अपने बारे में पूर्णव शंकर शिंदे ने लोगों को बताया कि उस ने आस्ट्रेलिया से एमबीबीएस कर रखा है. उस की मुलाकात डा. पूजा से हुई तो उस ने खुद को अविवाहित बताया जबकि वह शादीशुदा था. उस से नजदीकी बढ़ा ली फिर जल्द शादी भी कर ली.

पूजा की डाक्टर की डिग्री शिंदे के लिए लौटरी लगने जैसी थी. उस ने पहली पत्नी प्राजक्ता के नाम डा. पूजा बदल कर फरजी डिग्री बना ली. इस तरह से बीएएमएस प्राजक्ता नकली एमबीबीएस डिग्रीधारी डा. पूजा बन गई.

ऐसा कर शिंदे ने एकएक कर 2 अन्य युवतियों से भी शादी रचा ली थी. उस की जालसाजी यहीं नहीं रुकी थी, बल्कि उन लड़कियों से शादी के बाद उन के पहचानपत्र में अहम बदलाव करवा दिया था. नए नाम के एफीडेविट और अखबारों में नाम बदलने का विज्ञापन दे कर सब के नाम डा. पूजा करा दिए थे. उस के बाद सभी की फरजी एमबीबीएस की डिग्री भी बनवा ली थीं.

इस के पीछे उस ने एक खास योजना बना रखी थी, लेकिन उसे अंजाम तक पहुंचाने से पहले ही वह पुलिस के हत्थे चढ़ चुका था. हालांकि इस की उस ने बुनियाद रख ली थी.

दिल्ली एनसीआर का ग्रेटर नोएडा पिछले एक दशक में तेजी से विकसित होने वाला उपनगर बन चुका है. वहां न केवल रिहायशी मल्टीस्टोरी बिल्डिंगों में लोगों ने रहना शुरू कर दिया है, बल्कि उन की हर जरूरी सुविधाओं के लिए नएनए संसाधन और सुविधाएं भी मिलने लगी हैं. उन्हीं में एक अतिआवश्यक जरूरत मैडिकल सुविधा की भी है. डाक्टर की निजी क्लीनिक से ले कर सुपरस्पैशलिटी अस्पताल तक खोले जा रहे हैं.

बात अगस्त 2023 की है. ग्रेटर नोएडा के घोड़ी बछेड़ा गांव के पास एक 35-36 साल का दिखने वाला व्यक्ति अस्पताल खोलने के लिए जगह तलाश रहा था. वह एक बड़ी गाड़ी में सवार था, जिस के नंबर प्लेट के पास ही भाजपा के महामंत्री की चमकती हुई बड़ी प्लेट भी लगी हुई थी.

उसी समय उस की कार के पास उत्तर प्रदेश पुलिस की गाड़ी आ कर रुकी. उस में बैठेबैठे पुलिस अधिकारी ने आवाज लगाई, ”अरे भाई, यह गाड़ी किस की है? कौन है इस का मालिक?’’

”मेरी है, क्या बात है?’‘ भाजपा नेमप्लेट वाली गाड़ी से उतरने वाला व्यक्ति बोला.

”क्या नाम है?…और कहां के महामंत्री हो भाई!’‘ पुलिसकर्मी ने पूछा.

”मैं पूर्णव शंकर शिंदे हूं. डाक्टर हूं, महाराष्ट्र के जलगांव जिले का भाजपा का महामंत्री भी हूं.’‘

”आप को पता नहीं है यूपी का नियम? नंबर प्लेट से बड़ी महामंत्री की इतनी बड़ी किसी भी तरह की प्लेट लगानी मना है.’‘ पुलिसकर्मी ने कहा.

”इस में क्या गलत है? प्रदेश में भाजपा सरकार है, केंद्र में भी वही है, मैं उस का एक सिपाही हूं.’‘ शिंदे बोला.

”नेम प्लेट कहीं और लगा लो…और हां, यहां क्या करने आए हो?’‘

”मुझे यहां पर एक बड़ा अस्पताल खोलना है. उस के लिए जगह तलाश रहा हूं.’‘ शिंदे बोला.

इसी बीच सवालजवाब करने वाले उस पुलिस वाले के कान में पास बैठे दूसरे पुलिसकर्मी ने कुछ कहा.

पुलिस को शिंदे पर क्यों हुआ शक

दरअसल, शिंदे से सवाल जवाब करने वाले दादरी कोतवाली इंसपेक्टर सुजीत उपाध्याय थे. उन के बगल में बैठे साइबर सेल प्रभारी आशीष यादव को शिंदे की गतिविधियों पर कुछ संदेह हुआ था और इसी संदेह के चलते उन्होंने एसएचओ को धीमे से कुछ कहा था.

