Delhi Crime News : श्मशान में 9 साल की बच्ची के साथ किया बलात्कार

Delhi Crime News : दक्षिण पश्चिमी दिल्ली के पुराना नांगल के बस्ती इलाके में किराए पर रहने वाले मोहन लाल, सुनीता देवी और उन की 9 साल की बच्ची लक्ष्मी (बदला हुआ नाम) का जीवन आम दिनों की तरह ही गुजर रहा था. मोहन लाल और सुनीता देवी दोनों ही अपना घर चलाने के लिए कभी कूड़ा बीनते, कभी भंगार का काम करते तो कभी अपने घर के नजदीक पीर बाबा की दरगाह पर लोगों से पैसे मांगने बैठ जाया करते थे.

मोहन लाल और सुनीता देवी के किराए के एक कमरे में बहुत कुछ सामान नहीं था. उन के कपड़े, पानी भरने के लिए खाली बरतन, खाना बनाने के लिए एक चूल्हा और एक छोटा गैस सिलिंडर. इस के अलावा उन की बेटी लक्ष्मी के खेलने के लिए कुछ पुराने खिलौने. न ही उन के घर पर टीवी था, न ही फ्रिज, कमरे में एक एलईडी बल्ब और ऊपर पंखा था.

वैसे तो दिल्ली में अगस्त के पहले सप्ताह में बारिश खूब हो रही थी, लेकिन गरमी भी उसी हिसाब से बेतहाशा पड़ रही थी. घर में पीने के लिए पानी तो था, लेकिन ठंडे पानी के लिए मोहन का परिवार अकसर अपने घर के नजदीक श्मशान घाट में जाया करते थे, जहां पर वहां आने वाले लोगों के लिए वाटर कूलर की व्यवस्था की गई थी.

पहली अगस्त की शाम के करीब साढ़े 5 बजे लक्ष्मी ने अपने बाबा से जिद की कि उसे खेलने के लिए बाहर जाना है. उस समय घर पर सिर्फ मोहन और उस की बेटी लक्ष्मी ही थे. सुनीता घर पर मौजूद नहीं थी, वह पीर बाबा दरगाह पर थी.

मोहन ने अपनी बेटी को उस के खेलने जाने से पहले उसे श्मशान घाट से ठंडा पानी ले कर आने की शर्त रखी. जिस के लिए लक्ष्मी तुरंत मान गई, क्योंकि ये काम गरमियों के समय उन के घर पर हर दिन के रुटीन की तरह ही बन गया था.

मोहन को सब्जी लेने जाना था, इसलिए उस ने तकिए के पास पड़ा थैला उठाया और बोला, ‘‘बेटा, तू जल्दी से पानी ले आ. और हां, ज्यादा देर मत करना आने में. मुझे भी मंडी से सब्जी लेने के लिए जाना है. तेरी मां आएगी तो खाना बनाएगी.’’

उस 9 साल की प्यारी बच्ची ने अपने दोनों हाथों में 2 पानी की छोटी खाली बोतलें उठाईं और अपने पिता से कहा, ‘‘ठीक है बाबा, मैं अभी आती हूं.’’ कह कर वह निकल गई. मोहन को नहीं पता था कि वह अपनी प्यारी सी बच्ची को आखिरी बार देख रहा है.

लक्ष्मी को श्मशान घाट में ठंडा पानी लेने गए आधा घंटा हो गया था. उधर मोहन भी मंडी से सब्जी लेने चला गया था. वह घर लौटा नहीं था. उस से पहले उस की पत्नी सुनीता दरगाह से घर लौट चुकी थी.

लक्ष्मी को घर पर नहीं पा कर सुनीता को कोई चिंता नहीं हुई, क्योंकि उसे लगा कि आसपास ही कहीं खेल ही होगी.

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उसी दिन शाम के करीब 6 बजे, आधे घंटे बाद श्मशान घाट से एक व्यक्ति जोकि मोहन और सुनीता के परिवार को जानता था, वह भागता हुआ आया और घर में सुनीता देवी से बोला, ‘‘लक्ष्मी की अम्मा, श्मशान घाट में बड़े पंडित ने आप को बुलाया है जल्दी.’’

यह सुन कर सुनीता देवी ने उस व्यक्ति से सवाल भी किया, ‘‘क्या बात हो गई. बड़े पंडित ने क्यों बुलाया है?’’

इस के जवाब में उस आदमी ने कहा, ‘‘पता नहीं, मुझे तो बड़े पंडित ने कहा कि लक्ष्मी की अम्मा को बुला लाओ जल्दी से. इसीलिए मैं भागाभागा आया हूं यहां पर.’’

यह कहते हुए वह आदमी वहां से निकल गया और सुनीता देवी श्मशान घाट की ओर नंगे पाव ही निकल गई. 2-3 मिनट का सफर सुनीता देवी ने भागते हुए मिनट भर में ही पूरा कर लिया.

श्मशानघाट में पहुंचने के बाद उस ने देखा कि शमशान के बड़े पंडित राधेश्याम और उसी श्मशान में काम करने वाले बाकी 2 और लोग, साथ में इलाके में रहने वाला एक और व्यक्ति पानी के वाटर कूलर के पास घेरे में खड़े थे.

सुनीता को आते देख, पंडित राधे श्याम ने सुनीता को गेट के पास ही खड़े रहने का इशारा किया और उस की ओर वह खुद ही आगे बढ़ कर बोला, ‘‘तेरी बेटी तो खत्म हो गई. तेरी बेटी तो मर गई.’’

यह सुन कर सुनीता को जैसे अपने कानों पर यकीन ही नहीं हुआ. उस के पैरो के नीचे से एकाएक मानो जमीन ही खिसक गई थी.

वह लड़खड़ाती आवाज में पंडित से बोली, ‘‘ऐसे कैसे खत्म हो गई मेरी बेटी, कैसे मर गई मेरी बच्ची?’’

जवाब में पंडित ने सुनीता को वाटर कूलर की ओर इशारा किया और आगे बढ़ते हुए कहा, ‘‘ठंडा पानी लेने आई थी. कूलर में करंट आ गया और जल कर मर गई.’’

जब सुनीता देवी वाटर कूलर के पास पहुंची तो उस ने देखा कि उस की 9 साल की बच्ची जमीन पर पड़ी थी. उस की दोनों आंखें बंद थीं, होंठ नीले पड़े थे, मुंह खुला हुआ और उस के पूरे कपड़े गीले थे.

जमीन पर पड़ी अपनी बेटी की ऐसी हालत देख कर सुनीता पूरी तरह से टूट गई और फूटफूट कर रोने लगी.

इतने में पंडित राधेश्याम रोतीपीटती सुनीता से बोला, ‘‘चल अब ज्यादा रोने की जरूरत नहीं है. पुलिस को खबर करने की जरुरत नहीं है. पुलिस वाले आएंगे तो तेरी बेटी के अंग ले जा कर बेच देंगे. इस का अंतिम संस्कार यहीं पर ही जल्दी से कर देते हैं.’’

यह कहते ही सुनीता ने पीछे मुड़ कर देखा कि श्मशान में बाकी 2 काम करने वाले लोगों ने मिल कर पंडित राधेश्याम के कहते ही बच्ची का शव जलाने के लिए लकडि़यों को सजा लिया था.

