सुलतान औफ दिल्ली (वेब सीरीज रिव्यू)

कालकूट (वेब सीरीज रिव्यू) – भाग 4

आठवें एपीसोड के शुरू में दिखाया जाता है कि पारुल अस्पताल से घर आ जाती है और खुद को शीशे में देखती है तो रोने लगती है. अब उस की जिंदगी बदल चुकी थी. दूसरी ओर पुलिस स्टेशन में रश्मि को ला कर उस की ठीक से धुलाई की जाती है कि वह ऐसा क्यों कर रही थी. पर वह कुछ भी बताने को राजी नहीं थी.

बाद में वह रवि को बताती है कि पारुल अपनी जूठन आशीष को उसे देना चाहती थी. इसी बात से नाराज हो कर बदला लेने के लिए वह पारुल की फोटो लगा कर लड़कों से चैटिंग करने लगी थी. बाद में उसे इस में मजा आने लगा था, इसलिए अब भी वह उन से बातें कर रही थी. लेकिन पारुल पर एसिड फेंकने में उस का कोई हाथ नहीं था. तब रवि उसे जाने देता है. रश्मि का रोल हिबा कमर ने किया है.

सिपाही यादव साइबर कैफे से उन लोगों की लिस्ट लाता है, जो लोग साइबर कैफे में आते थे. इस में एक नाम नितिन का भी था, जिस ने अपनी बहन पर ही एसिड अटैक किया था. नितिन का रोल ओंकार भूषण नौटियाल ने किया है. नितिन से एक अस्पताल के बारे में पता चलता है, जहां लड़कियों का एबार्शन किया जाता था.

अस्पताल की डाक्टर बताती है कि लड़कियों की जिंदगी बचाने के लिए वह ऐसा करती थी. वहां से एक लड़के मनु के बारे में पता चलता है. मनु को पकड़ने के चक्कर में मुठभेड़ में कई सिपाही मारे जाते हैं, साथ ही विपक्ष का वह नेता भी जो गृहमंत्री मिश्रा की वीडियो पुलिस वालों से मांग रहा होता है.

रवि के सीने में रौड घुस जाती है, फिर भी वह मनु को पकड़ने में और एक बच्ची की जान बचाने में कामयाब हो जाता है. ऐसा हकीकत में कोई नहीं कर सकता. इस से तो यही लगता है कि डायरेक्टर का ऊपर का माला खाली था.

मनु से पता चलता है कि बेवफाई का बदला लेने के लिए ही मानव ने उस के साथ मिल कर पारुल पर एसिड डाला था. मनु की भूमिका अभिनव शुक्ला ने की है. इलाज करा कर रवि घर आता है तो शिवानी से अपने किए की माफी मांगता है और उस के साथ शादी के लिए तैयार हो जाता है.

पारुल भी उस से मिलने उस के घर आती है और अपने बारे में बताती है. एपीसोड का अंत शिवानी और रवि के विवाह होने और हंसीखुशी से रहने पर होता है.

विजय वर्मा

तेलंगाना के हैदराबाद में 26 मार्च, 1986 को एक हिंदू मारवाड़ी परिवार में अभिनेता विजय वर्मा का जन्म हुआ. वह मुख्य रूप से हिंदी फिल्मों में काम करता है. उस ने एफटीआईआई में अध्ययन किया है. विजय को लोग ‘पिंक’ में काम करने के बाद से जानने लगे हैं.

इस के बाद विजय वर्मा ने ‘एमसीए’, ‘गली बौय’, ‘बागी 3’, ‘डार्लिंग्स’, वेब शृंखला ‘मिर्जापुर’ में काम किया. विजय की भूमिकाओं को समीक्षकों द्वारा प्रशंसा मिली तो उस के द्वारा 2021 में ‘वह’ तथा 2023 में ‘दहाड़’ में किए गए अभिनय को सराहा गया. हाल ही में आई फिल्म ‘जाने जान’ में एक हत्या की जांच करने वाले पुलिसकर्मी की भूमिका के लिए सराहा जा रहा है.

विजय वर्मा ने अपने गृहनगर हैदराबाद से एक थिएटर कलाकार के रूप में अपनी अभिनय यात्रा शुरू की थी. एफटीआईआई से अभिनय की औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए 2 साल के लिए पुणे जाने से पहले उस ने कई नाटकों में काम किया था.

स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने अभिनय के शौक को पूरा करने के लिए वह मुंबई आ गया. उस ने अभिनय की शुरुआत राज निदिमोरु और कृष्णा डीके की लघु फिल्म ‘शोर’ से की. इस में उस के अभिनय को काफी सराहा गया. उस साल न्यूयार्क में आयोजित एआईएएसी उत्सव में इस लघु फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म का पुरस्कार जीता था. इस के बाद फिल्म ‘पिंक’ में उस ने अभिनय किया, जिस की समीक्षकों ने काफी प्रशंसा की.

सीमा विश्वास

सीमा विश्वास का जन्म 24 जनवरी, 1964 को असम के नलबरी में हुआ था. उस के पिता का नाम जगदीश विश्वास तथा मां का नाम मीरा विश्वास था, जो असम में इतिहास की शिक्षिका थीं. सीमा ने नैशनल स्कूल औफ ड्रामा से अभिनय की बारीकियां सीखी थीं.

वह एक टेलीविजन अभिनेत्री है. फिल्मों में वह अपने दमदार किरदारों के लिए जानी जाती है. उसे 1994 में आई फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ के लिए जाना जाता है. उस ने शेखर कपूर की फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ से डेब्यू किया था. फूलन देवी के किरदार ने उसे काफी प्रसिद्धि दिलाई थी.

इस के बाद सीमा ने कई बेहतरीन फिल्मों में सहअभिनेत्री का किरदार निभाया. उस की बेहतरीन फिल्में हैं- ‘बैंडिट क्वीन’, ‘खामोशी: द म्यूजिकल’, ‘भूत’, ‘एक हसीना थी’, ‘विवाह’ और ‘हाफ गर्लफ्रेंड’. वेब सीरीज ‘कालकूट’ में उस का अभिनय दमदार है.

अपने अभिनय के दम पर सीमा विश्वास अनेक पुरस्कार अपने नाम कर चुकी है, जिन में से फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ के लिए 1997 में फिल्मफेयर का बेस्ट फीमेल डेब्यू अवार्ड, साथ ही इसी फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के साथ साल 1997 में स्टार स्क्रीन अवार्ड और 2001 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी शामिल है.

कालकूट (वेब सीरीज रिव्यू) – भाग 3

पांचवें एपीसोड के शुरू में एक आदमी खुद को गोली मार कर सुसाइड करते दिखाया जाता है. पर वह कौन है यह पता नहीं चलता. इस के बाद एसएचओ जगदीश थाने में सिपाही यादव से बताते हैं कि उन का घर में वाइफ से झगड़ा हो गया था, जिस से उन के हाथ में चोट लग गई है. तभी पता चलता है कि पारुल को होश आ गया.

जगदीश रवि को ले कर अस्पताल जाते हैं. पर वहां पता चलता है कि पारुल को थोड़ी देर के लिए ही होश आया था. इस के बाद वे मानव से पूछताछ करना चाहते थे, क्योंकि जगदीश को उस पर शक था. रवि बताता है कि आशीष पारुल को परेशान करता था. रवि पारुल की सहेली रश्मि से पूछताछ करता है.

पहले तो वह कुछ बताने को तैयार नहीं थी. पर जब वह पारुल का फोटो देखती है तो रोने लगती है और बताती है कि आशीष पारुल को मैसेज कर के परेशान करता था और उस से प्यार करने की बात करता था. पारुल ने 1090 नंबर पर उस की शिकायत भी की थी. उस के बाद आशीष ने उसे परेशान करना बंद कर दिया था.

रवि जब घर पहुंचता है तो उस की मंगेतर शिवानी आई होती है, जो उस के कमरे में कुछ देख रही होती है. तब रवि उस से कहता है कि वह उस की इनक्वायरी कर रही है. फिर शिवानी कहती है कि उसे भी उस के बारे में जानना चाहिए, पर वह तो जान ही नहीं रहा है.

पूछताछ में पता चलता है कि आशीष ने पारुल को मिलने के लिए बुलाया था और पारुल को उस से मिलने जाना पड़ा था, क्योंकि पारुल के कुछ फोटो उस के पास थे. शायद पोर्न साइट पर उसी ने उस के फोटो डाले थे. ये फोटो पारुल ने ही उसे भेजे थे.

रवि और यादव आशीष से मिलने उस के घर जाते हैं तो वहां मातम छाया था. क्योंकि आशीष की मौत हो गई थी. शुरू में जो गोली मार कर सुसाइड करते दिखाया गया था, वह आशीष ही था, जिस ने सुसाइड कर लिया था.

छठें एपीसोड में एक आदमी को एक पुरानी बिल्डिंग में कुछ कैमिकल से एसिड बनाते दिखाया गया है. एक बोतल में वह आदमी एसिड ले कर स्कूटी से निकल पड़ता है. यह वही इंसान था, जिस ने पारुल के फेस पर एसिड फेंका था.

इस के बाद थाने में जगदीश पारुल वाले मामले को बंद करने को कहता है. उस का कहना था कि वह फाइल में लिखे कि आशीष ने पारुल पर एसिड फेंका था. उस के बाद गिल्टी में उस ने सुसाइड कर लिया था. तभी थाने में एक बच्ची की मिसिंग दर्ज होती है तो एसएचओ रवि से उस बच्ची के बारे में पता करने को कहते हैं.

रवि उस रिक्शे वाले से पूछताछ करता है, जो उस बच्ची को स्कूल ले गया था. रिक्शे वाला कुछ नहीं बता पाता तो रवि पारुल से बात करने चला जाता है. बीच में वह अपनी मंगेतर शिवानी से मिलता है और उसे अपने पिता के बारे में बताता है.

