शिव प्रकाश से क्यों चिढ़ गए थे मंत्रीजी
रंगबाज के छठे एपिसोड में गालियों की भरमार है और साथ ही बौलीवुड का भद्दा चेहरा इस वेब सीरीज से भी अछूता नहीं रहा है. इस सीरीज के सातवें एपिसोड का नाम ‘अपहरण’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में पटना की जेल को दिखाया गया है, जहां पर मंत्रीजी रमाशंकर तिवारी का खास आदमी वहां पर बंद चंद्रभान सिंह से मिलने जाता है.
तिवारीजी का आदमी कहता है कि शिव प्रकाश के ऊपर आप का हाथ है इसलिए तिवारीजी कुछ नहीं कर रहे हैं. चंद्रभान सिंह उस से कहता है कि तुम लोग अपना विवाद आपस में ही निपटा लो. इस के बाद सीरियल की कास्टिंग शुरू हो जाती है.
अगले सीन में रमाशंकर तिवारी (मंत्रीजी) पुलिस अधिकारी से शिव प्रकाश के ऊपर लगे केसों की प्रगति के बारे में पूछते हैं. अधिकारी कहता कि काम शुरू हो गया है.
शिव प्रकाश की प्रेमिका बबीता शर्मा उस से फोन पर बात करती है और कहती है कि तुम्हारे कहने पर हम ने लखनऊ छोड़ दिया और यहां पर आ गए. यहां भी तुम से नहीं मिल पा रहे हैं. तब शिव प्रकाश उसे समझाता है कि तुम चिंता मत करो, हम जल्द ही मिलेंगे. फिर शिवप्रकाश कहता है कि क्या तुम चलोगी हमारे साथ नेपाल या बैंकाक हमेशा के लिए?
सर्विलांस टीम उन दोनों की बातचीत सुन लेती है. अगले सीन में रमाशंकर के खास आदमी रंजन और शिवप्रकाश शुक्ला की मुलाकात दिखाई गई है. रंजन कहता है, बहुत बड़ा फौज बना लिए हो तुम?
शिव प्रकाश कहता है, ताज्जुब कर रहे हो तुम. फिर दोनों में बहस होने लगती है, रमाशंकर का आदमी कहता है मुझे पता है किस के बलबूते पर बोल रहे हो तुम. हमें पता है.
शिव प्रकाश कहता है, रंजन भैया यह तो वक्तवक्त की बात है. रंजन कहता है कि कुबेर को छोड़ दो और गोरखपुर से दूर रहो. शिव प्रकाश उस से दोटूक कहता है एक करोड़ दे दो, छोड़ देंगे. दोनों में फिर बहस होने लगती है.
शिव प्रकाश कहता है कि रंजन भैया अपने बाप तिवारी से कह दो कि कुबेर की जिम्मेदारी उन की है. और एक बात और सुनो, गोरखपुर तुम्हारे बाप का नहीं है, जब जी होगा, हम आएंगे. यह कह कर दोनों पार्टियां चली जाती हैं.
इस पार्ट में रंजन के आदमी शिव प्रकाश शुक्ला के आदमियों पर कुबेर चंद्र के छोडऩे के बाद फायरिंग शुरू कर देते हैं और फिर शिव प्रकाश के आदमी रंजन के सभी आदमियों को ढेर कर रंजन को पकड़ लेते हैं. रंजन उन से कहता है कि उस की आखिरी ख्वाहिश यह है कि वह एक ब्राह्मण है और ब्राह्मण के हाथ से ही मरना चाहता है. उस के बाद शिव प्रकाश के आदमी रंजन को मार देते हैं.
तभी अगला दृश्य शिव प्रकाश शुक्ला की बहन के मंगनी का दिखाया जाता है, जहां पर एकाएक पुलिस आ धमकती है, पुलिस अधिकारी प्रमोद शुक्ला से कहता है, 5 केस दर्ज हैं आप के बेटे के ऊपर, पहले हत्या अब फिरौती. पुलिस अधिकारी घर में पुलिस वालों को चारों ओर तलाशी लेने का हुक्म देता है और प्रमोद शुक्ला को गाली देते हुए कहता है कि तुम ने ऐसी… औलाद पैदा की है तो दंड भी भुगतोगे ही.
प्रमोद शुक्ला गिड़गिड़ाते दिखते हैं और बहन चिंतित हो जाती है. उस के बाद वहां सन्नाटा छा जाता है. तभी शिव प्रकाश शुक्ला अपनी बहन श्वेता को फोन कर के उस की परेशानी पूछता है.
