एयर होस्टेस का अधूरा प्यार – भाग 2

आदेश अर्चना की डेटिंग ऐप प्रोफाइल पर अब रोज अपने कमेंट भेजने लगा था. अर्चना अपनी पोस्ट पर आदेश के द्वारा भेजे कमेंट पढ़ती तो उस की नजर में आदेश का कद और ऊंचा हो जाता. दोनों की दोस्ती धीरेधीरे मजबूत डोर में बंधने लगी. आदेश अर्चना की नजर में सुलझा हुआ इंसान था. उस के कमेंट में कोई अश्लीलता नहीं होती, न वह ऊलजलूल बातें लिखता था.

आदेश हमेशा इस खूबसूरत दुनिया के खूबसूरत नजारों की बातें लिखता, कभी निराशा के महत्त्व को समझाता, जिस के आधार पर इंसान अपना भविष्य तय करता है. आदेश मन से चाहता था कि अर्चना अपने मकसद में कामयाब हो जाए, वह एयरहोस्टेस बन कर ऊंची उड़ान भरे. अर्चना पूरी लगन से एयरहोस्टेस के लिए तैयारी कर रही थी. इधर उस का झुकाव धीरेधीरे आदेश की ओर होने लगा था.

दोस्ती बदली प्यार में…

किसी दिन आदेश का यदि कोई कमेंट नहीं आता तो अर्चना उदास हो जाती थी. आदेश उस के दिलोदिमाग पर छाता जा रहा था. सोतेजागते, खातेपीते बस आदेश का खयाल ही अर्चना की जेहन में उभरता रहता. आदेश उस की नींदें चुराने लगा था, उस के दिल में हलचल मचाने लगा था. अब अर्चना का मन करता था, उस की पोस्ट से हट कर सीधे उस से बातें करे.

अर्चना हिमाचल प्रदेश के जिला कांगडा के बनखेड़ी में रहती थी और आदेश बेंगलुरु में. दोनों के बीच बहुत लंबा फासला था, वह आमनेसामने बैठ कर बातेंमुलाकातें नहीं कर सकते थे. अर्चना को आदेश से बात करने का एक ही जरिया नजर आया, वह जरिया था मोबाइल. मोबाइल द्वारा आदेश और वह रात और दिन बातें कर सकते थे, लेकिन अर्चना आदेश को यह सुझाव देने में हिचक रही थी. वह नारी थी, अपनी ओर से यह सुझाव देने में उसे शरम महसूस हो रही थी. वह चाहती थी कि इस की पहल आदेश करे.

एक दिन उस की मुराद पूरी हो गई. आदेश ने कमेंट किया, ‘‘अर्चना, तुम बेहद खूबसूरत और सुलझी हुई युवती हो. हम दोनों के बीच लंबे समय से पोस्ट पर कमेंट का ही आदानप्रदान हो रहा है, अब दिल तुम से मिलने को तड़पने लगा है. ऐसा क्यों हो रहा है, मैं नहीं जानता, लेकिन अब मैं तुम्हारी मीठी आवाज सुनना चाहता हूं. क्या तुम मुझे अपना मोबाइल नंबर दोगी?’’

अर्चना के दिल में जलतरंग बजने लगी. उसे बिन मांगे मोती मिल गए थे. उस ने कमेंट में लिखा, ‘आदेश, मैं खुद तुम्हारी आवाज सुनने को बेताब हूं. मैं तुम्हें अपना मोबाइल नंबर दे रही हूं, तुम भी मोबाइल नंबर लिख दो, दिलों से तो हम कभी के जुड़ चुके हैं, अब जुबां से भी जुड़ जाएं, तो अच्छा होगा.’’ दोनों ने अपनाअपना मोबाइल नंबर पोस्ट पर डाल दिया.

उस वक्त रात के सवा 9 बजे थे, जब आदेश ने उस का नंबर मिलाया. उस की आवाज में शायरानापन था, ‘‘मेरे दिल की बगिया में खूबसूरत शहजादी का स्वागत है, यह नाचीज गुलाम तुम्हें झुक कर सलाम करता है.’’

“ओह आदेश, तुम कितने अच्छे हो.’’ आदेश की आवाज पर मदहोशी में झूमती हुई अर्चना बोली, ‘‘तुम जैसा प्यारा दोस्त पा कर मैं निहाल हो गई हूं.’’

“एक बात कहूं अर्चना?’’ आदेश ने सकुचाते हुए पूछा.

“कहो आदेश, जो तुम्हारे दिल में हो, बेझिझक कह डालो.’’

“यह दिल अब तुम्हारे लिए बेचैन रहने लगा है, क्या तुम एक बार मेरे पास बेंगलुरु नहीं आ सकती?’’

“तुम बुलाओ और मैं न आऊं.’’ अर्चना खुशी से चहकी, ‘‘मुझे खूबसूरत लोग और खूबसूरत शहर देखने का बचपन से शौक रहा है. सुना है बेंगलुरु बहुत खूबसूरत शहर है.’’

“बहुत खूबसूरत है मेरा बेंगलुरु, जैसे तुम्हारा कश्मीर हसीन है, वैसे ही मेरा बेंगलुरु भी हसीन है. आओगी तो मन खुश हो जाएगा.’’

“ठीक है आदेश. मैं आ रही हूं, तुम इंतजार करना.’’ अर्चना ने कहा और अंगड़ाई ले कर उस ने मोबाइल औफ कर दिया.

4 दिन बाद ही अर्चना बेंगलुरु पहुंच गई. वह ट्रेन से आ रही है, इस बात की सूचना उस ने आदेश को दे दी थी. वह ट्रेन पहुंचने के वक्त उस बोगी के सामने अर्चना के स्वागत के लिए खड़ा था, जिस में अर्चना की बर्थ थी. अर्चना अपना बैग ले कर बोगी के दरवाजे पर आई तो आदेश ने उस की तरफ हाथ हिलाया.

कंप्यूटर पोस्ट पर वे अपनीअपनी तसवीरें डालते रहते थे, इसलिए एकदूसरे को पहचानने में उन्हें परेशानी नहीं हुई. अर्चना आदेश को देख कर खुशी से दौड़ी और उस के सीने से लग गई. आदेश ने भावावेश में अर्चना का माथा चूम लिया.

“कैसी हो अर्चना, सफर में कोई परेशानी तो नहीं हुई?’’

“मैं आराम से पहुंच गई हूं आदेश, तुम्हें सामने देख कर मुझे इतनी खुशी हो रही है कि शब्दों में बयान नहीं कर सकती.’’

“मैं भी तुम्हें देख कर बहुत खुश हूं अर्चना.’’ आदेश ने मुसकरा कर कहा और अर्चना का बैग ले कर कंधे पर टांग लिया, ‘‘आओ पहले किसी रेस्तरां में कुछ नाश्ता कर लेते हैं, फिर घर चलेंगे.’’

आदेश ने कराई बेंगलुरु की सैर…

आदेश अर्चना को एक रेस्तरां में ले कर आया. वहां अर्चना को ब्रेकफास्ट करवाने के बाद वह उसे श्री लक्ष्मी मंदिर रोड स्थित श्री रेणुका रेजीडेंसी के फोर्थ फ्लोर वाले अपने फ्लैट में ले आया. यह फ्लोर उस ने रेंट पर ले रखा था. उस के कमरे में एक सामान्य जीवन व्यतीत करने वाले इंसान के रोजमर्रा के काम आने वाला सामान था. फोल्डिंग पलंग, दरी चादर, बैग और किचन में छोटा सा इलैक्ट्रिक बर्नर. वहां खाना पकाने और खाने के इस्तेमाल में काम आने वाले कुछ बरतन भी थे.

अर्चना ने आश्चर्य से पूरा कमरा और किचन देखा, ‘‘तुम खुद खाना बनाते हो आदेश?’’ हैरानी से अर्चना ने पूछा.

“हां.’’आदेश ने सिर हिलाया, ‘‘फिलहाल तो मैं ही खाना बनाता हूं, बाद में कोई घर संभालने वाली आ जाएगी तो इस झंझट से मुक्ति मिल जाएगी.’’

“कोई देख रखी है क्या?’’ कनखियों से आदेश की ओर देख कर अर्चना ने उत्सुकता से पूछा.

“देखी तो है लेकिन अभी उस से कुछ कहने की हिम्मत नहीं है.’’ आदेश ने कहा और इस विषय को ही बदल दिया, ‘‘अर्चना तुम नहा कर फ्रैश हो जाओ, कुछ देर आराम कर लो, फिर मैं तुम्हें घुमाने ले चलूंगा.’’

“ठीक है,’’ अर्चना ने कहा और टावेल ले कर बाथरूम में घुस गई.

“आदेश ने घर संभालने के लिए किसी को देखा है. वह कौन होगी, यह जानने के लिए अर्चना उत्सुक नहीं थी. क्योंकि वह जान चुकी थी कि आदेश उसे मन ही मन प्यार करने लगा है. अपना जीवनसाथी वह उसे ही बनाएगा. शरम और झिझक में आदेश ने बात का विषय ही बदल दिया.’’ फ्रैश होते समय अर्चना यही सोच कर मन ही मन मुसकराती रही.

नहाने के बाद अर्चना ने कुछ देर आराम किया. फिर आदेश के साथ बेंगलुरु की सैर को निकल गई. आदेश ने उसे बेंगलुरु के पर्यटनस्थल दिखाए, माल में शापिंग करवाई और स्थानीय भोजन का स्वाद चखाया. अर्चना बहुत खुश थी कि वह आदेश के साथ में है.

