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कमलेश जैन वरिष्ठ पत्रकार थे, जो पिछले 24 सालों से इस काम में लगे थे. इसलिए पिपलिया मंडी क्षेत्र में ही नहीं, मंदसौर जिले में भी उन की अच्छी पहचान थी.

दैनिक अखबारों के पत्रकार दिन भर समाचार जुटा कर शाम को समाचार तैयार कर के अपने अखबार के लिए भेजते हैं. कमलेश और उन के सहयोगी अवतार भी जुटाए समाचारों को अंतिम रूप देने में लगे थे.

उसी समय एक मोटरसाइकिल उन के औफिस के ठीक सामने आ कर रुकी, जिस पर 2 युवक सवार थे. उन में से एक तो मोटरसाइकिल पर ही बैठा रहा, पीछे बैठा युवक उतर कर कमलेश के औफिस में घुस गया. अवतार को लगा कि किसी समाचार के सिलसिले में आया होगा, क्योंकि औफिस में अकसर लोग समाचारों के सिलसिले में आते रहते हैं. इसलिए अवतार ने उस की ओर ध्यान नहीं दिया. वह अपने काम में लगे रहे.

लेकिन जब एक के बाद एक, 2 गोलियों के चलने की आवाज कमलेश जैन के चैंबर से आई तो वह सन्न रह गए. वह कमलेश के चैंबर में पहुंचते, उस के पहले ही वह युवक तेजी से बाहर निकला और बाहर खड़ी मोटरसाइकिल पर बैठ कर अपने साथी के साथ भाग गया. इस के बाद कमलेश की हालत देख कर उन्होंने शोर मचा दिया, जिस से आसपास के लोग इकट्ठा हो गए.

किसी ने फोन कर के यह जानकारी पुलिस को दे दी तो थाना पिपलिया मंडी के टीआई अनिल सिंह तत्काल दलबल के साथ मौके पर पर पहुंच गए. सब से पहले उन्होंने कमलेश को इलाज के लिए नजदीक के अस्पताल पहुंचाया.

उन की हालत गंभीर थी, इसलिए उन्हें मंदसौर के जिला अस्पताल भेज दिया गया. लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही उन्होंने रास्ते में दम तोड़ दिया. उन की मौत की खबर सुन कर तमाम पत्रकार और उन के शुभचिंतक अस्पताल पहुंच गए. सभी हैरान थे कि एक पत्रकार की हत्या क्यों कर दी गई?

नेताओं और पत्रकारों ने किया प्रदर्शन कमलेश के घर वालों ने उन की हत्या के मामले में 7 लोगों कमल सिंह, जसवंत सिंह, जितेंद्र उर्फ बरी उर्फ जीतू, इंदर सिंह उर्फ बापू उर्फ विक्रम सिंह और शकील के खिलाफ नामजद रिपोर्ट लिखाई. कमलेश जैन की हत्या से कस्बे और पुलिस महकमे में हलचल मची हुई थी. अगले दिन पत्रकार कमलेश की शवयात्रा के समय जिले भर के पत्रकार, राजनीतिक दलों के नेताओं ने हत्याकांड की निंदा करते हुए हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग की.

मामला एक वरिष्ठ पत्रकार की हत्या का था. पत्रकारों, राजनीतिज्ञों के अलावा तमाम सामाजिक संगठनों का भी पुलिस पर दबाव पड़ रहा था. लिहाजा पुलिस नामजद अभियुक्तों की तलाश में जुट गई. पुलिस को अभियुक्तों के राजस्थान के एक गांव में होने की जानकारी मिली तो पुलिस की एक टीम राजथान रवाना हो गई. इस टीम ने वहां एक गांव से 5 अभियुक्तों को हिरासत में ले लिया.

हत्या से कुछ दिनों पहले इन लोगों से कमलेश का विवाद हुआ था, इसलिए पुलिस को उम्मीद थी कि इन की गिरफ्तारी से मामले का खुलासा हो जाएगा. लेकिन पुलिस पूछताछ में जब साफ हो गया कि घटना वाले दिन वे पिपलिया मंडी में नहीं थे, तो पुलिस थोड़ा निराश हुई.

पुलिस ने तरीके से नामजद लोगों के बारे में जानकारी निकलवाई, इस में साफ हो गया कि इन लोगों का कमलेश से विवाद जरूर था, लेकिन हत्या में इन का हाथ नहीं है, इसलिए पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया.

