बबिता का खूनी रोहन – भाग 4

रोहन के प्यार में डूबी बबीता अकसर उस से फोन पर लंबीलंबी बातें करती. रात में भी दोनों चोरीछिपे प्यार भरी बातें करते और दोनों वाट्सऐप पर भी एकदूसरे को मैसेज करते रहते थे. रोहन तो बबीता को काम कलाओं की अश्लील तस्वीरें तथा वीडियो तक वाट्सऐप पर भेजने लगा.

पहली जनवरी की रात की बात है. बबीता उस वक्त बाथरूम में थी. फोन बैड पर रखा था. उसी वक्त वाट्सऐप पर एक मैसेज का नोटिफिकेशन देख पति भीमराज ने फोन उठा कर देख लिया. संयोग से फोन में लौक नहीं लगा था.

मैसेज देखते ही भीमराज के पांव तले की जमीन जैसे खिसक गई, फोन में पड़े दरजनों अश्लील फोटो और वीडियो तथा चैट देख कर भीमराज का शरीर गुस्से से कांपने लगा. उस दिन भीमराज के सामने साफ हो गया कि उस की पत्नी के किसी युवक से नाजायज संबध हैं और उस ने युवक का नंबर लाइफ के नाम से अपने फोन में सेव किया हुआ है. उस रात भीमराज और बबीता के बीच इस बात को ले कर जम कर झगड़ा हुआ और भीमराज ने अपनी पत्नी की जम कर पिटाई कर दी.

बस इस के बाद तो यह आए दिन की बात हो गई. जब एक बार शक का कीड़ा दांपत्य जीवन में आ जाता है तो बसीबसाई गृहस्थी बिखर जाती है. लेकिन यहां तो शक नहीं एक सच्चाई थी, जो उजागर हो गई थी.

रोहन को घर बुलवा कर की पिटाई

कुछ रोज बाद भीमराज ने बबीता के साथ मारपीट कर उस से रोहन को फोन करवाया और उसे घर आने के लिए कहा. रोहन जब घर पहुंचा और वहां भीमराज को देखा तो समझ गया कि उस की पोल खुल चुकी है. भीमराज ने उस दिन रोहन की भी पिटाई कर दी और धमकी दी कि अगर उस ने बबीता का पीछा नहीं छोड़ा तो वह उसे जेल भिजवा देगा. जेल जाने के डर से उस समय रोहन अपमान का घूंट पी कर रह गया.

लेकिन इस के बाद भीमराज व बबीता में आए दिन झगड़े होने लगे. एक दिन इसी से आजिज आ कर बबीता ने रोहन से मुलाकात की और उस से कहा कि अगर वह उस से सच्चा प्यार करता है तो किसी भी तरह उसे भीमराज से छुटकारा दिला दे. उस ने रोहन से अपने पति की हत्या करने के लिए कहा. साथ ही वादा किया कि अगर वह ऐसा कर देगा तो वह उसे अपने साथ रख लेगी. उस का अपना मकान है. वह खुद भी कमाती है दोनों साथ मिल कर आगे की जिंदगी खुशी से बिताएंगे.

रोहन तो पहले से ही अपमान की आग में जल रहा था. बबीता के कहने पर रोहन आवेश में आ गया और उस ने बिना सोचेसमझे व अंजाम की परवाह किए भीमराज की हत्या की साजिश रच डाली. उस ने सब से पहले  एक पिस्तौल और कारतूस की व्यवस्था की. इस के बाद उस ने कई दिन तक बबीता से फोन पर जानकारी ले कर भीमराज की दिनचर्या का पता लगाना शुरू कर दिया और उस की रेकी करने लगा. बबीता उसे सब कुछ बताती रही कि वह कब घर से निकला है, कब और कहां जा रहा है.

रोहन ने 10 मार्च, 2021 का दिन चुना. उस दिन वह अपनी बाइक ले कर सुबह ही घर से निकल पड़ा. वह भीमराज के घर से करीब 3 किलोमीटर दूर हुडको प्लेस के पास भीमराज का इंतजार करने लगा.

दरअसल, भीमराज औफिस जाने से पहले यहां बने पार्क में घूमने जाता था. काफी देर तक वह भीमराज को मारने का मौका देखता रहा, लेकिन भीड़ ज्यादा होने के कारण उसे मौका नहीं मिला.

सुबह करीब साढ़े 8 बजे भीमराज पार्क से निकला और अपनी वैगनआर पार्किंग से निकाल कर घर की तरफ रवाना हो गया. रोहन भी बाइक से उस का पीछा करने लगा. कोई पहचान न ले, इसलिए उस ने हाथ में पकड़ा हेलमेट सिर पर लगा लिया और अपनी बाइक की दोनों नंबर प्लेटें थोड़ी मोड़ लीं ताकि कोई उस का नंबर न पढ़ सके.