रहने लगे लिवइन रिलेशन में…

अर्चना 5 दिन बेंगलुरु में रही. इन 5 दिनों में वह आदेश के दिल के और करीब आ गई. छठे दिन आदेश से विदा लेते समय उस ने आदेश के चेहरे पर उदासी देखी तो उस का दिल तड़प उठा, ‘‘क्या हुआ आदेश, तुम्हारा चेहरा क्यों मुरझा गया है?’’

आदेश ने उस की तरफ नजरें उठाईं और भरे गले से बोला, ‘‘मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता अर्चना. तुम मुझे छोड़ कर मत जाओ.’’

“मैं भी अब तुम्हारी जुदाई नहीं सह सकूंगी आदेश. मैं यहीं तुम्हारे पास रहना चाहती हूं लेकिन…

“लेकिन क्या?’’ आदेश ने व्याकुल हो कर पूछा.

“मैं समाज से डरती हूं आदेश. मैं अभी कुंवारी हूं, तुम्हारे पास रही तो लोग तरहतरह की बातें करेंगे.’’

“समाज के लोग किसी को प्यार करते देख कर कब खुश हुए हैं अर्चना. ये लोग प्यार के रास्ते में फूल नहीं, कांटे बिछाना जानते हैं. हम यदि इन से डरेंगे तो कभी एक नहीं हो पाएंगे.’’

“तुम ठीक कहते हो आदेश,’’ अर्चना ने सिर हिलाया और दृढ़ स्वर में बोली, ‘‘मैं कांगड़ा जा कर अपना सामान ले आती हूं. अब हम साथ जीएंगें, साथ मरेंगे.’’

आदेश ने खुशी से अर्चना को बाहों में भर लिया. अर्चना ने उस के कंधे पर सिर रख कर आंखें बंद कर लीं. दोनों के चेहरों से उदासी की परछाइयां लोप हो गई थीं.

एयर होस्टेस का अधूरा प्यार – भाग 1

वर्तमान परिवेश में हम ऐसे अव्यवस्थित समय में जी रहे हैं, जहां विश्वास सब से दुर्लभ वस्तु बन गया है. आज के दौर में सच्चा प्रेम और अपनापन किसी से पा लेना एक अधूरे सपने को पूरा कर लेने जैसा ही है. इस सत्य घटना की पात्र अर्चना धीमान ने भी आदेश से सच्चा प्रेम और अपनापन पाने के लिए उस की ओर हाथ बढ़ाया, उस पर विश्वास किया, लेकिन वह ठगी गई.

अर्चना न तो अशिक्षित थी, न कच्ची उम्र की नादान बालिका. वह 25वां बसंत देख चुकी थी. ग्रैजुएट कर चुकी अर्चना ने अपनी आंखों पर नए दौर का ऐसा चश्मा लगा लिया था, जिस से उसे दुनिया चमचमाती और रंगीन दिखाई देती है. बेटी की बढ़ती उम्र को देख कर मांबाप चिंतित थे. अर्चना के पिता देवनाथ धीमान उस के हाथ पीले कर के अपने फर्ज से मुक्ति पा लेना चाहते थे.

न्यूजपेपर में उन्होंने उस के विवाह का विज्ञापन दिया था. रोज 5-7 लडक़ों के फोटो बायोडाटा के साथ उन के पते पर आ रहे थे, लेकिन अर्चना किसी भी लडक़े को अपने जीवनसाथी के रूप में पसंद नहीं कर रही थी. उस दिन भी डाक से 3 लडक़ों के फोटो अर्चना से रिश्ते के लिए आए थे. पतिपत्नी उन्हीं फोटो को देख रहे थे.

“अर्चना के पापा, मुझे यह लडक़ा अर्चना बेटी के लिए पसंद आ रहा है,’’ अर्चना की मां एक फोटो देवनाथ धीमान की तरफ बढ़ाते हुए बोली, ‘‘इस का कोच्चि में पांचसितारा रायल होटल है. 50 आदमी वहां काम करते हैं. लाखों कमाता है, अर्चना रानी बन कर राज करेगी.’’

“लडक़ा तो अच्छा है, मुझे भी जंच रहा है, लेकिन अर्चना से पूछ लो. वह हां करेगी या अन्य रिश्तों की तरह इस रिश्ते को भी ठुकरा देगी.’’

“मैं बुलाती हूं उसे,’’ अर्चना की मां ने कहने के बाद जोर से पुकारा, ‘‘अर्चना बेटी, जरा यहां ड्राइंगरूम में आना.’’

2-3 बार पुकारा गया, तब अर्चना अपने स्टडीरूम से झल्लाती हुई बाहर आई, ‘‘क्या हुआ मम्मी, आप हर समय आवाज लगाती रहती हो, मेरा एग्जाम सिर पर है, यह तो सोचा करो, मैं पढ़ रही हूं, डिस्टर्ब होगा.’’

“जानती हूं बेटा, लेकिन हमें भी तो अपनी जिम्मेदारी निभाने दे.’’ अर्चना की मां हंस कर बोली, ‘‘ले देख यह लडक़ा तेरे पापा को और मुझे बहुत जंच रहा है.’’

अर्चना ने मुंह बिगाड़ा, ‘‘लगता है कि आप दोनों के पास मेरी शादी के अलावा कोई और विषय नहीं है क्या. हर वक्त शादी… शादी यह लडक़ा देख, वो लडक़ा देख. मैं 10 बार कह चुकी हूं मम्मी, मुझे पहले अपना एयरहोस्टेस बनने का सपना पूरा करना है, मैं जब अपने पैरों पर खड़ी होऊंगी, तब शादी के बारे में सोचूंगी.’’

“तब तक तो बहुत देर हो जाएगी बेटा.’’ देवनाथ ने परेशान हो कर कहा.

“हो जाने दीजिए. शादी होगी तभी इंसान जीएगा, ऐसा किसी किताब में नहीं लिखा है. करोड़ों कुंवारे भी अपनी जिंदगी पूरी कर ही लेते हैं न.’’ अर्चना ने झुंझला कर कहा और पांव पटकती हुई स्टडी रूम में चली गई. देवनाथ और उन की पत्नी गहरी सांस भर कर एकदूसरे को देखते रह गए.

डेटिंग ऐप से हुई दोस्ती…

अर्चना आ कर अपने कंप्यूटर के सामने बैठ गई. उस का मूड खराब हो गया था. कुछ देर तक वह चुप बैठी रही, फिर उस ने कंप्यूटर चालू कर के अपनी डेटिंग ऐप वाली प्रोफाइल खोल ली. उस में अर्चना ने अपनी सहेली प्रिया के कहने पर दोस्ती के लिए रिक्वेस्ट डाली थी.

4 दिनों से उस के प्रोफाइल पर आदेश नाम के युवक की ओर से फ्रैंडशिप के लिए रिक्वेस्ट आ रही थी. अर्चना उस की रिक्वेस्ट पर कोई उत्तर नहीं दे रही थी, वह आदेश की रिक्वेस्ट को ब्लौक कर देती थी. अभी उस ने कंप्यूटर खोल कर अपनी डेटिंग ऐप वाली प्रोफाइल देखी तो आदेश की फ्रैंड रिक्वेस्ट फिर से नजर आई. आदेश ने इस बार अपना बायोडाटा भी भेजा था.

बायोडाटा के अनुसार आदेश केरल के कोच्चि शहर का रहने वाला था. वर्तमान में वह कर्नाटक के बेंगलुरु में रह कर एक प्रतिष्ठित कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्य कर रहा था. आदेश ने अपनी फोटो भी प्रोफाइल पर भेजी थी. देखने में वह हैंडसम लग रहा था. उस की उम्र 30 साल थी. अर्चना ने आदेश की फोटो अपने मोबाइल में अपलोड कर ली और कंप्यूटर बंद कर के अपनी सहेली प्रिया से मिलने के लिए घर से निकल गई.

“वाव,’’ प्रिया ने आदेश का फोटो देख कर होंठों को गोल दायरे में सिकोड़ कर चहकते हुए कहा, ‘‘यह तो बहुत हैंडसम है यार अर्चना. यह दोस्त बनाने के काबिल है.’’

“सिर्फ किसी की खूबसूरती और तन के कीमती कपड़ों से उस की परख नहीं होती प्रिया, वह व्यक्ति दिल का कैसा है, यह भी देखना पड़ता है.’’ अर्चना ने गंभीर स्वर में कहा.

“तू इस से दोस्ती करेगी, इस के करीब जाएगी तभी तो इसे सही ढंग से पहचान पाएगी.’’ प्रिया ने तर्क रखा, ‘‘तू इसे दोस्त बना कर परख ले. मन का साफ और दिल का नेक हो तो दोस्ती निभाना, नहीं तो चलता कर देना.’’

“हां, यह तू ठीक कह रही है. मैं इस की फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेती हूं.’’ अर्चना ने मुसकरा कर कहा. थोड़ी देर इधरउधर की बात करने के बाद दोनों सहेलियां अपनीअपनी राह निकल गईं. उसी रात सोने से पहले अर्चना ने आदेश की फ्रैंडशिप कुबूल कर ली. आदेश की ओर से उस की प्रोफाइल पर दोस्ती कुबूल करने के लिए थैंक्स कहा गया.

