माली हालत इतनी अच्छी नहीं है कि तुझे रुपए उधार दे सकूं. लेकिन एक शख्स है जो तुझे रुपए उधार दे सकता है.” जय ने शिवम को समस्या का हल बताते हुए कहा.

“बता यार कौन है वो, जो मुझे इस बुरे वक्त में रुपए उधार दे सकता है?” शिवम उतावला हो कर बोला.

“2-3 महीने पहले मुझे भी पैसों की जरूरत थी, तब मेरा संपर्क गोटेगांव के एक लडक़े से हुआ था जिस का नाम कमलेश पटेल है. उस ने मुझ से बैंक का एटीएम कार्ड, बैंक से लिंक सिम कार्ड लिया था. इस के एवज में उस ने मुझे 3 हजार रुपए दिए थे.

तभी उस ने कहा था कि यदि किसी और को पैसे कमाने हो तो उस से भी बैंक अकाउंट मांग लेना.” जय ने पूरी बात शिवम को समझाते हुए कहा.

“लेकिन इस में कोई गड़बड़ तो नहीं होगी?” आशंका जताते हुए शिवम ने पूछा.

“काहे की गड़बड़… हमारे अकाउंट में कहां के लाख रुपए जमा हैं.” भरोसा दिलाते हुए जय बोला.

जय ने शिवम की तसल्ली के लिए स्पीकर औन कर के कमलेश से बात की.

जय ने पूछा, “कमलेश भाई मेरा एक दोस्त शिवम है, जो अपना अकाउंट आप को देना चाहता है, लेकिन वह जानना चाहता है कि आप इस अकाउंट का क्या उपयोग करते हो?”

इस पर कमलेश ने फोन पर ही बताया, “मैं इस तरह कई लोगों से खाते ले कर आगे दूसरे व्यक्तियों को भेजता हूं. वे लोग इन

खातों में 3-4 लाख रुपए ओटीपी और लिंक के माध्यम से जमा कराते हैं. इस के बाद एटीएम और सिम के जरिए रुपए अकाउंट से निकाल लेते हैं. कुछ समय बाद फिर बैंक अकाउंट का उपयोग बंद कर देते हैं.”

साइबर कैफे वाला भी शामिल था ठग गैंग में

जय मुडिय़ा और कमलेश पटेल की बातों पर भरोसा करते हुए शिवम ने जय की मार्फत अपना यूनियन बैंक औफ इंडिया का एटीएम कार्ड व खाते से जुड़ा सिम कार्ड कमलेश को दे दिया. कमलेश से इस के बदले में उसे 2 हजार रुपए मिल गए. करीब 10 दिनों बाद शिवम के पास कमलेश पटेल का फोन आया.

उस ने जय का हवाला देते हुए बताया कि जो एटीएम कार्ड और सिम उस ने दिया है, वह सही ढंग से काम नहीं कर रहा है. उस ने दूसरा एटीएम जारी कराने और अकाउंट से दूसरा मोबाइल नंबर भी रजिस्टर्ड करवाने के लिए कहा.

इस काम के लिए कमलेश ने उसे रिपटा के पास साइबर पौइंट दुकान पर भेजा, जहां उस दुकानदार ने उस के नाम पर दूसरी सिम एक्टिवेट कर खुद रख ली और नंबर दे कर उसे बैंक खाते में लिंक कराने के लिए कहा.

साइबर पौइंट संचालक के कहे अनुसार शिवम ने बैंक जा कर अपने अकाउंट से नया मोबाइल नंबर लिंक करा कर दूसरा एटीएम कार्ड जारी करवा लिया और उसी साइबर पौइंट वाली दुकान के संचालक को दे दिया.

इस के एक सप्ताह बाद फिर कमलेश का फोन आया. उस ने शिवम से कहा, “और रुपयों की जरूरत हो तो दूसरे बैंक का एटीएम कार्ड और दूसरा सिम कार्ड लिंक करा कर दे सकते हो.”

कमलेश की बातों से शिवम के मन में लालच आ गया. कमलेश के कहे अनुसार शिवम ने एक्सिस बैंक का एटीएम कार्ड साइबर पौइंट दुकान पर दे दिया और दूसरी सिम भी लिंक करा दी. लेकिन इस बार दुकानदार ने 2 हजार रुपए नहीं दिए. इस के कुछ दिन बाद उस ने बैंक जा कर वह एटीएम कार्ड ब्लौक करा दिया. जब शिवम ने कमलेश से रुपए न मिलने की शिकायत की तो इस के बाद कमलेश ने संपर्क करना बंद कर दिया.

8 मई को वह कमलेश को दिए गए एक्सिस बैंक खाते की डिटेल पता करने बैंक गया तो पता चला कि उस के खाते में 9 लाख रुपए से अधिक का लेनदेन हुआ है. उस के खाते से लगातार लेनदेन किया जा रहा था, जबकि उस ने खाता खुलवाने के बाद खुद कभी एक भी रुपया जमा नहीं किया था. इस बात का उलाहना जब शिवम ने कमलेश और उस के साथियों को दिया तो वे हाथापाई पर उतर आए.

