करीमभाई को कुछ सालों पहले ऐनजाइमा की तकलीफ हुई थी. डाक्टर ने उन्हें जुबान के नीचे रखने वाली गोली दी थी. उन्होंने कांपते हाथों से गोली जुबान के नीचे रखी. आंखें बंद कर के गहरीगहरी सांसें लेने लगे. थोड़ी तबीयत संभली तो घर के लिए रवाना हो गए.
‘‘क्या बात है, आप कुछ परेशान से लग रहे हैं?’’ रूमाना ने उन के घर पहुंचते ही पूछा.
‘‘हां, कुछ परेशानी है. तुम बहुत खुश लग रही हो?’’
‘‘हां, खबर ही खुशी की है. लेकिन पहले आप बताइए कि क्यों परेशान हैं?’’
करीमभाई कुछ देर टहलते रहे, उस के बाद सोच कर बोले, ‘‘आज हारुन हमारे औफिस में आया था.’’
‘‘हारुन आया था?’’ रूमाना ने हैरानी से पूछा. इस के बाद बिफर कर बोली, ‘‘आप ने उसे औफिस से निकलवा क्यों नहीं दिया?’’
‘‘मैं यही करता, लेकिन रूमाना, तुम यह बताओ कि हारुन ने तुम्हें जबानी तलाक दिया था या लिख कर दिया था?’’
‘‘जबानी दिया था. मगर इस से क्या फर्क पड़ता है. तलाक तो तलाक है, जबानी दे या लिख कर दे. तलाक तो हो जाता है.’’ वह सादगी से बोली. करीमभाई ने सिर पर हाथ मार कर कहा, ‘‘तुम बड़ी मासूम हो. तुम्हें नहीं मालूम कि आजकल जमाना कितना खराब हो गया है. अगर तुम्हारे पास कोई सुबूत नहीं है तो अदालत में यही माना जाएगा कि उस ने तुम्हें तलाक नहीं दिया है.’’
रूमाना हैरान रह गई, ‘‘आप…आप का मतलब है कि वह कमीना आदमी 4 साल बाद यह दावा ले कर आया है कि तलाक नहीं हुआ है.’’
‘‘हां, उस के पास निकाहनामे की कौपी है. रजिस्ट्रार औफिस की रजिस्टर्ड कौपी है.’’ यह कह कर निकाह की कौपी रूमाना के हाथ में दे दी, जो हारुन छोड़ कर गया था.
‘‘बकवास करता है कमबख्त.’’ रूमाना ने गुस्से से निकाहनामा फाड़ कर फेंक दिया. इस के बाद गुस्से से कांपते हुए बोली, ‘‘कोई संबंध नहीं है हारुन से मेरा, मैं आप की बीवी हूं.’’ कह कर रूमाना रोने लगी.
‘‘मैं जानता हूं.’’ करीमभाई ने कहा और रोती हुई रूमाना को सीने से लगा कर चुप कराने लगे.
‘‘आज मैं आप को एक खुशखबरी सुनाने वाली थी कि यह मनहूस खबर आ गई.’’
‘‘कैसी खुशखबरी?’’ सेठ करीमभाई ने पूछा.
रूमाना ने शरमाते हुए कहा, ‘‘मैं मां बनने वाली हूं. आज ही मैं डाक्टर के पास गई थी.’’
करीमभाई खुश हो गए. उन्होंने बड़े विश्वास के साथ कहा, ‘‘अब तुम फिक्र मत करो, मैं सारा मामला निपटा लूंगा.’’
‘‘आप क्या करेंगे? पुलिस में जाएंगे?’’
‘‘नहीं, पुलिसअदालत में जाने से मामला बिगड़ जाएगा. मेरे पास एक तरीका है, मैं उस का मुंह बंद कर दूंगा.’’
बाद में हारुन ने रूमाना को फोन कर के कहा, ‘‘तुम ने अपनी भूमिका बहुत अच्छी तरह अदा की है. बच्चे के बारे में सुन कर बुड्ढा तो दीवाना हो गया होगा?’’
‘‘हां हारुन, लेकिन मुझे डर लग रहा है. उस ने कहा है कि उस के पास उस का मुंह बंद करने का एक तरीका है.’’
‘‘अरे वह रकम दे कर मुंह बंद कराने की बात कर रहा होगा.’’ हारुन ने कहा.