अर्चना धीमान बनी एयर होस्टेस…

अर्चना अपनी ग्रैजुएशन कंप्लीट कर लेने के बाद एयरहोस्टेस के एग्जाम की तैयारी कर रही थी. उस का सपना एयरहोस्टेस बनने का था. वह छरहरे बदन की खूबसूरत युवती थी. नैननक्श तीखे थे और संतरे की फांक जैसे पतले गुलाबी होंठों पर हमेशा मुसकान खिली रहती थी. उस का मदमाता यौवन किसी भी पुरुष को मदहोश बना सकता था.

25 साल की उम्र किसी भी इंसान को इतना तो सिखा ही देती है कि अच्छा क्या है, बुरा क्या है. अर्चना भी इतनी परिपक्व हो चुकी थी कि सामने वाले से 2-4 बातें कर के उस की नीयत का अंदाजा लगा लेती थी. इंसान की परख करना वह सीख गई थी. उसे अपने आप पर पूर्ण विश्वास था कि अपने विश्वास को कभी डगमगाने नहीं देगी.

उस ने मम्मीपापा की शादी की जिद से ऊब कर ही डेटिंग ऐप पर अपना एकाउंट बनाया था. कितने ही युवकों ने उस की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने के लिए अपनी रिक्वेस्ट भेजी थी, उन्हीं में से जांचपरख कर अर्चना ने आदेश का चुनाव किया था.

आदेश अर्चना की नजर में खरा और विश्वास करने वाला युवक था. आदेश का सौफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर एक प्रतिष्ठित कंपनी में जौब करना, उस का प्रभावशाली व्यक्तित्व और आकर्षक बौडी अर्चना को पसंद आई थी. उस ने आदेश की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया था.

किसी एक की नहीं हुई अनारकली – भाग 3

अनारकली की बात पर बलराम ने भी बहस करनी जरूरी नहीं समझी. वह उसे समझाने की कोशिश करने लगा. पर उसी समय उस ने यह जरूर तय कर लिया था कि इस धोखेबाज औरत को वह सबक जरूर सिखाएगा. और यह काम उस के साथ रह कर संभव हो सकता था.

बलराम के दिल में कसक तो थी ही. वह बस मौके का इंतजार कर रहा था. बात 2 दिसंबर, 2016 की है. दोपहर के समय बलराम दशघरा गढ़ी स्थित अपने कमरे पर आया. उस के दिल में अनारकली के प्रति गुस्सा तो भरा ही हुआ था. बलराम ने उस के चरित्र को ले कर बात शुरू की तो अनारकली भड़क गई. दोनों तरफ से गरमागरमी होने लगी. तभी बलराम कमरे में स्लैब पर रखा अपना हथौड़ा उठा लिया और उस का एक वार उस के सिर पर किया.

हथौड़े के वार से अनारकली बेहोश हो कर गिर पड़ी और उस के सिर से खून निकलने लगा. इस के बाद उस ने उस की पीठ पर भी हथौड़े से कई वार किए. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.

अनारकली की हत्या करने के बाद बलराम को तसल्ली हुई पर उस के सामने समस्या यह आ गई कि लाश को ठिकाने कैसे लगाए.

कुछ देर सोचने के बाद वह कमरे में रखा किचन में प्रयोग होने वाला चाकू उठा लाया. उस चाकू से उस ने अनारकली को कूल्हे के ऊपर से काट कर 2 हिस्सों में कर दिया. कमरे में बड़ेबड़े 2 ट्रैवल बैग रखे थे. उन में रखे कपड़े निकाल दिए. इस के बाद उस ने उन में लाश के टुकड़े रख दिए. फिर उस ने कमरे का खून साफ किया. अब वह अंधेरा होने का इंतजार करने लगा.

अंधेरा होने पर उस ने वह बैग उठाया, जिस में अनारकली का सिर और धड़ वाला भाग रखा था. उस बैग को रिक्शे में ले कर वह कैप्टन गौड़ मार्ग पर नाले के पास स्थित बसस्टैंड पर उतर गया. कुछ देर वहां बैठने के बाद जब उसे आसपास कोई दिखाई नहीं दिया तो उस ने उस बैग को नाले के किनारे झाडि़यों में डाल दिया.

एक बैग को ठिकाने लगाने के बाद वह कमरे पर आया और दूसरे बैग को रिक्शे में ले कर कैप्टन गौड़ मार्ग पर स्थित मसजिद के पास उतर गया.

फिर वहां से कुछ मीटर आगे चल कर उस ने वह बैग भगेल मंदिर के पास पुलिया के नीचे गिरा दिया. वह इलाका श्रीनिवासपुरी क्षेत्र में आता है. वहां से बह रहे बड़े नाले में 2 छोटे नाले भी जुड़े हुए हैं. वह बैग जिस में अनारकली के कूल्हे और पैर वाला भाग था, लुढ़क कर एक छोटे नाले के किनारे पहुंच गया.

दोनों बैग ठिकाने लगाने के बाद बलराम ने राहत की सांस ली. फिर कमरे की सफाई कर के खून से सनी चादर कूड़े के ढेर पर फेंक आया. इस के बाद वह ताला लगा कर अपने एक जानकार के यहां चला गया.

नोटबंदी के बाद जिस तरह जगहजगह नोट पड़े होने की खबरें सामने आई हैं, उसी तरह नाले के पास झाडि़यों में पड़े उस बैग को किसी व्यक्ति ने लालच में आ कर खोला होगा. पर नोटों की जगह उस में लाश देख कर उसे जरूर पसीना आ गया होगा. डर की वजह से वह बैग को खुला छोड़ कर भाग गया.

उधर भगेल मंदिर के पास छोटे नाले के पास जो बैग गिरा था, उसे कुत्तों ने फाड़ कर उस में से लाश निकाल कर खा ली. केवल एक टांग पर कुछ मांस बचा था. जानवरों की खींचातानी में वह हिस्सा नाले में गिर गया.

पुलिस ने एम्स की मोर्चरी में लाश के जो 2 हिस्से रखवाए थे, उन की डीएनए जांच की गई तो वह दोनों एक ही महिला के पाए गए. बलराम से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त हथौड़ा और चाकू भी कमरे से बरामद कर लिया. खून से सनी चादर जहां फेंकी थी, पुलिस उसे वहां ले कर गई पर नगर निगम की गाड़ी वहां के कूड़े को ले जा चुकी थी, जिस से वह चादर वहां नहीं मिल सकी. पुलिस ने बलराम को भादंवि की धारा 302, 201 के तहत गिरफ्तार कर के साकेत कोर्ट में महानगर दंडाधिकारी अर्चना बेनीवाल की कोर्ट में पेश कर उसे 2 दिनों के रिमांड पर लिया.

रिमांड अवधि में संबंधित स्थानों की तसदीक कराने के बाद उसे फिर से कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक बलराम जेल में बंद था. मामले की विवेचना इंसपेक्टर राजेश मौर्य कर रहे हैं.

कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित

किसी एक की नहीं हुई अनारकली – भाग 2

अब तक की जांच में मृतका के साथ रहने वाले बलराम पर ही शक जा रहा था, क्योंकि वह गायब था. पुलिस टीम उसे ढूंढने में जुट गई. इस काम में पुलिस ने अपने मुखबिरों को भी लगा दिया. प्रवीण ने पुलिस को बताया था कि मृतका अनारकली का एक बेटा भी है जो चेन्नै में रहता है. पुलिस ने प्रवीण से उस का, अनारकली और उस के बेटे का फोन नंबर ले लिया. तीनों के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई.

इस के अलावा इन तीनों नंबरों के द्वारा जिन नंबरों से बात होती थी, उन की भी जांच की. इस जांच में अनारकली के फोन नंबर की लोकेशन उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले की आ रही थी.

अनारकली के इस नंबर से जिनजिन नंबरों से संपर्क हुआ था, उन सब को जांच के दायरे में लिया गया. इन में से एक नंबर दिल्ली के संगम विहार इलाके का मिला. संगम विहार के जिस व्यक्ति का यह नंबर था, वह एक औटो ड्राइवर था. पुलिस उस तक पहुंच गई. उस से पूछताछ की गई तो वह पुलिस को बेकसूर लगा.

उधर पुलिस की बलराम को ढूंढने की कोशिश जारी थी. फिर 7 दिसंबर, 2016 को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर बलराम को दिल्ली के नेहरू प्लेस मैट्रो स्टेशन के पास से गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि अनारकली उस के साथ 20 साल से लिवइन रिलेशन में रहती थी. पर उस ने हालात ऐसे खड़े कर दिए थे कि उसे उस की हत्या के लिए मजबूर होना पड़ा. बलराम ने उस की हत्या की जो कहानी बताई, चौंकाने वाली निकली.

अनारकली उर्फ अन्नू मूलरूप से चेन्नै की रहने वाली थी. उस के मातापिता बेहद गरीब थे, इस वजह से वह नहीं पढ़ सकी. उस के मोहल्ले की कई लड़कियां दिल्ली में नौकरी या फिर दूसरे कामधंधे करती थीं. अनारकली जब करीब 16 साल की हुई तो उस के पिता ने उसे काम करने के लिए मोहल्ले की लड़कियों के साथ दिल्ली भेज दिया.

वह कोई पढ़ीलिखी तो थी नहीं, जिस से उस की कहीं नौकरी लग जाती. कुछ कोठियों में उसे झाड़ूपोंछा आदि का काम जरूर मिल गया. बाद में उसे और कोठियों में भी काम मिलते चले गए. कई जगह काम करने से उसे महीने की अच्छी कमाई होने लगी. उन पैसों में से वह कुछ पैसे अपने मांबाप के पास भेज देती थी.

