‘चमक सीजन 1’ Review : रहस्य से भरपूर म्यूजिकल थ्रिलर – भाग 1

कलाकार: परमवीर चीमा, अकासा सिंह, सिद्धार्थ शा, ईशा तलवार, मोहित मलिक, मुकेश छाबड़ा, सुविंदर पाल, मनोज पाहवा, गिप्पी ग्रेवाल आदि.

लेखक: रोहित जुगराज चौहान, एस फकीरा, अविनाश सिंह, विजय नारायण वर्मा और गौरव शर्मा.

निर्देशक: रोहित जुगराज कास्टिंग: मुकेश छाबड़ा

निर्माता: गीतांजलि मेहलवाल, रोहित जुगराज चौहान, सुमित नंदलाल दुबे.

ओटीटी: सोनी लिव

एपिसोड: 6

यह बात 20 साल से पहले की है. उन दिनों के ट्रेंडसेटर निर्माता निर्देशक रामगोपाल वर्मा का अंधेरी पश्चिम में वर्सोवा टेलीफोन एक्सचेंज के पास ‘फैक्ट्री’ नाम से दफ्तर हुआ करता था. सुबह से ले कर शाम और देर रात तक दुनिया भर से आने वाले युवाओं का वहां मेला लगा रहता.

उसी मेले में एक रोज रोहित जुगराज की रामगोपाल वर्मा से मुलाकात हुई. राम को रोहित में काम करने की ललक दिखी. रामू की शागिर्दी में रोहित जुगराज काम करने यानी सीखने लगा. पहली फिल्म भी फैक्ट्री के लिए ही बनाई. लेकिन, न ‘जेम्स’ चली और न ‘सुपरस्टार’. रोहित को तब लगा कि यह अपने वश का काम नहीं है. रोहित ने तब पंजाबी सिनेमा की राह पकड़ी और वहां गिप्पी ग्रेवाल और दिलजीत दोसांझ के साथ मिल कर ‘जट्ट जेम्स बौंड’ और ‘सरदारजी’ जैसी हिट फिल्में बनाईं. हिंदी सिनेमा की उन की पिछली कोशिश ‘अर्जुन पटियाला’ फिर सिरे नहीं चढ़ सकी.

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रोहित जुगराज

अब रोहित जुगराज अपनी पहली वेब सीरीज ‘चमक’ (Web Series ChamaK) के साथ हाजिर है. सीरीज बताती है कि चमक 2 तरह की होती है, एक तो वह जो दुनिया भर में दिखती रहती है, यानी ग्लैमर और दूसरी वो जो इंसान के भीतर होती है. यानी आत्मावलोकन, आत्मज्ञान. इन दोनों चमक के बीचोंबीच भाग रहे इंसान की कहानी है वेब सीरीज ‘चमक’.

गीतसंगीत के क्षेत्र में पंजाबी मिट्टी की खुशबू ही अलग रही है. यहां की कला और कलाकारों का जमीन से जुड़ाव होने की वजह से जो संगीत निकला, उस में एक रूहानी एहसास हमेशा रहा है. यह बात अलग है कि फिल्मों में पंजाबी रैप की लोकप्रियता ने यहां के सूफियाना संगीत को सीमित कर दिया है.

पंजाबी संगीत की इन 2 धाराओं को अगर एक रोमांचक कहानी के साथ गूंथ दिया जाए तो बनती है सोनी लिव की नई सीरीज ‘चमक’, जो एक म्यूजिकल थ्रिलर है.

रोहित जुगराज निर्देशित सीरीज के पहले सीजन की कहानी एक लोकप्रिय रैपर और उस की पत्नी की लाइव परफारमेंस के दौरान हत्या (यह पंजाब के मशहूर लोकगायक अमरसिंह चमकीला और उन की पत्नी की दिनदहाड़े गोलियों से भून कर हत्या सन 1988 में कर दी गई थी और उन के कातिलों का पता आज तक नहीं चला.

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असल जीवन में यह घटना साल 1988 की है, मगर ‘चमक’ सीरीज शुरू होती है ऐसे ही एक कत्ल से 1999 में, औसतन 50 मिनट के 6 एपिसोड की सीरीज ‘चमक’ का सीजन वन रोहित जुगराज ने बनाने में जी जान लगाई है.

काला का खुलता है सफेद अतीत

हिंदी सिनेमा में रोहित जुगराज की फिल्मों की गति बहुत तेज रही है और शायद उस की विफलता की एक वजह यह भी रही कि रोहित के मन में जो चल रहा होता था, उसे वह परदे पर ला पाने में कहीं न कहीं चूक जाता था, लेकिन ‘चमक’ उस की भीतरी चमक को थोड़ा चमकाती नजर आई. मगर चमक में तारीफ करने लायक कुछ खास नहीं है.

सीरीज शुरू में सुस्त सी लगती है, लेकिन एक बार इस के मुख्य किरदार काला का सफेद अतीत जब खुलता है तो सीरीज में थोड़ी सी रफ्तार आती है. आइए जानते हैं, क्या है सीरीज ‘चमक’ की कहानी.

‘चमक’ की कहानी के केंद्र में कनाडा के वैंकुवर में अपने चाचा के पास रहने वाला पंजाब का काला (परमवीर चीमा) है, जो वहां की जेल में किसी अपराध के लिए बंद है. संगीत उस की नसनस में है और काला मशहूर सिंगर बनना चाहता है.

पहले एपिसोड की शुरुआत यहीं से होती हैं. काला जेल में बंद है. वह मशहूर सिंगर बनना चाहता है. तिकड़मबाजी लगा कर 6 महीने बाद काला पैरोल पर छूट जाता है. यहां पर यह बात थोड़ी अटपटी लगती है. अगर काला भारतीय जेल में होता तो हम मान लेते कि तिकड़म लगा कर वह 6 महीने नहीं एकदो महीने में ही पैरोल पर छूट जाता.

मगर कनाडा में भी लगता है भारतीय जेलों की तरह ही मामला लेदे कर रफादफा होता है. तभी तो काला 6 महीने में ही तिकड़मबाजी लगा कर पैरोल पर छूट जाता है. काला जेल से निकलते ही सीधे अपनी कथित गर्लफ्रेंड के पास जाता है. वह सोचता है कि उस की गर्लफ्रेंड उसे देख कर बहुत खुश होगी. मगर जब काला गर्लफ्रेंड के पास जाता है तो वहां उसे एक गोरा युवक गर्लफ्रेंड के पास मिलता है.

काला पंजाबी संस्कृति का भारतीय नौजवान है. उसे गर्लफ्रेंड के पास गोरा युवक दिखता है तो काला समझ जाता है कि वह क्या करने आया है. काला गुस्से से तमतमा उठता है, गोरे युवक को देख कर वह भड़क उठता है और गोरे को इतना मारता है कि वह मरणासन्न हालत में पहुंच जाता है.

गोरा युवक वैंकुवर के शैरिफ का बेटा है. काला को जैसे ही पता चलता है कि उस के हाथों पिटा युवक वैंकुवर के शैरिफ का बेटा है तो काला समझ जाता है कि अब उस का वैंकुवर में रहना ठीक नहीं है, इसलिए वह इंडिया जाना चाहता है.

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काला अपने दोस्त टिड्डा (कपिल रेडेकर) की मदद से जाली पासपोर्ट और ‘डंकी’ तरीकों से कनाडा से पंजाब आ जाता है. काला पंजाब की धरती पर कदम रखता है तो उसे राहत की सांस मिलती है. काला पंजाब के मोहाली के पास स्थित अपने गांव पहुंच जाता है, टिड्डा की मदद से काला को स्थानीय बार में वैले (कार पार्क करने वाला स्टाफ) की नौकरी भी मिल जाती है.

पिता के कातिल को किस तरह ढूंढता है काला

एक रात एक घटनाक्रम के बाद बार के बाहर उस का रैप बैटल एमसी स्क्वायर से हो जाता है. वीडियो वायरल होता है. इस बीच काला को पता चलता है कि वैंकुवर में जिस शख्स ने उसे पालपोस कर बड़ा किया था, वह उस का पिता नहीं चाचा है. उस के मातापिता तारा सिंह (गिप्पी ग्रेवाल) और नवप्रीत कौर हैं, जिन्हें 1999 में लाइव स्टेज परफारमेंस के दौरान गोलियों से भून दिया गया था. यह केस कभी सुलझ नहीं सका.

इस केस की तफ्तीश करने वाले स्थानीय पत्रकार गुरपाल से उसे पिता के दोस्तों के बारे में पता चलता है, जो एक पुरानी तसवीर में तारा सिंह के साथ है. काला अपने पिता के कातिल को ढूंढने और वजह का पता लगाने के लिए इन चारों के पीछे लगता है.

काला इस के लिए जरिया बनाता है संगीत को, लेकिन इस सफर में उस के सामने कई मुश्किलें आती हैं. यह विडंबना ही है कि संगीत और कला के क्षेत्र में इतना समृद्ध होने के बावजूद पंजाब में कलाकारों के खिलाफ अपराधों का भी इतिहास रहा है.

1988 में लीजेंड्री सिंगर अमर सिंह चमकीला की उन की पत्नी के साथ गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी. थोड़े समय पूर्व सिद्धू मूसेवाला की हत्या भी गोली मार कर कर दी गई थी.

सीरीज के पहले एपिसोड की शुरुआत ऐसे ही एक घटनाक्रम से होती है. रोहित जुगराज ने ‘चमक’ का कालखंड 1999 रखा है, जब सर्दी की एक सुबह पंजाब के एक गांव में लोकप्रिय गायक तारासिंह और नवप्रीत कौर की सरेआम हत्या कर दी जाती है. काला की कहानी 2023 में ही दिखाई गई है. बीचबीच में अतीत का सफर भी करती है. हालांकि अतीत वाले हिस्से को कम ही रखा गया है.