साइबर ठगों तक पहुंच गई पुलिस

शिवम की बात सुन कर पुलिस समझ गई कि यह एक गैंग है जो सुनियोजित तरीके से धंधा कर रहा है. पुलिस टीम को अब उस गैंग तक पहुंचना था. पुलिस ने जब जांच आगे बढ़ाई तो पता चला कि कमलेश पटेल ने इस तरह की डील और भी कई लोगों के साथ की हुई है. एसडीओपी भावना मरावी और गोटेगांव टीआई हिमलेंद्र पटेल ने जब इस की कडिय़ां जोड़ीं तो एक बड़े साइबर ठग गिरोह की जानकारी सामने आई.

जांच के दौरान पता चला कि शिवम जैसे ही कई लोगों के साथ कमलेश पटेल और उस की गैंग ने बैंक अकाउंट में धोखाधड़ी की है. पुलिस ने जब एकएक कर के 35 बैंक खातों की डिटेल खंगाली तो पता चला कि पिछले 5 महीने के दौरान इन बैंक खातों में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों के लोगों के साथ धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपयों का लेनदेन किया गया है.

बैंक अकाउंट को किराए पर लेने वाला यह गिरोह गोटेगांव और आसपास के लोगों को यह बोल कर बैंक खाते खुलवाते थे कि वे उन्हें आसानी से लोन दिलवाएंगे. इस के लिए उन का सिबिल स्कोर बढ़ाएंगे, जिस से ज्यादा लोन मिल सके. इस के लिए वे लोगों के बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड और खाते से लिंक मोबाइल का सिम कार्ड खुद रख लेते थे.

फिर यह लोग ऐसे बैंक अकाउंट आकाश राजपूत नाम के ठग को बेचते थे. आकाश इन बैंक खातों को जामताड़ा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली के साइबर फ्रौड करने वाले गिरोह को बेच देता था. ज्यादातर खाताधारकों को यह पता ही नहीं चलता था कि उन के खातों में लाखों का लेनदेन किया जा रहा है.

डिजिटल टेक्नोलौजी के दौर में देश में साइबर क्राइम जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, पुलिस के सामने चुनौतियां भी बढ़ी हैं. पढ़ेलिखे नौजवानों को सरकार नौकरी नहीं दे पा रही. ऐसे में युवा पीढ़ी अपराध की ओर बढ़ रही है. साइबर क्राइम की घटनाएं केवल अब बड़े शहरो में ही नहीं, छोटेछोटे गांवकस्बों में तेजी से बढ़ रही हैं.

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में साइबर क्राइम का यह अनूठा मामला था, जिस में साइबर ठग बैंक अकाउंट को किराए पर दे कर उन अकाउंट में करोड़ों रुपए का लेनदेन करते थे.

मध्य प्रदेश के तमाम लोगों के अकाउंट ले रखे थे किराए पर

साइबर ठगों को किराए पर बैंक अकाउंट उपलब्ध कराने वाले इस गैंग ने नरसिंहपुर, बैतूल, जबलपुर समेत दूसरे शहरों के लोगों को टारगेट कर रखा था. इस के पहले मध्य प्रदेश के ग्वालियर, शिवपुरी और गुना में यह गैंग पुलिस के हत्थे चढ़ चुका था.

पुलिस ने जिन साइबर ठगी करने वाले लोगों को हिरासत में लिया है, उन में से एक आकाश सिंह राजपूत गैंग का सरगना है.

27 साल का आकाश गोसलपुर जबलपुर का रहने वाला है. उस के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के शिमला, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में साइबर फ्रौड और अन्य मामलों के 25 अपराध दर्ज हैं. जबलपुर पुलिस उसे जिलाबदर कर चुकी है.

ग्रेजुएट आकाश ने साइबर ठगी से एक महीने में 20 लाख रुपए कमीशन के जरिए कमाए थे. उस के पास से जब्त की गई कार इसी रकम से खरीदी गई थी.

दूसरा आरोपी शिवम उर्फ ब्रजेश राजपूत का काम लोगों से बैंक खाता खुलवाना था. वह पशु चिकित्सालय गोटेगांव के सामने रहता है और साइबर कैफे चलाता है. कैफे में आने वाले कम उम्र के लडक़ों को वह रुपयों का लालच दे कर बैंक में अकाउंट खुलवाता था. फिर अकाउंट का एटीएम कार्ड और सिम कार्ड को अपने पास रख कर युवाओं को 2-3 हजार रुपए दे देता था. इस के खिलाफ मारपीट के मामले भी दर्ज हैं.

