फरीदाबाद में बड़खल चौक पर श्री सासाराम ओयो होटल को कौन नहीं जानता है. वह उस इलाके में नए आने वालों का लैंडमार्क बना हुआ है. वह होटल तब खास चर्चा में आया था, जब जुलाई 2020 में यूपी का गैंगस्टर विकास दुबे एक वारदात के बाद कानपुर से फरार होने के दौरान वहां ठहरा था.

उस के बाद से वह होटल फरीदाबाद पुलिस की निगाह में संदिग्ध बन गया है. उस के खिलाफ थोड़ी सी भी सूचना मिलने पर पुलिस सक्रिय हो जाती है और तुरंत ऐक्शन लेने के लिए पहुंच जाती थी.

बात 9 फरवरी, 2022 की है. सर्दी का मौसम था. रात गहराने लगी थी. धुंध भी फैलने लगा था. करीब सवा 10 का समय रहा होगा.

श्री सासाराम ओयो होटल के रिसैप्शन पर बैठे मैनेजर करतार सिंह ने अपने पीछे बैठी महिला को इशारा कर बोला, ‘‘सुम्मी,  बाहर देखना, लगता है मोनू की कैब आई है.’’

मोनू का नाम सुनते ही वह शीशे वाले दरवाजे से बाहर देखने की कोशिश करने लगी.

‘‘कुछ साफसाफ नजर नहीं आ रहा है. संदीप, मैं ने तुम्हें कितनी बार कहा है कि दरवाजे के शीशे को शाम में भी एक बार साफ करा दिया करो,’’ सुम्मी बगल में खड़ेखड़े टीवी देख रहे लड़के से शिकायती लहजे में बोली.

‘‘अरे नहीं सुम्मी, शीशा बिलकुल साफ है. बाहर अंधेरे के कारण साफ नहीं दिख रहा है. मुझे तो मोनू ही लग रहा है. उस के साथ एक लेडी भी है,’’ करतार बोला, जो वहां का मैनेजर था.

‘‘लग तो मुझे भी चालढाल से मोनू ही रहा है, लेकिन बगैर किसी सूचना के आ गया,’’ सुम्मी ने संशय के साथ हां में हां मिलाई.

कुछ सेकेंड में 30-32 साल की उम्र का एक आदमी सलवारसूट पहनी महिला के साथ शीशे का दरवाजा खोल कर अंदर आ चुका था. वह मोनू ही था.

सीधा रिसैप्शन के पास आ कर मैनजर से बोला, ‘‘मैडम को आज रात ठहरने के लिए एक कमरा चाहिए, लेकिन पहले मैडम के 2000 हजार रुपए का खुला कर दो. मुझे टैक्सी का किराया लेना है.’’ वह आदमी बोला.

‘‘तुम्हारा कितना किराया हुआ?’’

‘‘450 रुपए.’’

‘‘ये लो 500 रुपए. बाकी के 50 जब कभी आना तो वापस कर देना. तुम तो आतेजाते रहते हो,’’ करतार उसे 500 का नोट देते हुए बोला.

‘‘जी हां,’’ बोल कर टैक्सी ड्राइवर चला गया, लेकिन जातेजाते कह गया, ‘‘सरजी, मैडम को अच्छा वाला कमरा देना, शहर में नईनई हैं. कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए.’’

करतार ने डेली रजिस्टर में युवती की डिटेल्स भर दी. सुम्मी महिला को अपने साथ ले कर सीढि़यों से ऊपर चली गई. कुछ देर बाद नीचे आई. करतार से बोली, ‘‘चीज तो नई है. अच्छी भी है, लेकिन पैसे ज्यादा मांग रही है. क्या करूं?’’

‘‘करना क्या है? उस के लिए कोई पैसे वाला कस्टमर ढूंढना होगा. ये लो अभी बात करता हूं.’’

‘‘मोनू भी हिस्सा लेगा, इसलिए अच्छे कस्टमर से बात करना.’’

रात के साढ़े 11 बज चुके थे, करतार का क्लाइंट नहीं आया था. सुम्मी ने उसे टोका, ‘‘तुम्हारा आदमी अभी तक नहीं आया. नई वाली को कब तक बैठाए रखूं.’’

‘‘धैर्य रखो सुम्मी, वह आने वाला ही होगा.’’

‘‘नहीं आया तो इसे फिजूल में पैसे देने होंगे.’’

‘‘चीज कैसी है?’’

‘‘अच्छी है. बिहारी मुसलिम है. थोड़ी सांवली है, लेकिन देह से भरी है. अपनी मरजी से आई है, इस धंधे में अपनी शुरुआत बताती है.’’

‘‘कोई बात नहीं, तब तक उसे कुछ खिलापिला दो.’’

दरअसल, सुम्मी और करतार होटल में चल रहे देह व्यापार के धंधे में लिप्त थे. उस में कैब का टैक्सी ड्राइवर भी शामिल था. वह सैक्स वर्कर को लाने और ले जाने का काम किया करता था.

कोरोना दौर से राहत मिलने के बाद यही उस की आमदनी का जरिया बन गया था. उस के संपर्क में अपनी इच्छा से सैक्स के धंधे में उतरी युवतियां आती रहती थीं. उन में कई बार नई लड़कियां भी दूसरे के रेफरेंस से आ जाती थीं.  धंधे के बारे में होटल का मालिक भी जानता था.

उस दिन वह लड़की मोनू को दिल्ली में एम्स के पास रात को 9 बजे मिली थी. उस ने फरीदाबाद आने के लिए टैक्सी ली थी. वह बेहद बातूनी थी. बातोंबातों में उस ने अपनी मजबूरी और मंशा जता दी थी.

उस की बोली और बातों से पता चल गया था कि वह बिहार की रहने वाली है. उसे नौकरी की तलाश है. वह पहले एक मौल में सेल्सगर्ल का काम करती थी. वहां से उस का काम छूट गया था.

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मोनू भी बातें बनाने में माहिर था. उस ने उसे कुछ ही देर में अपनी लच्छेदार बातों से प्रभावित कर लिया था. यहां तक कि उसे फरीदाबाद के ही होटल में काम दिलवाने का आश्वासन भी दे दिया था. मोनू ने उसे चुपके से यह भी बताया था कि वह चाहे तो रूम सर्विस दे कर एक रात में एक्स्ट्रा आमदनी भी कर सकती है.

जब उस ने उस से रूम सर्विस का मतलब पूछा था, तब मोनू हंसते हुए बोला, ‘‘क्या मैडम, आप पढ़ीलिखी हैं. इतना भी नहीं समझतीं. रात को होटल के कमरे में किसी मर्द को रूम सर्विस देने का मतलब क्या होता है?’’

अगले ही पल वह युवती बोल पड़ी, ‘‘अब समझ गई मैं, उस में तुम्हें भी हिस्सा मिलता होगा?’’

‘‘अब क्या बताऊं मैडम, मैं भी मजबूर हूं, मुझे भी बीवीबच्चों का पेट पालना है. इस से कुछ एक्स्ट्रा आमदनी हो जाती है.’’ इस तरह से मोनू ने बातें करतेकरते युवती को मनपसंद ठिकाने पर पहुंचा दिया था.

दूसरी तरफ सुम्मी, करतार और मोनू इस बात से अनजान थे कि उन के कारनामों की खबर फरीदाबाद पुलिस को एक खास मुखबिर से लग चुकी है. वह युवती फरीदाबाद क्राइम ब्रांच की मुखबिर थी.

कोरोना के नाइट कर्फ्यू की वजह से ओल्ड फरीदाबाद थाने के प्रभारी और फरीदाबाद मुख्यालय से एसीपी दलबल के साथ गश्त पर निकले हुए थे.

अपराध शाखा की पुलिस बल में एसआई ब्रह्म प्रकाश और कप्तान सिंह के अलावा एएसआई नरेंद्र, सुनील, जफरूद्दीन और अश्वनी आदि एक केस के सिलसिले में निकले थे.

यह पुलिस टीम फरीदाबाद के सेक्टर 30 में आनेजाने वाली गाडि़यों की सघन चैकिंग में जुटी थी. उसी वक्त उन्हें मुखबिर से सूचना मिली कि जीटी रोड बड़खल चौक के पास ओयो श्री सासाराम होटल में विगत कुछ दिनों से वेश्यावृत्ति का धंधा चल रहा है.

वहां हर रोज 10 से 15 लड़कियां लाई जाती हैं. इस वक्त भी उन के कमरे में लड़कियां ग्राहकों के साथ मौजूद मिल सकती हैं. हालांकि ऐसी सूचना पहले भी पुलिस को मिलती रही थी.

यह सूचना पा कर अपराध शाखा सक्रिय हो गई. उस ने महिला पुलिसकर्मियों के साथ एक टीम बनाई. उन में से एक सादा कपड़ों में रिसैप्शन पर गया, जबकि कुछ होटल के आसपास फैल गए.

ग्राहक बने पुलिस वाले को देख कर करतार तुरंत पूछ बैठा, ‘‘आइएआइए, मैं आप की क्या सेवा कर सकता हूं?’’

‘‘मुझे सुबह तक के लिए एक अच्छा सा कमरा चाहिए,’’ आगंतुक बोला.

‘‘मिल जाएगा. आधार या पैन कार्ड दीजिए. होटल छोड़ने के वक्त वापस मिल जाएगा. मोबाइल नंबर बताइए…’’

‘‘उस की जरूरत नहीं पड़ेगी. मैं ने सुबह 5 बजे के लिए ही कैब बुक करवा रखी है. उस का नंबर यह रहा…’’ यह कहते हुए आगंतुक ने पर्स से एक परची निकाली और आगे बढ़ा दी.

परची पर लिखा नंबर देखते ही रिसैप्शन पर बैठा व्यक्ति तपाक से बोल पड़ा, ‘‘तो आप को रूम सर्विस चाहिए? ऐसा पहले बोलना था न!’’

उस के बाद करतार आगंतुक का नाम और पता रजिस्टर में लिखने लगा. उस के पीछे बैठी सुम्मी बोली, ‘‘साहब को कौन सा कमरा देना है?’’

‘‘213 वाली चाबी दे दो. अपने साथ संदीप को भी ले जाओ. अपने सामने कमरे की चादर वगैरह ठीक करवा देना…’’ यह कहतेकहते करतार रजिस्टर पर लिखने का काम खत्म कर चुका था. उस पर साइन करवाने के लिए रजिस्टर को ग्राहक के सामने घुमा दिया. बोला, ‘‘सर, यहां साइन कर दीजिए.’’

‘‘अरे इस की क्या जरूरत है, तुम्हीं कुछ मार दो. तुम तो समझ ही गए हो कि मैं यहां किसलिए आया हूं.’’

‘‘ओके सर, फिर भी आप ही कुछ…’’

‘‘अच्छा पेन लाओ…’’ ग्राहक ने करतार का पेन ले कर एक घुमावदार साइन कर दिया. फिर उस के मुंह के काफी नजदीक जा कर बोला,‘‘बाकी की सर्विस का रेट क्या होगा?’’

‘‘सर, ज्यादा नहीं 3000 रुपए.’’

‘‘ये लो 4 हजार, कमरे का किराया भी इसी में है. कमरे में शराब की बोतल कौन सी होगी?’’

‘‘जी मेरे पास 3 ब्रांड है, जो चाहेंगे मिल जाएगी. अभी मैडम आ रही हैं. वह काम उन के जिम्मे है.’’

‘‘…और चौथी?’’ यह बोल कर ग्राहक मुसकराया.

‘‘वह भी वहीं मिल जाएगी… लीजिए मैडम भी आ गईं.’’

‘‘सुम्मी, साहब को अपने साथ ले जाओ. उन की पसंद के दोनों ब्रांड दिखा दो. रात भी अधिक हो गई है.’’