पारुल रवि से कहती है कि वह उस के पिता को जानती थी. वह बहुत अच्छी कविताएं लिखते थे. एसिड डालने वाला हेलमेट लगाए था, इसलिए वह उसे पहचान नहीं पाई थी. उस ने यह भी बताया था कि उस का ईमेल एड्रेस हैक हो गया था.

रवि साइबर सेल से उस ईमेल का आईपी ऐड्रेस निकलवाता है, जिन से मेल आए थे. उन का पता मिलता है तो वह इस की जांच यादव को करने को कहता है. पर यादव उस की शिकायत जगदीश से कर देता है कि रवि लड़की का पता लगाने के बजाय पारुल वाले मामले में लगा है.

रवि आशीष के घर भी जाता है, जहां पता चला कि जिस दिन पारुल पर एसिड अटैक हुआ था, आशीष के घर वालों ने उस दिन उसे घर से बाहर नहीं जाने दिया था. रवि ने आशीष का कंप्यूटर भी चैक किया, जिस में पारुल का मेल मिला कि अगर अब उस ने उसे परेशान किया तो ठीक नहीं होगा.

जगदीश रवि को डांटते हैं कि वह जा कर लड़की की तलाश करे. तब तक यादव बताता है कि लड़की मिल गई है. रवि लड़की के पास पहुंचता है तो देखता है कि उस का एक जूता जला हुआ है. रवि जब उस के बारे में पूछता है तो वह बताती है कि उस दिन एक आदमी ने एक लड़की के चेहरे पर एसिड फेंक दिया था.

तब उस ने कागज से एसिड पोंछना चाहा तो उसे और तकलीफ होने लगी. उस ने रवि को उस आदमी के स्कूटी का नंबर भी बता दिया था 3412. रवि घर आता है तो शिवानी किचन में खाना बना रही होती है. इस बीच उसे दौरा पड़ जाता है. यह जान कर रवि परेशान हो जाता है.

सातवें एपीसोड में शिवानी के दौरे की बीमारी के बारे में जान कर रवि का मूड औफ हो जाता है. घर वाले भी अब यह शादी नहीं करना चाहते. शिवानी रवि को मनाने की कोशिश करती है. पर रवि इस बात से नाराज था कि उस ने उस से यह बात छिपाई क्यों?

शिवानी उसे मनाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है. तब रवि उस से कहता है कि वह उस के साथ सैक्स कर ले. इतना कह कर रवि चला जाता है.

सिपाही यादव से पता चलता है कि 3412 नंबर का स्कूटर किसी जाकिर सिद्दीकी के नाम रजिस्टर्ड है. रवि और यादव सिद्दीकी के घर जाते हैं, जहां उस की मां मिलती है. पर वह न तो ठीक से बात करती है और न ही कुछ बताती है. जब वह स्कूटर मिलता है तो पता चलता है कि यह स्कूटर बहुत दिनों से यहीं खड़ा है. इसे लड़के पेट्रोल डाल कर चलाते हैं. स्कूटर की डिक्की खोलने की कोशिश की जाती है, पर वह नहीं खुलती.

तभी रवि के पिता का एक स्टूडेंट आलोक आ जाता है. आलोक का रोल अभिषेक अग्रवाल ने किया है. वह उस के पिता के बारे में कुछ बताता है. तभी रवि के पास शिवानी का फोन आता है कि वह उस के साथ सैक्स करना चाहती है. वह अब यह बताए कि वह उस के साथ कब और कहां सैक्स करना चाहेगा? रवि फोन काट देता है.

आलोक से पता चलता है कि जाकिर सिद्दीकी ने अपने पिता को बहुत मारा है, जिस की वजह से वह सरकारी अस्पताल में भरती हैं. रवि जाकिर के पिता से मिलता है, पर इस से उन की जांच को कोई रास्ता नहीं मिलता.

इस बीच उन्हें यह भी पता चलता है कि पारुल की फ्रेंड रश्मि पारुल की आईडी से लड़कों से चैट करती थी. वह मानव से मिलता है और उसे कुछ लड़कों के फोटो दिखाता है. पर मानव कहता है कि वह इन्हें नहीं जानता. उसी बीच वह मानव के होटल में एक लड़के और लड़की को देखता है तो उसे शिवानी की याद आ जाती है.

वह उसे होटल में बुला लेता है और उस के साथ सैक्स करने की तैयारी करता है कि उस के पहले ही एसएचओ जगदीश का फोन आ जाता है. वह शिवानी को छोड़ कर थाने चला जाता है, जहां जाकिर को पकड़ कर लाया गया होता है.

जाकिर की भूमिका आदित्य वर्मा ने की है. पर उस की बातों से लगता है कि उसने यह वारदात नहीं की है. जाकिर के स्कूटर की डिक्की से कापर सल्फेट और एक बैंड का विजिटिंग कार्ड मिला था. तभी विपक्ष का वह नेता आ जाता है और जगदीश से गृहमंत्री पी.के. मिश्रा के वायरल वीडियो को देने को कहता है.

वह उस वीडियो के माध्यम से उसे बदनाम करना चाहता था. पर जगदीश उसे वह वीडियो नहीं देता. रवि घर आ जाता है और शिवानी के बारे में सोचता है. उस की बहन कहती है कि वह इस मामले में जल्दी न करे.

सुलतान औफ दिल्ली (वेब सीरीज रिव्यू) – भाग 4

मिलन लूथरिया निर्मातानिर्देशक के साथ गीतकार भी इस वेब सीरीज के लिए बने हैं. फिल्म में संगीत अनु मलिक, अमाल मलिक, संगीत और सिद्धार्थ ने दिया है. संगीत दर्शकों को सुनने में काफी अच्छा भी लगेगा. सस्पेंस और थ्रिलर के दौरान बजने वाला संगीत आप को 1978 में रिलीज हुई फिल्म ‘डान’ से मेल खाता हुआ नजर आएगा.

ताहिर राज भसीन

फिल्म के मुख्य किरदार ताहिर राज भसीन अभिनय का आजमाया हुआ चेहरा है. भसीन ने इस वेब सीरीज से पहले 2014 में ‘मर्दानी’ में नेगेटिव रोल किया है. मल्टीस्टारर फिल्म 2019 में आई ‘छिछोरे’ में भी उस ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

इस के अलावा रणवीर कपूर अभिनीत पहले वर्ल्ड कप क्रिकेट कप्तान कपिल देव की बायोपिक फिल्म ’83’ में ताहिर राज भसीन ने सुनील गावस्कर की भूमिका निभाई थी. भसीन का जन्म दिल्ली के पंजाबी परिवार में हुआ था. भसीन ने टीवी सीरियलों में भी काम किया था.

इतने सफल कलाकार होने के बावजूद वेब सीरीज की सफलता के लिए भसीन को अंग प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ा. वेब सीरीज में एक अन्य अभिनेता निशांत दहिया को भी सफल कलाकार बनने के लिए अंग प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ा. अभी तक वेब सीरीज में महिला कलाकारों से अंग प्रदर्शन का करार कर के उसे हिट कराने का काम डायरेक्टर करते चले आए हैं.

यह ओटीटी जगत में पुरुषों की फूहड़ता के बढ़ रहे चलन की तरफ इशारा कर रहा है. इस से पहले ओटीटी के लिए सैफ अली खान ने ऐसा किया था. इन दोनों कलाकारों ने जहां अपने कपड़ों को उतारा, वहां ऐसे कोई भी हालात नहीं बन रहे थे. इस के बावजूद फिल्म डायरेक्टरों ने प्रचार के लिए इस फूहड़ सीन को बना कर उसे प्रमोशन एजेंडा में शुमार कराया, ऐसा प्रतीत होता है.

इन दोनों शौट के दौरान शानदार डायलौग डिलीवरी होनी थी, जो नहीं हुई. अगर यहां डायलौग डिलीवरी होती तो डायरेक्टर को पुरुषों के न्यूड सीन के सक्सेस रेट की नहीं सूझती.

अंजुम शर्मा

फिल्म में ताहिर राज भसीन का करीबी दोस्त और वेब सीरीज के अंत में दर्शकों को काफी सदमा देने वाला चरित्र अंजुम शर्मा का है. यह अभिनेता भी अपने फिल्मों में बेहतर काम के चलते सुर्खियां बटोर रहा है. मुंबई में जन्मे अंजुम शर्मा ने वेब सीरीज में नीलेंदु बंगाली की भूमिका निभाई है.

वह पूरी फिल्म में 60 के दशक में रहने वाले स्मार्ट बौय के लुक में हैं. मिलन लूथरिया के साथ काम करने का उस के लिए यह दूसरा मौका था. इस से पहले वह ‘वंस अपान ए टाइम इन मुंबई’ में काम कर चुका है. इस के अलावा ‘मिर्जापुर’ में उस ने शरद शुक्ला की भूमिका निभाई थी.

अंजुम शर्मा ने ‘स्लम डौग मिलिनेयर’ से बौलीवुड में कदम रखा था. उसे काफी अरसे से सफलता की तलाश थी. वह अमिताभ बच्चन के साथ 2016 में बनी ‘वजीर’ में भी भूमिका निभा चुका है. ‘सुलतान औफ दिल्ली’ वेब सीरीज अर्जुन भाटिया और नीलेंदु बंगाली के आसपास बनाई गई है.