इस के बाद पुलिस ने नए सिरे से मामले की जांच शुरू की. 35 दिन बाद भी कमलेश जैन के हत्यारों का पता न लगने से लोगों में पुलिस के प्रति आक्रोश बढ़ रहा था. पत्रकार और सामाजिक संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इस बीच मंदसौर के पुलिस अधीक्षक ओ.पी. त्रिपाठी दंगा कांड में निलंबित हो चुके थे. उसी मामले में पिपलिया मंडी के टीआई अनिल सिंह को भी पुलिस मुख्यालय भेज दिया गया था.

दरअसल, मध्य प्रदेश के किसानों ने प्याज का मूल्य बढ़ाने को ले कर पूरे सूबे में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया था. मंदसौर में प्रदर्शन के समय पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज कर दिया था, जिस के बाद किसान उग्र हो गए थे और वहां दंगा भड़क उठा था. इस के बाद प्रशासन को मंदसौर में कर्फ्यू तक लगाना पड़ा था. इसी मामले में एसपी ओ.पी. त्रिपाठी को निलंबित कर दिया गया था.

ओ.पी. त्रिपाठी के निलंबित होने के बाद मनोज कुमार सिंह को मंदसौर का नया एसपी बनाया गया तो कमलेश सिंघार को थाना पिपलिया मंडी का थानाप्रभारी बना दिया गया. नए एसपी ने कमलेश जैन की हत्या वाले मामले को एक चुनौती के रूप में ले कर सीएसपी राकेश शुक्ला तथा थानाप्रभारी कमलेश सिंघार के साथ मीटिंग कर कमलेश जैन के हत्यारों को जल्द गिरफ्तार करने का निर्देश दिया.

तमाम जांच के बाद भी पुलिस को नहीं मिला क्लू

सीएसपी राकेश मोहन शुक्ल, टीआई कमलेश सिंघार सुलझे हुए पुलिस अधिकारी हैं, इसलिए उन्होंने जांच की शुरुआत मृतक कमलेश जैन के व्यवसाय से की. जांच में उन्हें पता चला कि लगभग 2 दशक से पत्रकारिता से जुड़े कमलेश जैन का इलाके में कई लोगों से विवाद चल रहा था. कमलेश के औफिस के पास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी गई तो पता चला कि हत्यारे कुछ ही सैकेंड में कमलेश की हत्या कर मोटरसाइकिल से खत्याखेड़ी की ओर भाग गए थे.

पहले पुलिस का ध्यान सीसीटीवी फुटेज की तरफ नहीं गया था. इस फुटेज से पता चला था कि हत्यारों की मोटरसाइकिल शाम 7 बज कर 54 मिनट और 47 सैकेंड पर कमलेश के औफिस के सामने आ कर रुकी थी. उस के बाद उन में से एक आदमी उतर कर कमलेश के औफिस में गया और कुछ ही समय में उन्हें गोलियां मार कर बाहर आया और मोटरसाइकिल पर बैठ कर चला गया. इस काम में उसे केवल 12 सैकेंड लगे थे.

इस से पुलिस को लगा कि हत्यारा काफी शातिर था. पुलिस यह भी अंदाजा लगा रही थी कि हत्यार सुपारी किलर भी हो सकते हैं. कमलेश अपराधियों के खिलाफ भी लिखते थे. कहीं उन्हें अपने किसी समाचार या लेख की वजह से तो जान से हाथ नहीं धोना पड़ा.

इस बात का पता लगाने के लिए पुलिस ने पिछले 6 महीने में कमलेश की अखबारों में छपी खबरों का अध्ययन किया. इस के अलावा कमलेश से रंजिश रखने वालों के बारे में पता किया, पर सफलता नहीं मिली.

कई महिलाओं से थे कमलेश के संबंध जब किसी भी तरह अपराधियों के बारे में कोई सुराग हाथ नहीं लगा तो टीआई कमलेश सिंघार ने अपनी टीम को कमलेश के निजी जीवन के बारे में पता करने में लगा दिया. क्योंकि कमलेश 47 साल के होने के बावजूद अविवाहित थे. पुलिस को पता चला कि जिस दिन उन की हत्या हुई थी, उस के 2 दिन बाद यानी 2 जून, 2017 को वह शहर के एक प्रतिष्ठित परिवार की विधवा बहू संध्या से शादी करने वाले थे.

