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पुलिस को क्यों दर्ज करनी पड़ी रिपोर्ट

जानकारी में पता चला कि मैक्सकेयर हौस्पिटल द्वारा 2 बार में उस के कार्ड से लगभग 75 हजार रुपए निकाले गए हैं. यह जानकारी मिलते ही खालिद ने 2 अगस्त, 2022 को एसपी (भोपाल) से मिल कर मैक्सकेयर हौस्पिटल की धोखाधड़ी की शिकायत की, मगर कोई काररवाई नहीं हुई. हौस्पिटल संचालक डा. अल्ताफ मसूद  (Dr. Altaf Masood) के रसूख के चलते खालिद की शिकायत नक्कारखाने में तूती की आवाज बन कर दब गई.

तभी खालिद ने भोपाल के प्रसिद्ध वकील शारिक चौधरी (Advocate Shariq Choudhry) के बारे में सुना था कि वह लोगों की मदद करते हैं. एक दिन खालिद ने एडवोकेट शारिक चौधरी से मुलाकात कर अपने साथ हुई धोखाधड़ी की जानकारी उन्हें विस्तार से दी.

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तब एडवोकेट शारिक चौधरी ने सीआरपीसी की धारा 156 के तहत माननीय न्यायाधीश संदीप कुमार नामदेव प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट भोपाल की अदालत में परिवाद दायर किया. तब कोर्ट ने 8 नवंबर, 2023 को एसपी को आदेश दे कर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए.

भोपाल के टीला जमालपुरा स्थित हाउसिंग बोर्ड कालोनी निवासी 28 साल के खालिद अली की शिकायत पर भोपाल की तलैया पुलिस ने फतेहगढ़ स्थित मैक्सकेयर चिल्ड्रन अस्पताल के संचालक अल्ताफ मसूद पर धोखाधड़ी,  फरजी दस्तावेज तैयार करने के मामले में केस दर्ज कर लिया.

एफआईआर के बाद तलैया पुलिस थाने के एसआई कर्मवीर सिंह जब जांच के लिए अस्पताल पहुंचे तो अस्पताल संचालक वहां से गायब हो गया. एसआई शर्मा ने मौजूद स्टाफ से जोहान के इलाज संबंधी फाइल की जांच कर बयान दर्ज किए. जांच के दौरान इलाज करने वाला डाक्टर अस्पताल से नदारद मिला.

3 महीने तक मासूम को हौस्पिटल में भरती रखा गया, जिस में कई बार में दवाइयों और इलाज के नाम पर 3 लाख से अधिक रुपए वसूल लिए. खालिद जब भी बिल मांगता, अस्पताल प्रबंधन उसे टके सा जबाव दे देता, ”मरीज के डिस्चार्ज होने के समय पूरे बिल दे दिए जाएंगे, आप चिंता न करें.’‘

आखिरकार मासूम जोहान की मौत हो गई और बाद में पता लगा कि अस्पताल की ओर से आयुष्मान कार्ड से भी बच्चे के इलाज के नाम पर रकम सरकारी खजाने से ली गई है, जबकि खालिद के परिवार को इस की जानकारी नहीं दी गई थी. खालिद ने सब से पहले इस फरजीवाड़े की शिकायत पुलिस थाने में की तो सुनवाई नहीं हुई. तब जा कर कोर्ट में परिवाद दायर किया.

धोखाधड़ी का पता चलते ही खालिद ने सभी संबंधित सरकारी विभागों में इस की शिकायत की और आयुष्मान योजना के भोपाल औफिस से आए वेरीफिकेशन काल वालों को भी बताया कि उस ने अपने बेटे के इलाज का पूरा भुगतान कर दिया है. इस के बाद भी कहीं से कोई काररवाई नहीं हुई.

आखिरकार खालिद ने एडवोकेट शारिक चौधरी के माध्यम से धोखाधड़ी का परिवाद कोर्ट में दायर कर दिया. इस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पुलिस को धारा 120बी, 420, 468 और 471 के तहत एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए. इस के बाद भोपाल की तलैया पुलिस थाने में अस्पताल के संचालक डा. अलताफ मसूद के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया.

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खालिद अली ने बताया कि डा. अल्ताफ मसूद सरकारी योजनाओं में जम कर भ्रष्टाचार कर रहा है और उस के खिलाफ शिकायतें भी हो रही हैं, मगर अपनी राजनीतिक पहुंच के चलते उस पर कोई काररवाई नहीं होती है.

भोपाल की तलैया पुलिस ने आयुष्मान भारत योजना के औफिस को पत्र लिख कर जानकारी चाही है कि इस योजना का लाभ हासिल करने और इलाज के दौरान भुगतान के कौन से नियम हैं. कथा लिखे जाने तक डा. अल्ताफ मसूद पर कोई काररवाई नहीं हुई थी.