अनुप्रिया गोयनका

इस वेब सीरीज में अनुप्रिया गोयनका ने कई जगह संभोग और आलिंगन होने वाले शौट दिए हैं. मूलरूप से कानपुर की रहने वाली अनुप्रिया गोयनका ने जिस तरह से खुल कर फूहड़ता का प्रदर्शन किया, वह उस के लिए निकट भविष्य में काफी घातक साबित होगा. क्योंकि उस ने अपने बौलीवुड करिअर की शुरुआत विज्ञापनों से की थी, जिस में यूपीए सरकार के लिए बनाए गए विज्ञापनों में वह जगहजगह दिखाई गई थी. तब और अभी फिल्म के शौट उसे परेशान कर सकते हैं.

वेब सीरीज से पूर्व अनुप्रिया सलमान खान अभिनीत फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ में नर्स की महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी है. पिता कपड़ा कारोबारी रहे हैं. वह शाहिद कपूर की पत्नी का भी रोल संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ में निभा चुकी है. फिल्म जगत में भाग्य आजमाने वह 2008 में मुंबई पहुंची थी. इस वेब सीरीज से पहले ‘असुर 2’ और ऋतिक रोशन अभिनीत फिल्म ‘वार’ में भी अनुप्रिया काम कर चुकी है.

मौनी राय

‘सुलतान औफ दिल्ली’ में चौथा चेहरा मौनी राय के रूप में नयनतारा का दिखाया गया है. वह कोलकाता में बार डांसर दिखाई गई हैं. वेब सीरीज के आखिर में नीलेंदु बंगाली की पत्नी बनती है. लेकिन यह कब और कैसे हुआ, वह दर्शक पता नहीं कर सकेंगे.

इस के अलावा उस के बच्चा होने की भी जानकारी अचानक दर्शकों को मिलेगी. मौनी राय के साथ वेब सीरीज का मुख्य किरदार अर्जुन भाटिया संबंध बनाते हुए दिखेगा. यह भी कैसे हुआ, इस में सस्पेंस है. मौनी राय अपने हौट लुक के कारण सोशल मीडिया में काफी लोकप्रिय रहती है. उस ने अनेक टीवी सीरियलों में काम किया है.

वह एकता कपूर की छत्रछाया में बने सीरियल ‘सास भी कभी बहू थी’ और ‘नागिन’ में महत्त्वपूर्ण किरदार निभा चुकी है. इसी किरदार के कारण वह टेलीविजन जगत का काफी चर्चित चेहरा है. इस के अलावा 2011 में प्रदर्शित सीरियल ‘देवों के देव महादेव’ में भी अभिनय के कारण लोगों की निगाह में आ चुकी है.

मौनी राय का पश्चिम बंगाल में जन्म हुआ था. वह दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन का कोर्स कर चुकी है. उन्होंने पहली बार अक्षय कुमार के साथ ‘गोल्ड’ फिल्म में उस की पत्नी का किरदार निभाया था. यह फिल्म 2018 में प्रदर्शित हुई थी. इस के बाद 2022 में प्रदर्शित ‘ब्रह्मïास्त्र’ फिल्म में भी काम कर चुकी है.

प्रस्तुति: केशव राज पांडे

कालकूट (वेब सीरीज रिव्यू) – भाग 2

होता यह है कि राज्य के गृहमंत्री पी.के. मिश्रा सड़क पर ही एक महिला की पिटाई कर देता है. वह महिला प्रेग्नेंट थी. उसे सड़क पर ही बच्चा पैदा हो जाता है. कोई इस घटना की वीडियो बना कर वायरल कर देता है, जिस से उन की बड़ी बदनामी होती है. पी.के. मिश्रा का रोल वरुण टम्टा ने किया है.

एसआई रवि इस घटना की रिपोर्ट ले कर मंत्रीजी के घर जाता है तो वह उस की बहुत बेइज्जती करता है और उसे उस आदमी को पकड़ने को कहता है, जिस ने वीडियो बनाई थी.

रवि इस से बहुत क्षुब्ध होता है. लौटते समय उसे अपने पिता की वह कविता याद आती है, जिस में उन्होंने लिखा था कि अगर उसे नौकरी करनी है तो सारे सबूतों और साक्ष्यों को पैरों तले रौंदना होगा और अपने सीनियर की हर बात सहनी होगी.

थाने आ कर वह पारुल की फोटो देखता है तो पता चलता है कि यह फोटो तो उस के पास शादी के लिए आई थी. यह जान कर वह और ज्यादा परेशान हो जाता है.

दूसरे एपीसोड में पता चलता है कि पारुल को होश आ गया है. वह सिपाही यादव के साथ पारुल का बयान लेने जाता है. रास्ते में उस के नंबर पर एक फोन आता है. फोन करने वाली लड़की बताती है कि वह जनगणना औफिस से बोल रही है. वह उल्टेसीधे सवाल पूछ कर उसे परेशान करती है. इस के बाद अस्पताल पहुंच कर रवि देखता है कि पारुल का आधा चेहरा जला हुआ है.

पारुल की हालत देख कर रवि की तबीयत बिगड़ जाती है तो सिपाही यादव उसे ले कर बाहर आ जाता है. पारुल के मम्मीपापा उसे बताते हैं कि पारुल अपने काम से काम रखने वाली लड़की थी. किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी.

पारुल की मां की भूमिका में नीता मोहिंद्रा हैं तो पिता का रोल शशिभूषण ने किया है. इसी के साथ नर्स बताती है कि जो आदमी पारुल को अस्पताल ले कर आया था, उस ने कागज से उस का चेहरा पोंछ दिया था, जिस से उस की हालत और खराब हो गई थी. क्योंकि कागज उस के चेहरे से चिपक गया था.

नर्स का रोल बासनेट रोमिला ने किया है. बाहर आ कर पारुल की मां रवि से कहती है कि वह तो उसे जानता है, क्योंकि उस ने पारुल का फोटो उस के पास शादी के लिए भेजा था. रवि उस की इस बात को अनसुना कर देता है और पारुल के फोन के साथ उस का बैग भी ले कर उस लड़के को पकड़ने जाता है, जिस ने गृहमंत्री पी.के. मिश्रा का वीडियो बनाया था.

वह लड़का कहता है कि वह इसे न्यूज चैनल पर चलवाएगा, जिस से बड़े नेता इस तरह किसी गरीब को परेशान न करें. पर रवि उसे पकड़ कर थाने ले आता है. लड़के को और पारुल के बैग को रवि थाने में छोड़ कर अपने घर पहुंचता है तो पता चलता है कि उस की बड़ी बहन अपने पति के साथ आई है.

वह अपनी बहन से बहुत प्यार करता था, पर बहनोई से नफरत करता था. उस की बड़ी बहन प्रेग्नेंट थी, जिस की वजह से वह कुछ दिन मायके में रहना चाहती थी. यह रवि को अच्छा नहीं लगा, पर वह ऊपरी मन से हां कर देता है. रवि की बहन की भूमिका एनाब खिजरा ने की है तो बहनोई का रोल गौरव गुप्ता ने किया है.

थाने में वीडियो बनाने वाले लड़के की जम कर पिटाई होती है. एसएचओ को पारुल के बैग से ह्विस्की मिलती है, जिस से वह कहता है कि पारुल धंधा करती थी. पर रवि को विश्वास नहीं होता. इस बात पर रवि और जगदीश के बीच सौ रुपए की शर्त लग जाती है. रवि पूछताछ के लिए पारुल के पिता को थाने बुला लेता है.

पूछताछ में जब वह पारुल के पिता से कहता है कि पारुल के बैग से ह्विस्की मिली है और वह धंधा करती थी. तभी एसएचओ जगदीश वहां आ जाते हैं और पारुल के बाप से कहते हैं कि वह जो कुछ भी जानते हैं, सब बता दें, वरना पुलिस वाले बहुत परेशान करेंगे. पारुल का बाप रोने लगता है और कहता है कि वह नहीं जानता कि उस की बेटी क्या करती थी.

इस के बाद रवि पारुल के पिता से कहता है कि वह पारुल से अपने फोन का लौक अनलौक करने के बारे में पूछे. अगर आगे कुछ पता चले तो वह यादव को फोन कर के तुरंत बताए.

फिर रवि पारुल का फोटो ले कर रेडलाइट एरिया में जाता है, जहां सरला नाम की औरत से उस के बारे में पूछता है. सरला का रोल इला पांडे ने किया है. इस के बाद दलाल शेरू अपने कंप्यूटर में पारुल का फोटो निकाल कर बताता है कि यह लड़की उस के पास आई थी, पर एक रात का 40 हजार रुपए मांग रही थी. इसलिए बात नहीं बनी.

यह जान कर रवि दुखी हो जाता है. वहां से बाहर निकलता है तो उसे बहन की याद आती है. तब वह सीधे बसस्टैंड पहुंचता है, जहां बहन को विदा करते समय रोने लगता है और कहता है कि वह 3 महीने पहले ही उस के घर आ जाए. वह उस का खयाल रख लेगा. दूसरी ओर अस्पताल में पारुल की मां पारुल से इशारे में फोन अनलौक करने के बारे पता करती है.

तीसरे एपीसोड में शुरू में दिखाया जाता है कि 2 लड़के बैठे हैं, तभी एक लड़का आ कर एक के सिर पर बीयर की बोतल से हमला कर देता है. इस के बाद दिखाया जाता है कि रवि के घर उस की दादी का फोन आया है. वह मरने से पहले उस से मिलना चाहती है. पर रवि के पास समय नहीं था.

रवि की दादी का रोल लज्जावती मिश्रा ने किया है. पारुल का फोन खुल जाने से उस में मृदुल नाम के एक युवक का नंबर मिलता है. इस के बाद रवि और यादव मृदुल की तलाश में लग जाते हैं.

काफी दौड़भाग के बाद भी वे मृदुल को पकड़ नहीं पाते. मृदुल की भूमिका में धीर हीरा है. थाने आने पर पता चलता है कि एसएचओ ने अटेंप्ट टू मर्डर में एक लड़के को पकड़ा है. दरअसल, वही मृदुल था. यहां आ कर पता चलता है कि इसी ने उस लड़के के सिर पर बीयर की बोतल मारी थी.