स्क्रीनप्ले का पूरा फोकस काला के अपने मातापिता के कातिलों की खोज और इस की वजह का पता लगाने पर रखा गया है. इसी क्रम में सीरीज में दिलचस्प मोड़ आते हैं. तारासिंह के साथ तीनों दोस्त बड़े आदमी बन चुके हैं.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 6

पत्रकार चंद्रकांत रंगोट से बता देता है कि एसआई पल्लवी राज के पास कैरव के सारे कारनामों की फुटेज की हार्ड डिस्क है. इंसपेक्टर रंगोट पल्लवी के घर वह हार्ड डिस्क लेने पहुंच जाता है. जब पल्लवी कहती है कि इस बारे में उसे कुछ पता नहीं तो वह पल्लवी का गला दबाने लगता है. तब पल्लवी की मां इंसपेक्टर रंगोट की गरदन पर बंदूक रख कर उसे भगा देती है.

रंगोट कैलव से जा कर बताता है कि पल्लवी राज के पास उस के होटल में जो भी होता है, उस की सारी रिकार्डिंग की वीडियो की हार्ड डिस्क है. कैरव इंसपेक्टर रंगोट को गोली मार देता है. पल्लवी पत्रकार चंद्रकांत के घर पहुंच जाती है और उस की पत्नी से कहती है कि कल रात यह मेरे साथ था. पत्नी तमाचा मार कर चंद्रकांत को घर से बाहर कर देती है.

देव कैरव के होटल के सारे कैमरे बंद करवा कर जयंत की तलाश में उस के होटल पहुंच जाता है, जहां कैरव उसे बताता है कि संध्या और जयंत मिले हुए हैं. संध्या उसे बेवकूफ बना रही  है. उन्हें पता है कि वह उसे मार देगा तो वह बचेगा नहीं. उस के पैसे से दोनों मौज करेंगे. वह ऐसा करे कि संध्या को बताए कि उस ने कैरव को मार दिया है तो वह देखे कि संध्या क्या करती है.

देव ने जब संध्या को बताया कि उस ने कैरव को मार दिया है तो संध्या अपने कुत्ते को जहर दे कर मार देती है. उस के बाद अपनी कार से बैंक जाती है, जहां लौकर में रखे रुपए निकालती है और चल पड़ती है. देव तो बाइक से उस का पीछा कर ही रहा था, भी भी अपनी कार से 3 लोगों के साथ उस का पीछा कर रही थी. पल्लवी राज कैरव के घर जाती है और वह हार्ड डिस्क कैरव को दे देती है.

देव एवं भी जयंत और संध्या का पीछा कर रहे होते हैं, तभी देव के बौस ने जो आदमी देव को लाने के लिए भेजे थे, वे देव को एक पेट्रोल पंप से पकड़ लेते हैं. आगे चल कर  उन की कार भी की गाड़ी से टकरा जाती है, जिस से दोनों के बीच गोलियां चलने लगती हैं.

देव किसी तरह निकल कर सड़क पर खड़ी एक आदमी की कार ले कर जयंत और संध्या का पीछा करने लगता है. जबकि भी और उस के साथी तथा गुरुग्राम से देव को लेने आए सभी लोग मारे जाते हैं. एक जगह देव संध्या की कार रुकवा लेता है, जहां बातचीत में संध्या जयंत को गोली मार देती है तो पीछे से आ कर पल्लवी राज संध्या को गोली मार देती है.

संध्या की कार से रुपयों से भरा बैग पल्लवी देव को देते हुए कहती है कि रुपयों के लिए वह कैरव से कोई बहाना बना देगी. देव रुपए से भरा बैग घर ला कर विदुषी को सौंप देता है. उस के पिता साथ में ड्रिंक करने को कहते हैं. देव के पिता कुछ पुरानी बातें करते हैं तो देव उन्हें एक घड़ी गिफ्ट करता है.

देव अपनी गाड़ी ले कर गुरुग्राम आ जाता है, जहां उसे अपने पोस्ट बाक्स में एक पैकेट मिलता है, जिस में वही हार्ड डिस्क होती है, जो उस ने पल्लवी राज को दी थी.

पल्लवी ने उस के साथ एक नोट भी रखा था, जिस में लिखा था, ‘इस का मैं कुछ नहीं कर सकी, अगर तुम कुछ कर सको तो खुशी होगी.’ दूसरी ओर पल्लवी राज एसएचओ बन कर प्रैस कौन्फ्रेंस करती है, जिस में हाइवे पर हुए एनकाउंटर के चर्चे के साथ वह यह भी कहती है कि इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट के बारे में पता किया जा रहा है कि वह कहां गायब हो गए हैं. यहीं पर आठवां एपिसोड खत्म हो जाता है.

चंदन राय

चंदन राय का जन्म बिहार के जिला वैशाली के गांव महनार में पैदा हुआ था. वह स्कूल पढ़ाई के दौरान ही उसे नाटकों तथा सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लेना अच्छा लगता था, जिस की वजह से अभिनय में उसे रुचि पैदा हुई. जब वह उच्च शिक्षा के लिए पटना गया और वहां पटना विश्वविद्यालय से जनसंचार में ग्रैजुएशन किया.

पढ़ाई के साथसाथ उस ने कालेज थिएटर में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया, नाटकों में काम किया. आगे की पढ़ाई के लिए वह दिल्ली आ गया, जहां भारतीय जनसंचार संस्थान में दाखिला लिया और रेडियो तथा टेलीविजन में डिप्लोमा किया.

पढ़ाई पूरी करने के बाद चंदन राय ने दैनिक जागरण में पत्रकार के रूप में नौकरी कर ली. हालांकि भारतीय जनसंचार संस्थान में पढ़ाई के दौरान बहुरूप थिएटर ग्रुप, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और नैशनल स्कूल औफ ड्रामा रिपर्टरी से जुड़ा रहा. ढाई साल तक जागरण में नौकरी करने के बाद साल 2017 में नौकरी छोड़ कर वह मुंबई चला गया.

मुंबई पहुंच कर चंदन राय ने शुरुआत में दैनिक धारावाहिकों में छोटीछोटी भूमिकाएं कीं. अमेजन प्राइम की वेब सीरीज ‘पंचायत’ में काम मिलने तक वह संघर्ष करता रहा. इसी के साथ वह ‘द वायरल फीवर’, ‘हौस्टल डेज’ और ‘टीवीएफ पिचर्स’ में काम करता रहा. चंदन ने ‘छूना’, ‘शहर लखोट’ और ‘जांबाज हिंदुस्तान के’ जैसी वेब सीरीजों में अपनी पहचान बनाई है.

इस के अलावा राय को एक्शन ड्रामा फिल्म ‘सनक’ और पारिवारिक ड्रामा फिल्म ‘गुलमोहर’ में उन की हास्य भूमिका के लिए पहचान मिली. राय ने एफटीआईआई फिल्म डिप्लोमा फिल्म ‘चंपारण मटन’ में भी काम किया है, जिस ने छात्र अकादमी पुरस्कार में भारत का प्रतिनिधित्व किया.

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श्रुति जौली

श्रुति जौली एक भारतीय अभिनेत्री और मौडल हैं. उस का जन्म हरियाणा के करनाल में हुआ था. श्रुति का एक भाई है राजन जौली. श्रुति को अमेजन प्राइम वीडियो पर आने वाली वेब सीरीज ‘शहर लखोट’ में भूमिका अदा करने के लिए जाना जाता है. उस ने इरोज नाउ की सीरीज ‘हिंदमाता’ और ‘होल्ड इट’ में भी काम किया था. इस के अलावा कई टेलीविजन पर आने वाले विज्ञापनों में भी काम किया है.

श्रुति को पृथ्वी थिएटर्स और दिल्ली थिएटर्स के साथ काम करने का अनुभव है. एक मौडल के रूप में उस ने बी-टाउन इंडस्ट्री के कई टौप फैशन डिजाइनरों के साथ काम किया है. वह लाइव आर्टस्टिक की सहसंस्थापक है, जो बेंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई में स्थित एक लाइव परफार्मिंग आर्ट थिएटर है. श्रुति जौली साल 2019 में मिस लिनो पेरोस की विजेता भी रही.

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 6

एपिसोड- 9

वेब सीरीज ‘रंगबाज फिर से’ के नवें और आखिरी एपिसोड का नाम ‘सरेंडर’ यानी कि आत्मसमर्पण रखा गया है. शुरुआत में पुलिस की जीपें दिखाई गई हैं और बारबार मुख्यमंत्री सावित्री सिंह का यह कथन पहले और बारबार दोहराया गया है कि जो कुछ भी करो, कानून के दायरे में रह कर करना.

मुख्यमंत्री सावित्री सिंह सुंदर सिंह से मिलती है और फिर पुलिस कमिश्नर व संजय मीणा को बुलवा कर आदेश देती है कि अमरपाल का खात्मा कर दो, कानून के दायरे में.

यहां पर लेखक और निर्देशक ने फिर एक एसटीएफ के चीफ संजय मीणा को असहाय सा दिखा डाला है, जो राजनेताओं के आदेश को गवर्नर और न्यायाधीश से भी अधिक तवज्जो देने वाला एक मजबूर पुलिस अधिकारी है, जबकि वह यह काम करने के लिए मना भी कर सकता था.

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यहां पर लेखक और निर्देशक ने यह साफ करने की कोशिश की है कि एसएसपी संजय मीणा शुरू से ही यानी कि छात्र जीवन से ही अमरपाल सिंह का प्रशंसक रहा है, इसलिए समयसमय पर वह उस की मदद करता रहता था. उस के बाद एपिसोड को कास्टिंग शुरू हो जाती है.

अमरपाल और उस के साथी हथियार ले लेते हैं. एसपी मीणा अपने भारी पुलिस दस्ते को किलेनुमा कोठी के चारों ओर और छत पर फैला देता है.

संजय मीणा कोठी में दाखिल होता है तो उसे अमरपाल के वही रूप फिर से सामने आते हैं. छात्रसंघ के अध्यक्ष के रूप में फूल मालाएं पहने, कालेज टौपर की ट्रौफी अपने हाथों में उठाए, आईपीएस का एग्जाम पास करते हुए. तभी अमरपाल एक पुलिसकर्मी को ढेर कर देता है. फिर एसएसपी मीणा अपनी पूरी पुलिस फोर्स को गोली चलाने का आदेश दे देता है. उस के बाद काफी संख्या में पुलिस वाले ढेर हो जाते हैं.

