एपिसोड- 3
एपिसोड नंबर 3 का नाम धंधे का गणित दिया गया है. इस में लेखक और निर्देशक ने एक नाबालिग बच्चे के हाथ में जो राजा फोगाट का बेटा है, उसे पिस्तौल थमाने वाला बेतुका सीन दिखाया है, जो अनुचित दृश्य है.
इस के अलावा राजा फोगाट अपने बेटे को और पत्नी को गंदीगंदी गालियां देता और फिर नाबालिग बच्चे से पिस्तौल को चलाता हुआ दिखाया गया है, जो कहीं से कहीं तक भी दिखाया जाना बिलकुल भी जरूरी नहीं था.
अगले दृश्य में अमरपाल, जयराम गोदारा और बलराम राठी एकएक कर के राजा फोगट के आदमियों को मारते हुए दिखाई दे रहे हैं. इस के बाद वे तीनों राजा फोगट के उस आदमी को भी जान से मार डालते हैं, जिसे राजा फोगट ने अमरपाल को मारने के लिए कहा था.
अमरपाल फिर से जेल चला जाता है, जहां से पैरोल पर वह अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए आता है. सरकार की ओर से अमरपाल को अनुप्रिया चौधरी से मिलने को कहा जाता है कि यह आप की मदद करना चाहती है, बदले में तुम्हें उसे संरक्षण देना होगा. अनुप्रिया की भूमिका गुल पनाग ने निभाई है.
उस के बाद अनुप्रिया चौधरी (गुल पनाग) की एंट्री होती है. वह अमरपाल से कहती है कि आप मुझे मेरे कर्जदारों से बचा लो, बदले में मैं बाहर रह कर भी आप के वे सब काम करूंगी जो आप के आदमी कभी भी नहीं कर सकते. उस के बाद अमरपाल को वापस जेल ले जाते हुए दिखाया गया है और अमरपाल सिंह की मां को अपनी बहू रुक्मिणी से गले लग कर रोते हुए दिखाया गया है और फिर एपिसोड समाप्त हो जाता है.
इस एपिसोड में एक दृश्य से दूसरे दृश्य में जाने की उत्सुकता जो दर्शकों के मन में रहती है, वह लगातार भटकती हुई दिखाई दे रही है. कहीं का सीन कहीं जोड़ कर कहानी को अनेक बार भ्रमित सा किया गया है.
एपिसोड- 4
वेब सीरीज के चौथे एपिसोड का नाम ओवर ऐंड आउट रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में बलराम राठी की मृत्यु पर शोकसभा हो रही है, तभी वहां पर आ कर राजा फोगाट अमरपाल सिंह को गाली देते हुए दिखता है. तभी वहां पर अमरपाल सिंह की पत्नी रुक्मिणी आ कर बलराम राठी की पत्नी को सांत्वना देती है और राजा फोगट की गाली शालीनता के साथ ईंट के जवाब में पत्थर ठोक कर कहती है तो वहां से राजा फोगट गुस्से से चला जाता है.
अगले दृश्य में अमरपाल सिंह जेल में होता है, जेल का संतरी अखबार उस के कमरे के दरवाजे के बाहर छोड़ कर जाता है. अमरपाल अखबार के पहले पृष्ठ पर अपनी फोटो और खबर देख कर अखबार को फेंक देता है.
यहां पर लेखक और निर्देशक से एक बड़ी चूक हुई है कि वे इस बात को दर्शकों के पास ले कर आने में कामयाब नहीं हो सके कि आखिर वह खबर क्या और कौन सी थी, जिसे देखते ही अमरपाल सिंह ने अखबार फेंक डाला था.
उस के अगले दृश्य में अनुप्रिया चौधरी (गुल पनाग) की कहानी सामने आती है कि कितने कम समय में उस ने शेयर मार्केट में बुलंदियां हासिल की थीं. एमबीए करने के बाद वह शेयर मार्केट में कैसे छा गई थी और फिर उस का ग्राफ कैसे एकदम नीचे गिर गया था.