सुनीता को किसी तरह की कोई सुध ही नहीं थी. इतने में मोहन लाल भी श्मशान में पहुंच गया और सुनीता ने उसे अपनी बेटी की मौत के बारे में बताया. जिसे सुन कर मोहन लाल को भी वैसा ही झटका लगा जैसा सुनीता को लगा था.

पंडित राधेश्याम और वहां मौजूद बाकी 3 और लोगों ने मिल कर शव को लकडि़यों पर उल्टा (सीने के बल) लिटाया और धमकी भरे अंदाज में सुनीता और मोहन को दूर चले जाने को कहा.

जब शव आधे से ज्यादा जल गया तो पंडित राधेश्याम सुनीता और मोहन लाल के पास आया और उन्हें श्मशान घाट से अपने घर लौट जाने को कहा.

वह बोला, ‘‘जाओ, अब चुपचाप अपने घर चले जाओ. ज्यादा रोनेपीटने की जरूरत नहीं है और किसी को बताने की जरूरत नहीं है. अगर भूख लगी हो तो खाना खा कर चली जाओ.’’

रात के करीब 10 बज गए थे. सुनीता और मोहन ने राधेश्याम को खाना खाने वाली बात को मना किया और अपने घर की ओर चले गए. घर पहुंच कर जिस वाल्मीकि कालोनी में वे लोग रहते थे, उन में से उन के पड़ोसी ने उन से पूछा कि लक्ष्मी कहां है?

रोतेपीटते मोहन और सुनीता ने वह सारा घटनाक्रम पहले अपने पड़ोसियों को फिर समाज में रहने वाले अन्य लोगों को बताया. पीडि़ता के मातापिता ने आरोपियों पर बच्ची के साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया.

रात को करीब सवा 10 बजे समाज के लोगों ने दिल्ली पुलिस के 100 नंबर पर फोन किया और घटना की जानकारी दी.

जिस के बाद पुलिस ने श्मशानघाट के बड़े पंडित राधेश्याम (55), कुलदीप कुमार (63), लक्ष्मी नारायण (48) व मोहम्मद सलीम (49) को गिरफ्तार कर लिया.

इसी बीच कालोनी में रहने वाले लोगों ने मिल कर दिल्ली कैंट थाने के बाहर धरना दिया और जल्द से जल्द पीडि़ता को न्याय दिलवाने की मांग उठाने लगे.

देखते ही देखते यह मामला सोशल मीडिया और मीडिया में फैल गया और कई राजनैतिक संगठन पीडि़त को न्याय दिलवाने की मांग को ले कर सरकार और प्रशासन पर दबाव बनाने लगे.

इस घटना के बाद केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद ने पीडि़ता के परिवार को न्याय दिलवाने का वादा किया है.

4 अगस्त को राहुल गांधी ने भी पीडि़ता के परिवार से मुलाकात की और जल्द से जल्द न्याय दिलवाने का भी भरोसा दिया.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी परिवार से मिले और 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी और न्याय के लिए परिवार के साथ रहने की बात की तथा मामले की न्यायिक जांच कराने की घोषणा की.

रेप और हत्या के आरोप के मामले में लाश को कब्जे में ले कर पुलिस ने मैडिकल बोर्ड बना कर पोस्टमार्टम करने को कहा था. इस के लिए दीनदयाल अस्पताल के 3 डाक्टरों का पैनल बनाया गया. डाक्टरों के पैनल ने अधजले पैर को देखने के बाद डीसीपी मोनिका भारद्वाज को बताया कि बच्ची की मौत की वजह क्या है, यह इस अंग से नहीं बताया जा सकता.

बता दें कि आरोपियों पर पोक्सो एक्ट और एससी/एसटी अधिनियम की संबंधित धाराओं के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 302 (हत्या), 506 (आपराधिक धमकी) और  204 (सबूत नष्ट करना) के तहत आरोप दर्ज किए गए हैं.

राजनीतिक तूल पकड़ने के बाद अब डीसीपी मोनिका भारद्वाज के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच की इंटरस्टेट सेल इस की जांच कर रही है.

क्राइम ब्रांच ने आरोपियों के कमरे से उन के कपड़े जब्त कर लिए हैं, जिन से डीएनए सबूत जुटाने की कोशिश की जाएगी. पौलीग्राफ और नारको टेस्ट कराने की काररवाई भी की जा रही है. मामले के सभी आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं और इस मामले की जांच अभी जारी है. Delhi Crime News

Murder Mystery Story : मछली करी में थैलियम जहर मिलाकर साली और सास को मार डाला

Murder Mystery Story : वहम के शिकार वरुण ने अपनी पत्नी और उस के घर वालों से बदला लेने का जो अनूठा तरीका अपनाया, वह नायाब था. वह अपनी योजना में सफल भी रहा, लेकिन…

बात 31 जनवरी, 2021 की है. वरुण अरोड़ा ने अपनी पत्नी दिव्या को फोन किया, ‘‘दिव्या, आज तुम सब्जी मत बनाना, मैं शाम को आऊंगा तो होटल से तुम सब की पसंद की मछली करी ले कर आऊंगा.’’

रियल एस्टेट कारोबारी वरुण दक्षिणी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश पार्ट-1 में रहता था. उस की ससुराल पश्चिमी दिल्ली के इंद्रपुरी  इलाके में थी. उस समय उस की पत्नी दिव्या अपने मायके इंद्रपुरी में थी. इसलिए वरुण ने दिव्या को फोन कर के मछली करी ले कर आने को कहा था. मछली करी दिव्या और उस के मायके वालों को बहुत पसंद थी, इसलिए पति से बात करने के बाद दिव्या ने अपनी मम्मी अनीता से कह दिया कि आज वरुण इधर ही आ रहे हैं. वह होटल से मछली करी ले कर आएंगे. इसलिए आज सब्जी नहीं बनानी. नौकरानी से कह देना कि वह आज केवल रोटी बना दे.

शाम को वरुण अपनी ससुराल के लिए चला तो उस ने एक होटल से सब के लिए मछली करी पैक करा ली. उस की ससुराल में पत्नी के अलावा ससुर देवेंद्र मोहन शर्मा, सास अनीता शर्मा, साली प्रियंका और एक नौकरानी थी. उन सभी के हिसाब से वह काफी मछली करी ले कर आया था. शाम को जब खाना खाने की बारी आई तब अरुण ने कहा कि उस का पेट खराब है, इसलिए वह खाना नहीं खाएगा. दिव्या ने उस से कहा भी कि वह उस के लिए खिचड़ी या और कोई चीज बनवा देगी, लेकिन वरुण ने मना कर दिया. उस ने केवल नींबू पानी पिया. वरुण की लाई मछली करी घर के लोगों को बहुत स्वादिष्ट लगी.

इसलिए सभी ने जी भर कर खाना खाया. वरुण के दोनों बच्चे उस समय तक सो गए थे. रात को वरुण ससुराल में ही सो गया और अगले दिन अपने घर चला गया. इस के 2 दिन बाद दिव्या की मां अनीता को उल्टीदस्त की शिकायत हुई. उन्हें चक्कर भी आने लगे. तबीयत जब ज्यादा खराब होने लगी तब अनीता शर्मा को सर गंगाराम अस्पताल ले जाया गया. वहां भी उन की तबीयत दिनप्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी. डाक्टर समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर उन्हें हुआ क्या है. हालत गंभीर होती देख उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया. इसी बीच अनीता की छोटी बेटी प्रियंका की भी हालत बिगड़ने लगी.