बहन ने रोते हुए बता दिया कि उस की मंगनी रुकवा दी, पुलिस वाले घर आए थे, वे आप को खोज रहे थे. उन्होंने पापा को भी गालियां दीं. यह सुन कर शिव प्रकाश शुक्ला उस आदमी को गोली मार देता है, जिस से वह अभी तक बातें कर रहा था और अपने गैंग में शामिल होने का औफर दे रहा था.
छठे एपिसोड में भी जगहजगह गालियों के डायलौग भरपूर दिखाए गए हैं. ठाकुरब्राह्मण की आपस में लड़ाई और ब्राह्मणब्राहमण के बीच में प्रतिद्वंदिता और लड़ाई को इस में अधिक से अधिक प्रदर्शित किया गया है. हकीकत में श्रीप्रकाश शुक्ला की असली कहानी इस से एकदम भिन्न है जो लेखक, निर्देशक ने दिखाने के बजाय घृणा की भावना को अधिक से अधिक प्रदर्शित करने का प्रयास किया है, जो वास्तव में एकदम निंदनीय है.
वेब सीरीज के आठवें एपिसोड का नाम ‘राष्ट्रीय स्तर का आतंकवादी’ रखा गया है, जिस की शुरुआत एक टीवी शो इंडियाज मोस्ट वांटेड से शुरू होती है.
एसटीएफ की कैसे हुई प्लानिंग
एपिसोड के अगले सीन में एसटीएफ के कार्यालय में पुलिस अधिकारी सिद्धार्थ पांडे बबीता शर्मा के बारे में कुछ सूचना देता है. सिद्धार्थ पांडे पुलिस कमिश्नर से शिव प्रकाश शुक्ला की स्टोरी इंडियाज मोस्ट वांटेड के कार्यक्रम में प्रसारित होने की बात करता है कि आज रात को चैनल में उस की कहानी प्रदर्शित की जा रही है.
अगले दृश्य में पुलिस कमिश्नर और एसटीएफ अधिकारी सिद्धार्थ पांडे शिव प्रकाश शुक्ला के बारे में बातचीत कर रहे हैं. मुख्यमंत्री वहां पर आते हैं और पुलिस कमिश्नर का परिचय कराते हैं.
रमाशंकर तिवारी और मुख्यमंत्री वहां एक नया एसटीएफ बनाने की घोषणा करते हैं, जिसे डीजीपी शर्मा के निर्देशन पर सिद्धार्थ पांडे लीड करेंगे और शिव प्रकाश शुक्ला के गैंग का सफाया करेंगे. सिद्धार्थ पांडे स्वचालित हथियार और अच्छी सर्विलांस सुविधा की मांग करते हैं, पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि शिव प्रकाश किसी भी हालत में बचना नहीं चाहिए.
उस के अगले दृश्य में शिव प्रकाश अपने साथी से कहता है कि अभी यहां से निकलना होगा, पहले नेपाल फिर गोरखपुर, मेरी बहन श्वेता की शादी है. उस का साथी कहता है कि यूपी सरकार ने एक स्पैशल टास्क फोर्स आप को पकडऩे के लिए बनाई है.
शिव प्रकाश शुक्ला कहता है कि वह किसी से नहीं डरता. साथी समझाता है कि एसटीएफ सीधे गोली मारती है, इसलिए कानपुर के बजाय पटना चलते हैं वहां मेरी चंद्रभान सिंह से बात हो गई है. कानपुर गए तो आप के साथसाथ आप के परिवार वाले भी मुसीबत में पड़ जाएंगे. साथी कहता है कि रोड से जाने में चैकिंग का खतरा है, इसलिए ट्रेन से चलेंगे.
दूसरे सीन में पुलिस अधिकारी सिद्धार्थ पांडे रोड पर सघन चैकिंग का हुक्म अपनी टीम को देते हैं. पुलिस चैकिंग के अभियान में जी तोड़ से दिनरात जुटी हुई है. अगले सीन में शिव प्रकाश शुक्ला अपने साथियों के साथ ट्रेन में बैठा दिखाई दे रहा है.