रोहन को एंड्रयूजगंज में बिजलीघर के पास मौका मिला, जहां भीमराज की गाड़ी की स्पीड कम थी और उस ने वहां पिस्तौल निकाल कर उस की गरदन पर गोली मार दी.

रोहन से पूछताछ के बाद पूरी वारदात का खुलासा हो चुका था, इसलिए पुलिस ने हत्या की साजिश में शामिल भीमराज की पत्नी बबीता को भी गिरफ्तार कर लिया. बबीता ने भी पूछताछ में अपने जुर्म का इकबाल कर लिया और बताया कि अपनी उपेक्षा से तंग आ कर उस ने रोहन के साथ संबध बनाए थे और खुलासा होने पर जब भीमराज अकसर उस से मारपीट करने लगा तो तंग आ कर उस ने उसे रास्ते से हटाने की साजिश रची.

पुलिस ने आरोपी रोहन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त पिस्तौल, 2 जिंदा कारतूस तथा महिंद्रा सेंटुरो बाइक भी बरामद कर ली. पुलिस ने जिस दिन रोहन व बबीता को गिरफ्तार किया, उसी दिन यानी 11 मार्च की शाम को इलाज के दौरान भीमराज की मौत हो गई.

डिफेंस कालोनी पुलिस ने मुकदमे में हत्या की धारा 302, 34 आईपीसी व आर्म्स एक्ट की धारा जोड़ कर दोनों अभियुक्तों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. अधेड़ उम्र की बबीता ने अपनी से आधी उम्र के आशिक के साथ ऐश करने के सपने संजोए थे, अब वह उसी के साथ तिहाड़ जेल की सलाखों के पीछे पहुंच चुकी है.

अपना घर लूटा, पर मिली मौत – भाग 4

घर से निकलतेनिकलते शमिंदर बहन जसपिंदर से बोल कर गया था कि वह एक जरूरी काम से घर से शहर की ओर जा रहा है. उसे घर लौटते हुए दोपहर के 2 या 3 बज सकते हैं, तब तक मम्मी भी स्कूल से घर आ जाएंगी. तू इधरउधर कहीं मत जाना.

जसपिंदर कौर को पता था घर पर कोई नहीं है, घर पूरी तरह खाली है. अगर सही समय पर नहीं निकली तो कोई भी आ सकता है और भागने का प्लान मिस हो सकता है, इसलिए उस ने 11 बजे के करीब परमप्रीत को फोन किया कि तुम कहां हो, मैं आ रही हूं. उस ने यह नहीं बताया कि उस के पास 12 तोले सोने के गहने और 20 हजार रुपए कैश भी है. वह तो इन जेवरातों और रुपए से अपने जीवन के सुख प्रेमी के साथ खरीदने निकली थी.

बहरहाल, काल रिसीव करते हुए परम ने जसपिंदर को सुधार के जगरांव स्थित अखाड़ा पुल के पास पहुंचने को कहा. जसपिंदर उस के बताए स्थान पर 2 बजे के करीब पहुंची तो परम पोलो कार लिए उस के वहां पहुंचने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था.

परमप्रीत था केवल तन का प्यासा भौंरा

जसपिंदर के पहुंचते ही परम ने कार का आगे का दरवाजा खोल दिया और वह उस में बैठ गई थी. कार में जसपिंदर के बैठते ही परम ने कार रायकोट की ओर मोड़ ली. परम को देख कर वह बहुत खुश थी.

पीछे मुड़ कर उस ने देखा तो कार की पिछली सीट पर परम का जिगरी दोस्त एकमप्रीत सिंह बैठा था. वह परमप्रीत का हमराज था. जसपिंदर से प्यार वाली बात उस ने बहुत पहले ही शेयर कर दी थी.

सफर के दौरान कुछ देर तक दोनों के बीच प्यार वाली बातें होती रहीं. इस बीच उस ने यह बता दिया कि वह घर से जेवरात और नकदी साथ ले कर हमेशाहमेशा के लिए घर छोड़ कर उस के साथ आ गई है, अब लौट कर दोबारा घर नहीं जाएगी.

यह सुन कर परमप्रीत को सांप सूंघ गया कि वह क्या कह रही है. रास्ते भर जसपिंदर परमप्रीत पर शादी के लिए दबाव बनाती रही. परमप्रीत की नीयत बदल गई थी. वह तो उस से दिखावे का प्यार करता था. उस का असल मकसद तो जसपिंदर का दैहिक सुख पाना था, जो वह कब से लगातार पा रहा था. परम ने परमप्रीत से शादी करने से साफतौर पर मना कर दिया.