उस का भी पेट खराब हो गया और उल्टियां होने लगीं. साथ ही उस का सिर भी घूम रहा था. प्रियंका को राजेंद्र प्लेस के पास स्थित बी.एल. कपूर अस्पताल में एडमिट करा दिया गया. उधर ससुराल वालों की तबीयत खराब होने से वरुण मन ही मन खुश था, क्योंकि उस ने जो प्लान बनाया था वह सफल हो रहा था. 4-5 दिन बाद उस की पत्नी दिव्या को भी वही शिकायत होने लगी, जो उस की मां और बहन को हुई थी. दिव्या को भी सर गंगाराम अस्पताल में भरती करा दिया गया. वरुण द्वारा लाई गई मछली करी उस की ससुराल के जिन लोगों ने खाई थी, उन सब की हालत बिगड़ने लगी. ससुर देवेंद्र मोहन शर्मा की भी अचानक तबीयत खराब हो गई.

इस के अलावा घर की नौकरानी का भी यही हाल हुआ तो उसे भी डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भरती करा दिया गया. परिवार के सभी लोगों का अलगअलग अस्पतालों में इलाज चल रहा था. इसी बीच बी.एल. कपूर अस्पताल में भरती वरुण की साली प्रियंका की 15 फरवरी, 2021 को इलाज के दौरान मौत हो गई. रिश्तेदार इसे फूड पौइजनिंग का मामला मान रहे थे. इसलिए उन्होंने इस की शिकायत पुलिस में न कर के उस का अंतिम संस्कार कर दिया. हालांकि वरुण अस्पताल में ससुराल के सभी लोगों की देखरेख कर रहा था, लेकिन अंदर ही अंदर वह खुश था क्योंकि उस का प्लान पूरी तरह सफल हो गया था.

उधर सर गंगाराम अस्पताल में लाई गई अनीता की भी 22 मार्च, 2021 को मृत्यु हो गई. डाक्टरों ने जब उन के यूरिन और ब्लड की जांच की तो उस में थैलियम नाम का एक जहरीला रसायन पाया गया. डाक्टर समझ गए कि किसी ने उन्हें थैलियम जहर दे कर मारा है. अस्पताल द्वारा इस की सूचना पुलिस को दे दी गई. पुलिस  ने डाक्टरों से बात की तो उन्हें भी यह मामला संदिग्ध लगा. अनीता इंद्रपुरी में रहती थी, इसलिए इस की सूचना इंद्रपुरी थाने के थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार को दी गई थी. वह तुरंत अस्पताल पहुंच गए. थानाप्रभारी ने जब डाक्टर से बात की तो पता चला कि थैलियम एक अलग तरह का जहरीला रसायन होता है, जिस का असर बहुत धीरेधीरे होता है.

इस के अलावा इस रसायन की एक खास बात यह है कि इस में किसी तरह की गंध और स्वाद नहीं होता. यह रंगहीन और गंधहीन होता है. यह जानकारी मिलने के बाद थानाप्रभारी समझ गए कि जरूर इस मामले में कोई गहरी साजिश है. उन्होंने छानबीन की तो पता चला कि 15 फरवरी को अनीता की छोटी बेटी प्रियंका की भी बी.एल. कपूर अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी. पुलिस ने बी.एल. कपूर अस्पताल के डाक्टरों से मुलाकात की तो उन्होंने बताया कि प्रियंका के शरीर में भी थैलियम के लक्षण पाए गए थे. इस के अलावा इस परिवार के अन्य सदस्य यानी अनीता की बड़ी बेटी दिव्या और अनीता के पति देवेंद्र मोहन शर्मा और नौकरानी भी अस्पताल में भरती थे.

इस से पुलिस समझ गई कि किसी ने गहरी साजिश के तहत पूरे परिवार को अपना शिकार बनाने की कोशिश की थी. थानाप्रभारी ने इस की सूचना एसीपी विजय सिंह को दी. अब यह मामला जिले के पुलिस अधिकारियों तक पहुंच चुका था. डीसीपी के निर्देश पर एसीपी विजय सिंह ने इंद्रपुरी के थानाप्रभारी सुरेंद्र सिंह और मायापुरी के इंसपेक्टर प्रमोद कुमार को इस मामले की जांच में लगा दिया. पुलिस ने देवेंद्र मोहन शर्मा और उन की बेटी दिव्या का इलाज कर रहे डाक्टरों से  फिर से बात की. इस के अलावा उन्होंने डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भरती उन की नौकरानी का इलाज कर रहे डाक्टरों से भी मुलाकात की. पुलिस को पता चला कि उपचाराधीन इन मरीजों के अंदर भी थैलियम रसायन पाया गया है.

अनीता के शव का डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया. पुलिस ने वहां के डाक्टरों से इस की डिटेल्ड एटौप्सी रिपोर्ट ली. उस में बताया गया कि अनीता के शरीर में थैलियम था. अब तक की जांच से पुलिस को यह पता लग चुका था कि परिवार के सभी लोगों को कोई ऐसी चीज खिलाई गई थी, जिस में थैलियम रसायन मिला हुआ था. वह चीज क्या थी और किस ने खिलाई, यह जांच का विषय था. इस परिवार का दामाद वरुण ही अस्पताल में उन सब की देखभाल कर रहा था. वरुण के चेहरे से सास और साली की मौत का गम साफ झलक रहा था. इस के अलावा वह डाक्टरों से लगातार अपनी पत्नी दिव्या और ससुर को बचाने की गुहार भी कर रहा था.

पुलिस को अपनी जांच आगे बढ़ानी थी, इसलिए पुलिस ने वरुण से इस बारे में पूछताछ की. वरुण ने पुलिस को बताया कि वह तो अपने घर ग्रेटर कैलाश में रहता है. ससुराल के सभी लोगों को अचानक क्या हो गया, इस की उसे कोई जानकारी नहीं है. पुलिस को केस की तह तक जाना था, इसलिए वह वरुण को ग्रेटर कैलाश पार्ट-1 में स्थित उस के घर पर ले गई. निशाने पर वरुण पुलिस ने उस के घर की तलाशी ली तो एक गिलास में कुछ संदिग्ध चीज  दिखी. पुलिस ने वह गिलास अपने कब्जे में ले लिया और गिलास में क्या है, यह जानने के लिए उसे फोरैंसिक जांच के लिए भेज दिया. उस गिलास के अलावा पुलिस को वरुण के घर से अन्य कोई संदिग्ध चीज नहीं मिली.

पुलिस यह तो अच्छी तरह जान चुकी थी कि जिस ने भी इस परिवार को जहरीला पदार्थ दिया है, वह विश्वस्त होगा और उस का इन के घर आनाजाना भी रहा होगा. लिहाजा पुलिस ने देवेंद्र मोहन शर्मा के घर पर जो लोग आतेजाते थे, उन से एकएक कर पूछताछ शुरू कर दी. पुलिस बहुत तेजी के साथ जांच कर रही थी. उधर फोरैंसिक जांच से पता चला कि वरुण के यहां से गिलास में जो चीज बरामद की गई थी, वह थैलियम नाम का जहरीला पदार्थ ही था. यह जानकारी मिलने के बाद वरुण पुलिस के शक के दायरे में आ गया. लिहाजा पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की. आखिर वरुण ने सच उगल ही दिया. उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही अपनी ससुराल के लोगों को थैलियम जहर दिया था. उन सभी का नामोनिशान मिटाने की वरुण ने जो कहानी बताई, वह हैरतअंगेज थी.

