कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पुलिस कांस्टेबल सीताराम की जयपुर की सी स्कीम के रमेश मार्ग स्थित एक्सिस बैंक की चेस्ट ब्रांच में ड्यूटी थी. 5 फरवरी की रात करीब 2 बजे वह बैंक की चेस्ट ब्रांच पर पहुंच गया. सीताराम जब पहुंचा तो बैंक का निजी सुरक्षा गार्ड प्रमोद मेनगेट पर तैनात था. सीताराम को आया देख कर प्रमोद ने उसे नमस्कार किया. सीताराम ने भी उस के अभिवादन का जवाब देते हुए पूछा, ‘‘प्रमोदजी, बैंक के अंदर आज ड्यूटी पर कौनकौन हैं?’’

कड़ाके की ठंड में रात में बैंक के बाहर ड्यूटी दे रहे प्रमोद ने जवाब में कहा, ‘‘साहब, रतिराम और मानसिंह ड्यूटी पर हैं.’’

‘‘ठीक है प्रमोदजी, उन दोनों से मेरी अच्छी पटरी बैठती है.’’ सीताराम ने अपनी टोपी सिर पर लगाते हुए कहा, ‘‘दोनों से बात करते हुए पता ही नहीं लगता कि कब रात गुजर गई.’’

कह कर कांस्टेबल सीताराम बैंक के अंदर जाने लगा, तभी जैसे उसे कुछ याद आया. उस ने पलट कर प्रमोद से कहा, ‘‘भैयाजी, ठंड ज्यादा पड़ रही है. रात का समय है. संभल कर होशियारी से ड्यूटी करना.’’

सीताराम की इस बात पर प्रमोद ने हंसते हुए कहा, ‘‘भाईसाहब, आप देखते ही हो कि मैं अपनी ड्यूटी पर किस तरह मुस्तैद रहता हूं.’’

प्रमोद की बात सुन सीताराम हंसते हुए अंदर बैंक में चला गया. सीताराम ने बैंक के अंदर पहुंच कर देखा तो उस के साथी पुलिसकर्मी रतिराम और मानसिंह रेस्टहाउस में थे. सीताराम ने अपनी बंदूक संभाली और ड्यूटी पर खड़ा हो गया.

सीताराम को बैंक के अंदर आए हुए करीब आधा घंटा ही हुआ होगा कि उस ने बैंक के बाहर मेनगेट से किसी के कूद कर आने और कुछ टूटने जैसी आवाज सुनी. सीताराम चौंकन्ना हो गया. वह बैंक के अंदर बनी खिड़की से मुंह बाहर निकाल कर चिल्लाया, ‘‘कौन है?’’

सीताराम के चिल्लाने पर जवाब में कोई आवाज नहीं आई तो उस ने बाहर झांक कर देखा. उसे 4-5 लोग नजर आए. रात करीब ढाई बजे बैंक के अंदर लोगों को देख कर सीताराम एक बार तो घबरा गया, लेकिन तुरंत ही उस ने खुद को संभाला और हिम्मत से काम लेते हुए बंदूक ले कर थोड़ा बाहर तक आया.

बाहर देखा तो उसे 10 से भी ज्यादा लोग नजर आए. उन के हाथों में हथियार थे. किसी ने रूमाल से तो किसी ने मंकी कैप से और किसी ने मफलर से चेहरे ढंक रखे थे. इन में से 4-5 लोग बैंक का मेनगेट फांद कर अंदर आ गए थे. इन्होंने बैंक की बिल्डिंग का चैनल गेट भी खोल लिया था.

इतने सारे हथियारबंद लोगों को देख कर सीताराम समझ गया कि उन लोगों के इरादे ठीक नहीं हैं. वे बदमाश हैं और बैंक लूटने आए हैं. सीताराम ने इधरउधर देखा कि बैंक का गार्ड प्रमोद कहीं नजर आ जाए, लेकिन उसे वह कहीं नजर नहीं आया. सीताराम को लगा कि इन बदमाशों को नहीं रोका गया तो ये लोग बैंक लूट ले जाएंगे और हो सकता है किसी को मार भी डालें.