मृदुल बताता है कि पारुल वैसी लड़की नहीं है. वह बहुत अच्छी लड़की है. वह गे है. उस ने अपना इलाज डाक्टर राणा से कराया था. डा. राणा का रोल अमलीश श्रीवास्तव ने किया है. डाक्टर ने उस के बहुत पैसे ठग लिए थे. उस ने किसी लड़की से इंटीमेट होने के लिए कहा था. तब किसी पोर्न साइट से उसे पारुल का नंबर मिला था. उस का नंबर और फोटो किसी ने उस साइट पर डाल दिया था.

इस के बाद उस की पारुल से दोस्ती हो गई थी. उस ने उसे दूसरा नंबर ला कर दिया था. पारुल ने डा. राना को फोन कर के खूब सुनाया था. मृदुल से पता चलता है कि पारुल पर मानव ने एसिड डाला होगा. वह उस का फ्रेंड था. इस समय दोनों में लड़ाई चल रही थी.

चौथे एपीसोड में दिखाया जाता है कि कुछ लड़के एक लड़की पर तेजाब जैसा कुछ फेंक रहे हैं. आगे रवि अपनी मां के साथ एक लड़की शिवानी को देखने जाता है, जो उसे पसंद आ जाती है. शिवानी का रोल सुजाना मुखर्जी ने किया है, जिस ने अभिनय तो कोई खास नहीं किया, पर देखने में आकर्षक जरूर है.

लड़की देखने के बाद रवि मानव से मिलने जाता है, जो उसी अस्पताल में भरती है, जहां पारुल भरती है. मानव बताता है कि जिस समय पारुल पर एसिड अटैक हुआ था, उस समय वह मूवी देख रहा था. यादव पता करता है तो यह बात सच निकलती है.

मानव से आशीष अवस्थी के बारे में पता चलता है, जिस के साथ पारुल की शादी तय हूई थी. लेकिन बाद में मानव से पारुल का समझौता हो जाता है तो वह आशीष से संबंध खत्म कर लेती है. पर अपने जन्मदिन पर आशीष को बुला कर उस की दोस्ती अपनी सहेली रश्मि से करा देती है.

आशीष की भूमिका आयुष सपरा ने की है. तभी पारुल को अस्पताल में होश आ जाता है, पर अस्पताल में उस समय उस के पास कोई नहीं था. वह किसी को बुलाने की कोशिश करती है, पर बुला नहीं पाती.

इस के बाद वह रोने लगती है. रवि यादव को फोन कर के बताता है कि कापर सल्फेट का रंग नीला होता है. हो सकता है उस लड़की के ऊपर कापर सल्फेट का पानी हो. इस से लगता है कि दोनों घटनाओं का आपसी संबंध कहीं न कहीं जरूर हो सकता है.

सुलतान औफ दिल्ली (वेब सीरीज रिव्यू) – भाग 3

राजेंद्र प्रताप सिंह को फिल्म डायरेक्टरों ने पूरी तरह से नग्न दिखाया है. उसे नग्न हालत में संजना भी देख कर वहां से चली जाती है. इस के बाद वह सीधे अर्जुन भाटिया के घर पहुंचती है, जहां उसे प्रीति मिलती है. उधर, इटावा पहुंचने पर अर्जुन भाटिया और नीलेंदु बंगाली को पुलिस दबोच लेती है.

पुलिस दोनों का एनकाउंटर करती, उस से पहले जेल से जिसे छुड़ाया गया था, वह उन्हें बचाने में कामयाब हो जाता है. यहां पुलिस अधिकारी राज भी उजागर करता है कि उसे मारने के लिए जगन सेठ से टिप मिली थी. यह सब कुछ दर्शकों के सामने बहुत जल्दीजल्दी में बिना निरंतरता के साथ परोसा गया है. इसलिए सातवें एपिसोड में भी कहानी दर्शकों को जोड़ने में कामयाब नहीं रहती है.

इटावा जाते वक्त पुराने भाप के इंजन को दिखाया गया है, जिसे 90 के दशक में चलने वाली डीजल इंजन के जरिए चलते हुए आसानी से देख सकते हैं.

‘सुलतान औफ दिल्ली’ वेब सीरीज का आठवां एपिसोड ‘फ्यूड’ नाम से बनाया गया है, जिस में दिल्ली के स्थानीय माफिया मना करने के बावजूद दबाव में उस की छत्रछाया में काम करने के लिए राजी हो जाते हैं. अब जगन सेठ के बजाय दिल्ली की माफिया मंडी में अर्जुन भाटिया का सिक्का चलने लगता है. यह सब कुछ अर्जुन भाटिया की पत्नी की गोद भराई में होता है.

इसी कार्यक्रम में रक्षा सचिव को भी बुलाया जाता है. वह उसे पटना में उस का एक काम करने के लिए बोलता है, जिसे पूरा करने की जिम्मेदारी नीलेंदु बंगाली को मिलती है. लेकिन इस दौरान वह कुछ ऐसा बोलता है कि रक्षा सचिव को वह बात चुभती है. अफसर के जाने के बाद थोड़ी नोंकझोंक अर्जुन भाटिया के साथ नीलेंदु की होती है.

उसी दौरान कार्यक्रम में बुलाए गए राजेंद्र प्रताप सिंह नीलेंदु को उस के साथ काम करने का प्रस्ताव देता है, जिसे वह एक सिरे से खारिज कर देता है.

जगन सेठ के लिए काम करने वाला अर्जुन भाटिया एबी प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी चलाता है, जिस में उस का पार्टनर नीलेंदु भी होता है. वह काम करने के लिए पटना जाता है. वहां पहुंचने से पहले नीलेंदु शराब पी लेता है. जिस कारण नशे में बनता हुआ काम भी बिगड़ जाता है.

इधर, राजेंद्र प्रताप सिंह का शिप जिस में हथियारों का कंसाइनमेंट होता है, वह खराब हो जाता है. उसे ले जाने वाले को चुप रहने के लिए राजेंद्र प्रताप सिंह कहता है. उधर, उस की पत्नी एक बच्ची को जन्म देती है, जिस से वह नाखुश नजर आता है.

वह बेटी का मुंह देखने के बजाय पत्नी को अस्पताल में छोड़ जाता है. इस एपिसोड में भी दर्शकों के लिए दोनों डायरेक्टर बेवकूफी के अलावा कोई उत्साह पैदा करने में कामयाब नहीं हो पाते हैं. एपिसोड के अंत में अर्जुन और नीलेंदु की कट्टर दोस्ती को आसानी से टूटते हुए दिखाया गया है.

वेब सीरीज का नौवां एपिसोड दर्शकों को पसंद आने के बजाय मातम मनाने वाला ज्यादा है. नीलेंदु बंगाली जो अपने करीबी दोस्त अर्जुन भाटिया का मुखबिर हो जाता है, वेब सीरीज में उस का अचानक एक ट्रक जिस में लड़की सप्लाई और चरस बेचने की बात सिर्फ सुनाई दी है.

यह धंधा कब और कैसे करने लगता है, पहले से आठवें एपिसोड में यह साफ नहीं होता है. उस का ट्रक पलट जाता है, जिस में सारी लड़कियां बेवजह मारी जाती हैं. इस का आरोप वह संधू पर लगा देता है और पुलिस को सौंप देता है. अर्जुन भाटिया को यह भी पता चल जाता है कि संधू और नीलेंदु मिल कर राजेंद्र प्रताप सिंह के लिए मुखबिरी कर रहे होते हैं.

नीलेंदु कोलकाता पहुंच जाता है, उस को राजेंद्र के एक आदमी डेनियल को बौर्डर पार कराने की जिम्मेदारी उसे देता है. इस की जानकारी अर्जुन भाटिया को लग जाती है. इधर, अचानक संजना भी अर्जुन के लिए आवेश में आने लगती है. उस की झड़प राजेंद्र प्रताप सिंह से होती है और फिर धक्का लगने से गिर कर वह मर जाती है.

मरने के बाद उपजे कोई हालात वेब सीरीज में देखने को नहीं मिलेंगे. कोलकाता में फिल्म डायरेक्टर की मदद से अर्जुन भाटिया वहां पहुंच जाता है जहां डेनियल को छिपा कर नीलेंदु बंगाली रखता है. यहां डायरेक्टर फिर एक मूर्खता दिखाई है. एक तरफ डेनियल को वह अपने काबू में करना दिखाते हैं. इसी बीच कब नीलेंदु किन हालात में भाग जाता है, यह रहस्य दर्शकों को नहीं मिलेगा.

इस के बाद सीधा फोन राजेंद्र प्रताप सिंह को लगता है. अर्जुन भाटिया कहता है कि उसे डेनियल के बदले में नीलेंदु चाहिए. दोनों रेलवे क्रासिंग पर मिलते हैं. यहां अर्जुन बांह फैला कर नीलेंदु को गले लगाता है और अचानक उसे ट्रेन के सामने फेंक देता है.

उस के मरने की जानकारी उस की पत्नी नयनतारा को देता है. साथ में वह नीलेंदु के हिस्से की रकम भी देता है. इधर, दूसरे सीन में शंकरी देवी कहती है कि अर्जुन के दोस्त की जगह आज वह होता.

यह बात सुनने के बाद राजेंद्र प्रताप सिंह बाथटब में डुबो कर उसे भी मार देता है. उधर, एक बार फिर अचानक अर्जुन भाटिया अपने दोस्त नीलेंदु की पत्नी के पास पहुंचता है और उस के साथ शारीरिक संबंध बनाने लगता है. यानी डायरेक्टरों ने एक बार फिर फूहड़ता दिखाई है. यहां एपिसोड खत्म हो जाता है.