आयुष्मान कार्ड धारकों में मध्य प्रदेश अव्वल

‘आयुष्मान भारत योजना’ के सब से ज्यादा आयुष्मान कार्डधारक मध्य प्रदेश में ही हैं. यहीं पर सब से ज्यादा लापरवाही देखी जा रही है. कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मध्य प्रदेश में आयुष्मान के लिए जिला स्तर पर शिकायत निराकरण समितियों का गठन नहीं किया गया है.

आयुष्मान योजना में सूचना शिक्षा और संवाद का प्लान तो बनाया, लेकिन उसे लागू नहीं किया गया. कैग की पैन इंडिया औडिट रिपोर्ट में अनियमितताओं के सब से ज्यादा मामले मध्य प्रदेश में ही हैं. मध्य प्रदेश में कई संदिग्ध कार्ड और मृत लोगों को भी लाभार्थी के रूप में रजिस्ट्रैशन की जानकारी पाई गई है.

कैग की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में करीब 25 अस्पताल ऐसे हैं, जिन्होंने क्षमता से अधिक बैड आक्यूपेंसी दिखाई. यानी कि इन अस्पतालों ने एक दिन में बैड क्षमता से ज्यादा मरीजों की भरती दिखा कर क्लेम लिया है. भोपाल के जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र में 20 मार्च, 2023 तक 100 बैड थे, लेकिन इस में 233 मरीजों को दिखाया गया.

कैग की रिपोर्ट में सरकारी अस्पताल समेत कुल 24 अस्पतालों के नाम शामिल हैं. कैग की रिपोर्ट में कहा गया डिफाल्टिंग अस्पतालों से होने वाली रिकवरी के मामले में मध्य प्रदेश के आंकड़े सब से खराब हैं.

आयुष्मान भारत योजना में 2022 में जबलपुर के एक निजी अस्पताल ने फरजीवाड़ा कर के सरकार को साढ़े 12 करोड़ का चूना लगाया था. इस अस्पताल ने मुन्नाभाई एमबीबीएस फिल्म की तरह 4 हजार मरीजों को होटल में भरती कर के फरजी इलाज किया. अस्पताल ने कथित मरीजों के साथ उन्हें लाने वालों तक को कमीशन बांटा था.

जबलपुर पुलिस की टीम ने स्वास्थ्य विभाग के साथ मिल कर 26 अगस्त, 2022 को सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में छापा मारा था. उस समय अस्पताल के अलावा बाजू में होटल वेगा में भी छापा मारा गया था. जांच के दौरान होटल वेगा और अस्पताल में आयुष्मान कार्डधारी मरीज भरती पाए गए थे.

अस्पताल संचालक डा. दुहिता पाठक और उस के पति डा. अश्विनी कुमार पाठक ने कई लोगों को फरजी मरीज बना कर यहां रखा था. होटल के कमरे में 3-3 लोग भरती पाए गए थे. अस्पताल ने फरजीवाड़ा कर के सरकार को साढ़े 12 करोड़ रुपए का चूना लगाया था.

अस्पताल ने कथित मरीजों के साथ उन्हें लाने वालों तक को कमीशन बांटा था. इस के बाद पुलिस ने डाक्टर दंपति के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था और डाक्टर दंपति को जेल की हवा खानी पड़ी थी.

इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. एसआईटी जांच में यह खुलासा हुआ था कि आयुष्मान भारत योजना के तहत सेंट्रल इंडिया किडनी हौस्पिटल में 2 से ढाई साल में लगभग 4 हजार मरीजों का इलाज हुआ था, जिस के एवज में सरकार द्वारा तकरीबन साढ़े 12 करोड़ रुपए का भुगतान अस्पताल को किया गया था.

इस के साथ ही इस बात के भी दस्तावेज मिले हैं कि दूसरे राज्यों के मरीजों का उपचार भी सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में हुआ था, जोकि गैरकानूनी है.

एसआईटी ने सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों से भी पूछताछ की, जिस में कई कर्मचारियों ने बताया कि वह अस्पताल में आयुष्मान योजना का लाभ लेने वाले लोगों को भरती करवाते थे तो अस्पताल संचालक दुहिता पाठक और उस के पति डा. अश्विनी पाठक बतौर कमीशन 5 हजार रुपए देते थे.

कमीशन लेने के लिए कर्मचारियों ने कई बार एक ही परिवार के लोगों को अलगअलग तारीखों में भरती किया था. उन के नाम पर आयुष्मान योजना का फरजी बिल लगा कर लाखों रुपए की वसूली की गई थी.

—कथा c, पीड़ित परिवार से बातचीत और पुलिस सूत्रों पर आधारित

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