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926 करोड़ रुपए थे लुटेरों के निशाने पर

रात को ही एक्सिस बैंक के अफसरों को मौके पर बुलाया गया. राजधानी जयपुर में बैंक लूटने के प्रयास की सूचना मिलने पर जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के आला अफसर रात को ही मौके पर पहुंच गए. बैंक के अफसरों ने बताया कि राजस्थान में एक्सिस बैंक की सभी शाखाओं में इसी चेस्ट ब्रांच से पैसा जाता है.

पूरे राज्य से जमा हो कर पैसा भी इसी चेस्ट ब्रांच में आता है. बैंक अफसरों से पुलिस अधिकारियों को पता चला कि इस चेस्ट ब्रांच में वारदात के समय 926 करोड़ रुपए रखे हुए थे. इतनी बड़ी रकम की बात सुन कर पुलिस अफसर हैरान रह गए.

अगर पुलिस कांस्टेबल सीताराम हिम्मत दिखा कर गोली नहीं चलाता तो शायद बदमाश बैंक लूटने में कामयाब हो जाते. अगर यह बैंक लुट जाती तो यह भारत की अब तक की सब से बड़ी बैंक डकैती होती. सीताराम के गोली चलाने से यह बैंक डकैती होने से बच गई थी.

कांस्टेबल सीताराम की ओर से बदमाशों को ललकारने के लिए चलाई गई गोली बैंक के सामने बाईं ओर एक मकान की खिड़की में जा कर लगी. गोली लगने से खिड़की का कांच टूटा तो मकान मालिक और उन के परिवार की नींद खुल गई. उन्होंने बाहर आ कर पता किया तो बैंक में डकैती के प्रयास का पता चला. तब तक पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी.

पुलिस ने रात को जयपुर से बाहर निकलने वाले सभी रास्तों पर कड़ी नाकेबंदी करवा दी. 6 फरवरी को कांस्टेबल सीताराम की रिपोर्ट के आधार पर जयपुर के अशोक नगर थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

6 फरवरी को सुबह से पुलिस और एक्सिस बैंक के आला अफसरों का मौके पर जमावड़ा लगा रहा. जयपुर के पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल ने भी मौके पर पहुंच कर बैंक के सुरक्षा इंतजामों के बारे में जानकारी ली. पुलिस को जांचपड़ताल के दौरान 4 बड़े खाली कट्टे (बोरी) मिले. ये कट्टे बदमाश अपने साथ लाए थे, लेकिन गोली की आवाज सुन कर भागते समय छोड़ गए.

बदमाशों का पता लगाने के लिए पुलिस ने बैंक के अंदरबाहर और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी तो पता चला कि बदमाश 7 सीटर इनोवा गाड़ी से आए थे. इस गाड़ी से 11 बदमाश बाहर निकले और 2 बदमाश अंदर ही बैठे रहे. बाहर निकले सभी बदमाशों के चेहरे ढंके हुए थे. इन में से 4-5 बदमाशों के हाथ में पिस्तौल और बाकी के हाथों में डंडे और सरिए थे. इस इनोवा का नंबर तो साफ दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन राजस्थान के नागौर जिले की नंबर सीरीज जरूर नजर आ रही थी.

पुलिस की जांच में पता चला कि बैंक की इस चेस्ट ब्रांच में लिमिट से करीब 3 सौ करोड़ रुपए ज्यादा रखे हुए थे. नियमानुसार बैंक को यह राशि रिजर्व बैंक में जमा करानी चाहिए थी. यह बात सामने आने पर करेंसी चेस्ट में सुरक्षा मापदंडों को ले कर चूक और लिमिट से ज्यादा कैश रखने के मामले में रिजर्व बैंक के महाप्रबंधक करेंसी पी.के. जैन ने एक्सिस बैंक से रिपोर्ट मांगी.

बहरहाल, एक्सिस बैंक में देश की सब से बड़ी डकैती टल गई थी. कांस्टेबल सीताराम की सूझबूझ से बदमाशों को भागना पड़ा. सीताराम जयपुर का हीरो बन गया था. सीताराम की सतर्कता और बहादुरी से 926 करोड़ रुपए की बैंक डकैती टल जाने पर जयपुर पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल ने राजस्थान के पुलिस महानिदेशक ओ.पी. गल्होत्रा से बात की और कांस्टेबल सीताराम को पुरस्कृत करने की सिफारिश की.

