ज्योति ने बुझाई पति की जीवन ज्योति

बहन का प्यार : यार बना गद्दार

निश्चित जगह पर पहुंच कर अखिलेश उर्फ चंचल को प्रियंका दिखाई नहीं दी तो वह बेचैन हो उठा. उस बेचैनी में वह इधरउधर  टहलने लगा. काफी देर हो गई और प्रियंका नहीं आई तो वह निराश होने लगा. वह घर जाने के बारे में सोच रहा था कि प्रियंका उसे आती दिखाई दे गई. उसे देख कर उस का चेहरा खुशी से खिल उठा. प्रियंका के पास आते ही वह नाराजगी से बोला, ‘‘इतनी देर क्यों कर दी प्रियंका. मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं. अच्छा हुआ तुम आ गईं, वरना मैं तो निराश हो कर घर जाने वाला था.

‘‘जब प्यार किया है तो इंतजार करना ही पड़ेगा. मैं तुम्हारी तरह नहीं हूं कि जब मन हुआ, आ गई. लड़कियों को घर से बाहर निकलने के लिए 50 बहाने बनाने पड़ते हैं.’’ प्रियंका ने तुनक कर कहा.

‘‘कोई बात नहीं, तुम्हारे लिए तो मैं कईकई दिनों तक इंतजार करते हुए बैठा रह सकता हूं. क्योंकि मैं दिल के हाथों मजबूर हूं,’’ अखिलेश ने कहा, ‘‘प्रियंका, मैं चाहता हूं कि तुम आज कालेज की छुट्टी करो. चलो, हम सिनेमा देखने चलते हैं.’’

प्रियंका तैयार हो गई तो अखिलेश पहले उसे एक रेस्टोरेंट में ले गया. नाश्ता करने के बाद दोनों सिनेमा देखने चले गए.

सिनेमा देखते हुए अखिलेश छेड़छाड़ करने लगा तो प्रियंका ने कहा, ‘‘दिनोंदिन तुम्हारी शरारतें बढ़ती ही जा रही हैं. शादी हो जाने दो, तब देखती हूं तुम कितनी शरारत करते हो.’’

‘‘शादी नहीं हुई, तब तो इस तरह धमका रही हो. शादी के बाद न जाने क्या करोगी. अब तो मैं तुम से शादी नहीं कर सकता.’’ अखिलेश ने कान पकड़ते हुए कहा.

‘‘अब मुझ से पीछा छुड़ाना आसान नहीं है. शादी तो मैं तुम्हीं से करूंगी.’’ प्रियंका ने कहा.

‘‘फिर तो मुझे यही गाना पड़ेगा कि ‘शादी कर के फंस गया यार.’’’ अखिलेश ने कहा तो प्रियंका हंसने लगी.

प्रियंका उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहांपुर के थाना सदर बाजार के मोहल्ला बाड़ूजई प्रथम के रहने वाले चंद्रप्रकाश सक्सेना की बेटी थी. वह ओसीएफ में दरजी थे. उन के परिवार में प्रियंका के अलावा पत्नी सुखदेवी, 2 बेटे संतोष, विपिन तथा एक अन्य बेटी कीर्ति थी. बड़े बेटे संतेष की शादी हो चुकी थी. वह अपनी पत्नी प्रीति के साथ दिल्ली में रहता था.

कीर्ति की भी शादी शाहजहांपुर के ही मोहल्ला तारोवाला बाग के रहने वाले राजीव से हुई थी. वह अपनी ससुराल में आराम से रह रही थी. गै्रजएुशन कर के विपिन ने मोबाइल एसेसरीज की दुकान खोल ली थी. जबकि प्रियंका अभी पढ़ रही थी. प्रियंका घर में सब से छोटी थी, इसलिए पूरे घर की लाडली थी. विपिन तो उसे जान से चाहता था.

प्रियंका बहुत सुंदर तो नहीं थी, लेकिन इतना खराब भी नहीं थी कि कोई उसे देख कर मुंह मोड़ ले. फिर जवानी में तो वैसे भी हर लड़की सुंदर लगने लगती है. इसलिए जवान होने पर साधारण रूपरंग वाली प्रियंका को भी आतेजाते उस के हमउम्र लड़के चाहत भरी नजरों से ताकने लगे थे. उन्हीं में एक था उसी के भाई के साथ मोबाइल एसेसरीज का धंधा करने वाला अखिलेश यादव उर्फ चंचल.

अखिलेश उर्फ चंचल शाहजहांपुर के ही मोहल्ला लालातेली बजरिया के रहने वाले भगवानदीन यादव का बेटा था. भगवानदीन के परिवार में पत्नी सुशीला देवी के अतिरिक्त 3 बेटे मुनीश्वर उर्फ रवि, अखिलेश उर्फ चंचल, नीलू और 2 बेटियां नीलम और कल्पना थीं. अखिलेश उस का दूसरे नंबर का बेटा था. भगवानदीन यादव कभी जिले का काफी चर्चित बदमाश था. उस की और उस के साथी रामकुमार की शहर में तूती बोलती थी.

रामकुमार की हत्या कर दी गई तो अकेला पड़ जाने की वजह से भगवानदीन ने बदमाशी से तौबा कर लिया और अपने परिवार के साथ शांति से रहने लगा. लेकिन सन 2002 में उस के सब से छोटे बेटे नीलू की बीमारी से मौत हुई तो वह इस सदमे को बरदाश्त नहीं कर सका और कुछ दिनों बाद उस की भी हार्टअटैक से मौत हो गई.

बड़ी बेटी नीलम का विवाह हो चुका था. पिता की मौत के बाद घरपरिवार की जिम्मेदारी बड़े बेटे रवि ने संभाल ली थी. वह ठेकेदारी करने लगा था. हाईस्कूल पास कर के अखिलेश ने भी पढ़ाई छोड़ दी और मोबाइल एसेसरीज का धंधा कर लिया. एक ही व्यवसाय से जुड़े होने की वजह से कभी विपिन और अखिलेश की बाजार में मुलाकात हुई तो दोनों में दोस्ती हो गई थी.

