हरिद्वार में बेलवाला पुलिस चौकी के फोन की घंटी कुछकुछ देर बाद बज रही थी. 3 बार पहले भी लंबी रिंग के बाद बंद हो चुकी थी. तभी चौकी इंचार्ज प्रवीण रावत वहां पहुंच गए. पास खड़े सिपाही ने उन्हें सैल्यूट मारा. अपनी कुरसी पर बैठने से पहले रावत नाराज होते हुए बोले, “इतनी देर से फोन की घंटी बज रही है, उठाते क्यों नहीं हो?

“उसी का फोन है साहब जी...! सिपाही तुरंत खीजता हुआ बोला.

“किसका? रावत ने पूछा.

“जी साहब जी, उसी लेडी रेखा का! जिस का बच्चा 9 दिनों से लापता है! सिपाही बोला.

“रेखा का है, तो क्या हुआ? उसे जवाब नहीं देना है क्या? तब तक फोन की घंटी बंद हो चुकी थी.

“साहब जी, वह सुबह से दरजनों बार फोन कर चुकी है...मैं उसे जवाब देतेदेते तंग आ गया हूं...बारबार वही रट लगाए रहती है-मेरा बाबू कब मिलेगा... भूखा होगा...मेरा दूध कब पिएगा बाबू!

“अरे, वह मेरे मोबाइल पर भी कई बार कौल कर चुकी है....मैं ने उसे बात कर समझा दिया है. बोल दिया है कि उस का बच्चा जल्द उसे मिल जाएगा.’’ यह कहते हुए रावत अपनी कुरसी पर बैठ गए. वह अपने बगल में रखी फाइल के पन्ने पलटने लगे. तभी फिर फोन पर रिंग होने लगा. इस बार रावत ने ही फोन का रिसीवर उठाया.

“हैलो! बोलो...तुम्हें तो मैं ने आधा घंटा पहले ही बता दिया था न!... तुम्हारे बच्चे की तलाशी के लिए हम ने पुलिस की 4 टीमें लगा दी हैं...अभी मैं उन की ही रिपोर्ट देख रहा हूं. मैं मानता हूं कि बच्चे के बिना आप बेचैन हैं लेकिन बारबार फोन करने से बच्चा तो मिलेगा नहीं. तुम परेशान मत हो, जल्द तुम्हारा बच्चा मिल जाएगा...पुलिस पर भरोसा रखो और अपना भी ख्याल रखो...रोना-बिलखना बंद करो....!’’ यह कहते हुए रावत ने फोन कट कर दिया.

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