पकड़ा गया एक आरोपी अश्विन पटेल गोटेगांव के कुम्हड़ाखेड़ा का रहने वाला है, जो आकाश का खास साथी है. यह बैंक खाता नंबर, पैसे, फरजी सिम आदि पहुंचाने कई बार पश्चिम बंगाल के हावड़ा जा चुका है. इसे इस ठगी के नेटवर्क के बारे में काफी कुछ पता है. अनिल उर्फ छोटू पटेल गोटेगांव के बैलहाई का रहने वाला है, जो लोगों के बैंक खाते खुलवाता था और उन की डिटेल्स आकाश और अश्विन को देता था.

वाट्सऐप ग्रुप में बोली लगती थी बैंक अकाउंट की

एक और आरोपी आजाद वार्ड गोटेगांव का रहने वाला अमन गोरिया है, जिस का काम भी बैंक खातों की व्यवस्था करना था. यह लोगों को उन का सिबिल स्कोर बेहतर बनाने का झांसा देता था तथा बैंक से लोन दिलाता था. पकड़ा गया छठवां आरोपी अवधेश उर्फ राणा राजपूत गोटेगांव के समीप गांव गोहचर का रहने वाला है. राणा भी ग्रामीणों के बीच जा कर लोन दिलाने का झांसा दे कर बैंक खाते खुलवाता था.

जीतने का लालच देते हैं और फिर लौटरी का अमाउंट ट्रांसफर करने के नाम पर लोगों के बैंक खाते की सीक्रेट डिटेल्स जैसे- कार्ड नंबर, सीवीवी कोड, ओटीपी आदि हासिल कर के उन के बैंक खाते में मौजूद सारे पैसे उड़ा लेते हैं.

ऐसे धोखेबाजों और साइबर फ्रौड से बचे रहने के लिए सरकार लगातार लोगों को जागरूक करती रहती है. लोगों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि कोई भी अनजान व्यक्ति आप के बैंक अकाउंट की डिटेल के लिए फोन, एसएमएस या ईमेल करे तो इसे इग्नोर कर दें. इस के बावजूद भी यदि कोई साइबर फ्रौड का शिकार हो तो सब से पहले बैंक को सूचना दे कर नजदीकी पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत अवश्य दर्ज कराएं.

—भावना मरावी

एसडीओपी (गोटेगांव) नरसिंहपुर

Posted on September 13, 2023September 19, 2023Author वेणीशंकर पटेल ‘ब्रज’Categories साइबर क्राइमTags bank account fraud, bank account gang, bank account scam, Cyber, cyber cell, cyber crime, cyber crime reporting portal, cyber crime story, cyber criminal, cyber fraud, cyber thagi, fake bank account, jaamtada, Madhya Pradesh, narsingh pur, nuh, online cyber crime, online dating fraud, online fraud, social media accountLeave a comment
वाट्सएप पर खूबसूरत शिकारी

वाट्सएप पर खूबसूरत शिकारी

Posted on August 7, 2023August 7, 2023Author नितिन कुमार शर्माCategories साइबर क्राइमTags उत्तर प्रदेश, औनलाइन ठगी, औनलाइन धोखाधड़ी, जालसाज, पीलीभीत, बरेली, ब्लैकमेल, ब्लैकमेलिंग, महानगर कालोनी, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल, वाट्सएप एकाउंट, वाट्सएप मैसेज, वाट्सएप मैसेंजर, विजयशंकर दुबे, साइबर, साइबर अपराध, साइबर क्राइम, साइबर क्राइम अपराधी, साइबर क्राइम पुलिस, साइबर क्राइम स्टोरी, साइबर ठग, साइबर ठगी, साइबर धोखाधड़ी, साइबर फ्रॉड, साइबर सेल, सूचना प्रौद्योगिकी, सेक्सटॉरशन, हेल्पलाइन नंबर 1930Leave a comment
वाट्सएप पर खूबसूरत शिकारी – भाग 3

वाट्सएप पर खूबसूरत शिकारी – भाग 3

विकास के पास ही बजरंग यादव नाम का युवक रहता था. वह भी जयपुर के जालासू, काला डेरा का रहने वाला था. वह जयपुर से एमए बीएड करने के बाद मुरादाबाद से एमएड करने आया था. पासपास रहने की वजह से दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई.

विकास ने हाल में ही एक नई मारुति स्विफ्ट डिजायर कार खरीदी थी. उस के एक परिचित ने उसे घर में झाड़ूपोंछा करने के लिए एक लड़की से मिलवाया. वह कोई और नहीं, आरती थी. आरती का खूबसूरत चेहरा और स्लिमट्रिम फिगर देख कर विकास का उस पर मन डोल गया. उस ने उसे तुरंत अपने घर के काम के लिए रख लिया.