दोस्ती होने के बाद कभी अखिलेश विपिन के घर आया तो उस की बहन प्रियंका को देख कर उस पर उस का दिल आ गया. फिर तो वह प्रियंका को देखने के चक्कर में अकसर उस के घर आने लगा. कहने को वह आता तो था विपिन से मिलने, लेकिन वह तभी उस के घर आता था, जब वह घर में नहीं होता था. ऐसे में भाई का दोस्त होने की वजह से उस की सेवासत्कार प्रियंका को करनी पड़ती थी. उसी बीच वह प्रियंका के नजदीक आने की कोशिश करता.

उस के लगातार आने की वजह से विपिन से उस की दोस्ती गहरी हो ही गई, प्रियंका से भी उस की नजदीकी बढ़ गई. इस के बाद विपिन और अखिलेश ने मिल कर मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली एक नामी कंपनी की एजेंसी ले ली तो उन का कारोबार भी बढ़ गया और याराना भी. इस से उन का एकदूसरे के घर आनाजान ही नहीं हो गया, बल्कि अब साथसाथ खानापीना भी होने लगा था.

अब अखिलेश को प्रियंका के साथ समय बिताने का समय ज्यादा से ज्यादा मिलने लगा था. उस ने इस का फायदा उठाया. उसे अपने आकर्षण में ही नहीं बांध लिया, बल्कि उस से शारीरिक संबंध भी बना लिए. वह विपिन की अनुपस्थिति का पूरा फायदा उठाने लगा. विपिन के चले जाने के बाद केवल मां ही घर पर रहती थी. वह घर के कामों में व्यस्त रहती थी. फिर उसे बेटी पर ही नहीं, बेटे के दोस्त पर भी विश्वास था, इसलिए उस ने कभी ध्यान ही नहीं दिया कि वे दोनों क्या कर रहे हैं.

प्रियंका अपने भाई और परिवार को धोखा दे रही थी तो अखिलेश अपने दोस्त के साथ विश्वासघात कर रहा था. वह भी ऐसा दोस्त, जो उस पर आंख मूंद कर विश्वास करता था. उसे भाई से बढ़ कर मानता था. प्रियंका और अखिलेश क्या कर रहे हैं, किसी को कानोकान खबर नहीं थी. जबकि जो कुछ भी हो रहा था, वह सब घर में ही सब की नाक के नीचे हो रहा था.

संतोष की पत्नी प्रीति को बच्चा होने वाला था, इसलिए संतोष ने प्रीति को शाहजहांपुर भेज दिया. डिलीवरी की तारीख नजदीक आ गई तो उसे जिला अस्पताल में भरती करा दिया गया. प्रीति के अस्पताल में भरती होने की वजह से विपिन और उस की मां का ज्यादा समय अस्पताल में बीतता था.

छुट्टी न मिल पाने की वजह से संतोष नहीं आ सका था. उस स्थिति में प्रियंका को घर में अकेली रहना पड़ रहा था. विपिन को अखिलेश पर पूरा विश्वास था, इसलिए प्रियंका और घर की जिम्मेदारी उस ने उस पर सौंप दी थी. अखिलेश और प्रियंका को इस से मानो मुंहमांगी मुराद मिल गई थी. जब तक प्रीति अस्पताल में रही, दोनों दिनरात एकदूसरे की बांहों में डूबे रहे.

26 फरवरी, 2014 को प्रीति को जिला अस्पताल में बेटा पैदा हुआ था. खुशी के इस मौके पर अखिलेश ने 315 बोर के 2 तमंचे और 10 कारतूस ला कर विपिन को दिए थे. भतीजा पैदा होने पर दोनों ने उन तमंचों से एकएक फायर भी किए थे. बाकी 8 कारतूस और दोनों तमंचे अखिलेश ने विपिन से यह कह कर उस के घर रखवा दिए थे कि भतीजे के नामकरण संस्कार पर काम आएंगे. विपिन ने दोनों तमंचे और कारतूस अपने कमरे में बैड पर गद्दे के नीचे छिपा कर रख दिए थे.

विपिन पुलिस में भरती होना चाहता था, इसलिए रोजाना सुबह 5 बजे उठ कर जिम जाता था. वहां से वह 9 बजे के आसपास लौटता था. कभीकभी उसे देर भी हो जाती थी. 23 मार्च को विपिन 9 बजे के आसपास घर लौटा तो मां नीचे बरामदे में बैठी आराम कर रही थीं. भाभी प्रीति बच्चे के साथ सामने वाले कमरे में लेटी थी. उस ने कपड़े बदले और ऊपरी मंजिल पर बने अपने कमरे में सोने के लिए चला गया.

विपिन ने दरवाजे को धक्का दिया तो पता चला वह अंदर से बंद है. इस का मतलब अंदर कोई था. उस ने आवाज दी, लेकिन अंदर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. उस ने पूरी ताकत से दरवाजे पर लात मारी तो अंदर लगी सिटकनी उखड़ गई और दरवाजा खुल गया. अंदर अखिलेश और प्रियंका खड़े थे. दोनों की हालत देख कर विपिन को समझते देर नहीं लगी कि अंदर क्या कर रहे थे. उन के कपड़े अस्तव्यस्त थे और वे काफी घबराए हुए थे.

विपिन के कमरे में घुसते ही प्रियंका निकल कर नीचे की ओर भागी. विपिन का खून खौल उठा था. उस ने गुस्से में अखिलेश को एक जोरदार थप्पड़ जड़ते हुए कहा, ‘‘तुझे मैं दोस्त नहीं, भाई मानता था. मैं तुझ पर कितना विश्वास करता था और तूने क्या किया? जिस थाली में खाया, उसी में छेद किया.’’

‘‘भाई, मैं प्रियंका से सच्चा प्यार करता हूं और उसी से शादी करूंगा.’’ अखिलेश ने कहा, ‘‘वह मुझ से शादी को तैयार है.’’

‘‘तुम दोनों को पता था कि हमारी जाति एक नहीं है तो यह कैसे सोच लिया कि तुम्हारी शादी हो जाएगी?’’ विपिन गुस्से से बोला, ‘‘तुम ने जो किया, ठीक नहीं किया. मेरी इज्जत पर तुम ने जो हाथ डाला है, उस की सजा तो तुम्हें भोगनी ही होगी.’’