रियल एस्टेट कारोबारी वरुण ने करीब 12 साल पहले दिव्या से शादी की थी. दिव्या उस के साथ बहुत खुश थी. वरुण का कारोबार अच्छा चल रहा था, इसलिए दिव्या को कोई परेशानी नहीं थी. जीवन हंशीखुशी से चल रहा था. लेकिन बाद में उन के जीवन में एक समस्या खड़ी हो गई. समस्या यह कि शादी के कई साल बाद भी दिव्या मां नहीं बन पाई. वरुण ने डाक्टरों से उस का इलाज भी कराया, लेकिन उस के घर में किलकारी नहीं गूंजी. जब पतिपत्नी हर तरफ से हताश हो गए, तब उन्होंने शादी के करीब 7 साल बाद आईवीएफ प्रोसेस का सहारा लिया. इस का सही परिणाम निकला और दिव्या ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया. जिस में एक बेटी थी और एक बेटा.

अब उन के घर में एक नहीं, बल्कि 2-2 बच्चों की किलकारियां गूंजने लगीं. उन की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. जुड़वां बच्चे होने के बाद दिव्या के मायके वाले भी बहुत खुश थे. दिव्या दोनों बच्चों की सही देखभाल कर रही थी. वक्त के साथ बच्चे करीब 4 साल के हो गए. लगभग एक साल पहले वरुण के पिता की अचानक मौत हो गई. पिता की मौत के बाद वरुण की गृहस्थी में एक ऐसी समस्या ने जन्म ले लिया, जिस ने न सिर्फ वरुण के बल्कि वरुण की ससुराल वालों के जीवन को उजाड़ दिया. बेटे के रूप में बाप की वापसी की चाहत हुआ यह कि पिता की मौत के बाद दिव्या फिर से प्रैगनेंट हो गई. इस से वरुण बहुत खुश था.

वह सोच रहा था कि उस की पत्नी की कोख में उस के पिता ही आए हैं. वह पत्नी की अच्छी तरह से देखभाल करने लगा. उधर जिस महिला डाक्टर के पास  दिव्या अपना चैकअप कराने जाती थी, उस ने दिव्या से कहा कि इस बार उस का प्रैग्नेंट होना उस के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. किसी तरह उस ने बच्चे को जन्म दे भी दिया तो उस का बच पाना मुश्किल होगा. दिव्या ने यह बात वरुण को बताई तो उस ने उस की बात पर विश्वास नहीं किया. वरुण ने कहा कि डाक्टर झूठ बोल रही है. ऐसा कुछ नहीं होगा. वह उसे और होने वाले बच्चे को कुछ नहीं होने देगा. वरुण ने अबौर्शन कराने से साफ मना कर दिया.

उस ने कहा कि बच्चे के रूप में उस के पिता आ रहे हैं, इसलिए वह किसी भी सूरत में उस का गर्भपात नहीं कराएगा. दिव्या ने डाक्टर वाली बात अपने मायके में बताई तो उस की मां अनीता ने कहा कि यदि उस का गर्भपात नहीं कराएगा तो वह खुद उस के साथ जा कर उस का गर्भपात करा देगी . क्योंकि बेटी की जिंदगी का सवाल है. बेटी जीवित रहेगी तो बच्चा कभी भी हो जाएगा. एक दिन वरुण की सास ने वरुण को अपने घर बुला कर समझाया कि जब डाक्टर बच्चा पैदा करने के लिए मना कर रही है तो ऐसे में उस का गर्भपात कराना ही बेहतर है. लेकिन वरुण अपनी जिद पर अड़ा था.

उस ने कहा कि वह किसी भी सूरत में उस का गर्भपात नहीं होने देगा. इस बात पर उन की आपस में खटपट भी हो गई. इतना ही नहीं, उस दिन ससुराल में वरुण की काफी बेइज्जती भी हुई. वरुण की सास अनीता भी अपनी जिद पर अड़ी थी. उस ने वरुण की इच्छा के खिलाफ दिव्या का गर्भपात करा दिया. यह बात वरुण को बहुत बुरी लगी. उस ने सोचा कि उस की सास ने बच्चे का नहीं, बल्कि गर्भ में पल रहे उस के पिता को मारा है. उसी समय वरुण ने तय कर लिया कि वह अपनी बेइज्जती करने वालों और गर्भपात कराने वाले अपने ससुरालियों को सबक सिखा कर रहेगा. इस के बाद वरुण ससुराल वालों को सबक सिखाने के उपाय खोजने लगा. वह ऐसी तरकीब खोज रहा था, जिस से काम भी हो जाए और उस पर कोई शक भी न करे. इस बारे में वह इंटरनेट और यूट्यूब पर भी सर्च करता था.

खतरनाक रसायन थैलियम इसी दौरान उसे थैलियम नामक जहरीले रसायन के बारे में जानकारी मिली. थैलियम एक ऐसा जहर होता है कि यह जिस व्यक्ति को दिया जाता है उसे शुरुआत में उल्टीदस्त, जी मिचलाने की शिकायत होती है और जल्दी ही उस की मृत्यु हो जाती है. क्योंकि मृत व्यक्ति के शरीर पर जहर जैसे कोई भी लक्षण नहीं मिलते, इसलिए लोग यही समझते हैं कि उस की मौत फूड पौइजनिंग की वजह से हुई है. यह जानकारी मिलने के बाद वरुण ने थैलियम रसायन पाने की कोशिश शुरू कर दी. आदमी कोशिश करे तो बेहतर रिजल्ट निकल ही आता है. यही वरुण के साथ भी हुआ. इस खोजबीन में उसे पंचकूला की एक लैबोरेटरी का पता चला.

उस ने वहां औनलाइन संपर्क कर रिसर्च के नाम पर थैलियम मंगा लिया. अब उस का मकसद किसी तरह इसे अपने ससुराल वालों को खिलाना था. इस के लिए उस ने सब से पहले अपने ससुराल वालों से संबंध सामान्य करने शुरू किए क्योंकि पत्नी का गर्भपात कराने के बाद उन से उस के संबंध बिगड़ गए थे. इस साल जनवरी के अंतिम सप्ताह में वरुण की पत्नी दिव्या अपने दोनों बच्चों के साथ मायके गई हुई थी. अब तक ससुराल वालों से वरुण के संबंध नौर्मल हो चुके थे. वह फिर से ससुराल आनेजाने लगा था. वरुण को पता था कि उस की ससुराल के लोगों को मछली करी बहुत पसंद है.