फिर अमरपाल का शराब के धंधे का पैसा हवाला में दिया जाता है. इस के अलावा वह बेशुमार दौलत अमरपाल सिंह अपने एक साथी अजय सिंह के माध्यम से अनुप्रिया चौधरी को शेयर मार्केट में लगाने दे देता था.
अनुप्रिया को इस बात का पता नहीं चलता कि इस में अमरपाल का पैसा भी लगा है. इस बीच अनुप्रिया ऊंची उड़ान भरना चाहती थी, लेकिन शेयर मार्केट में 5 लाख करोड़ रुपए डूब गए. अब जिन लोगों ने पैसे लगाए थे, वे आए दिन अनुप्रिया चौधरी को मारने की धमकी देने लगे थे.
अगले दृश्य में एसपी संजय सिंह मीणा (जीशान अय्यूब) और राणा फोगाट की मुलाकात को दिखाया गया है. यहां पर राजा फोगट के मुंह से धाराप्रवाह गालियां दी गई हैं, जिसे दूसरे तरीके से दिखाया जा सकता था. राजा फोगट कहता है कि मैं खुद अमरपाल को मारूंगा, क्योंकि उस को मारना आप लोगों और नेताओं के बस की बात नहीं है.
यहीं पर मुख्यमंत्री को गृहमंत्री अहलावत को डांटते दिखाया गया है. उस के बाद गृहमंत्री अहलावत और गैंगस्टर राजा फोगाट की मुलाकात होती है, जिस में एक अपराधी (राजा फोगट) एक गृहमंत्री से ऐसे बात करता है, जैसे गृहमंत्री उस का एक गुलाम हो. एक गैंगस्टर प्रदेश के मुख्यमंत्री को सरेआम धमकी देता है.
अगले सीन में करण चड्ढा जो राजा फोगट का खास आदमी है और उस के शराब के काम को देखता है. करण चड्ढा कोकीन और बड़ी उम्र की औरतों का शौकीन है, जो बार में अनुप्रिया चौधरी (गुल पनाग) को देख कर फिदा हो जाता है. फिर अनुप्रिया चौधरी और करण चड्ढा हमबिस्तर होते हैं. अनुप्रिया वहां पर करण चड्ढा की जासूसी करती है.
यहीं पर अमरपाल को नागौर जेल से अजमेर जेल शिफ्ट कराते समय सरकार और पुलिस द्वारा एनकाउंटर का प्रोगाम बनाया जाता है, लेकिन अमरपाल पुलिस वालों को नशे के लड्डू खिला कर वहां से अनुप्रिया चौधरी के साथ फरार हो जाता है. इस फरार होने के पीछे एसपी संजय मीणा का हाथ होता है.
अमरपाल सिंह के फरार होने पर राज्य सरकार की ओर से स्पैशल टास्क फोर्स का गठन किया जाता है, जो अमरपाल सिंह को पकडऩे और मारने के लिए गठित की जाती है. इस का मुखिया सरकार की ओर से एसपी संजय मीणा को बनाया जाता है.
कुल मिला कर यह एपिसोड भी साधारण सा दिखता है, जिस में सभी कलाकारों का अभिनय औसत नजर आता है.
एपिसोड- 5
सीरीज के पांचवें एपिसोड का नाम ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’ है. पहले सीन में एसपी संजय मीणा अपने साथियों के साथ अमरपाल को पकडऩे की प्लानिंग करता है. एसपी संजय मीणा फाइलें खोजने लगता है और जयराम गोदारा की क्राइम फाइल देखने लगता है. इस के बाद एपिसोड की कास्टिंग आरंभ हो जाती है.
अगले दृश्य में जयराम गोदारा और अमरपाल बातें करते हैं. उस के बाद वे दोनों विधायक मदन सिंह के पास जाते हैं और मदन सिंह अमरपाल को कुछ बड़ा करने को कहता है. उस के बाद के दृश्य में एक नेता नागौर में जनसभा को संबोधित कर रहा है.