सभी साथी कह रहे हैं कि शिव प्रकाश शुक्ला को अब मंत्री तिवारी के विरुद्ध विधायक का चुनाव लडऩा चाहिए. तभी टीटी आ कर उन से टिकट मांगता है तो शिव प्रकाश शुक्ला सीधे टीटी पर रिवौल्वर तान देता है. उस के साथी टीटी की बुरी तरह से पिटाई कर देते हैं.
तभी शिव प्रकाश शुक्ला को चंद्रभान फोन पर कहता है, पटना मत आओ, यहां पर गड़बड़ हो सकता है, तुम ऐसा करो मोकामा निकल जाओ. वह अपना क्षेत्र है, चिंता की कोई बात नहीं है. हमारा लड़का लोग वहां पर खड़ा तुम्हारा इंतजार कर रहा है.
अगले सीन में शिव प्रकाश शुक्ला एक शांत सी जगह से अपनी प्रेमिका बबीता से बात करता हुआ दिखाई देता है. शुक्ला पूछता है नया घर कैसा लगा? बबीता कहती है, घर अच्छा है बस सामान आना है और तुम्हारा इंतजार है. तुम आओ जल्दी, शिव प्रकाश कहता है, भैया कहते हैं रुको अभी. कुछ और इंतजार करना पड़ेगा.
तभी एक बच्चा मिलता है. शिव प्रकाश उस से बातें करने लगता है उस के बाद शिव प्रकाश को अपना बचपन याद आ जाता है. उस के पिता, उस की बहन उसे सारा बचपन दिखाई देने लगता है. आगे शिव प्रकाश अपने साथियों के साथ बिहार के एक सुनसान क्षेत्र में शराब पीते हुए बातचीत कर रहा है.
इस बीच पुलिस की एसटीएफ टीम को बबीता का सही लोकेशन पता चल जाती है. टीम का सदस्य कंप्यूटर में लोकेशन को ट्रैक करने वाले साथी से टीम के साथ चलने के लिए कहता है तो वह कोई बहाना बना कर टीम के साथ चलने से मना कर देता है. वह कंप्यूटर एक्सपर्ट अब टीवी में शिव प्रकाश शुक्ला की कहानी देखने लगता है और फिर वह बबीता के घर पर जा कर पूछताछ करता दिखाई देता है. उधर टीवी में ऐंकर शिव प्रकाश शुक्ला की हत्याओं की एकएक कर के वारदातें दिखाता रहता है.
तभी वह बबीता शर्मा से टकरा जाता है यानी कि वह बबीता शर्मा को पहचान जाता है और उस का घर भी देख लेता है और इसी के साथ आठवें एपिसोड का समापन भी हो जाता है.
आठवें एपिसोड में भी कलाकारों का अभिनय औसत दरजे का रहा है. एपिसोड में एक टीवी होस्ट एक स्पैशल टास्क से अधिकारी से इस तरह व्यवहार कर रहा है जैसे पुलिस अधिकारी एक फालतू चीज हो. ऐसा भला वास्तविक जीवन में कैसे संभव हो सकता है, जिस से साफसाफ दिखता है कि इस सीन की कल्पना लेखक की शायद अपनी खोपड़ी की उपज है.
एक इतना बड़ा गैंगस्टर ट्रेन में बिना टिकट, बिना रिजर्वेशन अपने साथियों के साथ यात्रा करता हुआ दिखाया गया है. उस के बाद उस के साथी टीटी के साथ बुरी तरह से मारपीट करते हैं, कोई यात्री प्रतिरोध करता हुआ या उस सीन को देखता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है. न ही टीटी द्वारा किसी को कंप्लेंट कराते दिखाया गया है, जबकि ट्रेन में हमेशा सुरक्षा गार्ड रहते हैं. कहानी को जगहजगह काल्पनिक बना दिया गया है, हकीकत से एकदम परे.
शिव प्रकाश को किस ने दी थी मुख्यमंत्री की सुपारी
एपिसोड के अंतिम भाग का नाम क्लाइमेक्स अर्थात ‘चरमोत्कर्ष’ के नाम पर रखा गया है, एपिसोड की शुरुआत में प्रमोद शुक्ला अपने बेटे शिव प्रकाश को आवाज देते दिखाई दे रहे हैं. बचपन में वह शिव प्रकाश को स्कूल जाने के बहाने सिनेमा जाने से पीटते हुए दिखाई दे रहे हैं.