दिल्ली में साल भर काम करने के बाद अनारकली काफी चालाक हो गई थी. अब वह पहले वाली सीधीसादी अन्नू नहीं रह गई थी. उसी दौरान 17 साल की अनारकली उर्फ अन्नू की मुलाकात दुरक्कन नाम के युवक से हुई जो दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था. दुरक्कन 20-22 साल का युवक था. वह भी चेन्नै का रहने वाला था, इसलिए दोनों के बीच जल्द ही दोस्ती हो गई जो बाद में प्यार में बदल गई. अपने कामधंधे से निपटने के बाद दोनों मिलतेमिलाते रहते थे.

अनारकली अपने मांबाप से भले ही सैकड़ों किलोमीटर दूर रह कर अपने प्रेमी के साथ मौजमस्ती कर रही थी, इस के बावजूद भी इस की जानकारी उस के घर वालों को हो गई थी. इस बारे में जब उन्होंने अनारकली से बात की तो उस ने साफसाफ बता दिया कि वह दुरक्कन से शादी करना चाहती है. घर वालों ने उस की बात मानते हुए दुरक्कन से उस की शादी कर दी. इस के बाद वह पति के साथ दिल्ली में रहने लगी.

अनारकली और उस का पति दोनों कमा रहे थे, इसलिए उन की घरगृहस्थी बड़े आराम से चल रही थी. इसी दौरान वह एक बेटे की मां बन गई, जिस का नाम श्रीनिवासन रखा. प्यार से सभी उसे सनी कहते थे. शादी के 7-8 साल बाद दुरक्कन पत्नी को अकेला छोड़ कर कहीं चला गया. अनारकली ने अपने स्तर से जब पति के बारे में पता लगाया तो जानकारी मिली कि उस का किसी और लड़की से चक्कर चल रहा था. वह उस लड़की को ले कर चेन्नै भाग गया है. पति के इस विश्वासघात से अनारकली को बड़ा दुख हुआ.

वह दिल्ली में बेटे सनी के साथ अकेली थी. उस ने सनी को अपने मायके भेज दिया ताकि वह अपने नानानानी की देखरेख में पढ़ाई पूरी कर सके. अनारकली की उम्र उस समय करीब 24-25 साल थी. यह उम्र अकेले काटे से नहीं कटती. पति उसे धोखा दे कर चला गया था. उसी दौरान उस की मुलाकात बलराम नाम के व्यक्ति से हो गई.

बलराम प्लंबर था. वह मूलरूप से उड़ीसा के केंद्रपाड़ा जिले का रहने वाला था. वह शादीशुदा था, उस की पत्नी उड़ीसा में ही रहती थी. धीरेधीरे दोनों इतने नजदीक आ गए कि उन्होंने साथसाथ रहने का फैसला कर लिया. वे दोनों दक्षिणपूर्वी दिल्ली के थाना अमर कालोनी के गांव दशघरा गढ़ी में लिवइन रिलेशन में रहने लगे.

अनारकली ने घरों में काम करना बंद कर दिया. वह ईस्ट औफ कैलाश में स्थित नर्सरी के पास फुटपाथ पर चाय की दुकान चलाने लगी. बलराम का साथ मिलने पर अनारकली के जीवन में खुशहाली लौट आई थी. करीब 20 साल तक दोनों लिवइन रिलेशन में रहते रहे.

इस बीच बलराम समयसमय पर उड़ीसा स्थित अपनी पत्नी और बच्चों से मिलने चला जाता था. उस के 2 बेटियां और एक बेटा था. बीवी और जवान बच्चों को इस बात की भनक तक नहीं लग सकी थी कि वह दिल्ली में किसी औरत के साथ रह रहा है.

करीब डेढ़ महीने पहले बलराम उड़ीसा से दिल्ली लौटा तो अनारकली का व्यवहार कुछ बदला हुआ था. हालांकि अनारकली का सारा खर्च वह खुद उठाता था, इस के बावजूद भी वह उस के साथ रूखा व्यवहार कर रही थी. इतना ही नहीं, वह बिस्तर पर भी उसे अपने पास नहीं फटकने देती थी. बलराम को शक हो गया कि जरूर इस के किसी और से संबंध हो गए हैं. वह पता लगाने में जुट गया कि ऐसा कौन आदमी है.

बलराम ने जल्द ही इस बारे में जानकारी जुटा ली. उसे पता चला कि अनारकली के एक नहीं बल्कि 2 औटो ड्राइवरों से नाजायज संबंध हैं. यह जानकारी मिलते ही बलराम के तनबदन में आग सी लग गई. उस का मन तो कर रहा था कि वह अनारकली को अभी ऐसी सजा दे, जिसे वह जिंदगी भर न भूल सके. पर वह कोई बात सोच कर अपना गुस्सा पी गया.

उस ने शाम को अनारकली से उस के बदले व्यवहार के बारे में बात की तो वह उस के साथ लड़ने को आमादा हो गई. दोनों में कुछ देर बहस हुई और मामला शांत हो गया.

एक दिन बलराम दोपहर के समय कमरे पर पहुंचा तो दरवाजा अंदर से बंद मिला. किवाड़ के बीच में जो दरार थी, उस पर आंख गड़ा कर देखा तो कमरे के अंदर जल रही ट्यूबलाइट की रोशनी में सारा नजारा दिख गया. अनारकली एक व्यक्ति के साथ आपत्तिजनक स्थिति में थी. इस के बाद तो बलराम का शक विश्वास में बदल गया.

बलराम ने दरवाजा खटखटाने के बजाय अनारकली को फोन लगाया तो उस ने स्क्रीन पर नंबर देखने के बाद अपना फोन स्विच्ड औफ कर दिया. इस के अलावा उस ने कमरे में जल रही ट्यूबलाइट भी बंद कर दी.

तब बलराम ने दरवाजा खटखटाया. करीब 4-5 मिनट बाद अनारकली ने दरवाजा खोला तो सामने बलराम को देख कर उस के होश उड़ गए. उसी दौरान कमरे में अनारकली के साथ जो युवक था, वह वहां से भाग गया. तब बलराम ने उस से उस युवक के बारे में पूछा तो अनारकली बोली, ‘‘कोई भी हो, तुम्हें उस से क्या मतलब?’’

‘‘मेरे होते हुए तुम किसी और को यहां नहीं बुला सकती.’’ वह बोला.

‘‘क्यों, मैं ने तुम्हारे साथ क्या शादी की है जो मुझ पर इस तरह से हुकुम चला रहे हो. अपनी जिंदगी मैं अपनी तरह से जिऊंगी. इस में कोई भी दखलअंदाजी नहीं कर सकता. इसलिए बेहतर यही है कि तुम इस मुद्दे पर ज्यादा बात मत करो.’’ अनारकली ने जवाब दिया.

बलराम उस का मुंह देखता रह गया. बात भी सही थी, उस ने अनारकली से शादी थोड़े ही की थी. दोनों का स्वार्थ था, इसलिए वे साथसाथ रह रहे थे. बलराम से जब उस का मन भर गया तो उस ने किसी और के साथ नजदीकी बना ली.

किसी एक की नहीं हुई अनारकली – भाग 1

3 दिसंबर, 2016 को सुबह करीब साढ़े 10 बजे दक्षिणपूर्वी दिल्ली के अमर कालोनी थाने के ड्यूटी अफसर को पुलिस कंट्रोलरूम से सूचना मिली कि कैप्टन गौड़ मार्ग पर नाले के किनारे बैग में किसी की लाश पड़ी है. उस दिन थानाप्रभारी उदयवीर सिंह किसी काम से बाहर गए हुए थे. उन की गैरमौजूदगी में थाने का चार्ज इंसपेक्टर राजेश मौर्य संभाले हुए थे. बैग में लाश मिलने की सूचना मिलते ही इंसपेक्टर राजेश मौर्य एसआई मनोज कुमार, हैडकांस्टेबल सुरेंद्र सिंह और महावीर सिंह को ले कर सूचना में बताए पते की तरफ निकल गए.

कैप्टन गौड़ मार्ग पर स्थित वह नाला थाने से करीब 2 किलोमीटर दूर था, इसलिए पुलिस टीम करीब 10 मिनट में ही वहां पहुंच गई. वहां पहले से काफी लोग खड़े थे. भीड़ को देख कर उधर से गुजरने वाले वाहन चालक भी वहां रुकरुक कर जा रहे थे. सभी लोग नाले के किनारे झाड़ी के पास पड़े उस काले रंग के ट्रैवल बैग को देख रहे थे. उस बैग का फ्लैप खुला हुआ था, जिस से उस में रखी लाश साफ दिखाई दे रही थी.

नोटबंदी के बाद जिस तरह आए दिन कूड़े के ढेर या अन्य जगहों पर करोड़ों रुपए मिलने के समाचार आ रहे हैं, उसी तरह इस बड़े बैग को भी नाले के किनारे किसी व्यक्ति ने देखा होगा तो पैसे मिलने की संभावना को देखते हुए उस ने इस बैग का फ्लैप खोल कर देखा होगा. लाश देख कर उस के होश फाख्ता हो गए होंगे. फिर वह बैग को ऐसे ही खुला छोड़ कर भाग गया होगा. लेकिन यह पता नहीं लग पा रहा था कि उस में रखी लाश किसी आदमी की है या किसी महिला की.