आखिर 2 डायरेक्टरों ने मिल कर दर्शकों की भावनाओं को काफी ठेस पहुंचाई है. उन्हें वेब सीरीज में कोई भी मसाला या संदेश नहीं मिलता. दर्शकों को सिर्फ साढ़े 5 घंटे तक बोझ में बनाए रखा कि आखिर वह उसे देख क्यों रहे हैं.

सुपर्ण एस. वर्मा एवं मिलन लूथरिया

सुलतान औफ दिल्ली वेब सीरीज अर्णब रे की किताब पर आधारित है, जिस का स्क्रीनप्ले सुपर्ण एस. वर्मा ने लिखा है. वेब सीरीज का डायरेक्शन सुपर्ण एस. वर्मा और मिलन लूथरिया ने मिल कर किया है. यह वेब सीरीज हिंदी के अलावा 6 अन्य भाषाओं तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, बंगाली और मराठी में भी रिलीज हुई है. वेब सीरीज की शूटिंग मुंबई के साथसाथ पंजाब और गुजरात में भी हुई है.

सुपर्ण एस.वर्मा काफी संवेदनशील फिल्म डायरेक्टर रहे हैं. वह ‘फैमिली मैन’ के दूसरे सीजन के 5 एपिसोड को भी डायरेक्ट कर चुके हैं. वे उसी वेब सीरीज के दूसरे एपिसोड में वह मुख्य कलाकार मनोज बाजपेयी के सामने जर्नलिस्ट उमेश जोशी बन कर आते भी हैं. करीब 2 मिनट के इस अंश में उन्होंने पत्रकार के जीवन को साकार करने का प्रयास किया.

सुपर्ण एस. वर्मा वास्तविक जीवन में पत्रकार रहे थे. इस के बाद वह फिल्म डायरेक्शन के क्षेत्र में आए. इस के पहले वह 2023 में ही ‘राणा नायडू’ और ‘द ट्रायल’ वेब सीरीज को भी डायरेक्ट कर चुके हैं. वेब सीरीज के दूसरे डायरेक्टर मिलन लूथरिया महेश भट्ट के भतीजे हैं. यह उन की असली पहचान नहीं है. वह क्राइम बेस्ड फिल्मों को बनाने के जानकार माने जाते हैं.

लूथरिया ने 1993 में आई ‘लुटेरा’ फिल्म से करिअर की शुरुआत की थी. उन्होंने 2007 में ‘वंस अपान ए टाइम इन मुंबई’ अजय देवगन और सैफ अली खान अभिनीत 1999 में बनी फिल्म ‘कच्चे धागे’, अमिताभ बच्चन और संजय दत्त, अक्षय खन्ना अभिनीत 2014 में प्रदर्शित ‘दीवार’ फिल्म बना चुके हैं.

इस के अलावा जौन अब्राहम, नाना पाटेकर के साथ 2006 में ‘टैक्सी नंबर 9211’ जैसी कई सफल फिल्मों का निर्माण किया है. ऐसे 2 धुरंधरों से ‘सुलतान औफ दिल्ली’ वेब सीरीज को बनाने में कई तरह की तकनीकी चूक हुई है.

‘सुलतान औफ दिल्ली’ वेब सीरीज डेढ़ दरजन कलाकारों को ले कर बनाई गई है.  इस में करीब 70 स्टंटमैन और 11 लोकेशन मैनेजर लिए गए, जिन्होंने शौट को फिल्माने में बखूबी काम किया. सभी लोकेशन शानदार थे और मुठभेड़ कहीं से सतही नहीं मान सकते. लेकिन, वे दर्शकों को जोड़ने में संवादहीनता के कारण पिट गए.

कालकूट (वेब सीरीज रिव्यू) – भाग 1

डायरेक्टर: सुमित सक्सेना

प्रोड्यूसर: सिकंदर राणा

लेखक: अरुणाभ कुमार, सुमित सक्सेना

सिनेमैटोग्राफी: मनीष भट्ट

कलाकार: विजय वर्मा, सीमा विश्वास, सुजाना मुखर्जी, यशपाल शर्मा, गोपाल दत्त और श्वेता त्रिपाठी शर्मा, वरुण टम्टा, नीता मोहिंद्रा, शशिभूषण, बासनेट रोमिला, एजाज खिजरा, गौरव गुप्ता, इला पांडे, लज्जावती मिश्रा, धीर हीरा, अवनीश श्रीवास्तव, आयुष सपरा, अभिषेक अग्रवाल, आदित्य वर्मा, हिबा कमर

‘कालकूट’ एसिड अटैक पर बनी वेब सीरीज है. कालकूट उस विष को कहा जाता है, जिसे असुरों और देवताओं ने समुद्र को मथ कर निकाला था. जबकि इस वेब सीरीज में ‘कालकूट’ हमारी रक्षा के लिए बनाए गए उस सिस्टम को कहा गया है, जिसे भ्रष्टाचारियों ने भ्रष्ट कर दिया है.

8 एपीसोड वाली इस वेब सीरीज में 2 किरदारों के माध्यम से थकेहारे सिस्टम की कहानी दिखाई गई है. इस सीरीज की शुरुआत एसिड अटैक से होती है. पारुल नाम की लड़की पर कोई एसिड फेंक कर फरार हो जाता है.

सबइंसपेक्टर रविशंकर त्रिपाठी, जो टिपिकल किस्म का आदमी नहीं है. इसलिए वह खाकी वरदी का बोझ सहन नहीं कर पा रहा है, जिस की वजह से वह पुलिस की यह नौकरी छोड़ना चाहता है. जबकि सीनियर हैं कि उस का इस्तीफा स्वीकार ही नहीं कर रहे हैं और पारुल पर हुए एसिड अटैक की जांच की जिम्मेदारी ऊपर से सौंप देते हैं. रवि सच की तह तक पहुंचने की कोशिश करता है.

गोविंद निहलानी के निर्देशन में बनी एक फिल्म आई थी ‘अर्धसत्य’, जिस में एक आदर्शवादी पुलिस वाला भ्रष्ट तंत्र से बेचैन था, जिस के खिलाफ खुद को असहाय पा रहा था. रविशंकर त्रिपाठी की कहानी भी कुछ वैसी ही है.

समाज में होने वाले जघन्य अपराध उस से देखे नहीं जाते, उस से सहन नहीं हो रहा कि एक ओर किसी के उजागर हुए एमएमएस की बात हो रही है और दूसरी ओर उसी वाक्य को ठहाकों से पूरा किया जा रहा है. वह पूरे सिस्टम से चिढ़ा हुआ है, दूसरी ओर उस की मर्दानगी को चुनौती दी जाती है.

जहां एक ओर रवि अपने सीनियर्स और नौकरी से परेशान है, वहीं दूसरी ओर उस की मां शादी का रट लगाए उस के पीछे पड़ी है. जबकि उसे विवाह में कोई रुचि नहीं दिखाई देती. शायद उस की परेशानी को बढ़ाने के लिए ही उसे पारुल वाले मामले की जांच सौंपी गई है.

भ्रष्ट सिस्टम और शादी के प्रेशर और अपने मन में उठ रहे सैकड़ों सवालों से जूझते हुए एसआई रविशंकर त्रिपाठी न्याय की उम्मीद में बैठी एसिड अटैक की पीड़ित पारुल का केस सुलझा पाते हैं या नहीं? इस सीरीज की यही कहानी है.

इस वेब सीरीज की कहानी शुरुआत में भले ही ठीक लगती हो, पर अंत तक जो आनंद और उत्सुकता रहनी चाहिए, वह नहीं रह जाती और कहानी बोर करने लगती है. इस की सब से बड़ी वजह यह है कि कहानी को सस्पेंस बनाने के लिए बेमतलब की चीजें भरी गई हैं, जिन का मकसद सिर्फ दर्शकों को उलझाना है.

लेखक व डायरेक्टर अरुणाभ कुमार और सुमित सक्सेना ने रोजमर्रा की जिंदगी में घटने वाली घटनाओं को अच्छी और मार्मिक तरह से पिरोने की कोशिश तो की है, पर अपनी इस कोशिश में वह सफल नहीं हो पाए हैं. क्योंकि सीरीज देखने पर ये घटनाएं बनावटी और सत्यता से परे लगती हैं. रविशंकर त्रिपाठी अपने चेहरे पर जिस तरह के हावभाव लाता है, उस से लगता है कि उस ने अपने किरदार को अच्छी तरह निभाने की कोशिश की है.

‘कालकूट’ में सब से ज्यादा परेशान करती हैं पुलिस अधिकारियों द्वारा दी जाने वाली गालियां. पुलिस अधिकारी मातहत को डांटते हैं, धिक्कारते हैं, पर अपने ही स्टाफ को मांबहन की गंदीगंदी गालियां नहीं देते. डायरेक्टर ने यहां अपना गंवारपन दिखा दिया है.

मैकमोहनगंज नाम के काल्पनिक शहर में यूपी 65 नंबर की यामाहा पर घूमते दरोगा रविशंकर त्रिपाठी की भूमिका करने वाले विजय वर्मा 3 महीने पहले ही बने दरोगा के किरदार में जीने की कोशिश करता है तो उस के प्रयास ईमानदार लगते हैं, लेकिन इसी 3 महीने में वह अपनी नौकरी से उकता कर इस्तीफा देना चाहता है.

प्रशासनिक नौकरियों की तैयारी करते हुए उस का दिमाग भले ही कंप्यूटर की तरह चलता है, पर उस में रत्ती भर आत्मविश्वास नहीं दिखाई देता. एसएचओ उसे गालियां देता रहता है. सिपाही तक उस का मजाक उड़ाते हैं.