सीताराम का समय पर लिया गया निर्णय सही साबित हुआ

सीताराम ने एक पल सोचा कि अंदर रेस्टहाउस से अपने साथी पुलिसकर्मियों रतिराम व मानसिंह को बुलाने जाए या नहीं. इतना समय नहीं था. अगर वह साथी पुलिसकर्मियों को बुलाने जाता तो हो सकता था तब तक बदमाश बैंक के अंदर चेस्टरूम तक पहुंच जाते. सीताराम ने तुरंत फैसला लिया. उस ने बदमाशों को ललकारा और अपनी बंदूक से हवाई फायर कर दिया.

फायर होते ही बदमाश हड़बड़ा गए और तेजी से मेनगेट फांद कर वापस भागने लगे. उन के साथी जो बैंक के बाहर खड़े थे, वे भी फटाफट वहां खड़ी गाड़ी में बैठ गए. इस के बाद सभी बदमाश गाड़ी से भाग गए.

बदमाशों के भागने पर सीताराम बैंक की बिल्डिंग से बाहर निकला तो देखा बाहर ड्यूटी पर तैनात बैंक के गार्ड प्रमोद के हाथपैर बंधे हुए थे. सीताराम ने उस के हाथपैर खोले. प्रमोद  बेहद घबराया हुआ था. वह सीताराम से लिपट कर बोला, ‘‘भाईसाहब, आज तो आप ने हमारी जान बचा ली वरना वे बदमाश हमें मार सकते थे.’’

सीताराम ने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा कि चिंता मत करो, जो बदमाश आए थे, वे भाग गए हैं. तब तक हवाई फायर की आवाज सुन कर बैंक के रेस्टहाउस से पुलिसकर्मी रतिराम व मानसिंह भी वहां आ गए.

यह सारा घटनाक्रम मुश्किल से 3 मिनट में हो गया था. कांस्टेबल सीताराम ने सब से पहले फोन कर के पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी. सूचना देने के 5-7 मिनट में ही पुलिस गश्ती दल बैंक के बाहर पहुंच गया.

पुलिस के गश्ती दल ने बैंक के निजी सुरक्षा गार्ड प्रमोद कुमार से पूछताछ की. करौली के रहने वाले प्रमोद ने बताया कि एक्सिस बैंक प्रशासन ने उसे बाहरी हिस्से में सुरक्षा की जिम्मेदारी दे रखी है.

प्रमोद ने पुलिस को बताया कि रात करीब ढाई बजे वह बैंक के बाहरी हिस्से में राउंड ले रहा था. जब वह पीछे की ओर चैकिंग करने गया था, तभी बैंक के आगे वाले हिस्से के गेट से किसी के कूदने की आवाज आई. इस पर वह मेनगेट की तरफ आया तो देखा कि 2 युवकों ने मुंह पर नकाब पहना हुआ था और उन के हाथों में पिस्तौलें थीं.

मैं उन्हें रोक ही रहा था कि 3 और युवक मेनगेट से बैंक के अंदर आ गए. उन लोगों ने पिस्तौल कनपटी पर लगा कर मुझे पकड़ कर नीचे गिरा दिया. मुझ से चाबी छीन ली, उसी चाबी से एक युवक ने चेस्ट ब्रांच के गेट से पहले वाले चैनल गेट का ताला खोल लिया. एक युवक ने मेरा मुंह बंद कर दिया और 2 युवक मेरे ऊपर बैठ गए. बाकी बचे एक युवक ने मेरे हाथ बांध दिए.

वे मेरे पैर बांध रहे थे, तभी बैंक के अंदर से सीताराम के चिल्लाने की आवाज आई. इस पर बदमाश घबरा गए. इस के कुछ सैकेंड बाद ही गोली चलने की आवाज सुनाई दी. गोली चलने की आवाज सुन कर सभी बदमाश बैंक के गेट को फांद कर बाहर भाग गए. प्रमोद ने बताया कि जो बदमाश बैंक के अंदर घुसे थे, उन्होंने आपस में कोई बात नहीं की थी. फायरिंग की आवाज सुन कर सिर्फ इतना कहा कि भागो यहां से. इस के बाद सीताराम ने आ कर मुझे संभाला और पुलिस को सूचना दी.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...