अभी तक नरमी से पूछताछ करते हुए उपाध्याय के तेवर अचानक बदल गए थे. उन्होंने सख्ती के साथ आदेश के अंदाज में कहा, ”अपना ड्राइविंग लाइसेंस दिखाओ और गाड़ी के सभी कागज ले कर आओ.’‘

”क्या हुआ जो आप गुस्से में बोल रहे हैं… आप लोग जानते नहीं मैं कौन हूं?’‘ शिंदे भी थोड़ा रौब से बोला.

”तू जो भी है, पहले यहां आ.’‘ इस बार यादव बोले.

”अभी आता हूं.’‘ कहता हुआ शिंदे अपनी ड्राइविंग सीट के सामने के लौकर से गाड़ी के कागजात निकाल कर 4 कदम दूरी पर खड़ी यूपी पुलिस की गाड़ी के पास चला गया.

उस के कागजात ले कर दोनों पुलिसकर्मी उलटपुलट कर देखने लगे. कुछ सेकेंड बाद ही उपाध्याय पूछने लगे, ”तू नेता है या डाक्टर? गाड़ी जलगांव, महाराष्ट्र की है और तू यहां नोएडा में डाक्टरी करता है. गाड़ी भी महाराष्ट्र की है…माजरा क्या है?’‘

”कुछ भी नहीं, मैं तो…’‘

”…तू सेक्टर म्यू-दो में रहता है न! वहां भी तूने एक अस्पताल का बोर्ड लगा रखा है, लेकिन क्लिनिक कहां है?’‘ यादव ने बीच में ही कई सवाल दाग दिए.

”आप लोग तो मेरे साथ बहुत गलत बरताव कर रहे हैं…’‘

”मुझे लगता है कि गलत तो तुम कर रहे हो. और ये क्या है? तुम्हारे ड्राइविंग डाक्यूमेंट के साथ शादी का सर्टिफिकेट! वह भी 2-2…’‘ यादव 2 पेपर लहराते हुए बोले. यह सुनते ही शिंदे बोल पड़ा, ”ऐंऽऽ शादी सर्टिफिकेट! नहीं तो!’‘

”मैं गलत बोल रहा हूं. दोनों आर्यसमाज मंदिर के हैं. उन पर नंबर एक ही है. चलो मेरे साथ थाने, आगे की पूछताछ वहीं होगी.’‘ यादव सख्ती से बोले.

”नहीं नहीं, आप को कुछ गलतफहमी हो गई है. एक असली और दूसरा उस की ही फोटोकापी है.’‘ शिंदे ने सफाई दी.

”फिर दोनों में नाम अलगअलग कैसे हैं? एक में डा. पूजा कुशवाहा लिखा है और दूसरे में प्राजक्ता शिंदे!’‘ यादव बोले.

”चलोचलो, तुम्हारी गाड़ी मेरा कांस्टेबल ले आएगा, तुम मेरे साथ पुलिस गाड़ी में बैठो.’‘ इस बार उपाध्याय बोले.

शिंदे ने किस तरह की 4 शादियां

थाने में शिंदे से पूछताछ के बाद उस के बारे में जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी. बल्कि वह एक फरजी डाक्टर पाया गया. उस ने जालसाजी से 4 शादियां रचा रखी थीं. सभी में पत्नियों का नाम संयोग से पूजा था. बरामद 2 विवाह प्रमाणपत्र भी फरजी पाए गए. एक पर नाम डा. प्राजक्ता शिंदे दर्ज था, जबकि दूसरे पर डा. पूजा कुशवाहा का नाम लिखा था.

उस ने बताया कि डा. प्राजक्ता शिंदे उस की पहली पत्नी है. वह बीएएमएस है. वह उसे छोड़ चुकी है. नोएडा आने से पहले वह दिल्ली के वसंत विहार में रहता था. वहीं उस की मुलाकात साल 2019 में दिल्ली की एमबीबीएस डा. पूजा कुशवाहा से हुई थी, जिस के बाद में उस ने शादी कर ली.

कुछ दिन बाद ही पूजा को पता चला कि शिंदे शादीशुदा है. उस के साथ डा. प्राजक्ता रहती थी. इस पर डा. पूजा ने आरोपी के खिलाफ कानूनी काररवाई करने की धमकी दे डाली. तभी वह दिल्ली से प्राजक्ता को ले कर नोएडा चला आया. अपने साथ डा. पूजा की डिग्री और उस के दूसरे दस्तावेज भी ले आया, जिन के आधार पर उस ने पहली पत्नी प्राजक्ता की फरजी एमबीबीएस की डिग्री बना ली.

