दिल्ली में उस ने प्रौपर्टी डीलिंग का काम शुरू किया, साथ ही वह पुरानी कारों की खरीदफरोख्त का बिजनैस भी करने लगा. दौलत बरसने लगी तो उसे शराबशबाब का शौक लग गया. नईनई लड़कियों को वह अपने बिस्तर पर लाने के लिए दोनों हाथों से खर्च करने लगा.
घर वाले उस के अय्याशी वाले शौक से अंजान थे. उन्हें इतना मालूम था कि मनप्रीत दिल्ली में अपने कारोबार से अच्छा कमा रहा है तो उन्होंने 2006 में उस की शादी कर दी. शुरूशुरू में मनप्रीत का दिल अपनी पत्नी में खूब लगा. पत्नी जब 2 बेटों की मां बन गई तो मनप्रीत को वह बासी और बेस्वाद लगने लगी. मनप्रीत की दिलचस्पी उस में खत्म हो गई. वह फिर अपने पुराने शौक की ओर लौट आया.
सन 2015 की गरमी का वह तपता महीना था. मनप्रीत किसी पार्टी के इंतजार में सड़क के किनारे अपनी कार में बैठा हुआ था, तब उस ने रेखा को पहली बार देखा था. एक ही नजर में रेखा उस के दिलोदिमाग पर छा गई थी.
उस रोज रेखा अपने काम पर लेट हो गई थी. वह तेजतेज कदमों से सड़क पर जा रही थी. गरमी से बेहाल पसीने से तर रेखा की बदहवासी पर न जाने क्यों मनप्रीत को तरस आ गया.
उस ने अपनी कार स्टार्ट की और रेखा के सामने ले आया. रेखा ठिठक कर रुक गई. मनप्रीत ने कार का दरवाजा खोल कर बेहिचक कहा, ‘‘कार में बैठ जाइए, मैं आप को उस जगह पहुंचा दूंगा, जहां पहुंचने के लिए आप बदहवास सी दौड़ी जा रही हैं.’’
रेखा ने उसे ध्यान से देखा था, जैसे वह यह जान लेना चाहती हो कि वह कोई मवाली या गुंडा तो नहीं है. रेखा को वह चेहरेमोहरे से शरीफ आदमी लगा, फिर भी उस ने अचकचा कर पूछा था, ‘‘आप मेरी मदद क्यों करना चाहते हैं?’’
‘‘क्योंकि आप परेशान हैं,’’ मनप्रीत ने जवाब दे कर हुक्म सा दिया, ‘‘चलिए, अब बैठ जाइए कार में.’’
रेखा न जाने क्या सोच कर कार में मनप्रीत के बराबर वाली सीट पर बैठ गई. कार आगे बढ़ी तो रेखा ने बड़ी सादगी से कहा, ‘‘मैं ने आप पर विश्वास किया है…’’
मनप्रीत ने हंसते हुए उस की बात काट दी, ‘‘डरिए मत, मैं आप को भगा कर नहीं ले जाऊंगा.’’
रेखा झेंप गई. मनप्रीत ने उसे वहां उतारा, जहां वह उतरना चाहती थी. रेखा ने कार से उतर कर मनप्रीत को धन्यवाद दिया तो वह मुसकरा पड़ा, ‘‘इस की कोई जरूरत नहीं, मैं ने इंसानियत के नाते आप की मदद की है.’’
रेखा के चेहरे पर मुसकान खिल गई. वह मुसकराती हुई अपनी फैक्ट्री की ओर चली गई.
उस दिन के बाद यह रोज का किस्सा बन गया. मनप्रीत उस वक्त अपनी कार ले कर उस जगह पहुंच जाता, जहां से रेखा सुबह 8 बजे से 9 बजे के बीच गुजरती थी. उस वक्त वह अपनी फैक्ट्री जाती थी.
मनप्रीत उसे कार में बिठाता और फैक्ट्री के सामने छोड़ आता. रेखा अब निस्संकोच मनप्रीत की कार में बैठने लगी थी. उस ने मनप्रीत की आंखों में अपने लिए चाहत देख देख ली थी. उस का भी झुकाव मनप्रीत की ओर होने लगा था.