अखिलेश को लगा कि उसे जान का खतरा है तो उस ने जेब से 315 बोर का तमंचा निकाल लिया. वह गोली चलाता, उस के पहले ही विपिन ने उस के हाथ पर इतने जोर से झटका मारा कि तमंचा छूट कर जमीन पर गिर गया. अखिलेश ने तमंचा उठाना चाहा, लेकिन विपिन ने फर्श पर पड़े तमंचे को अपने पैर से दबा लिया.

अखिलेश कुछ कर पाता, विपिन ने बैड पर गद्दे के नीचे रखे दोनों तमंचे और आठों कारतूस निकाल कर उस में से एक तमंचा जेब में डाल लिया और दूसरे में गोली भर कर अखिलेश पर चला दिया. गोली अखिलेश के सीने में लगी. वह जमीन पर गिर गया तो विपिन ने एक गोली उस के बाएं हाथ और एक पेट में मारी. 3 गोलियां लगने से अखिलेश की तुरंत मौत हो गई.

अखिलेश का खेल खत्म कर विपिन नीचे आ गया. प्रियंका बरामदे में दुबकी खड़ी थी. उस के पास जा कर उस ने पूछा, ‘‘मैं ने सही किया या गलत?’’

प्रियंका ने जैसे ही कहा, ‘‘गलत किया.’’ विपिन ने उस की कनपटी पर तमंचे की नाल रख कर ट्रिगर दबा दिया. प्रियंका कटे पेड़ की तरह फर्श पर गिर पड़ी. इस के बाद उस ने एक गोली और चलाई, जो प्रियंका के सीने में बाईं ओर लगी. प्रियंका की भी मौत हो गई. प्रियंका को खून से लथपथ देख कर उस की मां और भाभी बेहोश हो गईं.

अखिलेश और प्रियंका की हत्या कर विपिन घर से बाहर निकला तो सामने पड़ोसी सचिन पड़ गया. सचिन से उस की पुरानी खुन्नस थी. उस ने उस की ओर तमंचा तान दिया. विपिन का इरादा भांप कर सचिन अपने घर के अंदर भागा. विपिन भी पीछेपीछे उस के घर में घुस गया. सचिन कहीं छिपता, विपिन ने उस पर भी गोली चला दी. गोली उस की कमर में लगी, जिस से वह भी फर्श पर गिर पड़ा.

सचिन के घर से निकल कर विपिन अपने एक अन्य दुश्मन सतीश के घर में घुस कर 2 गोलियां चलाईं. लेकिन ये गोलियां किसी को लगी नहीं. अब तक शोर और गोलियों के चलने की आवाज सुन कर आसपड़ोस वाले इकट्ठा हो गए थे. लेकिन विपिन के हाथ में तमंचा देख कर कोई उसे पकड़ने की हिम्मत नहीं कर सका. इसलिए विपिन एआरटीओ वाली गली में घुस कर आराम से फरार हो गया.

किसी ने कोतवाली सदर बाजार पुलिस को इस घटना की सूचना दे दी थी. चंद मिनटों में ही कोतवाली इंसपेक्टर यतेंद्र भारद्वाज पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे. इस के बाद उन की सूचना पर पुलिस अधीक्षक राकेशचंद्र साहू, अपर पुलिस अधीक्षक (नगर) ए.पी. सिंह, फोरेंसिक टीम और डाग स्क्वायड की टीम भी वहां आ गई थी.

पुलिस तो आ गई, लेकिन अपनी नौकरी पर गए चंद्रप्रकाश को किसी ने इस बात की सूचना नहीं दी. काफी देर बाद सूचना पा कर वह घर आए तो बेटी की लाश देख कर बेहोश हो गए. एक ओर बेटी की लाश पड़ी थी तो दूसरी ओर उस की और उस के प्रेमी की हत्या के आरोप में बेटा फरार था.

सचिन की हालत गंभीर थी. इसलिए पुलिस ने उसे तुरंत सरकारी अस्पताल भिजवाया. उस की हालत को देखते हुए सरकारी अस्पताल के डाक्टरों ने उसे कनौजिया ट्रामा सेंटर ले जाने को कहा. लेकिन वहां भी उस की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. तब उसे वसीम अस्पताल ले जाया गया. डा. वसीम ने उस का औपरेशन कर के फेफड़े के पार झिल्ली में फंसी गोली निकाली. इस के बाद उस की हालत में कुछ सुधार हुआ.

फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य उठा लिए. डाग स्क्वायड टीम ने खोजी कुतिया लूसी को छोड़ा. वह विपिन के घर से निकल कर सतीश के घर तक गई, जहां विपिन ने 2 गोलियां चलाई थीं. घटनास्थल के निरीक्षण के बाद पुलिस अधिकारियों को समझते देर नहीं लगी कि मामला अवैध संबंधों में हत्या का यानी औनर किलिंग का है.

पुलिस ने घटनास्थल की सारी काररवाई निपटा कर दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद थाने आ कर इंसपेक्टर यतेंद्र भारद्वाज ने अखिलेश के बड़े भाई मुनीश्वर यादव की ओर से विपिन सक्सेना के खिलाफ अखिलेश और प्रियंका की हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. इस के बाद विपिन की तलाश शुरू हुई.

26 मार्च की सुबह पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर विपिन को पुवायां रोड पर चिनौर से पहले हाइड्रिल पुलिया के पास से गिरफ्तार कर लिया. उस समय वह अपने चचेरे भइयों सुशील और लल्ला के पास चिनौर जा रहा था. कोतवाली ला कर उस से पूछताछ की गई तो उस ने बिना किसी हीलाहवाली के अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

पूछताछ में विपिन ने पुलिस को बताया कि जिस यार को मैं भाई की तरह मानता था, उस ने मेरी इज्जत पर हाथ डाला तो मुझे इतना गुस्सा आया कि मैं ने उस का खून कर दिया. घटना को अंजाम देने के बाद वह एआरटीओ वाली गली के पास से निकल रहे नाले में अखिलेश से छीना तमंचा और अपनी खून से सनी टीशर्ट निकाल कर फेंक दी थी.