दरअसल, बीएएमएस आयुर्वेद के डाक्टर की पढ़ाई का एक हिस्सा है. साढ़े 5 साल का स्नातक कोर्स करने के बाद बैचलर औफ आयुर्वेदिक मैडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) की डिग्री दी जाती है. दूसरा फरजीवाड़ा उस ने यह किया कि 2-2 बीवियां होने के बावजूद उस ने वैवाहिक वेबसाइट से वर तलाशने वाली युवतियों से नंबर ले कर उन से संपर्क करना शुरू कर दिया. उन्हें अपने बारे में डाक्टर बताता था.

डाक्टरी की डिग्री की वजह से युवतियां असानी से उस के झांसे में फंस जाती थीं. युवतियों को प्रेमजाल में फांसने में माहिर पूर्णव शंकर शिंदे खुद को विदेशी शिक्षा प्राप्त एक प्रतिभाशाली और अमीर डाक्टर बताता था.

वह ग्रेटर नोएडा के एक गांव शाहबेरी में किराए पर रहने लगा था. वहीं उस ने अश्वपूर्व फाउंडेशन और अश्वपूर्व मल्टी हौस्पिटल के नाम का एक आकर्षक बोर्ड लगा दिया था.

बोर्ड पर अपना और पहली पत्नी को एमबीबीएस डाक्टर दर्शाते हुए नाम लिखवा लिया था. साथ ही फाउंडेशन का जीएसटी रजिस्ट्रैशन भी करवा लिया था. पहली पत्नी उस के साथ रहती थी. जब कोई मरीज आता था, तब उस का पहली पत्नी डा. प्राजक्ता ही उपचार करती थी.

शिंदे ने राजनीतिक पहुंच का रुतबा दिखा कर न केवल फाउंडेशन व अस्पताल के नाम पर लोन लिया, बल्कि 2-2 जीएसटी रजिस्ट्रैशन नंबर जारी करवा लिए थे. यही नहीं, वह जीएसटी रिफंड का धंधा भी करता था. ऐसा कर वह सरकार के राजस्व में लाखों रुपए का चूना लगा चुका था.

उस ने पत्नी प्राजक्ता को पूजा कुशवाहा के नाम पर पेश कर फाइनैंस कंपनी से लोन लिया था. गाड़ी और स्कूटी को भी फाइनैंस करवा रखा था. एसबीआई और दूसरे बैंक समेत अन्य फाइनैंस कंपनियों से लोन व क्रेडिट कार्ड ले रखे थे. उस के नाम आदित्य बिरला कैपिटल फाइनैंस से 5 लाख का लोन था, जो अश्वपूर्वा मल्टी स्पैशलिटी हौस्पिटल के नाम पर ले रखा था.

उस ने एक कंपनी प्राजक्ता के साथ पार्टनरशिप में बना रखी थी. यहां तक कि अपना ड्राइविंग लाइसैंस भी कपिल त्यागी के नाम से बना रखा था. यह कहना गलत नहीं होगा कि वह जालसाजी का पूरा लबादा ओढ़े हुए था.

अपनी पहचान पत्र को बदलने के लिए जनप्रतिनिधियों के फरजी हस्ताक्षर भी कर लेता था. उस के पास से एक पैन कार्ड करेक्शन का फार्म भी बरामद किया गया, जिस पर पूजा शिंदे नाम लिखा था. उस के द्वारा दादरी विधायक तेजपाल नागर के फरजी हस्ताक्षर दुरुपयोग करने की बात भी सामने आई.

क्यों बनवाए नेताओं के लेटर पैड

पुलिस ने जांच में पाया कि शिंदे ने 5 महीने पहले ही महाराष्ट्र की एक युवती के साथ धोखा दे कर शादी की थी. फिलहाल वह गर्भवती है. उस युवती को धोखा होने के बारे में थोड़ी सी भी आशंका नहीं थी.

मामले की तहकीकात पूरी होने के बारे में एडिशनल डीसीपी अशोक कुमार ने बताया कि  मुंबई के जुहू निवासी पूर्णव शंकर शिंदे खुद को एमबीबीएस डाक्टर बताता था. इस के पास एक एंबुलेंस भी है, जिस पर अश्वपूर्वा हौस्पिटल लिखा है. यही नहीं वह एक एसेंट गाड़ी चलाता था और फरजी हौस्पिटल बना कर लोन ले लेता था. पकड़ में न आए, इसलिए आयकर भी दाखिल करता था.