पुलिस के लिए आसान नहीं था लुटेरों का सुराग ढूंढना

डकैती तो टल गई थी, लेकिन जयपुर पुलिस के लिए बैंक में घुसने वाले बदमाशों का पता लगाना सब से पहली चुनौती थी. इस के लिए पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल ने अपने मातहत अधिकारियों की मीटिंग कर के वारदात के लिए आए बदमाशों का पता लगाने को कहा.

विचारविमर्श में यह बात सामने आई कि 7 सीटर इनोवा में 13 लोगों का बैठना आसान नहीं है. इस का मतलब बदमाशों के पास कोई दूसरा वाहन भी रहा होगा, लेकिन सीसीटीवी फुटेज में दूसरा वाहन नजर नहीं आ रहा था. इनोवा गाड़ी भी चोरी की होने या उस पर फरजी नंबर प्लेट होने की आशंका थी. इस बात पर भी विचार किया गया कि बैंक में वारदात करने से पहले बदमाशों ने रैकी जरूर की होगी. अगर उन्होंने रैकी की थी तो उन्हें इस बात का पता रहा होगा कि बैंक की इस चेस्ट ब्रांच में 3-4 पुलिसकर्मी हमेशा मौजूद रहते हैं.

एक सवाल यह भी उठा कि बदमाशों की संख्या करीब 13 थी और उन में 4-5 के पास पिस्तौल भी थी तो वे केवल एक गोली चलने से घबरा क्यों गए? बैंक में डकैती डालने की हिम्मत करने वाले बदमाश डर कर भागने के बजाय मरनेमारने पर उतारू हो जाते हैं. इस से संदेह हुआ कि बदमाश कहीं नौसिखिया तो नहीं थे. इस के अलावा बदमाशों को इस बात का अंदाजा नहीं था कि बैंक में 926 करोड़ रुपए होंगे.

पुलिस ने वारदात की जानकारी मिलने के तुरंत बाद जयपुर से बाहर निकलने वाले रास्तों पर नाकेबंदी कर दी थी. फिर भी बदमाशों का कोई सुराग नहीं मिला था. इस से यह बात भी उठी कि बदमाश जयपुर शहर के ही रहने वाले तो नहीं हैं.

पचासों तरह के सवालों का हल खोजने के लिए पुलिस कमिश्नर ने 4 आईपीएस अधिकारियों के सुपरविजन में एक दर्जन टीमें गठित कीं. इन टीमों में सौ से ज्यादा पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया. अलगअलग टीमों को अलग जिम्मेदारियां सौंपी गईं.

पुलिस टीमों ने मुख्य रूप से बैंक कर्मचारियों और वहां तैनात गार्डों से पूछताछ, बैंक से रुपए लाने ले जाने वाली 3 निजी सिक्योरिटी एजेंसियों के मौजूदा और पुराने कर्मचारियों से पूछताछ, जयपुर से निकलने वाले रास्तों पर स्थित टोल नाकों पर सीसीटीवी फुटेज, जयपुर के आसपास हाइवे और कस्बों में स्थित होटल, ढाबों पर हुलिए के आधार पर बदमाशों की जानकारी हासिल करने, इस तरह की वारदात करने वाले गिरोहों की जानकारी जुटाने आदि बिंदुओं पर अपनी जांचपड़ताल शुरू की.

दूसरी ओर, पुलिस कमिश्नर ने रिजर्व बैंक में जयपुर के सभी पब्लिक सैक्टर और निजी सैक्टर के बैंक अधिकारियों, रिजर्व बैंक के अधिकारियों और गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. इस मीटिंग में पुलिस कमिश्नर ने कहा कि सभी बैंक सुरक्षा व्यवस्था के बारे में रिजर्व बैंक की गाइडलाइन का पूरी तरह पालन करें.

इस के अलावा उन्होंने सुरक्षा के खास प्रबंधों के साथसाथ अलार्म और हौटलाइन की आवश्यक व्यवस्था करने को भी कहा. कैश लाने ले जाने से पहले मौकड्रिल करने की भी बात की. उन्होंने राय दी कि बैंक के सीसीटीवी कैमरे अपग्रेड किए जाएं, जिन में कम से कम 90 दिन का बैकअप होना चाहिए. अलार्म सिस्टम भी जरूर लगाए जाएं.

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