खाली बनियान और जींस पहने हुए वह एआरटीओ गली से रोडवेड बसस्टैंड पहुंचा. यहां से उस ने निगोही जाने के लिए सौ रुपए में एक आटो किया. निगोही जाते समय रास्ते में उस ने दूसरा तमंचा फेंक दिया. निगोही से वह प्राइवेट बस से बरेली पहुंचा. बरेली में उस ने नई टीशर्ट खरीद कर पहनी. पूरे दिन वह इधरउधर घूमता रहा. रात को उस ने बरेली रेलवे स्टेशन से दिल्ली जाने के लिए टे्रन पकड़ ली.

दिल्ली में विपिन बड़े भाई संतोष के यहां गया. उसे उस ने पूरी बात बताई. संतोष को पता चल गया कि प्रियंका मर चुकी है, फिर भी वह उस के अंतिम संस्कार में शाहजहांपुर नहीं गया. संतोष को जब पता चला कि पुलिस विपिन की गिरफ्तारी के लिए घर वालों तथा रिश्तेदारों को परेशान कर रही है तो उस ने उसे घर भेज दिया.

26 मार्च को विपिन अपने चचेरे भाइयों के पास चिनौर जा रहा था, तभी पुलिस ने मुखबिरों से मिली सूचना पर गिरफ्तार कर लिया था. उस समय भी उस के पास एक तमंचा था.

पूछताछ में विपिन ने बताया था कि उस के पास कारतूस नहीं बचे थे. अगर कारतूस बचा होता तो वह खुद को भी गोली मार लेता. कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर के पुलिस ने विपिन को सीजेएम की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

आवारगी में गंवाई जान

बदले की आग

लखनऊ के थाना मडि़यांव के थानाप्रभारी रघुवीर सिंह को सुबहसुबह किसी ने फोन कर के सूचना दी कि ककौली में बड़ी खदान के पास एक कार में आग लगी है. सूचना मिलते ही रघुवीर सिंह ककौली की तरफ रवाना हो गए. थोड़ी ही देर में वह ककौली की बड़ी खदान के पास पहुंच गए. उन्होंने एक जगह भीड़ देखी तो समझ गए कि घटना वहीं घटी है. जब तक पुलिस वहां पहुंची, कार की आग बुझ चुकी थी. पुलिस ने देखा, कार के अंदर कोई भी सामान सलामत नहीं बचा था.

यहां तक कि कार की नंबर प्लेट का नंबर भी नहीं दिखाई दे रहा था. इसी से अंदाजा लगाया गया कि आग कितनी भीषण रही होगी. जली हुई कार के अंदर कुछ हड्डियां और 2 भागों में बंटी इंसान की एक खोपड़ी पड़ी थी. उन्हें देख कर थानाप्रभारी चौंके. हड्डियों और खोपड़ी से साफ लग रहा था कि कार के अंदर कोई इंसान भी जल गया था.

थानाप्रभारी ने अपने आला अधिकारियों को भी इस घटना की सूचना दे दी थी. इस के बाद थोड़ी ही देर में क्षेत्राधिकारी (अलीगंज) अखिलेश नारायण सिंह फोरेंसिक टीम के साथ वहां पहुंच गए. कार के अंदर जली अवस्था में एक छोटा गैस सिलेंडर और शराब की खाली बोतल भी पड़ी थी. फोरेंसिक टीम ने अपना काम निपटा लिया तो पुलिस ने अपनी जांच शुरू की.

कार की स्थिति देख कर पुलिस को यह समझते देर नहीं लगी कि यह दुर्घटना नहीं, बल्कि साजिशन इसे अंजाम दिया गया है. कार एक खुले मैदान में थी. आबादी वहां से कुछ दूरी पर थी. इसलिए हत्यारों ने वारदात को आसानी से अंजाम दे दिया था. यह 4 दिसंबर, 2013 की बात है.

कार में कोई ऐसी चीज नहीं मिली थी, जिस से जल कर खाक हो चुके व्यक्ति की शिनाख्त हो पाती. इसलिए पुलिस ने घटनास्थल की आवश्यक काररवाई निपटा कर बरामद हड्डियों और खोपड़ी को पोस्टमार्टम के लिए मैडिकल कालेज भेज दिया, जहां से हड्डियों को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया.

अब तक इस घटना की खबर जंगल की आग की तरह आसपास फैल चुकी थी. ककौली के ही रहने वाले सुरजीत यादव का छोटा भाई रंजीत यादव 3 दिसंबर को कार से कटरा पलटन छावनी एरिया में किसी शादी समारोह में शामिल होने के लिए घर से निकला था. उसे उसी रात को लौट आना था. लेकिन वह नहीं लौटा तो घर वालों को उस की चिंता हुई. यही वजह थी कि यह खबर सुनते ही सुरजीत बड़ी खदान की तरफ चल पड़ा. वहां पहुंच कर कार देखते ही वह समझ गया कि यह कार उसी की है.

सुरजीत ने थानाप्रभारी रघुवीर सिंह को अपने भाई के गायब होने की पूरी बात बता कर आशंका जताई कि कार में जल कर जो व्यक्ति मरा है, वह उस का भाई रंजीत हो सकता है. इस के बाद सुरजीत की तहरीर पर थानाप्रभारी ने अज्ञात लोगों के खिलाफ रंजीत की हत्या की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

सुरजीत से बातचीत के बाद थानाप्रभारी रघुवीर सिंह ने तहकीकात शुरू की तो पता चला कि रंजीत शादी समारोह में जाने के लिए घर से निकला तो था, लेकिन समारोह में पहुंचा नहीं था. अब सोचने वाली बात यह थी कि वह शादी समारोह में नहीं पहुंचा तो गया कहां था. यह जानने के लिए उन्होंने मुखबिर लगा दिए. एक मुखबिर ने बताया कि 3 दिसंबर की शाम रंजीत को देशराज और अजय के साथ देखा गया था. देशराज हरिओमनगर में रह कर सिक्योरिटी एजेंसी चलाता था. रंजीत उसी की सिक्योरिटी एजेंसी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता था.