जब आरती झाड़ूपोंछा करने आती तो दोनों में बातचीत होती. बातोंबातों में विकास उसे बहलानेफुसलाने लगा. वह उसे खर्च करने को अलग से पैसे देता और कार में बैठा कर घुमाताफिराता. आरती भी जान गई कि विकास उस पर इतना मेहरबान क्यों है. आरती का एक ही मकसद था, जिंदगी में पैसा कमाना. चाहे उस के लिए उसे कुछ भी क्यों न करना पड़े.

आरती जब कार में उस के बराबर वाली सीट पर बैठती तो विकास जानबूझ कर उस के शरीर को टच करता. आरती चूंकि उस का विरोध नहीं करती थी, इस से विकास का हौसला बढ़ गया. फिर एक दिन जब विकास ने आरती को प्यार से अपनी बांहों में भर लिया तो उस ने तनिक भी विरोध नहीं किया. उल्टा वह उस की बाहों में सिमट कर उस के सीने से लग गई.

आरती की मंशा जानने के लिए विकास के लिए इतना काफी था. इस के बाद उस ने अपनी हसरतें पूरी कीं. संबंधों में प्रगाढ़ता आई तो दोनों दूर न रह सके. विकास ने उसे अपने साथ ही कमरे पर रहने के लिए बुला लिया. दोनों बिना शादी किए एक साथ पतिपत्नी की तरह रहने लगे.

एक दिन मोबाइल पर फेसबुक चलाते हुए विकास को एक युवती की फ्रेंड्स लिस्ट में विजयशंकर का नाम दिखा तो उस ने विजयशंकर की प्रोफाइल खोल कर देखी. पता चला कि वह बरेली की एक राष्ट्रीयकृत बैंक में मैनेजर है. इस से वह समझ गया कि विजयशंकर मोटा आसामी है.

उसी समय उस के दिमाग में आइडिया आया कि क्यों न आरती के जरिए विजयशंकर को प्यार के जाल में फांस कर उस से मोटी रकम ऐंठी जाए. उसी प्रोफाइल से विकास ने उन का मोबाइल नंबर ले लिया. इस के बाद उस ने अपनी योजना में आरती और बजरंग यादव को भी शामिल कर लिया.

विकास ने उसी दिन फरजी आईडी पर एक सिम लिया. उस नंबर के जरिए उस ने आरती के नाम का वाट्सएप पर एकाउंट बनाया. प्रोफाइल में उस ने आरती की फोटो लगा दी. इस के बाद विजयशंकर के नंबर पर दोस्ती करने का मैसेज भेज दिया. विजयशंकर ने उस की दोस्ती का अनुरोध स्वीकार कर के मैसेज भेजा तो विकास खुश हुआ. उसे लगा कि शिकार अब जाल मे फंस जाएगा.

काफी दिनों तक विकास आरती बन कर विजयशंकर से वाट्सएप पर बातें करता रहा. जब फोन पर बात करने की नौबत आई तो उस ने आरती से विजयशंकर की बात करा दी. इस के बाद विकास के कहने के मुताबिक आरती विजयशंकर को डील करने लगी. आरती और विजयशंकर की खुफिया मुलाकातों के विकास ने चोरीछिपे फोटो भी खींच लिए थे.

आरती ने 2 बार में विजयशंकर से 95 हजार रुपए लिए थे. इन रुपयों में से विकास ने बजरंग को 15 हजार और आरती को 30 हजार रुपए दिए. बाकी के 50 हजार उस ने खुद रख लिए.

इस के बाद उस ने विजयशंकर से 4 लाख रुपए की रकम ऐंठने का प्लान बनाया. उस ने कहा कि इन 4 लाख रुपयों में से वह एक लाख आरती को और एक लाख बजरंग को दे देगा. इस के लिए उस ने आरती के जहर खाने और रेप के मुकदमे में फंसाने की झूठी कहानी गढ़ी. उन्होंने सोचा था कि बदनामी के डर की वजह से विजयशंकर उन्हें 4 लाख रुपए आसानी से दे देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

विजयशंकर समझ गए थे कि उन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा है. इसलिए वह थाने चले गए. इंसपेक्टर अनिल समानिया से बात कर के विजयशंकर ने जब आरती के कथित चचेरे भाई को पैसे लेने के लिए बरेली के चौकी चौराहा बुलाया तो विकास आरती को कमरे पर छोड़ कर बजरंग के साथ अपनी सफेद रंग की नई मारुति स्विफ्ट डिजायर कार से बरेली के लिए चल दिया.

उस की कार पर नंबर नहीं था, इसलिए उसे अपने पकड़े जाने का भी डर नहीं था. लेकिन पुलिस ने मौके पर ही उन्हें दबोच लिया और उन की जालसाजी का भंडाफोड़ हो गया. पुलिस ने उन के साथ उन की कार भी जब्त कर ली.

