इस मामले को केशोद के थाने में दर्ज किया गया. वहां से पुलिस इंसपेक्टर अशोक तिलवा ने इस की जांचपड़ताल की. घटना की तहकीकात के बाद नीतीश नाम के व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई. उस से पूछताछ होने पर इस वारदात में भाड़े पर शामिल किए गए दोनों हमलावरों के नाम भी सामने आए. वे हमलावर उन के द्वारा ही 55 लाख रुपए दे कर बुलाए गए थे.
जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई, तब एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. नीतीश ने बताया कि उस ने ब्रिटेन में रहने वाले दंपति कंवलजीत सिंह रायजादा और आरती धीर के इशारे पर इस वारदात को करवाया. पूछताछ में नीतीश मुंड ने यह भी बताया कि गोपाल की हत्या की 2 असफल कोशिशें पहले भी हो चुकी थीं.
हत्या से 4 हफ्ते पहले उस ने नीतीश को एक फरजी आईडी पर लिया गया सिम कार्ड खरीदने के लिए 25,000 रुपए भी भेजे थे, ताकि साजिश में शामिल दूसरे लोगों के साथ किसी का फोन काल नहीं जुडऩे पाए.
आरती धीर और कंवलजीत सिंह रायजादा का नाम सुन कर हरसुखभाई की पत्नी अल्पा भी चौंक पड़ी. कारण, यह वही जोड़ा था, जिस ने उस के भाई गोपाल को गोद लिया था. यह बात उस ने पुलिस को भी पूछताछ के दरम्यान बताई.
वह इस बात से आश्चर्यचकित थी कि आखिर उस ने उसे क्यों मरवाया? उन्हें उस के पति से क्या शिकायत थी, जो पति को भी मरवा दिया?
अल्पा ने पुलिस को बताया कि नीतीश मुंड की गिरफ्तारी के बाद कंवलजीत के पिता उस से मिलने आए थे, जो स्थानीय बैंक में मैनेजर हैं. उन्होंने उसे पुलिस को यह बताने के लिए पैसे की पेशकश की थी कि मुंड निर्दोष है. हत्या की साजिश के सिलसिले में पुलिस ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया था. बाद में उन की जमानत हो गई थी.
लंदन से रची गई थी हत्या की साजिश
पुलिस यह भी पता लगा रही थी कि इस घटना के तार और किनकिन लोगों के साथ जुड़े हो सकते हैं? इस में किन की क्या भूमिका हो सकती है? गोद लेने वाले दंपति की मंशा क्या थी? मासूम गोपाल का अपहरण क्यों किया जा रहा था?
बहुत जल्द ही इस का राज पकड़े गए नीतीश मुंड के बयानों से खुल गया. पुलिस जांच के अनुसार नीतीश मुंड इस मामले का एक बिचौलिया था, जो पहले हनवेल में आरती धीर और कंवलजीत के फ्लैट पर रहता था. गुजरात में पुलिस के सामने उस का एक कुबूलनामा कलमबद्ध किया गया था, जिस में दंपति को हत्या की साजिश में शामिल बताया गया था.
गोपाल की मौत का कारण वही एनआरआई दंपति था, जिस ने उसे 2 साल पहले गोद लिया था. पुलिस ने अल्पा की तरफ से दर्ज रिपोर्ट में उन पर ही 11 वर्षीय दत्तक पुत्र गोपाल की हत्या करने का आरोप लगाया गया. यह दंपति गोपाल की आकस्मिक मौत दिखा कर उस के नाम की गई बीमा के मुआवजे की एक बड़ी धनराशि हड़पना चाहते थे. लंदन में रहने वाले दंपति ने गोपाल को गोद ले कर उस का डेढ़ लाख पाउंड अर्थात एक करोड़ 57 लाख 50 हजार रुपए का जीवन बीमा करा लिया था.
उस की हत्या करवाने के लिए दंपति ने नीतीश मुंड नामक व्यक्ति से मिल कर साजिश रची थी, जो वीजा समाप्त होने और भारत लौटने तक लंदन में रहता था.
पुलिस की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के अनुसार आरती धीर और कंवलजीत सिंह ने नीतीश मुंड के साथ मिल कर गोपाल को गोद लेने, उस का बीमा करवाने और फिर उसे मार डालने की साजिश रची थी. नीतीश लंदन में रहता था और अकसर गुजरात आताजाता था.
पुलिस जांच में गोपाल की गतिविधियों की भी जानकारी मिली. उस की बड़ी बहन अल्पा ने बताया कि वह बड़ा हो कर पुलिस औफिसर बनना चाहता था. वह बौलीवुड फिल्म ‘सिंघम’ से बहुत प्रभावित था. फिल्म में बाजीराव सिंघम की नकल करता हुआ चोर पुलिस का खेल खेला करता था. वह अपने दोस्तों पर चिल्लाता था, ‘बचना असंभव है!’
