Bhopal Crime News: परमिंदर, नरेंद्रजीत और रवींद्र ने एटीएम की एक ऐसी खामी पकड़ ली थी, जिस की तरफ न तो कभी बैंक वालों का ध्यान गया था, न ही शायद एटीएम बनाने वालों का. उसी खामी की वजह से इन्होंने कई बैंकों को करोड़ो का चूना लगा दिया.

पुराने भोपाल का पीरगेट इलाका तंग गलियों और संकरी सड़कों वाला है, जिस की वजह से यहां दिनभर इतनी भीड़भाड़ बनी रहती है कि आधा किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करने में आधा घंटा लग जाना मामूली बात है. यहां चलने वाले लोग खुद को देखने के बजाय आगे चल रहे लोगों को धकिया कर अपने लिए जगह बना कर आगे निकलने की जुगत में लगे रहते हैं. लेकिन जैसेजैसे रात गहराती जाती है, वैसेवैसे यहां भीड़ कम होने लगती है. 6 मई की रात लगभग 9 बजे रोजाना की तरह यहां भीड़भाड़ कम होने लगी तो आईसीआईसीआई बैंक के एटीएम पर ड्यूटी कर रहे गार्ड पुष्पेंद्र सिंह यादव ने थोड़ी राहत महसूस की, क्योंकि दिन भर एटीएम के अंदरबाहर होती भीड़, सड़क की तरह अब एटीएम पर भी कम हो गई थी.

पुष्पेंद्र को लगा कि अब कम और जरूरतमंद लोग ही आएंगे तो वह एटीएम के अंदर चला गया और वहां रखे सामान की जांच करने के बाद वहां रखे रजिस्टर को उलटपलट कर बाहर आ गया. तभी बड़ी सी एक कार धीमी होती एटीएम के सामने आ कर रुकी, जिस से 2 नवयुवक उतरे, जिन में से एक सरदार था तो दूसरा सामान्य लड़कों जैसा. पुष्पेंद्र का सामना रोज ऐसे लोगों से होता रहता था, जो दूर से वाहन धीमा कर के सड़क के दोनों किनारे एटीएम ढूंढ़ते हुए आते थे और कार साइड में लगा कर पैसे निकाल कर चले जाते थे. दोनोें नवयुवक कार से उतर कर एटीएम के पास आए तो बाहर खड़े पुष्पेंद्र को देख कर कुछ सकपकाए. इस के बाद सामान्य से दिखने वाले युवक ने आवाज को रौबीला बनाने की कोशिश करते हुए पूछा, ‘‘एटीएम में कैश है या नहीं?’’

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