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वेब सीरीज ‘कालकूट’ की कथा समुद्र मंथन से निकले हलाहल जैसी तो नहीं है, पर अपने नाम के अनुरूप दर्शकों के लिए समय मंथन अधिक है. आधेआधे घंटे के 8 एपीसोड हैं. हां, आखिरी एपीसोड करीब 50 मिनट का है. कहानी भी ऐसे सुडोकू की तरह है, जो कभी इस खाने की ओर ध्यान भटकाती है तो कभी उस खाने की ओर.

लोगों के बोलने का लहजा इसे उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि की कहानी साबित करने की कोशिश करता है. 1090 जैसी महिला सहायता हेल्पलाइन भी है. लेकिन इस का जो थाना है, वह इस की ऐसीतैसी करने में कोई कसर नहीं छोड़ता. क्योंकि पत्थरों के बीच जो थाना बना है, उस तरह का थाना उत्तर प्रदेश में मिलना मुश्किल है.

इस के अलावा इस का दूसरा सब से नकारात्मक पहलू है दरोगा और सिपाही का बिना हेलमेट पूरे समय घूमते रहना. लेखकों को इस बात पर भी अक्ल लगानी चाहिए थी कि उन का दरोगा रविशंकर त्रिपाठी उत्तर प्रदेश का ब्राह्मण कितना भी क्रांतिकारी क्यों न हो, वह तुलसी के थलहा पर बिना नहाए बिलकुल ही नहीं बैठेगा.

यह ठीक है कि उस के पिता कम क्रांतिकारी नहीं रहे. मरने से पहले उन्होंने ‘जांघों के बीच’ शीर्षक से एक कविता अपने बेटे को इसलिए अपने ईमेल से शेड्यूल सेंड में डाल जाते हैं कि वह इसे अपनी मां को उन के जन्मदिन पर पढ़ कर सुनाए.

सीने के आरपार हो गई सरिया लिए बाइक चलाना और फिर उस सरिए को खुद ही निकाल कर अमिताभ बच्चन बन जाना कहानी को कमजोर और नाटकीय बनाता है.

सीरीज में विजय वर्मा की जोड़ी सुजाना मुखर्जी के साथ बनी है. जबकि श्वेता त्रिपाठी शर्मा कहानी का संदर्भ बिंदु भर है. सीरीज में सब से अच्छा अभिनय सीमा विश्वास का है. एक अरसे बाद उसे देखना अच्छा भी लगता है. सिपाही यादव का रोल यशपाल शर्मा ने किया है. इस तरह के रोल कर देना उन के बाएं हाथ का खेल है.

वेब सीरीज ‘कालकूट’ की कहानी का तानाबाना अभी जल्दी रिलीज हुई फिल्म ‘बवाल’ जैसा है. नायक स्वच्छंद है. पिता सामाजिक रूप से प्रतिष्ठित है. मां कोमलहृदय है और एक बहू लाने के लिए बेचैन है.

‘कालकूट’ की कहानी में पारुल नाम की एक लड़की कोचिंग पढ़ कर अपने घर जा रही होती है, तभी पीछे से बाइक सवार हेलमेट लगाए एक लड़का आता है और सभी के सामने पारुल पर एसिड फेंक कर फरार हो जाता है. पारुल का रोल श्वेता त्रिपाठी शर्मा ने किया है.

इस के पहले ‘मिर्जापुर’ में वह अपने अभिनय का लोहा मनवा चुकी है. पर इस में वह कुछ खास नहीं कर पाई, क्योंकि पूरे समय वह अस्पताल में पड़ी रही. इस के बाद थाना मैकमोहनगंज दिखाया जाता है, जहां दर्शकों की भेंट एसआई रविशंकर त्रिपाठी से होती है.

3 महीने की ही अपनी इस नौकरी से उकता कर वह इस्तीफा देना चाहता है, पर उस का इस्तीफा मंजूर न कर के उसे पारुल पर हुए एसिड अटैक के केस की जांच की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है. एसआई की यह भूमिका विजय वर्मा ने की है. दूसरी ओर उस की मां रविशंकर त्रिपाठी पर विवाह के लगातार दबाव डाल रही होती है, जबकि उसे विवाह में कोई रुचि नहीं दिखाई देती.

एक दिन थाने में महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न पर एक मीटिंग थी, जिस में रविशंकर देर से पहुंचता है. तब उसे अधिकारियों की डांट खानी पड़ती है. इस से एसएचओ जगदीश उस से चिढ़ जाते हैं और उसे गालियां देते हुए सोलर लाइट की सफाई के लिए कहते हैं, लेकिन तभी अस्पताल से फोन आ जाता है कि पारुल को होश आ गया है.

एसएचओ जगदीश एसआई रविशंकर और सिपाही यादव को अस्पताल पारुल का बयान लेने भेज देते हैं. एसएचओ जगदीश का रोल गोपालदत्त ने निभाया है तो सिपाही यादव की भूमिका में यशपाल शर्मा है.

अस्पताल पहुंच कर पता चलता है कि पारुल को थोड़ी देर के लिए ही होश आया था. रवि के पिता की मौत हो चुकी होती है. वह अपने पिता का सामान लेने उन के औफिस जाता है, जहां उन के सामान में कुछ किताबें मिलती हैं. घर में उन्हें निकालने पर उन के बीच एक कागज मिलता है, जिस में एक कविता लिखी होती है.

उस कविता से पता चलता है कि उन्हें पता था कि रवि यह नौकरी नहीं करना चाहता. तभी एक घटना घट जाती है, जिस से एसएचओ की नौकरी खतरे में पड़ जाती है.

सुलतान औफ दिल्ली (वेब सीरीज रिव्यू) – भाग 2

जब अर्जुन भाटिया और नीलेंदु बंगाली हीरा ले रहे होते हैं, तब पुलिस वहां छापा मार कर सभी को गिरफ्तार कर ले जाती है. जहां गिरफ्तारी होती है वहां गुप्त स्थान पर दोनों छिपे होते हैं. अर्जुन और नीलेंदु यह जान जाते हैं कि पुलिस के पास उन के हुलिए का स्कैच मौजूद है.

हालांकि स्कैच बनाते वक्त हीरा कारोबारी फिल्मी मैग्जीन के चेहरे देख कर हुलिया पुलिस को नोट करा देता है. यह बात छिपे अर्जुन और नीलेंदु नहीं जानते थे. इस कारण नीलेंदु फोन लगा कर एयरहोस्टेस से वापस जाने का समय पूछता है. उसी वक्त दोनों भी एयरपोर्ट पहुंच जाते हैं.

यहां एयरहोस्टेस के पर्स में मौका मिलते ही अर्जुन भाटिया हीरा छिपा देता है, जिसे नीलेंदु हवाई जहाज के शौचालय में ही एयरहोस्टेस के पर्स से निकाल लेता है. वह उस के साथ ही एयरहोस्टेस के घर जाता है.

यह बात अर्जुन भाटिया फोन कर के जगन सेठ को बता देता है. उस वक्त राजेंद्र प्रताप सिंह भी वहां मौजूद होता है. यहां शंकरी देवी उस को कहती है कि जगन सेठ के सामने वह कमजोर साबित हो रहा है. इसलिए कोई चालाकी करनी होगी. जिस के बाद पुलिस की रेड पड़ती है. जहां रेड पड़ती है, वहां नीलेंदु बंगाली एयरहोस्टेस के कमरे में होता है. पुलिस को आते हुए अर्जुन भाटिया देखता है और वह नीलेंदु को बचाने के लिए कूद पड़ता है.

अर्जुन भाटिया पुलिस वालों के पैरों में गोली मारता है. इसी बीच एक गोली पुलिस वाले के सिर पर जा कर लगती है. लेकिन, वह अर्जुन भाटिया की गन से नहीं चलती. वह कुछ समझता, तब तक नीलेंदु तो भाग जाता है और अर्जुन भाटिया पुलिस की पकड़ में आ जाता है.

वेब सीरीज का पांचवां एपिसोड मध्यांतर तक काफी बोरियत भरा है. डायरेक्टर अर्जुन भाटिया की कहानी के साथ न्याय नहीं कर सके. इस में कोई दोराय नहीं है कि कास्ट किए गए कलाकार नाम के लिए मोहताज हैं, लेकिन डायरेक्टरों का नजरिया उन के अभिनय को कमजोर करता चला गया.

पांचवें एपिसोड का शीर्षक ‘रूल्स औफ द गेम’ है. हालांकि रूल और गेम दर्शकों को अमूमन हर एपिसोड में सोचसोच कर तलाशने पड़ेंगे.

पांचवें एपिसोड में अर्जुन भाटिया की प्रेमिका संजना पर राजेंद्र प्रताप सिंह डोरे डालने लगता है. इधर, अर्जुन को जेल से छुड़ाने के लिए जगन सेठ वकील से ले कर तमाम दांवपेंच लगाता है. लेकिन, इन्हें डायरेक्टर सटीक तरीके से पेश करने में कामयाब नहीं हुए.

वेब सीरीज में जान डालने के लिए डायरेक्टर के नजरिए पुलिस का थर्ड डिग्री अर्जुन भाटिया पर फिल्माया गया. यह काफी बोझिल है, जिस में जान फूंकना संभव ही नहीं है. डायलौग डिलीवरी से ले कर सीन क्रिएशन में चुतियापा किया है.

हवालात और पुलिस के बीच में कोई तालमेल नहीं रहा. जबकि अर्जुन भाटिया ने कई पुलिस वालों को गोली मारी थी, उसे बेहद हलके में प्रस्तुत कर दिया गया. जबकि मीडिया और जगन सेठ पर उस की आंच डायरेक्टर दिखा ही नहीं सके.