विकास की निशानदेही पर पुलिस ने मुरादाबाद से आरती को भी गिरफतार कर लिया. पुलिस ने विकास के पास से 50 हजार रुपए भी बरामद किए.

पुलिस ने आरती, विकास जैन और बजरंग यादव के खिलाफ भादंवि की धारा 389, 420 के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Posted on August 3, 2023August 8, 2023Author नितिन कुमार शर्माCategories साइबर क्राइमTags उत्तर प्रदेश, औनलाइन ठगी, औनलाइन धोखाधड़ी, जालसाज, पीलीभीत, बरेली, ब्लैकमेल, ब्लैकमेलिंग, महानगर कालोनी, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल, वाट्सएप एकाउंट, वाट्सएप मैसेज, वाट्सएप मैसेंजर, विजयशंकर दुबे, साइबर, साइबर अपराध, साइबर क्राइम, साइबर क्राइम अपराधी, साइबर क्राइम पुलिस, साइबर क्राइम स्टोरी, साइबर ठग, साइबर ठगी, साइबर धोखाधड़ी, साइबर फ्रॉड, साइबर सेल, सूचना प्रौद्योगिकी, सेक्सटॉरशन, हेल्पलाइन नंबर 1930Leave a comment
वाट्सएप पर खूबसूरत शिकारी – भाग 2

वाट्सएप पर खूबसूरत शिकारी – भाग 2

हसरतें पूरी कर के विजयशंकर बहुत खुश थे. लेकिन आरती के चेहरे पर उदासी थी. विजयशंकर ने उस से उदासी की वजह जाननी चाही तो वह बोली, ‘‘मुझे अपने कालेज की फीस भरनी है. अगर समय से फीस नहीं भरी तो मुझे कालेज से निकाला जा सकता है. अगर 25 हजार रुपए का इंतजाम हो जाए तो मेरी फीस का इंतजाम हो सकता है.’’

चूंकि विजयशंकर उस के आशिक बन चुके थे, इसलिए उन्होंने उसे आश्वासन दिया, ‘‘आरती तुम्हारी पढ़ाई पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. 25 हजार रुपए मैं तुम्हें दूंगा. तुम अपनी फीस भर देना. तुम अभी मेरे साथ चलो, एटीएम से पैसे निकाल कर दे देता हूं.’’

विजयशंकर की बात सुन कर आरती खुश हो गई. वह उन्हें एक एटीएम बूथ तक ले गए और 25 हजार रुपए निकाल कर आरती को दे दिए. आरती ने जब घर जाने की बात कही तो वह अपनी कार से उसे व उस के चचेरे भाई को बरेली जंक्शन स्टेशन पर छोड़ आए.आरती के जाने के बाद विजयशंकर को जैसे सबकुछ सूनासूना सा लग रहा था. देर रात उन्होंने उस से फोन पर बात की तो आरती ने 4 दिन बाद उन से मिलने का कार्यक्रम बना लिया.

4 दिनों बाद आरती फिर विजयशंकर से मिलने बरेली आई. उस दिन वह निर्धारित समय से पहले आ गई. उस दिन पूरी दोपहर विजयशंकर ने आरती के साथ मौजमस्ती की. विजयशंकर आरती के मौजमस्ती के अंदाज से काफी खुश थे. वापस जाते वक्त आरती ने उन से 70 हजार रुपए की मांग कर दी. इस बार उस ने बताया कि जहां वह रहती है, वहां से उस का कालेज काफी दूर पड़ता है. आनेजाने में काफी दिक्कत होती है. इसलिए वह अपने लिए एक स्कूटी खरीदना चाहती है.

विजयशंकर ने उस की यह डिमांड भी पूरी कर दी. दोनों देर रात को फोन पर बात करते थे. आरती ने कह दिया था कि जब भी वह बुलाएंगे, चली आएगी. इस के एक हफ्ते बाद ही एक बात से विजयशंकर पर वज्रपात सा हो गया. आरती के चचेरे भाई ने विजयशंकर को फोन कर के कहा कि आरती ने जहर खा लिया है. उस की तबीयत काफी बिगड़ गई है. उसे अस्पताल में वेंटीलेटर पर रखा गया है. वह 4 लाख रुपए दे दें, नहीं तो आरती उन्हें बलात्कार और धमकी के मुकदमे में फंसा देगी.

इतना सुनते ही विजयशंकर हक्केबक्के रह गए. उन के माथे पर पसीने की बूंदें छलकने लगीं. वह समझ गए कि लड़की को चारा बना कर उन्हें फांसा गया है. उन्होंने काफी सोचनेसमझने के बाद पुलिस के पास जाने का फैसला कर लिया.