देशराज से पूछताछ के बाद ही सच्चाई का पता चल सकता था, इसलिए पुलिस ने उस की तलाश शुरू कर दी. 5 दिसंबर, 2013 को सुबह 5 बजे के करीब उसे रोशनाबाद चौराहे के पास से गिरफ्तार कर लिया गया. थाने ला कर जब देशराज से पूछताछ की गई तो उस ने सारा सच उगल दिया. इस के बाद उस ने रंजीत यादव को जिंदा जलाने की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी.

मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर का रहने वाला देशराज लखनऊ के हरिओमनगर में एक सिक्योरिटी एजेंसी चलाता था. वहीं पर उस ने एक मकान किराए पर ले रखा था. वह लखनऊ में अकेला रहता था, जबकि उस की पत्नी और बच्चे सीतापुर में रहते थे. समय मिलने पर वह अपने परिवार से मिलने सीतापुर जाता रहता था. उस की एजेंसी अच्छी चल रही थी. जिस से उसे हर महीने अच्छी आमदनी होती थी. कहते हैं, जब किसी के पास उस की सोच से ज्यादा पैसा आना शुरू हो जाता है तो कुछ लोगों में नएनए शौक पनप उठते हैं. देशराज के साथ भी यही हुआ. वह शराब और शबाब का शौकीन हो गया था.

वह पास के ही ककौली गांव भी आताजाता रहता था. वहीं पर एक दिन उस की नजर रानी नाम की एक औरत पर पड़ी तो वह उस पर मर मिटा.

रानी की अजीब ही कहानी थी. उस का विवाह उस उम्र में हुआ था, जब वह विवाह का मतलब ही नहीं जानती थी. नाबालिग अवस्था में ही वह 2 बेटों अजय, संजय और एक बेटी सीमा की मां बन गई थी. उसी बीच किसी वजह से उस के पति की मौत हो गई. पति का साया हटने से उस के ऊपर जैसे मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. जब कमाने वाला ही न रहा तो उस के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया. मेहनतमजदूरी कर के जैसेतैसे वह दो जून की रोटी का इंतजाम करने लगी.

देशराज ने उस की भोली सूरत देखी तो उसे लगा कि वह उसे जल्द ही पटा लेगा. रानी से नजदीकी बढ़ाने के लिए वह उस से हमदर्दी दिखाने लगा. रानी देशराज के बारे में ज्यादा नहीं जानती थी. बस इतना ही जानती थी कि वह पैसे वाला है. एक पड़ोसन से रानी ने देशराज के बारे में काफी कुछ जान लिया था. इस के बाद धीरेधीरे उस का झुकाव भी उस की तरफ होता गया.

एक दिन देशराज रानी के घर के सामने से जा रहा था तो वह घर की चौखट पर ही बैठी थी. उस समय दूरदूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था. मौका अच्छा देख कर देशराज बोल पड़ा, ‘‘रानी, मुझे तुम्हारे बारे में सब पता है. तुम्हारी कहानी सुन कर ऐसा लगता है कि तुम्हारी जिंदगी में सिर्फ दुख ही दुख है.’’

‘‘आप के बारे में मैं ने जो कुछ सुन रखा था, आप उस से भी कहीं ज्यादा अच्छे हैं, जो दूसरों के दुख को बांटने की हिम्मत रखते हैं. वरना इस जालिम दुनिया में कोई किसी के बारे में कहां सोचता है?’’

‘‘रानी, दुनिया में इंसानियत अभी भी जिंदा है. खैर, तुम चिंता मत करो. आज से मैं तुम्हारा पूरा खयाल रखूंगा. चाहो तो बदले में तुम मेरे घर का कुछ काम कर दिया करना.’’

‘‘ठीक है, आप ने मेरे बारे में इतना सोचा है तो मैं भी आप के बारे में सोचूंगी. मैं आप के घर के काम कर दिया करूंगी.’’

इतना कह कर देशराज ने रानी के कंधे पर सांत्वना भरा हाथ रखा तो रानी ने अपनी गरदन टेढ़ी कर के उस के हाथ पर अपना गाल रख कर आशा भरी नजरों से उस की तरफ देखा. देशराज ने मौके का पूरा फायदा उठाया और रानी के हाथ पर 500 रुपए रखते हुए कहा, ‘‘ये रख लो, तुम्हें इस की जरूरत है. मेरी तरफ से इसे एडवांस समझ लेना.’’

रानी तो वैसे भी अभावों में जिंदगी गुजार रही थी, इसलिए उस ने देशराज द्वारा दिए गए पैसे अपने हाथ में दबा लिए. इस से देशराज की हिम्मत और बढ़ गई. वह हर रोज रानी से मिलने उस के घर पहुंचने लगा. वह जब भी उस के यहां जाता, रानी के बच्चों के लिए खानेपीने की कोई चीज जरूर ले जाता. कभीकभी वह रानी को पैसे भी देता. इस तरह वह रानी का खैरख्वाह बन गया.

रानी हालात के थपेड़ों में डोलती ऐसी नाव थी, जिस का कोई मांझी नहीं था. इसलिए देशराज के एहसान वह अपने ऊपर लादती चली गई. पैसे की वजह से उस की बेटी सीमा भी स्कूल नहीं जा रही थी. देशराज ने उस का दाखिला ही नहीं कराया, बल्कि उस की पढ़ाई का सारा खर्च उठाने का वादा किया.

स्वार्थ की दीवार पर एहसान की ईंट पर ईंट चढ़ती जा रही थी. अब रानी भी देशराज का पूरा खयाल रखने लगी थी. वह उसे खाना खाए बिना जाने नहीं देती थी. लेकिन देशराज के मन में तो रानी की देह की चाहत थी, जिसे वह हर हाल में पाना चाहता था.

एक दिन उस ने कहा, ‘‘रानी, अब तुम खुद को अकेली मत समझना. मैं हर तरह से तुम्हारा बना रहूंगा.’’

यह सुन कर रानी उस की तरफ चाहत भरी नजरों से देखने लगी. देशराज समझ गया कि वह शीशे में उतर चुकी है, इसलिए उस के करीब आ गया और उस के हाथ को दोनों हथेलियों के बीच दबा कर बोला, ‘‘सच कह रहा हूं रानी, तुम्हारी हर जरूरत पूरी करना अब मेरी जिम्मेदारी है.’’