डायरेक्टरों की सब से ज्यादा बेवकूफी तब लगी, जब जगन सेठ की परछाई बने रहने वाले संधू का राज वह अचानक खोल देते हैं. दरअसल, अर्जुन अपनी प्रेमिका की शादी राजेंद्र प्रताप सिंह के साथ होने को ले कर नाराज चल रहा होता है. वह उस से बदला लेना चाहता है, जिसे बड़ी आसानी से जगन सेठ भांप लेता है. वह उसे समझता है कि अभी बदला लेने का वक्त नहीं है.

तब अर्जुन कहता है कि पुलिस वाले को दूसरी गोली किस ने मारी, यह पता लगाया जाना चाहिए. ऐसा कहते ही डायरेक्टर संधू की तरफ कैमरा ले जाते हैं और पूरा राज बड़ी आसानी से खोल देते हैं.

पांचवें एपिसोड में यह साफ हो जाता है कि संधू सोचीसमझी रणनीति के तहत राजेंद्र प्रताप सिंह के लिए काम कर रहा है. इधर, राजेंद्र प्रताप सिंह सुहागरात की सेज पर संजना के सामने अर्जुन का नाम ले कर यह बता देता है कि वह उस के सारे राज जानता है.

‘सुलतान औफ दिल्ली’ वेब सीरीज के छठें एपिसोड की शुरुआत बिना मतलब बैंक डकैती से होती है. इस एपिसोड का नाम ‘नाइट्स इन वाइट सैटिन’ दिया गया है.

जगन सेठ के कहने पर कोलकाता के फिल्म डायरेक्टर को हथियारों की डिलीवरी देने अर्जुन भाटिया और नीलेंदु बंगाली जाते हैं. वहां फिल्म डायरेक्टर बैंक लूटने के लिए प्रपोजल रख देता है. बैंक लूटने से पहले अर्जुन और नीलेंदु एक क्लब में पहुंचते हैं.

यहां बार डांसर के रूप में नयनतारा दर्शकों के सामने आती है. वह आइटम सांग गाती है जिस के बोल दर्शकों के जेहन पर कोई प्रभाव नहीं डाल सके. वहीं संगीत आर.डी. बर्मन पैटर्न पर बना कर काफी आकर्षक जरूर लगा है. यहां नयनतारा नीलेंदु से दोस्ती करती है, लेकिन निगाहें अर्जुन पर रहती हैं. वह फिल्म डायरेक्टर के शूटिंग में पहुंचती है.

यहां वास्तविक फिल्म डायरेक्टर ने पुलिस प्रशासन की व्यवस्था को बौना साबित किया है. वह भी कोलकाता जैसे शहर में, पुलिस कमिश्नर के सामने डाकघर में जमा सारी नकदी लूटी जाती है. उस के बावजूद एक बार फिर यहां मीडिया का हंगामा और किसी तरह का कवरेज नहीं दिखाया गया.

बैंक डकैती के बाद आसानी से अर्जुन भाटिया दिल्ली लौट आता है. उसे लौटने के लिए जगन सेठ कहता है. क्योंकि उसे इस बात का अहसास हो जाता है कि राजेंद्र प्रताप सिंह उस के साथ कोई गेम खेल रहा है. वहीं जगन सेठ अपना चुनाव हार जाता है.

इधर, राजेंद्र प्रताप सिंह अपने इरादे खुल कर जगन सेठ को बता देता है. ऐसा करते वक्त उस के सामने शंकरी देवी आती है, जिस को जगन सेठ पहले से जानता है लेकिन अर्जुन भाटिया बेखबर होता है. शंकरी देवी सुनियोजित तरीके से जगन सेठ को कहती है कि उस के एंपायर पर अर्जुन भाटिया बैठने जा रहा है. यह सब कुछ बेहद हलके तरीके से दोनों डायरेक्टरों ने पेश किया है.

फिल्म में दर्शकों के लिए उत्साह पैदा करने के लिए एपिसोड के मध्यांतर से पहले संजना के साथ शारीरिक संबंध बनाते हुए राजेंद्र प्रताप सिंह को दिखाया गया है. इस से ऐसा लगता है कि डायरेक्टर इंटीमेट सीन के लिए पगलाए हुए हैं. यानी उन के भेजे में यही फूहड़ता भरी हुई है. ऐसा करते वक्त शंकरी देवी भी वहां आती है. यह एपिसोड भी दर्शकों में कोई प्रभाव नहीं डाल सका.

सुलतान औफ दिल्ली वेब सीरीज के सातवें एपिसोड में दर्शक हैरान रह जाएंगे. दरअसल, 3 साल पहले का बता कर एक अचंभित करने वाला दृश्य सामने आता है. अर्जुन भाटिया को अपना पिता मिलता है. वह पिता जिस को उस ने पहले एपिसोड में जला दिया था. हालांकि यह नहीं बताया गया था कि वह मरा है कि जीवित.

इस सस्पेंस को दोनों डायरेक्टर सातवें एपिसोड में खोलते हैं. पिता उसे दोबारा मिलता है, जिस को शराब पीने की बुरी लत लगी होती है. वह अपने बेटे से कहता है कि उसे मार दे. ऐसा कहने पर अर्जुन भाटिया उसे उठा कर डैम में फेंक देता है.

इधर, राजेंद्र प्रताप सिंह के कहने पर जमुना प्रसाद जो सरकारी अधिकारी है और गन बनाने के ठेके देता है, वह जगन सेठ के ठिकानों पर छापे मारता है. हालांकि उस से पहले अर्जुन भाटिया उन अवैध हथियारों को फारुख मस्तान के ठिकानों पर छिपाने में कामयाब हो जाता है.

उस वक्त जश्न में नीलेंदु और अर्जुन को जगन सेठ के गुर्गे बौस बोल कर गोद में उठा लेते हैं. यह बात उसे चुभती है और शंकरी देवी की बोली बात याद आती है. इसी एपिसोड में जगन सेठ दोनों को सुनियोजित तरीके से ठिकाने लगाने के बहाने इटावा भेज देता है, जहां रास्ते में जाते वक्त अर्जुन और नीलेंदु अपना राज बताते हैं. जबकि पूरे एपिसोड में उन की घनिष्ठता बताने के लिए डायरेक्टर ने दूसरा एपिसोड बनाया था.

नीलेंदु बताता है कि वह कोलकाता की बार डांसर नयनतारा को पत्नी बनाने वाला है. वहीं अर्जुन कहता है कि वह उस गैरेज मालिक की बेटी प्रीति से शादी करने जा रहा है, जिस के यहां पर वह पहले नौकरी करता था. इधर, राजेंद्र प्रताप सिंह की चाल जब खरी नहीं उतरती है तो वह शंकरी देवी के साथ शारीरिक संबंध आवेश में बनाता है.

ऐसा करते वक्त शंकरी देवी काफी चीखती है और उसे रोकना चाहती है. वह जब नहीं रुकता है तो शंकरी देवी कहती है कि वह भविष्य में उस की मरजी के बिना उसे टच भी नहीं कर सकेगा. तभी वहां जबरिया राजेंद्र प्रताप सिंह की पत्नी संजना पहुंच जाती है.

सुलतान औफ दिल्ली (वेब सीरीज रिव्यू) – भाग 1

डायरेक्टर: सुपर्ण एस. वर्मा, मिलन लूथरिया

लेखक: सुपर्ण एस. वर्मा

कलाकार: ताहिर राज भसीन, निशांत दहिया, अनुप्रिया गोयनका, मौनी राय, मेहरीन पीरजादा, विनय पाठक, अंजुम शर्मा, अनिल जार्ज, सुनील पलवल, हरलीन सेठी

सुलतान औफ दिल्ली वेब सीरीज भारत की आजादी के बाद बने हालात पर केंद्रित है, जिस में अर्जुन भाटिया नाम के एक पात्र से जुड़े विषयों पर इसे लिखा गया है. कहानी  की शुरुआत अर्जुन भाटिया की जवानी से शुरू होती है. अर्जुन भाटिया का रोल ताहिर राज भसीन ने निभाया है.

वेब सीरीज अर्जुन के बचपन के आधा घंटा फ्लैशबैक में जाती है. इस दौरान सीरीज से जुड़े अन्य पात्रों के बचपन को दिखाते हुए दूसरे बाल कलाकार के रूप में राजेंद्र प्रताप सिंह को दिखाया जाता है. राजेंद्र प्रताप सिंह की भूमिका निशांत दहिया ने निभाई है. उस के पिता अपने मनोरंजन के लिए शंकरी देवी को साथ में रखते हैं.

शंकरी देवी का अभिनय अनुप्रिया गोयनका ने निभाया है. वह पिता के साथसाथ बचपन से ही राजेंद्र प्रताप सिंह पर डोरे डालने लगती है. वेब सीरीज को 2 डायरेक्टरों सुपर्ण एस. वर्मा और मिलन लूथरिया ने मिल कर बनाया है. अर्जुन भाटिया का परिवार आजादी के बाद हुए बंटवारे में भारत आता है. पाकिस्तान में रहते वह काफी संपन्न रहता है, वहीं राजेंद्र प्रताप सिंह का परिवार भारत में संपन्न रहता है.

फिल्म डायरेक्शन के दौरान पहले एपिसोड में डायरेक्टरों की भारी कमियां आप सहज महसूस कर सकेंगे. इस में अर्जुन के बचपन में पिता के अचानक अय्याश होने की बात, फिर उस के अपराध जगत की तरफ जाने के किस्से बहुत जल्दीजल्दी में फिल्माए गए हैं.

यहां दर्शक बोर न हो जाएं तो शंकरी देवी की आड़ में 2 बार डायरेक्टरों ने राजेंद्र प्रताप सिंह के बाल कलाकार के रूप में इंटीमेंट सीन बनाने का प्रयास किया है. पहले एपिसोड में जगह जगह डायलौग डिलीवरी तो है, लेकिन वह दर्शकों में प्रभाव डालने वाली नहीं है.