वह पढ़ाई में अव्वल था. उसे कार्टून बनाना बहुत पसंद था. उस ने महात्मा गांधी के चित्र के लिए स्कूल में पुरस्कार भी जीता था. उस के दोस्त, शिक्षक, गांव के सभी लोग उस के साथ हुई आकस्मिक घटना को ले कर हैरान थे.
उस के हमलावरों को पकडऩे में पुलिस ने तत्परता दिखाई. उस पर हमला करने वालों की यह सोच गलत साबित हुई कि एक गरीब छोटे लड़के का जीवन कोई मायने नहीं रखता है और भारत के पश्चिमी तट पर पुलिस उन्हें नहीं पकड़ पाएगी. लेकिन पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए एक एक कर 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. उन पर हत्या और अपहरण की धाराएं लगाई गईं और मुकदमा चलाया गया.
लेकिन गोपाल की मौत की गूंज गुजरात के पुलिस महकमे तक ही नहीं गूंजी, बल्कि 4 हजार मील से अधिक दूर ब्रिटेन के पश्चिम लंदन में हैनवेल में भी सुनाई दी. यह वह जगह है, जहां हीथ्रो की पूर्व कर्मचारी आरती धीर और उन के पति कंवलजीत सिंह रायजादा कतार से बनी विक्टोरियन घरों की एक पंक्ति के अंत में रहते थे.
लंदन में गूंजी गुजरात में कराई गई हत्याओं की गूंज
उन का घर एक आधुनिक ब्लौक की पहली मंजिल पर था. वे इस चौंकाने वाली घटना से इलाके में रह रहे अन्य लोगों की निगाह मेें तब आ गए, जब ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
उन्हें आसपास की दुकान वाले अच्छी तरह जानते पहचानते थे और आसपास के डाकघर में अपने बिलों का भुगतान करने के लिए जाते रहते थे. उन्हें सभी लोग एक अच्छे दंपति के तौर पर जानते थे. उन का व्यवहार लोगों के साथ अच्छा था और वे मिलनसार हो कर भी अपने काम से ही अधिक मतलब रखते थे.
हां, उन के बीच उम्र के अंतर और कदकाठी को देख कर कुछ समय पहले लोगों को उन के मांबेटा होने का संदेह हो जाता था, लेकिन धीरेधीरे सभी उन के पतिपत्नी होने का सच जान चुके थे. उन के बारे में कहने के लिए किसी के पास कोई बुरा शब्द नहीं था.
उन के बारे में लोगों के प्रति अच्छी धारणा थी. वह स्तन कैंसर चैरिटी के लिए धन जुटाने का काम करते थे. यही उन की इलाके में पहचान थी. उन के बारे में गुजरात पुलिस को सिर्फ यही पता था कि वे एक साधारण गली के एक साधारण फ्लैट में एक साधारण जीवन जी रही हैं.
गुजरात पुलिस के अनुसार उन्होंने गोपाल पर ली गई जीवन बीमा पौलिसी से डेढ़ लाख पाउंड का दावा करने की योजना बनाई थी. यह योजना आरती धीर ने अपने पति कंवलजीत की मदद से बनाई थी. वे चाहते थे कि गोपाल की हत्या के बाद उस की लाश नाले में पड़ी बरामद हो ताकि बीमे की रकम के लिए दावेदारी की जा सके. इस योजना के तहत आरती धीर ने उसे मारने के लिए एक गिरोह की मदद ली थी.
गुजरात पुलिस को हैरानी इस बात की भी थी कि गोपाल की हत्या की साजिश लंदन के एक हाउसिंग एसोसिएशन के फ्लैट से रची गई थी. उन के फ्लैट की खिड़कियों में भारतीय शैली में परदे लटके हुए थे, साथ ही दरवाजे की चौखट पर नींबू और सूखी मिर्च झूल रहे थे. वहां भारतीय संस्कृति की झलक साफ देखी जा सकती थी. जबकि उस पर भारत में हत्या और अपहरण की साजिश सहित 6 आरोप थे.
आरती धीर और कंवलजीत रायजादा वल्र्डवाइड फ्लाइट सर्विसेज (डब्ल्यूएफएस) के लिए हवाई माल ढुलाई का काम करते थे. हालांकि कंपनी से पूछताछ के बाद मालूम हुआ कि उन को 2016 में ‘अनुबंध के उल्लंघन’ के चलते बरखास्त कर दिया गया था.
आरती वहां भी काफी लोकप्रिय थी. उस के साथ काम करने वाली एक सहकर्मी ने लंदन पुलिस को पूछताछ में बताया कि उस के साथ काम करना और साथ रहना मजेदार था.
आरती धीर और कंवलजीत रायजादा के खिलाफ पहली नजर में ही आपराधिक साजिश का मामला सामने आया. उसे गोद लेने से ले कर बीमा संबंधी दस्तावेजों के सबूत के तौर पर जुटाया गया. इस आधार पर ही मामला मुख्य मजिस्ट्रैट और उच्च न्यायालय तक ले जाया गया.