चंद्रप्रकाश और उन के साथियों ने अनुज और सोनम के मामले में हुई काररवाई पर रोष व्यक्त करते हुए पुलिस से उन का पोस्टमार्टम दोबारा कराने की अपील की. इस सिलसिले में वे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से भी मिले. संदिग्ध हालात में हुई नवदंपति की हत्या की स्थितियों को देखते हुए पुलिस अधिकारी दोबारा पोस्टमार्टम कराने के लिए तैयार हो गए.
3 डाक्टरों के पैनल से जब अनुज और सोनम की लाशों का पोस्टमार्टम कराया गया तो पता चला कि उन की मौत शरीर में कोई तीक्ष्ण जहर जाने के बाद पानी में डूबने से हुई थी. यह तथ्य प्रकाश में आते ही गोवा पुलिस ने अनुज और सोनम की मौत के मामले को अपहरण, लूट, हत्या और धोखाधड़ी के तहत दर्ज कर के तेजी से जांच शुरू कर दी.
प्राथमिक जांच में पता चला कि अनुज और सोनम को 3 दिन पहले दोपहर बाद और रात को एक ऐसे खूबसूरत जोड़े के साथ देखा गया था जिन के पास सफेद रंग की आल्टो कार थी. इस मामले की जांच कर रहे सहायक पुलिस आयुक्त विनायक ने होटल के कर्मचारियों, अंजुना बीच के एक रेस्तरां के मालिक और कुछ पर्यटकों से पूछताछ की.
उन्हें पता चला कि अनुज और सोनम ने 3 दिन पहले दोपहर को एक युवा जोड़े के साथ अंजुना बीच के एक रेस्तरां में खाना खाया था. रेस्तरां के कर्मचारियों के अनुसार खाना खाते समय अनुज और सोनम के साथ जो जोड़ा था, वह देखने में पतिपत्नी लगते थे और धाराप्रवाह अंगरेजी में बात कर रहे थे. आचारव्यवहार से वे किसी संपन्न घराने के लगते थे. अनुज और सोनम को दोपहर को भी उसी जोड़े के साथ देखा गया था और रात को भी. इस से पुलिस को शक हुआ कि उन के साथ जो भी हुआ, उस का जिम्मेदार वही जोड़ा रहा होगा.
सहायक पुलिस आयुक्त विनायक ने होटल के कर्मचारियों, अंजुना बीच के रेस्तरां मालिक और कुछ पर्यटकों से पूछताछ के बाद अनुज और सोनम के साथ देखे गए युवा जोड़े का पूरा हुलिया एकत्र कर के कंप्यूटर स्केच तैयार करवाया. जिन लोगों ने उस जोड़े को अनुज और सोनम के साथ देखा था, उन के अनुसार कंप्यूटर स्केच और उस जोड़े की शक्ल काफी मिलतीजुलती थी.
इस पर जांच अधिकारी विनायक ने उस जोड़े के चित्रों वाला स्केच गोवा पर्यटन से जुड़े तमाम लोगों को दिखाया. इस छानबीन में विनायक को जानकारी मिली कि उस हुलिए के एक जोड़े को अकसर महंगे होटलों, नाइट क्लबों, डिस्कोथेक, शराबखानों और समुद्र तटों पर कितनी ही बार देखा गया था. कभी वह जोड़ा देशी पर्यटकों के साथ होता था तो कभी विदेशी पर्यटकों के साथ.
केस भी दर्ज हो गया था और जांच भी शुरू हो चुकी थी. रोतेबिलखते चंद्रप्रकाश बेटे और पुत्रवधू के शवों को ले कर अपने साथियों के साथ दिल्ली लौट आए. यह मामला चंद्रप्रकाश के परिवार और सोनम के मायके वालों के लिए दिल दहला देने वाला था. उन लोगों ने एक माह पूर्व जिस युवा जोड़े को बड़े अरमानों के साथ शादी के बंधन में बांधा था, उसी की लाशें उन के सामने पड़ी थीं.