इस में शंकरी देवी और राजेंद्र प्रताप सिंह पर डोरे डालते वक्त बोला गया डायलौग. शंकरी देवी यहां राजेंद्र प्रताप सिंह से कहती है कि उसे जो चाहिए वह उस के पिता के पास है. वह देने के लिए उसे बड़ा होना पड़ेगा. अर्जुन को जब बड़ा होते दिखाया गया, तब दोनों डायरेक्टर उस पल पर फिल्माए गए सीन के साथ न्याय नहीं कर पाए.

पहले एपिसोड में 1962 लिखा है, लेकिन उस में आज के जमाने की रौयल एनफील्ड दिखाई गई है. शायद उस समय डायरेक्टरों की अकल घास चरन गई होगी. इसी तरह जगन सेठ के इशारों पर हथियारों की डिलीवरी ले जाते वक्त हुई मुठभेड़ के फिल्मांकन में भी दोनों डायरेक्टर मात खा गए. जगन सेठ की भूमिका मशहूर हास्य कलाकार विनय पाठक ने निभाई है. वे पात्र के अनुरूप अपने चरित्र को ढाल नहीं सके.

इस के अलावा अर्जुन भाटिया और नीलेंदु बंगाली, जो हथियार चलाते हुए दिखाए गए, वे सारे आधुनिक हथियार हैं. यह इंसास, एके47 अमेरिकन मेड पिस्टल से मेल खाते हुए हैं. यहां भी डायरेक्टरों ने कमअक्ल होने का सबूत दिया है. नीलेंदु बंगाली की भूमिका अंजुम शर्मा ने निभाई है. वह अर्जुन का करीबी यार दिखाया गया है, जिस का मकसद सिर्फ जगन सेठ के लिए काम करना है.

वेब सीरीज में जगहजगह जबरिया ड्रामा और सस्पेंस पैदा करने का असफल प्रयास किया गया है. यह आप को नीलेंदु बंगाली और अर्जुन भाटिया की पहली मुलाकात में भी देखने को मिलेगा. इस के अलावा जगन सेठ और अर्जुन भाटिया की जब मुलाकात होती है तब भी आप को वेब सीरीज में किसी न किसी बात की कमी स्वयं महसूस कर सकेंगे.

एपिसोड में राजेंद्र प्रताप सिंह और जगन सेठ एकदूसरे को फायदा पहुंचाने के लिए हाथ मिलाते हैं. पहले एपिसोड में निर्मम हत्या, बाल कलाकारों पर किए जा रहे यौन शोषण के किस्से आप को कोई रोमांच पैदा नहीं कर सकेंगे.

सुलतान औफ दिल्ली वेब सीरीज के दूसरे एपिसोड को दोनों डायरेक्टरों ने मिल कर क्यों बनाया, यह आप को पूरा देखने के बाद भी समझ में नहीं आएगा. अर्जुन भाटिया और नीलेंदु बंगाली के बीच दोस्ताना संबंध को स्थापित करने के लिहाज से कई सीन डाले गए, जो काफी बोझिल हैं.

जगन सेठ के लिए काम करने वाले इन 2 खास सिपहसालारों की जानकारी राजेंद्र प्रताप सिंह पहले से रखता है. वह पार्टी में जब उन की मुलाकात कराता है तो यह बात वह बोलता भी है, लेकिन दोनों डायरेक्टर इस बात को साबित करने में नाकाम साबित हुए.

पहली हथियारों की डिलीवरी देने की खुशी में आयोजित पार्टी में मुठभेड़ भी दिखाई गई. यह किस ने और किस के इशारों पर अंजाम दी गई, यह साफ नहीं होता है. इस से पहले हथियारों की डिलीवरी लेने वाले के कहने पर अर्जुन और नीलेंदु बंगाली जेल से उस के बेटे को छुड़ाते हैं.

यह सीन भी डायरेक्टर ने काफी बोझिल बनाया. उस में निरंतरता की काफी कमी दर्शकों को दूसरे एपिसोड में दिखाई देगी. इधर, शंकरी देवी के जरिए राजेंद्र प्रताप सिंह दूसरे एपिसोड में पार्टनर बने जगन सेठ को मंत्री बनाने के लिए चुनाव में टिकट दिलाने की बात पहुंचाता है. यहां भी डायरेक्टर अचानक एक ऐसे नेता को दर्शकों को सामने ला देते हैं, जिस के बारे में दूसरे एपिसोड में स्थिति साफ नहीं होती.

दूसरे एपिसोड में 60 के दशक के संगीत को आधुनिक बना कर पेश किया गया है. यह बैकग्राउंड म्यूजिक है, लेकिन दर्शकों को मनोरंजन देने में बिलकुल नाकाम साबित हुआ. जगन सेठ पर हुए हमले के बाद की परिस्थितियों को भी बेहद हलके अंदाज में डायरेक्टर ने प्रदर्शित किया. दूसरे एपिसोड का शीर्षक ही अचरज में डालने वाला है.. इस कहानी का शीर्षक ‘स्वीट स्मेल आफ सक्सेस’ है.

सुलतान औफ दिल्ली वेब सीरीज के तीसरे एपिसोड को काफी अव्यवहारिक बनाया गया है. वेब सीरीज के मुख्य किरदार को इस एपिसोड के लिए पूरी तरह से नग्न होना पड़ता है. वह भी वेब सीरीज में फारुख मस्तान और उस के साथ बैठी फरीदा बी के सामने.

फारुख मस्तान की भूमिका अनिल जार्ज ने निभाई है. वह काफी मंझे हुए कलाकार हैं, लेकिन दोनों डायरेक्टर अपने हुनर का लोहा उस से नहीं मनवा पाते.

तीसरे एपिसोड को ‘किस औफ लव’ नाम दिया गया है. फारुख के बेटे शाहिद के पास जाने की टिप जगन सेठ का ही दाहिना हाथ और उस के साथ परछाईं की तरह रहने वाला संधू देता है. यह भूमिका सुनील पलवल ने निभाई है. वह ही उसे उकसाता है कि जगन सेठ का करीबी बनने के लिए फारुख मस्तान के बेटे शाहिद से पूछताछ की जानी चाहिए.

जगन सेठ पर हुए हमले को ले कर पूछताछ करने के लिए अर्जुन भाटिया वहां जाता है. हालांकि वह कुछ कहता, उस से पहले संधू ही उसे गोली मार देता है. जब यह बात जगन सेठ को पता चलती है तो गलती को अर्जुन भाटिया अपने सिर पर ले लेता है. उसे ही सुधारने के लिए अर्जुन भाटिया फारुख मस्तान के सामने नंगा होता है.

फारुख का दिल जीतने पर जगन सेठ खुश हो कर अर्जुन भाटिया को अपनी कार देता है, जिस में वह कारोबारी हरीश कुमार की बेटी संजना को लिफ्ट देता है. यहां से दोनों के प्यार की शुरुआत दिखाई गई है. संजना का किरदार मेहरीन पीरजादा ने निभाया है. वह उस को बंगले पर ले जाता है.

यह बंगला उसे कैसे मिला, वेब सीरीज में यह साफ नहीं है. डायरेक्टर ने वेब सीरीज में संजना और अर्जुन भाटिया के लव सीन और गाने को एक ही जगह पर फिल्माया है. इधर, जगन सेठ को टिकट देने की सिफारिश शंकरी देवी इंडिया विकास पार्टी के नेता से करती है. जब वह तैयार नहीं होता है तो शंकरी देवी दि क्राउन रायल होटल के मैनेजर को कहती है.

शंकरी देवी के कहने पर नेता को कई लड़कियों के साथ हनीट्रैप में फंसाया जाता है, जिस कारण इंडिया विकास पार्टी का नेता जगन सेठ को अपना उम्मीदवार घोषित कर देता है.

तीसरे एपिसोड में यह सब कुछ काफी बिखरा हुआ नजर आता है. दर्शकों के सामने डायरेक्टर सीधे परिणाम देते हैं. जबकि परिणाम के पहले होने वाले संघर्ष और उस की वजह को ले कर कोई भी बात पता नहीं चली.

वेब सीरीज का चौथा एपिसोड फिर जगन सेठ के आसपास घूमता है. इस बार जगन सेठ के लिए नीलेंदु बंगाली और अर्जुन भाटिया मुंबई जाते हैं. इस कारण इस एपिसोड का नाम ‘बांबे कांफिडेंशियल’ रखा गया है.

लेकिन दोनों डायरेक्टर पहले की तरह हर सीन में कोई भी बात कांफिडेंशियल नहीं रहने देते. क्योंकि जिस शीर्षक पर यह एपिसोड बनाया गया है, वह डायरेक्टरों की लापरवाही उजागर करता है. दरअसल, अर्जुन भाटिया हीरे लेने के बाद काल कर के जगन सेठ को बताता है कि माल उस के पास है.

इस एपिसोड में डायरेक्टरों ने बिना वजह का हवाई जहाज के भीतर शौचालय में एयरहोस्टेस के साथ सैक्स करते हुए फूहड़ता भरा सीन क्रिएट किया है. इस से डायरेक्टरों की सोच भी नंगी हो जाती है.

यहां 3 एपिसोड में डायरेक्टर की नीयत से पहले ही साफ हो जाता है कि एयरहोस्टेस की हीरा डिलीवरी के वक्त महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी. क्योंकि बिना रोमांच और सस्पेंस के नीलेंदु बंगाली उस के पास जाता है और वह उसे शौचालय में संबंध बनाने के लिए तैयार कर लेता है.

वेब सीरीज – बंबई मेरी जान (रिव्यू)