इंसपेक्टर राजेश मौर्य ने उस बैग का ऊपरी मुआयना कर के सूचना डीसीपी रोमिल बानिया, एसीपी सतीश केन, थानाप्रभारी उदयवीर सिंह के अलावा क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को दे दी. वहां मौजूद सभी लोग आपस में यही बातें कर रहे थे कि पता नहीं इस बैग में किस की लाश है. क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम के आने के बाद बैग से जब लाश निकाली गई तो सभी हैरान रह गए.

किसी महिला की लाश का वह कूल्हे से ऊपर का हिस्सा था. बाकी नीचे का हिस्सा वहां नहीं था. वह औरेंज कलर की नाइटी पहने हुए थी. उस के सिर पर किसी भारी चीज से वार करने की चोट थी. उस की कलाई पर कलावा बंधा था. इस के अलावा हाथ की एक अंगुली में अंगूठी थी और गले में पीले रंग का धागा पड़ा हुआ था. महिला की उम्र यही कोई 40-45 साल थी.

बैग से या उस महिला की लाश से कोई ऐसी चीज नहीं मिली जिस से उस की शिनाख्त हो सके. वहां जितने भी लोग खड़े थे, उन में से कोई भी उस की शिनाख्त नहीं कर सका. इस से यही अनुमान लगाया गया कि शायद यह किसी दूसरे इलाके की होगी. पुलिस ने मृतका का पेट के नीचे का हिस्सा आसपास की झाडि़यों में तलाशा पर वह वहां नहीं मिला.

उसी दौरान डीसीपी रोमिल बानिया, एडिशनल डीसीपी राजीव रंजन, एम. हर्षवर्धन, एसीपी सतीश केन आदि भी वहां पहुंच गए. उन्होंने भी लाश का मुआयना किया और इंसपेक्टर राजेश मौर्य को जरूरी दिशानिर्देश दे कर चले गए. पुलिस ने जरूरी काररवाई करने के बाद लाश के आधे हिस्से को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की मोर्चरी में रखवा दिया.

पुलिस ने अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर मृत महिला की शिनाख्त की काररवाई शुरू कर दी. पुलिस ने महिला की लाश के फोटो लगे 4 हजार पैंफ्लेट छपवा कर इलाके में सार्वजनिक स्थानों पर चिपकवा दिए.

इतना ही नहीं, समस्त थानों में सूचना भेज कर यह भी पता लगाने की कोशिश की कि इस हुलिया से मिलतीजुलती कोई महिला लापता तो नहीं है. थानाप्रभारी उदयवीर सिंह जो बाहर गए हुए थे, लाश मिलने की खबर पा कर शाम तक थाने लौट आए. अगले दिन भी पुलिस टीम हर संभावित तरीकों से पता लगाने लगी कि आखिर यह महिला है कौन. पर कहीं से भी उस के बारे में कुछ भी पता नहीं लगा.

4 दिसंबर, 2016 को दोपहर 12 बजे पुलिस कंट्रोलरूम से थाना अमर कालोनी में सूचना मिली कि श्रीनिवासपुरी के क्यू ब्लौक में पास भगेल मंदिर के पास छोटे नाले में किसी महिला का पेट से नीचे का भाग पड़ा हुआ है. थानाप्रभारी उदयवीर सिंह और इंसपेक्टर राजेश मौर्य 15-20 मिनट में ही भगेल मंदिर के पास पहुंच गए.

क्योंकि एक दिन पहले उन्होंने जिस महिला की लाश बरामद की थी, उस का भी पेट से नीचे का हिस्सा गायब था. पुलिस जब भगेल मदिर के पास पहुंची तो वास्तव में वहां किसी महिला के पेट के नीचे का हिस्सा नाले में पड़ा हुआ था. उस के एक पैर पर मांस नहीं था. शायद उसे कुत्तों ने खा लिया होगा.

नाले के पास एक काले रंग का बैग पड़ा हुआ था. उस पर खून के निशान से लगा कि लाश का वह हिस्सा उसी बैग में रख कर लाया गया होगा. जिस जगह से पुलिस ने एक दिन पहले महिला का धड़ बरामद किया था, यह जगह वहां से कोई आधा किलोमीटर दूर थी. जरूरी काररवाई कर के उसे भी पुलिस ने एम्स की मोर्चरी में रखवा दिया. पुलिस ने नाले के पास से महिला का जो धड़ बरामद किया था, यह हिस्सा उसी महिला का है या नहीं, यह बात डाक्टरी जांच के बाद ही पता लग सकती थी.

बहरहाल, अब पुलिस का पहला मकसद मृतका की शिनाख्त करवाना था. पुलिस के पास लाश के जो फोटो थे, उन्हीं के माध्यम से वह उस की शिनाख्त में जुट गई. बीट का हरेक पुलिसकर्मी अपनेअपने इलाके के लोगों को वह फोटो दिखा कर उस के बारे में पूछने लगा. हैडकांस्टेबल सुरेंद्र भी इसी काम में लगे हुए थे. फोटो देख कर उन्हें अमर कालोनी क्षेत्र के ही एक व्यक्ति ने बताया कि यह महिला तो अन्नू की तरह लग रही है.

‘‘अन्नू…यह अन्नू कौन थी और कहां रहती थी?’’ हैडकांस्टेबल सुरेंद्र ने उस से पूछा.

‘‘सर, यह दशघरा गढ़ी गांव में ही कहीं रहती थी. पर मैं इस के एक रिश्तेदार प्रवीण को जानता हूं जो सपना सिनेमा के पास साउथ इंडियन व्यंजन की रेहड़ी लगाता है.’’ वह व्यक्ति बोला.

सुरेंद्र को यह सुन कर खुशी हुई कि शायद यहां से कुछ बात बन सकती है. वह उस व्यक्ति को ले कर थाना अमर कालोनी क्षेत्र में स्थित सपना सिनेमा के पास ले गए. प्रवीण वहीं मिल गया. हैडकांस्टेबल सुरेंद्र ने प्रवीण को महिला की लाश का फोटो दिखाया तो उस ने उसे पहचानते हुए कहा कि यह अनारकली उर्फ अन्नू हैं. रिश्ते में यह उस की मौसेरी सास (सास की छोटी बहन) हैं.

सुरेंद्र ने यह जानकारी थानाप्रभारी उदयवीर सिंह और इंसपेक्टर राजेश मौर्य को दी. दोनों पुलिस अधिकारी प्रवीण के पास ही पहुंच गए. पुलिस प्रवीण को ले कर दशघरा गढ़ी स्थित अनारकली के कमरे पर पहुंची. पर उस का कमरा बाहर से बंद मिला. करीब 45 कमरों वाला वह मकान श्रीराम नाम के एक शख्स का था. पुलिस ने श्रीराम को बुला कर बात की तो उस ने बताया कि अनारकली एक मद्रासन थी जो करीब 3 महीने पहले उस के यहां आई थी.

इस के साथ बलराम नाम का एक बंदा और रहता था. यह सन 2010 में भी इसी मकान में 6-7 महीने रह कर गई थी. उस समय भी बलराम इस के साथ रहता था. जिस कमरे में अनारकली रहती थी, उस के आसपास के कमरों में रहने वाले लोगों ने बताया कि यह 2 दिसंबर से दिखाई नहीं दे रही.

वहां खड़ेखड़े पुलिस को अनारकली के कमरे से बदबू आती महसूस हुई. पुलिस ने भगेल मंदिर के पास से महिला के पेट से नीचे वाला जो हिस्सा बरामद किया था, उस की अभी डाक्टरी रिपोर्ट नहीं आई थी इसलिए कहा नहीं जा सकता था कि वह उसी की लाश का हिस्सा है. थानाप्रभारी को लगा कि कहीं अनारकली की लाश का आधा भाग इस कमरे में तो नहीं रखा है, इसलिए उन्होंने मकान मालिक और अन्य लोगों के सामने कमरे का ताला तोड़ कर कमरे में खोजबीन की तो वहां सूखी हुई मछलियां मिलीं. वह बदबू उन्हीं से आ रही थी.

कमरे की जांच के दौरान दीवार पर खून के कुछ छींटे भी दिखे. वे छींटे मानव खून के थे या नहीं, यह जांच के बाद ही पता चल सकता था. लिहाजा उन्होंने फोरैंसिक विभाग को फोन कर दिया. डा. नरेश कुमार के नेतृत्व में एक फोरैंसिक टीम वहां आ गई. टीम को दीवार पर 6 जगह खून के छींटे मिले. इस के अलावा एलपीजी के छोटे सिलेंडर पर भी खून के छींटे मिले. कमरे में 3 चाकू मिले. फोरैंसिक टीम ने कमरे से सबूत इकट्ठे कर लिए.

सिपाही की शादी बनी बरबादी – भाग 4

सोनी से भले ही रोशन राय दूर भागता जा रहा था, लेकिन वह अपने कप्तान धवल जायसवाल से दूर नहीं भाग सकता था. उन्होंने वायरलैस सेट के जरिए संदेश भिजवा कर सिपाही रोशन राय को अपने दफ्तर में जल्द से जल्द हाजिर होने का आदेश दिया. अपने कप्तान के आदेश को वह ठुकरा नहीं सकता था, उसे उन के सामने हाजिर होना ही पड़ा. इस तरह सिपाही रोशन राय और सोनी का मामला विभाग में भी फैल गया.

कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कप्तान धवल जायसवाल ने सिपाही रोशन राय को फटकार लगाई, ‘‘सोनी नाम की जिस युवती के साथ तुम ने रिश्ते बनाए थे, शादी का झांसा दे कर उस की जिंदगी चौपट की है, उस के साथ न्याय करो. शादी कर के उसे अपना लो वरना जेल में सड़ जाओगे. उस ने तुम्हारे खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए प्रार्थना पत्र दिया है.’’

एसपी के आदेश पर की शादी…

उस के बाद एसपी धवल जायसवाल ने रोशन को बहुत समझाया. कप्तान के दबाव में आ कर रोशन राय ने उस समय शादी करने की तो हामी भर दी थी. कप्तान के आदेश पर सोनी से रोशन राय ने 28 नवंबर, 2022 को जटहां बाजार स्थित शिव मंदिर में सोनी अंसारी से शादी कर ली थी और हेतिमपुर के सटर टोला भैंसहा स्थित राजेंद्र सिंह के मकान में ऊपर का कमरा ले कर प्रेमिका से पत्नी बनी सोनी को ले कर रहने लगा.

कभी जिस सोनी पर वह जान छिडक़ता था, आज उसी से बेहद नफरत करने लगा था. उस को इस बात का बेहद मलाल था कि उस ने उस की शिकायत कप्तान से क्यों की? उन की नजरों में उस की क्या इज्जत रह गई? इस की सजा तो उसे भुगतनी ही पड़ेगी. इस बात को ले कर दोनों के बीच झगड़ा होने लगा था. यह झगड़ा बाद में मारपीर में बदल गया था.  बातबात पर रोशन पत्नी सोनी को जलील करता और उसे पीटता था. अपने साथ हो रही हर यातनाओं और जुल्मों को सोनी अपनी मां से कहती थी. मां के पास इस का विकल्प भी नहीं था, क्योंकि उस का ही फैसला था कि शादी जब भी करेगी तो रोशन से ही करेगी, उस ने मां से यही कहा थी.

अब सोनी को अपने फैसले पर बहुत पछतावा हो रहा था कि काश! उस ने मांबाप की बात मान ली होती तो शायद उस की हालत ऐसी नहीं होती, लेकिन अब पछताने से क्या होना था. बहरहाल, पतिपत्नी के बीच रोजरोज के झगड़े, हाथापाई से दोनों का जीवन असहज बन गया था. रोशन ने सोनी को अपने जीवन से हमेशाहमेशा के लिए निकाल कर फेंकने की योजना बना ली थी. वह योजना थी उस की हत्या.

सिपाही ने की पत्नी की हत्या…

17 जनवरी, 2023 को रात में सोनी की बात मां अश्मीना से हुई तो इस बात को ले कर रोशन राय ने सोनी से खूब झगड़ा किया और उसे जम कर लातघूसों से मारा. उस ने सोनी से पहले ही कह दिया दिया था कि उसे अपने मांबाप से कोई रिश्ता नहीं रखना है, अगर उन से रिश्ता रखा तो उस से बुरा कोई नहीं होगा. पति की पिटाई से सोनी रात भर बिस्तर पर दुबक कर सिसकती रही और अपनी किस्मत पर आंसू बहाती रही.

बहरहाल, रात जैसेतैसे बीती. सोनी का रोरो कर बुरा हाल हो गया था, उस की आंखें सूज गई थीं, लेकिन रोशन के दिल में सुलग रही नफरत की आग अभी ठंडी नहीं हुई थी. 18 जनवरी, 2023 की रात उस के और सोनी के बीच फिर लड़ाईझगड़ा हुआ. गुस्से में आ कर उस ने पत्नी सोनी को गला घोट कर मौत के घाट उतार दिया और कमरे की बत्ती औफ कर उसी रात कमरे पर बाहर से ताला लगा कर चला गया. यानी पत्नी की हत्या कर सिपाही फरार हो गया था. आगे क्या हुआ? कहानी में ऊपर वर्णन किया जा चुका है.

खैर, होनी को कौन टाल सकता है जो होना है, सो तो हो कर रहता है. अगर सोनी ने अपने मांबाप का कहना माना होता तो शायद आज वह भी जिंदा होती. आरोपी रोशन राय से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने कोर्ट में पेश कर उसे जेल भेज दिया था. उधर घर वाले जब सोनी अंसारी की लाश कब्रिस्तान में दफनाने के लिए ले गए थे, तब समाज के लोगों ने उस की लाश नहीं दफनाने दी. उन का कहना था कि मृतका ने दूसरे धर्म में शादी की थी. कई थानों की पुलिस के पहुंचने के बाद भी उन लोगों ने शव कब्रिस्तान में नहीं दफनाने दिया. कथा लिखे जाने तक सिपाही रोशन जेल में बंद था. उसे अपने किए पर जरा भी पछतावा नहीं हो रहा था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सिपाही की शादी बनी बरबादी – भाग 3

सोनी का दिल प्रेमी रोशन की प्यार भरी बातें सुन कर बागबाग हो गया था. “इतना प्यार करते हैं आप मुझ से?’’

“मैं हनुमान तो नहीं हूं, वरना अपना सीना चीर कर दिखा देता. मेरे दिल में आप ही की तसवीर छपी है. मेरी हर एक सांस पर आप का ही नाम लिखा है. मेरी धडक़नों में, मेरी रगों में और मेरी सांसों में बस आप ही आप हो, इतना प्यार करता हूं मैं आप से.’’

:ओह रोशनजी! मैं कितनी खुशनसीब हूं जो मुझे आप जैसा चाहने वाला सच्चा प्यार मिला. मैं अपने प्यार को पलकों के बीच छिपा कर रखूंगी, ताकि हमारे प्यार को किसी की नजर न लगे.’’

सिपाही का प्यार बढऩे लगा, यही हाल सोनी का भी था. घंटों दोनों ऐसे ही प्यार भरी बातें करते रहे, कब दोपहर से शाम हुई पता ही नहीं चला. दोनों पास के रेस्टोरेंट में गए वहां रोशन ने प्रेमिका सोनी को उस के पसंद की चीजें खिलाईं और उसे बस पर बैठा कर अपने कमरे पर चला गया. वह सोनी से मिल कर बहुत खुश था.

सिपाही रोशन को चुन लिया हमसफर…

सोनी भी बहुत खुश थी. अपने जीवनसाथी को ले कर उस ने जो सपने देखे थे, वे सपने पूरे हो गए थे. फिर सोनी ने एक दिन मौका देख कर अपने मन की बात अम्मी को बता दी. बेटी के मुंह से प्यार वाली बात सुन वह हायतौबा मचाने लगी. बेटी को उस ने खूब खरीखोटी सुनाई. सामाजिक मर्यादा में रहने का सबक भी दिया. यह भी कहा कि उन का परिवार एक मध्यमवर्गीय है. इज्जत हमारा गहना है, अगर एक बार चली जाए, तो समाजबिरादरी में किसी को मुंह नहीं दिखा सकते. हम जीते जी मर जाएंगे.

इस पर सोनी ने मां को भरोसा दिलाया कि वह ऐसा कोई काम नहीं करेगी, जिस से मांबाप की इज्जत और सम्मान पर बट्टा लगे. उसे अपनी मानमर्यादा का सब से ज्यादा खयाल है. लेकिन उस ने अपने जीवनसाथी को चुन लिया है, निकाह करेगी तो रोशन से ही करेगी, रोशन के अलावा हर पुरुष उस के लिए बापभाई के समान होगा. सोनी भले ही सिपाही रोशन के प्यार में अंधी हो गई थी. यूं कह लें कि वह उस से अंधा प्यार करती थी तो इस में कोई दो राय नहीं थी, मगर रोशन सोनी को ले कर बहुत संजीदा नहीं था. लिवइन रिलेशन में खेलना चाहता था के सोनी जिस्म से.

शातिर सिपाही रोशन के दिमाग में प्रेमिका सोनी को  ले कर कुछ और ही चल रहा था. अच्छाई की चादर में लिपटा उस के मन में बड़ा घिनौना और गंदा विचार उमड़घुमड़ रहा था. वह सोनी से नहीं बल्कि उस के खूबसूरत बदन से प्यार करता था. उस के जिस्म को पाने के लिए उस की झूठी तारीफ कर रहा था ताकि सोनी के गदराए जिस्म को नोचनोच कर खाए और मन भर जाने के बाद उसे दूध से मक्खी की तरह निकाल फेंके. रोशन अकसर सुनसान जगह पर मिलने के लिए बुलाया करता था, वह आ भी जाती थी.

बातोंबातों में उस ने उस के जिस्म को पाने की इच्छा भी जाहिर की थी, मगर सोनी ने यह कहते हुए साफ मना कर दिया कि शादी के बाद मैं अपना तनमन सब कुछ अपने शौहर का सौंपूंगी, लेकिन शादी से पहले नहीं. फिर उस ने रोशन पर शादी करने के लिए दबाव बनाया. जिस गदराए जिस्म को पाने के लिए रोशन ने सोनी को अपने प्यार के जाल में फंसाया था, उस का वह मकसद पूरा नहीं हुआ तो वह सोनी से दूरियां बनाने लगा. धीरेधीरे वह उस से दूर भागने लगा था. जो प्रेमी पहले दिन भर में कई बार अपनी प्रेमिका को फोन कर बातें किया करता था, वही अब हफ्तोंहफ्तों उस से बात नहीं करता था. उस के सिर से सोनी के प्यार का भूत जैसे उतर चुका था.