हाथ थामने से रानी के शरीर में भी हलचल पैदा हो गई. देशराज के हाथों की हरकत बढ़ने लगी थी. इस का नतीजा यह निकला कि दोनों बेकाबू हो गए और अपनी हसरतें पूरी कर के ही माने.

देशराज ने वर्षों बाद रानी की सोई भावनाओं को जगाया तो उस ने देह के सुख की खातिर सारी नैतिकताओं को अंगूठा दिखा दिया. अब वह देशराज की बन कर रहने का ख्वाब देखने लगी. देशराज और रानी के अवैध संबंध बने तो फिर बारबार दोहराए जाने लगे. रानी को देशराज के पैसों का लालच तो था ही, अब वह उस से खुल कर पैसों की मांग करने लगी.

देशराज चूंकि उस के जिस्म का लुत्फ उठा रहा था, इसलिए उसे पैसे देने में कोई गुरेज नहीं करता था. इस तरह एक तरफ रानी की दैहिक जरूरतें पूरी होने लगी थीं तो दूसरी तरफ देशराज उस की आर्थिक जरूरतें पूरी करने लगा था. वर्षों बाद अब रानी की जिंदगी में फिर से रंग भरने लगे थे.

ककौली गांव में ही भल्लू का परिवार रहता था. पेशे से किसान भल्लू के 2 बेटे रंजीत, सुरजीत और 2 बेटियां कमला, विमला थीं. चारों में से अभी किसी की भी शादी नहीं हुई थी.

24 वर्षीय रंजीत और 22 वर्षीय सुरजीत, दोनों ही भाई देशराज की सिक्योरिटी एजेंसी में काम करते थे. रंजीत और देशराज की उम्र में काफी लंबा फासला था. देशराज की जवानी साथ छोड़ रही थी, जबकि रंजीत की जवानी पूरे चरम पर थी. वैसे भी वह कुंवारा था. देशराज और रंजीत के बीच बहुत अच्छी दोस्ती थी. दोनों साथसाथ खातेपीते थे.

एक दिन शराब के नशे में देशराज ने रंजीत को अपने और रानी के संबंधों के बारे में बता दिया. यह सुन कर रंजीत चौंका. यह उस के लिए चिराग तले अंधेरे वाली बात थी. उसी के गांव की रानी अपने शबाब का दरिया बहा रही थी और उसे खबर तक नहीं थी. वह किसी औरत के सान्निध्य के लिए तरस रहा था. रानी की हकीकत पता चलने के बाद जैसे उसे अपनी मुराद पूरी होती नजर आने लगी.

रंजीत के दिमाग में तरहतरह के विचार आने लगे. वह मन ही मन सोचने लगा कि जब देशराज रानी के साथ रातें रंगीन कर सकता है, तो वह क्यों नहीं? वह देशराज की ब्याहता तो है नहीं.  अगले दिन रंजीत देशराज से मिला तो बोला, ‘‘रानी की देह में मुझे भी हिस्सा चाहिए, नहीं तो मैं तुम दोनों के संबंधों की बात पूरे गांव में फैला दूंगा.’’

देशराज को रानी से कोई दिली लगाव तो था नहीं, वह तो उस की वासना की पूर्ति का साधन मात्र थी. उसे दोस्त के साथ बांटने में उसे कोई परेशानी नहीं थी. वैसे भी रंजीत का मुंह बंद करना जरूरी था. इसलिए उस ने रानी को रंजीत की शर्त बताते हुए समझाया, ‘‘देखो रानी, अगर हम ने उस की बात नहीं मानी तो वह हमारी पोल खोल देगा. पूरे गांव में हमारी बदनामी हो जाएगी. इसलिए तुम्हें उसे खुश करना ही पड़ेगा.’’

रानी के लिए जैसा देशराज था, वैसा ही रंजीत भी था. उस ने हां कर दी. इस बातचीत के बाद देशराज ने यह बात रंजीत को बता दी. फलस्वरूप वह उसी दिन शाम को रानी के घर पहुंच गया. एक ही गांव का होने की वजह से दोनों न केवल एकदूसरे को जानते थे, बल्कि उन में बातें भी होती थीं. रंजीत उसे भाभी कह कर बुलाता था.

सारी बातें चूंकि पहले ही तय थीं, सो दोनों के बीच अब तक बनी संकोच की दीवार गिरते देर नहीं लगी. दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने तो रानी को एक अलग ही तरह की सुखद अनूभूति हुई. रंजीत के कुंवारे बदन का जोश देशराज पर भारी पड़ने लगा. उस दिन के बाद तो वह अधिकतर रंजीत की बांहों में कैद होने लगी. रंजीत भी रानी की देह का दीवाना हो चुका था. इसलिए वह भी उस पर दिल खोल कर पैसे खर्च करने लगा. रंजीत ने मारुति आल्टो कार ले रखी थी, जो उस के भाई सुरजीत के नाम पर थी. रंजीत रानी को अपनी कार में बैठा कर घुमाने ले जाने लगा. वह उसे रेस्टोरेंट वगैरह में ले जा कर खिलातापिलाता और गिफ्ट भी देता.

रानी की जिंदगी में रंजीत आया तो वह देशराज को भी और उस के एहसानों को भूलने लगी. रंजीत उस के दिलोदिमाग पर ऐसा छाया कि उस ने देशराज से मिलनाजुलना तक छोड़ दिया. इस से देशराज को समझते देर नहीं लगी कि रानी रंजीत की वजह से उस से दूरी बना रही है. उसे यह बात अखरने लगी. रानी को फंसाने में सारी मेहनत उस ने की थी, जबकि रंजीत बिना किसी मेहनत के फल खा रहा था.

इसी बात को ले कर रंजीत और देशराज में मनमुटाव रहने लगा. देशराज ने रंजीत से उस की कुछ जमीन खरीदी थी, जिस का करीब 5 लाख रुपया बाकी था. रंजीत जबतब देशराज से अपने पैसे मांगता रहता था. इस बात को ले कर रंजीत कई बार उसे जलील तक कर चुका था.

