अपहर्त्ताओं ने पीडि़त परिवार को 2 वीडियो और 6 फोटो भेजे थे, जिन्हें देख कर पूरा परिवार डर गया था. जो वीडियो भेजे थे, उन में विहान ‘पापा, आई लव यू’ बोल रहा था. वह कह रहा था, ‘डैडी, आप मुझे लेने आ जाओ. मुझे आप की बहुत याद आ रही है.’ परिवार वाले उन वीडियो को बारबार देखते थे. विहान की चिंता में घर वालों की नींद उड़ी हुई थी.
पुलिस ने शाहदरा, इहबास, मंडोली रोड के करीब 2500 सीसीटीवी कैमरों की सूची बनाई, जिन में से 250 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली भी गई. आखिर में साहिबाबाद बौर्डर पर लगे एक सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में बदमाश मोटरसाइकिल पर बच्चे को ले जाते दिखाई दिए. इस फुटेज से एक बदमाश की पहचान भी हुई.
दूसरी ओर डीसीपी जौय टिर्की और एसीपी संदीप लांबा की टेक्निकल टीम ने सर्विलांस, मोबाइल ट्रैकर से 35 टावरों के करीब 3 लाख नंबरों की जांच की.
3 लाख नंबरों में मिला अपहर्त्ता का नंबर
पुलिस टीम 3 लाख नंबरों की जांच करती रही. डंप डाटा में उसे 4 लोकेशन पर एक फोन नंबर कौमन मिला. उस फोन नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया गया. जांच में पता चला कि वह फोन नंबर नितिन शर्मा का है. पुलिस ने उस नंबर पर आने वाली काल्स को रिकौर्ड करना शुरू कर दिया. इस से यह जानकारी मिली कि फोनधारक कोड में बात करता है. इस से उस पर पुलिस का शक और बढ़ गया.
फोन सर्विलांस पर लगाने के बाद इस बात की पुष्टि तो हो गई थी कि फोनधारक का नाम नितिन शर्मा है, पर वह रहता कहां है, यह पता नहीं लग सका. क्योंकि जिस आईडी से उस ने फोन का सिमकार्ड लिया था, वह फरजी पाई गई. इतनी बड़ी दिल्ली में उस का पता लगाना आसान नहीं था.
इंसपेक्टर विनय त्यागी ने सबइंसपेक्टर अर्जुन सिंह, हवा सिंह, दिनेश, सुशील, एएसआई राजकुमार, मोहम्मद सलीम, हैडकांस्टेबल श्यामलाल व शशिकांत को जिम्मेदारी दी कि वह मुखबिरों से मिलने वाली जानकारी की पड़ताल करें.
पुलिस ने पूरी दिल्ली में मुखबिरों का जाल बिछा रखा था. सभी मुखबिरों को एक अपहर्त्ता का वह फोटो दे दिया गया, जिस में उस ने पीडि़त परिवार से व्हाट्सऐप पर बात की थी. वह फोटो साफ नहीं था. मुखबिरों के अलावा उस फोटो की एकएक कौफी पूर्वी दिल्ली और उत्तरपूर्वी दिल्ली के सभी बीट अफसरों को भी दे दी गई ताकि वे अपनेअपने क्षेत्र के लोगों को फोटो दिखा कर जानकारी हासिल कर सकें.
जांच टीम में जितने भी पुलिसकर्मी थे, सभी रातदिन एक किए हुए थे. इन में से कुछ पुलिसकर्मियों के परिवार में शादी थी, इस के लिए उन्होंने छुट्टी भी ले रखी थी, पर केस की संवेदनशीलता को देखते हुए वे छुट्टी पर नहीं गए. सभी की पहली प्राथमिकता केस को हल करने की थी. जौइंट सीपी आलोक कुमार जांच में जुटी सभी टीमों से संपर्क बनाए हुए थे. हर अपडेट वह पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को दे रहे थे.
उधर पीडि़त परिवार के पास अपहर्त्ताओं की तरफ से फिरौती की और कोई काल नहीं आई. मामला मीडिया में ज्यादा हाईलाइट हो चुका था, इसलिए अपहर्त्ता शायद चौकस हो गए थे. ऐसे में पुलिस को इस बात की आशंका थी कि कहीं अपहर्त्ता बच्चे को नुकसान न पहुंचा दें.
इसी दौरान एक मुखबिर ने उस धुंधले फोटो को पहचान लिया. उस ने बताया कि वह नितिन शर्मा है जो गोकुलपुरी में रहता है. यह जानकारी पुलिस के लिए महत्त्वपूर्ण थी. मुखबिर द्वारा नितिन के घर का पता भी मिल गया था. लेकिन पुलिस अधिकारियों ने अपहृत विहान की सुरक्षा को देखते हुए नितिन के घर दबिश देना जरूरी नहीं समझा.