आरोपी शिंदे पहली बार 2015 में एक मैडिकल छात्रा पूजा से मिला था. तब वह आगरा से मैडिकल की पढ़ाई कर रही थी. उसे उस ने अपने आप को बिजनैसमैन बताया था. उस ने उस से आर्यसमाज मंदिर में शादी कर ली थी. उन का विवाह कुछ दिनों तक ही चला था. उस के बाद उस ने अपने राज्य की लड़की से शादी रचा ली थी.

कुछ समय बाद ही डा. पूजा कुशवाहा को पता चला कि पूर्णव शंकर शिंदे की एक पत्नी पहले से है. इस के बाद दोनों में अनबन हो गई. शातिर पूर्णव शंकर शिंदे पुत्र सर्वानंद शंकर को गैलेक्सी गोलचक्कर अजायबपुर से गिरफ्तार किया गया था. उस के पास से विधायक के लैटर पैड बरामद किए गए, जिन का इस्तेमाल दस्तावेज बनाने के लिए करता था. उस ने बताया कि उस ने शादी के बाद पत्नी का नाम पूजा पुत्री चंद्रपाल रखा था.

इस बारे में उस ने बताया कि उसे पूजा नाम से लगाव हो गया था, फिर इसी के अनुसार वह आधार कार्ड में संशोधन करवा लेता था. तीसरी शादी करने के बाद युवती का नाम पूजा पुत्री चंद्रपाल रखने के लिए उसी ने विधायक के लेटर पैड का प्रयोग किया था.

साथ ही उस ने अन्य महिलाओं के आधार कार्ड व पैन कार्ड को अपने हिसाब से अपडेट कराने के लिए आर्यसमाज मंदिर के विवाह प्रमाणपत्र का प्रयोग किया था. उस के पास से 2 महिलाओं के विवाह प्रमाणपत्र भी मिले. साथ ही उस के पास से 6 कोरे प्रमाणपत्र भी मिले.

एक के बाद क्यों कर रहा था फरजीवाड़ा

आरोपी शिंदे ने हौस्पिटल का प्रमाण देने के लिए सभी चीजों का प्रयोग किया था. जिन में से एक एंबुलेंस आरोपी के कब्जे से बरामद कर ली गई. एंबुलेंस पर चारों तरफ अश्वपूर्वा मल्टी स्पेशलिटी हौस्पिटल बड़े लाल रंग के अक्षरों में लिखा गया था.

इस एंबुलेंस के नंबर को चैक करने पर पता चला कि वह किसी लीलावती मल्टीस्पैशलिटी हौस्पिटल के नाम पर रजिस्टर्ड है, जिस की 2017 में वैधता खत्म हो चुकी थी. इस के साथ ही आरोपी द्वारा अपना रौब जमाने के लिए एक कार का प्रयोग किया जाता था. उस पर बड़े अक्षरों में जिला महामंत्री भारतीय जनता पार्टी, जिला जलगांव, महाराष्ट्र लिखा था.

यही नहीं, आरोपी द्वारा एक अन्य फरजी कंपनी भी बना रखी थी. जिस का नाम अश्वपूर्वा एक्सरे एमेजिंग सेंटर प्राइवेट लिमिटेड रखा गया था. उस के 2 पार्टनरों में एक शिंदे की पत्नी प्राजक्ता पूर्णव शिंदे थी.

इस प्रकार कंपनी बना कर अभियुक्त द्वारा फाउंडेशन और हौस्पिटल के फरजी बिल बनाए जाते थे. उन को प्रस्तुत कर जीएसटी रिफंड प्राप्त किया जाता था. इस से सरकार को राजस्व की हानि होती थी. आरोपी द्वारा बनाए गए हौस्पिटल के स्थान पर असल में बरतनों की दुकान है.

पूर्णव शंकर शिंदे का मकसद डा. पूजा के एजुकेशनल डाक्यूमेंट का प्रयोग कर अलगअलग महिलाओं के दस्तावेजों को अपडेट कर उन का नाम डा. पूजा करना तथा उन के आधार कार्ड व पैन कार्ड के सिबिल स्कोर के आधार पर लोन लेना व उन को वापस नहीं करना था.

सभी आरोपी महिलाओं के नाम को पूजा के नाम पर इसलिए करना चाहता था कि उस के पास एक ही सैट एजुकेशनल दस्तावेज थे. जिन को चैक करने पर वह असली पाए जाते थे. इस कारण से वह अन्य सभी महिलाओं, जिन को वह शादी के लिए झांसे में लेता था, के आधार व पैन कार्ड मे पूजा पुत्री चंद्रपाल की जन्मतिथि अपडेट करवा लेता था.

पुलिस ने आरोपी पूर्णव शंकर शिंदे से पूछताछ कर उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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