बहरहाल, सोनम और अनुज का एक साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया. अनुज और सोनम की क्रिया आदि से निपटने के बाद चंद्रप्रकाश पुन: गोवा पहुंचे. इस बीच गोवा पुलिस ने अपनी छानबीन से यह पता लगा लिया था कि अंतिम दिन अनुज और सोनम के साथ जिस जोड़े को देखा गया था, उन के नाम महेंद्र सागर और कामिनी सागर थे.
प्राप्त जानकारी के अनुसार पतिपत्नी का ये स्मार्ट और खूबसूरत जोड़ा संपन्न परिवार के सदस्यों की तरह रहता था और धाराप्रवाह अंगरेजी में बात करता था. अपनी वाकपटुता से महेंद्र और कामिनी किसी भी पर्यटक को अपने जाल में फंसाने में सक्षम थे. गोवा के विभिन्न थानों में उन दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी के दर्जनों मामले दर्ज थे. पुलिस रिकौर्ड में सागर दंपति का चित्र उपलब्ध था.
अनुज व सोनम की हत्या और लूटपाट के बाद सागर दंपति ने गोवा छोड़ दिया होगा, यह सोचते हुए गोवा पुलिस ने विवरण सहित उन के चित्र देश भर के पुलिस मुख्यालयों में भिजवा दिए.
गोवा पुलिस को पक्का विश्वास हो गया था कि नकद रकम और लाखों रुपए के जेवरात लूटने के लिए अनुज और सोनम की हत्या महेंद्र और कामिनी ने ही की थी. ये पतिपत्नी चूंकि बड़ेबड़े होटलों, नाइटक्लबों और डिस्कोथेक में अकसर जाते रहते थे इसलिए गोवा पुलिस ने ऐसे स्थानों पर भी इन दोनों के बारे में जानकारियां एकत्र कीं.
इस छानबीन में पता चला कि यह दंपति गोवा में जिस मकान में रहता था, उसी में छोटी सी एक लौज भी चलाता था. सागर दंपति के घर और लौज में पुलिस को कोई विशेष सामान नहीं मिला. पुलिस ने उन के मकान और लौज सील कर दिए. महेंद्र और कामिनी के जहांजहां मिलने की संभावनाएं थीं, गोवा पुलिस ने वहांवहां छापे मारे. लेकिन वे पुलिस के हाथ नहीं लगे.
जब महेंद्र और कामिनी को पकड़ने में किसी तरह की सफलता नहीं मिली तो गोवा पुलिस थकहार कर बैठ गई. इस बीच कई महीने गुजर चुके थे. पुलिस ने भले ही हार मान ली थी, लेकिन अनुज के पिता चंद्रप्रकाश ने हार नहीं मानी. उन्हें महेंद्र और कामिनी के बारे में जहां भी जरा सी जानकारी मिलती, वे वहीं पहुंच जाते.
उन की कोशिशें रंग लाईं और किसी से उन्हें महेंद्र सागर के पिता का नामपता मिल गया. वह हरियाणा के रहने वाले थे. लेकिन महेंद्र चूंकि अपने हिस्से की सारी जमीनजायदाद बेच चुका था इसलिए गांव से उस का कोई संबंध नहीं था. उस की पत्नी कामिनी के बारे में चंद्रप्रकाश को पता चला कि उच्च शिक्षा प्राप्त कामिनी दिल्ली की ही रहने वाली है.
घटना के 11 महीने बाद चंद्रप्रकाश को जानकारी मिली कि महेंद्र सागर का एक काफी करीबी रह चुका विनीत नाम का एक युवक जोधपुर में कहीं रहता है. चंद्रप्रकाश के पास हालांकि विनीत के बारे में आधीअधूरी जानकारी थी फिर भी वह जोधपुर गए और हफ्तों की भागदौड़ के बाद उसे ढूंढ निकाला.
चंद्रप्रकाश के साथ उन के 2-3 घर वाले भी थे. खुद को कई लोगों से घिरा देख विनीत घबरा गया. उस ने स्वीकार कर लिया कि वह महेंद्र सागर का सहयोगी रह चुका है और उस ने ठगी के कई मामलों में उस की मदद की थी. लेकिन विनीत को अनुज और सोनम की हत्या के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.