अमरपाल वहां से अनुप्रिया चौधरी को भगा देता है और अंत में अमरपाल के सभी साथी एकएक कर के फोर्स द्वारा मार दिए जाते हैं. अंत में अमरपाल अपने दोनों हाथों में पिस्टल व राइफल लिए एसएसपी मीणा के सामने आ जाता है और फिर एसएसपी मीणा अमरपाल के शरीर को गोलियों से छलनी कर देता है.

अमरपाल मरने से पहले एक बार अपनी बेटी चीकू के कहने पर ही आत्मसमर्पण कर रहा है क्योंकि वह अपने जीवन में अपनी बेटी चीकू से सब से ज्यादा प्यार करता है. उस के बाद अमरपाल सिंह का अंतिम संस्कार होता है, जिस में लाखों की संख्या में भीड़ जमा है.

इस एपिसोड में असली कहानी से लेखक एकदम से भटक गया है. असली कहानी में अमरपाल के शव को उठाने से पुलिस वाले भी डर रहे थे, यह सीन नहीं दिखाया गया है.

असली कहानी से भटक गया लेखक

अमरपाल की हत्या के बाद उस के शव को पूरे 3 हफ्ते डीप फ्रीजर में लोगों के आक्रोश के कारण रखा गया था. उस की हत्या के विरोध में असली कहानी में एक विशाल जनसभा का आयोजन भी इस वेब सीरीज में नहीं दिखाया गया.

असली कहानी में गैंगस्टर अमरपाल सिंह का अंतिम संस्कार पुलिस द्वारा गुपचुप तरीके से करवाया गया था, जबकि यहां पर इस वेब सीरीज में उस का अंतिम संस्कार उस की बेटी और उस के परिजनों की अपार भीड़ की उपस्थिति में दिखाया गया है. यदि असली कहानी को वेब सीरीज में दिखाया जाता तो यह कहानी और बेहतर साबित हो सकती थी.

इस सीरीज में लेखकनिर्देशक ने पूरा प्रयास गैंगस्टर आनंदपाल सिंह को पीडि़त के रूप में चित्रित करने और उस के दोस्तों और परिवार पर दबाब डालने जैसा दिखाया. लेखक व निर्देशक गैंगस्टर पीडि़त हुए निर्दोषों की भावनाओं को पकडऩे में एकदम नाकाम रहे.

एक और समस्या थी इसे बहुत कमजोर बनाना और बेवजह की नाटकीयता पैदा करना. चूंकि यह एक वास्तविक कहानी है, इसलिए लेखक निर्देशक किसी परिकल्पना के आधार पर नाटक बनाने के बजाय इसे प्रामाणिक बनाने के लिए इस वेब सीरीज में काम करना चाहिए था.

अंत में दर्शक अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस करते हैं जैसे किसी ऐसी वेब सीरीज को देख रहे हैं, जहां पर एक गैंगस्टर को हीरो बना कर पेश किया था. एक क्रूर बदसूरत गैंगस्टर को नरम दिल वाले मासूम इंसान के रूप में दिखाया गया था.

जिमी शेरगिल

बौलीवुड अभिनेता जिमी शेरगिल का वास्तविक नाम जसजीत सिंह गिल है. जिमी का जन्म 3 दिसंबर, 1970 को गांव देवकाहिया, सरदार नगर जिला गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था. जिमी शेरगिल के पिता का नाम सत्यजीत सिंह शेरगिल व माताजी का नाम बलराज कौर शेरगिल है. जिमी के एक भाई है जिस का नाम अमन शेरगिल है.

जिमी शेरगिल की पत्नी का नाम प्रियंका पुरी है, जो एक बेटे की मां है. जिमी ने विक्रम कालेज, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला, पंजाब से कौमर्स में स्नातक किया.

जिमी शेरगिल ने अपने फिल्मी करिअर की शुरुआत 1996 की थ्रिलर ‘माचिस’ से की थी. उस की सफलता ब्लौकबस्टर, म्यूजिकल रोमांस ‘मोहब्बतें’ के साथ सामने आई, जो साल की सब से अधिक कमाई करने वाली बौलीवुड फिल्म बन गई, जिस के बाद उस ने ‘मेरे यार की शादी है’, ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ सहित कई अन्य बौक्स औफिस हिट फिल्मों में अभिनय किया.

‘हम तुम’, ‘ए वेडनेसडे’, ‘तनु वेड्स मनु’, ‘स्पैशल 26’, ‘हैप्पी भाग जाएगी’ और ‘दे दे प्यार दे’ रोमांटिक कौमेडी सहित कई फिल्में कीं, इन में से कई फिल्में हिट रहीं.

जिमी ने वर्ष 2005 में ‘यारन लाल बहारन’ से पंजाबी फिल्मों में डेब्यू किया था. पंजाबी सिनेमा में उस के उल्लेखनीय काम में ‘मेल करादे रब्बा’, ‘धरती’, ‘आ गए मुंडे यूके दे’, ‘शारिक’ और ‘दाना पानी’ शामिल हैं. जिमी औसतन एक फिल्म के लिए 1 से 2 करोड़ रुपए तक लेता है. इस की कुल संपत्ति लगभग 68 करोड़ रुपए है.

स्पृहा जोशी

अभिनेत्री स्पृहा जोशी का जन्म 13 अक्तूबर, 1989 को मुंबई में हुआ था. इस के पिता का नाम शिरीष जोशी है, जो ट्रिमैक्स आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विस लिमिटेड, मुंबई में काम करते हैं. इस का विवाह 2013 में वरद लाघाटे के साथ हुआ था.

स्पृहा जोशी एक भारतीय अभिनेत्री, कवि और लेखिका है. वह बचपन से ही अभिनेत्री बनना चाहती थी. 2004 में उस ने मराठी  फिल्म से शुरुआत की थी. फिल्म ‘माय बाप’ से एक बाल कलाकार के रूप में अपने अभिनय की शुरुआत की थी.

स्पृहा जोशी ने अपनी स्कूली शिक्षा बालमोहन विद्यामंदिर, दादर से पूरी की और फिर रुइया कालेज मुंबई से स्नातक किया. मराठी फिल्म में डेब्यू के बाद उस ने अपनी ग्रैजुएशन पूरी करने के लिए फिल्मों से ब्रेक ले लिया.

जब वह रामनारायण रुइया कालेज में ग्रैजुएशन कर रही थी, तब उस ने गमभाना, युगमक, एक और मय्यत, सांता, एक आशी व्यक्ति, कोई ऐसा, कैनवास और अनन्या जैसे नाटकों (थिएटर) में अभिनय किया.

टेलीविजन पर उस की पहली उल्लेखनीय भूमिका ‘अग्निहोत्र’ में उमा बैंड की की थी. 2011 में उसे अवधूत गुप्ते द्वारा निर्देशित मराठी फिल्म ‘मोरया’ में देखा गया था.

2012 में मराठी फिल्म ‘उंच माजा जोका’ में रमाबाई रानाडे की मुख्य भूमिका निभाई, जिस का निर्देशन वीरेन प्रधान ने किया था.

स्पृहा जोशी ने ‘ए पेइंग घोस्ट’, ‘पैसा पैसा’, ‘माल कहिच मप नौट’, ‘होम स्वीट होम’ में उत्कृष्ट अभिनय किया था. 2019 में स्पृहा जोशी ‘द औफिस इंडिया’ वेब सीरीज में भी काम कर चुकी हैं.

स्पृहा जोशी ने कई लोकप्रिय मराठी गीतों के बोल लिखे हैं, जिन में से प्रमुख ‘डबल सीट’, ‘किती संगायचाय माला’, ‘मुंबई-पुणे-मुंबई 2’, ‘साद ही प्रीतिची’, ‘लास्ट ऐंड फाउंड’ प्रमुख हैं. स्पृहा जोशी ने एक अभिनेत्री, गीतकार व कवि के रूप में कई पुरस्कार जीते हैं.

गुल पनाग

गुल पनाग का जन्म 3 जनवरी, 1979 को चंडीगढ़ में हुआ था. इस के पिता का नाम हरचरणजीत सिंह पनाग और माताजी का नाम गुरजीत कौर है. पिता लेफ्टिनेंट जनरल एच.एस. पनाग रहे हैं और भारतीय सेना में आर्मी कमांडर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं.

पिता के विभिन्न स्थानों पर ट्रांसफर के कारण गुल पनाग ने केंद्रीय विद्यालय सहित 14 स्कूलों में पढ़ाई की थी. गुल पनाग ने पंजाब यूनिवर्सिटी पटियाला से ग्रैजुएशन व राजनीति शास्त्र में परास्नातक की डिग्री हासिल की.

गुलकीत कौर पनाग उर्फ गुल पनाग एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री, वायस ओवर आर्टिस्ट और राजनीतिज्ञ है. वह हिंदी सिनेमा में अपने दमदार किरदार और अभिनय के लिए जानी जाती है.

गुल पनाग ने अपने करिअर की शुरुआत बतौर मौडल से की, उस के बाद उस ने साल 1999 में मिस इंडिया और मिस ब्यूटीफुल का पुरस्कार जीता. उस के बाद उस ने मिस यूनिवर्स में भी भाग लिया, लेकिन वह ज्यादा आगे नहीं जा सकी.

गुल पनाग ने 2003 में ही फिल्मों में अभिनय की शुरुआत कर दी थी. ‘धूप’ उस की सब से पहली फिल्म थी. इस के अतिरिक्त ‘जुर्म’, नागेश कुकुनूर द्वारा निर्देशित ‘डोर’, ‘मनोरमा सिक्स फीट अंडर’, ‘समर 2007’, ‘हैलो’, ‘अभिनव’, ‘स्ट्रेट’, ‘रन’, ‘हेलो डार्लिंग’, ‘टर्निंग 30’, ‘फटसो’, ‘अब तक छप्पन 2’, ‘अंबरसरियां’, ‘स्टूडेंट औफ द ईयर 2’ प्रमुख फिल्में हैं. गुल पनाग का विवाह उन के कथित प्रेमी एयरलाइन पायलट ऋषि अटारी से चंडीगढ़ के गुरुद्वारा में हुआ था.