अचानक प्रेमी रोशन में आए बदलाव देख सोनी परेशान रहने लगी थी. जब भी वह उसे फोन करती थी तो उस का फोन काट देता था. वह उस से मिलने कसया जाती तो वह उस से मिलता भी नहीं था. सोनी समझ गई थी कि रोशन ने उसे धोखा दिया है, लेकिन वह इतनी आसानी से अपना प्यार खोने वाली नहीं थी और न ही धोखा दे कर अपना पीछा छुड़ाने वाले रोशन को ही छोडऩे वाली थी.

एसपी से मिलीं मांबेटी…

फिलवक्त सोनी का दिल शीशे के समान चूरचूर हो गया था. प्यार में धोखा खाई वह घायल शेरनी के माफिक हो गई थी. अब तो बेटी के साथ उस की मां भी हो गई थी. मांबेटी दोनों मिल कर उसे सबक सिखाने की तैयारी में जुट गई थीं. कोई बड़ा कदम उठाने से पहले सोनी और उस की मां अश्मीना खातून ठंडे दिमाग से सोच कर एक बार फिर से सिपाही रोशन राय को सोचने का मौका देना चाहती थीं, किंतु वह था कि न तो सोनी की काल रिसीव कर रहा था और न ही अपनी ओर से काल कर के उस से दूरियां बनाने की वजह बता रहा था.

इस पर दोनों मांबेटी मिल कर उसे सबक सिखाने के लिए 23 नवंबर, 2022 को एसपी धवल जायसवाल के दफ्तर पहुंच गईं. उन्होंने उन के सामने अपना दुखड़ा रोते हुए सिपाही रोशन राय की पूरी कलई खोल कर रख दी. एसपी धवल जायसवाल ने सोनी को भरोसा दिलाया कि उस के साथ न्याय किया जाएगा. यदि रोशन ने उस के साथ कुछ गलत किया है तो उसे अपनी करनी का फल भुगतना पड़ेगा.

जैसे ही सोनी एसपी जायसवाल के समक्ष पेश हुई, वैसे ही इस की जानकारी रोशन राय तक पहुंच गई थी. सोनी का दुस्साहस देख कर रोशन का गुस्से से नथुना फूलनेपिचकने लगा था. उसे ऐसी उम्मीद नहीं थी कि वह मामूली लडक़ी एसपी दफ्तर पहुंच कर उस की शिकायत कर देगी. यह बात उसे बहुत बुरी लगी. वह फडफ़ड़ा कर रह गया. इसी बीच बड़ी चालाकी से रोशन राय ने कसया थाने से अपना ट्रांसफर जटहां थाने करवा लिया था, ताकि उस तक जल्दी कोई पहुंच न सके.

सिपाही की शादी बनी बरबादी – भाग 2

पुलिस उस के हर संभावित  ठिकानों पर दबिश दे रही थी, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. पुलिस फिर भी भी हाथ पर हाथ धरे बैठी नहीं रही. उस की सुरागरसी के लिए अपने मुखबिरों को भी लगा दिया था. एक महीने बाद आखिरकार पुलिस की मेहनत रंग लाई और कसया तिराहा से उसे उस समय दबोच लिया गया, जब वह कहीं भागने के फिराक में बस के आने के इंतजार में खड़ा था. पुलिस उसे गिरफ्तार कर के थाने ले आई और उस से पूछताछ करनी शुरू की.

रोशन राय कानून का ही एक मंझा हुआ नुमाइंदा था. कानून के दांवपेंच जानता था, इतनी आसानी से पुलिस के सामने टूटने वाला नहीं था. यह बात इंसपेक्टर सुरेंद्र सिंह भी जानते थे कि रोशन कितना बड़ा घाघ और मक्कार किस्म का इंसान है, आसानी से वह टूटने वाला नहीं था. पुलिस ने जब उस के साथ सख्ती की, तब जा कर वह घुटने टेकने को मजबूर हुआ और कुबूलते हुए पत्नी सोनी की हत्या किए जाने की बात स्वीकार कर ली. फिर उस ने हत्या जो कहानी बयां की, हैरतअंगेज निकली—

सोनी को हुआ प्यार…

22 वर्षीय सोनी अंसारी मूलरूप से उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले की नेबुआ नौरंगिया थानाक्षेत्र के मंसाछापर मंगरुआ गांव की रहने वाली थी. 3 बहनों और एक भाई में वह सब से बड़ी थी. बाकी सब उस से छोटे थे. पिता इब्राहिम खान ट्रक ड्राइवर थे. वह माल सहित ट्रक ले कर जब बाहर जाते थे तो उन्हें घर लौटने में महीनों लग जाते थे. फिर पत्नी अश्मीना खातून परिवार की देखभाल करती थी. अश्मीना खातून के मजबूत कंधों पर बच्चों की परवरिश और उन की देखरेख की जिम्मेदारी थी, सो वह अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा भी रही थी.

अश्मीना के चारों बच्चों में सब से बड़ी बेटी सोनी बेहद समझदार और सुंदर थी. मन से भी, विचारों से भी. लिखनेपढऩे में भी वह ठीकठाक थी. उस के अब्बू इब्राहिम उसे लाड़प्यार भी बहुत करते थे, क्योंकि सोनी उन के दिल के सब से निकट थी. वह भी अपने अब्बू का बहुत खयाल रहती थी . काम से जब भी थकेहारे घर लौटते थे तो सोनी ही सब से पहले गिलास में पानी लिए उन के सामने खड़ी होती थी. बेटी के हाथ से पानी पी कर सारी थकान पल भर में छूमंतर हो जाती थी. ऐसा नहीं था कि वह अपने अब्बू की ही आंखों का तारा थी, बल्कि अपनी अम्मी की भी वह लाडली थी. अब्बू के साथसाथ अम्मी का भी वह खास खयाल रखती थी. जब कभी वह एकदो दिनों के लिए किसी रिश्तेदार के यहां घूमने चली जाती थी तो उस की अम्मी का दिल उदास सा रहता था. उस के घर वापस लौटते ही फिर से घर में वही रौनक लौट आती थी. सब के चेहरे खिल उठते थे.

सोनी, आधुनिक परिवेश में जी रही थी. उस के सपने रंगीन थे क्योंकि वह खुद ही रंगीनमिजाज की युवती थी. कामकाज से जब उसे फुरसत मिलती थी, पिता से मिले फोन में इंस्टाग्राम या फेसबुक खोल कर अपने परिचितों और दोस्तों को कमेंट बाक्स ‘हायहैलो’ लिख कर उन से हालचाल पूछ लिया करती थी. फेसबुक पर बहुत से नए दोस्त फ्रैंड रिक्वेस्ट डाले रहते थे, उन नए दोस्तों में कुछ चेहरे उस के नातेरिश्तेदारों के होते थे तो कुछ बिलकुल ही नए और अंजान चेहरे होते थे. उन्हीं अंजान चेहरों में एक चेहरा कुशीनगर जिले के कसया थाने के सिपाही रोशन राय का भी था.

पता नहीं क्यों सोनी उस चेहरे को देख कर उस पर आकर्षित हो गई थी और उस ने उस की फ्रैंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कल ली थी.

सोनी की ओर से फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकृत होते ही सिपाही रोशन ने ‘हाय’ का मैसेज डाल दिया तो उस ने भी उसी अंदाज में जवाब दे दिया. उन की ओर से जवाब मिलने के बाद दोनों के बीच मैसेज से बात होनी शुरू हो गई और दोनों के बीच दोस्ती पक्की हुई. यह सोशल मीडिया के प्यार की शुरुआत थी. यह सोशल मीडिया के प्यार की शुरुआत थी. दोस्ती पक्की हुई तो दोनों थोड़े और करीब आ गए. उन्होंने एकदूसरे को अपनाअपना मोबाइल नंबर दे दिया और पर बातचीत शुरू हुई. एकदूसरे का परिचय जब हुआ तो दोनों को ही पता चला कि वे एक ही जिले के रहने वाले हैं. इस से उन के बीच की रहीसही दूरियां और भी कम हो गईं और दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई. वे एकदूसरे से प्यार करने लगे थे.

प्यार में कसमे वादे…

सोनी इस बात पर फूली नहीं समा रही थी कि जिस से वह प्यार करती है, वह एक पुलिस वाला है, यानी अब दुनिया उस की मुट्ïठी में है. सोनी जवान थी, सुंदर थी. फैशनपरस्त भी. उस के गोरे जिस्म पर कोई भी कपड़े उस की सुंदरता में चारचांद लगा देते थे. प्रेमिका की सुंदरता पर रोशन मर मिटता था. उसे अपनी बाइक पर बैठा कर घंटोंघंटों कुशीनगर के प्रसिद्ध बुद्ध मंदिर घुमाता था. उस पर खूब पैसे खर्च करता था. सोनी के कदमों में दुनिया की सारी खुशियां डालता था.

बात साल भर पहले की थी, जब रोशन पहली बार प्रेमिका सोनी को अपनी बाइक पर बैठा कर कुशीनगर के प्रसिद्ध बुद्ध मंदिर लाया था. मंदिर के प्रांगण में दूरदूर तक फैली मुलायम घास पर आमनेसामने बैठे आशिकी भरी नजरों से दोनों एकदूसरे को देखे जा रहे थे, ‘‘ऐसे क्या देख रहे हो आप?’’ दोनों के बीच पसरे सन्नाटे को सोनी ने तोड़ा.