एक तरफ रंजीत ने देशराज की मौजमस्ती का साधन छीन लिया था तो दूसरी ओर उसे 5 लाख रुपए भी देने थे. इसलिए सोचविचार कर उस ने रंजीत को अपने रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. इस के लिए उस ने अपने यहां सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर रहे अजय पांडेय को भी लालच दे कर अपनी योजना में शामिल कर लिया. अजय सीतापुर के कमलापुर थानाक्षेत्र के गांव रूदा का रहने वाला था.

3 दिसंबर की शाम को रंजीत को कटरा पलटन छावनी में एक वैवाहिक समारोह में जाना था. यह बात देशराज को पता थी. उस ने उसी दिन अपनी योजना को अंजाम देने के बारे में सोचा. उस दिन देर शाम रंजीत घर से तैयार हो कर कार से कटरा पलटन जाने के लिए निकला. रास्ते में एक जगह उसे देशराज और अजय पांडेय मिल गए. वहां से वे हाइवे पर ट्रामा सेंटर के पास गए और शराब खरीद कर बड़ी खदान के पास आ गए.

तीनों ने कार के अंदर बैठ कर शराब पी. देशराज और अजय ने खुद कम शराब पी, जबकि रंजीत को ज्यादा पिलाई. जब रंजीत नशे में धुत हो गया तो दोनों ने उसे पिछली सीट पर लिटा दिया. कार में एक छोटा गैस सिलेंडर भरा रखा था, जिसे रंजीत घर से गैस भराने के लिए लाया था. साथ ही कार में एक बोतल पेट्रोल भी रखा था. देशराज ने कार के सभी शीशे चढ़ा कर गैस सिलेंडर की नौब खोल दी, जिस से तेजी से गैस रिसने लगी.

देशराज पेट्रोल की बोतल उठा कर कार से बाहर आ गया और कार के सभी दरवाजे बंद कर दिए. इस के बाद उस ने कार के ऊपर सारा पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी. चूंकि कार के अंदर गैस भरी थी, इसलिए आग की लपटें तेजी से बाहर निकलीं. देशराज का चेहरा और हाथ जल गए. गैस और पेट्रोल की वजह से कार धूधू कर के जलने लगी. नशे में धुत अंदर लेटे रंजीत ने बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन वह नाकामयाब रहा. अपना काम कर के देशराज और अजय वहां से भाग खडे़ हुए.

देशराज मौके से तो भाग गया, लेकिन कानून से नहीं बच सका. इंसपेक्टर रघुवीर सिंह ने रानी से भी पूछताछ की. हत्या के इस मामले में उस की कोई भूमिका नहीं थी. अलबत्ता जब गांव वालों को यह पता चला कि हत्या की वजह रानी थी तो लोगों ने उस के साथ भी मारपीट की.

पुलिस ने देशराज को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश करने के बाद जेल भेज दिया. कथा संकलन तक पुलिस अजय पांडेय को गिरफ्तार नहीं कर पाई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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लव, सैक्स और गोली के इस केस में खुशबू, राजीव समेत सभी आरोपी पुलिस के फंदे में फंस चुके हैं. राजीव फिजियो थैरेपिस्ट है और जनता दल (यू) के मैडिकल सैल का उपाध्यक्ष है. इस केस में नाम आने के बाद पार्टी ने उसे पद से हटा दिया है.

पिछले 18 सितंबर की सुबह 6 बजे विक्रम लोहानीपुर महल्ले के अपने घर से जिम जाने के लिए स्कूटी से निकला, तो रास्ते में कदमकुआं इलाके के बुद्ध मूर्ति के पास शूटरों ने उस पर गोलियां चला दीं. विक्रम लहूलुहान हो कर स्कूटी से गिर पड़ा और आसपास खड़े लोगों से अस्पताल पहुंचाने की गुहार लगाने लगा. किसी ने दर्द से छटपटाते विक्रम की बात नहीं सुनी. आखिरकार खून से लथपथ विक्रम खुद ही उठा और स्कूटी चला कर पास के प्राइवेट अस्पताल पहुंचा. प्राइवेट अस्पताल ने उसे भरती करने से इनकार कर दिया, तो वह पटना मैडिकल कालेज पहुंचा. वहां तुरंत आपरेशन किया गया और उस के जिस्म से 5 गोलियां निकाली गईं.

आशिकी के चक्कर में खुशबू ने विक्रम पर सुपारी किलर से गोलियां चलवाई थीं. इस के लिए पुराने दोस्त मिहिर सिंह के जरीए सुपारी किलर को ढाई लाख रुपए दिए गए थे. पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए कहा कि राजीव, खुशबू, मिहिर और 3 सुपारी किलरों को गिरफ्तार किया गया है. सुपारी किलर अमन कुमार, शमशाद और आर्यन उर्फ रोहित से पुलिस पूछताछ कर चुकी है और सभी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है.

18 सितंबर को सुपारी किलरों ने विक्रम के जिस्म में 5 गोलियां दागी थीं. अपराधियों ने कबूल किया कि उन्हीं लोगों ने विक्रम पर गोलियां चलाई थीं और इस काम के लिए मिहिर ने उन्हें रुपए दिए थे.

अमन एमबीए का स्टूडैंट है और डिलीवरी बौय का काम करता है. शमशाद गोवा में राजमिस्त्री का काम करता था और लौकडाउन की वजह से वह पटना आया हुआ था. अमन और शमशाद भागवतनगर में किराए के मकान में साथ रहते हैं. मकान का किराया 14,000 रुपए है. मिहिर के चचेरे भाई सूरज ने मिहिर की मुलाकात अमन से कराई थी.

जिम ट्रेनर को जान से मारने की धमकी देने का आडियो भी पुलिस को मिला. ट्रेनर की बीवी और परिवार वालों ने पुलिस को बताया कि आडियो में धमकी देने वाली महिला खुशबू की आवाज है, जो फिजियो थैरेपिस्ट राजीव कुमार सिंह की बीवी है.