योजना के अनुसार वरुण ने 31 जनवरी, 2021 को पत्नी दिव्या को फोन कर के कह दिया कि वह आज होटल से मछली करी ले कर आएगा, इसलिए घर पर सब्जी न बनवाए. दिव्या ने यह बात अपनी मम्मी अनीता को बता दी. जिस से उस दिन उन लोगों ने अपनी नौकरानी से केवल रोटियां ही बनवाई थीं. योजना के अनुसार, वरुण ने एक होटल से मछली करी खरीदी और उस में थैलियम मिला दिया. फिर मछली करी ले कर ससुराल पहुंच गया. अपनी तबीयत खराब होने का बहाना बना कर उस ने उस दिन ससुराल में खाना नहीं खाया. घर की नौकरानी सहित ससुराल के सभी लोगों ने मछली करी खाई, जिस से जहरीला रसायन थैलियम उन सब के शरीर में पहुंच गया और उस ने धीरेधीरे अपना असर दिखाना शुरू कर दिया.

इस के बाद उन लोगों की तबीयत खराब होने लगी तो उन सभी को अस्पताल में भरती कराया गया. वरुण के दोनों बच्चे उस के पहुंचने से पहले ही खाना खा कर सो गए थे, जिस से वे बच गए. वरुण अस्पताल में देखभाल करने का नाटक इसलिए कर रहा था ताकि उस पर कोई शक न करे, लेकिन पुलिस जांच में उस की साजिश उजागर हो गई. वरुण अरोड़ा से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक वरुण के ससुर देवेंद्र मोहन शर्मा और नौकरानी की हालत गंभीर बनी हुई थी. जबकि दिव्या की 8 अप्रैल को मौत हो गई. पुलिस जांच में पता चला कि दिल्ली में थैलियम रसायन दे कर किसी को मारने का यह पहला मामला है. Murder Mystery Story

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

जशन की एक गोली ने ली जान

जशन की एक गोली ने ली जान – भाग 3

पूछताछ में पता चला कि अर्चना के पति विकास गुप्ता और राजू सिंह के भाई संजीव सिंह पिछले 3 साल से साझे में रियल एस्टेट का बिजनैस कर रहे थे. इसीलिए उन्हें पार्टी में बुलाया गया था.

5 आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद जांच अधिकारी सी.एल. मीणा ने कुछ प्रत्यक्षदर्शियों को जब पूछताछ के लिए बुलाया, तो उन के मोबाइल से घटना के वक्त बनाई गई कुछ वीडियो क्लिप बरामद हुईं. इस मामले में पुलिस ने 55 लोगों से पूछताछ की.

दरअसल, पुलिस को शुरुआती पूछताछ में ही जानकारी मिल गई थी कि पार्टी में शामिल कुछ लोगों ने इस पार्टी की विडियो बनाई थी. हालांकि घटना के बाद राजू सिंह के परिवार वालों ने ज्यादातर लोगों के मोबाइल फोन से इन वीडियो को डिलीट करा दिया था.

राजू कुमार सिंह बिहार के मुजफ्फरपुर में पारू प्रखंड के बड़ा दाउद गांव के रहने वाले हैं. 48 वर्षीय राजू सिंह 3 भाइयों में मंझले हैं. उन के पिता उदयप्रताप सिंह कई बार पारू प्रखंड की आनंदपुर खरौनी पंचायत के मुखिया रहे हैं. राजू कुमार सिंह ने सन 2005 में राजनीति में एंट्री ली थी. वे पहली बार लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर साहेबगंज से विधायक चुने गए थे.

उसके बाद 2005 में ही हुए अक्तूबर में हुए चुनाव में पार्टी बदल कर वह जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर साहेबगंज से दोबारा विधायक चुने गए. फिर साल 2010 में यहीं से वह दोबारा विधायक बने. इस तरह वे 4  बार विधायक चुने गए. इस के बाद राजू कुमार सिंह ने सन 2015 में जेडीयू को छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था.

2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. राजू कुमार सिंह ने साल 2009 में अपनी पत्नी रेनू सिंह को भी निर्दलीय चुनाव लड़ा कर एमएलसी बनवा दिया. पूर्वी चंपारण से पंचायती राज कोटे से रेनू सिंह एमएलसी की सीट पर विजयी हुई थीं.

रसूखदार परिवार के हैं पूर्व विधायक

राजू कुमार सिंह ने 1984 में बिहार के मुजफ्फरपुर से मैट्रिक के बाद 1996 में महाराष्ट्र से बीटेक की पढ़ाई पूरी की थी. इस के बाद उन्होंने यूक्रेन से एमटेक करने के बाद महाराष्ट्र से पीएचडी की डिग्री भी हासिल की.

हालांकि राजू सिंह आमतौर पर बिहार में ही रहते थे, लेकिन परिवार दिल्ली में होने की वजह से अकसर यहां आते रहते थे. संपन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजू सिंह की गिनती बिहार में राजपूतों के दंबग नेता के रूप में होती थी. बिहार के रसूखदार सियासतदारों में शामिल राजू सिंह न सिर्फ राजनीति की चर्चित हस्ती थे, बल्कि उद्योग और व्यवसाय में भी उन की तूती बोलती थी.

वैसे राजू कुमार सिंह के परिवार की पहचान दवा के बड़े व्यवसाई के रूप में भी होती है. उनका दवाओं का कारोबार नोएडा, अहमदाबाद समेत कई बड़े शहरों फैला है. इस के अलावा रूस और अमेरिका में भी उन का दवाओं का कारोबार बताया जाता है.

बताया जाता है कि सोवियत संघ के विघटन और आर्थिक मंदी के समय राजू सिंह का परिवार दवा के कारोबार को सोवियत संघ तक ले कर गया और फिर करोड़ों की दवाओं का साम्राज्य स्थापित कर लिया.

राजू सिंह के पैतृक गांव बड़ा दाउद में उन का कोल्ड स्टोरेज, पारू प्रखंड में चीनी मिल, मुजफ्फरपुर शहर के कलम बाग चौक और मोतीझील में 2 व्यावसायिक प्रतिष्ठान और सुप्रसिद्ध डीआरबी मौल में भी राजू सिंह की हिस्सेदारी है.

अर्चना गुप्ता की हत्या का मामला उन के खिलाफ दर्ज पहला आपराधिक मामला नहीं है. उन के बारे में कहा जाता है कि वह शराब पी कर अकसर अपने लाइसेंसी हथियारों से फायरिंग करते रहते थे.

अनेक मामले दर्ज हैं पूर्व विधायक पर

राजू कुमार सिंह के खिलाफ 2015 के चुनाव के समय 5 आपराधिक मामले दर्ज थे जिस में धमकी देने, मारपीट करने, जान से मारने का प्रयास और आर्म्स एक्ट से जुड़ी कई संगीन धाराओं में उन के खिलाफ मामले दर्ज हैं. उन के खिलाफ एक नाबालिग लड़की को वेश्यावृत्ति के लिए बेचने समेत सरकारी काम में बाधा डालने के भी मामले चल रहे हैं.

हाल के दिनों में अमर भगत हत्याकांड में भी उन का नाम उछला था, लेकिन पुलिस को उन के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला. राजू सिंह हमेशा नक्सलियों और माओवादियों से खुद को खतरा बताते रहे हैं. यही कारण था कि प्रशासन ने उन्हें विशेष सुरक्षा भी मुहैया कराई थी.

नए साल की पूर्वसंध्या पर राजू सिंह व उन के भाइयों ने अपने फार्महाउस पर 55-60 लोगों को पार्टी में बुलाया था. देर रात सभी मेहमान शराब के नशे में धुत नाच रहे थे. इसी बीच आरोपी पूर्व विधायक ने 3 राउंड गोली चलाईं, जिस में एक गोली अर्चना गुप्ता के सिर में लगी.