“देख रहा हूं कि चांद जमीं पर उतर आया है.’’ सोनी की खूबसूरती की रोशन ने तारीफ की तो शरम से उस की नजरें झुक गईं. दोनों हथेलियों के बीच उस ने अपना चेहरा छिपा लिया था.

“इस में शरम जैसी क्या बात है? इश्क की आंखों से मैं ने जो देखा, शब्दों की थाली में मैं ने वही परोसा.’’

“वाह! आप तो शायरों जैसी बातें करते हैं. शब्दों की थाली में मैं ने वही परोसा, जुमला सुन कर मुझे बहुत अच्छा लगा है, कह नहीं सकती.’’

“जी शुक्रिया.’’ झुक कर हाथ से महबूबा को सलाम किया और आगे बोला, ‘‘इस नाचीज गरीब बंदे की तारीफ में कसीदे पढऩे के लिए.’’

“बातें करना तो कोई आप से सीखे. माशाअल्लाह! आप किसी से कम खूबसूरत नहीं हैं. आप बहुत सुंदर हैं, तभी तो मेरा दिल आप पर हार गया और मैं आप की बाहों में आ गिरी.’’

“मरते दम तक आप का साथ नहीं छोड़ेंगे, चाहे जमाना हमारा दुश्मन क्यों न बन जाए, चाहे राहों में कांटे क्यों न बिखेर दिए जाएं. चाहे नंगे पांव शोलों पर क्यों न चलना पड़े, दिल से आप को चाहा है, आप से प्यार किया है तो मर कर भी साथ निभाएंगे.’’ रोशन भावनाओं में बह गया था.

सिपाही की शादी बनी बरबादी – भाग 1

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिला के गांव हेतिमपुर के टोला भैंसहा में जितेंद्र सिंह का अपना निजी 2 मंजिला मकान था. मकानकी दूसरी मंजिल को उन्होंने जटहां थाने में तैनात सिपाही रोशन राय को किराए पर दिया था. रोशन राय अपनी 22 वर्षीयपत्नी सोनी अंसारी के साथ 3 महीने से रह रहा था. उस मकान के नीचे वाले फ्लोर पर और भी किराएदार रहते थे. खुद जितेंद्र सिंह अपने दूसरे मकान में परिवार के साथ रहते थे, सिर्फ किराया वसूलने के लिए ही वह यहां आते थे.

25 जनवरी, 2023 की दोपहर से जितेंद्र सिंह की दूसरी मंजिल से तेज बदबू आ रही थी, जिस में सिपाही रोशन राय अपनीपत्नी के साथ रहता था. पते की बात तो यह थी रोशन राय के उस कमरे पर पिछले कई दिनों से ताला लगा हुआ था.लोगों ने उसे और उस की पत्नी सोनी को अंतिम बार 18 जनवरी, 2023 को देखा था. उस के बाद से किसी ने न तो रोशन राय को ही देखा था और न ही उस की पत्नी को, वे दोनों कहां गए थे, यह बात किसी को पता नहीं थी और उन्हीं के कमरे से दोपहर से तेज बदबू आ रही थी.

जैसेजैसे शाम ढलती गई, बदबू इतनी तेज बढ़ती गई कि पासपड़ोसियों को अपने घर में रहना दुश्वार हो गया था. अंत मेंकिराएदारों ने हार कर इस की जानकारी मकान मालिक जितेंद्र सिंह को दी. सूचना पा कर वे मौके पर पहुंचे और उन्होंने इसकी सूचना जटहां थाने के एसएचओ सुरेंद्र सिंह को दे दी. सभी लोगों को बंद कमरे में लाश होने की आशंका हो रही थी.सूचना पा कर वे दलबल के साथ मौके पर पहुंचे. उन्होंने फोर्स की मदद से कमरे का ताला तुड़वाया.

दरवाजा खोल करपुलिस कमरे में घुसी तो वहां घुप्प अंधेरा था और मांस की सड़ांध ने सभी को नाक पर रुमाल रखने के लिए विवश कर दिया. मोबाइल की टौर्च के द्वारा बिजली का बोर्ड देख कर कमरे की लाइट औन की.एलईडी के प्रकाश से कमरा नहा उठा था. सड़ांध के मारे कमरे में खड़ा होना मुश्किल हुए जा रहा था. इस के बाद कमरे कीतलाशी कर यह देखने में जुट गई कि यह दुर्गंध आ कहां से रही है.

इंसपेक्टर सुरेंद्र सिंह कमरे से अटैच जैसे ही दूसरे कमरे में घुसे, भीतर का दृश्य देख कर उन के पैर वहीं थम गए थे. कमरे में पड़ी बैड के ऊपर किसी महिला की लाश बुरी तरह सड़चुकी थी. बदबू वहीं से आ रही थी. आशंका जताई जा रही थी कि हो न हो यह लाश सिपाही रोशन राय की पत्नी सोनी अंसारी ही होगी, क्योंकि पिछले कईदिनों से सोनी की अम्मी अश्मीना खातून अपनी बेटी को ले कर परेशान थी और वह इस संबंध में थाने में तहरीर भी दे चुकी थी कि पिछली 17 जनवरी को बेटी से मोबाइल पर बात हुई थी. उस के बाद फोन मिलाने पर न बेटी का फोन लग रहा थाऔर न दामाद का ही फोन लग रहा था

बैड के पास ही फर्श पर हड्ïिडयां और अंगरेजी शराब की एक बोतल रखी थी, जिस में कुछ शराब भी थी. इस से पुलिस कोलगा कि घटना से पहले यहां दारू की पार्टी भी हुई थी.यह बात इंसपेक्टर सुरेंद्र सिंह को तुरंत याद आई तो उन्होंने अपना शक दूर करने के लिए अश्मीना खातून को बुलाने के लिए बाइक से 2 सिपाहियों को उस के घर भेज दिया.  अश्मीना खातून इसी कुशीनगर के ही नेबुआ नौरंगिया के मंसाछापरमंगरुआ की रहने वाली थी.

सोनी की लाश की हुई शिनाख्त…

जैसे हो पुलिसकर्मियों ने एक महिला की लाश पाई जाने की सूचना अश्मीना खातून को दी और संग चल कर शिनाख्त करनेकी बात कही, वैसे ही उस का कलेजा धक से कर गया. और बदहवास हो कर इधरउधर टहलने लगी. तभी उस की दूसरी बेटी हाजरा कमरे से बाहर निकली और मां को ऐसी दशा में देख पुलिसकर्मियों से वजह पूछी तो उन्होंने फिर से वही बात दोहराई जो कुछ देर पहले उस से कह चुके थे.

बहरहाल, जैसेतैसे हाजरा ने मां अश्मीना खातून को संभाला और उसे अपने साथ ले कर घटनास्थल पहुंची. वहां मजमा लगा हुआ था. घटना की सूचना पा कर एएसपी रितेश प्रताप सिंह भी पहुंच चुके थे. कमरे के बाहर भीड़ देख कर अश्मीना खातून का कलेजा बैठा जा रहा था. जैसे ही कमरे में दाखिल हुई, लाश के कपड़े और उस की कदकाठी देख कर उसे अपनी बेटी सोनी अंसारी के रूप में शिनाख्त कर ली और छाती पीटपीट कर चीखनेचिल्लाने लगी.

पुलिस की आशंका आखिरकार सच साबित हुई. चूंकि पिछले कई दिनों से सोनी अंसारी लापता थी. न तो उस का फोन लग रहा था और न ही रितेश राय का ही फोन काम कर रहा था, इसलिए अश्मीना के साथसाथ घर वाले उसे ले कर चिंतित थे. आखिरकार, जिस अनहोनी को ले कर उस के घर वाले परेशान थे, वही अनहोनी घट गई. थोड़ी देर में कुशीनगर में सिपाही ने की हत्या की खबर फैल गई. घटना की सूचना एसपी धवल जायसवाल को भी मिल चुकी थी. वह भी कुछ देर बाद मौके पर पहुंच चुके थे.

एफएसएल टीम भी घटनास्थल पर पहुंच कर हत्या के साक्ष्य जुटाने में जुटी हुई थी. पते की बात तो यह थी कि जिस दिन से सोनी अंसारी लापता हुई थी, उसी दिन से सिपाही रोशन राय भी गायब था. उस का फोन बंद आ रहा था और वह ड्यूटी पर भी नहीं जा रहा था. पुलिस को यह समझते देर नहीं लगी थी कि पत्नी सोनी की हत्या में रोशन का हाथ हो सकता है, तभी तो वह फरार हो चुका है. एसपी धवल जायसवाल ने उसी क्षण उसे सस्पेंड कर दिया और उस की खोजबीन में पुलिस लगा दी ताकि वह जल्द से जल्द गिरफ्तार हो सके और पत्नी सोनी की हत्या का कारण सामने आ सके.

सिपाही रोशन राय पर लगाया आरोप…

खैर, पुलिस अपनी काररवाई में जुटी हुई थी. लाश को अपने कब्जे में ले इंसपेक्टर सुरेंद्र सिंह ने उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया और मृतका का विसरा सुरक्षित करा दिया था, क्योंकि उसे मरे कई दिन बीत चुके थे, इसलिए विसरा सुरक्षित रखना पड़ा था ताकि उस रिपोर्ट से हत्या की असल वजह का पता चल सके. इधर पुलिस ने मृतका की मां अश्मीना खातून की तहरीर पर फरार सिपाही व दामाद रोशन राय के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर के रोशन राय की सरगर्मी से तलाश में जुट गए थे.