उन्होंने बरेली के थाना कोतवाली जा कर इंसपेक्टर अनिल समानिया को पूरी बात बता दी. उन्होंने भी समानिया को आरती का मोबाइल नंबर भी दे दिया. विजयशंकर से लिखित शिकायत लेने के बाद इंसपेक्टर अनिल समानिया ने आरती के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगवा दिया. सर्विलांस के सहारे तहकीकात आगे बढ़ी तो पता चला कि उस फोन नंबर की लोकेशन किसी अस्पताल में नहीं थी. सर्विलांस के द्वारा आरती की जो लोकेशन पता चल रही थी, वहां से काफी दूर तक कोई अस्पताल नहीं था.

इस से वह समझ गए कि आरती का कथित चचेरा भाई विजयशंकर को ब्लैकमेल कर रहा है और इस में और भी लोग शामिल हो सकते हैं.

इंसपेक्टर अनिल समानिया ने विजयशंकर को बुलवा कर उन से कहा कि वह उन लोगों को फोन कर के पैसे देने के बहाने चौकी चौराहे पर बुलाएं. विजयशंकर ने ऐसा ही किया. उन्होंने आरती के चचेरे भाई से कहा कि पैसों का इंतजाम हो गया है.

पैसे लेने के लिए वह 30 सितंबर को बरेली के चौकी चौराहे पर आ जाए. वह चौकी चौराहा आने के लिए तैयार हो गया. विजयशंकर ने यह बात इंसपेक्टर अनिल समानिया को बता दी. 30 सितंबर को निर्धारित समय पर पुलिस टीम चौकी चौराहे के आसपास सादा कपड़ों में खड़ी हो गई.

अपराह्न करीब 3 बजे जब आरती का चचेरा भाई अपने एक साथी के साथ मारुति स्विफ्ट डिजायर कार से पैसे लेने चौकी चौराहे पर पहुंचा तो विजयशंकर ने उसे पहचान लिया. जैसे ही वह कार के नजदीक गए, पुलिस टीम ने कार को चारों तरफ से घर लिया. कार में 2 युवक सवार थे. उन्हें हिरासत में ले कर वह कोतवाली आ गए.

उन से पूछताछ की गई तो आरती के कथित चचेरे भाई ने अपना नाम विकास जैन बताया और दूसरा युवक विकास का दोस्त बजरंग यादव था. आरती द्वारा जाल में फांसने की पूरी योजना विकास जैन ने बनाई थी. पूरी साजिश को अंजाम देने की उस ने जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली.

आरती उत्तर प्रदेश के जिला बदायूं के एक छोटे से गांव की रहने वाली थी. उस के पिता के पास खेती की थोड़ी सी जमीन थी. उसी से वह जैसेतैसे परिवार को पाल रहे थे. आरती की 2 बहनें और एक भाई था. घर में आर्थिक अभाव होने की वजह से आरती की कोई हसरत पूरी नहीं हो पाती थी. उसे सजनासंवरना, अच्छे कपड़े पहनना, घूमना और मनपसंद चीजों की खरीदारी करना बेहद पसंद था, लेकिन इन सब चीजों के लिए पैसों की जरूरत होती है. जबकि पैसे घर में थे नहीं, इसलिए उस की हसरतें मन में ही दबी रह गईं.

आरती सरकारी स्कूल में पढ़ती थी, लेकिन उस का पढ़ने में मन नहीं लगता था. आठवीं कक्षा में फेल होने के बाद उस ने पढ़ाई छोड़ दी. अपनी पैसे की भूख व अच्छे रहनसहन की इच्छा के चलते एक दिन वह घर छोड़ कर मुरादाबाद आ गई. वहां वह अपने एक परिचित के यहां रुकी और काम की तलाश में लग गई. वह कोई खास पढ़ीलिखी तो थी नहीं, जो उसे अच्छी नौकरी मिल जाती. जब कोई नौकरी मिलती नहीं दिखी तो वह कोई भी छोटामोटा काम करने को तैयार हो गई.

मुरादाबाद के सिविल लांइस थाने के अंतर्गत हिमगिरि कालोनी में विकास जैन नाम का युवक किराए पर रहता था. विकास मूलरूप से जयपुर का रहने वाला था. ग्रैजुएशन करने के बाद वह मुरादाबाद आ गया था और वहां के 3 निजी अस्पतालों में एंबुलेंस चलवाने का काम करने लगा था.