पुलिस ने उन के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स का अध्ययन किया तो पता चला कि उन के कई महिलाओं से संबंध थे. संध्या सहित करीब 10 महिलाओं से उन की देर रात तक मोबाइल पर बातें होती रहती थीं. थानाप्रभारी ने इन महिलाओं के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि जिन महिलाओं से उन की बातचीत होती थी, उन का संबंध मीडिया से बिलकुल नहीं था.

यह भी पता चला कि इन महिलाओं से कमलेश के काफी करीबी संबंध थे. जिन में से प्रीति और कमलेश के संबंधों की जानकारी आसपास के लोगों के अलावा उस के पति को भी थी. लेकिन कमलेश की पहुंच के आगे वह चुप था.

थानाप्रभारी ने कमलेश की अन्य प्रेमिकाओं से पूछताछ की तो पता चला कि कमलेश और संध्या शादी करना चाहते थे. इस बात को ले कर संध्या की ससुराल वाले खुश नहीं थे. संध्या की ससुराल वालों को यह बात प्रीति ने ही बताई थी, क्योंकि प्रीति को शक था कि कमलेश की संध्या से नजदीकी की वजह से वह उस से दूर हो रहा था.

कमलेश सिंघार ने संध्या और उस की ससुराल वालों के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की तो पता चला कि कमलेश की हत्या से पहले और बाद में संध्या के जेठ सुधीर की अपने दोस्त धीरज अग्रवाल से कई बार बात हुई थी. सुधीर के बारे में पुलिस को पहले से ही पता था कि पिपलिया मंडी के कई नामी अवैध धंधेबाजों तथा अफीम तस्करों से उस के संबंध हैं.

कमलेश सिंघार ने सुधीर जैन के बाद धीरज अग्रवाल के फोन नंबर की भी काल डिटेल्स निकलवाई, जिस में पता चला कि जबजब सुधीर और धीरज के बीच बात होती थी, उस के बाद धीरज अग्रवाल प्रतापगढ़, राजस्थान जेल में बंद पिपलिया मंडी के कुख्यात बदमाश आजम लाला से बात करता था.

घटना वाले दिन भी उस ने आजम लाला के नाबालिग बेटे रज्जाक से बात की थी. संदेह वाली बात यह थी कि घटना वाले दिन कमलेश की हत्या के समय रज्जाक की लोकेशन पिपलिया मंडी की थी.

आजम लाला का बेटा रज्जाक वैसे तो नाबालिग था, पर इस उम्र में ही उस के खिलाफ कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हो चुके थे. इस से कमलेश सिंघार को लगा कि कमलेश की हत्या के मामले में सुधीर जैन, धीरज अग्रवाल, आजम लाला और उस का बेटा एक महत्त्वपूर्ण कड़ी हो सकते हैं. लेकिन नामीगिरामी करोड़पति व्यापारी पर हाथ डालना उन के लिए आसान नहीं था.

आजम लाला के नाबालिग बेटे रज्जाक को पुलिस ने किया गिरफ्तार कमलेश सिंघार एसपी मंदसौर मनोज सिंह के निर्देश पर आजम लाला के बेटे रज्जाक को पूछताछ के लिए थाने ले आए. उस से की गई पूछताछ में सारी घटना सामने आ गई. पता चला कि कमलेश और संध्या के संबंधों से नाराज संध्या के जेठ सुधीर जैन ने अपने दोस्त धीरज अग्रवाल के माध्यम से आजम लाला और मंदसौर जेल में बंद गोपाल संन्यासी को कमलेश की हत्या की 50 लाख की सुपारी दी थी.

पूरा सच सामने आ गया तो छापा मार कर संध्या के जेठ सुधीर जैन और उस के दोस्त धीरज अग्रवाल तथा हत्या का षडयंत्र रचने वाले धर्मेंद्र मारू को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि हत्या वाले दिन रज्जाक के साथ कमलेश की हत्या के लिए मोटरसाइकिल पर आया रज्जाक का चचेरा भाई सुलेमान लाला पुलिस को चकमा दे कर फरार हो गया.

इस के बाद हत्या में प्रयुक्त पिस्टल और मोटरसाइकिल बरामद कर ली गई. पूछताछ के बाद सभी आरोपियों को अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया गया.

पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में इश्क की नदी में तैरने वाले कमलेश जैन की हत्या की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार थी—

कमलेश जैन कस्बा पिपलिया मंडी में पत्रकारिता के क्षेत्र में अच्छीखासी पकड़ रखते थे. गैरकानूनी काम करने वालों से अकसर कमलेश जैन का विवाद होता रहता था. लेकिन उन की एक कमजोरी हुस्न थी. जिस के कारण कई महिलाओं से उन के संबंध बन गए थे. कमलेश की सब से चर्चित प्रेमिका प्रीति थी. प्रीति के ऊपर वह दिल खोल कर पैसे खर्च करते थे.

प्रीति के पति को भी पता था कि उस की पत्नी के संबंध कमलेश से हैं, लेकिन कमलेश के रुतबे की वजह से वह चुप था. प्रीति भी कमलेश की दीवानी थी. वह कमलेश पर अपना अधिकार समझने लगी थी. लेकिन कुछ महीनों से संध्या प्रीति के इस अधिकार के बीच दीवार बन कर खड़ी हो गई थी.

मंदसौर निवासी संध्या की शादी पिपलिया मंडी के रईस व्यवसायी के छोटे भाई नवीन के साथ हुई थी. सुधीर जैन करीब 1 अरब की संपत्ति के मालिक थे. इन संपत्तियों में उन के 3 भाइयों का हिस्सा था. सुधीर जैन ने यह संपत्ति गोपाल संन्यासी तथा आजम लाला की मेहरबानी से बनाई थी.

चर्चा है कि सुधीर जैन और उस के भाई नवीन द्वारा इलाके की विवादित जमीन औनेपौने दामों पर खरीद कर आजम लाला, गोपाल संन्यासी जैसे बदमाशों की मदद से कब्जा कर के बाजार के दामों पर बेच कर मोटी कमाई की थी.

सुधीर के छोटे भाई नवीन की अचानक मौत हो गई तो संध्या विधवा हो गई. देखा जाए तो एक तिहाई संपत्ति संध्या की थी, लेकिन भाई की मौत के बाद सुधीर के मन में लालच आ गया था. उस ने संध्या को थोड़ीबहुत संपत्ति दे कर अलग कर दिया. काफी कहने के बाद भी जब संध्या को प्रौपर्टी से हिस्सा नहीं मिला तो वह अपने मायके में जा कर रहने लगी.

वह जानती थी कि उस के जेठ सुधीर जैन ने उस के साथ धोखा किया है. वह अपने हिस्से की जायदाद लेना चाहती थी. ससुराल में रहते हुए उस ने सुना था कि कमलेश जैन एक ईमानदार पत्रकार है और वह सच्चाई का साथ देता है, इसलिए वह अपनी संपत्ति के मामले में मदद के लिए पत्रकार कमलेश जैन के पास पहुंची.

कमलेश ने लालच में बनाए संध्या से संबंध काफी खूबसूरत और जवान संध्या जैन कमलेश की जातिबिरादरी की भी थी. उसे पता चला कि कमलेश की अभी शादी नहीं हुई है तो उस का दिन उस पर आ गया. संध्या की खूबसूरती पर कमलेश भी मर मिटा था. कमलेश ने सोचा कि अगर संध्या से उस की शादी हो जाती है तो उस के हिस्से की करोड़ों की संपत्ति का वह मालिक बन जाएगा. इसलिए वह संध्या की मदद करने लगा.

लगातार मिलनेमिलाने से संध्या और कमलेश के बीच प्रेमसंबंध बन गए. उन के संबंध इस मुकाम पर पहुंच गए कि उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया.

जीवन में संध्या के आने के बाद कमलेश ने पुरानी प्रेमिका प्रीति से नाता तोड़ लिया था. जबकि प्रीति कमलेश को छोड़ना नहीं चाहती थी, क्योंकि प्रीति का ज्यादातर खर्चा कमलेश ही उठाता था. यही वजह थी कि प्रीति संध्या से चिढ़ रही थी.

जब प्रीति को पता चला कि कमलेश जैन संध्या से 3 जून, 2017 को शादी करने जा रहे हैं तो प्रीति ने कमलेश और संध्या के संबंधों की शिकायत संध्या के जेठ सुधीर जैन से कर दी.