थोड़े दिन बाद ही यह सिलसिला फैक्ट्री के दायरे से निकल कर दिल्ली के पिकनिक स्पौट की तरफ मुड़ गया.
मनप्रीत उसे कभी कुतुबमीनार ले कर जाता, कभी इंडिया गेट. अब वे दोनों एकदूसरे की चाहत बन गए थे. मनप्रीत रेखा पर दिल खोल कर खर्च करता. उसे बढि़या रेस्तरां में खाना खिलाता, कीमती गिफ्ट खरीद कर देता. रेखा उस का साथ पा कर बहुत खुश थी, उस की वे इच्छाएं, सपने पूरे होने लगे थे, जिसे वह खुली आंखों से देखती आई थी.
दोनों के प्यार का यह सिलसिला आहिस्ताआहिस्ता आगे बढ़ रहा था कि मनप्रीत उसे एक दिन झंडेवालान मंदिर में ले गया. पूजाअर्चना करने के बाद मंदिर के प्रांगण में उस ने रेखा का मुलायम हाथ अपने हाथ में ले कर गंभीर स्वर में कहा, ‘‘रेखा, जानती हो मैं तुम्हें यहां ले कर क्यों आया हूं?’’
‘‘मैं क्या जानूं, बताओ मुझे मां के द्वार पर क्यों ले कर आए हो?’’ रेखा ने पूछा.
‘‘मैं तुम्हें सच्चा प्यार करने लगा हूं रेखा. मैं तुम्हें अपने बहुत करीब रखना चाहता हूं. क्या तुम मेरा प्रस्ताव स्वीकार करोगी?’’
‘‘मनप्रीत, मुझे अपना बनाने से पहले तुम्हें मेरे बारे में जान लेना चाहिए, मैं कौन हूं, मेरा अतीत क्या है, तुम ने कभी यह नहीं पूछा.’’ रेखा ने बहुत गंभीर हो कर कहा, ‘‘पहले मेरे बारे में जान लो, फिर अपना फैसला सुनाना.’’
‘‘बताओ, आज मैं तुम्हारा अतीत जान लेता हूं.’’ मनप्रीत भी गंभीर हो गया.
‘‘मनप्रीत, मैं तलाकशुदा औरत हूं, मेरी एक 8 साल की बेटी भी है.’’
‘‘आज से वह तुम्हारी ही नहीं, मेरी भी बेटी बन गई है.’’ मनप्रीत रेखा की हथेली प्यार से दबाते हुए निर्णायक स्वर में बोला, ‘‘मैं कमरा तलाशता हूं, शाम को ही तुम वहां शिफ्ट हो जाओगी.’’
‘‘ओह मनप्रीत, तुम कितने अच्छे हो.’’ रेखा उस के चौड़े सीने पर अपना सिर टिका कर भावुक स्वर में बोली, ‘‘मेरे विश्वास को इसी तरह कायम रखना तुम.’’
‘‘हां, मैं तुम्हारे प्यार और विश्वास पर हमेशा खरा उतरूंगा, यह मेरा तुम से वादा है रेखा.’’ मनप्रीत ने पूरे विश्वास से कहा.
उसी शाम रेखा अपने नए मीत मनप्रीत के उस कमरे में सामान और अपनी बेटी नीतू के साथ शिफ्ट हो गई जो उस ने दिल्ली के गणेश नगर (तिलक नगर) में किराए पर लिया था.
उसी रात रेखा ने मनप्रीत की बाहों में खुद को सौंप कर अपना सब कुछ समर्पण कर दिया. एक सच्चे मर्द की तरह मनप्रीत 7 साल तक उसे और उस की बेटी को प्यार से निभाता रहा लेकिन फिर उस का व्यवहार बदलने लगा.
वह रेखा को खर्चा देने में आनाकानी करने लगा. उस की बेटी को बातबात पर डांटने लगा. शराब तो वह पहले भी पीता था, अब खूब पी कर घर आने लगा.
रेखा उस के रूखे व्यवहार से ऊबने लगी तो उस से झगड़ने लगी. बातबात पर वह मनप्रीत से लड़ती और मनप्रीत उसे लातघूंसे से पीट देता. गंदीगंदी गालियां देता. मां और अंकल मनप्रीत के रोजरोज के झगड़े से नीतू डिप्रैशन में आ गई. वह माइग्रेन का शिकार हो गई.