साल 2014 में गुल पनाग आम आदमी पार्टी से जुड़ गई थी. 2014 में लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने गुल पनाग को चंडीगढ़ से अपना प्रत्याशी घोषित किया था, जहां पर इस का सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार किरण खेर व कांग्रेस के पवन बंसल से था. लेकिन वह हार गई थी.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 5

जयंत ‘भो’ को ठिकाने लगाने ले जा रहा होता है, तभी भो होश में आ जाता है और जयंत का गला पकड़ कर दबाने लगता है. पर जयंत के पास रिवौल्वर होती है, जिस से वह उसे गोली मार देता है और पहाडिय़ों के बीच पत्थरों से उस की लाश को दबा देता है. वह गाड़ी स्टार्ट करता है, पर गाड़ी स्टार्ट नहीं होती. तब वह रोने लगता है.

दूसरी ओर कैरव भी से भो के बारे में पूछता है. वह भो को फोन कर करके परेशान थी. इस के बाद अपनी गाड़ी ले कर भो की तलाश में निकल पड़ती है. देव एसआई पल्लवी राज को रशियन लड़की की हत्या की सीसीटीवी फुटेज दे कर कैरव के होटल में क्या होता है, सब बता देता है. पल्लवी को इंसपेक्टर रंगोट पर बहुत गुस्सा आता है. कैरव रंगोट को फोन कर के बुलाता है, क्योंकि उस का बिजनैस पार्टनर केतन उसे बताता है कि रंगोट उस के बिजनैस के बारे में पता कर रहा है.

रंगोट के सम्मान में जुलूस निकलता है. एसआई पल्लवी राज ने रशियन लड़की की हत्या के मामले में जो सबूत जुटाए थे, उन्हें कैंची से काट कर नष्ट कर देती है और उस की अस्थियां पहाड़ी पर ले जा कर विसर्जित कर देती है.

देव अपनी भाभी विदुषी के साथ फाइलें देख कर पता करता है कि जयंत के पैसे कहां हैं. तभी पता चलता है कि वह कैरव के 2 नंबर के पैसों को जयंत एक नंबर का बनाने का काम करता था. देव विदुषी को गले लगाता है तो विदुषी उसे किस करने की कोशिश करती है, पर देव रोक देता है. विदुषी लज्जित हो कर चली जाती है.

कैरव के लिए काम करने वाले ‘भो’ की बहन ‘भी’ भाई की तलाश में उस होटल तक पहुंच जाती है, जहां जयंत नाम बदल कर ठहरा था. वह उस पर धनुषबाण से हमला कर के भो के बारे में पूछती है. इस के बाद वह उसे पकड़ कर ले आती है.

एपीसोड -7

सातवें एपीसोड में भी जयंत का टार्चर करते हुए भो के बारे में पूछती है तो संध्या बारबार जयंत को फोन कर रही होती है. लेकिन जयंत का फोन नहीं उठता. वह फोन उठाता कैसे, वह तो पकड़ा जा चुका था.

संध्या अतीत को याद करती है कि उस की जयंत से कैसे मुलाकात हुई थी, फिर दोनों में प्यार हो गया. संध्या ने ही उसे सलाह दी थी कि वह कैरव के रुपयों से थोड़ेथोड़े रुपए चोरी करता रहे. जब काफी रुपए हो जाएंगे तो दोनों वहां से कहीं दूर जा कर रहने लगेंगे. लेकिन जयंत से उस की बात नहीं हो रही थी, जिस की वजह से वह परेशान थी. इंसपेक्टर रंगोट कैरव के घर आता है और बिजनैस में हिस्सा देने की बात करता है.

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देव जयंत की शेल कंपनी तलाशते हुए कैरव की उस कंपनी तक पहुंच जाता है, जहां कैरव ड्रग्स बनवा कर पैकिंग करवाता था. वहीं ‘भो’ की बहन ‘भी’ जयंत को बांध कर रखे थी. देव की उस पर नजर पड़ती है तो वह चौंकता है कि यह तो जिंदा है. देव जयंत को निकाल कर बाहर लाता है. तभी देव के बौस का फोन आता है. देव फोन नहीं उठाता तो बौस देव को लाने के लिए अपने आदमी भेजता है.

‘भी’ को जयंत बता देता है, जहां उस ने ‘भो’ की लाश को पत्थरों के नीचे दबाई थी. वह भाई की लाश को निकाल कर रोती है.

पल्लवी पत्रकार चंद्रकांत को डिनर पर बुलाती है और कैरव के होटल की फुटेज दिखा कर उसे फोटो के साथ अखबार में छापने के लिए कहती है. पत्रकार चंद्रकांत मना कर देता है तो पल्लवी उसे दुत्कार कर भगा देती है.

देव होटल में जयंत की मरहमपट्टी करता है. देव उस से पूछता है कि यह सब कैसे हुआ. जयंत झूठी कहानी बता कर कहता है कि वह फंस गया है. देव वहां से हटता है तो जयंत अतीत के बारे में सोचता है. जमाल उस से पैसे लेने आया था तो उस ने और संध्या से कैसे जमाल का मर्डर हो गया था. उन्होंने जमाल की लाश को जला कर जयंत की लाश घोषित करवा दिया था और जयंत छिप गया था.

जयंत अपना फोन उसी फैक्ट्री में भूल आया था, जहां भो की बहन भी ने उसे बांध कर रखा था. संध्या ने उस फोन पर फोन किया तो ‘भी’ को पता चल गया था कि संध्या उसे फोन कर रही है. इस का मतलब यह था कि संध्या को पता था कि जयंत जीवित है.

कैरव शराब पीते हुए मंत्रीजी से बात कर रहा है कि आंदोलन खत्म हो गया है. मंत्रीजी खुशी जाहिर करता है. संध्या आती है तो कैरव रात को संध्या के साथ सैक्स करता है. इस से संध्या बहुत दुखी थी. संध्या देव को फोन कर के यह बात बताती है तो वह कहता है कि वह आ रहा है. देव जाने लगता है तो जयंत कहता है कि वह उसे अकेला छोड़ कर न जाए. प्रोटेस्ट खत्म होने से नाराज विधायक प्रमोद इंसपेक्टर रंगोट को गालियां देता है और चप्पलों से पिटाई भी करता है.

यहीं पर यह भी दिखाया जाता है कि जयंत और संध्या ने कैसे जमाल की लाश ठिकाने लगाई थी. देव संध्या के यहां पहुंचता है तो वह रोरो कर उस से कैरव के बारे में बताती है. देव उसे सीने से लगा लेता है और यहीं सातवां एपीसोड खत्म होता है.

एपीसोड -8

आठवें एपीसोड में भो की बहन भी को कैरव आश्वासन देता है कि वह जयंत से और संध्या से भो की मौत का बदला लेगा. देव पल्लवी राज से बताता है कि जयंत जिंदा है, पर पल्लवी नहीं मानती. वह उसे दिखाने के लिए होटल में ले जाता है, पर वहां जयंत नहीं मिलता है. वह पल्लवी को गन दिखा कर होटल से निकल जाता है.

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 5

एपिसोड- 8

आठवें एपिसोड का नाम ‘दो और दो पांच’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में एक किले में अमरपाल अपने साथियों के साथ बैठा है, जहां एक साथी अमर और उस के साथियों को हीरा सिंह की हत्या के बदले में राजा फोगाट के मर्डर पर मां भवानी का प्रसाद खिलाता है. तभी वहां पर अनुप्रिया चौधरी आती है और अमरपाल उसे गले मिल कर थैंक्यू कहता है. अनुप्रिया कहती है कि हीरा सिंह को नहीं बचा पाई.

अगले सीन में राजा फोगाट की हत्या का समाचार देख कर मुख्यमंत्री सावित्री सिंह सुंदर सिंह को फोन कर के कहती है कि देखिए जल्दी कीजिए अमरपाल का, अब तो आप गृहमंत्री भी हैं, आप को खुली छूट है.

यहां पर लेखक और निर्देशक ने पहले एपिसोड में रही अपनी कमियों को छिपाने के लिए अनुप्रिया के मुंह से फिर कहलवा दिया कि मैं हीरा सिंह को बचा नहीं सकी, फिर अमरपाल कहता है, जाना मुझे था लेकिन वह चला गया. इस का मतलब जो भी जाता वह मरता ही. यह बात गले से नहीं उतर पाती.

एपिसोड के पहले दृश्य में गृह मंत्री सुंदर सिंह चौहान (हर्ष छाया) अपने भाषण में अमरपाल को अप्रत्यक्ष रूप से काफी कुछ कहता है. वहां वेश बदल कर अमरपाल और अनुप्रिया चौधरी बैठे हुए हैं, जिन्होंने वहां टाइम बम फिट कर रखा है. अमरपाल और अनुप्रिया रिमोट दबाते हैं, मगर वह नहीं चल पाता. शायद बम पहले ही किसी ने डिफ्यूज कर दिया था.

अमरपाल को शक होता है कि कहीं हमारा ही कोई आदमी तो नहीं है. अब अगले दृश्य में फ्लैशबैक में एसपी संजय मीणा सभास्थल पर अनुप्रिया चौधरी को उस के आदमी के साथ देख लेता है और ढूंढ़ कर फिर बम डिफ्यूज कर देता है और गृहमंत्री सुंदर चौहान को ये सब बातें बता कर उसे सभा में भाषण देने को कहता है, जिसे सुंदर सिंह पुलिस के भरोसे से पूरा भी कर लेता है.

अब यहां पर लेखक की कमी यह साफसाफ नजर आ रही है कि यदि एसपी मीणा ने अनुप्रिया को देखा तो उसे तुरंत गिरफ्तार क्यों नहीं किया? यदि पुलिस को पता था कि अमरपाल खुद या उस के साथी रिमोट ले कर बम धमाका करने वाले हैं तो पुलिस या सरकार ने उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश क्यों नहीं की? यह बात सचमुच समझ से परे लग रही है.

आगे अमरपाल का साथी उसे कहता है कि अभी माहौल काफी विपरीत हो चुका है, इसलिए अमरपाल का कुछ सालों के लिए विदेश यानी दुबई या नैरोबी में 2-3 साल के लिए चले जाना चाहिए. बाद में फिर जब सरकार या परिस्थति बदलती है तो फिर वापस भारत आ सकते हैं.

अमरपाल विदेश जाने के लिए तैयार हो जाता है, मगर विदेश जाने से वह अपनी बेटी चीकू से एक बार मिलना चाहता है. उस के साथी और अनुप्रिया चौधरी उसे बहुत समझाते हैं, मगर वह नहीं मानता है. अगले दृश्य में गृहमंत्री सुंदर चौहान पुलिस अधिकारियों को अमरपाल की गिरफ्तारी के लिए मीटिंग करता है.