ट्रेनर की बीवी वर्षा का आरोप है कि फिजियो थैरेपिस्ट की बीवी ने उस के पति को फोन पर गंदीगंदी गालियां भी दी थीं. उस ने बताया कि खुशबू अकसर पटना मार्केट के ‘द जिम सिटी’ पहुंच जाती थी. पहले तो फिजियो थैरेपिस्ट राजीव ने पुलिस को बताया कि जिम ट्रेनर विक्रम पर हुए हमले में उस का और उस की बीवी का कोई हाथ नहीं है.

अलबम बनाने के नाम पर विक्रम ने 60,000 रुपए लिए थे. अलबम नहीं बनाने पर राजीव और विक्रम से तीखी नोकझोंक हुई थी और रुपया लौटाने की बात हुई थी. बाद में विक्रम ने राजीव के अकाउंट में 40,000 रुपए और खुशबू के अकाउंट में 20,000 रुपए डाल दिए थे. मई महीने के बाद से राजीव और विक्रम से कोई बातचीत नहीं हुई थी. एसएसपी उपेंद्र शर्मा ने बताया कि खुशबू का कहना है कि विक्रम उस का पीछा नहीं छोड़ रहा था और वह उस से पीछा छुड़ाना चाह रही थी. खुशबू का कहना है कि 60,000 रुपए के लेनदेन को ले कर विवाद पैदा हुआ था.

पुलिस को दिए गए बयान में विक्रम ने कहा है कि खुशबू उसे पिछले एक साल से परेशान कर रही थी. एक साल तक वह राजीव को उन के पाटलीपुत्र कालोनी वाले घर में ऐक्सरसाइज कराने जाता था. पैसे को ले कर हिसाबकिताब ठीक नहीं रहने पर उस ने वहां जाना बंद कर दिया. उस के बाद खुशबू ने उसे सोशल मीडिया के जरीए तंग करना चालू कर दिया. एक बार खुशबू ने गुस्से में उस के सीने पर ब्लेड से हमला किया था.

पुलिस ने खुशबू और राजीव के मोबाइल फोन को खंगाला तो खुलासा हुआ कि जनवरी में खुशबू और विक्रम के बीच 1100 बार बातचीत हुई. राजीव से आखिरी बार 18 अप्रैल को बातहुई थी. उन के बीच ह्वाट्सएप और वीडियो काल के जरीए बातचीत होती थी.

सितंबर, 2020 से मई, 2021 के बीच खुशबू ने विक्रम को 1875 काल की थी. दोनों के बीच साढ़े 5 लाख सैकंड बातचीत हुई थी. इतने ही समय के दौरान खुशबू ने अपने पति राजीव को महज 13 बार फोन किया. खुशबू और विक्रम के बीच अकसर घंटों बातें होती थीं.

मिहिर ने पुलिस को बताया कि वह 5-6 सालों से खुशबू को जानता था. खुशबू ने ही उस से कहा था कि विक्रम उसे परेशान करता है, इस वजह से वह उस की हत्या करवाना चाहती है. सुपारी किलर को जुलाई में ही एक लाख, 85 हजार रुपए दिए थे. एसएसपी ने बताया कि कुछ साल पहले मिहिर और खुशबू की पहचान भी फेसबुक के जरीए ही हुई थी.

पुलिस की छानबीन से यह बात भी सामने आई कि 5-6 साल पहले खुशबू और मिहिर के बीच भी गहरा रिश्ता रहा था. मिहिर भी खुशबू का प्रेमी रह चुका है. जब विक्रम ने खुशबू से कन्नी काटना शुरू किया, तो खुशबू को पुराने आशिक मिहिर की याद आई. उस ने मिहिर से कहा कि विक्रम उसे बहुत परेशान कर रहा है और फिर दोनों ने मिल कर विक्रम को रास्ते से हटाने की साजिश रची.

खुशबू ने मिहिर से यह भी कहा कि विक्रम को ठिकाने लगाने के लिए वह रुपयों की चिंता न करे. विक्रम को मारने के लिए मिहिर ने खुशबू से 3 लाख रुपए मांगे. खुशबू ने 3 किस्तों में एक लाख, 85 हजार रुपए मिहिर को दिए. मिहिर ने अपने चचेरे भाई सूरज के साथ मिल कर पूरी साजिश रची. उस के बाद शार्प शूटर अमन, आर्यन और शमशाद को विक्रम को मारने की सुपारी दी गई.

शूटरों के साथ यह डील अगस्त महीने की शुरुआत में ही हुई थी. अगस्त महीना खत्म हो गया और उस के बाद सितंबर भी आधा खत्म हो गया और विक्रम को ठिकाने नहीं लगाया जा सका तो खुशबू परेशान हो गई. उस ने मिहिर पर दबाव बनाना शुरू किया. विक्रम राजीव को जिम ट्रेनिंग देने के लिए उस के घर पर जाता था. वहीं खुशबू से जानपहचान हुई और बातचीत शुरू हुई. विक्रम के गठीले बदन को देख खुशबू उस पर फिदा हो गई. वह धीरेधीरे विक्रम के करीब आती गई. वह पटना मार्केट के पास विक्रम के जिम में पहुंचने लगी और वहीं कईकई घंटों तक बैठी रहती थी.

विक्रम ने पुलिस को बताया कि वह उस के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाना चाहती थी. ऐसा नहीं करने पर वह उसे फंसाने और ब्लैकमेल करने की धमकी देने लगी. जब विक्रम उस से दूर रहने की कोशिश करने लगा तो एक रात को विक्रम के घर पहुंच गई और हंगामा मचाने लगी. खुशबू की हरकतों से आजिज आ कर विक्रम ने डाक्टर राजीव को फोन कर सारे मामले की जानकारी भी दी. विक्रम ने उस से कहा कि खुशबू उसे पिछले कई दिनों से परेशान कर रही है. डाक्टर राजीव ने विक्रम की बातों पर यकीन नहीं किया और उस से कहा कि सुबूत ले कर आओ, उस के बाद देखा जाएगा.

विक्रम के बयान पर कदमकुआं थाने में केस दर्ज किया गया. केस नंबर है-477/2021. आरोपियों पर आईपीसी की धारा-307, 120बी, 34 और 27 के तहत केस दर्ज किया गया है.

मोहब्बत का खतरनाक अंजाम

अंधे प्यार के अंधे रास्ते