‘‘नहीं, सोचो वह अरबपति है. उस के पास दौलत की ताकत है. अगर उस ने इस ताकत को तुम्हारे खिलाफ इस्तेमाल किया तो..? मैं ने 2 बार पूछा कि कौन सा तरीका है तो उस ने कोई जवाब नहीं दिया. रकम की बात होती तो वह मुझ से जरूर बता देता.’’
रूमाना की इस बात से हारुन परेशान हो गया. इस से पहले उन्होंने जिन 5 लोगों को इसी तरह फांसा था, उन में से कोई भी इतना दौलतमंद नहीं था.
वैसे तो करीमभाई देखने में बहुत शरीफ था, दौलत का इस्तेमाल कर के पुलिस को मिलाने और किराए के किलर की व्यवस्था करने में उसे कोई परेशानी नहीं होगी. उस के पास कई औप्शन थे. हारुन बुनियादी तौर पर बुजदिल आदमी था. उस ने रूमाना से पूछा, ‘‘तुम क्या सोचती हो?’’
‘‘मेरी सलाह तो यही है कि अब तुम उस के सामने मत जाना. फोन पर बात करो और यह सिम बंद कर दो या जब बात करनी हो तभी चालू करो, क्योंकि यह सिम तुम्हारे नाम है. वह तुम्हें ब्लैकमेलिंग में फंसा सकता है. एक बात और याद रखना हारुन, तुम ने वादा किया था कि यह आखिरी बार है. इस के बाद हम बाहर चले जाएंगे.’’
हारुन ने एक बार फिर वही यकीन दिलाया, जो पहले भी कई बार दिला चुका था. वह चालबाज, शातिर आदमी था. उस का और रूमाना का 7 साल से ज्यादा का साथ था.
दोनों ने घर से भाग कर शादी की थी. रूमाना एक बहुत अच्छे खानदान की लड़की थी, लेकिन कमउम्र में मोहब्बत के जज्बात में आ कर उस के साथ भाग गई थी और शादी कर ली थी. रूमाना के घर वाले हारुन को बिलकुल नहीं पसंद करते थे. हारुन को घरगृहस्थी में कोई दिलचस्पी नहीं थी. उस का मकसद बस दौलत कमाना और अय्याशी करना था.
दोनों कई शहरों में रहे और हर जगह इसी तरह चक्कर चला कर कई लोगों को ब्लैकमेल किया. रूमाना मजबूर थी. वह घर भी वापस नहीं जा सकती थी. घर जाने पर उस के दोनों भाई उसे जिंदा जला देते.
हारुन ने रूमाना को जिस रास्ते पर चलाया था, वह उस पर चलने को मजबूर थी. इसी वजह से उन्होंने काफी दौलत जमा कर ली थी. इस के अलावा भी हारुन उल्टेसीधे तरीकों से पैसे कमाता रहता था. ऐसे कामों में रूमाना उस का साथ देतेदेते तंग आ चुकी थी. यह भी कह सकते हैं कि वह थक चुकी थी. उस का कहना था कि यह आखिरी बार है, इस के बाद वे बाहर चले जाएंगे.
करीमभाई लगातार कोशिश कर रहे थे, लेकिन हारुन का नंबर नहीं लग रहा था. वह लगातार बंद बता रहा था. उस ने 2 दिन का समय दिया था. एक ही दिन उन के पास था. वह सोच रहे थे कि हारुन न जाने कितनी रकम पर राजी होगा? काम में उन का मन बिलकुल नहीं लग रहा था. उन्होंने फाइलें बंद कर दीं. बारबार उन का ध्यान मोबाइल पर जा रहा था. इस के पहले वह कभी इतना परेशान नहीं हुए थे.
कहां खुशी मनाने का मौका था और वह परेशान थे. फोन की घंटी बजी तो उन्होंने लपक कर उठाया. लेकिन यह रूमाना का फोन था. उस ने पूछा, ‘‘हारुन का कोई फोन आया? मुझे डर लग रहा है.’’
‘‘तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है, मैं सब संभाल लूंगा. अगर घी सीधी अंगुली से नहीं निकला तो मुझे अंगुली टेढ़ी करना भी आता है. मुझे पता है कि मुझे क्या करना है.’’ करीमभाई ने दृढ़ता से कहा.
रूमाना ने धीरे से कहा, ‘‘शादी के बाद मैं बहुत खुश थी. खुद को बहुत महफूज समझ रही थी, लेकिन यह बखेड़ा खड़ा हो गया.’’
‘‘तुम बिलकुल फिक्र मत करो, सब ठीक हो जाएगा.’’