उस के बाद एक बार फिर से वेब सीरीज के निर्देशक की कमी साफसाफ दिखाई दे रही है कि कैसे मोस्टवांटेड क्रिमिनल, जिस पर पूरे 10 लाख का इनाम है, जिसे पकडऩे के लिए एक स्पैशल टास्क फोर्स बनाई गई है, उस की नाक के नीचे केवल बढ़ी हुई दाढ़ी में बाइक पर ट्रक में बैठ कर हौस्टल के गार्ड को धमका कर अपनी बेटी के कमरे तक बेझिझक पहुंच जाता है.

उस की बेटी उस से जयराम गोदारा की हत्या करने के कारण मिलने से मना कर देती है. वहां पर काफी शोर भी होता है, जिस से कई बच्चे अपनेअपने कमरों से बाहर आ जाते हैं, लेकिन वहां पर गार्ड सहित सभी मूकदर्शक बने हुए हैं.

यानी जिन्हें पुलिस को सूचना देनी चाहिए थी, जिस से पूरा राज्य यहां तक कि उस की अपनी बेटी तक नफरत करती है, उस के बारे में किसी ने भी पुलिस को सूचना तक देने का बिलकुल भी प्रयास तक नहीं किया.

पासपोर्ट मिलने के बावजूद अमरपाल क्यों नहीं गया विदेश

आगे अमरपाल का साथी उसे पासपोर्ट देता है, लेकिन अब अमरपाल सिंह अपनी बेटी के प्यार में पागल हो कर आत्मसमर्पण को तैयार हो जाता है.

फिर आगे अनुप्रिया चौधरी पूछती है कि आप की चीकू कैसी है तो वह कहता है कि वह कितना बदनसीब है कि जिसे वह जान से भी ज्यादा प्यार करता है, वह उस से नफरत करती है.

अगले दृश्य में अमरपाल एक चिट्ठी राज्यपाल और न्यायाधीश को लिखता है कि उस के ऊपर लगाए गए सभी आरोप राजनीति से प्रेरित हैं, इसलिए उस पर लगाए आरोपों की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया जाए तो वह आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार है.

अगले दृश्य में अनुप्रिया चौधरी और उस के साथी इस पत्र की कौपी मीडिया को दे देते हैं ताकि पुलिस और सरकार अमरपाल सिंह के खिलाफ नाइंसाफी न कर सके.

यह खबर अमरपाल की पत्नी रुक्मिणी भी देखती है. मुख्यमंत्री पुलिस अधिकारी संजय मीणा को आदेश देते हैं कि सारा काम कानून के दायरे में होना चाहिए. पुलिस का वरिष्ठ अधिकारी बन चुका संजय मीणा कई फाइलें देख कर अपना अगला प्लान बनाने की जुगत में लग जाता है और एपिसोड खत्म हो जाता है.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 4

एपीसोड-5

इस एपीसोड में देव संध्या के घर के सामने खड़ा था, तब संध्या आती है. वह उस से कहता है कि उस ने उस से सब झूठ बोला था. संध्या गुस्से में कहती है कि क्या वह उस से बताती कि कैरव जुए का अड्डा और रंडीखाना चलाता है, जिसे वह देखती है. तभी उसे यह भी पता चलता है कि जिस विदेशी लड़की की लाश सड़क बनने वाली जगह पर मिली थी, वह कैरव के यहां काम करती थी.

देव संध्या को पकड़ लेता है तो वह उसे तमाचा मार देती है और कहती है कि वह तो उसे छोड़ कर चला गया था. उस ने कैसे सर्वाइव किया, यह वही जानती है. वह गर्भवती थी. उस के पिता मर गए. तब कैरव ने उसे सहारा दिया. देव को वह घर से भगा देती है.

इंसपेक्टर रंगोट होटल के उस कमरे में पहुंच जाता है, जहां कैरव का बिजनैस पार्टनर केतन 2 लड़कियों के साथ अय्याशी कर रहा होता है. वह उस से बिजनैस डील की बात करता है. कैरव के आदमी भो और भी विकास को प्रोटेस्ट खत्म कराने को कहते हैं. विकास समय मांगता है.

इस के बाद वह विधायक प्रमोद से आंदोलन खत्म करने की बात करता है. लेकिन वह नहीं चाहता कि आंदोलन खत्म हो,  इसलिए वह इंसपेक्टर रंगोट से इस के लिए बात करता है तो रंगोट कहता है कि इस मामले में क्या करना है, यह वह उस पर छोड़ दें.

देव अस्पताल जाता है तो पता चलता है कि उस के पिता की तबीयत अब काफी ठीक है. उन्हें वह घर ले जा सकता है. इंसपेक्टर रंगोट करीम के घर जाता है और उस से कहता है कि वह सबूत के लिए सुनील महाजन की फैक्ट्री में जाए और वहां नौकरी की बात करे.

देव और विदुषी घर में रखी फाइलें देखते हैं तो पता चलता है कि जयंत मनीलांड्रिंग का काम करता था. इस के लिए वह कंपनी में काम करने वाली एक महिला से बात करते हैं. पर वह कहती है कि उसे कुछ नहीं पता. करीम सुनील महाजन के औफिस जाता है और कोर्ट में जाने, पुलिस में रिपोर्ट लिखाने और मीडिया से बात करने की धमकी देता है तो सुनील महाजन उसे कुछ रुपए देता है, जिसे ले कर वह चला जाता है.

देव विकास से मिल कर बधाई देता है कि उस ने प्रोटेस्ट खत्म कर दिया, बहुत अच्छा हुआ. तब विकास उसे दुत्कारता है कि उस ने दोस्ती कर के विश्वास जीता, फिर पीठ में छुरा घोंपा. उस के कहने का मतलब यह था कि उस ने कैरव से उस के उस आदमी से संबंध के बारे में बता दिया था, जिस की वजह से उसे ब्लैकमेल किया गया.

देव वहां से सीधे उस फोटोग्राफर दोस्त के पास जाता है, जिसे उस ने विकास के फोटो डिलीट करने को कहा था. लेकिन उस के फोटोग्राफर दोस्त ने विकास के वे अश्लील फोटो डिलीट नहीं किए थे. पहले तो वह उस की पिटाई करता है, उस के बाद उसे इस बात के लिए राजी करता है कि वह कैरव के होटल की सारी सीसीटीवी फुटेज ला कर देगा.

पत्रकार चंद्रकांत एसआई पल्लवी को कुछ जानकारी ला कर देता है और कहता है कि इस बार वह उस के साथ डिनर पर चलेगी.

इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट विकास को रात के समय सुनसान जगह पर बुलाता है और चाकू से उस की हत्या कर देता है. रंगोट और प्रमोद कक्षदारों के सामने कसम खाते हैं कि वे विकास के हत्यारों को जरूर पकड़ेंगे. विकास की हत्या का आरोप इंसपेक्टर रंगोट करीम पर लगाता है और उसे पकड़ कर उस का एनकाउंटर कर देता है.

विकास की हत्या की जानकारी कैरव को मिलती है तो वह हैरान रह जाता है. देव के पिता उसे जयंत की हत्या का दोषी मानते हैं, इसलिए उस से बात नहीं करना चाहते. देव संध्या के घर जाता है और उसे विश्वास दिलाता है कि वह उस से अभी भी बहुत प्यार करता है. संध्या उसे अंदर ले जाती है और उस से लिपट जाती है. दोनों एक साथ रात बिताते हैं.

एपीसोड-6

इस एपीसोड के शुरू में दिखाया जाता है कि कैरव के आदमी ‘भो’ और ‘भी’ कुछ फाइलें ले कर आते हैं, तभी देव का वह फोटोग्राफर दोस्त आता है और कहता है कि सर्वर अपडेट करना पड़ेगा. कैरव का आदमी भो उसे एक सिक्युरिटी गार्ड के साथ सर्वर वाले कमरे में ले जाता है, जहां वह सारी सीसीटीवी फुटेज की कौपी कर लेता है.

‘भो’ बसस्टैंड पर जाता है, जहां उसे कोटा की बस पर जाते हुए जयंत दिखाई देता है. जयंत को जीवित देख कर वह चौंकता है. वह बस के पीछे भागता है, लेकिन बस चली जाती है. वह गाड़ी से बस का पीछा करता है.

देव का बौस अपने एक आदमी रंगा को देव को लाने के लिए लखोट भेजता है. देव की गाड़ी पुलिस कस्टडी में थी, जिस से रंगा ताला तोड़ कर देव द्वारा लाई फाच्र्युनर निकालने जाता है. गाड़ी में देव और उस की हाथापाई होती है, जिस में वह हार्टअटैक से मर जाता है.

एक ढाबे पर बस रुकती है, जहां जयंत बस से नीचे उतरता है. भो जयंत को पीछे से आवाज देता है, तभी तेजी से आ रहा ट्रक ‘भो’ को टक्कर मार देता है. जयंत उसे वहां छोडऩे के बजाय उसे उठा कर उस की गाड़ी में डालता है और वहां से उस होटल में जाता है, जहां वह ठहरा था. वह ‘भो’ को सड़क पर नहीं छोडऩा चाहता था, वरना उस की बहन ‘भी’ उसे खोजते हुए वहां पहुंच जाती और फिर उस की पोल खुल जाती है.

देव उन सारी फुटेज को अपने उस फोटोग्राफर दोस्त के साथ देखता है. उन में उस रशियन लड़की की फुटेज होती है, जिस की मौत की जांच एसआई पल्लवी राज कर रही थी. उस लड़की की जब मौत हुई थी, तब विधायक प्रमोद बहनोई उस के साथ कुकर्म कर रहा था. मौत क्या हुई थी, वह बेहोश हुई थी. उस बेहोश लड़की को ठिकाने लगाने में कैरव भी शामिल था और इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट भी.

एसआई पल्लवी ने उस रशियन लड़की का अंतिम संस्कार खुद जा कर विद्युत शवदाह गृह में करवाया था. कैरव संध्या से जयंत के बारे में बात करता है. फिर उस के साथ पीछे से जबरदस्ती सैक्स करता है.

