कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

आयुष्मान कार्ड किसी से न करें शेयर

डा. राकेश बोहरे  (चीफ मैडिकल एंड हेल्थ औफिसर) नरसिंहपुर

सरकार जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिन के जरिए मरीज को हौस्पिटल में एडमिट कर कैशलेस इलाज किया जाता है, लेकिन सरकारी योजनाओं में बड़े पैमाने पर धांधली भी कुछ प्राइवेट हौस्पिटलों द्वारा की जा रही है.

नैशनल हेल्थ अथौरिटी (एनएचए) आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य स्कीम को ले कर पहले ही एंटी फ्रौड गाइडलाइंस जारी कर चुका है. इस के अलावा विभाग ने राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में भी नैशनल एंटी फ्रौड यूनिट (एनएएफयू) गठित की है, जो इस योजना से संबंधित फरजीवाड़े की राज्य स्तर पर निगरानी कर सकें. सरकार इस स्कीम को जीरो टेलरेंस अप्रोच के तहत लागू कर रही है.

इस योजना का लाभ उठाने वाले लाभार्थियों को जरूरी दस्तावेजों को जमा करना पड़ता है और साथ ही उन्हें रोगी की औनबेड फोटो भेजनी पड़ती है. इस के अलावा इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए आधार बेस्ड वेरिफिकेशन भी किया जाता है.

गांवों में रहने वाली देश की बड़ी आबादी अभी भी इतनी शिक्षित नहीं है कि वह सरकारी योजनाओं की जानकारी को पूरी तरह से समझ सके. जब किसी परिवार का कोई सदस्य गंभीर बीमारी का शिकार हो जाता है तो घर वाले उसे उन प्राइवेट हौस्पिटल में ले जाते हैं, जहां उसे मुफ्त इलाज मिलता है.

मरीज का इलाज शुरू होते ही फारमेलिटी के नाम पर सभी दस्तावेज जमा करवा लिए जाते हैं. रोगी की गंभीर हालत का खतरा दिखा कर कई बार जांच और दवाइयों के नाम पर कुछ रुपए भी जमा करवा लिए जाते हैं. बाद में पता चलता है कि प्राइवेट हौस्पिटल ने इलाज पर खर्च रुपयों से अधिक रुपए सरकारी खजाने से निकाल लिए.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 12 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...