फार्महाउस पर म्यूजिक बजा रहे 2 डिस्क जौकी (डीजे) ने पुलिस को दिए अपने बयानों में बताया है कि उस रात राजू सिंह एक हाथ में पिस्टल और दूसरे हाथ में शराब का गिलास ले कर नाच रहे थे. साथ ही अर्चना गुप्ता की हत्या के एक घंटे बाद तक राजू सिंह खून से सने उस डांस फ्लोर पर शराब पीते रहे.

पुलिस ने दोनों डीजे के बयान मजिस्ट्रैट के सामने भी दर्ज करा दिए हैं, जिस का यह अर्थ है कि अदालत के समक्ष इसे अहम सबूत के रूप में स्वीकार किया जाएगा.

प्रतिभाशाली महिला थीं अर्चना गुप्ता

इस बयान में बताया गया कि डांस फ्लोर पर करीब 14 लोग थे. डांस फ्लोर पर मौजूद कुछ लोगों ने पुलिस को बयान दिया है कि उन्होंने राजू सिंह के हाथ में पिस्टल देखी थी. पुलिस को जांच के बाद यह भी पता चला कि फार्महाउस में पिस्टल से 6 और राइफल से 2 फायर किए गए थे. लेकिन नशे और सियासी उन्माद में उन की फायरिंग से एक प्रतिभाशाली महिला की जिंदगी खत्म हो गई.

42 साल की अर्चना गुप्ता, जो एक किताब लिख चुकी थीं, 2 किताबों को फाइनल टच देने का काम कर रही थीं. वह एक डौक्यूमेंट्री पर भी काम कर रही थीं. वह सन 2017 तक आईपी यूनिवर्सिटी में पढ़ाती थीं. वह बेहतरीन मां, उम्दा आर्किटेक्ट, अच्छी राइटर और शानदार टीचर थीं. वह आगे भी बहुत कुछ करना चाहती थीं. लेकिन नए साल के इस जश्न की पार्टी ने सब पर पानी फेर दिया.

विकास गुप्ता जो रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़े थे, राजू सिंह के भाई संजीव सिंह के 25 साल पुराने जिगरी दोस्त हैं, इसीलिए विकास की जानपहचान संजीव के दूसरे भाइयों राजेश व राजू सिंह से भी थी.

जिस फार्महाउस में पार्टी चल रही थी, वह फार्महाउस भी संजीव सिंह का ही था. पारिवारिक दोस्ती के कारण विकास गुप्ता अपनी पत्नी अर्चना व बेटी को ले कर नए साल की इस पार्टी में आए थे, लेकिन खुशी का यह जश्न उन की पत्नी की जिंदगी लील गया.

अर्चना गुप्ता ने भले ही दम तोड़ दिया, लेकिन मरने के बाद भी उन्होंने एक मिसाल पेश कर दी. भले ही अब वह इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन जातेजाते वह 2 लोगों को जिंदगी दे गईं. उन्होंने मरने से पहले अपनी दोनों किडनियां डोनेट कर दीं.

गोली लगने के बाद अर्चना के पति विकास गुप्ता ने उन्हें वसंत कुंज के फोर्टिस अस्पताल में एडमिट कराया था, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली. मौत के बाद उन की एक किडनी फोर्टिस अस्पताल के एक 43 साल के मरीज को ट्रांसप्लांट की गई, तो दूसरी अपोलो अस्पताल में एडमिट 67 साल की एक महिला को डोनेट की गई.

जशन की एक गोली ने ली जान – भाग 2

पुलिस ने मेहमानों की मांगी लिस्ट

उस वक्त वहां सिर्फ 22 पुरुष व महिलाएं और कुछ कर्मचारी मौजूद थे. लेकिन कोई भी यह जानकारी नहीं दे सका कि फायरिंग होने के दौरान अर्चना गुप्ता को किस के हथियार से चली गोली लगी. पुलिस ने संजीव सिंह को हिदायत दी कि उस रात पार्टी में मौजूद सभी मेहमानों के नामपते की सूची व फोन नंबर अगले कुछ घंटों के भीतर पुलिस को उपलब्ध कराएं.

इस के बाद फार्महाउस पर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया और उस क्षेत्र में जहां गोली चलने की घटना हुई थी, किसी को भी नहीं जाने की हिदायत दे दी गई. पुलिस टीम घटनास्थल पर मौजूद फार्महाउस के कुछ कर्मचारियों और वहां डीजे बजा रहे 2 जौकी को पूछताछ के लिए अपने साथ फतेहपुर बेरी थाने ले आई.

दूसरी ओर इंसपेक्टर सी.एल. मीणा फोर्टिस अस्पताल से अर्चना के पति विकास गुप्ता को अपने साथ थाने ले आए, जहां विस्तारपूर्वक उन का बयान लिया गया.

विकास गुप्ता का साफ कहना था कि उन की पत्नी को पूर्व विधायक राजू सिंह द्वारा पिस्टल से की गई फायरिंग में गोली लगी है. लिहाजा पुलिस ने पहली जनवरी, 2019 की सुबह हत्या की कोशिश व शस्त्र अधिनियम के तहत राजू सिंह के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कर ली.

इस दौरान पुलिस ने कई काम एक साथ किए. सब से पहले पुलिस ने कब्जे में ली गई सीसीटीवी फुटेज देखी, जिस से साफ पता चल रहा था कि उस फुटेज के साथ छेड़छाड़ की गई है. घटना के वक्त 3-4 लोगों ने फायरिंग की थी. लेकिन जिस वक्त राजू सिंह ने पिस्टल लहरा कर गोली चलाई, उस दौरान कुछ मिनट की वीडियो को डिलीट कर दिया गया था.

इसका मतलब था कि घटना के साक्ष्य मिटाने की कोशिश की गई थी. साथ ही सीसीटीवी से यह भी खुलासा हुआ कि राजू सिंह शाम के 7 बजे से ही शराब पी रहा था. रात करीब 12 बज कर 4 मिनट पर जब घटना घटी, उस वक्त वह बुरी तरह नशे में झूम रहा था और उस का खुद पर नियंत्रण नहीं था. रात साढ़े 11 बजे के बाद उस ने कई बार अपनी जेब में खोंसा पिस्टल निकाल कर हवा में लहराया था.

सीसीटीवी फुटेज में की गई छेड़छाड़

सीसीटीवी देखने के बाद तसवीर काफी हद तक साफ हो गई थी. लेकिन जब पुलिस ने फार्महाउस में काम करने वाले कर्मचारियों और जौकी से पूछताछ शुरू की, तो सारा सच सामने आने लगा.

पता चला कि रात को 12 बजते ही सब से पहले राजू सिंह के एक बेहद करीबी राम इंद्र सिंह और राजू सिंह के ड्राइवर हरी सिंह ने रायफल से हवा में 3-4 राउंड गोलियां चलाई थीं. उस वक्त तक अर्चना गुप्ता एकदम ठीक थीं. लेकिन बाद में जब राजू सिंह ने हवा में हाथ लहराते हुए अपने पिस्टल से एक के बाद एक 3 फायर किए तो एक गोली अर्चना के सिर में जा लगी थी.