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 4

एपिसोड- 7

इस सीरीज के सातवें एपिसोड का नाम ‘गिरगिट रंग बिरंग’ रखा गया है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इस में धोखेबाजों का वर्णन है. एपिसोड की शुरुआत प्रजातांत्रिक सेना की मुख्यमंत्री उम्मीदवार सावित्री देवी के घर से होती है.

नेता सुंदर सिंह सावित्री देवी से अमरपाल पर कम सख्ती बरतने को कहता है. सावित्री देवी कहती है कि अब हम सत्ता में हैं, इसलिए दूसरी जातियों को भी साथ में लाना होगा. इस में एक महिला मुख्यमंत्री को अपने साथी सुंदर सिंह के साथ सार्वजनिक रूप से शराब पीना काफी अखरता है. निर्देशक यदि इसे परदे के भीतर दिखाता तो शायद अच्छा लगता.

अगले दृश्य में सुंदर सिंह गैंगस्टर राजा फोगाट से मिल कर अमरपाल सिंह के बारे में बात करता है. यहां पर लेखक और निर्देशक ने राजा फोगाट के मुंह से फिर गालियों का भरपूर इस्तेमाल किया है.

एपिसोड के पहले दृश्य में रुक्मिणी और चीकू की बातचीत दिखाई गई है, जिस में चीकू रुक्मिणी से पूछती है कि क्या उस के पापा अमरपाल ने ही चाचू (जयराम गोदारा) को मारा है? अगले दृश्य में मुख्यमंत्री सावित्री देवी एसपी मीणा से अमरपाल की गिरफ्तारी जल्द से जल्द करने का आदेश देती है.

उस के बाद नेता सुंदर सिंह एसपी मीणा से कहता है कि नागौर में जनसभा का आयोजन करो, जहां जनता को सुंदर सिंह संबोधित करेगा. तभी अनुप्रिया चौधरी (गुल पनाग) राजा फोगाट से मित्रता करने के मकसद से आती है और उसे अपने हुस्न के जाल में फंसाने की कोशिश करती है.

राजा फोगाट उसे रात डेढ़ बजे होटल शीतल में मिलने के लिए बुलवाता है और उसे अमरपाल को वहां पर बुलाने के लिए कहता है. उधर एसपी संजय मीणा अमरपाल को पकडऩे के मकसद से हर गली, हर कस्बे हर गांव और हर शहर में अमरपाल के पोस्टर लगवा देता है.

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कौन सा टेस्ट देने के बाद अनुप्रिया को गैंग में किया शामिल

इस के अगले दृश्य में अमरपाल अकेले में शराब पी कर कहता है मुझे सब छोड़ कर चले गए. उस के साथ उस समय उस का विश्वस्त साथी हीरा सिंह भी होता है. वह अमरपाल को विश्वास दिलाता है कि वह अपने खून की आखिरी बूंद तक तुम्हारा साथ देता रहेगा. तभी अनुप्रिया चौधरी का मैसेज अमरपाल के फोन पर आता है, उसे तुरंत हीरा सिंह देख लेता है और बहाना बना कर खुद होटल शीतल में जा कर राजा फोगाट को ढूंढता है.

राजा फोगाट के आदमी उसे पकड़ कर राजा फोगाट के सामने लाते हैं. राजा फोगाट और हीरा सिंह की बहस होती है. हीरा सिंह वहां पर अनुप्रिया चौधरी को देख कर उस पर ताने मारता है, तभी राजा फोगाट हीरा सिंह के ऊपर गोलियां बरसा कर उस की निर्मम हत्या कर देता है. और फिर वह अनुप्रिया चौधरी से कहता है कि तुम परीक्षा में पास हो गई हो, अब तुम मेरे साथ शामिल हो सकती हो.

उस के अगले सीन में अमरपाल के साथी बताते हैं कि राजा फोगाट ने हीरा सिंह की हत्या कर दी है. अब अमरपाल समझ जाता है कि हीरा सिंह ने उस की जान बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे डाली. अमरपाल भागने का प्लान बनाता है, क्योंकि पुलिस ने जगहजगह उस के पोस्टर लगा कर उसे पकडऩे या सूचना देने वाले को 10 लाख रुपए इनाम देने की घोषणा कर दी थी.

तभी रुक्मिणी अमरपाल से कहती है कि तुम हमारी बेटी चीकू से बात कर लो, क्योंकि उस ने टीवी में मधु गोदारा (जयराम गोदारा की पत्नी) का इंटरव्यू देख लिया है.

अगले दृश्य में अमरपाल अपनी बेटी को कई बार फोन करता है, परंतु उस की बेटी चीकू उस का फोन उठाती ही नहीं है. अगला सीन राजा फोगाट और अनुप्रिया चौधरी का है, जिस में सैक्स करने के बाद दोनों शराब पी रहे हैं.

जहां अनुप्रिया उसे कहती है कि अमरपाल सिंह की सब से बड़ी कमजोरी उस की बेटी चीकू है और वह कहां है मेरे अलावा कोई नहीं जानता. यदि उस की कमजोरी को हम ने काबू कर लिया तो अमरपाल का अंत हो सकता है. अगले दृश्य में राजा फोगाट मंत्री बन गए सुंदर सिंह को फोन करता है कि उसे एक राज पता चल गया है, जिस से वह अमरपाल को समाप्त करवा देगा.

सुंदर सिंह उस से प्लान पूछता है तो राजा फोगाट कहता है कि कल की हेडलाइन खुद ही देख लेना. इस के बाद सुंदर सिंह एसपी संजय मीणा को फोन पर बताता है कि राजा फोगाट एक अनहोनी करने वाला है, उस की हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखो.

राजा फोगट अपने साथियों के साथ चीकू के हौस्टल पहुंच जाता है, मगर वहां पर उस के सभी आदमी मार दिए जाते हैं. वह अकेला खड़ा रहता है तब उसे याद आता है कि अनुप्रिया चौधरी ने उस के साथ दगा कर दी है. उस के बाद वहां पर अमरपाल अकेला राइफल लिए नजर आता है.

फिर अमरपाल अनुप्रिया चौधरी को फोन करता है कि यहां का चैप्टर खत्म हो गया, आगे की तैयारी करो. उस के बाद एक सभा का दृश्य आता है.

इस में लेखक और निर्देशक ने अपनी ओर से तो बहुत कोशिश की है, लेकिन इस की कमियां काफी रही हैं. मसलन, अनुप्रिया चौधरी को राजा फोगाट के गैंग में शामिल किया गया, उस में अगर वह अमरपाल सिंह के साथ थी तो दोनों के बीच कोई ऐसी बातें अथवा मैसेज क्यों नहीं थे?

सुंदर सिंह ने जब एसपी मीणा को कहा था कि राजा फोगाट की गतिविधि पर नजर रखो तो पुलिस क्या अमरपाल सिंह का साथ दे रही थी? यह कहीं पर भी दिखाया नहीं गया है. एक अकेला अमरपाल सिंह राजा फोगाट के अनगिनत साथियों की हत्या कर फिर राजा फोगाट को मार डालता है? अमरपाल सिंह के साथ उस के अन्य साथियों को क्यों नहीं दिखाया गया?

अनुप्रिया चौधरी यानी गुल पनाग का अभिनय इस एपिसोड में बिलकुल भी प्रभावित नहीं कर पाया है. यहां पर यह भी साफ साफ लगता है कि फिर तो गैंगस्टर अमरपाल सिंह ने अपने विश्वस्त साथी हीरा सिंह की खुद ही हत्या करा दी, जोकि शायद संभव नहीं हो सकता. लेखक व निर्देशक इस में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 3

कैरव के होटल में पार्टी चल रही होती है और वह मंत्रीजी के साथ बैठ कर प्रमोद की शिकायत कर रहा था. मंत्रीजी प्रमोद को फोन कर के विकास को छुड़वाने को कहते हैं.

एक रेस्टोरेंट में पत्रकार चंद्रकांत एसआई पल्लवी के साथ बैठा है और उस से कहता है कि वह अन्य महिलाओं से अलग है. वहीं कैरव अपने होटल में संध्या के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करता है. वह नहीं मानती तो वह उस की बेल्ट से पिटाई भी करता है.

कैरव जयंत के घर उस की शोकसभा आयोजित करता है. वहीं पल्लवी उसे बताती है कि हाइवे पर उस की गाड़ी मिल गई है. तभी वहां पत्रकार चंद्रकांत आ जाता है, जो पल्लवी से उल्टीसीधी बातें करता है तो देव उसे धक्के दे कर भगा देता है और फोटोग्राफर दोस्त के साथ अपनी कार लेने चला जाता है. वहीं से संध्या को फोन करता है. कार में उसे एक फोन मिलता है.

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वह घर जाता है और पिता से गुडग़ांव वापस जाने के लिए कहता है, तभी इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट देव को उस के घर पहुंच कर जयंत की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लेता है. क्योंकि उस की गाड़ी पर खून लगा था. तभी उस के पिता को हार्टअटैक आ जाता है. थाने में देव से पूछताछ की जाती है, तभी उसे वह पुरानी घटना याद आ जाती है, जब संध्या के लिए उस ने एक रेस्टोरेंट में एक युवक की हत्या कर दी थी.

कैरव परेशान है कि इंसपेक्टर राजबीर एमएलए प्रमोद के साथ मिल कर विरोध बढ़वा रहा है. वह थाने जा कर विकास को छोडऩे के लिए कहता है. पर इंसपेक्टर रंगोट इस का सारा श्रेय विधायक प्रमोद को दिलवा देता है.

देव को कोर्ट में पेश किया जाता है, जहां ठोस सबूत न होने के कारण जज देव को जमानत पर छोड़ देता है. लेकिन उसे रोजाना थाने में हाजिरी देने को कहता है. यहां पता चलता है कि जयंत कैरव के यहां काम करता था. देव अपने पिता के पास अस्पताल जाता है.

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वेब सीरीज के चौथे एपीसोड में विदुषी देव को बताती है कि बैंक एकाउंट में एक भी पैसा नहीं है. देव कहता है कि वह चिंता न करे सब ठीक हो जाएगा. तभी घर से खबर आती है कि घर में लूटपाट हो गई है.