Posted on August 2, 2023August 7, 2023Author नितिन कुमार शर्माCategories साइबर क्राइमTags उत्तर प्रदेश, औनलाइन ठगी, औनलाइन धोखाधड़ी, जालसाज, पीलीभीत, बरेली, ब्लैकमेल, ब्लैकमेलिंग, महानगर कालोनी, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल, वाट्सएप एकाउंट, वाट्सएप मैसेज, वाट्सएप मैसेंजर, विजयशंकर दुबे, साइबर, साइबर अपराध, साइबर क्राइम, साइबर क्राइम अपराधी, साइबर क्राइम पुलिस, साइबर क्राइम स्टोरी, साइबर ठग, साइबर ठगी, साइबर धोखाधड़ी, साइबर फ्रॉड, साइबर सेल, सूचना प्रौद्योगिकी, सेक्सटॉरशन, हेल्पलाइन नंबर 1930Leave a comment
वाट्सएप पर खूबसूरत शिकारी – भाग 1

वाट्सएप पर खूबसूरत शिकारी – भाग 1

विजयशंकर दुबे उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में पीलीभीत बाईपास पर स्थित महानगर कालोनी में अपने परिवार के  साथ रहते थे. वह एक राष्ट्रीयकृत बैंक की स्थानीय शाखा में मैनेजर थे. 50 साल की उम्र में भी वह काफी रंगीन मिजाज थे. नई उम्र की युवतियों से दोस्ती करना, उन के साथ घंटों चैटिंग करना, उन्हें काफी पसंद था. वह कहीं पार्टी या समारोह में भी जाते तो उन की नजरें सिर्फ युवा लड़कियों पर ही टिकी रहती थीं. वह खुद उन के पास पहुंच कर अपना परिचय दे कर उन से बातें करनी शुरू कर देते थे.

कुछ लड़कियां कैरियर एंबिशस होती हैं और कुछ ऐसी होती हैं जो पैसे वालों को अपने जाल में फंसाने की कोशिश करती हैं. इस तरह की लड़कियों से विजयशंकर की मुलाकात होती तो वह उन से खुशी के साथ बातें करते. इसी दौरान वह उन लड़कियों को अपना फोन नंबर दे देते. इस के बाद उन का लड़कियों से बातचीत करने का सिलसिला शुरू हो जाता.

इस तरह फेसबुक और वाट्सएप मैसेंजर जैसी सोशल साइटों पर अनगिनत महिला दोस्तों से वह रोजाना काफी देर तक बातें करते थे. चाहे बैंक का औफिस हो या घर का स्टडी रूम, उन की इस बुरी आदत से हर कोई वाकिफ था. जितनी देर वह घर में रहते, उन का ध्यान घर के लोगों की बातों के बजाय मोबाइल पर अधिक होता था. बैंक हो या घर, वही सर्वेसर्वा थे, इसलिए उन पर कोई उंगली उठाने की सोचता भी नहीं था. उन पर किसी प्रकार की कोई रोकटोक नहीं थी.

एक दिन देर शाम विजयशंकर घर के स्टडी रूम में बैठे मोबाइल पर वाट्सएप चला रहे थे कि अचानक एक अनजान नंबर से उन के वाट्सएप पर मैसेज आया. उस नंबर की प्रोफाइल में एक खूबसूरत युवती की फोटो लगी थी. विजयशंकर ने उस के एकाउंट की डिटेल्स खोली तो उस में उस का नाम आरती लिखा था. वह बिजनौर की रहने वाली थी.

उस ने मैसेज में लिखा था, ‘‘हाय हनी, मैं आरती हूं और बिजनौर से हूं. मैं एमबीए की स्टूडेंट हूं. मुझे आप का प्रोफाइल काफी पसंद आया, इसलिए मैं आप से दोस्ती करना चाहती हूं. क्या आप मेरी दोस्ती कुबूल करेंगे?’’

विजयशंकर ने पढ़ा तो उन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. एक नवयौवना खुद उन्हें दोस्ती का औफर दे रही थी. इस खुशी ने उन के दिमाग पर ऐसा कब्जा कर लिया कि वह इस के अलावा कुछ सोच ही नहीं सके कि आखिर एक नई उम्र की युवती उन से दोस्ती करने को इतना बेचैन क्यों है.

दोनों की उम्र में काफी अंतर था. एक तरह से वह जिंदगी की ढलती शाम थे, तो वह युवती जिंदगी की सुबह का उजाला. उन में कोई मेल नहीं था. मैसेज पढ़ते ही वह आरती को उस की दोस्ती कुबूल करने का पैगाम भेजने को आतुर हो उठे. उन्होंने फटाफट आरती को मैसेज कर दिया, ‘‘यस स्वीटी, मुझे तुम्हारी दोस्ती कुबूल है.’’

इस के बाद उन के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया. दोनों एकदूसरे को मैसेज भेजते रहते थे.

इस तरह उन के बीच गहरी दोस्ती हो गई. एक दिन विजयशंकर ने आरती से फोन पर बात की. उस से बात कर के वह बहुत प्रभावित हुए. वह जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही प्यारी और उस की सुरीली आवाज. आवाज में इतना मीठापन था कि जैसे किसी ने मिश्री घोल दी हो. आरती से बात कर के विजयशंकर का दिल बल्लियों उछल रहा था. इस के बाद उन के मन में उस से रूबरू होने की लालसा बढ़ गई.