प्रेमी परमप्रीत की बात सुन कर जसपिंदर का माथा घूम गया कि वह अब क्या मुंह ले कर वापस घर जाएगी. इस बात को ले कर दोनों के बीच कार के भीतर ही खूब झगड़ा हुआ. परम ने भी अपना आपा खो दिया था. उस ने चलती कार एक साइड और सुनसान जगह देख कर रोक दी.

इस के बाद गुस्से से पागल परम और एकमप्रीत ने उस की चुनरी से उस का गला घोट कर उसे मौत के घाट उतार दिया और उस के जेवरात और 20 हजार रुपए ले लिए थे.

परम ने सोचीसमझी योजना के तहत जसपिंदर से पीछा छुड़ा लिया था. कार को परम घंटों इधरउधर घुमाता रहा ताकि अंधेरा हो जाए और उस की लाश को ठिकाने लगा दिया जाए.

संध्या होते ही परम कार को ले कर अबोहर ब्रांच के नारंगवाल बिजली ग्रिड के पास सुनसान जगह पहुंचा. दोनों ने शव को नहर में यह सोच कर डाल दिया था कि बहते पानी के साथ उस की लाश कहीं दूर तक बह जाएगी और इसी के साथ राज राज ही रह जाएगा. नहर में शव फेंकने के बाद दोनों वापस अपनेअपने घर लौट आए और नारमल तरीके से रहते हुए रात का खाना खा कर सो गए.

पिता ने ही दी बेटों के अपराध की खबर

परम ने भले ही शव को नहर में फेंक कर उसे ठिकाना लगा दिया. लेकिन अगली सुबह वह एकमप्रीत के साथ यह देखने के लिए नहर पहुंचा कि लाश की पोजीशन क्या है? उस ने देखा, लाश जहां फेंकी थी, वहीं पड़ी है.

यह देख कर दोनों घबरा गए और उन्हें पकड़े जाने का डर सताने लगा. आननफानन में दोनों ने नहर से उस की लाश निकाली और कार में रख कर फार्महाउस सुधार पहुंचे.

परमप्रीत और एकमप्रीत इतना डर गए थे कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि अब वे क्या करें? किस से मदद मांगें? अब तो पुलिस उन्हें पकड़ ही लेगी. जब कुछ नहीं सूझा तो परमप्रीत ने अपने बड़े भाई भवनप्रीत सिंह उर्फ भवना को अपने फार्महाउस पर बुलाया.

भवनप्रीत अपने दोस्त हरप्रीत सिंह, जो मैसूरां का रहने वाला था, को साथ ले कर उस की कार में सवार हो कर अपने फार्महाउस पहुंचा.

परम ने बड़े भाई भवनप्रीत से कुछ भी नहीं छिपाया और पूरी बात सचसच बता दी थी कि कब, क्या और कैसे हुआ था? भाई की बात सुन कर भवनप्रीत और उस का दोस्त हरप्रीत सिर पकड़ कर बैठ गए कि इश्क के चक्कर में कितना बड़ा गुनाह कर बैठा है.

यह वक्त पछताने का नहीं था. परम आखिर उस का भाई था. कानून के फंदे से उसे अपने भाई को बचाना था. फिर चारों ने मिल कर लाश को पराली से जला देने की योजना बनाई और उन्होंने योजना को प्रभाव में लाया भी लेकिन पराली से लाश नहीं जली.

तब उन्होंने उसे दफनाने की योजना बनाई. फिर चारों ने मिल कर एक जेसीबी वाले को यह कह कर अपने फार्महाउस बुलाया था कि उस का घोड़ा मर गया है, उसे दफनाना है, चल कर वह गड्ढा खोद कर चला जाए.

जेसीबी वाले ने फार्महाउस पहुंच कर अपना काम किया और वहां से अपनी मजदूरी ले कर चला गया. फिर चारों ने मिल कर जसविंदर की अधजली लाश जमीन में दफना कर उस पर भारी मात्रा में नमक छिड़क कर उसे ढक दिया और उस पर शीशम और सागौन के पेड़ लगा दिए ताकि किसी को कुछ पता न चले.

लेकिन परम के पिता हरपिंदर ने ही बेटों की करतूतों का राज फाश करते हुए उन्हें उन के किए की सजा कानून से दिलवा कर एक सच्चा भारतीय होने का फर्ज अदा किया.

आज उन्हीं की बदौलत जसपिंदर कौर हत्याकांड के चारों आरोपी परमप्रीत सिंह, भवनप्रीत सिंह, एकमप्रीत सिंह और हरप्रीत सिंह अपने किए की सजा जेल की सलाखों के पीछे भुगत रहे हैं. पुलिस ने आरोपियों के पास से जेवरात और कुछ नकदी भी बरामद कर ली थी.     द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित