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67  वर्षीय राजेंद्र व्यास मुंबई की ग्रांट रोड के एम.एस. अली मार्ग स्थित भारतनगर परिसर की सोसायटी में अपने परिवार के साथ रहते थे. वह मुंबई की एक मिल में नौकरी करते थे लेकिन मिल बंद हो जाने के कारण उन का झुकाव शेयर बाजार की तरफ हो गया था.

परिवार सुखी और संपन्न था. सोसायटी के लोगों में उन की इज्जत, मानसम्मान और प्रतिष्ठा थी. परिवार में उन की पत्नी सुरेखा व्यास के अलावा 2 बेटियां कीर्ति और शेफाली थीं. उन का कोई बेटा नहीं था, लेकिन उन्हें इस का कोई गम नहीं था. वह अपनी दोनों बेटियों को बेटों जैसा ही प्यार, दुलार करते थे. उन्होंने उन का पालनपोषण भी बेटों की तरह ही किया था.

राजेंद्र व्यास ने दोनों बेटियों को बेटों की तरह शिक्षित कर उन्हें उन के पैरों पर खड़ा किया था. बड़ी बेटी कीर्ति व्यास एमबीए, एलएलबी करने के बाद एक अच्छी पोस्ट पर काम कर रही थी. छोटी बेटी शेफाली भी एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी करती थी. सुरेखा गृहिणी के साथसाथ एक अच्छी मां थीं. उन्हें दोनों बेटियों से गहरा प्यार था.

परिवार में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी, दिन हंसीखुशी से बीत रहे थे. लेकिन इस साल मार्च महीने में उन के परिवार में एक ऐसी घटना घटी, जिस से पूरे परिवार में मातम छा गया था.

16 मार्च, 2018 की रात राजेंद्र व्यास और उन के परिवार पर भारी थी. उस दिन उन की बेटी कीर्ति सुबह पौने 9 बजे घर से औफिस जाने के लिए निकली थी और देर रात तक वापस नहीं लौटी. सुबह औफिस जाते समय वह किसी बात को ले कर थोड़ा परेशान जरूर थी, लेकिन उस ने परेशानी की वजह किसी से शेयर नहीं की थी. मां सुरेखा के पूछने पर उस ने मुसकरा कर बात टाल दी थी. मां ने भी इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था.

इंतजार की काली रात

दोपहर 12 बजे सुरेखा ने घर पर लगे वाईफाई का पासवर्ड जानने के लिए कीर्ति को फोन किया. लेकिन कीर्ति ने फोन रिसीव नहीं किया. उस का फोन कभी स्विच्ड औफ तो कभी आउट औफ कवरेज आ रहा था.

कई बार फोन करने के बाद भी जब कीर्ति का फोन नहीं लगा तो उन्होंने यह सोचा कि हो सकता है उस ने अपना फोन बंद कर रखा हो. क्योंकि कीर्ति कंपनी में एक बड़ी पोस्ट पर थी.

ऊपर से मार्च का महीना कंपनी की सालाना क्लोजिंग का होता है. वह किसी मीटिंग वगैरह में भी व्यस्त हो सकती थी. उन्होंने सोचा कि यदि वह मीटिंग में होगी तो मीटिंग के बाद खुद ही फोन कर लेगी. पर पूरा दिन बीत गया, न तो कीर्ति का फोन आया और न ही उस ने कोई मैसेज भेजा.

कीर्ति का पूरा परिवार तब परेशान हो गया, जब शेफाली अपने औफिस से घर लौट आई, जबकि कीर्ति का कहीं पता नहीं था. दोनों का औफिस आनेजाने का समय लगभग एक ही था. कीर्ति अपने समय की पाबंद थी.

इसके अलावा वह औफिस से 1-2 बार घर में फोन कर के घर वालों का हालचाल जरूर पूछ लिया करती थी. इस के अलावा अगर उसे देर से आना होता तो इस की जानकारी वह घर वालों को दे दिया करती थी.

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लापता हुई कीर्ति

जैसेजैसे समय और रात गहरी होती जा रही थी, वैसेवैसे परिवार वालों का दिल बैठता जा रहा था. काफी समय निकल जाने के बाद भी जब कीर्ति घर नहीं पहुंची और न ही उस का कोई फोन आया तो घर वालों ने कीर्ति की कंपनी में फोन कर के उस के बारे में पूछा. वहां से पता चला कि कीर्ति तो आज औफिस आई ही नहीं थी.

यह सुन कर घर में कोहराम मच गया. परिवार के अलावा जिसे भी कीर्ति के औफिस न पहुंचने की खबर मिली, सब स्तब्ध रह गए. घर वालों के अलावा जानपहचान वाले भी कीर्ति की तलाश में लग गए. ऐसी कोई जगह नहीं बची, जहां कीर्ति को नहीं खोजा गया. कीर्ति के साथ काम करने वाले लोग भी घर वालों के साथ मिल कर उसे ढूंढ रहे थे.

सभी यह सोच कर परेशान थे कि कीर्ति सुबह पौने 9 बजे अपनी ड्यूटी के लिए निकली थी तो वह अपने औफिस न पहुंच कर कहां चली गई. सभी का मन किसी अनहोनी को ले कर अशांत था. वह रात कीर्ति के घर वालों के लिए बड़ी बेचैनी भरी गुजरी.

सुरेखा और उन की बेटी शेफाली के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. पिता राजेंद्र व्यास की हालत भी ठीक नहीं थी. सोसायटी वाले और उन के नातेरिश्तेदार उन्हें धीरज बंधा कर पुलिस के पास जाने की सलाह दे रहे थे.

28 वर्षीय कीर्ति व्यास ने अपनी पढ़ाई पूरी कर जब सर्विस की कोशिश की तो उस की योग्यता के आधार पर उसे बड़ी आसानी से अंधेरी पश्चिम लोखंडवाला स्थित एक जानीमानी कंपनी बीब्लंट (सैलून) में नौकरी मिल गई.

इस कंपनी की सीईओ और एमडी दोनों मशहूर फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी और जावेद अख्तर के बेटे फरहान अख्तर की पूर्वपत्नी अनुधा भवानी अख्तर थीं.

इस कंपनी का फिल्मी सितारों और बड़ेबड़े उद्योगपतियों के बीच एक बड़ा नाम है. यहां हेयर कटिंग और ब्यूटी के लिए आने वालों को 3 हजार से ले कर 10 हजार रुपए तक देने पड़ते हैं. इस कंपनी की दिल्ली, कोलकाता और चेन्नै सहित कई महानगरों में 50 से अधिक शाखाएं हैं, कंपनी का हेडऔफिस मुंबई में है.

यह कंपनी बड़े फिल्मी सितारों, उद्योगपतियों, टीवी कलाकारों आदि की हेयरकटिंग और ब्यूटी ड्रेसिंग का काम तो करती ही है, इस के अलावा टीवी और फिल्मों का फाइनैंस और ऐक्टिंग की कोचिंग क्लासें भी चलाती है.

यहां कोचिंग में आने वालों को 6 महीने की कोचिंग दी जाती है, जिस की फीस 3 लाख से ले कर 8 लाख रुपए के बीच होती है. कंपनी का सालाना टर्नओवर कई करोड़ का होता है.

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