देव और विदुषी घर आ जाते हैं. घर का सारा सामान बिखरा पड़ा है, लेकिन कुछ गायब नहीं है. देव को कैसीनो का एक कौइन मिलता है. विदुषी बताती है कि जयंत को जुआ खेलने की लत लग गई थी. कैरव विकास को अपने पक्ष में करना चाहता था, जबकि वह विधायक प्रमोद के साथ चला गया होता है. पल्लवी को भी देव पर शक था, पर विदुषी कहती है कि वह मेरा देवर है. अपने भाई को वह बिलकुल नहीं मार सकता.

देव एक जुआघर में यह पता लगाने जाता है कि उस का भाई जयंत वहां जुआ खेलने तो नहीं जाता था. लेकिन उस का औनर उसे पहचान लेता है और उसे धमका कर भगा देता है.

पल्लवी राज नगर निगम के औफिस में यह पता करने जाती है कि सड़क बनाने का आदेश किस ने दिया था. पर अधिकारी कहता है कि यह जानकारी लेने के लिए उस के बौस के हस्ताक्षर वाला कागज चाहिए. फिर एसआई पल्लवी वापस आ जाती है.

देव संध्या के घर खाने पर जाता है तो मोबाइल में लड़कियों के फोटो दिखा कर पूछता है कि क्या वह इन लड़कियों को पहचानती है. संध्या का कहना था कि ये विदेशी लड़कियां उस के होटल में आई होंगी.

देव थाने में हाजिरी लगाने जाता है तो एसआई पल्लवी राज विदेशी लड़की की हत्या वाले केस पर काम कर रही होती है. वह एक टैटू के बारे में पता कर रही होती है, तभी जमाल का भाई करीम देव की ओर इशारा कर के इंसपेक्टर से कहता है कि यही आदमी मेरे बड़े भाई को तलाश रहा था. पर उस की इस बात पर इंसपेक्टर रंगोट ध्यान नहीं देता.

तब वह इंसपेक्टर राजबीर से कहता है कि अगर वह उस के भाई के बारे में पता कर दे तो वह कैरव और सेंट्रल मार्बल के मालिक सुनील महाजन के बारे में अंदर की एक बात बताएगा. इंसपेक्टर मान जाता है तो करीम बताता है कि सेंट्रल मार्बल की उस फैक्ट्री से मार्बल के अंदर सफेद पाउडर भर कर भेजा जाता है. प्रोटेस्ट के कारण माल नहीं जा पा रहा है, इसीलिए कैरव बहुत परेशान है.

कैरव के आदमी ‘भो’ और ‘भी’ देव से विकास को कैरव के पास लाने को कहते हैं. देव विकास को कैरव के यहां ले आता है तो उसे वहां कुछ विदेशी लड़कियां दिखाई देती हैं, जिन से वह उस लड़की के बारे में पूछता है, जिस का फोटो उसे मोबाइल में मिला था. वे कुछ जवाब नहीं देती हैं.

विकास को कैरव के यहां शरबत में कोई पाउडर मिला कर पिलाया जाता है. इंसपेक्टर रंगोट विधायक प्रमोद को बताता है कि कैरव की फैक्ट्री से हेरोइन बाहर भेजी जाती है. वह उसे फंसा कर अपनी बेइज्जती का बदला लेगा.

अगले दिन देव सिक्युरिटी गार्डों को धोखा दे कर फिर कैरव के होटल में जाता है और मरी हुई लड़की का फोटो एक लड़की को दिखाता है तो वह चिल्लाने लगती है. सिक्युरिटी गार्ड देव को पकड़ लेते हैं. तभी कैरव आ जाता है और देव से कहता है कि अगर उसे होटल देखना था उस से कहता. कैरव देव को अपना होटल दिखाता है.

कैसीनो में जाने पर वहां क्वाइन देख कर देव को पता चलता है कि उस का भाई जयंत यहीं जुआ खेलने आता था. कैरव देव को सैक्स वर्कर्स का एरिया भी दिखाता है, जहां तमाम देशों की लड़कियां देह व्यापार करती थीं. इन सब को संध्या ही संभालती थी. संध्या को वहां देख कर देव दुखी हो कर चला जाता है.

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 3

किले में क्यों मिले अमरपाल और जयराम

इस सीन में निर्देशक भाव धूलिया की एक बड़ी कमी साफ दिखाई दे रही है. जिस अमरपाल सिंह को पूरे राज्य की पुलिस ढूंढ रही है, जो जयराम गोदारा एक कुख्यात नाम है, जिस की फोटो अकसर अखबारों में छपती रहती है. वे अपने खुले चेहरे में उस सभा में बम फेंक कर वहां से मोटरसाइकिल से फरार भी हो जाते हैं. निर्देशक को कम से कम उन दोनों के चेहरे तो ढंक देने चाहिए थे. ये सारा दृश्य नाटकीय सा लगता है.

उस के बाद अगला सीन शुरू हो जाता है मदन सिंह (विधायक) अमरपाल से मिलने उस के घर आता है, तभी वहां जयराम गोदारा आ जाता है. राजपूत विधायक मदन सिंह जयराम गोदारा को दिल को चुभ जाने वाली काफी बातें कहता है.

अमरपाल किसी तरह से जयराम गोदारा को काबू में करता है. जयराम अपने साथ हवाई जहाज के 2 टिकट अमरपाल को दे कर गुस्से से वहां से चला जाता है.

एक दिन राजपूत विधायक मदन सिंह बाजार में मिठाई खरीदने के लिए अपनी गाड़ी रुकवाता है, तभी जयराम गोदारा गोली मार कर विधायक मदन सिंह की हत्या कर देता है. इस से पूरे राजस्थान में हड़कंप मच जाता है. किसी को पता नहीं चल पाता कि हत्या किस ने की है.

फिर राजा फोगाट का एक विश्वस्त पुलिस अधिकारी उसे फोन कर के कहता है कि अमरपाल ने विधायक मदन सिंह की हत्या कर दी है. राजा फोगाट उस से कहता है कि अमरपाल उसे नहीं मार सकता. पता करो किस ने हत्या की है.

अमरपाल को पता होता है कि जयराम गोदारा ने ही विधायक मदन सिंह की हत्या की है तो वह अपने साथियों से जयराम गोदारा को बुलाने और उस के पास लाने को कहता है. अमरपाल के गुस्से को उस का साथी बलराम राठी उसे समझाता नजर आ रहा है. यहां पर लेखक और निर्देशक ने एक बार फिर फ्लैशबैक में जाने की भूल की है, जिसे देख कर दर्शकों को खुद समझना पड़ता है कि बलराम राठी की तो पहले ही हत्या हो चुकी है. इस का मतलब यह फ्लैशबैक होगा.

जयराम गोदारा घर छिप कर आता है, उस से पहले अमरपाल के साथी उसे ढूंढने आए थे. जयराम गोदारा अपनी पत्नी को कुछ पैसे दे कर घर वालों का खयाल रखने को कहता है. इसी बीच उस के घर के बाहर दरवाजों को जोरजोर से खटखटाने की आवाज सुनाई पड़ती हैं.

उस के अगले सीन में अमरपाल को उस की पत्नी रुक्मिणी बताती है कि आज उन की बेटी का जन्मदिन है. वह 10 साल की हो गई है. रुक्मिणी हौस्टल में फोन कर के वैशाली सिंह उर्फ चीकू से बातें करती है उसी समय अमरपाल पत्नी से फोन ले कर अपनी बेटी से बात करता है तो चीकू बताती है कि चाचू (जयराम गोदारा) ने सब से पहले उसे जन्मदिन की बधाई दी है और ये मैसेज भी देती है कि चाचू ने कहा है कि यदि दोस्त मानते हो तो वहां मिलो, जहां दोस्त मिलते हैं. फिर रुक्मिणी चीकू से बातें करने लग जाती है.

तभी अमनपाल और जयराम गोदारा को उसी खंडहरनुमा किले में दिखाया जाता है, जहां पर वे पहले भी अकसर मिला करते थे. दोनों में काफी देर तक बातचीत होती है और इसी बीच अमरपाल मौका देख कर अपने दोस्त जयराम गोदारा की जान ले लेता है.

उस के बाद अमरपाल राजपूतों का मसीहा बन जाता है, क्योंकि उस ने एक जाट गैंगस्टर, जोकि उस के भाई से भी बढ़ कर एक दोस्त था, उस की हत्या कर दी थी. फिर अमरपाल का राजनीति, शराब, फिरौती और हथियार सप्लाई में चारों ओर दबदबा बढ़ता चला जाता है.

राजनीति में आने की इच्छा से अब अमरपाल सिंह राजपूतों की भवानी सेना का निर्माण करता है, जिस का आतंक पूरे प्रदेश में दिनबदिन बढ़ता चला जाता है.

इसी बीच एसपी संजय सिंह मीणा जयराम गोदारा की पत्नी से मिलता है और उसे अमरपाल सिंह के खिलाफ गवाही देने के लिए कहता है.

इस एपिसोड में एसपी संजय मीणा का असल में मकसद क्या है, वह डायरेक्टर अच्छी तरह से दिखाने में असफल रहा. अभिनय की दृष्टि से सभी कलाकारों का अभिनय औसत दरजे का रहा है, कोई भी कलाकार अपने अभिनय से प्रभावित करने में असफल रहा है.

एपिसोड- 6

वेब सीरीज ‘रंगबाज फिर से’ के छठें एपिसोड का नाम ‘चक्रव्यूह है फंस जाएगा’ के नाम से रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में अमरपाल और अनुप्रिया चौधरी बातें करते हैं, तभी एसपी संजय मीणा को खबर मिलती है तो वह अपनी टीम और राजा फोगाट के आदमियों के साथ अमरपाल के ठिकाने पर दबिश देने पहुंचता है. मगर वहां पर कुछ नहीं मिलता.

हां, एक मैसेज शीशे में लिखा नजर आता है, ‘अगली बार और तैयारी कर के आना’, जिसे देख कर एसपी मीणा अपनी नाकामी पर जोरजोर से हंसता दिखाई पड़ता है. तभी अमरपाल अनुप्रिया चौधरी के साथ जीप में जाता दिखाई दे रहा है. वह रुक्मिणी और फिर विपक्षी पार्टी के नेता सुंदर सिंह से बात करता है.