फिर अगले सीन में प्रमोद शुक्ला अखबार पढ़ते हुए दिख रहे हैं कि शिव प्रकाश ने ली मुख्यमंत्री की सुपारी 8 करोड़ रुपए. यह देख कर वह चिंतित हो जाते हैं. मंत्री रमाशंकर तिवारी भी समाचार पत्र देख रहे हैं. इस के बाद एपिसोड की कास्टिंग शुरू हो जाती है.
अगले सीन में दिल्ली में शिव प्रकाश का साथी लैंडलाइन फोन से अपने घर पर बात करता दिखाई दे रहा है. फोन करने के बाद वह वापस लौट कर इधरउधर देखते हुए उस कमरे में आ जाता है, जहां पर गैंगस्टर शिव प्रकाश छिपा हुआ है.
उधर दूसरे सीन में टीवी शो का एंकर अपना मोस्टवांटेड एपिसोड समाप्त करता है. तभी दूसरे दिन शिव प्रकाश शुक्ला टीवी शो के एंकर को गाली देते हुए कहता है यदि तुम ने दोबारा मेरा शो दिखाया तो अच्छा नहीं होगा. एंकर गिड़गिड़ाते हुए कहता है, ”सर, सर वो लोग हमें जो लिख कर देते हैं, हम वही करते हैं. हम तो एक एक्टर भर हैं.’’
शिव प्रकाश शुक्ला अपनी प्रेमिका बबीता से बात करता है. सर्विलांस टीम एकदम अलर्ट हो कर उन की बातों को गौर से सुनने लगती है. बबीता कहती है कि अखबार में कुछ आ रहा है, टीवी में कुछ आ रहा है. हम तुम्हारे लिए परेशान हो गए.
शिव प्रकाश कहता है कि तुम घबराओ मत.
उन दोनों की बातचीत को सुन कर एसटीएफ अधिकारी सिद्धार्थ पांडे और उन की टीम अलगअलग तरीके से प्लान बनाने लग जाती है.
दूसरे दृश्य में शिव प्रकाश शुक्ला अपनी टीम के सहयोगी तनुज को कहीं चलने के लिए कहता है. फिर अगले दृश्य में शिव प्रकाश की बहन तैयार होती दिखती है, तभी उस का मोबाइल बजने लगता है. शिव प्रकाश शुक्ला बारबार बहन को फोन कर रहा है, मगर कोई फोन नहीं उठाता है.
फिर शिव प्रकाश साथियों के साथ गाड़ी में जाता दिखाई दे रहा है. उस के साथी पूछते हैं कि अब कहां चलें गोरखपुर या गाजियाबाद?
उधर एसटीएफ ने योजना के अनुसार सारी दुकानें बंद करा दीं.
अगले सीन में शिव प्रकाश की बहन की शादी की तैयारियां हो रही हैं, लड्डू बनाए जा रहे हैं, नाचगाना हो रहा है. तभी गाजियाबाद में 2 लोग बाइक पर दिखाई देते हैं. एसटीएफ टीम का सदस्य महादेव पिस्टल निकाल लेता है, तभी वहां पर एक बड़ी गाड़ी आती दिखाई ती है, जिस में शिव प्रकाश शुक्ला अपनी पिस्टल ले कर उतरता है और साथियों से कहता है, ”आते हैं अभी थोड़ी देर में, फिर गोरखपुर निकलेंगे. ‘
महादेव एसटीएफ अधिकारी सिद्धार्थ पांडे को वायरलेस पर सिगनल कर देता है, तभी गाड़ी में बैठे शिव प्रकाश के साथियों को कुछ शक सा होता है. अगले सीन में शिव प्रकाश अपने घर पर फोन करता है.
अगले दृश्य में शिव प्रकाश का एक साथी अपने साथियों से कहता है कि मुझे आज सुबह से ही कुछ ऐसा लग रहा है, जैसे कोई हमें देख रहा है. साथी कहते हैं, वहम है तुम्हारा.
पुलिस को किस ने दी थी शिव प्रकाश की सूचना
अगले दृश्य में शिव प्रकाश का एक साथी गाड़ी से बाहर आता है उसे शक हो जाता है तो वह ‘गाड़ी निकाल’ कह कर चिल्लाता है, तभी एसटीएफ का सदस्य महादेव उसे गोली मार कर ढेर कर देता है. गोली की आवाज बबीता को भी सुनाई देती है, तभी वहां पर पुलिस की टीम शिव प्रकाश के सभी साथियों को ढेर कर देती है.