उधर सर्विलांस टीम नितिन के फोन पर होने वाली बातचीत पर नजर रखे हुए थी. तभी सर्विलांस टीम को पता चला कि नितिन सोमवार की रात को दिल्ली में होने वाले एक शादी समारोह में आ रहा है. मुखबिर द्वारा पुलिस को उस की स्विफ्ट कार का नंबर भी मिल गया था. पुलिस टीम ने मोबाइल लोकेशन के आधार पर उस का पीछा करना शुरू कर दिया. 5 फरवरी, 2018 की रात करीब साढ़े 11 बजे नितिन की कार सीमापुरी में कम्युनिटी ब्लौक के पास रुकी तो क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे हिरासत में ले लिया.
हिरासत में लेते ही पुलिस ने सब से पहले उस से विहान के बारे में पूछा. नितिन ने बताया कि विहान सुरक्षित है. उसे बी-505 इबोनी अपार्टमेंट, शालीमार सिटी, साहिबाबाद में रखा गया है. जौइंट सीपी आलोक कुमार ने उसी समय डीसीपी जी. रामगोपाल नाइक के नेतृत्व में 16 सदस्यीय एक टीम नितिन के साथ शालीमार सिटी भेज दी. रात एक बजे टीम 5वीं मंजिल स्थित उस फ्लैट पर पहुंच गई.
बदमाशों ने कर दिया पुलिस को घायल
उस फ्लैट में अंदर की तरफ लकड़ी का दरवाजा था और बाहर लोहे की जाली वाला. पुलिस के सामने नितिन ने कोड में 3 बार दरवाजा खटखटाया. एक बदमाश ने जैसे ही लकड़ी वाला दरवाजा खोला तो अपने साथी नितिन को हथियारबंद पुलिस के बीच देख वह घबरा गया. तभी इंसपेक्टर विनय त्यागी ने कहा, ‘‘बच्चा पुलिस के हवाले कर दो, इसी में तुम्हारी भलाई है.’’
इंसपेक्टर विनय त्यागी दरवाजे के एकदम सामने थे. उन के बराबर में कमांडो कुलदीप था. उन के पीछे 6 अन्य पुलिसकर्मी एके 47 के साथ पोजीशन लिए खड़े थे. इंसपेक्टर त्यागी के ललकारने पर बदमाश ने फ्लैट के अंदर से कहा, ‘‘आप लोग यहां से चले जाओ वरना बच्चे की जान को खतरा हो सकता है.’’
इसी बीच लकड़ी का दरवाजा खोल कर बदमाश ने पुलिस पर फायरिंग कर दी. उस की एक गोली इंसपेक्टर विनय त्यागी और एक गोली कमांडो कुलदीप को लगी.
जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की. गोली लगने से एक बदमाश वहीं गिर गया, जबकि दूसरा लंगड़ाते हुए अंदर की तरफ भागा. उस के पैर में गोली लगी थी. बदमाशों की ओर से 5 राउंड फायरिंग की गई थी. गोली चलने से बाहर के लोहे वाले दरवाजे पर लगी जाली ढीली पड़ गई थी. फ्लैट के अंदर कोई हलचल न देख कर पुलिस ने ढीली पड़ चुकी लोहे की जाली को खींच कर मोड़ दिया और फिर अंदर हाथ डाल कर दरवाजे की सिटकनी खोल दी.
पोजीशन लेते हुए पुलिस फ्लैट में दाखिल हो गई. एक बदमाश फर्श पर पड़ा था, उस के सीने पर गोली लगी थी. उस की मौत हो चुकी थी. दूसरे बदमाश को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया. वह किचन में जा कर छिप गया था.
बच्चा छिपा बैठा था बैड के पीछे
जिस घायल बदमाश को हिरासत में लिया था, उस ने अपना नाम पंकज बताया और जिस बदमाश की मौत हुई थी, उस का नाम रवि था. पंकज को हिरासत में लेते ही डीसीपी डा. जी. रामगोपाल नाइक बच्चे को फ्लैट में ढूंढने लगे. वह बैड के पास छिपा मिला. बच्चा सहमा हुआ बैठा था.
डीसीपी ने विहान से कहा, ‘‘बेटा, मैं आप का चाचा हूं और पुलिस में हूं. आप को डैडी के पास ले जाने के लिए आया हूं.’’
यह कहते ही डीसीपी नाइक ने डरेसहमे विहान को गोद में उठा लिया, बच्चा उन से लिपट गया. विहान को सहीसलामत पा कर सभी ने राहत की सांस ली.