दोनों के बीच फोन पर लंबीलंबी बातें होने लगीं. इस बीच उन्होंने अपने मन की बात बता दी तो उन की बातचीत मर्यादाओं की सीमाएं लांघने लगीं. अश्लील वार्तालाप से शर्मसंकोच की सारी दीवारें ढहती चली गईं. अब विजयशंकर के सब्र का पैमाना छलकने लगा. वह आरती पर मिलने के लिए जोर देने लगे, लेकिन आरती हर बार किसी तरह उसे बातों में टाल देती. वह शायद विजयशंकर की बेचैनी और बढ़ाना चाहती थी.

कुछ समय तक के लिए टालने के बाद आरती ने आखिर मिलने के लिए हां कर दी. दोनों ने 16 सितंबर, 2014 को बरेली में मिलने का टाइम निश्चित कर लिया. 16 सितंबर आने में अभी 4 दिन बाकी थे. आरती से मिलन में यह 4 दिन का अंतर उन्हें बहुत लंबा लग रहा था. वह बड़ी बेसब्री से उस दिन का इंतजार करने लगे.

आखिर 16 सितंबर का दिन भी आ गया. निर्धारित जगह पर विजयशंकर समय से पहले ही पहुंच गए. लेकिन काफी देर इंतजार करने के बाद भी जब आरती नहीं आई तो विजयशंकर ने उसे कई बार फोन किया. आरती ने उन का फोन नहीं उठाया तो वह निराश हो कर घर लौट आए. उन के दिमाग में बारबार यही बात घूम रही थी कि आरती ने उन का फोन क्यों नहीं उठाया.

देर शाम को उन्होंने आरती को फिर फोन किया. इस बार आरती ने फोन उठाया तो विजयशंकर ने नाराजगी जताई. इस पर आरती ने कहा कि कालेज में बिजी होने की वजह से उस का वहां से निकलना नहीं हो सका. इस के लिए उस ने विजयशंकर से माफी भी मांग ली. फिर मिलने के लिए अगली तारीख की बात आई तो उस ने 18 सितंबर निश्चित कर दी. इस बार आरती ने हर हाल में आने का वादा किया.

18 सितंबर को वादे के मुताबिक आरती निश्चित समय पर उन से मिलने बरेली आ गई. विजयशंकर उस से मिले तो उस की खूबसूरती देख कर मन ही मन खुश हो उठे. जिस से मिलने के लिए वह इतने बेचैन हो रहे थे, वह उन के पास थी. लेकिन उस के साथ एक युवक भी था. उस युवक के बारे में उन्होंने आरती से पूछा तो उस ने बताया कि वह उस का चचेरा भाई है और मुरादाबाद में रह कर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है.

विजयशंकर मन ही मन सोचने लगे कि आरती को इस कबाब में हड्डी लाने की क्या जरूरत थी. आरती शायद उन के मन की बात समझ गई थी, वह उन्हें एक तरफ ले जा कर हंसते हुए बोली, ‘‘चिंता मत करो, इसे हम दोनों के बारे में सब पता है. हमारे मिलने पर इसे कोई ऐतराज नहीं होगा.’’

यह सुन कर विजयशंकर के होंठों पर मुसकराहट आ गई. विजयशंकर उन दोनों को अपनी कार में बैठा कर अपने साथ पीलीभीत बाईपास पर बने एक मौल में ले गए. मौल में पहुंचते ही आरती का चचेरा भाई उन से अलग हो कर घूमने लगा.

विजयशंकर आरती का हाथ पकड़ कर माल में घूमने लगे. वह मौका मिलते ही उस से शारीरिक छेड़छाड़ भी कर लेते थे. कुछ देर टहलने के बाद वह आरती को ले कर डीडीपुरम स्थित अपने पुराने मकान पर पहुंच गए. वहां उन लोगों के अलावा कोई नहीं था. एकांत मिलते ही विजयशंकर ने आरती को अपनी बांहों मे जकड़ लिया. कुछ ही देर में उन दोनों के बीच की सारी दूरियां मिट गईं और जिस्मानी संबंध बन गए.

Posted on August 1, 2023August 7, 2023Author नितिन कुमार शर्माCategories साइबर क्राइमTags उत्तर प्रदेश, औनलाइन ठगी, औनलाइन धोखाधड़ी, जालसाज, पीलीभीत, बरेली, ब्लैकमेल, ब्लैकमेलिंग, महानगर कालोनी, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल, वाट्सएप एकाउंट, वाट्सएप मैसेज, वाट्सएप मैसेंजर, विजयशंकर दुबे, साइबर, साइबर अपराध, साइबर क्राइम, साइबर क्राइम अपराधी, साइबर क्राइम पुलिस, साइबर क्राइम स्टोरी, साइबर ठग, साइबर ठगी, साइबर धोखाधड़ी, साइबर फ्रॉड, साइबर सेल, सूचना प्रौद्योगिकी, सेक्सटॉरशन, हेल्पलाइन नंबर 1930Leave a comment
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