इस से प्रीति को लगा कि संध्या पर अंकुश लग जाएगा. सुधीर को जब संध्या और कमलेश के संबंधों का पता चला तो उसे बहुत गुस्सा आया. उसे लगा कि अगर संध्या ने कमलेश से शादी कर ली तो कमलेश का सहारा पा कर वह अपने हिस्से की सारी जायदाद ले कर मानेगी.

कमलेश जैन के रहते सुधीर संध्या पर दबाव नहीं बना सकता था, जिस से सुधीर जैन को करोड़ों की जायदाद हाथ से जाती दिखाई देने लगी. सुधीर की यह परेशानी उस के दोस्त धीरज अग्रवाल से छिपी नहीं थी, इसलिए उस ने उसे सलाह दी कि इस तरह चुप बैठने से काम नहीं चलेगा, हमें कोई ठोस काररवाई करनी होगी.

सुधीर जैन की तरह धीरज अग्रवाल भी गैरकानूनी तरीके से पैसा कमा रहा था. सुधीर की ही तरह उस के भी कई कुख्यात बदमाशों से संबंध थे. धीरज की बात सुधीर की समझ में आ गई. उस ने कमलेश को रास्ते से हटाने के लिए धीरज से मदद मांगी. धीरज इस के लिए तैयार हो गया.

प्रतापगढ़ जेल में बंद आजम लाला तथा मंदसौर जेल में बंद गोपाल संन्यासी से धीरज के अच्छे संबंध थे. धीरज दोनों से जेल जा कर मिला. उन्होंने कमलेश की हत्या के लिए 50 लाख रुपए मांगे. बात तय हो गई. इस के बाद सुधीर जैन से 5 लाख रुपए ले जा कर अखपेरपुर में आजम लाला के बेटे रज्जाक को दे दिए. बाकी के रुपए कमलेश की हत्या के बाद दिए जाने थे.

50 लाख की सुपारी मिलते ही बदमाश हो गए सक्रिय  5 लाख रुपए हाथ में आते ही आजम लाला ने प्यादे तलाशने शुरू कर दिए. परंतु मंदसौर जिले में अधिकांश अपराधियों पर पुलिस का शिकंजा कसा था. कई तो जेल में बंद थे तथा कई भूमिगत हो चुके थे, इसलिए आजम को शूटर मिलने में परेशानी हो रही थी. दूसरी ओर प्रीति ने सुधीर को बता दिया था कि संध्या और कमलेश 3 जून को शादी करने वाले हैं, इसलिए सुधीर हर हाल में 3 जून से पहले कमलेश की हत्या करवा देना चाहता था.

धीरज अग्रवाल ने यह बात आजम को बताई तो आजम ने कमलेश की हत्या का काम अपने नाबालिग बेटे रज्जाक को सौंप दिया. रज्जाक नाबालिग उम्र में ही अपने बाप के कदमों पर चल पड़ा था. वह तमाम आपराधिक वारदातों को अंजाम दे चुका था, इसलिए वह हिस्ट्रीशीटर बन गया था.

पिता का आदेश मिलते ही उस ने कमलेश की हत्या की साजिश रचनी शुरू कर दी. इस के लिए उस ने चौपाटी बस्ती निवासी धर्मेंद्र धारू को फरजी सिम दे कर कमलेश पर नजर रखने की जिम्मेदारी सौंप दी. धर्मेंद्र ने रज्जाक को कमलेश के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कमलेश सुबह से शाम तक समाचार के लिए इधरउधर भटकने के बाद शाम 7 बजे तक लवली चौराहे पर स्थित अपने औफिस आ जाता है.

रज्जाक ने अपने काम के लिए यही समय तय किया. कमलेश की हत्या की योजना बना कर रज्जाक अपने चचेरे भाई सुलेमान उर्फ सत्तू लाला के साथ मोटरसाइकिल से पिपलिया मंडी पहुंच गया. घटना के समय सुलेमान मोटरसाइकिल ले कर सड़क पर खड़ा था, जबकि नाबालिग रज्जाक ने कमलेश के चैंबर में जा कर उसे गोली मार दी थी. अपने काम को अंजाम दे कर वह सुलेमान के साथ वहां से भाग गया था.

इस तरह प्यार और प्रौपर्टी के चक्कर में पत्रकार कमलेश जैन मारा गया. इस ब्लाइंड मर्डर का पर्दाफाश करने वाली पुलिस टीम की एसपी मनोज सिंह ने काफी सराहना की है.   ?

 

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