बतौर मनप्रीत अब रेखा उस के लिए बासी हो गई थी. वह उसे बोझ समझने लगा था. रेखा को वह जानबूझ कर उकसाने लगा, ताकि वह उस से लड़े और बदले में वह उसे प्रताडि़त कर सके.
वह चाहता था कि तंग आ कर रेखा खुद उस का पीछा छोड़ दे, लेकिन जब रेखा मार खा कर भी उस के घर को छोड़ने को तैयार नहीं हुई तो उस ने रेखा की हत्या करने का मन बना लिया.
30 नवंबर, 2022 की शाम को वह बाजार से तेज धार वाला चापड़ खरीद लाया. उस ने नशे की गोलियां भी खरीदीं ताकि रेखा की बेटी नीतू को गहरी बेहोशी में कर के वह रेखा की हत्या कर सके.
उस ने रात को नीतू को नशे वाली गोलियां खिला कर सोने के लिए उस के कमरे में भेज दिया. रेखा उस से कई दिनों से बात नहीं कर पा रही थी. खापी कर वह अपने बिस्तर पर सो गई. मनप्रीत रात गहराने का इंतजार करता रहा. जब आधी रात हुई तो उस ने चापड़ निकाल कर रेखा का गला काट दिया.
रेखा पर उसे इतना गुस्सा था कि उस ने तड़पती जिंदगी और मौत से जूझती रेखा पर चापड़ से ताबड़तोड़ वार करने शुरू कर दिए. जब रेखा का शरीर तड़प कर बेजान हो गया तो वह चापड़ छिपा कर कमरे से बाहर आ गया और रात भर दरवाजे के बाहर कुरसी पर बैठा रहा.
सुबह नीतू जाग कर बाहर आई तो वह डर गया. नीतू ने मां के विषय में पूछा तो उस ने कह दिया कि वह बाजार गई है. उस ने नीतू को डपट कर सोने के लिए भेज दिया. उजाला फैल गया था, कहीं उस के द्वारा रेखा को कत्ल करने का भेद न खुल जाए, इसलिए वह कमरे के दरवाजे पर ताला लगा कर वहां से चुपचाप सरक गया.
दिल्ली में पकड़े जाने का डर था,इसलिए वह अपनी कार से पटियाला के अपने गांव भाग गया, जहां से क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
मनप्रीत का बयान कलमबद्ध कर के उसे दूसरे दिन माननीय न्यायालय में पेश किया गया और 2 दिन के रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड अवधि में मनप्रीत ने अपने कमरे के वाशरूम के रोशनदान में छिपा कर रखा वह चापड़ बरामद करवा दिया, जिस से उस ने रेखा का कत्ल किया था. चापड़ बड़ा और पैना था. उस से इस प्रकार का चापड़ खरीदने की बाबत पूछा गया तो उस ने बताया कि वह श्रद्धा मर्डर का तरीका यहां आजमाना चाहता था. जिस प्रकार आफताब ने श्रद्धा को मार कर उस के 35 टुकड़े किए थे, वह भी रेखा की लाश के टुकड़े कर के उन्हें जंगल में फेंकना चाहता था. यह चापड़ उस ने इसी मकसद से खरीदा था.
चापड़ को कब्जे में ले कर क्राइम ब्रांच ने मनप्रीत को थाना तिलक नगर को हैंडओवर कर दिया. थाने में मनप्रीत पर भादंवि की धारा 302 लगा कर केस दर्ज कर लिया.
मनप्रीत पर पहले भी 5-6 पुलिस केस दर्ज थे. जो मकान उस ने किराए पर लिया था, उस का वह किराया नहीं देता था. उस ने मकान पर भी अपना कब्जा जमा रखा था, जिस कारण उस का मकान मालिक से कोर्ट में विवाद चल रहा था.
पुलिस अब सब मामलों की पड़ताल कर के मनप्रीत के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर रही थी. कथा लिखे जाने तक मनप्रीत जेल की सलाखों के पीछे था. द्य
—कथा पुलिस सूत्रों पर. नीतू और राकेश परिवर्तित नाम हैं. तथ्यों का नाट्य रूपातंरण किया गया है.