अगले सीन में अमरपाल को खबर मिलती है कि राजा फोगाट किसी जगह पर जरूर जाएगा और इस के बाद एपिसोड की कास्टिंग शुरू हो जाती है. इस में निर्देशक ने कंफ्यूज सा कर एक सीन कहीं का तो दूसरा कहीं का जोड़तोड़ कर कहानी को भ्रमित सा कर दिया है.

विपक्षी पार्टी का नेता सुंदर सिंह अमरपाल से अपने दुश्मनों को ठिकाने लगाने और उन की प्रजातांत्रिक सेना पार्टी को जिताने के एवज में उस के ऊपर लगे सभी आरोपों को वापस लेने का वचन यह कहते हुए देता है कि यह एक राजपूत का वचन है.

नेता के कहने पर कौन कर रहा था हत्याएं

सुंदर सिंह (विपक्षी नेता) के कहने पर अमरपाल सिंह 5 बार के एमएलए और मंत्री रहे करमचंद्र शेखावत की हत्या एयर कंडीशन ब्लास्ट के रूप में आग लगा कर करवा देता है.

अगले सीन में एसपी संजय मीणा अमरपाल सिंह की सहयोगी अनुप्रिया चौधरी (गुल पनाग) से मिलता है और उसे बताता है कि सुंदर सिंह (विपक्षी पार्टी नेता) के कहने पर अमरपाल जो ये हत्याएं कर रहा है, उसे तुम रुकवा लो नहीं तो अमरपाल सिंह इस राजनीति के चक्रव्यूह में फंस कर खुद को बरबाद कर देगा. सुंदर सिंह की भूमिका हर्ष छाया ने निभाई है.

तभी एसपी संजय मीणा गृहमंत्री अहलावत को अपने साथ उस के घर ले जाता है यानी कि जयराम गोदारा की पत्नी मधु गोदारा को अमरपाल सिंह के खिलाफ गवाही देन के लिए राजी कर प्रैस कौन्फ्रैंस में अपने पति के हत्यारे का नाम जगजाहिर करवा देते हैं.

अमरपाल सिंह अपने साथी के साथ विपक्षी पार्टी के सर्वेसर्वा सुंदर सिंह का मुखौटा अपने चेहरे पर लगा कर सुंदर सिंह को बधाई देने का प्रोग्राम बनाता है.

इस दृश्य को अमरपाल की बेटी चीकू टीवी पर देख कर अपने चाचा जयराम गोदारा की यादों में खोई हुई दिख रही है. यह सीन पहले भी निर्देशक दिखा सकते थे. यह केवल एपिसोड को लंबा खींचने की कोशिश साफसाफ नजर आ रही है.

इस के अगले सीन में फिर वही पुराना सीन आगे दोहराया गया है, जिस में अमरपाल और साथी पटाखे जलाते, खुशियां मनाते सुंदर सिंह के घर पर पहुंचते हैं. वहां जब अमरपाल सिंह सुंदर सिंह को राजा फोगाट से गले मिलते देखता है तो अब उसे सारा माजरा समझ में आ जाता है. वह अपने साथी के साथ उलटे पांव वापस लौट जाता है.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 2

देव के भाई जयंत की अपनी पत्नी विदुषी से बिलकुल नहीं बनती, क्योंकि वह उसे बेवकूफ समझता है और उसे लगता है कि वह दिन भर कुछ नहीं करती, केवल वीडियो बनाती रहती है.

रात के समय कैरव का आदमी एक बैग में पैसे ले कर किसी को देने जा रहा था, जिसे चुराने के लिए जयंत आ जाता है. तभी वहां देव आ जाता है. वह जयंत को पकडऩे दौड़ता है, पर उसे पकड़ नहीं पाता. तभी देव की फाच्र्युनर चोरी हो जाती है. कैरव के आदमी ‘भो’ और ‘भी’ (दोनों भाईबहन) देव को पकड़ लाते हैं और उस की पिटाई करते हुए पूछते हैं कि वह कौन है और सूटकेस कौन ले गया? तभी सेंट्रल मार्बल के मालिक सुनील महाजन के साथ कैरव आता है.

देव को देख कर उसे याद आता है कि यह तो वही आदमी है, जो बचपन में उसे परेशान किया करता था. उसे बिल्ली मार कह कर चिढ़ाता था. कैरव देव को मारने लगता है. तब सेंट्रल मार्बल का मालिक उसे रोकता है और कहता है कि यह हमारा काम कराने के लिए गुरुग्राम से आया है.

‘भो’ की भूमिका संजय शिव नारायण ने की है. उस की बहन ‘भी’ की भूमिका में मंजरी पुपला है तो सुनील महाजन की भूमिका गौरव कोठारी ने की है.

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दूसरे एपीसोड में कैरव अपनी कोठी पर नाश्ता करते हुए देव से विकास से जल्दी समझौता कराने के लिए कहता है. उसी समय वहां संध्या आ जाती है. तब देव को पता चलता है कि संध्या कैरव के लिए काम करती है.

देव सेंट्रल मार्बल के मालिक के साथ उस की गाड़ी से निकलता है तो उस से अपनी गाड़ी दिलाने की बात करता है. वह देव को कुछ रुपए दे कर आश्वासन देता है कि भाई साहब (कैरव) उस की गाड़ी जल्दी दिलवा देंगे. इस के बाद देव उस की कार से उतर जाता है.

एसआई पल्लवी राज उस विदेशी महिला की हत्या का मामला देख रही है, जिस का सड़क के किनारे एक हाथ दिखाई दे रहा था. पल्लवी राज की भूमिका कुब्रा सैत ने की है. वह कहीं से भी पुलिस वाली नहीं लगती. पल्लवी राज विदुषी की बहुत अच्छी दोस्त है. जिस की वजह से देव उस से अपनी कार के बारे में पता करने को कहता है.

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पल्लवी से उस विदेशी महिला की हत्या वाले केस की फाइल बंद करने को कहा जाता है. पल्लवी समझ जाती है कि इंसपेक्टर राजबीर नहीं चाहता कि इस मामले का खुलासा हो. जबकि पल्लवी इस मामले को ले कर काफी गंभीर थी. क्योंकि उसे पता चल गया था कि उस विदेशी महिला को बेहोशी की हालत में जिंदा ही दफना दिया गया था.

इस के बाद वह पत्रकार चंद्रकांत से कहती है कि वह पता लगाए कि उस सड़क को बनाने की परमिशन किस ने दी थी. पत्रकार उस से डिनर पर चलने को कहता है, जहां बातचीत में उसे पता चलता है कि पल्लवी लेस्बियन है.

देव कैरव के लोगों ‘भो’ और ‘भी’ के साथ मिल कर अपनी कार चुराने वाले जमाल खान के घर जाता है और जमाल खान के बारे में पता करने के लिए उस के भाई करीम को उठा लाता है. उस का टार्चर किया जाता है, पर वह कुछ नहीं बताता. बाद में उसे छोड़ दिया जाता है.

कैरव मंत्रीजी से आंदोलन संभालने की बात करता है. पर मंत्रीजी कहते हैं कि वह इलाका एमएलए प्रमोद बहनोई के अंडर में आता है, जो उसे पसंद नहीं करता. फिर भी वह उस से बात करने की कोशिश करेंगे. इस के बाद मंत्रीजी प्रमोद को फोन करते हैं. प्रमोद कहता है कि उस की और विकास की कम्युनिटी अलगअलग है, इसलिए वह उस की बात नहीं मानेगा.

देव कहीं जा रहा होता है, तब उसे विकास एक बार-कम-रेस्टोरेंट में जाता दिखाई देता है. वह भी उस के पीछे जाता है और विकास से अपनी बात मनवाने के लिए उस की एक आदमी के साथ चुम्माचाटी की फोटो खींच लेता है.

पर बाद में वह वे फोटो अपने दोस्त से डिलीट करवा देता है. देव के दोस्त की भूमिका आशीष थपलियाल ने की है. देव को लगता है कि हर किसी को अपनी जिंदगी अपने ढंग से जीनी चाहिए. यहीं उसे अपने दोस्त से पता चलता है कि संध्या उस के बच्चे की मां बनने वाली थी.

देव संध्या के घर जाता है और उस से अपने प्रेम की दुहाई दे कर एक बार फिर उसे इमोशनल ब्लैकमेल करने की कोशिश करता है, पर संध्या उसे अपने घर से जाने को कहती है और दरवाजा बंद कर लेती है. देव वहां से दुखी हो कर चला जाता है और एक झील के किनारे शराब पी कर सो जाता है. सुबह उस की भाभी विदुषी उसे फोन कर के बताती है कि जयंत की एक्सीडेंट में मौत हो गई है.

एपीसोड-3

तीसरे एपीसोड की शुरुआत में दिखाया जाता है कि पुलिस जयंत की कार क्रेन से निकलवा रही है. देव बाइक से वहां पहुंचता है तो इंसपेक्टर राजबीर उस से सीधे कहता है कि उसी ने भाई को मारा है.

इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट प्रमोद के कहने पर विकास को गिरफ्तार कर लेता है. कक्षदार उसे छुड़ाने के लिए आंदोलन करते हैं. देव अस्पताल जाता है, जहां एसआई पल्लवी के साथ जयंत की लाश की शिनाख्त कर रहा है.

इंसपेक्टर राजबीर अपने गुंडों को भेज कर आंदोलन में कैरव के औफिस में तोडफ़ोड़ करवा देता है. कैरव के औफिस से निकल कर भाग रही संध्या को बचा कर देव उस के घर ले जाता है. यहां संध्या पिछली रात किए गए अपने व्यवहार के लिए माफी मांगती है और उसे घर के अंदर ले जाती है. उस रात देव उस के घर रुकता है. रात में दोनों शारीरिक संबंध भी बनाते हैं.

कैरव अपने घर में चिल्लाता है कि विकास को किस ने अरेस्ट कराया है. दूसरी ओर इंसपेक्टर राजबीर विकास को कैरव के खिलाफ भड़काता है और कहता है कि विधायक प्रमोद उसे ले कर बहुत परेशान है. देव को उस के बौस फोन करता है कि काम का क्या हुआ? देव बताता है कि उस के भाई की मौत हो गई है, पर बौस उस की कोई बात नहीं सुनता और फोन काट देता है.