थानाप्रभारी दिलीप कुमार व एसीपी राजेंद्र सिंह पठानिया को कुछ साल पहले महरौली इलाके में हुए एक बहुचर्चित हादसे के बारे में पता था, जिस में कुछ अमीरजादों ने शराब नहीं देने पर नशे में एक मौडल जेसिका लाल की गोली मार कर हत्या कर दी थी. दिल्ली के बेहद चर्चित इस मामले में भी सबूत मिटाने की कोशिश की गई थी.

बाद में कई कारणों से पुलिस की आलोचना भी हुई थी. लिहाजा एसीपी पठानिया इस तरह की कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहते थे. उन्होंने उसी दिन पूर्व विधायक राजू सिंह के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगवा दिया. डीसीपी रोमिल बानिया ने राजू सिंह की गिरफ्तारी के लिए जिले के स्पैशल स्टाफ, एंटी आटो थेफ्ट सेल और फतेहपुर बेरी थाना पुलिस की 4 टीमों को हर उस जगह के लिए रवाना कर दिया, जहां राजू सिंह के मिलने की संभावना थी.

1 जनवरी की शाम होतेहोते अर्चना सिंह ने फोर्टिस अस्पताल में दम तोड़ दिया. पुलिस ने उन के शव का पंचनामा भर कर एम्स के चिकित्सकों की विशेष टीम से पोस्टमार्टम कराने के लिए भिजवा दिया. इधर अर्चना की मौत के बाद जांच अधिकारी सी. एल. मीणा ने इस मामले में हत्या की धारा 302 व 201 भी जोड दी. अगली सुबह पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ हो गया कि मृतक अर्चना के सिर में राजू सिंह की लाइसेंसी पिस्टल की गोली लगी थी.

इधर साइबर टीम की मदद से पुलिस को लगातार राजू सिंह व उन के ड्राइवर हरी सिंह की लोकेशन उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में मिल रही थी. डीसीपी रोमिल बानिया ने 2 विशेष टीमों को तत्काल कुशीनगर के लिए रवाना कर दिया. ये टीमें लगातार सर्विलांस के काम में लगी टीम से संपर्क बनाते हुए 2 जनवरी को कुशीनगर पहुंच गईं.

अरेस्ट हो गए पूर्व विधायक

पुलिस ने स्थानीय पुलिस का सहयोग ले कर राजू कुमार सिंह व उन के ड्राइवर हरी सिंह को कुशीनगर के फाजिल नगर बाजार से 2 जनवरी, 2019 की शाम को गिरफ्तार कर लिया.

वे दोनों एक सफेद रंग की इनोवा कार में सवार थे और बिहार जाने की तैयारी कर रहे थे. पुलिस ने उन के कब्जे से घटना में इस्तेमाल पिस्टल भी जब्त कर ली. पूछताछ में राजू सिंह ने बताया कि इस पिस्टल का लाइसैंस उन्होंने बिहार से बनवाया है और देश भर के लिए मान्य है.

राजू सिंह के पकड़े जाने पर उन के खास और गाड़ी के ड्राइवर हरी सिंह ने यह कह कर पूरी वारदात को अपने सिर लेने की कोशिश की कि गोली उस ने चलाई थी.

पुलिस दोनों को दिल्ली ले आई और उन्हें पार्टी में शामिल लोगों के बयान से अवगत कराया तो राजू सिंह ने अपना अपराध कबूल कर लिया. पूछताछ के बाद यह साफ हो गया कि उस रात पार्टी में फायरिंग राजू सिंह व 2 अन्य लोगों ने भी की थी. अर्चना की मौत राजू सिंह की ही गोली से हुई थी.

पुलिस ने राजू सिंह व उन के ड्राइवर हरी सिंह को साकेत कोर्ट में पेश किया, जहां से उन दोनों को 7 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया. शुरुआती पूछताछ में राजू ने कहा कि उस ने शराब पी रखी थी और नशे में गोली चला दी थी.

आरोपी के परिवार के बिजनैस पार्टनर थे विकास गुप्ता

राजू सिंह ने पुलिस से यह भी कहा कि उन्हें अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है. राजू सिंह ने बताया कि घटना के बाद वह अपने रिश्तेदार के यहां छिपा था और बिहार के रास्ते नेपाल भागने की फिराक में था ताकि सियासी प्रभाव का फायदा उठा सके. राजू सिंह ने पुलिस के सामने यह भी कबूल किया कि उस ने वारदात के बाद कारतूस छिपाए थे और कपड़े भी बदले थे.

राजू सिंह व हरी सिंह से पूछताछ के बाद चश्मदीदों के बयान और सीसीटीवी की फुटेज से यह बात साफ हो गई कि डांस फ्लोर पर बहे अर्चना गुप्ता के खून को साफ करने व सबूत मिटाने में राजू सिंह की पत्नी और बिहार की पूर्व एमएलसी रेनू सिंह, उन के भाई राजेश सिंह और राजू सिंह के एक करीबी राम इंद्र सिंह शामिल थे. लिहाजा पुलिस ने राजू सिंह व हरी सिंह को हत्या और उन तीनों को सबूत मिटाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

जशन की एक गोली ने ली जान – भाग 1

नए साल के स्वागत के लिए हर कोई अपने तरीके से जश्न मनाता है. जिस की जैसी औकात वैसा जश्न. दिल्ली  और मुंबई जैसे महानगर चूंकि रईसों के शहर माने जाते हैं, इसलिए यहां नए साल के जश्न भी निराले होते हैं. दिल्ली की बात करें तो देश की इस राजधानी में रईसों से ले कर नौकरशाही और सियासत से जुड़े लोग 5 सितारा होटलों और फार्महाउसों में शराब और शबाब की महफिलें सजाते हैं.

दक्षिणी दिल्ली के फतेहपुर बेरी थाना क्षेत्र के मांडी गांव के पास एक फार्महाउस रोज फार्म नाम से है. रोज फार्म में नए साल 2019 का स्वागत करने व जश्न मनाने के लिए एक पार्टी का आयोजन किया गया था.

दवाइयां बनाने व बेचने का व्यवसाय करने वाले संजीव सिंह अपने दूसरे भाइयों राजेश सिंह व राजू सिंह के साथ इस पार्टी के मेजबान थे. रोज फार्महाउस की मालिक इन भाइयों की मां हैं. राजू सिंह बिहार के मुजफ्फरपुर में साहेबगंज से विधायक रह चुके हैं.

न्यू ईयर की इस पार्टी में तीनों भाइयों के परिवारों ने पारिवारिक दोस्तों को निमंत्रण दे कर बुलाया गया था. पार्टी में तीनों भाइयों के परिवारों के अलावा करीब 55-60 मेहमान शामिल हुए थे, जिन में से कुछ दोस्त मौस्को और अमेरिका से भी आए थे. शाम 7 बजे से ही महफिल में शराब के साथ लजीज व्यंजनों का दौर शुरू हो गया था. मेहमान डीजे की धुन पर डांस के साथ मस्ती कर रहे थे.

रात 12 बजे जैसे ही नए साल का आगाज हुआ, लोग और भी ज्यादा जोश में डांस करने लगे. इन में से ज्यादातर लोग डांस फ्लोर पर डांस कर रहे थे. कुछ लोग फार्महाउस के दूसरे हिस्सों में भी शराब की चुस्कियां और खाने का स्वाद लेते हुए एकदूसरे को नए साल की बधाइयां दे रहे थे.