सुम्मी और ग्राहक दूसरी मंजिल पर जाने के लिए सामने की लिफ्ट में चले गए. उधर सीढि़यों से संदीप नीचे उतर आया. आ कर टीवी के सामने लगे बेंच पर बैठ गया. करतार कैश का हिसाब मिलाने लगा.

मुश्किल से 4-5 मिनट हुए होंगे कि तभी सीढि़यों पर कुछ हलचल सुनाई दी. सुम्मी की आवाज के साथ किसी दूसरी महिला की तेज आवाज आ रही थी. करतार को अस्पष्ट आवाज सुनाई दी, ‘‘चल नीचे…ज्यादा चूंचपड़ की तो…’’

करतार को लगा जैसे ऊपर पहली मंजिल पर सुम्मी के साथ किसी का झगड़ा हो गया है. वह रिसैप्शन से बाहर निकल कर सीढि़यों की तरफ बढ़ा. तब तक सुम्मी धम्म से उस के ऊपर आ गिरी थी. उसे करतार ने संभाला.

तुरंत पीछे से वही बिहारी महिला भी आ चुकी थी, जिसे थोड़ी देर पहले मोनू ले कर आया था. नीचे आते ही उस ने सुम्मी को पीछे से पकड़ लिया.

‘‘क्या हुआ मैडम..?’’ मैनेजर ने पूछा.

सुम्मी कुछ बोलती, उस से पहले लिफ्ट से अभीअभी कमरा बुक करवाने वाले ग्राहक ने करतार की गरदन पकड़ ली. सकपकाए संदीप को डांटते हुआ बोला, ‘‘दरवाजे का गेट लौक करो.’’

उन्होंने दोनों को दरवाजे की तरफ पीठ करवा कर खड़ा होने को कहा. दोनों कोई और नहीं, बल्कि फरीदाबाद अपराध शाखा की पुलिस थी. वे नकली ग्राहक और सैक्स वर्कर बन कर आए थे.

महिला पुलिसकर्मी ने होटल के बाहर फैली पुलिस को तुरंत सूचित कर दिया. देखते ही देखते 2 मिनट के अंदर आधा दरजन पुलिसकर्मी दरवाजे के बाहर आ गए. उन्हें अंदर ले लिया गया. उस के बाद होटल के सभी कमरों में तलाशी शुरू हो गई.

मुश्किल से 8-10 मिनट का समय लगा होगा. रिसैप्शन का छोटा सा कमरा सैक्स वर्कर युवतियों और उन के ग्राहकों से भर चुका था.

वे जैसेतैसे अस्तव्यस्त कपड़ों में खड़े थे. युवतियां अपने दुपट्टे से चेहरा ढंक रही थीं, जबकि उन के ग्राहक मास्क और हाथों से ही खुद को छिपाने की कोशिश कर रहे थे.

छापेमारी में पकड़े गए कुल 34 युवकयुवतियां थे, जिन में 14 युवतियां थीं. उन की उम्र 28 से 32 वर्ष की थी. इसी तरह से ग्राहकों की उम्र भी 35-40 के आसपास की थी.

इस तरह से हरियाणा के फरीदाबाद में एक बड़े सैक्स रैकेट का खुलासा हो गया. यह खुलासा फरीदाबाद जिले की क्राइम ब्रांच के एसीपी संदीप मोर और सैक्टर 16 की थानाप्रभारी गीता देखरेख में गठित टीम ने किया.

इस बारे में अपराध शाखा के प्रभारी इंस्पेक्टर रविंद्र कुमार सिंह ने सभी आरोपियों की पहचान की. पूछताछ में उन के नाम  करतार, सुनील, अतुल, विपिन, रिंकी, सुरेंद्र, पंकज, धीरज, शुभम, विनय, देवेंद्र, मोहित, फरजान, नदीम, आकिब, राहुल, रजत, रोहित, माफिजा उर्फ सुम्मी, अंजलि, रूपा, असुरा, मुसकान, अंजलि, किरण, नेहा, पूजा, पलक, रविता, सुशीला, कुमकुम, काव्या, एजेंट संदीप उर्फ मोनू और होटल मालिक नरेंद्र आदि थे.

रविंद्र कुमार सिंह के अनुसार मोनू टैक्सी ड्राइवर सैक्स रैकट को गति दिने के लिए एजेंट का काम करता था. वह लड़कियों के संपर्क में बना रहता था और उन्हें लाने ले जाने का काम करता था. बदले में उसे अच्छा कमीशन मिलता था.

वह राजधानी दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाके से लड़कियों से संपर्क करने में माहिर था. उस की नजर वैसी लड़की को ढूंढ निकालती थी.

बताते हैं उसे सैक्स वर्कर का काम करने वाली लड़की तलाश करने में महारत हासिल थी. वह अनजान से अनजान लड़की से बात कर उस की नीयत पहचान लेता था.

वह समझ जाता था कि वह इस धंधे में उतरने लायक है या नहीं. वैसे कई लड़कियां उसे पहले से जानती थीं. उन के जरिए भी वह लड़कियों को नई दिल्ली और आनंद विहार रेलवे स्टेशनों से भी लाता था.

पहली बार एम्स से संपर्क आने वाली युवती से वह धोखा खा गया था. वह युवती दरअसल फरीदाबाद में ही रहती थी और वह फरीदाबाद क्राइम ब्रांच की मुखबिर थी. होटल के कमरे से ही उस ने क्राइम ब्रांच एसीपी को फोन कर इन धंधेबाजों के बारे में जानकारी दे दी थी.

यह पूछे जाने पर कि वह लड़की की पहचान कैसे कर लेता है, उस ने बताया कि वह सड़क के किनारे टैक्सी लगा कर दूर से आसपास की लड़की पर नजर रखता था. उस की एकएक गतिविधि को नोटिस करता था.

उस के चलनेफिरने के अंदाज, पहनावे और बोलचाल से पता लगा लेता था कि उसे किसी की तलाश है. फिर वह उस के पास जा कर मदद करने की बात कहता था.

बात का एक बार सिलसिला शुरू हुआ नहीं कि अपनी इधरउधर की बातों में उसे भरोसे में ले लेता था. उस की कोशिश रहती कि बिहार या यूपी की वैसी औरत या युवती पर नजर रखे, जो मजबूर या परेशान दिखती हों.

कई बार वह जानबूझ कर उस से टकराने का नाटक करता था. उस के बाद उस के गुस्से से अंदाजा लगा लिया करता था कि वह उस की पसंद है या नहीं. अगर वह नाराज हो जाती तो वह तुरंत माफी मांग लेता था, फिर झट से अपनी टैक्सी के बारे में बता कर कम किराए में चलने की बात छेड़ देता था.

पूछताछ में पता चला कि होटल से चल रहे सैक्स रैकेट में ज्यादातर आरोपी बिहार और उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे. उन में अधिकतर युवतियां गरीब परिवार की थीं. उन में से कुछ तलाकशुदा थीं, तो कुछ परिवार पालने के लिए मजबूरी में यह धंधा करने को मजबूर हुई थीं.

अधिकतर युवतियों के पास कोई कामधंधा नहीं होने के कारण वे इस पेशे में उतरी थीं. हालांकि कुछ को धोखे से भी इस धंधे में उतार दिया गया था, जबकि कुछ मौडलिंग करने और फिल्मों में करियर बनाने की ललक में शोषण का शिकार होने के बाद इस धंधे में आईं.

इन में सिम्मी की कहानी भी कुछ ऐसी है. उस का असली नाम माफिजा खातून शेख है. वह छतरपुर में तिवोली गार्डेन निवासी है.

अधिक पैसा कमाने की भूख उसे इस धंधे में खींच लाई. जबकि करतार फरीदाबाद का ही रहने वाला है. बताते हैं कि होटल के मालिक की मिलीभगत से वहां अनैतिक धंधा चलता रहा है.

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