शिव प्रकाश के ऊपर भी फायरिंग शुरू हो जाती है. शिव प्रकाश शुक्ला अपनी पोजीशन बारबार बदलता है. तभी बबीता ‘शिव.. शिव’ चिल्लाते हुए अपने फ्लैट से बाहर निकल आती है. सिद्धार्थ पांडे और शिव प्रकाश शुक्ला एकदूसरे पर गोलियां बरसाना शुरू कर देते हैं. पुलिस की टीम शिव प्रकाश को चारों ओर से घेर लेती है.
तभी शिव प्रकाश अपनी पिस्तौल में गोली भर कर सीना तान कर कर पूरी पुलिस टीम का मुकाबला करने सामने बेझिझक, बिना डरे निकल कर आ जाता है और गोलियां बरसानी शुरू कर देता है. वह कुछ पुलिसकर्मियों को मार भी डालता है, तभी शिव प्रकाश के पेट में गोली लगती है और वह जमीन पर गिर जाता है.
उस का मोबाइल छिटक कर कुछ दूरी पर गिर जाता है. तभी बबीता शिव प्रकाश को फोन करती है. शिव प्रकाश अपना पेट पकड़े अपनी सारी मैगजीन खाली कर देता है. उसी समय उस की नजर अपने मोबाइल पर पड़ती है, जो बज रहा था. बबीता दिखाई पड़ती है जो फोन करते दिखाई दे रही है. तभी सिद्धार्थ पांडे कहते हैं, शिव प्रकाश शुक्ला. वह उस की ओर पिस्टल तान देते हैं. वहां पर अब बबीता, कंप्यूटर औपरेटर, शिव प्रकाश शुक्ला और सिद्धार्थ पांडे सभी एकदूसरे को देखते हुए दिखाई देते हैं.
फ्लैट से तभी बबीता जोर से चिल्लाती है, ‘शिव…शिव…शिव…’ और फिर एसटीएफ अधिकारी सिद्धार्थ पांडे शिव प्रकाश शुक्ला को गोलियों से छलनी कर देता है. बबीता शर्मा यह दृश्य देख कर जोरजोर से रोने लगती है. उस का प्रेमी जमीन पर पड़ा अपनी आखिरी सांसें ले रहा होता है तो दूसरी तरफ वह जोरजोर से रो रही है.
उधर अगले सीन में शिव प्रकाश शुक्ला की बहन की शादी में उस के मातापिता नाच रहे हैं, बहन श्वेता हंस रही है. उस की बहन श्वेता, मां और पिता प्रमोद शुक्ला को शिव प्रकाश अपने साथ नाचता हुआ दिखाई दे रहा है. रमाशंकर तिवारी खुश हो कर पार्टी करता दिखाई दे रहा है और चंद्रभान सिंह उदास चेहरा लिए खड़ा दिखाई दे रहा है.
शिव प्रकाश शुक्ला की खून भरी गोलियों से छलनी लाश जमीन पर पड़ी है और इस तरह यह नवां एपिसोड भी समाप्त हो जाता है.
इस में जबरदस्ती कंप्यूटर औपरेटर पात्र को ठूंस दिया गया लगता है. वह न तो पुलिस वाला है, न उस ने प्राइवेट जासूसी की कहां पर ट्रेनिंग ली है, न उस की कदकाठी ही ऐसी है कि वह निजी तौर पर इतना बड़ा जोखिम ले कर इतने बड़े गैंगस्टर शिव प्रकाश की प्रेमिका की जासूसी केवल अपने स्तर पर वह भी बिना आदेश लिए कर सके.
वह कलाकार नौसिखिया सा दिखाई दे रहा है. लगता है जासूसी उपन्यास पढ़पढ़ कर उस ने इतना बड़ा जोखिम ले कर यह कारनामा कर दिखाया है. इस नवें एपिसोड की यह सब से बड़ी कमजोरी साफसाफ नजर भी आ रही है.
यदि पूरे वेब सीरीज रंगबाज सीजन 1 का आकलन करें तो इस में गिनती के 2-4 सीन हैं, जिन में एक्शन और खूनखराबा देखने को मिलता है, वरना इस पूरी वेब सीरीज में शिव प्रकाश शुक्ला जो भागतेबचते दिखाई पड़ता है या फिर अपनी गर्लफ्रेंड से बातें करते हुए दिखाई देता है.
वेब सीरीज 9 एपिसोड की है और हर एपिसोड 30 से 35 मिनट का है. लेकिन फिर भी यह वेब सीरीज हमें बोर करती है.