उसी वक्त डांस स्टेज के पास कुछ लोगों ने एक के बाद एक कई हवाई फायर करके जश्न की उमंग को बढ़ा दिया. एक के बाद एक कई गोलियां चलीं तो स्टेज पर डांस कर रही अर्चना गुप्ता (42) चीख के साथ लहरा कर जमीन पर गिर पड़ीं. उन की चीख सुन सभी ने चौंक कर स्टेज की तरफ देखा.

अर्चना के पति विकास गुप्ता भी दौड़ कर स्टेज पर पहुंच गए. अर्चना के सिर से खून का फव्वारा सा फूट निकला था. वह जहां गिरीं, वहां आसपास खून का दरिया बन गया था. गोली चलने के बाद फार्महाउस में हड़बड़ी और भगदड़ सी मच गई थी. मेहमानों के चेहरों पर दहशत के भाव उभर आए. किसी को नहीं सूझ रहा था कि अचानक ये सब क्या और कैसे हो गया.

पत्नी अर्चना की चीख सुन कर आए विकास गुप्ता उन्हें खून से लथपथ देख पहले तो पलभर के लिए सदमे में आए. लेकिन अगले ही पल जैसे वे नींद से जागे और पत्नी को गोद में उठा कर अपनी गाड़ी की तरफ दौड़ पड़े. पार्टी में मौजूद कुछ मेहमान भी उन के साथ हो लिए.

किसी के हिस्से में खुशी, किसी के हिस्से में अंधेरा

अर्चना को उन्होंने अपनी गाड़ी की पिछली सीट पर डाला और कुछ ही देर में उन की कार फर्राटे भरती हुई वसंत कुंज के फोर्टिस अस्पताल पहुंच गई. डाक्टरों को जब यह पता चला कि उन के सामने मौजूद महिला को गोली लगी है, तो अस्पताल की तरफ से तत्काल पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी गई. इस के बाद अर्चना को गहन चिकित्सा कक्ष में ले जा कर उन का इलाज शुरू कर दिया गया.

कुछ ही देर में पीसीआर की गाड़ी आ गई.  पुलिस के अस्पताल पहुंचने के बाद अर्चना गुप्ता के पति विकास गुप्ता ने बताया कि उन्हें गोली फार्महाउस में की गई फायरिंग से लगी है. उन से जरूरी जानकारी ले कर पीसीआर कर्मियों ने इस घटना की सूचना दक्षिण जिले के फतेहपुर बेरी थाने को दे दी. क्योंकि रोज फार्म इसी थाना क्षेत्र में आता था.

सूचना मिलते ही फतेहपुर बेरी थानाप्रभारी दिलीप कुमार थाने के इंसपेक्टर (इन्वैस्टीगेशन) सी.एल. मीणा, एसआई मंजीत सिंह और अन्य स्टाफ को साथ ले कर फोर्टिस अस्पताल पहुंच गए. वहां पहुंचने पर पता चला कि अर्चना गुप्ता की हालत बेहद गंभीर है और सिर में गोली लगने की वजह से उन के बचने की बहुत कम उम्मीद है.

अर्चना के पति विकास गुप्ता अस्पताल में ही मौजूद थे. दिलीप कुमार ने उन से घटना के बारे में जानकारी ली, तो उन्होंने आरोप लगाया कि उन की पत्नी को गोली रोज फार्महाउस में लगी है. उन्होंने बताया कि डांस फ्लोर पर शराब के नशे में धुत फार्महाउस के मालिक, बिहार के पूर्व विधायक राजू कुमार सिंह ने फायरिंग की थी. इसी फायरिंग में एक गोली उन की पत्नी के सिर में भी लग गई.

पुलिस पहुंची फार्महाउस

फतेहपुर बेरी थानाप्रभारी दिलीप कुमार ने अपने सर्किल के एसीपी राजेंद्र सिंह पठानिया और दक्षिणी जिले के डीसीपी रोमिल बानिया को भी घटना के बारे में जानकारी दे दी. डीसीपी रोमिल बानिया ने थानाप्रभारी दिलीप कुमार को तत्काल घटनास्थल पर जा कर मामले की तहकीकात करने के निर्देश दिए. जिस वक्त थानाप्रभारी दिलीप कुमार रोज फार्म पर पहुंचे, वहां से अधिकांश मेहमान जा चुके थे. घटनास्थल पर भी ऐसा कोई चिह्न नहीं था, जिस से पता चल सकता कि वहां कोई घटना हुई है.

डांस फ्लोर के फर्श से ऐसा लगता था कि उसे पानी डाल कर धो दिया गया था. एसीपी राजेंद्र पठानिया भी दलबल के साथ वहां पहुंच गए. जब उन्होंने फार्महाउस के दूसरे मालिक संजीव सिंह से घटना के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि सब लोग हंसीखुशी डांस कर रहे थे. 12 बजे कुछ लोगों ने नया साल शुरू होने की खुशी में हवाई फायरिंग शुरू कर दी, जिस में से कोई गोली उन के दोस्त विकास गुप्ता की पत्नी अर्चना गुप्ता को लग गई.

गोली किस ने मारी, फायरिंग कौन कर रहे थे, इस के बारे में संजीव सिंह या वहां मौजूद किसी व्यक्ति ने कोई जानकारी नहीं दी. जब उन से पूछा गया कि उन के विधायक भाई कहां हैं, तो संजीव सिंह ने बताया कि उन्हें कोई जरूरी काम था, इसलिए वे इस हादसे के कुछ देर बाद अपने ड्राइवर हरी सिंह को ले कर शहर से बाहर चले गए हैं.

थानाप्रभारी दिलीप कुमार और एसीपी पठानिया समझ गए कि ये बड़े लोगों की पार्टी है, इतनी आसानी से सच सामने नहीं आएगा. लिहाजा जब उन्होंने देखा कि फार्महाउस में अलगअलग जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, तो उन्होंने दिल्ली पुलिस के आईटी विभाग के साथ क्राइम व फोरैंसिंक टीम को भी मौके पर बुला लिया.

सुबह होने तक पुलिस ने फार्महाउस में लगे सीसीटीवी कैमरों की सभी फुटेज अपने कब्जे में ले ली. इस के अलावा उन्होंने घटनास्थल की फोटो के अलावा सभी स्थानों से फिंगरप्रिंट उठवाए. फार्महाउस की तलाशी कराई गई, तो पुलिस भी हैरान रह गई.

पुलिस को फार्महाउस से 2 बंदूकें और 820 कारतूस मिले. इन में 750 कारतूस राइफल के और 70 कारतूस पिस्टल के थे. इस के अलावा घटनास्थल से 3-4 खाली कारतूस भी बरामद हुए. संजीव सिंह ने बताया पूर्व विधायक राजू सिंह को गोलियां चलाने का शौक है. उन्होंने इन सभी हथियारों के लाइसेंस बिहार से बनवाए थे.

फार्महाउस के मालिक संजीव सिंह ने बताया कि बरामद बंदूकें और कारतूसों के उन के पास लाइसेंस हैं, जिन्हें वह जल्द ही पुलिस को दिखा देंगे. पुलिस ने तब तक के लिए बंदूकें व कारतूस अपने कब्जे में ले लिए. इस के बाद पुलिस ने घटनास्थल पर मौजूद सभी लोगों के अलगअलग बयान लेने शुरू किए.